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झाबुआ (मध्यप्रदेश) की खबर (05 मई)

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उज्जवला योजना की गाईड लाईन लेकर पहुंचे अधिकारी -
  • 10 मई तक कम से कम 5000 कनेक्षन बनानें का दिया लक्ष्य -
  • 15 मई को प्रधानमंत्री मोदी गुजरात के दाहोद में -

jhabua news
पिटोल । भारत सरकार की प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के सम्बन्ध में झाबुआ अलीराजपुर जिले की गेस ऐजेन्सी संचालकों की एक बैठक को लेनें तीनों आॅईल कम्पनी बीपीसी ,आईआसी ,व एचपीसी के वरिष्ठ अधिकारी बुधवार को झाबुआ पहुंचे । झाबुआ के एम.पी. टूरिस्ट मोटेल में आयोजित मिटींग में सभी अधिकारीयों नें जिले भर से आऐ गैस ऐजेन्सी संचालकों को उज्जवला योजना की गाईड लाईन से अवगत कराते हुवे कैसे दोनों जिलों के अंचलो के ग्रामीण योजना से जुडकर उसका लाभ उठा सकते है तत्संबंधी योजना पर चर्चा की। उल्लेखनिय है कि उ.प्र. के बलिया में उज्जवला योजना के उद्घाटन के बाद प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी गुजरात के दाहोद में 15 मई को अपनें हाथों से इस योजना के लाभान्वितों को जो कि निचले तबके के बीपीएल कार्डधारी है उन्हें गैस कनेक्षन निःषुल्क प्रदान करेगें गौरतलब है कि दाहोद, म.प्र. एवं राजस्थान राज्य की सीमा से लगा हुआ है एवं इससे लगे प्रदेष के झाबुआ ,अलिराजपुर जिले व राजस्थान का बांसवाडा क्षैत्र व गुजरात का पंचमहल जिला आदिवासी बहुल है। जहां वर्तमान में आदिवासी गैस उपभोक्ताओं का प्रतिषत काफी कम है। गैस कम्पनी सें कार्यक्रम में पहुंचें आईओसी भोपाल की डीजीएम उमेष चैधरी, चीफ ऐरिया मैनेजर संजीव माथुर, बीपीसी पिथमपुर से टीएम, रविकुमार, सेल्स आॅफिसर प्रषांत बन्ने, एचपीसी से सेल्स आॅफिसर पवित्र शर्मा आईओसी के सेल्स आॅफिसर अतुल मोढघेरे उपस्थित थे जिन्होने बताया कि श्री मोदी दाहोद में कार्यक्रम में षिरकत करेगें।

15 ऐजेन्सीयों के संचालक थे उपस्थित...........
दोनों जिलों से बैठक में उपस्थित संचालकों में भाभरा से अमिता वाखला , अलिराजपुर से - एस ओंकार ,पेटलावद से -उर्मिला भाबर ,नेहा इंडेन से - सुधा मेहता ,राणापुर से -सुरेष जैन ,खवासा से -मोहित चैहान ,उदयगड से- ज्ञानसिंह मुजाल्दा, बरझर से बारिया, पिटोल से - निर्भयसिंह ठाकुर ,झकनावदा से लक्ष्मण बरफा ,काकनवानी से- हितेन्द्र पंचाल ,विजय गैस से- अर्चना रानी सिंह थांदला से - कपिल पाठक, छकतला से दिलिप कुमार , आंबुआ से पंकज सोलंकी व झाबुआ से लोकेन्द्रसिंह राठोर व अष्विनी रावत नें विभिन्न मूद्दों पर चर्चा की व उज्जवला से संबंधित जानकारी प्राप्त की।

ये चाहिये दस्तावेज .....
  1. उज्जवला योजना के पात्र उपभोक्ताओं को।
  2. बीपीएल राषनकार्ड,
  3. आवेदक का आधार कार्ड एवं राषनकार्ड में दर्ज 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के परिवार के सदस्यों के आधार कार्ड।
  4. 4 फोटो, आवेदक के नाम का बैंक खाता पासबुक

इन बातो का रखे ध्यान....
आवेदन सिर्फ महिलाओं का ही करें।
कनेक्षन दिलवानें के नाम पर ठगी करवाने वालों से बचे।
ऐसे लोगो की षिकायत जिला प्रषासन या पुलिस को करें।
आप अपना कनेक्षन किसी ओर को न दें न बेचे स्वयं उपयोग करंे।

युवा संगम उज्जैन में जिले से भाजयुमो के 200 कार्यकर्ता करेंगे षिरकत

झाबुआ। भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेष कार्यकारिणी सदस्य दिलीप कुषवाह एवं भाजयुमो जिलाध्यक्ष भानु भूरिया ने जानकारी देते हुए बताया कि ंिसंहस्थ महाकुंभ के पावन अवसर पर देष की युवा उर्जा को आध्यात्म के रास्ते मातृभूमि के हितार्थ समर्पित होने के लिए चैरेवेती ने आगामी 7 मई को उज्जैन मे पं. दीनदयाल विचार प्रकाषन के चैरेवेती मंडल में युवा संगम का वृहद कार्यक्रम आयोजित किया है। भाजपा जिलाध्यक्ष दौलत भावसार के मार्गदर्षन में इस युवा संगम झाबुआ जिले से भारतीय जनता युवा मोर्चा के करीब 200 युवा अपेक्षित कार्यकर्ता भाग लेंगे सभी कार्यकर्ता 7 मई को वाहनों से सुबह 7 बजे उज्जैन के लिए रवाना होंगे। उन्होंने बताया कि पं. दीनदयालपुरम डीयू 21 उजरखेडा में होने जा रहे 7 मई के युवा संगम में जूना पीठाधीष्वर आचार्य महामंडलेष्वर पं.पू. अवधेषानंदजी महाराज युवा एवं आध्यात्म विशय पर युवाओं को मार्गदर्षन करेंगे। वही विभिन्न विशयों पर मुख्यमंत्री षिवराजसिंह चैहान, केन्द्रीय इस्पात मंत्री नरेन्द्रसिंह तोमर, केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी, मोर्चा के राश्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग ठाकुर, पार्टी के प्रदेष अध्यक्ष व सांसद नंदकुमारसिंह चैहान अपने विचार व्यक्त करेंगेे।

ग्राम उदय भारत उदय अभियान के अतर्गत गांवो में हो रही ग्राम संसद

झाबुआ । ग्राम उदय से भारत उदय अभियान के दौरान ग्राम पंचायतो में 15 अप्रैल से 31 मई तक निरंतर ग्राम संसदो का आयोजन किया जाएगा। 05 मई को मेघनगर ब्लाक के ग्राम गुजरपाडा, गोपालपुरा, चैनपुरा, घोसलिया बडा, चरेल में, पेटलावद ब्लाक के ग्राम गेहण्डी, सेमलियाबावडी एवं बेकल्दा में, थांदला ब्लाक के ग्राम ,खवासा, नारेला में, रामा ब्लाक के ग्राम बलोला, छापरीरनवास,चुडैली, महुडीपाडा में, झाबुआ ब्लाक के ग्राम मोहनपुरा, मिण्डल एवं बामनसेमलिया में, रानापुर ब्लाक के ग्राम बन एवं डिग्गी में 05 से 07 मई 2016 तक ग्राम संसद का आयोजन किया जाएगा।  04 मई 2016 को मेघनगर ब्लाक के ग्राम फुलेडी, ईटावा, छायन एवं झाराडाबरा में, पेटलावद ब्लाक के ग्राम काजबी, बोडायता, बामनिया, झकनावदा, बरवेट एवं बोलासा में, थांदला ब्लाक के ग्राम दौलतपुरा, मछलईमाता, देवगढ, एवं रन्नी में, रामा ब्लाक के ग्राम आम्बा पिथनपुर, छापरी, बावडी एवं गुलाबपुरा में, झाबुआ ब्लाक के ग्राम गेहलर छोटी, मसुरिया, आम्बाखोदरा,देवझरी पण्डा, करडावद बडी एवं सेमलिया बडा में, रानापुर ब्लाक के ग्राम गवसर, भूरीमाटी, अंधारवड एवं ढोल्यावड, में ग्राम संसद प्रारंभ हुई जो 06 मई 2016 तक आयोजित की जाएगी। 03 मई 2016 को मेघनगर ब्लाक के ग्राम फुटतलाब एवं झापादरा, में, पेटलावद ब्लाक के ग्राम झावलिया, गामडी एवं गुणावद में, थांदला ब्लाक के ग्राम आमली एवं नवापाडा कस्बा एवं सुजापुरा में, झाबुआ ब्लाक के ग्राम जुलवानिया, खेडी एवं भोयरा  में, रानापुर ब्लाक के ग्राम दोतड एवं उबेराव में आयोजित ग्राम संसद का आज समापन हुआ। ग्राम सभाओं में कृषि विकास के लिए जैविक खेती, तालाबो एवं जल संरचनाओं के जीर्णोद्धार की कार्ययोजना बनाई गई, समग्र डाटाबेस के आधार पर हितग्राही मूलक योजनाओं में पात्र हितग्राहियो को जोडने के लिये सूची तैयार की गई। समग्र एवं रोजगार गारंटी योजना डाटाबेस से आधार बैंक अकाउन्ट नम्बर, मोबाईल नम्बर जोडने की कार्यवाही के लिये छूटे हुवे व्यक्तियो के नाम सूचीबद्ध किये गये। दिव्यांगो की पहचान एवं जिन दिव्यांगो के प्रमाण-पत्र नहीं है, उनका चिन्हांकन किया गया।  प्रधानमंत्री आवास योजनांतर्गत एसईसीसी डाटा अनुसार प्राथमिकता का निर्धारण किया गया। जाति प्रमाण-पत्रों का प्रदाय, आबादी क्षेत्र के पट्टे/भू-खण्ड धारक प्रमाण-पत्र का प्रदाय, नामांतरण/बटवारा/सीमांकन प्रकरणो का निराकरण, की कार्यवाई के लिये ग्रामीणो से चर्चा कर नाम सूची बद्ध किये गये। ग्राम पंचायत की परिसम्पतियों का सत्यापन एवं पंजी का अद्यतीकरण, स्वच्छ भारत मिशन अन्तर्गत ग्राम पंचायत द्वारा कार्ययोजना तैयार की गई। ग्रामीणो को ग्राम संसद में शासन की योजनाओ की जानकारी दी गई एवं प्रात्रता अनुसार ग्रामीणो को योजनाओ के लाभ के लिये चिन्हाकित किया गया। ग्रामीणो को स्वच्छ भारत मिशन अन्तर्गत शौचालय निर्माण करवाने एवं शौचालय का उपयोग करने के लिये प्रेरित किया गया। महिला सशक्तिकरण के लिए शैर्यादल एवं महिला स्वरोजगार के लिए हितग्राहियों का चिन्हांकन किया गया।

06 मई को यहां होगी ग्राम संसद प्रारंभ
06 मई को मेघनगर ब्लाक के ग्राम देपीगढ, शिवगढ एवं कांजलीडुगरी, में, पेटलावद ब्लाक के ग्राम मोईचारणी, बखतपुरा, डाबडी में पांच पिपला में, थांदला ब्लाक के ग्राम चापानेर एवं धुमडिया में, रामा ब्लाक के ग्राम दालतपुरा, धांधलपुरा, धमोई एवं रजला में, झाबुआ ब्लाक के ग्राम परवट, गोपालपुरा, माकनकुई में, रानापुर ब्लाक के ग्राम जुनागांव एवं अगेरा, में 6 से 8 मई 2016 तक ग्राम संसद का आयोजन किया जाएगा।

कैरियर काउंसिंलिंग योजना के आवेदन 17 मई तक आमत्रित

झाबुआ । जिला रोजगार कार्यालय झाबुआ में कैरियर काउंसिंलिंग योजना अंतर्गत मार्गदर्शन देने हेतु अनुभवी काउंसलर एवं विषय विशेषज्ञों के गेस्ट पैनल के गठन हेतु आवेदन आमंत्रित किए जाते है। नामांकित काउंसलरों को निर्धारित दिवसों में काउंसिंलिंग हेतु कार्यालय में आमंत्रित किए जाएगा एवं निर्धारित मानदेय दिया जाएगा। इच्छुक आवेदक 17 मई 2016 तक अपने आवेदन जिला रोजगार कार्यालय झाबुआ में जमा कर सकते है। मनोवैज्ञानिक काउंसलर हेतु अनिवार्य योग्यता साइकोलाॅजी में स्नातकोततर डिग्री या पीजी डिप्लोमा होना चाहिए। इन्फार्मेशन काउंसलर हेतु योग्यता मार्गदर्शन के क्षेत्र में अनुभ्ज्ञव सहित किसी भी स्ट्रीम में डिग्री/पीजी डिग्री होना चाहिए। इच्छुक आवेदक अधिक जानकारी के लिए जिला रोजगार कार्यालय से संपर्क कर सकते है।

धोखो से अंगुठा लगवा कर जमीन करवाई अपने नाम

झाबुआ । फरियादी सवसिंह पिता कालु परमार, निवासी नवापाडा रोटला ने बताया कि आरोपी सुखिया पिता धन्ना, रमेश पिता कांतीलाल, देवीसिंह नायक पटवारी निवासीगण नवापाडा ने फरि0 की कृर्षि भूमि सर्वे नं0 142/2 को पटवारी द्वारा मिलकर जाल साजी एवं धोखाधडी कर नकली सवेसिंह बनकर झूठा अंगूठा लगवाकर फरि0 की लगभग 8 बीघा जमीन सुमा पति भल्ला के नाम रजिस्ट्री करवा दी। प्रकरण में थाना कालीदेवी में अप0क्र0 87/16, धारा 120-बी, 419,420,467,468,471 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

ट्रेन से टकराकर अज्ञात की मोत
       
झाबुआ । फरियादी हकरिया पिता दितीया डामोर, निवासी सीएचसी झाबुआ ने बताया कि अज्ञात मृतक पुरूष ट्रेन से कराकर घायल अवस्था में सीएच झाबुआ लाा गया था। ईलाज के दौरान मृत्यु हो गयी। प्रकरण में थाना कोतवाली झाबुआ में मर्ग क्र0 0/16, धारा 174 जा0फौ0 का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

बुखार मे इलाज के दोरान बालक की मोत

झाबुआ। फरियादी केनु पिता बाबु मेंडा, निवासी फत्तीपुरा ने बताया कि मृतक अरविन्द्र पिता केनु मेंडा, उम्र 01 वर्ष 06 माह निवासी फत्तीपुरा को बुखार आने से ईलाज हेतु सीएच झाबुआ भर्ती किया गया। ईलाज के दौरान मृत्यु हो गयी। प्रकरण में थाना कोतवाली झाबुआ में मर्ग क्र0 0/16, धारा 174 जा0फौ0 का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

