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26 मार्च तक हर हाल में यात्रियों के लिये चालू हो मेट्रो रेल : आलोक रंजन

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लखनऊ, 03 जनवरी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की महत्वाकांक्षी परियोजना ‘लखनऊ मेट्रो’ को तय कार्यक्रम के अनुसार 26 मार्च से यात्रियों के लिये उपलब्ध कराने के लिये अधिकारी एडी चोटी का जोर लगाये हुये हैं। इस सिलसिले में मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार आलोक रंजन ने आज अधिकारियों को निर्देश दिये कि लखनऊ के बाशिंदों को मेट्रो से सफर करने की सुविधा 26 मार्च से उपलब्ध कराने के लिये जरूरी कार्यवाही सुनिश्चित करायी जायें। इस कवायद में डिपो कण्ट्रोल सेण्टर में ‘आॅटोमेटेड फेयर कलेक्शन’ सिस्टम के लिये ‘साफ्टवेयर डेवलपमेंट सेण्टर’ को 31 जनवरी तक स्थापित किया जाना है। उन्होंने जनेश्वर मिश्र पार्क में फूड कोर्ट एवं कहानीघर का निर्माण कार्य प्रारम्भ कराने के लिये कार्यवाही यथाशीघ्र पूरा कराने के निर्देश दिये हैं। मुख्य सलाहकार आज शास्त्री भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष के सभागार में प्रोजेक्ट माॅनीटरिंग ग्रुप के तहत आवास, गृह, औद्योगिक विकास विभाग के कार्यों की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि डाॅयल-100 (यू0पी0-100) का 65 जिलों में लांच हो जाने के बाद बचे हुये 10 जिलों गाज़ियाबाद, फर्रुखाबाद, श्रावस्ती, बलरामपुर, अमेठी, मऊ, गाज़ीपुर, चन्दौली, सोनभद्र तथा संतरविदास नगर में सात जनवरी तक लांच कर परियोजना से जोड़ा जाये।

मुख्य सलाहकार ने कहा कि समाजवादी पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के निर्माण के तहत आवश्यक भूमि की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिये आवश्यक कार्यों में और अधिक तेजी लायी जाये। उन्होंने लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे परियोजना के तहत सर्विस रोड के निर्माण कार्य को निर्धारित समय में पूर्ण कराने के लिये गति लाने के भी निर्देश दिये। श्री रंजन ने जय प्रकाश नारायण इण्टरनेशनल कन्वेंशन सेण्टर परियोजना के निर्माण कार्यों की धीमी प्रगति पर असंतोष व्यक्त करते हुये निर्देश दिये कि आगामी 28 फरवरी तक स्पोट्र्स ब्लाक एवं एक्वाटिक ब्लाक के तथा 15 मार्च तक अवशेष कार्यों को पूर्ण कराया जाये। उन्होंने कहा कि ट्रांस गंगा सिटी परियोजना के तहत आवासीय ब्लाॅकों में 31 मार्च तक वाटर सप्लाई प्रारम्भ करा दी जाये। बैठक में अपर मुख्य सचिव आवास श्री सदाकांत, सचिव मुख्यमंत्री श्री पार्थ सारथी सेन शर्मा, सचिव गृह श्री कमल सक्सेना, प्रबंध निदेशक यू0पी0एस0आई0डी0सी0 श्री अमित कुमार घोष, सचिव औद्योगिक विकास श्रीमती अलकनंदा दयाल सहित सम्बन्धित विभागों के अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे। 

लखनऊ में भाजपा के फ्लाप शो से उतरा मोदी और शाह के चेहरे का नूर : मायावती

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लखनऊ 03 जनवरी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की कल लखनऊ में हुयी की परिवर्तन महारैली को फ्लाप करार देते हुए बहुजन समाज पार्टी(बसपा) अध्यक्ष मायावती ने आज कटाक्ष किया कि रैली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के चेहरे का नूर उतरा हुआ था। सुश्री मायावती ने कहा कि श्री मोदी ने राज्य विधानसभा चुनाव का शंखनाद होने से पहले ही कल की रैली में अपनी पार्टी की हार स्वीकार कर ली। इसीलिए उन्हे कहना पडा कि चुनाव हार जीत के लिए नहीं बल्कि जिम्मेदारी के लिए लड़ा जायेगा। श्री मोदी को पता लग गया है कि उत्तर प्रदेश की जनता चुनाव में उन्हें हराने जा रही है। रैली में श्री मोदी और श्री शाह के चेहरे का नूर उतरा हुआ था। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ने हाल ही में सुश्री मायावती का नाम लिए बगैर कटाक्ष किया था कि नोटबन्दी से कुछ लोग अपने पैसे को ठिकाने लगाने में लगे हैं और उनके चेहरे का नूर उतर गया है।

बाहुबली ने माना, अखिलेश ही है पार्टी का चेहरा

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कानपुर 03 जनवरी, उत्तर प्रदेश में राज्य विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) में मची खींचतान के बीच पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव के पसंदीदा बाहुबली प्रत्याशी अतीक अहमद ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पार्टी का नया चेहरा करार दिया है। कानपुर में कैंट विधानसभा सीट से सपा प्रत्याशी अतीक अहमद ने आज यहां पत्रकारों से कहा “ नेताजी (मुलायम सिंह यादव) हमारे सर्वमान्य नेता है और हमेशा रहेंगे जबकि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पार्टी का चेहरा हैं। समय बदल रहा है। आने वाला समय युवाओं का है। नेताजी आज भी मुख्यमंत्री को बच्चा समझते है,जिसके चलते ही पार्टी में दिक्कतें आ रही है। ” पार्टी में खींचतान के सवाल पर बाहुबली प्रत्याशी ने कहा “ मुख्यमंत्री अगर अपनी मर्जी का मुख्य सचिव नहीं रख सकते, कोई अहम फैसला नही ले सकते तो क्या करेंगे। मुख्यमंत्री की जमकर तारीफ करते हुये अतीक ने प्रदेश में सपा सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों का बखान किया और कहा अगर पार्टी का चुनाव निशान ‘साइकिल’ जब्त होता है तो पार्टी के लिए यह दुर्भाग्यपूर्ण होगा। गौरतलब है कि सपा मुखिया ने राज्य विधानसभा चुनाव के लिए 28 दिसम्बर को अपने छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव के साथ 325 उम्मीदवारों की सूची जारी की थी जिसमे अतीक अहमद काे कैंट विधानसभा क्षेत्र से सपा प्रत्याशी बनाया गया था मगर अगले ही दिन अखिलेश यादव ने सूची में शामिल कुछ नामों पर आपत्ति जताते हुये 235 प्रत्याशियों की नयी सूची जारी कर दी जिसमे अतीक का पत्ता साफ कर दिया गया। 

बसपा सिर्फ दलितों की ही नहीं सर्वसमाज की पार्टी : मायावती

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लखनऊ,03 जनवरी, हुजन समाज पार्टी (बसपा) को केवल दलितों की पार्टी बताने वालों को आडे हाथों लेते हुए पार्टी अध्यक्ष मायावती ने कहा है कि राज्य विधानसभा के चुनाव में सभी जातियों और धर्मों के लोगों को टिकट दिये हैं। सुश्री मायावती ने आज यहां पत्रकारों से कहा कि कुछ लोग बसपा को सिर्फ दलितों की ही पार्टी बताकर भ्रम फैलाने की कोशिश करते हैं, लेकिन राज्य विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों की सूची देखने पर साफ हो जायेगा कि बसपा सर्वसमाज को साथ लेकर चलने वाली पार्टी है। किसी अन्य दल से गठबंधन या समझौता नहीं करने का एलान करते हुए उन्होंने बताया कि विधानसभा की कुल 403 सीटों में से 87 दलित, 97 मुस्लिम, 106 पिछडेवर्ग और 113 ऊंची जाति के लोगों को टिकट दिया गया है। एक सौ तेरह ऊंची जातियों में से 66 ब्राह्मण, 36 ठाकुर और 11 कायस्थ, वैश्य और पंजाबी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि उम्मीदवारों के नामों की घोषणा चुनाव तिथित का एलान होने पर किया जाएगा।

बसपा अध्यक्ष ने मुसलमानों से बसपा को ही वोट देने की अपील करते हुए कहा कि दूसरे दलों को वोट देने पर भाजपा को सत्ता में आने से रोका नहीं जा सकेगा। हर विधानसभा क्षेत्र में 50-60 हजार बसपा के मूल वोट के रूप में दलित हैं, यदि इसमें मुसलमान भी जुड जाएगा तो भाजपा को सत्ता में आने से आसानी से रोका जा सकता है।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आलोचना करते हुए सुश्री मायावती ने कहा कि उन्होंने अपनी नाकामियों से ध्यान हटाने के लिये नरेन्द्र मोदी ने नोटबंदी का फैसला लागू किया था। नोटबंदी के 50 दिन पूरे होने के बाद श्री मोदी को बताना चाहिए था कितना कालाधन पकडा गया और कितने भ्रष्टाचारी जेल गये। उन्होंने कहा कि नोटबंदी से ठीक पहले भाजपा दफ्तरों के लिए जगह जगह जमीन खरीदे गये। दिल्ली में काफी बडी जमीन खरीदी गयी। श्री मोदी उसका हिसाब किताब क्यों नहीं देते। नोटबंदी लागू होने के दस महीने पहले फर्जी सदस्य बनाकर भाजपा ने कालेधन को सफेद किया। सुश्री मायावती ने 2016 के अन्तिम दिन प्रधानमंत्री के भाषण को उन्होंने गुमराह करने वाला बताते हुए कहा कि उनके द्वारा पूरे समय अपनी नाकामियों को छिपाने की कोशिश की गयी। भाषण में श्री मोदी ने गरीबों के हित में न तो किसी ठोस फैसले की घोषणा की और न ही किसी कर्ज माफी की। 

