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बुन्देलखंड भी जायेगी पानी की ट्रेन

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नयी दिल्ली, 03 मई, रेलवे ने सूखे एवं पानी की किल्लत झेल रहे बुन्देलखंड के लिये भी पानी के टैंकरों वाली ट्रेन भेजने का निर्णय लिया है और उत्तर प्रदेश के महोबा में पहली गाड़ी छह अप्रैल को सुबह पहुँचेगी। रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा की पहल पर यह गाड़ी राजस्थान के कोटा से बाणसागर बांध से पानी लेकर जाएगी। श्री सिन्हा ने हमीरपुर-महोबा के सांसद पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल से सलाह करके रेलवे बोर्ड के अधिकारियों को महोबा में पानी भेजने के आज निर्देश दिये। 

रेलवे बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार कोटा से यह गाड़ी पांच अप्रैल की शाम को रवाना होगी और बीना, झांसी होते हुए सुबह अगले दिन महोबा पहुँचेगी। बुन्देलखंड में उत्तर प्रदेश के बांदा, चित्रकूट, महोबा, ललितपुर और झांसी तथा मध्यप्रदेश के टीकमगढ़, पन्ना, छतरपुर, दमोह एवं सागर जिले में पानी का संकट ज्यादा है। इन जिलों में अंधाधुंध पत्थर खनन से भूजल स्तर में गिरावट आयी है। अनेक गांवों में पशुओं के लिये पानी एवं चारा भी उपलब्ध नहीं है। रेलवे ने महाराष्ट्र के लातूर में पानी के संकट को देखते हुए वहां पानी भर कर अनेक गाड़ियाँ भेजीं हैं जिससे स्थानीय लोगों को बहुत राहत मिली है। 

मनोज को दादा साहब फाल्के और अमिताभ को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार

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नयी दिल्ली, 03 मई, राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने हिन्दी फिल्म उद्योग में भारत कुमार के नाम से मशहूर वयोवृद्ध अभिनेता मनोज कुमार को आज हिन्दी सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान दादा फाल्के पुरस्कार तथा अमिताभ बच्चन और कंगना रनौत समेत विभिन्न हस्तियों को 63वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों से सम्मानित किया। मनोज कुमार को निर्माता-निर्देशक और अभिनेता के रूप में भारतीय सिनेमा में किए गए उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया। राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में अमिताभ बच्चन को ‘पीकू’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता, कंगना रनौत को ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार प्रदान किया गया। अमिताभ को चौथी और कंगना को तीसरी बार यह पुरस्कार मिला है। इससे पहले कंगना को ‘फैशन’ और ‘क्वीन’ के लिए यह पुरस्कार मिल चुका है। अन्य श्रेणियों में सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरस्कार तमिल फिल्म ‘विसारनई’ के लिए समुथिरकनी और सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का पुरस्कार बाजीराव मस्तानी के लिए तन्वी आजमी को दिया गया।

सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का पुरस्कार बाहुबली, हिंदी भाषा में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का दम लगा के हइशा, सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय और मनोरंजक फिल्म का बजरंगी भाईजान, किसी निर्देशक की पहली सर्वश्रेष्ठ फिल्म का मसान और सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार बाजीराव मस्तानी के लिए संजय लीला भंसाली को प्रदान किया गया। जिन अन्य श्रेणियों के लिए के लिए पुरस्कार दिए गए, उनमें शामिल हैं- सर्वश्रेष्ठ बाल फिल्म दुरंतो, सर्वश्रेष्ठ बाल कलाकार गौरव मेनन (मलायलम फिल्म बेन के लिए), सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायिका मोनाली ठाकुर( दम लगा के हइशा के गीत मोह मोह के धागे), सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक महेश काले( मराठी गीत कटयार कलजत घुसाली के लिए), राष्ट्रीय एकता के सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का नरगिस दत्त पुरस्कार नानक शाह फकीर, सर्वश्रेष्ठ पटकथा लेखक(मौलिक) पीकू के लिए जूही चतुर्वेदी और तनु वेड्स मनु रिटर्न्स के लिए हिमांशु शर्मा। 

इसके अलावा सामाजिक मुद्दे पर बनी सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए निर्णायकम और सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के लिए एम जयचंद्रन को पुरस्कार प्रदान किए गए। क्षेत्रीय भाषा वर्ग में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार जिन फिल्मों को प्रदान किया गया, उनमें शामिल हैं- प्रियमानसम् (संस्कृत), तिथि(कन्नड़), मिथिला मखान (मराठी) , चौथी कूट (पंजाबी), एनिमी (कोंकणी), कोथनोडी (असमी), सतरंगी (हरियाणवी), द हेड हंटर (वांचू), ओनाताह(खासी), याओहनबियू (मणिपुरी), किमाज लोडे बियंड द क्लास(मिजो) और पहाडा रा लुहा (ओडिया)। 

राज्यसभा से माल्या का इस्तीफा नामंजूर

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नयी दिल्ली, 03 मई, बैंकों के कराेड़ों रुपयेे के देनदार राज्यसभा के निर्दलीय सदस्य विजय माल्या का इस्तीफा प्रक्रिया संबंधी खामियों के कारण नामंजूर कर दिया गया है। राज्यसभा सचिवालय के सूत्रों ने यूनीवार्ता को बताया कि राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी ने शराब कारोबारी माल्या का इस्तीफा आज अस्वीकार कर दिया क्याेंकि यह निर्धारित प्रक्रिया के अनुरूप नहीं था। श्री माल्या ने कल अपना इस्तीफा सदन की आचार समिति को भेजा था। उन पर देश के कई बैंकों का नौ हजार करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है। उनके खिलाफ इस पर न्यायालय में मामला चल रहा है।

सूत्रों के अनुसार श्री माल्या को कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य डा. कर्ण सिंह की अध्यक्षता वाली आचार समिति को आज तक अपना जवाब देना था लेकिन इससे पहले ही उन्होंने कल अपना इस्तीफा समिति को भेज दिया। समिति ने डा. अंसारी से सिफारिश की कि फैक्स के जरिये भेजे गये उनके इस्तीफे को स्वीकार नहीं किया जाये क्योंकि यह निर्धारित प्रारूप के अनुरूप नहीं है। गौरतलब है कि आचार समिति ने गत सप्ताह अपनी बैठक में सर्वसम्मति से श्री माल्या की सदस्यता रद्द करने का निर्णय लिया था और उन्हें अपना पक्ष रखने के लिए एक सप्ताह का नोटिस दिया था जिसकी अवधि आज समाप्त होने वाली था। 

झारखण्ड पर कलंक लगने नहीं दूंगा : रघुवर दास

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रांची 03 मई, झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने आज कहा कि पिछले 14 सालों में लोगों का सरकार पर विश्वास उठ गया था जिसे उनकी सरकार ने फिर से हासिल किया है और वह जब तक सत्ता में रहेंगे , राज्य पर किसी तरह का कलंक नहीं लगने देंगे। श्री दास ने यहां सूचना भवन में आयोजित सीधी बात कार्यक्रम के दौरान यह बात कही। उन्होंने कहा , “ मैंने आम तौर पर आज तक अपना जन्मदिन नहीं मनाया, लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रशासनिक अधिकारियों और आप सभी के बीच पहली बार जन्मदिन मनाया है।” इस अवसर पर श्री दास ने धनबाद के बैंक मोड़ और सरायढेला में स्टील गेट स्थित एलईडी का ऑनलाइन उद्घाटन किया, साथ में एक मोबाइल एप्स भी लांच किया।उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों को हिदायत दी कि वे ईश्वर द्वारा प्रदत् अवसर का फायदा उठायें, व्यवस्था को बदलने में अहम भूमिका निभायें, नहीं तो अवकाश प्राप्त करने के बाद, उन्हें भी इसी व्यवस्था से दो-चार होना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि आज भी समाज उसी को याद रखता है, जो काम करते है। जनता उन अधिकारियों को कभी नहीं भूलती, जिन्होंने अपने काम से जनता का दिल जीता। उन्होंने मुख्य सचिव राजबाला वर्मा का नाम का उल्लेख करते हुए कहा कि वे जहां भी जाते है, सड़क को देख लोग राजबाला वर्मा का नाम लेते है। जीवन जीने का लक्ष्य सेवा होनी चाहिए।

