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ममता बनर्जी 27 मई को लेंगी शपथ

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कोलकाता 20 मई, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने आज राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी से यहां राजभवन में मुलाकात कर उन्हें पार्टी विधायक दल का फिर से नेता चुने जाने संबंधी प्रमाणपत्र सौंपा और राज्य में नयी सरकार के गठन का दावा पेश किया। सुश्री बनर्जी के साथ पार्टी के वरिष्ठ नेता सुब्रत बख्शी, सांसद सुदीप बंदोपाध्याय, पार्थ चटर्जी और सुब्रत मुखर्जी भी थे। सुश्री बनर्जी ने राज्यपाल काे यह भी बताया कि वह 27 मई को शपथ ग्रहण करेंगी और यह समारोह रेड रोड पर आयोजित किया जायेगा ताकि अधिक से अधिक लोग इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बन सकें। इससे पहले पार्टी के निर्वाचित विधायकों की बैठक में सुश्री बनर्जी को सर्वसम्मति से पार्टी विधायक दल का नेता चुना गया। उल्लेखनीय है कि पांच साल पहले 27 मई को ही सुश्री बनर्जी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।



नीट के समर्थन में केजरीवाल ने मोदी को लिखा पत्र

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नयी दिल्ली 20 मई, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (नीट) को बंद करने के लिए अध्यादेश नहीं लाये जाने की माँग की है। श्री केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आज एक पत्र लिखा है जिसमें उच्चतम न्यायालय के नीट परीक्षा को रद्द नहीं करने के आदेश का उल्लेख है। उन्होंने कहा है कि नीट को बंद करने का अध्यादेश नहीं लाया जाना चाहिये। सभी छात्र चाहते हैं कि यह परीक्षा लागू हो। यदि इसे रद्द किया गया तो लोगों में यह संदेश जायेगा कि केंद्र सरकार कालाधन संचय करने वालों का साथ दे रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कई पार्टियों के सांसदों और नेताओं के अपने निजी मेडिकल कॉलेज चल रहे हैं। इनमें कुछ अच्छे भी हैं, लेकिन कुछ में पैसे का गोरखधंधा चल रहा है। इसलिए, वे नहीं चाहते कि नीट परीक्षा हो।


उबेर कप : चीन की दीवार पार न कर सका भारत

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कुनशान,(चीन), 20 मई , भारतीय महिला टीम का प्रतिष्ठित उबेर कप बैडमिंटन टूर्नामेंट में शानदार अभियान शुक्रवार को शीर्ष वरीयता प्राप्तचीन की दीवार से टकराकर थम गया। भारतीय टीम को इस मुकाबले में 0-3 से हार का सामना करना पड़ा।चीन की दीवार पार न कर सका भारत कुनशान,(चीन), 20 मई (वार्ता) भारतीय महिला टीम का प्रतिष्ठित उबेर कप बैडमिंटन टूर्नामेंट में शानदार अभियान शुक्रवार को शीर्ष वरीयता प्राप्तचीन की दीवार से टकराकर थम गया। भारतीय टीम को इस मुकाबले में 0-3 से हार का सामना करना पड़ा। चीन ने यह मुकाबला जीतकर उबेर कप के फाइनल में जगह बना ली। सायना नेहवाल और पीवी सिंधू को एकल मैचों में तथा ज्वाला गुट्टा और एन सिक्की रेड्डी की जोड़ी को युगल में हार का सामना करना पड़ा। भारतीय टीम को लगातार दूसरी बार उबेर कप के सेमीफाइनल में हार झेलनी पड़ी। वर्ष 2014 में दिल्ली में हुये उबेर कप मुकाबलों में भारतीय टीम को सेमीफाइनल में जापान से पराजित होना पड़ा था।


भारत की शीर्ष और विश्व में आठवीं रैंकिंग की सायना ने ओलंपिक चैंपियन और तीसरी रैंकिंग की ली जुईरुई के खिलाफ एक घंटे चार मिनट तक चले मैराथन मुकाबले में कड़ा संघर्ष किया लेकिन वह एकबार फिर जुईरुई से पार नहीं पा सकीं। चीनी खिलाड़ी ने यह मैच 21-15,12-21,21-17 से जीता। सायना और जुईरुई के बीच यह 14 वां करियर मुकाबला था और चीनी खिलाड़ी को अब 12-2 की बढ़त हासिल हो गयी है। सायना चीनी खिलाड़ी से पिछले आठ मुकाबलों में एक बार भी नहीं जीत पायी हैं1 जुईरुई ने सायना को इस साल इंडिया ओपन में भी हराया था। सायना ने आखिरी बार जुईरुई से जून 2012 में इंडोनेशिया ओपन में जीत हासिल की थी। उसके बाद से लगभग चार साल गुजर चुके हैं लेकिन भारतीय खिलाड़ी जुईरुई का तोड़ नहीं ढूंढ पायी हैं। पहला गेम 15-21 से हारने के बाद सायना ने वापसी करते हुये दूसरा गेम 8-8 की बराबरी के बाद लगातार नौ अंक लेते हुये 21-12 से जीत लिया। निर्णायक गेम में दोनों खिलाड़ियों के बीच जबरदस्त संघर्ष हुआ । सायना के पास इस गेम में 8-6 ,11-9 और 13-11 की बढ़त थी लेकिन जुईरुई ने लगातार पांच अंक लेकर 16-13 की बढ़त बनाई और यह गेम 21-17 पर जीतकर चीन को 1-0 से आगे कर दिया। 


सायना की हार के बाद विश्व रैंकिंग में 10 वें नंबर की खिलाड़ी सिंधू से काफी उम्मीदें थीं लेकिन वह भी वांग शिजियान के सामने 50 मिनट में अपने हथियार डाल बैठीं। शिजियान ने यह मैच 21-13,23-21 से जीतकर चीन को 2-0 से आगे कर दिया। सिंधू की छठी रैंकिंग की शिजियान के खिलाफ 10 करियर मुकाबलों में यह छठी पराजय थी। सिंधू इस साल जर्मन ओपन में भी शिजियान से हारी थीं। चीनी खिलाड़ी ने पहले गेम में सिंधू को कोई मौका नहीं दिया और इस गेम को आसानी से 21-13 से जीत लिया। शिजियान ने इस गेम में 8-3 की बढ़त बनाने के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार अपनी बढ़त मजबूत करते हुये एकतरफा अंदाज में गेम समाप्त कर दिया1 सिंधू ने दूसरे गेम में लगातार दबदबा बनाया लेकिन निर्णायक मौकों पर आकर उन्होंने अंक गंवाये और चीनी खिलाड़ी को वापसी करने का मौका दे दिया। सिंधू के पास इस गेम में 12-4 और 18-8 की बड़ी बढ़त थी लेकिन शिजियान ने लगातार आठ अंक लेकर स्कोर 16-18 किया और फिर दूसरा गेम 23-21 से समाप्त करते हुये मैच जीत लिया। तीसरे मैच में ज्वाला और अश्विनी की जोड़ी एक साथ नहीं उतरी और भारत को इसका नुकसान उठाना पड़ा। ज्वाला और एन सिक्की रेड्डी को तियान किंग और झाओ युनलेई ने मात्र 25 मिनट में 21-6,21-6 से धेाकर चीन को 3-0 से जीत दिलाते हुये फाइनल में पहुंचा दिया। चीन की टीम लगातार 17 वीं बार फाइनल में पहुंची है जिसमें उसने 13 बार खिताब जीता है। चीन का फाइनल में कोरिया और जापान के बीच दूसरे सेमीफाइनल के विजेता के साथ मुकाबला होगा। 

ब्रावो और गेल ने वेस्टइंडीज टीम चयन पर जतायी नाराज़गी

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नयी दिल्ली, 20 मई, वेस्टइंडीज के स्टार आलराउंडर ड्वेन ब्रावो और धुरंधर ओपनर क्रिस गेल ने अगले महीने होने वाली त्रिकोणीय श्रंखला के लिये वेस्टइंडीज टीम चयन को लेकर नाराजगी व्यक्त करते हुये चयनकर्ताओं को हास्यास्पद बताया। तीन जून से वेस्टइंडीज की मेजबानी में शुरू हो रही इस त्रिकोणीय श्रंखला की अन्य दो टीमें आस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका हैं। त्रिकोणीय सीरीज के लिये घोषित टीम में ब्रावो के अलावा विस्फोटक बल्लेबाज क्रिस गेल को भी बाहर रखा गया है। ब्रावो ने इस पर हैरानी जताते हुये कहा, “चयनकर्ताओं का टीम चयन का कोई पैमाना नहीं है। कीरोन पोलार्ड और स्पिनर सुनील नारायण चयनकर्ताओं की नजर में पहले उपयुक्त नहीं थे लेकिन अब उन्हें टीम में शामिल कर लिया गया जबकि लगातार अच्छे प्रदर्शन के बावजूद मुझे नजरअंदाज किया गया। इस मामले को गंभीरता से लेने की जरूरत है।”

त्रिकोणीय सीरीज के लिये टीम की कमान जैसन होल्डर को सौंपी गयी है। ब्रावो इस समय आईपीएल-9 में गुजरात लॉयंस टीम का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि पोलार्ड और सुनील नारायण पिछले कुछ समय से 50 ओवर फार्मेट के क्रिकेट मैच में नहीं खेले हैं। इसके बावजूद उन्हें वेस्टइंडीज टीम का हिस्सा बनाया गया है। गेल ने कहा, “डब्ल्यूआईसीबी ने सुनील को पहले सुपर 50 में खेलने से रोका और अब उन्हें टीम में शामिल कर लिया। कीरोन पोलार्ड और सुनील त्रिकोणीय श्रंखला के लिये वेस्टइंडीज टीम का हिस्सा हैं। यह कैसे संभव हैं।” गेल फिलहाल आईपीएल-9 के लिये भारत में हैं और विराट कोहली की कप्तानी वाली टीम रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु का हिस्सा हैं। अपने चयन के बारे में पोलार्ड ने कहा, “बिंगाे कहूं या पिंगो लेकिन मेरे लिये शायद खुशकिस्मत दिन।” पोलार्ड आईपीएल-9 में मुुंबई इंडियंस की तरफ से खेल रहे हैं।

दूती चंद का गोल्डन डबल, भारत को नौ पदक

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ताओयुआन सिटी (ताइपे), 20 मई (वार्ता) 100 मीटर में राष्ट्रीय रिकॉर्डधारी दूती चंद ने ताईवान ओपन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में शुक्रवार को 200 मीटर दौड़ जीतकर ‘गोल्डन डबल’ पूरा किया जबकि भारत ने इस प्रतियोगिता में चार स्वर्ण सहित कुल नौ पदक जीते। भारत ने इस चैंपियनशिप में चार स्वर्ण, तीन रजत और दो कांस्य पदक अपने नाम किये। दूती चंद ने 100 मीटर और 200 मीटर फर्राटा दौड़ जीतकर गोल्डन डबल पूरा किया। दूती ने 200 मीटर में 23.52 सेकेंड का समय लेकर जीत हासिल की। उन्होंने कल 100 मीटर दौड़ का स्वर्ण भी जीता था। श्रावणी नंदा ने 200 मीटर में 23.55 सेकेंड के साथ रजत और ज्योति एचएम ने 23.92 सेकेंड के साथ कांस्य पदक जीता। पुरुष डिस्कस थ्रो में कृपाल सिंह ने 58.20 मीटर की थ्रो के साथ स्वर्ण जीता। अर्जुन ने 55.50 मीटर की थ्रो के साथ रजत जीता। पुरुष गोला फेंक में कोरिया के इल वू जुंग ने 18.12 मीटर की थ्रो के साथ स्वर्ण जीता। राष्ट्रीय रिकॉर्डधारी आेम प्रकाश करहाना ने 17.85 मीटर तक गोला फेंक रजत जीता। पुरुषों की तिहरी कूद में अरीवूसेलम 15.62 मीटर की छलांग के साथ तीसरे स्थान पर रहे। भारत ने प्रतियोगिता के दूसरे और अंतिम दिन दाे स्वर्ण, तीन रजत और दो कांस्य पदक जीते।