मनोरंजन : “निल बट्टे सन्नाटा” और घरेलू कामगार महिलायें

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विदेशों में सभी परिवार “घरेलू सहायक” अफोर्ड नहीं कर पाते हैं क्योंकि उनकी पगार बहुत ज्यादा होती है, लेकिन भारत में “काम वाली बाई” रखना बहुत सस्ता है. शायद इसी वजह से यहाँ घरेलू कामगार महिलायें अदृष्य सी हैं. उनके काम को आर्थिक और सामाजिक रूप से महत्त्व नहीं दिया जाता है, हालाँकि इन दोनों ही क्षेत्रों में इनका महत्वपूर्ण योगदान है. भूमंडलीकरण और बढ़ते शहरीकरण के साथ संयुक्त परिवार खत्म हो रहे हैं, अब पति-पत्नी दोनों ही काम के लिए बाहर रहते हैं जिसकी वजह से घर पर बच्चों और बुजुर्गों की देखभाल के लिए परिवार का कोई सदस्य मौजूद नहीं होता है. ऐसे में इनकी देखभाल और अन्य घरेलू कामों के लिए कामगारों की जरुरत पड़ती है इसलिए घरेलू कामगारों की मांग बढ़ती जा रही है अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के मुताबिक, भारत में करीब छह करोड़ घरेलू कामगार महिलाएं हैं. राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण (एनएसएसओ) 2004-05 के अनुसार, देश में लगभग 47.50 लाख घरेलू कामगार हैं. इस क्षेत्र में जिस तेजी़ से बढ़ोत्तरी दर्ज हो रही है उस लिहाज से वर्तमान में इनकी संख्या काफी बढ़ चुकी होगी ।

भारत में घरेलू काम का लम्बा इतिहास है, परम्परागत रूप से पहले महिला और पुरुष दोनों ही नौकर के तौर पर काम करते रहे हैं, इसका संबध जाति से रहा है जैसे कि वंचित जातियों के लोगों से साफ-सफाई का काम कराया जाता था जबकि ऊँची जातियों से खाना बनाने का काम कराया जाता था. हालाँकि भारत में घरेलू काम नया पेशा नही है लेकिन इसे मात्र सामंतवादी संस्कृति के नौकरों के तौर पर नही देखा जा सकता था. वर्तमान समय में ग्रामीण और शहरी संदर्भों में कामगारों और काम में बड़ा बदलाव देखने को मिलता है, अब इस क्षेत्र में महिलाओं का वर्चस्व बढ़ा है . शहरी क्षेत्रों में तो ज्यादातर महिलायें ही घरेलू कामगारम के तौर पर काम करती हैं, इनमें से अधिकतम ऐसी हैं जो गावों से पलायन कर रोजगार की तलाश में शहर आती हैं. शहरी मध्यवर्ग को घरेलू काम व बच्चों की देखभाल के लिए घरेलू कामगारों की जरूरत पड़ती है और वे इस जरूरत को पूरा करती हैं. आमतौर पर ये महिलायें कमजोर जातियों से होती हैं और कम पढ़ी-लिखी या अशिक्षित होती हैं और इसी वजह से उनके पास घरेलू कामगार बनने जैसी सीमित कामों का ही विकल्प होता है.

इनकी दिनचर्या बहुत लम्बी और थकाऊ होती है और उनके कार्यास्थल के हालात बहुत खराब होती है. हमारे देश में सदियों से चली आ रही मान्यताओं की वजह से आज भी घरेलू काम करने वालों को नौकरानी का दर्जा दिया जाता है. उन्हें अपने काम के बदले कम वेतन मिलता ही हैं साथ में उन्हें कमतर भी माना जाता है, उनके साथ जातिगत भेदभाव भी होते हैं. उन्हें सम्मान नही दिया जाता है, कानूनी रूप से भी उन्हें उन्हें श्रमिक का दर्जा नहीं मिल सका है. घरेलू कामगार जटिल परिस्थितियों का सामना करते हैं, उनके श्रम का अवमूल्यन उन्हें सामाजिक और आर्थिक तौर पर निम्न स्तर पर रखता है. कार्यस्थल पर इन्हें कम मजदूरी, काम का समय तय ना होना, कम पैसे में ज्यादा काम करना, नियोक्ताओं का गलत व्यवहार, शारीरिक व यौन-शोषण जैसी समस्याओं को झेलना पड़ता है. एक अध्ययन के अनुसार घरों में काम करने वाले कामगार किसी न किसी तरीके से प्रताडि़त होते रहते हैं, आम तौर पर नियोक्ता का व्यवहार इनके प्रति नकारात्मक होता है, कुछ कामगारों के साथ अछूतों की तरह व्यवहार किया जाता है और काम की जगहों के अलावा उनके बाकी घर में प्रवेश पर पाबंदी लगा दी जाती है, उन्हें अपमानजनक संबोधन से बुलाया जाता है,घर में कुछ भी चीज चोरी हो तो सीधा इन पर ही इलजाम लगाया जाता है, घरेलू कामगारों के साथ र्दुव्यवहार, शारीरिक और मानसिक हिंसा एवं यौन उत्पीड़न की घटनाऐं आये दिन सुर्खियां बनती हैं। महिला बाल विकास विभाग द्वारा 2014 में संसद में दी गई जाकारी के अनुसार वर्ष 2010 से 12 के बीच देश में घरेलू कामगारों के प्रति अपराध के 10503 केस दर्ज हुए है जिसमें साल 2012 में 3564 मामले दर्ज हुए। 

भारत में विशिष्ट कानूनों का आभाव,शिक्षा और कौशल की कमी और समाज में व्याप्त सामंतवादी मानसिकता के कारण घरेलू कामकाजी महिलाओं की यह स्थिति बनी है.सरकार द्वारा उनके काम को श्रम की श्रेणी में स्वीकार नही किया गया है और इसे समाज और अर्थव्यवस्था में योगदान के तौर पर मान्यता नही दी जाती है. घरेलू कामगारों को संगठित करने वाले ट्रेड यूनियन और संगठन लगातार उनके पक्ष में एक कानून बनाने को लेकर सरकार पर दबाव डाल रहे हैं ताकि उनकी परिस्थितियों में सुधार हो और उन्हें सम्मान,उचित वेतन,अवकाश  बोनस आदि मिल सके.

“निल बट्टे सन्नाटा’ फिल्म इसी तरह के एक “काम वाली बाई” और उसकी बेटी की कहानी है. वैसे तो हमारी ज्यादातर फिल्में दर्शकों को अपनी ही रची गयी फतांसी दुनिया की सैर कराती हैं, लेकिन इनमें कुछ फिल्में ऐसी भी होती है जो वास्तविक दुनिया और इंसानी सपनों का अक्स बन जाती हैं. अजीब से नाम वाली “निल बट्टे सन्नाटा’ एक ऐसी ही फिल्म है जहाँ “काम वाली बाई” और एक सरकारी स्कूल प्रिंसिपल प्रमुख किरदारों के तौर पर मौजूद हैं. इन किरदारों को निभाने वाले कलाकार भी कोई सुपरस्टार नहीं है. इन सबके बावजूद 1 घंटे 40 मिनट की यह फिल्म आदर्शवादी या लेक्चर झाड़ने वाली फिल्म ना हो कर आपको रोजमर्रा की जिंदगी से सामना कराती है और वास्तविक जीवन में चीजें और घटनायें जिस रूप में हो सकती हैं उन्हें उसी तरह दिखाने की कोशिश करती है.

कहानी के पृष्ठिभूमि में अपने ताजमहल के लिए मशहूर शहर “आगरा” है जहां किसी एक स्लम-नुमा लेकिन मिक्स्ड बस्ती में चंदा सहाय (स्वरा भास्कर) अपनी बेटी अपेक्षा उर्फ अप्पू (रिया शुक्ला) के साथ रहती है,चंदा एक सिंगल मां है जो “बड़े लोगों” के घरों में जाकर काम करती है, उसे अपनी बेटी से बड़ी अपेक्षायें है शायद इसीलिए वह उनका नाम “अपेक्षा” रखती है, चंदा अपने बेटी के भविष्य के लिए बहुत चिंतित रहती है और नहीं चाहती कि उसकी बेटी को भी उसी की तरह “नौकारानी” बन कर रहना पड़े, हर गरीब की तरह वह भी चाहती है कि उसकी बेटी पढ़-लिख कर कुछ बन जाए, इसी लिए वह अक्सर अपनी बेटी से पूछती रहती है कि “बेटा अप्पू तू पढ़ लिख कर क्या बनेगी?” वह खुद उसे डॉक्टर या इंजीनयर बनाना चाहती है इसीलिए  वह घरों में काम के अलावा एक चमड़े के जूते की फैक्ट्री में भी काम करने लगती है. अप्पू एक तरह से उसका सपना है .

इधर हर बच्चे की तरह “अप्पू” भी अपनी ही दुनिया में मस्त रहती है, पढ़ाई से ज्यादा उसका मन मस्ती में लगता है, उसे अपनी माँ के सपने से कोई फर्क नहीं पड़ता है और वह इस पर ज्यादा ध्यान भी नहीं देती है. उसे लगता है कि जिस तरह से इंजीनयर का बेटा इंजीनयर बनता है और डॉक्टर का बेटा डॉक्टर उसी तरह से बाई की बेटी बाई ही बन सकती है. उसे तो यह भी लगता है कि उसकी माँ अपने सपने उस पर थोप रही है. उसके दिमाग में यह कड़वी सच्चाई भी है कि अगर वह मैट्रिक पास भी हो जाए तो उसकी माँ  के लिए उसे आगे पढ़ना आसन नहीं होगी. “अप्पू” गणित में “निल बट्टे सन्नाटा” यानी काफी कमजोर होती है इसलिए जब वह दसवीं क्लास में पहुँचती है तो उसकी मां को काफी चिंता होने लगती है. चंदा जिन डॉक्टर दीवान (रत्ना पाठक शाह) के यहाँ काम करती है, संयोग से वे काफी अच्छी और मददगार होती हैं, उन्हीं की सलाह पर चंदा अपनी बेटी को प्रेरित करने उसी स्कूल में दाखिला लेती है जहां अपेक्षा पढ़ती है, यहाँ दोनों का सामना खुशमिमाज और मेहनती प्रिंसिपल (पंकज त्रिपाठी) से होता है जो गणित पढ़ाते हैं. एक ही क्लास में पढ़ते हुए दोनों के बीच एक अजीब सा तनाव पैदा हो जाता है. यही तनाव फिल्म को अपने अंजाम तक ले जाती है 

स्वरा भास्कर हमारे समय की एक जागरूक और हिम्मती अभिनेत्री है, पिछले दिनों हमने उन्हें सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दों पर लिखते और बोलते सुना है, वे भीड़ में अलग नजर आती हैं, उनके अभिनय में स्वभाविकता है और अपने किरदारों को निभाते हुए वे खुद की पहचान खो देती है, यहाँ भी उन्होंने निराश नहीं किया है, उनकी बेटी बनी रिया शुक्ला ने भी उनका अच्छा साथ दिया है. अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने एक बार फिर चौकाया है, उनमें मौलिकता है और वे लगातार अपने आप को निखार रहे हैं इस फिल्म के बाद उन्हें इग्नोर करना आसन नहीं होगा. मालकिन के किरदार में रत्ना पाठक शाह हमेशा की तरह बेहतर हैं.

निर्देशक के तौर पर 'नील बट्टे सन्नाटा'अश्विनी अय्यर तिवारी की पहली फिल्म है, वे ऐड मेकिंग से फिल्म निर्देशन के क्षेत्र में आई हैं, सब कुछ रियलस्टिक रखते हुए उन्होंने रोजमर्रा की आम जिंदगी को बहुत खूबसूरती से पर्दे पर उतारा है, वे उम्मीद जगाती हैं. फिल्म की शूटिंग आगरा में की गयी है लेकिन एक भी क्षण ऐसा नहीं हैं जहाँ फोकस “ताज” पर जाता हो, एक-आध सीन में अगर “ताज” नजर भी आता भी है तो वह नेपथ्य में है, धुंधला और अपने आप में सिमटा सा, मानो वह अपने पूरे वैभव और खूबसूरती से कहानी में कोई खलल ना डालना चाहता हो. 
यह एक साधारण सी कहानी है जहाँ सपने और हकीकत एक साथ चलते हैं,जहाँ आम जीवन की तरह एक गरीब मां अपने स्थिति से बाहर निकलने के लिए अपनी बेटी के जरिये एक सपना देखती है,यह एक सिंगल माँ और उसके बेटी के बीच के खट्टे–मीठे रिश्तों की भी कहानी भी है.फिल्म का टोन आम भारतीयों के जीवन जैसा है तो अपनी तमाम मुश्किलात और संघर्षो से भरे जीवन के बीच मुस्कराने और खुश होने के लम्हे ढूढ़ ही लेते हैं.

अंत में यह एक “बाई” की कहानी है जिसकी समस्याओं को आम जिंदिगी में कोई भी देखना और समझाना नहीं चाहता है. उसे “काम” वाली बाई” से “घरेलू सहायिका” की स्थिति तक पहुँचने के लिए लम्बा सफर तय करना होगा ताकि इस काम को करते हुए वह अपने आप को कमतर महसूस ना कर सके. बहरहाल यह “बाई” बड़े परदे पर एक फिल्म के मुख्य किरदार के तौर पर मौजूद है इसके लिए फिल्म की पूरी टीम बधाई की पात्र है. 