श्री दास ने स्पष्ट रुप से कहा की मनुष्य में जन्म लिया तो कुछ करने को सीखे। यह राज्य रांची में ही बैठे चंद लोगों का नहीं, बल्कि सभी का है। प्रभावकारी स्वच्छ एवं पारदर्शी शासन जनता का अधिकार है, जनता का विश्वास हमने प्राप्त किया है, प्रशासनिक अधिकारियों ने संवेदनशीलता दिखाई है, जिससे कुछ बदलाव दीख रहा है। उन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) को ऐसा औजार बताया, जिससे जनता और शासन के बीच की दूरियां समाप्त हो जाती है। उन्होंने कहा कि वे आईटी का प्रयोग ज्यादा से ज्यादा करें। उन्होंने स्वीकार किया कि राज्य में मानव बल की कमी है। सभी अधिकारी अगर प्रण कर लें तो इस समस्या का समाधान कोई बडी बात नहीं। उन्होंने कहा कि गुड गवर्नेंस की सरकार, जनता से किया गया उनका वायदा है और वह जवाबदेह और पारदर्शी शासन का आज भी पक्षधर है। इस बार जो बजट बनाये गये, उनमें उन सारे सुझावों को जगह दिया गया, जो जनता की ओर से प्राप्त हुए थे। उन्होंने कहा, “ पैसा महत्वपूर्ण नहीं है, महत्वपूर्ण सम्मान है। राज्य की जनता में प्रतिभायें भरी पड़ी है, उसका उदाहरण हैं, राज्य की जनता द्वारा कृषि सिंगल विंडो की खोज, जिसकी प्रशंसा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी की। हमें ऐसी सोच को बनाए रखना होगा, और इसे शेयर भी करना होगा।” 

मुख्यमंत्री ने विभिन्न विभागों के अधिकारियों को स्पष्ट रुप से कहा कि अपने- अपने विभागों में जो भी व्यक्ति अगर लागत को कम करके योजना को पूर्ण करता है, तो उसे पुरस्कृत करें। उन्होंने मुख्यमंत्री जन-संवाद केन्द्र में कार्यरत सभी कर्मियों को बतौर बोनस 2100 रुपये देने की घोषणा भी की। इससे पहले मुख्यमंत्री ने गिरिडीह के कृष्ण कांत(कृषि सिंगल विंडो) गुमला के प्रो. अमिताभ भारती, सिमडेगा के देवराज प्रसाद और गढ़वा के ऋषि कुमार तिवारी को उनके द्वारा दिये गये विशेष सुझावों के लिए प्रत्येक को 21-21 हजार रुपये, प्रशस्ति पत्र व एक शाल देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर मुख्य सचिव राजबाला वर्मा, अपर मुख्य सचिव .गृह. एन0एन0 पाण्डेय, अपर मुख्य सचिव. वित्त. अमित खरे, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव संजय कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव सुनील वर्णवाल, पुलिस महानिदेशक डी0के0 पाण्डेय तथा सभी विभागों के प्रधान सचिव और सचिव एवं अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे। 

उत्तराखण्ड की आग से ग्लेशियरों के पिघलने का खतरा: वैज्ञानिक

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देहरादून /हरिद्वार 3 मई, वैज्ञानिकों की माने तो उत्तराखंड के जंगलों में लगी विकराल आग से पर्यावरण को काफी क्षति पहुंचने के साथ ही ग्लेशियरों के पिघलने से गंगा नदी में जल की कमी होने के अलावा ओजोन परत को भी नुकसान होने से मानसून का चक्र बिगड़ सकता है । सूत्रों के अनुसार जंगलों में लगी आग से उठने वाले धुएं से आसमान में ब्लैक कार्बन का उत्सर्जन होता , जो काफी समय तक बादलों में एकत्रित होता रहता है । यह स्थिति काफी नुकसान दायक है, जिससे असमय वर्षा या तापमान में एकाएक बढ़ोतरी हो सकती है । उत्तराखण्ड में लगी आग से तापमान अचानक .02 डिग्री बढ़ गया है । सूत्रों के अनुसार यहां लगी आग और इससे निकलने वाला कार्बन तेजी से पिघल रहे ग्लेशियरों को पिघलाने का कारक होता है । काला कार्बन एवं राख हवा में उड़कर ग्लेशियर पर जाकर जमा हो जाती है ,जिसके बाद ग्लेशियर गर्मी और रोशनी को ग्रहण करने लगता है, जिसके बाद इसके पिघलने की प्रक्रिया तेजी से बढ़ने लगती है । उत्तराखण्ड के जंगलों में धधकती आग से जहां लगभग 3000 हेक्टैयर जंगलों को प्रभावित किया है,वहीं छह से अधिक लोगों तथा सैंकडों जानवरों की जाने जा चुकी है । इसके साथ ही करोडों की वन संपदा खाक हो चुकी है । आग बुझाने के लिये सरकारी अमला युद्धस्तर पर जुटा हुआ है लेकिन हालात अभी पूरी तरह नियंत्रण में नहीं है । 

सूत्रों के अनुसार ग्लेशियर में जमा बर्फ साधारतणतः गर्मी एवं लाईट को रिफ्लेकट करके वापस लौटा देती है । जिससे ग्लेशियर ठोस चट्टान का रूप ले लेते है लेकिन कार्बन और राख के कारण उसका यह गुण खंडित हो जाता है । इससे ग्लेशियर के साथ साथ पूरे पर्यावरण पर असर पड़ सकता है । नदियों में जल की कमी हो सकती है । तापमान बढने से मानसून पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है । सूत्रों के अनुसार जंगलों में आग लगने की मुख्य वजह बारिश कम होने के कारण जमीन में नमी का समाप्त होना और जंगलों का शुष्क होना है । मानवीय अथवा प्रकृतिक कारणों से लगने वाली छोटी आग भी विकराल रूप धारण कर सकती है , जिससे कम समय में आग तेजी से फैेल कर एक बड़े ईलाकें में फैल सकती है । गौरतलब है कि उत्तराखण्ड की पर्वतमालाओं में स्थित ग्लेशियर से कई प्रमुख नदियां निकलती है , जो उत्तर भारत और पश्चिम बंगाल के लेागों के लिए जीवन दायनी मानी जाती है। ग्लेशियर इन नदियों के प्राणदाता है जिन्हें नुकसान पहुंचने से नदियों के अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा सकता है । 

बिहार का नहीं गुजरात का मॉडल बनाएंगे : रघुवर दास

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रांची 03 मई, झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा है कि बिहार का मॉडल झारखंड को कतई मंजूर नहीं है और यहां गुजरात के विकास मॉडल को अपनाया जाएगा। श्री दास ने आज यहां सूचना भवन के जनसंवाद केन्द्र में सीधी बात के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि विकास और युवाओं को रोजगार कराने के लिए आज बिहार का कोई नाम नहीं ले रहा है गुजरात ने देश के समक्ष विकास का मॉडल पेश किया है। बिहार की तरह झारखंड में शराबबंदी पर पूछे गये एक प्रश्न के उत्तर मेंमुख्यमंत्री ने बिना नाम लिये बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि पिछले दस वर्षाें के दौरान वहां के लोगों को नशेड़ी किसने बनायाए शराब पीला कर नस्ल किसने खराब किया यह भी सबको सोचना चाहिए सत्ता के नशा के लिए लोगों को नशेड़ी बनाया गया। शराबबंदी का फैसला राजनीतिक और सामाजिक परिस्थिति पर निर्भर करता है इसके लिए समाज में जनजागरूकता लाने की जरूरत है। उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री पर कटाक्ष करते हुए कहा कि किसी को शराब का नशा नहीं बल्कि सत्ता का नशा है जल्द ही यह नशा उतर जाएगा। 

अगस्ता वेस्टलैंड मामले में त्यागी से तीसरे दिन भी हुई पूछताछ

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नयी दिल्ली, 04 मई अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर सौदा मामले में केन्द्रीय जांच ब्यूरो(सीबीआई) ने पूर्व वायुसेना प्रमुख एस पी त्यागी से आज लगातार तीसरे दिन पूछताछ की। श्री त्यागी एक अन्य आरोपी व्यापारी गौतम खेतान के साथ आज एजेंसी के मुख्यालय पहुंचे। छत्तीस अरब रुपए के इस कथित घोटाले में श्री खेतान से भी पूछताछ की गयी । एजेन्सी ने उन्हें इस मामले में पहली बार पूछताछ के लिए बुलाया था। 


सीबीआई सूत्रों के अनुसार श्री त्यागी ने पहले पूछताछ में स्वीकार किया था कि उनके अनुरास, वंशी और शावन सहित चार कम्पनियों के साथ वित्तीय हित जुड़े थे। ये कम्पनियां विवादास्पद सौदे में शामिल थीं। सीबीआई ने चौथी कम्पनी की मघांशु के रूप में पहचान की है।

मधुबनी अधिवक्ता संघ चुनाव : देर शाम तक होती रही मतों की गिनती

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मधुबनी  : अधिवक्ता संघ का चुनाव बुधवार को चुनाव अधिकारी मजरूल इस्लाम के देख रेख में जिला संघ के पुस्तकालय कक्ष में संपन्न हुई. हालांकि देर शाम तक मतगणना का काम पूरा नहीं होने के कारण परिणाम सामने नहीं आ सका. समाचार लिखे जाने तक मतगणना का काम जारी था. चुनाव एकल पद अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव, संयुक्त सचिव, सहायक  सचिव, ऑडिटर सहित तीन पद निगरानी समिति एवं बारह कार्यकारिणी पद के लिये हुई. वहीं चुनाव में कोषाध्यक्ष पद के लिये प्रकाश झा एवं पुस्तकालय समिति के लिये सुनील कुमार ठाकुर निर्विरोध चुन लिये गये हैं. 

