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टॉपर्स घोटाला : गिरफ्तार पूर्व अध्यक्ष के समधी एवं पूर्व कुलपति के घर पर छापेमारी

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पटना 22 जून,  बिहार इंटरमीडियेट की परीक्षा में टॉपर्स फर्जीवाड़ा मामले में गिरफ्तार बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के पूर्व अध्यक्ष प्रो0 लालकेश्वर प्रसाद सिंह के समधी एवं मगध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति अरूण कुमार के पटना स्थित घर पर विशेष जांच दल (एसआइटी ) ने आज छापेमारी की । एसआइटी जांच की कमान संभाल रहे पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मनुमहाज ने यहां बताया कि श्री सिंह के समधी और मगध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति अरूण कुमार के पटना के नेहरू नगर स्थित घर पर छापेमारी की जा रही है । एसआइटी श्री कुमार के पुत्र विवेक की तलाश में है, इसीलिये छापेमारी की गयी है । श्री महाराज ने बताया कि छापेमारी के दौरान विवेक घर पर मौजूद नहीं था । एसआइटी ने श्री कुमार के घर के चप्पे-चप्पे की तालशी ली और विवेक के कमरे को भी खंगाला । उन्होंने कहा कि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति में छपाई के कार्य का सभी ठेका विवेक के नाम पर ही था । 

श्री महाराज ने कहा कि विवेक को टॉपर्स फर्जीवाड़ा मामले में कई जानकारियां हैं । छापेमारी के दौरान श्री कुमार के घर पर इंटरमीडियेट परीक्षा फर्जीवाड़ा से संबंधित कई दस्तावेज भी मिला है । हालांकि बरामद दस्तावेज के संबंध में उन्होंने अभी कुछ भी नहीं बताया है । पूर्व कुलपति श्री कुमार ने अपने कार्यकाल के दौरान ही श्री सिंह की पत्नी प्रो0 उषा सिन्हा को पटना के कॉलेज ऑफ कामर्स के हिन्दी विभाग से तबादला कर पटना के गंगा देवी महिला महाविद्यालय के प्राचार्य के पद पर बैठाया था । प्रो0 सिन्हा को प्राचार्य बनाये जाने पर श्री कुमार की उस समय काफी किरकीरी हुयी थी । उल्लेखनीय है कि फर्जीवाड़ा का मामला छह जून को उजागर होने के बाद भूमिगत चल रहे पूर्व अध्यक्ष श्री सिंह और उनकी पत्नी प्रो0 सिन्हा को दो दिन पूर्व ही उत्तरप्रदेश के वाराणासी से एसआइटी ने गिरफ्तार किया था । 

पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर और उनकी पत्नी तीन दिनों के पुलिस रिमांड पर

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पटना 22 जून, बिहार इंटरमीडियेट की परीक्षा में टॉपर्स फर्जीवाड़ा के मामले में पटना की एक अदालत ने आज बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के पूर्व अध्यक्ष प्रो0 लालकेश्वर प्रसाद सिंह एवं उनकी पत्नी प्रो0 उषा सिन्हा और उनके रिश्तेदार प्रभात कुमार जयसवाल को तीन दिनों के लिये पुलिस रिमांड पर भेज दिया । निगरानी के विशेष न्यायाधीश राघवेन्द्र कुमार सिंह की अदालत ने इस मामले की जांच कर रही विशेष जांच दल(एसआइटी) के अनुरोध को स्वीकार करते हुए श्री सिंह , उनकी पत्नी प्रो0 सिन्हा और उनके रिश्तेदार को तीन दिनों के लिये पुलिस रिमांड पर भेज दिया । इसबीच एसआइटी जांच की कमान संभाल रहे पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मनु महाराज ने बताया कि टॉपर्स फर्जीवाड़ा के मामले में श्री सिंह , उनकी पत्नी प्रो0 सिन्हा और रिश्तेदार जयसवाल से पूछताछ की जायेगी । इस मामले के मास्टरमाइंड वैशाली जिले के विशुनदेव राय इंटर कॉलेज कीरतपुर के प्राचार्य अमित कुमार उर्फ बच्चा राय को एसआइटी ने उनके कॉलेज परिसर के निकट से 11 जून को गिरफ्तार किया था । गिरफ्तारी के बाद बच्चा को एसआइटी ने गत शुक्रवार को 48 घंटे के रिमांड पर लेकर पूछताछ की थी ।

मास्टरमाइंड बच्चा ने रिमांड के दौरान गहन पूछताछ में एसआइटी को कई महत्पूर्ण जानकारियां दी थी । पूछताछ में बच्चा ने स्वीकार किया था कि पूर्व अध्यक्ष श्री सिंह से मिलकर वह इस मामले में शामिल रहा । इसी तरह पूछताछ में बच्चा ने श्री सिंह की पत्नी प्रो0 सिन्हा का भी नाम लिया । टॉपर्स फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद श्री सिंह को एसआइटी ने पूछताछ के लिये बुलाया था लेकिन अपने पद से इस्तीफा देकर वह आठ जून से भूमिगत रहे । इस दौरान एसआइटी ने श्री सिंह के पटना के बहादुरपुर स्थित आवास पर कई बार गयी लेकिन उसे खाली हाथ लौटना पड़ा था । श्री सिंह के इस्तीफा देने के बाद उनकी पत्नी प्रो0 सिन्हा भी भूमिगत हो गयी । इसके बाद एसआइटी ने पटना के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में श्री सिंह और उनकी पत्नी प्रो0 सिन्हा के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी करने की अर्जी दी थी । एसआइटी के अनुरोध पर अदालत ने प्रो0 सिंह और उनकी पत्नी प्रो0 सिंन्हा के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी किया था । दोनों के भूमिगत रहने पर उनके खिलाफ लुक आउट नोटिस भी जारी किया । इस मामले में भूमिगत श्री सिंह और उनकी पत्नी प्रो0 सिन्हा को दो दिन पूर्व ही उत्तरप्रदेश के वाराणासी से एसआइटी ने गिरफ्तार किया था । 

मुझे अभी खारिज मत कीजिये : राजन

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नयी दिल्ली, 22 जून, भारतीय रिजर्व बैंक (अारबीअाई) के गवर्नर रघुराम राजन ने अाज आलोचकों के प्रहार का जवाब देते हुए कहा कि मुझे खारिज मत कीजिये क्योंकि अभी भी ढाई महीने तक अपने पद पर हूं। श्री राजन ने बेंगलुरू में उद्योग मंडल एसोचैम द्वारा आयोजित कार्यक्रम में अपने संबोधन में कहा ''पिछले कुछ दिनों से मैंने अपनी विदाई के बारे में काफी पढ़ा है, लेकिन अभी भी ढाई महीने मेरा कार्यकाल बचा हुआ है। इसके बाद भी मैं दुनिया में कहीं पर रहूंगा, मुमकिन है कि मेरा काफी समय भारत में गुजरे, इसलिए मुझे खारिज मत कीजिए।''कार्यक्रम में उनका लहजा तंज भरा था। श्री राजन ने भारतीय जनता पार्टी के नेता तथा राज्य सभा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी द्वारा उनकी मौद्रिक नीतियों की आलोचना और इसी को लेकर उन्हें हटाये जाने के आरोप को खारिज किया। उन्होंने कहा कि मैं यह दलील दूंगा कि ऋण वृद्धि में नरमी का बड़ा कारण सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर दबाव है, न कि ऊंची ब्याज दर। गौरतलब है कि श्री स्वामी द्वारा लगातार किए जा रहे हमलों के बीच श्री राजन ने हाल ही में घोषणा की थी कि वे सितंबर में अपना कार्यकाल पूरा होने के बाद शिक्षण क्षेत्र में वापस लौट जाएंगे। 

