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हम कहते हैं भ्रष्टाचार कालाधन हटाओ, वे कहते हैं मोदी हटाओ : मोदी

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लखनऊ 02 जनवरी, नोटबन्दी को लेकर केन्द्र सरकार के विरूद्ध लामबंद विपक्ष पर करारा प्रहार करते हुये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि वे कहते हैं मोदी हटाओ, हम कहते हैं भ्रष्टाचार कालाधन हटाओ। उत्तर प्रदेश में अासन्न राज्य विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) द्वारा नवम्बर दिसम्बर में सूबे के विभिन्न स्थानाें में आयोजित छह परिवर्तन रैलियों के बाद आज यहां रमाबाई अम्बेडकर मैदान में सम्पन्न महापरिवर्तन रैली में देश का भाग्य बदलने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा किये जा रहे कामों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा,“ मैं तो काला धन और भ्रष्टाचार हटाने में लगा हुआ हूं और विपक्ष मुझे ही हटाने में अपनी पूरी शक्ति लगा रहा है। देश की जनता को तय करना है कि क्या करना है।” उन्होंने कहा कि लोग कहते हैं कि भाजपा का आगामी राज्य विधानसभा चुनाव में 14 साल का वनवास खत्म होगा। पार्टी विकास को कभी इस तराजू से नहीं तौलती। मुद्दा ये नहीं है कि 14 साल के लिए उत्तर प्रदेश(यूपी) में भाजपा का वनवास हो गया। मुद्दा ये है कि इस प्रदेश में विकास का वनवास हो गया। महारैली में उमडे जनसमुदाय को देखकर उत्साहित प्रधानमंत्री ने कहा “14 साल बाद यूपी की धरती पर विकास का नया अवसर आने का नया नजारा देख रहा हूं। एक बार जात-पात और अपने पराये से ऊपर उठकर विकास के लिए वोट दें। ”

धर्म, जाति और समुदाय के नाम पर वोट मांगना गैर कानूनी: उच्चतम न्यायालय

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नयी दिल्ली, 02 जनवरी, उच्चतम न्यायालय ने आज अपने एक अहम फैसले में उम्मीदवार या उसके समर्थकों के धर्म, समुदाय, जाति और भाषा के आधार पर वोट मांगने को गैर कानूनी करार दिया। न्यायालय ने जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 123 (3) की व्याख्या करते हुए यह अहम निर्णय सुनाया। सात न्यायाधीशों की पीठ ने चार तीन के बहुमत से यह फैसला दिया। मुख्य न्यायाधीश टी. एस. ठाकुर की अगुवाई वाली पीठ ने इस मामले में सुनवाई के दौरान जनप्रतिनिधित्व कानून के दायरे को व्यापक करते हुए कहा कि हम यह जानना चाहते हैं कि धर्म के नाम पर वोट मांगने के लिये अपील करने के मामले में किस धर्म की बात है। फैसले में कहा गया कि चुनाव एक धर्मनिरपेक्ष पद्धति है और जनप्रतिनिधियों को भी अपने काम-काज धर्मनिरपेक्ष आधार पर ही करने चाहिये । न्यायालय ने बहुमत के आधार पर दिये इस निर्णय में कहा कि धर्म के आधार पर वोट देने की कोई भी अपील चुनावी कानूनों के अंतर्गत भ्रष्ट आचारण के सामान है। न्यायालय ने कहा कि भगवान और मनुष्य के बीच का रिश्ता व्यक्तिगत मामला है। कोई भी सरकार किसी एक धर्म के साथ विशेष व्यवहार नहीं कर सकती और धर्म विशेष के साथ स्वयं को नहीं जोड़ सकती । फैसले के पक्ष में न्यायाधीश ठाकुर के अलावा न्यायमूर्ति एम.बी. लोकुर, न्यायमूर्ति एल. एन. राव और एस.ए. बोबडे ने विचार दिया जबकि अल्पमत में न्यायमूर्ति यू.यू. ललित, न्यायमूर्ति ए.के. गोयल और न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ ने विचार दिया । न्यायालय ने हिन्दुत्व मामले में दायर कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया है। न्यायालय ने साफ किया है कि अगर कोई उम्मीदवार ऐसा करता है तो यह जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत भ्रष्ट आचरण माना जायेगा और यह कानून की धारा 123(3) के दायरे में होगा।

झारखंड विधानसभा का बजट सत्र 17 जनवरी से

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रांची 02 जनवरी, झारखंड विधानसभा का बजट सत्र 17 जनवरी से सात फरवरी तक आहूत होगा । विधानसभा के औपबंधिक कार्यक्रम के अनुसार बजट सत्र के पहले दिन 17 फरवरी को राज्यपाल का अभिभाषण होगा और 18 फरवरी की तारीख धन्यवाद प्रस्ताव और वाद विवाद के लिये निर्धारित की गयी है । राज्य सरकार वित्तीय वर्ष 2016-17 के तृतीय अनुपूरक व्यय विवरणी का उपस्थापन 19 जनवरी को करेगा जबकि इस पर चर्चा 20 और 21 जनवरी को और इसके बाद सरकार का उत्तर एवं मतदान होगा । तत्सम्बन्धी विनियोग विधेयक का उपस्थापन एवं पारण भी 21 जनवरी को होगा । राज्य सरकार 23 जनवरी को वित्तीय वर्ष 2017-18 के आय व्ययक का उपस्थापन सदन में करेगा । मुख्यमंत्री प्रश्नकाल 23 जनवरी 30 जनवरी तथा छह फरवरी को होगा । छह फरवरी को राजकीय विधयेक एवं अन्य राजकीय कार्य लिये जायेंगे जबकि सात फरवरी की तिथि गैर सरकारी संकल्प के लिये निर्धारित की गयी है। सदन की बैठक 22, 25, 26 , 27 और 29 जनवरी को तथा एक फरवरी और पांच फरवरी को आयोजित नहीं होगी ।

बिहार : प्रकाशोत्सव के लिये उमड़ने लगा जनसैलाब

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पटना 02 जनवरी, श्रीगुरू गोविंद सिंहजी के 350 वें प्रकाशोत्सव के कल से शुरू हो रहे मुख्य समारोह में शामिल होने के लिये देश -विदेश से उमड़े श्रद्धालुओं के जनसैलाब को लेकर चल रही चाक -चौबंद सुरक्षा व्यवस्था के बीच स्पेशल वीपन एंड टेक्टिस (एस डबल्यू ए टी) को पहली बार लगाया गया है । गुरूपर्व के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आगमन के साथ ही देश- विदेश से उमड़े श्रद्धालुओं के सैलाब को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था ऐसी की गयी है कि परिंदा भी पर न मार सके । प्रधानमंत्री श्री मोदी पांच जनवरी को विशेष विमान से यहां आयेंगे और उसके बाद समारोह में शामिल होंगे । प्रधानमंत्री दो घंटे तक समारोह में मौजूद रहेंगे । इसी दिन गृह मंत्री राजनाथ सिंह , वित्त मंत्री अरूण जेटली , विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद , बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद , पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी समारोह में मौजूद रहेंगे । हालांकि अभी तक प्रधानमंत्री कार्यालय से उनके कार्यक्रम की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुयी है । मुख्य समारोह स्थल पटना के एतिहासिक गांधी मैदान को पटना साहिब गुरूद्वारा का रूप दिया गया है और वहां श्रद्धालुओं के ठहरने के लिये अत्याधुनिक टेंट सिटी का निर्माण भी किया गया है । यह समारोह तीन से पांच जनवरी तक चलेगा । पहले दिन 50 रागी जत्था गुरूवाणी करेंगे वहीं धारी जत्था और कविसार जत्था भी भाग लेंगे । पहले दिन विशेष र्कीतन दरबार से मुख्य समारोह की शुरूआत होगी । चार दिन पूर्व से ही गांधी मैदान में निर्मित दरबार हॉल में गुरूवाणी की धुनें पूरे परिसर में गूंज रही है जिससे पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया है । बड़ी संख्या में प्रतिदिन श्रद्धालु दरबार हॉल में आकर मत्था टेक रहे हैं । बिहार सरकार ने मुख्य समारोह को देखते हुए तीन से पांच जनवरी तक सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की है । पंजाब के नाभा जेल ब्रेक कांड के साजिशकर्ता और खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (केएलएफ) के फरार आतंकी कश्मीर सिंह के बिहार में छिपे होने की आशंका को लेकर एस डबल्यू ए टी की तैनाती की गयी है । एस डबल्यू ए टी एक टीम में 15 प्रशिक्षित कमांडो हैं जो अत्याधुनिक हथियार ए.के.47 तथा एमपी 05 से लैश हैं । इन कमांडो को आतंकियों से मुकाबला करने का विशेष प्रशिक्षण प्राप्त है और यह आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) के तहत काम करता है । 

चाक- चौबंद सुरक्षा व्यवस्था ऐसी है कि गांधी मैदान से लेकर पटनासिटी स्थित तख्त हरिमंदिर साहिब के इलाके में चप्पे -चप्पे पर पुलिस के जवान 24 घंटे नजर रख रहे हैं । बिहार पुलिस के 25 हजार जवानों को सुरक्षा के लिये लगाया गया है । इसी तरह पहले से लगे सीसीटीवी के अलावा दो सौ अतिरिक्त सीसीटीवी प्रमुख स्थलों पर लगाया गया है । इसके साथ ही ऐसा मोबाइल एप तैयार किया गया है जिससे कि सभी पुलिस अधिकारी लगातार एक दूसरे के साथ सम्पर्क में बने रहें । पटना साहिब और गांधी मैदान में अस्थायी थाना भी बनाया गया है । देश- विदेश से आ रहे श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़ के कारण राजधानी की रौनक बढ़ गयी है। पटना सिटी स्थित तख्त श्री हरिमंदिर साहिब और बाल लीला गुरुद्वारा के अलावा कंगन घाट , राजधानी के ऐतिहासिक गांधी मैदान और बाईपास में बने विशाल टेंट सिटी में श्रद्धालुओं के आने से पटना में चहल- पहल बढ़ गयी है । इन टेंट सिटी में कुछ ऐसे अत्याधुनिक कमरे बनाये गये हैं जहां लोगों को ठंड के इस मौसम में भी गर्मी का ऐहसास हो रहा है । आने वाले श्रद्धालु गुरु की धरती पर उतरने के बाद अपने को धन्य मान रहे है और यहां की धरती को प्रणाम कर गुरुद्वारा की ओर प्रस्थान कर रहे हैं । लोगों का ट्रेनों और बसों से आने का सिलसिला अभी भी बना हुआ है । महिलाएं जहां लंगर में सेवा करने को उत्सुक हैं वहीं हरिमंदिर साहिब की ओर जाने वाले लोग बीच-बीच में ..जो बोले सो निहाल,सत् श्री आकाल .. के नारे लगा रहे हैं । श्रद्धालुओं के लिए पटना साहिब गुरुद्वारा के लंगर में रोटी बनाने की मशीन लगायी गयी है जिसमें प्रति घंटा एक हजार से ज्यादा रोटियां तैयार हो रही है । यह मशीन लेबनान संगत के द्वारा पंजाब स्थित गुरुद्वारा को मुहैया करायी गयी थी जिसे प्रकाशोत्सव के लिए यहां भेजा गया है । इसके अलावा आटा गूंथने की मशीन भी यहां लायी गयी है । वहीं पंजाब के मोगा से गुलाबजामुन बनाने की मशीन भेजी गयी है जिससे एक घंटे में 12620 गुलाबजामुन तैयार की जा रही है । गुरु के द्वार में मत्था टेकने के बाद श्रद्धालु लंगर में मशीन से तैयार गुलाबजामुन का स्वाद चख रहे हैं ।वहीं सुबह से देर रात्रि तक श्रद्धालुओं के साथ ही स्थानीय लोग भी लंगर में प्रसाद छक रहे हैं । लंगर और उसके आसपास स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है । श्रद्धालुओं को सही जानकारी मिल सके इसके लिये बिहार सरकार ने वेबसाईट तैयार किया है । इस वेबसाईट पर लोगों को गुरू गोविंद सिंह जी के 350 वीं जयंती से संबंधित सभी जानकारियां उपलब्ध करायी गयी है । इसी तरह बिहार संग्राहालय में गुरू गोविंद सिंह जी के जीवन पर चित्रों के माध्यम से प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है । बिहार संग्राहालय को आम लोगों के लिये एक सप्ताह के लिये नि:शुल्क प्रवेश की व्यवस्था है । शानदार मेजवानी की व्यवस्था ने श्रद्धालुओं के चेहरे पर मुस्कुराहट ला दी है । गुरू पर्व में पांच लाख से अधिक श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है । श्रद्धालुओं की बढ़ती हुयी संख्या को देखते हुए पटना साहिब स्टेशन पर लम्बी दूरी के 60 से अधिक ट्रेनों का ठहराव किया गया है । इसी तरह पटना जंक्शन से पटना साहिब के लिये भी विशेष ट्रेनों का परिचालन शुरू किया गया है । पटना जंक्शन और पटना साहिब से श्रद्धालुओं के लिये नि:शुल्क विशेष बस सेवा उपलब्ध करायी गयी है । 

केजरीवाल ने तख्त श्री हरिमंदिर साहिब में मत्था टेका

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पटना 02 जनवरी, श्री गुरू गोविंद सिंह जी के 350 वें प्रकाशोत्सव के अवसर पर दिल्ली के मुख्यमंत्री एवं आम आदमी पार्टी(आप) के अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल ने आज तख्त श्री हरिमंदिर साहिब में मत्था टेका । श्री केजरीवाल यहां पहुंचने के बाद सबसे पहले तख्त श्री हरिमंदिर साहिब में मत्था टेका और उसके बाद लंगर चखा । इससे पहले तख्त श्रीहरि मंदिर साहिब कमिटी की ओर से उन्हें सिरोपा भेंट किया गया । श्री केजरीवाल इसके बाद बाल लीला गुरूद्वारा गये जहां मत्था टेकने के बाद लंगर में आये श्रद्धालुओं को सेवा दी । दिल्ली के मुख्यमंत्री ने मत्था टेकने के बाद कहा कि वह श्री गुरू गोविंद सिंह जी का आर्शीवाद लेने आये हैं । देश में शांति का वातावरण बना रहे यही उनकी कामना है । इसके बाद श्री केजरीवाल बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलने उनके एक अर्णे मार्ग स्थित सरकारी आवास गये ।

