एसपीटी में संशोधित विधेयक मंे पुनर्विचार नहीं किया गया तो भाजपा को भुगतना होगा-हेमन्त । एसपीटी एक्ट को धत्ता बता कर बड़े-बड़े भूखण्ड कब्जे में करने वाले जाऐगें जेल-डा0 लुईस मराण्डी, संशोधित एक्ट पर पुनर्विचार की मांग को लेकर अड़ा विपक्ष, सत्ता व विपक्षियों के बीच लड़ाई हो चुकी है आर-पार की।
झारखण्ड विधानसभा में सीएनटी व एसपीटी एक्ट में आंशिक संशोधन के बाद सूबे में राजनीति की फिजा बदल चुकी है। झारखण्ड के अन्य प्रमण्डलों की तुलना में संताल परगना प्रमण्डल का राजनीतिक तापमान इन दिनों काफी गर्म हो चुका है। नुक्कड़, चैक-चैराहों व चाय-पान की दूकानों से लेकर राजनीतिक गलियारों तक सरकार के समर्थक व विरोध में जुबानी जंग तेज कर दी गई है। राज्य के प्रत्येक जिले मे आदिवासी हितार्थ व सूबे की रघुवर सरकार के विरोध में आवाज बुलंद करने का प्रयास नित्य जारी है। झारखण्ड नामधारी पार्टियों सहित राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टियाँ, गैर सरकारी संगठनों व स्वैच्छिक संस्थाओं ने संशोधित विधेयक के विरुद्ध एक साथ बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेना शुरु कर दिया है। पर्दे के पीछे कई ऐसे महात्वाकांक्षी लोग भी शामिल हो चुके है, जो सरकार के समक्ष सरकार के समर्थन में बातें करते हैं और विपक्षियों के समक्ष उनके समर्थन की बातें। आदिवासी, गरीब, दलित, शोषित व अल्पसंख्यकों के विरुद्ध सरकार की मंशा से लोगों को अवगत कराने का प्रयास भी युद्धस्तर पर जारी है। सरकार के निर्णय के विरुद्ध आदिवासी छात्रों को हिंसात्मक कार्यों के लिये प्रेरित करने का नापाक सिलसिला भी चल निकला है। 70 के दशक से झारखण्ड मुक्ति मोर्चा का गढ़ रहा संताल परगना में पिछले दो वर्षों से भाजपा की सेंधमारी से खिसकता जा रहा है। सूबे में भाजपा की सरकार बनने के बाद रघुवर दास ने दुमका, देवघर, पाकुड़ साहेबगंज व गोड्डा के कई बड़े कार्यक्रमों में शिरकत कर सरकार की मंशा से विपक्षियों को अवगत करा दिया है। कई बड़ी-बड़ी योजनाओं की स्वीकृति, हजारों करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली एनएच व स्टेट हाईवे के शिलान्यास व उद्घाटन सहित पंचायत सचिवालय, बजट पूर्व आम लोगों की राय जैसे कार्यक्रमों को अंजाम देकर सरकार ने झामुमों की नींद उड़ा दी है। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में विकास तेजी से हो, आम नागरिक जीवन में आमुल-चूल परिवर्तन देखने को मिल,े इसके लिये विशेष कार्यक्रम चलाने का फैसला लिया गया है।
यह दिगर बात है कि आने वाले समय में सरकार की उपरोक्त योजनाओं का लाभ आदिवासी-मूलवासी व अन्य को कितना प्राप्त हो पाऐगा यह तो भविष्य के गर्भ में छिपा है, तथापि संताल की धरती पर लगातार अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर रघुवर दास लगातार अवाम को अपने उद्देश्यों से रुबरु करा पाने में धीरे-धीरे ही सही सफल दिख रहे हैं। संशोधित एक्ट के विरोध में सरकार पर अधिक से अधिक दबाव बने इसके लिये आदिवासी-मूलवासी को एक मंच पर लाकर झामुमों इधर अपनी राजनीति को पिक पर लाना चाहती है। अन्य राजनीतिक पार्टियों द्वारा भी अपने-अपने कार्यकर्ताओं को एकजुट करते हुए इस