बिजली की आपूर्ति नहीं होने से समस्या
संतोष कुमार,बलिया,बेगूसराय।बिहार के मुखिया नितीश कुमार ने अपने चुनावी भाषण में कहा था कि बिजली नहीं तो वोट नहीं उनकी बातें बेमानी साबित हो गई है जबकि बेगूसराय की जनता ने अपने वादे को पूरा करते हुए सात सीटों में सातों सीट महागठबंधन को दे दिया फिर भी बिजली की हालत बद से बदत्तर है।आज साहेबपुर कमाल प्रखण्ड में बिजली की विभिन्न समस्याओं को लेकर प्रखण्ड कार्यालय पर अधिवक्ता सह युवा राजद प्रदेश महासचिव,बिहार डॉ शरद चन्द्र राय उर्फ़ बमबम यादव ने एक दिवसीय धरना देते हुए ज़िलापदाधिकारी,बेगूसराय के नाम से तेरह सूत्रीय मांग पत्र प्रखंड विकास पदाधिकारी,साहेबपुर कमाल को सौंपा।उस मांग पत्र में 18 से 20 घंटे बिजली की आपूर्ति की जाय,जर्जर बिजली के तार को अविलंब बदला जाय,46000 रु की राशि जो प्रत्येक छः माह पर पेड़ कटाई एवं मेंटेनेंस के लिए दिया जाता है उसका उपयोग सही तरीके से करवाया जाय एवं मीटर के हिसाब से बिजली बिल का भुगतान लिया जाय,वैगेरह।अगर इन समस्याओं का शीघ्र निष्पादन नहीं किया गया तो आगे होने वाले धरना में ग्रीड में ताला बन्दी किया जाएगा।इस समस्या के समाधान हेतु धरना स्थल पर पहुँच कर एस डी ओ,बलिया एवं डी डी सी,बेगूसराय ने आश्वासन दिया कि शीघ्र ही उक्त बिजली सम्बंधित समस्याओं को निष्पादित किया जाएगा।हैरत की बात तो ये है कि साहेबपुर कमाल विधान सभा क्षेत्र के विधायक राजद के ही क़द्दावर नेता श्री नारायण यादव हैं फिर भी स्थिति इतनी दैयनीय है कि उसी पार्टी के युवा नेता ने जनता के हक़ के लिए ऐसे क़दम उठाये जिसका स्वागत यहां की जनता ने किया।सूत्रों की जानें तो बिजली विभाग बिहार सरकार का एक ऐसा विभाग है जहां कोई किसी की नहीं सुनता है हर एक व्यक्ति अपनी मर्जी का मालिक है लेकिन जब तक डॉ शरद चन्द्र राय उर्फ़ बमबम यादव ऐसा युवा नेता रहेंगे जिन्हें जनता की भलाई के लिए पार्टी की नीतियों का विरोध करने में भी गुरेज नहीं है वहां जनता की आवाज़ बनकर वो सदैव खडा होने का हौसला रखते हैं।
बरसो रे मेघा मेघा,बरसो रे मेघा बरसो
प्रद्योत कुमार,बेगूसराय।आज कई दिनों से या यूँ कह सकते हैं कि इस वर्ष मौनसून ने मौन धारण कर लिया है खासकर बेगूसराय के लिये जिसका प्रतिकूल प्रभाव सीधा हमारे स्वास्थ्य पर पड़ रहा है।प्रकृति की नाराज़गी इस क़दर है कि बेगूसराय शहर अनावृष्टि के चपेट में आ गया है,आज सिमरिया से लेकर चकिया तक मौनसून ने अपना मौन तोड़ा है या अक्सर ज़िला के अन्य हिस्सों में बारिश होती है ज़िला मुख्यालय को छोड़ कर।लोगों को गर्मी की तपिश ने जला कर रख छोड़ा है जबकि अक्सर बादल उमड़-घुमड़ कर आशा की बून्द दिखा कर लोगों को मायूस कर जाती है।इस मौसम में सिर्फ शहर के डॉक्टरों की ही चांदी है बाक़ी तो बरसो रे मेघा बरसो के इंतज़ार में हैं।सच पूछिए तो रमजान के इस तक़्क़द्दुस महीने में रोज़ा रखने वालों के लिए ये गर्मी परेशानी का सबब बन गया है पर ख़ुदा का शुक्र है कि अब ईद नज़दीक आ चुका है।ग़रीबी और गरीबों के लिए तो बारिश बहुत ही ज़रूरी है।प्रकृति की नाराज़गी क्यों है इसका तो अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है।मनुष्य का प्रकृति विरोधी होना मनुष्य के परेशानियों का मुख्य कारण है।आधुनिकता हमारे लिए जान का जंजाल बनता जा रहा है और प्रकृति का क़हर हमारे लिये रोज़ नई नई समस्या उतपन्न कर रही है फिर भी हम रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं।ऐसे में मेघा कैसे बरसेगा,कैसे कवि अपनी कल्पना में बारिश को पिरोयेगा,कैसे सावन की अँधेरी रातों में एक प्रियसी अपने प्रीतम का इंतज़ार करेगी।आकाश में काले बादल उम्मीद की नहीं निराशा के मंडराते हैं,पता नहीं कब मेघा बरसेगा..........???
प्रद्योत कुमार,बेगूसराय।आज कई दिनों से या यूँ कह सकते हैं कि इस वर्ष मौनसून ने मौन धारण कर लिया है खासकर बेगूसराय के लिये जिसका प्रतिकूल प्रभाव सीधा हमारे स्वास्थ्य पर पड़ रहा है।प्रकृति की नाराज़गी इस क़दर है कि बेगूसराय शहर अनावृष्टि के चपेट में आ गया है,आज सिमरिया से लेकर चकिया तक मौनसून ने अपना मौन तोड़ा है या अक्सर ज़िला के अन्य हिस्सों में बारिश होती है ज़िला मुख्यालय को छोड़ कर।लोगों को गर्मी की तपिश ने जला कर रख छोड़ा है जबकि अक्सर बादल उमड़-घुमड़ कर आशा की बून्द दिखा कर लोगों को मायूस कर जाती है।इस मौसम में सिर्फ शहर के डॉक्टरों की ही चांदी है बाक़ी तो बरसो रे मेघा बरसो के इंतज़ार में हैं।सच पूछिए तो रमजान के इस तक़्क़द्दुस महीने में रोज़ा रखने वालों के लिए ये गर्मी परेशानी का सबब बन गया है पर ख़ुदा का शुक्र है कि अब ईद नज़दीक आ चुका है।ग़रीबी और गरीबों के लिए तो बारिश बहुत ही ज़रूरी है।प्रकृति की नाराज़गी क्यों है इसका तो अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है।मनुष्य का प्रकृति विरोधी होना मनुष्य के परेशानियों का मुख्य कारण है।आधुनिकता हमारे लिए जान का जंजाल बनता जा रहा है और प्रकृति का क़हर हमारे लिये रोज़ नई नई समस्या उतपन्न कर रही है फिर भी हम रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं।ऐसे में मेघा कैसे बरसेगा,कैसे कवि अपनी कल्पना में बारिश को पिरोयेगा,कैसे सावन की अँधेरी रातों में एक प्रियसी अपने प्रीतम का इंतज़ार करेगी।आकाश में काले बादल उम्मीद की नहीं निराशा के मंडराते हैं,पता नहीं कब मेघा बरसेगा..........???