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झारखंड से राज्यसभा का चुनाव दिलचस्प

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रांची, 30 मई, झारखंड में राज्यसभा की दो सीटों के लिए होने वाले चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो गयी है। राज्यसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के प्रत्याशी के रूप में केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने आज नामांकन भरा। श्री नकवी ने यहां विधानसभा के प्रभारी सचिव सह निर्वाचन अधिकारी विनय कुमार सिंह के समक्ष अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री रघुवर दास समेत पार्टी के कई विधायक और वरिष्ठ नेता मौजूद थे। इधर झारखंड मुक्ति मोर्चा(झामुमो) ने राज्यसभा चुनाव में बसंत सोरेन को उम्मीदवार बनाये जाने का निर्णय लिया है। झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन के रांची स्थित आवास पर पार्टी विधायक दल की हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। बाद में पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने पत्रकारों को बताया कि राज्य में सबसे बड़े विपक्षी दल होने के नाते झामुमो का राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवार खड़े करने का दावा बनता था। उन्होंने बताया कि उम्मीदवार देने के पहले कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से उनकी बात हुई थी और समर्थन के मसले पर कांग्रेस पार्टी को अंतिम फैसला लेना है। 

श्री सोरेन ने बताया कि अन्य विपक्षी दलों के नेताओं से भी राज्यसभा चुनाव में समर्थन के मुद्दे पर बात की जाएगी। उन्होंने कहा कि राज्यसभा चुनाव में खरीद फरोख्त की स्थिति उत्पन्न न हो इसके लिए सत्तापक्ष के साथ विपक्ष को भी मिलकर प्रयास करना होगा। उन्होंने बताया कि झामुमो उम्मीदवार बसंत सोरेन मंगलवार को अपना नामांकन पत्र दाखिल करेंगे। इधर कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम के आवास पर पार्टी विधायकों और वरिष्ठ नेताओं की बैठक में राज्यसभा चुनाव को लेकर चर्चा हुई। झारखंड विकास मोर्चा के प्रधान महासचिव प्रदीप यादव ने झामुमो और कांग्रेस के साझा उम्मीदवार होने पर बिना शर्त समर्थन देने की बात कही है। दूसरी तरफ भाजपा ने झारखंड से राज्यसभा की दूसरी सीट के लिये महेश पोद्दार को उम्मीदवार बनाये जाने की घोषणा की है। श्री पोद्दार की उम्मीदवारी से अब राज्यसभा चुनाव दिलचस्प हो जायेगा। 

पत्रकारिता दिवस विशेष : कलम की ताकत बंदूक से कहीं ज्यादा

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चित्र हो या खबर किसी की जान नहीं लेते। लेकिन जिस तरह कलम के सिपाहियों की उनकी खबर या कार्टून उन्हीं के जान की दुश्मन बन रहे है, उससे तो यही कहा जा सकता है कलम की ताकत बंदूक या लालफीताशाही के उत्पीड़नात्मक रवैये से कहीं ज्यादा है। यह सही है कि किसी की अभिव्यक्ति पर आपकी असहमति हो, आप उसे मानने या न मानने के लिए भी तो स्वतंत्र है, लेकिन विरोधी स्वर को हमेशा-हमेशा के लिए खामोश कर देना कहीं से भी न्याय संगत नहीं है। परंतु सब कुछ हो रहा है 

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बिहार का सिवान हो या झारखंड का रांची या यूपी समेत अन्य सूबा जहां हाल में पत्रकारों की हत्याएं सिर्फ इसलिए की गयी कि सामने वाले उसके खबर से इत्तफाक नहीं रखता है। शायद वह नहीं जानते कि पत्रकार किसी मजहब-जाति का नहीं बल्कि समाज में व्याप्त कुरीतियों का दुश्मन होता है। अफसोस इन कुरीतियों व काले कारनामों के ठेकेदार बोली का जवाब बोली से देने के बजाएं बुलेट या अपनी ओछी हरकतों से देते है। बंदूक चलाने वाले नहीं जानते कि हम कलम चलाने से पहले निश्चय कर लेते है कि अब से पूरा समाज, पूरा देश, पूरी दुनिया ही हमारा परिवार हैै। हम उनकी हक व आवाज उठाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते है चाहे इसके लिए हमें किसी भी तरह की कुर्बानी ही क्यों न देनी पड़ी। हम तो बस अपना काम करते है, जो हमें करनी चाहिए। हम तो जान हथेली पर लेकर ही सुबह से देर रात तक सड़क हो या कोई भी जोखिम भरा इलाका सब जगह पहुंच कर फोटों खिचने से लेकर वीडियों शूटिंग व रिपोर्टिंग करते है। भ्रष्ट लालफीताशाही आफिसरों से लेकर पुलिस के काले कारनामों को भी बड़े ही तथ्यात्मक तरीके से प्रकाशित कराते है। यहां तक कि चाहे बम धमाके हो या सीमा पर सीज फायर का उल्लघंन हो या फिर आतंकी हमला या समुंदर में सुनामी तुुफान हो चक्रवात या फिर भूकंप ही क्यों न हो, हर परिस्थिति में अपनी परवाह किए बगैर हम निकल जाते है अपने मिशन पर, ताकि हर आमो-ओ-खास तक सही-सही जानकरी पहुंचा सके। 

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इसके बावजूद लालफीताशाही आफिसर हो या बाहुबलि माफिया या सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधि अपने पद का दुरुपयोग कर पत्रकारों का उत्पीड़न करते है। पत्रकार की कलम सच न उगले फर्जी मुकदमें दर्ज कर घर-गृहस्थी लूट लेते है या लूटवा देते है या फिर जिंदा जला देते है या जलवा देते है। जबकि खबर किसी की जान नहीं लेते, लेकिन जिस तरह चाहे वह यूपी हो या बिहार या मध्य प्रदेश या फिर महाराष्ट्र जैसे अन्य प्रदेश कलम के सिपाहियों की खबर उनके जान की दुश्मन बन रही है, उससे तो यही कहा जा सकता है कलम की ताकत बंदूक या लालफीताशाही के उत्पीड़नात्मक रवैये से कहीं ज्यादा है। यह सही है कि किसी की अभिव्यक्ति पर आपकी असहमति हो, आप उसे मानने या न मानने के लिए भी तो स्वतंत्र है, लेकिन विरोधी स्वर को हमेशा-हमेशा के लिए खामोश कर देने या दुसरों पर अपनी सोच जबरन थोपने की इजाजत किसी को भी नहीं है। परंतु सब हो रहा है। कुछ दलाल, ब्रोकर व लाइजनिंग में जुटे पत्रकारों को छोड़ दे तों ऐसे पत्रकारों की संख्या एक-दो नहीं बल्कि हजारों में है, जो हर तरह के असामाजिक तत्वों की पोल अपनी कलम के जरिए उजागर करते है और हर वक्त लालफीताशाही से लेकर नेता माफिया व पुलिस के निशाने पर रहते है। बात आंकड़ों की किया जाएं तो पत्रकारों के साथ होने वाली घटनाओं की संख्या हाल के दिनों में बड़े पैमाने पर बढ़ी है। पत्रकारिता के लिहाज से अब हमारा भी देश बेहद खतरनाक की श्रेणी में शामिल हो गया है। देश का सबसे बड़ा सूबा यूपी व बिहार सर्वाधिक संवेदनशील हो गया है। हाल के दिनों में दो दर्जन से अधिक पत्रकारों की हत्या, 500 से अधिक पत्रकारों पर फर्जी मुकदमें व दो दर्जन से अधिक पत्रकारों की घर-गृहस्थी लूटा जा चुका है। 

