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देश में सत्तर वर्षों में वह तरक्की नहीं हो पायी जो होना थी : मोदी

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भाबरा (मध्यप्रदेश), 09 अगस्त, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस का नाम लिए बगैर कहा कि देश में आजादी के सत्तर वर्षों बाद जिस तरह की प्रगति होना चाहिए थी , वह नहीं हो पायी है। श्री मोदी ने शहीद चंद्रशेखर आजाद की जन्मस्थली मध्यप्रदेश के अलीराजपुर जिले के भाबरा में आजादी के 70 वर्ष के मौके पर नौ से 22 अगस्त तक चलाए जाने वाले विशेष कार्यक्रम '70 साल आजादी - जरा याद करो कुर्बानी'की शुरूआत करने के अवसर पर जनसभा को संबोधित किया। कार्यक्रम के पहले श्री मोदी ने शहीद चंद्रशेखर आजाद की कुटिया में जाकर उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की और शहीद से जुड़े स्मारक का भी अवलोकन किया। उन्होंने अमर शहीद टंट्या भील और भीमा नायक समेत अनगिनत शहीदों का स्मरण करके उनके प्रति श्रद्धासुमन अर्पित किए। श्री मोदी ने कहा कि आजादी की लडाई के दौरान अंग्रेजों ने बहुत जुल्म किए थे। हमारे देशभक्तों ने अपनी आजादी के लिए शहादत का रास्ता पसंद किया और फिर देश को आजादी मिली। उन्होंने कहा कि लेकिन सत्तर वर्षों के दौरान देश में जो तरक्की होना चाहिए थी वह नहीं हो पायी। श्री मोदी ने कहा कि उनके सत्ता संभालने पर पता चला कि अभी भी अठारह हजार गांवों में बिजली नहीं पहुंची है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने एक हजार दिनों में इन सभी गांवों में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा और अब आधे से ज्यादा गांवों में बिजली पहुंच चुकी है। उन्होंने कहा कि इसी तरह बेटियां शिक्षा से वंचित हैं। इसलिए इस दिशा में भी काम किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश काे आगे बढाने में जनशक्ति ही मददगार साबित होगी और सरकार इसी बात को ध्यान में रखकर कार्यक्रम बनाकर उनका क्रियान्वयन कर रही है। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भारतीय जनता पार्टी के उपाध्यक्ष एवं प्रदेश संगठन प्रभारी डॉ विनय सहस्त्रबुद्धे, प्रदेश इकाई के अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान समेत प्रदेश के मंत्री अंतर सिंह आर्य, कुंवर विजय शाह, ओम प्रकाश धुर्वे, सुरेंद्र पटवा, विश्वास सारंग और स्थानीय विधायक भी मौजूद थे।


कलिखो पुल की अंत्येष्टि बुधवार को

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ईटानगर.09 अगस्त, अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कलिखो पुल का अंतिम संस्कार कल उनके पैतृक गांव में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। राज्य सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि श्री पुल के अंजॉ जिले स्थित पैतृक गांव में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। पोस्टमार्टम के बाद उनके पार्थिव शरीर को कल तक के लिए मुख्यमंत्री के अाधिकारिक निवास पर रखा जाएगा। श्री पुल के निधन पर तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की गयी है। गौरतलब है कि श्री पुल ने आज फांसी लगाकर कथित रूप से आत्महत्या कर ली। उनके परिवार में पत्नी और पांच बच्चे हैं। उनका शव सुबह आठ बजे उनके सरकारी आवास के शयनकक्ष में पंखे से लटका मिला। शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है। श्री पुल के समर्थकों ने इसके पीछे साजिश का आरोप लगाया है। अपने नेता की मौत की खबर मिलते ही बड़ी संख्या में उनके समर्थक पूर्व मुख्यमंत्री के सरकारी आवास के बाहर इकट्ठा हो गए और उन्होंने कुछ विधायकों को आवास के भीतर जाने से भी रोका। गौरतलब है कि श्री पुल ने श्री नाबाम टुकी को मुख्यमंत्री पद से हटाते हुए कांग्रेस के असंतुष्ट विधायकों की मदद से इसी वर्ष फरवरी में सरकार बनायी थी लेकिन उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद उन्हें 13 जुलाई को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था। उन्हें आज अपना सरकारी आवास छोड़ना था।

रेल बजट को आम बजट में मिला दिया जाय : प्रभु

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नयी दिल्ली, 09 अगस्त, रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने आज कहा कि रेलवे की प्राथमिकताएं बदली है और अब रेल बजट को अाम बजट में शामिल कर दिया जाना चाहिए। श्री प्रभु ने रेलवे की लाभांश को लेकर पेश सरकारी संकल्प पर राज्यसभा में आज हुई चर्चा का उत्तर देते हुए कहा कि रेल बजट को आम बजट में शामिल करने को लेकर उन्होंने वित्त मंत्री को पत्र भी लिखा है। उन्होंने रेल बजट को आम बजट में समाहित करने को राष्ट्र हित में बताते हुए कहा कि इसमें सिर्फ रेलवे से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्व के अधिकांश देशों में रेलवे को राज सहायता मिलती है और भारतीय रेल को भी इसकी जरूरत है। उन्होंने कहा कि उपनिवेश काल के दौरान रेलवे को पांच अरब डॉलर की सहायता मिलती थी और अब वह 34 हजार करोड़ रूपये की राज सहायता मांग रहे है। उन्होंने कहा कि रेलवे से चार-पांच वर्षो तक सरकार को लाभांश नहीं लेना चाहिये। रेल मंत्री ने वेतन आयोग की सिफारिशों के कारण रेलवे पर 36 हजार करोड रूपये का भार है । इसके अलावा रेलवे यात्रियों को कई तरह की रियायते भी देता है। उन्होंने कहा कि नई रेल लाइन आधुनिक प्रौद्योगिकी और हाईस्पीड ट्रेन के लिये उसे आर्थिक मदद की जरूरत है। इससे पूर्व कांग्रेस के जयराम रमेश ने कहा कि 1928 से देश में अलग रेल बजट पेश किया जा रहा था जिसकी सार्थकता अब समाप्त हो गयी है और इसे आम बजट का हिस्सा बनाने की जरूरत है। तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन कहा कि रेलवे का सामाजिक दायित्व बढा और उसे लाभांश नहीं देना चाहिए। चर्चा में समाजवादी पार्टी नीरज शेखर और अन्नाद्रमुक के के.आर. अर्जुनन ने भी हिस्सा लिया। बाद में संक्लप को पारित कर दिया ।

कश्मीर से मोदी की भावुक अपील, विकासपथ पर बढो, पूरा देश आपके साथ

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भाबरा (मध्यप्रदेश), 09 अगस्त, पिछले लगभग एक महीने से अशांति से जूझ रहे कश्मीर के निवासियों से आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भावुक अपील करते हुए कहा कि कश्मीर को विकास पथ पर चलने के लिए जो भी मदद चाहिए, उसके लिए भारत सरकार हर कदम पर उनके साथ है। आजादी के 70 वर्ष के मौके पर मध्यप्रदेश के अलीराजपुर जिले के भाबरा से '70 साल आजादी - जरा याद करो कुर्बानी'कार्यक्रम की शुरूआत करने यहां आए श्री मोदी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की महबूबा सरकार से लेकर दिल्ली की केंद्र सरकार तक कश्मीर को विकास के मार्ग पर ले जाना चाहती है, पर कुछ लोग ऐसे हैं, जो ये नहीं चाहते। उन्हें विकास पच नहीं रहा, वे विनाश चाहते हैं। गुजरात की सीमा से लगी शहीद चंद्रशेखर आजाद की जन्मस्थली भाबरा से उन्होंने कश्मीर के युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि आइए सभी मिलकर कश्मीर को दुनिया का स्वर्ग बनाएं। उन्होंने कश्मीर निवासियों से कहा कि आजादी के दीवानों ने जो आजादी पूरे हिंदुस्तान को दी है, वही कश्मीर को भी दी है। वहां की हर पंचायत को ताकत दी है और हर युवा को रोजगार के अवसर दिए हैं। कश्मीर की धरती से भी देश पर मर-मिटने वाले कम नहीं रहे हैं। पूरा देश चाहता है कि कश्मीरवासियों का रोजगार चलता रहे। श्री मोदी ने जोर देते हुए कहा कि कश्मीर विकास के पथ पर बढ़े, इसके लिए वहां के लोगों को जो मदद चाहिए, भारत सरकार उसके लिए पूरी तरह उनके साथ है।

इरोम शर्मिला ने 16 वर्ष बाद तोड़ा अनशन

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इम्फाल,09 अगस्त, मणिपुर से सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफ्स्पा) हटाये जाने की मांग को लेकर पिछले 16 वर्ष से अनशन कर रही मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम चानू शर्मिला ने राजनीति के मैदान में अपना हाथ आजमाने के लिए आज अपना अनशन तोड़ दिया । सुश्री शर्मिला ने यहां शहद की एक बूंद लेकर अपना अनशन ताेड़ा और इस ऐतिहासिक क्षण पर उनकी आंखों से आंसू छलक रहे थे । शर्मिला के पास से सभी तरह के जीवन रक्षक उपकरणाें को हटा लिया गया है। उन्होंने अनशन तोड़ने के बाद संवाददाताओं से कहा,“मैं मणिपुर की मुख्यमंत्री बनना चाहती हूं। मैं अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरुंगी।” चार नवंबर 2000 से अनशन पर बैठी सुश्री शर्मिला ने गत 26 जुलाई को अपना अनशन तोड़ने और राजनीति में कदम रखने की घोषणा की थी । उन्होंने दलील दी कि उन्हें गलत तरीके से हिरासत में रखा गया है और उन्हें तुरन्त रिहा किया जाना चाहिए । इससे पूर्व सुश्री शर्मिला को आज सुबह एक अदालत ने 10 हजार रुपये के मुचलके पर रिहा किया और मामले की अगली सुनवाई के लिए 23 अगस्त की तारीख तय की। अदालत ने सुश्री शर्मिला को उनके राजनीतिक जीवन के लिए शुभकामनाएं भी दीं।