मोदी की परिवर्तन रैली फ्लाप शो : मायावती

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लखनऊ, 02 जनवरी, बहुजन समाज पार्टी(बसपा) अध्यक्ष मायावती ने कहा है कि राज्य विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘परिवर्तन रैली’ के लिये भारतीय जनता पाटी (भाजपा) टिकटार्थियों द्वारा भीड जुटाने की कोशिश के बावजूद यह रैली फ्लाॅप शो साबित हुई। उन्होंने कहा कि इस रैली में आम जनता की भागीदारी काफी कम रही। रैली की लगभग 40 हजार कुर्सियों में काफी बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मियों के ही लोग डटे रहे। सुश्री मायावती ने आज यहाँ जारी एक बयान में कहा कि नोटबन्दी के चलते भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ’परिवर्तन यात्रायें’ पूरे प्रदेश में काफी फीकी रहीं हैं। इन यात्राओं में जन भागीदारी न के बराबर रही। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के नोटबन्दी के फैसले से लोगों की नाराजगी थी। भाजपा की यात्राओं की समाप्ति पर आज हुई ’परिवर्तन रैली’ में लोगों की नाराजगी देखने को मिली। भाजपा ने केवल 40 हजार कुसियों का ही इंतजाम किया था। इन कुर्सियों को भी काफी दूरी-दूरी पर बिछाया गया था ताकि पूरा रमाबाई अम्बेडकर मैदान भरा-भरा लगे। उन्होंने कहा कि भाजपा की इस रैली में केवल भाड़े की भीड़ के साथ-साथ ज्यादातर टिकटार्थियों की ही भीड़ नजर आयी। इसके अलावा काफी बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मियों को भी तैनात किया गया था। भाजपा व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार की लोकसभा चुनाव में वादाखिलाफी एवं नोटबन्दी के जानलेवा जंजाल को लोगों पर जबर्दस्ती थोपने से नाराज आमजनता नाराज थी। भाजपा की यह बहु-प्रचारित परिवर्तन रैली फ्लाॅप साबित हुई है। भाजपा ने इसके बारे में काफी लम्बे-चौड़े दावे किये थे और उसी के हिसाब से ताम-झाम भी करने की कोशिश की थी। 

सुश्री मायावती ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी का भाषण भी ज्यादातर मामलों में भी वही पुराना व घिसा-पिटा ही था। उनका भाषण आमजनता की उम्मीद पर खरा नहीं उतर पाया। उन्होंने कहा कि नववर्ष में भी नोटबन्दी से देशवासियों को कुुछ राहत देने वाली बात उन्होंने नही की। केन्द्र सरकार ने पेट्रोल, डीजल व रसोईगैस जैसे आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बढ़ाकर नववर्ष 2017 में आमजनता की कमर तोड़ने वाला कड़वा ’तोहफा’ लोगों को दे दिया है। देश में कालाधन, भ्रष्टाचार व नकली नोट समाप्ति की आड़ में ’नोटबन्दी’ के 50 दिनों के लम्बे अभियान की समाप्ति के बाद प्रधानमंत्री श्री मोदी व भाजपा इसके सम्बन्ध में केवल हवा-हवाई व खोखली बातें कर रहे है। वे लोग जनता को उस लाभ के बारे में क्यों नहीं बता रहे हैं जिसका वायदा उन्होंने नोटबन्दी के समय बार-बार किया था। बसपा अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा अपना हिसाब-किताब देश की जनता को क्यों नहीं दे रही है कि उसने आठ नवम्बर से पहले अपने अकूत धन का कहाँ-कहाँ बन्दोबस्त किया है। भाजपा ने कितनी सम्पत्तियाँ खरीदीं और नोटबन्दी के बाद कितना धन ठिकाने लगाया और बैंकों में कितना जमा कराया। उन्होंने कहा कि मोबाइल एप ’’भारत इंटरफेस फार मनी’’ के अंग्रेजी नाम से लाँच किया गया। उसको ’’भीम’’ का उपनाम से प्रचारित कर दलित समाज के लोगों को इसके नाम पर बरगलाने का प्रयास किया। अगर प्रधानमंत्री श्री मोदी की नीयत साफ होती तो इसका नाम ही बाबा साहेब डा0 भीमराव अम्बेडकर के नाम पर सीधा कर दिया गया होता। 

जया की मौत पर कोई संदेह नहीं होना चाहिये: वेंकैया

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चेन्नई, 02 जनवरी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने आज कहा कि तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता के मौत पर किसी तरह का संदेह नहीं किया जाना चाहिये और उनके शव को कब्र से दोबारा निकाला जाना अस्वीकार्य है। मद्रास उच्च न्यायालय की अवकाशकालीन पीठ द्वारा सुश्री जयललिता की मौत की सच्चाई जानने के लिए उनके शव को कब्र से निकाले जाने संबंधी सवाल पर श्री नायडू ने कहा कि वह इसके पक्ष में नहीं हैं। उन्होंने कहा, “उनके शव को कब्र से निकालना मेरे लिए अस्वीकार्य है क्योंकि मैं उनके प्रति पूरा सम्मान और आदर का भाव रखता हूं।” श्री नायडू ने कहा कि सुश्री जयललिता की मौत पर किसी को संदेह नहीं उठाना चाहिए। वह संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती हुई थीं और उनके स्वास्थ्य में सुधार हो रहा था लेकिन उन्हें अचानक दिल का दौरा पड़ गया जिसके कारण उनका निधन हो गया। उन्होंने कहा, “डॉक्टरों ने कहा था कि उनकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई। हमें डॉक्टरों के बताये कारणों को मानना हिये। बिना किसी आधार या सबूत के संदेह नहीं किया जाना चाहिये।” उन्होंने कहा कि इस पर बहस करने की कोई जरूरत नहीं है। श्री नायडू ने सुश्री जयललिता की अंतिम यात्रा के दौरान लोगों के अनुशासनात्मक व्यवहार की तारीफ भी की। उन्होंने कहा, “मैं उन्हें बधाई देता हूं।” एक सवाल पर श्री नायडू ने कहा कि सुश्री जयललिता के निधन के बाद श्री ओ पनीरसेल्वम को मुख्यमंत्री बनाये जाने के मामले में केंद्र की कोई भूमिका नहीं है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार किसी भी राजनीतिक दल के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करती। 

शराबबंदी पर बिहार सरकार की याचिका उच्चतम न्यायालय में स्वीकार

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नयी दिल्ली, 02 जनवरी, उच्चतम न्यायालय ने बिहार में शराब पर प्रतिबंध से संबंधित मामला उसके पास स्थानांतरित करने के लिए राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई करने का आज निर्णय लिया। न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कन्फेडेरेशन ऑफ एल्कोहोलिक बेवरेजेज कंपनीज को नोटिस जारी किया और चार सप्ताह में आगे की सुनवाई तय की। पिछले वर्ष सात अक्टूबर को उच्चतम न्यायालय ने पटना उच्च न्यायालय द्वारा बिहार में शराब की बिक्री पर प्रतिबंध संबंधी अधिसूचना रद्द किये जाने पर रोक लगा दिया था। बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने पटना उच्च न्यायालय के तीन अक्टूबर के आदेश को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की थी। शराब कंपनियों ने शराबबंदी को लेकर पटना उच्च न्यायालय का रुख किया था। पटना उच्च न्यायालय ने 30 सितंबर को बिहार में शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने संबंधी राज्य सरकार की पांच अप्रैल की अधिसूचना को खारिज कर दिया था। उन्होंने इसे संविधान के दायरे से बाहर बताया। उच्च न्यायालय के इस पर प्रतिबंध के आदेश को रद्द करने के दो दिन बाद बिहार सरकार एक नयी शराबबंदी नीति ले आयी जो गांधी जयंती से प्रभाव में आ गयी थी। इसमें किसी घर से शराब पाये जाने के बाद उसके सभी वयस्कों को गिरफ्तार किये जाने जैसे कड़े प्रावधान किये गये हैं।

मजहबी सियासत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट,फिरभी यूपी में हिंदुत्व का पुनरूत्थान?

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  • सुप्रीम कोर्ट हिंदुत्व को धर्म नहीं मानता,संघ परिवार के खुल्ला खेल फर्रूखाबादी जारी रखने से कौन रोकेगा?
  • सीधा मतलब है कि देश राष्ट्रद्रोही है क्योंकि देश को राष्ट्र कुचल रौंद रहा है।
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अब शायद मान लेना होगा कि यूपी में चौदह साल का वनवास खत्म करके रामराज्य की स्थापना के मकसद से नोटबंदी का सर्जिकल स्ट्राइक कामयाब है। यदुवंश के मूसलपर्व ने इस असंभव को संभव करने का समां बांधा है और अब यूपी में हिंदुत्व के पुनरूत्थान का दावा खुल्लमखुल्ला है।नोटबंदी का कार्यक्रम से लेकर डिजिटल कैशलैस कारपोरेट अश्वमेध अभियान का मकसद यूपी में रामराज्य है,यही नोटबंदी का सीक्रेट है।इसलिए रामवाण का लक्ष्य निशाने पर लगा है,यह मान लेने में हकीकत का सामना करना आसान होगा।बाकी देश में नकदी संकट और यूपी में नोटों की बरसात से यह साफ हो गया था कि कालाधन निकालना मकसद नहीं है,निशाने पर यूपी है।जब कालाधन निकालना मकसद नहीं है तो किसीसे क्यों उसके रिजल्ट का ब्यौरा मांग रहे हैं।नतीजा देखना है तो यूपी को देखिये। हालांकि लखनऊ रैली के दिन ही सुप्रीम कोर्ट ने मजहबी सियासत को गलत बताया है।सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की संवैधानिक पीठ ने एक अहम फैसले में आज कहा कि प्रत्याशी या उसके समर्थकों के धर्म, जाति, समुदाय, भाषा के नाम पर वोट मांगना गैरकानूनी है। चुनाव एक धर्मनिरपेक्ष पद्धति है। इस आधार पर वोट मांगना संविधान की भावना के खिलाफ है। जन प्रतिनिधियों को भी अपने कामकाज धर्मनिरपेक्ष आधार पर ही करने चाहिए। आने वाले पांच राज्‍यों में इसका असर होने की संभावना है।
क्या असर होना है?
क्या सुप्रीम कोर्ट धर्म की राजनीति पर रोक लगा सकता है?
क्या सुप्रीम कोर्ट संघ परिवार और भाजपा पर रोक लगा सकता है?

इसका सीधा जवाब नहीं है क्योंकि हिंदुत्व को धर्म मानने से सुप्रीम कोर्ट ने साफ इंकार कर दिया है,इसलिए हिंदुत्व के ग्लोबल एजंडे पर रोक लगने की कोई आशंका नहीं है।सुप्रीम कोर्ट के सात जजों की बेंच ने एक बार फिर साफ किया कि वह हिंदुत्व के मामले में दिए गए 1995 के फैसले को दोबारा एग्जामिन नहीं करने जा रहे। 1995 के दिसंबर में जस्टिस जेएस वर्मा की बेंच ने फैसला दिया था कि हिंदुत्व शब्द भारतीय लोगों की जीवन शैली की ओर इंगित करता है। हिंदुत्व शब्द को सिर्फ धर्म तक सीमित नहीं किया जा सकता।इसका सीधा मतलब यह है जब हिंदुत्व धर्म नहीं है,तो उसपर रोक लग नहीं सकती और संघ परिवार का खुल्ला खेल फर्रूखाबादी जारी रहने वाला है। यह नोटबंदी का सर्जिकल स्ट्राइक भी  संघ परिवार का खुल्ला खेल फर्रूखाबादी है। उसका स्वदेश और उसका धर्म दोनों फर्जी हैं जैसे उसका राष्ट्रवाद देशद्रोही है। इस बीच नोटबंदी के बारे में आरटीआई सवाल के जवाब में रिजर्व बैंक ने नोटबंदी से पहले वित्तमंत्री या भारत सरकार के मुख्य सलाहकारों से विचार विमर्श हुआ है कि नहीं,राष्ट्रहित के मद्देनजर गोपनीय जानकारी बताते हुए जवाब देने से इंकार कर दिया है।वित्त मंत्री या मुख्य आर्थिक सलाहकार से विचार विमर्श वित्तीय प्रबंधन और नोटबंदी के मामले में करने का खुलासा राष्ट्रहित के खिलाफ क्यों है,यह सवाल बेमतलब है।कुल मतलब यह है कि वित्तमंत्री और मुख्य आर्थिक सलाहकार को अंधेरे में रखकर ही राष्ट्रहित में यह सर्जिकल स्ट्राइक है।यह संघ परिवार का हितों का हिंदुत्व राष्ट्रवाद है।मकसद यूपी जीतकर मनुस्मृति शासन और नस्ली नरसंहार है।गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ने किन लोगों के परामर्श से नोटबंदी के फैसले को अंजाम दिया गया है,इसका भी जवाब देने से  राष्ट्रहित के मद्देनजर साफ इंकार कर दिया है। सीधा मतलब है कि देश राष्ट्रद्रोही है क्योंकि देश को राष्ट्र कुचल रौंद रहा है।  

‘मैं कहती हूँ गरीबी हटाओ, वे कहते हैं इंदिरा हटाओ’—इंदिरा गांधी, 1971
नतीजा आपातकाल।
‘मोदी कहता है काला धन हटाओ, वे कहते हैं मोदी हटाओ’—नरेंद्र मोदी 2017 लखनऊ
नतीजा? इतिहास की पुनरावृत्ति कारपोरेट हिंदुत्व का नस्ली नरसंहार।

नागरिक जब नहीं होते तो सिर्फ राष्ट्र होता है और राष्ट्र का अंध राष्ट्रवाद होता है,उसका सैन्यतंत्र होता है और नतीजा वही निरंकुश फासिज्म। देश का मतलब हवा माटी कायनात में रची बसी मनुष्यता है और राष्ट्र का मतलब संगठित सत्ता वर्ग का संगठित सैन्य तंत्र जिसे सचेत नागरिक लोकतंत्र बनाये रखते हैं।नागरिक न हुए तो राष्ट्र का चरित्र निरंकुश सैन्यतंत्र है और नतीजा नस्ली नरसंहार।नागरिकों की संप्रभुता के बिना यह कारपोरेट राष्ट्र नरसंहार गिलोटिन है।

