Quantcast
Channel: Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)
Viewing all 74302 articles
Browse latest View live

बिहार के सभी महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में अब मुफ्त वाईफाई : नीतीश

$
0
0
university-and-college-will-be-free-wifi-nitish
समस्तीपुर 18 नवम्बर, सूचना प्रौद्योगिकी के युग में बिहार के महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में अघ्ययनरत लाखों छात्र-छात्रों को बड़ी सौगात देते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अगले साल फरवरी से मुफ्त वाईफाई सुविधा मुहैय्या कराने की घोषणा की है। श्री कुमार ने निश्चय यात्रा के क्रम में आज समस्तीपुर के पटेल मैदान में आयोजित चेतना सभा को संबोधित करते हुए कहा कि साल 2017 के फरवरी माह से राज्य के सभी कालेज और विश्वविद्यालयों में मुफ्त वाईफाई की सुविधा उपलब्ध होगी। उन्होंने युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि वे इस सुविधा का इस्तेमाल अध्ययन के लिए करें और किसी अन्य कार्य के लिए नहीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार युवाओं के समग्र व्यक्तित्व विकास को शीर्ष प्राथमिकता दे रही है और सात संकल्पों के कई तत्वों के केन्द्र में युवा ही हैं। उन्होंने आकड़ो का हवाला देते हुए कहा कि राज्य के युवा विभिन्न वजहों से 12वीं के आगे नहीं पढ़ पाते हैं। प्रति सौ युवाओं में से मात्र 13 ही कॉलेज में पढ़ते हैं। उनके बेहतरी के लिये यह जरूरी है कि वे उच्च शिक्षा की तरफ जायें। उन्होंने कहा कि युवाओं की बेहतरी के लिए सरकार ने 12वीं के बाद उच्च शिक्षा के लिए छात्रों को ब्याज मुक्त रिण मुहैया कराने के लिए एक योजना शुरु की है। इसके साथ ही नौकरी की तलाश के लिए दो वर्ष के लिए एक हजार रुपये मासिक भत्ता दिया जा रहा है।

श्री कुमार ने नारी सशक्तिकरण की दिशा में सरकार के कदमों की चर्चा करते हुए कहा कि सरकार ने राज्य के पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं को पचास प्रतिशत आरक्षण दिया है। बिहार ऐसा करने वाला पहला राज्य है। उन्होंने कहा कि पहले हमारी लड़कियां कम स्कूल जा पाती थी। लड़कियों में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये मध्य विद्यालयों में पोशाक योजना चलायी गयी। आज लड़कियां गांव-गांव में साइकिल पर स्कूल जाने लगी है। मुख्यमंत्री ने राज्य में शराबबंदी के सकारात्मक परिणामों को गिनाते हुए कहा कि सामाजिक परिवर्तन में शराबबंदी कानून एक मजबूत कदम है। उन्होंने लोगो से शराबबंदी के समर्थन मे जन जागरण अभियान चलाने की अपील करते हुए कहा कि बिहार मे शराबबंदी से लोगों के जीवन स्तर मे काफी सुधार होने के साथ-साथ समाज में भाईचारे और प्रेम का वातावरण कायम हुआ है। उन्होने कहा कि उनकी सरकार का मुख्य उदेश्य बिहार को विकसित प्रदेश बनाना है। श्री कुमार ने केन्द्र की मोदी सरकार के नोटबंदी का समर्थन करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार नोटबंदी से पहले यदि ठोस व्यवस्था कर लेती तो लोगों को दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ता। उन्होंने कहा , “हमने कोई काम किया है तो उसकी हर बारीकियों पर काम करते हैं। किसी को कोई परेशानी नहीं होगी।” सभा को राज्य के नगर विकास एवं आवास मंत्री महेश्वर हजारी, राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री डा0 मदन मोहन झा, सहकारिता मंत्री आलोक कुमार मेहता, समाज कल्याण मंत्री कुमारी मंजू वर्मा, मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, पुलिस महानिदेशक पी0के0 ठाकुर ने भी संबोधित किया। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री कुमार मद्यनिषेध पर लोगों की राय लेने और सात संकल्पों के क्रियान्वयन के लिए आधार तैयार करने के लिए राज्य के विभिन्न हिस्सों में चरणों में निश्चय यात्रा कर रहे हैं। 

नोटबंदी से हुई 50 से अधिक मौत का जिम्मेदार कौन : लालू

$
0
0
who-will-responsible-for-death-lalu-yadav
पटना 18 नवंबर, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने नोटबंदी से देश में मचे हाहाकार के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला बोला और सवाल किया कि नोटबंदी के कारण हुई 50 से अधिक लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन है। श्री यादव ने आज ट्वीट कर कहा, “500 रुपये और 1000 रुपये नोट के चलन से बाहर करने के फैसले के बाद नोट बदलवाने के लिए बैंकों और एटीएम के बाहर लंबी कतारों में खड़े रहने के कारण 50 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। प्रधानमंत्री को इसका जवाब देना होगा कि आखिर इन मौतों का जिम्मेदार सरकार है या अपने सफेद धन बदलवाने या निकालने वाला।” इस बीच श्री यादव के छोटे पुत्र एवं बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी ट्विटर पर नरेन्द्र मोदी पर अपनी पार्टी के नेताओं को बचाने का आरोप लगाते हुये कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता एवं महाराष्ट्र के कॉर्पोरेशन मंत्री सुभाष देशमुख की कार से 92 लाख रुपये जब्त हुये। लेकिन, केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी (भाजपा) का सदस्य होने के कारण यह खबर न तो लोगों तक पहुंच पाई और न ही इस पर बहस हुई।

नोटबंदी इससे बेहतर तरीके से लागू नहीं की जा सकती थी : जेेटली

$
0
0
best-way-to-stop-note-jaitely
नयी दिल्ली 18 नवंबर, एक हजार रुपये और पाँच सौ रुपये के पुराने नोटों को प्रतिबंधित करने के तरीके पर उठाये जा रहे सवालों के जवाब में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि इसे इससे बेहतर तरीके से लागू नहीं किया जा सकता था। श्री जेटली ने आज यहाँ एक निजी टेलीविजन चैनल द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कहा “यह भारतीय अर्थव्यवस्था के नये ‘सामान्य’ को परिभाषित करेगा।” उन्होंने कहा कि अल्प तथा मध्यम अवधि में इससे बैंकों के पास पूँजी बढ़ी है तथा कम ब्याज दर पर ऋण देने की उनकी क्षमता रातों-रात सुधर गयी है। इससे सस्ती पूँजी के अभाव में जूझ रहे इंफ्रास्ट्रक्चर तथा विनिर्माण क्षेत्र को गति मिलेगी और अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर में सुधार होगा। नोटबंदी को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से भी बड़ा आर्थिक सुधार बताते हुये उन्होंने कहा कि पूरी भारतीय अर्थव्यवस्था की 86 प्रतिशत नकदी (मूल्य के आधार पर) को बदलना एक बड़ा काम है। नोटों की पहले से छपाई कर पर्याप्त स्टॉक तैयार करना, रिजर्व बैंक के चार हजार मुद्रा चेस्टों तथा एक लाख 25 हजार से ज्यादा बैंकों समेत कुल पाँच से छह लाख वितरण स्थलों तक उन्हें पहुँचाना तथा सभी लोगों तक नकदी की पहुँच सुनिश्चित करना; वह भी कुछ सप्ताह के भीतर। इसमें कुछ असुविधा होनी तय है। श्री अरुण जेटली ने कहा कि आज उन्होंने स्वयं कुछ बैंकों में जाकर स्थिति देखी। अब भीड़ कम हो रही है। उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य अगले एक-दो सप्ताह में गाँवों तक पर्याप्त नकदी पहुँचाना है। केंद्रीय मंत्री ने कहा “हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि अगले एक-दो सप्ताह में ग्रामीण इलाकों में पर्याप्त नकदी पहुँच जाये क्योंकि वहाँ इसकी काफी जरूरत है।” 

उन्होंने कहा कि दीर्घावधि में इस कदम का लाभ यह होगा कि लोगों के खर्च करने तथा भुगतान करने का तरीका पूरी तरह बदल जायेगा। अगले पाँच से दस साल में चाहे किसान हो या व्यापारी सभी नकदी की बजाय नकद रहित भुगतान को अपना लेंगे। उन्होंने कहा कि इस अर्थव्यवस्था बड़ी तथा बेहतर बनेगी जाे अच्छा होगा। उन्होंने इस बात पर खुशी जतायी कि नोटबंदी की इतनी बड़ी प्रक्रिया में अब तक कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ है। वित्त मंत्री ने कहा कि अब उस युग का अवसान हो गया है जब व्यापारी नकद लेनदेन के माध्यम से कर चोरी कर समानांतर छद्म अर्थव्यवस्था चला रहे थे। उन्होंने कहा कि अभी भी आम लोग इसकी प्रशंसा कर रहे हैं तथा आने वाले समय में सभी इसके पक्ष में बालेंगे। विनिर्माण को गति देने की जरूरत के बारे में उन्होंने कहा कि एशिया में जिस देश ने भी पिछले दिनों तेज तरक्की की है उन्होंने प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया है तथा अपने उद्योगों को वैश्विक बाजार से जोड़ा है। हमारे में पर विनिर्माण का विस्तार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने बढ़ती युवा आबादी को रोजगार मुहैया कराने के बारे में कहा कि इसके लिए अर्थव्यवस्था का तेज विकास जरूरी है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि भविष्य में संभवत: बैंकों के ऋण और सस्ते होंगे जिससे उद्योगों की पूँजी लागत कम होगी तथा उनके विस्तार के साथ आबादी को रोजगार भी मिलेगा। 

आलेख : आई.ए.एस. व आई.पी.एस. अधिकारी अपनी सोच बदलें

$
0
0
देश की प्रशासनिक आधार-शिला के स्तम्भ आई.ए.एस. और आई.पी.एस. अधिकारियों की कार्यशैली पर उन्हें स्वयं, राज्यों की सरकारों को और आम जनता को गम्भीरता पूर्वक बिचार करने का समय अब आ चुका है। गत माह सितम्बर 2016 मे भारतीय जनता पार्टी की भोपाल मे सम्पन्न हुई समन्वय बैठक मे राष्ट्रीय महासचिव एवं म.प्र. शासन के पूर्व केबिनेट मन्त्री कैलाश विजयवर्गीय ने यह आरोप लगाया था कि मध्य-प्रदेश मे राजतन्त्र पर ब्यूरोक्रेसी भारी है और सत्ताधारी पार्टी भाजपा के कार्य-कर्ता अपने आप को निरीह स्थिति मे अनुभव कर रहै हैं। दबी-कुची जुवान से अनेकों जन-नेता भी यह मानने लगे हैं कि नोकरशाही द्वारा कार्यकताओं की अवहेलना की जा रही है और प्रदेश मे बाबू-राज्य (आई.ए.एस. आॅफीसर्स को बाबू कहा जाता है) का वर्चस्व है। इसी कारण 25 अक्तूबर को मुख्यमन्त्री शिवराज सिंह चैहान ने गुड गवर्नेन्स के नाम पर आयोजित कलेक्टर व कमिश्नरों की कान्फ्रेन्स मे साफ-साफ कह दिया है कि अधिकारी अब सुधर जायें, नोकरशाही की मनमानी बर्दाश्त नही की जायेगी, अब अधिकारियों के काम का मूल्यांकन उनके कार्य के प्रदर्शन के आधार पर होगा। परन्तु प्रश्न तो यह है कि क्या नोकरशाही की मनमानी अभी तक बर्दाश्त की जाती रही है, और अभी तक उनके मूल्यांकन की कसोटी क्या थी ? 

