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बालीवुड में मौत का भी अपना अलग मायाजाल है

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भले ही वह नकली ही क्यों न हो। जब मौत आती है, तो रुलाती है। जो आपको दिल से चाहता है, उसे वह बहुत दुखी करती है। सिनेमा के परदे की मौत भले ही नकली होती है, लेकिन घर परिवार और दर्शकों को वह भी नहीं सुहाती। मौत आखिर मौत ही होती है क्या असली और क्या नकली. दर्द के दावानल की भी भले ही अपनी एक अलग दुनिया होती है। लेकिन उस दुनिया में भी दर्द की दीवार की अपनी कोई एक शक्ल नहीं होती। वह हजार अलग-अलग चेहरों में हमारे सामने रह रहकर उभरता रहता है। कभी वह किसी प्यारी सी मुस्कान के रूप में भी उभर कर सामने आ सकता है। तो कभी खुशी सा खिलखिलाता है, फिर भी अट्टहास करता सा लगता है। कभी वह मौत के मर्मातक रूप में और कभी-कभी तो वह हंसी के रूप में भी हमारे सामने आकर खड़ा हो जाता है। यही वजह है कि जो लोग जिंदगी को सुख के सागर और दर्द की दीवारों के दायरों में नापते रहते हैं, वे जिस वजह से बहुत सफल हो जाते हैं, उन्हीं वजहों से अपने बहुत करीब के लोगों को दुखी भी कर जाते हैं। अगर यह सच नहीं है, तो झंडे गाड़ने वाली सफलता के शिखर पर खड़ी होने वाली फिल्म साबित होने के बावजूद ‘‘बाजीराव मस्तानी’ के हीरो रणवीर सिंह अपनी मां को यह फिल्म देखने से क्यों रोकते!रणवीर नहीं दिखाना चाहते थे मां को फिल्मकिसी को शायद भरोसा नहीं होगा, लेकिन सच्चाई यही है कि देश भर में घूम-घूम कर अपनी फिल्म देखने के लिए लोगों के बीच जाकर प्रमोशन कर रहे रणवीर सिंह अपनी मां को यह फिल्म दिखाना ही नहीं चाहते थे।

संजय लीला भंसाली के निर्देशन में बनी फिल्म ‘‘बाजीराव मस्तानी’ में दीपिका पादुकोण की चमत्कृत कर देने वाली मस्तानी अदाओं, काशीबाई के रूप में प्रियंका चोपड़ा की प्रतिभा और मराठा शासक पेशवा बाजीराव के दमदार किरदार में रणवीर सिंह ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। रणवीर खुद इसे अब तक की अपनी सबसे बेहतरीन फिल्म बता चुके हैं। लेकिन रणवीर अपनी मां को यह फिल्म नहीं दिखाना चाहते थे। वजह यही थी कि रणवीर की मां उन फिल्मों से नफरत करती है, जिनमें रणवीर की मौत होते दिखाया जाता है। वैसे, कौन मां होगी, जो अपने बेटे को यूं मरता देखकर खुश होती होगी। ‘‘गोलियों की रासलीला-रामलीला’ में भी रणवीर सिंह को मरते दिखाया गया है। इस फिल्म को देखने से रणवीर की मां को बेहद दुरूख पहुंचा था। वह कई दिनों तक रह रहकर रोती रहीं। आंसू थामे नहीं थमते थे। ‘‘बाजीराव मस्तानी’ के अंत में भी बाजीराव मारा जाता है और रणवीर को पता था कि मां यह सीन देख दुरूखी होंगी। इसलिए उन्होंने मां को फिल्म देखने से मना किया था, लेकिन उनकी मां ने जिद करके रणवीर के साथ बैठकर यह फिल्म देखी। अपने बेटे के अभिनय से वह अभिभूत हो गई। फिल्म खत्म होते ही नम आंखों के साथ उन्होंने रणवीर को गले लगा लिया। फिर डबडबाई आंखों से बाहर निकलीं। और घर जाकर धार-धार रोई। यह दर्द की अपनी एक अलग शक्ल है जिसमें हर पल बेटे के जीने की कामना करने वाली एक मां की ममता का दर्द था।

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दरअसल, जो लोग रिश्तों की सीमाओं को मानते हैं और जिंदगी की असलियत को कैमरे के सामने जी हुई जिंदगी को भी सच के आईने में देखते रहते हैं, उनके चेहरे पर कभी कभार जो हंसी उभरती है, वह अक्सर यही कहती है कि ये हंसी जो दिख रही है वह हंसी तो है, पर उसके पीछे का दर्द किसी को नहीं दिखता क्योंकि उस दर्द की कोई शक्ल नहीं होती। यह दर्द कभी सिनेमा के परदे पर अपनी प्रेमिका को गले लगाते वक्त घर में बैठी पत्नी के सीने में घाव कर जाता है। तो कभी सिनेमा के परदे पर शराब के नशे में बरबाद होते किसी बेटे की होती मौत पर किसी सफल पिता को मन को मायूस कर डालता है। कभी जब कोई हसीना किसी फिल्म के किसी दृश्य में किसी को बेइंतिहा चाहती दिखती है, तो असल जिंदगी में उसे चाहने वाले उसके प्रेमी को उस फिल्म के हीरो से ही स्थायी दुश्मनी होने का आभास होने लगता है। मां की वजह से बदला क्लाइमेक्स जिन लोगों ने अमिताभ बच्चन की ‘‘दीवार’ फिल्म देखी है, और जिन्होंने ‘‘शोले’ देखी है, वे यह भी जानते हैं कि इन दोनों ही फिल्मों में अमिताभ बच्चन की मौत हो जाती है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि फिल्म के परदे पर अपने बेटे की इस तरह की मौत के दृश्य उनकी मां तेजी बच्चन को कतई नहीं सुहाते थे। ‘‘कुली‘‘ की मूल स्क्रिप्ट में अंत में अमिताभ बच्चन को मर जाना था, लेकिन उनकी मां तेजी बच्चन के अनुरोध पर ही यह सीन बदल दिया गया। इससे पहले की फिल्मों के अंत में अमिताभ मरते हुए दिखाए गए थे, तो मां दुखी होकर उस दुख को भूल जाया करती थी। लेकिन ‘‘कुली‘‘ में तेजी बच्चन उन्हें मरते हुए नहीं देखना चाहती थीं, क्योंकि इसी फिल्म की शूटिंग के दौरान उनके बेटे को नया जीवन मिला था। उन्होंने कुली के निर्देशक मनमोहन देसाई को कहा कि फिल्म के अंत में अमिताभ को मरते हुए न दिखाया जाए और मां की ममता ने महानायक की इस फिल्म की स्क्रिप्ट में क्लाइमेक्स ही चेंज कर दिया। दर्शकों की खातिर प्रिय कलाकार को किया जीवित मौत के मंजर को थोड़ा गहरे से देखा जाए, 
   
अपने स्टारडम के दौर में राजेश खन्ना ने ‘‘आनंद’ फिल्म में परदे पर मर कर भी मौत को भले ही जिंदा कर दिया था। लेकिन फिल्म ‘‘बहारों के सपने’ में हीरो राजेश खन्ना को अंत में कुछ व्यक्तियों द्वारा गोलियां मार दी जाती है। उसे भीड़ में दबा दिया जाता है। वहीं राजेश खन्ना की मौत हो जाती है। कहते हैं ‘‘आनंद’ में राजेश खन्ना की मौत ने हर किसी को रुलाया, लेकिन असल जिंदगी में उनके रिश्तेदारों को कुछ ज्यादा ही रुलाया। ‘‘बहारों के सपने’ में भी राजेश खन्ना को मरते हुए तो दिखा दिया गया। लेकिन मुंबई के अलावा दूसरे शहरों में जब फिल्म प्रदर्शित हुई तो राजेश खन्ना को अंत में जीवित दिखाया गया और पोस्टरों पर बाकायदा लिखा गया था ‘‘अपने प्रिय कलाकार को जीवित देखिए’। यह किसी को जिंदा देखने के प्रति दिल की आवाज का आइना था। सिल्वर स्क्रीन पर राजेश खन्ना की अदाएं सिनेमाघर के अंधेरे में बैठी कमसिन कन्याओं के भीतर इश्क का इतना उजियारा भर देतीं कि वे राजेश खन्ना की कार को अपने होठों पर लगी लिपस्टिक से गुलाबी कर जातीं और खून से प्रेम पत्र लिखने से लेकर शरीर गुदवाकर अपने स्टार को अपनी जिंदगी के जाल में बुन लेतीं। इसी तर्ज पर आज देखें, तो रणवीर सिंह को देखकर हजारों लड़कियां अपनी दीवानगी का इजहार करती नजर आती हैं। यह जिंदगी में सिनेमा का अजब असर है इसीलिए जिसे दिल से चाहा हो, उसे परदे पर मरते देखने का दिल नहीं करता। होता है भावनात्मक लगाववैसे, हम सभी जानते ही हैं कि भारतीय दर्शक अपने हीरो या हीरोइन के साथ भावनात्मक लगाव की वजह से ही फिल्म देखने घर से निकलता है।
  