देश और राष्ट्र एक नहीं है।
देश मतलब स्वदेश है,जो जनपदों का समूह है और राष्ट्र का मायने अबाध पूंजी प्रवाह है।कंपनीराज है।जिसमें नागरिक शहरी और महानगरीय है,जनपद हाशिये पर।जल जंगल जमीन हवा पानी माटी की जड़ों से कटे हुए नागरिक समाज का कैशलैस डिजिटल राष्ट्र है यह,जिसकी प्लास्टिक क्रयक्षमता अंतहीन है और क्रय शक्तिहीन,जल जंगल जमीन खेत खलिहान से बेदखल गांव देहात,पहाड़ और समुंदर,द्वीप और मरुस्तल और रण, अपढ़ अधपढ़ जनपदों की इस उपभोक्ता बाजार में तब्दील राष्ट्र को कोई परवाह नहीं है। गांवों जनपदों के रोने हंसने चीखने पर निषेधाज्ञा है।उसके लोक पर कर्फ्यू है।उसके हकहकूक के खात्मे के लिए निरंकुश अशवमेध सैन्य अभियान राष्ट्र का युद्धतंत्र है,जिसका महिमामंडन अध राष्ट्रवाद की असहिष्णुता की नरसंहार संस्कृति है,नस्ली सफाया अभियान है और उसका सियासती मजहब भी है। यही हिंदुत्व का कारपोरेट पुनरूत्थान है।कारपोरेट निजीकरण विनिवेश उदारीकरण ग्लीबकरण का ग्लोबल मनुस्मृति विधान है। हिंदुत्व का यह कारपोरेट पुनरूत्थान भारत अमेरिका इजराइल का त्रिभुज है।जो ग्लोबल हिंदुत्व का त्रिशुल कारपोरेट है और बाकी दुनिया के साथ महाभारत है तो घर के भीतर घर घर महाभारत है,जिसे हम रामायण साबित कर रहे हैं। यह परमाणु विध्वंस का हिरोशिमा नागासाकी राष्ट्र है,यह जनपदों का देश नहीं,स्मार्ट महानगरों,उपनगरों का शापिंग माल पूंजी उपनिवेश है।राष्ट्र नहीं,अनंत पूंजी बाजार है,पूंजी बाजार का निरंकुश सैन्यतंत्र है।जहां कोई चौपाल,पंचायत या घर है ही नहीं।परिवार नहीं है,समाज भी नहीं है। न परिवार है,न दांपत्य है,न रिश्ते नाते हैं और न लोक गीतों की कोई सुगंध है।सिर्फ प्रजाजनों के विरुद्ध सर्जिकल स्ट्राइक है। देश का मतलब उसका इतिहास,उसका लोक है,उसकी बोली उसकी मातृभाषा है और राष्ट्र का मतलब अकूत प्राकृतिक संसाधनों के लूटखसोट का भूगोल है।विज्ञापनों का जिंगल है।पूंजी महोत्सव का विकास है।अब वह राष्ट्र अर्थव्यवस्था की तरह शेयर बाजार है,जो खूंखार भालुओं और छुट्टा सांढों के हवाले है। बाजार का धर्मोन्माद अंधियारा का कारोबार,राष्ट्र का सैन्य तंत्र और निरंकुश राजकाज है।अंधियारे का कारोबार भाषा और संस्कृति है,विधा और माध्यम हैं। तो सत्यमेव जयते अब मिथ्यामेवजयते है।मिथ्या फासिज्म का रंगरेज चरित्र है जो कायनात को धोकर अपने रंग से रंग देता है।

यही अब यूपी का समां है।कयामती फिजां है।सामाजिक बदलाव अब निरंकुश मनुस्मृति समरसता है और सामाजिक बदलाव का रंग भी केसरिया है।इसीका चरमोत्कर्ष यदुवंश का रामायण और महाभारत दोनों हैं।मुगलिया किस्सा भी वहींच। यूपी में जैसा कि दावा है,अब चौदह साल के बाद यदुवंश के मूसल पर्व के परिदृश्य में फिर शायद हिंदुत्व का पुनरूत्थान है।त्रेता के अवसान के बाद रिवर्सगियर में फिर सतजुग है।रघुवंश का राजकाज बहाल है।बहुजनों का कलजुग काम तमाम है। समाजवादियों और बहुजनों के आत्मघाती स्वजनवध महोत्सव की यह अनिवार्य परिणति है।सत्ता में साझेदारी में समता न्याय की मंजिल कहीं खो गयी है और नोटों की बरसात शुरु हो गयी है।नतीजा वही हिंदुत्व का पुनरूत्थान। राष्ट्र की नींव पूंजी है और देश का ताना बाना उत्पादन संबंधों की विरासत है।कृषि समाज के अवसान और पूंजीवाद के उत्थान के साथ राष्ट्र का जन्म पूंजी के हितों के मुताबिक हुआ औद्योगिक क्रांति के साथ।अंग्रेजों ने देश का बंटाधार करके हमें राष्ट्र का उपनिवेश सौंप दिया और वही हमारा हिंदू राष्ट्र है तो गुलामी विरासत है। भारत कभी राष्ट्र नहीं रहा है।भारत हमेशा देश रहा है।लोक में रचा बसा म्हारा देश।जहां की विरासत लोकतंत्र की रही है।सामंती उत्पादन प्रणाली में वह देश मरा नहीं और न वह लोक मरा कभी।जिसे महान हिंदुत्व का लोकतंत्र कहते अघाते नहीं लोग,वह दरअसल लोक में रचे बसे जनपदों का लोकतंत्र है।राष्ट्र ने जनपदों की हत्या कर दी तो लोकतंत्र का भी अवसान हो गया और अब सिर्फ निरंकुश हिंदू सैन्य राष्ट्र है।इसीलिए कालाधन निकालने नाम आम जनता पर आसमान से अग्निवर्षा पवित्र है।
सामंती उत्पादन और शासन प्रणाली में भी हवा पानी माटी में रचा बसा रहा है देश और जब तक भारत कृषि प्रधान रहा है तब तक जिंदा रहा है यह देश।

कृषि की हत्या के साथ देश की हत्या हो गयी।
 जल जंगल जमीन की हत्या हो गयी।
हवा पानी माटी की हत्या हो गयी।

अब हम निरंकुश राष्ट्र के प्रजाजन हैं।संगठित कारपोरेट सत्ता वर्ग का मुक्त आखेटगाह है यह आम प्रजाजनों के लिए पवित्र वधस्थल जो अब हिंदुत्व का कारपोरेट पुनरूत्थान है।निरंकुश मनुस्मृति शासन है। अवध की सरजमीं पर अब उसका जयगान है।यह धर्म भी नहीं है।धर्म का कारपोरेट इस्तेमाल है।यही मजहबी सियासत है। फासिज्म के राजकाज में भी राष्ट्र का एकाधिकारी नेतृत्व ईश्वर होता है। उस ईश्वर की मर्जी संविधान है।उसे किसी से सलाह लेने की जरुरत नहीं होती और न उसे कायदे कानून संविधान संसद की परवाह होती है।आम जनता की तो कतई नहीं।उसे अपने खास दरबार के खास लोगों के कारोबार का राष्ट्र बनाना होता है।
ईश्वर के राष्ट्र में नागरिक नहीं होते,सिर्फ भक्तजन।स्वर्गवासी भक्तजन।
ईश्वर को समर्पित कीड़े मकोड़े किसी राष्ट्र के नागरिक नहीं हो सकते।
अंध राष्ट्रवादी भक्तजन।आत्ममुग्ध नरसिस के आत्मघाती भक्तजन।

साल के अंत में पुरानी शराब नये बोतल में पेश करने के बाद सुनहले दिनों का यह नजारा।साल के पहले ही दिन सरकार ने देश के लोगों को झटका दिया है। सरकार ने पेट्रोल के दामों में 1.29 रुपये और डीजल के दामों में 97 पैसे की बढ़ोत्तरी कर दी है। सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडर के दाम भी दो रुपये बढ़ाए गए हैं। यह सात महीने में एलपीजी कीमतों में आठवीं वृद्धि है। इसके अलावा विमान ईंधन (एटीएफ) के दामों में भी 8.6 प्रतिशत की भारी बढ़ोतरी की गई है। अंतरराष्ट्रीय पेट्रोलियम बाजार में तेजी के मद्देनजर घरेलू सरकारी पेट्रोलियम कंपनियों ने पेट्रोल और डीजल के दाम में वृद्धि की घोषणा की। पेट्रोल की कीमत में पिछले एक महीने में यह तीसरी और डीजल में एक पखवाड़े में यह दूसरी वृद्धि है। खुदरा बिक्री मूल्यों में यह बढ़ोत्तरी आज मध्यरात्रि से लागू होगी। दिल्ली में वैट कर सहित पेट्रोल के खुदरा मूल्य में 1.66 रुपये और डीजल के मूल्य में 1.14 रुपये की वृद्धि होगी। दिल्ली में अब पेट्रोल की दर 70.60 रुपये और डीजल की 57.82 रुपये प्रति लीटर हो जाएगी। इससे पहले 17 दिसंबर को पेट्रोल की कीमत 2.21 रुपये और डीजल की कीमत 1.79 रुपये प्रति लीटर बढ़ायी गई थी। तब दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 68.94 रपये और डीजल की कीमत 56.68 रुपये प्रति लीटर हो गई थी। सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों के अनुसार इसी तरह सब्सिडी वाले 14.2 किलोग्राम के रसोई गैस सिलेंडर का दाम दो रुपये बढ़ाकर 432.71 से 434.71 रुपये किया गया है। यह जुलाई से रसोई गैस सिलेंडर कीमतों में आठवीं वृद्धि है। उस समय सरकर ने सब्सिडी को समाप्त करने के लिए सब्सिडी वाले सिलेंडर के दाम में हर महीने दो रुपये की बढ़ोतरी का फैसला किया था।




(पलाश विश्वास)

उत्तर प्रदेश : सपा का नाटक कहीं प्रायोजित तो नहीं ?

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उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी में जिस प्रकार से विभाजन की पटकथा लिखी जा रही है, वह पूरी तरह से प्रायोजित कार्यक्रम की तरह ही दिखाई दे रहा है। सपा में एक समय मुख्यमंत्री के दावेदार के तौर पर दिखाई देने वाले मुलायम सिंह के भाई शिवपाल सिंह को इस दावेदारी से अलग करने के लिए खेला गया यह खेल सपा को किस परिणति में ले जाएगा, यह फिलहाल कहना तर्कसंगत नहीं होगा, लेकिन यह बात सही है कि इस पूरे घटनाक्रम से मुलायम सिंह के पुत्र अखिलेश को जबरदस्त लाभ मिला है। सपा का यह राजनीतिक नाटक संभवत: इसी बात को ध्यान में रखकर ही किया गया है। भविष्य में इस बात के भी संकेत दिखाई देने लगे हैं कि सपा के एक गुट का संचालन करने वाले शिवपाल सिंह अपनी राजनीतिक ताकत दिखाने के लिए अंदरुनी तौर पर विरोध की राजनीति खेलकर अखिलेश के सपनों पर पानी फेरने का काम कर सकते हैं। वर्तमान में सपा के दो समूह दिखाई दे रहे हैं, एक का नेतृत्व मुलायम सिंह कर रहे हैं तो दूसरे का उनके पुत्र अखिलेश कर रहे हैं। यहां एक सवाल यह आ रहा है कि मुलायम ने आज तक अखिलेश के विरोध में एक भी शब्द नहीं बोला। इसे क्या समझा जाए। क्या यह पिता-पुत्र की साजिश है या पार्टी पर कब्जा करने की Uरणनीति। खैर जो भी हो, मुलायम सिंह राजनीति के ऐसे माहिर खिलाड़ी हैं कि वे हमेशा सपा के मुखिया रहे हैं और विभाजित होने के बाद भी रहेंगे।

उत्तरप्रदेश की समाजवादी पार्टी में चल रही उठापटक की राजनीति के दौरान कहीं न कहीं यह भी दिखाई देता है कि यह नाटक सपा की रणनीति का हिस्सा हो सकता है। समाजवादी पार्टी में चल रही प्रभुत्व की लड़ाई के चलते संभवत: मुलायम सिंह की मंशा यही रही होगी कि कैसे भी हो उनके पुत्र अखिलेश यादव को राष्ट्रीय राजनीति में स्थापित किया जाए। इसी योजना के तहत सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया। हालांकि दूसरी ओर सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने इस अधिवेशन को असंवैधानिक घोषित कर दिया है। लेकिन अखिलेश यादव के बयानों से यह साफ प्रदर्शित होता है कि वे अपने पिता मुलायम सिंह के बिना कुछ भी नहीं कर सकते। अखिलेश ने खुद भी कहा है कि नेताजी मेरा पिता हैं, और इस रिश्ते को कोई नहीं छीन सकता। उन्होंने कहा कि मेरी जीत से उन्हें ही ज्यादा खुशी होगी। इसमें एक सवाल यह भी आता है कि जिस प्रकार से मुलायम सिंह नाटक खेल रहे हैं, वह आज सभी को समझ में आने लगा है। वर्तमान में जनता भी इतनी समझदार हो चुकी है कि वह हर राजनीतिक कदम का पूर्व आंकलन करके उसका भविष्य भी समझ लेती है। सपा का यह कदम वास्तव में अखिलेश को उभारने का एक माध्यम ही है, जिसमें मुलायम सिंह सफल हुए हैं।

सपा की वर्तमान राजनीति में देखा जा रहा है कि आज सपा को दो भागों में विभक्त होते हुए दिखाया जा रहा है, लेकिन बड़ा सवाल सह है कि सपा दो भागों में विभक्त है ही नहीं। मुलायम सिंह यादव चुनाव आयोग में शिकायत लेकर गए हैं। ऐसे में जिस गुट को साइकिल चुनाव निशान मिलेगा। वही असली गुट माना जाएगा। इसमें एक बात और है कि एक तरफ पिता है तो दूसरी तरफ पुत्र। दोनों में से जिसे भी सपा का असली हकदार माना जाएगा, वही सपा का नेतृत्व करेगा यानी मुलायम सिंह के दोनों हाथों में लड्डू हैं। समाजवादी पार्टी के इस खेल में सबसे ज्यादा हानि केवल शिवपाल सिंह को हो रही है। उन्हें न केवल प्रदेश अध्यक्ष पद से बेइज्जत करके हटाया गया बल्कि अखिलेश वाली सपा में भी कोई स्थान नहीं दिया गया। ऐसे में अखिलेश मंत्रिमंडल में शामिल कई चेहरे आज की स्थिति में सपा के नेता नहीं हैं। इसमें सवाल यह भी है कि क्या मुलायम की सपा में शिवपाल आज भी प्रदेश अध्यक्ष हैं या नहीं। क्योंकि अखिलेश समर्थकों ने प्रदेश अध्यक्ष के कार्यालय से शिवपाल की नाम पट्टिका को ऐसे उखाड़ फैंका, जैसे कोई दुश्मन की हो।

समाजवाद के नाम पर राजनीति करने वाली सपा वर्तमान में एक परिवार के गुटों में बंटी हुई दिखाई दे रही है। हालांकि यह सब एक नाटक ही कहा जा रहा है, क्योंकि यह सभी जानते हैं कि परिवार के मुखिया के रुप में स्थापित मुलायम सिंह यादव ने पूरे परिवार को समाजवादी पार्टी का मुखिया बनाकर रखा। इतना ही नहीं मुलायम सिंह ने सत्ता का दुरुपयोग करते हुए केवल अपने पूरे परिवार को सत्ता की सारी सुविधाएं उपलब्ध कराईं। वर्तमान में इस परिवार का हर सदस्य सत्ता का सुख भोग रहा है। प्रदेश की जनता इस सत्य को पूरी तरह से जान चुकी है। सपा का नाटक जनता का ध्यान हटाने के लिए ही किया जा रहा है। लेकिन राजनीतिक दृष्टि से यह साफ लगने लगा है कि प्रदेश में सपा की हालत खराब होने वाली है। सपा के नेताओं ने प्रदेश में जो कुछ भी किया है, वह सबके सामने है। ऐसे में प्रदेश में कैसे दुबारा सत्ता प्राप्त की जा सकती है, इसका प्रयास किया जाने लगा। और इसी के तहत अखिलेश को उभारने का काम किया गया।

समाजवादी पार्टी का भविष्य फिलहाल चुनाव आयोग के हाथ में है। दो भागों में दिखाई दे रही सपा में असली और नकली का परिणाम भी अब चुनाव आयोग को ही तय करना है। अगर मुलायम सिंह की पार्टी को सही पार्टी माना गया तो फिर सपा की गत क्या होगी यह समझ से परे है। क्योंकि ऐसी हालात में मुख्यमंत्री अखिलेश की कुर्सी को भी गंभीर ख़तरा पैदा हो सकता है। हालांकि प्रचारित किया जा रहा है कि वर्तमान में सपा के ज्यादातर विधायक अखिलेश के नेतृत्व को पसंद कर रहे हैं। ऐसे में भी शंका इस बात की है कि अखिलेश के पास बहुमत लायक विधायक होंगे, इसकी क्या गारंटी है। सुनने में यह भी आ रहा है कि दोनों ओर से अब चुनाव चिन्ह प्राप्त करने की लड़ाई भी शुरू हो गयी है। इसमें चुनाव आयोग को जो भी उचित लगेगा, उसे ही साइकिल चुनाव चिन्ह दिया जाएगा।

कहा जाता है कि सपा के मुखिया मुलायम सिंह बहुत दूर की सोचकर ही काम करते हैं। उनकी उम्र ढल चुकी है। सपा के नेताओं द्वारा किए गए गलत काम पर पर्दा डालने के लिए और जनता का ध्यान हटाने के लिए किए गए इस नाटक में अखिलेश के प्रति सहानुभूति बटोरने का नाटक बखूबी खेला गया। इससे जनता का ध्यान हट जाएगा, यह सही नहीं है। मुलायम सिंह कई बार सार्वजनिक रूप से यह कह चुके हैं कि सत्ता का सुख भोग रहे नेता अपने आचरण में सुधार करें। कुछ ऐसी ही बात उन्होंने अखिलेश के बारे भी कही। इससे यह तो पता चलता ही है कि सपा में सब कुछ ठीक नहीं है। सत्ता का सुख छिन जाने का डर सभी तरफ दिखाई दे रहा है। दुबारा सत्ता प्राप्त करने की कवायद के चलते ही यह सारा खेल खेला जा रहा है। अब आगे आगे देखिए होता है क्या ?