वैसे भी पत्रकारिता को लोकतंत्र का चैथा स्तंभ यूं हीं नहीं कहा जाता। कुछ चाटुकार व लाइजनिंग के धंधे में जुड़े पत्रकारों को छोड़ दे, बाकी के लोगों तक सच पहुंचाने के लिए हम पत्रकार अपनी जान तक का परवाह नहीं करते। दुनियाभर में फैली हमारी बिरादरी हर तरह के हालात में लड़ते हुए काम कर रही है, ताकि सच जिंदा रहे। लोकतंत्र में लोगों की आस्था बनी रहे। जीवंत रहे, धड़कता रहे, गलत की जीत व सही की हार न हो। इससे सटीक उदाहरण और क्या हो सकता है कि पत्रकारों की हत्या या उत्पीड़न के बाद भी खबरों का प्रकाशन बंद नहीं होता। यदि ईसा मसीह, महर्षि दयानंद और महात्मा गांधी की हत्या करके उनके हत्यारों ने यह सोचा होगा कि वे उनकी आवाजों को ठंडा कर देंगे तो क्या हुआ? उसके परिणाम उल्टे ही हुए। यानी उनकी कलम को ना ही बंदूक रोक सकती है और ना ही समय-समय पर उत्पीड़न करने वाले लालफीताशाही आफिसर या नेता या दलित सहित अन्य महिला उत्पीड़न व बलातकार के आरोपियों को पनाह देने वाले राजनीतिक पार्टियां। अभिव्यक्ति की आजादी का अर्थ ही यह है कि उसमें कभी-कभी अपने हद से पार जाकर सच को कहा या लिखा जाय और उसके लिए खतरा उठाना लोकतांत्रिक समाज में किसी न किसी रुप में जरूरी होता है। लेकिन अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब असुविधाजनक या अप्रिय अभिव्यक्ति को बर्दाश्त करने की सहिष्णुता भी है। हो सकता है कि किसी की कोई बात दूसरे को बुरी लगे, लेकिन एक लोकतांत्रिक और बहुलतापूर्ण समाज में उदारता और सहनशीलता जरूरी है। इसका मतलब कत्तई यह नहीं है कि अगर आपकों किसी की अभिव्यक्ति अच्छी नहीं लगी तो उसके लिए किसी की जान लें लें। उसके लिए कोर्ट-कचहरी सहित अन्य तरीके का भी तो इस्तेमाल हो सकता है। यह भी सही है कि किसी की अभिव्यक्ति पर आपकी असहमति हो, आपस उसे मानने या न मानने के लिए भी तो स्वतंत्र है, लेकिन विरोधी स्वर को खामोश कर देने या दुसरों पर अपनी सोच जबरन थोपने की इजाजत तो किसी को भी नहीं है। पर अफसोस है सबकुछ हो रहा है। 

बलातकार, दिनदहाड़े हत्या, घपले-घोटाले, अवैध खनन आदि घटनाओं को उजागर व आरोपी को जनता के सामने लाकर बेनकाब करना अगर गुनाह है तो कोई बात नहीं, लेकिन अगर सच है तो फिर इनकी बखिया उधेड़ने वाले पत्रकारों की क्यों सिलसिलेवार हत्याएं हो रही है। यह अपने आप में बड़ा सवाल है। आखिर इसकी छानबीन क्यों नहीं हो पा रही है। आखिर क्यों इन घटनाओं में संलिप्तों के आरोपों की जांच में लगे आफिसरों की ही रिपोर्ट को सही मान लिया जाता है, जिसके बारे में जगजाहिर है कि वह अपने दोषी अधिकारियों के खिलाफ रिपोर्ट देना तो दूर जुबा तक नहीं खोलेंगे, फिर इन्हीं भ्रष्ट अधिकारियों से क्यों दोषियों की जांच कराई जाती है।  कहा जा सकता है इस तरह के हालात पत्रकारों के लिए आपताकाल से भी बुरी स्थिति है। अभिव्‍यक्ति की आजादी का खुलेआम कत्‍ल किया जा रहा है। सरकारें मौत की कीमत मुआवजे में तौल रही है। मैने खुद जब भदोही में बलात्कार व उत्पीड़न की शिकार दलित युवती की आवाज उठाई, बाहुबलि विधायक से लेकर माफिया तक के काले कारनामों को उजागर करने के साथ ही भ्रष्ट पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों की कारगुजारी जनता के सामने उजागर किया तो इन भ्रष्टाचारियों ने मिलकर न सिर्फ कई फर्जी मुकदमें दर्ज किए बल्कि मेरी पूरी गृहस्थी लूटवा दी, लेकिन मैंने घुटने टेकने के बजाय दो टूक जवाब में कहा, मैं कलम चला रहा हूं, हथियार नहीं। इन सारे झंझावतों के बावजूद आज भी मेरी कोशिश दिन-रात यही है कि आप तक सही घटनाओं व काले कारनामों को पहुंचाने का पूरजोर कोशिश करता रहूं। 

वह दौर-ए-गुलामी था, यह दौर-ए-गुलामां है-पत्रकारिता के संघर्ष की इससे दो दिशाएं साफ होती हैं। तब ‘मिशन’ था अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति का और अब दौर है आर्थिक-सामाजिक-राजनीतिक दासता से मुक्ति का। इसी ‘मुक्ति’ की चाहत के साथ समर्पित भाव से काम करने वाले दर्जनों पत्रकारों ने अपनी जानें गंवा दीं। इनके जज्बे को भी सलाम करने का मौका है- पत्रकारिता दिवस। पत्रकारिता अमर है बस उसे करने के लिए जोशीले कर्मठ युवाओ की जरुरत है। वह समय के साथ-साथ अपना रूप बदलती रहेगी। कभी प्रिंट मीडिया कभी इलेक्ट्रोनिक मीडिया के रूप में। पत्रकारिता को करने के लिए पत्रकारों को चाहिए कि वह अपना काम पुरे जोश और लगन से करते रहे और पत्रकारिता को मजबूत बनाते रहे। इसमें कोई शक नहीं कि हिंदी पत्रकारिता समृद्ध हुई है। इसकी ताकत का दुनिया ने लोहा माना है। अंग्रेजी के पत्रकार भी थक हार कर हिंदी के मैदान में कूद गए। भले ही उनके लिए हिंदी पत्रकारिता ठीक वैसे ही हो, जैसा कहावत है- खाए के भतार के और गाए के यार के। लेकिन ये हिंदी की ताकत है। लेकिन इस ताकत की गुमान में हमने सोचने समझने की शक्ति को खो दिया। ये सच है कि एक दौर था जब अंग्रेजी की ताकत के सामने हिंदी पत्रकारिता दोयम दर्जे की मानी जाती थी। मूर्धन्य लोग पराक्रमी अंदाज में ये दावा करते थे- आई डोंट नो क, ख ग आफ हिंदी बट आई एम एडिटर आफ..... मैगजिन। लेकिन तब के हिंदी के पत्रकार डरते नहीं थे। डटकर खड़े होते थे और ताल ठोककर कहते थे- आई फील प्राउड दैट आई रिप्रजेंट द क्लास आफ कुलीज, नॉट द बाबूज। आई एम ए हिंदी जर्नलिस्ट। व्हाट वी राइट, द पीपुल आफ इंडिया रीड एंड रूलर्स कंपेल्स टू रीड आवर न्यूज। आज इस तरह के दावे करनेवाले पत्रकारों के चेहरे नहीं दिखते। लालाओं को अप्वाइनमेंट लेकर आने को कहने वाले संपादक नहीं दिखते। नेताओं को ठेंगे पर रखने वाले पत्रकार नहीं मिलते। कलम को धार देने वाले पत्रकार नहीं मिलते। 

ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में गणेश शंकर विद्यार्थी, तकवी शकंर पिल्ले, राजेंद्र माथुर,सच्चिदानंद हीरानंद वात्सायन अज्ञेय की जमाने की पत्रकारिता की कल्पना करना मूर्खता होगी। लेकिन इतना तो जरूर सोचा जा सकता है कि हम जो कर रहे हैं, वो वाकई पत्रकारिता है क्या। सब जानते हैं कि भारत में देश की आजादी के लिए पत्रकारिता की शुरूआत हुई। पत्रकारिता तब भी हिंदी और अंग्रेजी के अलावा कई भाषाओं में होती थी। लेकिन भाषाओं के बीच में दीवार नहीं थी। वो मिशन की पत्रकारिता थी। आज प्रोफोशन की  पत्रकारिता हो रही है। पहले हाथों से अखबार लिखे जाते थे। लेकिन उसमें इतनी ताकत जरूर होती थी कि गोरी चमड़ी भी काली पड़ जाती थी। आज आधुनिकता का दौर है। तकनीक की लड़ाई लड़ी जा रही है। फोर कलर से लेकर न जाने कितने कलर तक की प्रिटिंग मशीनें आ गई हैं। टीवी पत्रकारिता भी सेल्युलायड, लो बैंड, हाई बैंड और बीटा के रास्ते होते हुए इनपीएस, विजआरटी, आक्टोपस जैसी तकनीक से हो रही है। लेकिन आज किसी की भी चमड़ी पर कोई फर्क नहीं पड़ता। शायद चमड़ी मोटी हो गई है। तब पत्रकारिता प्रवृत्ति थी अब आजादी के बाद वृत्ति यानी आजीविका का साधन हो गयी। पहले पत्रकारिता मिसन थी अब कमीनो का कमीसन हो गयी। भगत सिंह ने जब असेम्बली बम काण्ड किया तो अंग्रेजों को उनके विरुद्ध कोइ भारतीय गवाह नहीं मिल रहा था। तब दिल्ली के कनाटप्लेस पर फलों के जूस की दुकान लगाने वाले ने अंग्रेजों के पक्ष में भगत सिंह के विरुद्ध झूटी गवाही देकर भगत सिंह को फांसी दिलवाई और इस गद्दारी के बदले अंग्रेजों ने पुरष्कृत करके सर की टाइटिल दी और कनाट प्लेस के बहुत बड़े भाग का पत्ता भी उसके हक में कर दिया। पेड न्यूज और मीडिया मेनेजमेंट जैसे शब्द संबोधन वर्तमान मीडिया का चरित्र साफ कर देते हैं कि मीडिया का सच अब बिकाऊ है टिकाऊ नहीं। क्या है कोई संस्था जो पत्रकारों पर आय की ज्ञात श्रोतों से अधिक धन होने की विवेचना करे? 

