प्रद्योत कुमार,बेगूसराय।ज़िला प्रशासन बेगूसराय ज़िला की जनता के स्वास्थ्य के प्रति एकदम बेख़बर है,जबकि जनता के स्वास्थ्य का ध्यान रखना उनकी पहली ज़िम्मेदारी है।कुछ व्यवसाय या जीविकोपार्जन ऐसा होता है जिसका सम्बन्ध सीधे स्वास्थ्य से होता है,वैसा ही व्यवसाय बेगूसराय ज़िला में अपना पैर पसार चुका है और प्रशासनिक निष्क्रियता लागातार बनी हुई है जो गहरी चिंता का विषय है।अभी न कि सिर्फ ज़िला मुख्यालय में बल्कि यह एक फैशन बनकर गांव गांव में फ़ैल चुका है महामारी की तरह मिनरल वाटर प्लांट और मिनरल वाटर जिसका लोग पीने में खूब उपयोग कर रहे हैं।यह सिर्फ बाज़ारवाद की डरावना बातों का तासीर मात्र है जिसके चंगुल में आज हर वर्ग फंस चुका है लेकिन इस पानी में कितना गुणवत्ता है इसका सही जांच शायद नहीं हो पाता है जिस वजह से पीनेवाले के स्वास्थ्य पर इसका प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ सकता है।मिनरल वाटर का एक वैज्ञानिक आधार भी है कि इसमें टी डी एस यानि टोटल डिजॉल्भढ़ सॉलिड की मात्र प्रति लीटर कितना होना चाहिए।डब्ल्यू एच ओ के मुताबिक टी डी एस की मात्र मिलीग्राम से जांच किया जाता है 300 से नीचे बहुत बढ़िया,300-600 के बीच अच्छा,600-900 के बीच साफ,900-1200 के बीच कमज़ोर और 1200 से ऊपर बेकार,पीने लायक़ नहीं,पानी बिना टी डी एस का कभी कभी अम्लीय भी हो जाता है।इस पैमाना पर कितने लोग पानी की शुद्धता जांच कर ग्राहकों को बेचते हैं ये सोचने का विषय है,क्या सभी जिन्होंने प्लांट लगाया है वो इस पैमाइश को पूरा कर पा रहे हैं।आज पूरे ज़िला में अनगिनत प्लांट फल फुल रहा है क्या सभी टी डी एस को मेंटेन कर पा रहे है यह एक गंभीर विषय है इसमें डिब्बों का रख रखाव का भी विशष ध्यान रखा जाना चाहिए जो कतई सम्भव नहीं हो रहा होगा,क्या इनके पास वैसे टेनोक्रेट हैं?अगर नहीं तो प्रशासन को चाहिए कि इसका अपने स्तर से जांच कर वैसे प्लांट को अविलंब बंद कर उस पर सख्त से सख्त कार्रवाई करें ताकि ज़िला वासियों को सही पानी मिल सके जो स्वास्थ्य के अनुकूल हो।
अपराधी सरगना छोटे महतों की हत्या। अरुण कुमार,मटिहानी,बेगुसराय । जिसके नाम से सिर्फ बेगुसराय ही नहीं बिहार के कई जिले के आम जनता की तो बात ही क्या प्रशासन भी त्राहिमाम था,आज उसी नाम का वजूद जमाने से ख़ाक में तब्दील हो गया। हाँ ऐसा कुख्यात अप्राधकर्मियों में एक था छोटे महतों।इसके नाम का ना जाने कितने,हत्या,लूट,राहजनी,डाका आदि का केस किन-किन थानों में दर्ज है,ये कहना आसान नहीं। कई बार तो ये सलाखों के पीछे भी गया और बाहर भी आया। जब-जब इसे जेल हुआ लोगों ने राहत की सांस ली और जब भी जेल से बाहर निकला शहर में आतंक का भय व्यापने लगता था और प्रशासन के लिए सिरदर्द बना रहता था। मगर यहाँ का कानून से जो भी अपराधी बच निकाला उसे ऊपर की आदालत के समक्ष सजा भुगतने के लिए हाजिर होना ही पड़ता है,और छोटे महतों के साथियों ने ही मौका मिलते ही अपना रंग दिखाया और छोटे महतों को ख़ाक में मिला दिया। शाम के वक़्त छोटे महतों तकरीबन नित्य खातोपुर डायमंड पेट्रोल पम्प के सामने वाली, चाय दूकान पर आने लगा था।इसी के गैंग के अपराधी इसके दिनचर्या को देखते हुए मौके कि तालास में था और मौका मिलते ही उसी चाय दूकान पर गोलियों से भून डाला इससे छोटे महतों की मृत्य घटनास्थल पर ही हो गई। उसके हत्या की खबर आग की तरह पुरे शहर में फ़ैल गई और सब तरफ से प्रशासन की गाड़ी सड़क पर सायरणों की गूंज के साथ दौड़ने लगी। नगर थानाध्यक्ष, मो• अली साबरी,मुफसिल थानाध्यक्ष,मो• इरशाद आलम,लोहियानगर, थाना आदि अपनी डियूटी में सक्रिय भूमिका निभाने में एकजुट होकर लग गये। सदर डी•एस•पी• राजेश कुमार अविलम्ब घटनास्थल पर पहुँचकर मृतक के शव को तुरंत शव परीक्षण हेतु भेज दिए। कानूनी कार्रवाई के बाद शव परीक्षण के बाद मृतक के घरवालों को सौंप दिया गया। नगर थानाध्यक्ष मो• अली साबरी से प्राप्त जानकारी के अनुसार छ: व्यक्तियों का नाम सामने आया है जिसने इस घटना को अंजाम देने में शामिल था। नामजद अभियुक्त,मंटुन यादव,पे• रामचन्द्र यादव,सा• आवास बोर्ड,थाना मुफसिल,जिला खगड़िया।वर्तमान हाल मोकामा,हर्रख अलका सिनेमा के पीछे,नगर थाना,बेगुसराय। पप्पू पासवान, पे• स्व• योगेन्द्र पासवान,सा• आलापुर,विषहर स्थान,थाना फुलवड़िया। रंजीत महतों उर्फ़ रंजीत शुक्ला,पे• शिवनन्दन महतों,सा• पोखरिया,थाना नगर,जिला बेगुसराय। संजय यादव,पे• हरि यादव,सा• पहसारा,थाना नावकोठी।एवं बुग्गी ठाकुर,पे• चौधरी ठाकुर,सा• बाघा,थाना लोहियानगर,जिला बेगूसराय।इन अभियुक्तों पर,नगर थाना,काण्ड संख्या 276/16,दिनांक 09-06-16। धारा 302,120बी,34भ•द• एवं 27 आर्म्स एक्ट का अभियुक्त है।नगर थानाध्यक्ष से यह भी जानकारी मिली है कि 2012 के केस में हुए जेल जाने के बाद 2016 में मंटुन यादव,पप्पू पासवान आदि को सुलहनामा देकर,वेल कराकर जेल से बाहर निकलवाने में बाघा निवासी छोटे महतों का ही सहयोग था। और आज वही सब मिलकर छोटे महतों का ही काम तमाम कर दिया।खैर जो भी हो अभी भी बेगुसराय अपराधियों के अपराध से उबार जाए तो गनीमत है।सूत्रों की मानें तो उक्त हत्या के बाद गैंगवार की संम्भवना से इनकार नहीं किया जा सकता है।पुलिस प्रशासन को चाहिये कि इसके लिए कोई ना कोई ठोस क़दम अवश्य उठायें ताकि संभावित अंदेशा को टला जा सके।