लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ असुरक्षा के दायरे में
प्रद्योत कुमार,बेगूसराय।आज खगड़िया ज़िला के चौथम प्रखंड में श्रमजीवि पत्रकार संघ की एक अहम बैठक हुई जिसमें पत्रकारों पर हो रहे लगातार हमले एवं अमानविय व्यवहार पर गहरी चिंता व्यक्त की गई और पत्रकारों की सुरक्षा की दृष्टिकोण से विभिन्न मागों पर निर्णय लिया गया।यह मांग एक प्रतिवेदन के रूप में भारत सरकार के सामने दी गई है।लोकतंत्र का चौथे स्तम्भ ही अगर खौफ के साये में कार्य करेगा तो फिर सही और निष्पक्ष कार्य बेमानी हो जाएगा इसीलिए सरकार को चाहिए कि निश्चित रूप से इन मांगों पर विचार कर लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ को निडर और निष्पक्ष कार्य करने के लिए संबल प्रदान करें।लोकतंत्र का तीन स्तम्भ अगर सुरक्षा के दायरे में है तो चौथे को क्यूं नहीं सुरक्षा मिलना चाहिए। दुनिया के कई देशों में पत्रकार सुरक्षा कानून बने हैं, जो पत्रकारों को सही और सच्ची खबर लाने के लिये प्रोत्साहित करते हैं। लेकिन भारत आज भी पत्रकार सुरक्षा कानून से वंचित है। अत:सरकार भारत में तुरंत प्रभावि रूप से “पत्रकार सुरक्षा कानून” निर्माण कर लागू करें क्योंकि पत्रकार ही है जो गली मोहल्लों से लगा कर गांव, तहसील, जिले, संभाग, प्रदेश, देश की खबर शासन तथा प्रशासन तक पहुंचाता है एक प्रकार से सरकार यदि शरीर है तो पत्रकार उनकी आँखें और यदि सरकार अपनी आँखों को पोषित नहीं करेगी तो सूचना तंत्र समाप्त हो जाएगा और भ्रष्ट तंत्र अपनी मन मानी कर सरकार की छवि धूमिल करने का काम करेगा ।
“कानूनी सुरक्षा” हेतु
1- “पत्रकार सुरक्षा कानून” अविलम्ब लागू हो।
2- पत्रकार/मीडियाकर्मी पर कवरेज के दौरान हमले को विषेश कानून के तहत दर्ज किया जाए।
3- पत्रकार/मीडियाकर्मी को कवरेज करने से रोकने को सरकारी काम में बाधा की तरह देखा जाए।
4- पत्रकार/मीडियाकर्मी पर दर्ज हुए मामलों की पहले स्पेशल सेल के तहत जांच की जाए, मामले की पुष्टि होने पर ही केस दर्ज किया जाए।
5- पत्रकार/मीडियाकर्मी पर दर्ज हुए मामले की जांच के लिये कम से कम पीसीएस या आईपीएस अधिकारी द्वारा जांच हो।
6- यदि पत्रकार/मीडियाकर्मी पर झूठा मामला दर्ज किया जाता है और उसकी पुष्टि होती है तो झूठा मुकदमा करने वालों के खिलाफ आजीवन कारावास और अधिकतम जुर्माने का प्रावधान हो।
7- पत्रकार/मीडियाकर्मी की हत्या को रेयरेस्ट क्राइम के अंतर्गत रखा जाए।
8- पत्रकार/मीडियाकर्मी की कवरेज के दौरान दुर्घटना या मृत्यू होने पर नि:शुल्क बीमा प्रदान किया जाए।
9- कवरेज के दौरान घायल हुए पत्रकार/मीडियाकर्मी का इलाज सरकारी अथवा निजि अस्पताल में नि:शुल्क किया जाए।
10- यदि पत्रकार/मीडियाकर्मी के परिजनो पर रंजिशन हमला किया जाता है तो उनका इलाज सरकारी अथवा निजि अस्पताल में नि:शुल्क किया जाए।
11- कवरेज के दौरान अथवा किसी मिशन पर काम करते हुए पत्रकार/मीडियाकर्मी की मृत्यु होने पर उसके परिजन को सरकारी नौकरी दी जाए।
12- पत्रकार/मीडियाकर्मी को आत्म सुरक्षा हेतु बंदूक 🔫 का लाइसेंस निर्गत किया जाए।
13- सभी पत्रकार/मीडियाकर्मी को कवरेज के लिये राज्य तथा केन्द्र की ओर से आई-कार्ड जारी किया जाए।
14- प्रशासनिक व विभागीय बैठकों में पत्रकारों की उपस्थिति अनिवार्य हो।
15- पत्रकार/मीडियाकर्मी को कवरेज हेतु आवागमन के लिये आधे किराये का प्रावधान हो, तथा रेलवे में यात्रा के लिये शीघ्र आरक्षण का प्रावधान हो।
16- पत्रकार/मीडियाकर्मी के लिये टोल टैक्स में छूट प्रदान की जाए।
17- यदि पत्रकार/मीडियाकर्मी को धमकियां मिले तो उसकी सुनवाई शीघ्र हो तथा उन्हें सुरक्षा प्रदान की जाए।
सामाजिक सुरक्षा हेतु संस्तुतियां
1- राज्य एवं केन्द्र के स्तर पर “पत्रकार आर्थिक सुरक्षा निधि” योजना का संचालन हो।
2- 10,00000
का नि:शुल्क बीमा सुनिश्चित हो।
3- गम्भीर बीमारी की स्थिति में अच्छे अस्पताल में नि:शुल्क इलाज की व्यवस्था हो।
4- पत्रकार/मीडियाकर्मी के लिये स्वास्थ्य बीमा योजना हो।
5- जिस तरह किसान ऋण योजना है उसी प्रकार पत्रकार/मीडियाकर्मियो हेतु ऋण योजना बैंको द्वारा संचालित हो।
6- पत्रकार/मीडियाकर्मियों हेतु कार्यालय योजना हो जिसमें सस्ते व आसान किश्तों पर कार्यालय उपलब्ध हों।
7- प्रिंटिंग प्रेस लगाने हेतु विषेश पैकेज व्यवस्था हो तथा प्रिंटिंग प्रेस पर आयत शुल्क में रियायत हो।
8- पत्रकार/मीडियाकर्मियों के बच्चों के लिये अच्छे शिक्षण संस्थानों में कोटा हो अथवा उनकी फीस में रियायत हो।
9- पत्रकार/मीडियाकर्मी हेतु आवास योजना हो, जिसमें सस्ते व आसान किश्तों पर आवास उपलब्ध हों।
जब तक लोकतंत्र के प्रहरी पत्रकार/मीडियाकर्मी की आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित नहीं हो जाती तब तक किस तरह एक स्वस्थ लोकतंत्र की कल्पना की जा सकती है और किस तरह भारत विश्व में निष्पक्ष भयहीन और स्वतंत्र मीडिया होने का दम्भ भर सकता है। जल्द से जल्द पत्रकार सुरक्षा कानून लागू किया जाये।