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फिल्मकार वासु भगनानी कहते हैं कि इसी कारण दर्शक अपनी फिल्मों में हीरो को हंसी-खुशी देखना चाहता है। वह यह भी नहीं चाहता है कि वह दर्द के दावानल में झुलसकर सिनेमाघर से बाहर निकले। यही कारण है कि यदि किसी फिल्म के आखिरी दृश्य में फिल्म के हीरो या हीरोइन की मौत दिखा दी जाये तो दर्शक इसे स्वीकार नहीं कर पाता। फिल्मकार मधुर भंडारकर का कहना है कि जब दर्शक का हाल यह है तो घर परिवार वालों का दुखी हो जाना तो बहुत स्वाभाविक है ही। भले ही उन्हें पता है कि सब कुछ नकली है, कैमरे के लिए है, कहानी की वजह से है, लेकिन दिल की भी अपनी अलग किस्म की तासीर होती है। मधुर कहते हैं कि जिन्होंने जिसकी जिंदगी की दुआएं की होती है, उसकी मौत देखना उनके लिए मरने जितना मुश्किल होता है। इसी कारण तेजी बच्चन का अमिताभ बच्चन के लिए दुखी होना और रणवीर सिंह के लिए उनकी मां अंजू भवनानी के आंसू निकलना बहुत स्वाभाविक है। वैसे, हर किसी को एक न एक दिन जाना ही है। किसी की मौत होना कोई अचरज की बात नहीं। लेकिन किसी के जीते जी उसकी मौत देखना अक्सर सिर्फ हादसा भर नहीं होती। खासकर रिश्तेदारों और चाहने वालो के लिए। और यह भी चाहत का ही असर है कि किसी अपने की मौत संसार का वह चेहरा है जो पल प्रतिपल मौत के और करीब ले जाता है। हेमा मालिनी शायद इसीलिए कह रही थीं कि उन्हें मौत से डर नहीं लगता, लेकिन किसी अपने की मौत से बहुत डर लगता है। कमल हमन और रति अग्निहोत्री स्टारर फिल्म ‘ एक दूजे के लिए ’ के अंत में दोनों युगल प्रेमी मर जाते है,सीन को भी दशकों की मांग पर बाद में बदल दिया गया।

मोना सिंह को भी अंधेरे में डर लगाता है

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टीवी पर अलौकिक शक्ति शो ‘कवच’ एकता कपूर का नया हॉरर थ्रिलर शो है,जो उनके एक अन्य शो ‘नागिन’ कि जगह प्रसारित होगा। 24 कडियों के इस शो में मोना सिंह,विवके दाहिया और महक चहल मुख्य किरदारो में कवच ... .. काली शक्तियों का रूप है कि एक औरत को एक चुड़ैल से अपने पति के जीवन को बचाने क्या क्या प्रयास करती है। देखेंगे अगर शो नागिन  पौराणिक मान्यताओं के आसपास बुना गया था, कवच अदृश्य शक्तियों कला पर आधरित है।

जस्सी जैसी कोई नही जैसे शो से लोकप्रियता पाने वाली अभिनेत्री मोना सिंह बताती है कि ‘यह अलग प्रकार का शो है,लेकिन लोगों का कहना है कि यह शो अंधविश्वास को बढावा देता है, जबकि ऐसा कुछ भी नही है। कवच के माध्यम से समझाने का प्रयास किया गया कि कुछ बुरी आत्मा है, जो किसी का का भी खुशहाल जीवन को नरकीय बना देती है’जबकि मोना खुद इस तरह की बातों पर विश्वास नही करती लेकिन शो करने के बाद में उनका को भी एकांतवास में डर लगता है,चाहे वह उसे वहम मानती है। फिल्म जेड प्लस के  बाद में मोना का छोटे परदे पर लौटना को शुभ मानती है। वह कहती हैख् कि अच्छी फिल्म होने के बाद भी नही चल पाई इसका उनको दुख है। कवच में मोना परिधि नामक माहिला के किरदार में  है।

मुम्बई-पुणे एक्सप्रेस वे पर सड़क हादसा: 17 मरे, 35 घायल

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मुम्बई 05 जून, महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में मुम्बई-पुणे एक्सप्रेस पर आज सुबह हुए भयंकर सड़क हादसे में सात महिलाओं समेत कम से कम 17 लोग मारे गये और 35 अन्य घायल हो गये। सतारा से आ रही एक लग्जरी बस नवी मुम्बई में एक्सप्रेस वे पर तड़के साढ़े पांच बजे दो कारों को जबरदस्त टक्कर मारने के बाद खाई में गिर गयी। पुलिस ने बताया कि हादसे में सात महिलाओं और एक बच्चे समते 17 लोग मारे गये। घायलों में कुछ की हालत गंभीर बताया जा रही है इस कारण मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका है। इस हादसे में मारे जाने वाले अधिकतर लोग बस सवार हैं। घायलों को एमजीएम अस्पताल कामोत और अष्टविनायक अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

चुनाव आयोग का महबूबा को कारण बताओ नोटिस

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श्रीनगर 05 जून, जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को अनंतनाग विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने के दौरान आदर्श आचार संहिता के कथित उल्लंघन करने पर निर्वाचन आयोग ने उनके खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया है। 22 जून को हाेने वाले इस उपचुनाव के लिए सुश्री मुफ्ती ने एक जून को नामांकन पत्र दाखिल किया था।उनके खिलाफ यह नोटिस गत दो जून को मुख्य विपक्षी पार्टी नेशनल कांफ्रेस के उम्मीदवार इतिखार हुसैन मिसगर की शिकायत पर जारी किया गया है। श्री मिसगर ने जिला चुनाव अधिकारी से शिकायत की थी कि सुश्री मुफ्ती ने अपने नामांकन के लिए सरकारी वाहन से पहुंची जो सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग है। शिकायत में यह भी कहा गया कि उन्होंने अपने मतदाताओं को लुभाने के लिए अपने वाहन पर राष्ट्र और राज्य के झंडे का इस्तेमाल किया , जो आदर्श चुनाव अाचार संहिता का उल्लंघन है।

दक्षिणी गोवा में छोटे बंदरगाह का होगा निर्माण: गडकरी

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पणजी. 05 जून, केन्द्रीय परिवहन एवं जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि दक्षिणी गोवा के बेतुल में एक नये छोटे बंदरगाह का निर्माण किया जायेगा। श्री गडकरी ने कल एक बैठक की अध्यक्षता के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि यह बंदरगाह मोरमुगाओ बंदरगाह के लिए सेटेलाइट बंदरगाह के रूप में काम करेगा। यह परियोजना केन्द्र और गोवा सरकार के बीच संयुक्त उद्यम होगा। उन्होंने कहा कि इस बंदरगाह के निर्माण के संबंध में एक प्रस्ताव गोवा के मुख्यमंत्री को सौंपा जा चुका है। यह बंदरगाह मोरमुगाओ बंदरगाह से 35 किलोमीटर दक्षिण में स्थित होगा। उन्होंने कहा कि यह उद्यम रोजगार की संभावनाओं के साथ-साथ राज्य सरकार के लिए राजस्व भी इकट्ठा करेगा। इस परियोजना में निवेश के सवाल पर उन्होंने कहा, “हम इसमें पूरा निवेश करेंगे।” श्री गडकरी ने कहा,“गोवा के मुख्यमंत्री ने हमें बताया है कि यह परियोजना मंत्रिमंडल और लोगों की राय लेने के बाद ही शुरू की जायेगी।” इस मौके पर गोवा के मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पार्सेकर भी मौजूद थे।

मथुरा में हालात सामान्य की ओर अग्रसर

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मथुरा 05 जून, उत्तर प्रदेश में कान्हा नगरी मथुरा के जवाहरबाग में दो जून को अवैध कब्जेदारों और पुलिस के बीच हुये हिंसक संघर्ष के बाद हालात तेजी से सामान्य हो रहे हैं मगर राजनीतिक दलों के बीच यह घटना अब भी बहस का केन्द्र बनी हुयी है। पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था दलजीत चौधरी ने आज कहा “ मथुरा में हालात लगभग सामान्य हो चुके हैं मगर सुरक्षा कारणों से जवाहरबाग परिसर में लोगों को प्रवेश की इजाजत अभी नही दी गयी है। ” उन्होने कहा कि हिंसक संघर्ष में मारे गये सभी 24 लोगों का पोस्टमार्टम हो चुका है और शवों को उनके परिजनों को सौंप दिया गया है हालांकि दो शवों की पहचान अब तक नहीं हो सकी है। पुलिस ने कल रात अवैध कब्जेदारों के मुखिया रामवृक्ष यादव के मारे जाने की पुष्टि की थी। इसके साथ ही मुख्य आरोपी के मारे जाने को लेकर पिछले दो दिनों से मंडरा रहे संदेह के बादल छट गये। पुलिस ने रामवृक्ष की मृत्यु का कारण आग में झुलस जाना करार दिया है हालांकि मृत्यु के 48 घंटे बाद शव की शिनाख्त की कोई स्पष्ट वजह पुलिस नही बता पायी।

सुनहरे एवं सशक्त भारत के लिए बुद्धिजीवी योगदान करें: स्मृति इरानी

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बीकानेर, 05 जून, केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति इरानी ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सुनहरे एवं सशक्त भारत के निर्माण का बीड़ा उठाया है जिसके चलते विश्व में भारत मजबूती से खड़ा है और यही श्री मोदी की सोच है। श्रीमती इरानी ने आज गंगानगर में बुद्धिजीवी वर्ग के साथ आयोजित संवाद में बुद्धिजीवियों से सुनहरे एवं सशक्त भारत की परिकल्पना को साकार करने और विश्व में मजबूती से भारत को खड़ा करने में योगदान देने का आह्वान किया। उन्होंने राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सरकार की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस राज्य में में केन्द्र सरकार की सभी जनकल्याणकारी और नई योजनाओं के साथ साथ प्रदेश सरकार द्वारा संचालित ऐसी ही योजनाओं का सिर्फ प्रचार प्रसार ही नहीं हो रहा है बल्कि इसका लाभ भी हर वर्ग को मिल रहा है। उन्होंने उच्च शिक्षण संस्थानों का जिक्र करते हुए कहा कि शैक्षणिक संस्थानों के विकास एवं उनकी मजबूती के लिए कई कार्यक्रम एवं योजनाएं शुरू की गई हैं। इसके साथ ही समाज के सभी लोगों तक शिक्षा का संचार हो इसके लिए उन्नयन भारत अभियान उनके मंत्रालय ने शुरू किया है। उन्होंने शिक्षण संस्थानों से इस अभियान से जुड़ने का आह्वान करते हुए कहा कि प्रत्येक शिक्षण संस्था अपने आसपास के पांच गांवों को गोद लें। इन गांवों में शिक्षा और तकनीक के संचार में सेतु के रूप में ये शिक्षण संस्थान काम करें। उन्होंने कहा कि यह खुशी की बात है कि राजस्थान में कुछ जगहों पर ऐसे प्रयोग शुरू हो गये हैं।

