नयी दिल्ली, 16 अप्रैल, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की पुत्री प्रियंका गांधी वाड्रा ने लुटियन जोन में उन्हें आवंटित बंगले को लेकर उठे विवाद पर आज साफ किया कि उन्होंने सरकारी बंगला नहीं मांगा था बल्कि सुरक्षा कारणों से उन्हें यह उपलब्ध कराया गया था। श्रीमती वाड्रा के कार्यालय की ओर जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि उन्होंने निजी आवास लेकर उसे अपने अनुकूल बना लिया था लेकिन सुरक्षा कारणों से उन्हें वहां से हटाकर सरकारी बंगला रहने को दिया गया जिसके किराये का अग्रिम भुगतान इस श्रेणी के अन्य बंगलों के अनुसार नियमित रूप से कर रही हैं। बयान में कहा गया है कि उन्हें 1996 में एसपीजी के सुरक्षा दायरे में लिया गया था। इससे पहले वह अपने लिए एक निजी किराए का आवास ले चुकी थीं और उन्होंने इस आवास को अपने हिसाब से बना लिया था लेकिन बाद में एसपीजी के तत्कालीन महानिदेशक ने इस आवास को एसपीजी सुरक्षा के अनुकूल नहीं माना और इस आधार पर उन्हें लुटियन जोन में सरकारी बंगला आवंटित किया गया।
श्रीमती प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि वर्ष 2002 में तत्कालीन भाजपा सरकार के कार्यकाल में सुरक्षा कारणों से आवंटित आवास का मामला सामने आया तो उन्हें अवैध समझकर सरकार ने उन्हें ‘नुकसान का भुगतान’ करने को कहा था। बाद में पता चला कि जिन व्यक्तियों को नुकसान की भरपायी के लिए कहा गया उनमें कोई अवैध तरीके से नहीं रह रहा था और फिर मंत्रिमंडल की आवास समिति ने इस गलती में सुधार कर दिया था। श्रीमती वाड्रा ने भी अपने बंगले के बारे में सरकार को पत्र लिखा था और भाजपा के वर्तमान सांसद अश्विनी कुमार मिन्ना रिपीट मिन्ना ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से इस बारे में मुलाकात की थी और इस खामी को दूर कर लिया गया था। अखबरों में सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार छपी खबरों में कहा गया है कि श्रीमती वाड्रा ने मई 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान सरकारी बंगले का किराया कम करने की अपील करते हुए 2765.18 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैले अपने बंगले का किराया 53,421 रुपए महीना देने को कहा था लेकिन उन्होंने इस दर पर इसका भुगतान नहीं किया था। खबरों में कहा गया है कि वह इस बंगले के किराया का भुगतान महज 8888 रुपए की दर से कर रही हैं।