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जावेद अनीस 
Contact-9424401459
javed4media@gmail.com

आलेख : भाजपा के जन-प्रतिनिधि मोदी के पद चिन्हों को पहचाने

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शासकीय कोष मे धन का संचय जनता से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कर की बसूली के माध्यम से होता है। सरकार की प्रत्येक योजना, विकास कार्य, शासकीय अधिकारियों/कर्मचारियांे के वेतन, विधायकों, सांसदों, मुख्यमंत्री, मन्त्रियों के वेतन, इनकी सभी प्रकार की सुख-सुविधाओं, इनके वाहनों का ईंधन खर्चा, हवाई जहाज व हेलीकाॅप्टरों मे भ्रमण के खर्च आदि सब कुछ जनता से एकत्रित किये गये लोकधन से ही होता है। जनता से निर्वाचित विधायक और उनसे निर्मित विधायिका के परिणामस्वरूप निर्मित सरकार के द्वारा करों की बसूली जनता से की जाती है। इसीलिये शासकीय राशि को लोक-धन व शासकीय कर्मचारियों और नोकरशाहों को लोक-सेवक कहा जाता है। श्री नरेन्द्र मोदी जी ने सच ही कहा है कि उन्हे प्रधानमन्त्री नही, प्रधान-सेवक समझिये। 

प्रसंग से जुड़ते हुये यहां मैं प्रधानमंत्री श्री मोदी के संदर्भ मे उनकी कार्यशैली का एक नमूना उल्लेख करना उचित समझता हूं। भारत सरकार के दिल्ली स्थित कार्यालय मे पदस्थ एक उच्च अधिकारी मेरे मित्र हैं और उन्होने व्हाट्सएप पर मुझे एक संदेश भेजा था जो मैने अन्य मित्रों को सर्कुलेट किया व फेसबुक पर भी पोस्ट किया है। एक महिला अधिकारी (लेखक ने नाम गोपनीय रखा है), सी.आई.एस.एफ. की एक उच्च अधिकारी हैं और उन्होने मोदी जी के काम करने के तरीके मे किस प्रकार का बदलाव पाया है, इस विषय पर उन्होने बताया कि वह लखनऊ, दिल्ली, जोधपुर और जम्मू एयरपोर्ट की सिक्यूरिटी इन्चार्ज रही हैं। उन्होने प्राईम मिनिस्टर के तौर पर अटल जी का जामाना भी देखा है और डाॅ. मनमोहन सिंह का भी और अब मोदी जी की कार्य-पद्धति भी देख रहीं हैं। उस जमाने मे अटल जी लखनऊ के सांसद थे तो पी.एम. होते हुये जब लखनऊ एयरपोर्ट पर उतरते थे, उनके साथ पूरा प्रोटोकाॅल, सरकारी अमला, व लाव लश्कर बड़े ताम-झाम के साथ होता था। इसके लिये केटरिन्ग की व्यवस्था वहीं एयरपोर्ट का केटरर करता था। उन दिनों अटल जी की एक विजिट पर केटरर का डेढ़ लाख रूपये तक बिल बनता था। कांग्रेस के जमाने मे यदि सोनिया गांधी या राहुल गांधी या प्रधानमंत्री के तौर पर डाॅ. मनमोहन सिंह आते थे, तो केटरर का बिल दस लाख रूपये से ऊपर चला जाता था। लेकिन जब से श्री नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं और 4 या 5 बार कश्मीर का दौरा कर आये हैं व जम्मू, श्रीनगर, कटरा और लेह-लद्दाख आते-जाते रहते हैं। एक बार के केटरर का बिल सिर्फ 3500 रूपये मात्र बना था तथा इसका भुगतान भी सी.आई.एस.एफ. व एयर इण्डिया ने किया था क्यांेकि उनके स्टाफ के लिये चाय-नाश्ता केन्टीन से आया था। मोदी जी जब भी ऐसी किसी विजिट पर जाते हैं तो ट्रान्जिट मे चाय अपने पैसे से पीते हैं। उनके साथ अमले मे जो लोग होते हैं वो भी चाय नाश्ता अपने पैसों से करते हैं क्योंकि उन्हे अपनी ड्यूटी पर रहते हुये टी.ए. डी.ए. मिलता है। आगे वह बतातीं हैं कि सी.आई.एस.एफ. मे उनकी 22 साल की नौकरी के दौरान प्रधानमंत्री के विदेशी दौरों की तैयारियों को उन्होने स्वयं देखा है। पूर्व पी.एम. के जहाज जब लोड होते थे, विदेश दौरों के लिये उस पर क्या-क्या लादा जाता था, वह सब पूरा खोलकर लिखने लायक नही है। प्राईवेट न्यूज चेनल के पत्रकारों की एक फौज जाती थी। लेकिन मोदी जी के जमाने मे अब सिर्फ दूरदर्शन के 3 या 4 आदमी जाते हैं। अब प्रधानमंत्री मोदी के दौरों मे दारू की नदियां नही बहती हैं और सभी कर्मचारी अपने ट्रेवलिंग एलाऊन्स मे ही खर्चा करते हैं। अब आप ही सोचिये कि ऐसे माहौल मे मुफ्तखोरों और देश को लूटने वालों के अच्छे दिन कैसे आयेंगे ? विषय से जुड़ते हुये भाजपा के विधायकों को मोदी के पद-चिन्हों की पहचान होना चाहिये। भाजपा के जन-प्रतिनिधियों को मिल कर मोदी जी के आचरण से मेल खाती एक टीम बनाना होगी। इस लेख की विषय-वस्तु ऐसे ही आचरंण का जमीन और आसमान के समान जो अन्तर दिख रहा है, उसी  का विश्लेषंण करते हुये हैं। ऐसा भी नही है कि देश मे ऐसे आचरंण के जन-प्रतिनिधि न हों, जरूरत तो उन्हे हाईलाईट और संगठित हो कर एक टीम बनाने की है।  
 गत समय मध्य-प्रदेश की विधानसभा मे सर्व-सम्मति से समस्त विधायक व मन्त्रियों ने अपने-अपने वेतन-भत्ते बढ़ा लिये हैं। पिछले 10 साल के दौरान तीन गुना वेतन-भत्ते बढ़ चुके हैं। मार्च 2016 के विधानसभा सत्र मे की गई बढ़ोत्तरी के अनुसार प्रति-माह मुख्यमंत्री को पूर्व मे एक लाख 43 हजार मिलता था अब दो लाख रूपये, कैबिनेट मंत्री को पूर्व मे एक लाख 20 हजार, अब एक लाख 70 हजार रूपये, राज्य-मंत्री को पूर्व मे एक लाख 30 हजार और अब एक लाख 50 हजार, विधायकों को पूर्व मे 71 हजार और अब एक लाख 10 हजार रूपये बढ़कर वेतन-भत्ते हो गये हैं। इन सब के अलावा अन्य अनेकों अपार सुविधायें भी इन्हे मुहैया कराई जाती है। जनता के इन तथा-कथित सेवकों ने पूर्व विधायकों की पेशन बढ़ाने मे भी बड़ी दरियादिली दिखाई है। पूर्व की इन्हे 15 हजार मासिक पेशन बढ़ाते हुये 20 हजार रूपये कर दी गई है। इनमे से कोई भी इस हेतु शर्मसार नही है कि ये करोड़पति और अपार धन-सम्पदा के स्वामी होते हुये भी लोक-धन को बढ़ी शान से प्राप्त करते हैं। मध्य-प्रदेश शासन की आर्थिक स्थिति ऐसी है कि वर्ष 2002-2003 मे कुछ हजार करोड़ का कर्ज इस राज्य पर था जो बढ़ कर 2016 मे डेढ़ लाख करोड़ के कर्ज मे म.प्र. डूबा है और उस पर भी मंत्री व विधायकों की वेतन-भत्तों मे वृद्धि के कारण 31 करोड़ रूपये का अतिरिक्त बोझ शासन पर हो गया है। परिणामतः प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जनता पर ही बोझ पड़ने वाला होगा।  

गत समय पांच वर्षों मे दूसरी बार उत्तर-प्रदेश मे भी सर्वसम्मति से विधायकों के वेतन-भत्तों मे बढ़ोत्तरी हुई है। इनके विधानसभा क्षेत्र भ्रमण करने पर एवं मेडीकल एलाऊन्स, सेक्रेटरी एलाऊन्स व विधानसभा सत्र चलने के दौरान भत्तों मे बढ़ोत्तरी की गई है। जो लगभग एक लाख रूपये है। जब विधानसभा सत्र नही चल रहा हो तो उन दिनों इनके द्वारा जन-सम्पर्क करने पर 800 रूपये प्रतिदिन का भुगतान होना माना गया है। इन्हे रेल्वे कूपन प्रतिवर्ष ढाई लाख रूपये के पूर्व मे मिलते थे जो बढ़ाकर तीन लाख 25 हजार किये गये है तथा रेल्वे कूपन यदि खर्च नही हो पायें तो उसके बदले मे डीजल अथवा पेट्रोल के लिये एक्सचेन्ज कर सकते हैं। दिल्ली मे विधायकों के वेतन-भत्तों मे अभूतपूर्व बढ़ोत्तरी गत समय केजरीवाल सरकार ने की है और विधायकों के वेतन-भत्ते दो लाख 10 हजार प्रतिमाह हो गये हैं। कर्नाटक मे विधायकों के वेतन-भत्तों मे गत वर्ष बढ़ोत्तरी होने के कारण सरकार पर अतिरिक्त बोझ 44 करोड़ प्रति वर्ष का बढ़ गया है। हिमाचल प्रदेश मे विधायकों के वेतन-भत्ते एक लाख 15 हजार प्रतिमाह हो गया है तथा पूर्व विधायकों की पेशन 22 हजार रूपये प्रतिमाह कर दी गई है। आसाम मे भी विधायकों के वेतन-भत्ते एक लाख रूपये से भी ऊपर हो गये हैं। इसी प्रकार देश के अधिकांश राज्यों की विधानसभाओं मे विधायकों के वेतन-भत्तो कई गुना बढ़ोत्तरी हो चुकी है। देश के विभिन्न राज्यों मे आयोगों एव निगमों के अध्यक्ष, उपाध्यक्षों की पदस्थापनायें लोकधन के रूप मे रेवड़ियां बांटना ही है।इन्होने चुनावों के पहले जनता के समक्ष यह प्रस्ताव तो नही रखा था कि वे अपने वेतन-भत्ते भी बढ़ायेंगे, फिर नैतिक रूप से उन्हे यह अधिकार किसने दे दिया कि बिना कोई चर्चा और तर्क-वितर्क के अपने-अपने वेतन बढ़ा लें ? विधान-सभाओं मे सत्ता-पक्ष अथवा विपक्ष का एक भी विधायक/सांसद ऐसा नही होता है, जिसने इस पर चर्चा करना अथवा इसका बिरोध करना उचित समझा हो। प्रजातान्त्रिक व्यवस्था की सब से बड़ी बिडम्बना यह है कि जनता से बसूल की गई राशि के ये स्वयं ही मालिक बन गये और स्वयं ही सेवक बन कर अपने वेतन-भत्ते बढ़ा लिये। 

अभी हाल ही मे वर्ष 2016 के लोकसभा सत्र के दौरान राज्यसभा मे यह मांग उठी है कि सांसदो के वेतन-भत्तों मे बढ़ोत्तरी की जाना चाहिये। इस हेतु आदित्यनाथ कमेठी ने सिफारिश की है कि इनके वेतन दो गुने बढ़ा दिये जाना चाहिये। अभी इनका कुल वेतन-भत्ता लगभग दो लाख 70 हजार रूपये प्रतिमाह बनता है। इसके अलावा फ्री मकान, फ्री एसी, फ्रिज, टी.वी. मकान का मैन्टेनेन्स धुलाई आदि भी। उस पर भी हम लोकसभा व राज्यसभा मे हो रही नारेवाजी, हुड़दंग को देख रहे हैं। क्या भारत का संविधान किसी भी वेतनभोगी लोकसेवक को यह अनुमति देता है कि हम हुड़दंग, हू-हल्ला मचायेंगे, न काम करेंगे और न करने देंगे, फिर भी वेतन प्राप्त करेंगे। नो-वर्क नो-पे का सिद्धान्त इन पर क्यों लागू नही है ? 

लेकिन हमे यह जान कर खुश व सन्तोषी होना चाहिये कि प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी वेतन-भत्तों मे बढ़ोत्तरी से खुश नही हैं और उनका प्रश्नवाचक रूप मे कहना यह है कि सांसद स्वयं ही अपना वेतन क्यों तय करें ? निश्चित ही विधायक व सांसदों के लिये पृथक से कोई वेतन आयोग या ऐजेन्सी होना चाहिये। हमे यह कहने मे कोई संकोच नही होना चाहिये कि आम-जनता व इस राष्ट्र का सच्चा जन-सेवक प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी हैं। इसलिये कहना होगा कि और अन्य नही तो कम से कम भाजपा के विधायक व सांसद प्रधानमन्त्री मोदी से कुछ सीखें, अपनी कार्यशैली और आचरंण के माध्यम से मोदी की टीम बनाने मे सहयोग करें। क्यों कि गत 68 वर्षों मे देश की नैया मे भृष्टाचार रूपी अनेकों छिद्र हो गये हैं और इस नैया का खिवैया व पार लगाने वाला तो समक्ष मे सिर्फ प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ही हैं। 

क्या इस तथ्य पर कोई भी विश्वास करेगा कि मंत्री और विधायक गरीब हैं ? क्या यह अनकहा आॅफ दि रिकाॅर्ड का कटु सत्य नही है कि विधायक-निधि एवं सांसद-निधि के वितरण की कसौटी क्या है ? इस पर इन्हे दिखावटी शर्म भी नही आती है। शासन के विकास कार्यों में ठेकेदारों के पीछे से प्रवाहित होने वाली प्राण-वायु और उसका लाभ लेने वाले कौन है, यह किसी से छुपा नही है। स्पष्टतः राजनीति का व्यवसायीकरण हो चुका है और यह तो बड़े ही मजे की जन-सेवा है। धनबल एवं बाहुबल की चुनावी यज्ञ मे आहूति और दिखावटी मुस्कराहट के साथ एक बार विधायक बन जाओं, फिर तो अगली पीढ़ी के लिये भी रास्ता साफ है। किसी तरह भीड़ इकट्ठा कर लो, क्यों कि इन्हे पता है कि भीड़ को देख कर जनता भी भेड़-चाल चलने लगती है। यह किसी मायने मे स्वस्थ प्रजातान्त्रिक व्यवस्था नही कही जा सकती है। राजतन्त्र मे राज्य का राजा जनता से बिभिन्न प्रकार की बसूली कर के स्वयं एवं राज-परिवार के ऐशो-आराम मे राज्य का कोष व्यय करता था और यही स्थिति अब भी प्रजातन्त्र मे है।  
भारत की जनता और देश का बेरोजगार नवयुवक जन-प्रतिनिधियों के वेतन-भत्तों मे हो रही बढ़ोत्तरी और इन्हे मिल रही अपार सुविधा सम्पन्न व्यवस्थाओं से दुखी है। आने वाले समय मे कहीं ऐसा न हो कि जनता के मन मे यह प्रश्न उठने लगे कि उसके लोक-धन की कहीं लूट तो नही हो रही है ? प्रजातंत्र के इस स्वरूप मे भृष्टाचार आॅफ दि रिकार्ड एवं आॅन दि रिकार्ड के कारण भविष्य की इन आंशकाओं से मुंह नही फेरा जा सकता है कि आने वाला समय कहीं जन-क्रांति मे परिवर्तित न हो जाये।




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लेखक- राजेन्द्र तिवारी, अभिभाषक, दतिया
फोन- 07522-238333, 9425116738
ई मेल : rajendra.rt.tiwari@gmail.com
 नोट:- लेखक एक पूर्व शासकीय एवं वरिष्ठ अभिभाषक व राजनीतिक, सामाजिक, प्रशासनिक आध्यात्मिक विषयों 
के समालोचक हैं। 

इस वजह से बंद हो जाएगा कपिल का ''शो''