हम कल्पना कर सकते हैं कि आई.ए.एस. या आई.पी.एस. की परीक्षा में उत्तीर्ण हुये युवक के हृदय में देश के प्रति यह भावना निर्मित होती होगी कि उसने अपनी मेहनत और प्रतिभा के बल पर भारत की सर्वोच्च प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षा उत्तीर्ण की है और उसके मजबूत कंधों पर भारत की भावी योजनायें व जनहित के कार्यों की जिम्मेदारी है, अतः इस देश की सेवा करना है और निष्पक्षता के साथ विवेकपूर्ण निर्णय लेते हुये जन-हित मे प्रशासनिक कार्य करना है। हम यह धारणा तो नहीं बना सकते कि इनके मन में तत्समय ऐसा भी बिचार आता होगा कि ‘अपने पद के माध्यम से हम व्यापार करने आये हैं, हमें कोई नेता या राजनीतिक दल अपना बना ले तो हम उसके ही बने रहने को तैयार हैं।’ 

इन अधिकारियों की कार्य-शैली और स्वभाव को देखते हुए इन्हें दो भागों में विभक्त कर सकते हैंः- एक वे अधिकारी हैं जो अपना ज़मीर एक निश्चित दायरे तक सुरक्षित रखना चाहते हैं, उनके खानदानी पारिवारिक संस्कार उन्हें किसी हद् तक निष्पक्ष कार्य करने की और गलत कार्य नहीं करने की प्रेरणा देते हैं। इन्हें एक सीमा तक कर्तव्यनिष्ठ, ईमानदार व राष्ट्रवादी-सोच के अधिकारी कहा जा सकता है और इनमें जनता व देश की सेवा करने की भावना के बीज अंकुरित होकर जीवित बना रहता है। कम से कम प्रधानमन्त्री मोदी को ऐसे ही प्रशासनिक अधिकारियों की आवश्यकता है और हम-जनता की भी यह जिम्मेदारी है कि ऐसे प्रशासनिक अधिकारियों के नाम मोदी जी तक भेजें। परन्तु इन अधिकारियों भी यह भय रहता है कि महात्वपूर्ण पद या जिला के कलैक्टर, पुलिस आधीक्षक के पद से कहीं हटा न दिया जाये ? यहां मेरा कहना यह है कि यदि आप निष्पक्ष, ईमानदार व कर्तव्यनिष्ठ हैं तो हटाये जाने का यह डर क्यों ? कार्य के प्रति संवेदनशीलता, ईमानदारी और कर्तव्यपरायणता यदि आपका गुंण है और आप युवा भी हैं, आपमें यदि अपनी प्रतिभा और योग्यता के बल पर समय के जीवित हस्ताक्षर बने रहने की चाह है, तो आपके अन्दर असुरक्षा की भावना क्यों पनपती है ? जहां जिस पद पर पदस्थ हैं, वही पद महात्वपूर्ण है। देश के एक प्रतिष्ठित नागरिक के रूप में अपने सिद्धान्तों के साथ समझौता नहीं करने का सोच बनाना चाहिये। जरूरत तो इस स्वभाव के अधिकारियों को संगठित होने की है। यद्यपि देश की नौकरशाही का इतना अधिक राजनीतिकरण हो चुका है कि राष्ट्रवादी-सोच के प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी अब अत्यन्त अल्पसंख्यक हैं।

दूसरे प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी ऐसे होते हैं जो उक्त से भिन्न सोच के होते हैं, इनका देश मे बाहुल्य है। ये अपनी पदस्थापना के माध्यम से धनार्जन का ध्येय मान बैठे हंै। इनका उद्देश्य प्राथमिकता के आधार पर नेताओं को खुश करना होता है, जिससे कि इनके कार्यकाल में बिघ्न-वाधा-कारक तत्व विकसित न हो पायें और ऐसे अधिकारी अपनी पदोन्नति की तरफ दूर-दृष्टि रखते हुए अपने पद को विलासिता व ‘एन्जाॅयमेन्ट’ का साधन भी मानते हैं, इस स्वभाव के अधिकारी अपने बंगले से आॅफिस और आॅफिस से बंगला तक की कार्य सीमा में अपनी नौकरी की पूर्णता मान लेते हैं, इनमे प्रशासनिक संवेदनशीलता का अभाव रहता है। किसी मंत्री के आगमन पर उसकी अगवानी में अपनी पूर्ण प्रशासनिक ताकत झोंक कर ये प्रशासनिक सफलता का प्रमाण-पत्र लेने की परम्परा बनाये हुये हैं। इसके अलावा विभिन्न समारोहों के उद्घाटन, स्वागत भाषण, अध्यक्ष, मुख्य अतिथि जैसे पदो को शोभायमान करते हुए वे स्वमेव गद्-गद् एवं पुलकित बने रहते हैं और आत्म-प्रशंसा के शौकीन होते हैं। ऐसे प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा सिर्फ अपने अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से ही सूचनायें और कागजी जानकारियां हांसिल की जाती हैं और वे कागजी घोड़ों के सहारे ही अपने शासकीय कर्तव्य-पालन की दौड़ पूर्ण कर लेते हैं। ऐसे अधिकारी समस्याओं को अक्सर टालते रहने में विश्वास करते हैं, इनमे रिश्वतखोरी के बिरूद्ध कार्यवाही करने की इच्छा-शक्ति का अभाव रहता है, किसी उलझे विषय पर निर्णय लेने मे ये अक्षम होते हैं और अधीनस्थ अधिकारियों को जनता से सामना करने का दिशा-निर्देश देकर अपने कार्य की इतिश्री मान लेते हैं। ऐसे अधिकारियों को निजी स्वार्थ-वादी सोच के कह सकते हैं। 

समय के बदलते क्रम मे आम जनता और राजनेताओं की नज़र में नौकरशाही की छबि अब धूमिल होती जा रही है। इनका साहबीपन, अंग्रेजियत-शैली, अपने को सर्वोच्च समझने का अहम्, जनता से सीधे रूबरू नहीं होने का दोष और अपने पद का व्यवसायीकरण करने की मानसिकता शनैः शनैः इनमे पनप रही है। इस सन्दर्भ मे चर्चा करेंगे तो ऐसे लोगों की एक लम्बी फेहरिश्त बन जायेगी। देश के बिभिन्न राज्यों मे यह अनुभव किया जाने लगा है कि प्रशानिक एवं पुलिस अधिकारी राजनेताओं की इच्छा-पूर्ति के टूल्स बनते जा रहै हैं और इसीलिये सिफारिश की बैसाखी के सहारे तन्त्र के दरवाजे पर पीड़ित अपनी राहत के लिये पहुंचता है।

हम राजनीतिक व सामाजिक स्तर पर यह अनुभव कर सकते हैं कि प्रशासकीय कार्यों एवं अपराधों के अनुसंधान में अवांछित राजनीतिक हस्तक्षेप एक आम बात हो गई है। परिणामतः वास्तविक अपराधी बच निकलते हैं। हम यह भूल गये हैं कि प्रजातांत्रिक व्यवस्था के मूल स्वरूप में यदि शासकीय स्तर पर कोई अधिकारी गलत कार्य कर रहा हो, तो उसे जननेता उजागर करे, उस पर अंकुश लगावे। लेकिन तंत्र का चक्र उल्टा ही घूमने लगा है। लाभ लेने और देने का क्रम बनने लगा है। प्रश्न तो यह है कि प्रशासन की इस विकृत हो रही तस्वीर के लिये देश का सर्वाधिक बुद्धिमत्तायुक्त विवेकपूर्ण कहा जाने वाला आई.ए.एस./आई.पी.एस. वर्ग पर क्या कोई उत्तरदायित्व नहीं है ? प्रश्न यह भी है कि इस देश के एक कर्तव्यनिष्ठ नागरिक के रूप में ये स्वयं अपने उत्तरदायित्व का कितना निर्वाहन कर रहे हैं। समस्त जिम्मेदारी राजनेताओं और राजनीति पर थोपकर अपना पल्लू नहीं झाड़ा जा सकता।

चूंकि सकारात्मक सोच ही हमारी योजनाओं को फलीभूत करता है, इसी आशा के साथ अब समय आ चुका है कि ऐसे प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारी, जिनमें एक राष्ट्रभक्त, ईमानदार नागरिक होने और अपने पद के प्रति निष्ठा, देश के प्रति कर्तव्यपरायंणता, जन-सेवा की भावना, दुखी और पीड़ित की समस्या को शासकीय-तन्त्र के प्रथम दरवाजा पर ही निदान करने की प्रतिबद्धता के बीज यदि हृदय में जीवित बचे हैं, तो मेरा आव्हान है कि आप एक श्रंखला बनाकर संगठित हो जाईये। हिम्मत जुटाइये कि गलत कार्य को गलत ही कहेंगे और गलत नहीं करेंगे, चाहे सर्वोच्च शिखर पर बैठा राजनीति से प्रेरित अधिकारी ही क्यों न कहे। अपने ही जैसों से आपस में सम्पर्क बनाये रखिये, अपना एक पृथक सुनुयोजित संगठन बनाइये जिसका सदस्य सिर्फ उक्त गुणों, स्वभाव व आचरण का अधिकारी ही बन सकै। बर्तमान मे जो भी आई.ए.एस. आॅफीसर्स एसोसियेशन अस्तित्व मे हैं, वे अपने निजी-हित के सन्दर्भ में ही केन्द्रित हैं। संभवतः इनकी एसोसियेशन मे राष्ट्रभक्ति, जनसेवा, आॅनेस्टी व इन्टीग्रिटी जैसे विषयों पर कोई चर्चा व संवाद नही होते हैं और इसी कारण इनकी कार्य-शैली मे बिगाड़ आ रहा है। वस्तुतः संगठन का उद्देश्य सार्वभौमिक एवं स्वस्थ व्यवस्था हेतु होना चाहिये। देश-हित में समर्पित एक ऐसा संगठन का निर्माण होना चाहिये, जिसका सदस्य मात्र बनने पर आई.ए.एस./आई.पी.एस. अधिकारी स्वयं को गौरान्वित समझे, प्रारम्भ मे भले ही इनकी संख्या अत्यन्त अल्प होगी लेकिन बिचारों का प्रचार-प्रसार होने पर नव-चयनित युवा अधिकारियों को प्रोत्साहन तो मिलेगा, उन्हें एक प्लेटफाॅर्म तो मिलेगा, उनका नैतिक बल तो बड़ेगा। आम जनता का भी यह कर्तव्य है कि निष्ठावान और सक्रिय प्रशासनिक अधिकारियों को समाज का एक महात्वपूर्ण अंग समझते हुए उन्हें समय-समय पर उनके मनोबल को ऊंचा उठाने मे सहयोग करें, क्योंकि ऐसे अधिकारियों को आम जनता द्वारा ही जो इनाम दिया जाता है वह उनके जीवन की धरोहर होती है। 