रेल टिकट पर लिखा, लागत किराये का अंतर

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नयी दिल्ली, 22 जून, भारतीय रेलवे के इतिहास में अब सरकार पहली बार यात्रियाें को उनके टिकटों पर यह लिख कर बता रही है कि वे लागत मूल्य से करीब आधे खर्च पर यात्रा कर रहे हैं। अगर आपका रेल टिकट 57 रुपये का है तो आपकी यात्रा का वास्तविक खर्च सौ रुपये है। इससे पहले एेसा कभी नहीं हुआ जब टिकटों पर यात्रा का लागत मूल्य और किराया लिख कर यह बताने की कोशिश की गयी हो। हालांकि कुछ यात्रियों को अपने स्वाभिमान पर चोट की तरह से अनुभव हो रहा है। रेलवे ने अपने सभी आरक्षित एवं अनारक्षित टिकटों पर एक पंक्ति लिखना शुरु की है कि भारतीय रेलवे यात्रियों द्वारा अदा किये गये किराये से औसतन 57 प्रतिशत लागत ही निकाल पाती है। ये पंक्ति पिछले सप्ताह से सभी प्रकार के टिकटों में अंकित की जा रही है। रेलवे बोर्ड के प्रवक्ता अनिल सक्सेना ने इस बारे में पूछने पर बताया कि इस कदम के माध्यम से रेलवे यात्रियों को इस बारे में जागरुक करना चाहती है कि उनसे लिया जा रहा किराया लागत से बहुत कम है और किराये के अनुपात में उन्हें अधिकतम सुविधायें देने के प्रयास किये जा रहे हैं। 

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में कहा है कि गैस सब्सिडी को छोडने की अपील का जिस प्रकार से जनता ने स्वागत किया और सकारात्मक उत्तर दिया है। वैसे ही अब रेल यात्रियों को भी स्वेच्छा से रियायतों को छोड़ने के लिये कहा जाना चाहिये। रेलवे बोर्ड के इस कदम को रियायतों को घटाने और यात्री किरायों में वृद्धि किये जाने के संकेतों के रूप में देखा जा रहा है। पर यात्रियों में इस कदम को लेकर नाराजगी है और उन्हें टिकटों पर लिखी यह पंक्ति अपमानजनक लग रही है। उन्हें लग रहा है कि रेलवे उन पर अहसान जताने की कोशिश कर रही है। 

ट्रेन से नई दिल्ली से गाजियाबाद जाने वाले श्री अरविन्द कुमार का मानना है कि वह रेलवे द्वारा निर्धारित पूरा किराया देकर टिकट खरीदते हैं और यात्रा करते हैं। अगर रेलवे की लागत निकल पा रही है या नहीं, यह उसका आंतरिक एवं प्रबंधन दक्षता से जुड़ा विषय है। दूसरा, वह जाे किराया अदा करते हैं, उसे रेलवे ने ही तय किया है। उसमें यात्रियों की कोई भूमिका नहीं है। तो फिर यात्रियों पर अहसान क्यों जताया जा रहा है। नयी दिल्ली से गोरखपुर जाने वाले ईश्वरदीन चाैधरी ने कहा कि यह सब लोग समझते हैं कि महंगाई के जमाने में भी रेल किराया बहुत अधिक नहीं है। लेकिन इस प्रकार से यात्रियाें को उंगली दिखाना ठीक नहीं है। ऐसा लग रहा है कि इसमें यात्रियों का दोष है। अगर रेलवे ऐसा कहती है तो उसे भी बहुत से सवालों का जवाब देना होगा। यात्रियाें का कहना है कि जबकि रेलवे में प्रबंधन दक्षता को ठीक करके लागत घटायी जा सकती है। समय बेसमय किराये भाड़े बढ़ते ही हैं, पर रेलवे एक जन कल्याणकारी परिवहन का साधन है। उसे ऐसा ही रहना चाहिये। यात्रियों की मूल आवश्यकतायें साफ सफाई, सुरक्षा एवं समयबद्धता ही है। स्टेशन पुनर्विकास, बुलेट ट्रेन आदि के विचार भारत के गरीब एवं साधारण यात्रियों के अनुकूल नहीं है। 

अरविंद सुब्रमण्यम् पर पूरा भरोसा: जेटली

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नयी दिल्ली 22 जून, सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम् के विरुद्ध भारतीय जनता पार्टी के सांसद सुब्रमण्यम् स्वामी द्वारा की गई बयानबाजी पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि मुख्य आर्थिक सलाहकार पर सरकार को पूरा भरोसा है। श्री जेटली ने मंत्रिमंडल के निर्णयों की जानकारी देने के दौरान संवाददाताओं द्वारा इस संबंध में पूछे जाने पर कहा कि श्री सुब्रमण्यम् पर सरकार का पूरा भरोसा है। समय-समय पर वह मूल्यवान सुझाव देते रहे हैं। उन्होंने कहा कि कपड़ा क्षेत्र के विशेष पैकेज की तैयारियों में भी मुख्य आर्थिक सलाहकार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। श्री जेटली ने श्री स्वामी का नाम लिये बगैर कहा कि भारतीय राजनेताओं को यह सोचना चाहिये कि जिन्हें उनके कार्यालय का अनुशासन और गरिमा पलटकर जवाब देने से रोकती है ऐसे लोगों पर हम किस हद तक बयानबाजी करें। ऐसा एक से अधिक बार हुआ है। 

रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन के बारे में श्री स्वामी द्वारा की गई बयानबाजी के बारे में पूछे जाने पर वित्त मंत्री ने कहा कि जब भाजपा नेता ने श्री राजन के विरुद्ध बयान दिया था तो पार्टी अध्यक्ष ने उन्हें इस तरह की बयानबाजी नहीं करने की हिदायत दी थी। श्री स्वामी के विरुद्ध पार्टी द्वारा कार्रवाई किये जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह भाजपा का काम है और जो करना होगा पार्टी ही करेगी। श्री स्वामी के श्री राजन के बाद अब श्री सुब्रमण्यम् पर हमला शुरू कर परोक्ष तौर पर वित्त मंत्री को निशाना बनाये जाने के सवाल संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि श्री जेटली को सब लोग कॉलेज के समय से जानते हैं और सभी को उन पर भरोसा है। 

उल्लेखनीय है कि श्री स्वामी ने श्री राजन के विरुद्ध मई महीने में बयानबाजी शुरू की थी और उनका हटाने की माँग की थी। इसको लेकर राजनीतिक दलों के बीच काफी बयानबाजी हुई थी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इसमें हस्तक्षेप करना पड़ा था। आखिरकार श्री राजन ने 04 सितंबर को समाप्त हो रहे अपने कार्यालय के बाद अध्ययन-अध्यापन की दुनिया में लौटने की सार्वजिनक घोषणा की है। अब श्री स्वामी ने मुख्य आर्थिक सलाहकार के विरुद्ध मोर्चा खोला है। 

महात्मा गांधी सेतु चार लेन का बनेगा

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नयी दिल्ली, 23 जून, केंद्र सरकार ने उत्तर और दक्षिण बिहार को जोड़ने वाले जर्जर महात्मा गांधी सेतु का 1742 करोड़ रुपये की लागत से पुनर्निर्माण कराने तथा इसे चार लेन में बदलने का निर्णय लिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आज यहां मंत्रिमंडल की आर्थिक समिति की बैठक में बरसों से लंबित परियोजना के लिए कुल 1742.01 करोड़ रुपये की केंद्रीय राशि की मंजूरी दी गई। बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संवाददाताओं को बताया कि 5.57 किलोमीटर में इस पुल का निर्माण कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि गंगा नदी पर बना यह पुल बहुत ही महत्वपूर्ण है लेकिन इसके जर्जर हो जाने के कारण इस पर लगातार जाम की समस्या बनी रहती है। बिहार सरकार काफी लंबे समय से इस पुल का केंद्रीय राशि से निर्माण कराये जाने की मांग कर रही थी। श्री जेटली ने कहा कि प्रधानमंत्री ने बिहार पैकेज की जो घोषणा की थी, महात्मा गांधी सेतु उसका हिस्सा था। मंत्रिमंडल ने कर्नाटक में राष्ट्रीय राजमार्ग 63 पर हुबली-हासपेट को चार लेन का बनाने का भी निर्णय लिया है। इस पर 2272.20 करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे। 

विशेष आलेख : नवभारत के निर्माण के महत्वपूर्ण स्तम्भ डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी