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कॉमेडी नाइट्स विद कपिल का शटर डाउन होने के बाद अभिनेता एवं हास्यकार कपिल शर्मा ने ''द कपिल शर्मा शो''को अभी महज दो दिन पहले ही शुरू किया है। लेकिन इसके बंद होने की भी तारीख को सुनकर कपिल के फैंस को काफी धक्का पहुंचने वाला है। बताया जा रहा है कि इस शो के शुरू होने से पहले ही इस शो को खत्म करने का वक्त तय कर लिया गया है। डीएनए की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया है कि ‘द कपिल शर्मा शो’ बहुत कम दिनों तक देखने को मिलगा। 

कपिल शर्मा ने बताया कि हम जब कॉमेडी नाइट्स विद कपिल के साथ काम करना शुरु किया था। हमने एक सीरीज बनाने का प्लान किया था। लेकिन तब यह बहुत अच्छी तरह शुरू हुआ और हमने शो को जारी रखा था। लेकिन इस नए शो के लिए हम पहले से ही तय कर चुके हैं इस सीरीज में 26 एपिसोड होंगे। जो अगले 13 हफ्तों तक ही चलेगा। कपिल ने यह भी कहा कि एक ब्रेक के बाद अगले सीजन में फिर आएंगे। यह लगातार जारी रहेगा लेकिन बीच में छोटा ब्रेक भी होगा। 

विशेष : कांशीराम नहीं होते तो आंबेडकर भुला दिए गए होते

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इन दिनों अम्बेडकरवादियों की बाढ़ आयी हुई है, लेकिन इन अम्बेडकरवादियों में से 99.99 फीसदी संविधान के बारे में कुछ नहीं जानते! ऐसे में मेरा अकसर इनसे सवाल होता है कि आंबेडकरवाद का मतलब क्या है? अधिकतर का जवाब होता है-बाबा साहब की 22 प्रतिज्ञाएँ, जो बुद्ध धर्म ग्रहण करते समय उनके द्वारा घोषित की गयी थी। फिर मेरा प्रतिप्रश्न-यह अम्बेडकरवाद नहीं बुद्ध धर्म का प्रचार है। ऐसे अम्बेडकरवादी कहते हैं कि हमारे लिए यही सब अम्बेडकरवाद है।

मैं ऐसे लोगों से व्यथित हूँ, क्योंकि ऐसे लोग बाबा साहब के विश्वव्यापी व्यक्तित्व को बर्बाद कर रहे हैं। यदि बाबा साहब ने बुद्ध धर्म ग्रहण नहीं किया होता तो क्या हम उनको याद नहीं करते? बिना बुद्ध धर्म बाबा साहब का क्या कोई महत्व नहीं होता? ऐसे सवालों से अम्बेडकरवादी कन्नी काट जाते हैं।

अम्बेडकरवाद की बात करने वालों से मेरा सीधा सवाल है कि आखिर वे चाहते क्या हैं? संविधान का शासन या अम्बेडकरवादियों के छद्म बुद्ध धर्म का प्रचार? इन लोगों को न तो बाबा के योगदान का ज्ञान है और न हीं संविधान की जानकारी। इसके बाद भी ऐसे लोग वंचित समाज का नेतृत्व करने की हिमाकत करते हैं, वह भी केवल बुद्ध धर्म के बाध्यकारी अनुसरण के बल पर और खुद को अम्बेडकरवादी घोषित कर के ही अपने आप को भारत के भाग्यविधाता समझने लगे हैं।

अम्बेडकरवाद की बात करने वालों को शायद ज्ञात ही नहीं है कि 1980 तक आंबेडकर पाठ्यपुस्तकों में एक छोटा का विषय/चैप्टर मात्र रह गए थे। उनका कोई गैर दलित नाम तक नहीं लेता था। कांशीराम जी का उदय नहीं हुआ होता तो न तो आंबेडकर को याद किया जाता और न ही आंबेडकर को भारत रत्न मिलता। इसके बाद भी मुझे याद नहीं कि कांशीराम जी ने खुद को कभी ऐसा ढोंगी अम्बेडकरवादी कहा या प्रचारित किया हो?

कांशीराम जी ने साईकल से मिशन की शुरूआत की तथा अपने जीते जी मिशन को फर्श से अर्श तक पहुंचाया। यदि कांशीराम जी का अन्तिम अंजाम षड्यंत्रपूर्ण नहीं हुआ होता तो वंचित भारत की तस्वीर बदल गयी होती। कांशीराम जी की कालजयी पुस्तक---"चमचा युग"--- आज के अम्बेडकरवादियों के लिए प्रमाणिक पुस्तक है।

इन दिनों अम्बेडकवाद से कहीं अधिक सामाजिक न्याय की विचारधारा को अपनाने की जरूरत है, जो ज्योतिबा फ़ूले से शुरू होकर कांशीराम जी पर रुक गयी है। जिसमें आंबेडकर का बड़ा किरदार है, लेकिन कांशीराम के बिना आंबेडकर अधूरा और निष्फल है। फ़ूले के बिना अम्बेडकर अजन्मा है। ऐसे में अम्बेडकरवाद की बात करने वाले फ़ूले और कांशीराम के साथ धोखा और अन्याय करते हैं। सबसे बड़ा अन्याय बुद्ध के साथ भी करते हैं, क्योंकि बुद्ध संदेह को मान्यता प्रदान करते हैं और सत्य को तर्क और विज्ञान की कसौटी पर कसते हैं। जबकि अम्बेडकरवादी मनुवादियों की भाँति बाबा के नाम की अंधभक्ति को बढ़ावा देते हैं। बुद्ध और बाबा की मूर्ती पूजा को बढ़ावा दे रहे हैं।




डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
संपर्क : 9875066111

आलेख : वंचित वर्ग की राह के रोड़े और समाधान-असफल और आऊट डेटेड लोगों से मुक्ति पहली जरूरत है

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देश के दर्जनों राज्यों की यात्रा करने के बाद लगातार नये-नये लोगों से मिलने, संवाद करने, आम लोगों के बीच समय बिताने, विभिन्न विद्वानों के विचार पढ़ने/जानने और सुनने के बाद भी वंचित वर्ग की मुक्ति का कोई सर्वमान्य रास्ता जानने या सुनने को नहीं मिलता है। हर जगह कुछ न कुछ दिखावा, ढोंग और नाटक चल रहे हैं, लेकिन वास्तविक समाधान कहीं भी नजर नहीं आता। हजारों संगठन लगातार कार्य कर रहे हैं, फिर भी वंचित वर्ग के साथ हर पल शोषण, उत्पीड़न, भेदभाव, अत्याचार, बलात्कार, हिंसा, अपमान, न्यायिक विभेद और तिरस्कार क्यों जारी है? यह सवाल सोचने को विवश करता है। संवेदनाओं को झकझोरता है।

हर जगह सुनने को मिलता है कि देश की 85/90 फीसदी आबादी से कौन टकरा सकता है? इस सवाल के जवाब में मेरा हर बार यही सवाल/प्रतिप्रश्न होता है कि कौन नहीं टकरा सकता? हकीकत तो यह है कि देश का बहुसंख्यक वंचित वर्ग खुद ही गुमराह है, तब ही तो आपस में लड़ता रहता है। 90 फीसदी आबादी को 10 फीसदी लोग अपने इशारों पर नचाते रहते हैं। आदिवासी-दलित सौहार्द नहीं दिखता। ओबीसी-आदिवासी सौहार्द नहीं दिखता। दलित जातियां आपस में एक दूसरी जाति को छोटी या कमतर समझती हैं। आदिवासियों और ओबीसी जातियों की भी यही दशा है।

वंचित वर्ग के तथाकथित शिक्षित और उच्च पदस्थ लोग अपने ही जाति समाज के लोगों से दूरी बना रहे हैं। वास्तव में ब्राह्मण जनित मनुवादी व्यवस्था की रुग्ण शिक्षा, अंधश्रद्धा और नाटकीय संस्कारों के कारण हीनता के शिकार लोग, खुद को श्रेष्ठ समझने के नकारात्मक अहंकार से ग्रसित हो जाते हैं। दुष्परिणामस्वरूप एक ही जाति में असमानता के नये नये प्रतिमान स्थापित हो जाते हैं। नवधनाढ़य लोग खुद को श्रेष्ठता के शिखर पर स्थापित कर लेते हैं। ऐसे हालात में PAY BACK TO SOCIETY के बारे में कोई विचार ही नहीं करता। करने की जरूरत ही नहीं समझता।

इसके विपरीत वंचित वर्ग के कुछ कथित सामाजिक संगठन वंचित वर्ग के उत्थान के नाम की माला जपते रहते हैं, लेकिन हकीकत में समाज में नकारात्मक और विध्वंशक माहौल पैदा कर रहे हैं। उदाहरण के लिये "मूलनिवासी"शब्द को जोड़कर अनेक संगठन संचालित किये जा रहे हैं। जिनके संचालकों का मूल/उद्भव भारतीय मूल का नहीं है, लेकिन उनकी ओर से समाज में देशी और विदेशी की विनाशक विचारधारा का प्रचार किया जा रहा है। जबकि भारत में विदेशी मूल और देशी मूल के नाम से किसी भी क्षेत्र में न तो कोई विभेद होता है और न ही शोषण किया जाता है।

हकीकत में भारत में जन्मजातीय विभेद है, जिसके मूल में ब्राह्मणों की विदेशी मूल की नीति नहीं, बल्कि भारत में जन्मी वैदिक विचारधारा जिम्मेदार है। जिसे वर्तमान में विदेशी मूल के ब्राह्मण नहीं, बल्कि भारतीय मूल के आदिवासी, यूरेशिया मूल के आर्य-शूद्रों के वर्तमान भारतीय वंशज, अफ़्रीकी मूल के वर्तमान भारती वंशज (कथित अछूत), विदेशी हूँण, कुषाण, शक आदि विदेशी नस्लों के वर्तमान वंशज-ओबीसी इत्यादि लोग लागू कर रहे हैं। वर्तमान में बामण वैदिक व्यवस्था को वंचित वर्ग पर जबरन थोपने नहीं आ रहा है, बल्कि उक्त वर्णित लोग बामणों को और वैदिक व्यवस्था को खुद अपने खर्चे पर आमन्त्रित कर रहे हैं। वंचित वर्ग खुद वैदिक-मनुवादी व्यवस्था का प्रचार, प्रसार और विज्ञापन कर रहा है।

देशभर में सामाजिक न्याय के नाम पर संघर्ष करने वाले संगठन जन्मजातीत विभेद और मनुवादी शोषण से मुक्ति के लिए आज तक कोई ठोस और व्यावहारिक नीति पेश करने में असफल रहे हैं। बल्कि इसके विपरीत नयी पीढ़ी को हिन्दू धर्म को गाली देना सिखा रहे हैं। जैसे संघ ने मुसलमानों के विरोध में घृणा का वातावरण निर्मित किया, वही ऐसे संगठन हिंदुओं के विरुद्ध कर रहे हैं। जबकि ऐसे लोग खुद हिन्दू हैं। जिससे समाज में विभिन्न प्रकार के अपराध और अपकृत्य पनप रहे हैं। बामणवादी व्यवस्था की भाँति व्यक्ति पूजा को बढ़ावा दिया जा रहा है। महापुरुषों के कार्यों को रचनात्मक तरीके से आगे बढ़ाने के बजाय उनके नाम के नारे लगाये जा रहे हैं। उनके नाम की आरती, वन्दना और पूजा का बाजार विकसित हो रहा है। मनुवादी व्यवस्था में मूर्तियां थी, यहां तस्वीर, बिल्ले, कलेंडर, डायरी और ताम्र मूर्ति भी निर्मित करके बेची जा रही हैं। फ़ूहड़ नाचगांन और कानफोड़ू वाद्ययंत्रों के साथ पूजा-आरती की जा रही हैं।

फ़ूले, बिरसा, भीम, कांशीराम, पेरियार, एकलव्य, लोहिया, वीपी सिंह जैसे विशिष्ठ इंसानों को जबरन भगवान बनाया जा रहा है। इनके मन्दिर बनाये जा रहे हैं। इन कारणों से पहले बंटे लोग नये टुकड़ों में बंट रहे हैं। सामाजिक आयोजनों के शुरू में बुद्ध वन्दना को अनिवार्य कर के गैर-हिन्दू/हिन्दू आदिवासियों और हिन्दू/मुस्लिम ओबीसी पर दलितों द्वारा जबरन बुद्ध धर्म को थोपा जा रहा है। इनकी धार्मिक आजादी का सरेआम मजाक उड़ाया जा रहा है। जबकि बुद्ध धर्म हिन्दू धर्म की एक शाखा मात्र है। सभी बुद्धिष्ट भारत में हिन्दू लॉ से शासित होते हैं। सामाजिक न्याय के संघर्ष को जबरन बुध धर्म का आंदोलन बनाया जा रहा है। बाबा साहब को बुद्धिस्ट वर्ग द्वारा हाई जैक करके बाबा साहब को बुद्ध का अवतार घोषित करने की योजना पर काम कर रहे हैं। इस कारण बाबा साहब को दलितों और इन्साफ पसन्द लोगों से छीनकर बुद्ध धर्म की सीमाओं में कैद किया जा रहा है।

इन हालातों में 85/90 फीसदी आबादी की एकता की कल्पना या बात करना, खोखले गाल बजाना ही है। हकीकत में ऐसे लोग अपने छद्म दुराग्रहों के चलते वंचित समाज को गुमराह कर रहे हैं। ऐसे ही लोगों में कल तक रामदास अठावले, राम विलास पासवान, रामराज/उदितराज आदि भी शामिल थे, जो आज संघ की राजनैतिक शाखा भाजपा की गौद में बैठे हुए हैं।

खुद को कांशीराम जैसे महामानव की एक मात्र उत्तराधिकारी बताने वाली मायावती-उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रहते अजा/जजा अत्याचार निवारण अधिनियम को निष्प्रभावी कर देती हैं। 2002 में गुजरात में मुसलमानों के एकतरफा कत्लेआम के कथित रूप से प्रमुख आरोपी माने गए, तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के पक्ष में गुजरात जाकर मायावती दलितों से वोट देने की मांग करती हैं। संविधान के प्रावधानों और सामाजिक न्याय की अवधारणा के बिलकुल विपरीत मायावती राज्यसभा में और फिर कुछ दिन बाद अपने जन्मदिन पर नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार से मांग करती हैं कि उच्च जातीय गरीबों को आर्थिक आधार पर आरक्षण प्रदान करने के लिये क़ानून बनाया जावे।