अफगान का सर्वोच्च सम्मान मोदी की स्वीकार्यता का प्रतीक : भाजपा

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नयी दिल्ली 05 जून, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अफगानिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘आमिर अमानुल्ला खान’ से नवाजे जाने पर उन्हें बधाई देते हुए आज कहा कि यह सम्मान मोदी सरकार की विदेश नीति की बढ़ती स्वीकार्यता का प्रमाण है। पार्टी प्रवक्ता एम जे अकबर ने यहां एक नियमित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी द्वारा वहां का सर्वोच्च नागरिक सम्मान पाने पर श्री मोदी को पार्टी अध्यक्ष की ओर से शुभकामनाएं। श्री अकबर ने कहा, “प्रधानमंत्री की नयी विदेश नीति एवं ‘सबका साथ सबका विकास’ जैसी पहल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है।“ उन्होंने कहा कि हाल के समय में इस तरह का सम्मान उथल-पुथल से भरे एशियाई क्षेत्र में प्रधानमंत्री की विदेश नीति की स्वीकार्यता का द्योतक है। प्रवक्ता ने सलमा डैम के निर्माण से जुड़ी भारतीय और अफगानी टीम की प्रशंसा करते हुए कहा कि भारत के प्रयास से निर्मित डैम दोनों देशों के बीच प्रगाढ़ दोस्ती का प्रतीक है। गौरतलब है कि पिछले छह माह में श्री मोदी की यह दूसरी अफगान यात्रा है। उन्होंने कल अफगान-भारत मित्रता बांध का उद्घाटन किया था। इसे सलमा डैम भी कहा जाता है। अफगानिस्तान पार्लियामेंट परिसर के निर्माण के बाद वहां भारत की यह दूसरी बड़ी परियोजना है।

अखिलेश सरकार राजी हो तो मथुरा हिंसा की हो सकती है सीबीआई जांच : राजनाथ

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अमरोहा 05 जून, मथुरा में शहीद पुलिस अधीक्षक की पत्नी द्वारा जवाहरबाग कांड की केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराये जाने की मांग के बीच केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने आज कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार राजी हो तो इस पूरे प्रकरण की सीबीआई जांच कराकर दूध का दूध और पानी का पानी किया जा सकता है। श्री सिंह ने आज यहां नारंगपुर गांव में चिलचिलाती धूप के बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने किसान स्वाभिमान रैली काे संबोधित करते हुये कहा “ मथुरा के जवाहरबाग में पिछले दिनों हुयी घटना से पूरा देश स्तब्ध है। प्रदेश सरकार की मिलीभगत के कारण आतताइयों के हौसले बुलंद हुये और इसका भयावह परिणाम सबके सामने है। पुलिस के दो जाबांज अधिकारियों को जान गंवानी पडी। राज्य सरकार चाहे तो सीबीआई जांच से घटनाक्रम के दोषियों को उजागर करना और भी आसान होगा। ” उधर, मथुरा के जवाहरबाग में अवैध कब्जेदारों के साथ हुये संघर्ष में हत्प्राण पुलिस अधीक्षक नगर मुकुल द्विवेदी के परिजनों ने घटना की सीबीआई जांच की मांग की है। किसी का नाम लिये बिना श्री द्विवेदी की पत्नी श्रीमती अर्चना द्विवेदी ने कहा “ मौके पर इस तरह के गुरिल्ला युद्ध के लिये विशेष रूप से प्रशिक्षित अर्द्धसैनिक बल की मौजूदगी के बावजूद पुलिस के आला अधिकारियों ने नये भर्ती हुये पुलिस अफसर को इस तरह की स्थिति से निपटने के लिये क्यों आगे किया। मेरे पति को बलि का बकरा बनाया गया। असलियत उजागर करने के लिये घटना की सीबीआई जांच होनी चाहिये। ”

पर्रिकर ने वियतनाम के साथ रक्षा सहयोग पर की चर्चा

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हनोई, 05 जून, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने आज यहां वियतनाम के अपने समकक्ष जेन नगो जुआन लिच से मुलाकात की तथा द्विपक्षीय रक्षा सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की। श्री पर्रिकर सिंगापुर में अंतर-सरकारी सुरक्षा फोरम शांगरी-ला डायलॉग में शामिल होने के बाद यहां पहुंचे। उन्होंने हो ची मिन संग्राहलय से यहां की अपनी यात्रा शुरू की। गौरतलब है कि दक्षिण चीन सागर में जारी विवाद में वियतनाम भी अपनी दावेदारी पेश करता है। दक्षिण चीन सागर के रास्ते भारत का सात करोड़ डॉलर से अधिक का व्यापार होता है। भारत को वियतनाम तट को दो जगहों पर तेल उत्खनन का अधिकार है। पिछले कुछ वर्षों से भारत और वियतनाम संबंधों पर चीन की बारीक नजर है।

भारत-कतर के बीच सात समझौतों पर हस्ताक्षर

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दोहा 05 जून, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दो दिवसीय कतर दौरे के दौरान वभिन्न क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए आज सात समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये। दोनों देशों के बीच निवेश के अलावा स्वास्थ्य में सहयोग, पर्यटन, कौशल विकास, सीमा शुल्क, सहयोग तथा युवा और खेल मामलों में परस्पर सहयोग के समझौते पर हस्ताक्षर किये गये। श्री मोदी ने कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमाद अल थानी से यहां अमीरी दीवान में मुलाकात की। श्री मोदी ने कतर के अमीरी को जन्मदिन की बधाई दी। उन्होंने कतर के संस्थापक के मकबरे पर श्रद्धांजलि दी। श्री मोदी ने इससे पहले कतर में कारोबारियों के साथ बैठक की। बैठक के दौरान श्री मोदी ने कतर के कारोबारियों को भारत में निवेश के लिए आमंत्रित करते हुए कहा कि भारत प्रचुर संभावनाओं वाला देश है तथा सरकार निवेश के रास्ते की समस्त बाधाओं को दूर करने का वायदा करती है। उन्होंने कतर के कारोबारियों को संबोधित करते हुए कहा“भारत में निवेश के कई अवसर हैं। इस अवसर का आप लाभ उठाएं ।इसके लिए मैं व्यक्तिगत रूप से आप लोगों को आमंत्रित करने यहां आया हूं। आप लोग भारत की क्षमताओं को समझते हैं। निवेश के रास्ते में जो भी अड़चनें आपको दिखाई दे रही हैं उन्हें दूर करने का हम वायदा करते हैं।’’

प्रधानमंत्री ने इस मौके पर भारत के युवा श्रम बल का उल्लेख करते हुए कहा कि देश की 80 करोड़ आबादी युवाओं की है। ये युवा देश की सबसे बड़ी ताकत हैं। बुनियादी ढ़ांचे का विस्तार और विनिर्माण गतिविधियों को अत्याधुनिक बनाना उनकी सरकार की प्राथमिकताएं हैं। देश में निर्माण गतिविधियां तेज गति से बढ़ रही हैं। आमलोगों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए स्मार्ट सिटी, मेट्रो और शहरी क्षेत्र में कचरा प्रबंधन जैसी योजनाएं शुरू की गई हैं। श्री मोदी ने कतर के निवेशकों से भारत में कृषि उत्पाद प्रसंस्करण, रेलवे और साैर ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश को भी काफी फायदे वाला बताया। इस अवसर पर भारत और कतर के बीच व्यावसायिक रिश्तों में मजबूती लाने के लिए कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमल अल थानी की सराहना भी की।इससे पहले कतर के व्यापार तथा आर्थिक मामलों के मंत्री अहमद जसीम अल थानी ने भारत के साथ अत्यधिक आर्थिक सहयोग बढाने की वकालत की। पिछले आठ सालों में कतर की यात्रा करने वाले मोदी पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं। इससे पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2008 में दोहा की यात्रा की थी। प्रधानमंत्री खाड़ी क्षेत्र के देशों के साथ संबंधों को सुधारने में ध्यान दे रहे हैं। समूचा खाड़ी क्षेत्र भारत की उर्जा सुरक्षा के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। इससे पहले प्रधानमंत्री संयुक्त अरब अमीरात और सउदी अरब की यात्रा भी कर चुके हैं। कतर में छह लाख से अधिक भारतीय मूल के लोग रहते हैं तथा वर्ष 2014-15 में कतर का भारत के साथ व्यापार डेढ लाख डॉलर को पार कर गया था। कतर भारत को सबसे अधिक एलएनजी आपूर्तिकर्ता के साथ साथ कच्चे तेल का प्रमुख स्रोत है। कतर के प्रमुख पिछले साल मार्च में भारत की यात्रा पर आये थे। इससे पहले कतर के प्रमुख 1999, 2005 तथा 2012 में भारत की यात्रा पर आये थे।

स्टेफी के रिकॉर्ड की बराबरी जरुर करूंगी : सेरेना

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पेरिस, 05 जून, विश्व की नंबर एक खिलाड़ी अमेरिका की सेरेना विलियम्स ने स्पेन की गरबाइन मुगुरुजा के हाथाें वर्ष के दूसरे ग्रैंड स्लेम फ्रेंच ओपन के महिला एकल में खिताबी हार के बाद कहा कि वह स्टेफी ग्राफ के 22 ग्रैंड स्लेम खिताबों के रिकॉर्ड की बराबरी करने की कोशिश करती रहेंगी। जर्मनी की स्टेफी ग्राफ के 22 ग्रैंड स्लेम खिताबों के रिकॉर्ड की बराबरी करने के लिये सेरेना बस एक ग्रैंड स्लेम की जीत से दूर है। इससे पहले वह यूएस ओपन के फाइनल में पहुंची थी लेकिन खिताब जीतने से चूक गयीं थीं। सेरेना के करियर में यह पहला मौका है जब उन्हें लगातार दो ग्रैंड स्लेम के खिताबी मुकाबल में हार झेलनी पड़ी है। 