बसपा अध्यक्ष ने कहा कि कालेधन के नाम पर लागू की गयी नोटबंदी से जनता त्रस्त है। लाइन में कई लोगों की मृत्यु हो गयी। उसका हर्जाना कौन देगा। केन्द्र की कार्यशैली पूंजीवादी है। उन्होंने पूंजीवाद, सपा और कांग्रेस के परिवारवाद से निजात पाने के लिए बसपा को समर्थन देने की अपील की। उनका कहना था कि मूल सवाल को टालने के लिए रोज नये नये मुद्दे गढे जा रहे हैं। कोरी बयानबाजी की जा रही है। श्री मोदी की कल की रैली फ्लाप रही है। टिकटार्थियों द्वारा किराये की भीड लायी गयी थी। श्री मोदी ने चुनाव से पहले ही अपनी पार्टी की हार स्वीकार कर ली है, इसीलिए उन्होंने कल ही कह दिया कि हमारे लिये हार जीत का नहीं जिम्मेदारी वाला चुनाव है। सुश्री मायावती ने कहा कि समाजवादी पार्टी(सपा) में मचे घमासान की वजह से मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव दोनों काे ही जनता नकार रही है। सपा के मूल वोट बैंक यादव भी एकजुट नहीं रहेंगे इसलिए सपा बुरी तरह पराजित होगी जबकि कांग्रेस इस राज्य में आक्सीजन पर चल रही है। उन्होंने आशंका जताई की चुनाव में भाजपा सत्ता का दुरूपयोग कर सकती है। 

बदले की भावना से काम कर रहे हैं मोदी : कांग्रेस

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नयी दिल्ली, 03 जनवरी, कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बदले की भावना से काम करने का आरोप लगाते हुए आज कहा कि वह राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो(सीबीआई) तथा प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) का इस्तेमाल कर रहे हैं। कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख रणदीपसिंह सुरजेवाला ने लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंद्योपाध्याय को रोज वैली घोटाले में गिरफ्तार करने की घटना पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि श्री मोदी और उनका कार्यालय विरोधियों की आवाज दबाने की कोशिश में लगा हुआ है। श्री बंद्योपाध्याय तथा तृणमूल कांग्रेस के एक अन्य सांसद की पांच दिन पहले की गयी गिरफ्तारी को उन्होंने बदले की भावना से की गयी कार्रवाई करार देते हुए कहा कि जब से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री तथा तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के साथ प्रेस कांफ्रेंस की है, प्रधानमंत्री और उनका कार्यालय तृणमूल कांग्रेस के सांसदों के खिलाफ कार्रवाई में जुट गया है। गौरतलब है कि सीबीआई ने श्री बंद्योपाध्याय से घोटाले के मामेल में दूसरे चरण में आज चार घंटे तक पूछताछ की और उसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इससे पहले पार्टी के एक अन्य सांसद तापस पाल को गिरफ्तार किया गया था ।

कानपुर में है गंगा सर्वाधिक प्रदूषित: उमा भारती

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नयी दिल्ली, 03 जनवरी, गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने आज कहा कि गंगा नदी में प्रदूषण फैलाने वाले 118 शहरों की स्थिति पर मंत्रालय ने एक आकलन रिपोर्ट तैयार की है जिसके अनुसार उत्तर प्रदेश के कानपुर में गंगा सबसे ज्यादा मैली हो रही है। मंत्रालय ने गंगा सफाई के लिए कानपुर में 370 करोड़ रुपये की परियोजना पर काम शुरू कर दिया है। सुश्री भारती ने आज यहां पत्रकारों से कहा कि उनके मंत्रालय ने इन शहरों का इस आधार पर आकलन कराया है कि इन शहरों में गंगा को किस स्तर पर प्रदूषित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट में सबसे खराब हालत कानपुर की है और वहां रामगंगा तथा काली गंगा के कारण गंगा में सबसे ज्यादा प्रदूषण फैल रहा है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट को देखते हुए कानपुर पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है और गंगा की सफाई के लिए वहां 370 करोड़ रुपये की परियोजना तैयार की गयी है। इसके लिए टेंडर की प्रक्रिया चल रही है और जल्द ही इस पर काम शुरू कर दिया जाएगा। इसके साथ ही वाराणसी और पटना में भी इस दिशा में तेजी से काम चल रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक यह दोनों शहर भी गंगा में प्रदूषण फैलाने के लिए ज्यादा जिम्मेदार हैं।

सुश्री भारती ने कहा कि राष्ट्रीय गंगा स्वच्छता मिशन (एनएमसीजी) को गंगा की सफाई के लिए अधिकार प्रदान किए गए हैं और इसके तहत मिशन को गंगा में प्रदूषण फैलाने वाले लोगों तथा संयंत्रों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार मिल गया है। इस अधिकार के तहत एनएमसीजी अब सीधे कार्रवाई करके गंगा की सफाई के काम को तेजी से आगे बढा सकती है। उन्होंने कहा कि एनएमसीजी को गंगा सफाई के काम के लिए अब मंत्रालय पर बहुत निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। मिशन एक हजार करोड़ रुपए तक की परियोजनाओं को अपने स्तर पर स्वीकृत कर सकता है और परियोजना के क्रियान्वयन की प्रक्रिया को लागू कर सकता है। इस अधिकार के बाद एनएमसीजी अब गंगा में प्रदूषण फैलाने वाले संयंत्रों को बंद करने का भी आदेश दे सकता है। नदी जाेड़ो कार्यक्रम पर उन्होंने कहा कि उनके मंत्रालय ने इस क्रम में अब पंजेश्वर के रूप में 31वीं परियोजना को शामिल कर दिया है। नदी जोड़ो कार्यक्रम पर तेजी से काम चल रहा है और इसकी रूपरेखा अब पूरी तरह से स्पष्ट है और केंद्र से पैसा मिलते ही इस पर काम शुरू कर दिया जाएगा। 

महिला विश्वकप क्वालिफायर के लिये मिताली कप्तान

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नयी दिल्ली, 03 जनवरी, अनुभवी बल्लेबाज मिताली राज को श्रीलंका के कोलंबो में तीन से 21 फरवरी तक होने वाले आईसीसी महिला विश्वकप क्वालिफायर के लिये भारतीय टीम का कप्तान बनाया गया है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड(बीसीसीआई) ने इस टूर्नामेंट के लिये मंगलवार को 14 सदस्यीय टीम घोषित की जिसकी कप्तानी मिताली राज के हाथों में होगी। 34 वर्षीय मिताली ने दिसंबर में महिला ट्वंटी 20 एशिया कप के खिताबी मुकाबले में पाकिस्तान के खिलाफ नाबाद 73 रन की मैच विजयी पारी खेली थी। एशिया कप में भारतीय टीम की बागडोर हरमनप्रीत कौर के हाथों में थी जबकि विश्वकप क्वालिफायर के लिये भारतीय टीम की कमान एक बार फिर मिताली को सौंपी गयी है जिन्होंने अपने वनडे करियर में 167 मैचों में 5407 रन बनाये हैं। आलराउंडर मोना मेशराम को 14 सदस्यीय टीम में शामिल नहीं किया गया है। भारतीय टीम पिछले सात मैचों से अपराजेय है और उसका यह अपराजेय क्रम आस्ट्रेलिया के खिलाफ होबार्ट में हुये वनडे से शुरु हुआ था। भारतीय टीम ने इसके बाद वेस्टइंडीज को 3-0 से तथा श्रीलंका को 3-0 से धोया था। भारतीय टीम अपने पांच फरवरी को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अभ्यास मैच से करेगी। इसके बाद वह सात फरवरी को श्रीलंका के खिलाफ मैच से टूर्नामेंट अभियान की शुरुआत करेगी। टूर्नामेंट में भारत के अलावा पाकिस्तान ,बंगलादेश,जिम्बाब्वे ,आयरलैंड,स्काटलैंड,थाइलैंड तथा पापुआ न्यू गिनी की टीमें शामिल हैं। टूर्नामेंट में शीर्ष चार टीमें महिला विश्व कप के लिये क्वालिफाई करेंगी और विश्व कप के लिये क्वालिफाई कर चुकीं आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड,न्यूजीलैंड तथा वेस्टइंडीज से जुड़ेंगी। विश्वकप का आयोजन 26 जून से 23 जुलाई के बीच इंग्लैंड में आयोजित होगा। टीम इस प्रकार है- मिताली राज (कप्तान), हरमनप्रीत कौर, स्मृति मंधाना, तिरूष कामिनी, वेदा कृष्णामूर्ति, देविका वैद्य, सुषमा वर्मा (विकेटकीपर), झूलन गोस्वामी, शिखा पांडे, सुकन्या परिदा, पूनम यादव, एकता बिष्ट, राजेश्वरी गायकवाड और दीप्ति शर्मा।