पहले सच मीडिया बताती थी और न्याय न्याय पालिका करती थी। मीडिया और न्याय पालिका ही दो हाथ थे जो रोते हुए जन -गन -मन के आंसू पोंछते थे। अब ये दोनों हाथ जनता के चीर हरण में लगे हैं। आज पत्रकारिता के कामकाज की दशाएं बदली हैं। एक पत्रकार को जीविका के लिए पूरा साधन न मिले, तो वह देश-दुनिया की चिंता क्या करेगा? फिर भी दूसरे पेशों में यह स्थिति पत्रकारिता क्षेत्र में काम करने वालों से काफी अच्छी है। इससे इंकार नहीं किया जा सकता। माना कुछ पत्रकार मीडिया में विज्ञापन का काम करते हैं, पर विज्ञापन देने के अलावा ये लोग मीडिया के कंटेंट को बदलने की सलाह भी देते हैं। चूंकि पैसे का इंतजाम ये लोग करते हैं, इसलिए इनकी सुनी भी जाती है। इसमें गलत कुछ नहीं। कोई भी कारोबार पैसे के बगैर नहीं चलता। पर सूचना के माध्यमों की अपनी कुछ जरूरतें भी होतीं हैं। उनकी सबसे बड़ी पूंजी उनकी साख है। यह साख ही पाठक पर प्रभाव डालती है। जब कोई पाठक या दर्शक अपने अखबार या चैनल पर भरोसा करने लगता है, तब वह उस वस्तु को खरीदने के बारे में सोचना शुरू करता है, जिसका विज्ञापन अखबार में होता है। विज्ञापन छापते वक्त भी अखबार ध्यान रखते हैं कि वह विज्ञापन जैसा लगे। सम्पादकीय विभाग विज्ञापन से अपनी दूरी रखते हैं। यह एक मान्य परम्परा है। अखबार अपने मूल्यों पर टिकें तो उतने मजेदार नहीं होंगे, जितने होना चाहते हैं। जैसे ही वे समस्याओं की तह पर जाएंगे उनमें संजीदगी आएगी। दुर्भाग्य है कि हिन्दी पत्रकार की ट्रेनिंग में कमी थी, बेहतर छात्र इंजीनियरी और मैनेजमेंट वगैरह पढ़ने चले जाते हैं। ऊपर से अखबारों के संचालकों के मन में अपनी पूंजी के रिटर्न की फिक्र है। वे भी संजीदा मसलों को नहीं समझते। यों जैसे भी थे, अखबारों के परम्परागत मैनेजर कुछ बातों को समझते थे। उन्हें हटाने की होड़ लगी। अब के मैनेजर अलग-अलग उद्योगों से आ रहे हैं। उन्हें पत्रकारिता के मूल्यों-मर्यादाओं का ऐहसास नहीं है।




-सुरेश गांधी-

विशेष आलेख : एक नई सुबह के लिए देर रात चला सरकारी जश्न

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कुशल, सक्षम  और बेहतरीन प्रशासन के चलते केंद्र  सरकार ने समय पर ही दो साल पूरे कर लिए हैं  और इसलिए  सरकार दो साल पूरे होने का जश्न भी मना रही हैं। वैसे कुछ समय पहले तक सरकार, उत्तराखंड में बागियों को मना रही थी । ये पूर्ण बहुमत वाली सरकार हैं इसलिए “मनाने” और “मनवाने” में विश्वास रखती हैं। “मनाने और मनवाने” इन दोनों कार्यक्रमों की जानकारी , जनता को इतवार को होने वाली “मन की बात” के ज़रिये दे दी जाती हैं। यह सरकार शुरू से हीं सवेंदनशील होने का दावा करती आई हैं और इसी का  सबूत देते हुए इस सरकार ने अपने दो साल पूरे होने पर  इंडिया – गेट पर जश्न का आयोजन  किया, ताकि जो लोग इस भीषण गर्मी में कुम्भ में जाने और  नहाने से रह गए थे वो  विकास की इस  “बहती और आरोप सहती” गंगा के  आयोजन  में “डिजिटल- डुबकी” लगाकर कुछ पुण्य अर्जित कर सके।

जश्न मनाने का सरकार की सफलता या असफलता से ज़्यादा “लेना-देना” नहीं होता हैं और ना ही इसका “लेना-देना’ , “देना बैंक” से हैं। इसका “लेना- देना” सरकार के विज्ञापन- बजट से होता हैं। जितना ज़्यादा बजट, उतना ही बड़ा जश्न , जितना बड़ा जश्न, उतनी ही बड़ी कवरेज , जितनी बड़ी “कवरेज” ,उतना ही ज़्यादा “आउटरेज” और जितना ज़्यादा आउटरेज , उतनी ही ज़्यादा “टीआरपी” । यह एक ईमानदार सरकार हैं इसलिए जनता से धोखा करते हुए घोटाले करके खजाना खाली करने में डरती हैं इसलिए पूर्ण पारदर्शी तरीके से “निविदा” निकालकर सरकार के दो साल “विदा” होने का जश्न मनाकर, खजाना खाली किया जा रहा हैं। “मेक इन इंडिया” , “स्किल इंडिया” , “डिजिटल इंडिया” , “स्टार्ट अप इंडिया” जैसे प्रोजेक्ट स्टार्ट करने के बाद भी मीडिया या विपक्ष में से  कोई भी सरकार की  पीठ नहीं थपथपा रहा था इसीलिए सरकार का प्याज और दाल के दाम की तरह ही इंडिया-गेट पर  जाकर खुद की  पीठ, इंडिया-गेट से खुजाना वाजिब था।

जश्न मनाने के लिए बॉलीवुड  और अन्य क्षेत्रो  की बड़ी- बड़ी हस्तियों को  बुलाया गया , क्योंकि “सबका साथ सबका विकास” की अवधारणा को लेकर चलने वाली सरकार का मानना हैं की “असली मज़ा” सबके साथ आता हैं। इस  जश्न  में  अमिताभ बच्चन भी शामिल हुए क्योंकी सरकार के”कद” का प्रतिनिधित्व केवल “सरकार -राज” ही कर सकते थे।  सूत्रों के अनुसार, अमिताभ का कार्यक्रम पहले से तयशुदा था ताकि उन्हें समय पर “घर वापसी” करने में कोई तकलीफ ना आये। अमिताभ  बच्च्न अपने बँगले “जलसा” से सीधे इस “सरकारी जलसा” में भाग लेने के लिए पहुँचे। अमिताभ ने इस कार्यक्रम में “बेटी -बचाओ” वाले हिस्से को सम्बोधित किया , हालांकि ज़्यादातर लोगो का मानना हैं की अभिषेक बच्चन के करियर को देखते हुए अमिताभ  को अब “बेटा -बचाओ”  अभियान में भी भाग लेना चाहिए। करोडो रुपये  खर्च करके  हमें बताया जा  रहा हैं की  अब “हमारा देश बदल रहा हैं”।  हम  भारतीयों की  भूलने की  आदत को  देखते  हुए यह  जिम्मेदार  सरकार हमें  बार बार याद  दिला  रही हैं की देश  बदल  रहा  हैं , अब   काले धन   और अच्छे दिन  का इंतज़ार करना मूर्खता हैं, अगर इंतज़ार करना ही हैं तो प्रधानमंत्री की अगली विदेश यात्रा या “मन की बात” के अगले एपीसोड का करे।  वैसे हमारे नेता इंतज़ार करवाने के लिए कुख्यात हैं लेकिन हमारे प्रधानमंत्री इन दोनों  चीज़ो के लिए  ज़्यादा इंतज़ार नहीं करवाते क्योंकि समय का पहिया और हमारे प्रधानमंत्री हमेशा घूमते रहते हैं।