अधिवक्ता संघ के चुनाव के दौरान काफी गहमा गहमी का माहौल रहा. सुबह 7:30 से ही अधिवक्ता वोट गिराने के लिये आने लगे थे. वहीं प्रत्याशी अपने पक्ष में अधिवक्ताओं को करने के लिये जोर आजमाइश करते देखे गये. चुनाव की प्रक्रिया शांति पूर्वक संपन्न हुई. चुनाव काम का देख रेख चुनाव अधिकारी मंजरूल इस्लाम ने किया. वोटरों की सुविधा के लिये तीन स्थान पर वोटिंग की व्यवस्था की गयी थी. जिस कारण अधिवक्ताओं को अधिक देर तक इंतजार नहीं करना पड़ा.  बुधवार को हुए चुनाव में कुल 43 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे. इसमें  12 कार्यकारिणी, तीन निगरानी समिति सहित 6 एकल पद के लिये चुनाव की प्रक्रिया  हुई. वोटों की कुल संख्या 606 थी जिसमें से 550 वोट पड़े. देर शाम तक मतों की गिनती जारी थी. 

विशेष आलेख : वैदिक सूक्तों के द्रष्टा स्मृतिकार महर्षि पराशर

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वैदिक सूक्तों के द्रष्टा और ग्रंथकार के रूप में प्रसिद्ध गोत्रप्रवर्तक ऋषि पराशर शक्ति मुनि के पुत्र एवं ब्रह्मर्षि वशिष्‍ठ के पौत्र थे। इनकी माता का नाम अदृश्‍यन्ति था, जो उतथ्‍य मुनि की पुत्री थी। कहीं- कहीं इन्हें पाराशर भी कहा गया है। पौराणिक मान्यतानुसार पराशर प्राचीन भारतीय ऋषि मुनि परंपरा की श्रेणी में एक महान ऋषि महर्षि पराशर का जन्‍म अपने पिता शक्ति की मृत्‍यू के बाद हुआ था, तथापि गर्भावस्‍था में ही इन्‍होंने पिता द्वारा कही हुई वेद ऋचायें कंठस्‍थ कर ली थी। प्रमुख योग सिद्दियों के द्वारा अनेक महान शक्तियों को प्राप्त करने वाले ऋषि पराशर महान तप और साधना भक्ति द्वारा जीवन के पथ प्रदर्शक के रुप में जाने जाते हैं। वेदव्यास कृष्ण द्वैपायन के पिता महर्षि पराशर जी का दिव्‍य जीवन चरित्र अत्‍यंत अलौकिक व अद्वितीय है, जिन्होंने धर्मशास्‍त्र, ज्‍योतिष, वास्‍तुकला, आयुर्वेद, नीतिशास्‍त्र, विषयक ज्ञान मानव मात्र को दिया। महर्षि पराशर रचित ग्रन्‍थ वृहत्‍पराशर होराशास्‍त्र, लघुपराशरी, वृहत्‍पराशरीय धर्म संहिता, पराशर धर्म संहिता, पराशरोदितम, वास्‍तुशास्‍त्रम, पराशर संहिता (आयुर्वेद), पराशर महापुराण, पराशर नीतिशास्‍त्र, आदि मानव के लिए कल्‍याणार्थ रचित ग्रन्‍थ लोकख्यात हैं। प्राचीन काल के शास्त्रियों में प्रसिद्ध पराशर के नाम पर ऋग्वेद के कई सूक्त हैं। 

पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार ऋषि पराशर के पिता शक्ति मुनि का देहांत इनके जन्म के पूर्व हो चुका था। अतः इनका पालन पोषण इनके पितामह वसिष्ठ ने किया था। यही ऋषि पराशर वेद व्यास कृष्ण द्वैपायन के पिता थे। अपने पितामह वशिष्‍ठ के द्वारा पालन –पोषण किये जाने और उनके पास ही रहकर विद्याध्‍ययन करने के कारण पराशर वशिष्‍ठ को ही अपना पिता समझते थे। एक बार पराशर की माता अदृश्यंती ने पराशर से कहा पुत्र जिन्‍हें तुम पिता कहते हो वे वास्‍तव में तुम्‍हारे पिता नहीं पितामह हैं। पराशर के पूछने पर माता अदृश्‍यन्ती ने समस्‍त जानकारी उन्‍हें उपलब्ध करा दी कि किस प्रकार तुम्‍हारे पिता को राक्षस ने तुम्‍हारे जन्‍म से पूर्व ही मार डाला था। महाभारत, आदिपर्व अध्याय 177 से 180 के संक्षेप के अनुसार जब पराशर बडे़ हुए तो माता अदृश्यंती से इन्हें अपने पिता की मृत्यु का पता चला कि किस प्रकार राक्षस ने इनके पिता का और परिवार के अन्य जनों का वध किया। यह घटना सुनकर वह बहुत क्रोधित हुए और राक्षसों सहित समस्त लोकों का नाश करने के लिए उद्यत हो उठे। वसिष्ठ ने उन्हें बहुत समझा –बुझाकर शांत किया परन्तु क्रोधाग्नि व्यर्थ नहीं जा सकती थी, अत: समस्त लोकों का पराभव न करके पराशर ने राक्षसों के नाश के निमित्त राक्षस सत्र नामक यज्ञ आरंभ किया। सत्र में प्रज्वलित अग्नि से अनेक निरपराध राक्षस भी नष्ट होने लगे। इस प्रकार इस महाविनाश और दैत्यों के वंश ही समाप्त हो जाने की आशंका को देखकर निर्दोष राक्षसों को बचाने के लिए पुलस्त्य समेत अन्य ऋषियों ने पराशर ऋषि को जाकर समझाया और कहा कि ब्राह्मणों को क्रोध शोभा नहीं देता। शक्ति का नाश भी उसके दिये शाप के फलस्वरूप ही हुआ। हिंसा ब्राह्मण का धर्म नहीं है। इस प्रकार समझा-बुझाकर उन्होंने पराशर का यज्ञ समाप्त करवा दिया तथा संचित अग्नि को उत्तर दिशा में हिमालय के आस- पास वन में छोड़ दिया। वह आज भी वहाँ पर्व के अवसर पर राक्षसों, वृक्षों तथा पत्थरों को जलाती है। 