मातृत्व लाभ योजना पूरे देश में लागू

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नयी दिल्ली 03 जनवरी, केंद्र सरकार ने मातृत्व लाभ याेजना पूरे देश में लागू कर दी है इसके तहत प्रसूता माताओं आैर दुग्धपान कराने वाली माताओं को पोषण के लिए 6000 रुपये दिए जाएंगे। प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी ने नववर्ष की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संबोधन में इस योजना को पूरे देश में लागू करने की घोषणा की थी। अभी तक यह योजना कुछ जिलों में प्रायोगिक तौर पर लागू की गयी थी और प्रत्येक प्रसूता माता को 4000 रुपए दिए जा रहे थे। यह पोषण राशि सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में पंजीकृत प्रसूता माताओं को मिलेंगे। केद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अाज यहां इसकी जानकारी देते हुए बताया कि सरकार समाज के वंचित तबके की महिलाओं समेत प्रत्येक महिला को पोषण उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। यह गर्भावस्था और दुग्धपान कराने के दाैरान बहुत जरुरी है। 

यह योजना राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत चलाई जा रही है और इसमें लाभार्थियों के बैंक खातों में नकद राशि हस्तांतरित की जाती है । प्रसूता लाभ पहले दो बच्चोें के जन्म पर उपलब्ध होगा। पूरी राशि तीन किस्तों में अदा की जाएगी । पहली किस्त 3000 रुपए की होगी और गर्भावस्था शुरू होने के तीन महीने के बाद दी जाएगी। दूसरी किस्त में 1500 रुपए प्रसूति के समय दिए जाएंगे। तीसरी और अंतिम किस्त के 1500 रुपए प्रसूति के तीन महीने के बाद दिए जाएंगे। मंत्रालय का कहना है कि इस राशि को आधार से जोड़ा जाएगा। इस योजना से 51 लाख 70 हजार महिलाओं को लाभ होने की उम्मीद है । केंद्र, राज्य सरकार और सार्वजनिक उपक्रमों में काम करने वाले अन्य किसी संस्थान से प्रसूता लाभ लेने वाली महिलाओं को यह लाभ उपलब्ध नहीं होगा। 

भाजपा के मुख्यमंत्री के दावेदार के सवाल पर राजनाथ ने चुप्पी साधी

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नयी दिल्ली 03 जनवरी, उत्तर प्रदेश में अगले मुख्यमंत्री के लिए भारतीय जनता पार्टी के लोकप्रिय चेहरा माने जा रहे केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज इस बारे में सवाल पूछे जाने पर रहस्यमय चुप्पी साध ली । नये वर्ष पर मीडियाकर्मियों के साथ संवाद के दौरान जब श्री सिंह से यह पूछा गया कि क्या वह उत्तर प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री बनना पसंद करेंगे तो श्री सिंह ने मुस्कुराते हुए लंबी चुप्पी साध ली । हालांकि जब श्री सिंह से यह पूछा गया कि क्या वह अपनी उस राय पर कायम हैं जिसमें उन्होंने गृह मंत्री बनने के बाद कहा था कि 11 अशोक रोड यानी भाजपा मुख्यालय उनकी पहली पसंद है तो उन्होंने फिर चुप्पी लगायी लेकिन बाद में हंसकर इस सवाल को टाल दिया । अलबत्ता उन्हाेंने हल्के -फुल्के अंदाज में जवाब दिया कि जब आप जैसे मीडियाकर्मी यहां दोस्त बन जायं तो अशोक रोड क्यों याद आयेगा । उल्लेखनीय है कि 2014 के लोकसभा चुनाव के समय श्री सिंह भाजपा अध्यक्ष थे । यह चुनाव भाजपा के प्रधानमंत्री पद के तत्कालीन उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के चेहरे और संगठन में श्री सिंह की अगुवाई में लड़ा गया था । इस चुनाव में भाजपा ने पहली बार प्रचंड बहुमत के साथ चुनाव जीता था । हालांकि चुनाव के बाद श्री सिंह कैबिनेट बने और पार्टी की कमान श्री मोदी के करीबी अमित शाह को दे दी गयी ।

प्रकाशोत्सव का मुख्य कार्यक्रम शुरू,उमड़ पड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

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पटना 03 जनवरी, दशमेश पिता श्रीगुरू गोविंद सिंह जी के 350वें प्रकाशोत्सव के मुख्य कार्यक्रम आज से तख्त श्रीहरिमंदिर साहिब और एतिहासिक गांधी मैदान में अखंड पाठ शुरू होने के साथ ही भक्तिरस में सराबोर श्रद्धालु गुरूवाणी के बोलपर झूम रहे हैं । पटना सिटी स्थित तख्त श्रीहरिमंदिर साहिब से आज तड़के प्रभातफेरी निकाली गयी जिसमें देश-विदेश से आये श्रद्धालु कीर्तन करते हुए कई जगह घूमें । पंच प्यारे की अगुआई में निकाली गयी प्रभातफेरी में शामिल श्रद्धालु रूक- रूक कर जयकारा भी लगाते रहे । तख्त परिसर के अलावा आस-पास की गलियों में भी भक्तिरस में सराबोर श्रद्धालु गुरूवाणी के बोल पर झूम रहे हैं । तख्त श्रीहरिमंदिर साहिब परिसर में विशेष पंडाल में शबद कीर्तन हो रहे हैं । हजारों की संख्या में मौजूद श्रद्धालुओं के दोनों हाथ हर जयकारे के साथ ही उपर उठ जा रहे हैं । दरबार साहिब में मत्था टेकने वालों की लम्बी कतार लगी रह रही है जिसे नियंत्रित करने में पुलिस के साथ ही सेवकों को कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है ।

तख्त श्रीहरिमंदिर साहिब परिसर में ही कवि दरबार तथा अखंड पाठ का आज आयोजन किया गया है । इसी तरह आज ही दसवें गुरू की जीवनी पर आधारित संगोष्ठी आयोजित की गयी है जिसमें देश- विदेश के जाने-माने विद्वान अपना विचार रखेंगे । संगोष्ठी का उद्घाटन पंजाबी विश्वविद्यालय के कुलपति डा. जसपाल सिंह करेंगे । इस मौके पर बाबा सरबजोत सिंह बेदी ,डा.गुरमोहर सिंह बालिया , डा. बलबंत सिंह , डा. प्रीतपाल सिंह समेत कई विद्वान गुरूजी की जीवनी पर व्याख्यान देंगे । रात में कवि दरबार भी सजेगा । वहीं एतिहासिक गांधी मैदान में सुबह पांचो तख्त के रागी जत्थों का कीर्तन दरबार सजाया गया । कीर्तन में विभिन्न प्रांतों से बड़ी संख्या में आये श्रद्धालु शामिल हुए । गांधी मैदान में आज निहंग जत्थे तलवारबाजी का करतब दिखायेंगे । देश के कई स्थानों से आये निहंगों के शौर्य को देखने के लिए श्रद्धालुओं के साथ ही स्थानीय लोग भी इच्छुक हैं । 

तलवारबाजी का करतब सभी के लिए आकषर्ण का केन्द्र होगा । इसमें मार्शल आर्ट ,तलवारबाजी ,नेजा और चकरी की कलाबाजियां श्रद्धालुओं के साथ ही राजधानी के लोगों के लिए काफी उत्साहित करने वाला होगा । पंजाब ,जम्मू-कश्मीर ,उज्जैन और शिरोमणी गुरूद्वारा प्रबंध कमिटी के निहंग अपना जौहर दिखायेंगे । कल अभ्यास के दौरान ही निहंगों के करतब को देखकर लोग निहाल हो रहे थे । गांधी मैदान में ही कवि दरबार का आयोजन किया गया है । इसके बाद कीर्तन दरबार सजेगा ।चार जनवरी को गांधी मैदान से तख्त श्रीहरिमंदिर नगर कीर्तन निकाला जायेगा । लगभग नौ किलोमीटर तक निकलने वाले नगर कीर्तन पर नौ घंटे तक राजधानी के लोग श्रद्धा के फूल बरसायेंगे । इसके दूसरे दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत कई अति विशिष्ट लोग गांधी मैदान आयेंगे । तख्त श्रीहरिमंदिर साहिब में मत्था टेकने के लिए नेताओं के आने का सिलसिला बना हुआ है और अब तक केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री एस.एस अहलुवालिया ,दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह समेत कई नेता आ चुके हैं । बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्वयं तख्त श्रीहरिमंदिर साहिब और गांधी मैदान में विशेष रूप से बनाये गये टेंट सिटी में जाकर समारोह के लिए किये गये व्यवस्था का जायजा ले रहे हैं और संबंधित अधिकारियों को निर्देश भी दे रहे हैं ताकि श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो । 

समस्तीपुर में पत्रकार हत्याकांड में जद यू के विधायक के भाई समेत नौ के खिलाफ प्राथमिकी