विपक्ष की  कसक ,  इस सरकारी जश्न की भरसक निंदा करने में निकल रहीं हैं।  निंदा करने का उनका इतिहास और ट्रैक रिकॉर्ड,उनके द्वारा किये गए घोटालो की तरह ही , किसी से छुपा हुआ नहीं हैं । उन्होंने तो मात्र  निंदा करने के लिए  प्रधानमंत्री तक नियुक्त कर रखा था। विपक्ष का कहना हैं की सरकार को जश्न मनाने से पहले उनके नेताओं को  सदन में चर्चा के लिए मनाना चाहिए , इस सरकार को जश्न मनाने का कोई नैतिक अधिकार नहीं हैं क्योंकि जो सरकार दो साल में एक अदद घोटाले को तरस गयी हो  उसे जश्न मनाने से ज़्यादा खैर मनाने की ज़रूरत हैं और इसके लिए  अमिताभ बच्चन की जगह कैलाश (अनुपम नहीं ) खेर को बुलाना उचित रहेगा।
विपक्ष के एक नेता ने अपनी “जाती” टीवी पर बताये  जाने  की शर्त पर  बताया की  सरकार ने दो साल में एक भी घोटाला ना करके पिछली सरकार के इतनी मेहनत से अर्जित किये गए घोटालो की “औसत” और “स्ट्राइक रेट’ को  उनकी राजनीती की तरह नीचे  गिरा दिया हैं , पावर में होते हुए भी इस सरकार को “पावर प्ले” का इस्तेमाल करना नहीं आ रहा हैं और यह सरकार आम भारतीय की अपेक्षा और  “सरकारी- मानकों” पर खरी नहीं उतर पा रहीं हैं , इसलिए अब हमें सड़क पर उतरना पड़ेगा। साथ ही साथ विपक्ष ने सरकार की ये कहकर भी आलोचना की इस सरकारी जश्न का नाम “एक नयी सुबह” रखा गया था , लेकिन जनता को भ्रमित करने के लिए  ये पूरा कार्यक्रम रात को आयोजित किया गया , इससे पता चलता हैं की सरकार की कथनी  और करनी में “दिन -रात”  का अंतर हैं ।


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---अमित शर्मा ---

पाकिस्तान विशेषज्ञों ने चाबहार को सुरक्षा के लिए खतरा बताया

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इस्लामाबाद,31 मई, पाकिस्तान के दो पूर्व रक्षा सचिवों ने ईरान, अफगानिस्तान तथा भारत के सहयोग से ईरान में बनाये जाने वाले चाबहार बन्दरगाह को सुरक्षा के लिए खतरा बताया है। पाकिस्तान के स्ट्रेटजिक विजन इंस्टीच्यूट द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा तथा दक्षिण एशिया की स्थिरता विषय पर आयोजित परिसंवाद में दोनों पूर्व रक्षा सचिवों ने ईरान, अफगानिस्तान तथा भारत के सहयोग से बनाये जाने वाले चाबहार बंदरगाह को पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया है। लेफ्टीनेन्ट जनरल आसिफ यासीन मलिक ने कहा कि तीनों देशों का गठबंधन खतरनाक है और इससे पाकिस्तान अलग-थलग पड़ सकता है। उन्होंने इस स्थिति के लिए पाकिस्तान के विदेश विभाग को जिम्मेदार ठहराया। पाकिस्तान के दूसरे पूर्व रक्षा सचिव लेफ्टीनेन्ट जनरल नदीम लोधी ने कहा कि हमारे पड़ोस में तीन देशों के गठबंधन से पाकिस्तान के लिए कठिनाइयां पैदा हो सकती है। विशेषज्ञों की इस राय के विपरीत पाकिस्तान का विदेश मंत्रालय चाबहार बंदरगाह के निर्माण को सकारात्मक निर्माण बताया और कहता है कि पाकिस्तान इसे अपना प्रतिद्वंद्वी नहीं मानता । 

चाड़ में हजारों लोगों की हत्या के दोषी हाब्रे को उम्रकैद की सजा

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जोहानसबर्ग 31 मई, अफ्रीकी देश चाड के पूर्व राष्ट्रपति हिसेन हाब्रे को मानवता के खिलाफ अपराध का दोषी पाये जाने के बाद उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। सेनेगल की राजधानी डकार में अफ्रीकी संघ समर्थित एक अदालत ने हाब्रे को उम्रकैद की सजा सुनाई। जज ने इस दौरान उन्हें दुष्कर्म , यौन शोषण और हजारों लोगों की हत्या कराने के मामले में दोषी करार दिया। हाब्रे पर आरोप है कि उन्होंने अपने आठ साल के शासन काल में चालीस हजार लोगों का कत्ल कराया। हिसेन हाब्रे वर्ष 1982 से 1990 तक चाड के शासक रहे । पीड़ितों की वकील जैकलीन माउदेनिया ने कहा“ पूरे अफ्रीका में इस फैसले से बेहद खुशी है क्योंकि हमने पूरे विश्व में और खासकर चाड में संदेश दिया कि तानाशाहों का क्या अंजाम होता है। हर तरफ खुशी और उत्साह का माहौल है।” मारे गए लोगों के परिवार वालों ने भी फैसले को ऐतिहासिक बताया। वहीं हाब्रे ने सुनवाई के दौरान अदालत की वैधता पर ही सवाल उठाया और अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार किया। उन्हें फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए पन्द्रह दिन का समय दिया गया है ।

निर्मला सीतारमन ने राज्य सभा लिए नामांकन दाखिल किया

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बेंगलुरु, 31 मई, केंद्रीय वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमन ने आज राज्य सभा चुनाव के लिए अपना नामांकन कर्नाटक से दाखिल किया। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की वरिष्ठ नेता श्रीमती सीतारमन सुबह यहां पहुंची तथा विधानसभा के सचिव मूर्ति के समक्ष अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। भाजपा राज्य इकाई के अध्यक्ष बी एस येदुरप्पा, केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार, विधानसभा में विपक्ष के नेता दगदीश शेट्टार तथा पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता भी नामांकन पत्र दाखिल करने के दौरान मौजूद थे। नामांकन का आज आखिरी दिन था। नामांकन वापस लेने की आखिरी तारिख तीन जून को है। कर्नाटक विधानसभा में 11 जून को इसके लिये मतदान होंगे। श्रीमती सीतारमन कर्नाटक से पहली बार राज्य सभा के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रही हैं। इससे पहले वह आंध्र प्रदेश से राज्य सभा के लिए दो साल के लिए चुनी गयी थी।

इमरान खान और ताहिर-उल-कादरी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट

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इस्लामाबाद 31 मई, पाकिस्तान में आतंकवाद विरोधी अदालत ने आज ‘पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई)’ पार्टी के अध्यक्ष इमरान खान और ‘पाकिस्तान आवामी तहरीक (पीएटी)’ के अध्यक्ष ताहिर-उल-कादरी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। पाकिस्तानी अखबार डाॅन की वेबसाइट के अनुसार यह वारंट एक सितंबर 2014 में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक(एसएसपी) इसमत उल्लाह जुनेजो के यातना दिये जाने के मामले में अदालत के समक्ष पेश नहीं हाेने पर जारी किया गया है। पाकिस्तान टेलीविजन (पीटीवी) अौर संसद परिसर के पास विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में पुलिस अधीक्षक जुनेजो घायल हो गये थे। श्री खान और श्री कादरी और कई अन्य लोगों पर जुनेजो और पांच अन्य पुलिसकर्मियों को प्रताडित करने का आरोप लगा था। अदालत के न्यायाधिश सोहेल इकराम जैदी ने गिरफ्तारी वारंज जारी करते हुए पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी इदरीश राठौर को अदालत की आदेशों का पालन करने और आरोपियों को गिरफ्तार करने का आदेश दिया है। 