एक्ट के विरोध में खड़े रहने की सलाह दे रही है। सड़क से लेकर सदन तक आंदोलन की धमकी से सरकार को कोई फर्क पड़ेे न पड़े, झामुमों के कार्यकारी अध्यक्ष हेमन्त सोरेन ने पिछले दिनों खिजुरिया (दुमका) में स्थित अपने आवास पर भाजपा सरकार के विरुद्ध आक्रोशित बयान देकर यह जतला दिया है कि यदि एक्ट में पुनर्विचार नहीं किया गया तो सरकार को इसका अंजाम भुगतना होगा। राज्य के नागरिकों को परेशानी हुई तो इसकी सारी जिम्मेवारी रघुवर सरकार की होगी। हेमन्त का कहना है रघुवर दास को अपने मुख्यमंत्री होने का बड़ा गुरुर है। इतना घमंडी मुख्यमंत्री अब तक झारखण्ड की जनता ने नहीं देखा है। हेमन्त ने कहा आम जनता का क्रोध भी उन्हें ही झेलना होगा। आदिवासियों के बीच बढ़ते असंतोष व झामुमों नेता हेमन्त सोरेन की सरकार विरोधी बयानवाजी से परेशान दुमका की विधायक व सरकार में समाज कल्याण मंत्री डा0 लुईस मराण्डी को संताल की जनता को इस बात से अवगत कराना पड़ा कि झामुमों की गंदी राजनीति बहुत अधिक दिनों तक चलने वाली नहीं। झामुमों व झाविमों को जनता पूरी तरह नकार चुकी है। अपने मुख्यमंत्रित्व काल में हेमन्त व बाबूलाल मराण्डी ने राज्य को जमकर लूटा। एसआईटी के गठन के बाद कई नामी चेहरे सरकार की रडार पर हैं। एसपीटी एक्ट का उल्लंघन कर झारखण्ड के लगभग तमाम जिलों में बड़े-बड़े भूखंडों को कौड़ियों के भाव खरीदने वाले जेल जाने की तैयारी कर लें। हेमन्त व बाबूलाल मराण्डी को जेल जाने से कोई बचा नहीं सकता। डा मराण्डी ने यह भी कहा कि एसपीटी एक्ट का उल्लंघन कर बड़-बड़े भूखण्डों को हथियाने वाले आदिवासियों की बेहतरी की बात किस आधार पर कर रहंे ? इधर एक्ट में संशोधन के विरोध में झामुमों सहित काॅग्रेस, झाविमों, राजद, जदयू, सीपीएम व अन्य वामपंथी पार्टियाँ व छोटे-छोटे राजनीतिक दलों ने पिछले 25 नवम्बर 2016 को झारखण्ड बंद का आहवान किया था।
इसी दिन दुमका के एसपी काॅलेज आदिवासी हाॅस्टल के छात्रों ने दुमका-पाकुड़ मार्ग पर काॅलेज के समीप कुल 8 वाहनों (हाईवा, ट्रक, बस व मारुति वेन) को आग के हवाले कर दिया था। आदिवासी छात्रों का यह आक्रोश सरकार के विरोध में बंदी के दिन सूबे का सबसे बड़ा आक्रोश था। स्थिति काफी प्रतिकुल हो चुकी थी। पुलिस व छात्रों के बीच कभी भी हिंसा भड़क सकती थी, किन्तु सूझबूझ से इसे सुलझा लिया गया। 26 नवम्बर 2016 को रैफ रैपिड एक्शन फोर्स व दुमका पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए एस पी काॅलेज आदिवासी हाॅस्टल संख्या-1 से 8 तक गहन छापेमारी कर तकरीबन 25 हजार तीर-धनूष, भाला, फड़सा, टीवी, ब्लू फिल्मों की सीडी, लड़कियों के वस्त्र इत्यादि बरामद किेये थे। कुछ युवकों के विरुद्ध आपराधिक मामला भी दर्ज कर लिया गया और उनकी गिरफतारी सुनिश्चित कर उन्हें जेल भी भेज दिया गया। रघुवर सरकार पर विधेयक में पुर्नविचार का यह दबाव फिलवक्त ठंडे बस्ते में है। 