सेरेना ने फ्रेंच अोपन का खिताबी मुकाबला हारने के बाद कहा,“ मैं बस यही कह सकती हूं कि मैं स्टेफी ग्राफ के 22 ग्रैंड स्लेम खिताबों के रिकॉर्ड की बराबरी करने की कोशिश करती रहूं। खिताबी मुकाबले में ऐंजलिक कर्बर ने तीन सेट में 16 गलतियां की। अाप यह सब जानते हैं लेकिन ऐसी स्थिति में आप क्या कर सकते हैं। गरबाइन ने आज असाधारण खेल का परिचय दिया।” सेरेना इससे पहले वर्ष 2002, 2013 अौर 2015 में फ्रेंच ओपन का खिताब अपनी झोली में डाल चुकी है। उन्हाेंने अपना 21वां ग्रैंड स्लेम खिताब गत वर्ष विंबलडन में जीता था। इसके बाद से वह एक भी ग्रैंड स्लेम खिताब नहीं जीत पाई है। इस वर्ष आस्ट्रेलियन ओपन के फाइनल में उन्हें जर्मनी की ऐंजलिक कर्बर के हाथों पराजित होना पड़ा था। 34 वर्षीय सेरेना ने अपने मैच के बारे में कहा,“ फाइनल का मुकाबला मेरे लिये पूरे टूर्नामेंट की झलक थी। इस मैच में मैं बेहतर खेल दिखा सकती थी लेकिन मैंने कई गलतियां की जिसका खामियाजा मुझे भुगतना पड़ा। उम्मीद है कि अागे मैं अपने खेल में सुधार करूंगी और गलतियों से सबक लूंगी।”

सुशील के ओलंपिक सपने का फैसला सोमवार को

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नयी दिल्ली, 05 जून, ओलंपिक में दो बार पदक जीतकर इतिहास बनाने वाले पहलवान सुशील कुमार की रियो ओलंपिक में खेलने की उम्मीदों पर सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय अपना फैसला सुनायेगा। सुशील ने ओलंपिक कोटा हासिल कर चुके नरसिंह यादव के साथ 74 किग्रा फ्री स्टाइल वर्ग में ट्रायल कराने के लिये दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी जिस पर पांच बार सुनवाई होने के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने देश के इस सबसे बहुचर्चित मामले पर छह जून को फैसला सुनाने का निर्णय लिया था। सोमवार को यह फैसला होगा कि नरसिंह ओलंपिक जायेंगे या फिर सुशील के साथ उनका ट्रायल होगा। सुनवाई के दौरान अदालत ने भी यह कह दिया है कि नियमों में कहीं यह बात नहीं है कि ट्रायल कराना जरूरी है1 सरकार भी यह कह चुकी है कि इसमें उसका कोई हस्तक्षेप नहीं है और इसका फैसला करना फेडरेशन का अपना अधिकार है। कुश्ती महासंघ ने भी कहा है कि उसकी परंपरा यही कहती है कि जिस ओलंपिक पहलवान ने ओलंपिक कोटा हासिल किया है वही ओलंपिक जायेगा। महासंघ ने अदालत को यह भी बताया है कि वह गत तीन मई को वर्ल्ड यूनाइटेड रेसलिंग को नरसिंह का नाम भेज चुका है जो ओलंपिक में कुश्ती की व्यवस्था देखती है। हालांकि इस पर सुशील के वकील का तर्क था कि नाम भेजने की आखिरी तारीख 18 जुलाई है। ऐसे में महासंघ को नाम भेजने की इतनी जल्दी क्या पड़ी थी।

सुशील की ओर से इस मामले में पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अमित सिब्बल ने अदालत के सामने सरकार और भारतीय खेल प्राधिकरण के वे सभी आर्डर रखे थे जिसमें सुशील को कैंप में शामिल होने और जार्जिया में ट्रेनिंग करने के लिये कहा गया था। सिब्बल ने सुशील का तर्क रखा कि यदि उन्हें रियो के लिये नहीं ले जाना था तो उन्हें पहले ही मना कर दिया जाना चाहिये था। वरना वह इतनी कड़ी तैयारी क्यों करते। भारतीय कुश्ती महासंघ का इस मामले में लगातार एक ही रूख रहा है कि जिस पहलवान ने ओलंपिक कोटा जीता है वही रियो जाएगा। सुशील ने जार्जिया से लौटने के बाद खेल मंत्री और फेडरेशन को पत्र दिया था कि वह पूरी तरह फिट हैं और ट्रायल के लिये तैयार हैं। सुशील का कहना था कि यदि उनका ट्रायल नहीं कराना था तो उन्हें पहले ही मना कर दिया जाना चाहिये था। उन्हें विदेश में ट्रेनिंग के लिये भेजने का फैसला फेडरेशन का था। नरसिंह ने गत वर्ष लॉस वेगास में सितंबर में हुयी विश्व चैंपियनशिप में 74 किग्रा वर्ग में कांस्य पदक जीतकर ओलंपिक कोटा हासिल किया है जबकि सुशील चोट के कारण विश्व चैंपियनशिप से पहले ट्रायल में हिस्सा नहीं ले पाये थे। इसके बाद उन्हें खुद को साबित करने का कोई मौका नहीं मिल पाया। सुशील इसी लिये नरसिंह के साथ ट्रायल की मांग कर रहे हैं ताकि सर्वश्रेष्ठ पहलवान ही रियो ओलंपिक जाए।

जोकोविच फ्रेंच ओपन का बादशाह बनने का गौरव हासिल कर लिया

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पेरिस ,05 जून, दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी सर्बिया के नोवाक जोकोविच ने एक सेट से पिछडने के बाद निर्मम प्रदर्शन करते हुये दूसरे नंबर के खिलाड़ी ब्रिटेन के एंडी मरे को रविवार को 3-6 ,6-1, 6-2, 6-4 से हराकर रौलां गैरो की लाल बजरी पर पहली बार फ्रेंच ओपन का बादशाह बनने का गौरव हासिल कर लिया और इसके साथ ही उन्हाेंने करियर ग्रैंड स्लेम भी पूरा कर लिया। टॉप सीड जोकोविच के ग्रैंड स्लेम खजाने में सिर्फ फ्रेंच ओपन के ताज की कमी थी जिसे उन्होंने आज हासिल कर लिया। जोकोविच यहां 2012,2014 और 2015 में उपविजेता रहे थे लेकिन उन्होंने इस बार फ्रेंच ओपन जीतने का सपना पूरा कर लिया। इसके साथ ही वह एक ही समय चारों ग्रैंड स्लेम खिताब अपने नाम रखने वाले टेनिस इतिहास के तीसरे खिलाड़ी बन गये हैं। जोकोविच का यह 12 वां ग्रैंड स्लेम खिताब है और वह सर्वाधिक ग्रैंड स्लेम खिताब जीतने की आल टाइम सूची में संयुक्त रूप से आस्ट्रेलिया के रॉय एमरसन की बराबरी पर तीसरे नंबर पर आ गये हैं। अमेरिका के पीट सम्प्रास और स्पेन के राफेल नडाल ने 14-14 ग्रैंड स्लेम तथा स्विटजरलैंड के रोजर फेडरर ने सर्वाधिक 17 ग्रैंड स्लेम खिताब जीते हैं। सर्बियाई खिलाड़ी ने जैसे ही खिताब जीता वह पीठ के बल काेर्ट पर गिर गये। उसके बाद खड़े होकर उन्होंने दर्शकों का अभिवादन किया। आखिर उनका करियर ग्रैंड स्लेम का सपना जो पूरा हो गया था। जोकोविच ने फ्रेंच ओपन खिताब के साथ आस्ट्रेलिया के रॉड लेवर और स्वीडन के ब्योर्न बोर्ग को पीछे छोड़ दिया जिनके नाम 11-11 ग्रैंड स्लेम खिताब हैं। जोकोविच के खजाने में अब छह आस्ट्रेलियन, तीन विम्बलडन, दो यूएस ओपन और एक फ्रेंच ओपन खिताब हो गये हैं। मरे ने सेमीफाइनल में गत चैंपियन और तीसरी सीड स्विटजरलैंड के स्टेनिसलास वावरिंका को बाहर किया था और जब उन्होंने पहला सेट जीता तो लगा कि वह जोकोविच को भी फ्रेंच ओपन चैंपियन बनने का मौका नहीं देंगे लेकिन सर्बियाई खिलाड़ी ने मरे को ही इतिहास बनाने का मौका नहीं दिया। मरे 1937 में बन्नी आस्टिन के बाद फ्रेंच ओपन के फाइनल में पहुंचने वाला पहले ब्रिटिश खिलाड़ी बने थे लेकिन वह खिताब नहीं जीत पाये। मरे ने 2013 में जोकोविच को विम्बलडन के फाइनल में हराकर अपने देश का पुरुष विम्बलडन चैंपियन का 77 साल का इंतजार समाप्त किया था लेकिन यहां वह इतिहास नहीं रच पाये। दोनों खिलाड़ियों के बीच इस साल फाइनल में यह चौथा मुकाबला था। जोकोविच ने आस्ट्रेलियन ओपन और मैड्रिड मास्टर्स के खिताब मरे को हराकर जीते थे जबकि मरे ने जोकोविच को रोम मास्टर्स के फाइनल में हराया था। जोकोविच ने मरे को फ्रेंच ओपन में भी परास्त कर करियर आंकड़ों में 24-10 और क्ले कोर्ट पर 4-1 की बढ़त बना ली। 