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एक प्रखर राष्ट्रवादी और कट्टर देशभक्त के रूप में सद्यः स्मरण किये जाने वाले नवभारत के निर्माताओं में से एक महत्त्वपूर्ण स्तम्भ डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी (6 जुलाई, 1901 - 23 जून, 1953) एक महान शिक्षाविद और चिन्तक होने के साथ-साथ भारतीय जनसंघ के संस्थापक भी थे। सच्चे अर्थों में मानवता के उपासक और सिद्धांतों के पक्के डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने सदैव राष्ट्रीय एकता की स्थापना को ही अपना प्रथम लक्ष्य रखा था। संसद में दिए अपने भाषण में उन्होंने स्पष्ट कहा था कि राष्ट्रीय एकता के धरातल पर ही सुनहरे भविष्य की नींव रखी जा सकती है। एक कर्मठ और जुझारू व्यक्तित्व वाले श्री मुखर्जी अपनी मृत्यु के दशकों बाद भी अनेक भारतवासियों के आदर्श और पथप्रदर्शक हैं। जिस प्रकार हैदराबाद को भारत में विलय करने का श्रेय सरदार पटेल को जाता है, ठीक उसी प्रकार बंगाल, पंजाब और कश्मीर के अधिकांश भागों को भारत का अभिन्न अंग बनाये रखने की सफलता प्राप्ति में डॉ. मुखर्जी के योगदान को नकारा नहीं जा सकता। उन्हें किसी दल की सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता क्योंकि उन्होंने जो कुछ किया देश के लिए किया और इसी भारतभूमि के लिए अपना बलिदान तक दे दिया। जितना महान् उनका जीवन था उनकी मृत्यु भी उतनी ही महान् सिद्ध हुई। यद्यपि उनकी मृत्यु श्रीनगर के किसी अस्पताल में हुई थी, तदपि जिन परिस्थितियों में वह हुई वे बड़ी रहस्यात्मक थीं, और आज तक वह रहस्य उद्घाटित नहीं हुआ है। भविष्य में भी अब इसकी कोई सम्भावना नहीं है, क्योंकि 64 वर्ष की कालावधि व्यतीत होने पर किसी साक्ष्य अथवा प्रमाण के सुरक्षित रहने की किंचित् भी सम्भावना नहीं है। विशेषतया उस परिस्थिति में जिसमें से इस अवधि में श्रीनगर सहित समस्त जम्मू और कश्मीर प्रदेश गुजरता रहा है।

डॉ॰ श्यामाप्रसाद मुखर्जी जी का जन्म 6 जुलाई 1901 को कोलकात्ता के अत्यन्त प्रतिष्ठित बंगाली परिवार में हुआ था । उनकी माता का नाम जोगमाया देवी मुखर्जी था और उनके पिता सर आशुतोष मुखर्जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे तथा बंगाल में कुशल वकील एवं शिक्षाविद् के रूप में विख्यात थे। श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1917 में मैट्रिक किया तथा कलकत्ता विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्रथम श्रेणी में 1921 में प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने 1923 में स्नातकोत्तर और 1924 में बी.एल. किया। 1923 में ही वे सीनेट के सदस्य बन गये थे। उन्होंने अपने पिता की मृत्यु के बाद कलकता उच्च न्यायालय में एडवोकेट के रूप में अपना नाम दर्ज कराया। बाद में वे सन 1926 में लिंकन्स इन में अध्ययन करने के लिए इंग्लैंड चले गए और 1927 में बैरिस्टर बन गए। अपने पिता का अनुसरण करते हुए अल्पायु में ही विद्याध्ययन के क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलताएँ अर्जित करने वाले श्यामा प्रसाद मुखर्जी 33 वर्ष की अल्पायु में वे कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति बने। इस पद पर नियुक्ति पाने वाले वे सबसे कम आयु के कुलपति थे। इस पद को उनके पिता भी सुशोभित कर चुके थे। 1938 तक डॉ. मुखर्जी इस पद को गौरवान्वित करते रहे। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान अनेक रचनात्मक सुधार कार्य किए तथा कलकत्ता एशियाटिक सोसायटी में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया। वे इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ़ साइंस, बंगलौर की परिषद एवं कोर्ट के सदस्य और इंटर-यूनिवर्सिटी ऑफ़ बोर्ड के चेयरमैन भी रहे।

एक विचारक तथा प्रखर शिक्षाविद् के रूप में अपनी उपलब्धि से निरन्तर आगे बढ़ने वाले ख्याति प्राप्त डॉ॰ श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने स्वेच्छा से अलख जगाने के उद्देश्य से राजनीति में प्रवेश किया। कलकत्ता विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व करते हुए श्यामा प्रसाद मुखर्जी कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में बंगाल विधान परिषद के सदस्य चुने गए थे, किंतु उन्होंने अगले वर्ष इस पद से उस समय त्यागपत्र दे दिया, जब कांग्रेस ने विधान मंडल का बहिष्कार कर दिया। बाद में उन्होंने स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ा और निर्वाचित हुए। मानवता के उपासक और सिद्धान्तवादी डॉ॰ मुखर्जी ने बहुत से गैर कांग्रेसी हिन्दुओं की मदद से कृषक प्रजा पार्टी से मिलकर प्रगतिशील गठबन्धन का निर्माण किया। वर्ष 1937-1941 में कृषक प्रजा पार्टी और मुस्लिम लीग का गठबन्धन सत्ता में आया। इस समय डॉ. मुखर्जी विरोधी पक्ष के नेता बन गए। वे फज़लुल हक़ के नेतृत्व में प्रगतिशील गठबन्धन मंत्रालय में वित्तमंत्री के रूप में शामिल हुए, लेकिन उन्होंने एक वर्ष से कम समय में ही इस पद से त्यागपत्र दे दिया। इसी समय वे सावरकर के राष्ट्रवाद के प्रति आकिर्षत हुए और हिन्दू महासभा में सम्मिलित हुए। वे हिन्दुओं के प्रवक्ता के रूप में उभरे और शीघ्र ही हिन्दू महासभा में शामिल हो गए। सन 1944 में वे इसके अध्यक्ष नियुक्त किये गए थे।

डॉ. मुखर्जी का ह्रदय सदैव ही इस कारण द्रवित रहता था कि उस समय मुस्लिम लीग की राजनीति से दूषित हो रहे वातावरण से बंगाल में साम्प्रदायिक विभाजन की नौबत आ रही थी और ब्रिटिश सरकार साम्प्रदायिक लोगों को प्रोत्साहित कर रही थी। ऐसी विषम परिस्थितियों में उन्होंने यह सुनिश्चित करने का बीड़ा उठाया कि बंगाल के हिन्दुओं की उपेक्षा न हो। अपनी विशिष्ट रणनीति से डॉ. मुखर्जी ने बंगाल के विभाजन के मुस्लिम लीग के प्रयासों को पूरी तरह से विफल कर दिया। 1942 में ब्रिटिश सरकार ने विभिन्न राजनैतिक दलों के छोटे-बड़े सभी नेताओं को जेलों में ठूँस दिया। सांस्कृतिक दृष्टि से सम्पूर्ण भारत के एक होने के प्रबल समर्थक मुखर्जी धर्म के आधार पर विभाजन के कट्टर विरोधी थे। उनका मानना था कि विभाजन सम्बन्धी उत्पन्न हुई परिस्थिति ऐतिहासिक और सामाजिक कारणों से थी। आधारभूत सत्य यह है कि हम सब एक हैं। हममें कोई अन्तर नहीं है। हम सब एक ही रक्त के हैं। एक ही भाषा, एक ही संस्कृति और एक ही हमारी विरासत है। परन्तु उनके इन विचारों को अन्य राजनैतिक दल के तत्कालीन नेताओं ने अन्यथा रूप से प्रचारित-प्रसारित किया। इसके बाद भी लोगों के दिलों में उनके प्रति अथाह प्यार और समर्थन बढ़ता गया। अगस्त, 1946 में मुस्लिम लीग ने जंग की राह पकड़ ली और कलकत्ता में भयंकर बर्बरतापूर्वक अमानवीय मार काट मचाई। उनकी इस मार काट से सामूहिक रूप से आतंकित कांग्रेस के नेतृत्व ने उस समय ब्रिटिश सरकार की भारत विभाजन की गुप्त योजना और षड्यन्त्र को अखण्ड भारत सम्बन्धी अपने वादों को ताक पर रखकर स्वीकार कर लिया। उस समय भी डॉ॰ मुखर्जी ने बंगाल और पंजाब के विभाजन की माँग उठाकर प्रस्तावित पाकिस्तान का विभाजन कराया और आधा बंगाल और आधा पंजाब खण्डित भारत के लिए बचा लिया। भारत विभाजन पश्चात मंत्रीमंडल में शामिल होने की उनकी इच्छा नहीं थी , फिर भी गाँधी और सरदार पटेल के अनुरोध पर वे भारत के पहले मन्त्रिमण्डल में शामिल हुए और उन्हें उद्योग एवं आपूर्ति मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गयी। शीघ्र ही संविधान सभा और प्रान्तीय संसद के सदस्य और केन्द्रीय मन्त्री के रूप में उन्होंने अपना विशिष्ट स्थान बना लिया। किन्तु उनके राष्ट्रवादी चिन्तन के कारण अन्य नेताओं से सदैव ही उनके मतभेद बराबर बने रहे। इस कारण राष्ट्रीय हितों की प्रतिबद्धता को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता मानने के कारण उन्होंने 6 अप्रैल, 1950 को मन्त्रिमण्डल से त्यागपत्र दे दिया । लियाकत अली ख़ान के साथ दिल्ली समझौते के मुद्दे पर मंत्रिमंडल से त्यागपत्र देने वाले मुखर्जी जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संघचालक गुरु गोलवलकर जी से परामर्श करने के बाद 21 अक्तूबर, 1951 को दिल्ली में भारतीय जनसंघ'की नींव रखी और इसके पहले अध्यक्ष बने। सन 1952 के चुनावों में भारतीय जनसंघ ने संसद की तीन सीटों पर विजय प्राप्त की, जिनमें से एक सीट पर डॉ. मुखर्जी जीतकर आए। भारतीय जनसंघ जो उस समय विरोधी पक्ष के रूप में देश में सबसे बडा दल था। 