पश्चिम चंपारण से फिरौती के लिए अपहृत मुंबई का व्यवसायी मुक्त

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बेतिया 09 अगस्त, बिहार में नेपाल की सीमा से लगे पश्चिम चंपारण जिले के कंगली थाना क्षेत्र से पुलिस ने एक करोड़ रुपये की फिरौती के लिए अपहृत मुंबई का व्यवसायी खालिद कादरी को कल देर रात मुक्त करा कर तीन अपहरणकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया । पुलिस अधीक्षक विनय कुमार ने आज यहां बताया कि मुंबई के ठाणे थाना क्षेत्र के मुंबरा निवासी और व्यवसायी खालिद का अपराधियों ने एक अगस्त को पटना के जय प्रकाश नारायण हवाई अड्डा से अपहरण कर लिया था । अपराधियों ने व्यवसायी के परिजनों से उसे रिहा करने के एवज में एक करोड़ रुपये की फिरौती मांगी थी । श्री कुमार ने बताया कि मुंबई से आयी पुलिस और स्थानीय पुलिस ने सादे लिवास में 30 लाख रुपये लेकर देर रात नेपाल की सीमा से सटे सबइठवा गांव पहुंची । इसी दौरान भूट्टो उर्फ सैफुला मियां के घर से व्यवसायी खालिद मुक्त करा लिया गया । उन्होंने बताया कि मौके पर से भूट्टो के अलावा नूर मोहम्मद और इरफान मियां को गिरफ्तार कर लिया गया है । पुलिस अधीक्षक ने बताया कि व्यवसायी सकुशल हैं । उन्होंने बताया कि फिरौती की रकम मांगने के लिए अपराधी नेपाल के मोबाइल नम्बरों का इस्तेमाल किया करते थे । अपहरणकर्ताओं से पुलिस पूछताछ कर रही है। 

शिक्षा का उद्देश्य शारीरिक एवं मानसिक क्षमताओं का समन्वित विकास : कोविंद

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पटना, 9 अगस्त, बिहार के राज्यपाल राम नाथ कोविंद ने शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए आज कहा कि शिक्षा का उद्देश्य शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक क्षमताओं का समन्वित विकास और राष्ट्रीय आदर्शों के अनुरूप चरित्र का निर्माण है। श्री कोविंद ने यहां सुभाष इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के सभागार में आयोजित ‘सत्रारंभ समारोह-2016’ को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान सदी ज्ञान एवं तकनीक आधारित सदी है। हर एक इंसान को आज इतना ज्ञान और तकनीकी कौशल पाने का अवसर जरूर मिलना चाहिए कि वो अपने विवेक और कौशल से समाज को बेहतर बनाने में सहयोग दे सके। शिक्षण संस्थानों को महज सामान्य शिक्षा देने के बजाय, एक ऐसे ज्ञान का केन्द्र बनने की ओर अग्रसर होना चाहिए, जहाँ हमारे छात्र शोध कार्यो में में भी अव्वल आ सके। राज्यपाल ने कहा कि आज के सामाजिक परिवेश में युवाओं को इतना दूरदर्शी और कर्मठ बनना है कि आने वाले वक्त में परिवर्तन की धार को वे एक सकारात्मक दिशा दे सकें। देश की युवा शक्ति ही इस महान देश को बुलंदियो के शिखर पर ले जा सकती है। 

श्री कोविंद ने कहा कि देश-काल के साथ-साथ, उच्च शिक्षा ने भी एक लंबा सफर तय किया है। वैश्विक अपेक्षाओं तथा चुनौतियों का सामना आज शिक्षा-व्यवस्था को करना पड़ रहा है। शिक्षा का उद्देश्य शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक क्षमताओं का समन्वित विकास तथा राष्ट्रीय आदर्शों के अनुरूप चरित्र का निर्माण है। साथ ही उसे दुनियाँ की जरूरतों के अनुरूप भी खरा उतरना है और गुणवत्तापूर्ण बनना है। राज्यपाल ने कहा कि तकनीकी शिक्षा के प्रति लगाव रखने वाले युवा वर्ग को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने के लिये पहले बिहार से बाहर जाने की मजबूरी थी। इस तरह के संस्थाओं की बदौलत तकनीकी शिक्षा के लिए बाहर जाने वाले छात्रों की संख्या में कमी आई है। इस संस्थान की स्थापना से आज कुशल और मेधावी छात्र कुशल इंजीनियर और तकनीकी विशेषज्ञ बनकर देश की सेवा में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डा. समरेन्द्र प्रताप सिंह के कहा कि समयबद्धता और अनुशासनशीलता विद्यार्थियों के लिए अत्यन्त आवश्यक है । कार्यक्रम में बीआईटी, मेसरा के पूर्व कुलपति, प्रो एच सी पाण्डेय ने भी अपने विचार व्यक्त किये । 

किक बॉक्सिंग की अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी प्रियंका को लालू ने दिया एक लाख का चेक

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पटना 09 अगस्त, किक बॉक्सिंग की अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी और बिहार की बेटी प्रियंका को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने आज एक लाख रूपये का चेक देकर प्रोत्साहित किया । श्री यादव ने यहां सुश्री प्रियंका के सम्मान में अपने सरकारी आवास पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि बिहार में सारण जिले के आमी गांव के एक अत्यंत ही साधारण परिवार से आने वाली प्रतिभाशाली इस बच्ची ने किक बॉक्सिंग में अपनी अंतरराष्ट्रीय पहचान बनायी है । प्रियंका इटली में आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में भाग लेने जाने वाली हैं । राजद अध्यक्ष ने कहा कि उनकी शुभकामना प्रियंका के साथ है और आशा है कि इटली में भी वह बिहार का नाम रौशन करेंगी । उन्होंने प्रियंका को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि बिहार में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है ,जरूरत है राज्य के प्रतिभाशाली युवकों की पहचान कर उन्हें आगे बढ़ने का अवसर देने का । उन्होंने कहा कि प्रियंका अंतरराष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी हैं और कई प्रतियोगिताओं में भाग लेकर बिहार का सम्मान बढ़ाया है । इस मौके पर राज्यसभा सांसद प्रेम गुप्ता भी उपस्थित थे । 


फसल बीमा में ‘प्रधानमंत्री’ नाम से चिढ़ रहे नीतीश : सुशील

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पटना 09 अगस्त, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आज कहा कि फसल बीमा योजना में ‘प्रधानमंत्री’ का नाम जुड़े होने के कारण ही मुख्यमंत्री इसे बिहार में लागू नहीं कर रहे हैं। श्री मोदी ने यहां कहा कि फसल बीमा योजना में प्रधानमंत्री का पदनाम जुड़ा है इसलिए बिहार में लागू करने से इनकार कर मुख्यमंत्री श्री कुमार ने साफ कर दिया है कि उन्हें किसानों की चिन्ता नहीं है। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि यदि मुख्यमंत्री को ‘प्रधानमंत्री’ के नाम से चिढ़ है तो क्या वे प्रधानमंत्री के नाम से चलने वाली प्रधानमंत्री ग्राम्य सड़क योजना, सिंचाई योजना समेत अन्य योजनाओं को बिहार में बंद कर देंगे। भाजपा नेता ने कहा कि पूरे देश में एक प्रीमियम दर की बात करने वाले नीतीश जी को क्या यह मालूम नहीं है कि जिस तरह से बूढ़े और जवान , बीमार और स्वस्थ व्यक्ति के बीमा की प्रीमियम दर एक नहीं हो सकती है, उसी प्रकार बाढ़ एवं सूखा तथा सामान्य परिस्थितियों वाले राज्यों की प्रीमियम दरें भी एक नहीं हो सकती है। क्या जब से कृषि बीमा योजना शुरू हुई है तब से ही राज्य एवं केन्द्र की हिस्सेदारी 50-50 प्रतिशत नहीं रही है। जब राज्य सरकार ने बीमा योजना लागू करने के लिए मंत्रिमंडल का संकल्प निकाल दिया तब अचानक 90: 10 केन्द्र और राज्य की हिस्सेदारी की बात करने का क्या औचित्य है। श्री मोदी ने कहा कि पिछले तीन वर्षों की रबी और वर्ष 2015 की खरीफ फसल की क्षतिपूर्ति की 554 करोड़ की अपनी हिस्सेदारी नहीं देकर राज्य सरकार ने बिहार के किसानों को मिलने वाली 1331 करोड़ की हकमारी कर दी है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को बताना चाहिए कि फसल बीमा योजना लागू नहीं करने की स्थिति में वह बाढ़ और सुखाड़ से प्रभावित लाखों किसानों की क्षति की भरपाई कैसे करेगी।

माले महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य कल पटना में

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  • आइसा द्वारा आयोजित ‘शिक्षा बचाओ-बिहार बचाओ’ कन्वेंशन को करेंगे संबोधित.

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पटना 10 अगस्त 2016, भाकपा-माले महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य अपनी तीन दिवसीय बिहार दौरे पर कल सुबह पटना पहुंच रहे हैं. अपने बिहार प्रवास के दौरान वे 11 अगस्त को आइसा के 12 वें राज्य सम्मेलन के अवसर पर अंजुमन इस्लामिया हाॅल में आयोजित ‘शिक्षा बचाओ-बिहार बचाओ’ कन्वेंशन को मुख्य वक्ता के बतौर संबोधित करेंगे. 12 अगस्त को वे पार्टी नेताओं के साथ बैठक करेंगे और 13 अगस्त को एआपीएफ द्वारा आयोजित सेमिनार में भी भाग  लेंगे.