पहला सेट 3-6 से हारने के बाद जोकोविच ने दूसरे सेट में जबरदस्त वापसी करते हुये दिखाया कि क्यों उन्हें नंबर वन कहा जाता है। सर्बियाई खिलाड़ी ने दूसरे गेम में मरे के डबल फाल्ट का फायदा उठाते हुये ब्रिटिश खिलाड़ी की सर्विस तोड़ दी। जोकोविच ने दूसरा सेट 6-1 से उस समय जीत लिया जब उनकी सर्विस पर मरे का रिटर्न नेट से उलझ गया। मरे ने पहले सेट के पहले गेम में अपनी सर्विस शून्य पर गंवाई लेकिन इसके बाद उन्होंने अगले 20 अंकों में से 16 अंक जीतते हुये 4-1 की बढ़त बना ली। जोकोविच ने छठे गेम में जाकर अपनी सर्विस बरकरार रखी और स्कोर 2-4 कर दिया। मरे ने नौंवे गेम में अपनी सर्विस बरकरार रखते हुये पहला सेट 6-3 से जीत लिया लेकिन ब्रिटिश खिलाड़ी अपनी इस लय को दूसरे सेट में बरकरार नहीं रख पाये और आश्चर्यजनक रूप से दूसरा सेट 1-6 से हार गये। तीसरे सेट में भी दूसरे सेट जैसी स्थिति रही और जोकोविच ने शुरुआती ब्रेक हासिल करते हुये 3-0 की बढ़त बना ली और फिर अपनी बढ़त मजबूत करते हुये स्कोर 5-1 कर दिया। मरे ने सातवें गेम में अपनी सर्विस बरकरार रखते हुये स्कोर 2-5 कर दिया। आठवें गेम में जोकोविच 40-30 से अागे थे और उन्होंने अपनी सर्विस कायम रखते हुये तीसरा सेट 6-2 से जीतकर मैच में 2-1 की मजबूत बढ़त बना ली। 

जोकोविच ने चौथे सेट के पहले गेम में ही मरे की सर्विस तोड़ी और जल्द ही 2-0 की बढ़त बना ली। जोकोविच ने सातवें गेम में फिर मरे की सर्विस तोड़ी और 5-2 से आगे हो गये । जोकोविच आठवें गेम में मैच और खिताब के लिये सर्विस कर रहे थे लेकिन मरे ने आखिरी कोशिश करते हुये उनकी सर्विस तोड़ दी और स्कोर 3-5 हो गया। मरे ने नौवें गेम में अपनी सर्विस कायम रखी और स्कोर 4-5 कर दिया। दसवें गेम में जोकोविच फिर खिताब के लिये सर्विस कर रहे थे। इस गेम का पहला अंक मरे ने जीता लेकिन सर्बियाई खिलाड़ी ने लगातार तीन अंक लेकर स्कोर 40-15 कर दिया। अगले अंक पर जोकोविच डबल फाल्ट कर बैठे और उनकी फिर एक बेजां भूल से स्कोर 40-40 हो गया। जोकोविच ने अगला एक अंक लेकर एडवांटेज हासिल किया और इसके बाद मरे का बैकहैंड रिटर्न बाहर जाते ही जोकोविच खिताब जीतने की खुशी में कोर्ट पर लेट गये। उन्होंने खिताब जीतने के बाद इस दिन को अपने लिये करियर का सर्वश्रेष्ठ क्षण बताया। जोकोविच ने मैच में 41 विनर्स लगाये और सात बार सर्विस ब्रेक हासिल किया। 

नीतीश ने शुरु किया जद यू का सदस्यता अभियान

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पटना,05 जून, जनता दल यूनाइटेड(जदयू) के अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज पार्टी की सदस्यता अभियान की शुरुआत की । श्री कुमार ने यहां पार्टी प्रदेश कार्यालय में जदयू के राष्ट्रव्यापी सदस्यता अभियान की शुरुआत करते हुए पटना के दीघा विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं को सदस्य बनाकर स्वयं पार्टी के सक्रिय सदस्य भी बने । पार्टी का पदाधिकारी बनने के लिए सक्रिय सदस्य बनना अनिवार्य है और इसके लिए पार्टी पदाधिकारी और नेताओं को सक्रिय सदस्य अपने-अपने बूथ पर ही बनवाना है । प्रत्येक मतदान केन्द्र पर दो सक्रिय सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा गया है और इसके लिए पार्टी के सभी नेता,पदाधिकारी ,मंत्री और विधायक अपने- अपने क्षेत्र के मतदान केन्द्र पर जाकर 25 लोगों को सदस्य बनाकर सक्रिय सदस्य बनेंगे । प्रदेश में करीब 62 हजार मतदान केन्द्रों पर पार्टी के 50 लाख से अधिक सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा गया है। पहले ही दिन आज 25 लाख सदस्य बनाये जायेंगे । सदस्यता अभियान 30 जून तक चलेगा ।

इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव सदस्यता अभियान के लिए मधेपुरा जिले में हैं और इसी कम में पार्टी के सभी मंत्री और विधायक जिस विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुये हैं , वहां के लोगों को पार्टी का सदस्य बनायेंगे । उन्होंने कहा कि सदस्यता अभियान आज से तेजी से शुरु हुआ है जो 30 जून तक चलेगा । श्री कुमार ने उत्तर प्रदेश में मथुरा के जवाहरबाग की घटना पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि एक पार्क पर कैसे कब्जा किया गया और मीडिया से कब्जा करने वालों की मांग की जानकारी मिली । पार्क में कब्जा करना और इतने दिनों तक हथियार जमा किया जाना बड़ा आश्चर्यजनक है। उन्होंने कहा कि पहले ही कार्रवाई करनी चाहिए थी । मुख्यमंत्री ने एक सवाल के जवाब में कहा कि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की इंटरमीडियेट की परीक्षा में हुयी गड़बड़ी की जांच करायी जा रही है और शिक्षा विभाग पूरी मुस्तैदी से काम कर रहा है । इसमें शामिल लोगों की जिम्मेवारी तय की जायेगी और दोषी पाये जाने पर कड़ी कार्रवाई होगी । 

श्री कुमार ने कहा कि बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू होने के बाद से पूरे देश में इस तरह की मांग हो रही है । सामाजिक संगठनों के साथ-साथ महिलाओं की ओर से भी कई राज्यों में शराब बंद करने की मांग उठ रही है। उन्होंने कहा कि जब से बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू की गयी है उसकी बाद से एक न्या उत्साह लोगों में जगा है । मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश,राजस्थान और महाराष्ट्र में पूर्ण शराबबंदी को लेकर अभियान चल रहा है । इस संबंध में इन राज्यों से उन्हें पत्र भी भेजे गये हैं । उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब गुजरात में मुख्यमंत्री थे, उससे पहले से ही वहां शराबबंदी लागू है और उन्होंने शराबबंदी को जारी रखा । उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित राज्यों में तत्काल पूर्ण शराबबंदी लागू करना चाहिए और इससे इसके लिए वातावरण बनेगा । श्री कुमार ने कहा कि तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने इसके लिए कदम उठाया है जिसका वहां के सभी दलों ने समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू होने के बाद से यह साबित हो गया है कि सामाजिक बुराई को समाप्त करने के लिए यह त्याग नहीं बल्कि समय की मांग है । 

मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि सरकार को राजस्व की हानि होती है और 15 हजार करोड़ रुपये लोगों का बचता है तो उस धन को लोग स्वास्थ्य, शिक्षा,वस्त्र,आहार और अन्य बेहतर क्षेत्रों में लगायेंगे । इससे बाजार भी फैलेगा और सरकार को अप्रत्क्ष कर की प्राप्ति होगी । उन्होंने कहा कि यह नुकसान नहीं बल्कि जनता के हित में निर्णय है । श्री कुमार ने कहा कि आने वाली पीढ़ी का भविष्य बेहतर होगा । शराब पीने वाले भी अब यह मान रहे हैं और अधिकांश लोग इसके हिमायती हैं । उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को लोगों के मनोभाव को समझते हुए भाजपा शासित राज्यों में शराबबंदी लागू करने को कहना चाहिए । मुख्यमंत्री श्री कुमार ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री की हैसियत से उन्हें एक आवास मिला है जबकि मुख्यमंत्री का सरकारी आवास एक अणे मार्ग है । उन्होंने स्पष्ट किया कि एक अणे मार्ग एक व्यक्ति का आवास नहीं बल्कि संवैधानिक पद के रुप में मुख्यमंत्री का सरकारी आवास है । श्री कुमार ने भाजपा विधान मंडल दल के नेता एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि पटना में उनका निजी आवास हैं तो उन्हें पोलो रोड स्थित सरकारी आवास में रहने की क्या आवश्यकता है । उन्होंने कहा कि सरकारी आवास उनके लिए है जिनका पटना में अपना घर नहीं है । उन्होंने जोर देकर कहा कि पटना में उनका कोई निजी आवास नहीं है । 

बिहार में इंटरमीडियेट परीक्षा में हुई गड़बड़ी की जांच के लिए समितियां गठित

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पटना,05 जून, बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से आयोजित इंटरमीडियेट कला एवं विज्ञान संकाय की परीक्षाओं में हुई गड़बड़ी जांच के लिए न्यायिक समिति और उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन किया गया है । परीक्षा समिति के अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह ने आज यहां बताया कि न्यायिक समिति के अध्यक्ष पटना उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश घनश्याम प्रसाद होंगे। न्यायिक समिति में सेवानिवृत्त न्यायाधीश जी.पी.श्रीवास्तव और भारतीय पुलिस सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी मिट्ठू प्रसाद को बतौर सदस्य रखा गया है। उन्होंने बताया कि न्यायिक समिति विज्ञान और कला विषय की प्रावीण्य सूची में अयोग्य विद्यार्थियों का चयन हो जाने के मामले की जांच करेगी ।न्यायिक समिति के लिए रिपोर्ट देने की कोई समय सीमा तय नहीं की गयी है लेकिन उससे यथाशीघ्र रिपेार्ट देने को कहा गया है। दूसरी तरफ शिक्षा विभाग की ओर से बनायी गयी तीन सदस्यीय समिति में बिहार स्टेट एजूकेशनल इफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक संजीवन सिन्हा,माध्यमिक शिक्षा के निदेशक राजीव प्रसाद सिंह रंजन और जन शिक्षा के निदेशक विनोदानंद झा होंगे । तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति इंटरमीडिएट (कला एवं विज्ञान/2016) की परीक्षा में हुई गड़बड़ी के सभी पहलुओं पर जांच कर 20 जून तक अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेंगी। 