एक जन-सामान्य की मानसिकता यह होती है कि वह चुस्त-दुरूस्त प्रशासनिक व्यवस्थायें देखना पसन्द करता है, भले ही उसमें थोड़ी बहुत कठोरता ही क्यों न हो। व्यववहारिक रूप में प्रशासनिक कार्यशैली यदि व्यक्तिवादी नहीं हैं तथा प्रशासनिक व्यवस्था में भेद-भाव नहीं है और सबके साथ एक समान व्यवहार है तो ऐसी व्यवस्थायें प्रशंसनीय एवं सफल होती हैं जिन्हें जनता भी पसन्द करती है। प्रत्येक विभाग मे प्रत्येक स्तर पर प्रशासनिक व्यवस्थायें चुस्त-दुरूस्त एवं त्वरित कार्य करने की निर्मित होना चाहिये, भले ही उनमे कठोरता ध्वनित होती हो।

अभी हो यह रहा है कि नोकरशाही के कार्यों का मूल्यांकन व नियंन्त्रण पर कोई भी सुनिश्चित निर्धारित नियमावली व प्रक्रिया नही है। सम्पूर्ण प्रशासन का संचालन और अपनी मर्जी के ये पूरे मालिक हैं। इनके ऊपर भी इन्ही जैसे इनके आका बैठे हुये हैं तथा इसी कारण एक-दूसरे के मौसेरे भाई हैं। जहां तक सत्ताधारी राजनीतिक-दल का कार्य है, तो वह ब्यूरोक्रेट्स का राजनीतिकरण करने मे लग जाता है। समय के बदलते क्रम में आई.ए.एस. एवं आई.पी.एस. आॅफीसर्स की पदोन्नति, स्थानान्तरण, उनके कार्यों की गोपनीय रिपोर्ट, उनके आचरण, उनकी पदस्थापनायें हेतु न्यायपालिका अथवा चुनाव आयोग जैसा एक पृथक एवं स्वतंत्र सेल बनना चाहिये और इस सेल के अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एवं साफ-सुथरी छबि के अनुभवी सेवा-निवृत आई.ए.एस./आई.पी.एस. अधिकारियों की होना चाहिये। इस सेल के कार्यक्षेत्र में अधिकारियों की गतिविधियां और शिकायतें व उनके आचरण वगैरह के सन्दर्भ में समय-समय पर टिप्पणियां दर्ज होती रहना चाहिये एवं गम्भीर शिकायतों की जांच व निलम्बन करने का अधिकार-क्षेत्र भी, इस सेल के अधिकार-क्षेत्र में होना चाहिये। सेल की सिफारिश पर राज्य सरकार इनका स्थानान्तरण करै। सेल की कार्यशैली में पारदर्शिता बनी रहै इस हेतु इसकी टिप्पणियां व आदेश सार्वजनिक जानकारी के लिए उपलब्ध होना चाहिये। सेल के किसी आदेश को सिर्फ उच्च न्यायालय में ही चुनौती दिये जाने का प्रावधान निहित होना चाहिये। इसकी व्यवस्था व प्रक्रिया के प्रारूप पर विस्तृत बिचार करके कानून का निर्माण होना चाहये । इससे अधिकारियों को यह  आभास रहेगा कि एक पृथक एवं न्याय-विभाग अथवा भारत के निर्वाचन-विभाग जैसा एक स्वतंत्र विभाग की गिद्ध-दृष्टि उनके आचरण व उनकी कार्यशैली पर निरन्तर बनी हुई है।

तहसील स्तर के रेवेन्यू विभाग से जुड़ी आम-जनता की परेशानियों पर यदि चर्चा नही की जाये तो बात अधूरी ही रहेगी। कृषि भूमि के नामांतरण, बटवारा एवं सीमांकन के प्रकरण लम्बित बने रहना, एक आम समस्या है। सामान्यतया कानूनी प्रक्रिया यह है कि जैसे ही तहसील न्यायालय मे कोई नामांतरण, बटवारा एवं सीमांकन का आवेदन प्रस्तुत होता है तो उस प्रकरण को दायरा रजिस्टर मे दर्ज होना चाहिये और उस पर प्रकरण का क्रमांक अंकित होना चाहिये। इस प्रक्रिया की सुसंगतता इस कारण से भी है कि लंबित प्रकरणों की संख्या की जानकारी तत्काल कभी-भी किसी भी समय मिलती रहे। परन्तु इस प्रक्रिया का पालन होता नहीं दिख रहा है। इसके बिपरीत म.प्र. के कम से कम दतिया जिला मे, संभवतः सभी जिलों मे भी यह हो रहा है कि जब प्रकरण का निराकरण अंतिम रूप से हो जाता है तब उसके बाद वह दर्ज होकर उस पर प्रकरण का क्रमांक अंकित होता है। ऐसा होना पूर्णतः विधि बिरूद्ध और नियमों के बिपरीत हैं। इस प्रकार की चल रही प्रक्रिया मे ’आॅन दि रिकाॅर्ड’ लम्बित प्रकरणों की संख्या का भी पता नही लग सकता हैं अथवा लम्बित प्रकरण की पत्रावली यदि खो भी जाये तो उस पर कोई शिकायत अथवा जांच नही हो सकती, क्यों कि वह दायरा रजिस्टर मे दर्ज ही नहीं है। 

राज्य-सरकार को मेरा सुझाव है कि रेवेन्यू न्यायालयों मे लंबित प्रकरणों की जानकारी इन्टरनेट पर आॅन-लाईन अपलोड होना चाहिये, जैसा कि हाई-कोर्ट एवं जिला स्तर पर जुडीसियल कोर्ट मे है। प्रकरण कब दायर हुआ, प्रकरण के पक्षकारों के नाम, प्रकरण क्रमांक, कौन से विषय/कानून पर प्रकरण है, प्रकरण की प्रत्येक तारीख पेशी व उसकी कार्यवाही की दिनांक भी इन्टरनेट पर अपलोड होना चाहिये। इससे घर बैठे कृषक जानकारी प्राप्त कर सकेगा। इसकी माॅनिटरिंग रेवेन्यू विभाग के कलेक्टर, कमिश्नर एवं राज्य स्तर पर सचिवालय के द्वारा होती रहना चाहिये और समय-सीमा मे निराकरण नहीं होने की दशा मे अथवा अनावश्यक रूप मे तारीख पेशी बढ़ने पर संबंधित अधिकारी के बिरूद्ध ‘‘कारण बताओ नोटिस’’ जारी होना चाहिये। इससे यह लाभ होगा कि संबंधित अधिकारी को निरंतर यह आभास होता रहेगा कि उसके कार्य पद्धति पर राज्य मुख्यालय की सीधी दृष्टि है एवं कार्य मे पारदर्शिता भी रहेगी। इसी सन्दर्भ मे मैने मुख्यमन्त्री शिवराज सिंह चैहान को एक पत्र भी भेजा था परन्तु लगता है कि ब्यूरोक्रेसी के स्पीड-ब्रेकर के चलते ऐसी सलाह कहीं अटकी पड़ी होगी।
    
 

liveaaryaavart dot com

राजेन्द्र तिवारी, अभिभाषक, छोटा बाजार दतिया
फोन- 07522-238333, 9425116738
नोट:- लेखक एक पूर्व शासकीय एवं वरिष्ठ अभिभाषक व राजनीतिक, सामाजिक, प्रशासनिक आध्यात्मिक विषयों के समालोचक हैं। 



विशेष : कहीं पर निगाहें कही पर निशाना

$
0
0
black-mony-and-note-close
देश भर में नोटबंदी का प्रभाव साफ देखा जा रहा है। देश के तमाम कोने से नोटबंदी पर तमाम तरह की बाते सुनने को मिल रही है। लेकिन जो एक बात समान्य है कि लोग यह जरुर कह रहें है कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कालेधन के खिलाफ उठाया गया कदम तारीफ के लायक है लेकिन, उन्हें नोट बदलने की व्यवस्था को जमीनी स्तर पर कारगर कर अभियान को अंजाम देना चाहिए। जबकि देश में सियासत करने वाले व पीएम मोदी के घोर विरोधी पीएम के इस नीति को जन विरोधी करार दें रहें हैं। जाहिर है कि विरोधी हैं तो विरोध तो करेगें ही। जहां देश की आम जनता आर्थिक समस्या से दो-चार होते हुए देश के हीत के लिये तमाम तकलीफें सहकर एक सकरात्मक उम्मीद पाले हुए है कि कल  उनका और देश का भविष्य बेहतर होगा। वहीं इस दौर में भी देश के तमाम नेता अपने आपको चमकाने की जीतोड़ कोशिश में लगें हुए हैं। देश में ऐसे कई नेता हैं जो नोटबंदी के बहाने खुद को प्रधानमंत्री के पद का आघोषित चेहरा बनाने के लिये हर वह तमाम कोशिश कर रहें हैं जो वह कर सकतें हैं। 

शायद यही कारण है कि भाजपा सरकार के विऱोध में तमाम विरोधी दलों के  मैदान में आने के बाद भी भाजपा विरोधी खेमें में ही अदृश्य दरार के काऱण विरोधियों की दाल केन्द्र  सरकार के खिलाफ ठीक से गल नहीं रही है। राजनीति के जानकार कहतें हैं कि इसका सबसे बड़ा कारण  मोदी के विऱोधी खेमें में एकता का अभाव होने के साथ अति महात्वाकांक्षा से मोदी सरकार के खिलाफ कोई खास प्रभाव जनमानस में नहीं पड़ रहा है। कारण कोई किसी से कम अपने को दिखाना ही नहीं चाह रहें है। ममता बनर्जी, अरबिन्द केजरीवाल, उमर अब्दुल्लाह, उद्धव ठाकरें ,अखिलेश यादव, मायावती, सीताराम येचूरी हों या फिर कोई और हस्ती हर कोई अपने आप को चमकाने व राजनीतिक तौर पर सुरक्षित रखने की कवायद में हैं। कथित भाजपा विरोधी खेमें में कोई भी चेहरा ऐसा नहीं है जो है जिसे इन नोताओं में से कोई अपना नेता चुन कर एक स्वर में उक्त नेता के स्वर से स्वर बुलंदकर नोदबंंदी पर ही मोदी सरकार को इस कदर घेर सके कि सरकार की सांस फूल जाए। वैसे आज के इस दौर में पीएम बनने का ख्वाब तो तमाम नेता देखने लगें हैं लेकिन अपने राज्यों में बातौर सीएम के रुप में खरे नहीं उतर सकें हैं। राज्य और देश चलाने में उतना ही फर्क होता जितना आकाश और जमीन के फासले में।

वैसे उक्त नेताओं के कतार में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और मुलायम सिंह यादव अगर होंते तो केन्द्र सरकार के खिलाफ उन्हें आगे रखकर मुहिम को कुछ समय तक अंजाम दिया जा सकता था। लेकिन आज भाजपा सरकार के खिलाफ जो चेहरें लामबद्ध हैं उनके केन्द्रीय नेतृत्व और क्षमता पर ही सवाल उठाया जा सकता है। अब रही बात कांग्रेस की तो देश की राजनीति में सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस इस कदर से उखड़ गई है कि उक्त पार्टी को अब देश के लोगों का विश्वास हासिल करने में लोहे के चने चबाने पड़ेगें। कांग्रेस के पास आज राहुल गांधी के अलावा कोई और चेहरा ही नहीं है जो आज पीएम मोदी के नेतृत्व को चुनौती दें सकें। लेकिन देश दुनिया को पता है कि अबतक राहुल गांधी भाजपा सरकार के खिलाफ लगभग हर जगह नाकाम ही साबित हुए हैं।  कांग्रेस  के लोकसभा में 45 और राज्यसभा में 60 सदस्य है।  