02 दिसम्बर 2016 को बजट पूर्व प्रमण्डल स्तरीय संगोष्ठी में शिरकत करने उप राजधानी दुमका पहुँचे रघुवर दास ने फिर से एक मर्तबा स्पष्ट कर दिया कि जरुरत पड़ने पर दुबारा एक्ट को संशोधित कर उसे सरल बनाया जाऐगा। उन्होनें चेतावनी भरे लहजे में कहा शांति, परिवर्तन व बदलाव चाहने वालों को तंग किया गया तो सरकार उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने से चूकेगी नहीं। दंगाईयों व अशांति फैलाने वालों के विरुद्ध सरकार सख्ती से निपटेगी। उन्होनें कहा काॅलेज में पढ़ने वाले छात्रों को अपना भविष्य बनाना चाहिए न कि विरोध व आगजनी जैसे कदम को अंजाम देनी चाहिए। राज्य के अलग-अलग जिलों/ क्षेत्रों में कुछ असमाजिक तत्वों द्वारा सार्वजनिक संपत्तियों सहित निजी संपत्तियों की बर्बादी, तोड़-फोड़ व आगजनी की घटनाओं को अंजाम देकर विपक्षी पार्टियों द्वारा सरकार को बदनाम करने का कुत्सित प्रयास भी किया। यह दिगर बात है कि ऐसे कांड में प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रुप से बंदी का आहवान करने वाले दलों का समर्थन भी छात्रों को हासिल होता रहा। परिणामस्वरुप पुलिस-व बंद समर्थकांे के बीच हाई टेंशन की बातें भी होती रही। इस बंदी में सर्वाधिक प्रभावित व उबाल वाला जिला रहा दुमका। संताल परगना का प्रमण्डलीय मुख्यालय जिला दुमका के इतिहास में यह तीसरा अवसर है जब काॅलेज के हाॅस्टल से भारी मात्रा में आदिवासियों के परंपरागत हथियार एक साथ बरामद हुए। पूरे घटनाक्रम की माॅनिटरिंग में व्यस्त जिले के डीसी राहुल कु0 सिन्हा व एसपी प्रभात कुमार के नेतृत्व में 26 नवम्बर को काॅलेज परिसर में अवस्थित हाॅस्टलों की पड़ताल प्रारंभ कर दी गई। रैफ व जिला पुलिस की संयुक्त टीम ने तमाम हाॅस्टलों को खंगालते हुए छात्रों को एक बड़ी अवधि तक काॅलेज से बाहर रहने का फरमान जारी कर दिया गया। कुल 1000-1200 अज्ञात के विरुद्ध भी मामला दर्ज कर लिया गया। इस विधेयक के विरुद्ध जनाधारहीन राजनीतिक पार्टियों के कर्ता-धर्ता सरकार की हिटलरशाही नीतियों के विरुद्ध सड़क पर उतरने की बात भी करते हुए देखे जा रहे हैं। एस पी काॅलेज परिसर में 25-25 हजार तीर-धनूष की एक साथ बरामदगी को एक बड़ी उपलब्धी मानी जा रही है। कहा जा रहा है कि तीर-धनूष आदिवासियों का परंपरागत हथियार है, यह उनकी संस्कृति, भावना, संवेदनाओं से जुड़ा है। बात बिल्कुल सही है कि तीर-धनूष आदिवासियों का परंपरागत हथियार है किन्तु विद्या के मंदिर में इतनी भारी मात्रा में इसकी उपस्थिति क्या बिद्यार्थियों को लक्ष्य से भटकाने के लिये काफी नहीं है ? हेमन्त सोरेन का कहना है सरकार आदिवासियों की जमीन पूँजीपतियों के हाथों गिरवी कर देना चाहती है। आदिवासियों को उनके अधिकारों से बेदखल करने की यह चाल कभी सफल नहीं होगी। झारखण्ड विधानसभा में एसपीटी व सीएनटी एक्ट संशोधन प्रस्ताव पारित कर राज्य की जनता को दिग्भ्रमित करने का प्रयास किया गया है।
एसपीटी व सीएनटी एक्ट में भाजपा द्वारा किये गए संशोधन के खिलाफ पुराना समाहरणालय परिसर, दुमका में 02 दिसम्बर को आदिवासी अधिकार मंच द्वारा आहुत प्रमण्डलीय विशाल आम सभा को संबोधित करते हुए सीपीएम केन्द्रीय समिति पोलित ब्यूरो सदस्या वृंदा करात ने कहा था सिदो कान्हु मुर्मू व बिरसा मुण्डा की धरती पर जल, जंगल, जमीन से खिलवाड़ किया गया तो इसके भयानक परिणाम सामने आऐगें। बड़ी-बड़ी प्रायोजित कंपनियों के हितों को ध्यान में रखते हुए रघुवर सरकार ने इस तरह का कदम उठाया है। केन्द्र में पीएम नरेन्द्र मोदी के छोटे