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समस्तीपुर 04 जनवरी, बिहार में समस्तीपुर जिले के विभूतिपुर थाना क्षेत्र के सलखन्नी गांव में पत्रकार ब्रज किशोर ब्रजेश की हुयी हत्या के मामले में आज सत्तारुढ़ जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के विधायक के भाई समेत नौ लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है। पुलिस सूत्रों ने यहां बताया कि पत्रकार श्री ब्रजेश की हत्या के मामले में उनके बड़े भाई और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता श्याम किशोर कमल ने विभूतिपुर थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी है । दर्ज प्राथमिकी में विधायक के भाई लाल बाबू सिंह , जद यू नेता और मृत पत्रकार के भाई कमल किशोर कमल तथा पंचायत समिति सदस्य किरण देवी के अलावा छह अन्य अज्ञात अपराधियों को आरोपी बनाया गया है । 

सूत्रों ने बताया कि नामजद सभी आरोपी फरार हैं । आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस छापेमारी कर रही है।पत्रकार की हत्या के विरोध में विभूतिपुर प्रखंड के सिंघिया बाजार आज पूरी तरह से बंद है । वहीं दूसरी ओर माकपा राज्य कमेटी के सदस्य अजय कुमार ने पुलिस प्रशासन से पार्टी के नेता और पत्रकार के बड़े भाई श्याम किशोर की सुरक्षा की मांग की है । पत्रकार का अंतिम संस्कार आज उनके पैतृक गांव सलखन्नी में कर दिया गया । गौरतलब है कि पत्रकार श्री ब्रजेश कल देर शाम सलखन्नी गांव स्थित ईंट-भट्ठा पर थे तभी एक वाहन पर सवार हथियारबंद अपराधियों ने अंधाधुंध गोलियां चलायी जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गयी ।

विशेष आलेख : हाथी के दांत दिखाने के और ,खाने के और!

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राजनीतिक नोटबंदी का राजनीतिक आशय आर्थिक तबाही का नरसंहार! दीदी के अपराजेय किले पर सीबीआई हमला जारी तो त्रिपुरा के इकलौता वामकिले में भी भूकंप के झटके! मुलायम खिलेश में सुलह की कोशिशें नाकाम!पानी पर वार,पानी दुधार! यूपी में हिंदुत्व पुनरूत्थान के बाद अब बंगाल का हिंदुत्वकरण नोटबंदी की ताजा फसल है।फासिज्म के राजकाज का राजनीतिक मोर्चा यूपी के यदुवंशी मूसलपर्व के बाद अब बंगाल,पूर्वी भारत का चिटफंड है।राहत कहां है? 46 लाख करोड़ का टैक्स छूट कारपोरेट कंपनियों को देने वाले कंपनी राज ने सरकारी बैंकों का इस्तेमाल देशी विदेशी कंपनियों को अरबों खरबों की कर्ज देने और माफ करने में किया है।अर्थशास्त्री सुगत मार्जित ने आज आनंद बाजार पत्रिका के संपादकीय में दो टुक शब्दों में लिख दिया है कि अब बैंक हमारे खातों से हमारा सफेद धन बड़े कारोबारियों के कर्ज में देगा कम सूद पर,जिसे वे कभी नहीं लौटायेंगे। 




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देश में अब स्त्रीकाल का कोई विकल्प नहीं है।माता सावित्री बाई फूले के जन्मदिन पर इस विकल्प पर खुले दिमाग से विचार करने की जरुरत है।स्त्री नेतृत्व के मौजूदा चेहरे अपनी साख खो रहे हैं,यह पितृसत्ता की मुक्तबाजारी जश्न है।बड़े पैमाने पर नये स्त्री नेतृत्व की सबसे ज्यादा जरुरत है और हम इस मुहिम में दिलोजान से जुड़े तो माता सावित्री बाई को यह सच्ची श्रद्धांजिल होगी पितृसत्ता तोड़कर। कैशलैस इंडिया के डिजिटल लेनदेन की ताजा चेतावनी यहै हि मशहूर फिल्म स्टार करीना कपूर का आईटी एकाउंट हैक  हो गया है। बंगाल में दीदी के अपराजेय किले पर सीबीआई हमला जारी तो त्रिपुरा के इकलौता वामकिले में भी भूकंप के झटके हैं।दो सांसदों की गिरप्तारी के बाद दीदी ने जवाबी गिरफ्तारी की धमकी दी है।फासिज्म के राजकाज का राजनीतिक मोर्चा यूपी के यदुवंशी मूसलपर्व के बाद अब बंगाल,पूर्वी भारत का चिटफंड है।राहत कहां है? इसी बीच राजनीतिक मोर्चे में सनसनी निरंकुश है।बलि समाजवादी पार्टी में सुलह की कोशिशें नाकाम हो गयी हैं!बाप बेटे मुलायम सिंह और अखिलेश यादव के बीच बैठक रही बेनतीजा रही है।पानी पर लाठी का वार कुछ ऐसा हुआ है कि पानी अलग तो धार अलग ,सभी बीच मंझधार। रामगोपाल यादव ने भी खूब  कहा है कि अब ना कोई सुलह, ना कोई समझौता होगा। फिलहाल मुलायम सिंह और शिवपाल यादव के बीच बैठक जारी है। राजनीतिक विकल्प फासिज्म के राजकाज का शून्य बटा दो है।यह सभसे भयंकर कयामती फिजां है।लोकंत्र का बेड़ा गर्क है।हर नागरिक कुंभकर्ण है। यदुवंश का रामायण महाभारत मुगलाई किस्सा थमने के आसार नहीं हैं।इस बीच समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह साइकिल को लेकर दावेदारी भी जारी है। आज अखिलेश गुट की तरफ से रामगोपाल यादव ने साइकिल पर दावेदारी जताई। उन्होंने चुनाव आयोग से मुलाकात कर पार्टी का बहुमत साथ होने की बात कही। रामगोपाल यादव ने कहा कि असल समाजवादी पार्टी अखिलेश यादव की है।

इससे पहले कल मुलायम सिंह और शिवपाल यादव चुनाव आयोग गए थे और दावा किया था कि साइकिल चुनाव चिन्ह उनका है। हालांकि  अभी तक औपचारिक तौर पर समाजवादी पार्टी के बंटवारे का एलान नहीं हुआ है। हकीकत फिरभी यही है कि  अखिलेशवादी और मुलायमवादी दो साफ खेमे पार्टी में बन चुके हैं। भारत के रिजर्व बैंक,भारत के वित्तमंत्री और भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार को अंधेरे में रखकर संघ परिवार के बगुला छाप विशेषज्ञों की देखरेख में नोटबंदी का कसद कोई अर्थतंत्र में क्रांति का नहीं रही है,चक्रवर्ती महाराज की अधीनता से बाहर सूबों पर कब्जा करने का यह मास्टर प्लान है। नोटबंदी से कालाधन नहीं निकला या पचास दिनों के बावजूद नकदी संकट से मौतों का सिलसिला जारी है या लोगों को पूरा वेतन पूरा पेंशन अभी भी नहीं मिल रहा है या अर्थव्यवस्था को भारी धक्का लगा है या देश मंदी,भुखमरी और बेरोजगारी की आपदाओं से घिरा है,इन सबका न मोदी और न संघ परिवार से कोई लेना देना नहीं है। यूपी में हिंदुत्व पुनरूत्थान के बाद अब बंगाल का हिंदुत्वकरण नोटबंदी की ताजा फसल है। मैं अर्थशास्त्री नहीं हूं।फिरभी रोज इस देश की अर्थव्यवस्था की धड़कनों को समझने की कोशिश में लगा रहता हूं क्योंकि इसी अर्थव्यवस्था में भारतीय जनता के जीवन मरण के बुनियादी सवालों के जबाव मिलते हैं और हम रोजाना उन्हीं सवालों के मुखातिब होते हैं।

मसलन मीडिया में बैंकों के कर्ज पर ब्याज दरें घटाने को नोटबंदी की उपलब्धि बतौर पेश किया जा रहा है।दावा है कि इससे आम उपभोक्ताओं को ईएमआई में बड़ी राहत मिलने वाली है।कारपोरेट लोन में  अरबों खरबों ब्याज के मद में छूट की कोई खबर कहीं नहीं है।गौरतलब है कि पीएम नरेंद्र मोदी की नव वर्ष की पूर्व संध्या पर दिए गए भाषण के बाद बैंकों द्वारा लैंडिग रेट्स यानी कर्ज पर ब्याज दरें घटा दी हैं। देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने बेंचमार्क लैंङ्क्षडग रेट (एमसीएलआर) में 0.90 प्रतिशत की कटौती की घोषणा की जो कि पहले 8.9 प्रतिशत थी। इसके बाद कई अन्य बैंकों ने अपने एमसीएलआर में कटौती का एलान किया। मसलन रेलवे के निजीकरण की मुहिम तेज है।रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने आज कहा है कि रेलवे की बेहतरी के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बड़े कैपिटल इंफ्यूजन का भरोसा दिलाया है। इसी पर बात करते हुए रेलवे बोर्ड के पूर्व चेयरमैन विवेक सहाय ने कहा कि रेलवे में इंफ्रास्ट्रक्टर बढ़ाने के लिए निवेश की जरुरत है और उसमें काफी कदम उठाएं जा चुके है। लेकिन समस्या ये है कि फ्रेट ट्रैफिक(माल ढुलाई) में ग्रोथ नहीं आ रही है। बल्कि लक्ष्य से भी 45 मिलियन टन फ्रेट ट्रैफिक पिछे चल रहा है, तो इसको देखते हुए लगता है कि अर्निंग भी बजट से तो बहुत कम हो रही है। फ्रेट अर्निंग का ना बढ़ना सबसे ज्यादा चिंता का विषय है।  