कांग्रेस को 2014 के आम चुनाव में भाजपा के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा था। नोटबंदी के खिलाफ मोदी सरकार के विरोध में तनकर मुहिम छेड़ने वाली ममता बनर्जी के तृणमूल कांग्रेस के लोकसभा में 32 और राज्यसभा में 12 सदस्य हैं।  ममता ने कांग्रेस से अलग होकर तृणमूल का गठन किया था और पश्चिम बंगाल में तीन दशक से अधिक समय तक सत्ता में काबिज़ रहे वामपंथी मोर्चे को करारी शिकस्त दी । ऐसे में अगामी पीएम पद की दौड़ में ममता बनर्जी की टांग खिचने से कभी भी वाममोरचा पीछे नहीं हटेगी। कारण तृणमूल और वाममोरचा सांप व नेवला ही साबित होगें। अखिलेश यादव  व मायावती के साथ भी कुछ उक्त तरह का ही रिश्ता है। उमर अब्दुल्लाह तो फिलहाल इस दौड़ से दूर हैं और वह नोटबंदी के सहारे ही अपनी पहंचान को बनाये रखना चाहते हैं तो अरबिन्द केजरीवाल को शायद देश के लोगों से किसी चमत्कार की उम्मीद है कि वह भी दिल्ली के सीएम के तर्ज पर देश के पीएम हों सकते हैं। लेखक अभय बंग पत्रिका के सम्पादक व भारतीय जनता ओबीसी मोर्चा पं.बंगाल के मीडिया प्रभारी हैं।



liveaaryaavart dot com

(जगदीश यादव)
लेखक अभय बंग पत्रिका के सम्पादक व भारतीय जनता ओबीसी मोर्चा पं.बंगाल के मीडिया प्रभारी हैं।

स्वस्थ भारत नें 9 बालिकाओं को बनाया ‘स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज’ का गुडविल एंबेसडर

$
0
0
  • ·       जम्मू कश्मीर, मध्यप्रदेश, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, असम, मणिपुर एवं अरुणाचल प्रदेश की बालिकाओं को मिला गुडविल एंबेसडर का प्रमाण-पत्र ।
  • ·       पूरे देश में स्वस्थ भारत बनायेगा 300 बालिकाओं को ‘स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज’ का गुडविल एंबेसडर
  • ·       भारत छोड़ो आंदोलन के 75 वर्ष पूर्ण होने के अवसर स्वस्थ भारत ने शुरू किया ‘स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज’ कैंपेन
  • ·       गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति, मेडिकेयर फाउंडेशन, नेस्टिवा अस्पताल, संवाद मीडिया एवं राजकमल प्रकाशन समूह ने दिया समर्थन

swasthy-harat-brand-ambasdor
नई  दिल्ली/  गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति में आयोजित मूल्य निर्माण शिविर में स्वस्थ भारत न्यास ने देश के सात राज्यों की 9 बालिकाओं को ‘स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज’ कैंपेन का गुडविल एंबेसडर मनोनित किया है। ज्ञात हो कि बालिकाओं के स्वास्थ्य को लेकर शुरू किए गए इस कैंपेन को पूरे देश में ले जाने के लिए न्यास की टीम स्वस्थ भारत यात्रा पर निकलने वाली है। गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति (जीएसडीएस), नेस्टिवा अस्पताल एवं मेडिकेयर फाउंडेशन, संवाद मीडिया, राजकमल प्रकाशन, जलधारा सहित देश के तमाम संगठनों के सहयोग से स्वस्थ भारत (न्यास) स्वस्थ भारत अभियान के अंतर्गत ‘स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज’ कैंपेन चला रहा है। 2016-17 में 300 बालिकाओं को ‘स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज’ का गुडविल एंबेसडर बनाने का लक्ष्य रखा गया है।

जीएसडीएस के सत्याग्रह मंडप में आयोजित मूल्य निर्माण शिविर में स्वस्थ भारत (न्यास) ने हैफलांग (असम) की केहुलैमइले निरियम, मणिपुर की म्यूचैमलुइ, कारगिल (जम्मू कश्मीर) की डिसकिट डोलमा एवं फिजा बानो, भोपाल (म.प्र.) की कनुप्रिया गुप्ता एवं फाल्गुनी पुरोहित, चुनार (उ.प्र.) से प्रीति राना, वेस्ट सियांग (अरुणाचल प्रदेश) से लिगमा बागरा एवं दिल्ली से प्रेरणा तिवारी को ‘स्वस्थ बालिका स्वस्थ’ समाज का गुडविल एंबेसडर बनाया गया है। इन 9 बालिकाओं में प्रेरणा तिवारी कथक नृत्य में पारंगत हैं, डिसकिट डोलमा एवं फिजा बानो स्वास्थ्य एवं शिक्षा के प्रति अपने क्षेत्र में आम लोगों को जागरूक कर रही हैं। कनुप्रिया गुप्ता भारत की पहली ब्रेल लिपी में छपने वाले अखबार द पीस गांग की संपादक हैं, फाल्गुनी पुरोहित अपनी आंखों से दुनिया को नहीं देख सकती हैं लेकिन अपने मधुर आवाज से दुनिया में शांति क संदेश फैला रही हैं, केहुलैमइले एवं म्यूचैमलुई नॉर्थ ईस्ट में शांति की दूत बनी हुई हैं। गौरतलब है की स्वस्थ भारत (न्यास) पिछले 4 वर्षों से जन स्वास्थ्य के क्षेत्र में लगातार काम कर रहा है। न्यास द्वारा स्वस्थ भारत अभियान के अंतर्गत ‘नो योर मेडिसिन’, ‘जेनरिक मेडिसिन लाएं पैसा बचाएं’, कंट्रोल मेडिसिन मैक्सिमम रिटेल प्राइस  एवं ‘तुलसी लगाएं रोग भगाएं’ जैसे जनकल्याणकारी कैंपेन चलाए जा रहे हैं।

स्वस्थ भारत पत्रिका का लोकार्पण
नई दिल्ली के जीएसडीएस स्थित सत्याग्रह मंडप में आयोजित कार्यक्रम में स्वस्थ भारत (न्यास) द्वारा प्रकाशित स्वस्थ भारत पत्रिका के प्रवेशांक का लोकार्पण जीएसडीएस के निदेशक श्री दीपंकर श्रीज्ञान, वरिष्ठ गांधीवादी श्री बसंत जी, वेदाभ्यास कुण्डु, स्वस्थ भारत न्यास के धीप्रज्ञ द्विवेदी, ऐश्वर्या सिंह, मणि शंकर एवं पत्रिका की संपादिका शशिप्रभा तिवारी की उपस्थिति में हुआ। इस पत्रिका में ‘स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज’ विषय पर देश के जानी मानी हस्तियों ने अपने लेख लिखे हैं। गोवा की राज्यपाल माननीय मृदुला सिन्हा, लोकगायिका मालिनी अवस्थी, अल्का अग्रवाल, शशिप्रभा तिवारी सहित तमाम लेखकों ने बालिकाओं के स्वास्थ्य पर चिंता जाहिर करते हुए उन्हें जागरूक करने पर बल दिया है। इस पत्रिका के प्रकाशन पर रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, खेल मंत्री विजय गोयल, गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति के निदेशक दीपंकर श्री ज्ञान सहित तमाम हस्तियों ने अपनी शुभकामनाएं दी हैं।

आर्ट काॅलेज के अनुत्तीर्ण छात्रों की परीक्षा का दिलाया भरोसा,

$
0
0
  • रविवार को कुलपति के आने पर होगा निर्णय, ए॰आई॰एस॰एफ॰ प्रतिनिधिमंडल कुलानुशासक से मिला।

aisf logo
पटना, आज दिनांक 19.11.16. पटना आर्ट काॅलेज के प्रथम सेमेस्टर के अनुत्तीर्ण छात्रों की परीक्षा लेने के मसले पर आॅल इण्डिया स्टूडेन्ट्स फेडरेशन ;।प्ैथ्द्ध का प्रतिनिधिमंडल पटना विश्वविद्यालय कुलानुशासक जी॰के॰ पिल्लई से मिला। प्रतिनिधिमंडल ने यथाशीघ्र परीक्षा नहीं लेने पर आन्दोलन तेज करने की चेतावनी दी। कुलानुशासक ने प्रतिनिधिमंडल से कहा कि पटना आर्ट काॅलेज के अनुत्तीर्ण छात्रों के ‘कला का इतिहास’ विषय की परीक्षा दो दिसम्बर को ली जाएगी। कुलानुशासक ने कहा कि इस पर अन्तिम निर्णय पटना विश्वविद्यालय कुलपति के रविवार को लौटने पर लिया जाएगा। इस संबंध में कुलपति से बात हुई है तथा कुलपति ने छात्रों के हित में फैसला लिये जाने की बात भी कही है। कुलानुशासक ने कहा कि प्रथम सेमेस्टर सत्र 2015-16 के 11 अनुत्तीर्ण छात्रों की परीक्षा लेने के दो से तीन दिन में परीक्षाफल प्रकाशित कराया जाएगा। ताकि छात्र अगले सेमेस्टर में दाखिला ले सके।
प्रतिनिधिमंडल में शामिल ए॰आई॰एस॰एफ॰ के राज्य सचिव सुशील कुमार, राजीव कुमार, शुभम आनन्द, अविनाश कुमार, सुभाष पासवान ने तत्काल रास्ता नहीं निकाले जाने पर छात्रों के धैर्य टूटने की बात कही। वहीं कुलानुशासक ने कहा कि पटना आर्ट काॅलेज के सत्र 2016-17 के प्रथम सेमेस्टर के छात्रों की परीक्षा 2 दिसम्बर से 15 दिसम्बर के बीच में होगी। इसकी तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। सत्र 2015-16 के प्रथम सेमेस्टर के छात्रों की परीक्षा 2016-17 के छात्रों के साथ ही 2 दिसम्बर को होगी।

हजारों की संख्या में छात्र-नौजवान 22 नवंबर को दिल्ली में करेंगे संसद मार्च, बिहार का जत्था कल होगा रवाना।

$
0
0
bihar-student-march-in-delhi
आॅल इण्डिया स्टूडेन्ट्स फेडरेशन आॅल इण्डिया यूथ फेडरेशन  के आह्वान पर हजारों की संख्या में छात्र नौजवान दिल्ली में संसद भवन पर प्रदर्शन करेंगे। प्रदर्शन में शिक्षा बजट में कटौती, नई शिक्षा नीति से कारपोरेट एवं संघ के एजेन्डे को बाहर करने, दलित व अल्पसंख्यक सहित छात्रों को निशाना बनाये जाने, भगत सिंह रोजगार गारंटी कानून ;ठछम्ळ।द्ध बना कर सभी युवाओं को रोजगार दिलाने, सभी को मुफ्त, वैज्ञानिक एवं धर्मनिरपेक्ष शिक्षा सुनिश्चित करने, चुनाव सुधार, निजी क्षेत्र में, आरक्षण, एक समान वेतन देने के मसले को उठायेंगे। मोदी सरकार के जनविरोधी, शिक्षा विरोधी एवं छात्र-नौजवान विरोधी एजेण्डे के मुखालफत करने बिहार से भी हजारों की संख्या में छात्र-नौजवान कल विभिन्न टेªनों से दिल्ली कूच करेंगे।

मधुबनी : विधि-व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासनिक बैठक !