महाभारत के ही एक कथा के अनुसार माघ महीने के शुक्ल पक्ष क़ी एकादशी तिथि को एक बार भगवान सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करने वाले थे। उसी दिन महर्षि पाराशर का एकादशी का व्रत था तथा उन्हें मकर संक्रांति का स्नान भी करना था। उस समय महर्षि पराशर प्रभास क्षेत्र में थे और वहाँ से उन्हें यमुना को पार कर के फिर कान्यकुब्ज क़ी सीमा में प्रवेश करना था। वह यमुना के तट पर पहुंचे और उन्होंने मल्लाह को पुकारा। मल्लाह घर पर उस समय नहीं था। उसकी बेटी मत्स्यगंधा घर पर थी। जिसके शरीर से सदा मछली क़ी बदबू आती रहती थी। मल्लाह ने उसे एक मछली के पेट से निकाला था और उसके शरीर से मछली सी गंध आने के कारण उसका नाम मत्स्यगंधा पड़ गया था। उसका वास्तविक नाम मत्स्योदरी था। उसका सत्यवती नाम भी था। मत्स्यगंधा ने बताया कि उसके पिता अभी जंगल में कहीं गये हुए है। महर्षि ने कहा कि उन्हें अतिशीघ्र अभी उस पार जाना है और उसके बाद भी लम्बी दूरी तय करनी पड़ेगी। समझ में नहीं आता कि कैसे उस पार जाया जाय? मत्स्योदरी ने प्रतीक्षा करने के लिए कहा परन्तु  महर्षि ने कहा कि तुम ही नाव चला कर उस पार ले चलो। महर्षि के प्रस्ताव को मत्स्योदरी ने अस्वीकार कर दिया। इस पर महर्षि ने कहा कि यदि उनका व्रत खंड होगा तों उसका पाप तुम्हे ही भुगतना पड़ेगा। यह सुन मत्स्यगंधा भयभीत हो गयी और उसने तत्क्षण नाव खोल कर महर्षि को बिठा नाव लेकर चल पड़ी। जब नाव कुछ दूर चली गयी तों महर्षि का चित्त विचलित होने लगा और उनमे वासना चलायमान हो गयी। महर्षि ने ध्यान लगाया तो भवितव्यता उन्हें दिखाई दे गयी। उन्होंने आँख खोली और फिर मत्स्यगंधा का हाथ पकड़ कर प्रणय के लिये आग्रह करने लगे। महर्षि को काम के वशीभूत देख मत्स्यगंधा बोली कि हे ऋषिवर! आप एक पूज्य एवं अति श्रेष्ठ दिव्य व्यक्तित्व हो। यह व्यवहार आप के लिये शोभा नहीं देता। महर्षि ने कहा कि ऐसा करने पर तुम भी मेरे प्रताप से सामान्य स्त्री नहीं रह जाओगी और जो तुम्हारे शरीर से सड़े मछली क़ी बू आती है उसे मैं अपने तपोबल से दूरकर पुष्पगंधा बना दूँगा। हमारे संपर्क से तुम्हारा कन्याभाव नष्ट न होगा और तुम्हारे शरीर की दुर्गंध दूर होकर एक योजन तक सुंगध फैलने लगेगी, यह वर पराशर ने सत्यवती को दिए। महर्षि ने अपने उद्योग से उसे अति खूबसूरत एवं मनमोहक सुगंध विखेरने वाली युवती बना दिया। जिससे चारों दिशायें भीनी- भीनी मीठी सुगंध से सुगन्धित हो उठीं। इस पर मत्स्यगंधा बोली कि ऐसे खुले आकाश के नीचे यह कार्य निंदनीय है। इस पर महर्षि पराशर ने अपने उद्योग से वहाँ घना कुहरा उत्पन्न किया जिससे चारो तरफ अन्धेरा हो गया। पौराणिक गाथाओं के अनुसार कुहरे का जन्म महर्षि पराशर के द्वारा हुआ था, तभी से कुहरा पड़ना शुरू हो गया। महर्षि के इस चरित्र का सांकेतिक उल्लेख कालिदास ने भी कुमारसम्भवम में किया है। इस प्रकार मत्स्यगंधा एवं महर्षि पराशर के इस संयोग से महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ, जिन्होंने चारो वेद एवं अठारह पुराणों क़ी रचना क़ी। मत्स्यगंधा के पुष्पगन्धा बनने की इस कथा से यह भी स्पष्ट होता है कि महर्षि पराशर एक ज्योतिषाचार्य ही नहीं अपितु एक कुशल एवं उत्कृष्ट चिकित्सा विज्ञान विशेषज्ञ थे। इन्होने स्मृति शास्त्र की भी रचना की, जिसे पाराशर स्मृति के नाम से जाना जाता है। बारह अध्यायों में विभक्त पाराशर-स्मृति में इसके प्रणेता भगवान् वेदव्यास के पिता ऋषि पराशर ने चारों युगों की धर्मव्यवस्था को समझकर सहजसाध्य रूप में धर्म की मर्यादा निर्दिष्ट की है तथा कलियुग में दानधर्म को ही प्रमुख बताया है- 

तप: परं कृतयुगे त्रेतायांज्ञानमुच्यते।
द्वापरे यज्ञमित्यूचुदनिमेकं कलौयुगे। - पाराशर स्मृति 1/23
इसके प्रथम अध्याय के अनुसार सतयुग में प्राण अस्थिगत, त्रेता युग में मांसगत, द्वापर युग में रुधिर में तथा कलि युग में अन्न में बसते हैं। कलियुग में आचार-विचार-परिपालन मुख्य धर्म है। तृतीय अध्याय में शिशुओं, गर्भपति में अशौच एवं यज्ञोपवीत होने तक अशौच व्यवस्था वर्णित है। चौथे अध्याय में गर्भपात को ब्रह्महत्या तुल्य मानते हुए इससे दूना पाप का भागी होना बताया गया है। छठे अध्याय में किसी भी प्राणी के वध को पाप कहा गया है तथा इनके प्रायश्चित का विधान बताया गया है। नौवें अध्याय में स्त्री, बालक, सेवक, रोगी तथा दु:खियों पर कोप न करने का निदेश है-

 स्त्री बालभृत्य गोवि प्रेष्वति कोपं विवर्जयेत।- पाराशर स्मृति 9/62  
बारहवें अध्याय में किसी पापी के साथ शयन, संसर्ग, एक आसन पर बैठना तथा भोजन करना भी पाप कहा गया है, जिसके प्रायश्चित्त के लिए गोव्रत पालन का निदेश है-

 गवां चैवानुगमनं सर्वपापप्रणाशनम्।- पाराशर स्मृति   12/12
पराशर ऋषि ने अनेक ग्रंथों की रचना की जिसमें से ज्योतिष के उनके ग्रंथ बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। पराशर के द्वारा रचित बृहतपराशरहोरा शास्त्र अत्यंत प्रचलित है। इन्होंने फलित ज्योतिष सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया है।  एक कथा के अनुसार एक बार महर्षि मैत्रेय के द्वारा आचार्य पराशर से ज्योतिष के तीन अंगों के बारे में उन्हें ज्ञान प्रदान करने के लिए विनती किये जाने पर पराशर ने होरा, गणित, और संहिता तीन अंगों का वर्णन किया है। जिसमें होरा सबसे अधिक महत्वपूर्ण है और होरा शास्त्र की रचना महर्षि पराशर के द्वारा हुई है। महर्षि पराशर के दवारा रचित अनेक ग्रन्थों का उल्लेख परवर्ती विद्वानों ने अपने ग्रंथों में किया है। महाभारत, शांतिपर्व, 291-297 के अनुसार भीष्माचार्य ने धर्मराज को पराशरोक्त गीता का उपदेश किया है। पराशर रचित पराशरोदितं का विश्वकर्मा ने अपने ग्रन्थ वास्तुशास्त्रम्‌ में उल्लेख किया है।

पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार कई अन्य पराशर हुए हैं, जिन्होंने पराशरी गोत्र अर्थात शाखा चलाई जिसके कारण उन्हें भी पराशर की संज्ञा प्राप्त है। वायुपुराण 1- 60 और ब्रह्मांडपुराण 2- 34 के अनुसार वेदव्यास की ऋग्वेद-शिष्य-परंपरा में बाष्कल का शिष्य हुए हैं । जिनकी चलाई हुई शाखा पराशरी नाम से प्रसिद्ध है। यह श्रुतर्षि, ऋषिक और ब्रह्मचारी था ।वायुपुराण 1- 61 व ब्रह्मांडपुराण 2- 35 के अनुसार वेदव्यास की सामवेद-शिष्य-परंपरा में हिरण्य नाम का शिष्य पराशर हुए। इसका ब्रह्मांडपुराण में पाराशर्य पाठभेद है। ब्रह्मांडपुराण 2- 35 तथा वायुपुराण 1- 61 के अनुसार वेदव्यास की सामवेद-शिष्य-परंपरा में कुथुमि का शिष्य पराशर हुए। ब्रह्मांड 3, 65 के अनुसार वेदव्यास की यजुः शिष्य-परंपरा में स्थित याज्ञवल्क्य के वाजसनेय शाखा का शिष्य और शिवपुराण शतरुद्रिय संहिता 4-5 व वायुपुराण 1-23 के अनुसार ऋषभ नामक शिव के अवतार का शिष्य पराशर हुए। महाभारत आदिपर्व 57, 19 कुंभकोणप्रति के अनुसार जनमेजय के सर्पसत्र में मारे गए सर्पों में धृतराष्ट्र नामक कुल का एक सर्प के साथ ही मत्स्यपुराण में सौदास कल्माषपाद के पुत्र का रक्षण करने वाले पराशर का वर्णन मिलता है।

पाराशर ज्‍योतिषियों का गोत्र है। ध्यातव्य हो कि इस गोत्र के लोग ज्‍योतिषीय गणनाएं न भी करें तो भी ये भविष्‍य देखने के प्रति और परा भौतिक दुनिया के प्रति अधिक झुकाव रखने वाले लोग होते हैं। भारद्वाज और कश्‍यप गोत्र की तुलना में ये लोग समस्‍याओं के समाधान एक साथ और स्थायी ढूंढने की कोशिश करते हैं और अधिकतर सांसारिक समस्‍याओं से पलायन करते हैं। ऐसे में परा से इन लोगों का अधिक संपर्क होता है। मत्स्य पुराण अध्याय 201 के अनुसार इनसे प्रवृत्त पराशर गोत्र में गौर, नील, कृष्ण, श्वेत, श्याम और धूम्र छह भेद हैं। गौर पराशर आदि के भी अनेक उपभेद मिलते हैं। उनके पराशर, वसिष्ठ और शक्ति तीन प्रवर हैं।




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-अशोक “प्रवृद्ध”-
गुमला
झारखण्ड