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सुरेश हिन्दुस्थानी
झांसी (उत्तरप्रदेश)
मोबाइल 09455099388

सावित्रीबाई फुले : सामाजिक-शैक्षिक क्रांति की महानायिका

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इतिहास इस बात का गवाह है कि जब-जब समाज और राष्ट्र में शोषण, अन्याय और अत्याचार बढ़ता है और मूलभूत मानवीय अधिकारों का हनन होने लगता है, तो उस समाज में इस दमन-चक्र के खिलाफ आवाज उठाने के लिए कोई महापुरुष जन्म लेता है। सावित्रीबाई फुले ऐसे ही महापुरुषों की महान श्रंृखला की एक गौरवशाली कड़ी बनी हैं, जो देश में सामाजिक क्रांति एवं नारी शिक्षा के साथ-साथ देश के हजारों गरीब, प्रताड़ित तथा शोषित लोगों की एक सशक्त आवाज बनकर उभरीं और उन्होंने अपने परिवार तथा अपने व्यक्तिगत सुख-दुख को तिलांजलि देकर अपना पूरा जीवन देश में एक अभिनव शिक्षा क्रांति के लिये समर्पित कर दिया। वे भारत की जुझारू समाज सुधारिका, महान राष्ट्रनायिका एवं मराठी कवयित्री थीं। उन्होंने अपने पति ज्योतिराव गोविंदराव फुले के साथ मिलकर स्त्रियों के अधिकारों एवं शिक्षा के लिए बहुत से कार्य किए। उन्होंने अपने कर्तृत्व की जो अमिट रेखाएं खींची हंै, वे इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित रहेगी। शिक्षाक्रांति के साथ-साथ समाजक्रांति के सूत्रधार के रूप में उन्हें युग-युगों तक याद किया जायेगा। उनके विराट व्यक्तित्व को किसी उपमा से उपमित करना उनके व्यक्तित्व को ससीम बनाना होगा। उनके लिये तो इतना ही कहा जा सकता है कि वे अनिर्वचनीय हैं, ध्रुव तारे की तरह केन्द्र बिन्दु है।
सावित्रीबाई फुले का जन्म महाराष्ट्र के सतारा जिले के खण्डाला तहसील में नायगांव में माली परिवार में 3 जनवरी 1831 को हुआ। इनके पिता का नाम खन्दोजी नेवसे और माता का नाम लक्ष्मी था। सावित्रीबाई फुले का विवाह 1840 में ज्योतिबा फुले से हुआ था। जैसे-जैसे उम्र बढ़ी इस भारत की उदीयमान अबला ने बचपन से ही कुछ विलक्षण, अनूठे एवं अचरज वाले कार्य करना प्रारंभ कर दिये थे। खेलकूद की उम्र में वे नव-सृजन एवं दूसरों को प्रेरणा देने, जागृत करने में अहर्निश लगी रही। विरोध को समभाव से सहकर वे जिस प्रकार उसे प्रेरणा के रूप में बदलती रही, वह इतिहास का एक प्रेरक पृष्ठ है। उनका पूरा जीवन समाज में वंचित तबके खासकर महिलाओं और दलितों के अधिकारों के लिए संघर्ष में बीता।

एक नारी को असमान एवं दोयम दर्जा की मानने वालों के लिए सावित्रीबाई एक चुनौती थी। जब महिलाएं पुरुषों की गुलामी में जकड़ी हो और पुरुषवादी रीति-रिवाज, आचार-विचार, रहन-सहन, ज्ञान-विज्ञान, खान-पान, संस्कार-संस्कृति, सभी क्षेत्रों में असहाय जीवनयापन करती हो, यह एक तरह का दासता का जीवन है। इस जीवन से मुक्ति का मार्ग दिखाने वाले सामाजिक क्रांति के जनक महात्मा ज्योतिराव फुले ने दासता की बेड़ियों को तोड़ा। उन्होंने प्रत्येक मानव को आनंदमय जीन जीने के लिए शिक्षा पाने की चेतना जगायी। उन्होंने अपनी अशिक्षित पत्नी सावित्रीबाई फुले को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया और मानव समाज में भारतवर्ष में अपने घर से ही प्रयोग किया। पत्नी को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन शिक्षित और प्रशिक्षित किया। उन्होंने देश की प्रथम शिक्षिका बनाकर नारी उत्थान का मार्ग ही प्रशस्त कर दिया। न केवल शिक्षित किया बल्कि जन-जन को शिक्षित करने और विशेषकर महिलाओं कोे शिक्षित करने की जिम्मेदारी भी दी। 
स्त्री में सृजन की अद्भुत क्षमता है, उस क्षमता का उपयोग समाज-निर्माण एवं व्यक्ति-निर्माण की दिशा में किया जाए तो वह सही अर्थ में निर्मात्री और संरक्षिका होने का सार्थक गौरव प्राप्त कर सकती है। सावित्रीबाई ने ऐसा ही गौरव हासिल किया और शिक्षित होकर कन्याशाला प्रारंभ की, जिसके खिलाफ कट्टरपंथियों मोर्चाबंदी की और तरह-तरह से परेशान करना प्रारंभ कर दिया। उन्होंने पिता गोविंदराव को दबाव लाकर फुले दंपत्ति को घर से निकाल दिया, क्योंकि उनके पिता भी नारी शिक्षा को पाप मानते थे। फुले दंपति को एक मुसलमान मित्र ने अपने घर में शरण दी। वहीं से सावित्रीबाई जब पाठशाला जाती थी तो कट्टरपंथी उनका मजाक उड़ाते, उन पर छींटाकशी करते और कभी गोबर तथा पत्थर मारकर उन्हें बाधित करते और कहते यह बड़ा भयंकर महापाप कर लड़कियों को पढ़ा रही है। सावित्री सब कुछ सहन करते हुए शिक्षा का कार्य संपन्न कर रही थी। शिक्षा के नेत्री सावित्रीबाई फुले ने इस तरह शिक्षा पर षडयंत्रकारी तरीके से एकाधिकार जमाएं बैठी ऊंची जमात का भांडा फोड़ा और शिक्षा का अधिकार हर जाति और वर्ग के लिये खोला ।
सावित्रीबाई फुले भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापक थीं। महात्मा ज्योतिबा को महाराष्ट्र और भारत में सामाजिक सुधार आंदोलन में एक सबसे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में माना जाता है। उनको महिलाओं और दलित जातियों को शिक्षित करने के प्रयासों के लिए जाना जाता है। ज्योतिराव, जो बाद में ज्योतिबा के नाम से जाने गए सावित्रीबाई के संरक्षक, गुरु और समर्थक थे। सावित्रीबाई ने अपने जीवन को एक मिशन की तरह से जीया जिसका उद्देश्य था विधवा विवाह करवाना, छुआछूत मिटाना, महिलाओं की मुक्ति और दलित महिलाओं को शिक्षित बनाना। वे एक कवियत्री भी थीं उन्हें मराठी की आदि कवयित्री के रूप में भी जाना जाता था। उन्होंने उद्देश्यपूर्ण जीवन जीकर जो ऊंचाइयां और उपलब्धियां हासिल की हैं, वे किसी कल्पना की उड़ान से भी अधिक हैं। अपने जीवन के सार्थक प्रयत्नों से उन्होंने इस बात को सिद्ध किया है कि व्यक्ति यदि चाहे तो नगण्य अवसरों को भी अपने कर्तृत्व की छेनी से तराश कर उसे महान् बना सकता है। 
सावित्रीबाई ने विपरीत एवं संघर्षपूर्ण दौर में काम शुरु किया जब धार्मिक अंधविश्वास, रुढिवाद, अस्पृश्यता, दलितों और स्त्रियों पर मानसिक और शारीरिक अत्याचार अपने चरम पर थे। बाल-विवाह, सती प्रथा, बेटियों के जन्मते ही मार देना, विधवा स्त्री के साथ तरह-तरह के अमानुषिक व्यवहार, अनमेल विवाह, बहुपत्नी विवाह आदि प्रथाएं समाज का खून चूस रही थी। समाज में ब्राह्णवाद और जातिवाद का बोलबाला था। ऐसे समय सावित्रीबाई फुले और ज्योतिबाफुले का इस अन्यायी समाज और उसके अत्याचारों के खिलाफ खडे़ हो जाने से सदियों से चली आ रही कुप्रथाओं, अत्याचारों एवं आडम्बरों से समाज को मुक्त किया गया।
महान शिक्षिका सावित्रीबाई फुले ने न केवल शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व काम किया अपितु भारतीय स्त्री की दशा और दिशा सुधारने के लिए उन्होंने 1852 में ”महिला मंडल“ का गठन कर भारतीय महिला आंदोलन की प्रथम अगुआ भी बन गई। इस महिला मंडल ने बाल विवाह, विधवा होने के कारण स्त्रियों पर किए जा रहे जुल्मों के खिलाफ स्त्रियों को तथा अन्य समाज को मोर्चाबन्द कर समाजिक बदलाव के लिए संघर्ष किया। हिन्दू स्त्री के विधवा होने पर उसका सिर मूंड दिया जाता था। विधवाओं के सर मूंडने जैसी कुरीतियों के खिलाफ लड़ने के लिए उन्होंने नाईयों से विधवाओं के ”बाल न काटने“ का अनुरोध करते हुए आन्दोलन चलाया जिसमें काफी संख्या में नाईयों ने भाग लिया तथा विधवा स्त्रियों के बाल न काटने की प्रतिज्ञा ली। इतिहास गवाह है कि भारत क्या पूरे विश्व में ऐसा सशक्त आन्दोलन नहीं मिलता जिसमें औरतों के ऊपर होने वाले शारीरिक और मानसिक अत्याचार के खिलाफ स्त्रियों के साथ पुरूष जाति प्रत्यक्ष रूप से जुड़ी हो।
सावित्री के जीवन की अनेक घटनाएं नारी उत्थान और उन्नयन की गवाह है। उन्होंने भारतवर्ष में नारी शिक्षा की क्रांति प्रारंभ कर नारी उत्थान का मार्ग प्रशस्त किया। वे साहित्य रचना भी करती थी। 1854 में ‘काव्य फूले’ कविता संग्रह प्रकाशित हुआ। उनकी रचनाएं मानव के लिये प्रेरणादायी हंै। उन्होंने शैक्षणिक कार्यों के साथ मानव कल्याण के महत्वपूर्ण कार्य जैसे रात्रि पाठशाला, वाचनालय, विधवा आश्रम, बाल हत्या प्रतिबंधक गृह प्रारंभ किए। वे अंतिम समय तक भी मानव सेवा जैसे कि प्लेग से पीड़ित मरीजों को पीठ पर लाद कर अस्पताल में इलाज कराती थी। विधवा काशीबाई को पुत्र हुआ उसका लालन-पालन कर गोद लिया। डाॅक्टर बनाया और मरीजों की सेवा करते हुए स्वयं प्लेग की चपेट में आ गई। 10 मार्च 1897 को प्लेग के कारण सावित्रीबाई फुले का निधन हो गया। 
सावित्रीबाई फुले अपने कार्यों से सदा समाज में अमर रहेगी। जिस वंचित शोषित समाज के मानवीय अधिकारों के लिए उन्होने जीवनपर्यन्त संघर्ष किया वही समाज उनके प्रति अपना आभार, सम्मान, और उनके योगदान को चिन्हित करने के लिए पिछले तीन-चार दशकों से दिल्ली से लेकर पूरे भारत में सावित्रीबाई फुले के जन्मदिन 3 जनवरी को “भारतीय शिक्षा दिवस” और उनके परिनिर्वाण 10 मार्च को “भारतीय महिला दिवस” के रूप में मनाता आ रहा है। भारत सरकार ने सावित्रीबाई फुले के जन्मोत्सव पर 1997 में दो रुपये का डाक टिकट जारी किया। उनके जीवन पर अनेक पुस्तक प्रकाशित की गई। देशभर में सावित्रीबाई फुले की स्मृति में जगह-जगह विद्यालय, महाविद्यालय प्रारंभ हुए। उनका जन्म दिवस मनाते हुए हमें शिक्षा की कमियों एवं अपूर्णताओं को दूर करने के लिये संकल्पित होना होगा, तभी इस महानायिका एवं समाज-सुधारिका के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।




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(ललित गर्ग)
ई-253, सरस्वती कंुज अपार्टमेंट
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फोनः 22727486, 9811051133

साउथ अफ्रीका के कसीनो में बिग बी की ‘आंखें’

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मल्टीस्टारर फिल्म ‘आंखें’ अपनी अनोखी कहानी पर के कारण बाक्स आफिस में हिट और दर्शकों को बेहद पसंद आई थी। साउथ अफ्रीका के कसीनो में बिग बी की ‘आंखें’ होगी। एक बार फिर से निर्माता अब प्रड्यूसर गौरांग दोषी  अपनी इस फिल्म की सीक्वल लेकर आ रहे हैं। फिल्म आंखे में पिछली फिल्म के सिर्फ दो कलाकार अमिताभ बच्चन और अर्जुन रामपाल ही सीक्वल में नजर आएंगे। इनके अलावा इस बार अनिल कपूर, अरशद वारसी, विद्युत जामवाल और रेजीना कैसेंड्रा को भी फिल्म में अहम किरदारों के लिए लिया गया है। फिल्म की पहले से हटकर मल्टीस्टार के अलावा एक नई कहानी भी होगी।  इस बार फिल्म में बैंक को नहीं, बल्कि साउथ अफ्रीका के एक कसीनो को लूटता हुआ दिखाया जाएगा। प्रड्यूसर गौरांग ने बताया, ‘बड़ी मुश्किल से हमें उस कसीनो में शूटिंग की परमिशन मिली है। हमें रोज सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे के बीच ही शूटिंग करनी होगी। अनिल कपूर जहां इस कसीनो के मालिक के किरदार में नजर आएंगे, वहीं अमिताभ बच्चन पिछली बार की तरह इस बार भी लूट के सूत्रधार बनेंगे।’