भाइ्र्र रघुवर दास उनसे एक कदम आगे बढ़कर लोगों को ठगने का काम कर रहे हैं। सीपीएम की राष्ट्रीय नेत्री वृंदा करात ने एसपी काॅलेज हाॅस्टल संख्या-एक व पाँच का भ्रमण कर हाॅस्पीटल में रह रहे छात्रों की बातों को गंभीरता के साथ सुना। छात्रों के विरुद्ध जिला व पुलिस प्रशासन की एक तरफा कार्रवाई को को गंभीर बताया। छात्रों ने सीपीएम नेत्री को वस्तुस्थिति से अवगत कराते हुए कहा पारंपरिक तीर-धनूष आदिवासियों की जीवन-पद्धति का एक हिस्सा रहा है, किन्तु जिला प्रशासन ने इसे हथियार बताकर उसकी जब्ती कर ली। हाॅस्टल मे ब्लू फिल्म सीडी व लड़कियों के पाए गए कपड़ों की खबर प्रचारित कर उनके सम्मान को ठेस पहुँचाने का काम किया गया है। वृंदा करात के साथ राज्य सचिव गोपीकान्त बख्शी, पार्टी संयोजक प्रफुल्ल लिंडा, सीपीएम के जिला सचिव एहतेशाम अहमद व अन्य लोग मौजूद थे। हाॅस्टल सं0-5 के छात्र महेन्द्र बेसरा, साहेब राम टुडू, मोती लाल मुर्मू, अशोक हांसदा इत्यादि ने हाॅस्टल की दयनीय स्थिति से अवगत कराते हुए कहा कि कल्याण विभाग द्वारा न तो छात्रों के खाने-पीने व बिस्तर की व्यवस्था है और न ही अन्य संसाधनों की। सभी छात्र आपस में चंदे इकट्ठा कर मेस चलाते हैं। कल्याण विभाग की ओर से मात्र उन्हें आवासीय सुविधा प्राप्त है। वृंदा करात ने कहा सरकार ने एक्ट में संशोधन पर विचार नहीं किया तो फिर यह आंदोलन सड़क पर होगा। पूरा झारखण्ड संशोधित विधेयक विरुद्ध उबाल पर है। भाजपा अपने ही अन्दर वैसे विधायकों-सांसदों पर कार्रवाई क्यों नहीं करती जिनपर अश्लील सीडी देखने का आरोप लगता रहा है। सूबे की सरकार आदिवासी छात्रों के साथ अन्याय कर रही है। सरकार की दमनकारी नीति से आदिवासी हिलने वाले नहीं हैं। सीएनटी व एसपीटी एक्ट का सबसे ज्यादा उल्लंघन हेमन्त व बाबूलाल ने कियाः सीएनटी व एसपीटी एक्ट संशोधन विधेयक के विरोध में विपक्षियों द्वारा सरकार को घेरने की कवायदों के बाद सूबे की समाज कल्याण मंत्री व क्षेत्र की विधायक डा0 लुईस मराण्डी ने कहा कि झामुमों व अन्य पार्टियों द्वारा भोली-भाली आदिवासी जनता को बरगलाया जा रहा है।
यह संशोधन राज्यहित में है। इसके विरोध का कोई आधार नहीं बनता है। लोगों को विश्वास हो गया है कि विधेयक के संशोधन के बाद विकास का रास्ता खुला है। सिर्फ आदिवासियों के नफे-नुकसान की बात नहीं होनी चाहिए, यह राज्य अन्य वर्गो का भी है। सबका साथ, सबका विकास सरकार की प्राथमिकता है। इस राज्य में आदिवासी-मूलवासी दोनों ही निवास करते हैं। इस क्षेत्र के लोगों को दिग्भ्रमित करने का काम किया गया है। एसपीटी व सीएनटी एक्ट का घोर उल्लंघन करने वाले हेमन्त सोरेन व बाबूलाल मराण्डी ने अपने सगे-संबंधियों के नाम कई-कई स्थानों पर बड़े-बड़े भूखंड ले रखे हैं, उपरोक्त दोनों ने एक्ट का खुलकर उल्लंघन किया है, किन्तु लोगांे को दिग्भ्रमित करने का काम इनका अब भी जारी है। जिलाध्यक्ष निवास मंडल व अन्य स्थानीय नेताओं की मौजूदगी में डा0 लुईस मराण्डी ने कहा कि अपने मुख्यमंत्रित्व काल में हेमन्त सोरेन ने भी एक्ट में संशोधन की वकालत की थी। सत्ता में उपरोक्त नेता जब होते हैं तो एक्ट में संशोधन की वकालत किया करते हैं, किन्तु जब विपक्ष में होते