आलेख : डॉक्टरों की कमी से जूझता देश

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आबादी के हिसाब से दुनिया के दूसरे सबसे बड़े देश भारत में स्वास्थ्य सेवायें भयावह रूप से लचर है और यह लगभग अराजकता की स्थिति में पहुँच चुकी है, भारत उन देशों में अग्रणीय है जिन्होंने अपने सावर्जनिक स्वास्थ्य का तेजी से निजीकरण किया है और सेहत पर सबसे कम खर्च करने वाले देशो की सूची में बहुत ऊपर है. दूसरी तरफ ‘‘विश्व स्वास्थ्य संगठन” के मानकों के अनुसार प्रति 1000 आबादी पर एक डाक्टर होने चाहिए लेकिन भारत इस अनुपात को हासिल करने में बहुत पीछे है और यह अनुपात 2.5 के मुकाबले मात्र 0.65 ही है. पिछले 10 सालों में यह कमी तीन गुना तक बढ़ी है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्ढा ने फरवरी 2015 को राज्यसभा में बताया था कि देश भर में 14 लाख डाक्टरों की कमी है और प्रतिवर्ष लगभग 5500 डाक्टर ही तैयार हो पाते हैं।’’ विशेषज्ञ डॉक्टरों के मामले में तो स्थिति और भी बदतर है, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की हालिया रिपोर्ट के अनुसार सर्जरी, स्त्री रोग और शिशु रोग जैसे चिकित्सा के बुनियादी क्षेत्रों में 50 फीसदी डॉक्टरों की कमी है. ग्रामीण इलाकों में तो यह आंकड़ा 82 फीसदी तक पहुंच जाता है. यानी कुल मिलाकर हमारा देश ही बहुत बुनियादी क्षेत्रों में भी डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है. यह स्थिति एक चेतावनी की तरह है. 

शायद इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने अगस्त 2015 में यह फैसला लिया था कि वह विदेशों में पढ़ाई करने वाले डाक्टरों को 'नो ऑब्लिगेशन टू रिटर्न टू इंडिया (एनओआरआई)'सर्टिफिकेट जारी नही करेगी जिससे वो हमेशा के लिए विदेशों में रह सकते थे. इसके बाद महाराष्ट्र के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने सरकार के इस फैसले को मानवीय अधिकार और जीने के अधिकार का उल्लंघन बताकर हाईकोर्ट में फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी। एसोसिएशन द्वारा दायर की गई इसी याचिका के जवाब में स्वास्थ मंत्रालय हलफनामा दायर कर कहा है कि 'देश खुद डॉक्टरों की भारी कमी का सामना कर रहा है। ऐसे में सरकार से उम्मीद नहीं की जा सकती है कि डॉक्टरों को विदेश में बसने की अनुमति दे और यह सर्टिफाई करेगी कि देश को उनकी सेवा की जरूरत नहीं है'.

भूमंडलीकरण के बाद विदेश जाकर पढ़ने वाले भारतीयों की तादाद भी बढ़ी है, चीन के बाद भारत से ही सबसे ज्यादा लोग पढ़ने के लिए विदेश जाते हैं. एसोचैम के अनुसार हर साल करीब चार लाख से ज्यादा भारतीय विदेशों में पढ़ाई के लिए जा रहे हैं। उनका मकसद केवल विदेशों से डिग्री लेकर लेना ही नहीं बल्कि डिग्री मिलने के बाद उनकी प्राथमिकता दुनिया के किसी भी हिस्से में ज्यादा पैकेज और चमकीले कैरियर की होती है. सरकार का यह निर्णय देश से प्रतिभा पलायन 2012 में लिए गए नीतिगत फैसले की एक कड़ी है, एक अनुमान के मुताबिक देश के करीब 32% इंजीनियर, 28% डॉक्टर और 5% वैज्ञानिक विदेशों में काम कर रहे हैं. भारत दुनिया के प्रमुख देशों, को सबसे अधिक डॉक्टरों की आपूर्ति करता है. ‘इंटरनैशनल माइग्रेशन आऊटलुक (2015)’ के अनुसार विदेशों में कार्यरत भारतीय डॉक्टरों की संख्या साल 2000 में 56,000 थी जो 2010 में 55 प्रतिशत बढ़कर 86,680 हो गई। इनमें से 60 प्रतिशत भारतीय डाक्टर अकेले अमरीका में ही कार्यरत हैं। 

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय डॉक्टरों की कमी को देखते हुए अपने इस फैसले से विदेशों में बसने वाले डॉक्टरों पर रोक लगाना चाहती थी लेकिन डॉक्टरों की कमी का एक मात्र कारण यह नहीं है. एक अनुमान के मुताबिक देश में इस समय 412 मेडिकल कालेज हैं। इनमें से 45 प्रतिशत सरकारी क्षेत्र में और 55 प्रतिशत निजी क्षेत्र में हैं। हमारे देश के कुल 640 जिलों में से मात्र 193 जिलों में ही मेडिकल कालेज हैं और शेष 447 जिलों में चिकित्सा अध्ययन की कोई व्यवस्था ही नहीं है। मौजूदा समय में डॉक्टर बनना बहुत महंगा सौदा हो गया है और एक तरह से यह आम आदमी की पहुंच से बाहर ही हो गया है। सीमित सरकारी कालेजों में एडमीशन पाना एवेरस्ट पर चढ़ने के बराबर हो गया है और प्राईवेट संस्थानों में दाखिले के लिए डोनेशन करोड़ों तक चूका गया है ऐसे में अगर कोई कर्ज लेकर पढाई पूरी कर भी लेता है तो वह इस पर हुए खर्चे को ब्याज सहित वसूलने की जल्दी में रहता है. यह एक तरह से निजीकरण को भी बढ़ावा देता है क्योंकि इस वसूली में उसे दवा कंपनियां पूरी मदद करती है. डॉक्टरों को लालच दिया जाता है या उन्हें मजबूर किया जाता है कि कि महंगी और गैर-जरूरी दवाईया और जांच लिखें.

निजी अस्पतालों के क्या सरोकार हैं उसे पिछले दिनों हुई एक खबर से समझा जा सकता है, घटना बिलासपुर की है जहाँ इसी साल मार्च में तीरंदाजी की राष्ट्रीय खिलाड़ी शांति घांघी की मौत के बाद उनका शव एक मशहूर अस्पताल ने इसलिए देने से मना कर दिया था क्योंकि उनके इलाज में खर्च हुए 2 लाख रुपये का बिल बकाया था. दुर्भाग्य से भारत के नीति निर्माताओं ने स्वास्थ्य सेवाओं को इन्हें मुनाफा पसंदों के हवाले कर दिया है, हमारे देश में आजादी के बाद के दौर में निजी अस्पताल संख्या के लिहाज से 8 से बढ़कर 93 फीसदी हो गयी है. चूंकि सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं पर्याप्त नहीं हैं या अक्षम बना दी गयी हैं इसीलिए आज ग्रामीण इलाकों में कम से कम 58 फीसदी और शहरी इलाकों में 68 फीसदी भारतीय निजी क्षेत्र की स्वास्थ्य सुविधाओं पर निर्भर है. आंकड़े बताते हैं कि स्वास्थ्य सुविधाओं पर बढ़ते खर्च की वजह से हर साल 3.9 करोड़ लोग वापस गरीबी में पहुंच जाते हैं.

सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था भारत की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है फिर भी इसके बजट में कटौती की जाती है. केंद्र सरकार द्वारा अपने मौजूदा बजट में स्वास्थ्य में 20 फीसदी की कटौती की है, जानकार बताते हैं कि इस कटौती से नये डॉक्टरों की नियुक्ति करना और स्वास्थ्य केंद्रों को बेहतर सुविधाओं कराने जैसे कामों पर असर पड़ेगा .

विदेशों में कार्यरत भारतीय मूल के डॉक्टरों को वापस लाना एक अच्छा कदम हो सकता है लेकिन यह कोई हल नहीं है. बुनियादी समस्याओं पर ध्यान रखना होगा और यह देखना होगा कि समस्या की असली जड़ कहाँ पर है. भारत का स्वास्थ्य क्षेत्र पर्याप्त और अच्छी चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता के मामले में गहरे संकट के दौर से गुजर रहा है. अभी तक कोई ऐसी सरकार नहीं आई है जिसके प्राथमिकताओं में सावर्जनिक स्वास्थ्य का क्षेत्र हो, आने वाली सरकारों को जरूरत के मुताबिक नए मेडिकल कालेजों में सार्वजनिक निवेश करके इनकी संख्या बढ़ाकर नए डॉक्टर तैयार करने वाली व्यवस्था का विस्तार करना होगा. निजी मेडिकल और अस्पतालों को भी किसी ऐसे व्यवस्था के अंतर्गत लाना होगा जिससे उन पर नियंत्रण रखा जा सके. 