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर 10 अगस्त)

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चबालीस सौ करोड़ बीमा राशि किसानों को शीघ्र वितरित-राज्यमंत्री श्री मीणा

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उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण (स्वतंत्र प्रभार), वन राज्यमंत्री श्री सूर्यप्रकाश मीणा दस अगस्त बुधवार को शमशाबाद विधानसभा क्षेत्र के ग्रामों का भ्रमण कर स्थानीय रहवासियों की मूलभूत समस्याओं को सुना और निराकरण के संबंध में आवश्यक दिशा निर्देश दिए। नटेरन जनपद पंचायत के प्रागंण में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए राज्यमंत्री श्री मीणा ने कहा कि प्रदेश में शीघ्र ही किसानों को सोयाबीन की बीमा राशि का वितरण किया जाएगा। इसके लिए राज्य सरकार द्वारा बाईस सौ करोड़ की व्यवस्था की गई है। इतनी ही राशि केन्द्र सरकार के द्वारा दी जाएगी। राज्यमंत्री श्री मीणा ने कहा कि मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप स्वर्णिम मध्यप्रदेश बनाने में आमजनों की भी महती भूमिका है। जहां प्रदेश पहले बीमारू राज्य के रूप में जाना जाता था जिसे अब विकसित राज्य के रूप में पहचान मिली है। उन्होंने कहा कि शासकीय योजनाओं का लाभ सुपात्रों को समय पर मिले इसके लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों की भी महत्वपूर्ण जबावदेंही है। उन्होंने संबंधितों से आग्रह किया कि वे शासकीय योजनाओं के प्रचार-प्रसार में भी अपना योगदान दें। क्षेत्र के विकास के लिए कोई कोर कसर नही छोड़ी जाएगी। स्थानीय नागरिकों की सार्वजनिक मांगो और समस्याओं का निदान सर्वोच्च प्राथमिकता से किया जाएगा। राज्यमंत्री श्री मीणा ने कहा कि विधानसभा क्षेत्र के ऐसे ग्राम जहां सिंचाई के प्रबंध नही है वहां प्रधानमंत्री सिंचाई योजना के तहत मुख्य नहरों से पाईपों के माध्यम से सिंचाई के प्रबंध सुनिश्चित कराए जाएंगे।राज्यमंत्री श्री मीणा ने कहा कि याद करो कुर्बानी कार्यक्रम के तहत शमशाबाद विधानसभा क्षेत्र में 17 अगस्त को तिरंगा यात्रा निकाली जाएगी। इसके लिए पृथक से कार्यक्रम तय किया जाएगा। उन्होंने नटेरन सरपंच द्वारा दिए गए मांग पत्रों का हवाला देते हुए कहा कि विकास कार्यो के लिए दरवाजे सदैव खुले है। श्री मीणा ने कहा कि शीघ्र ही नटेरन और शमशाबाद में सिविल न्यायालय की स्थापना कराई जाएगी। उन्होंने नटेरन के काॅलेज भवन के लिए राशि उपलब्ध कराने का आश्वासन देते हुए सीसी रोड़ो के निर्माण हेतु विधायकनिधि से राशि देने की घोषणा की। 


हितग्राहियों को चेक का वितरण
कार्यक्रम के दौरान स्वतंत्र राज्यमंत्री श्री सूर्यप्रकाश मीणा ने श्रीमती गायत्री बाई पत्नी स्वर्गीय श्री रामलखन किरार को एक लाख रूपए की आर्थिक सहायता का तथा मुख्यमंत्री लाड़ली लक्ष्मी योजना के अंतर्गत 14 हितग्राहियों को क्रमशः एक लाख 18 हजार रूपए के प्रमाण पत्र प्रदाय किए गए। इसके अलावा राष्ट्रीय परिवार सहायता के चेक सात हितग्राहियों को, पांच हितग्राहियों को भवन संनिर्माण के और मुख्यमंत्री मजदूर सुरक्षा योजना और जननी सुरक्षा योजना के आठ हितग्राहियों को मौके पर क्रमशः आठ हजार दस के चेक प्रदाय किए। कार्यक्रम स्थल पर जनप्रतिनिधियों के अलावा विभिन्न विभागों के अधिकारी और गणमान्य नागरिक मौजूद थे। 

ईको-फ्रेण्डली सामग्री से मूर्ति का निर्माण करें-अपर कलेक्टर श्रीमती भदौरिया

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जल एवं पर्यावरण की रक्षा हेतु स्वंय बनाएं अपने ईको-फ्रेण्डली मूर्तियां पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन बुधवार को कलेक्टेªट के सभाकक्ष में किया गया था। जिसमें नगर के गणमान्य नागरिक, मूर्तिकार और दुर्गा, गणेश मूर्ति स्थापना करने वाले झांकी संचालकों के अलावा धर्माधिकारी मौजूद थे।मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के माध्यम से आयोजित माटीकला सेमीनार को सम्बोधित करते हुए अपर कलेक्टर श्रीमती अंजू पवन भदौरिया ने कहा कि विदिशा जिले में गतवर्ष किए गए नवाचार के तहत सभी मूर्तिया विसर्जन हेतु पृथक से कुंड बनाया गया था जिसमें सभी मूर्तियों  का विसर्जन किया गया था। जल एवं पर्यावरण की रक्षा के लिए अब ईको-फ्रेण्डली मूर्तियों का निर्माण आमजन के सहयोग से संभव है। उन्होंने कार्यशाला में शामिल बच्चों से आग्रह किया कि वे ईको-फ्रेण्डली मूर्तियों की स्थापना कराने में अभिभावकों को प्रेरित करें। उन्होंने मीडियाबंधुओं से आग्रह किया कि वे पर्यावरण में सुधार के इस संदेश का जन-जन तक पहुंचाने में मदद करें। भोपाल से आए ईको-फ्रेण्डली मूर्ति तैयार करने में महारत हासिल श्री अशोक भारद्वाज और उनकी पत्नी के द्वारा मूर्ति तैयार करने का प्रायोगिक प्रदर्शन किया गया।


सावन खादी मेला का आयोजन आज से

मध्यप्रदेश खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड के द्वारा गुरूवार 11 से 16 अगस्त तक सावन खादी मेला का आयोजन किया गया है। खादी मेला का उद्घाटन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि स्थानीय विधायक श्री कल्याण सिंह ठाकुर और कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला पंचायत अध्यक्ष श्री तोरण सिंह दांगी करेंगे। खादी मेला तारादेवी हाल अग्रवाल धर्मशाला में दोपहर दो बजे से आयोजित किया गया है कि जानकारी देते हुए खादी ग्रामोद्योग प्रबंधक ने बताया कि स्वदेशी भावनाओं को विकसित करते हुए खादी वस्त्रों का उपयोग आमजन अधिक से अधिक करें के उद्वेश्य से आयोजित होने वाले इस मेले में सभी प्रकार की खादी, कुर्ता, पजामा, जैकेट, सलवार सूट सभी ब्राण्ड के डिजायनर गारमेंट, सिल्क साडियां और विध्यावैली सामग्री, अचार, पापड़, मसाले, शैम्पू, जैम साॅस, शहद इत्यादि आमजन सुगमता से क्रय कर सकते है।

विशेष आलेख : आधारहीन राजनीति कर रहे केजरीवाल

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समाज की यह प्रचलित धारणा है कि जो भी व्यक्ति गलत काम करता है, वह हमेशा इस बात से डरा सहमा रहता है कि कहीं उसकी पोल न खुल जाए। इसके डर से वह हमेशा ऐसे काम भी करता हुआ दिखाई देता है जो उसकी कमियों परदा डाल सके। गलत काम करने वाला व्यक्ति कभी भी अपने गिरेबान में झांककर नहीं देखता, इसलिए वह यह तय नहीं कर पाता है कि मेरी गलती क्या है? वर्तमान में देश में ऐसे व्यक्तियों का अभाव दिखाई दे रहा है, जो अपनी गलतियों को सुधार करके जीवन का संचालन करे। यह भी देखा जाता है कि गलत काम करने वाला व्यक्ति हमेशा अपनी तारीफ करने वाले लोगों को ही पसंद करता है। उसे सही बुराई करने वाले लोग गलत दिखाई देते हैं। आज भारत की राजनीति में इस प्रकार का खेल दिखाई दे रहा है। जिसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल केवल अपने राजनीतिक आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए बिना सोचे समझे बयान देने लगे हैं। उन्हें अपनी पार्टी के नेताओं के कारनामे भी अच्छे लगने लगे हैं। जब व्यक्ति को बुरे काम अच्छे लगने लगते हैं, तब उससे अच्छे कामों की अपेक्षा करना बेकार ही है।


दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल जिस प्रकार आरोप प्रत्यारोप की राजनीति कर रहे हैं, उससे देश का भला नहीं होने वाला। केजरीवाल सीधे तौर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमला करते हुए दिखाई दे रहे हैं। जितनी शक्ति वह प्रधानमंत्री का विरोध करने में लगा रहे हैं, उतनी शक्ति और दिमाग का उपयोग अगर दिल्ली के विकास के लिए करें तो आज दिल्ली में समस्याएं नहीं रहतीं। छलांग लगाकर दिल्ली की सत्ता प्राप्त करने वाले केजरीवाल द्वारा ऐसी आधारहीन बयानबाजी केवल पंजाब चुनाव में अपने आपको स्थापित करने के लिए ही की जा रही है। लेकिन केजरीवाल को यह भी समझना चाहिए कि जिस प्रकार से वे जनता द्वारा दिए गए बहुमत के आधार पर मुख्यमंत्री बने हैं, उसी प्रकार नरेन्द्र मोदी भी स्पष्ट बहुमत वाले जन समर्थन के साथ प्रधानमंत्री के पद पर पुहंचे हैं। प्रधानमंत्री देश का अत्यंत ही सम्मानित पद है। इसलिए केजरीवाल को अपनी मर्यादा नहीं भूलनी चाहिए और बयान भी ऐसे देने चाहिए जिससे देश का विकास हो सके। हम जानते हैं कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विरोध में बयान देते रहते हैं, लेकिन दोनों के बयानों में जमीन आसमान का अंतर दिखाई देता है। नीतीश कुमार संयम के साथ प्रधानमंत्री मोदी का विरोध करते हैं और केजरीवाल संयम की सीमा का उल्लंघन करते दिखाई देते हैं। संवैधानिक प्रेटोकाल के हिसाब से भी देखा जाए तो एक मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री का सम्मान ही करना चाहिए।

दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल की असंयमित भाषा को देखकर यही कहा जा सकता है कि वह पूरी तरह से बौखलाए हुए हैं। इसके पीछे के कारण बहुत हैं। वर्तमान में आम आदमी पार्टी विभाजन के कगार पर जाती हुई दिखाई दे रही है। कई विधायक विद्रोह करने पर उतारु हो रहे हैं। इसके पीछे एक ही कारण हैं कि आम आदमी पार्टी के जो भ्रष्टाचार और अन्य मामलों में दोषी हैं। उन्हें केजरीवाल बचाने का प्रयास नहीं कर रहे। इसलिए यह साफ कहा जा सकता है कि केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के कई विधायक अपने ही मुख्यमंत्री के व्यवहार से दुखी हैं। केजरीवाल एक तानाशाह की तरह पार्टी को संचालित कर रहे हैं। उनकी पार्टी के विधायक और दिल्ली सरकार में कानून मंत्री रहे जितेन्द्र सिंह तोमर की फर्जी डिग्रियों का प्रकरण जगजाहिर है। इसी प्रकार कई अन्य प्रकारणों में आप पार्टी के विधायकों के नाम सामने आ रहे हैं। इसमें कानून अपने हिसाब से काम कर रहा है और करना भी चाहिए। वास्तव में अरविन्द केजरीवाल को यह सत्य स्वीकार करना चाहिए कि उनकी पार्टी में कुछ लोग गलत हैं। लेकिन वे सत्य को स्वीकार न करते हुए उलटे मोदी सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि उनके विधायकों को परेशान किया जा रहा है। कानून के दायरे में किए जाने वाले कार्य को अगर एक मुख्यमंत्री परेशान करने वाला कदम बताता है। तब यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि वे संवैधानिक मर्यादाओं का किस प्रकार पालन करते होंगे। वास्तव में देखा जाए तो अरविन्द केजरीवाल को एक मुख्यमंत्री की मर्यादाओं का भी ज्ञान नहीं है। अगर है तो उनको कम से कम दोषी विधायकों पर की जा रही कार्यवाही को परेशान करने वाला कदम तो नहीं बताते। केजरीवाल ने जिस प्रकार की राजनीति करने के सपने जनता को दिखाए थे, उसके आधार यही कहना समीचीन होगा कि वे स्वयं आगे आकर गलत काम करने वाले विधायकों पर कार्यवाही करने के लिए कहते, लेकिन जिसका स्वयं का पूर्व कानून मंत्री गलती की सजा भोग रहा हो, उससे यह कैसे कल्पना की जा सकती है कि वह सरकार कानून का पालन कर सकती है।


दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की सबसे बड़ी कमजोरी यही है कि वे राजनीतिक समाज में एक दम नए आए थे। उन्होंने राजनीति करने से पूर्व प्रशासनिक अधिकारी के रुप में काम किया था। जिससे कहा जा सकता है कि उस समय उन पर काम का दबाव कम ही रहा। आज एक मुख्यमंत्री के रुप में उन पर काम का अधिक दबाव होने के कारण केजरीवाल पूरी तरह से जिम्मेदारी का निर्वाह नहीं कर पा रहे हैं। इस दबाव के चलते ही उन्होंने विरोधाभासी बयान देकर दिल्ली की जनता का ध्यान भटकाने का काम किया है। वास्तव में केजरीवाल को पंजाब में पैर पसारने से पूर्व केवल दिल्ली को संभालने में ही पूरी शक्ति लगानी चाहिए, जो उन्होंने नहीं की। वर्तमान में आम आदमी पार्टी की राजनीति और उनके सरकार चलाने के तरीकों का अध्ययन किया जाए तो यह तो साबित हो रहा है कि केजरीवाल ने आम जनता को जिस प्रकार के सपने दिखाए थे, सरकार वैसा कुछ भी नहीं कर रही है। इतना ही नहीं अब तो आम आदमी पार्टी के नेताओं को भी यह स्पष्ट रूप से लगने लगा है कि हमने जनता से जो वादे किए हैं वे पूरे हो ही नहीं सकते। तभी तो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने पूर्व में स्वयं इस बात को स्वीकार किया है कि हमारी सरकार जनता से किए गए वादों को पूरा नहीं कर सकती। केजरीवाल की इस बात से यह साफ हो जाता है कि चुनाव के समय केजरीवाल ने आम जनता से झूंठ बोला था, यानि राजनीति की शुरूआत ही झूंठ पर आधारित थी। इस प्रकार के राजनीतिक संत्रास से त्रस्त होकर ही दिल्ली की जनता ने केजरीवाल को छप्पर फाड़कर समर्थन दिया, लेकिन केजरीवाल द्वारा इस प्रकार की स्वीकारोक्ति करना क्या जनता के साथ विश्वासघात नहीं है।

अभी हाल ही में केजरीवाल ने यह कहकर कि 'मोदी मुझे मरवा सकते हैंÓ सुर्खियां बटोरने का प्रयास किया था। यह केजरीवाल की निम्न स्तर की राजनीति कही जा सकती है। क्योंकि जो प्रधानमंत्री देश की 125 करोड़ जनता को अपना परिवार मानता हो, वह कैसे इस प्रकार की बात सोच सकता है। इसके विपरीत आम आदमी पार्टी के मटियामहल से विधायक चुने जाने वाले आसिफ अहमद ने केजरीवाल की सत्यता को उजागर करते हुए कहा है कि मुझे केजरीवाल से खतरा है। वह मुझे मरवा सकते हैं। क्या इस बात पर केजरीवाल जी ध्यान देंगे। अगर नहीं तो यह कहा जाएगा कि केजरीवाल की नीतियां दोगुली हैं। वास्तव में इस प्रकार की आधारहीन राजनीति से आम आदमी पार्टी किस प्रकार का संदेश देना चाह रही है। क्या यह राजनीति देश के विकास के लिए सकारात्मक मार्ग बना सकती है। अगर नहीं तो हमारे देश के राजनेताओं को यह तय करना होगा कि देश के विकास के लिए किस प्रकार की राजनीति की आवश्यकता है। केवल सरकार बनाने की राजनीति करना ठीक नहीं, हमें देश को बनाने की राजनीति करने पर भी ध्यान देना होगा।




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सुरेश हिन्दुस्थानी
द्वारा श्री वी.पी. चौबे
296/6ई उमाशंकर कम्पाउंड
झोकन बाग, झांसी उत्तरप्रदेश
पिन - 284001

आलेख : बुलन्दशहर से जुड़े सवालों के जबाव चाहिए

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उत्तरप्रदेश के बुलंदशहर में नेशनल हाइवे पर गैंगरेप का बेहद ही शर्मनाक मामला सामने आया है। कार में सवार परिवार को बंधक बनाकर वहशी दरिंदो ने मां और बेटी को हवश का शिकार बनाया है। सामूहिक दुष्कर्म की यह खौफनाक घटना कानून के शासन को कलंकित करने और सभ्य समाज को लज्जित करने वाली हैं। रूह को कंपा देने वाली इस घटना ने एक बार फिर नारी अस्मिता को कुचला है। एक बार फिर नारी की इज्जत को तार-तार किया गया। उस डरावनी एवं खौफनाक रात्रि की कल्पना ही सिहरन पैदा करती है कि परिवार के सदस्यों के सामने किस तरह एक मां-बेटी को अगवा किया और फिर बंधक बनाकर गैंगरेप किया गया। रोंगटे खड़े करने वाली यह घटना जंगलराज नहीं, बल्कि बर्बर-क्रूर जंगलराज जैसे अमानवीय हालात को बयान करती है। ऐसी घटनाओं से कानून और व्यवस्था पर भरोसा डिगने के साथ ही शासन-प्रशासन की नाकामी भी सामने आयी है। उत्तरप्रदेश सरकार जहां अपने प्रचार में महिला सुरक्षा की बात करती है, नारी को सम्मानित जीवन देने के बड़े-बड़े विज्ञापन करती है, वहीं यह घटना उनकी पोल खोल रही है। इस सरकार में न तो अपराधी डरते हैं, न ही पुलिस उन पर कोई कार्रवाई कर पाती है। 


सामूहिक दुष्कर्म की वह काली रात एक ऐसा वीभत्स एवं डरावना पृष्ठ है जिसमें मां-बेटी कितनी चीखी-चिल्लाई होगी, कितनी बार उसने दरिन्दों से रहम की भीख मांगी होगी, कितना उसने दरिन्दों से मुकाबला किया होगा, सोच कर ही कंपकंपी होती है और इस पूरे घटनाक्रम पर पूरा देश सदमें में है। गैंग रेप की इस घटना के बाद का हर पल देश के सवा अरब जनमानस को व्यथा और शर्मिंदगी के सागर में डुबो रहा। हमने निर्भया सामूहिक बलात्कार कांड को देखा और समूचे राष्ट्र ने उस समय जो जागरूकता दिखाई, जो संवेदनाएं व्यक्त की, जिस तरह घरों से बाहर आकर ऐसे जुल्म के खिलाफ सामूहिकता का जो प्रदर्शन किया, उसी का परिणाम था कि दिल्ली की फास्ट टैªक अदालत ने चारों आरोपियों को फांसी की सजा सुनायी। अदालत का वह फैसला केवल फैसला नहीं है, बल्कि बहुत बड़ी परिभाषा समेटे हुए था अपने भीतर। जिससे एक रोशनी आती है कि अब नारी की इस तरह सरेआम अस्मत से खिलवाड़ करने वालों को हजार बार सोचना होगा। सचमुच इस अदालती फैसले ने एक नया सूरज उदित किया था। पुरुष की पशुता पर नियंत्रण की दृष्टि से एक सफल उपक्रम हुआ था। लेकिन बुलन्दशहर की इस घटना एक बार फिर पूरी मानवता को झकझोर दिया है। 