मसलन आरबीआई ने ई-वॉलेट पेटीएम को पेमेंट बैंक बनाने की औपचारिक मंजूरी दे दी है। पेटीएम ने पिछले साल ही पेमेंट बैंक शुरू करने का एलान किया था। पेटीएम पेमेंट बैंक में ग्राहक का अकाउंट उसके पेटीएम वॉलेट से जुड़ा रहेगा जिसमें 14.5 फीसदी का इंटरेस्ट मिलेगा। पेटीएम ने कहा है कि कंपनी का मकसद हर भारतीय को बैंक की सहूलियत देना और टेक्नोलॉजी और इनोवेशन के दम पर बैंकिंग की दुनिया में अपनी पैठ बनाना है। पेटीएम पेमेंट बैंक में विजय शेखर शर्मा का 51 फीसदी हिस्सा होगा। कैशलैस डिजिटल इंडिया में सर्विस टैक्स बैंक कमीशन वगैरह माफ करने की जो बात कही जा रही थी ,उसकी मियाद भी अब पूरी हो गयी है। नकदी की हदबंदी की वजह से बार बार एटीएम से पैसे निकालने में भी फीस भरनी होगी और लाटरी में जो करोड़पति बनेंगे,उनके अलावा बाकी लोगों को हर डिजिटल लेनदेन की कीमतभी चुकानी होगी। आधार पहचान से लेनदेन के जोखिम शेयर और म्युच्यल फंड जैसे होंगे।रिटर्न कुछ मिले या नही भी मिले,जोखिम विशुध उपभोक्तावादी है।यानी धोखाधड़ी इत्यादि से बचने के लिए सुरक्षा इंतजाम की कोई गारंटी मोबाइलनेटव्रक,नेट या आधार प्राधिकरण की तरफ से ,रिजर्वबैंक की तरफ से या भारत सरकार की तरफ से बैंको में लेनदेन की तरह नहीं है।

बराक ओबामा तो गये और दुनिया टंर्प के हवाले हैं।विप्रो और इंपोसिस ने आने वाली सुनामी से आगाह करते हुए कर्मचारियों को भावुक होने से मना किया है।आउटसोर्सिंग में फ्रक पड़ा तो बच्चों को कंप्यूटर की लाखोंकरोडो़ं रपये कीकमाई के लिए अंधे कुएं में धकेलने और उच्च शिक्षा,शोध और विशेषज्ञता से चीन से हजारों मील पिछड़ने का नतीजा समाने जो होगा ,सो होगा,उत्पादन प्रणाली,कृषि और सराकारी क्षेत्र में रोजगार सृजन न होने का नतीजा अर्थव्यवस्था और आम जनता की सेहत के लिए भयानक होगा। जाहिर है कि 46 लाख करोड़ का टैक्स छूट कारपोरेट कंपनियों को देने वाले कंपनी राज ने सरकारी बैंकों का इस्तेमाल देशी विदेशी कंपनियों को अरबों खरबों की कर्ज देने और माफ करने में किया है।अर्थशास्त्री सुगत मार्जित ने आज आनंद बाजार पत्रिका के संपादकीय में दो टुक शब्दों में लिख दिया है कि अब बैंक हमारे खातों से हमारा सफेद धन बड़े कारोबारियों के कर्ज में देगा कम सूद पर,जिसे वे कभी नहीं लौटायेंगे। जाहिर है अर्थशास्त्री की बात निराधार हो नहीं सकती ।इसका सीधा मतलब यही है कि आने वाले बजट का सार संक्षेप भी यही होने वाला है और नोटबंदी इसी की तैयारी है।गौरतलब है कि उद्योग जगत ने एसबीआई, पीएनबी, यूनियन बैंक आफ इंडिया (यूबीआई) तथा आईडीबीआई द्वारा ब्याज दर में कटौती के बीच आज कहा कि इस कदम से अर्थव्यवस्था को बड़ा बल मिलेगा और खपत को प्रोत्साहन मिलेगा क्योंकि कर्ज मांग में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है। ब्याज दर में कटौती अच्छा कदम उद्योग मंडल सी.आई.आई. ने कहा कि ब्याज दर में कटौती मध्यम अवधि में आर्थिक मजबूती की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। 

इस पर भी गौर करेंः
`मैं बुनियादी ब्याज दर में 0.9 फीसदी की कमी लाने के एसबीआई के फैसले का भी स्वागत करता हूं'। भाजपा अध्यक्ष ने कहा, 'मुझे यकीन है कि नोटबंदी के बाद हमारे बैंकों के पास मौजूद संसाधनों से गरीबों के कल्याण के मोदी के अभियान में तेजी आएगी और देश एक व्यापक आधार के साथ तेजी से एक ठोस अर्थव्यवस्था की दिशा में बढ़ेगा'। शाह ने कहा कि कम दरों से आवास और वाहन के लिए मिलने वाला कर्ज ज्यादा किफायती हो जाएगा। छोटे शहरों और गांवों में आवासीय गतिविधियों से अकुशल कार्य बल के रोजगार में बढ़ोत्तरी होगी।

हाथी के दांत दिखाने के और,खाने के और।
इस बार बजट 1 फरवरी को पेश किया जाएगा। बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू होगा और सत्र का पहला हिस्सा 9 फरवरी तक चलेगा। आज हुई कैबिनेट कमेटी ऑन पार्लियामेंट्री अफेयर्स की बैठक में ये फैसला लिया गया। नोटबंदी कारपोरेट बजट की चाकचौबंद तैयारी है।इस पर कवायद जारी है।संसद के बाहर 26 जनवरी के परेड की तैयारियां चल रही हैं तो संसद के भीतर बजट सत्र की। सरकार ने रेल बजट को आम बजट के साथ मिलाकर पेश करने का फैसला लिया है। दूसरी तरफ जीएसटी की तैयारियां भी जोर शोर से चल रही हैं।चूंकि सरकार कारोबारी साल 2017-18 में जीएसटी लागू करना चाहती है। ऐसे में एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स जैसे इनडायरेक्ट टैक्स में बड़े फेरबदल की संभावना कम है, जिसकी पहले बड़ी अहमियत रहती थी। इतना ही नहीं इस बार बजट में खर्चे का हिसाब किताब भी अलग तरीके से पेश किया जाएगा। क्योंकि सरकार ने प्लान और नॉन प्लान एक्सपेंडिचर के बीच के अंतर को खत्म करने का फैसला लिया है। इसकी जगह कैपिटल एक्सपेंडिचर और रेवेन्यू एक्सपेंडिचर पेश किया जाएगा। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ने सभी मंत्रियों से कहा है कि वो बजट का प्रस्ताव तैयार करते वक्त 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव का ख्याल रखें। सोशल स्कीमों में बड़ी बड़ी घोषणाएं फर्जी निकली है और रेल किराया से लेकर पेट्रोल डीजल तक महंगा है।औद्योगिक उत्पादन और कृषि उत्पादन का बंटाधार है।ताजा आंकड़ों ने साबित कर दिया है।फिरभी मीडिया शेयर बाजार की उछाल में अर्थव्यवस्था की सेहत दिखा रहा है।अर्थशास्त्री भी सत्ता के मुताबिक आदा सचआधा फसाना कह रहे हैं।हम जैसे् अपढ़ अधपढ़ लोगों के लिए खुदै माजरा समझने की कोशिश इसीलिए अनिवार्य है।

वरना मैं साहित्य का मामूली छात्र हूं।किताबें मेरी पूंजी है।ज्ञान की खोज मेरी जिंदगी है।इतिहासबोध मेरा आधार हैै और वैज्ञानिक दृष्टि बंद दरवाजे और बंद खिड़किया खोलने की मेरी चाबी है।मेरी जिंदगी इतनी सी है।इससे ज्यादा मैंने कुछ कभी चाहा नहीं है।नैनीताल में गिरदा के सान्निध्य में भयानकअराजक ही था मैं जीवन यापन के मामले में।धनबाद में कोयलाखानों और आदिवासी कामगारों के बीच पत्रकारिता के दौरान भी मैं कमोबेश वही था।विवाह के बाद परिवार की जरुरतों के मुताबिक जितना बदलाव होने थे,वही हुए।बाकी मेरी कोई महत्वाकांक्षा नहीं रही है। यह नितांत निजी बातें हैं।फिरभी आपसे शेयर इसलिए कर रहा हूं क्योंकि भारत की आम जनता के मुकाबले विश्वविद्यालय में पढ़ाई लिखाई और पेशेवर पत्रकारिता के अलावा हमारे कोई सुर्खाव के पर नहीं है। हमारे कहे लिखे पर जाहिर है कि आपका ध्यान खींचने में असमर्थ हूं।नोटबंदी वित्तीय प्रबंधन का मामला है।हम शुरु से उसे संबोधित कर रहे हैं।यह मेरा दुस्साहस ही कहा जाना चाहिए क्योंकि आर्थिक मुद्दों पर राजनीतिक मजहबी माहौल में समझने की कोई संभावना नहीं है। आज कोलकाता और सारे बंगाल में हंगामा बरपा है।संसद में तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय की गिरफ्तारी के बाद बारुद के ढेर में पलीता लगा है।इससे पहले सांसद तापस पाल गिरफ्तार हो गये हैं।ये दोनों गिरफ्तारियां रोजवैली की देशभर में संपत्ति जब्त करने के बाद हुई हैं।