25 को ही रीलिज होगी ‘रईस’ और ‘काबिल’

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साल 2017 में 25 जनवरी को दो बड़ी फिल्मों के टकराव ने बॉलिवुड के दो बड़े स्टार्स के बीच दीवार खड़ी कर दी है।  रितिक रोशन की फिल्म ‘काबिल’ और शाहरुख खान की फिल्म ‘रईस’ भी रिलीज होने जा रही है। पहले चर्चा थी दोनो  निर्माता में आपसी सहमति से फिल्मों की तारीखों में बदलाव हो जायेगा।  रितिक की फिल्म की रिलीज डेट पहले एनाउंस की गई थी, मगर ‘रईस’ के ट्रेलर लॉन्च के साथ ही शाहरुख ने अपनी फिल्म को भी 25 जनवरी को ही रिलीज करने की घोषणा करके विवाद को बढ़ा दिया।  रितिक ने कहा, ‘यह गैरकानूनी या अनैतिक तो नहीं है, लेकिन यह दुखद जरूर हैै। हॉलिवुड और बॉलिवुड, दोनों ही एक जैसे कैलेंडर को शेयर करते हैं, लेकिन हॉलिवुड में आप ऐसा कभी नहीं देखेंगे कि बेटमैन की किसी मूवी के साथ सुपरमैन की मूवी भी रिलीज हुई हो, या लॉर्ड ऑफ द रिंग्स और हैरी पॉटर के बीच कोई टकराव हुआ हो। वो लोग अपने कैलेंडर को इतनी अच्छी तरह से मैनेज करते हैं कि कभी भी रिलीज के मामले में बड़ी फिल्मों का आपस में टकराव नहीं होता।

फिदेल कास्त्रो : एक किवदंती

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फिदेल कास्त्रो का नाम सामने आते ही लोह पुरुष की छबी उभर आती है. इन्हें क्यूबा में कम्युनिस्ट क्रांति का जनक माना जाता है. क्यूबा के इस महान क्रांतिकारी और पूर्व राष्ट्रपति का 90 साल की आयु में 26 नवम्बर 2016 को हवाना में निधन हो गया.  फिदेल कास्त्रो ने 49 साल तक क्यूबा में शासन किया जिसमें वे फरवरी 1959 से दिसंबर 1976 तक क्यूबा के प्रधानमंत्री और फरवरी 2008 तक राष्ट्रपति रहे. 2008 में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के चलते राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया.  फिदेल कास्त्रो का जन्म 13 अगस्त, 1926  को क्यूबा के पूर्वी ओरिएंट प्रान्त के बिरान नामक ग्रामीण इलाके के एक जमीदार परिवार में हुआ था. फिदेल 7 भाई बहनों में 3 नंबर पर थे. इनकी माता का नाम लिना रुज गोंजालिस और पिता का नाम एंजेल कास्त्रो अर्गिज़ था. इनके पिता स्पेनी मूल के थे और स्पेन ने क्यूबा पर कब्ज़ा करने के लिए जो हमला किया था उन सेना में ये शामिल थे और बाद में क्यूबा में बस गए और उन्हें जमीदारी दी गयी थी. कास्त्रो को अपनी माँ से बहुत लगाव था.वे धार्मिक महिला थी और बहुत कड़ी मेहनत करती थी.वे कभी स्कूल नहीं गयी थी,इस कारण उन्होंने बच्चों के शिक्षा को लेकर विशेष ध्यान दिया. 

4 साल की आयु में इनका बिरान के स्कूल में दाखिला कराया गया. शिक्षक इनके उपर ध्यान नहीं देते थे लेकिन फिर भी इन्होने सहपाठियों की मदद से लिखना-पढ़ना सीख लिया था. इसी स्कूल की एक शिक्षिका के साथ ये और इनकी बहन पढाई करने के लिए पहली बार गाव छोड़ कर सेंटीयागो नगर गए थे.लेकिन शिक्षिका द्वारा इन बच्चों के साथ सही व्यवहार ना करने पर इन्हें वापस ले आया गया. कुछ समय बाद कास्त्रो पढाई के लिए सेंटीयागो के एक बोर्डिंग स्कूल में डाला गया लेकिन वहाँ भी कुछ ऐसी घटना हुयी कि इनकी गलती ना होते हुए भी इन्हें और इनके भाइयों को स्कूल से निकल दिया. तीसरी बार इनके पिता ने इन्हें सेंटीयागो में अपने मित्र के घर रखा. इस बार इन्होने वहाँ रह कर हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी की. फिदेल कास्त्रो कहते हैं कि वो जन्म से क्रन्तिकारी नहीं थे धीरे धीरे परिस्थियों ने उन्हें ये बनाया.

1941 में इन्होने कालेज में प्रवेश लिया तब तक वे देश की राजनीति को लेकर जागरूक नहीं थे कानून के पढ़ाई में उन्हें मजा नहीं आ रहा था धीरे धीरे उनका ध्यान राजनीति पर केन्द्रित होता चला गया. और छात्र राजनीति में सक्रिय भागीदारी करने लगे. फिर वो छात्र सभा के उपाध्यक्ष पद के लिए निर्वाचित हुए और बाद में छात्र सभा के अध्यक्ष बने. इसी दौरान वे मार्क्स,एंजेल्स और लेनिन के विचारधारा की ओर आकर्षित होने लगे. 1947 में कालेज छोड़ कर वे एक फ़ौज ट्रेनिंग में डोमिनिक रिपब्लिक चले गए और वहाँ के तानाशाह के खिलाफ तख्तापलट में भाग लिया.यहाँ पकडे जाने के पहले ही ये बच निकले. वापस कालेज आ कर पुन: छात्र राजनीति में सक्रिय हो गए. 1950 में हवाना से कानून में स्नातक किया और वाही के एक क़ानूनी फार्म में काम करने लगे. 10 मार्च 1952 में बतिस्ता नमक एक सैनिक ने क्रांति कर सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया. ये अमेरिका के समर्थक थे।  बतिस्ता द्वारा किये इस तख्तापलट से लोगों में असंतोष बढ़ता गया.तब 1952 में कास्त्रो ने हवाना से संसद का चुनाव लड़ा लेकिन हार गए. बतिस्ता ने सविधान भंग कर दिया और तानाशाह बन गया. कास्त्रो ने हवाना के एक अदालत में बतिस्ता शासन को असंवैधानिक बताते हुए उसे जेल भेजने की मांग की लेकिन अदालत ने उनकी याचिका को ख़ारिज कर दिया.

तब कास्त्रो ने देश के संविधान को पुन: लाना और एक निर्वाचित सरकार का गठन करना अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया. कास्त्रो ने आर्टोडॉक्सो पार्टी के कुछ युवाओं को साथ लेकर सैन्य प्रशिक्षण शुरू किया और 26 जुलाई, 1953 में इन्ही युवकों ने सेना पर हमला कर दिया. यह हमला बेहद प्रभावशाली था और इसमें बतिस्ता की सेना के बहुत से जवान मारे गये लेकिन कास्त्रो और विद्रोहियों को गिरफ्तार कर लिया गया. कास्त्रो पर मुकदमा चलाया गया. यह मुकदमा ऐतिहासिक महत्व रखता है. कास्त्रो ने अपनी पैरवी खुद की. कास्त्रो ने इस पैरवी के दौरान कहा था कि वो ये संघर्ष अपने हित के लिए या सत्ता पर कब्ज़ा करने के लिए नही कर रहे थे बल्कि ये संघर्ष देश और देश के लोगों के हित के लिए कर रहे हैं, उनका संघर्ष अन्याय और अत्याचार के खिलाफ है. उन्होंने देश में फैले भ्रष्टाचार पर हमला किया और उदारतावादी संविधान को फिर से लागू करने की मांग की. कास्त्रो ने छोटे किसानों को जमीन का पट्टा देने, विदेशी स्वामित्व वाली बड़ी सम्पत्तियों के राष्ट्रीयकरण और दूसरे देशों के लोगों के स्वामित्व वाले कारख़ानों में मजदूरों को फायदा देने जैसे कार्यक्रमों की माँग की. इसके अलावा कास्त्रो ने सार्वजनिक सेवाओं के राष्ट्रीयकरण, लगान में कटौती और शिक्षा में सुधार पर भी बल दिया. लेकिन अदालत ने उन्हें 15 साल की सजा दी. जेल में उन्होंने “इतिहास मुझे निरपराधी ठहराऐगा” लिखा. बाद में इस लेख ने लोगों मे राजनीति जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. 

फ़िदेल कास्त्रो और दूसरे बागी नेताओं के साथ हुए बरताव ने जन-आक्रोश को बढ़ाया। इसके विरोध में लगातार जन आंदोलन होने लगे और इन लोगों की रिहाई की मांग की जाने लगी. जुलाई, 1955 में कास्त्रो को जेल से रिहा कर दिया गया। कास्त्रो ने सरकार के खिलाफ अहिंसक विरोध शुरू किया लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ. तब उन्होंने कहा ‘हमने सशस्त्र सघर्ष के विचार को स्वीकार है.’ उन्हें भरोसा था कि क्रांतिकारियों की कार्रवाई से जन-विद्रोह पैदा होगा. इसके बाद वे मैक्सिको चले गये. कास्त्रो के विदेश जाने के बाद भी उनके द्वारा बनाया गया संगठन सक्रिय रहा जिसे 26 जुलाई मूवमेंट (जे-26-एम) के नाम से जाना गया. वहाँ उनकी मुलाकात चे ग्वेरा से हुयी. मैक्सिको में कास्त्रो और उनके साथीयों ने गुरिल्ला युद्ध का प्रशिक्षण लिया. फिर 3 दिसम्बर 1956 को 82 साथियों के साथ कास्त्रो क्यूबा के तट पर पहुँचे तो इन्हें बतिस्ता के सैनिकों का सामना करना पड़ा. बतिस्ता के सैनिकों के हमले में अधिकांश गुरिल्ला लड़ाके मारे गये. बतिस्ता को अमेरिका सपोर्ट कर रहा था. लेकिन कास्त्रो, चे और फिदेल कास्त्रो के छोटे भाई राउल कास्त्रो इस हमले में बच गये. जंगलों में ही गुरिल्ला लड़ाकों को इकट्ठा करना शुरू किया और  दिसम्बर 1958 में सेंटा कालरा शहर में 350 छापामारों के साथ बतिस्ता के चार हज़ार गार्डों को तीन दिन की लड़ाई के बाद हरा दिया और 31 दिसम्बर 1958 को बतिस्ता देश छोड़कर भाग गया। इस तरह क्यूबा की क्रांति पूर्ण हुयी. कास्त्रो कहते हैं ‘क्रांति कोई फूलों की शैय्या नहीं है,भविष्य तथा भूतकाल के बीच के जानलेवा संघर्ष का ही दूसरा नाम क्रांति है.’ 

इस क्रांति के बाद लेटिन अमेरिका के अनेक देशों में ऐसे राष्ट्राध्यक्ष चुन कर आये जो जनता के हितैषी थे और वामपंथी या उदारवादी थे. क्रांति के बाद मैनुअल उर्रुटिया लिएओ क्यूबा के प्रथम राष्ट्रपति बने. फिर फिदेल कास्त्रो 1959 से दिसंबर 1976 तक क्यूबा के प्रधानमंत्री और फिर फरवरी 2008 तक राष्ट्रपति रहे. इस दौरान इन्होने कृषि सबंधी सुधार की घोषणा की और अमेरिकी फार्म मालिकों की बड़ी बड़ी जमीनों और क्यूबा में स्थित अमेरिकी रिफायनरीयों का रास्ट्रीयकरण कर दिया. इससे अमेरिका नाराज हो गया. अमेरिका ने क्यूबा से अपने सबंध ख़त्म कर लिये पर कास्त्रो और देश की जनता अमेरिका की इस दादागिरी के सामने कभी नहीं झुकी और दुनिया की सबसे शक्तिशाली माने जाने वाले देश का डट कर मुकाबला किया.अमेरिका की ख़ुफ़िया एजेंसी सी.आई.ए. ने इन्हें मारने की 638 बार साजिश की लेकिन हर बार असफल रही. कास्त्रो ने अपने कार्यकाल में शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर जबरदस्त काम किये. जो दुनिया के लिए मॉडल है. 2008 में खराब स्वास्थ्य के चलते उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दी दिया. कास्त्रो कहते थे ‘क्रांति का जन्म केवल संस्क्रती और विचारों के माध्यम से हो सकता है. विचार और चेतना हमारे सबसे अच्छे अस्त्र हैं.’ वे कहते थे “स्वतंत्रता,सार्वभौमिकता,इतिहास व गरिमा विक्रय हेतु नहीं होते.” कास्त्रो सिगार के बहुत शौक़ीन थे लेकिन दिसंबर 1985  में सिगार छोड़ने की घोषणा करते हुए उन्होंने कहा था कि “मैं बहुत पहले ही इस निष्कर्ष पर पहुंच गया था कि मुझे धूम्रपान छोड़ देना चाहिए, जो कि (क्यूबा में) जन स्वास्थ्य के प्रति चेतना के लिए मेरा आखिरी बलिदान होगा. सिगार के इस बॉक्स के साथ सबसे अच्छी चीज यही होगी कि इसे आप अपने दुश्मन को दे दें.” 

दुनिया में साम्यवाद के पतन पर 2005 में  कास्त्रो ने कहा था ‘इतने सालों बाद मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं : जो गलतियां हमने की, उन सब में सबसे बड़ी गलती थी कि हम यह मान रहे थे कि कोई सच में जानता है कि समाजवाद की स्थापता कैसे करनी है. जब भी वे कहते... यही फॉर्मूला है, तो हम सोचते कि उसे पता है. जैसे कि वह कोई डॉक्टर हो.’ भारत ने सबसे पहले क्यूबा की क्रन्तिकारी सरकार को मान्यता दी थी. नेहरु के समय से ही भारत के साथ इनके घनिष्ट सबंध थे. 1960 संयुक्त राष्ट्र संघ की 15वीं वर्षगांठ के लिए दुनिया भर के प्रमुख नेता न्यूयॉर्क में जमा हुए थे. कास्त्रो भी वहाँ थे, नेहरु जी सबसे पहले व्यक्ति थे जो उनसे मिलने पहूँचे. नेहरू और फिदेल कास्त्रो की इस मुलाक़ात ने भारत प्रति उनके मन में सम्मान और स्नेह पैदा किया. कास्त्रो तात्कालिक प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की ओर से शुरू किए गए गुट निरपेक्ष आंदोलने के शुरूआती समर्थकों में से थे और गुटनिरपेक्ष देशों के सम्मलेन में शामिल होते थे.1983 में भारत में गुटनिरपेक्ष सम्मेलन हुआ तो फिदेल कास्त्रो उसमे शामिल होने आये थे.  पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी के साथ उनके भाई-बहन जैसे रिश्ते थे. कास्त्रो का सपना था कि सभी क्रन्तिकारी ताकतें संगठित होकर साम्राज्यववाद तथा विस्तारवाद का डटकर मुकाबला करे. फिदल कास्त्रो अपने अंतिम समय तक शोषितों, दब कुचले लोगों के लिए आवाज उठाते रहे और स्वतंत्रता की आवाज को मजबूत करने वाली हर कोशिश के साथ खड़े .