चाहे भंवरीदेवी हो, या प्रिदर्शिनी मट्टू या फिर नैना साहनी- या निर्भया -आज का मनुष्य अपनी सुविधानुसार नारी को भोग्या बनाये हुए है। यह मनुष्यता का घोर अपमान है। पुरुष की वासना कीमती, नारी सस्ती- कैसी विडम्बना! मनुष्य सस्ता, मनुष्यता सस्ती- कैसी त्रासदी!! और मनुष्य अपमानित नहीं महसूस कर रहा है। जीवन मूल्यहीन और दिशाहीन हो रहा है । हमारी सोच जड़ हो रही है।  वासना और कामुकता के चक्रव्यूह में जीवन मानो कैद हो गया है। चारों ओर घोर अंधेरा- सुबह का निकला शाम को घर पहुंचेगा या नहीं-आश्वस्त नहीं है मनुष्य। अगर पत्नी पीहर गई है, तो अपनी जवान लड़की को पड़ोसियों के भरोसे छोड़कर आप दफ्तर नहीं जा सकते। जवान लड़कियों का दिन हो या रात्रि में बाहर निकलना असुरक्षित होता जा रहा है। क्या यह काफी नहीं है हमें झकझोरने के लिए? पर कौन छुएगा इन जीवन मूल्यों को? कौन मंथन करेगा इस विष और विषमता को निकालने के लिए। निर्भया ने इस वहशीपन पर जागरूकता का वातावरण निर्मित किया। उस समय जिन-जिन ने संघर्ष किया, उन को नमन। क्योंकि वह लाखों-लाखों युवाओं के बलिदान और संघर्ष का ही परिणाम था कि सरकार भी झूकी, कानून भी सक्रिय हुआ और मीडिया भी एक नये तेवर में दिखाई दिया। लेकिन क्या बुलन्दशहर में मां-बेटी को नौंचे जाने की घटना भी ऐसी ही किसी क्रांति का सबब बनेगी?


निर्भया के बाद कानून बना, लेकिन ताजा घटना ने यह जाहिर किया है कि असल में सख्त कानून अपराध के खात्मे का परिचायक नहीं होते हैं। फिर हम क्यों इन कानूनों के बन जाने का आदर्श स्थिति मानकर चल रहे हैं कि अब अपराध और अपराधियों की खैर नहीं। हत्या जैसे अपराध ऐसे हैं जिनके लिए सुपरिभाषित और सुस्पष्ट सख्त कानून हमारे विधान में मौजूद हैं, लेकिन क्या हत्या जैसे वे तमाम अपराध खत्म हो गए हैं। अगर नहीं तो क्या इस बात की पड़ताल जरूरी नहीं है? सख्त कानून किसी भी अपराध को कम तो कर सकते हैं लेकिन खत्म नहीं क्योंकि इस पूरी प्रक्रिया में कानून केवल एक पहलू है। इसे अमल में लाने वाले अभियोजन-पुलिस तंत्र और सामाजिक ताने-बाने की स्थिति भी अपराधों के समूल खात्में में प्रभावी भूमिका निभाते हैं। 

बुलन्दशहर की घटना ने अनेक सवाल खड़े किये हंै। उत्तर प्रदेश सरकार को सवाल का जवाब देना ही होगा कि ऐसा बर्बर आपराधिक गिरोह राष्ट्रीय राजमार्ग पर क्यों सक्रिय था? पुलिस के मुताबिक यह किसी घुमंतू गिरोह द्वारा अंजाम दी गई वारदात है। यदि ऐसा है घुमंतू गिरोह पुलिस और कानून व्यवस्था के होते हुए क्यों पनपा? आज के युग में ऐसे घुमंतू गिरोहों का तो कोई अस्तित्व ही नहीं होना चाहिए जो भेड़ियों के झुंड में तब्दील हो गए हों। सवाल यह है कि ऐसे किसी गिरोह पर पहले ही लगाम क्यों नहीं कसी जा सकी? वे इतने दुस्साहसी कैसे हो गए कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर इस तरह की वहशी वारदात को अंजाम दे सकें? इससे संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता कि उत्तर प्रदेश सरकार ने इस घटना पर गंभीरता प्रदर्शित करते हुए त्वरित कार्रवाई की। यदि मीडिया इस घटना को प्रकाश में नहीं लाती तो शायद यह उसी काली अंधेरी रात में ही लुप्त हो गयी होती। बुलंदशहर की घटना को लेकर विरोधी राजनीतिक दलों के तीखे तेवर स्वाभाविक है, लेकिन ऐसी घटनाएं भविष्य में कहीं पर भी न हों, इसके लिए सभी दलों को कानून एवं व्यवस्था दुरुस्त करने के मामले में दलगत हितों से ऊपर उठकर विचार करने की जरूरत है। विचार ही नहीं बल्कि ठोस कार्रवाई होनी चाहिए जो एक खौफ पैदा करे और लोगों को यौन क्रूरता करने से पहले उनकी मानसिकता बदलने के लिए एक सिहरन जरूर पैदा करे। ऐसी कठोर कार्रवाई की अपेक्षा है जो समाज की मानसिकता बदलने में सहायक सिद्ध हो।
 
उत्तर प्रदेश के बारे में अक्सर यह आरोप लगता रहा है कि यहां कानून व्यवस्था डांवाडोल है। अपराधों को पनपाने में सत्ता और राजनीति का खुला प्रोत्साहन मिलता है। यही कारण है कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक, गैंगरेप के मामले में उत्तर प्रदेश देश में अव्वल है। यहां 2014 में सबसे ज्यादा 762 गैंगरेप हुए थे। इतना सब होने पर भी इस प्रदेश में नारी सुरक्षा एवं आम-जनजीवन के मसले कभी गंभीर शक्ल नहीं ले पाये हैं। जरूरत है समस्याओं से लड़ने के लिए सोची-समझी रणनीति, सधा हुआ होमवर्क और खूब सारा धैर्य, तभी हम कोई बड़ा परिवर्तन कर पाएंगे। बुलन्दशहर की घटना के मामले में हमने भावुकता नहीं, संवेदनशीलता दिखानी होगी, तभी आजीवन शोषण, दमन और अपमान की शिकार रही भारतीय नारी को एक उजली जगह मिलेगी। नारी अनादि काल से अत्यंत विवशता और निरीहता से देख रही है वह यह अपमान, यह अनादर। उसके उपेक्षित एक पक्ष से हमारी इस चुप्पी का टूटना जरूरी है और ऐसा होना निश्चित ही एक सकारात्मक परिवर्तन का वाहक बनेगा। जरूरत इस बात की भी है कि देश और समाज में उसका जो स्थान है, वह पूरी गरिमा के साथ सुरक्षित रहे और वह खण्ड-खण्ड होकर बार-बार न बिखरे।


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(ललित गर्ग)
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नागों की पूजा से मिलता है आध्यात्मिक शक्ति व धन

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जी हां, नागपंचमी पर नागों की पूजा कर आध्यात्मिक शक्ति और धन मिलता है। सनातन धर्म में नागपंचमी को नाग की पूजा का विशेष महत्व है, और यही कारण है कि इस दिन नाग मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना होती हैं। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है 


nagpanchmi
नाग देवता की पूजा से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलता है। इस दिन महिलाएं नाग देवता की आराधना के साथ परिवार की सुख-समृद्धि और दीर्घायु की कामना करती हैं। इस व्रत के प्रताप से कालभय, विषजन्य मृत्यु और सर्पभय नहीं रहता। नागपंचमी के व्रत का सीधा संबंध उस नागपूजा से भी है जो शेषनाग भगवान शंकर और भगवान विष्णु की सेवा में भी तत्पर हैं। इनकी पूजा से शिव और विष्णु पूजा के तुल्य फल मिलता है। नाग पंचमी के दिन भगवान शिव के विधिवत पूजन से हर प्रकार का लाभ प्राप्त होता है। नागपंचमी के दिन नागदेवता का दूध से अभिषेक कर पूजा करने से परिवार पर उनकी कृपा बनी रहती है। मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु नागदेवता की पूजा करते हैं नागदेव उनके परिवार के सदस्य की भी रक्षा करते हैं। परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु नाग के डंसने से नहीं होती है। नागपंचमी के इतिहास के विषय में पुराण में वर्णन है कि इस शुभ तिथि के दिन सृष्टि के अनुष्ठाता ब्रह्मा ने शेषनाग को पृथ्वी का भार धारण करने का आदेश दिया था। 