दरअसल डॉ॰ मुखर्जी की इच्छा जम्मू कश्मीर को भारत का पूर्ण और अभिन्न अंग बनाये रखने की थी । दूसरी ओर नेहरु ने उस समय जम्मू कश्मीर का अलग झण्डा और अलग संविधान मान लिया था और वहाँ का मुख्यमन्त्री (वजीरे-आज़म) अर्थात् प्रधानमन्त्री कहलाता था। संसद में अपने भाषण में डॉ॰ मुखर्जी ने धारा-370 को समाप्त करने की भी जोरदार वकालत की। अगस्त 1952 में जम्मू की विशाल रैली में उन्होंने अपना संकल्प व्यक्त किया था कि या तो मैं आपको भारतीय संविधान प्राप्त कराऊँगा या फिर इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये अपना जीवन बलिदान कर दूँगा। जम्मू-कश्मीर आन्दोलन में डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी दो बार जेल भेजे गए थे। पहली बार डॉ. साहब हिन्दू महासभा के प्रधान श्री निर्मलचन्द्र चटर्जी, रामराज्य परिषद् के मंत्री श्री नन्दलाल जी शास्त्री व महान साहित्यकार श्री वैद्य गुरुदत्त तथा अन्य आठ व्यक्तियों के साथ 6 मार्च 1953 को पकड़े गए थे। अनियमित ढंग पर बन्दी रखने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने वैद्य जी सहित चार व्यक्तियों को छोड़ दिया। दूसरी बार 8 मई 1953 को डॉ.श्यामाप्रसाद मुखर्जी श्री वैद्य गुरुदत्त के साथ पंजाब और जम्मू के दौरे पर दिल्ली से चले और साथ ही 11 मई को रावी के माधोपुर वाले पुल पर जम्मू कश्मीर सरकार द्वारा दोनों पकड़ लिए गए।  वैद्य जी और श्री टेकचंद जी शर्मा, दोनों डॉक्टर जी के साथ 22 जून प्रात: ग्यारह बजे तक रहे। डॉ. मुखर्जी ने तत्कालीन नेहरू सरकार को चुनौती दी तथा अपने दृढ़ निश्चय पर अटल रहे। अपने संकल्प को पूरा करने के लिये वे 1953 में बिना परमिट लिये जम्मू कश्मीर की यात्रा पर निकल पड़े। वहाँ पहुँचते ही उन्हें गिरफ्तार कर नज़रबन्द कर लिया गया। 23 जून 1953 को रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गयी। यह खेद की बात है कि उनकी मृत्यु का खुलासा आज तक नहीं हो सका है। भारत की अखण्डता के लिए स्वाधीन कहे जाने वाले भारत में यह पहला बलिदान था। इसका परिणाम यह हुआ कि शेख़ अब्दुल्ला हटा दिये गए और अलग संविधान, अलग प्रधान एवं अलग झण्डे का प्रावधान निरस्त हो गया। धारा 370 के बावजूद कश्मीर आज भारत का अभिन्न अंग बना हुआ है। इसका सर्वाधिक श्रेय डॉ. मुखर्जी को ही दिया जाता है।




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-अशोक “प्रवृद्ध”-
गुमला
झारखण्ड 

बॉलिवुड स्टार्स की धूम होगी रामलीला में

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बालीवुड कलाकारों ने अब रामलीला में भी दस्तक देने का मन बना लिया है, दिल्ली लालकिले के समक्ष होने वाली “लवकुश रामलीला” में इस बार बालीवुउ के नामचीन कलाकार लीला के विभिन्न किरदारों पर अभिनय करते नजर आएंगे। इस बार लवकुश रामलीला कमेटी ने रामलीला के कैरेक्टर्स के लिए कई बॉलिवुड कलाकारों से अभिनय करने का निर्णय लिया है। अपनी दमदार आवाज के लिए मशहूर रजा मुराद रामलीला में राजा जनक का किरदार निभाएंगे। जाने-माने कॉमिडी एक्टर असरानी इस बार सुबाहू का रोल करेंगे। एक्टर सुरेंद्र पाल इस साल परशुराम का रोल करेंगे। लक्ष्मण की भूमिका में होंगे एक्टर हरीश। एक्ट्रेस गुरलीन चोपड़ा सीता के रोल में होंगी। एक्ट्रेस ऋतु शिवपुरी कौशल्या बनेंगी। जबकि पार्वती के किरदार में होंगी एंजेल हरजाई। इसके अलावा रामलीला में एक हजार से ज्यादा कलाकार रामलीला में काम करेंगे। इस साल रामलीला का मंचन 1 से 12 अक्टूबर होगा और 11 अक्टूबर को दशहरा है। लव-कुश रामलीला कमिटी के अध्यक्ष अशोक अग्रवाल ने बताया कि हम रामलीला का सीधा प्रसारण करेंगे जिससे लाखों लोगों को लाइव रामलीला देखने का मौका मिलेगा। इसके लिए कमिटी की तरफ से सभी चैनल्स पर लाइव टेलिकास्ट दिखाने के लिए कई व्यवस्थाएं की जाएंगी। साथ ही, काफी बड़े स्तर पर एलईडी स्क्रीनें भी लगाई जाएंगी। रामलीला में देवताओं की जिस तरह से एंट्री होती है, उन्हें भी काफी बेहतर तरीके से दिखाया जाएगा, जिससे दर्शक ऐसे दृश्य पर खुद को तालियां बजाने से रोक ना पाएं।  लव-कुश कमिटी के जनरल सेक्रेटरी सुखबीर शरण अग्रवाल ने कहा कि कमिटी की तरफ से 40 सालों से ज्यादा समय से लाल किला के सामने रामलीला का आयोजन किया जा रहा है। रामलीला कमिटी का एक ही मकसद है कि भगवान राम का नाम घर-घर तक पहुंचे और रामायण के बारे में आने वाली युवा पीढ़ी को अच्छी तरीके से बताया जाए, जिससे युवा पीढ़ी अपनी परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर और बेहतर तरीके से जान सके। इसलिए अक्टूबर में होने वाली रामलीला की तैयारियां अभी से शुरू हो चुकी हैं।