राजस्थान के आदिवासी राजनेता नमोनारायण मीणा (पूर्व आईपीएस) यूपीए की सरकार में 10 साल तक राज्य मंत्री रहे और अपने गृह कस्बे में लोगों को गुमराह करने वाला वक्तव्य देते हैं कि अजा/जजा के लिए नौकरियों का आरक्षण 10 साल के लिए था, जिसे इंदिरा, राजीव और सोनिया की मेहरबानी से बढ़ाया गया। मध्य प्रदेश के आदिवासी राजनेता कांति लाल भूरिया केंद्र में मंत्री रहे, लेकिन पार्टी की लाईन से हटकर आरक्षण व्यवस्था, जातिगत विभेद, उत्पीड़न या नक्सलवाद पर एक वाक्य तक नहीं बोल सके। राजस्थान की आदिवासी मीणा जनजाति के कथित रूप से सबसे बड़े राजनेता डॉ. किरोड़ी लाल मीणा के मुख से कभी भी मनुवादी व्यवस्था, दलित उत्पीड़न और नक्सलवाद के विरूद्ध एक शब्द सुनने को नहीं मिला और राजस्थान में तीसरे मोर्चे को सत्ता में लाने के सपने देखते रहते हैं! ऐसे दर्जनों नहीं, सैकड़ों नाम हैं, जो वंचित समाज के उत्थान के नाम पर अपना उत्थान कर रहे हैं।S

वंचित समाज के नाम पर राजनीति करने वाले ऐसे लोगों पर जब तक हम दाव लगाते रहेंगे, तब तक वंचित समाज ही दाव पर लगाया जाता रहेगा। आज जरूरत इस बात की है कि हम वास्तविक अर्थों में सच्चे, समर्पित और शिक्षित लोगों को हर क्षेत्र में आगे लाएं। हमें शिक्षा के वास्तविक अर्थ को समझना होगा। अभी तक का अनुभव है कि वंचित समाज के डिग्रीधारी और उच्चपदस्थ लोग ही सबसे अधिक समाजद्रोही सिद्ध हुए हैं। अत: हम वर्तमान में सामाजिक व्यवस्था के संक्रमण काल से गुजर रहे हैं। वंचित वर्ग के हर दल और हर राजनेता ने वंचित वर्ग को धोखा दिया है। जमकर गुमराह किया है। समाज के नाम पर खुद को और अपने कुटम्ब को आगे बढ़ाया है।

इसके बावजूद कुछ लोग समस्या को जानबूझकर समझना नहीं चाहते और समाजद्रोही राजनेताओं से मुक्ति के बजाय पहले नए विकल्प खोजने की बात करके चिंतन और सुधार की राह में रोड़े अटकाते रहते हैं। जबकि वास्तव में वंचित वर्ग में विकल्पों की कमी नहीं है, लेकिन सड़े-गले और असफल हो चुके पुराने विचार या सिस्टम से विरक्ति और नये के स्वागत के बिना बदलाव कैसे होगा? मनुवाद से मुक्ति के लिए जैसे बुद्ध के वैज्ञानिक एवं तार्किक विचार और आधुनिक विज्ञान सहायक सिद्ध हो रहा है, उसी तरह से नाकारा और असंवेदनशील नेतृत्व को भी बदलना होगा।

पुरुषों ने धोती को उतारकर की पायजामा और पेंट अपनाया। वंचित वर्ग की लड़कियां लहंगा चोली के बजाय साड़ी और सलवार सूट पहन रही हैं। नये के लिए बदलाव का साहसिक निर्णय जरूरी है। सच यह भी है कि हमारे वे लोग जिनके दिल में समाज का दर्द है, हम उनको पहचान नहीं पा रहे हैं या सच्चे लोग वर्तमान व्यवस्था का सामना करने के लिए सक्षम हैं, इस बात का हमको विश्वास नहीं है। ऐसे हालातों में वंचित वर्ग के हितैषीे बुद्धिजीवियों को गहन-गंभीर और निष्पक्ष चिंतन करने की जरूरत है। लेकिन असफल, आऊट डेटेड और समाजद्रोही सिद्ध हो चुके विचारों तथा लोगों से मुक्ति पहली जरूरत है।






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डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
संपर्क : 9875066111

सिंहस्थ: प्राकृतिक आपदा के बाद श्रद्धालुओं का पर्व स्नान जारी

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उज्जैन 06 मई, मध्यप्रदेश की धार्मिक एवं प्राचीन नगरी उज्जैन में चल रहे सिंहस्थ के दौरान आई प्राकृतिक आपदा के बावजूद आज अमावस्या के पर्व स्नान के लिये पांच लाखो श्रद्धालुओं ने मोक्षदायिनी क्षिप्रा नदी में डूबकी लगाई। यह सिलसिला देर रात तक जारी रहेगा। आधिकारिक सूत्रो ने बताया कि सिंहस्थ के तहत होने वाले आज के पर्व स्नान में कल मध्य रात्रि से लेकर आज सुबह आठ बजें पांच लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने नदी में स्नान किया। क्षिप्रा नदी पर बने घाटो पर स्नान सामान्य स्थिति में चल रहा है। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तडके सर्किट हाऊस पहुंचे और इसके पश्चात साढे चार बजे अस्पताल के अलावा चिमनगंज मंडी में श्रद्धालुओं की गई व्यवस्था का जायजा लिया। इसके बाद वे आठ बजे यहां से रवाना हो गये। सात मृतकों के परिजनों को राज्य सरकार द्वारा पांच-पांच लाख एवं गंभीर घायलों के लिए 50 हजार देने के साथ ही मुफ्त ईलाज किया जा रहा है और मेला क्षेत्र में जिला प्रशासन एवं आसपास के सौ टीम अमला राहत कार्य में जुटा हुआ है। पंडाल में अभी तक दस डम्पर चूरी डाली जा चुकी है। राहत कार्य के तहत आसपास के जिले के सौ जिले की टीम लगाई गई है। इसके अलावा साधु संतो एवं अखाडो के पंडाल को पुन: स्थापित करने के लिये अन्य जिलों से टेन्ट की व्यवस्था की जा रही है। साधु संतो व अखाडो में प्राकृतिक आपदा से खराब हुई खाद्य सामग्री हो गयी उन्हें सभी नि:शुल्क सरकार द्वारा खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई जायेगी। 

विश्व प्रसिद्ध भगवान महाकालेश्वर की नगरी उज्जैन में कल आंधी तूफान और बारिश के कारण सिंहस्थ महापर्व के मेला क्षेत्र में बनाये गये सैकडो पंडाल गिर जाने से काफी नुकसान हुआ और तीन हजार हेक्टर में लगे पंडालो में पानी भर गया, पेड गिर गये। इस घटना में करीब सात लोगो की मौत हो गयी और अनेक घायल हो गये। इस दौरान देश विदेश सहित परपंरानुसार होने वाले पंचक्रोशी यात्रा के अंतिम पडाव के लिये लाखों लोग मौजूद थे। आधिकारिक जानकारी के अनुसार कल तेज आँधी और बारिश के कारण मेला क्षेत्र हुई जन-धन की हानि के बाद शासन-प्रशासन द्वारा त्वरित रूप से युद्ध स्तर पर किये जा रहे बचाव कार्यों में जिला प्रशासन का अमला लगा हुआ है1 प्रशासन द्वारा तीर्थ यात्रियों के रुकने तथा उनके भोजन की व्यवस्था त्वरित रूप से यहाँ पर की गयी थी। स्कूल शिक्षा मंत्री पारस जैन ने स्वयं मोर्चा सम्हाला था। यहाँ पर मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने ठहरे हुए श्रद्धालुओं से चर्चा की उनका हाल जाना। इस दौरान मुख्यमंत्री ने खुद ही चाय की कैटली थामते हुए ठहरे हुए तीर्थ यात्रियों को चाय पिलाई। 

आपदा की घडी में सरकार संतो और श्रद्धालुओं के साथ : शिवराज

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उज्जैन 06 मई, मध्यप्रदेश के उज्जैन में प्राकृतिक आपदा के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने घायलो के परिजनो से चर्चा कर विश्वास दिलाया कि ऐसी आपदा की घडी में राज्य सरकार उनके साथ है और उन्हें चिंता करने की कोई बात नही है। श्री चौहान ने आज तड़के संख्याराजे शासकीय चिकित्सालय उज्जैन पहुंच कर वहां भर्ती घायलों से भेंट कर उनकी कुशल क्षेम पूछी और उपचार व्यवस्था का जायजा लिया। उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को निर्देश दिये कि सभी घायलों का नि:शुल्क उपचार और दवाई की व्यवस्था की जाये। उन्होने वार्ड में उपचाररत घायलों एवं उनके परिजनों से चर्चा कर विश्वास दिलाया कि सरकार उनके उपचार की पूरी व्यवस्था कर रही है। चिंता की कोई बात नहीं है। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि सिंहस्थ मेले में पूरा अमला मुस्तैदी से लगा हुआ है। रूद्रसागर से बारिश का पानी निकाल दिया गया है। सारी व्यवस्थाएं सुचारू कर दी गई हैं। बारिश और तेज हवा के कारण जो टेन्ट गिर गये है, उन्हें पुन: खड़ा करने का कार्य तेजी से किया जा रहा है। उन्होंने ने कहा कि हम पूरी अंतर्रात्मा से सिंहस्थ महापर्व का आयोजन कर रहे है पर आपदा से हुआ नुकसान दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि सभी घायलों का अच्छा तत्परतापूर्वक उपचार चल रहा है। सभी जल्दी स्वस्थ्य होंगे। मुख्यमंत्री ने सभी संतों, जनप्रतिनिधियों और उज्जैन की जनता का धन्यवाद दिया कि आपदा की इस घड़ी में सभी ने मिल कर व्यवस्थाएं बनाए रखने में अच्छा कार्य किया। उन्होंने कहा कि अन्न की और धन की कमी नहीं आने दी जाएगी। क्षिप्रा तट पर स्नान, पूजा पाठ हो रहा है। इस मौके पर प्रभारी मंत्री भूपेन्द्र सिंह, मुख्य सचिव अन्टोनी डिसा भी उपस्थित थे। 

न्यायपालिका में आरक्षण देने पर सभी राजनीतिक दलों में सहमति : सरकार

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नयी दिल्ली 06 मई, सरकार ने आज कहा कि न्यायपालिका में अनुसूचित जाति, जन जाति और अन्य पिछडा वर्ग के लोगों को आरक्षण देने पर सहमति है। विधि मंत्री डी. वी. सदानंद गौडा ने राज्यसभा में एक पूरक प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी दी। इससे पहले उन्होंने कहा कि सरकार ने उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायामूर्तियों से अनुरोध किया है कि न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए प्रस्ताव भेजते समय, अन्य पिछडे वर्ग, अनुसूचित जाति, जनजाति और अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों और महिलाओं में से उपयुक्त उम्मीदवारों पर विचार किया जाए। हालांकि उन्होंने कहा कि इस संबंध में योग्य उम्मीदवार नहीं मिलते हैं। 

इस इस पर बहुजन समाज पार्टी के सतीशचंंद्र मिश्रा ने कहा कि अगर न्यायपालिका में आरक्षण देने पर सभी राजनीतिक दलों में सहमति है तो इसे लागू करने में सरकार देर क्यों कर रही है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के डी. राजा ने कहा कि ‘योग्य उम्मीदवार का नहीं मिलना’ आपत्तिजनक है। सरकार को इसका जवाब देना चाहिए। श्री गौडा ने कहा कि राष्ट्रीय पिछडा वर्ग आयोग ने सरकार से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की निचली सेवाओं के साथ साथ उच्चतम न्यायिक सेवाओं में अन्य पिछडा वर्गों के लिए 27 प्रतिशत अारक्षण प्रदान करने के लिए विचार करने का अनुराेध किया है। इस अनुरोध को दिल्ली उच्च न्यायालय को भेज दिया गया है।

पंड्या ने किया राज्यसभा की सदस्यता लेने से इन्कार

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हरिद्वार 06 मई, गायत्री तीर्थ शांतिकुंज प्रमुख डा. प्रणव पंड्या ने राज्यसभा की सदस्यता लेने से इनकार कर दिया है। उन्होंने आज सुबह दस बजे राष्ट्रपति भवन को इस आशय की सूचना भेजी। डाॅ. पंड्या ने कहा कि अखिल विश्व गायत्री परिवार के लाखों सदस्यों को इससे एेतराज था, साथ ही उनका अंतर्मन भी इसकी इजाजत नहीं दे रहा था। राष्ट्र व समाज सेवा वह इससे अलग रह कर भी पहले की तरह करते रहेंगे। उन्होंने कहा “चूंकि मैने अभी तक शपथ नहीं ली थी इसलिए यह निर्णय आज ही ले लिया। यह सदस्यता किसी अन्य योग्य व्यक्ति को मिलना चाहिए।” गौरतलब है की दो दिन पहले ही डा. पंड्या को केंद्र सरकार की सिफारिश पर राज्यसभा के लिए राष्ट्रपति ने मनोनीत किया था। 

सूत्रों के अनुसार सरकार ने बाबा रामदेव को नजरअंदाज कर डॉ. पंड्या को राज्यसभा के लिये सदस्य मनोनीत किया था जिसके बाद हरिद्वार के संत समाज में हलचल पैदा हो गई थी । बाबा रामदेव ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी परंतु जिस प्रकार उन्होंने पहले लालू यादव से मुलाकात की और फिर बाद में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल गांधी और मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लीमीन (एमआईएम) के नेता अकबरूद्दीन ओवेसी जैसे नेताओं को योगदिवस में आने का न्योता देने की बात कही थी उससे उनकी नाराजगी से इसे जोड़कर देखा जा रहा है ।

अगस्ता वेस्टलैंड मामले में केन्द्र को नोटिस

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नयी दिल्ली, 06 मई, उच्चतम न्यायालय ने आज अगस्ता वेस्टलैंट हेलीकॉप्टर घोटाला मामले में केंद्र सरकार तथा केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) को आज नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा  है। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश दीपक मिश्री ने दिल्ली के एक वकील मनोहर लाल शर्मा की ओर से दायर याचिक पर सुनवाई करते हुए “केंद्र सरकार तथा सीबीआई को इस मामले में नोटिस जारी किया गया तथा चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।'श्री शर्मा ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर अगस्ता वेस्टलैंड मामले की जांच विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराने की मांग की थी। इस मामले की अगली सुनवाई जुलाई में होगी।