सुरेश प्रभु ने पटना स्टेशन पर शुरु की वाई-फाई इंटरनेट सेवा

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पटना,20 मई, रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने आज पटना रेलवे स्टेशन पर इंटरनेट की वाई-फाई सेवा शुरू की । श्री प्रभु ने रेल भवन,नयी दिल्ली से रिमोट के जरिए पटना रेलवे स्टेशन पर इंटरनेट की वाई-फाई सेवा की शुरूआत की। रेल मंत्री ने इसके साथ ही रांची और विशाखापट्टनम रेलवे स्टेशन के लिए भी वाई-फाई सेवा शुरु की। यात्रियों को इन रेलवे स्टेशनों पर यह सेवा 20 मिनट तक निशुल्क उपलब्ध होगी । इसके बाद इस सेवा का इस्तेमाल करने पर मामूली शुल्क लगेगा । 


पूर्व मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी अरविंद रजक ने बताया कि पटना स्टेशन पर वाई-फाई सेवा चौबीसों घंटे उपलब्ध रहेगी ।उन्होंने बताया कि रेल-टेल ने इस परियोजना को पूरा किया है । पटना रेलवे स्टेशन पर वाई-फाई सेवा शुरु करने के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में केन्द्रीय पेयजल एवं स्वच्छता राज्य मंत्री राम कृपाल यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देश पर श्री प्रभु रेल यात्रियों के लिए सुविधाओं को बढ़ाने का निरन्तर प्रयास कर रहे हैं । आज पटना समेत तीन स्टेशन पर वाई-फाई सेवा शुरु की गयी है तथा उम्मीद है जल्द ही कई और स्टेशन इस सेवा से आच्छादित कर दिये जायेंगे । उन्होंने कहा कि पटना स्टेशन पर वाई-फाई सेवा शुरु हो जाने से यात्रियों को बड़ी सहूलियत होगी ।इस मौके पर पूर्व मध्य रेलवे के महाप्रबंधक ए के मित्तल एवं रेलवे के कई वरिष्ठ अधिकारी और गणमान्य लोग उपस्थित थे । 

नीतीश का प्रधानमंत्री बनने का सपना पूरा होने वाला नहीं : रामकृपाल

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पटना,20 मई, केन्द्रीय पेयजल एवं स्वच्छता राज्य मंत्री और भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के वरिष्ठ नेता राम कृपाल यादव ने आज कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्य की कानून-व्यवस्था की बदतर स्थिति की परवाह किये बगैर प्रधानमंत्री बनने के अपने सपने को पूरा करने के एक मात्र एजेंडे पर लगे हुए हैं लेकिन वह साकार होने वाला नहीं है । श्री यादव ने पटना रेलवे स्टेशन पर वाई-फाई इंटरनेट सेवा शुरु करने के कार्यक्रम में शामिल होने के बाद संवाददाताओं से कहा कि बिहार में आपराधिक घटनायें थमने का नाम नहीं ले रहीं हैं लेकिन श्री कुमार कानून-व्यवस्था की स्थिति पर ध्यान देने के बजाय अपनी छवि चमकाने में लगे रहते हैं । प्रधानमंत्री बनने के सपने के एकमात्र एजेंडे को पूरा करने में श्री कुमार लगे हैं लेकिन वह कामयाब नहीं होंगे । केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि श्री कुमार की पार्टी जनता दल यूनाईटेड(जदयू) ने हाल ही में पांच राज्यों में हुए चुनावों में जहां-जहां अपने उम्मीदवार खड़े किये,वहां बुरी तरह पराजित हुए हैं । इससे स्पष्ट है कि जदयू का बिहार के बाहर कोई वजूद नहीं है । 


भाजपा नेता श्री यादव ने कहा कि अब तो महागठबंधन के घटक राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता तसलीमुद्दीन और रघुवंश प्रसाद सिंह भी राज्य की कानून-व्यवस्था की खराब स्थिति से काफी चिंतित होकर श्री कुमार की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा रहे हैं । उन्होंने कहा कि बिहार में हत्या,लूट और वाहनों को आगे न निकलने देने पर गोलीबारी आम बात होती जा रही है ।आपराधिक घटनाओं के बढ़ने से राज्य की छवि बुरी तरह प्रभावित हो रही है । केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के डिजिटल इंडिया के कार्यक्रम के तहत राशन कार्ड को आधार कार्ड से जोड़ने से देश में 16 करोड़ फर्जी राशनकार्ड पकड़े गये जिससे 14 हजार करोड रुपये की सब्सिडी की रकम की बचत हो रही है। उन्होंने कहा कि पंचायतों को डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत इंटरनेट सेवा से जोड़ा जा रहा है । इसके पूरा हो जाने से ग्रामीण क्षेत्रों में भी इंटरनेट की सुविधा आसानी से उपलब्ध हो जायेगी और लोगों के तरह-तरह के काम बहुत आसानी से होने लगेंगे । श्री यादव ने कहा कि रेल मंत्री सुरेश प्रभु रेल सेवाओं में अधिक से अधिक आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल पर जोर दे रहे हैं । रेलवे स्टेशन पर वाई-फाई सेवा शुरु करना इसी की एक कड़ी है । पटना,रांची और विशाखापट्टनम स्टेशन पर आज वाई-फाई सेवा के शुरु हो जाने के बाद जल्द ही अन्य स्टेशन पर भी यह सुविधा यात्रियों को मिलने लगेगी । 

व्हाइट हाउस के बाहर हथियारबंद व्यक्ति गिरफ़्तार

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वाशिंगटन21 मई, अमेरिका में पुलिसकर्मियों ने राष्ट्रपति भवन व्हाइट हाउस के बाहर हुई गोलीबारी की घटना में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है।पुलिस के मुताबिक खुफिया सेवा के एक एजेंट ने मुख्य भवन के पास चेकपोस्ट पर एक हथियारबंद शख्स को गोली मार कर घायल कर दिया। पुलिस की गोली से घायल व्यक्ति को स्थानीय अस्पताल ले जाया गया है, अधिकारियों का कहना है कि उसकी हालत गंभीर है। 



गाेलीबारी कांड के बाद कुछ देर के लिए व्हाइट हाउस को बंद कर दिया गया लेकिन अब उसे दोबारा खोल दिया गया है। उस वक्त अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा मैरीलैंड में गोल्फ खेल रहे थे जबकि उपराष्ट्रपति जो बाइडेन उस वक्त व्हाइट हाउस में ही मौजूद थे।


विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर (20 मई)

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ई-गवर्नेंस सोसाइटी बैठक संपन्न

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झाबुआ । विगत 18 मई को कलेक्टर सभाकक्ष में बैठक आयोजित की गई। बैठक में देहलि यू.आई.डी से आये एप्लीकेशन अनालिस्ट आर.ओ. श्री कमलेश्वर केशरी के साथ ई-गवर्नेस सोसाइटी झाबुआ, लोकसेवा विभाग झाबुआ, एन.आई.सी. झाबुआ, महिला एवं बाल विकास विभाग, खाद्य आपूर्ति विभाग एवं सामाजिक न्याय विभाग के अधिकारी उपस्थित थे। बैठक में आधार कार्ड, आधार एडवांस सर्च एवं आधार सीडिंग के भविष्य में होने वाले लाभ के बारे में चर्चा की गई। बैठक का सबसे मुख्य बिन्दु आधार एडवांस सर्च रहा। श्री कमलेश्वर केशरी द्वारा बताया गया है कि यदि किसी का आधार कार्ड भारतीय डाक द्वारा प्राप्त नहीं हुआ है तो आधार बनवाते समय, मिलने वाली पावती में दर्ज पंजीयन संख्या से भी आधार नंबर पता किया जा सकता है, इसके अलावा यदि किसी व्यक्ति की पावती गुम हो जाती है तो एडवांस सर्च से आधार कार्ड बनाते समय दर्ज कराये गये मोबाइल नंबर एवं पूरा नाम, पता, पिन कोर्ड, जन्म तिथि आदि की सहायता से भी आधार नंबर पता किया जा सकता है, जिले में आधार 2015 की अनुमानित जनसंख्या के आधार पर 93 आधार पंजीयन पूरा हो चूका है, बैठक में बताया गया है कि आने वाले समय में सरकार की लगभग हर योजनाओं का लाभ लेने हेतु आधार कार्ड अनिवार्य रूप से होना जरूरी होगा। अभी एडवांस आधार सर्च के द्वारा आधार नंबर सर्च करने की सुविधा इन अधिकारियों द्वारा दी जा रही है। जिला प्रबंधक ई-गवर्नेस झाबुआ 7509129772, सहायक प्रबंधक ई-गवर्नेस मेघनगर 9752298533, सहायक प्रबंधक ई-गवर्नेस थांदला 8878276144, सहायक प्रबंधक ई-गवर्नेस पेटलावद 9926072381, सहायक प्रबंधक ई-गवर्नेस रानापुर 9407406702, सहायक प्रबंधक ई-गवर्नेस रामा 9826758451 एवं डी.एस.मीना डिस्टिक्ट ई.गवर्नेस मनेजर झाबुआ एम पी स्वान हेल्प डेस्क 07552518411-12 पर की जावेगी।


नवीन कन्या खेल परिसर में 100 सीटो के लिये प्रवेश चयन प्रक्रिया

झाबुआ । सहायक आयुक्त आदिवासी विकास श्रीमती शकुन्तला डामारे ने बताया कि आदिवासी विकास विभाग द्वारा प्रदेश के आदिवासी बालिकाओं की खेल प्रतिभा को विकसित करने के लिए बालिका खेल परिसर कन्या उ.मा.वि. झाबुआ में प्रवेश वर्ष 2016-17 हेतु बालिकाओं की 100 रिक्त सीटो के लिए प्रवेश चयन प्रक्रिया निर्धारित की गई है। जिसमें कक्षा 6 टी तथा कक्षा 9 वी में 14 वर्ष से कम आयु उम्र के अनुसूचित जनजाति के मध्यप्रदेश के किसी भी संभाग के खेलकूद में प्रतिभावान खिलाडियों को शारीरिक क्षमता मापदण्डों के आधार पर भर्ती की जाना है। विकासखण्ड स्तर पर चयन हेतु जिले के विकासखण्डों के पीटीआई का क्लीनिक टेस्ट उत्कृष्ट विद्यालय परिसर में किया गया। विकासखण्ड स्तरीय चयन विकासखण्ड के प्राचार्य उत्कृष्ट विद्यालय/खण्ड शिक्षा अधिकारी के मार्गदर्शन में विकासखण्ड पीटीआई द्वारा संबंधित विकासखण्ड में किया जावेगा, जिसकी चयन सूची प्राचार्य खेल परिसर कन्या झाबुआ को चयनित छात्राओ के आवेदन पत्र की प्रविष्टियां पूर्ण कर 28 मई 2016 तक अनिवार्यतः प्रस्तुत की जावेगी एवं चयनित छात्रों को विकासखण्ड के पीटीआई/संस्था प्रधान के साथ फाइनल चयन हेतु खेल परिसर कन्या झाबुआ में प्रातः 9.00 बजे तक उपस्थित होना अनिवार्य किया गया है। फाइनल चयन 30 मई 2016 को विकासखण्ड से चयनित तथा अन्य जिलों से आने वाले खिलाडियों का खेल परिसर मैदान कन्या झाबुआ पर प्रातः 9.00 बजे किया जावेगा। छात्रों को निर्धारित प्रारूप में आवेदन करना होगा, जो कि विकासखण्ड के खण्ड शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में से प्राप्त किया जाकर कार्यालय समय में जमा किया जा सकता है। विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी अपनी अधीनस्थ आश्रम शाला/विकासखण्ड के कक्षा  5 वी एवं 8 वी उत्तीर्ण खेल प्रतिभावान खिलाडियों को सम्मिलित कराना सुनिश्चित करे। वर्ष 2016-17 में नवीन कन्या क्रीडा परिसर झाबुआ में छात्राओं के प्रवेश चयन प्रक्रिया विकासखण्ड स्तर पर आयोजित किये जाने हेतु विकासखण्ड स्तर पर नोडल अधिकारी एवं व्यायाम शिक्षको को नामांकित किया गया है। विकासखण्ड थांदला के नोडल अधिकारी श्री मूलचन्द गुप्ता प्राचार्य शा.उत्कृष्ट उ0मा0वि0 थांदला एवं श्री जगत शर्मा व्यायाम शिक्षक शा.उत्कृष्ट उ0मा0वि0थादंला, विकासखण्ड मेघनगर के नोडल अधिकारी श्री श्री बी.एन.शर्मा प्राचार्य शा.उत्कृष्ट उ0मा0वि0 मेघनगर एवं श्री श्री तेजिया डामर व्यायाम शिक्षक शा.उत्कृष्ट उ0मा0वि0मेघनगर, श्री जोसफ मावी व्यायाम शिक्षक शा0कन्या उ0मा0वि0 मेघनगर, विकासखण्ड पेटलावद के नोडल अधिकारी श्री पीटर रेब्लो प्राचार्य शा.उत्कृष्ट उ0मा0वि0 पेटलावद एवं श्री युगेन्द्रदत्त पुरोहित व्यायाम शिक्षक शा.उत्कृष्ट उ0मा0वि0पेटलावद, विकासखण्ड रानापुर के नोडल अधिकारी श्री श्रीकृष्ण शर्मा प्राचार्य शा.उत्कृष्ट उ0मा0वि0 रानापुर एवं श्री के0एल0जाटव व्यायाम शिक्षक शा.उत्कृष्ट उ0मा0वि0रानापुर, विकासखण्ड रामा के नोडल अधिकारी श्री एच0पी0 श्रीवास्तव प्राचार्य शा.उत्कृष्ट उ0मा0वि0 थांदला एवं श्री मनोज पाठक व्यायाम शिक्षक शा.क0उत्कृष्ट उ0मा0वि0रामा, विकासखण्ड झाबुआ के नोडल अधिकारी श्रीमती आयशा कुरैशी प्राचार्य शा.उत्कृष्ट उ0मा0वि0 झाबुआ एवं श्री योगेश गुप्ता व्यायाम शिक्षक शा.उत्कृष्ट उ0मा0वि0झाबुआ, को बनाया गया है। समस्त विकासखण्ड मुख्यालय पर नियुक्त विकासखण्ड स्तरीय क्रीडा प्रभारी को नवीन कन्या क्रीडा परिसर झाबुआ में छात्राओं के प्रवेश चयन प्रक्रिया हेतु चयन समिति प्रभारी का दायित्व सौपा गया है।