हैं तो उनका काम मात्र विरोध करना हो जाता है। सरकार ने एसआईटी का गठन कर रखा है। पूरे राज्य में एक्ट के विरुद्ध किये गए कार्यों की जाँच भी चल रही है। भाजपा के आदिवासी सांसदों व विधायकों को मोटी रकम देकर इस एक्ट के विरुद्ध समर्थन प्राप्त करने की बात बेबुनियाद है। विरोधियों का यह दावा सही है तो फिर वे दस्तावेज दिखलावें। पिछले 25 नवम्बर को एसपी महाविद्यालय परिसर के समीप आगजनी कर कई वाहनों को आग के हवाले किये जाने की घटना पर दुःख प्रकट करते हुए सूबे की मंत्री ने कहा कि छात्रावास में राजनीति नहीं होनी चाहिए। छात्र पढ़-लिखकर आगे बढ़ने के लिये महाविद्यालयों में आते हैं किन्तु राजनीतिक पार्टियों के बहकावे में वे वैसी भूल कर बैठते हैं जो नहीं करना चाहिए। विरोधियों द्वारा छात्रो को मुसीबत में डालने का प्रयास किया गया है। काॅलेज शिक्षा का मंदिर होता है। पढ़ने का समय दुबारा हासिल होने वाला नहीं है। उन्होनें कहा पहले जमीन अधिग्रहण में रैयतों को प्राप्त होने वाले मुआवजे के लिये काफी वक्त खर्च करना पड़ता था, अब यह सरल हो गया है। जमीन अधिग्रहण की स्थिति में पहले चार महीनें के अन्दर रैयतों को भूमि के मुआवजे का पच्चास प्रतिशत भुगतान होगा। बाद के चार महीनें के बाद पूरी राशि का भुगतान संभव हो पाऐगा। उन्होनें कहा सीएनटी व एसपीटी एक्ट पर राजनीति कर लोगों को गुमराह करने वाले हेमन्त सोरेन तैयार रहें जेल जाने के लिये। एक्ट में संशोधन पर पुनर्विचार नहीं किया गया तो स्थिति भयावह हो जाऐगी और इसकी संपूर्ण जिम्मेवारी राज्य सरकार पर होगीः सीएनटी व एसपीटी एक्ट में संशोधन का मुद्दा जनता की अदालत में ले जाया जाऐगा। पीएम नरेन्द्र मोदी ने दुमका में एक सभा में कहा था कि उपरोक्त एक्ट से कोई खिलवाड़ नहीं किया जाऐगा किन्तु रघुवर दास की सरकार ने मोदी से एक कदम आगे बढ़कर सूबे के आदिवासी-मूलवासी को ठगने का काम किया है। श्री सोरेन ने कहा येन-केन-प्रकारेण सदन में विधेयक पारित करवाने का काम किया गया है। बहुमत का गलत फायदा उठाते हुए मनमर्जी से निर्णय लिया गया है। इससे पूरे झारखण्ड मे अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इस विषय को लेकर रघुवर सरकार झूठा विज्ञापन भी प्रकाशित करवा रही है। सरकार एक्ट पर पुनर्विचार नहीं करती है तो फिर स्थिति काफी भयावह हो जाऐगी और इसके लिये सूबे की रघुवर सरकार होगी पूर्ण जिम्मेवार।
सत्तापक्ष के कई विधायक इस एक्ट के विरोध में थे किन्तु अचानक स्थिति क्या बदली कि सबों को साथ कर लिया गया। मोटी राशि का खेल हुआ। एक्ट को पारित करवाने में सरकार को बाहुबलियों का सहारा लेना पड़ा। सीएनटी व एसपीटी एक्ट से आत्मा को निकालने का प्रयास किया गया है। उन्होनें कहा भाजपा के सभी विधायकों/ सांसदों व सरकारी कार्यक्रमों में शिरकत करने वाले नेताओं को जनता काला झंडा दिखलाकर अपना विरोध प्रकट करेगी। विधानसभा का बंद कमरा अखाड़ा बन कर रह गया है। सीएनटी व एसपीटी से आच्छादित कृषि भूमि को गैर कृषि भूमि बनाने का प्रयास किया गया है। यह सरकार विशुद्ध रुप से व्यापारियों-पूँजीपतियों के हाथों झारखण्ड को गिरवी रख देना चाहती है। कहा अडानी को गोड्डा में 5 हजार एकड़ भूमि देने का काम किया