सोनिया-राहुल सहित कांग्रेस के कई दिग्गज हिरासत के बाद रिहा

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नयी दिल्ली, 06 मई,लोकतंत्र बचाओ विशाल रैली के दौरान संसद घेराव के लिए निकली कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमाेहन सिंह तथा पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी सहित पार्टी के दिग्गज नेताओं ने आज यहां गिरफ्तारी दी लेकिन कुछ देर तक हिरासत में रखने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच यहां जंतर मंतर पर आज कांग्रेस कार्यकर्ताओं का सैलाब उमड़ पड़ा। दिल्ली ही नहीं आसपास के इलाकों से लोगों की भीड़ सुबह से ही रेलों, बसों, टैक्सियों और कारों पर झंडा लहराते हुए जंतर मंतर के लिए उमड़ती हुई दिखायी दे रही थी। कांग्रेस ने भी इस रैली को सफल बनाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंकी हुई थी और इसी वजह से सुबह साढे नौ बजे तक जंतर मंतर पर कांग्रेस कार्यकर्ता बड़ी संख्या में पहुंच गए थे। रैली समाप्त होने के बाद भी कार्यकर्ताओं का हुजूम चारों तरफ से जंतर मंतर की तरफ बढ़ता हुआ नजर आ रहा था जिसके कारण क्षेत्र में यातायात व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गयी।

भारी भीड़ से उत्साहित श्रीमती गांधी ने अपने संबोधन में सरकार को लोकतांत्रिक मर्यादाओं के साथ सरकार चलाने की चुनौती दी और उसके बाद वह पार्टी के दिग्गज नेताओं के साथ संसद घेराव के लिए निकल पड़ी लेकिन संसद मार्ग थाने के सामने उन्हें तथा पार्टी के अन्य नेताओं और कार्यकर्ताओं को रोक दिया गया। श्रीमती गांधी के साथ ही श्री राहुल गांधी, डॉ. मनमोहन सिंह, श्री गुलामनबी आजाद, मल्लिकार्जुन खडगे, अहमद पटेल, अम्बिका सोनी, आनंद शर्मा, अजय माकन, ज्योतिरादित्य सिंधिया, रणदीप सिंह सुरजेवाला सहित कई अन्य नेताओं ने गिरफ्तारी दी। श्रीमती गांधी सहित कांग्रेस के सभी दिग्गजों को कुछ देर तक हिरासत में रखने के बाद रिहा कर दिया गया। पदयात्रा के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष जन सैलाब के बीच आ गए जिसके कारण सुरक्षाकर्मियों को उन्हें सुरक्षित आगे बढ़ाने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ी। कई कार्यकर्ता रस्सी लगाकर बनाए गए घेरे के भीतर कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के साथ संसद मार्ग पर चल रहे थे। श्री आजाद तथा अन्य नेता कार्यकर्ताओं की अनियंत्रित भीड़ के कारण पीछे छूट गए जिन्हें सुरक्षाकर्मी धक्का मुक्की से बचाते हुए थाने की तरफ ले गए। श्रीमती गांधी जब गिरफ्तारी दे रही थी उस दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री रेणुका चौधरी तथा उत्तर प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी सहित पार्टी के कई अन्य नेता थाने के बाहर लगी ग्रील पर लटक कर अंदर झांकाने की कोशिश कर रहे थे। 

सिंहस्थ : आपदा के बाद श्रद्धा का सैलाब, लाखों ने लगाई डुबकी

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उज्जैन, 06 मई, मध्यप्रदेश के उज्जैन में चल रहे सिंहस्थ के दौरान कल आई प्राकृतिक आपदा 24 घंटे बीतने के पहले ही श्रद्धा के आगे बौनी नजर आ रही है। बैशाख माह की अमावस्या पर सिंहस्थ में आज हो रहे पर्व स्नान के मौके पर कल मध्यरात्रि से लेकर आज सुबह तक लगभग पांच लाख श्रृद्धालु क्षिप्रा नदी में डुबकी लगा चुके हैं। ये आंकडा दिन चढने के साथ बढता जा रहा है।  इसके पहले कल अपराह्न तेज बारिश के साथ आए तूफान से प्रभावित लोगों का हाल-चाल जानने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज तडके उज्जैन पहुंचे। उन्होंने रात भर मेला क्षेत्र में, विशेष रूप से मंगलनाथ क्षेत्र में पैदल घूम-घूम कर विपदा प्रभावित तीर्थ यात्रियों से मुलाकात कर उन्हें राहत सुनिश्चित की। उन्होंने जिला अस्पताल जाकर भी पीड़ित व्यक्तियों को ढाँढस बँधाया और उनका त्वरित इलाज करने के आदेश दिए। श्री चौहान ने साधु-संतों से चर्चा कर सरकार का पूरा सहयोग करने की बात कही। उन्होने मेला क्षेत्र में आंधी और वर्षा से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए मंगलनाथ जोन का निरीक्षण करने के पश्चात अधिकारियों को महत्वपूर्ण निर्देश दिये। निरीक्षण के दौरान उनके साथ प्रभारी मंत्री भूपेन्द्र सिंह, नगरीय प्रशासन मंत्री लालसिंह आर्य, मुख्य सचिव अन्टोनी डिसा, नगरीय प्रशासन प्रमुख सचिव मलय श्रीवास्तव, नगरीय प्रशासन सचिव विवेक अग्रवाल सहित अन्य जनप्रतिनिधि मौजूद रहे। 

आधिकारिक जानकारी के अनुसार मेला क्षेत्र के निरीक्षण के पश्चात मुख्यमंत्री ने सर्किट हाऊस में प्रभारी मंत्री सहित संबधित अधिकारियों को कल तक मंगलनाथ क्षेत्र को पुन: स्थापित करने और वर्तमान हालात को बदलने के निर्देश दिये। उन्होंने नगरीय प्रशासन सचिव श्री अग्रवाल को टूटे हुए टेन्ट और अन्य सामग्रियों को अलग करवा कर पुन: स्थापित करने के निर्देश दिये। मेला क्षेत्र में कीचड को साफ करने के लिए चूरी की पर्याप्त व्यवस्था कर आवश्यक स्थानों पर डलवाने की बात कही। गंदे नालों से सीवरेज के पानी को साफ करने के लिए जितनी सक्शन मशीन की आवश्यकता हो व्यवस्था करने को कहा। उन्होने अधिकारियों से कहा कि जिन साधु-संतों के पास खाद्य सामग्री खराब हुई है, उन्हें अलग कराकर पर्याप्त आवश्यक खाद्य सामग्री हर हाल में उपलब्ध कराई जाये। उन्होंने मौसम विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार आने वाले समय में भी सावधानी बरतने और आवश्यक उपाय करने के निर्देश दिये। 

आधिकारिक जानकारी के मुताबिक संभागायुक्त डॉ रवींद्र पस्ताेर ने बताया कि तेज आंधी और बरसात से मेला क्षेत्र में बुनियादी व्यवस्थाओं के प्रभावित होने के बाद बिजली, पेयजल, शौचालय, सड़कों की दुरूस्ती आदि की बहाली का काम तेजी से चल रहा है। भूखीमाता क्षेत्र में एक सीवेज लाइन के लीकेज होने की सूचना मिलते ही दत्त अखाड़ा झोन के अमले ने सीवेज लाइन की मरम्मत कराते हुए गन्दे पानी को शिप्रा में मिलने से पूरी तरह रोक दिया गया है। वहीं रामघाट पर सीवेज के खुलने की सूचना पर महाकाल झोन के सफाई अमले ने चेम्बर को बन्द किया। मेला क्षेत्र में जहां कहीं भी कीचड़ हुई है, वहां गिट्टी का चूरा डालकर मार्गों को आवागमन के लिये ठीक करने का काम आज रात भर जारी रहेगा। साधु-सन्तों के पांडालों की मरम्मत में भी सरकारी अमला कार्यरत है। जानकारी के मुताबिक दूसरे पर्व स्नान पर यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं और दर्शनार्थियों की आवास की व्यवस्था के लिये शहर के सभी स्कूल्स खोल दिये गये हैं, जहां उनके ठहरने की व्यवस्था की गई है। सभी साधु-सन्तों के पांडालों में श्रद्धालुओं को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। 

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने आपदा में मरने वाले सात श्रद्धालुओं के परिजनों को पांच-पांच लाख रूपये की सहायता राशि देने की घोषणा की है। गंभीर रूप से घायलों को पचास-पचास हजार दिये जायेंगे और मामूली घायलों को 25 हजार रूपये की तत्काल सहायता दी जायेगी। सरकार घायलों के उपचार का पूरा खर्चा भी उठायेगी। मेला क्षेत्र एवं उज्जैन शहर में कल शाम तेज बारिश एवं तूफान से सात लोगों की मृत्यु हो गई थी। इनमें पांडाल गिरने से छह तथा बिजली गिरने से एक महिला की मृत्यु हुई थी। मरने वालों में एक होमगार्ड जवान भी शामिल है। संभागायुक्त डॉ.पस्तोर ने बताया कि मौसम विभाग द्वारा एक घंटे वर्षा की चेतावनी जारी की गई थी। वह समय बीत चुका है। श्रद्धालुओं को अब घबराने की कतई भी जरूरत नहीं है। बारिश के दौरान बन्द बिजली को पुन: चालू कर दिया गया है। पंचक्रोशी यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था वॉटरप्रूफ टेन्टों में की गई है। टोलफ्री नंबर-1100 पर कॉल कर कोई भी व्यक्ति मदद ले सकता है। आपदा से प्रभावित एवं जिला चिकित्सालय में उपचार हेतु दाखिल लोगों के उपचार और सहायता के लिए शहर के नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी अपने दरवाजे खोल दिए हैं। कल के बाद से अब तक बड़ी संख्या में लोगों ने जिला अस्पताल पहुंचकर रक्तदान समेत अन्य सहायताओं की पेशकश की। 

लोकतंत्र को नष्ट नहीं होने देंगे : सोनिया गांधी

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नयी दिल्ली, 06 मई, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर देश की लोकतांत्रिक बुनियाद को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए आज चेतावनी दी कि लोकतंत्र को नष्ट करने के उनके इरादे को पूरा नहीं होने दिया जाएगा। श्रीमती गांधी ने यहां जंतर मंतर पर ‘लोकतंत्र बचाओ रैली’ के मौके पर आयोजित विशाल जन समूह को संबोधित करते हुए कहा 'मोदी सरकार अपने दो साल के कार्यकाल में हर मोर्चे पर पूरी तरह असफल रही है। श्री मोदी ने अपनी सरकार की इस नाकामयाबी को छिपाने के लिए अब विपक्ष के चरित्र पर अंगुली उठाने का अपना पुराना खेल खेलना शुरू कर दिया है।'उन्होंने कहा 'विपक्ष को बदनाम करने का खेल करने वालों के साथ ही आरएसएस को भी इस रैली के जरिए मिले इस संदेश को स्पष्ट समझ में आना चाहिए कि कांग्रेस उनके इरादों को कभी सफल नहीं होने देगी। उन्हें कांग्रेस को कमजोर समझने की भी भूल नहीं करनी चाहिए। कांग्रेस लोकतंत्र की हत्या तथा विपक्ष पर आरोप लगाने के उनके खेल का संसद के भीतर और बाहर करारा जवाब देगी।'

श्रीमती गांधी ने कहा कि कांग्रेस अपनी लड़ाई जारी रखकर अन्याय के विरुद्ध निरतंर लोहा लेती रहेगी और देश के लोकतांत्रिक चरित्र को कभी कमजोर नहीं होने देगी। दिल्ली में आयोजित इस मार्च के बाद कांग्रेस कार्यकर्ता देश के विभिन्न हिस्सों में इसी तरह के कार्यक्रम आयेाजित करके लोकतांत्रिक ढांचे को कमजोर करने वालों को बेनकाब करेगी। उन्होंने कहा “मुझे जिंदगी ने संघर्ष सिखाया है। चुनौतियों से मुकाबला करना सिखाया है। वे कांग्रेस को हटाने की बात करते हैं लेकिन उन्हें मालूम ही नहीं है कि कांग्रेस किस मिट्टी से बनी है। कांग्रेस ने हमेशा मानवता के लिए खून बहाया है और राष्ट्रविरोधी ताकतों का मुकाबला किया है।” कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस के शासनकाल में देश में गरीबों, किसानों, मजदूरों, महिलाओं और जन सामान्य के जीवन में बुनियादी बदलाव आना शुरू हो गया था लेकिन मोदी सरकार के आने के बाद से सबका बुरा हाल है। सभी लोग परेशान हैं। किसान की हालत सबसे खराब है और वह आत्महत्या करने को मजबूर है। मोदी सरकार ने जन सामान्य की परेशानियों से आंखे बंद कर ली है। सरकार का ध्यान लोगों की परेशानी पर नहीं है जिसके कारण लोगों का परिवार चलाना मुश्किल हो गया है। 

कांग्रेस अध्यक्ष ने मोदी सरकार पर धनबल और बाहुबल के जरिए लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप लगाया और कहा कि इसी का परिणाम है कि अरुणाचल प्रदेश तथा उत्तराखंड में चुनी गयी सरकारों को हटाया गया। इन दोनों राज्यों में चुनी हुई कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकारों को गिराकर लोकतंत्र की बुनियाद ही कमजोर नहीं की गयी बल्कि लोकतंत्र की हत्या हुई है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के जंगलों में भीषण आग लगी हुई है और लोग परेशान हैं लेकिन राज्य में कोई सरकार ही नहीं है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार महिलाओं, कमजोरों और जन सामान्य की लोकतंत्र में भागीदारी कम करने में जुटी हुई है। पंचायत चुनाव लड़ने के लिए दसवीं पास होने की अनिवार्यता शुरू की गयी है। इसका सीधा मतलब है कि मोदी सरकार दलितों और महिलाओं की पंचायत में भागीदारी के विरुद्ध है। दलित और महिलाएं कम पढे लिखे हैं और उन्हीं को निशाना बनाते हुए भाजपा की सरकार ने यह निर्णय लिया है। कांग्रेस अध्यक्ष ने चेतावनी देते हुए कहा “सरकार को यह समझ लेना चाहिए कि पानी जब सिर से ऊपर चला जाता है तो देश के लोग बड़े बड़ों को पानी पिला देते हैं। ये जिस तरह का काम कर रहे हैं उससे साफ हो गया है कि अब इनके दिन लदने शुरू हो गए हैं।”

गरीबों की लड़ाई लड़ेंगे और जीतेंगे : राहुल गांधी

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नयी दिल्ली, 06 मई, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने मजदूरों, गरीबों और किसानों के हित के लिए संघर्ष करने की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए आज भाजपा के ‘अच्छे दिन’ के नारे का मजाक उड़ाया और कहा कि उनकी पार्टी इस तबके की लड़ाई लड़ेगी और जीत भी हासिल करेगी। श्री गांधी ने यहां जंतर मंतर पर आयोजित कांग्रेस की लोकतंत्र बचाओ रैली को संबोधित करते हुए कहा कि देश का करीब 40 फीसदी हिस्सा आज सूखे की चपेट में है। सूखे से परेशान किसान आत्महत्या कर रहे हैं और लगभग 50 किसान हर दिन इस तरह का अतिवादी कदम उठाने को मजबूर हो रहे हैं। लातूर और विदर्भ में सूखे की स्थिति अत्यधिक नाजुक बनी हुई है लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुप्पी साधे हुए हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले श्री मोदी ने एक करोड़ लोगों को रोजगार देने का वादा किया था लेकिन हालात इसके उलट हो गए हैं। पिछले साल महज एक लाख 30 हजार लोगों को ही रोजगार उपलब्ध कराया गया है और मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत 350 लोगों को हर दिन रोजगार दिया जा रहा है। उन्होंने इसे आम जनता के साथ मजाक बताया और कहा कि श्री मोदी ने जो वादे किए थे अब वह उससे मुकर गए हैं। 