उल्लेखनीय है कि परीक्षा परिणाम में गड़बड़ी को लेकर शुक्रवार को इंटरमीडियेट साइंस और आर्ट्स के 14 टॉपर्स को परीक्षा समिति कार्यालय में नॉलेज टेस्ट के लिए बुलाया गया था लेकिन आर्ट्स की स्टेट टॉपर रूबी राय अवसाद की बात कहकर उपस्थित नहीं हुई थी। शेष 13 टॉपर्स की लिखित एवं मौखिक परीक्षा 11 विशेषज्ञों की टीम ने लिया। कदाचार समिति की अनुशंसा और जांच के आधार पर इंटरमीडियेट विज्ञान परीक्षा के ‘स्टेट टॉपर’ सौरव श्रेष्ठ का परीक्षा परिणाम ‘नॉलेज टेस्ट’ के बाद रद्द कर दिया गया था। इंटरमीडियेट आर्ट्स की टॉपर रुबी राय को एक सप्ताह के अंदर कार्यालय में उपस्थित होने का आदेश दिया गया है । समिति ने इंटरमीडियेट साइंस के तीसरे टॉपर राहुल के रिजल्ट को भी रद्द कर दिया गया है । शेष 11 टॉपर्स की स्थिति को यथावत रखा गया है । 

लोक शिकायत निवारण अधिनियम एक क्रांतिकारी कदम साबित होगा : नीतीश

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पटना,05 जून, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज ‘सम्पूर्ण क्रांति दिवस’ के मौके पर राज्य में प्रशासनिक सुधार का एक और बड़ा कदम उठाते हुए बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन का शुभारम्भ किया । प्रख्यात समाजवादी नेता लोकनायक जय प्रकाश नारायण ने करीब चार दशक पहले 05 जून रिपीट 05 जून को ही सम्पूर्ण क्रांति का आह्वान किया था । लोकनायक के राजनीतिक शिष्य रहे श्री कुमार ने राज्य में प्रशासनिक सुधार की दिशा में इस बड़े कदम की शुरुआत के लिए यही ऐतिहासिक दिन चुना। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर यहां आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि जन सेवा अधिकार अधिकार अधिनियम वर्ष 2011 में लागू किया गया था ।इसके लागू हो जाने से जनता को विभिन्न सरकारी सेवाओं का लाभ सरकारी तंत्र से एक समय सीमा में मिलने लगा । उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने प्रशासनिक सुधार की दिशा में अब एक और बड़ा कदम उठाते हुए लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम आज से लागू कर दिया । 

श्री कुमार ने कहा कि लोक शिकायत निवारण अधिनियम के आज से लागू हो जाने से कोई भी व्यक्ति प्रखंड स्तर से लेकर राज्य स्तर तक अपनी शिकायत के समाधान के लिए अर्जी दे सकता है । उसकी शिकायत का निवारण निर्धारित 60 दिनों में कर दिया जायेगा । शिकायतकर्ता यदि सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं होगा तो वह उच्चाधिकारियों को अपील कर सकेगा । मुख्यमंत्री ने कहा कि सूचना के अधिकार अधिनियम,लोक सेवा अधिकार अधिनियम और सरकारी कर्मचारियों की सेवा से संबंधित मामले लोक शिकायत निवारण अधिनियम के दायरे से बाहर होंगे । उन्होंने बताया कि इस अधिनियम के तहत दूर की जाने वाली शिकायतों की सूची तैयार कर ली गयी है,इससे शिकायतों के निपटारे में किसी तरह की दिक्कत नहीं आयेगी । श्री कुमार ने कहा कि लोक शिकायत निवारण अधिनियम यदि सफलतापूर्वक लागू कर लिया गया तो यह इतिहास रचेगा और देश के अन्य राज्य भी इसका अनुसरण करेंगे ।उन्होंने कहा कि बिहार में महिलाओं को पंचायतीराज संस्थाओं में 50 प्रतिशत आरक्षण और सरकारी नौकरियों में 35 आरक्षण दिया गया है।उन्होंने कहा कि महिलाओं को पंचायतीराज संस्थाओं में 50 प्रतिशत आरक्षण सबसे पहले बिहार में दिया गया जिसे अब अन्य राज्य भी लागू कर रहे हैं ।केन्द्र सरकार भी ऐसा ही कानून बनाने वाली है । 

मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ अधिकारियों से लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम को गंभीरता से लागू करने की अपील की ।उन्होंने कहा कि बिहार में इसके लागू जाने के बाद वह दिन दूर नहीं होगा जब दूसरे राज्य इसे क्रियान्वित करने के लिए उनसे सम्पर्क करेंगे । श्री कुमार ने कहा कि प्रत्येक सोमवार को उनके आवास पर आयोजित होने वाले ‘जनता के दरबार में मुख्यमंत्री’ कार्यक्रम के दौरान जनता से हुई बातचीत से उन्हें एहसास हुआ कि कोई ऐसा कानून जरुर बनाया जाना चाहिए जिससे एक समय सीमा में लोगों की शिकायतों का निवारण किया जा सके ।आज से लागू यह कानून उनके अनुभव के आधार पर बनाया गया है । मुख्यमंत्री ने इस मौके पर राज्य में लागू पूर्ण शराबबंदी का जिक्र करते हुए कहा कि इसके बहुत बेहतर नतीजे आ रहे हैं । राज्य में मद्य निषेध लागू हो जाने से न केवल अपराधों की संख्या में कमी आयी है बल्कि घरेलू हिंसा में भी कमी आ रही है । 

मध्यप्रदेश विशेष : भगवा मंसूबों की नयी छलांगें

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मध्यप्रदेश वह सूबा है जहाँ संघ परिवार अपने शुरुआती दौर में ही दबदबा बनाने में कामयाब रहा है, इस प्रयोगशाला में संघ ने सामाजिक स्तर पर अपनी गहरी पैठ बना चूका है और मौजूदा परिदृश्य में वे हर तरफ हावी है। पहले मालवा क्षेत्र उनका गढ़ माना जाता था अब इसका दायरा बढ़ चूका है और प्रदेश के दूसरे हिस्से भी उनका केंद्र बनकर उभर रहे हैं। इधर मध्यप्रदेश में भगवा खेमे के मंसूबे नए मुकाम तय कर रहें हैं, ताजा मामला आईएएस अधिकारी और बड़वानी के कलेक्टर अजय गंगवार का है जिन्हें फेसबुक पर भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की तारीफ की वजह से शिवराज सरकार के कोप का सामना करना पड़ा और उनका ट्रांसफर  कर दिया गया. यही नहीं उन्हें 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ फ़ेसबुक पोस्ट लाइक करने को सर्विस कोड कंडक्ट का उल्लंघन बताते हुए नोटिस भी जारी किया गया है. सिंहस्थ अभी खत्म हुआ है जोकि पूरी तरह से एक धार्मिक आयोजन था लेकिन जिस तरह से इसके आयोजन में पूरी मध्यप्रदेश सरकार शामिल रही है वे कई सवाल खड़े करते हैं, इस दौरान समरसता स्नान और वैचारिक महाकुंभ के सहारे संघ परिवार  के राजनीति को फायदा पहुचाने की कोशिश की गयी  और इसे पूरी तरह से एक सियासी अनुष्ठान बना दिया गया.

पिछले महीनों में प्रदेश के कई हिस्सों में सिलसिलेवार तरीके से साम्प्रदायिक तनाव के मामले सामने आये हैं और कुछ ऐसी परिघटनाये भी हुई है जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर अपना ध्यान खींचा है. फिर वह चाहे खिरकिया रेलवे स्टेशन पर ट्रेन में बीफ़ होने के शक में एक बुजर्ग मुस्लिम दंपत्ति की पिटाई का मामला हो या धार में भोजशाला विवाद का। भले ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने आप को नरमपंथी दिखाने का मौका ना चूकते हों लेकिन यह सब कुछ उनकी सरकार के संरक्षण में संघ परिवार के संगठनों द्वारा ही अंजाम दिया जा रहा है। इन सबके बीच एक और चौकाने वाली नई परिघटना भी सामने आई है, हिंदू महासभा के नेता द्वारा पैगम्बर के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी के विरोध में जिस तरह से भोपाल, इंदौर सहित जिले स्तर पर बड़ी संख्या में विरोध प्रदर्शन हुए हैं और इनमें बड़ी संख्या में लोग जुटे हैं वह एक अलग और खास तरह के धुर्वीक्रण की तरफ इशारा कर रहे हैं । हालांकि अभी तक यह साफ़ नहीं हो सका है कि एक साथ इतने बड़े स्तर पर हुए इन संगठित प्रदर्शनों की पीछे कोन सी ताकतें है, लेकिन इसको नजरअंदाज नहीं किया सकता है।

मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान दावा करते हैं कि जबसे उन्होंने मुख्यमंत्री का पद संभाला है तब से मध्यप्रदेश की धरती पर एक भी दंगा भी नहीं हुआ। लेकिन गृह मंत्रालय के के हालिया आंकड़े बताते हैं कि  देश में हुई सांप्रदायिक घटनाओं में से 86 प्रतिशत घटनायें 8 राज्यों, महाराष्ट्र, गुजरात, बिहार,उत्तरप्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश, कर्नाटक और केरल में हुईं हैं।  2012 और 2013 में दंगों के मामले में मप्र का तीसरा स्थान रहा है। जबकि 2014 में पांचवे स्थान पर था। सबसे चर्चित मामला मध्य प्रदेश के हरदा जिले का है जहाँ खिरकिया रेलवे स्टेशन ट्रेन पर एक मुस्लिम दंपति के साथ इसलिए मारपीट की गयी क्‍योंकि उनके बैग में बीफ होने का शक था। मार-पीट करने वाले लोग गौरक्षा समिति के सदस्य थे जो एकतरह से दादरी दोहराने की कोशिश कर रहे थे। घटना 13 जनवरी 2016 की है,मोहम्मद हुसैन अपनी पत्नी के साथ हैदराबाद किसी रिश्तेदार के के यहाँ से अपने घर हरदा लौट रहे थे इस दौरान खिरकिया स्टेशन पर गौरक्षा समिति के कार्यकर्ताओं ने उनके बैग में गोमांस बताकर जांच करने लगे विरोध करने पर इस दम्पति के साथ मारपीट शुरू कर दी गयी। इस दौरान दम्पति ने खिरकिया में अपने कुछ जानने वालों को फ़ोन कर दिया और वे लोग स्‍टेशन पर आ गये और उन्हें बचाया। इस तरह से कुशीनगर एक्सप्रेस के जनरल बोगी में एक बड़ी वारदात होते –होते रह गयी। खिरकिया में इससे पहले 19 सितम्बर 2013 को गौ हत्या के नाम पर दंगा हुआ हो चूका है जिसमें करीब 30 मुस्लिम परिवारों के घरों और सम्पतियों को आग के हवाले कर दिया गया था , कईलोग गंभीर रूप से घायल भी हुए थे, बाद में पता चला था कि जिस गाय के मरने के बाद यह दंगे हुए थे उसकी मौत पॉलिथीन खाने से हुई थी। इस मामले में भी  मुख्य आरोपी गौ रक्षा समिति का सुरेन्द्र राजपूत ही था। यह सब करने के बावजूद  सुरेन्द्र सिंह राजपूत कितना बैखौफ है इसका अंदाजा उस ऑडियो को सुन कर लगाया जा सकता है जिसमें वह हरदा के एसपी को फ़ोन पर धमकी देकर कह रहा है कि अगर मोहम्मद हुसैन दम्पति से मारपीट के मामले में उसके संगठन से जुड़े कार्यकर्ताओं पर से केस वापस नहीं लिया गया तो खिरकिया में 2013 को एक बार फिर दोहराया जाएगा । इतना सब होने के बावजूद राजपूत अभी भी पुलिस की पकड़ से बाहर है। 