आबकारी एक्ट मे दो अपराध पंजीबद्ध 

झाबुआ । पुलिस थाना कालीदेवी के द्वारा आरोपी कालु पिता फलिया बिलवाल, निवासी उमरकोट के अवैध कब्जे से 06 क्वार्टर अंग्रेजी शराब कीमती 600/-रूपये व 12 बोतल बीयर कीमती 1200/-रूपये, आरोपी रेवा उर्फ रेवसिंह पिता अमरसिंह, निवासी देवली के अवैध कब्जे से 48 क्वार्टर देशी शराब कीमती 1200/-रूपये की जप्त कर आरोपियों को गिर0 किया गया। इस प्रकार प्रकरण में थाना कालीदेवी में में अप0क्र0 95,96/2016, धारा 34 आबकारी एक्ट का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। 

बहला फुसलाकर किया बलात्कार

झाबुआ । फरियादिया ने बताया कि वह जीप स्टेण्ड पर खडी थी। आरोपी सोभान पिता नंदा बिलवाल निवासी घाटिया का मो0सा0 लेकर आया बहला-फुसलाकर ग्राम घाटिया ले गया व जबरन बलात्कार किया बाद ग्राम छोटी ढेकल व ग्राम भोयरा ले जाकर 16 दिन रखा व बलात्कार करता रहा जान से मारने की धमकी दी फरि0 के भाग कर आने पर कायमी की गयी। प्रकरण में थाना कोतवाली झाबुआ में अप0क्र0 330/16, धारा 363,366,376,506,342 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

बलात्कार कर दी जान से मारने की धमकी

झाबुआ । फरियादिया ने बताया कि वह प्रातः 4-5 बजे टयुबवेल पर पानी भरने गयी थी। आरोपी टिकु पिता नटवर गारी, निवासी मदरानी का वहां आया व फरि0 को पकड कर जमीन पर गिर दिया व उसकी इच्छा के विरूद्व बलात्कार किया फरि0 के चिल्लाने पर फरि0 का पति कैलाश व ससुर लालसिंह दौडकर आये तो वह भागते हुए, बोला की भीलडी तु यह बात किसी को मत बताना नहीं तो जान से मार डालुंगा कहकर जान से मारने की धमकी दी। प्रकरण में थाना अजाक झाबुआ में अप0क्र0 03/16, धारा 376,506 भादवि व 3(2)5(क) एवं 3(1)ब(1) एससी/एसटी एक्ट का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

छेडछाड का  अपराध पंजीबद्ध 

झाबुआ। फरियादिया ने बताया कि वह अपने घर के अंदर सोई थी। आरोपी रूसमल उर्फ रूसिया पिता पिंजु मुणिया, निवासी परवलिया घर के अंदर घुसा व बुरी नियत से फरि0 का हाथ पकडा फरि0 के चिल्लाने पर भाग गया, रिपोर्ट करने पर जान से मारने की धमकी दी। प्रकरण में थाना काकनवानी में अप0क्र0 94/16, धारा 456,354,506 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

बाजार गई महिला घर नही पहुची
       
झाबुआ । फरियादी गलिया पिता दलजी सिंगाडिया, निवासी छोटा घोसलिया ने बताया कि गुम इंसान अनिता पति गलिया सिंगाडिया, उम्र 30 वर्ष निवासी छोटा घोसलिया बाजार करने जाने का कहकर घर से गयी थी। जो वापस घर नहीं आयी।  प्रकरण मंे थाना मेघनगर में गुम इंसान क्र0 13/16, का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

वातायन पोएट्री ऑन साउथ-बैंक पुरस्कार-समारोह

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लंदन, 19 मई, वातायन पोएट्री ऑन साउथ-बैंक पुरस्कार-समारोह 2016 का आयोजन, विंडसर और मिडलैंड की बैरोनेस फ्लैदर, वातायन के संरक्षक एवं गुजरात समाचार और एशियाई आवाज समाचार पत्र के संपादक श्री सीबी पटेल और गीतकार-गायिका और संगीतकार तान्या वेल्स की उपस्थिति में हाउस ऑफ लॉर्ड्स में एक खचाखच भरे सभागार में किया गया। समारोह की अध्यक्षता इल्मी मजलिस- लन्दन के अध्यक्ष एवं इतिहासकार ज़िया शकेब ने की। प्रतिष्ठित वक्ताओं में शामिल थे - लेखक और वातायन की संस्थापक, अध्यक्ष दिव्या माथुर, ब्रिटेन में गुजराती शिक्षण के अग्रणी संस्थापक, लेखक एवं शोधकर्ता प्रोफ़ेसर जगदीश दवे एमबीई, लेखक और बीबीसी विश्व हिंदी सेवा की पूर्व प्रमुख डॉ अचला शर्मा, U3-आंदोलन की सदस्य एवं परिवार और मानसिक स्वास्थ्य सलाहकार मीरा चंद्रन, लेखक और काव्य रंग-नॉटिंघम की अध्यक्ष जय वर्मा, लेखक और वतायान कोषाध्यक्ष शिखा वार्ष्णेय। नेत्र सर्जन, फिल्म निर्माता, कवि और रेडियो-प्रस्तोता डॉ निखिल कौशिक द्वारा कार्यक्रम का सुन्दर ढंग से संचालन किया गया। वार्षिक-वातायन काव्य पुरस्कार से प्रसिद्ध और अनुभवी कवयित्री डॉ मधु चतुर्वेदी को सम्मानित किया गया जिन्होंने गीत, ग़ज़ल, खंड-काव्य, कविता और हाइकु की एक दर्जन से अधिक पुस्तकें लिखी हैं। मधु जी की अनुपस्थिति में, उनकी बेटी, अंजलि बेदी ने यह पुरस्कार स्वीकार किया बैरोनेस फ्लैदर और डॉ ज़िया शकेब के करकमलों द्वारा। अन्तराष्ट्रीय कविता साधना सम्मान, श्री सी बी पटेल, बैरोनेस फ्लैदर और डॉ जिया शकेब द्वारा योगेश पटेल को, अंग्रेजी, गुजराती और हिंदी साहित्य में उनके असाधारण योगदान के माध्यम से कविता को बढ़ावा देने एवं विश्व साहित्य को समृद्ध बनाने हेतु दिया गया। अंग्रेजी और गुजराती साहित्य के जाने माने कवि एवं लेखक योगेश को आलोचकों ने “एक व्यवहारिक और अप्रत्याशित निरीक्षक और निर्भीक लेखक” के तौर पर चुना है. उन्होंने कई विश्व प्रसिद्ध नामों के साथ 1969 से अंतरराष्ट्रीय कविता की दुर्लभ आवाजों का प्रकाशन किया है. सबसे बड़ी बात यह है कि वे दक्षिण- एशियाई प्रवासियों की रचनाओं को बढ़ावा देते हैं एवं प्रकाशित करते हैं।


.अंत में, प्रतिष्ठित भारतीय कवि डॉ कुंवर बेचैन को वातायन लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया। वे कुल मिलाकर 33 पुस्तकों (गीत, गजल, दोहा, हाइकू, मुक्त छंद, महाकाव्य, उपन्यास, यात्रा वृतांत, आदि) के लेखक है। एक सेवानिवृत्त हिंदी प्रोफेसर कुंवर बैचेन को भारत के राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया है। 22 छात्रों ने उनपर अपना शोध कार्य लिखा है और भारत सरकार कई देशों में विश्व हिंदी सम्मेलनों में भाग लेने के लिए भी उन्हें भेज चुकी है। मशहूर संगीतज्ञ बालूजी श्रीवास्तव, ने सरस्वती वन्दना की तो वकील और उभरती हुई प्रतिभाशाली कलाकार मेहताब मल्होत्रा ने मधु चतुर्वेदी की एक ग़ज़ल, , को गा कर सुनाया और तान्या वेल्स ने फैज़ अहमद फैज़ की ग़ज़ल “गुलों में रंग भरे” पेश करके दर्शकों का दिल जीत लिया। सबसे कम उम्र और बोर्ड की नई सदस्य दीप्ति संगानी ने वातायन की नवनिर्मित वेबसाइट का शुभारंभ किया। हालाँकि दीप्ति वेबसाईट की विशेषज्ञ नहीं हैं फिर भी उन्होंने इस पर बड़े धैर्य और सहजता से कार्य किया है। समय की कमी की वजह से, कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ शकेब ने संक्षेप में और सुन्दरता के साथ कार्यक्रम का सारांश प्रस्तुत किया। मेजबान बैरोनेस फ्लैदर ने, प्रतिभागियों का धन्यवाद और 2003 से लगातार वातायन द्वारा आयोजित अच्छे कार्यक्रमों की प्रशंसा करते हुए कार्यक्रम का समापन किया। इस कार्यक्रम में ब्रिटेन के बहुत से मशहूर विद्वान्, राजनीतिग्य, मीडियाकर्मी और आर्टिस्ट्स शामिल थे, जिनमें प्रमुख रहे, बैरोनेस पराशर, डॉ हिलाल फ़रीद, प्रो श्याम मनोहर पांडये, प्रो दया थुस्सू, जेरू राय, अरुणा अजित्सरिया, राकेश माथुर, उषा राजे सक्सेना, कादम्बरी सक्सेना, और तोषी अमृता इत्यादि। 

विशेष आलेख : सर्वश्रेष्ठ लोक संचारक देवर्षि नारद

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सिर पर खड़ी शिखा, हाथ में वीणा, मुख से नारायण-नारायण शब्द की अनवरत निकलती ध्वनि, पवन पादुका पर सर्वत्र विचरण करने वाले देवर्षि नारद ब्रह्मा के सात मानस पुत्रों में से एक माने गये हैं। पुरातन ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु के अनन्य भक्तों में सर्वोच्च, स्वयं वैष्णव और वैष्णवों के परमाचार्य तथा मार्गदर्शक नारद प्रत्येक युग में भगवद्भक्ति भक्ति और भगवद्महिमा का प्रसार करते हुए लोक-कल्याण के लिए सर्वदा सर्वत्र विचरण किया करते हैं। भक्ति तथा संकीर्तन के आद्याचार्य नारद की वीणा भगवन जप महती  के नाम से विख्यात है। जिससे नारायण-नारायण की ध्वनि सदैव निकलती रहती है। कृष्ण द्वैपायन वेदव्यास,बाल्मीकि तथा महाज्ञानी शुकदेव आदि के गुरु, वीणा के आविष्कारक और कुशल मध्यस्थ की भूमिका निभाने वाले नारदमुनि की गति अव्याहत है। ब्रह्म-मुहूर्त में सभी जीवों की गति को देखने वाले नारद अजर–अमर हैं। भगवद-भक्ति की स्थापना तथा प्रचार के लिए ही इनका आविर्भाव हुआ है। उन्होंने कठिन तपस्या से ब्रह्मर्षि पद प्राप्त किया है। धर्म के प्रचार एवं लोक-कल्याण हेतु सदैव प्रयत्नशील रहने वाले नारद का सभी युगों में, सब लोकों में, समस्त विद्याओं में, समाज के सभी वर्गो में सदा से प्रवेश रहा है। मात्र देवताओं ने ही नहीं, वरन् दानवों ने भी नारद को सदैव ही आदर दिया है और समय-समय पर सभी ने उनसे परामर्श लिया है।