$
0
0
madhubai-dm-meeting
मधुबनी, 19 नवम्बर 2016; अगामी 21 नवंबर को चेहल्लुम है। इस अवसर पर जिले में विधि-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिला पदाधिकारी, मधुबनी श्री गिरिवर दयाल सिंह की अध्यक्षता में डी.आर.डी.ए. सभा कक्ष में बैठक आयोजित की गई। जिले के पुलिस अधीक्षक, मधुबनी, श्री दीपक बरनवाल भी उपस्थित थे।

डी.एम. एवं एस.पी. का महत्वपूर्ण निदेशः-
ताजिया का विसर्जन जुलूस बिना लाइसंेस लिए नहीं निकलेगा।
जुलूस पूर्व निर्धारित रूट से ही निकलेगा।
जहाँ पूर्व में कोई घटना हो चुकी हो, उन स्थानों पर विशेष सत्तर्कता रखनी है।
तारसराय इमामबाडा़ परिसर अतिक्रमण लेकर पूर्व में तनाव हुआ था। इसलिए वहाँ विशेष सत्तर्कता रखनी है।
ज्यादा से ज्यादा आसूचना संग्रह करना है।
प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी, पुलिस पदाधिकारी, पुलिस बल ससमय प्रतिनियुक्त स्थल पर योगदान कर लेंगे।

बैठक में एसी, डी.डी.सी.,सभी एस.डी.ओ., एस.डी.पी.ओ., डी.सी.एल.आर., बीडीओ, सीओ, एस.एच.ओ. आदि की उपस्थिति थी !

विधि व्यवस्था की बैठक के बाद जिला पदाधिकारी ने सभी बीडीओं के साथ सात निश्चय की बैठक की। 
उन्होंने कहा कि सात निश्चय से संबंधित तीन योजना  हर घर नल का जल, घर-घर शौचालय तथा गली-नाली पक्कीकरण के कार्यकारी पदाधिकारी बीडीओ ही है। सभी बीडीओ घर-घर शौचालय का एक अलग खाता तथा घर-घर नल का जल तथा गली-नाली पक्कीकरण योजना का एक खाता पंचायत वार खुलवा लेें। वार्ड में योजनाओं का निर्माण तथा तकनीकी स्वीकृति करा ले। प्रशासनिक स्वीकृति पंचायत स्तरीय समिति द्वारा दिया जाएगा। आवंटन दिसम्बर तक आने की संभावना है। हर घर नल का जल में पी.बी.सी. पाईप का इस्तेमाल किया जाएगा। नाली का अंतिम पड़ाव किसी बडे गढे या पुलिया में होगा। शौचालय के मामले में जिले की स्थिति बहुत खराब है। मधुबनी जिले में 8.50 लाख परिवार में मात्र 1.12 लाख परिवार के पास ही शौचालय सुविधा उपलब्ध है। प्रत्येक बीडीओं एक-एक पंचायत को शौचालय निर्माण में गोद ले। अंतराष्ट्रीय सीमा के निकट के अंचल के सी.ओ. तथा डी.सी.एल.आर. को उन्होंने निदेश दिया कि वे जिला जमीन अधिग्रहण पदाधिकारी को मदद करे। उन्होने सभी वरीय उप समाहत्र्ता को निदेश दिया कि वे अपने प्रखंड में जाकर देख लें कि राशन-किराशन कूपन वितरण सही ठंग से हुआ है या नहीं। यदि नहीं हुआ होगा तो जिम्मेवार कर्मियों पर प्राथमिक दर्ज की जाएगी। अपूर्ण इंदिरा आवास के संबंध में जिला पदाधिकारी ने जानकारी दी कि जिन लाभुकों ने एस्वेस्टस का छत मकान पर लगाया है उसे पूर्ण नहीं माना जाएगा। या तो वे सीमेंट की छत बनायें या अन्मुनियियम शीट की छत बनाये। आर.टी.पी.एस. में कोई मामला एक्सपायर नहीं होना चाहिए। इस बैठक में डी.डी.सी., जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, अपर समाहत्र्ता, सभी एस.डी.ओ., बीडीओ, डी.सी.एल.आर., एस.डी.सी. जिला स्तरीय पदाधिकारी उपस्थित थे।

झाबुआ (मध्यप्रदेश) की खबर 19 नवम्बर)

$
0
0
षहीदों का अपमान करने पर फूंका गुलाम नबी आजाद का पुतला

jhabua news
झाबुआ। भारतीय जनता पार्टी जिला झाबुआ द्वारा षनिवार को बस स्टेण्ड फव्वारा चैक पर कांग्रेस नेता गुलाम नवी आजाद के संसद में उरी हमले के वीर षहीदों को लेकर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी के विरोध में आजाद का पुतला फुंका। इस दौरान भाजपा पदाधिकरियों व कार्यकर्ताओं ने आजाद के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस अवसर पर भाजपा जिलाध्यक्ष दौलत भावसार ने कहा कि गुलामनवी आजाद ने कहा था कि जितने लोग उरी के आतंकवादी हमले में नही मारे गये उससे अधिक तो पैसा प्राप्त करने के लिए बैंकों की लाइन में जान दे चुके हैं। उनका यह बयान उनकी संकीर्ण मानसिकता को प्रकट करता है। कांग्रेस नेताओं को सैनिकों की शहादत का अपमान करने में तनिक भी संकोच नहीं होता, भारत के देशभक्त नागरिक इस प्रकार की देश विरोधी बातों को सहन नहीं कर सकते। गुलाम नबी का बयान यह दर्शाता है कि उनकी सहानुभूति कही न कही आतंकवादियों के साथ है और वे अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान की मदद कर रहे हैं। केन्द्र सरकार ने देश से कालेधन, भ्रष्टाचार मिटाने के लिए जो नोट बंदी का जो फैसला लिया है, उससे आतंकवादियों, अलगाववादियों, नक्सलियों, माओवादियों की कमर टूटी है लेकिन आश्चर्य है कि इससे कांग्रेस व उनके नेताओं को कष्ट हो रहा है। आजाद ने यह घटिया बयान देकर भारत की फौज का अपमान किया है। अपने बयान के लिए वे देश की सेना और देशभक्त नागरिकों से माफी मांगे। पुतला दहन में जिला महामंत्री दिलीप कुषवाह, जिला उपाध्यक्ष ओ पी राय, अजय पोरवाल, जिला मंत्री गोपाल पंवार, कार्यालय मंत्री महेन्द्र तिवारी, बबलू सकलेचा, सुरेष चैहान, कीर्ति भावसार, विनोद मेडा, राजा ठाकुर, अंकुर पाठक, मनोहर मोदी, जैना गहरवाल, रमेष जैन, अमित पंवार, चिंटु सिंगार, सतीष कहार, लोकेन्द्र भाई, विषाल षर्मा, खुमसिंह सहित बडी संख्या में कार्यकर्ता उपस्थित थे। उक्त जानकारी भाजपा जिला मीडिया प्रभारी अंबरीश भावसार ने दी।

सहकारिता सप्ताह में आयोजित हुई वाद विवाद  एवं निंबध प्रतियोगिता
  • विजेता छात्रो को किया गया पुरस्कृत

jhabua news
झाबुआ । सहकारिता एक ऐसा पवित्र मंच होता है जिसके माध्यम से सामुदायिक विकास तेजी से किया जासकता है । महाविद्यालय में सहकारिता को लेकर वाद विवाद प्रतियोगिता एवं निबंध प्रतियोगिता का आयोजन एक अनुकरणीय पहल है।सहकारिता के बारे मे चाहे छात्र को पूरी जानकारी नही हो किन्तु गा्रमीण अंचल का हर किसान सहकारिता से जुडा हुआ होता है । खेतीवाडी,डेयरी, गृह उद्योग सभी में सहकारिता का जडाव होने से तेजी से समाज समग्र विकास की ओर अग्रसर होता जारहा है । किसानों को खाद,बीज,कृशियंत्रों आदि की व्यवस्था में भी सहकारिता का बडा रोल रहता है । युवा वर्ग को भी सहकारिता से जुड कर रोजगार के अवसर सृजन करना चाहिये यह सषक्त माध्यम होता है । उक्त विचार 63 वें अखिल भारतीय सहकारी सप्ताह के अंतर्गत स्थानीय चन्द्रषेखर आजाद महाविद्यालय झाबुआ में छात्र-छात्राओं के लिये जिला सहकारी केन्द्रीय बेैंक द्वारेा आयोजित सहकारिता के माध्यम से  सुवाओं, कमजोर वर्गो की महिलाओ ं के सषक्तिकरण विशय पर आयोजित निबंध एवं वाद विवाद प्रतियोगिता में विजेता छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत करने के समारोह में मुख्य अतिथि क्षेत्रीय विधायक षांतिलाल बिलवाल ने व्यक्त किये । महाविद्यालय में आयोजित पुरस्कार वितरण समारोह में मुख्य अतिथि विधायक षांतिलाल बिलवाल, प्रदेष भाजपा कार्य समिति सदस्य षैलेश दुबे, प्राचाय एचएन अनीजवाल, बेंक महाप्रबंधक विजयसिंह कुर्मी, उपायुक्त सहकारिता जीएस बडौले, प्रो. गीता दुबे, मेजिया कटारा, सहित बडी संख्या में महाविद्यालय परिवार के प्राध्यापक एवं छात्र छात्रायें उपस्थित थे । विधायक बिलवाल ने गुजरात एवं महाराश्ट्र मे सहकारिता के माध्यम से विकास की बात कहते हुए कहा कि मयप्रदेष में भी सहकारिता के माध्यम से विकास की और प्रदेष सरकार पूरा ध्यान दे रही है और हम सफल भी हो रहे है । उन्होने गा्रमीण सोसायटियों का महत्व बताते हुए कहा कि जितना लाभ सांसद एव विधायक नही दे पाते उतना ये सहकारी संस्थायें गा्रमीण क्षेत्रों में देती है ।उन्होने छात्रों को रचनात्मक कार्यो के लिये प्रसंषा करते हुए सहकारिता के माध्यम से रोजगरोन्मखी अवसर का लाभ उठाने का आव्हान किया । इस अवसर पर षैलेश दुबे ने अपने उदबोधन में  वाद विवाद एवं निबंध स्पर्धा को सहकारिता समझने का मंच बताते हुए वाद विवाद के माध्यम से पक्ष एवं विपक्ष मे आये विचारो के महत्व को बताते हुए कहा कि सहकारिता के माध्यम से बडे से बडा काम किया जासकता है । उनेन गुजरात की अमूल डेयरी का जिक्र करते हुए कहा कि सहकारिता आन्दोलन की गजरात की यह सबसे बडी उन्नति है जिससे लाखों लोग लाभान्वित हो रहे है । उन्होने कहा कि सहकारिता की पवित्रता को कुछ लोगों ने नश्ट करने का चाहे प्रयास किया हो किन्तु वे लम्बे समय तक सफल नही हो सकते है । कार्यक्रम को जिला केन्द्रीय सहकारी बै ंक के महाप्रबंधक विजयसिंह कुर्मी ने भी सबोधित करते हुए सहकारिता के 7 रंगों की विशद व्याख्या प्रस्तुत की  तथा सहकारिता को समाज के सर्वांिगण उन्नति का माध्यम बताया ।उन्होने सहकारिता पर विस्तार से जानकारी भी दी । इस अवसर पर प्राचार्य एचएन अनीजवाल ने भी जिला सहकारी बैंक द्वारा आयोजित प्रतियोगिता को महाविद्यालय के लिये उपयोगी बताया तथा वास्तविकता उभर कर सामने आने का जिक्र किया ।