कांग्रेस उपाध्यक्ष ने आरोप लगाया कि देश में सिर्फ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और संघ प्रमुख मोहन भागवत ही की चल रही है। इन दोनों के खिलाफ कोई कुछ बोलता है तो उस पर हमला कर दिया जाता है। देश में तानाशाही का माहौल तैयार किया जा रहा है और चुनी हुई सरकारों को जबरन हटाने के लगातार षड़यंत्र चल रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मोदी सरकार तथा भारतीय जनता पार्टी पर कांग्रेस को कमजोर करने के लिए काम करने का आरोप लगाया और कहा कि वे देश को कांग्रेस मुक्त बनाने का सपना देख रही हैं और उनका यह सपना कभी साकार नहीं होगा। उन्होंने कहा कि इसी सपने के तहत अरुणाचल प्रदेश तथा उत्तराखंड के बाद अब हिमाचल प्रदेश की सरकारों को गिराने की साजिश हो रही है।कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष के नेतृत्व में कंधा से कंधा मिलाकर चलेगी और उनके इन मंसूबों को कामयाब नहीं होने दिया जायेगा। पार्टी के राज्यसभा में नेता गुलामनबी आजाद ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार न्यायालय का भी आदर नहीं कर रही है। उन्होंने भाजपा पर देश में भाईचारा खत्म करने का आरोप लगाया और कहा कि मोदी सरकार देश में लोकतंत्र का गला घोंट रही है। लोकसभा में पार्टी के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि मोदी सरकार लोकतंत्र में तानाशाही लाने का प्रयास कर रही है और कांग्रेस नेताओं पर झूठे इल्जाम लगा रही है। उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रयास का कांग्रेस मुंहतोड जवाब देगी। 

अगस्ता को फायदा पहुंचाने के लिए मानकों में बदलाव किये गए : पर्रिकर

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नयी दिल्ली 05 मई, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने लोकसभा में आज कहा कि 12 वीवीआईपी हेलीकॉप्टर खरीद सौदे में इटली की अगस्ता वेस्टलैंड कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए मानकों में बदलाव किये गए, जिससे स्वत: यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि घोटाले में किसका हाथ था। श्री पर्रिकर ने इस संबंध में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर अपने प्रारंभिक वक्तव्य में अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर खरीद मामले से जुड़े तथ्य सदन से साझा करते हुए कहा कि तत्कालीन वायुसेना प्रमुख एस पी त्यागी तथा श्री गौतम खेतान तो छोटे ‘खिलाड़ी’ हैं, जिन्होंने ‘बहती गंगा में केवल हाथ धोया है’, असली बात यह देखना है कि भ्रष्टाचार की यह ‘गंगा’ कहां जाकर समाप्त होती है। रक्षा मंत्री ने कहा, “मैं सदन को आश्वस्त करता हूं कि सरकार इस घोटाले में शामिल किसी व्यक्ति को भी नहीं बख्शेगी। सरकार ऐसे लोगों को बेनकाब करने से पीछे नहीं हटेगी।” उन्होंने करार से संबंधित महत्वपूर्ण तारीखों एवं तथ्यों का हवाला देते हुए कहा कि इस सौदे में नियमों को तोड़ा-मरोड़ा गया और अगस्ता वेस्टलैंड को ध्यान में रखकर मानदंडों में फेरबदल किये गये। उन्होंने तत्कालीन मनमोहन सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अगस्ता के हेलीकॉप्टर ए डब्ल्यू 101 को चुनने तथा इसके प्रतिस्पर्धी निविदाकर्ताओं को दौड़ से बाहर करने के लिए केबिन की 1.8 मीटर की उंचाई के मानदंड को अनिवार्य बनाया गया, जबकि शुरुआती शर्तों में यह वांछनीय नहीं थी। इस कदम से एक ही विक्रेता की स्थिति बन गयी।

श्री पर्रिकर ने कहा कि एक बडी अनियमितता यह बरती गयी कि सौदे की शर्तें अगस्ता वेस्टलैंड इटली के साथ तय हुई और इनका जवाब ब्रिटेन स्थित अगस्ता वेस्टलैंड इंटरनेशनल लिमिटेड से आया। उन्होंने इस बात को लेकर भी सवाल उठाये कि आखिर सौदे को उसी समय रद्द क्यों नहीं किया गया? रक्षा मंत्रालय में उपलब्ध फाइलों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि देश की भौगोलिक परिस्थितयों को देखते हुए इन हेलीकाप्टरों का परीक्षण देश में ही किया जाना अनिवार्य बनाया गया था, लेकिन तत्कालीन सरकार ने इस नियम की अनदेखी करके यह परीक्षण ब्रिटेन में कराये। इतना ही नहीं, ये परीक्षण भी दूसरे हेलीकाप्टर में किये गये। उन्होंने कहा कि देश में परीक्षण नहीं कराये जाने का परिणाम यह हुआ कि अगस्ता से खरीदा गया हेलीकॉप्टर भारत में परीक्षण में असफल हो गया। रक्षा मंत्री ने कहा कि अगस्ता के हेलीकॉप्टर एडब्ल्यू 101 में निर्धारित मानदंडों में बदलाव को नजरअंदाज किया गया। उन्होंने कहा कि विमानों की कीमत में छह गुना बेतहाशा बढोतरी की अनुमति दी गयी। उन्होंने तत्कालीन संप्रग सरकार पर अगस्ता के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने में देरी का आरोप भी लगाया। उन्होंने आरोप लगाया कि तत्कालीन सरकार की उदासीनता के कारण केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस मामले में तेजी नहीं दिखाई और फिनमकैनिका कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) की गिरफ्तारी के बाद ही सरकार पूरी तरह सक्रिय हुई। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद इस मामले से जुड़ी जांच प्रक्रिया में तेजी आई है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी। 

इससे पहले चर्चा की शुरुआत करते हुए भारतीय जनता पार्टी के अनुराग ठाकुर ने कहा कि रक्षा सौदों में धांधली और भ्रष्टाचार में संलिप्तता कांग्रेस की परम्परा रही है। उन्होंने टाट्रा ट्रक सौदा और कुछ अन्य रक्षा सौदों में धांधली का हवाला देते हुए कहा कि अगस्ता वेस्टलैंड को भी फायदा पहुंचाने का प्रयास किया गया। श्री ठाकुर ने सरकार से जानना चाहा कि इस घोटाले में लिप्त लोगों को जेल के सलाखों के पीछे भेजने के लिए वह (सरकार) क्या कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाना चाहिए। भाजपा के ही निशिकांत दुबे ने हेलीकॉप्टरों की खरीद संख्या एसपीजी प्रमुख के कहने पर बढ़ाई गई थी, जो कांग्रेस अध्यक्ष का बहुत नजदीकी था। यह 2004 से 2011 तक एसपीजी के अध्यक्ष रहे और उन्हें बाद में राज्यपाल बना दिया गया। उन्होंने कहा कि अधिकारियों की सलाह के बाद इस सौदे को रद्द किया गया। कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी को झूठे, निराधार और बेबुनियाद आरोप लगाने की आदत है। इस भ्रष्टाचार का खुलासा कांग्रेस ने ही किया था और मोदी सरकार को आये करीब दो वर्ष हो गये हैं, उसमें किसी एक भी व्यक्ति को चिह्नित नहीं किया गया और एक भी पैसा नहीं वसूला गया। तृणमूल कांग्रेस सौगत राय ने यह जानना चाहा कि पिछले डेढ़ साल के दौरान सरकार ने क्या कार्रवाई की और किसी से पूछताछ की गई या नहीं? सरकार ने रिश्वत की वसूली के लिए क्या कदम उठाये? इटली के जज ने अधिकारियों के नाम लिये हैं लेकिन किसी नेता की संलिप्तता का जिक्र नहीं किया है। इस मामले में मोदी सरकार भी पहली सरकार का अनुसरण कर रही है। भाजपा के किरीट सोमैया ने कहा कि बड़े खेद की बात है कि जिस सेना के प्रति पूरा देश श्रद्धा से देखता है, उसका पूर्व मुखिया ही कटघरे में खड़ा है। उन्होंने सौदे की खरीद के लिए एक पार्टी के वास्ते तैयार की गई भूमिका का विवरण भी जानना चाहा। 

मोदी कर रहे है अखिलेश के साथ पक्षपात पूर्ण व्यवहार : मुनव्वर सलीम

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दिनांक 6 मई 2016 को राज्यसभा में समाजवादी पार्टी के तेज़ तर्रार सांसद चौधरी मुनव्वर सलीम ने अपने स्पेशल मेंशन के माध्यम से मोदी सरकार पर उप्र के सूखाग्रस्त 50 ज़िलों के साथ सियासत करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उप्र के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जी ने 23 नवंबर 2015 को 2057 करोड़ रूपये की केंद्र सरकार से मांग की थी लेकिन केंद्र सरकार ने केवल 430 करोड़ रूपये दिए और वह भी सर्वोच्च न्यायलय के हस्तक्षेप के पश्चात, चौधरी मुनव्वर सलीम ने पीने के पानी और खेती के पानी के प्रति मोदी सरकार की लापरवाही की नए अंदाज़ में चर्चा करते हुए पानी का गौरखधंधा शब्द का इस्तेमाल किया और अपनी आदत के मुताबिक़ इस समाजवादी चिंतक ने व्यर्थ बहने वाले पानी और बोतल बंद पानी के व्यापार की तथ्यात्मक चर्चा करते हुए सरकार से जवाब माँगा है पेश है संसद में  दी गयी तक़रीर ---

  • मैं सदन का ध्यान पानी और सूखे की भीषण त्रासदी की जानिब आकर्षित करते हुए सरकार और समाज को उसकी ज़िम्मेदारी का अहसास कराने के लिए खड़ा हुआ हूँ |
  • माननीय एक अख़बारी रिपोर्ट के अनुसार देश में 90% बरसाती पानी ज़ाया हो जाता है लगभग 60% प्रदूषित पानी जनता पी रही है,लाखों तालाब अपना अस्तित्व खो चुके हैं |

माननीय,समाजवादी चिंतक डॉ लोहिया ने नदियों को जोड़ने और पानी को रोकने का मशवरा बरसों पहले सरकार को दिया था | पानी देश में एक गौरखधंधा भी बन गया है इस वर्ष बोतल बंद पानी का धंधा लगभग 160 अरब रूपये का हुआ है जो अगले वर्ष तक 200 अरब रुपयों को भी पार कर सकता है | इस वर्ष प्रदूषित पानी पीने से होने वाली बिमारियों के इलाज के खर्च में निजी स्वास्थ क्षेत्र में व्यवसाइयों ने 10 लाख करोड़ कमाए हैं |
शुद्ध पानी को हर व्यक्ति तक पहुंचाने और हर खेत को सिंचित करने के लिए केंद्र सरकार कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जल संकट से जूझ रहे उप्र के लिए मुख्यमंत्री जी ने जो 2057 करोड़ की सहायता राशि केंद्र से माँगी थी उसका भी एक अंश भर मात्र 430 करोड़ रूपये के रूप में केंद्र ने सर्वोच्च न्यायलय के आदेश के बाद जारी किया है !

माननीय मैं जानता हूँ कि हर धर्म में जल को जीवन कहा गया है और मेरा क़ुरआन सुराह वाक़ै आयत न. 69 में कहता है कि फ़िज़ूल खर्च करने वालों को शैतान के भाई से बैत किया |   मैं सरकार से यह जानना चाहता हूँ की हर व्यक्ति को शुद्ध पानी मयस्सर हो सके इसके लिए सरकार ने क्या योजना बनाई है ? और उस योजना की क्या कोई समय सीमा भी है ?

करीना पर आएगी बुक‘ब्रांड बेबो’

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चारो खान के साथ काम के साथ अभिनय करने वाली अभिनेत्री करीना कपूर की फिल्में ब्लॉकबस्टर रही हैं , और वह अब तक की सबसे महंगी ब्रांड अंबेसडर में से एक हैं. आज की यंग जनरेशन करीना कपूर को अपना स्टाइल आइकॉन मानती हैं। करीना कपूर ने ही फिल्म टशन से साइज जीरो के ट्रेंड की शुरुआत की थी इतना ही नहीं एक लैपटॉप कंपनी ने करीना से प्रेरित हो कर  साइज जीरो लैपटॉप का भी निर्माण किया। और अब शादी के बाद भी वे टॉप स्टाइल आइकॉन की लिस्ट में शामिल है  सूत्रों के हवाले से पता चला है की एक टॉप के पब्लिशर ने करीना कपूर को ‘ब्रांड बेबो’ को पब्लिश करने के लिए अप्रोच किया है.

सूत्रों का मनना है की टॉप पब्लिशर ने करीना कपूर को अपनी बुक  ‘ब्रांड बेबो’ पब्लिश करने के लिए अप्रोच किया है, इस बुक द्वारा करीना के अब  तक के सफर के बारे में बताया गया है किस तरह से उन्होंने सफलता के शिखर तक पहुंची और आज एक सफल अभिनेत्रियों में  उनका भी नाम शामिल है,इस बुक में करीना के सफल फिल्मों का जिक्र किया गया है और किस तरह उनके द्वारा शुरू किये गए ट्रेंड लोगो के बीच प्रचलित हुए ,इतना ही नहीं करीना एक ऐसी अभिनेत्री है जो  शादी के बाद भी सफलता के शिखर पर बनी हुई हैं. करीना कपूर बॉलीवुड की  सबसे हाईएस्ट पेड ब्रांड अम्बेस्डर में से एक हैं।  इस बुक में ये भी बताया जायेगा की किस तरह उन्होंने अपनी प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ में संतुलन बनाए रखा है।

आलेख : बुद्धिष्ट नहीं तो क्या सनातनी हो?