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उपासना बेहार 
ई मेल – upasana2006@gmail.com
संपर्क : 09424401469

भ्रष्टाचारमुक्त शासन, शांति, विकास व बदलाव सरकार की प्राथमिकता : रघुवर दास

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भ्रष्टाचार किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाऐगा।  जो लोग राजनीतिक गुडागर्दी से अस्थिरता पैदा करना चाहते हैं, उसे समाप्त करके ही दम लूँगा। आने वाले समय में शेष 30 लाख घरों में बिजली उपलब्ध सरकार की प्रतिबद्धता है। एक महीनें के अन्दर इस राज्य को देश का प्रथम केशलेस राज्य बनाना है। सभी का सहयोग महत्वपूर्ण। 




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दुमका (अमरेन्द्र सुमन) इस राज्य के नागरिक शांति, विकास व बदलाव चाहते हैं। शांति शासन की पहली प्राथमिकता है। जो लोग राजनीतिक गुडागर्दी से इस राज्य में अस्थिरता पैदा करना चाहते हैं, उसे समाप्त करके ही दम लूँगा। भ्रष्टाचार किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाऐगा। जिन जिलों से गड़बड़ी की शिकायतें प्राप्त होगीं उस जिले के डीसी, एसपी उसके लिये जिम्मेवार होगें। इंडोर स्टेडियम, दुमका में दिन शनिवार (03. दिसम्बर 2016) बजट पूर्व प्रमंडल स्तरीय संगोष्ठी में झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास बोल रहे थे। उन्होनें कहा जो संवैधानिक व्यवस्था है उसी के तहत हमंे कार्य करना है, संविधान से इतर कोई कार्य स्वीकार्य नहीं होगा। संविधान प्रदत्त सभी अधिकार झारखण्ड की जनता को मिलना चाहिए। बजट पूर्व संगोष्ठी सरकार के इसी उद्देश्य का एक पड़ाव है। मुख्यमंत्री श्री दास ने कहा 03 दिसम्बर का दिन देश व राज्य के लिये काफी अहम व ऐतिहासिक है। इसी दिन भारत के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डाॅ0 राजेन्द्र प्रसाद का जन्म वर्ष 1884 को हुआ था। बंग्लादेश को पाकिस्तान से आजाद कराने के लिये वर्ष 1971 में लड़ी गई लड़ाई के अमर योद्धा व झारखण्ड के सपूत  एलबर्ट एक्का की पुण्यतिथि भी इसी दिन है। मुख्यमंत्री ने कहा झारखण्ड में हो रहे अवैध कार्यो को बन्द करना सरकार की पूर्व से ही योजना रही है। उन्होनें कहा झारखण्ड में 68 लाख घर हैं, जिसमें 38 लाख घरों में बिजली है। आने वाले समय में शेष 30 लाख घरों में बिजली उपलब्ध कराना सरकार की प्रतिबद्धता है। झारखण्ड से गरीबी दूर करने के लिये सरकार लगातार प्रयासरत है। सरकार की नीति व नियत गरीबो पर केन्द्रित है। आने वाले समय में झारखण्ड के बच्चे तेजी से विकास चाहते है,ं इसलिए विकास के रास्ते में जो भी बाधायें आऐगीं उसे दूर करूंगा। जनता मालिक है और सरकार व  अधिकारी सेवक हैं। हमें ऐसी व्यवस्था करनी है कि अंतिम पंक्ति में बैठे लोगों के चेहरे पर भी मुस्कान हो। श्री दास ने कहा कि झारखण्ड में 40 हजार स्कूल हैं जिसमें 10 हजार स्कूल में ही बैंच डेस्क है। हमें शेष 30 हजारी स्कूलों में बैंच डेस्क की व्यवस्था करनी है। इसके लिए राशि की व्यवस्था कर दी गई है। यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि स्थानीय कार्पेन्टर  के द्वारा ही उपस्करों का निर्माण हो।ं इससे रोजगार में भी वृद्धि होगी व आर्थिक रूप से वे सक्षम होंगे। झारखण्ड की महिलाओं को स्कील्ड करना भी हमारा लक्ष्य है। हमें सखी मंडल को समृद्ध करना होगा। सखी मंडल द्वारा ही कम्बल, चादर, तौलिया आदि बनाया जायेगा। इसके लिए डिजाईनरों की भी मदद ली जायेगी। मीडिया की ओर मुखातिब होते हुए मुख्यमंत्री ने  कहा कि मीडिया लोकतंत्र का चैथा स्तंम्भ है, सही तथ्यों को जनता के समक्ष मीडिया की प्राथमिकता होनी चाहिए।  मुख्यमंत्री ने दिग्घी स्थित एसकेएमयू के लिये दुमका से बस सेवा प्रारंभ करने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि झारखण्ड के विज्ञान स्नातक छात्रों को बेसिक मेडिकल कोर्स कराया जायेगा ताकि गांवांे में भी प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधा लोगों को मिल सके। दो वर्ष के अन्दर प्रत्येक जिले में नर्सिंग बीएड काॅलेज खोला जायेगा। उन्हांेने कहा कि झारखण्ड प्रकृति की गोद में बसा है। पर्यावरण रक्षा करते हुए उद्योग को बढ़ावा देना है। पहाड़ जंगल हमारे धरोहर हैं इन्हें नष्ट नहीं किया जायगा। पर्यटन से राज्य की किस्मत बदली जा सकती है। पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देष्य से देवघर एवं बासुकिनाथ धाम में उच्चस्तरीय धर्मशाला का निर्माण शीघ्र ही कराया जाएगा।  बजट पूर्व प्रमण्डल स्तरीय संगोष्ठी में अपना विचार रखते हुए समाज कल्याण, महिला एवं बाल विकास मंत्री डाॅ0 लोईस मरांडी ने कहा कि मसानजोर डैम के पानी का लाभ बंगाल को मिलता है। ऐसी व्यवस्था हो कि मसानजोर का पानी का लाभ दुमका जिले के किसानों को भी मिले। लड़कियों की शिक्षा के लिए पर्याप्त प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाय। दुमका में टिचर्स ट्रेनिंग काॅलेज व एसकेएमयू में जिन विषयों की पढ़ाई नहीं होती है उन विषयों की पढ़ाई सुनिश्चित करवाई जाए।  दुमका में हाईकोर्ट के बैंच की स्थापना हेतु आवश्यक प्रयास किया जाय। सरकारी अस्पताल को बेहतर बनाने के लिए पीपीपी मोड पर चलाया जाय। झारखण्ड सरकार के कृषि मंत्री रणधीर सिंह ने अपने सम्बोधन मंे कहा कि कृषि विभाग की ओर से प्रत्येक जिले में कोल्ड स्टोरेज बनाने का कार्य किया जाय। बीज वितरण सुचारू रूप से किया जाय। कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु आवश्यक प्रयास किये जाएँ। 
                                            
राज्य की मुख्य सचिव राजबाला वर्मा ने कहा कि बजट एक अहम दस्तावेज है। इससे हमारी योजनाओं, प्राथमिकताओं का पता चलता है। बजट आवश्यकता आधारित, संतुलित एवं समावेशी होना चाहिए। उन्होनें कहा बजट पूर्व इस संगोष्ठी में अच्छे सुझाव आये हैं जिसका समावेश आगामी बजट में किया जाएगा। बजट लोक निधि से बनती है। अतः हम सबका दायित्व है कि बजट की राशि का पूर्ण सदुपयोग हो। उन्होंने कहा कि संताल परगना की अर्थव्यव्स्था कृषि आधारित है। इस हेतु कृषि एवं सिंचाई व्यवस्था को उन्नत करना सरकार की सर्वोच्च प्रथमिकता है। उन्होंने राज्य में बेरोजगारी को दूर करने हेतु कौषल एवं उद्यमिता विकास को बढ़ावा दिये जाने की बात कही। उन्होने कहा कि संताल परगना में चीनी मिट्टी बने सामानों का उद्योग स्थापित करने की अपार संभावना है। सरकार इसे बढ़ावा दिये जाने हेतु हर संभव प्रयास करेगी। विधायक अनन्त ओझा ने अपने सम्बोधन में कहा कि संताल परगना में षिक्षण संस्थानों का अभाव है। शिक्षण संस्थान खोलने हेतु जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया को सरलीकृत किया जाय। गंगा जल को पाईप लाईन से खेतों में लाने की व्यवस्था की जाय। विधायक अमित मंडल ने कहा कि झारखण्ड मंे मोबाईल चिकित्सा वैन की व्यवस्था हो। सुखाड़ से बचने का उपाय सुनिश्चित किया जाय। बालु का अवैध खनन रोका जाय। विकास आयुक्त सह अपर मुख्य सचिव अमित खरे ने कहा कि बजट प्रत्येक वर्ष बनाया जाता है। झारखण्ड में पिछले वर्ष से बजट को एडवांस कर दिया है। इस वर्ष भी 26 जनवरी 2017 से पूर्व बजट बनाने की योजना है। ताकि समय पर योजनायें स्वीकृत हो एवं समय पर कार्यान्वयन हो। इससे राषि का सदुपोग होगा। उन्होंने जनजातीय भाई बहन व्यवसाई षिक्षकगण किसान आदि को बजट में सहभागी बनने का आह्वान किया। उन्होने माईगोर्वनमेंट वेबसाईट पर माईबजट सेक्सन द्वारा भी बजट के लिए प्रस्ताव देने को कहा। आपके सुझाव की समीक्षा की जाएगी एवं आवश्यकतानुसार इसे बजट में शामिल किया जाएगा। दिव्यांगों के लिए भी स्कूलों को अपग्रेड किया गया है।

अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य सुधीर त्रिपाठी ने कहा कि झारखण्ड में पारा मेडिकल षिक्षण संस्थान बनाये जायेंगे। स्वास्थ्य संबंधी आधारभूत संरचनाओं को सुदृढ किया जायेगा। एवं उनके माध्यम से बेहतर स्वास्थ्य सेवा भी दी जायेगी। प्रधान सचिव ग्रामीण विकास विभाग एन.एन. सिन्हा ने अपने सम्बोधन में कहा कि राज्य में मनरेगा के अन्तर्गत और 62 हजार डोभा बनाने की योजना है। संताल परगना में 942 आंगनबाड़ी केन्द्र बनाया जायेगा। प्रोजेक्ट लाईव के अन्तर्गत झारखण्ड के लोगों को पूरे वर्ष रोजगार उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है। राज्य में 77 हजार इन्दिरा आवास एवं 20 हजार सखी मंडल भी बनाया जायेगा। प्रधान सचिव जल संसाधन विभाग सुखदेव सिंह ने कहा कि झारखण्ड में पूर्व से जो जलाशय उपलब्ध हैं। उसे समृद्ध किया जायेगा। संताल परगना में 5 नई जलाषय योजना की भी स्वीकृति दी जा रही है। छोटे तालाब का गहरीकरण किया जायेगा। संताल परगना में 84 तालाब की गहरीकरण की योजना है। प्रधान सचिव पेयजल एवं स्वच्छता विभाग अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि संताल परगना के साहबगंज एवं जामाताड़ा जिला ओडीएफ के लिए चिन्हित है। देवघर जिला भी ओडीएफ की ओर बढ़ रहा है। दुमका का दो प्रखंड दिसम्बर माह में ही ओडीएफ हो जायेगा। सरकार द्वारा दिनांक 2 अक्टूबर 2018 तक झारखण्ड को ओडीएफ घोषित करने का लक्ष्य दिया गया है। हम इसके क्रियान्वयन की ओर अग्रसर हैं। दुमका एवं मसलिया मंे एक माह मंे पाईप वाटर सप्लाई प्रारंभ हो जायेगा। ओडीएफ प्रखंड में उज्जवला योजना लागू की जायेगाी। 

सचिव उच्च एवं तकनीकी षिक्षा ने कहा कि झारखण्ड के 11 जिलों में मल्टीपर्पस हाॅल की व्यवस्था की जा रही है। ग्राॅस इनराॅलमेंट रेसियो 10.1 से बढ़कर 15.4 हुआ है। काॅलेजों में द्वितीय पाली मंे पढ़ाई हो रही है। पाकुड़ एवं साहेबगंज में महिला महाविद्यालय खोले जायेंगे तथा संताल परगना में 8 डिग्री महाविद्यालय खोलने की भी योजना है। अगले वर्ष दुमका में महिला पोलिटेकनिक भी खोली जायेगी। सचिव स्कूली षिक्षा एवं साक्षरता विभाग आराधना पटनायक ने कहा कि चरणबद्ध तरीके से षिक्षकों की नियुक्ति की जायेगी। अगले वर्ष 69 उच्च विद्यालय को $2 विद्यालय में उत्क्रमित करते हुए पढ़ाई प्रारंभ कर दी जायेगी। षिक्षकों की उपस्थिति सुनिष्चित करने हेतु सभी विद्यालयों में बायोमेट्रिक्स पद्धति से उपस्थिति बनाना अनिवार्य कर दिया गया है एवं अगले वर्ष इसे कोषागार से भी जोड़ दिया जायेगा। 26 जनवरी 2017 तक सभी विद्यालयों में पर्याप्त बैंच डेस्क की व्यवस्था कर दी जायेगी। खाद्य आपूर्ति सचिव विनय चैबे ने कहा कि धान बीच प्राप्ति हेतु कम्प्यूटरीकृत प्रणाली अपनायी जा रही है। इसके लिए सभी किसानों को पंजिकृत होना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि किसान अपने प्रखंड के प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी से सम्पर्क कर अपना निबंधन करा लें। इस वर्ष सरकार द्वारा धान की खरीद में 130 रुपये बोनस देते हुए 1600 रुपया प्रति क्विंटल धान की खरीद की जाएगी और किसानों को 7 दिनों के अन्दर बैंक खाता के माध्यम से भुगतान कर दिया जायेगा। 