छात्र-छात्राओ ं को किया गया पुरस्कृत
वाद विवाद प्रतियोगिता में पक्ष मे विचार व्यक्त करने वाले छात्रों मंे प्रथम स्थान वैश्णवी बैरागी, द्वितीय स्थान कविता चैहान, तृतीय स्थान प्रियंका चैहान ने हांसील किया वही विपक्ष में प्रथम स्थान  अष्वीन डामोर, द्वितीय स्थान अंजली सिंह एवं तृतीय स्थान जैमाल डामोर से प्राप्त किया । इसी तरह निबंध प्रतियोगिता में प्रथम स्थान आयुशी वरयिा, दूसरा स्थान श्रुति कविता एवं तृतीय स्थान श्रुति संेगर तथा विषेश सान्तवना स्थान सूरज मावी ने प्राप्त किया । सभी विजेताओं को मुख्य अतिथियों द्वारा षिल्ड एवं प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया । कार्यक्रम का संचालन विनोद खत्री ने किया तथा आभार अमीत तिवारी ने माना ।

प्रेम बांटोगें उतनी ही सुखद आत्मानुभूति होगी- नगीनलाल पंवार
  • सत्यसाई सप्ताह में दूसरे दिन भी हुए नाम संकीर्तन

झाबुआ । श्री सत्यसाई बाबा ने कहा था वही सच्चा भक्त है, जो भगवान की खुशी को अपनी खुशी मानता है। वह हमेशा भगवान को खुशी देना चाहता है, उनके लिए किसी असुविधा का कारण बनना नहीं चाहता।यह मानकर चलना चाहिए कि भगवान की खुशी में ही आपकी खुशी है और आपकी खुशी में भगवान की। एकता की इस भावना को आत्मसात कीजिए। उक्त विचार श्री सत्यसाई सप्ताह के दूसरे दिन  षुक्रवार को रात्री में विवेकांनद कालोनी स्थित सत्यधाम पर  बाबा के जीवन दर्षन पर विचार व्यक्त करते हुए नगीनलाल पंवार ने व्यक्त किये । सायंकाल समिति द्वारा सर्वधर्म नाम संकीर्तन का आयोजन किया गया । इसके बा प्रवचन देते हुए नगीनलल पंवार ने कहा कि  सत्य,धर्म,षांति,प्रेम एवं अहिंसा में से यदि किसी भी एक सिद्धांत को जीवन मे आत्मसात कर लिया जावे तो हमे अपने जीवन मे निष्चित ही बहुत बडा बदलाव नजर आयेगा । श्री पंवार ने कहा कि सत्यसाई बाबा ने स्वयं कहा है कि आप समाज मे जितना प्रेम बांटोगें उतनी ही सुखद आत्मानुभूति होगी । परस्पर प्रेम से रहने से ईष्वर की निकटता का आभास होता है । प्रेम स्वयं परमात्मा स्वरूप् होकर मानव को इष्वर द्वारा प्रदत्त दुर्लभ वस्तु है जिसका जीवन मे सदुपयोग होना चाहिये । उन्होने कहा कि सत्य भी हमारे जीवन के लिये बहुत आवष्यक होता है और सत्य चाहे कडवा होता है अन्ततः विजय सत्य की ही होती है । इसलिये हमे सत्यपथ पर चलना चायिे । अपने कर्तव्य को पूरी ईमानदारी से करे  यही सबसे बडा धर्म है  इससे मानसिक षांति प्राप्त होती है । इस अवसर पर एसएस चैहान ने भी श्री सत्यसाई बाबा के जीवन पर कथा सुनाई । महामंगल आरती  विनोद यावले ने उतारी । प्रसादी वितरण के बाद कायक्रम का समापन हुआ ।

कांग्रेस ने इंदिराजी की 99वीं जयंति को एकता दिवस के रूप में मनाया

jhabua news
झाबुआ । देष की महान नेता व पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इन्दिरा गांधी की 99 वीं जयन्ती जिला कांग्रेस द्वारा एकता दिवस के रूप में उत्साह के साथ मनाई गई । जिला कांग्रेस कार्यालय पर पूर्वाहन साढे 11 बजे आयोजित इस कार्यक्रम के विषेष रूप से पूर्व विधायक जेवियर मेडा, जिला महामंत्री मनीष व्यास, जितेन्द्र प्रसाद अग्निहोत्री, प्रवक्ता आचार्य नामदेव, हर्ष भट्ट, प्रदेष महिला सचिव सायरा बानो विषेष रूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष हेमचंद्र डामोर ने की। सर्वप्रथम अतिथियों द्वारा इन्दिराजी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित किया जाकर माल्यार्पण किया गया। तत्पष्चात उपस्थित पदाधिकारियों एवं कांग्रेस कार्यकर्ताओं एवं गणमान्यजनों ने इन्दिराजी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हे स्मरण किया । ब्लाॅक कांग्रेस अध्यक्ष हेमचंद्र डामोर ने अपने उदबोधन में कहा कि देष की यषस्वी पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न श्रीमती इन्दिरा गांधी एक महान नैत्री थी। उन्होने देष को आत्मनिर्भर बनाया और देष के स्वाभिमान के लिये तथा राष्ट्र के निर्माण मे महती भूमिका निभाई। उनके द्वारा किये गये कार्यो को देष कभी नही भूल पायेगा । उन्होने आगे कहा कि कांग्रेस पार्टी का लंबा इतिहास रहा है। हर पार्टी मे उतार चढाव तो होते रहते है। कांग्रेस पार्टी का आधार स्तंभ मजबूत है। हम सब एक जूट होकर बिना किसी भेद भाव के मिल कर साम्प्रदायिक ताकतो से मुकाबला करना है तथा संगठन में आम सहमति बना कर आने वाले चुनावों में कांग्रेस प्रत्याषियों को जिताना है तथा प्रदेष तथा देष मे पुनः राहूल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस का परचम लहराना होगा । पूर्व विधायक जेवियर मेडा ने कहा कि इन्दिराजी ने हमेषा आदिवासियों के विकास हेतु तत्पर रहती थी। हम सब उसी पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता है जिसकों इंदिराजी ने अपने समस्त साथियों के सहयोग से खडा कर पूरे देष में कांग्र्रेस पार्टी का झंडा उंचा उठाया। हमे इन्दिराजी के बताये मार्ग पर चल कर सोनिया गांधी एवं राहूल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस को एक जूट होकर मजबुत करना यही ह मारी इन्दिराजी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी । जिला कांग्रेस प्रवक्ता आचार्य नामदेव ने इस अवसर पर कहा कि इन्दिराजी द्वारा आम जनता एवं देष की उन्नति एवं विकासषील राष्ट्र बनाने में उनकी भूमिका अग्रणी रही। हमे उनके बताये मार्ग पर चलना है तथा देष एवं कांग्रेस संगठन को मजबुत बनाना है। स्व. इन्दिराजी ने हमेषा एकता बनाये रखने पर बल दिया तथा एकता में ही संगठन एवं देष की षक्ति निहीत है। आज हमारे पूर्वजो ने एकता शांति के बल पर ही अंग्रेजों को भारत छोडने पर मजबुर किया। जिला महामंत्री मनीष व्यास ने कहा कि इन्दिराजी ने पूरे विष्व में अपने कार्यो से लोहा मनवाया था तब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने उन्हे दुर्गा का अवतार बताया था। उन्होने आगे कहा कि प्रदेष में  भ्रष्टाचार चरम पर है तथा भाजपा का पतन होना षुरू हो गया है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता मानसिंह मेडा ने कहा कि इंदिर गांधी के बलिदान को पूरा विष्व हमेषा याद रखेगा तथा हमें उनके आदर्षों पर चलकर राष्ट्र की सेवा एवं कांग्रेस संगठन को मजबूत बनाना हमारी प्राथमिकता है। इस अवसर पर कार्यक्रम का संचालन जिला महामंत्री जितेन्द्र प्रसाद अग्निहोत्री एवं आभार जिला प्रवक्ता हर्ष भट्ट ने माना। इस अवसर पर महिला ब्लाॅक कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती मालू डोडियार, सुरेष, समीर, पार्षद अविनाष डोडियार, धुमा डामोर, कांग्रेस नेता कालम शेख, अब्दुल शेख, जावेद लाला, इस्तियाख शेख, रविन्द्र सिंह, खुमान भाई, जगदीष भाई सहित कांग्रेस पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता उपस्थित थे।

सांसद पुत्र ने जिला चिकित्सालय मे मरीजो हाल जाने व अनाथ बच्चो को किए कपढे वितरण 

jhabua news
झाबुआ । सांसद कांतिलाल भूरिया के पुत्र एवं युवा कांग्रेस नेता डाॅ. विक्रांत भूरिया के नेतृत्व में आज युवा कांग्रेस की टीम ने जिला चिकित्सालय पहंुची। वहां पर उपचाररत अनाथ बालक के इलाज के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त की तथा बच्चे को कपडे प्रदान किए । डाॅ. विक्रांत भूरिया ने अन्य मरीजों के भी हाल चाल जाने और नोट बंदी के कारण हो रही परेषानियों का जायजा लिया। वहां उपस्थित मरीजों ने श्री भूरिया को बताया कि उन्हें नोट बंदी के कारण काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। नोट बंदी के कारण निजी मेडिकल स्टोर 500 व 1000 के नोट नहीं ले रहें है। वहीं खाने-पीने के सामान में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है किंतु शासन की ओर से अभी तक कोई राहत प्राप्त नही हुई है। श्री भूरिया ने इस संबंध में जिला प्रषासन से चर्चा कर मरीजों की परेषानियों को दूर करने हेतु कदम उठाने का आष्वासन दिया। इस अवसर पर आदिवासी विकास परिषद अध्यक्ष विजय भाबोर, युथ कांग्रेस महासचिव जय मुनिया, एनएसयूआई जिला अध्यक्ष विनय भाबोर, उपाध्यक्ष ऋषी डोडियार, रवि अजनार, विक्की भाभर, अंकुर निनामा, अमरा भाबोर, रिजवान खाॅन, सुनील भूरिया सहित आदि युवा कांग्रेस कार्यकर्ता उपस्थित थे।