सैन्य शस्त्र भंडार में आग, दो अधिकारी 15 जवानों की मौत, 19 घायल

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नयी दिल्ली 31 मई, महाराष्ट्र में वर्धा जिले के पुलगांव क्षेत्र में स्थित सेना के एक शस्त्र भंडार में आग लगने से दो अधिकारियाें और रक्षा सुरक्षा कोर के 15 जवानों की मौत हो गई जबकि दो अधिकारी एवं 17 जवान घायल हो गये। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हादसे पर दुख जताते हुए रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को घटनास्थल जाने का निर्देश दिया है। श्री मोदी ने प्रभावित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की है। रक्षा सूत्रों के अनुसार श्री पर्रिकर एवं सेना अध्यक्ष जनरल दलबीर सिंह सुहाग नागपुर रवाना हो गये हैं जहां से वे हेलीकॉप्टर में पुलगांव पहुँचेंगे। सेना के अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि यह हादसा कल देर रात लगभग डेढ़ बजे के करीब पुलगांव के केन्द्रीय आयुध भंडार में गोला बारुद के एक शेड में आग लगने से हुआ। हादसे में दो अधिकारी एवं 15वीं रक्षा सुरक्षा कोर के 15 जवान शहीद हो गये जबकि दो अधिकारी एवं 17वीं रक्षा सुरक्षा कोर के 17 जवान घायल हुए हैं। 

घायलों को समीप के सेना के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। सूत्रों के अनुसार मृतकों की पहचान लेफ्टिनेंट कर्नल आर एस पवार और मेजर के. मनोज के रूप में हुई है। घायल हुए सैनिकों में कई की स्थिति गंभीर है और मृतकों की संख्या बढने की आशंका है उन्हाेंने बताया कि एक शेड में लगी आग पर काबू पा लिया गया है हालांकि सूत्रों ने आगे भी विस्फोट होने की आशंका से इन्कार नहीं किया है। घटनास्थल पर सेना के वरिष्ठ अधिकारी पहुंच चुके है। सूत्रों के मुताबिक दुर्घटना के समय वहां लगभग 70 लोग मौजूद थे जिसमें से ज्यादातर रक्षा सुरक्षा कोर के जवान थे। सूत्रों के अनुसार रक्षा मंत्री ने भी सेना मुख्यालय को इस मामले की विस्तृत रिपोर्ट देने का आदेश दिया है। जबकि सेना ने मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी)के गठन के साथ साथ कोर्ट आॅफ इनक्वायरी का भी आदेश दिया है। पुलगांव केन्द्रीय आयुध भंडार सेना के बड़े आयुध भंडारों में से एक है जहां आयुध कारखाना चांदा और बोलंगीर में निर्मित गोला बारूद का भंडारण किया जाता है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी तथा उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी इस घटना में सैनिकों की मौत पर गहरा दुख व्यक्त किया है।

मानसून सत्र में जीएसटी पारित होने की उम्मीद : जेटली

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टोक्यो 31 मई, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज भ्ररोसा जताया कि कई प्रकार के राज्य और केन्द्रीय कर प्रावधानों के स्थान पर लाया जाने वाला वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक संसद के मानसून सत्र में पारित हो जायेगा। कांग्रेस के विरोध की वजह से राज्यसभा में लटके इस विधेयक पर श्री जेटली ने कहा कि यह विधेयक लोकसभा में पास हो चुका है और राज्यसभा में मानसून सत्र के दौरान पारित हो जायेगा । छह दिन की यात्रा पर जापानी निवेशकों को भारत में निवेश के लिए आकर्षित करने आये वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी पर सभी राजनीतिक दल करीब-करीब एक राय हैं। इसलिए, उनका विश्वास है कि यह मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में पारित होकर कानून की शक्ल ले लेगा। निक्केई इंक की तरफ से “एशिया का भविष्य” सम्मेलन को संबोधित करते हुये श्री जेटली ने जीएसटी पर कांग्रेस का नाम लिए बिना कहा कि एक राजनीतिक दल को कुछ आपत्ति है। सरकार उसके साथ बातचीत कर रही है और उम्मीद है कि समाधान हो जायेगा । 

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने ही पहली बार वर्ष 2006 में जीएसटी का प्रस्ताव किया था। वह चाहती है कि जीएसटी के तहत कर की सीमा 18 प्रतिशत रखी जाये जिसका उल्लेख संवैधानिक दस्तावेज में किया जाये। अंतरराज्यीय कारोबार पर एक प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क का प्रावधान हटाया जाये और विवादों के समाधान के लिए एक स्वतंत्र तंत्र विकसित हो। जीएसटी के कानून बन जाने से पूरे देश में बेरोक-टोक कारोबार हो सकेगा और भारत के 29 राज्य के एकल बाजार का रूप ले लेंगे। वित्त मंत्री ने जापानी निवेशकों के सामने भारत की विकास गाथा पेश करते हुये कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार बुनियादी सुविधा क्षेत्र में अधिक से अधिक खर्च करने के साथ-साथ कारोबार को सहज बनाने के लिए और संस्थानिक तथा बाजार के अनुरूप सुधार लाने के लिये प्रतिबद्ध है। श्री जेटली ने कहा कि पिछले दो वर्ष में मानसून का साथ न/न होने के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती से आगे बढ़ी है। वैश्विक मंदी का इस पर असर नहीं हुआ है। वैश्विक मंदी और दो साल के सूखे के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था ने अच्छा प्रदर्शन किया है। इस दौरान हमारी विकास दर 7.2 तथा 7.6 प्रतिशत रही है। नरेन्द्र मोदी सरकार के कार्यकाल का उल्लेख करते हुये वित्त मंत्री ने कहा कि दो साल के दौरान 101 कानून संसद में पारित किये गये। कुछ विधेयक लंबित हैं जिन्हें पारित कराने के लिए सहमति बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं। इसमें कुछ समय लगेगा।

10वीं के बाद आईटीआई को माना जाएगा12वीं पास

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नयी दिल्ली.31 मई, दसवीं के बाद औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान(आईटीआई) से दो साल का प्रशिक्षण लेने वाले छात्रों को 12वीं उत्तीर्ण माना जाएगा और स्नातक की पढाई के लिए वे दाखिला ले सकेंगे। कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री राजीव प्रताप रूड़ी ने सरकार के दो साल के कामकाज पर अपने मंत्रालय की उपलब्धियों को लेकर आज यहां आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि देशभर में फैले 13 हजार आईटीआई से हर साल 18 लाख बच्चे उत्तीर्ण हो रहे हैं। अब तक आईटीआई उत्तीर्ण करने के बाद छात्रों के पास आगे की पढाई करने की कम संभावना रहती थी। उन्होंने कहा कि आईटीआई से व्यावसायिक प्रशिक्षण लेने वाले छात्रों को आगे की पढाई का अवसर देने के लिए सरकार ने 8 वीं कक्षा के बाद आईटीआई करने वाले छात्रों को 10वीं पास मानने तथा दसवीं के बाद आईटीआई करने वाले छात्रों को 12वीं पास मानने का निर्णय लिया है। उन्होंने इसे क्रांतिकारी कदम बताते हुए कहा कि इस व्यवस्था के तहत छात्रों को आगे की पढाई के लिए एक विषय के रूप में भाषा की परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी।

एडमिरल सुनील लांबा ने संभाली नौसेना की कमान

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नयी दिल्ली 31 मई, एडमिरल सुनील लांबा ने आज भारतीय नौसेना के प्रमुख का कार्यभार संभाल लिया। उन्होंने एडमिरल आर के धवन के स्थान पर नौसेना प्रमुख की जिम्मेदारी संभाली है। एडमिरल धवन आज अपने पद से सेवानिवृत हाे गये। यहां साउथ ब्लाॅक में आयोजित समारोह में पदभार संभालने के बाद एडमिरल लांबा ने कहा कि भारतीय समुद्री सीमा की सुरक्षा सुनिश्चित करना उनका प्राथमिक कर्तव्य होगा। एडमिरल लांबा नौसेना प्रमुख बनने से पहले नौसेना की पश्चिमी कमान के प्रमुख थे। वह एक जनवरी 1978 को भारतीय नौसेना में शामिल हुए थे। नौसेना में 38 साल की सेवा के दौरान वह कई अहम पदों पर रह चुके हैं। उन्हें परम विशिष्ट सेवा पदक और अति विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया जा चुका है। नेवीगेशन अधिकारी के रूप में उन्होंने आइएनएस सिंधुदुर्ग और आईएनएस दुनागिरी पर भी सेवाएं दी हैं। इसके अलावा वह चार प्रमुख युद्धपोतों आइएनएस काकीनाडा, आईएनएस हिमगिरि, आइएनएस रणविजय और आईएनएस मुंबई की कमान संभाल चुके हैं।