वैदिक साहित्य, रामायण, महाभारत, पुराण, स्मृतियाँ, सभी ग्रन्थों में देवर्षि नारद का उल्लेख अंकित है। आदिग्रन्थ ऋग्वेद के मंडल में आठ और नौ के कई सूक्तों के दृष्टा नारद हैं। अथर्ववेद, ऐतरेय ब्राह्मण, मैत्रायणी संहिता आदि में नारद का उल्लेख हुआ है। पुराणों में तो महर्षि नारद एक अनिवार्य भूमिका में प्रस्तुत हैं, और उन्हें देवर्षि की संज्ञा से विभूषित किया गया है, परन्तु उनका कार्य देवताओं तक ही सीमित नहीं था, अपितु वे दानवों और मनुष्यों के मध्य भी मित्र, मार्गदर्शक, सलाहकार और आचार्य के रूप में उपस्थित हैं। नारद श्रुति-स्मृति, इतिहास, पुराण, व्याकरण, वेदांग, संगीत, खगोल-भूगोल, ज्योतिष, योग आदि समस्त शास्त्रों में पारंगत थे। नारद आत्मज्ञानी, नैष्ठिक ब्रह्मचारी, त्रिकाल ज्ञानी, वीणा द्वारा निरंतर प्रभु भक्ति के प्रचारक, दक्ष, मेधावी, निर्भय, विनयशील, जितेन्द्रिय, सत्यवादी, स्थितप्रज्ञ, तपस्वी, चारों पुरुषार्थ के ज्ञाता, परमयोगी, सूर्य के समान, त्रिलोकी पर्यटक, वायु के समान सभी युगों, समाजों और लोकों में विचरण करने वाले, वश में किये हुए मन वाले नीतिज्ञ, अप्रमादी, आनन्दरत्त, कवि, प्राणियों पर नि:स्वार्थ प्रीति रखने वाले, देव, मनुष्य, राक्षस सभी लोकों में सम्मान पाने वाले देवता तथापि ऋषित्व प्राप्त देवर्षि थे। नारद ने ही प्रह्लाद, ध्रुव, राजा अम्बरीष आदि महान भक्तों को भक्ति मार्ग में प्रवृत्त किया। ये भागवत धर्म के परम-गूढ़ रहस्य को जानने वाले, ब्रह्मा, शंकर, सनत्कुमार, महर्षि कपिल, स्वयंभुव मनु आदि बारह आचार्यों में अन्यतम हैं। देवर्षि नारद द्वारा विरचित भक्तिसूत्र बहुत महत्त्वपूर्ण है। नारद पांचरात्र,नारद के भक्तिसूत्र, नारद महापुराण, बृहन्नारदीय उपपुराण-संहिता-(स्मृतिग्रंथ), नारद-परिव्राजकोपनिषद आदि देवर्षि नारद रचित ग्रन्थ हैं।नारदीय-शिक्षा के साथ ही अनेक स्तोत्र भी उपलब्ध होते हैं। देविर्षि नारद के सभी उपदेशों का सार है- सर्वदा सर्वभावेन निश्चिन्तितै: भगवानेव भजनीय:। अर्थात-सर्वदा सर्वभाव से निश्चित होकर केवल भगवान का ही ध्यान करना चाहिए। नारद को अपनी विभूति बताते हुए योगेश्वर श्रीकृष्ण श्रीमद्भगवद्गीता 10/26 में कहते हैं- अश्वत्थ: सर्ववूक्षाणां देवर्षीणां च नारद:। महाभारत के आदि पर्व में नारद के पूर्ण चरित्र का उल्लेख करते हुए वेदव्यास ने कहा है-

अर्थनिर्वाचने नित्यं, संशयचिदा समस्या:। 
प्रकृत्याधर्मा कुशलो, नानाधर्मा विशारदा:।।

महाभारत में भीष्म ने युधिष्ठिर से कहा कि परमात्मा के विषय में सम्पूर्ण ज्ञान प्रदान करने वाले दार्शनिक नारद आदर्श व्यक्तित्व हैं। श्री कृष्ण ने उग्रसेन से कहा कि नारद की विशेषताएं अनुकरणीय हैं। महभारत कथा के अनुसारनारद युधिष्ठिर की राजसभा में उपस्थित हुए थे और उन्होंने धर्मराज युधिष्ठिर को पुरुषार्थ चतुष्टय-धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का पूर्ण ज्ञान प्रदान किया था। पुरातन भारतीय साहित्य में भी सर्वत्र नारद द्वारा प्रतिपादित स्वधर्म, तंत्र, विधान, राजस्व प्राप्ति, शिक्षा, उद्योग इत्यादि पर दर्शन का विपुल साहित्य उपलब्ध है। वैदिक साहित्य में ब्रह्मा के पुत्र के मानस पुत्र के रूप में उल्लिखित नारद का पौराणिक ग्रन्थों में बड़ा ही अतिरंजित और अतिरेक वर्णन किया गया है और उनके सन्दर्भ में भान्ति-भान्ति के अतिरंजित कथाएँ कही गई हैं।पौराणिक ग्रंथों में नारद के आविर्भाव की तिथि बैसाख शुक्ल द्वितीय बतलाई गई है और बैशाख शुक्ल द्वितीय को नारद जयन्ती भक्तगण भक्ति-भाव से मनाते हैं। महाभागवत पुराण में विष्णु के बैस अवतारों में नारद को चतुर्थ अवतार बतलाया गया है। पुराणादि ग्रन्थों में नारद को भागवत संवाददाता के रूप में प्रस्तुत किया गया। यह एक सर्वमान्य तथ्य है कि नारद की ही प्रेरणा से वाल्मीकि ने रामायण जैसे महाकाव्य और व्यास ने श्रीमद्भगवद्गीता जैसे सम्पूर्ण भक्ति काव्य की रचना की थी। पुरातन ग्रन्थों के अध्ययन से इस सत्यापन होता है कि नारद कई रूपों में श्रेष्ठ व्यक्तित्व प्रदर्शित करते हैं। संगीत में अपनी अपूर्णता ध्यान में आते ही उन्होंने कठोर तपस्या और अभ्यास से एक उच्च कोटि के संगीतज्ञ बनने को भी सिद्ध किया। उन्होंने संगीत गन्धर्वों से सीखा और नारद संहिता नामक ग्रन्थ की रचना भी की। घोर तप करके विष्णु से संगीत का वरदान प्राप्त किया। नारद के अगणित कार्य हैं। नारद के उल्लेखनीय कार्यों में भृगु कन्या लक्ष्मी का विष्णु के साथ विवाह करवाना, इन्द्र को समझा बुझाकर उर्वशी का पुरुरवा के साथ परिणय सूत्र में बंधवाना, महादेव द्वारा जलंधर का विनाश, कंस को आकाशवाणी का अर्थ समझाना, बाल्मीकि को रामायण की रचना करने की प्रेरणा देना, व्यास जी से भागवत की रचना करवाना, प्रह्लाद और ध्रुव को उपदेश देकर महान भक्त बनाना ,बृहस्पति और शुकदेव जैसों को उपदेश देकर उनकी शंकाओं का समाधान, इन्द्र, चन्द्र, विष्णु, शंकर, युधिष्ठिर, राम, कृष्ण आदि को उपदेश देकर कर्तव्याभिमुख करना आदि शामिल हैं। भक्ति का प्रसार करते हुए वे अप्रत्यक्ष रूप से भक्तों का सहयोग करते रहते हैं। नारद को भगवान के विशेष कृपापात्र और लीला-सहचर माना गया ही। जब-जब भगवान का आविर्भाव होता है, नारद उनकी लीला के लिए भूमिका तैयार करते हैं, लीलापयोगी उपकरणों का संग्रह करते हैं और अन्य प्रकार की सहायता करते हैं, वस्तुतः इनका जीवन मंगल के लिए ही है।

तत्व ज्ञानी महर्षि नारद के भक्ति सूत्रों में उनके परमात्मा व भक्त के सम्बन्धों की व्याख्या से वे एक दार्शनिक के रूप में परिलक्षित होते हैं। परन्तु नारद अन्य ऋषियों, मुनियों से इस अर्थ में भिन्न हैं कि उनका कोई अपना आश्रम नहीं है, और वे निरन्तर प्रवास पर ही रहते हैं। परन्तु नारद का यह प्रवास व्यक्तिगत नहीं है। इस प्रवास के कर्म में भी वे समकालीन महत्वपूर्ण देवताओं, मानवों व असुरों से संपर्क करते हैं और उनके प्रश्न, उनके वक्तव्य व उनके कटाक्ष सभी को दिशा देते हैं। उनके हर परामर्श में और प्रत्येक वक्तव्य में कहीं-न-कहीं लोकहित झलकता है। दैत्य अंधक को भगवान शिव द्वारा मिले वरदान को अपने ऊपर इस्तेमाल करने की सलाह देने, रावण को बाली की पूंछ में उलझने पर विवश करने और कंस को देवकी के बच्चों को मार डालने का सुझाव देने, कृष्ण के दूत बनकर इन्द्र के पास जाने और उन्हें कृष्ण को पारिजात से वंचित रखने का अहंकार त्यागने की सलाह देने आदि के अनेक कार्य व परामर्श नारद के विरोधाभासी व्यक्तित्व को उजागर करते परिलक्षित होते हैं, परन्तु गहराई से अध्ययन करने से पत्ता चलता है कि इनमे कहीं भी नारद का कोई निजी स्वार्थ नहीं दिखता है। वे सदैव सामूहिक कल्याण, विश्व मंगल की नेक भावना रखते प्रतीत होते हैं। उन्होंने आसुरी शक्तियों को भी अपने विवेक का लाभ पहुँचाया। जब हिरण्यकशिपु तपस्या करने के लिए मंदाक पर्वत पर चला गया तो देवताओं ने दानवों की पत्नियों व महिलाओं का दमन करना प्रारम्भ कर दिया, परन्तु दूरदर्शी नारद ने हिरण्यकशिपु की पत्नी कयाधु की सुरक्षा की जिससे प्रहृलाद का जन्म हो सका। परन्तु फिर उसी प्रहृलाद को अपनी आध्यात्मिक चेतना से प्रभावित करके हिरण्यकशिपु के अन्त का साधन बनाया। नारद की एक अन्य प्रमुख गुण अर्थात विशेषता है, वह है उनकी संचार योग्यता व क्षमता। नारद ने वाणी  का प्रयोग इस प्रकार किया, जिससे घटनाओं का सृजन हुआ और नारद द्वारा प्रेरित हर घटना का परिणाम लोकहित, विश्व कल्याण में निकला। इसलिए तो वर्तमान संदर्भ में भी नारद को विश्व का सर्वश्रेष्ठ लोक संचारक की संज्ञा से विभूषित कर बुद्धिजीवी वर्ग धन्य हो उठता है। नारद के हर वाक्य, हर वार्ता और हर घटनाक्रम का विश्लेषण करने से यह स्पष्ट सिद्ध होता है कि वे एक अति निपुण व प्रभावी संचारक थे। दूसरा उनका संवाद शत-प्रतिशत लोकहित में रहता था। वे अपना हित तो कभी नहीं देखते थे, उन्होंने समूहों पर जातियों आदि का भी अहित नहीं साधा। उनके संवाद में हमेशा लोक कल्याण की भावना रहती थी। तीसरे, नारद द्वारा रचित भक्ति सूत्र में चौरासी सूत्र हैं। प्रत्यक्षतः तो भक्तिसूत्र के इन सूत्रों में भक्ति मार्ग का दर्शन अंकित किया  गया है और भक्त के द्वारा ईश्वर को प्राप्त करने के साधन बतलाए गए हैं, परन्तु इन्हीं सूत्रों का सूक्ष्म अध्ययन करने से स्पष्ट होता है कि इनमे सिर्फ पत्रकारिता ही नहीं वरन पूरे मीडिया के लिए शाश्वत सिद्धांतों के प्रतिपालन का उल्लेख दृष्टिगत होता है। 