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---जावेद अनीस---
संपर्क -9424401459
मेल : javed4media@gmail.com

विशेष : मायावती की जीत क्या सामाजिक न्याय की हार होगी?

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मनुवादी एमके गांधी द्वारा आमरण अनशन को हथियार बनाकर बाबा साहब को कम्यूनल अवार्ड को त्यागने को मजबूर किया गया। दुष्परिणामस्वरूप पूना पैक्ट अस्तित्व में आया। जिसके तहत सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े उन वर्गों को, जिनका राज्य (सरकार) की राय में प्रशासन में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है, प्रशासनिक प्रतिनिधित्व प्रदान करने के लिए संविधान में आरक्षण की व्यवस्था की गयी। जिसके तहत सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में अजा, अजजा एवं ओबीसी को आरक्षण प्रदान किया जा रहा है। जिसका मूल मकसद सामाजिक न्याय की स्थापना करना था।

इसके विपरीत संघ की राजनैतिक शाखा भाजपा की राज्य सरकारों द्वारा संविधान को धता बताकर आरक्षण प्रदान करने हेतु आर्थिक आधार को आगे बढ़ाया जाकर भाजपा की सरकारों द्वारा राजस्थान और गुजरात में सामाजिक न्याय की हत्या करने की शुरूआत की जा चुकी है। जिसके समर्थन के लिए पासवान, उदितराज और अठावले को भाजपा द्वारा पहले ही अपने साथ मिलाया जा चुका है। मायावती के विरुद्ध जारी आपराधिक मामलों के दबाव के जरिये उसे भी संघ द्वारा आर्थिक आधार पर आरक्षण का समर्थन करने को मजबूर किया जा चुका है। संविधान के विरूद्ध जाकर मायावती राज्यसभा में सवर्णों को आर्थिक आधार पर आरक्षण प्रदान करने की अन्यायपूर्ण मांग कर चुकी हैं।

इस सबके बावजूद भी संविधान में संशोधन के बिना आर्थिक आधार पर आरक्षण को लागू नहीं किया जा सकता। मगर सबसे बड़ा पेच यह है कि राज्यसभा में भाजपा के बहुमत के अभाव में संविधान संशोधन सम्भव नहीं है। राज्यसभा में बहुमत के लिए भाजपा और संघ द्वारा उत्तर प्रदेश विधानसभा के अगले आम चुनाव के बाद बदलने वाली तस्वीर का इन्तजार किया जा रहा है।

चूंकि वर्तमान परिदृश्य में राजनैतिक समीक्षकों को उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बहुमत में आने के आसार बहुत ही कम नजर आ रहे हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश विधान सभा के चुनाव के बाद मुझे निम्न संभावनाएं और आशंकाएं दिखाई दे रही हैं :-

1. उत्तर प्रदेश विधानसभा में बसपा को बहुमत मिले जिससे राज्यसभा में बसपा की ताकत बढ़े। मायावती तो सीबीआई जांच के शिकंजे में छूट/ढिलाई मिले और बदले में मायावती अपनी पूर्व घोषित नीति के अनुसार सवर्णों को आर्थिक आधार पर आरक्षण दिलाने के बहाने संघ/भाजपा के संविधान संशोधन के एजेंडे का समर्थन करे।
2. उत्तर प्रदेश विधानसभा में भाजपा को बहुमत मिले जिससे राज्यसभा में भाजपा की ताकत बढ़े। जिसके बल पर भाजपा अपने एजेंडे को लागू करने के लिए संविधान में संशोधन करे। 
3. उक्त बिंदु एक संघ और भाजपा की पहली आकांक्षा है, क्योंकि बसपा के समर्थन से संविधान में संशोधन करके सामाजिक न्याय की हत्या करने में कथित रूप से दलितों की सबसे बड़ी पार्टी बसपा की सहमति भाजपा के लिए राजनीतिक रूप से दूरगामी लाभ का सौदा होगा।
4. उत्तर प्रदेश में बसपा को जिताने के बदले में केंद्र सरकार बसपा सुप्रीमों को सीबीआई से संरक्षण प्रदान करेगी, जिसके प्रतिफल में मायावती अन्य राज्यों में कांग्रेस को हराने के लिए अपने उम्मीदवार खड़े करके भाजपा को जिताने में योगदान करेगी।
5. संविधान संशोधन के जरिये एक बार यदि आर्थिक आधार पर आरक्षण का प्रावधान संविधान में जुड़ गया तो आज नहीं तो कल, सीधे नहीं तो सुप्रीम कोर्ट के मार्फत अजा एवं जजा के आरक्षण का मूल आधार भी आर्थिक किया जाना आसान हो जाएगा। जो संघ का मूल मकसद है। इसके बाद आराक्षण का आधार जाति या वर्ग नहीं बीपीएल कार्ड होगा। जिसे खरीदना आसान होगा। आर्थिक आधार लागू होते ही पदोन्नति का आरक्षण अपने आप ख़त्म हो जाएगा और सामाजिक न्याय एक कल्पना मात्र रह जाएगा।





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: डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
संपर्क : 9875066111

मिराज़ स्टोर से ही करूंगी शादी की शॉपिंग: करिश्मा तन्ना

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इंडिया में पहली बार दिल्ली के करोल बाग मार्केट में “मिराज स्टोर” लॉन्च हुआ। “मिराज स्टोर” लेडीज़ स्पेशल डिजाइनिंग ड्रेसिज़ लाइक लंहगा, अनारकली, गाउन जैसे डिजाइनिंग ड्रेसिज का स्टोर है। स्टोर लॉन्च के मौके पर बिगबॉस फेम ‘करिश्मा तन्ना’, रोडीज़ फेम ‘काव्या’, मारवाह स्टूडियों के मालिक ‘संदीप मारवाह’, किंगफिशर मॉडल ‘कंचन तोमर’, क्वीन ऑफ रियैलिटी शोज़ यानि ‘रूपा खुराना’, इंडियाज़ नेक्सट टॉप मॉडल की रऩअरप ‘रूशाली रॉय’, मिया लाकरा, मीनाक्षी दत्त, उमेश दत्त जैसे कई फेमस सिलेब्रिटी मॉडल मौजूद थे। स्टोर लॉन्च के मौके पर फैशन शो के जरिए “मिराज” ने अपनी डिजाइनिंग ड्रेसिस के कलेक्शन को भी शो किया। जिसमें सभी मॉडल्स ने डिजाइनिंग और एथेनिक ड्रेसिज को पहनकर रैंप वॉक किया। रैंप वॉक पर मॉडल्स जब “मिराज” क्लेक्शन पहनकर रैंप पर उतरी तो ड्रेस की डिजाइनिंग देखते ही बनती थी।

लॉन्च के मौके पर ब्लू कलर के गाउन में क्वीन लुक दे रही करिश्मा तन्ना ने कहा कि “मिराज में ड्रेसिज की क्लेक्शन को देखकर मेरा तो दिल आ गया है। इन ड्रेसिस को ‘गगन’ और ‘सुनैना’ (डिजाइनर्स) ने इतनी खूबसूरती से डिजाइन किया है कि जो देखने में ही आपको कम्फर्टेबल लुक देती है। यहां की सारी ड्रेस बहुत अच्छी है और बेस्ट पार्ट यह है कि रेट्स भी काफी इकॉनोमिकल है जो कि आसानी से खरीदे जा सकते है। दरअसल मैं तो सोच रही हूं कि अपनी शादी के लिए मुझे कहीं और जाने की जरूरत ही नहीं पड़ने वाली, बस मिराज आ जाउंगी। मैं स्पेशली चाहूंगी कि मेरी शादी की सारी ड्रेसिस को सुनैना और गगन ही डिजाइन करें। क्योंकि यह ड्रेसिज़ इस मॉडर्न सोसाइटी में मुगलों की शाही ड्रेसिस वाली फील देती है।“

वहीं स्टोर के मालिक राजेंद्र कुमार चोपड़ा और सविता चोपड़ा ने कहा कि “मिराज एक ऐसा स्टोर है जहां लेडीज़ को आने के बाद अपनी इमैजनरी ड्रेस के लिए ज्यादा सोचना नहीं पड़ेगा। इसके लिए हमने प्राइस को काफी इकोनोमिकल भी रखा है क्योंकि हमारें लिए कस्टमर सेटिसफेक्शन मेन है।“ लॉन्च के मौके पर ड्रेसिज़ को डिजाइन करने वाली सुनैना ने कहा कि “हमने पूरी कोशिश की है कि ऐसी ड्रेस बनाई जाए जिसमें एक लड़की खुद को इमैजिन करती है। बल्कि मिराज नाम ही हमने उस सपने को पाने के लिए दिया है जो हर लड़की देखती है।“ वहीं सुनैना के साथ ड्रेस को डिजाइन करने वाले गगन ने कहा कि “फैशन की कोई सीमा नहीं होती, फैशन का मतलब किसी चीज को कॉपी करना भी नहीं होता। फैशन वो है जो आप कैरी करें, फैशन आप सब में से ही निकलता है। बस इसी चीज़ को ध्यान में रखते हुए ही हमनें इन ड्रेसिस को डिजाइन किया है।“