बॉलिवुड स्टार्स करेंगे इस साल रामलीला
दिल्ली की दिल्ली की सर्वश्रेष्ठ “लवकुश रामलीला कमिटी” जिसका मंचन हर साल भारत का एतिहासिक धरोहर “लालकिला” पर होता है उसने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। प्रेस कॉन्फ्रेंस का मकसद रामलीलाओं की तैयारियों की जानकारी मीडिया से शेयर करना था। इस बार लवकुश रामलीला कमेटी ने रामलीला के कैरेक्टर्स के लिए कई बॉलिवुड कलाकारों से अभिनय करने का निर्णय लिया है। अपनी दमदार आवाज के लिए मशहूर रजा मुराद रामलीला में राजा जनक का किरदार निभाएंगे। जाने-माने कॉमिडी एक्टर असरानी इस बार सुबाहू का रोल करेंगे। पिछले साल लव-कुश रामलीला में रावण बने एक्टर सुरेंद्र पाल इस साल परशुराम का रोल करेंगे। लक्ष्मण की भूमिका में होंगे एक्टर हरीश। एक्ट्रेस गुरलीन चोपड़ा इस बार सीता के रोल में होंगी। एक्ट्रेस ऋतु शिवपुरी कौशल्या बनेंगी। जबकि पार्वती के किरदार में होंगी एंजेल हरजाई। इसके अलावा रामलीला में एक हजार से ज्यादा कलाकार रामलीला में काम करेंगे। प्रेस कॉन्फ्रेंस में लव-कुश रामलीला कमिटी के अध्यक्ष अशोक अग्रवाल ने बताया कि हम रामलीला का सीधा प्रसारण करेंगे जिससे लाखों लोगों को लाइव रामलीला देखने का मौका मिलेगा। इसके लिए कमिटी की तरफ से सभी चैनल्स पर लाइव टेलिकास्ट दिखाने के लिए कई व्यवस्थाएं की जाएंगी। साथ ही, काफी बड़े स्तर पर एलईडी स्क्रीनें भी लगाई जाएंगी। रामलीला में देवताओं की जिस तरह से एंट्री होती है, उन्हें भी काफी बेहतर तरीके से दिखाया जाएगा, जिससे दर्शक ऐसे दृश्य पर खुद को तालियां बजाने से रोक ना पाएं। लव-कुश कमिटी के जनरल सेक्रेटरी सुखबीर शरण अग्रवाल ने कहा कि कमिटी की तरफ से 40 सालों से ज्यादा समय से लाल किला के सामने रामलीला का आयोजन किया जा रहा है। रामलीला कमिटी का एक ही मकसद है कि भगवान राम का नाम घर-घर तक पहुंचे और रामायण के बारे में आने वाली युवा पीढ़ी को अच्छी तरीके से बताया जाए, जिससे युवा पीढ़ी अपनी परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर और बेहतर तरीके से जान सके। इसलिए अक्टूबर में होने वाली रामलीला की तैयारियां अभी से शुरू हो चुकी हैं। इस साल रामलीला 1 से 12 अक्टूबर तक चलेगी। जबकि 11 अक्टूबर को दशहरा है।

अपरा मेहता का नया रूप

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अपरा मेहता नजर आयेंगी बिग मैजिक के शो नया महीसागर में नई दादी सास के किरदार में शो 20 जून से से प्रसारित होगा। बिग मैजिक के शोज दर्शकों के नजरिये से एन्टरटेनमेंट और एक्सपेरिमेंटेशन के बीच संतुलन बनाये रखने में सफल रहे हैं। नया महीसागर एक ऐसा ही शो है। यह एक फैमिली ड्रामा है, जिसमें ‘सास-बहू‘ के खूबसूरत रिश्ते को आनदंदायक अंदाज में दिखाया गया है। किरदारों ने दर्शकों के साथ एक भावनात्मक रिश्ता बनाया है। फिर चाहे चुलबुली बहू मही हो या फिर राजनीतिज्ञ सासू मां अनुसूया या प्यारी दादी सास। 

अपरा मेहता, जो कि वर्षों से घर-घर में लोकप्रिय हैं, ने अपने प्रशंसकों के साथ एक गहरा रिश्ता बनाया है। उन्होंने विभिन्न धारावाहिकों में कई किरदार निभाये हैं। बिग मैजिक पर सोमवार से शुक्रवार शाम 7ः30 बजे और रात 9ः30 बजे मस्ती, कल्पना और हास्य से भरपूर एपिसोड का आनंद उठायें। अपने नये किरदार के बारे में बताते हुये अपरा मेहता ने कहा, ‘‘बिग मैजिक के नया महीसागर का हिस्सा बनकर मुझे खुशी हो रही है। शो ने दर्शकों के साथ एक भावनात्मक जुड़ाव बनाया है और मैं ऐसे शो का हिस्सा बनकर खुश हूं। मैं ‘दादी सास‘ की भूमिका निभा रही हूं, जोकि शो की जान है। वह अपने परिवार को मजबूती से बांधकर रखती है। यह किरदार मेरे लिये कुछ नया है और अपने नये अवतार के बारे में दर्शकों की प्रतिक्रिया जानने के लिये मैं वाकई में उत्साहित हूं।‘‘

व्यंग्य : यह समाजसेवा, वह समाजसेवा...!!

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बचपन से मेरी बाबा भोलेनाथ के प्रति अगाध श्रद्धा व भक्ति रही है। बचपन से लेकर युवावस्था तक अनेक बार कंधे में कांवर लटका कर बाबा के धाम जल चढ़ाने भी गया। कांवर में जल भर कर बाबा के मंदिर तक जाने वाले रास्ते साधारणतः वीरान हुआ करते थे। इस सन्नाटे को तोड़ने का कार्य विभि्न्न स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा लगाए जाने वाले शिविर करते थे। समय के साथ ऐसे शिविरों की संख्या बढ़ती गई। अलग - अलग नामों वाली स्वयंसेवी संस्थाएं श्रद्धालुओं के आराम से लेकर चाय - पान व भोजन तक  की उत्तम व्यवस्था करते थे। वह भी तकरीबन निश्शुल्क। शिविर के एक कोने में दान पात्र रखा होता। श्रद्धापूर्वक जिसने जो डाल दिया तो डाल दिया। शिविरों में सैकड़ों की संख्या में स्वयंसेवक सक्रिय रहते। जिनका सेवा भाव दिल को छू जाता। आज के जमाने में भी ऐसे निष्ठावान स्वयंसेवक हैं यकीन करना मुश्किल होता। बारिश में भींगे और कीचड़ से सने कांवरियों की भी वे इस कदर निष्ठापूर्वक सेवा करते कि आंखें भर आती।  जिन्हें नाम - दाम से कोई मतलब नहीं। न कोई गुप्त एजेंडा। पता नहीं वे स्वयंसेवक अपना विजटिंग कार्ड रखते थे या नहीं। या उनका कोई लेटरपैड होता भी था या नहीं। यहां था कहना उचित नहीं होगा क्योंकि कुछ मजबूरियों के चलते अपना कांवर लेकर जल चढ़ाने  जाना भले बंद हो गया हो, लेकिन सुनता हूं श्रावण महीने में बाबा के मंदिर तक जाने वाले रास्ते में ऐसे शिविरों की रौनक अब पहले से ज्यादा है।खैर तब शिविर के बाहर सेवा करने वाली संस्था का एक बैनर जरूर लगा होता था। जिसमें देशी फ्लेवर वाला कोई नाम होता, नाम का अंत अनिवार्य रूप से समिति से होता। 

