माॅ नर्मदा नदी के तटो पर हरितपटटी विकास के लिए तैयार होगी कार्ययोजना
- वृक्षारोपण, स्वच्छता, नदीपुर्नजीवन, प्रदूषण नियंत्रण एवं जैविक खेती विकास पर होगे कार्य
कलेक्टर डाॅ. सुदाम खाडे की अध्यक्षता में नमो नर्मदा अभियान के तहत नर्मदा नदी के दोनों तटांे पर हरित पटटी विकास हेतु कार्य योजना तैयार करने हेतु बैठक संपन्न हुई। बैठक मे मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत डाॅ. आर.आर. भांेसले, सहायक संचालक उद्यानिकी श्री पुरूषोत्तम जोशी, सहायक संचालक श्री एल.एन. पचबारिया, ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी, उद्यान विकास अधिकारी, प्रभारी वरिष्ठ उद्यान विकास अधिकारी, सहित संबंधित विभागो के अधिकारी, कर्मचारी उपस्थित थे।
27 ग्राम पंचायतो मे 14452 हैक्टेयर पर होगा कार्य
हरित पटटी विकास अंतर्गत वृक्षारोपण, स्वच्छता, जल संग्रहण एवं नदी पुर्नजीवन तथा जैविक खेती को आवश्यक गतिविधियो के रूप मे शामिल किया गया है। नर्मदा नदी के दोनो तटो पर जिले के विकास खण्ड बुधनी की 19 ग्राम पंचायत एवं नसरूल्लागंज की 8 ग्राम पंचायतो मे आने वाले 58 ग्रामो मे गतिविधियो का क्रियान्वयन विभागो द्वारा सर्वे कर तथा चिन्हित ग्रामो मे आने वाले ग्रामवासियो एवं किसानो के सहयोग से किया जावेगा। जिले मे उक्त कार्य 27 ग्राम पंचायतो मे 14452 हैक्टेयर पर किया जावेगा। राजस्व विभाग अंतर्गत 2706 हैक्टेयर, वन विभाग अंतर्गत 207 हैक्टेयर तथा निजी किसानो की 11539 हैक्टेयर भूमि पर हरित पटटी विकास का कार्य किया जावेगा।
ये विभाग होगे शामिल
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभा, वन विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, कृषि विकास एवं किसान कल्याण विभाग, कछुआ कल्याण तथा मत्स्य विभाग, नर्मदा घाटी विभाग, संस्कृत एवं पर्यटन विभाग, नगरीय विकास एवं पर्यावरण विभाग, अनुसूचित जाति कल्याण विभाग, आदिम जाति कल्याण विभाग, खेल एवं युवा कल्याण विभाग, ग्रामोद्योग, पशुपालन, स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा, पुलिस, राजस्व, खनिज, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण, पर्यावरण, योजना आर्थिक एवं सांख्यिकीय विभाग, तथा जनसम्पर्क विभाग, उक्त कार्य के सहयोगी विभाग के रूप मे शामिल रहेगे।
जिला स्तरीय सतर्कता एवं निगरानी समिति की बैठक 8 को
कलेक्टर डाॅ. सुदाम खाडे ने बताया की जिला सतर्कता एवं निगरानी की बैठक सांसद एवं सह अध्यक्ष श्री आलोक संजर की अध्यक्षता मे 08 जून, 16 को जिला पंचायत सभा कक्ष मे प्रातः 11ः00 बजे से आयोजित की जावेगी। बैठक के एजेंण्डे मे राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतिकरण योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम, प्रधानमंत्री ग्राम सडक योजना, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से संचालित योजना, आदिम जाति कल्याण विभाग विभाग, राष्ट्रीय भू-रिकार्ड आधुनिकीकरण कार्यक्रम, स्वास्थ्य विभाग, राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम की समीक्षा को शामिल किया गया है। डाॅ. खाडे ने समस्त संबंधित विभाग प्रमुखों को निर्देशित किया है कि पूर्व बैठक के पालन प्रतिवेदन तथा बैठक मे शामिल बिन्दुओ के आधार पर जानकारी शीघ्र उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें।
ग्राम उदय से भारत उदय अभियान अन्तर्गत किये गये कार्यो को करे आॅनलाईन-डाॅ0 सुदाम खाडे
ग्राम उदय से भारत उदय अभियान अन्तर्गत निर्धारित ग्राम सभाआंे के समापन उपरांत चिन्हांकित गतिविधियो के अनुसार विभागो द्वारा की गई कार्यवाही को अभियान के पोर्टल पर दो दिवस शतप्रतिशत एन्ट्री करने के निर्देश कलेक्टर डा0 सुदाम खाडे ने अभियान की समीक्षा बैठक के दौरान विभाग प्रमुखों को दिये। डाॅ0 खाडे ने विभाग प्रमुखांे को निर्देशित किया कि पोर्टल मे की गई एन्ट्री का सत्यापन करते हुये अद्यतन स्थिति अपलोड करना सुनिश्चित करे। बैठक मे कार्यपालन यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग श्री एस.के.जैन ने बताया कि अभियान के दौरान विकासखण्ड सीहोर मे 13 नस0गंज एवं आष्टा मे 09 - 09, इछावर मे 12 तथा बुदनी मे 05 ग्राम पंचायत मंे नल जल योजना अभियान के दौरान प्रारंभ कर ग्रामवासियों को शुद्ध पेयजल प्रदान करने की कार्यवाही की गई है।
कृषकों को कचरे से जैविक खाद तैयार करने की सलाह
जैविक खेती मृदा की उर्वरता एवं फसल की उत्पादकता बढाने में पूर्णतः सहायक है। वर्षा आधारित क्षेत्रो में जैविक खेती की विधि और भी अधिक लाभदायक है। जैविक विधि द्वारा खेती करने से उत्पादन की लागत कम होने के साथ ही कृषकों को अधिक आय प्राप्त होती है। पर्यावरण स्वच्छता, भूमि की उर्वरता शक्ति का संरक्षण एवं मानव स्वास्थ्य के लिये भी जैविक खेती की राह अत्यंत लाभदायक है। कृषको को इस संबंध में सलाह दी गई है कि वे अपने ग्राम में उपलब्ध स्थानीय कूडा, वानस्पतिक कचरा, फसल अवशेष आदि का उपयोग कर नाडेप खाद, वर्मी कम्पोस्ट आदि के माध्यम से सरल, सस्ती और कम समय में उन्नत जैविक खाद तैयार करें। गोबर अत्यंत महत्वपूर्ण है, इसे कंडे बनाकर व्यर्थ न करें, बल्कि इसका उपयोग वानस्पतिक कचरे का सडानेे में करें। जैविक खाद की गुणवत्ता बढाने के लिये कल्चर या बायोगैस स्लरी को मिलाया जाये। नाडेप एवं वर्मी कम्पोस्ट को पक्के टांके में ही तैयार करना आवश्यक नहीं है, बल्कि सरल तरीके से उपलब्ध कूडा, वास्तविक कचरा, फसल अवशेष आदि को छावदार स्थान में इकट्ठा कर गोबर के साथ सडाकर नाडेप खाद तैयार की जा सकती है।