टीवी पर काम करने का मजा ही अलग है : कृतिका सेंगर

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‘क्योंकि सास भी कभी बहू’ टीवी शो से अपने अभिनय का सफर से शुरू करने वाली कृतिका सेंगर ने कसौटी जिंदगी की, क्या दिल में है, बुरा न मानो होली है, आहट, झांसी की रानी सहित करीब एक दर्जन धारावाहिक किये। कृतिका कहती है कि टीवी पर काम करने का मजा ही अलग है। निकेतन धीर से विवाह करने के बाद इन दिनों धारावाहिक ‘कसम- तेरे प्यार की’ में अपने रोल को लेकर सुर्खियों में है। हाल में उन से प्रेमबाबू शर्मा से मुलाकात हुई प्रस्तुत है,उसी के चुनिंदा अंशः 

आप क्या पुनर्जन्म में विश्वास करती हैं?
इसके लिये मैं आपको एक रियल घटना बताती हूं। यह बहुत पर्सनल है पता नहीं मुझे शेयर करना चाहिये या नहीं। खैर घटना मेरी मम्मी से जुड़ी है दरअसल उन्हें तीन बार गर्भपात हुआ। यहां तक डॉक्टर ने भी कह दिया था कि अब वह मां नही बन पाएंगी। उन्हीं दिनों मेरे पापा की बुआ ने मरने से पहले कहा कि मैं दोबारा इस घर में आऊंगी और एक साल बाद मेरी पैदाइश हुई। आप यकीन करें कि मेरे दादा मरते तक मुझसे राखी बंधवाते रहें। मैं उन्हें ही नहीं बल्कि उनके सभी दोस्तों को भी राखी बांधती थी। ऐसा नहीं कि यह कोई नई बात है, इस तरह के हादसे बहुत लोगों के साथ घट चुके हैं इसलिये मैं मानती हूं कि पुनर्जन्म होता है।

इस शो के बारे में बताये ?
मेरा किरदार तनुश्री नामक युवती का है, जो मिडिल क्लास फैमिली में पली बढ़ी है। बचपन से ही इसकी मां ने इसे सिखाया है कि जिंदगी में प्यार जरूरी है चाहे वह भाई बहन का प्यार हो, मां बेटी का प्यार या फिर पति पत्नी का प्यार हो। तनुश्री रिषी से बहुत प्यार करती हैं क्योंकि बचपन में ही उन दोनों की शादी तय कर दी गई थी, लेकिन कुछ ऐसा होता है कि दोनों एक दूसरे से दूर हो जाते हैं। अब तनु उसे प्यार तो करती है, लेकिन ऐसा भी नहीं कि वह उसके प्यार में पागल है। बेशक वह रिषी का इंतजार कर रही है, लेकिन ऐसा नहीं है कि उसने खाना पीना छोड़ दिया है। दरअसल तनु एक समझदार और सुलझी हुई लड़की है।

यह एक सीधी सादी लव स्टोरी लग रही है क्योंकि इसमें कहीं भी एक्साइटमेंट नहीं दिखाई दे रहा है?
अभी नहीं, लेकिन आगे चलकर रिषी को तनु से एक बार फिर प्यार होगा, लेकिन उस वक्त उसके लिये सब कुछ सहज नहीं होगा। कहानी का यही टर्निग प्वाइंट है। हालांकि इससे पहले भी ट्विस्ट एंड टर्न्स हैं कुछ सप्रराइजेज भी हैं, लेकिन पहला मेन है। 

यह धारावाहिक कैसे मिला?
मुझे बाला जी टेलीफिल्मस से क्रियेटिव का फोन आया और अगले दिन से इस शो की शूटिंग शुरू हो गई। दरअसल मेरी शुरुआत ही बाला जी से हुई थी मुझे ढूंढ़ने का श्रेय एकता को ही जाता है। मैंने उनके साथ सास भी कभी बहू थी, कसौटी जिंदगी की, क्या दिल में, किया है इसके अलावा एक रियलिटी शो भी कर चुकी हूं। उसके बाद कहीं जाकर झांसी की रानी किया।

एक्टर बनने का चस्का कैसे लगा?
मैंने तो कभी अभिनेत्री बनने का सोचा तक नहीं था। मैं कानपुर में एक ऐड एजेंसी में इंटर्न कर रही थी बतौर क्लाइंट सर्विसिंग। फिर वहां से मैं कैसे यहां तक आई और फिर यहीं की होकर रह गई और शादी भी मैंने यहीं की।

आप किस्मत को कितना मानती हैं?
बिल्कुल मुझे किस्मत और बड़ों के आशीर्वाद में बहुत ज्यादा विश्वास है। इसे आप किस्मत ही कहेंगे कि जिस लड़की ने कभी कल्पना तक नहीं की थी कि वह एक्ट्रेस बनेगी और देख लीजिये आज मैं छोटे परदे के व्यस्त कलाकारों में से एक हूं।

क्या आगे फिल्म करने के लिये तैयार हैं? 
मैंने इस बारे में अभी तक सोचा ही नहीं कि कल अगर मुझे किसी फिल्म का ऑफर मिलता है तो मैं क्या करूंगी। फिलहाल तो इस शो के बारे में ही सोचना है।

जेनिफर विंगेट बनीं खलनायिका

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फिल्म व टीवी पर अपनी एक अलग पहचान बनाने वाली अभिनेत्री जेनिफर विंगेट एक लंबे अंतराल के बाद सोनी एन्टरटेनमेंट टेलीविजन शो ‘बेहद’ से वापिसी कर रही है। जेनिफर पर्दे पर आने के लिये एक सही अवसर की तलाश कर रही थीं और जब उन्हें बेहद की कहानी सुनाई गई, तो वह इंकार नहीं कर पाईं। एक मुलाकात में अपनी खुशी जताते हुये कहा, ‘‘मैं पहली बार एक ऐसा किरदार निभाऊंगी, जो एक अच्छी लड़की का नहीं है, जैसा कि दर्शक मुझे पहले देखते रहे हैं। मेरा किरदार एक ऐसी लड़की का है, जो किसी को भी खुद से प्यार करने के लिये मजबूर कर सकती है। वह प्यारी, आकर्षक और वाकई में स्मार्ट है। वह खुद का तिरस्कार भी करा सकती है, लेकिन एक प्यारी सी मुस्कुराहट से आपका दिल भी जीत सकती है। वह दिल में समाती है, फिर आपको राहत देती है और जाने नहीं देती।‘‘

बेहद में दर्शकों के लिये एक अच्छा बदलाव आने जा रहा है। जेनिफर ने बताया, ‘‘शो बेहद में निश्चित तौर पर दर्शकों और साथ ही मेरे लिये भी एक अच्छा बदलाव आ रहा है, क्योंकि मैंने ग्रे शेड्स वाली कोई भूमिका पहले कभी अदा नहीं की है। यह काफी जटिल किरदार है और मैं वाकई में इस किरदार को निभाने का बेसब्री से इंतजार कर रही हूं।‘‘ गौरतलब है कि जेनिफर ने कसौटी जिंदगीं की,क्या होगा निम्मों का,सरस्वती चन्द्र,शाका लाका बूम बूम, के अलावा विभिन्न डांस पर आधारित शो और फिल्म अकेले हम अकेले तुम,ंराजा की आएगी बारात, राजा को रानी से प्यार हो गया ,कुछ ना कहो  में अभिनय कर चुकी है।

विस्थापितों के सामने ईंधन और खाद्य सामग्री का संकट, 1600 इमारतें ध्वस्त

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टोरंटो, 05 मई, कनाडा में फोर्ट मैकमरे के समीप जंगल में भीषण आग लगने से विस्थापित हुये हजारों लोगों को ईंधन और खाद्य सामग्री की कमी से जूझना पड़ रहा है और आग के कारण अब तक 1600 इमारतें ध्वस्त हो चुकी है। एक मई को 6540 एकड़ क्षेत्र में लगी आग ने भीषण रूप ले लिया है। इससे अब तक 1600 इमारतें क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं जबकि कई और इमारतों पर खतरा मंडरा रहा है। इसके साथ ही तेल उत्पादकों और तेल उद्योग पर भी संकट गहरा गया है। लगातार दक्षिण की तरफ बढ़ती जा रही आग की वजह से करीब 88 हजार लोगों को उत्तर की ओर विस्थापित होना पड़ा है। माक्रोब्लॉगिंग साइट टि्वटर पर मुफ्त भोजन, आश्रय स्थल और पशुओं की देखरेख की पेशकश की जा रही है जबकि विस्थापित लोग अधिकारियों से अपने घरों की स्थिति के बारे में जानकारी लेने में लगे हुये हैं। 