सुरक्षाकर्मियों की मौत पर मोदी, सोनिया ने जताया शोक

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नयी दिल्ली 31 मई, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महाराष्ट्र के पुलगांव केन्द्रीय शस्त्र भंडार में आग लगने से सुरक्षाकर्मियों की हुई मौत पर शोक व्यक्त किया है । श्री मोदी ने आज अपने शोक संदेश में कहा कि शस्त्र भंडार में आग लगने से उन्हें गहरा दुख हुआ है । उन्होंने प्रभावित परिवारो के प्रति संवेदना व्यक्त की है । उन्होंने इस दुर्घटना में घायल हुये लोगों के शीध्र स्वस्थ्य होने की कामना की है । उन्होंने रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर से घटना स्थल का दौरा कर स्थिति का जायजा लेने का निर्देश दिया है ।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी तथा उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने वर्धा में सेना के शस्त्र भंडार में आग लगने से सैनिकों की मौत पर गहरा दुख व्यक्त किया है। श्रीमती गांधी ने यहां जारी एक बयान में घटना में मारे गए जवानों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की और कहा कि उन्हें उम्मीद है कि घायलों का उचित इलाज होगा और आग से हुए नुकसान को कम करने के लिए समय पर जरूरी कदम उठाए गए होंगे। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा ‘इस घटना में जवानों के मारे जाने की खबर से आहत हूं। मैं पीड़ित परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं। मुझे उम्मीद है दुर्घटना में घायल लोगों को तत्काल जरूरी चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। ” गौरतलब है कि महाराष्ट्र में वर्धा जिले के पुलगांव क्षेत्र में स्थित सेना के एक शस्त्र भंडार में कल रात लगभग दो बजे आग लगने से दो अधिकारियाें और रक्षा सुरक्षा कोर के 15 जवानों की मौत हो गई और कुछ अधिकारी तथा जवान गंभीर रुप से घायल हुये हैं।

सीहोर (मध्यप्रदेश) की खबर (31 मई)

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अंतर्राष्ट्रीय तम्बाकू एवं धूम्रपान निषेध दिवस संपन्न

आज शासकीय चंद्रषेखर आजाद शासकीय स्नातकोत्तर अग्रणी महाविद्यालय सीहोर के एन.सी.सी. कैडेट्स एवं महाविद्यालय में प्रवेष हेतु आये छात्र/छात्राओं ने अंतर्राष्ट्रीय तम्बाकू एवं धूम्रपान निषेध दिवस के अवसर पर विषाल रैली निकाली गई जिसका शुभारंभ संस्था प्राचार्य डाॅ. व्ही.के.शुक्ल जी ने किया। रैली में शामिल विद्यार्थियों को नषा सेवन की लत और उसके स्वयं, परिवार और समाज पर पड़ने वाले दुष्परिणामों से अवगत कराते हुये नषे की प्रवृत्ति से बचने एवं बचाने की अपील की। तत्पष्चात् रैली भोपाल नाका से इंग्लिषपुरा, तहसील चैराहा, बस स्टेण्ड, कलेक्ट्रेट कार्यालय जैसे भीड़ वाले क्षेत्रों में अपने लुभावने नारों, यथा ‘भले काम से मुंह मत मोड़ो - तम्बाकू की आदत छोड़ो’’, ‘‘तम्बाकू को जिसने गले लगाया - मौत को उसने पास बुलाया’’ तथा ‘‘नषा नाष की जड़ है’’- ‘‘देष को बचाना है नषे को दूर भगाना है’’ के माध्यम से जन सामान्य के मध्य नषे की प्रवृत्ति से बचने की जागरूकता का प्रचार प्रसार किया। रैली समापन के पश्चात इसी क्रम में महाविद्यालय के सभागार में विद्यार्थियों ने स्लोगन, भाषण एवं पोस्टर प्रतियोगिता में भाग लिया जिसमें मुख्य रूप से कु. दिव्या शुक्ला, सार्जेट पवन मालवीय स्लोगन प्रतियोगिता में प्रथम रहे। पोस्टर प्रतियोगिता में कु. स्नेहा मेवाड़ा प्रथम रही एन.सी.सी अधिकारी डाॅ.उदय डोलस एवं डाॅ. श्रीमती प्रमिला जैन के मार्गदर्षन में यह दिवस सम्पन्न किया गया। अंत में महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ.व्ही.के.शुक्ल ने सभी एन.सी.सी. कैडेट्स एवं अन्य छात्र/छात्राओं को तंबाकू एवं धूम्रपान संबंधी शपथ दिलायी।

नवीन मान्यता एवं नवीनीकरण के संबंध में निर्देश

शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत प्रारंभिक शिक्षा से कक्षा 8वीं तक की मान्यता नवीन या नवीनीकरण का अधिकार विकासखण्ड स्तर से निरीक्षण उपरांत ऑनलाईन डीईओ को भेजा जाता है किन्तु देखने में आ रहा है कि जो अशासकीय संस्थाएं आरटीई के मापदण्ड पूर्ण नहीं करती हैं उनकी भी अनुशंसा कर दी जाती है जो कि नियम विरूद्ध है। सभी विकासखण्ड स्त्रोत समन्वयकों को निर्देश जारी किए गए हैं कि जो अशासकीय संस्थाएं आरटीई के मापदण्ड पूर्ण करती हों उन्हीं की मान्यता नवीन या नवीनीकरण की स्पष्ट अनुशंसा के साथ भेजे। यदि इसके बाद भी कोई अशासकीय संस्था आरटीई के मापदण्ड पूर्ण नहीं करती पाई जाने पर संबंधितों के विरूद्ध एक तरफा अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी। साथ ही सभी विकासखण्ड स्त्रोत समन्वयकों को अपने विकासखण्ड की समस्त अशासकीय संस्थाओं का निरीक्षण कराने के निर्देश दिए गए हैं तथा जो संस्था आरटीई के मापदण्ड पूर्ण नहीं कर रही है उसे पूर्ण कराए या संबंधित संस्था स्वतः स्कूल बंद कर दे। ऐसी स्थिति में संबंधित संस्था के छात्रों को निकटतम स्कूल में प्रवेश करा कर समस्त अभिलेख संकुल में जमा कराने के निर्देश दिए गए हैं। 

विष्व तम्बाकू निषेध दिवस पर निकाली जनजागरूकता रैली
  • मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने रैली को हरी झंडी दिखाकर किया रवाना

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विष्व तम्बाकू निषेध दिवस पर आज ए.एन.एम.प्रषिक्षण केन्द्र सीहोर से जनजागरूकता रैली निकाली गई रैली को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ.आर.के.गुप्ता तथा प्रभारी अधिकारी राष्टीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम डाॅ.दीलीप कटेलिहा ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। रैली शहर के प्रमुख मार्गांे से होते हुए जिला चिकित्सालय पहुंची। रैली को रवाना करते हुए सीएमएचओ ने बताया कि तंबाकू से मुंह का कैंसर होता है। इससे नपंुसकता और अंधापन जैसी घातक बीमारियां हो सकती है। इसलिए हमंे तम्बाकू का सेवन नहीं करना चाहिए साथ ही लोगों को भी तम्बाकू के सेवन से दूर रहने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।  डॅा. गुप्ता ने जनजागरूकता रैली को इसी दिषा में एक सार्थक कदम बताया हैं। इस अवसर पर काॅलेज एवं स्कूल स्तरीय छात्र-छात्राओं की निबंध, नारे लेखन प्रतियोगिता व तम्बाकू निषेध पर हस्ताक्षर अभियान का आयोजन किया गया। इस अलावा विचार गोष्ठी का भी आयोजन किया गया जिसमें जिला स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ.डी.के.कटेलिहा, जिला टीकाकरण अधिकारी डाॅ.ए.के.जैन,जिला मलेरिया अधिकारी डाॅ.पदमाकर त्रिपाठी, उप जिला मीडिया अधिकारी सुश्री उषा अवस्थी, जिला किषोर न्याय बोर्ड की सदस्य प्रेमलता राठौर, वन कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष व नषामुक्ति कार्यक्रम के संयोजक श्री कमलेष दोहरे, केन्द्रीय विद्यालय से व्याख्याता व काउंसलर श्री हुरमाडे, प्राचार्य ए.एन.एम.प्रषिक्षण केन्द्र श्रीमती विभा मिश्रा, डीपीएचएन श्रीमती गायत्री राव तथा जिला मीडिया सलाहकार शैलेष कुमार ने कार्यषाला में अपने विचार व्यक्त किए। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ.आर.के.गुप्ता ने बताया कि विष्व तम्बाकू निषेध दिवस पर आयोजित निबंध प्रतियोगिता में प्रथम प्रषिक्षु ए.एन.एम.अर्चना नंदमेहर, द्वित्तीय छात्रा पूनम चैधरी व तृतीय स्थान सुरेखा बकारिया ने प्राप्त किया वहीं नारे लेखन प्रतियोगिता ने प्रथम छात्रा महक चतुर्वेदी, द्वित्तीय छात्र शुभम पाण्डे व तृतीय स्थान आदित्य श्रीवास्तव ने प्राप्त किया। इन सभी प्रतिभागियों को स्मृति चिन्ह व प्रषस्ति पत्र देकर अतिथियों द्वारा सम्मानित किया गया। प्रतियोगिता में महाविद्यायल सहित विभिन्न स्कूल के छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया जिन्हें प्रषस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। प्रतियोगिता के उपरांत तम्बाकू निषेध पर हस्ताक्षर अभियान की शुरूआत की गई। सभी प्रतिभागी छात्र-छात्रओं सहित अतिथियांे तथा विभागीय अधिकारी कर्मचारियों ने हस्ताक्षर किए तथा तम्बाकू के विरूद्ध जन अभियान छेडने का संकल्प लिया। विचार गोष्ठी में पहंुचे अतिथियों का स्वागत उप मीडिया अधिकारी सुश्री उषा अवस्थी द्वारा किया गया। 