अनेक बड़े लोग अभी रोजवैली कांड में भी गिरफ्तार किये जाने शारदा फर्जीवाड़े मामले में मंत्री सांसद गिरफ्तार होकर छूट गये हैं और फिलहाल शारदा मामला ठंडा है। सीबीआई की नजर वाम और कांग्रेस के नेताओं पर भी है।त्रिपुरा भी निशाने पर। सीधे तौर पर बंगाल की राजनीति में भूचाल आया हुआ है।मुख्यमंत्री ममता बंद्योपाध्याय और उनके परिजन शुरु से कटघरे में हैं। विधानसभा चुनावों में मोदी दीदी गठबंधन बनने के बाद दीदी आरोपों से सिरे से बरी हो गयी थीं।लोकसभा चुनावों के दौरान शारदा का मामला कहीं उठा ही नहीं बल्कि नारदा रिश्वतखोरी मामले में दीदी के तमाम सिपाहसालारों के फुटेज सार्वजनिक हो गये।तब भी किसी भी स्तर पर कार्रवाई मोदी दीदी गठबंधन ने नहीं की। इस बीच 2011 के विधानसभा चुनावों से लेकर नोटबंदी के पचास दिनों तक बंगाल का सबसे तेज केसरियाकरण हो गया है।शरणार्थी और मतुआ समुदायों का हिंदुत्वकरण पूरा हो गया है। यह इसलिए हुआ क्योंकि दीदी मोदी गठबंधन ने वामपक्ष और कांग्रेस का सफाया करने खातिर संघ परिवार के हिंदुत्वकरण मुहिम का किसी भी स्तर पर प्रतिरोध नहीं किया।दूसरी तरफ जनाधार टूटने के साथ साथ वामपक्ष का संगठन भी तितर बितर हो गया और कांग्रेस बंगाल में साइन बोर्ड है। विपक्ष की जगह भाजपा ने ले ली है और बंगाल में भाजपाइयों की नेतृत्व दिलीप घोष जैसे संघी कर रहे हैं। पहले ही संघ परिवार ने असम जीत लिया है और असम में बसे बंगाली शरणारिथियों ने वहां अल्फा से बचने के लिए संघ परिवार के अल्फाई राजकाज बहाल करने में निर्णायक भूमिका अपनायी है। बंगाल की मुख्यमंत्री को कभी इस सच का अहसास शायद ही हो कि वामपक्ष के सफाये की उनकी जंग का अंजाम बंगाल का हिंदुत्वकरण है।जिन मामलों में फंसने से बचने के लिए मोदी के साथ गठबंधन उनने किया ,उन्हीं मामलों में अब वे बुरीतरह फंस गयी हैं। सुदीप बंदोपाध्याय की गिरफ्तारी के तुरंत बाद कोलकाता में भाजपा कार्यालय में सत्तादल के समर्थकों ने हमला बोल दिया तो दीदी ने सीधे मोदी और अमित शाह को गिरफ्तार करने की मांग कर दी है।इससे पहले इन गिरफ्तारियों की भनक लगते ही दीदी ने चुनौती दी थी कि उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाये।वाम पक्ष और कांग्रेस दोनों के सफाये के बाद दीदी की साख तहस नहस हो जाने से बंगाल सीधे तौर पर बिना किसी चुनाव के संघ परिवार के कब्जे में है।
 
गैरतलब है कि रोजवैली चिटफंड घोटाले में टीएमसी सांसद सुदीप बंदोपाध्याय की गिरफ्तारी के बाद आज कोलकाता में हिंसा भड़क गई है। कोलकाता में बीजेपी मुख्यालय पर हमला किया गया है। हमला का आरोप टीएमसी कार्यकर्ताओं पर लगा है। खबरों के मुताबिक 12 बीजेपी कार्यकर्ता घायल हुए हैं और 2 की हालत काफी गंभीर है। बीजेपी ने आरोप लगाए हैं कि पुलिस की मौजूदगी में हमले किए गए लेकिन पुलिस ने दंगाईयों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। आज ही रोजवैली चिटफंड केस में टीएमसी सांसद सुदीप बंदोपाध्याय को गिरफ्तार किया गया है। कल टीएमसी के सभी सांसद और विधायक दिल्ली में मिल रहे हैं और इसके बाद गिरफ्तारी के खिलाफ आंदोलन के लिए आगे की रणनीति बनाएंगे। इस गिरफ्तारी के बाद ममता बनर्जी ने भी प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली।   ममतादीदी ने कहा है कि केंद्र सरकार विरोधियों की आवाज दबाने के लिए कानून का गलत इस्तेमाल कर रही है। टीएमसी का कहना है कि सरकार बदला लेने की सियासत कर रही है और इस आपातकाल के खिलाफ वो लड़ेंगे।  मोदी ने नोटबंदी की तकलीफें दूर करने के लिए पचास दिनों की जो मोहलत 30 दिसंबर की डेड लाइन  के साथ मांगी थी और कालाधन के खिलाफ जिहाद छेड़ने की चेतावनी दी थी,उसका कुल आशय यही था।

राजनीतिक नोटबंदी का राजनीतिक आशय।
फिर भी मजा यह है कि आंकडो़ं का खेल बदस्तूर जारी है क्योंकि आंकड़ों की पड़ताल  कभी नहीं होती।आम जनता के सामने हवाई आंकड़े दिखा दो आम जनता उन आंकड़ों का सच जानने की कभी कोशिस करने का दुस्साहस नहीं करेंगी क्योंकि गमित ,विज्ञान और अर्थशास्त्र से परीक्षा पास करने के अलावा पढ़े लिखे भी टकराने का दुस्साहस नहीं करते।यही हमारी सबसे कमजोर नस है। नोट बंदी का माह यानी नबंवर का महीना औद्योगिक उत्पादन के मामले में अच्छा नहीं रहा। इसका कारण नोट बंदी के बाजार में आई दिक्कतें माना जा रहा है। सरकार के हाल के नोटबंदी के कदम का प्रमुख उद्योगों पर असर नजर आने लगा है। देश के 8 प्रमुख उद्योगों की विकास दर नवंबर में बढ़कर 4.9 फीसदी रही। पिछले महीने की तुलना में इसमें गिरावट देखी गई। अक्टूबर में इसकी विकास दर 6.6 फीसदी थी।

आठ प्रमुख उद्योग में गिरावट
आठ प्रमुख उद्योगों की विकास दर नवंबर में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में बढ़कर 4.9 फीसदी रही। हालांकि कोयला, स्टील और बिजली के उत्पादन में बढ़ोतरी रही लेकिन यह भी गिरावट का प्रतिशत नहीं घटा सकी। प्रमुख उद्योगों से जु़ड़े इन आंकड़ों को वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने जारी किया है। औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) के आंकड़ों में 8 प्रमुख उद्योगों (ईसीआई) का 38 फीसदी योगदान है। इनमें कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, स्टील (आयल और नॉन आयल), सीमेंट और बिजली शामिल हैं। ईसीआई के अंतर्गत स्टील, रिफाइनरी उत्पादों और सीमेंट में अच्छी वृद्धि देखी गई, जबकि कच्चा तेल, कोयला और प्राकृतिक गैस के उत्पादन में गिरावट देखी गई।

खूब जली बिजली
बिजली उत्पादन जिसका आईआईपी में सबसे ज्यादा 10.32 फीसदी योगदान है। इसमें नवंबर में पिछले साल के समान अवधि की तुलना में 10.2 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की गई। स्टील उत्पादन का आईआईपी में 6.68 फीसदी योगदान है, इसमें समीक्षाधीन माह में 5.6 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई। इसके बाद रिफाइनरी उत्पाद में अक्टूबर में 2 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई।