बुरी नियत से हाथ पकडा
  
झाबुआ। फरियादिया ने बताया कि आरोपी आनंद पिता डाला निनामा निवासी पाचखेरीया ने कहा कि में तुझे औरत बनाउंगा कहकर बुरी नियत से हाथ पकडा। प्रकरण में थाना काकनवानी में अपराध क्रं0 291/16 धारा 354 भादवि में पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

आरएसएस के प्रचारक सूर्यनारायण राव का निधन

$
0
0
rss-leader-suryanarayan-dead
बेंगलुरु, 19 नवंबर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) के वरिष्ठ प्रचारक के सूर्यनारायण राव का आज यहां एक निजी अस्पताल में निधन हो गया । वह 93 वर्ष के थे । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्विटर के माध्यम से श्री राव के निधन पर दुख व्यक्त किया। सूचना एवं प्रसारण मंत्री वेंकैया नायडू तथा कर्नाटक भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) अध्यक्ष बी एस येदियुरप्पा ने भी उनके निधन पर शोक जताया। श्री राव का जन्म 20 अगस्त 1924 को मैसुरु में हुआ था । वह 18 साल की उम्र में आरएसएस से स्वयंसेवक के रूप में जुड़े तथा पूर्णकालिक प्रचारक बन गये । उन्होंने दिसंबर 1969 में कर्नाटक के उडिपी में पहला विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) का कार्यक्रम संचालित किया । वह 1971 से 1984 तक तमिलनाडु के प्रांत प्रचारक रहे। उसके बाद क्षेत्र प्रचारक बने और आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल तथा कर्नाटक की जिम्मेदारी वर्ष 1990 तक संभाली। वह अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल के सदस्य भी बने जिसके तहत विहिप, वाराणसी कल्याण आश्रम, नेशनल मेडिकोज संस्थान, अारोग्य भारती, सेवा इंटरनेशनल तथा समस्करी भारती की देखरेख की ।

संसद के संचालन में बाधा पैदा कर देश का नुकसान कर रहा है विपक्ष: जगदम्बिका पाल

$
0
0
parliament-interfere-country-losing-congress-jagdambika-pal
बस्ती 19 नवम्बर, भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद जगदम्बिका पाल ने आज कहा कि संसद की कार्यवाही में बाधा खडी कर कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दल वास्तव में देश का नुकसान कर रहे हैं। श्री पाल ने पत्रकारों से कहा कि नोटबंदी के विरोध को लेकर कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल संसद संचालन में अवरोध पैदा करके लोकतांत्रिक मूल्यो पर कुठाराघात कर रहे हैं। उनका रवैया बेहद अनुचित है जो देश की जनता को कतई स्वीकार्य नही है। डुमरियागंज के सांसद ने कहा कि प्रधानमत्री नरेन्द्र मोदी ने देश हित में पांच सौ तथा एक हजार रूपये का नोट बन्द किया हैं। इससे देश को काले धन, जाली नोट तथा भ्रष्टाचार से मुक्ति मिलेगी। केन्द्र सरकार नागरिको को असुविधा से बचाने के लिए निरन्तर प्रयासरत है। शादी, विवाह करने वालो तथा किसानो को धन निकासी की विशेष सुविधा प्रदान की गयी है। देश के चुनिंदा पेट्रोल पम्पो पर भी दो हजार रूपये तक धन निकासी की व्यवस्था की गयी है। नोट बदलने की समस्या कुछ दिनो में समाप्त हो जायेगीं। श्री पाल ने कहा कि प्रधानमंत्री के निर्णय की देश भर में सराहना हो रही है। केवल काले धन के मालिक ही इस निर्णय की आलोचना कर रहे है।

बैंकों में घटी कतार, पर एटीएम केन्द्रों में नहीं राहत

$
0
0
cashnocash.com
नयी दिल्ली,19 नवंबर, वरिष्ठ नागरिकों के लिए कुछ रियायत देने तथा ग्राहकों को उनका खाता रखने वाली बैंक की शाखा में ही नोट बदलने की अनुमति के नये नियम लागू होने के बावजूद आज नोटबंदी के ग्यारहवें दिन भी आम जनता को कोई बड़ी राहत मिलती नजर नहीं आई। इंडियन बैंक एसोसियेशन की ओर से कल रात घोषणा की गई थी कि आज बैंक केवल उन्हीं ग्राहकों के नोट बदलेंगे जिनके खाते उनकी शाखाओं में हैं। किसी भी बैंक की किसी भी शाखा में नोट बदलने की सुविधा आज केवल वरिष्ठ नागरिकों के लिए होगी। इस घोषणा के बाद आज बैंकों में लोगों की भीड़ अन्य दिनों की अपेक्षाकृत कम नजर आयी लेकिन एटीएम पर पहले जैसा ही बुरा हाल रहा। नए नोट लेने के लिए एटीएम के बाहर हर जगह लोगाें की लंबी लाइन लगी रही। हालांकि आज अलग पंक्ति की सुविधा मिलने से वरिष्ठ नागरिकों ने थोड़ी राहत महसूस की। उनका कहना था कि देर से ही सही सरकार को वरिष्ठ नागरिकों का ध्यान तो आया। पर एटीएम केन्द्रों में नकदी की कमी से लोगों में रोष दिखाई दिया। बैकों से भी नकदी निकासी में ज्यादातर नोट 2000 रुपए के ही दिए जा रहे थे। लोगों का कहना था कि इन नोटों को भुनाने में दिक्कत आ रही है। ऐसे में 100 या 500 रुपये के नोट दिए जाने चाहिए । पर ज्यादातर बैंकों का यही जवाब था कि 500 रुपये के नोट अभी पहुंचे नहीं हैं, ऐसे में 2000 रुपये के नोटों से ही काम चलाना पड़ेगा। सरकार की ओर से यह कहे जाने के बावजूद कि 24 नवंबर तक दवा की दुकानों और मदर डेयरी बूथों पर पुराने नोट लिए जाएंगे,कई जगहों से यह शिकायत मिल रही है कि दवा की दुकानें और डेयरी बूथ पुराने नोट लेने में आनाकानी कर रहे हैं। वे पुराने नोट ले भी रहे हैं तो सौदा पूरे 500 का करने का दबाव डाल रहे हैं। एटीएम में नकदी की कमी का सबसे ज्यादा असर उन छात्रों पर पड़ रहा है जो दूसरे शहरों से कोचिंग करने के लिए कुछ समय के वास्ते दिल्ली में रहने आए हैं। ऐसे ज्यादातर छात्र एटीएम से ही निकासी करते हैं। रुपये एटीएम में आते भी हैं तो तुरंत खत्म हो जाते हैं। पता नहीं चलता कि कब आए, कब निकल गए। हालांकि कल शाम से कुछ पेट्रोल पंपों पर कार्ड स्वाइप कर 2000 रुपए की निकासी की सुविधा शुरू कर दी गई है पर इन सब उपायों के बावजूद स्थिति सामान्य नहीं हो रही है।

कृषि उत्पादकता बढ़ाने पर फोकस : जेटली

$
0
0
focus-on-increasing-agricultural-productivity-jaitley
नयी दिल्ली 19 नवंबर, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आधुनिक तकनीकों तथा प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर कृषि उत्पादकता बढ़ाने पर फोकस करने की बात कही है ताकि वर्ष 2022 तक किसानों आमदनी दुगुनी करने का लक्ष्य हासिल किया जा सके। श्री जेटली ने कृषि समूह के साथ आज यहाँ बजट पूर्व विमर्श में कहा कि प्रौद्योगिकी की मदद से कृषि की उत्पादकता बढ़ाना संभव है -विशेषकर ज्यादा उपज तथा कठिन परिस्थितियों में फल-फूल सकने वाली किस्में तैयार कर और सिंचाई में पानी की बर्बादी रोककर। उन्होंने कहा कि किसाना का मुनाफा बढ़ाने के लिए जरूरी है कि उन्हें बाजार के बारे में समय पर जानकारी दी जाये और कंप्यूटर तथा मोबाइल आधारित ऐसे सॉफ्टवेयर ऐप्लिकेशन बनाये जायें जिससे किसान सीधे उपभोक्ताओं से संपर्क साध सकें। उन्होंने कहा कि उत्पादकता बढ़ाने के लिए अद्यतन प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के साथ खेती में मिलने वाले प्रोत्साहन के ढाँचें की समीक्षा, बर्बादी कम करने, मुनाफा बढ़ाने तथा कृषि उत्पादों के विपणन को बेहतर बनाने की भी जरूरत है। उन्होंने कहा कि देश की 550 नियमित मंडियों को वर्ष 2017 तक एक साथ जोड़ने के लिए राज्यों को कृषि उत्पाद बाजार समिति कानून में बदलाव करना होगा। इससे राष्ट्रीय कृषि बाजार को अगले साल से प्रभावी ढँग से लागू किया जा सकेगा। कृषि समूहों ने भी वित्त मंत्री के समक्ष अपने सुझाव रखे। उन्होंने कहा कि एक हजार रुपये तथा पाँच सौ रुपये के पुराने नोटों पर प्रतिबंध के बाद जिला सहकारी बैंकों को पर्याप्त पूँजी उपलब्ध करायी जानी चाहिये जहाँ अधिकतर किसानों के खाते हैं। कृषि उत्पादों के उत्पादन केंद्रों पर कार्गो हब तथा ड्राई पोर्टों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये। अन्य सुझावों में अगले बजट में किसानों के लिए राहत पैकेज की घोषणा तथा कृषि क्षेत्र के लिए कागज पर और व्यवहार में अलग ब्याज दर की योजना लागू करने के लिए बैंकों को निर्देश देने की माँग शामिल है। विमर्श के दौरान वित्त एवं काॅर्पोरेट मामलों के राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, वित्त सचिव अशोक लवासा, आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांता दास, वित्तीय मामलों की सचिव अंजुलि चिब दुग्गल, कृषि सचिव एस.के. पटनायक तथा पशुपालन एवं मत्स्य सचिव देवेंद्र चौधरी भी मौजूद थे।

अश्विन ने लिए पांच विकेट ,भारत ने कसा शिकंजा

$
0
0
/ashwin-s-heroic-india-on-the-driving-seat
विशाखापत्तनम, 19 नवंबर, अनुभवी आॅफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन(67 रन पर पांच विकेट) की कातिलाना गेंदबाजी और फिर विराट कोहली(नाबाद 56) की अर्धशतकीय पारी की बदौलत भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे क्रिकेट टेस्ट के तीसरे दिन शनिवार को 298 रन की विशाल बढ़त बनाकर मैच पर अपना शिकंजा कस लिया। भारत ने इंग्लैंड को पहली पारी में 102.5 ओवर में 255 रन पर समेटने के बाद दिन का खेल समाप्त होने तक अपनी दूसरी पारी में 34 ओवर में तीन विकेट के नुकसान पर 98 रन बना लिये। भारत के पास अब कुल 298 रन की बढ़त हो गयी है। भारत को पहली पारी में 200 रन की बढ़त मिली थी। पहली पारी में शानदार 167 रन बनाने वाले कप्तान विराट ने दूसरी पारी में भी अपने बेहतरीन प्रदर्शन का सिलसिला जारी रखते हुये 70 गेंदों में छह चौकों की मदद से नाबाद 56 रन बना लिये हैं। उनके साथ अजिंक्या रहाणे 54 गेंदों में दो चौकों के सहारे 22 रन बनाकर क्रीज पर हैं। भारत की मैच के चौथे दिन पूरी कोशिश होगी कि वह अपनी बढ़त को 400 के पार पहुंचाकर इंग्लैंड के सामने एक मुश्किल लक्ष्य रखे।