दूसरी बड़ी घटना धार जिले में स्थित मनावर की है जो अपने “बाग प्रिंट” के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है  इस साल  6 से 9 जनवरी के बीच धार में साम्प्रदायिक झडपें हुई थीं, उस दौरान बाग प्रिंट में माहिर और मशहूर 40 सदस्यों वाले खत्री परिवार पर भी हमले हुए और उनके कारखाने में  आग लगा दी गई थी। खत्री परिवार द्वारा इसकी शिकायत पुलिस में भी की गयी थी लेकिन इसपर  कोई कार्रवाई नहीं हुई, इन सब से तंग आकर यह परिवार जो बाग प्रिंट के लिए 8 नेशनल और 7 यूनेस्को अवॉर्ड जीत चुका है को यह कहना पड़ा कि उनको लगातार धमकियाँ दी जा रही हैं, वे असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और डरे हुए हैं इसलिए अगर हालत नहीं सुधरे तो आने वाले कुछ महीनों वे देश छोड़कर अमेरिका में बसने को मजबूर हो जायेंगें । इस पूरे हंगामे को लेकर हाई कोर्ट में एक दायर जनहित याचिका भी दायर की गयी थी इस याचिका धार प्रशासन को अक्षम बताते हुए कहा गया था कि जिले में कानून व्यवस्था पूरी तरह से बिगड़ चुकी है और प्रशासन अल्पसंख्यक, दलित और आदिवासियों को सुरक्षा मुहैया कराने में असफल साबित हो रहा है, यहाँ तक कि बाग प्रिंट के जरिए विश्व में भारत को प्रसिद्धि दिलाने वाले मोहम्मद यूसुफ खत्री का परिवार भी असुरक्षित है। याचिका पर सुनवाई के बाद शासन से छह हफ्ते में जवाब देने को कहा था ।

धार में ही कमाल मौला मस्जिद-भोजशाला विवाद ने महीनों तक पूरे मालवा इलाके में सम्प्रदायिक माहौल को नाजुक बनाये ये रखा, इस साल बसंत पंचमी शुक्रवार (12 फरवरी) के दिन पड़ने का संयोग था जिसकी वजह से हिन्दुतत्ववादी संगठनों द्वारा वहां माहौल एक बार फिर गरमाने का मौका गया, पूरे मालवा क्षेत्र में उन्माद का माहौल बनाने की पूरी कोशिश की गयी , इस तनाव को बढ़ाने में संघ परिवार से जुड़े संगठनों सहित स्थानीय भाजपा नेताओं की बड़ी भूमिका देखने को मिली । दरअसल धार स्थित भोजशाला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के संरक्षण में एक ऐसा स्मारक है जिसपर हिन्दू और मुसलमान दोनों अपना दावा जताते रहे हैं, एक इसे प्राचीन स्थान वाग्देवी (सरस्वती) का मंदिर मानता है, तो दूसरा  इसे अपनी कमाल मौला मस्जिद बताता है। इसी वजह से एएसआई की ओर यह  व्यवस्था की गयी है कि वहां हर मंगलवार को हिन्दू समुदाय के लोग पूजा करेंगें जबकि  हर जुम्मे (शुक्रवार) को मुस्लिमों समुदाय के लोग नमाज अदा कर सकेंगें. अपनी इसी स्थिति की वजह से भोजशाला - कमाल मौला मस्जिद विवाद को अयोध्या की तरह बनाने की कोशिश की गयी हैं, इस काम में कांग्रेस और भाजपा दोनो ही पार्टियाँ शामिल रही हैं, यह काँग्रेस की दिग्विजयसिंह सरकार ही थी जिसने केंद्र में तत्कालीन अटलबिहारी सरकार से विवादित इमारत को हर मंगलवार हिन्दुओं के लिए खोलने के लिए सिफारिश की थी. इस फैसले ने एक तरह से धार को बारूद के ढेर पर बैठा दिया है, 2003 को भोजशाला परिसर में सांप्रदायिक तनाव के बाद पूरे शहर में हिंसा फैली गयी थी और इस दंगे से काफी नुक्सान हुआ था इसी तरह से 2013 में भी बसंत पंचमी और शुक्रवार पड़ा था उस दौरान भी माहौल बिगड़ गया। इधर कुछ सालों से वहां बसंत पंचमी के आलावा दुसरे त्यौहारों में भी हिंदूवादी संगठनों की तरफ से उग्र प्रदर्शन किये जाते हैं जिससे वहां माहौल बिगड़ जाता है ।

इस साल धार में शुक्रवार के दिन पड़ने वाली बसंत पंचमी बिना किसी बड़ी हिंसा के बीत गयी है,प्रशासन यह कह कर अपनी पीठ थपथपा रहा है कि उसने नीति का अनुसरण करते हुए भोजशाला नमाज और पूजा करवा दी है लेकिन इससे पहले स्थानिय भाजपा नेताओं और संघ से जुड़े संगठनों द्वारा माहौल में जहर खोलने की पूरी कोशिश की गयी जिसमें वे कामयाब भी रहे । यह लोग बहुत ही उग्र तरीके से वसंत पंचमी पर पूरे दिन अखण्ड सरस्वती पूजा करने की मांग कर रहे थे इसके लिए महाराजा भोज उत्सव समिति द्वारा भाजपा सांसद सावित्री ठाकुर के नेतृत्व में एक वाहन रैली निकाली गई, इस रैली में धार शहर के आलावा पूरे जिले से आये लोगों ने हिस्सा लिया, बताया जाता है कि धार के इतिहास में यह सब से बड़ी रैली थी जिसमें करीब १५ से २० हज़ार शामिल हुए। सवाल यह है कि वे कोन लोग है जो अगर बसंत पंचमी शुक्रवार एक साथ पड़ता है तो दोनों समुदायों के बीच तनाव उत्पन्न कराने के लिए कमर कस लेते हैं ? इन सब से किसे फायदा हो रहा है और ऐसा कब तक चलता रहेगा ? दरअसल हर  कोई इस मसले को सुलगाये रखना चाहता है जिससे जरूरत पड़ने पर इसे हवा दी जा सके ।

ईसाई समुदाय की बात करें तो बीते 14 जनवरी की एक घटना है जिसमें धार जिले के देहर गांव में धर्मांतरण के आरोप में एक दर्जन ईसाई समुदाय के लोगों को गिरफ्तार किया गया है गिरफ्तार किये गये लोगों में नेत्रहीन दंपति भी शामिल हैं । इन आरोपियों का कहना है कि  उन्होंने किसी का धर्म परिवर्तन नहीं करवाया है औ रउनपर यह कार्रवाई हिन्दुतत्ववादी  संगठनों के इशारे की गयी है, उनका यह भी आरोप है कि पुलिस द्वारा उनके घर में घुसकर तोड़फोड़ और महिलाओं के साथ बदसलूकी की गयी है। दरअसल मध्यप्रदेश में धर्मांतरण के नाम पर ईसाई समुदायभी लगातार निशाने पर रहा है । वर्ष 2013 में राज्यसरकार द्वारा  धर्मांतरण के खिलाफ क़ानून में संशोधन कर उसे और ज्‍यादा सख़्त बना दिया गया था जिसके बाद अगर कोई नागरिक अपना मजहब बदलना चाहे तो इसके लिए उसे सबसे पहले जिला मजिस्‍ट्रेट की अनुमति लेनी होगी। यदि धर्मांतरण करने वाला या कराने वाला ऐसा नहीं करता है तो वह दंड का भागीदार होगा। इसी तरह ने नए संसोधन के बाद “जबरन धर्म परिवर्तन” पर जुर्माने की रकम दस गुना तक बढ़ा दी गई हैं और कारावास की अवधि भी एक से बढ़ाकर चार साल तक कर दी गई है। हिन्दुतत्ववादी संगठनों द्वारा ईसाई समुदाय पर धर्मांतरण का आरोप लगाकर प्रताड़ित किया जाता रहा है, अब कानून में परिवर्तन के बाद से उनके लिए यह और आसन हो गया है । इन सब के खिलाफ ईसाई समुदाय के तरफ से आवाज भी उठायी जाती रही है, पिछले दिनों ही आर्कबिशप लियो कॉरनेलियो ने कहा है कि मध्‍य प्रदेश में धर्मांतरण विरोधी कानून का गलत इस्‍तेमाल हो रहा है और ईसाईयों के खिलाफ जबरन धर्मांतरण के फर्जी केस थोपे जा रहे हैं। जाहिर मप्र की भाजपा सरकार संघ परिवार के संकीर्ण एजेंडे पर बहुत मुस्तैदी से चल रही है और भगवा मंसूबे बहुत तेजी अपना मुकाम तय कर रहे हैं .