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-अशोक “प्रवृद्ध”-
गुमला
झारखण्ड

गणि राजेन्द्र विजय: रोशनी जिनके साथ चलती है

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देशभर में अनेक स्वस्थ समाज निर्माण के अभियान चले और चलते हैं। और हर अभियान के समकक्ष या नकल के रूप में नाम बदलकर भी अभियान चलाए गये। पर सुखी परिवार अभियान, जो स्वस्थ पारिवारिक मूल्यों एवं नैतिक मूल्यों के उत्थान का अभियान है, इसके समकक्ष कोई अभियान दृष्टिगोचर नहीं  हो रहा है। ऐसे अभियान का प्रभाव तभी हुआ है जब अभियान के पीछे गणि राजेन्द्र विजय जैसा तपस्वी और दूरदर्शी व्यक्तित्व है एवं जीवनदायिनी तथा कथनी-करनी में समानता रखने वाले हजारों कार्यकर्ता हैं। ठीक इसी प्रकार देश मंे यात्राएं भी बहुत हुई हैं व होती रहती हैं। पैदल यात्राएं हमारी संस्कृति व जन जीवन की एक बहुत पवित्र विधा रही है। इससे लोक जीवन को बहुत नजदीक से देखा जा सकता है। पर कालान्तर में इन्हें राजनैतिक रंग दिया जाता रहा है। अतः यात्राओं के प्रति भी लोगों के दृष्टिकोण में अन्तर आ गया।


जैन साधु-साध्वियां सदैव ही पैदल विचरण करते हैं। सुखी परिवार अभियान के प्रणेता गणि राजेन्द्र विजय पिछले 30 वर्ष में करीब-करीब पूरे देश की पैदल यात्रा कर चुके हैं। गणि राजेन्द्र विजय एक ऐसा व्यक्तित्व है जो आध्यात्मिक विकास और नैतिक उत्थान के प्रयत्न में तपकर और अधिक निखरा है। वे आदिवासी जनजीवन के उत्थान और उन्नयन के लिये लम्बे समय से प्रयासरत है और विशेषतः आदिवासी जनजीवन में शिक्षा की योजनाओं को लेकर जागरूक है, इसके लिये सर्वसुविधयुक्त करीब 12 करोड की लागत से जहां एकलव्य आवासीय माडल विद्यालय का निर्माण उनके प्रयत्नों से हुआ है, वहीं कन्या शिक्षा के लिये वे ब्राह्मी सुन्दरी कन्या छात्रावास का कुशलतापूर्वक संचालन कर रहे हैं। इसी आदिवासी अंचल में जहां जीवदया की दृष्टि से गौशाला का संचालित है तो चिकित्सा और सेवा के लिये चलयमान चिकित्सालय भी अपनी उल्लेखनीय सेवाएं दे रहा है। अपने इन्हीं व्यापक उपक्रमों की सफलता के लिये वे कठोर साधना करते हैं और अपने शरीर को तपाते हैं। एक-एक दिन में वे 50-50 किलोमीटर की पदयात्राएं कर लेते हैं और इन यात्राओं में आदिवासी के साथ-साथ आम लोगों में शिक्षा के साथ-साथ नशा मुक्ति एवं रूढ़ि उन्मूलन की अलख जगाते हैं। इन यात्राओं का उद्देश्य है शिक्षा एवं पढ़ने की रूचि जागृत करने के साथ-साथ आदिवासी जनजीवन के मन में अहिंसा, नैतिकता एवं मानवीय मूल्यों के प्रति आस्था जगाना है। हर आदमी अपने अन्दर झांके और अपना स्वयं का निरीक्षण करे। आज मानवता इसलिए खतरे में नहीं है कि अनैतिकता बढ़ रही है। अनैतिकता सदैव रही है- कभी कम और कभी ज्यादा। सबसे खतरे वाली बात यह है कि नैतिकता के प्रति आस्था नहीं रही।

यात्राएं गणिजी के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है, इनदिनों वे सम्मेदशिखरजी की यात्रा पर यात्रायित हैं। वे इन यात्राओं में प्रतिदिन सुबह से शाम तक हजारों लोगों से सम्पर्क करते हैं, उन्हें ग्रामीण भाषा में समझाते हैं। उन्हें अपना गौरव प्राप्त करने का, अपने होने का भान कराते हैं। उनका कहना है कि आदिवासी समाज को उचित दर्जा मिले। वह स्वयं समर्थ एवं समृद्ध है, अतः शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिये स्वयं आगे आएं। एक तरह से एक संतपुरुष के प्रयत्नों से एक सम्पूर्ण पिछडा एवं उपेक्षित आदिवासी समाज स्वयं को आदर्श रूप में निर्मित करने के लिये तत्पर हो रहा है, यह एक अनुकरणीय एवं सराहनीय प्रयास है। लेकिन इन आदिवासी लोगों को राजनीतिक संरक्षक भी मिले, इसके लिये वे राजधानी दिल्ली में इस वर्ष चातुर्मास किया और सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से सम्पर्क स्थापित कर आदिवासी जीवन के दर्द से उन्हें अवगत कराया।

भारतीय समाज में जिन आदर्शों की कल्पना की गई है, वे भारतीयों को आज भी उतनी ही श्रद्धा से स्वीकार हैं। मूल्य निष्ठा में जनता का विश्वास अभी तक समाप्त नहीं हुआ। व्यक्ति अगर अकेला भी हो पर नैतिकता का पक्षधर हो और उसका विरोध कोई ताकतवर कुटिलता और षड्यंत्र से कर रहा हो तो जनता अकेले आदमी को पसन्द करेगी। इन्हीं मूल्यों की प्रतिष्ठापना, गणि राजेन्द्र विजय की यात्रा का उद्देश्य है। त्याग, साधना, सादगी, प्रबुद्धता एवं करुणा से ओतप्रोत आप आदिवासी जाति की अस्मिता की सुरक्षा के लिए तथा मानवीय मूल्यों को प्रतिष्ठापित करने के लिए सतत प्रयासरत हैं। मानो वे दांडी पकडे़ गुजरात के उभरते हुए ‘गांधी’ हैं। इसी आदिवासी माटी में 19 मई, 1974 को एक आदिवासी परिवार में जन्म गणि राजेन्द्र विजयजीम मात्र ग्यारह वर्ष की अवस्था में जैन मुनि बन गये। बीस से अधिक पुस्तकें लिखने वाले इस संत के भीतर एक ज्वाला है, जो कभी अश्लीलता के खिलाफ आन्दोलन करती हुए दिखती है, तो कभी जबरन धर्म परिवर्तन कराने वालों के प्रति मुखर हो जाती है। इस संत ने स्वस्थ एवं अहिंसक समाज निर्माण के लिये जिस तरह के प्रयत्न किये हैं, उनमें दिखावा नहीं है, प्रदर्शन नहीं है, प्रचार-प्रसार की भूख नहीं है, किसी सम्मान पाने की लालसा नहीं है, किन्हीं राजनेताओं को अपने मंचों पर बुलाकर अपने शक्ति के प्रदर्शन की अभीप्सा नहीं है। अपनी धून में यह संत आदर्श को स्थापित करने और आदिवासी समाज की शक्ल बदलने के लिये प्रयासरत है और इन प्रयासों के सुपरिणाम देखना हो तो कंवाट, बलद, रंगपुर, बोडेली आदि-आदि आदिवासी क्षेत्रों में देखा जा सकता है।

इतना ही नहीं यह संत गृहस्थ जीवन को त्यागकर  गृहस्थ जीवन को सुखी बनाने के लिये  जुटा है, इनका मानना है कि व्यक्ति-व्यक्ति से जुड़कर ही स्वस्थ समाज एवं राष्ट्र की कल्पना आकार ले सकती है। स्वस्थ व्यक्तियों के निर्माण की प्रयोगशाला है - परिवार। वे परिवार को सुदृढ़ बनाने के लिये ही सुखी परिवार अभियान लेकर सक्रिय है। उनका मानना है कि समाज में सुखी गृहस्थ जीवन व्यतीत करने के लिए सहिष्णुता की बहुत जरूरत है, जिसकी आज बहुत कमी होती जा रही है। सहन करना जानते ही नहीं हैं। पत्नी हो, मां-बेटे, मां-बेटी, भाई-भाई, भाई-बहन, सास-बहू, गुरु-शिष्य कहने का अर्थ है कि प्रायः सभी में सहन की शक्ति की कमी हो गई है। एक व्यक्ति अपने भाई को सहन नहीं करता, माता-पिता को सहन नहीं करता और पड़ोसी को सहन कर लेता है, अपने मित्र को सहन कर लेता है। यह प्रकृति की विचित्रता है। सहन करना अच्छी बात है। लेकिन घर में भी एक सीमा तक एक-दूसरे को सहन करना चाहिए, तभी छोटी-छोटी बातों को लेकर मनमुटाव व नित्य झगड़े नहीं होंगे। गणि राजेन्द्र विजयजी का मानना है कि इन्सान की पहचान उसके संस्कारों से बनती है। संस्कार उसके समूचे जीवन को व्याख्यायित करते हैं। संस्कार हमारी जीवनी शक्ति है, यह एक निरंतर जलने वाली ऐसी दीपशिखा है जो जीवन के अंधेरे मोड़ों पर भी प्रकाश की किरणें बिछा देती है। उच्च संस्कार ही मानव को महामानव बनाते हैं। सद्संस्कार उत्कृष्ट अमूल्य सम्पदा है जिसके आगे संसार की धन दौलत का कुछ भी मौल नहीं है। सद्संस्कार मनुष्य की अमूल्य धरोहर है, मनुष्य के पास यही एक ऐसा धन है जो व्यक्ति को इज्जत से जीना सिखाता है। 

गणि राजेन्द्र विजयजी बच्चों को कच्चे घड़े के समान मानते हैं। उनका कहना है उन्हें आप जैसे आकार में ढालेंगे वे उसी आकार में ढल जाएंगे। मां के उच्च संस्कार बच्चों के संस्कार निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए आवश्यक है कि सबसे पहले परिवार संस्कारवान बने माता-पिता संस्कारवान बने, तभी बच्चे संस्कारवान चरित्रवान बनकर घर की, परिवार की प्रतिष्ठा को बढ़ा सकेंगे। अगर बच्चे सत्पथ से भटक जाएंगे तो उनका जीवन अंधकार के उस गहन गर्त में चला जाएगा जहां से पुनः निकलना बहुत मुश्किल हो जाएगा। बच्चों को संस्कारी बनाने की दृष्टि से गणि राजेन्द्र विजय विशेष प्रयास कर रहे हैं। एक समय था जब भारत में चरित्र को अधिक महत्व दिया जाता था। सौ वर्ष पहले प्रथम विश्वधर्म सभा में स्वामी विवेकानंद अमेरिका गये हुए थे। वहां उनके कपड़ों को देखकर कुछ अंग्रेज महिलाओं ने उन पर व्यंग्य किया। स्वामीजी ने शांतिपूर्वक उनकी बात सुनते हुए सहज उत्तर दिया-बहनों! आप उस देश में रहती हैं जहां आदमी की कीमत कपड़ों से आंकी जाती है, पर मैं एक ऐसे देश से आया हूं जहां आदमी की कीमत उसके कपड़ों से नहीं अपितु उसके चरित्र से होती है। सचमुच आदमी की इज्जत कपड़े नहीं होते। बाहर की चमक-दमक भी आदमी की इज्जत नहीं है। आज की भोगवादी संस्कृति ने उपभोक्तावाद को जिस तरह से बढ़ावा दिया है उससे बाहरी चमक-दमक से ही आदमी को पहचाना जाता है। यह बड़ा भयानक है। उससे ही अपसांस्कृतिक मूल्यों को बढ़ावा मिलता है। वही आदमी श्रेष्ठ है जो संस्कृति को शालीन बनाये। वही औरत शालीन है जो परिवार को इज्जतदार बनाये। परिवार इज्जतदार बनता है तभी सांस्कृतिक मूल्यों का विकास होता है। उसी से कल्याणकारी मानव संस्कृति का निर्माण हो सकता है और इसी ध्येय से गणि राजेन्द्र विजयजी आदिवासी जनजीवन में नयी उमंग, नया उत्साह, नयी संभावनाओं एवं सांस्कृतिक मूल्यों को स्थापित कर रहे हंै।