जीवन के उत्तरोर्द्ध में धार्मिक केंद्रों व अन्य संस्थाओं में भी अनेक निष्ठावान और समर्पित समाजसेवी देखे। लेकिन सहसा समाजसेवा का स्वरूप बदलने लगा। समाजसेवी के मायने कुछ और होने लगे। बाजार का प्रभाव बढ़ने के साथ कथित समाजसेवियों का स्थान कोई न कोई सेलीब्रेटीज लेने लगा। समाज के दूसरे क्षेत्रों की तरह एक तरह से यहां भी समाजसेवी का सेलीब्रेटीज होना अनिवार्य हो गया। समाजसेवी यानी ऐसी शख्सियत जिसकी सुबह दिल्ली में हो तो शाम मुंबई में बीते। साल में दो - चार चक्कर विदेश के भी लगे।  जिसका हर दो - चार दिन में अखबारों में जिक्र आए । तस्वीरें भी छपे। चैनलों पर होने वाली बहस और तथाकथित चिंतन शिविरों में जिसकी सहभागिता व उपस्थिति अनिवार्य हो। विदेशों में होने वाले सेमिनारों में भी जिसे बुलाया जाए। जिसे कोई न कोई बड़ा राष्ट्रीय या अंतर राष्ट्रीय पुरस्कार मिला हो। फिर चाहे वो जितनी उटपटांग बातें करे। सब सिर - माथे पर। क्योंकि वो समाजसेवी है। जिसने क्या समाजसेवा किया यह कोई न पूछे। बस बात हो तो शख्सियत की। फिर तो समय के साथ समाजसेवा का संसार औऱ भी रहस्यमय होने लगा । उनके उचित - अनुचित कार्यों को लेकर अनेक गंभीर विवाद खड़े होने लगे। अपने आस - पास या राष्ट्रीय - प्रांतीय स्तर पर भी  बहुत कम समाजसेवी ऐसे दिखने लगे जिन्हें लेकर कोई विवाद न हुआ हो। समाजसेवा क्या ऐसे लोग ज्यादातर किसी न किसी विचारधारा का प्रचार करते नजर आते हैं।  हाल के दिनों में ऐसी अनेक शख्सियतों के बारे में पढ़ने - सुनने को मिला, जिससे हैरानी होती है।जिसे देख कर सोचना पड़ता है कि देश - समाज में क्या कोई ऐसा कोना बचेगा जो विवादित सेलिब्रीटियां से बची रह सके। 




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तारकेश कुमार ओझा, 
खड़गपुर (पशिचम बंगाल) 
संपर्कः 09434453934, 9635221463
लेखक पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रहते हैं और वरिष्ठ पत्रकार हैं।

साक्षात्कार : ‘खिड़की अलग तरह का शो : उमेश शुक्ला,

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फिल्म निर्देशक उमेश शुक्ला, जोकि अपनी फिल्म ‘ओह माय गॉड’ से चर्चित हुये हैं, इसके अलावा ढूढते रह जाओगें,आल इज वेल,फुल एंढ फाइनल जैसी फिल्मों के बाद वर्तमान में आगामी शो खिड़की को लेकर काफी व्यस्त नजर आ रहे हैं। इस शो का प्रसारण सब टीवी पर किया जायेगा और इसका निर्माण उमेश, जेडी मजेठिया और आतिश कपाड़िया द्वारा किया गया है। यह साप्ताहिक एपिसोडिक सीरीज दर्शकों द्वारा भेजी गई असली जिंदगी की मजेदार कहानियों से प्रेरित है। एक साक्षात्कार में शुक्ला ने हमारे साथ अपना अनुभव साझा किया प्रस्तुत है प्रेमबाबू शर्मा से मुलाकात के अंशः

क्या आपको अपने शो के लिए दर्शकों से कई कहानियां मिली हैं?
हमने कभी उम्मीद नहीं की थी कि हमें महज दो महीनों में लोगों से 7,600 कहानियां मिलेंगी। हमारे पास अच्छे लेखकों की एक टीम है जिन्होंने कहानियों का चुनाव किया। इस शो की परिकल्पना तैयार करने का सबसे अच्छी बात यह है कि यह सभी असली जिंदगी की कहानियां हैं और आप इस निष्कर्ष पर पहुंचेंगे कि ‘सच्चाई फिक्शन की तुलना में अनजान होती है।‘ सभी के लिखने का अंदाज एकदम निराला है।

इनमें से कितनी कहानियों को एपिसोड में बदलने में सक्षम हुये हैं?
जब जेडी मजेठिया ने मुझसे कुछ अलग हटकर करने के लिए संपर्क किया, तो मुझे लगा कि वह जोखिम उठाने के लिए तैयार हैं। हमें कई ऐसी कहानियां मिली जिन्होंने हमारे दिल को छुआ और हमें हंसने पर मजबूर किया। कुछ ऐसी चैंकाने वाली कहानियां भी थीं जिन्हें हमने एपिसोड में तब्दील किया और अब वे काफी हास्यप्रद लगती हैं।

क्या आपको प्राप्त कंटेंट को शाॅर्टलिस्ट करने में किसी मुश्किल का सामना करना पड़ा?
जब कोई अपनी जिंदगी की कहानी भेजता है, तो यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि उसे ऐसे नहीं देखना चाहिये जैसे आप उसके अनुभव का मजाक उड़ा रहे हों। लेकिन हम अपने लेखकों की वजह से यह अंतर भरने में सफल रहे। कुछ लोगों ने महज 1-2 लाइनों में अपनी कहानियां भेजी, और ऐसी कहानी को 2-3 एपिसोड में परिवर्तित करना कठिन था। उदाहरण के लिए, रेगुलर शो में हर बार एक ही सेटिंग होती है लेकिन हर नई कहानी के साथ, सेटिंग में बदलाव करना पड़ता है।

आप एक अभिनेता भी है?
जी हाॅ,जबान संभाल के ,किस किस की किस्मत में भी काम किया है। इसलिए मैं कहानी और कलाकारों के साथ न्याय करने का प्रयास करता हॅू।

फिल्म लव के फंडे को प्रमोट किया

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फिल्म लव के फंडे को प्रमोट करने के लिए फिल्म की पूरी टीम मैदान में उतरी। फिल्म 15 जुलाई को मे रिलीज होगी।   भनोट,रिषांक तिवारी,रितिका गुलाटी,समीक्षा भटनागर, हर्षवर्धन जोशी,निर्देशक इंदरवेश योगी,गीतकार निर्माता फैज अनवर एवं सूफी गुलाटी अपनी हिंदी फिल्म लव के फंडे को प्रमोट करने मुम्बई के कई क्लब मे गए। वहाँ अपनी फिल्म का गीत नैना शातिर बड़े चलाया ,फिल्म के कैप एवं टी शर्ट बाटे एवं लोगो के साथ डांस किया। फिल्म का निर्माण किया है,एफ आर वी बिग बिजनेस एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटिड एवं प्रेम मोशन पिक्चर्स के बैनर तलेे। 

मऊ में स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थकों ने पार्टी छोडी

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मऊ 23 जून, बहुजन समाज पार्टी(बसपा) नेता एवं नेता प्रतिपक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा बसपा अध्यक्ष पर धन वसूली का आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ दिए जाने के बाद मऊ के जिला उपाध्यक्ष ने अपने समर्थकों के साथ पार्टी छोडने का एलान किया है। बसपा के जिला उपाध्यक्ष राधेश्याम मौर्य ने आज बसपा प्रमुख सुश्री मायावती पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनका केवल एक ही मक़सद धन वसूली रह गया है। उन्हें गरीबों के हित से कोई लेना देना नहीं है। लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव में सभी टिकट बेचने के साथ ही कार्यालय रख रखाव के नाम पर छः हज़ार रुपया प्रतिमाह वसूला जाता है। उन्होंने अपने लगभग 25 कार्यकर्ताओं के साथ पार्टी छोड़ने का एलान किया।