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जावेद अनीस 
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javed4media@gmail.com

पंजाबी लुक में नजर आयंगे मनीष पॉल.

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बतौर एक अलग पहचान बनाने वाले अभिनेता मनीष पॉल ने कई फिल्मों में भी किस्मत आजमाई लेकिन,अच्छी कहानी के बाद भी फिल्मेंसफल नही हो पायी। इसके बाद भी मनीष के   पास कई फिल्मों के आफर है। अब मनीष एक फिल्म ‘जट्ट एंड जूलिएट २’  में नजर आएंगे। इस फिल्म में वे एक कट्टर पंजाबी की भूमिका में नजर आएंगे,फिल्म में अपने किरदार को वास्तविक रूप देने के लिए अपने लुक पर भी काफी ध्यान दे रहे हैं, इस फिल्म में मनीष लम्बे बालों में नजर आएंगे, जिसके लिए मनीष ने अपने बालों को अभी से बढ़ाना शुरू कर दिया है. 

अभिनेता होने के नाते मनीष हमेशा से ही ऐसी फिल्म करना चाहते थे जिसमे उनके लुक पर कोई  एक्सपेरिमेंट  किया जाये, और जैसे उन्हें पता चला की फिल्म में एक हार्डकोर  पंजाबी का किरदार निभा रहे हैं और जिसके लिए उन्हें अपने बालों को भी बढ़ाना पड़ेगा , मनीष ने तुरंत ही इस बात के लिए हामी भर दी. मनीष का कहना है की ‘यह बहुत ही दिलचस्प किरदार है जिसके लिए मुझे , बालों को बढ़ाना पड़ेगा, और यह मेरे लिए बहुत ही बेहतरीन अनुभव होगा।’

झाबुआ (मध्यप्रदेश) की खबर (05 जून)

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शनि जयंती पर धुमधाम से निकला चल समारोह
                      
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पारा--रविवार को शनि जयंती के उपलक्ष मे नगर के शनि मंदिर मे कलुयुग के न्यायाधिश शनिदेव का आकृष्क श्रृंगार कर विशेष पुजा अचर्ना कर धूमधाम से मनाया गया। उक्त जानकारी देते हुए शनि मित्र मण्डल के सचिव अमृत राठोर ने बताया की प्रति वर्षानुसार इस वर्ष भी शनि जयंति के उपलक्ष मे बस स्टेण्ड स्थित शनि मंदिर मे आकृष्क साज सज्जा की गई हे साथ भगवान शनिदेव का ब्रहम मुहर्त मे अभीषेक के साथ आकृष्क श्रृंगार कर आरती की गई।  विश्वशांती के लिए पुजन अर्चन कर हवन किया गया जिसका लाभ रमेश चन्द्र दशोरा परिवार ने लिया। पश्चात नगर के प्रमुख मार्गा से बेण्ड बाजे के साथ कलयुग के न्यायाधिश भगवान शनिदेव का चल समारोह निकाला जिसमे बडी संख्या मे श्रद्धालुओ भाग लिया। चल समारोह के समापन पर महाआरती की गई जिसका लाभ संजय दशेारा ने लिया। शनिदेव मंदिर पर सुबह से ही धर्म प्रेमी श्रद्धालुओ की भीड लगी रही शनि भक्तो ने भगवान शनिदेव का पुजन अर्चन की भगवान को तेल तिल काला वस्त्र उडद आदी चढाया। सभी धार्मिक कार्य पण्डित संजय शर्मा के सानिध्य मे समपन्न हुए। शाम को महाप्रसादी का आयोजन भी रखा गया जिसमे सेकडो की तादाद मे श्रद्धालुओ ग्रहण किया। इस अवसर पर नगर के सभी समाजन उपस्थित थे।

पर्यावरण दिवस पर निकाली रैली, बनाई मानव श्रंृखला
  • कला और कविता की प्रदर्शनी से दिया प्र्यावरण सहेजने का सन्देश

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झाबुआ । पर्यावरण दिवस पर नगर में पत्रकार कल्याण परिषद के बैनर तले विश्व प्र्यारण दिवस पर अभिनव आयोजिन किया गया । बसस्टेंड स्थित फव्वारा चैक से प्या्रवरण का सन्देश देती हुई तख्तिया हाथ मे लेते हुए बडी संख्या में नगर के गणमान्यजनों ने विशाल रैली निकाली जो नगर के मुख्य मार्गो से होती हुई राजवाडा चैक पर संपन्न हुई । इस अवसर पर वन विभाग के प्रशिक्षुओं के अलावा नगर के गणमान्य जनों ने राजवाडा चैक पर  मानव श्रृंखला बना कर प्या्रवरण सहेजने का सन्देश दिया । इसके बाद राजवाडा चैक पर प्र्यावरण सरंक्षण को लेकर सभा का आयोजन किया गया। जिसमें प्रसिद्ध इतिहासविद एवं पूर्व प्राचार्य डा. के के त्रिवेदी, सकल व्यापारी संघ के अध्यक्ष नीरजसिंह राठौर, समाज सेवी यशवंत भंडारी एडवोकेट रमेश डोसी एवं श्रीमती भारती सोनी ने पर्यावरण सहेजने का लेकर प्रभावी सन्देश दिया । राजवाडा चैक पर आयोजन पर्यावरण सरंक्षण सभा को  सबोधित करते समाजसेवी यशवंत भंडारी ने  ग्लोबल वार्मिग के खतरों से सचेत करते हुए  दिनो दिन बढ रहे तापमान से पर्यावचरणीय असन्तुलन के बारे मे कहा कि झाबुआ जिले मे कभी भी 36 डिग्री से अधिक गर्मी नही होती थी किन्तु पिछले कुछ बरसों में बढ कर अब 47 डिग्री तक पहूंच गई है । उन्होने पिछले दिनों बहादूर सागर तालाब किनारे इसी गर्मी की लपट के चलते करी साढे 400 चमगादडों की मौत होने को एक भंयकर चेतावनी बताते हुए  पर्यावरण सरंक्षण के लिये अभी से जुट जाने का आव्हान किया । प्रो. केके त्रिवेदी ने अपने प्रभावी उदबोधन में झाबुआ जिले के परिप्रेक्ष्य में बताया कि महानगरों में जिस तरह सिमेंट का्रंकिट के जगल हो गये है उसी तरह झाबुआ भी इससे अछूता नही है नगर के चारों तरफ की हरी भरी रहने वाली हरी भरी पहाडिया विरान हो चुकी है । विंध्याचल पर्वतमालाओं की आखरी पहाडिया अब खोदी जाकर वहां भवन बनाये जारहे है। जंगल कट चुके है जिसका प्रभाव मौसम पर यहां भी दिखाई देने लगा है । उन्होने पर्यावरण दिवस पर शासन प्रशासन को भी आडे हाथ लेते हुए कहा कि जा कार्यक्रम सरकार को करना चाहिये वह पत्रकारों को करना पड रहा है । प्रशासन की उदासिनता पर कटाक्ष करते हुए उन्होने कहा कि शासन प्रशासन इस तरह पहाडियों के कटने एवं नगर की सुदंरता को ग्रहण लगाने वाले लोगों को क्यो नही रोक रही है । एडवोकेट रमेश डोसी ने भी ग्लोबल वार्मिग के खतरों पर बोलते हुए सभी को वृक्ष लगाने एवं पानी बचाने का आव्हान किया । श्रीमती भारती सोनी ने संकल्प ग्रुप के माध्यम से पर्यावरण सरंक्षण की दिशा मे किये जारहे कार्यो के बारे में बताया और कहा कि स्वयं को ही इसके लिये आगे आना होगा । नीरजसिंह राठौर ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए ेे आगामी पर्यावरण दिवस के लिये एक बैठक आयोजित करके एक माह पूर्व ही योजना तेयार करने की बात कहीं । पत्रकार कल्याण परिषद के अध्यक्ष प्रवीण सोनी ने  कार्यकम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए परिषद द्वारा किये जारहे जनहित कार्यो के बारे मे बताया । पर्यावरण दिवस पर  राजवाडा चैक स्थित छत्री पर नगर के प्रतिभावान कवियों की रचनाओं के फ्लेक्स बोर्ड एव कला एवं कविता की प्रदर्शनी लगाई गई जिसमें नगर के कवियांे ने पर्यावरण सहेजने को लेकर अपनी सुंदर भावनायें व्यक्त की है । सायंकाल राजवाडा चैक पर पर्यावरण विषय पर छोटे छोटे बच्चों ने सांस्कतिक प्रस्तुतिया दी वही स्थानीय कवियों ने अपनी श्रेश्ठ रचनाओं से नगर के साहित्यप्रेमियो ं को आनन्दित किया ।

घर के सामने खडी बाईक हुई चोरी 
      
झाबुआ ।फरियादी रोहित पिता दल्ला मेडा, निवासी थांदला ने बताया कि उसने अपनी मो0सा0 क्र0 एम0पी0-45-एमडी-4454 को घर के सामने खडी की थी। कोई अज्ञात बदमााश चुराकर ले गया। प्र्रकरण में थाना थांदला में अपराध क्रमांक 233/16, धारा 379 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

कालेज का फार्म भरने गई वापस घर नही आई
   
झाबुआ । फरियादी कनीया पिता धन्ना बारिया, उम्र 45 साल नि0 कुण्डला ने बताया कि उसकी लडकी उम्र 17 साल घर से काॅलेज का फार्म भरने झाबुआ जाने का कहकर गयी थी, जो घर वापस नही आयी, कोई अज्ञात आरोपी बहला-फुसला कर अपहरण कर ले गया। प्र्रकरण में थाना कोतवाली झाबुआ में अपराध क्रमांक 361/16, धारा 363 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

आम्र्स एक्ट का अपराध पंजीबद्ध 
   
झाबुआ । थाना कोतवाली झाबुआ की पुलिस टीम ने आरोपी बालु पिता बैलजी मेडा, निवासी मलवान के कब्जे से एक धारदार फालिया जप्त कर आरोपी को गिर0 किया गया। प्र्रकरण में थाना कोतवाली झाबुआ में अपराध क्रमांक 362/16, धारा 25(2) आम्र्स एक्ट का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।
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