भारत को आज सांस्कृतिक क्रांति का इंतजार है। यह कार्य सरकार तंत्र पर नहीं छोड़ा जा सकता है। सही शिक्षा और सही संस्कारों के निर्माण के द्वारा ही परिवार, समाज और राष्ट्र को वास्तविक अर्थों में स्वतंत्रा बनाया जा सकता है। इसी दृष्टि से हम सबकों गणि राजेन्द्र विजय के मिशन से जुडना चाहिए एवं एक स्वस्थ समाज निर्माण का वाहक बनना चाहिए। आओ हम सब एक उन्नत एवं आदर्श आदिवासी समाज की नींव रखें जो सबके लिये प्रेरक बने। सुखी परिवार अभियान द्वारा गुजरात के छोटा उदयपुर  एवं बडोदरा जिले के आदिवासी अंचल कवांट में निर्मित हुए एकलव्य आवासीय माॅडल विद्यालय एक क्रांतिकारी मोड है। आदिवासी जनजीवन के लिए सेवा, शिक्षा, जनकल्याण की विशिष्ट योजनाएं सुखी परिवार अभियान के द्वारा लम्बे समय से संचालित की जा रही है। मेरी दृष्टि में गणि राजेन्द्र विजयजी के उपक्रम एवं प्रयास आदिवासी अंचल में एक रोशनी का अवतरण है, यह ऐसी रोशनी है जो हिंसा, आतंकवाद, नक्सलवाद, माओवाद जैसी समस्याओं का समाधान बन रही है। अक्सर हम राजनीति के माध्यम से इन समस्याओं का समाधन खोजते है, जबकि समाधान की अपेक्षा संकट गहराता हुआ प्रतीत होता है। क्योंकि राजनीतिक स्वार्थों के कारण इन उपेक्षित एवं अभावग्रस्त लोगों का शोषण ही होते हुए देखा गया है। गणि राजेन्द्र विजयजी के नेतृत्व में आदिवासी समाज कृतसंकल्प है रोशनी के साथ चलते हुए इस आदिवासी अंचन के जीवन को उन्नत बनाने एवं संपूर्ण मानवता को अभिप्रेरित करने के लिये। गणि राजेन्द्र विजयजी के आध्यात्मिक आभामंडल एवं कठोर तपचर्या का ही परिणाम है आदिवासी समाज का सशक्त होना। सर्वाधिक प्रसन्नता की बात है कि अहिंसक समाज निर्माण की आधारभूमि गणि राजेन्द्र विजयजी ने अपने आध्यात्मिक तेज से तैयार की है। अनेक बार उन्होंने खूनी संघर्ष को न केवल शांत किया, बल्कि अलग-अलग गुटों को एक मंच पर ले आये। जबकि गुट व्यापक हिंसा एवं जनहानि के लिये तरह- तरह के हथियार लिये एक दूसरे को मारने के लिये उतावले रहते थे। हिंसा की व्यापक संभावनाओं से घिरे इस अंचल को अहिंसक बनाना एक क्रांति एवं चमत्कार ही कहा जायेगा। प्रारंभ में सभी विशिष्ट लोगों एवं प्रशासनिक अधिकारियों ने गणि राजेन्द्र विजयजी से निवेदन किया कि आप इन हिंसक आदिवासी क्षेत्रों को छोड़ दें, यहां के लोगों को बदलना बहुत मुश्किल है। लेकिन गणिजी इसके लिये तैयार नहीं हुए और कहा कि यही तो हमारी वास्तविक चुनौती है और हम इससे डर कर पलायन करेंगे तो कौन इन लोगों को मार्ग दिखायेगा? अहिंसा की बात कैसे साकार होगी? कैसे लोगों के दिलों में घर कर गयी नफरत एवं घृणा दूर होगी? अविवेक एवं नासमझी की स्थितियों में कब तक लहू बहता रहेगा? अपने संकल्प पर दृढ़ होकर गणिजी इस हिंसा एवं तनावभरी स्थितियों के बीच गये और हिंसक गुटों को अपने उपदेशों से प्रेरित किया। अनेक बार बड़ी-बड़ी  हिंसाएं टली। अहिंसा केवल उपदेश नहीं व्यवहार में चरितार्थ होते हुए देखी गयी। सचमुच आदिवासी लोगों को प्यार, करूणा, स्नेह एवं संबल की जरूरत है जो गणिजी जैसे संत एवं सुखी परिवार अभियान जैसे मानव कल्याणकारी उपक्रम से ही संभव है, सचमुच एक रोशनी का अवतरण हो रहा है, जो अन्य हिंसाग्रस्त क्षेत्रों के लिये भी अनुकरणीय है। गणि राजेन्द्र विजयजी की विशेषता तो यही है कि उन्होंने आदिवासी उत्थान को अपने जीवन का संकल्प और तड़प बना लिया है। आदिवासी जन-जीवन में भी बहुत उजाले हैं,लेकिन इन उजालों को छीनने के प्रयास हुए है, हो रहे हैं और होते रहेंगे। आज बाहरी खतरों से ज्यादा भीतरी खतरे हैं। हिंसा और अलगाव की कई चुनौतियां हैं, जो समाधान चाहती है। पर गलत प्रश्न पर कभी भी सही उत्तर नहीं मिला करते। जब रोटी की जरूरत हो तो रोटी ही समाधान बनती है। रोटी के बिना आप किसी सिद्धान्त को ताकत का इंजेक्शन नहीं बना सकते। 



(ललित गर्ग)
ई-253, सरस्वती कंुज अपार्टमेंट
25 आई. पी. एक्सटेंशन, पटपड़गंज, दिल्ली-92

फोनः 22727486, 9811051133

विशेष आलेख : धुवाँ उगलते शहर

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भारत के शहर जहरीले होते जा रहे हैं और यहाँ की हवाओं में ऐसे कणों की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है जो कैंसर,हार्ट अटैक जैसी घातक बीमारियाँ पैदा करते हैं. अभी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनिया के 795 शहरों में वायु प्रदूषण की स्थिति पर जो रिपोर्ट जारी की है, वह हमारे लिए एक गंभीर चेतावनी है और अगर हमने अभी भी थोड़ा ठहर कर इस पर विचार नहीं किया तो स्थिति नियंत्रण से बाहर जा सकती हैं. पिछले दिनों एक खबर आई थी कि कनाडा की एक कंपनी जल्दी ही भारत में बोतलबंद हवा की बिक्री शुरू करने जा रही है. जाहिर सी बात है अगर यही हाल रहा तो हम पानी की तरह हवा खरीदने को भी मजबूर होंगें और हमारे हाथ में कांक्रीट व धुआं उगलते शहरों के अलावा कुछ नहीं बचेगा. डब्लूएचओ ने 12 मई को रिपोर्ट जारी की है, उसके अनुसार दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में भारत के 10 शहर शामिल हैं. इस सूची में अगर ईरान का “जाबोल” शहर सबसे ऊपर है तो शायद अपने धूलभरे तूफानों के कारण, लेकिन “जाबोल” के साथ टॉप तीन शहर भारत के हैं, ग्वालियर दूसरे, इलाहाबाद तीसरे स्थान पर है. ये सूची यह भ्रम भी तोड़ती है कि बड़े शहर ही ज्यादा प्रदूषित हैं. 


हम शहरीकरण के युग में रहते हैं, रोटी कमाने की मजबूरी और शहरों के आकर्षण ने आज  दुनिया की करीब आधी आबादी को शहरों में रहने को मजबूर कर दिया है. भारत में भी ‘शहर'भरते जा रहे हैं और गावं खाली हो रहे हैं. हमारे देश में उदारीकरण के बाद तो जैसे शहरीकरण का विस्फोट हो गया है, सेवा क्षेत्र के विकास से शहर नए अवसरों के केंद्र बन गये हैं. हमारे देश की मौजूदा शहरी आबादी 41 करोड़ है जिसे 2050 में बढ़कर 81.4 करोड़ होने का अनुमान है, जो कि दुनिया की सर्वाधिक शहरी आबादी होगी. शहरों में तेजी से बढ़ रही आबादी के अनुपात में जगह की कमी है, इसलिए हम देखतें हैं कि शहरों में ऐसी बस्तियॉ बड़ी संख्या में हैं जहॉ जीने के लिए मूलभूत सुविधाएं तक मौजूद नहीं हैं, 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 13.7 मिलियन परिवार शहरी झुग्गी बस्तियों में रहते हैं, मात्र 32.7% शहरी निवासी नाली व्यवस्था से जुड़े हैं बाकी के लोगों के घरों का अपशिष्ट पानी खुले में प्रवाहित होता है. इसी तरह से शहरी क्षेत्रों के 12.8% लोग अभी भी खुले में शौच जाते हैं. हमारे शहर अव्यवस्था, गंदगी, धुओं, सूक्ष्म कणों व गाड़ियों से भरे पड़े हैं. जानकार बताते हैं कि अगर शहरों पर बढ़ रहे बोझ और प्रदूषण को नियंत्रित नहीं किया गया तो कुछ सालों में यहाँ इंसानों को रहना मुश्किल हो जाएगा.


भारत में जिसे हम नियोजित शहरी विकास कहते हैं उनका फोकस मुख्यतः जमीन के उपयोग तक ही सीमित रहा है और इसमें उनमें सामाजिक विकास व पर्यावरण के पक्षों पर पर्याप्त  ध्यान नहीं दिया गया है इसलिए हमारे यहाँ शहरों का विकास बाजार के ताकतों के माध्यम से हुआ है और मोटे तौर पर वही तय कर रही हैं कि कैसे और किस दिशा में विकास करना है, मोदी सरकार ने 100 स्मार्ट सिटी बसाने की योजना की घोषणा की है उसमें भी सारा जोर एफडीआई पर है. भारत में एक तरफ लोगों में पर्यावरण को लेकर जागरूकता कम है तो दूसरी तरफ सरकारें सुस्त हैं जिसकी वजह से हालत चिंताजनक होते जा रहे हैं. हमारे महानगरों में जो वायु प्रदूषण होता है उसमें 70 से 75 प्रतिशत योगदान वाहनों का है जो हाइड्रोकार्बन, नाइट्रो कार्बन और नाइट्रोजन आक्साइड जैसे खतरनाक गैसों के लिए जिम्मेदार हैं. कमजोर सावर्जनिक यातायात-व्यवस्थाओं और बढ़ते निजी वाहनों के पीछे मजबूत लॉबियां काम कर रही हैं. 

डब्लूएचओ की ताजा सूची में अगर दिल्ली लुढ़क कर ग्यारहवें नंबर पर आ गयी है और वहां की आबो-हवा में पहले की तुलना में सुधार आया है तो इसके पीछे किये गये प्रयास हैं जिसमें ऑड-ईवन योजना और जन-जागरूकता योगदान रहा है, हालाँकि शुरुआत के लिए इन्हें अच्छा प्रयास कहा जा सकता है लेकिन यह कोई स्थाई विकल्प नहीं होने जा रहे. लम्बे समय को ध्यान में रखते हुए कुछ कड़े फैसले करने होंगें जिसमें सार्वजनिक परिवहन सेवाओं को बढ़ावा देने, निजी वाहनों की बिक्री पर सख्ती करने और साइकिल जैसे वाहनों के लिए अलग लेन बनाने जैसे दीर्घकालिक उपाय करने होंगें. इन सबके बावजूद दिल्ली में ऑड-ईवन का प्रयोग बताता है कि अगर हम प्रदूषण को रोकने के लिए छोटा सा भी प्रयास करें तो इसका फर्क देखने को मिल सकता है .