जाता है, वहाँ एसपीटी एक्ट का दुरुपयोग किया गया। व्यापारियों के सहयोग से सरकार का षडयंत्र चल रहा है। राज्य के आदिवासियों-मूलवासियों से मुख्यमंत्री को माफी मांगनी चाहिए। आईसीयू में गए बैंकों को पुनर्जीवित करने के लिये ही नोटबंदी जैसी चाल केन्द्र की सरकार ने चली है। इससे पूर्व एक प्रस्ताव पारित कर जनता के बीच विरोध के सवाल पर जाने की रणनीति हेमन्त सोरेन ने प्रखण्ड अध्यक्षों, सचिवों, कार्यकर्ताओं व विभिन्न मंचों के पदधारकों के साथ तैयार की। क्या है एसपीटी एक्ट में आंशिक संशोधनः झारखण्ड बार काउंसिल के सदस्य वरीय अधिवक्ता गोपेश्वर प्रसाद झा ने कहा कि संताल परगना काश्तकारी अधिनियम मे राज्य सरकार द्वारा किया गया संशोधन संताल परगना के रैयतो के हित मे है। इस संशोधन से संताल परगना के जमाबंदी रैयतो को अपनी रैयती जमीन पर गैर कृषि कार्य करने का अधिकार मिल गया है। एसपीटी एक्ट के विशेषज्ञ श्री झा ने कहा संताल परगना काश्तकारी (अनुपुरक अनुबंध) अधिनियम (संशोधन) विधेयक 2016 की धारा 13 मे जो संशोधन किया गया है, इससे जमाबंदी रैयत अपने जमीन का गैर कृषि कार्य में उपयोग कर सकेगे। वस्तुतः इस संशोधन से रैयतांे के बचाब का ही काम किया गया है। एसपीटी एक्ट की धारा 13 रैयतो को अपने जमीन के गैर कृषि कार्य करने से रोकती है, जिसके तहत धारा 14 मे रैयत को उच्छेद करने का प्रावधान है। वहीं इस संशोधन से रैयत जरुरत के हिसाब से अपनी जमीन का गैर कृषि कार्य मे उपयोग कर पायेगा और उनका मलिकाना हक भी बना रहेगा। अधिवक्ता श्री झा ने स्पष्ट कहा कि बगैर किसी राजनीतिक बयानबाजी के इस भ्रम को खत्म करना चाहता हूं कि इस संशोधन में जमीन के स्थानांतरण व मालिकाना हक खत्म करने का कोई प्रावधान नही है। वस्तुतः सरकार ने कोई संशोधन नही किया है, बल्कि धारा 13 में प्रावधान जोडा है, जिसके तहत सरकार अब कृषि उपयोग की जमीन पर अन्य उपयोग के लिए समय-समय पर नोटिफिकेशन ला सकती है और रैयते को छूट देते हुए उसका रेंट फिक्शेसन का प्रावधान करेगी। उन्होने कहा कि संशोधन का विरोध करने वालो को तो 1969 व 1972 मे एसपीटी एक्ट मे किये गये बदलावों को लेकर जोरदार विरोध करना चाहिए था, जो जमीन के गैरकानूनी दखल व उसके स्थानांतरण को लेकर था। एसपीटी एक्ट की धारा 53 मे डीसी को अधिकार दिया गया था कि वे रैयती जमीन को प्राइवेट कार्य के लिए ले सकते है, जिसका मुआवजा वे निर्धारित कर रैयतो को देगें। तब यह कहा गया कि संताल परगना मे दो कानून चल रहे हैं एक भूमि अधिग्रहण तो दुसरा एसपीटी एक्ट की धारा 53, तब पटना हाईकोर्ट मे एसपीटी एक्ट की धारा 53 को असंवैधानिक करार देते हुए इस धारा को निरस्त कर दिया गया था। वही 1972 में प्रावधान किये गये कि कृषि योग्य जमीन के एवज मे केन्द्रीयकृत बैंक बंधक रखकर लोन दे सकती है तथा लोन नही चुकाने पर बंधक रखी जमीन पर बैंक कब्जा कर लेगी। उस समय किसी ने इसका विरोध नहीं किया। आज सरकार ने रैयतों के लिए अच्छा निर्णय लिया है तो लोग विरोध कर रहे हैं। बहुत से लोग एक्ट की खूबियों से अनभिज्ञ हैं। उन्हें संशोधन की जानकारी लेनी चाहिए।
अमरेन्द सुमन
वरिष्ठ पत्रकार संपप्र, दुमका
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