एक प्रबंधक ने बताया कि नोराल्टा लॉज के एक शिविर में दो गर्भवती महिलाओं ने बच्चे को जन्म दिया। जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ है। यह कनाडा की अब तक की सबसे मंहगी प्राकृतिक आपदा साबित होगी। यह आग वर्ष 2011 में स्लेव लेक में लगी आग से भी वीभत्स रुप धारण कर चुकी है। एडमंटन से 250 किलोमीटर उत्तरपूर्व बसे स्लेव लेक में लगी आग की वजह से 374 घर क्षतिग्रस्त हो गए थे। आग से हुए नुकसान से निपटने में करीब 54 करोड़ 40 लाख डॉलर की राशि का खर्च आया था। इस आग का नुकसान वर्ष 2013 में अलबर्टा बाढ़ से भी अधिक होने की संभावना है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने ट्वीट कर कहा, “फोर्ट मैकमरे में आग लगने से प्रभावित हुये लोगों के प्रति मेरी संवेदनाएं है। सुरक्षित रहें और स्थान खाली करने के आदेशों का पालन करते रहें।”

केन्या में इमारत हादसे में मृतकों की संख्या 26 हुई

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नैरोबी, 05 मई, केन्या की राजधानी नैरोबी में पिछले सप्ताह एक छह मंजिला एक आवासीय इमारत ढहने की घटना में मृतकों की संख्या बढ़कर 26 पहुंच गई है। केन्या के पुलिस कमांडर जफेथ कूमे ने बताया कि मंगलवार को तीन और लोगों के शव बरामद किये गये जिससे इस हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़कर 26 पहुंच गई है। वहीं केन्या रेड क्रास ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इस दुर्घटना में घायल हुए लोगों का इलाज अस्पताल में चल रहा है। शुक्रवार की रात शहर के हुरुमा आवासीय क्षेत्र में हुई दुर्घटना के बाद राहत और बचाव कार्य तेजी से चल रहा है। इस बीच देश के राष्ट्रपति उहुरू केन्याटा के आदेश पर इस इमारत के मालिकों को गिरफ्तार कर लिया गया है जिनसे अधिकारी पूछताछ कर रहे हैं।

जीशा के परिजनों की जिम्मेदारी संभालेगी कांग्रेस : सुधीरन

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कन्नूर, 05 मई, केरल प्रदेश कांग्रेस समिति (केपीसीसी) ने बलात्कार के बाद मौत के घाट उतार दी गई जीशा पेरुम्बवूर के परिजनों की जिम्मेदारी लेने की बात कही है। केपीसीसी के अध्यक्ष वी एम सुधीरन ने कहा कि पार्टी ने जीशा के परिजनों की जिम्मेदारी संभालने तथा एक नया घर बनवाने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा “विपक्षी पार्टियां जीशा की हत्या का राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश कर रही हैं। यह घटना घिनौनी और खौफनाक है तथा राज्य के लोगों को भविष्य में ऐसे किसी भी नृशंस हत्याकांड के प्रति सचेत रहने की जरुरत है।” उन्हाेंने कहा “इस वारदात में शामिल लाेगों को जल्द से जल्द कानून के समक्ष पेश करना चाहिए। इस घटना से पूरे देश में दुख है और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सीधे तौर पर इस घटना का विवरण लिया।” इसके अलावा केरल चुनावों के बारे में श्री सुधीरन ने कहा “राज्य के लोगों को भाजपा की सांप्रदायिक तथा माकपा की हिंसक राजनीति को खारिज कर देना चाहिए।”

छत्तीसगढ़ में बस के खाई में गिरने से 18 की मौत, 20 घायल

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अम्बिकापुर 05 मई, छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में कल देर रात एक निजी यात्री बस के दलधोवा घाट में असन्तुलित होकर पुल से नीचे खाई में जाकर पलट जाने से 18 लोगो की मौत हो गई जबकि 20 से अधिक लोग घायल हो गए। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार झारखण्ड के गढवा से रायपुर जा रही निजी यात्री बस तेज रफ्तार से मध्य रात्रि के करीब दलधोवा घाट से गुजर रही थी कि एक मोटर साईकिल सवार को बचाने के प्रयास में असन्तुलित होकर पुल से नीचे गिरकर खाई में पलट गई। मौके पर मोटर साईकिल सवार युवकों समेत 14 लोगो की मौत हो गई,जबकि 20 से अधिक घायल हो गए। 

घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंच गई और घायलों को खाई से निकालकर अम्बिकापुर जिला चिकित्सालय भेजा गया।वहां पर उपचार के दौरान तीन लोगो ने दम तोड दिया। रात में ही प्राथमिक उपचार के बाद 15 घायलों को राजधानी रायपुर के लिए रवाना किया गया। रास्ते में एक और घायल ने दम तोड़ दिया। शेष 14 लोगो का रायपुर के अम्बेडकर अस्पताल में इलाज चल रहा है। मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह ने घटना का सूचना मिलते ही बलरामपुर एवं सरगुजा के कलेक्टरों से रात में ही बात की,और घायलों को बेहतर से बेहतर इलाज की व्यवस्था करवाने के निर्देश दिए। उन्होने घटना में मृत लोगो के परिजनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है।

मर्दानगी साबित करें योगी आदित्यनाथ : आजम खान

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जनता के मुताबिक समाजवादी पार्टी की ओर से विवादित बयानों का कामकाज संभालने वाले उत्तर प्रदेश के नगर विकास मंत्री आजम खां ने एक बार फिर तीखा बयान दिया है। सपा नेता आजम खां ने इस बार भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ एवं अन्य लोगों पर तल्ख टिप्पणी की है। 

योगी पर आजम का तीखा वार 
गोरखपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे आजम ने कहा कि देश के साधु संत फ्रस्टेटड हैं। आजम यहीं नहीं रूके उन्होंने कहा कि योगी पहले शादी करें फिर जाके मर्दानगी साबित करें क्योंकि अगर वे शादी करेंगे तभी मुहब्बत भी करेंगे। लिहाजा इसके बाद नतीजे कुछ और ही होंगे। 

साक्षी महाराज को लिया आड़े हाथ
उन्नाव से भाजपा सांसद साक्षी महाराज को आजम ने आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उन पर रेप जैसे गंभीर आरोप लगे हुए हैं। इसलिये उनका नाम किसी भी सभ्य समाज में नहीं लेना चाहिए। 

गवर्नर पर बोले आजम 
यूपी के गवर्नर रामनाईक पर एक सवाल पर जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि जनाब वो महामहिम हैं और बड़े हैं। उनका नाम अदब से लीजिए। राम नाईक नहीं, रामनाईक जी कहकर बुलाईए। 

सपा की तारीफों के पढ़े कसीदे
आजम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वाराणसी में नाविकों को ई-बोट देने पर बयान देते कहा कि बादशाह मोदी ने ई-बोट लोगों को लोन पर मुहैया कराई हैं। जबकि यूपी की सपा सरकार फ्री में ई-रिक्शा बांट रही है। 



हिमांशु तिवारी आत्मीय 
लखनऊ 

बिहार में करंट लगने से एक ही परिवार के छह लोगों की दर्दनाक मौत

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मुजफ्फरपुर 05 मई, बिहार में मुजफ्फरपुर जिले के गायघाट थाना क्षेत्र में आज तड़के उच्च शक्ति के विद्युत तार के टूट कर झोपड़ी पर गिर जाने से एक ही परिवार की पांच महिलाएं समेत छह लोगों की दर्दनाक मौत हो गयी । पुलिस सूत्रों ने बताया कि बेनीबाद मुसहर टोला में तड़के जब लोग सो रहे थे तभी उपर से गुजर रहे 11 हजार वोल्ट के विद्युत प्रवाहित तार अचानक टूट कर गिर गया जिससे झोपड़ी में आग लग गयी । दुर्घटना में महादलित परिवार की पांच महिलाएं समेत छह लोगों की मौके पर ही करंट लगने से मौत हो गयी । सूत्रों ने बताया कि मृतकों में हरिश्चंद्र मांझी (40) , माला देवी (35) , प्रमीला देवी (35) , पूनम कुमारी (15) , काजल कुमारी (06) और अंजली कुमारी (02) शामिल है । पुलिस ने शवों को पोस्टमार्टम के लिए मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेज दिया है। इसबीच घटना के विरोध में स्थानीय लोगों ने सुबह में बेनीबाद के निकट सड़क को जाम कर दिया । बाद में पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने लोगों को समझा कर जाम को समाप्त करा दिया है।
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