सचिव विद्युत विभाग राहुल पुरवार ने कहा कि संताल परगना में 10302 गांव हैं जिसमें मात्र 62 गांव में बिजली की सुविधा नहीं है इसे 3 से 4 माह के अन्दर पूरा कर लिया जायेगा। फ्री कनेक्षन के लिए अटल योजना लागू की गई है। कृषि के लिए दीनदयाल योजना लागू है। प्रत्येक सर्किट को डबल किया जा रहा है ताकि लोगों को अबाधित बिजली मिल सके। इस अवसर पर संताल परगना प्रमंडल से आये विभिन्न प्रतिनिधि मंडल द्वारा भी बजट के लिए सुझाव दिये गये। देवघर के षिक्षाविद् निखिल चन्द्र झा ने रोजगारपरक एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षण के लिए षिक्षकांे के रिक्त पदो को भरने एवं नये पदों के सृजन एवं नियुक्ति का प्रस्ताव दिया। देवघर के व्यवसायी प्रदीप बाजला ने कहा कि पाकुड़ एवं गोड्डा में औद्योगिक भूमि उपलब्ध करायी जाय बाई पास रोड बनाया जाय। पंकज मिश्रा ने कहा कि उच्च संस्थानों में शोघ को बढ़ावा दिया जाय। संताल परगना में भाषायी एवं सांस्कृतिक शोध संस्थान खोला जाय। देवघर के कृषक प्रतिनिधि जयराम प्रसाद सिंह ने कहा कि किसान की मुख्य समस्या सिंचाई है इसकी व्यवस्था की जाय पूराने तालाब का जीर्णाेद्धार किया जाय। 90 प्रतिषत अनुदान पर छोटी मषीन किसानों को उपलब्ध कराया जाय। जामताड़ा की बबीता झा ने बताया कि जामताड़ा में बालिकाओं को खेलकूद में बढ़ावा देने हेतु तीरंदाजी, क्रिकेट आदि खेलों की व्यवस्था की जाय। नारी सुधार गृह बनाया जाय। जामताड़ा के रंजीत कुमार ने कहा कि जामताड़ा में $2 की स्थिति दयनीय है इसमें भी सुधार की आवष्यकता है। चैम्बर आॅफ काॅमर्स के संजय अग्रवाल ने कहा कि जीएसटी पंजियन का समय बढ़ाया जाय तथा शुरू के पांच वर्षों में दण्डात्मक कर्रवाई न की जाय। पाकुड़ की आदिवासी महिला लाली मड़ैया ने कहा कि आदिवासी को सब्जी की उन्नत खेती हेतु आवष्यक प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाय। कुटीर उद्योग स्थापित किया जाय। पाकुड़ के षिक्षाविद डाॅ प्रसेनजीत मुखर्जी ने कहा कि पाकुड़ का साक्षरता दर काफी कम है उच्च षिक्षा की व्यवस्था सुदृढ़ किया जाय। पाकुड़ के स्वंय सेवी संस्था के ओम प्रकाष सिंह ने कहा कि पाकुड़ में जल प्रबंधन की व्यवस्था पर जोर दिया। मधुमक्खी, रेषम कीट के पालन हेतु आवष्यक प्रषिक्षण की व्यवस्था की जाय। साहेबगंज के रामनिवास ओझा ने कहा कि विगत वर्षों से फसल बीमा लम्बित है बीमा का भुगतान हो बीज की व्यवस्था सुदृढ़ हो। साहेबगंज की एमीकार्ला हांसदा ने कहा कि विषेष कुटीर उद्योग की व्यवस्था हो। हर गांव के सड़क को जिला मुख्यालय से जोड़ा जाय तथा दुरूह क्षेत्र के लिए पुल की व्यवस्था हो। साहेबगंज के चेतन भारतिया ने कहा कि साहेगंज में औद्योगिक क्षेत्र का विकास किया जाय। काॅमर्स काॅलेज खोला जाय। गोड्डा की अभिसारिका ने कहा कि डिजिटल झारखण्ड बनाने के लिए आवष्यक उपाय किये जाय महिला की सुरक्षा सुनिष्चित की जाय। गोड्डा के पी्रतम कुमार ने कहा कि व्यापारियांे के लिए बीमा योजना लागु हो बायपास रोड बनाया जाय। व्यापारियों की सुरक्षा सुनिष्चित की जाय। गोड्डा के कृषक अवधेष कुमार मंडल ने सुझाव दिया कि किसान के जमीन का स्वास्थ्य कार्ड बनाया जाय एवं किसानों को मुफ्त बीज भी दिया जाय। दुमका की दिव्या लक्ष्मी ने कहा कि छात्राओं के लिए स्कूल बसों की व्यवस्था हो सभी परीक्षाओं के लिए एक बड़ा परीक्षा हाॅल बनाया जाय। निपूण अध्यापकों की बहाली की जाय। दुमका की बिटिया मुर्मू ने कहा कि सिंगल वूमन के लिए सरकारी व्यवस्था हो। महिलाओं को किसान का दर्जा दिया जाय। 

दुमका के शिक्षाविद सुधीर कुमार ने कहा कि दुमका मंे दो महाविद्यालय ही अंगिभूत हैं। अतः संबद्ध महाविद्यालयों को अंगिभूत किया जाय। सिदो कान्हु मुर्मू विष्वविद्यालय को केन्द्रीय विष्वविद्यालय का दर्जा दिया जाय। दुमका के किसान बुधन देवी ने कहा कि मनरेगा के अन्तर्गत गांव में ही वर्ष में 100 से 150 दिन का काम मिले इससे महाजनी प्रथा से मुक्ति मिलेगी एवं पलायन भी रूकेगा। दुमका की जिला परिषद अध्यक्षा जाॅयेस बेसरा ने कहा कि आदिम जनजाती के लिए कस्तुरबा विद्यालय की भांति विद्यालय बनाया जाय। हर बीपीएल परिवार से एक एक बच्चों को अनिवार्य षिक्षा दी जाय। पषुपालन हेतु 100 प्रतिषत अनुदान दिया जाय। दुमका नगर पर्षद अध्यक्षा अमिति रक्षित ने कहा कि कचरा प्रबंधन, नगर सौन्दर्यीकरण, विवाह भवन के लिए निविदा निकाली गई पर कार्य नहीं हुआ राषी वापस चली गई। उन्होंने कहा कि नगर पर्षद अध्यक्ष को 1 करोड़ से अधिक की राषि का टेंडर करने की शक्ति प्रदान की जाय। नन सेलेबुल जमीन पर मकान बनाने की व्यवस्था की जाय। जामताड़ा की जिला परिषद अध्यक्ष ने कहा कि जामताड़ा में बीएड काॅलेज खोला जाय। गोड्डा के नगर पर्षद अध्यक्ष ने कहा कि गोड्डा के कझिया नदी पर बांध बनाया जाय इससे 100 गांव को पीने का पानी एवं सिंचाई की सुविधा मिलेगी। पूर्व सांसद अभय कान्त प्रसाद ने कहा कि संताल परगना में यदि डायमंड बोरिंग करा दिया जाय तो इतने फसल का उत्पादन होगा कि उससे पूरा झारखण्ड को खिलाया जा सकेगा। श्रावणी मेला में प्रतिवर्ष अरक्षी बलों को ठहरने के लिए स्कूल को लिया जाता है अच्छा होता कि पुलिस बल के ठहरने के लिए स्थाई आवासन की व्यवस्था कर दी जाय। इसके लिए जमीन भी उपलब्ध है। धन्यवाद ज्ञापन दुमका के उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा के द्वारा किया तथा कार्यक्रम का संचालन क्षेत्रीय उप निदेषक जनसम्पर्क दुमका अजय नाथ झा के द्वारा किया गया। प्रमंडल के कई जिलों के उपायुक्त, पुलिस अधीक्षक, जिला परिषद अध्यक्ष, नगर पर्षद अध्यक्ष एवं उप विकास आयुक्त सहित समाज के विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। 

एसपीटी एक्ट मे आंशिक संशोधन से रैयतों को फायदा : अधिवक्ता जी पी झा

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एसपीटी एक्ट मंे आंशिक संशोधनों के साथ झारखण्ड विधानसभा मंे पारित विधेयक पर विरोध की राजनीति अभी खत्म नहीं हुई है। राजधानी राँची से लेकर उप राजधानी दुमका तक बंदी, आक्रोशपूर्ण धरना-प्रदर्शन व सड़कों पर निकाली जा रही रैलियों से लगातार सुर्खियाँ बटोर रहा है। मामला चाहे सार्वजनिक संपत्तियों की बर्बादी या फिर निजी वाहनों में आगजनी की हो। पुलिस-पब्लिक में मुठभेड़ की या फिर पूरे शहर की अशांति की हो, सूबे के तमाम जिलों में हर ओर परंपरागत हथियारों के साथ आदिवासियों को इस संशोधित एक्ट के विरुद्ध लामबद्ध होते देखा जा रहा है। इस स्थिति से निबटने के लिये सरकार ने जहाँ एक ओर अपनी कमर कस रखी है, वहीं दूसरी ओर विपक्षियों की घेराबंदी व उनके कर्कश नाद से स्थिति दिन-ब-दिन बदलती जा रही है। एसपीटी एक्ट-1949 की धारा-13 (क) में जो तथ्य अंकित है, आम जनता को संशोधन की वास्तविकताओं से रुबरु न करा कर उन्हें सरकार के विरुद्ध उकसाए जाने का षडयंत्र लगातार जारी है। विपक्षियों को हावी देखकर सरकार पशोपेश की स्थिति में आ चुकी है। अफवाहों से बचने व उसपर ध्यान न देने के सरकारी प्रयासों की हकीकत चाहे जो भी हो, उप राजधानी दुमका के आम नागरिकों को संशोधित एक्ट की परिभाषा से दुमका के वरीय अधिवक्ता जी पी झा ने जरुर रुबरु कराया। 

संताल परगना काश्तकारी अधिनियम (एसपीटी एक्ट) मे आंशिक संशोधन से इस प्रमण्डल के रैयतो को पूर्व की तुलना में शिक्योर्ड लाभ प्राप्त होने वाला हैं। इससे इस क्षेत्र के नागरिकांे को घबराने की कोई जरुरत नहीं है। राज्य सरकार द्वारा पारित विधेयक को गंभीरता पूर्वक पढ़ने के बाद स्थिति खुद-ब-खुद स्पष्ट हो जाती है। स्टेट बार काॅसिंल, राँची के सदस्य, पूर्व अध्यक्ष जिला अधिवक्ता संघ, दुमका व जाने-माने विशेषज्ञ (एसपीटी एक्ट) अधिवक्ता गोपेश्वर प्र0 झा ने अपने शिरिस्ता में आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा कि इस संशोधन से संताल परगना के जमाबंदी रैयतो को अपनी जमीन पर गैर कृषि कार्य की पूरी स्वतंत्रता प्राप्त होगी। भाजपा जिलाध्यक्ष निवास मंडल व अधिवक्ता मनोज साह की उपस्थिति में वरीय अधिवक्ता श्री झा ने कहा कि संताल परगना काश्तकारी (अनुपुरक अनुबंध) अधिनियम (संशोधन) विधेयक, 2016 की धारा 13 मे जो संशोधन किया गया है, इससे जमाबंदी रैयत अपनी भूमि का उपयोग गैर कृषि कार्य में कर सकेगे। वस्तुतः इस संशोधन से रैयतो के बचाब का ही काम किया गया है। एसपीटी एक्ट की धारा 13 रैयतो को अपने जमीन के गैर कृषि कार्य करने से रोकती है, जिसके तहत धारा 14 मे रैयत को उच्छेद करने का प्रावधन है। वही इस संशोधन से रैयत जरुरत के हिसाब से अपनी जमीन का गैर कृषि कार्य मे उपयोग कर पाऐगा और उसका मलिकाना हक भी बना रहेगा। अधिवक्ता श्री झा ने स्पष्ट कहा कि बगैर किसी राजनीतिक बयानबाजी के यह भ्रम को खत्म करना चाहता हूं कि इस संशोधन मे जमीन के स्थानांतरण एवं मालिकाना हक खत्म करने का कोई प्रावधान नही है। 

वस्तुतः सरकार ने कोई संशोधन नही किया है, बल्कि धारा 13 मे प्रावधान जोडा है जिसके तहत सरकार अब कृषि उपयोग की जमीन को अन्य उपयोग के लिए समय-समय पर नोटिफिकेशन ला सकती है और रैयते को छूट देते हुए उसका रेंट फिक्शेसन का प्रावधान करेगी। उन्होने कहा कि संशोधन का विरोध करने वालो को तो 1969 एवं 1972 मे एसपीटी एक्ट मे किये गये बदलावो को लेकर जोरदार विरोध करना चाहिए था, जो जमीन के गैरकानूनी दखल एवं उसके स्थानांतरण को लेकर था। एसपीटी एक्ट की धारा 53 मे उपायुक्त को अधिकार दिया गया था कि वे रैयती जमीन को प्राइवेट कार्य के लिए ले सकते है, जिसका मुआवजा वे निर्धारित कर रैयतो को देगे। तब यह कहा गया कि संताल परगना मे दो कानून चल रहे है एक भुमि अधिग्रहण तो दुसरा एसपीटी की धारा 53। तब पटना हाईकोर्ट मे एसपीटी एक्ट की धारा 53 को असंवैधानिक करार देते हुए इस धारा को निरस्त कर दिया था। वही 1972 मे प्रावधान किये गये कि कृर्षि योग्य जमीन के एवज मे केन्द्रीयकृत बैंक बंधक रखकर लोन दे सकती है तथा लोन नही चुकाने पर बंधक रखी जमीन पर बैंक कब्जा कर लेगी। उस समय किसी ने इसका विरोध नहीं किया। आज सरकार ने रैयतों के लिए अच्छा निर्णय लिया है तो लोग विरोध कर रहे हैं। बहुत से लोग एक्ट की खूबियों के बारे में लोग अनभिज्ञ हैं। उन्हें संशोधन की जानकारी लेनी चाहिए। 

अररिया-सहरसा जनसंहारेां के खिलाफ 4 जनवरी को कोशी-सीमांचल बंद, पूरे बिहार में होगा चक्का जाम.

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अररिया में मुशहर समुदाय (ऋषिदेव) टोले पर राजद-भाजपा समर्थकों ने पुलिस संरक्षण में दिन के उजाले में किया हमला, 2 नेताओं का अपहरण करके की गयी नृशंस हत्या, दर्जनों घायल और 15 साल की बच्ची अंजली कुमारी सहित 5 अन्य लापता., भरगामा थाना की उपस्थिति में हुआ हमला, हमले व अपहरण की सूचना के बाद भी पुलिस-प्रशासन बना रहा निष्क्रिय., 2016 में दलित-महादलितों पर हमले करके हजारों परिवारों को जमीन से किया गया बेदखल, दर्जनों दलितों की हुई हत्याएं., अररिया-सहरसा जनसंहारेां के खिलाफ 4 जनवरी को कोशी-सीमांचल बंद, पूरे बिहार में होगा चक्का जाम.




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पटना 3 जनवरी 2016, अररिया जिला के भरगामा थाना से महज 5 किमी की दूरी पर रहरिया पोखरा टोला पर मुसहर समुदाय (ऋषिदेव) के 35-40 घर बसे हुए हैं. इस टोला पर ऋषिदेव लोग बरसो से रह रहे हैं और जोत-आबाद कर रहे हैं. अधिकांश ऋषिदेव परिवारों के पास बंदोबस्ती के कागजात भी हैं. जमीन बाहरी जमींदारों की रही है और मुसहर लोग खेत जोत-आबाद करते रहे हैं. इसी जमीन का फर्जी रजिस्ट्री कराके दयानंद यादव व अन्य नवकुलकों ने अपना कामत बना लिया है. इन्हें भाजपा-राजद दोनों का संरक्षण मिलता रहा है, क्योंकि इस इलाके से पहले राजद जीतती थी, बाद में भाजपा के उम्मीदवार जीतने लगे. हालांकि इस बार भरगामा से राजद का विधायक अनिल यादव है और रानीगंज से जद(यू) का. इस कामत पर ही 1 जनवरी को महाभोज आयोजित किया गया था, अपराधियों को एकत्र किया गया था. इस भोज में भरगामा थाना के प्रभारी व अन्य अधिकारी व सिपाही मौजूद थे. योजना रहरिया पोखरा टोला मुसहरी को उजाड़ने और जलाने की थी. कोशी-सीमांचल में अतीत में भी कई मुसहर बस्तियों को जलाने का इतिहास रहा है. इसकी सूचना भाकपा-माले को मिली, इस इलाके के दलितों-महादलितों के बीच भाकपा-माले का पुराना संगठन रहा है. 