हमें बीजिंग और पेरिस जैसे शहरों से सबक सीखने की जरूरत है जहाँ प्रदूषण आपातकाल लागू कर दिया जाता है और प्रदूषण स्तर कम होने पर ही आपातकाल हटाया जाता है. हमारे देश में आज वायु प्रदूषण एक राष्ट्रीय समस्या का रूप ले चुकी है लेकिन दुर्भाग्य से हमारे राजनीतिक नेतृत्व में इससे निपटने के लिए इच्छाशक्ति ही देखने को नहीं मिल रही है. दिल्ली के ऑड-ईवन योजना को लागू करने के दौरान राजनेता जिस तरह से एक दूसरे पर कीचड़ उछालते देखे गये वह दुखद है. अनियंत्रित और धुआं भरे शहर हमारा भविष्य नहीं हो सकते. खतरनाक होते वायु प्रदूषण से निपटने के लिए दीर्घकालीन और समयबद्ध कार्ययोजना बनाने की जरूरत है जिसमें हमें सार्वजनिक परिवहन तंत्र को मजबूत करने, पेड़ लगाने ,स्वच्छ व अक्षय ऊर्जा की तरफ बढ़ने, नए व छोटे शहरों का विकास करने जैसे उपाय शामिल करने होंगें, इस कार्ययोजना सरकारों को  नागरिकों, कॉर्पोरेट और वैज्ञानिकों को शामिल करना होगा. लेकिन इन सबसे पहले हमें अपने सोच में बदलाव लाने की जरूरत है क्योंकि दिक्कत यह है कि हमारी व्यवस्था, नेताओ, समाज और कारोबारी वर्ग को प्रदूषण की समस्या नजर ही नहीं आ रही हैं. कोई भी प्रदूषण को रोकने के लिए गंभीर नहीं है.



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जावेद अनीस 
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javed4media@gmail.com

आलेख : सब गंवाने के बाद भी होश में नहीं आई कांग्रेस

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भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद महात्मा गांधी ने कहा था कि देश को अब कांग्रेस की आवश्यकता नहीं है। इसलिए कांग्रेस को समाप्त कर देना चाहिए। पांच राज्यों के चुनाव परिणामों पर नजर डाली जाए तो यही परिलक्षित होता दिखाई देता है कि देश की जनता ने महात्मा गांधी की बात पर अमल करना प्रारंभ कर दिया है। वर्तमान में पूरा देश प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कांग्रेस मुक्त भररत बनाने के सपने को साकार करने के लिए अपने कदम बढ़ाता हुआ दिखाई दे रहा है। 2014 के लोकसभा में कांग्रेस की जो दुर्गति हुई, उसे कांग्रेस की ऐतिहासिक पराजय माना गया। देश के कई राज्यों कांग्रेस अपना खाता भ्ज्ञी नहीं खोल पाई थी, ऐसे में कांग्रेस की जो भूमिका होना चाहिए थी। कांग्रेस ने उसकी अनदेखी की और अपना लक्ष्य केवल नरेन्द्र मोदी तक ही केन्द्रित करके रखा। इससे नरेन्द्र मोदी को मुफ्त में ही जबरदस्त प्रचार मिल गया और कांग्रेस लगातार सिमटती चली गई।


पांच राज्यों के जो चुनाव परिणाम आए हैं, वह कांग्रेस के लिए फिर से एक सबक है। लेकिन सवाल यह आता है कि कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के बाद कोई सबक नहीं लिया तो इन चुनावों के बाद वह अपनी हार के कारणों पर आत्म मंथन करेगी, ऐसा कम ही लगता है। लोकसभा चुनावों के बाद हुए राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस लगातार सिमटती चली जा रही है। दिल्ली और बिहार के चुनाव परिणाम की बात की जाए तो यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि वहां के परिणाम कांग्रेस के लिए लाभकारी कतई नहीं रहे। अब असम और केरल में कांग्रेस की सत्ता का विदा होना कांग्रेस के गिरते हुए ग्राफ का साक्षात उदाहरण है। चुनाव परिणामों के बाद समाचार चैनलों पर जिस प्रकार की बहस चल रही थी, उसमें कांग्रेस के नेताओं ने प्रत्यक्ष रूप से इस सत्य को स्वीकार नहीं किया कि वह बुरी तरह से हार गए हैं। हसरने के बाद भी उसका विरोध करने का तरीका वही था, जिसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ रहा है। वर्तमान में कांग्रेस को यह तो स्वीकार करना ही होगा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को स्वच्छ शासन से साक्षात्कार कराया है। देश में कांग्रेस ने जिस प्रकार से राजनीतिक भ्रष्टाचार किया था, उससे वर्तमान सरकार कोसों दूर है। कहा जाता है कि जब शासक की नीयत स्वार्थी होती है, तब उस देश का भगवान ही मालिक है, लेकिन आज शासक की नीयत एकदम ठीक है। कहीं कोई भ्रष्टाचार नहीं है। इस कारण यह कहा जा सकता है कि कांग्रेस जितना नरेन्द्र मोदी का विरोध करेगी, उसका खामियाजा उसे भुगतना ही होगा।


पूर्वोत्तर राज्य असम में भाजपा का ऐतिहासिक प्रदर्शन इस बात का संकेत करने के लिए काफी है कि वह धीरे धीरे ही सही, लेकिन पूरे देश में प्रभाव बनाती जा रही है। लेकिन कांग्रेस के लिए असम का परिणाम बहुत बड़ा झटका ही है। कांग्रेस ने यह सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उसकी इतनी दुर्गति हो जाएगी। कांग्रेस मुक्त भारत का उदाहरण इससे अच्छा क्या हो सकता है कि आज उत्तर भारत के मुस्लिम बाहुल्य राज्य जम्मू कश्मीर में भाजपा समर्थित सरकार है, तो पश्चिम के राज्य गुजरात में भी भाजपा का परचम है। इसी प्रकार पूर्व के असम में भी भाजपा का जलवा हो गया है और दक्षिण के गोवा में पहले से ही भाजपा की सरकार विराजमान है। इससे यह आसानी से कहा जा सकता है कि देश के चारों कोने जहां भाजपा का प्रभाव है, वहीं कांग्रेस देश के चारों कोनों से विदा हो गई है। आज भले ही कहने को कांग्रेस के पास सात राज्य हैं लेकिन उन सात राज्यों का राजनीतिक अस्तित्व उत्तर भारत के भाजपा शासित राज्यों के मुकाबले कहीं भी नहीं ठहरता। एक कर्नाटक राज्य की सत्ता ही कांग्रेस के लिए आनंददायक कही जा सकती है।

लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस की एक सबसे बड़ी गलती यह भी कही जा सकती है कि उसे अपनी दशा सुधारने के लिए अपने कार्यक्रमों में परिवर्तन करना चाहिए था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। कांग्रेस केवल और केवल एक ही लक्ष्य बनाकर ही चलती रही कि कैसे भी हो राहुल गांधी को राष्ट्रीय नेता बनाया जाए। आज देश राहुल गांधी के बचकाने व्यवहार को देखकर उससे किनारा करने लगा है, लेकिन कांग्रेस फिर भी राहुल को थोपने वाले अंदाज के लिए ही राजनीति कर रही है।

राजनीतिक दृष्टि से दक्षिण भारत के प्रमुख राज्य तमिलनाडु में जयललिता का जादू ऐसा चला कि उन्होंने तीन दशक बाद राज्य में किसी भी राजनीतिक दल की सरकार की निरंतरता को बनाए रखा है। तमिलनाडु में लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बनना हालांकि कोई नई बात नहीं है, लेकिन एमजी रामचंद्रन के बाद राज्य में जयललिता दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने जा रहीं हैं। वे छठवीं बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनेंगी। तमिलनाडु के विधानसभा चुनाव में द्रविड़ मुनेत्र कषगम के मुखिया ने कांग्रेस की डूबती नैया पर सवार होकर राजनीतिक वैतरणी को पार करने का सहारा लिया, लेकिन तमिलनाडु में कांग्रेस तो डूबी ही, साथ ही द्रमुक को ले डूबी। लोकसभा चुनाव में सब कुछ लुटा कर भी होश में नहीं आने वाली कांग्रेस को इन चुनावों में झटका लगना स्वाभाविक ही था। जयललिता के लिए सबसे अच्छी बात यह है कि उसने पिछले प्रदर्शन की तुलना में इस बार अपनी ताकत बढ़ाई है। पिछले 2011 के विधानसभा चुनाव में उसकी पार्टी अन्नाद्रमुक को जहां उसे 38.40 प्रतिशत मत मिले थे, तो इस चुनाव में उसके मतों का प्रतिशत 41 के लगभग रहा है।

कांग्रेस पार्टी ने तमिलनाडु में द्रमुक के साथ मिलकर जो सपने देखे थे, वे सपने आज चकनाचूर हो गए। अब इस बात की संभावना जताई जा रही है कि द्रमुक अगर अकेले ही चुनाव मैदान में होती तो शायद उसकी सरकार बन सकती थी, लेकिन तमिलनाडु की जनता का कांग्रेस के प्रति जो गुस्सा था, उसकी परिधि में करुणानिधि की द्रमुक पार्टी भी आ गई। इसलिए द्रमुक की स्थिति ''आए थे हरिभजन को ओटन लगे कपास, वाली होकर रह गई। लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस की जिस प्रकार से दुर्गति हो रही है। उसके सत्ता वाले राज्य एक एक करके दूर होते जा रहे हैं। तमिलनाडु में पूरी तरह से कांग्रेस और द्रमुक को यह विश्वास हो गया था कि राज्य में निश्चित ही उसकी सरकार बनेगी। हालांकि इसके गठबंधन ने भी सौ का आंकड़ा पार कर लिया है, लेकिन लोकतंत्र में सरकार बहुमत के आधार पर बनती हैं, जो आज कांग्रेस के पास नहीं है और जयललिता का जादू बरकरार रहा।
पश्चिम बंगाल के विधानसभा के परिणामों पर नजर दौड़ाई जाए तो वहां ममता बनर्जी ने एक बार फिर से परचम लहराया है। यहां कांग्रेस ने भले ही दूसरे नंबर का बड़ा दल होने का गौरव प्राप्त किया है, लेकिन यहां भाजपा की उपस्थिति चौंकाने वाली ही कही जाएगी। अगले साल भी पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा व मणिपुर में विधानसभा चुनाव होने हैं, इनमें कहीं भी कांग्रेस के आने की उम्मीद नहीं है। आखिर कांग्रेस की यह दशा क्यों होती जा रही है, पार्टी के लिए चिंतनीय है।

कांग्रेस की वर्तमान स्थिति के राजनीतिक विश्लेषण शुरु हो चुके हैं। कई राजनीतिक पंडित इस बात को सहज रूप में स्वीकार करने लगे हैं कि पांच राज्यों चुनाव परिणाम कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति के लिए भी बहुत बड़ा व्यवधान है। इसके बाद कांग्रेस क्या राष्ट्रीय दल की पहचान खो सकती है। यकीनन यह सही भी हो सकता है। जिस प्रकार से कांग्रेस राज्यों से बेदखल होती जा रही है उससे तो यही कहा जा सकता है कि कांग्रेस अब डूब रही है। कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी विसंगति यही कही जाएगी कि उसके राष्ट्रीय नेता केवल राजा बनकर रह गए हैं। जमीनी राजनीति से बहुत दूर हो चुके कांग्रेस के नेता जनता से जुडऩा ही नहीं चाहते। अगर यही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं, जब पूरा भारत कांग्रेस मुक्त हो जाएगा।






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सुरेश हिन्दुस्थानी
झोकन बाग, झांसी उत्तरप्रदेश
मोबाइल-09455099388

पाकिस्तान ने एनएसजी की सदस्यता के लिये किया आवेदन

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इस्लामाबाद, 21 मई, पाकिस्तान ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता हासिल करने के लिये आैपचारिक रुप से आवेदन किया है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा,“शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए सभी तरह के परमाणु आवेदन को लेकर सेवाआें और एनएसजी द्वारा नियंत्रित वस्तुओं की आपूर्ति के लिए पाकिस्तान सभी तरह के विशेषज्ञता,मानव संसाधन, बुनियादी ढांचा और योग्यता रखता है।” मंत्रालय ने कहा कि उसके राजदूत ने वियना में एनएसजी को संबोधित एक पत्र के माध्यम से एनएसजी सदस्यता के लिए अावेदन किया। 