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बिना किसी लागलपेट के मुझे यह मानने और स्वीकारने में कोई हिचक नहीं है कि ओबीसी के महामानव ज्योतिबा फूले के सामाजिक न्याय के आन्दोलन को भारत में केवल और केवल अजा/एससी के अनेक महापुरुषों/महान लोगों ने आगे बढाया और आज भी बढा रहे हैं। अनेक विसंगतियों के बावजूद संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेड़कर का इस क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान है। जिसे कांशीराम जी ने नये आयाम प्रदान किये।

आजादी के बाद सामाजिक न्याय को कांशीराम जी ने वंचित मोस्ट बहुजन वर्ग के साथ जोड़कर कभी न भुलाया जा सकने वाला काम किया। इसके साथ इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि बाबा साहब को मुस्लिमों का अविस्मर्णीय सहयोग मिला, जबकि आदिवासी और ओबीसी का सामाजिक न्याय की शुरूआती लड़ाई में नगण्य योगदान रहा। जिसके अनेक ऐतिहासिक कारण रहे हैं, जिन पर फिर कभी विस्तार से चर्चा की जायेगी।

प्रस्तुत आलेख का मकसद यह है कि अजा के महामानवों ने सामाजिक न्याय के क्षेत्र में जो योगदान किया, उसके कारण अजा की वर्तमान दंभी और डिग्रीदारी अशिक्षित पीढी उसी प्रकार के अहंकार में डूबी हुई नजर आ रही है, जिस प्रकार का अहंकार बामणों में दिखाई देता है। यही कारण है कि खुद को बुद्ध कहने वाले अजा के अधिसंख्य लोग इस बात को तक नहीं समझना चाहते कि महामानव बुद्ध ने मानव जीवन को सुगम बनाने के लिये आवश्यक धर्म को तर्क, सन्देह और सत्य की कसौटी पर कसकर विज्ञान के समक्ष खड़ा कर दिया और उन्होंने अपने उपदेशों से मानवता का बहुत बड़ा उपकार किया। मगर अत्यंत दुःख का विषय है कि ऐसे लोगों को बुद्ध तो याद रहा, लेकिन बुद्ध का------''मानो नहीं, जानों''-----का वैज्ञानिक उपदेश/सिद्धान्त याद नहीं रहा। बाबा साहब और कांशीराम के संघर्ष और योगदान के बदले में वर्तमान में अजा वर्ग की एक जाति विशेष के अनेक अन्धभक्त दंभी लोग सामाजिक न्याय और बुद्ध के नाम पर राजनैतिक मकसद से वंचित वर्ग पर अपने अतार्किक, अनैतिहासिक, अवैज्ञानिक, निराधार, असंगत, असंवैधानिक और कट्टरपंथी विचारों को थोपने पर आमादा हैं। यद्यपि वर्तमान में भी अजा वर्ग में वास्तविक विद्वानों और सच्चे बुद्धिष्ठों की कमी नहीं है। यह अलग बात है कि उनको उसी प्रकार से अनदेखा और अनसुना किया जाकर किनारे लगाया जा रहा है, जैसे कांशीराम जी के सभी साथियों को बसपा से बाहर करके बसपा को सत्ता और धन के लिये 'बामण समाज पार्टी'बनाया जा चुका है।

मैंने एक लेख में विस्तार से लिखा था कि
——"मैं बुद्धानुयायी हूँ, बुद्ध धर्मानुयायी नहीं।"——
जिसे कितने पाठकों ने पढ़कर समझा होगा, ज्ञात नहीं। लेकिन सन्दर्भ के लिये यहां फिर से दोहरा देना जरूरी समझता हूं कि वर्तमान भारत में क़ानून का शासन है। वर्तमान भारत में कानूनी तौर पर बुद्ध धर्म, हिन्दू धर्म की एक शाखा मात्र है। अत: सभी बुद्ध धर्मानुयायियों और सभी अजा के बुद्धिष्ट लोगों को हिन्दू विवाह अधिनियम 1956 की धारा 2 (1) के अनुसार भारत की संसद द्वारा हिन्दू माना गया है। माना जाता है। इसके विपरीत हिन्दू विवाह अधिनियम 1956 की धारा 2 (2) के अनुसार आदिवासी हिन्दू नहीं है। आदिवासी हिन्दू विवाह अधिनियम, 1956 से शासित भी नहीं होता है, क्योंकि आदिवासी भारत के मूलवासियों के वंशज हैं। ज्ञातव्य है कि आदिवासी भारत के मूल मालिक हैं। भारत के मूलवासी हैं। अत: आदिवासियों की आदिम प्रथा और परम्पराएं संसद से भी सर्वोपरि हैं। इस प्रकार भारत के मूलमालिक मूलवासी आदिवासियों की सामाजिक परम्पराओं को भारतीय क़ानून से भी उच्च दर्जा प्रदान किया गया है। ''आखिर मालिक तो मालिक ही होता है।''

इसके उपरान्त भी कुछ ढोंगी और अज्ञानी बुद्धिष्ट राजनीतिक दुराशय केि लिये सामाजिक न्याय की आड़ में बुद्ध धर्म के प्रचार में लिप्त हैं और भारत को बुद्धमय बनाने पर आमादा हैं। जिसके लिये छल—कपट का भी सहारा लिया जा रहा है। ऐसे लोग खुद नहीं जानते कि बुद्ध धर्म हिन्दू धर्म की एक शाखा मात्र है। ऐसे लोग खुद को भारत के मूल मालिक बतलाकर अहिंदू आदिवासी, ओबीसी और अल्पसंख्यकों पर भी बुद्ध धर्म थोपने के लिये नये—नये षड़यंत्र रचते रहते हैं। बुद्ध का सहारा लेकर बेसिरपैर की बात करने वाले ऐसे अंधभक्त और रुग्ण लोग बुद्ध के तर्क के सिद्धान्त को जानते तक नहीं और इनकी निराधार कट्टरपंथी बातों से असहमत होने पर ''अपरिपक्व और मूर्खतापूर्ण व्यक्तव्य जारी करते हैं। जैसे कि--

आदिवासी बुद्धिष्ट नहीं तो क्या सनातनी है?

इसी प्रकार के चालाक और शातिर लोगों के गिरोह ने 'मूलवासी'के स्थान पर कूटरचित 'मूलनिवासी'शब्द की गढ लिया है और ये लोग सत्ता हासिल करने के लिये येनकेन प्रकारेण सामाजिक न्याय की संवैधानिक अवधारणा को तहस-नहस करने में जुटे हुए हैं। इनका मकसद केवल बुद्ध धर्म का दिखावटी प्रचार और खुद के विदेशी पूर्वजों को भारतीय मूल के सिद्ध करके संघ और अपने सम्बन्धी सवर्ण मूलवंशी आर्य मनुवादियों के सहयोग से भारत की सत्ता पर काबिज होना है। लगता नहीं ऐसे लोगों ने हिन्दू विवाह अधिनियम के उक्त प्रावधानों के साथ-साथ भारत के संविधान की अनुसूची 5 और 6 को पढ़कर कभी बिना पूर्वाग्रह के समझा होगा? लगता नहीं कि इन्होंने कभी संविधान के अनुच्छेद 13 में वर्णित विधि की परिभाषा को पढा होगा?

जबकि इनको शायद ज्ञात नहीं कि बुद्ध जैसे प्यारे, निर्मल और महान व्यक्ति से कौन दूरी बनाना चाहेगा। बुद्ध जैसे लोग मानवता के सच्चे रक्षक हैं। बुद्ध हजारों सालों में जन्मने वाले हीरा हैं। बुद्ध की प्रासंगिकता केवल भारत में ही नहीं संसार में सदैव बनी रहेगी। मगर बुद्ध को वोट बैंक बनाने वाले, वर्तमान नवबौद्ध, बुद्ध के विचारों के असली विनाशक हैं। ऐसे लोग बुद्ध को बदनाम कर रहे हैं।

ऐसे लोग और ऐसे रुग्ण विचारों के लोगों को भ्रमित करने वाले शातिर लोग वर्तमान में बुद्ध और सामाजिक न्याय के असली दुश्मन हैं। मुझे संदेह होता है कि इनके असली आकाओं का रिमोट कहीं संघ तो नहीं? अन्यथा संविधान द्वारा संरक्षित आदिवासी—मूलवासी को कूट रचना करके ये लोग मूलनिवासी बनाने की हिमाकत नहीं करते और खुद हिन्दू होकर अपने आपके पूर्वजों को अहिंदू नहीं बतलाते? खुद आर्य होकर अपने आप को अनार्य नहीं बतलाते? खुद सवर्ण होकर अपने आप को असवर्ण नहीं बतलाते? भारत के ओबीसी, आदिवासी और मुसिलमों को दलित नहीं बतलाते? सामाजिक आयोजनों में आदिवासी को हिन्दू बनाने के लिए तथा ओबीसी एवं मुस्लिमों को बौद्ध बनाने के लिये बिना विचारे नमो बुद्धाय का जाप नहीं करते। इनको नहीं पता कि प्रकृति पुत्र आदिवासी जो 'रियल ऑनर ऑफ़ इंडिया'है को बुद्ध के नाम पर हिन्दू बनाने का इनका षड्यंत्रपूर्ण सपना कभी पूरा नहीं होगा। कूटरचित 'मूलनिवासी'षड़यंत्र के बहाने भारत का 'मूलवासी'बनना असंम्भव है। इनके षड़यंत्रों पर संविधान की अनुसूची 5 एवं 6 का ताला लगा हुआ है, जो इनके 'मूलवासी'में प्रवेश को हमेशा को प्रतिबन्धित करता है।




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डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
संपर्क : 9875066111

व्यंग्य : इक जग - दुनिया बहुतेरे...!!

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छात्र जीवन में दूसरी , तीसरी और चौथी दुनिया की बातें सुन मुझे बड़ा आश्चर्य होता था। क्योंकि अपनी समझ से तो दुनिया एक ही है। फिर यह दूसरी - तीसरी और चौथी दुनिया की बात का क्या मतलब। लेकिन बात धीरे - धीरे समझ में आने लगी। इस मुद्दे पर ज्यादा सोचने पर मैं अपने बचपन में लौट जाता जब गांव जाने पर हमें मालूम पड़ता कि यह ब्राह्मणों का गांव है और यह ठाकुरों का । यह फलां जाति का तो यह फलां वर्ग का। उम्र बढ़ने के साथ मैं अच्छी तरह से समझ गया कि एक जग मे अनेक दुनिया है। इस साल की भयावह गर्मी ने यह बात एक बार फिर साबित कर दी। पहले मौसम के अलग - अलग पैमाने थे। देश के कुछ हिस्सों में भीषण ग र्मी और  सर्दी दोनों पड़ती। जबकि कुछ हिस्सों में दोनों सहने लायक।मेरी जन्मभूमि और कर्मभूमि में यह अंतर हमेशा दिखाई देता रहता। 

लेकिन कुदरत जैसे अब इस मामले में साम्यवाद लाने पर आमादा है। मौसम की भृकुटि अब हर जगह एक समान तनी रहती है। कम से कम ग र्मी के मामले में तो प्रकृति का भेदभाव खत्म होता नजर आ रहा है। देवभूमि उत्तरांचल में भीषण आग का कहर तो लातूर में पानी का अनमोल बनना ही नहीं देखा। इस साल भीषण ग र्मी के दौरान जीवन संध्या की दहलीज पर पहुंच चुके बुर्जुर्गों को हर दिन की सुबह से ही पानी की तलाश में इधर - उधर भटकता देख जीवन से ही वितृष्णा सी होने लगी। लेकिन इसी बीच दूसरी दुनिया से छन - छन कर आने वाली खबरें तपते रेगिस्तान में ठंडे पानी की फुहार सी प्रतीत होती रही।गर्मी चाहे जितनी ही क्यों न पड़े देश के क्रिकेट खिलाड़ियों को आइपीएल में पसीना बहाते देख काफी प्रेणा मिलती है। भले ही इस पसीने के एवज में हम जैसे मामूली जीवों को एक धेले का भी लाभ न हो। खैर पहली खबर से पता चला कि राजनेताओं के चहेते एक अभिनेता को अंतर राष्ट्रीय मंच पर देश के प्रतिनिधित्व का मौका मिला है। कुछ लोग इसका स्वागत कर रहे हैं तो कुछ नाक - भौं भी सिकोड़ रहे हैं। यह विडंबना ही है कि हर सीट पर अपने - अपने क्षेत्र के कथित सफल यानी  चुनिंदा ताकतवर लोगों का ही कब्जा होता जा रहा है।

अभी कुछ दिन पहले एक केंद्रीय संस्थान में सरकार ने एक गुमनाम से कलाकार को कोई पद दे दिया। तो इस पर भी बड़ा बवाल हुआ।महीनों तक लगातार विरोध - प्रदर्शन होते रहे। लेकिन मेरी नजर तो प्रदर्शन से ज्यादा उस बेचारे कलाकार की हालत पर ही टिकी रही जो करीब चार दशक पहले एक धारावाहिक से थोड़ा - बहुत चर्चित हुआ था। हालांकि धारावाहिक खत्म होने के बाद वह लगभग गुमनाम ही रहा। अरसे बाद बेचारे को एक पद क्या मिला चारो तरफ जबरदस्त प्रदर्शन शुरू हो गया।  एक और खबर आई कि एक हीरो अपनी ग र्भवती पत्नी को लेकर लॉंग ड्राइव पर निकल चुका है। तो दूसरे में बताया गया कि कुछ सेलीब्रेटीज अपने - अपने बाल - बच्चों के साथ छुट्टियां मनाने विदेश के मनोरम स्थलों में पहुंच चुके हैं। वहीं से उन लोगो ने अपने चाहने वालों के लिए कुछ तस्वीरें भी पोस्ट की है। गर्मी से त्रस्त - पस्त उनके चाहने वालों को ये तस्वीरें जरूर कुछ न कुछ राहत पहुंचाने का कार्य करेगी कि हाय रे किस्मत जिस स्थान पर जाना तो दूर , जिसकी तस्वीर भी अपनी किस्मत में नहीं वहां कम से कम हमारा चहेता कलाकार तो मजे कर रहा है। असह्य गर्मी में ठंडी फुहार जैसी ठंडक पहुंचाने वाली खबरों का यह सिलसिला यही नहीं रुका। एक और खबर आई कि उन्मुक्त विचारों वाली एक चर्चित अभिनेत्री आखिरकार सात फेरों के बंधन में बंध ही गई। इस अवसर पर नव - परिणिता वर - वधू के बड़ी संख्या में पूर्व प्रेमी और पत्नियां भी उपस्थित रही। सचमुच अब मुझे विश्वास होने लगा है कि इक जग में बहुतेरे दुनिया बसती है। जिस समय सामान्य जनों की दुनिया में त्राहि मा्म जैसी स्थिति होती है वहीं दूसरी दुनिया में हालात इसके बिल्कुल विपरीत होते हैं।






तारकेश कुमार ओझा, 
खड़गपुर (पशिचम बंगाल)
संपर्कः 09434453934, 9635221463
लेखक पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रहते हैं और वरिष्ठ पत्रकार हैं।
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