वाहनों का उत्पादन भी गिरा
दिसम्बर माह में देश की बड़ी वाहन निर्माता कंपनियों को बिक्री में दबाव देखा गया है। जानकारों का मानना है कि यह 500 रुपये और 1,000 रुपये की नोटबंदी के कारण हुआ है। घटी बिक्री पर महिन्द्रा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (वाहन) प्रवीन शाह ने कहा कि वाहन उद्योग लगातार चुनौतियों से जूझ रहा है, साथ ही इसे नोटबंदी का भी अल्पकालिक नुकसान झेलना पड़ा, जिसके कारण खरीदारों ने अपने निर्णय को टाल दिया। शाह आगे कहते हैं कि हमें उम्मीद है कि सरकार द्वारा जीएसटी (वस्तु एवं सेवाकर) को लागू करने तथा 1 फरवरी को प्रस्तुत किए जाने वाले बजट में उद्योग के हित में कुछ सही  पहल करने से वाहन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। इसीलिए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि नोटबंदी के बाद अर्थव्यवस्था को कोई नुकसान नहीं हुआ है। वित्त मंत्री ने आंकड़े पेश किए जिसके हिसाब से नोटबंदी के बाद राजस्व बढ़ा है। वित्त मंत्री ने ये भी कहा है कि कई क्षेत्रों में कारोबार भी बढ़ा है और खेती को भी कोई नुकसान नहीं हुआ है।जेटली ने कहा, ”नए नोट जारी करने का काम काफी आगे बढ़ चुका है, कहीं से अशांति की कोई खबर नहीं है। रिजर्व बैंक के पास बहुत अधिक मात्रा में नोट उपलब्ध हैं मुद्रा का बड़ा हिस्सा बदला जा चुका है और 500 रुपये के और नये नोट जारी किए जा रहे हैं।वित्त मंत्री ने कहा, “बैंकों की कर्ज देने की क्षमता बढ़ी है। 19 दिसंबर तक प्रत्यक्ष कर संग्रह में 14.4 प्रतिशत, अप्रत्यक्ष कर संग्रहण में 26.2 प्रतिशत की वृद्धि। केंद्रीय उत्पाद शुल्क की वसूली की वृद्धि 43.3 प्रतिशत तथा सीमा शुल्क वसूली की वृद्धि 6 प्रतिशत हो गई।नोटबंदी से किसानों को हुए फायदे की बात करते हुए वित्मंत्री ने कहा, ”रबी की बुवाई पिछले साल से 6.3 प्रतिशत अधिक हुई है। जीवन बीमा क्षेत्र का कारोबार बढ़ा है पेट्रोलियम उपभोग में वृद्धि हुई है। इसी तरह पर्यटन उद्योग और म्युचुअल फंड योजनाओं में निवेश में भी वृद्धि हुई है।उन्होंने कहा, “नये नोट जारी करने का सबसे अहम दौर पूरा हो गया है, अब स्थिति में काफी सुधार हो रहा है। आरबीआई के पास पर्याप्त करेंसी है। आने वाले कुछ सप्ताहों में स्थिति में सुधार होगा।वित्त मंत्री ने कहा, “नोटबंदी पर आलोचक गलत साबित हुए नोटबंदी का एकाध तिमाही में आर्थिक वृद्धि पर प्रतिकूल असर पड़ सकता था हालात इतने बुरे नहीं जितना कि कहा जा रहा था।




(पलाश विश्वास)

चुनाव आयोग ने किया पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के लिए तारीखों का ऐलान

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चुनाव आयोग  ने पांच राज्यों में चुनाव की तारीखों का ऐलान किया. यूपी, गोवा, उत्तराखंड, मणिपुर और पंजाब राज्य में चुनाव होने हैं. मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने तारीखों का ऐलान किया. उन्होंने बताया कि ईवीएम में इस बार चुनाव चिह्न के साथ प्रत्याशी की तस्वीर भी लगाने की व्यवस्था की गई है. यह भी व्यवस्था की गई है कि वोटर यह देख सके कि उसने किसको वोट दिया है. यानि एक स्लिप भी निकलेगी. जैदी ने बताया कि पोस्टल बैलेट की जगह इस बार ई-वोटिंग की व्यवस्था की गई है. जैदी ने बताया कि गोवा विधानसभा का कार्यकाल 18 मार्च 2017, मणिपुर का 18 मार्च 2017, पंजाब 18 मार्च 2017,उत्तराखंड का 26 मार्च 2017 और उत्तर प्रदेश विधानसभा का कार्यकाल 27 मई 2017 को समाप्त हो रहा है. उन्होंने बताया कि 100 प्रतिशत वोटरों के पास वोटर आईडी कार्ड हैं. इन पांच राज्यों में 16 करोड़ मतदाता वोट डालेंगे. पांच राज्यों में 690 विधानसभा सीटें हैं. कुछ 23 सीटें रिजर्व सीटें हैं. इन इलाकों में 1.85 लाख वोटिंग स्टेशन होंगे. ईवीएम का प्रयोग सभी राज्यों में होगा. जिन इलाकों में महिलाओं पुरुषों के साथ असहज हैं वहां पर उनके लिए अलग पोलिंग बूथ की व्यवस्था की जाएगी.


चुनाव आयोग ने बताया कि सभी मतदाताओं को फोटो वाली वोटर स्लिप दी जाएगी. साथ ही चुनाव आयोग इस बार वोटर गाइड का प्रयोग करेगा जिसके जरिए सभी को मतदान के दौरान क्या करना है क्या नहीं करना है बताया जाएगा. उन्होंने बताया कि वोटिंग कंपार्टमेंट की ऊंचाई को बढ़ाया जाएगा. उन्होंने बताया कि पोलिंग स्टेशन पर दिव्यांगों के लिए खास व्यवस्था होगी. जैदी ने बताया कि इस बार प्रत्याशी को नामांकन पत्र में तस्वीर भी लगानी होगी. उत्तर प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड में प्रत्याशी 25 लाख रुपये खर्चा कर सकेंगे जबकि गोवा और मणिपुर में यह राशि 20 लाख रुपये रहेगी. इससे पूर्व चुनाव की तैयारियों की समीक्षा करने के उद्देश्य से आज चुनाव आयोग ने इन राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के साथ एक बैठक की. सूत्रों ने बताया कि आज की बैठक में मणिपुर में कुछ नगा समूहों द्वारा की जा रही सड़कों की नाकाबंदी के कारण उत्पन्न कानून व्यवस्था की स्थिति पर मुख्य रूप से चर्चा की गई.


बैठक में राज्यों में कानून व्यवस्था की स्थिति के अलावा, निर्वाचन कर्मियों की तैनाती, सुरक्षा, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों और चुनाव आचार संहिता का कड़ाई से पालन करने पर भी चर्चा की गई. चुनाव आयोग को दी गई रिपोर्ट में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मणिपुर की स्थिति का जिक्र किया है। वहां यूनाइटेड नगा काउंसिल ने राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 2 में नाकेबंदी की है और 60 दिन बाद भी राज्य सरकार सामान्य यातायात बहाल करने में कथित तौर पर नाकाम रही है. वहीं केंद्रीय गृह मंत्रालय पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों में तैनाती के लिए करीब 85,000 सुरक्षा कर्मी मुहैया कराएगा. इसके अलावा करीब 100 कंपनियां विभिन्न राज्यों से ली जाएंगी जिन्हें चुनाव ड्यूटी में लगाया जाएगा. इन कंपनियों में राज्य सशस्त्र पुलिस बल और इंडिया रिजर्व बटालियन शामिल होंगी. अर्धसैनिक बल की एक कंपनी में करीब 100 कर्मी होते हैं. फिलहाल, चुनाव आयोग की योजना उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव सात चरणों में और अन्य राज्यों में एक चरण में कराने की है, लेकिन मणिपुर की स्थिति को देखते हुए पूर्वोत्तर के इस राज्य में एक से अधिक चरण में चुनाव कराए जा सकते हैं. फिलहाल इस बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है.

सन्दर्भ : गांव, गरीब और किसान की सुध शुभ आहट

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भ्रष्टाचार एवं कालेधन पर नकेल कसने के उद्देश्य से की गयी नोटबंदी के पचास दिनों के चुनौती एव ंसंघर्षभरे दौर की सम्पन्नता को हम बीत वर्ष की उपलब्धि के रूप में देख सकते हंै। नोटबंदी के अवधि की सम्पन्नता एवं नववर्ष पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के राष्ट्र के नाम विशेष उद्बोधन को लेकर जनता में एक आशंका थी कि कहीं फिर कोई फरमान जारी न कर दें, जो आम जनता के लिये तकलीफ का सबब बन जाये। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और प्रधानमंत्री ने भविष्य के शक्तिशाली भारत की तस्वीर को ही अपने इस उद्बोधन में उकेरा। उन्होंने गांव और गरीब को समृद्ध एवं शक्तिशाली बनाने पर जोर दिया और कुछ महत्वपूर्ण घोषणाएं तोहफे के रूप में की, जिनसे गरीबी की समस्या को नियंत्रित करने एवं गांवों के समुचित विकास दिशा में ठोस कार्य हो सकेगा। स्वतंत्र भारत के इतिहास में एक नवीन एवं शुभ शुरुआत के रूप में गरीबों के नाम पर नारेबाजी ही बल्कि बुनियादी बदलाव की पहल होती दिख रही है। चुनावी मौकों की तरह रियायतें या तोहफे को प्रलोभन ही नहीं बल्कि संतुलित एवं आदर्श समाज निर्माण की दिशा में सार्थक उपक्रम कहा जा सकता है। सचमुच जन-धन योजना ऐसी पुख्ता स्कीम है जिसके मार्फत गरीबों का विकास, उन्हें गरीबी से मुक्ति दिलाने की कुंजी साबित हो सकती है। इस योजना के तहत श्री मोदी ने गरीबों, बुजुर्गों आदि के अलावा महिलाओं को जो विशेष छूट दी है, उससे उन्हें आत्मनिर्भर होने में मदद मिलेगी। यह आत्मनिर्भरता लगातार सक्रिय रहते हुए कार्य करने या आत्मसम्मान के बोध के साथ ही मिलेगी।