पत्र में कहा गया है कि निर्यात नियंत्रण व्यवस्था में भागीदारी के लिए लिया गया निर्णय जनसंहारक हथियारों के प्रसार तथा इनकी आपूर्ति के माध्यमों को रोकने के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के प्रति पाकिस्तान के ठोस सहयोग की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। एनएसजी की सदस्यता के लिए आवेदन करने के पीछे पाकिस्तान ने दलील दी है कि वह परमाणु सुरक्षा को बहुत अधिक महत्व देता है। उसने परमाणु सुरक्षा को अंतरराष्ट्रीय मानकों तक लाने के लिए कानूनी, नियामक और प्रशासनिक कदम भी उठाएं हैं। पाकिस्तान का एनएसजी सदस्यता के लिए आवेदन करने का यह कदम एनएसजी में भारत के प्रवेश को चीन द्वारा रोके जाने के बाद लिया गया है।


सीबीएसई ने किए 12वीं के परीक्षा परिणाम घोषित

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नयी दिल्ली, 21 मई, केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड(सीबीएसई) ने आज बारहवीं की परीक्षा के परिणाम घोषित कर दिए। 12वीं की परीक्षा में कुल 10,67,900 छात्र बैठे थे। छात्र तीन वेबसाइट डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट रिजल्ट्स डॉट एनआईसी डॉट इन, डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट सीबीएसईरिजल्ट्स डॉट एनआईसी डॉट इन और डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट सीबीएसई डॉट एनआईसी डॉट इन पर परीक्षा परिणाम देख सकते हैं। इस वर्ष से सीबीएसई डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट डिजीलॉकर डॉट जीओवी डॉट इन पर डिजीलॉकर में 12वीं की डिजीटल मार्कशीट उपलब्ध करायेगा। सीबीएसई की 12वीं की परीक्षा एक मार्च से शुरु होकर 22 अप्रैल को समाप्त हुई थी।


सिंहस्थ : बुद्ध पूर्णिमा पर आस्था मुस्कुराई, 12 घंटे में लाखों ने किया पवित्र स्नान

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उज्जैन, 21 मई, मध्यप्रदेश के उज्जैन में सदी के दूसरे सिंहस्थ के आज बुद्ध पूर्णिमा पर हो रहे अंतिम शाही स्नान के मौके पर रिकॉर्डतोड तापमान के बावजूद आस्था हर ओर मुस्कुराती दिखाई दी। कल रात से शुरू हुए शाही स्नान के मौके पर अब तक लाखों लोग मोक्ष की कामना से क्षिप्रा नदी के जल से खुद को पवित्र कर चुके हैं। आकर्षक विद्युत सज्जा से सजे घाट हर पल देश-विदेश से अाए हजारों श्रद्धालुओं की मौजूदगी के साक्षी बन रहे हैं। शाही स्नान की पूर्व संध्या से ही श्रद्धालुओं का जनसैलाब क्षिप्रा तट पर स्नान के लिए उमड़ पड़ा। रामघाट, दत्त अखाड़ा घाट, नृसिंह घाट, सुनहरी घाट, वाल्मीकि घाट, भूखी माता घाट और लालपुल, गऊघाट पर लाखों श्रद्धालुओं ने मध्य रात्रि से ही स्नान करना शुरु कर दिया था। 


आज लाखों लोगों के आगमन की संभावनाओं के मद्देनजर प्रशासनिक अमला भी पूरी मुस्तैदी के साथ जुटा हुआ था। कल शाम से ही पुराने शहर के आधे हिस्सों में बेरिकेटिंग कर आना-जाना प्रतिबंधित कर दिया गया था। अखाडों के स्नान के लिये रामघाट एवं दत्त अखाडों को जोडने वालें मार्ग पर कडी सुरक्षा प्रबंध किये। इन दोनों घाटों पर विभिन्न अखाडो के साधु संतो के स्नान के बाद ही आम श्रद्धालुओं के लिये इन्हें खोला जाता है। इस परंपरा के चलते मध्यरात्रि से ही श्रद्धालु इन दोनों घाटों पर स्नान के लिये सडकों पर सोते दिखाई दिए। रात 12 बजे दोनों घाट साधु संतों के स्नान के लिए खाली कराना शुरू कर दिए गए। इसके बाद आधुनिक मशीनों, चलित पंपों के द्वारा घाटों की धुलाई की गई। इस दौरान अन्य घाटों पर श्रद्धालुओं का स्नान चलता रहा।

टिम कुक ने प्रधानमंत्री को भेंट किया नरेन्द्र मोदी एप का नया संस्करण

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नयी दिल्ली, 21 मई, विश्व प्रसिद्ध आईटी कंपनी एप्पल इंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) टिम कुक ने आज यहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भेंट की और उन्हें नरेन्द्र मोदी मोबाइल एप्लीकेशन का आधुनिक संस्करण भेंट किया। प्रधानमंत्री ने श्री कुक से मुलाकात के बाद ट्विटर पर बताया कि उनकी श्री कुक के साथ बहुत सार्थक बातचीत हुई। श्री कुक ने उन्हें नरेन्द्र मोदी मोबाइल एप्लीकेशन का आधुनिक संस्करण भेंट किया जिसमें एक वालंटियर नेटवर्क का विकल्प जोड़ा गया है। श्री मोदी ने अपने चाहने वालों से अपील की कि वे इस नये फीचर को देखें। इस ‘माई नेटवर्क’ फीचर के माध्यम से लोगों का सशक्तीकरण होगा और वे इस मंच पर अपने विचारों को साझा कर सकेंगे और अधिक सक्रियता से योगदान दे सकेंगे।


राजीव गांधी को दी गयी श्रद्धांजलि

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नयी दिल्ली 21 मई, पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को उनकी 25वीं पुण्यतिथि पर आज भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी, उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका गांधी तथा बहनोई राबर्ट वाड्रा एवं कांग्रेस कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा के साथ-साथ कई गणमान्य व्यक्तियों ने पूर्व प्रधानमंत्री के स्मारक वीरभूमि जाकर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए। कांग्रेस और उसके सहयोगी संगठनों ने इस मौके पर कई कार्यक्रम आयोजित किए जिनमें सबसे प्रमुख कार्यक्रम युवक कांग्रेस ने यहां इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में आयोजित किया है। इस मौके पर कांग्रेस मुख्यालय में रक्तदान शिविर का आयोजन भी किया गया। गौरतलब है कि पूर्व प्रधानमंत्री की वर्ष 1991 में तमिलनाडु के श्रीपेरम्बदूर में एक चुनावी रैली में बम विस्फोट कर हत्या कर दी गई थी।


विशेष : उज्जैन सिंहस्थ 2016, सेल्फी विद् साघु

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झाबुआ /पारा  (अनिल श्रीवास्तव)।धार्मीक आस्था का महाकुभं उज्जेन सिहस्थ 2016 अपने परवान चढकर समापन की ओर अग्रसर हे।जहा भिन्न भिन्न समप्रदाय, मत व पंथ के साधु संत महामण्डलेश्वर शंकराचार्य धर्मो के मठाधीश अपने मठ मंदिरो ओर कंदराओ से निकल कर आम आदमी को अपने दिव्य दर्शन आर्शिवचन देने के लिए पहुचे हे। उज्जेन मे चहुओर धर्म ज्ञान कि गंगा बह रही हे। आम जन भी इस धार्मीक गंगा मे डुब कर अभीभुत हे वही  क्षिप्रा नदी मे नर्मदा के जल मे डुबकी लगाकर अपने आप को कृतार्थ महसुस कर रहा हे। 

            
शासन प्रसाशन ने सिहस्थ की तेयारीया दो तिन वर्ष पुर्व से शुरु करदी थी। सिहस्थ व उज्जेन विकास के लिए करोडो रुपए का आवंटन किया। इस महाकुभ से पहले भी कई सिहस्थ आए शासन ने कोई विशेष काम नही किया था वही इस कुुभ मेले के लिए उज्जेन मे विेकास का इक नया सुत्र पात हुआ हे।शासन ने मुस्तेदी के साथ बाबा महाकाल की नगरी की सुध ली ।बहुत विकास हुआ हर तरफ नवनिर्माण सडक, पुल,मंदिर ,तालाबो का सोदर्यी करण क्षिप्रा के तट का विकास, नदी का पानी,पिने के पानी के लिए जगह जगह आरओ का शितल जल  की व्यवस्था आदी जेसी मुलभुत सुविधाओ का अम्बार लगाया जिससे की आम आदमी को किसी प्रकार की कोई असुविधा न  हो।सिहस्थ का लाईट डेकेारेशन देख कर आखे चुंधिया जाती हे व्यवस्था से हर कोई अभीभुत हे। हाला कि सिहस्थ मे चांडाल योग का पता बाद मे चला पर उज्जेन नगर वासीयो को इस का अनुभव पहले से ही होगया था। विकास के नाम पर कईयो को बेधर भी होना पडा। जिन लोगो के मकान सिहस्थ झोन मे थे या मुख्य मार्ग पर उनपर प्रशासन का हथेाडा चला पचास फिट का मकान 8-10 फिट मे तबदील होगया वही कुछको इससे भी हाथ धेाना पढा। अस्तु कीसी ने भी उफ नही कि। आंधी तुफान आए ओर चलेगए पर प्रदेश के मुखिया शिवराजसिह चोहान आज भी सिहस्थ क्षेत्र व उज्जेन मे अडिग हे।हर व्यवस्था को उन्हाने अपने हाथो मे लेरखा हे।यह लिखने मे कोई अतिशयोक्ती नही हे कि पिछले ढेढ माह से उन्हाने प्रदेश का संचालन उज्जेन रह कर किया है।आंधि तुफान मे संतो ंके क्षतिग्रस्त पांडालो को स्वयं अपने करकमलो से दुरस्त कर इस सिहस्थ को नई उचाईया दी हे।संतो ने भी उनकी इस छवी का दोहन करने मे कोई कसर नही रखी।उनका भर पुर उपयोग किया।       


इस सब के बावजुद इस महाकुभ मे बहुत कुछ हट कर हे । इस बार के सिहस्थ मे सेल्फी का ज्यादा बोल बाला हे।साधु संतो की चकाचोंध ने आम आदमी को अपनी सेल्फी लेने के लिए मजबुर कर दीया। कि किस तरह आम आदमी को माया मोह से दुर करने का ज्ञान देने वाले संत खुद कितने माया मोह मे फंसे हे हालाकी आम आदमी को इससे कोई सरोकार नही हे उसे तो बस एक सेल्फी की जरुरत हे जो बता सके कि वह कीस साधु के साथ कितने नजदीक हे। वही साधुओ को लगा की उनका प्रचार प्रसार हो रहा हे।अस्तु सेल्फी लेने का किसी ने भी विरोध प्रकट नही किया। कुल मिलाकर सेल्फी विद साधु निर्विवाद रही ।लोगो को भी अब साधुओ के कर्मकाण्ड, ध्यान, ज्ञान,प्रवचन,सतसंग मे ज्यादा रुची नही रही रुची हे तो एक सेल्फी की। बस हर जगह रेलम पेल जनता का सेलाब ओर आस्था की एक डुबकी विद सेल्फी।
                
इस सिहस्थ कुंभ मे इस बार यह भी अलग से हट कर हे कि  अभी तक के सिहस्थ मे 13 अखाडे ही आते थे। इस बार एक नए 14 वे अखाडे का निर्माण भी यहा हुआ व उसको किन्नर अखडे के रुप मे मान्यता मिली। हालाकि इसके दुरगामी परिणाम क्या होगे यह भविष्य की बात हे।वही मेरी नजर एकओर 15 वे अखाडे का भी अधोषित रुप से काफी बोलबाला रहा हें । वह हे राजनितिक अखाडा जिनके भी लगभग सभी शंकराचार्य महामण्डलेश्वर,अपने सभी चेले चपाटीयो के साथ इस महा कुंभ मे आवागमन करते विराजित रहे।अस्तु यह सिहस्थ महा कुंभ कई चित्र विचित्र समृतिया आम आदमी के मानस पटल पर अंकित विदा ले रहा हे। वही उपर वाले के द्वारा भी सेल्फी लेने से इन्कार नही किया जा सकता उसने भी अपनी भरपुर फ्लस लाईम लाईट मे गरज बरसकर समुचे उज्जेन सिहस्थ की एक नही कई बार सेल्फी ली है।
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