कहते है इस दिन नागों की पूजा करने का विधान है। हिंदू धर्म में नागों को भी देवता माना गया है। महाभारत आदि ग्रंथों में नागों की उत्पत्ति के बारे में बताया गया है। महाभारत के अनुसार महर्षि कश्यप की तेरह पत्नियां थीं। इनमें से कद्रू भी एक थी। कद्रू ने अपने पति महर्षि कश्यप की बहुत सेवा की, जिससे प्रसन्न होकर महर्षि ने कद्रू को वरदान मांगने के लिए कहा। कद्रू ने कहा कि एक हजार तेजस्वी नाग मेरे पुत्र हों। महर्षि कश्यप ने वरदान दे दिया, जिसके फलस्वरूप सर्पों की उत्पत्ति हुई। इनमें शेषनाग, वासुकि, तक्षक आदि प्रमुख थे। कद्रू के बेटों में सबसे पराक्रमी शेषनाग थे। इनका एक नाम अनन्त भी है। शेषनाग ने जब देखा कि उनकी माता व भाइयों ने मिलकर विनता (ऋषि कश्यप की एक और पत्नी) के साथ छल किया है तो उन्होंने अपनी मां और भाइयों का साथ छोड़कर गंधमादन पर्वत पर तपस्या करनी आरंभ की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा ने उन्हें वरदान दिया कि तुम्हारी बुद्धि कभी धर्म से विचलित नहीं होगी। ब्रह्मा ने शेषनाग को यह भी कहा कि यह पृथ्वी निरंतर हिलती-डुलती रहती है, अतः तुम इसे अपने फन पर इस प्रकार धारण करो कि यह स्थिर हो जाए। इस प्रकार शेषनाग ने संपूर्ण पृथ्वी को अपने फन पर धारण कर लिया। क्षीरसागर में भगवान विष्णु शेषनाग के आसन पर ही विराजित होते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण व श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम शेषनाग के ही अवतार थे। 

nagpanchmi
रामायण में सुरसा को नागों की माता और समुद्र को उनका अधिष्ठान बताया गया है। महेंद्र और मैनाक पर्वतों की गुफाओं में भी नाग निवास करते थे। हनुमानजी द्वारा समुद्र लांघने की घटना को नागों ने प्रत्यक्ष देखा था। नागों की स्त्रियां अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध थी। रावण ने कई नाग कन्याओं का अपहरण किया था। प्राचीन काल में विषकन्याओं का चलन भी कुछ ज्यादा ही था। इनसे शारीरिक संपर्क करने पर व्यक्ति की मौत हो जाती थी। ऐसी विषकन्याओं को राजा अपने राजमहल में शत्रुओं पर विजय पाने तथा षड्यंत्र का पता लगाने हेतु भी रखा करते थे। रावण ने नागों की राजधानी भोगवती नगरी पर आक्रमण करके वासुकि, तक्षक, शंक और जटी नामक प्रमुख नागों को परास्त किया था। कालान्तर में नाग जाति चेर जाति में विलीन गई, जो ईस्वी सन के प्रारम्भ में अधिक संपन्न हुई थी। नागपंचमी मनाने के संबंध में एक मत यह भी है कि अभिमन्यु के बेटे राजा परीक्षित ने तपस्या में लीन ऋषि के गले में मृत सर्प डाल दिया था। इस पर ऋषि के शिष्य श्रृंगी ऋषि ने क्रोधित होकर शाप दिया कि यही सर्प सात दिनों के पश्चात तुम्हे जीवित होकर डस लेगा, ठीक सात दिनों के पश्चात उसी तक्षक सर्प ने जीवित होकर राजा को डसा। तब क्रोधित होकर राजा परीक्षित के बेटे जन्मजय ने विशाल सर्प यज्ञ किया जिसमे सर्पो की आहुतियां दी। इस यज्ञ को रुकवाने हेतु महर्षि आस्तिक आगे आए। उनका आगे आने का  कारण यह था कि महर्षि आस्तिक के पिता आर्य और माता नागवंशी थी। इसी नाते से वे यज्ञ होते देख न देख सके। सर्प यज्ञ रुकवाने, लड़ाई को खत्म करने पुनः अच्छे सबंधों को बनाने हेतु आर्यो ने स्मृति स्वरूप अपने त्योहारों में सर्प पूजा को एक त्योहार के रूप में मनाने की शुरुआत की। 


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नागवंश से ताल्लुक रखने पर उसे नागपंचमी कहा जाने लगा होगा। मगध के प्रभुत्व के सुधार करने के लिए अजातशत्रु का उत्तराधिकारी उदय (461-ईपू ) राजधानी को राजगृह से पाटलीपुत्र ले गया, जो प्राचीन भारत प्रमुख बन गया। अवंति शक्ति को बाद में राजा शिशुनाग के राज्यकाल में ध्वस्त किया गया था। एक अन्य राज शिशुनाग वंश का था। शिशु नाग वंश का स्थान नंद वंश (345 ईपू)ने लिया। भाव शतक में इसे धाराधीश बताया गया है अर्थात नागों का वंश राज्य उस समय धरा नगरी (वर्तमान में धार) तक विस्तृत था। धाराधीश मुंज के अनुज और राजा भोज के पिता सिन्धुराज या सिंधुज ने विध्याटवी के नागवंशीय राजा शंखपाल की कन्या शशिप्रभा से विवाह किया था। इस कथानक पर परमारकालीन राज कवि परिमल पदमगुप्त ने नवसाहसांक चरित्र ग्रंथ की रचना की। मुंज का राज्यकाल 10 वीं शती ईपु का है। अतः इस काल तक नागों का विंध्य क्षेत्र में अस्तित्व था। नागवंश के अंतिम राजा गणपतिनाग थे। इसके बाद नाग वंश की जानकारी का उल्लेख कहीं नहीं मिलता है। नाग जनजाति का नर्मदा घाटी में निवास स्थान होना बताया गया है। लगभग 1200  ईपु हैहय ने नागों को वहां से उखाड़ फेंका था। कुषान साम्राज्य के पतन के बाद नागों का पुनरोदय हुआ और यह नव नाग कहलाए। इनका राज्य मथुरा, विदिशा, कांतिपुरी, (कुतवार ) व् पदमावती (पवैया ) तक विस्तृत था। नागों ने अपने शासन काल के दौरान जो सिक्के चलाए थे उसमे सर्प के चित्र अंकित थे। इससे भी यह तथ्य प्रमाणित होता है कि नागवंशीय राजा सर्प पूजक थे। शायद इसी पूजा की प्रथा को निरंतर रखने हेतु श्रावण शुक्ल की पंचमी को नागपंचमी का चलन रखा गया होगा। कुछ लोग नागदा नामक ग्रामों को नागदा से भी जोड़ते है। यहां नाग-नागिन की प्रतिमाएं और चबूतरे बने हुए हैं  इन्हे भिलट बाबा के नाम से भी पुकारा है। भारत में नागों को खेत की रक्षा करने वाला बताया गया है। यहां नागों को क्षेत्रपाल भी कहा जाता है। जीव जंतु जो फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं, सांप उन्हें खाकर खेतों को हरा-भरा रखने में मदद करते हैं। नागपंचमी के दिन लोग नाग देवता का सत्कार करते हैं और इनकी पूजा करते हैं।

पूजन की विधि 
इस दिन लोगों को नित्य कर्म से निवृत्त होकर साफ वस्त्र धारण करना चाहिए। पूजन के लिए सेंवईं-चावल का ताजा भोज बनाना चाहिए। इसके बाद घर में दीवाल पर गेरू पोतकर पूजन के लिए स्थान बनाना चाहिए। कच्चे दूध में कोयला घिसकर उससे गेरू पुती दीवाल पर घर जैसी आकृति बनानी चाहिए और इस आकृति के भीतर कई नागों की आकृतियां बनानी चाहिए। अब सबसे पहले निकटतम नाग की बांबी में एक कटोरा दूध चढ़ाना चाहिए। इसके बाद दीवाल पर बनाए गए नाग देवता की कच्चा दूध, दही, दूर्वा, कुशा, गंध, अक्षत, पुष्प, जल, रोली और चावल से पूजा करनी चाहिए। इसके बाद आरती करके नागपंचमी की कथा सुनने से भक्तों को नागपंचमी की पूजा का लाभ मिलता है। नागपंचमी की सुबह श्रद्धालु स्नान के बाद भगवान शिव व नामदेव की पूजा-अर्चना करेंगे। इसके लिए घर के भीतर और दरवाजे पर नागदेव का चित्र बनाएंगे, नए कपड़े की कतरन को चिपकाकर यानी नया वस्त्र अर्पित कर हल्दी-चंदन से उनका साज-श्रृंगार किया जाएगा। फिर पूजा कर उन्हें सिंदूर, हल्दी, चावल, गुलाल से उनका अभिषेक करेंगे और दूध, लाई व खीर का भोग लगाया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों में भी किसान खेत-खलिहानों में नाग देवता के भोग के लिए कटोरे में दूध रखेंगे और लाई का भोग लगाएंगे। साथ ही लोग अपने कष्टों को दूर करने की कामना करेंगे। भगवान विष्णु शेषनाग की शैया पर शयन करते हैं इसलिए सनातन धर्म में सर्पों की पूजा का विधान है। इसी दिन कालसर्प दोष की मुक्ति के लिए मंदिरों में अनुष्ठान किया जाएगा। मेष, वृष, मिथुन, कर्क, कन्या, वृश्चिक और मीन राशि वाले इस दिन कालसर्प दोष की शांति कराते हैं, तो उन्हें इस पूजा का विशेष फल प्राप्त होगा। ‘जिनके परिवार में कलह हो, पति-पद्यी में नहीं बनती हो या जिस लड़की का विवाह होता हो वे नागपंचमी के दिन नागदेवता की पूजा करें। इसके साथ ही उनके पसंद का प्रसाद अर्पित करें। ‘सभीराशि वालों को नागपंचमी पर होने वाले कालसर्प दोष की शांति और पूजा का पूरा फल मिलेगा। इस विशेष संयोग पर होने वाली पूजा का विशेष प्रभाव कुछ राशि वालों को मिलेगा। 

हस्त नक्षत्र में 7 को मनेगी नागपंचमी 
इस बार नागपंचमी पर्व तीन योग को लेकर आई है। इस योग में पूजा-अर्चना करने से घर-घर में सुख, समृद्धि का वास होगा। साथ ही हर कार्य में सफलता के योग भी बनेंगे। इस बार नागपंचमी पर्व रविवार 7 अगस्त को मनाई जाएगी। ज्योतिषाचार्य पंडित रामदुलार उपाध्याय ने बताया कि इस बार नागपंचमी पर तीन योग एक साथ बन रहे हैं। सिद्ध योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत योग। सर्वार्थ सिद्धि और अमृत योग के आने से इस दिन नागदेवता की पूजा करने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होगी। साथ ही कोर्ट कचहरी के कार्य में भी सफलता मिलेगी। इसके अलावा पानी का नक्षत्र होने से अच्छी वर्षा के संकेत भी नजर आएंगे। मान्यता के अनुसार घर-घर में महिलाएं नागदेवता का पूजन करती हैं लेकिन इस बार तीन योग बनने से यह पंचमी काफी विशेष फलदायी रहेगी। इस बार यह पर्व हस्त नक्षत्र योग में पड़ रहा है। इस दौरान की गई पूजा-अर्चना कई गुना फलदाई होगी। मान्यतानुसार नागपंचमी भगवान शिव व नागदेव के साथ चंद्र देव को भी समर्पित है। जिन जातकों की राशि में राहु-केतु का दुष्प्रभाव हो, उन्हें नागपंचमी पर भगवान शिव व नागदेव की पूजा करनी चाहिए। 