कौमी एकता दल के सपा में विलय को लेकर परिवार में कोई नाराजगी नहीं: अखिलेश

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लखनऊ 23 जून, उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित विधायक मुख्तार अंसारी के कौमी एकता दल की समाजवादी पार्टी (सपा) में विलय को लेकर मुलायम सिंह यादव परिवार में मतभेद की आ रही खबरों को खारिज करते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज कहा कि इस मुद्दे को लेकर परिवार में न/न तो मतभेद और न/न ही कोई नाराज है। श्री यादव ने मंत्रिमण्डल की बैठक के बाद पत्रकारों के सवाल के जवाब में कहा कि कौमी एकता दल के सपा में विलय को लेकर परिवार में कोई मतभेद नहीं है। विलय के बाद माध्यमिक शिक्षामंत्री बलराम यादव को मंत्रिमण्डल से बर्खास्त किये जाने के बाद खबरें आ रही थीं कि विलय को लेकर मुख्यमंत्री अपने पिता और सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव से नाराज हैं और इसीलिए बलराम यादव की बर्खास्तगी की गयी है। बलराम यादव ने कौमी एकता दल का सपा में विलय के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। कहा जा रहा था कि मुख्यमंत्री इसी वजह से माध्यमिक शिक्षामंत्री से नाराज थे। उन्होंने कहा कि यह पार्टी के अन्दर का फैसला है। पार्टी जो फैसला ले लेती है उसे सभी को मानना पडता है। उन्होंने कहा कि बलराम यादव के बारे में फैसला लिया जा चुका है अब इस बारे में वह कुछ नहीं बोल सकते। कौमी एकता दल के विलय के दिन मुख्यमंत्री ने जौनपुर में कहा था कि सपा में किसी का विलय नहीं होने जा रहा है और न ही दागियों की सपा में कोई जगह है।

प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के लिए एयरफोर्स वन जैसा विमान खरीदने की तैयारी

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नयी दिल्ली,23 जून, सरकार राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के लिए ‘एयर फोर्स वन’ जैसा अत्याधुनिक विमान खरीदने पर विचार कर रही है। रक्षा सूत्रों के अनुसार रक्षा खरीद परिषद् की शनिवार को होने वाली बैठक में ऐसे 777-300 श्रेणी के दो बोइंग विमानों के अलावा कुछ अत्याधुनिक तोपों के खरीद सौदे पर भी विचार किया जा सकता है। प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के लिए जिन विमानों को खरीदने की बात हो रही है वे अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले एयर फोर्स वन विमान की तर्ज पर होंगे जो एक ही बार ईंधन लेकर दुनिया के एक छोर से दूसरे छोर तक बिना रुके उडान भर सकेंगे। इनमें बीच रास्ते में दोबारा ईंधन भरने की आवश्यकता नहीं होगी। विमान वायुसेना के पालम स्थित कम्युनिकेशन स्क्वाड्रन का हिस्सा होंगे जिसका काम अति विशिष्ट लोगों के लिए विमानों की व्यवस्था करना है। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में अमेरिका से बेहद हल्के हॉवित्जर एम 777 तोपों की खरीद पर भी फैसला हो सकता है। इसके अलावा इसमें प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के तहत बाेफोर्स ताेपों के स्वदेशी संस्करण ‘धनुष’ के बड़े पैमाने पर उत्पादन पर भी निर्णय लिया जा सकता है। सरकार द्वारा नयी रक्षा खरीद नीति तय किए जाने के बाद रक्षा खरीद परिषद की यह पहली बैठक होगी।

स्वामी ने अरविंद सुब्रमण्यम पर फिर साधा निशाना

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नयी दिल्ली, 23 जून, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने आज एक बार केन्द्रीय वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम के खिलाफ नए आरोप लगाते हुए कहा कि वह अपनी बात साबित करने के लिए उनकी कारगुजारियों का इंतजार करेंगे। इससे पहले केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली इस अर्थशास्त्री का बचाव कर चुके है। इस सिलसिले में भाजपा नेता ने कई ट्वीट कर कहा, “अगर भाजपा की केन्द्र सरकार यह कहती है कि हम अरविंद सुब्रमण्यम के बारे में सब जानते है और अब भी उन्हें एक दक्ष व्यक्ति मानते है तो मैं अपनी मांग छोड़ दूंगा और सच्चाई साबित करने के लिए उनकी कारगुजारियों का इंतजार करुंगा।” 

उन्होंने सवाल उठाया “ क्या एक विदेशी राष्ट्र के लिये काम करने वाला भारतीय यह सलाह दे सकता है कि भारत की बांह कैसे मरोड़ी जा सकती है। अगर यह माफ किया जा सकता है तो मैं अपनी मांग छाेड़ दूंगा।” इससे पहले डॉ. स्वामी ने रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन पर निशाना साधा था और उनके इस्तीफे की मांग की थी जिसके बाद प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ने दूसरा कार्यकाल लेने से इंकार करने की घोषणा कर दी। डॉ. राजन का कार्यकाल इस वर्ष सितंबर में समाप्त हो रहा है। इसके बाद भाजपा सांसद के निशाने पर श्री अरविंद सुब्रमण्यम आ गए और उन्होंने विगत में आर्थिक मुद्दाें पर कथित भारत विरोधी रूख को लेकर उन्हें बर्खास्त करने की मांग की है।

मोदी ताशकंद रवाना, एनएसजी की सदस्यता के लिए जिनपिंग से करेंगे मुलाकात

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नयी दिल्ली, 23 जून, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की शिखर बैठक में हिस्सा लेने के लिए आज ताशकंद के लिये रवाना हो गये जहां अपराह्न में उनकी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से द्विपक्षीय मुलाकात होगी जिसमें वह परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता के मुद्दे पर चीन को मनाने का प्रयास करेंगे। श्री मोदी आज पूर्वाह्न करीब सवा ग्यारह बजे ताशकंद के लिए रवाना हो गये। वह स्थानीय समयानुसार डेढ़ बजे वहां पहुंचेंगे। ताशकंद पहुंचने पर उज्बेकिस्तान के प्रधानमंत्री शावकत मिरोमोनोविच मिरजियोव श्री मोदी का स्वागत करेंगे। श्री मोदी का वहां पहला आधिकारिक कार्यक्रम चीनी राष्ट्रपति से द्विपक्षीय मुलाकात है। दोनों नेता अपराह्न तीन बजे मुलाकात करेंगे जिसमें एनएसजी में भारत की सदस्यता प्रमुख मुद्दा होगा। श्री मोदी इसको लेकर चीन के विरोध को शांत करने और उसे समर्थन के लिये मनाने का प्रयास करेंगे। 

इसके बाद श्री मोदी उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति इस्लाम करीमोव से मुलाकात करेंगे और फिर एससीओ सम्मेलन के आधिकारिक स्वागत समारोह के लिए शाम को उज्बेकिस्तान पैलेस ऑफ इंटरनेशनल फोरम पहुंचेंगे जहां सांस्कृतिक कार्यक्रम और रात्रिभोज का आयोजन किया जायेगा। कल एससीओ की शिखर बैठक होगी जिसमें भारत की सदस्यता की प्रक्रिया शुरु हो रही है। प्रधानमंत्री कल रात स्वदेश लौटने के पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन से भी मिलेंगे। श्री मोदी ने रवाना होने के पहले अपने बयान में कहा कि भारत एससीओ का सदस्य बनकर खुश है और अच्छे परिणामों विशेषकर एससीओ के जरिए आर्थिक क्षेत्र में सहयोग को लेकर खासा उत्साहित है। श्री मोदी ने कहा कि भारत मध्य एशिया के साथ संबंधों को काफी अहमियत देता है और वह इस क्षेत्र के साथ ना केवल आर्थिक बल्कि लोगों के बीच संबंधों को बढ़ाना चाहता है। एससीओ शिखर बैठक में भारत संगठन की सदस्यता हासिल करने के लिये दायित्व संबंधी एक करार (मेमोरैण्डम ऑफ ऑब्लिगेशन) पर हस्ताक्षर करेगा जिसमें भारत इस संगठन में अब तक हुए सभी 34 समझौतों पर हस्ताक्षर करने पर सहमति प्रदान करेगा। बाद में एक साल के अंतराल में सभी 34 समझौतों पर दस्तखत किये जायेंगे। सूत्राें के अनुसार मुख्यत: सुरक्षा संबंधी मुद्दे पर एससीओ में भारत की सदस्यता दीर्घकालिक हितों के अनुरूप होगी। एससीओ को एक ऊर्जा समूह के रूप में भी मान्यता दिये जाने का प्रस्ताव है। ऐसे में भारत की सदस्यता देशहित में काफी अहम होगी। सूत्रों ने बताया कि संगठन में भारत की हैसियत इस बार पर्यवेक्षक के बजाय ‘आगामी सदस्य’ की होगी लेकिन सदस्यता की औपचारिकता पूरी होने तक वह पर्यवेक्षक वाली दीर्घा में ही बैठेगा।