सफल रही नवाज शरीफ की सर्जरी

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इस्लामाबाद 31 मई, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की लंदन के एक अस्पताल में आज हुई ओपन हार्ट सर्जरी सफल रही। श्री नवाज की पुत्री मरियम शरीफ ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर बताया कि यह सर्जरी सुबह आठ बजे शुरू होने के बाद करीब साढ़े चार घंटे चली। सुश्री शरीफ ने पिछले सप्ताह ट्विटर पर बताया था कि वर्ष 2011 में श्री शरीफ की हुई हार्ट सर्जरी में कुछ समस्या आ जाने के कारण पुन: सर्जरी हो रही है। श्री शरीफ इससे पहले भी कई बार इलाज के लिए लंदन जा चुके हैं। इस बार उनके साथ उनके भाई एवं पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री शाहबाज शरीफ समेत कई अन्य परिजन भी गये हैं। 

श्री शरीफ ने ऑपरेशन से पहले कल रात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से फोन पर बातचीत की थी। श्री मोदी ने श्री शरीफ का फोन आने पर उन्हें शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की शुभकामनाएँ दी थी। उल्लेखनीय है कि यह सर्जरी ऐसे समय में हो रही है जब शुक्रवार को उनकी सरकार संसद में बजट पेश करने वाली है। पनामा प्रकरण में नाम आने पर पहले से मुश्किल में चल रहे श्री शरीफ की बजट सत्र में अनुपस्थिति से राजनीतिक हालात और कठिन हो गये हैं। पूर्व मुख्य न्यायाधीश इफ्तिखार मुहम्मद चौधरी ने इस पर कहा था कि प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति से आगामी बजट सत्र असंवैधानिक एवं गैरकानूनी हो जाएगा। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में श्री नवाज को पद त्यागकर किसी अन्य को अपना उत्तराधिकारी बना देना चाहिए। इन सब के बीच प्रधानमंत्री आवास की मीडिया विंग ने सोमवार को कहा था कि श्री शरीफ लंदन से ही सरकारी कामकाज संभालेंगे। उन्होंनें कहा था, “प्रधानमंत्री को देश के हालात की लगातार जानकारी दी जा रही है और इस सिलसिले में सैन्य एवं प्रधान सचिव उन्हें लगातार मदद मुहैया करा रहे हैं। वह मंत्रिमंडल के अपने सहयोगियों के संपर्क में हैं और आवश्यक आदेश जारी कर रहे हैं।”

डाक्टरों की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष करने की मंजूरी

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नयी दिल्ली 31 मई, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केन्द्रीय स्वास्थ्य सेवाओं में कार्यरत डाक्टराें की सेवानिवृत्ति की आयु 65 करने की मंजूरी दे दी है। केन्द्रीय स्वास्थय और परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने आज यह जानकारी देते हुए बताया कि इस व्यवस्था से सरकार को देश में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को अाैर मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। श्री नड्डा ने कहा कि प्रधानमंत्री ने केन्द्रीय स्वास्थ्य सेवाओं में कार्यरत डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति की आयु 60 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष करने के स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। यह व्यवस्था 31 मई 2016 से प्रभावी मानी जाएगी। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाए जाने से सरकार अनुभवी चिकित्सकाें की सेवाएं लंबे समय तक ले सकेगी। 

इससे जन स्वास्थ्य योजनाओं के जरिए खासतौर से उन गरीब लोगों को बेहतर चिकित्सा सेवाएं दी जा सकेंगी जो पूरी तरह से ऐसी सेवाओं पर निर्भर रहते हैं। इससे सरकार को स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़ी कयी नयी योजनाआें को लागू करने में भी आसानी होगी क्योंकि इसके लिए पर्याप्त डाक्टरों की संख्या उपलब्ध रहेगी। प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार के दो साल पूरे होने के उपलक्ष्य में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में हाल में आयोजित एक रैली में घेाषणा की थी कि सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में कार्यरत डाक्टराें की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाकर 65 वर्ष कर दी जाएगी। उन्होंने कहा था कि ऐसा करके देश में चिकित्साें की कमी काे काफी हद तक पूरा किया जा सकेगा। उन्हाेंने यह भी कहा था कि इस फैसले से देश के लोगों को डॉक्टरों के अनुभवों और सेवाओं का ज्यादा समय तक लाभ मिलेगा।

मोदी प्रधानमंत्री हैं कोई शहंशाह नही :सोनिया गांधी

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रायबरेली, 31 मई, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुये कहा “ श्री मोदी सिर्फ एक प्रधानमंत्री हैं कोई शहंशाह नहीं है ”। केन्द्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(राजग) सरकार के दो साल पूरे होने पर देश के विभिन्न राज्यों में आयोजित कार्यक्रमों का मखौल उडाते हुये श्रीमती गांधी ने कहा “ देश मे सूखा पड़ा हुआ है। गरीबों को भरपेट भोजन नहीं मिल रहा है। इन सबसे बेपरवाह केन्द्र के मंत्री और भाजपा के नेता सरकारी योजनाओं का झूठा प्रचार कर जश्न मनाने में जुटे हैं। ” उन्होंने कहा “ मैंने कभी ऐसा नहीं देखा. वो देश के प्रधानमंत्री हैं ना कि शहंशाह। मैं इस तरह के दिखावे को उचित नहीं मानती। मोदी के मंत्रियों ने उन्हें 'यह दर्जा'दिया है और वे जश्न मनाने में मशगूल हैं। 

अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली के दो दिवसीय दौरे पर यहां आयी श्रीमती गांधी ने पत्रकारों से कहा कि मोदी सरकार योजनाओं का झूठा प्रचार कर रही है। इस सरकार ने गरीबों और किसानों के लिये अभी तक एक भी नई योजना लागू नहीं की है। जिन योजनाओं को लागू करने का ढिढोंरा पीटा जा रहा है। वह वास्तव में मनमोहन सरकार के कार्यकाल की योजनाये है जिनका नाम बदलकर जनता को भ्रमित किया जा रहा है। उन्होने आरोप लगाया कि गरीबों और किसानों को लाभ पहुंचाने में नाकाम केन्द्र सरकार जनता का ध्यान भटकाने के लिये कांग्रेस मुक्त भारत के नाम पर उनके परिवार को बदनाम करने की साजिश रच रही है। अपने दामाद राबर्ट वाड्रा की लंदन में बेनामी संपत्ति की एक रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर रायबरेली की सांसद ने कहा “ ये लोग रोज आरोप लगाते हैं। अगर कुछ है तो जांच कराएं। दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।