कश्मीर में 133 दिनों बाद जनजीवन सामान्य

$
0
0
after-133-days-normalcy-in-kashmir
श्रीनगर, 19 नवंबर, कश्मीर में कर्फ्यू और हड़ताल के समाप्त होने के 133 दिनों के बाद आज जनजीवन सामान्य हो गया । कश्मीर के अनंतनाग जिले में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में आठ जुलाई को हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी और दो अन्य आतंकवादियों के मारे जाने के दूसरे दिन से भड़की हिंसा के मद्देनजर कर्फ्यू और अलगाववादियों की ओर से हड़ताल के आह्वान के कारण लंबे समय तक घाटी में जनजीवन प्रभावित रहा । श्रीनगर के ऐतिहासिक जामिया मस्जिद में पिछले 19 सप्ताह से जुमे की नमाज अदा करने की अनुमति नहीं थी लेकिन इसके पास जामिया मार्केट में दुकानों तथा व्यावसायिक प्रतिष्ठान को खोलने की अनुमति दी गयी थी। हालात सामान्य होने के बाद सड़कों पर वाहनों की काफी संख्या देखी गयी । अलगाववादी हुर्रियत कांफ्रेंस के दोनों धड़ों तथा जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) ने हड़ताल में आज और कल के लिए ढील दी है। हालांकि अलगाववादियों ने हड़ताल को 24 नवंबर तक बढ़ा दिया है। 133 दिन में पहली बार अलगाववादियों ने दिन में हड़ताल में ढील दी है। इससे पहले हड़ताल में शाम चार बजे से सुबह सात बजे तक ढील दी जाती थी।

मोदी, सोनिया ने दी इंदिरा गांधी को श्रद्धांजलि

$
0
0
modi-sonia-gandhi-tribute-indira-gandhi
नयी दिल्ली, 19 नवंबर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 100वीं जयंती पर आज उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। श्री मोदी ने ट्वीट किया “पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि।” श्री मोदी के अलावा कांग्रेस पार्टी के नेताओं सहित दूसरे दलों के बड़े नेताओं ने भी श्रीमती गांधी को श्रद्धांजलि दी। 24 अकबर रोड स्थित पार्टी मुख्यालय में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने श्रीमती गांधी को श्रद्धांजलि दी। श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद श्री गांधी ने ट्वीट किया, “ इंदिरा जी को याद कर रहा हूं: एक योद्धा, एक क्रांतिकारी, दृढ़ निश्चय, करुणा, दया और बलिदान की मूर्ति। मेरी दादी, मेरी दोस्त और मुझे रास्ता दिखाने वाली महिला।” पार्टी ने भी अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर श्रीमति गांधी को श्रद्धांजलि दी। पार्टी ने कहा “भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भारत की लौह महिला इंदिरा गांधी के सौवीं जयंती पर श्रद्धांजलि देता है। श्रीमती गांधी अपना जन्मदिन एक अौर वीरांगना के साथ साझा करती है जोकि अंग्रेजो के साथ युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुई थी। रानी लक्ष्मीबाई को भी हमारी विनम्र श्रद्धांजलि।” वह भारत की प्रथम और अब तक की एकमात्र महिला प्रधानमंत्री हैं।

लोकसभा,विधानसभा उपचुनाव में जोरदार मतदान

$
0
0
more-polls-on-bypoll-of-ls-and-assembly
नयी दिल्ली 19 नवम्बर, देश के विभिन्न राज्यों में रिक्त लोकसभा और विधानसभा सीटों लिये आज हो रहे उपचुनाव में आज जबर्दस्त मतदान देखने को मिल रहा है और सभी जगहों पर दोपहर तक औसतन 50 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया । पश्चिम बंगाल में कूचविहार एवं तामलुक लोकसभा सीट के लिये पूर्वाह्न 11 बजे तक क्रमश: 33.4 और 35.41 प्रतिशत मतदान हुअा जबकि मोन्टेश्वर विधानसभा सीट के लिये मतदान का प्रतिशत 42.01 प्रतिशत रहा । उपचुनाव में सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस, वाममोर्चा और भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के बीच चतुष्कोणीय मुकाबला है। कूचविहार लोकसभा सीट पर छह निर्दलीय सहित 19 उम्मीदवार और तामलुक लोकसभा सीट पर सात उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं जबकि मोन्टेश्वर विधानसभा सीट के लिए भी सात उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। तमिलनाडु विधानसभा की तीन सीटों पर हो रहे उपचुनाव में तेज गति से मतदान हो रहा है और अपराह्ल तीन बजे तक 60 से 70 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।अरावाक्कुरिची विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक 73.29 फीसदी मतदान हुआ जबकि थिरुप्परनकुंद्रम में 62.76 और तंजावुर में 60.54 फीसदी मतदान दर्ज किया गया। पुड्डुचेरी में नेल्लीथाेप्पी विधानसभा उपचुनाव में दोपहर तक 57 प्रतिशत यानी करीब 31 हजार 366 मतदाताओं ने वोट डाले । यहां अब तक मतदान शांतिपूर्वक रहा है। स्वतंत्र एवं निष्पक्ष मतदान संपन्न कराने और मतदाताओं की सुरक्षा के लिये बड़ी संख्या में अर्द्धसैनिक बल और पुलिस कर्मी तैनात हैं। पुलिस ने मतदान केंद्रों के समीप पहुंचने वाले विभिन्न राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं को मौके से दूर ही रखा है। त्रिपुरा से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक राज्य के बरजाला और खोवाई विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए पहले दो घंटे में करीब 25 फीसदी वोट पड़े। दोनों सीटों पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस तथा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कुल दस उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। असम में लखीमपुर लोकसभा और बैथालांगसो विधानसभा सीट पर अपराह्न 13.00 बजे तक 40 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। यहां के चुनावी माहौल में एक दिलचस्प तथ्य यह भी रहा कि विमुद्रीकरण अभियान का मतदान पर असर पड़ा। सरकारी कर्मचारियों ने एटीएम से पैसे निकालने के लिये स्थानीय अवकाश का लाभ उठाया। मध्यप्रदेश के शहडोल लोकसभा उपचुनाव और नेपानगर विधानसभा उपचुनाव के पहले चार घंटे में 20 प्रतिशत से अधिक मतदान हो चुका है। शहडोल लोकसभा उपचुनाव के लिए सुबह 11 बजे तक करीब 25 प्रतिशत मतदान हुआ है, वहीं नेपानगर में करीब 23 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है। शहडोल लोकसभा उपचुनाव में भाजपा के ज्ञान सिंह का मुख्य मुकाबला कांग्रेस की हिमाद्री सिंह से है। यहां कुल 17 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं जिनमें नौ निर्दलीय प्रत्याशी भी शामिल हैं। नेपानगर में मुख्य मुकाबला भाजपा की मंजू दादू और कांग्रेस प्रत्याशी अन्तरसिंह के बीच हैं। यहां कुल चार प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं।

नोटबंदी के निर्णय ने चार असुरों पर हमला किया : पार्रिकर

$
0
0
demonetisalion-has-attacked-for-asuraj-parrikar
पणजी, 19 नवंबर, रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर ने कहा कि भारत को अस्थिर करने के लिए हजारो करोड़ रुपये भेजा जाने वाले था लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 8 नवंबर की रात 500 और 1000 रूपयों के चलन पर प्रतिबंध लगा कर चार असुरों-काला धन, भ्रष्ट धन, आतंक धन और मादक पदार्थ- के रुपयों पर हमला कर दिया। श्री पार्रिकर यहां से 20 किलोमीटर दूर थिविम में कल रात एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि हजारो करोड़, यहां तक कि लाखों करोड़ फर्जी रुपये भारत में भेजा जाने वाला था। उन्होंने कहा कि “ हमारा दुश्मन फर्जी रूपये भेज कर हमारी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाना चाहता था। फर्जी और नकली नोट बंगलादेश, नेपाल, कश्मीर की समीप और रास्तों से भारत भेजा जाने वाले था। दुश्मन सिर्फ छोटे छोटे हमले ही नहीं बल्कि हमारी अर्थव्यवस्था पर भी हमला करना चाहता था।” उन्होंने कहा कि चार असुर- काला धन, भ्रष्ट धन, आतंक धन और मादक पदार्थ के रुपये देश को तकलीफ दे रहे थे। इसके अलावा कश्मीर, उत्तरी पूर्व में आतंकवाद और नक्सली को भी रूपये दिये जा रहे थे साथ ही फर्जी नोट भी चलाये जा रहे थे। पाकिस्तान से फर्जी नोटों का आना कोई नयी बात नहीं है लेकिन 8 नवंबर के निर्णय से फर्जी रुपयों का चलन बंद हो गया। इस अवसर पर गोवा के मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पार्सेकर तथा उनके मंत्रिमंडल के कई मंत्री और अन्य विधायक भी मौजूद थे। गोवा में अगले वर्ष विधान सभा का चुनाव होना है।

नोटबंदी से उद्योगों को मिलेगा सस्ता ऋण : जेटली

$
0
0
notbandi-cheap-loans-get-industries-jaitley
नयी दिल्ली 19 नवंबर, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि एक हजार रुपये और पाँच सौ रुपये के पुराने नोटों को प्रतिबंधित करने के सरकार के फैसले से बैंकों के पास उद्योगों को सस्ता कर्ज देने के लिए पर्याप्त पूँजी आयी है जिससे अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। श्री जेटली ने शुक्रवार देर रात यहाँ एक कार्यक्रम में कहा, “अल्प तथा मध्यम अवधि में इससे बैंकों के पास पूँजी बढ़ी है तथा कम ब्याज दर पर ऋण देने की उनकी क्षमता रातों-रात सुधर गयी है। इससे सस्ती पूँजी के अभाव में जूझ रहे इंफ्रास्ट्रक्चर तथा विनिर्माण क्षेत्र को गति मिलेगी और अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर में सुधार होगा।” नोटबंदी को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से भी बड़ा आर्थिक सुधार बताया। उन्होंने कहा कि पहले सरकार ने कहा था जीएसटी अब तक का सबसे बड़ा आर्थिक सुधार है, लेकिन हमने उससे भी बड़ा कदम बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा कि पूरी भारतीय अर्थव्यवस्था की 86 प्रतिशत नकदी (मूल्य के आधार पर) बदलना एक बड़ा काम है। नोटों की पहले से छपाई कर पर्याप्त स्टॉक तैयार करना, रिजर्व बैंक के चार हजार मुद्रा चेस्टों तथा एक लाख 25 हजार से ज्यादा बैंकों समेत कुल पाँच से छह लाख वितरण स्थलों तक उन्हें पहुँचाना तथा सभी लोगों तक नकदी की पहुँच सुनिश्चित करना; वह भी कुछ सप्ताह के भीतर। इसमें कुछ असुविधा होनी तय है।
Viewing all 74302 articles
Browse latest View live




Latest Images