मधुबनी : दहेज दानवों ने महिला को किया आग के हवाले

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मधुबनी। जिले में एकबार फिर दहेज़ लोभी ससुरालियों ने विवाहिता को ज़िंदा जलाने का प्रयास किया, लेकिन कहते है कि 'जाको राखे साइयां मार सके ना कोई', ये मामला राजनगर थाने के केबान गांव का है। जहां सुनीता देवी को उसके ससुरालवालों ने जलाकर मार देने का प्रयास किया, लेकिन सुनीता ने किसी तरह वहां से भागकर अपनी जान बचाई। पीड़िता ने बताया की पिछले कई दिनों से उसे ससुराल वाले काफी प्रताड़ित कर रहे थे, उसे खाना भी नही देते थे। बल्कि बाकी लोगों का जूठन उसे दिया जाता था। उसे बार-बार अपने मायके से रुपया मांगने को कहा जाता था। आज सुबह ससुराल वालों ने पहले सुनीता का मोबाईल ले लिया, फिर उसके साथ मारपीट की। और घर में रखे केरोसिन को डालकर आग लगा दी।

वहीं आग की लपटों से घिरी सुनीता ने कमरे का दरवाजा पीटा, तो दरवाजा खुल गया। जिससे वो बाहर आ गई, बाहर आने के बाद घटना की जानकारी पड़ोसियों को दी, लेकिन तब तक आरोपी फरार हो चुके थे। वहीं वारदात की जानकारी सुनीता के पिता को हुई, तो वह तुरन्त वहां पहुंचे। और सुनीता को मधुबनी सदर अस्पताल में भर्ती कराया। जहां उसका इलाज चल रहा है। वहीं मधुबनी सदर अस्पताल में पुलिस ने पीड़िता का बयान लेकर मामला दर्ज कर लिया है और आरोपियों की तलाश में जुट गई है।

जल की महता, उपलब्धता, जल बर्बादी रोकने व जल बचाने पर चर्चा

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दिल्ली विष्वविद्यालय के (उच्च षिक्षा में व्यवसायिक विकास) केन्द्र में चल रहे ‘‘वैष्विक रैफ्रेषर कोर्स में केन्द्र निदेषक डा. (प्रो.) सुश्री गीतासिंह की अध्यक्षता में पर्यावरणविद् एवं जल स्टार रमेष गोयल ने वैष्विक स्तर पर जल की महता, उपलब्धता, जल बर्बादी रोकने व जल बचाने के साधन व जल की कमी के कारणों पर प्रकाष डालते हुए विभिन्न महाविद्यालयों से आए हुए लेक्चरारों को सम्बोधित करते हुए घरेलु, कृशि, औद्योगिक व पर्यावरणीय जल खपत के विशय में बताया। विष्व के 43 देषों (भारत, चीन, अमेरिका आदि) में 2006 में पानी के आभव की स्थिती के बारे में बताया कि विष्व में 2.8 अरब लोगों को वर्श में एक मास पानी नहीं मिलता वहीं 1.2 अरब लोग स्वच्छ जल से वंचित रहते हैं। सन् 2000 में सम्पन्न वैष्विक सहत्राब्दी आयोजन में सभी देषों ने इस संख्या को कम करने का संकल्प लिया था परन्तु स्थिति बद से बदतर हुई है। सुडान के 4 करोड़ में से 1.23 करोड़, टयूनिषिया में 1.10 करोड़ में से 21 लाख, क्यूबा में 1.09 करोड़ में से 13 लाख लोग, चीन के 1.38 अरब लोगों में 54 लाख लोग स्वच्छ जल से वंचित रहते हैं। विष्व की आबादी सन् 2000 में 6.20 अरब थी, अब 7.43 अरब तथा 2050 तक 9 अरब होने की सम्भावना है।  

पानी की कमी के कारणों पर प्रकाष डालते हुए उन्हांेने कहा कि कटते जंगल, बढ़ते प्रदूशण से वैष्विक तापमान बढ़ रहा है जिसका जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण है।  अति वर्शा होती है जिससे बाढ़ आती है व विनाष होता है। कम वर्शा से सुखा होता है  व नदियों में जल नहीं होता। जनसंख्या वृद्धि, तीव्र षहरीकरण, औद्योगिकरण, तालाबों, झीलों व जल भंडारों का अतिक्रमण या सुख जाना, मुफत बिजली-पानी वितरण के साथ साथ कुप्रबन्ध, भश्ट्राचार, मूलभूत सुविधाओं में निवेष की कमी इसके प्रमुख कारण हंै। उन्हांेने कटते जंगलों पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि आधुनिकरण व विकास के नाम पर ही वृक्ष नहीं कट रहे बल्कि विष्व स्तर पर वन माफिया इस कार्य में जुटे हैं जिन्हंे राजनेताओं व अफारषाही का आषिर्वाद प्राप्त है। भूजल के विशय में उन्हांेने बताया कि 1960 के बाद भू-जल दोहन आरम्भ हुआ जो आज खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। चीन, भारत, अमेरिका, इरान, बंगलादेष, मैक्सिको, सऊदी अरब, इंडोनेषिया व इटली सर्वाधिक भूजल दोहन वाले देष हैं। भारत के 5723 भू-जल ब्लाकों में से लगभग आधे डार्क जोन यानि खतरनाक स्थिति में हैं। पहले 25-30 फुट पर मिलने वाला भूजल अब 250 से 400 फुट तक गिर चुका है। घरेलु उपयोग में जल की बर्बादी के साथ साथ टंकी ओवर फलो, फलष में फिजूल खर्च, आरओ के बेकार जल के बारे में चर्चा करते हुए मोहल्ले से लेकर वैष्विक स्तर तक होने वाले झगड़ों के विशय में बताते हुए उन्होंने कैलिफोर्निया जल युद्ध व अन्य ऐसे विवादों की जानकारी दी। जल संरक्षण के छोटे छोटे उपायों के साथ साथ वाटर हारवैस्टिंग के ढंग बताये। इस अवसर पर डा0 बलवान सिंह ने उनका अभिनन्दन व डा. रसाल सिंह ने आभार व्यक्त किया। सभी उपस्थित भागीदारों को जल चालीसा वितरित किया गया। 

अंतर्राष्ट्रीय उड़ान वाली कंपनियों को एफडीआई बढ़ने का फायदा नहीं

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नयी दिल्ली 23 जून, सरकार द्वारा विमान सेवा कंपनियों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने के बावजूद अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के कारण विदेशी कंपनियों के लिए इस क्षेत्र में निवेश के रास्ते बंद रह सकते हैं। अंतर्राष्ट्रीय नागर उड्डयन संगठन (आईसीएओ) के नियमों के अनुसार, यदि किसी एयरलाइंस में विदेशी निवेश इतना है कि उसका नियंत्रण विदेशी हाथों में है तो उसे अंतर्राष्ट्रीय उड़ान की अनुमति नहीं है। इसका तात्पर्य यह है कि किसी एयरलाइंस में 50 प्रतिशत से अधिक एफडीआई होने पर वह अंतर्राष्ट्रीय उड़ान नहीं भर सकेंगी। इसलिए विदेशी कंपनियों के उनमें निवेश रास्ता बंद हो जायेगा। नागर उड्डयन विभाग के सचिव राजीव नयन चौबे ने आज एक कार्यक्रम से इतर इस बाबत पूछे जाने पर कहा “यदि किसी कंपनी में 49 प्रतिशत से अधिक एफडीआई है तो विदेशों में उड़ान भरने में द्विपक्षीय अधिकार को लेकर दिक्कत हो सकती है। लेकिन, यदि आप देश की सीमा के भीतर उड़ान भरना चाहते हैं तो (एफडीआई) के लिए कोई सीमा नहीं है।” सरकार ने सोमवार को विदेशी निवेश नीति में बदलाव कर विमान सेवा कंपनियों में एफडीआई की सीमा 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत कर दी है। इसमें 49 प्रतिशत स्वत: मंजूरी मार्ग से और इससे ऊपर सरकारी मंजूरी मार्ग से किया जा सकता है।
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