नागपंचमी पर घरों में नहीं चढ़ाया जाता तवा 
परंपरा के अनुसार नागपंचमी के दिन घर-घर में नागदेवता का पूजन किया जाता है। महिलाएं नागदेवता की पूजा करने के साथ ही वर्षों पुरानी परंपरा को आज भी बरकरार है जिसके चलते घर में तवा भी नहीं चढ़ाया जाता न ही चावल बनाए जाते हैं। केवल दाल-बाटी जैसे व्यंजन का उपयोग ही होता है। इसलिए घर-घर में दाल.बाटी ही बनाई जाती है। साथ ही चाकू या कैंची का उपयोग भी नहीं किया जाता। इस दिन केवल गुड़ की मिठाई का भोग लगाने का विशेष महत्व है।

पंचमी के दिन क्या करें, क्या न करें  
इस दिन पृथ्वी की खुदाई करना वर्जित है। भोले भंडारी नागपंचमी के दिन अपनी झोली से विषैले जीव को भूमि पर विचरण के लिए छोड़ देते हैं और जन्माष्टमी के दिन पुनः अपनी झोली में समेट लेते हैं। इस मास में भूमि पर हल नहीं चलाना चाहिए। मकान बनाने के लिए नींव भी नहीं खोदनी चाहिए। इस दिन दूध, गंध, फल प्रसाद नागदेवता को अर्पित करें। आटा का प्रतीक स्वरूप नाग बनाकर उसकी पूजा करें। इस दिन किसी सपेरे से नाग खरीदकर उसे खुले जंगल में छोड़ने से शांति मिलती है। पूजा में चंदन की लकड़ी का प्रयोग अवश्य करें। 

अब नहीं होती कुश्ती-कबड्डी 
सिर्फ नाग देवता का पूजन व जलाभिषेक तक सीमित हो गया है। अब सपेरे भी बीन बजाते कम ही दिखते है। जबकि एक वक्त वह भी था, जब नागपंचमी से सप्ताहभर पहले से गली-मुहल्लों से लेकर गांव की मैदानों में कुश्ती-कबड्डी सहित अन्य खेल शुरु होकर नागपंचमी के दिन उर्ज पर पहुंच जाते थे। जगह-जगह नागपंचमी मेले का आयोजन होता रहा। लेकिन अब इक्का-दुक्का जगहों पर ही यह सब दीखता है। अब सिर्फ नाग-नागिन के चित्र की पूजा तो कहीं-कहीं भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग पर जलाभिषेक या दूध-लावा चढ़ाने के सिवाय कुछ भी नहीं दिखता। बात एक एक दशक पीछे की करें तो नागपंचमी के आगमन को लेकर बच्चों में खासा उत्साह रहता था। क्षेत्र के अखाड़े और स्कूलों में दंगल और प्रदर्शन की तैयारियां काफी पहले से आरंभ हो जाती थीं। लेकिन आधुनिकता आज सभी जगह हावी हो चुकी है। इसका असर सर्वत्र दिखाई पड़ रहा है। शहरों तथा गांवों में आज भी कुश्ती और अन्य विधाओं के उस्ताद खलीफा हैं जो लोगों को दांव-पेंच की कला सिखाने आतुर रहते हैं लेकिन आज का युवा इस ओर से पूरी तरह विमुख हो चुका है। ये हालात ताजा नहीं बल्कि वर्षों में निर्मित हुए हैं। एक दौर था जब घर के बुजुर्ग बच्चों को डटकर खाने और खूब मेहनत करने के लिए प्रेरित करते थे। इसके बाद दौर आया तो फण्डा ही बदल गया। कहा जाने लगा कि ‘खेलोगे, कूदोगे तो होगे खराब, पढ़ोगे लिखोगे तो बनोगे नबाब।‘ यह स्लोगन लोगों के दिलो-दिमाग पर इस कदर घर कर गया कि बुजुर्गों ने बच्चों को सिर्फ पढ़ाई तक ही सीमित करके रख दिया। वर्तमान दौर में बच्चों का ध्यान टीवी सीरियल तक सिमटकर रह गया है और इसके भयावह नतीजे देखकर लोगों ने बच्चों को स्वस्थ रखने दौड़ने खेलने के लिए प्रेरित किया। फर्क इतना है कि अब लोगों का ध्यान पारंपरिक खेलों की बजाए आधुनिक खेलों की तरफ हो गया है। यही वजह है कि आज कुश्ती, दंगल और व्यायाम न केवल स्कूल-कॉलेजों से नदारद हो चुके हैं बल्कि विभिन्न सामाजिक संस्थाओं द्वारा किये जाने वाले आयोजन भी बंद हो गए हैं। नागपंचमी, जन्माष्टमी और दशहरा आदि कोई भी त्योहार हो तो अखाड़ों में दंगल के प्रदर्शन होते थे। अखाड़ों में सिखाएं जाने वाले मुगदर घुमाने की प्रक्रिया भी एक महायोग है। इसके नियमित अभ्यास से ब्लड प्रेशर, हृदय रोग, श्वास उखड़ना, शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक होना जैसे रोग नहीं होते। इससे शरीर के प्रत्येक अंग का व्यायाम होता है। आज के युवा आधुनिक जिमनेजियम में अधिक पैसा खर्च कर शरीर को स्वस्थ रखने व्यायाम करते हैं। शरीर सौष्ठव के पहलवान मसल्स बनाने टॉनिक लेते हैं। इसके विपरीत मिट्टी वाले अखाड़ों में वर्जिश करना अधिक फायदेमंद होता है। 

जिया की रेड एंड ब्लैक बर्थडे पार्टी

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माॅडल व अभिनेत्री जिया खान इन दिनों कल्चर एक्टिविटज में काफी बिजी रहती हैं। पिछलें दिनों दिल्ली में थी और उनका जन्मदिन भी।  द्वारका स्थित होटल रेडिसन ब्लू में अपना बर्थडे कुछ खास दोस्तों और परिवार के साथ मनाया ! समरोह में पेज थ्री की ढेरों हस्तियां ने उनकी बधाई देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।  जिया की पार्टी की थीम थी रेड और ब्लैक ड्रैस....लड़कियों ने रेड ड्रेस में गजब ढाया तो वही लड़के ब्लैक सूट में काफी हैंडसम लग रहे थे...जिया को सीरियल और फिल्मों के कई ऑफर्स मिल रहे है...लेकिन जिया अभी अपने आपको थोड़ा वक्त और देना चाहती है......जिया फिल्हाल अच्छी स्किप्त के इंतजार में है...अच्छा रोल ऑफर होते ही जिया एक्टिंग में भी अपना हाथ आजमाएंगी....जिया कई गानों में नजर आ चुकी है और अब अपना खुद का गाना बनाने की सोच रही है....अपने कम उम्र में ही कामयाबी का परचम लहरा चुकी जिया ने जन्मदिन के मौके पर अपनी सफलता और कॅरियर में सहयोग के लिए अपने नियर और डियर वन्स का आभार व्यक्त किया....


हमें हीरो नही बनना, चरित्र ही निभाना है : हर्षित डिमरी

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हमें हीरो नही बनना, चरित्र ही निभाना और निभाते रहगंे यह कहना है, अभिनेता हर्षित डिमरी का यह बात उन्होंने प्रेमबाबू शर्मा से एक मुलाकात में कहीं।उनका कहना था कि टीवी और फिल्मों के जरिये हमने बहुत सी जिंदगी का जिया है जो हमारे लिए यादगार है। हर्षित इन दिनों दूरदर्शन पर प्रसारित शो ‘दिल आशना है‘ गौरव मिश्रा के किरदार का निभा रहे है। जबकि इससे पूर्व में ‘लौट आओ तृषा‘, ‘एक बूंद इश्क‘, ‘साथ निभाना साथिया‘ और ‘इश्क का रंग सफेद‘ जैसे अनेक शो का हिस्सा बन चुके हंै। अपने नये शो पर उनका क्या कहना है,जानते है,उनकी ही जुबानीः

‘दिल आशना है‘ नाम तो काफी रोमांटिक लग रहा है?
हाँ, ‘दिल आशना है‘ की कहानी एकदम मजेदार है। इसके रेगुलर दर्शक एक भी एपीसोड मिस नहीं करते। एक हिन्दू और एक मुस्लिम फैमिली की कहानी है। आप देखते ही होंगे। 


-    आप तो लड़ते-झगड़ते रहते हैं इसमें।
-    दरअसल मेरा जो किरदार है गौरव मिश्रा, वह जरा लालची किस्म का लड़का हेे उसके चाचा-चाची की कोई संतान नहीं है। गौरव को डर है कि उसके चाचा-चाची अपनी जमीन जायजाद किसी और के नाम न कर दें। बस, डर लगा रहता है इसलिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाता हैं। 

-    सेट पर तालमेल बिठाने में दिक्कत होती होगी?
-    ऐसी बात नहीं है। सेट पर माहौल एकदम खुशनुमा बना रहता है। हमारे डाॅयरेक्टर जयदेव-चक्रवर्ती जी अपने आर्टिस्ट के साथ बहुत अच्छा व्यवहार करते हैं। मैं उनके साथ अभिनय की बारीकियां सीख रहा हूँ। वह मुझे समझाते रहते है कि अभी अपना बेस मजबूत बना लो तब जाकर आगे उम्दा अदाकारी कर पाओगे। सीरियल में जाने माने एक्टर पप्पू पाॅलिस्टर जी मेरे चाचा के रोल में हैं ओर सीरियल के राइटर भी वही हेै । मैं खुशनसीब हूँ कि उनके साथ काम करने का चांस मिला।