पचास हजार रुपए तक के पीएफ पर नहीं कटेगा टीडीएस

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नयी दिल्ली 31 मई, भविष्य निधि में पांच वर्ष या उससे कम अवधि के लिए अंशदान करने वाले कर्मचारियों के अपना धन निकालने पर 50 हजार रुपए तक किसी तरह की कटौती नहीं की जाएगी। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के सूत्रों ने आज यहां बताया कि इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गयी है और यह कल से प्रभावी हो जाएगी। सरकार ने भविष्य निधि में पांच वर्ष तक अंशदान करने वाले कर्मचारियों को राहत देते हुए कुल जमा राशि की निकासी के लिए स्रोत पर कर (टीडीएस) की सीमा 30 हजार रुपए से बढ़ाकर 50 हजार रुपए कर दी है। अधिसूचना में कहा गया है कि वित्त अधिनियम 2016 के जरिए आयकर अधिनियम की धारा 192 ए को संशाेधित करते हुए भविष्य निधि की निकासी के लिए टीडीएस की सीमा बढा दी गयी है। इससे कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के करोडों अंशधारकों को लाभ मिलेगा। 

मौजूदा प्रावधानों के अनुसार भविष्य निधि में पांच वर्ष या पांच वर्ष से कम अवधि तक अंशदान करने वाले कर्मचारियों को पीएफ की निकासी करने के लिए 30 हजार रुपए से अधिक की राशि पर 10 प्रतिशत की दर पर टीडीएस चुकाना पडता है। नए प्रावधान में यह सीमा 50 हजार रुपए कर दी गयी है। हालांकि अंशधारक द्वारा फार्म संख्या 15 जी या 15 एच जमा कराने पर टीडीएस की कटौती नहीं की जाती है। अंशधारक द्वारा पैन नंबर नहीं देने पर यह कटौती 34. 608 प्रतिशत की दर से होती है। सूत्रों ने बताया कि पांच वर्ष के बाद पीएफ की निकासी पर कोई कटौती नहीं होती है। इसके अलावा पीएफ के दूसरे स्थानांतरण पर टीडीएस की कटौती नहीं होती है।

फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढेगा : राधामोहन

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नयी दिल्ली 31 मई, कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने किसानों को उनकी फसलों का लाभकारी मूल्य दिये जाने पर जोर देते हुये आज कहा कि सरकार खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढायेगी। श्री सिंह ने अपने मंत्रालय की दो वर्ष की उपलब्धियों का ब्योरा देने के लिए आयोजित संवाददाता सम्मेलन में यहां कहा कि सरकार इस वर्ष भी खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढायेगी जो किसानों की उम्मीद से अधिक होगा। सरकार कृषि मूल्य लागत आयोग की सिफारिशों के आधार पर फसलों का समर्थन मूल्य बढाती है। उन्होंने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के लिये समर्थन मूल्य बढाना जरूरी है। समझा जाता है कि मंत्रिमंडल की कल हदोने वाली बैठक में खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य बढाने का निर्णय लिया जा सकता है । खरीफ फसलों में धान , मक्का , ज्वार , बाजरा , रागी , अरहर , मूंग , उडद , मूंगफली , सोयाबीन , कपास , तिल आदि शामिल है। श्री सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री ने किसानों की आय दोगुना करने की घोषणा की है और इसके लिये जरूरी है कि फसलों की उत्पादन लागत घटायी जाये तथा उनके उत्पादों को लाभकारी मूल्य दिलाया जाये और सरकार पिछले दो वर्षो से इसी दिशा में काम कर रही है।

15 फीसदी लगेगा सेवा कर, कल से सेवायें हो जायेंगी महंगी

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नयी दिल्ली 31 मई, अधिभार सहित सेवा कर के बढ़कर 15 फीसदी होने से कल से टेलीफोन, रेस्त्रां में खाना पीना, सिनेमा, ब्यूटी पार्लर, हवाई यात्रा, बीमा, डीटीएच सेवा, क्रेडिट कार्ड एवं डेबिट कार्ड , कोरियर, हेल्थकेयर, बैंकिंग और पेशेवरों से सलाह मशविरा जैसी सेवायें महंगी हो जायेगी। इसके साथ ही 10 लाख रुपये से अधिक की कारों के लिए एक फीसदी अधिक भुगतान करना पडेगा। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने वर्ष 2016-17 के बजट में सेवा कर की दर को 12.36 प्रतिशत से बढाकर 14 प्रतिशत करने का ऐलान किया था। इसके साथ ही आधी फीसदी कृषि कल्याण अधिभार भी लगाने का प्रस्ताव किया था जबकि 15 नवंबर 2015 से आधी फीसदी स्वच्छ भारत अधिभार भी प्रभावी है। इस तरह से कुल मिलाकर सेवा कर की दर अब 15 फीसदी हो जायेगी। 

श्री जेटली ने बजट भाषण में कहा था कि सभी कर योग्य सेवाओं पर आधी फीसदी कृषि कल्याण अधिभार लगाया जायेगा जिसका कृषि से जुडे कार्यक्रमों के लिए वित्त उपलब्ध कराने और किसानों के कल्याण में उपयोग किया जायेगा। एक अधिभार एक जून से प्रभावी होगा। इसी तरह से 10 लाख रुपये से अधिक के एक्स शो रूम कीमत की कारों पर एक प्रतिशत अतिरिक्त कर लगाया गया है। यह कर शो रूम को वसूल कर सरकार के खाते में जमा करना है। इसकी वजह से 10 लाख रुपये से अधिक की कारों की कीमतों में कल से एक फीसदी या इससे अधिक की बढोतरी हो जायेगी। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में सेवा कर से 2.16 लाख करोड़ रुपये का राजस्व जुटाने का लक्ष्य रखा है। इसके अतिरिक्त स्वच्छ भारत अधिभार से 10 हजार करोड़ रुपये और कृषि कल्याण अधिभार से पांच हजार करोड रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा गया है। वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि 100 रुपये की सेवाओं पर 50 पैसे कृषि कल्याण अधिभार लगेगा और इससे चालू वित्त वर्ष के शेष 10 महीने में पांच हजार करोड रुपये मिलने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि सेवा कर में बढोतरी करने का उद्देश्य इसको वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की अनुमानित दर 17-18 फीसदी के आसपास तक ले जाना है।

केन्द्रीय आयुध डिपो में आग लगने से 16 लोगों की मौत, 19 घायल : पर्रिकर

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वर्धा/नई दिल्ली, 31 मई, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने महाराष्ट्र में देश के सबसे बड़े केन्द्रीय आयुध डिपो का मुअायना करने के बाद आज कहा कि आग लगने की घटना में 16 लोगों की मौत हुयी है और 19 अन्य घायल हुए हैं। श्री पर्रिकर ने शाम को घटनास्थल का दौरा करने के बाद पत्रकारों से कहा कि सेना के दो अधिकारियों तथा एक पुलिस और 13 अग्निशमन दल के कर्मचारियों की आग बुझाने के दौरान मौत हो गयी। श्री पर्रिकर ने अग्निशमन दल, पुलिस और सेना के जवानों की आग पर काबू पाने के प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि इन जवानों ने आग को फैलने नहीं दिया। उन्होंने कहा कि जवानों ने अपनी जान पर खेलकर आग पर नियंत्रण पा लिया। रक्षा मंत्री ने अस्पताल में इलाज करा रहे घायलों को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिये है। एक प्रश्न के जवाब में श्री पर्रिकर ने आयुध भंडार में लगी आग की घटना में फिलहाल किसी का हाथ होने से इनकार किया। उन्होंने कहा कि सेना की जांच के बाद आग के लगने का कारण पता चल सकेगा। उन्होंने जांच का आदेश दिया और साथ ही क्षेत्र में कड़ी निगरानी रखने का भी निर्देश दिया।

सूत्राें के मुताबिक सेना के शस्त्र भंडार में लगभग रात डेढ़ बजे आग लग गई, जिससे वहां रखे गोले और बारूद फटने लगे। गोलों के धमाके इतने तीव्र थे कि कुछ लोगों के कान के पर्दे फट गये। आसपास के घरों की छतें गिर पडीं और कई दीवारों में दरार आ गयी। वर्धा जिले के पुलगांव स्थित केन्द्रीय आयुध भंडार का क्षेत्र बहुत ही संवेदनशील है और वर्ष 2001 में जब संसद पर हमला हुआ था उस समय यहां की सुरक्षा कड़ी कर दी गयी थी। आयुध भंडार 5-6 किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। किसी को भी इस क्षेत्र में प्रवेश की इजाजत नहीं है।
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