सूचना पाकर भाकपा-माले के जिला सचिव सत्यनारायण सिंह यादव और खेत व ग्रामीण मजदूर सभा (खेग्रामस) के स्थानीय नेता कमलेश्वरी ऋषिदेव रहरिया पोखरा टोला पहुंचे. ये लोग महिला-पुरूषों की बैठक कर ही रहे थे कि नवोदित जमींदारों के गुंडों ने हमला कर दिया. महिलाओं और बच्चों  को भी पीटा गया. सत्यनारायण यादव और कमलेश्वरी ऋषिदेव को पीटते-पीटते वहीं बेहोश कर दिया गया और टोला के पीछे से घसीटते हुए बघार की ओर ले जाया गया. और फिर गायब कर दिया गया. प्रतिरोध कर रहे पुरूषों को कामत पर ले आकर खंभा से बांधकर भरगामा थाना प्रभारी के समक्ष पिटाई की जाने लगी. अपराधियों ने पोखरा-टोला को चारो तरफ से घेर लिया ताकि कोई बाहर नहीं निकले और इससे अन्य टोला तक सूचना नहीं मिल सकी. पोखरा टोला काफी छोटा है, लेकिन अगल-बगल ऋषिदेवों के कई बड़े-बड़े टोले हैं.

सत्यनारायण यादव ने कराहते हुए बैजू मंडल और रामेश्वर प्रसाद को फोन किया. 2 बजकर 50 मिनट पर स्थानीय माले नेता सुशील कुमार ने पुलिस अधीक्षक को फोन किया. रानीगंज थाना प्रभारी इसके बाद पहुंचे और बांधकर पीटे गये ऋषिदेवों को मुक्त कराकर अस्पताल भेजा. लेकिन लापता नेताओं की खोजबीन के लिए कोई कोशिश नहीं की गयी. जमींदारों पर दबिश नहीं बढ़ायी जाती है. फलतः सामंतों-अपराधियों को हमारे नेताओं की हत्या का मौका मिल जाता है. सुबह से ही जनता अपने नेताओं की खोज में टोलियों में निकल पड़ती है. 10 बजे के आसपास लाशें दूर के बांसपट्टी में फेंकी हुई मिलती हैं. नृशंसता के साथ की गयी हत्या को देखकर लोग उत्तेजित हो जाते हैं, अगल-बगल के हजारों दलित-महादिलत सहरसा-अररिया पथ को जाम कर देते हैं. दोनों ही नेताओं के पैर तोड़ दिए गए थे, पैर बंधे हुए थे और गले को रस्सी से दबाकर मारा गया था. उनकी जीभ बाहर निकली हुई थी. टीम ने कल सुबह से ही इस जघन्य हत्याकांड का जायया घटनास्थल पर जाकर लिया. हजारों महिला-पुरुष ने 8 घंटे तक सहरसा-अररिया एनएच को जाम किया और भरगामा थाना प्रभारी को निलंबित करने की मांग की. निलंबन के आश्वासन के बाद ही जाम हटा. गांव की महिलाओं और स्थानीय लोगों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक बेचन ऋषिदेव, रामचंद्र ऋषिदेव, दिनेश ऋषिदेव समेत दर्जनों लोगों का इलाज विभिन्न अस्पतालों में चल रहा है. 15 साल की एक बच्ची समेत 5 लोग अभी भी लापता हैं.  जांच टीम में भाकपा-माले पोलित ब्यूरो सदस्य काॅ. धीरेन्द्र झा, पूर्व सांसद व खेग्रामस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामेश्वर प्रसाद, भाकपा-माले राज्य कमिटी सदस्य काॅ. नवल किशोर, खेग्रामस राज्य कार्यकारिणी सदस्य जयनारायण यादव आदि शामिल थे.

जांच टीम के पास पुख्ता प्रमाण है कि भरगामा के थाना प्रभारी की उपस्थिति में इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया है और इसकी जानकारी फारबिसगंज के पुलिस उपाधीक्षक और अनुमंडलाधिकारी को थी. मुशहर बसती को उजाड़ने और महत्वपूर्ण नेताओं की हत्या करने में स्थानीय राजद और भाजपा नेताओं की मिली जुली संलिप्तता है. वैसे भी इस इलाके में मुशहर और मुस्लिम के खिलाफ अपराध व षड्यंत्र में राजद और भाजपा मिली हुई है. संवाददाता सम्मेलन से माले नेताओं ने मांग की है कि हत्याकांड की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच करायी जानी चाहिए, जिसमें नेता-पुलिस और सिविल अधिकारी की मिलीभगत के पहलू को भी सामने लाया जाए. फर्जी केवाला के आधार पर जमीन कब्जा कर कामत बनाकर मुशहर टोला पर हमला आयोजित करने वाले दयानंद यादव और उसके लठैतों-अपराधियों को तत्काल गिरफ्तार किया जाए. सारी विवादित, बेनामी और सरकारी जमीन पर सरकारी कब्जा कर मुसहर समुदाय के बीच वितरित किया जाए. मृतकों के परिजनों को 20-20 लाख का मुआवजा दिया जाए और घायलों को 5-5 लाख का मुआवजा प्रदान किया जाए. भरगामा थाना प्रभारी को बर्खास्त किया जाए और फारबिसगंज के अनुमंडलाधिकारी व पुलिस उपाधीक्षक पर तत्काल कार्रवाई की जाए. पूर्णिया और कोशी प्रमंडल में सीलिंग, भूदान, सरकारी जमीन भूमिहीनों के बीच बांटे जाने तथा सिकमीदारों को पुश्तैनी हक दिलाने केा लेकर विशेष ट्रिब्यूनल गठित की जाए. संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए माले नेताओं ने कहा कि 2016 का वर्ष दलित-गरीबों के लिए जमीन से बेदखली का वर्ष रहा है. हजारों परिवार को बेदखल किया गया. दर्जनों दलित-महादलितों काफी की हत्याएं की गयीं. जमींदारों-दबंगों ने जमीन से बेदखली के क्रम में सहरसा, अररिया, भागलपुर, कटिहार, पूर्णिया, बेगूसराय, दरभंगा, चंपारण आदि जिलों में दर्जनों हत्याएं की.बेदखली, हत्याओं के खिलाफ 4 जनवरी को कोशी-सीमांचल बंद होगा और पूरे बिहार में 12 बजे दिन तक चक्का जाम रहेगा. सरकार अगर इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाती, तो आंदोलन और तेज होगा.

मधुबनी : पति के सुरक्षा की गुहार लगाईं

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मधुबनी, बेनीपट्टी थाना ईलाके के धनुषी गांव की शिल्पा भारती ने पुलिस अधीक्षक दीपक कुमार बरनवाल को आवेदन देकर अपनी और अपने पति की सुरक्षा की गुहार लगाईं है साथ ही अपने पिता से ही खुद और अपने पति के जान को ख़तरा बता रही है । शिल्पा भारती ने बताया की वो एक महीने पहले ही अपने गांव के ही जितेंद्र कुमार के साथ अपनी मर्जी से शादी की इस बात का पता चलने पर उसके पिता कपिल कुमार सिंह ने जितेंद्र और उसके परिजनों पर शिल्पा के अपहरण कर लेने का आरोप लगाते हुए थाने में मामला दर्ज करवा दिया । मामले की जानकारी मिलने पर शिल्पा खुद न्यायालय में उपस्थित होकर जितेंद्र और उसके परिजनों को निर्दोष बताया और खुद अपनी मर्जी से जीतेन्द्र के साथ शादी करने की बात बताई । इस बात से नाराज शिल्पा के पिता ने न्यायालय परिसर से ही शिल्पा को जबरन उठा लेने का प्रयास किया पर किसी तरह शिल्पा अपने पति के साथ वहाँ से बच निकली । अब शिल्पा के पिता कपिल कुमार सिंह शिल्पा और उसके पति जितेंद्र को विभिन्न माध्यमो से जान से मारने की धमकी दे रहे हैं । शिल्पा ने एसपी से सुरक्षा की गुहार लगाते हुए कहा कि 5 जनवरी को कोर्ट में उसके केस की सुनवाई होनी है जहां उसके पिता शिल्पा और उसके पति के साथ कोई भी अप्रिय घटना को अंजाम दे सकते है, इसी आशय को लेकर शिल्पा ने एसपी से सुरक्षा की मांग की है ।

मोदी ने वैज्ञानिकों की समस्याओं को दूर करने का भरोसा दिया

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तिरूपति 03 जनवरी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैज्ञानिकों काे आज आश्वस्त किया कि सरकार देश में विज्ञान के क्षेत्र की विभिन्न समस्याओं का निदान सुनिश्चित करेगी। श्री मोदी ने कहा कि सभी को मिलकर शहर और गांवों के बीच अंतर संबंधी समस्याओं को दूर कर समावेशी विकास के लिए काम करना चाहिए । 

श्री मोदी ने 104वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस का उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में कहा,“ हमारे वैज्ञानिकों को संस्थानों में पहुंच को आसान बनाने, रखरखाव,महंगे उपकरण की प्रतिलिपि आदि समस्याओं को खत्म करने की आवश्यकता है ।” 

उन्होंने कहा कि सरकार की प्राथमिकता में मजबूत विज्ञान एवं तकनीकी संरचना के निर्माण के लिए अकादमिक, स्टार्ट अप, उद्योग और अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला उपलब्ध कराया जाना है। उन्होंने कहा कि विज्ञान को लोगों की बढ़ती आकांक्षाओं को पूरा करने का प्रयास करना चाहिए । उन्होंने कहा,“ हमें शहर और गांवों के बीच अंतर संबंधी समस्या को दूर करने का प्रयास करना चाहिए और समावेशी विकास, आर्थिक विकास तथा रोजगार सृजन की ओर पर्याप्त ध्यान देना चाहिए। इसके लिए सभी संबंद्ध पक्षों के सहयोग से काम करने की आवश्यकता है।” 

श्री मोदी का यह बयान तब आया जब भारतीय विज्ञान कांग्रेस संगठन (आईएससीए) के अध्यक्ष प्रोफेसर डी नारायण राव देश में वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए राज्य की हिस्सेदारी और इसके लिए धनराशि की कमी को लेकर चिंता व्यक्त की थी। उन्होंने कहा कि यहां पर धनराशि की पर्याप्त कमी है। यहां पर अनुसंधान के प्रयासों के लिए अनुरूप माहौल नहीं है और यहां के नियम और प्रक्रिया काफी जटिल भी है ।

झारखण्ड के तमाम जिलों मंे युवा जागरण विवेक रथ यात्रा का आयोजन

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 अमरेन्द्र सुमन (राँची-दुमका)युवाओं के प्रेरणास्रोत स्वामी विवेकानन्द जी की जयंती के शुभ अवसर पर राष्ट्रीय युवा दिवस महोत्सव का आयोजन व्यापक रुप से पूरे एक माह तक झारखंड राज्य के सभी 24 जिलों में मनाने का निर्णय झारखंड सरकार द्वारा लिया गया है। इस क्रम में रामकृष्ण मिशन आश्रम, मोराबादी राँची तथा झारखंड पर्यटन, कला-संस्कृति एवं युवा कार्य विभाग के सहयोग से 21 दिसम्बर 2016 को भगवान बिरसा मुंडा की जन्म स्थली खूंटी से विवेक रथ यात्रा का शुभारम्भ किया गया है। विवेक रथ यात्रा के दौरान जगह-जगह ठहराव स्थान पर स्वामी जी पर बनी प्रेरणादायी व ज्ञानवर्धक फिल्में एवं नुक्कड़ नाटक के माध्यम से स्वामी जी के सन्देश प्रदर्शित किया जा रहा है। यह रथ बारी-बारी से झारखण्ड राज्य के विभिन्न जिलों में परिक्रमा करेगा। 05 जनवरी 2017 को देवघर से दुमका पहुँचकर दुमका जिला में पुरे दिन शहर के विभिन्न स्थानों पर महाविद्यालयों एवं विद्यालय के छात्रों, एनसीसी/ एनएसएस के युवाओं, शहर के समाजिक सज्जनों द्वारा रथ का स्वागत किया जायेगा। युवा जागरण विवेक-रथ यात्रा कार्यक्रम में शामिल होने के लिए संजीव रंजन सिन्हा (समन्वयक) 09431005687 व मंगेश झा (समन्वयक) 08987661336/  09570663667 के मोबाईल नंबर पर सम्पर्क कर विशेष जानकारी प्राप्त की जा सकती है। 

विवेक रथ के साथ स्वामी विवेकानन्द की छवियों से सज्जित दो वाहनों में सन्यासियों के नेतृत्व में तरुण एवं उत्साहित स्वयंसेवकों-सह-प्रेरकों का दल चल रहा है। विवेक जागरण रथ-यात्रा कार्यक्रम के तहत रामकृष्ण मिशन आश्रम द्वारा स्वामी विवेकानन्द की भव्य प्रतिमा के साथ आकर्षक विवेक रथ का निर्माण कराया गया है। युवाओं के प्रेरणास्रोत स्वामी जी के प्रेरक आह्वानों को समाहित करते हुए ’जागरण मंत्र’ शीर्षक पुस्तिका एवं स्वामी विवेकानन्द की छवियों के साथ वर्ष 2017 का एक आकर्षक कैलेंडर प्रकाशित कराया गया है।  व्यक्तित्व निर्माण संबंधी स्वामी विवेकानन्द की पुस्तक एवं उनकी वाणी से संग्रह स्वरूप ’अग्नि मंत्र’ पुस्तिका के साथ नए साल का उक्त कैलेंडर और नव प्रकाशित पुस्तिका ’जागरण मंत्र’ मुफ्त में 25, 000 युवाओं एवं अन्य श्रद्धालुओं के बीच वितरित किया जाना है। इस रथ यात्रा का मुख्य उदेश्य युवाओं तथा अन्य झारखंड वासियों के बीच स्वामी जी के जीवन, संदेश  तथा विचारों से अवगत कराना है, जिससे युवा स्वावलम्बी, आत्मविश्वासी, देश-प्रेमी, सच्चरित्र तथा निष्ठावान नागरिक बन सकें। इस अवसर दुमका जिला के सभी युवाओं, स्कूली छात्रों, व्यवसायीगण, सामाजिक कार्यकर्तागण एवं समाज के प्रति समर्पित सज्जनों से आग्रह है कि स्वामी जी के रथ-यात्रा कार्यक्रम में ज्यादा-ज्यादा संख्या में सम्मिलित होकर स्वामी जी के विचार, संदेश तथा जीवन से प्रेरणा लेकर उसे अपने जीवन में उतारें और जीवन को सफल बनाएं। सचिव, रामकृष्ण मिशन आश्रम, मोहराबादी स्वामी भावेशानन्द जी ने उपरोक्त आशय की जानकारी दी।
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