-    आप तो दूसरे चैनल्स में अच्छा काम कर रहे थे, फिर दूरदर्शन में आ गए?
-    सर, मैं एक एक्टर हूँ। यहां एक्टिंग करने के लिए आया हूँ। मुझे पैसे अच्छे मिलने चाहिए और मेरा रोल जरा ढंग का होना चाहिए। मैं सबके साथ काम करने के लिए तैयार हूँ।

-    एक्टर बनने का ख्याल कैसे आया?
-    मैं शुरू से एक्टिंग ही कर रहा हूँ। बचपन में गल्ली मोहल्ले की रामलीलाओं में बंदर बनता था। स्कूल में होने वाले कल्चरल प्रोग्राम्स में, मैं पार्टिसपेट करता था। काॅलेज में स्टूडेंस और टीचर्स ने मुझे कल्चरल सोसायटी का जनरल सेकेट्री बना दिया। फिर तो पक्का हो गया कि मैं जीवन में, अगर कुछ कर सकता हूँ तो सिर्फ एक्टिंग।   

-    बिना किसी गाॅडफादर के इंडस्ट्री में एंट्री करना मुश्किल रहा होगा?
-    मैं जब दिल्ली से मुम्बई आया तो काफी डरा हुआ था। एक अंजान शहर, जहां कोई भी अपना नहीं। गाॅड फादर तो दूर की बात, शुरूआत में तो रास्ता दिखाने वाला भी नहीं मिला यहां। हाँ, बाद में कुछ अच्छे लोग मिल गए जिन्होंने काम दिलाने में मेरी मदद की। प्राॅडक्शन हाउसों में जा-जाकर आॅडिशन दे रहा था। एक दिन ‘साथ निभाना साथिया‘ से काॅल आ गई। हालांकि इसमें मेरा रोल छोटा ही था मगर टी0वी0 इंडस्ट्री में एंट्री हो गई। अब तो लगभग सभी चैनल्स के साथ काम कर चुका हूँ। 

-    आप तो पत्रकार बनना चाहते थे फिर सोच कैसे बदल गई?
-     मैं नहीं बनना चाहता था, बल्कि मेरे पेरेंटस चाहते थे कि ऐसा हो। बचपन में मुझे सिखाया जाता था कि अखबार पढ़ो और टी0बी0 पर न्यूज देखो। आगे चलकर इन्हीं सब बातों से दो-चार होना पड़ेगा। एक टाइम तो ऐसा था जब मुझे सारे नेता और मंत्रियों के नाम याद हो गए थे। काॅलेज में पढ़ाई के दौरान अहसास हुआ कि मुझे रिपोर्टिंग में नहीं, एक्टिंग में कैरियर बनाना चाहिए। 

अभिताभ रिमेक में काम करेंगे रितिक

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रितिक रोशन फिल्मी परदे पर जल्द ही अमिताभ बच्चन का मशहूर डायलॉग रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप लगते है, नाम है शहंशाह... बोलते नजर आ सकते हैं। खबर है कि अमिताभ बच्चन स्टारर फिल्म शहंशाह का रीमेक जल्द बन सकता है और रितिक रोशन इसमें शहंशाह का रोल निभाएंगे। निर्देशक टीनू आनंद की फिल्म शहंशाह का कॉपीराइट निर्माता नरेश मल्होत्रा के पास है, जिन्होनें फिलहाल न इस खबर का खंडन किया और न यही कहा है कि ये सच है। रितिक रोशन अगर शहंशाह का किरदार निभाएंगे तो यह दिलचस्प भी होगा और चैलेंजिंग भी, क्योंकि अमिताभ के चाहनेवालों को आज भी वह किरदार बेहद पसंद आता है। हालांकि रितिक के लिए अच्छी बात यह है कि वो पहले भी अमिताभ की फिल्म अग्निपथ के रीमेक में काम कर चुके हैं और उनकी अग्निपथ हिट भी थी, जबकि अमिताभ की अग्निपथ बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हो गई थी। हालांकि अमिताभ को बेस्ट एक्टर कैटेगरी में 1990 में नेशनल अवॉर्ड मिला था। अमिताभ की फिल्मों के रीमेक की लिस्ट में रितिक अकेले स्टार नहीं हैं, उनसे पहले शाहरुख खान डॉन के रीमेक में नजर आ चुके हैं। वैसे अमिताभ की फिल्मों के रीमेक में सबसे ज्यादा अभिनय साउथ के सुपर स्टार रजनीकांत ने किया है। डॉन, खुद्दार, नमक हलाल, मर्द, मजबूर, खून पसीना, लावारिस, अमर अकबर एंथोनी और त्रिशूल जैसी फिल्मों से रजनीकांत ने भी साउथ में लोकप्रियता हासिल की। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि चाहे रजनीकांत हों या शाहरुख खान या रितिक रोशन, इन सबकी सफलता में जाने-अनजाने ही सही, बिग-बी का भी योगदान माना जाएगा।

आरक्षण में गड़बड़ी रोकने के लिए माननीयों को मिलेगी पहचान संख्या : प्रभु

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नयी दिल्ली 10 अगस्त, सांसदों के नाम पर होने वाले रेल टिकट आरक्षण में अनियमितताओं एवं दुरुपयोग पर रोक लगाने के लिए पूर्व एवं मौजूदा सांसदों को जल्द ही विशेष पहचान संख्या उपलब्ध करायी जाएगी। रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने लोकसभा में आज प्रश्नकाल के दौरान पूछे गये एक पूरक प्रश्न के उत्तर में बताया कि रेल आरक्षण के लिए पूर्व एवं मौजूदा सांसदों को विशेष पहचान संख्या और पासवर्ड उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं इन माननीयों के मोबाइल नंबर पंजीकृत किये जाएंगे, ताकि इनके नाम पर फर्जी तरीके से आरक्षण की स्थिति में उनके मोबाइल पर संदेश आ जायेगा। मल्टीपल बुकिंग में अनियमितताओं पर रोक के लिए यह फैसला कुछ अन्य फैसलों से इतर है। श्री प्रभु ने कहा कि सांसदों से आरक्षण के लिए अपने अधिकृत व्यक्तियों का ब्योरा भेजने का आग्रह किया गया है।

जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रवाद और अलगाववाद की लड़ाई : मन्हास

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नयी दिल्ली 10 अगस्त, भारतीय जनता पार्टी के सदस्य शमशेर सिंह मन्हास ने जम्मू और लद्दाख क्षेत्र का उल्लेख किये बिना कश्मीर के मसले पर चर्चा को बेमानी बताते हुये आज कहा कि वहां राष्ट्रवाद और अलगाववाद की लड़ाई है। श्री मन्हास ने राज्यसभा में कश्मीर घाटी की वर्तमान स्थिति पर चर्चा में भाग लेते हुये कहा कि जम्मू कश्मीर राज्य में जम्मू, लद्दाख और कश्मीर अलग अलग क्षेत्र है। राज्य की 55 प्रतिशत आबादी जम्मू क्षेत्र में रहती है। पहले हमें जम्मू और लद्दाख के बारे में जानना होगा। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर कभी भी गुलाम नहीं रहा है और महाराजा हरि सिंह ने प्रदेश में छुआछुत को दूर किया और अभी भी उस प्रदेश में छुआछुत नहीं है। सभी लोग मिलजुल कर रहते हैं लेकिन चंद लोग अलगाववाद को बढावा दे रहे हैं। यह राष्ट्रवाद और अलगाववाद की लड़ाई है। जिन बच्चों के हाथ में किताब होनी चाहिए उनके हाथ में पत्थर कौन थमा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि बेरोजगारी के कारण युवा बंदूक उठा रहे हैं तो जम्मू और लद्दाख क्षेत्र में ऐसा क्यों नहीं हुआ। सिर्फ और सिर्फ घाटी में अलगाववाद की वजह से यह समस्या उत्पन्न हुयी है और इसके जड़ में जाने की जरूरत है। पूरा कश्मीर जल नहीं रहा है बल्कि कुछ लोग अलगाववादियों के इसारे पर यह काम कर रहे हैं। उन्होंने वर्ष 1947 में विभाजन के दौरान जम्मू कश्मीर आये लोगों को नागरिकता नहीं दिये जाने का सवाल उठाते हुये कहा कि आतंकवाद के पनपने और अलगाववादी नेता बनने के जड़ को जानना होगा। मोदी सरकार द्वारा पिछले दो वर्षाें में जम्मू कश्मीर के विकास के लिए किये गये उपायों का उल्लेख करते हुये उन्होंने कहा कि वहां आईआईटी, आईआईएम जैसे संस्थानों के साथ दो-दो एम्स बनाये जा रहे हैं।

मोबाइल टावर से विकिरण का स्वास्थ्य पर विपरीत असर नहीं : सिन्हा

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नयी दिल्ली 10 अगस्त, सरकार ने लोकसभा में आज सदस्यों को आश्वस्त किया कि मोबाइल टावरों से होने वाले विकिरणों का स्वास्थ्य का कोई विपरीत असर नहीं पड़ता है, इसके बावजूद लोगों में फैले भ्रम की स्थिति दूर करने के लिए व्यापक जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा ने सदन में भारतीय जनता पार्टी के नित्यानन्द राय द्वारा प्रश्नकाल के दौरान पूछे गये एक पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने पिछले 30 साल में दुनिया भर में प्रकाशित करीब 25000 लेखों तथा वैज्ञानिक साहित्यों की समीक्षा की है, जिसने यह स्पष्ट किया है कि मोबाइल टावरों से होने वाले विकिरण से स्वास्थ्य पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता है। एक अन्य पूरक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि दुनिया के अन्य हिस्सों में विकिरणों को लेकर जैसे कानून हैं, उनसे दस गुना सख्त कानून भारत में रखे गये हैं, लेकिन विकिरण का स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों को लेकर लोगों में अब भी भ्रम की स्थिति है, जिसे दूर किये जाने के प्रयास किये जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार इस दिशा में राष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता फैलाने की दिशा में प्रयासरत है और इसके तहत हाल ही में देहरादून में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था।

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