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इस संबोधन में हर बार की तरह गांव, गरीब और किसान की बात थी साथ ही पीएम मोदी ने भ्रष्टाचार और काले धन पर भी आगे और कार्रवाई करने की बात कही। चूंकि हमारा देश गांवों का देश है। भारत की आत्मा गांवों में बसती है। लगातार गांवों की उपेक्षा ने एक चिन्ताजनक स्थिति निर्मित कर दी थी, मोदी ने गांवों के समग्र विकास एवं उनकी समृद्धि की परियोजना प्रस्तुत कर सहज ही सम्पूर्ण राष्ट्र को शक्तिसम्पन्न बनाने की दिशा में प्रस्थान कर दिया है। महात्मा गांधी भी कहते थे कि हिन्दुस्तान गांवों का देश है। यही कारण है कि पहली स्वतंत्र भारत की अंतरिम सरकार में गांव से आए बाबू राजेंद्र प्रसाद को कृृषिमंत्री बनाया गया था लेकिन बाद में सरकारों ने खेती और किसानों के बारे में फिर उस तरह नहीं सोचा गया, जैसे कि सोचा जाना चाहिए था। गरीबों के उत्थान की सारी योजनाएं उल्टी हो गयीं, जिसका परिणाम आज पूरा देश भोग रहा है। आजादी के 70 सालों में हम भले ही चंद्रमा और मंगल गृह तक पहुंच गये हों, किंतु देश के 6 लाख 38 हजार गांव तो आज तक वहीं के वहीं खड़े हैं। गरीबी हटाओ के नारे तो जरूर दिये गये लेकिन गरीबी हटाने की कोई ठोस योजना पर अमल नहीं किया गया।

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किसानों के क्रेडिट कार्ड एवं उनको प्रदत्त अन्य सुविधाएं से कृषि को प्रोत्साहन मिलेगा। क्रेडिट कार्ड नगद में तब्दील होने पर कृषि क्षेत्र में रोकड़ा की कमी को दूर किया जा सकेगा और किसान सीधे बैंकों की मार्फत अपनी लेन-देन की जरूरतों को पूरा कर सकेंगे। उनकी दैनिक आवश्यकताओं के लिए रोकड़ा का संकट समाप्त होगा और वे सूदखोर लोगों के चंगुल में नहीं फंसेंगे। यह कृषि प्रधान देश भारत में ऐसा कदम है, जिसे बहुत पहले उठाया जाना चाहिए था। जब कोई व्यापारी, उद्यमी अथवा अन्य कोई पेशेवर अपने व्यवसाय के आधार पर बैंकों या वित्तीय संस्थाओं से निजी ऋण ले सकता है और अपनी नकद राशि की जरूरतों को पूरा कर सकता है तो आम जनता का पेट अनाज से पालने वाला किसान अपनी कृषि पूंजी, आधार पर यह सुविधा क्यों नहीं पा सकता? किसान का श्रम और पूंजी उसकी जमीन व फसल होती है। इसके आधार पर उसे क्यों नहीं निजी ऋण की छुटपुट छूट मिलनी चाहिए। फिर यह कोई ऐसी सुविधा नहीं है जिसके तहत दी गई रकम के डूबने का खतरा हो। यह तो किसान का अधिकार है, जिन्हें श्री मोदी ने देने का फैसला करके मोदी ने एक उन्नत भारत बनाने की दिशा में उल्लेखनीय उपक्रम किया है। इसके साथ ही किसानों द्वारा रबी व खरीफ की फसलों के लिए लिए गए कर्ज पर दो माह का ब्याज सरकार भरेगी। श्री मोदी ने गांवों में मकान बनाने और उनमें सुधार के लिए ग्रामीणों को आवास ऋण में 4 से लेकर 3 प्रतिशत ब्याज में छूट देने की घोषणा भी की है। आवास ऋणों का लाभ अभी तक शहरी व अर्धशहरी क्षेत्रों तक सीमित रहा है। इसका एक कारण तो यह रहा है कि शहरी जनता बैंकों के तंत्र से जुड़ी हुई रही है अथवा इसे बैंकों में खाते खोलने में खास परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा है। जन-धन बैंक खाते खुलने के बाद ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों का बहुत बड़ा हिस्सा बैंकिंग तंत्र में शामिल हो चुका है। गरीब, किसान और सामान्यजनों ने नोटबंदी को सफल बनाया तो उन्हें पारितोषित तो मिलना ही था, लेकिन यह पारितोषित भारत को शक्तिशाली बनाने का हिस्सा है, यह विशेष उल्लेखनीय है। इन योजनाओं में ‘सभी का साथ और सभी का विकास’ समाहित है। यह सशक्त भारत-एक भारत की तरफ कदम-दर-कदम यात्रा होगी। मोदी का यह उद्बोधन एवं उनकी घोषणा नेतृत्व की एक नयी परिभाषा गढ़ रहा है, इस परिभाषा का अर्थ है ”सबको साथ लेकर चलना, निर्णय लेने की क्षमता, समस्या का सही समाधान, कथनी-करनी की समानता, लोगांे का विश्वास, दूरदर्शिता, कल्पनाशीलता और सृजनशीलता।“ अब तक की सरकारों ने इन शब्दों को किताबों में डालकर अलमारियों में रख दिया था। नेतृत्व का आदर्श न पक्ष में है और न प्रतिपक्ष में। एक युग था जब सम्राट, राजा-महाराजा अपने राज्य और प्रजा की रक्षा अपनी बाजुओं की ताकत से लड़कर करते थे और इस कत्र्तव्य एवं आदर्श के लिए प्राण तक न्यौछावर कर देते थे। आज नारों और नोटों से लड़ाई लड़ी जा रही है, चुनाव लड़े जा रहे हैं- सत्ता प्राप्ति के लिए। जो जितना लुभावना नारा दे सके, जो जितना धन व्यय कर सके, वही आज जनता को भरमा सकता है। लेकिन अब यह परम्परा बदल रही है, यह सुखद अहसास का सबब है। 

प्रधानमंत्री के राष्ट्र के नाम संबोधन की परम्परा रही है। राष्ट्र स्वयं नहीं बोलता, वह सदैव अपने प्रबुद्ध प्रवक्ता के माध्यम से बोलता है। बोलना, मात्र मुंह खोलना नहीं होता। बोलना यानि कल, आज और कल के लिए जो सही हो, उसकी प्रस्तुति देना होता है। राष्ट्र की धड़कन होता है उसके प्रधानमंत्री का उद्बोधन। जब-जब मोदीजी ने राष्ट्र को उद््बोधन दिया है उसमें अनुभव होता है तो प्रबुद्धता भी। भाव होते हैं तो शब्दावली भी। जोश है तो सलीका भी। वे परम्परा से जुडे़ होते हैं तो नयी परम्परा को भी गढ़ रहे होते हैं। परम्परा को साथ लिए बिना राष्ट्र-समाज को साथ नहीं लिया जा सकता। भला इतिहास, परम्परा, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास के अभाव में उपलब्धियों का आधार कहां बनेगा? बीज अन्तरिक्ष में नहीं बोया जाता, उसे धरातल चाहिए और ऐसे ही धरातल पर विकास की नयी पौध लगा रहे हैं हमारे प्रधानमंत्रीजी। वे जागृत बुद्धिजीवी एवं कुशल प्रशासक हैं और ऐसा व्यक्ति ही फिल्टर होता है, जो खराब और अच्छे को अलग-अलग कर देता है। नैतिक अन्तर्दृष्टि उपस्थित कर देता है, जो सच और झूठ के बीच फर्क को प्रकट कर देता है। वे मनुष्यता की पहचान, अस्मिता की रक्षा तथा गुम हो रही प्रामाणिकता और नैतिकता की प्रतिष्ठा के लिये प्रयासरत है और उनके इन प्रयासों को इतिहास सलाम करेगा।



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(ललित गर्ग)
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योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया ने भारत और विश्व भर में शताब्दी समारोह के शुभारम्भ की घोषणा की

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नई दिल्ली। भारत की सबसे प्राचीन आध्यात्मिक और परोपकारी संस्था योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया (वाई.एस.एस.) ने भारत और विश्व भर में शताब्दी समारोह के शुभारम्भ की घोषणा की।  इस मौके पर स्वामी ईश्वरानंद गिरि (बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के सदस्य) और श्री के. एन. बक्शी (जो स्वीडन, नॉर्वे और इराक में भारत के राजदूत रह चुके हैं) ने अपने विचार व्यक्त करे। विशिष्ठ पदाधिकारियों ने शताब्दी समारोह की घोषणा वर्ष 2017 के दरम्यान होने वाले कार्यक्रमों के विवरण और आगामी कुछ वर्षों के मानचित्र पर चर्चा के साथ की। नियोजित कार्यक्रमों पर विवरण  देते हुए, बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के सदस्य स्वामी ईश्वरानंद जी ने कहा ‘आज का यह विशिष्ठ अनुष्ठान न केवल हमें योगदासत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया की शतवर्षीय यात्रा के पूरे होने के उत्सव को मनाने का अनूठा अवसर प्रदान करता है, बल्कि साथ ही हमारे पूज्य गुरुदेवश्री श्री परमहंस योगानंद जी के भारत और विश्वभर को अर्पित योगदान की सराहना भी करता  है। गुरुदेव की शिक्षाओं के अधीन, इस सोसाइटी में आज सम्मिलित हैं कुछ विशाल आश्रम, स्फूर्तिमान और संख्या में वर्धमान संस्यासीगण, और देशभर में फैले हुए दो सौ से भी अधिक ध्यान-केंद्र ध्मंडलियाँ  - साथ ही कई शैक्षणिक संस्थाएं और परोपकारी सेवाएं। 1917 में योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया (वाई.एस.एस.) के नाम से स्थापित होकर, आज इस संस्था ने विदेशों में भी पदार्पण किया है।  1920 में श्री परमहंस योगानंदजी ने अमेरिका  में सेल्फ-रियलाइजेशन फेलोशिप (एस.आर.एफ) की स्थापना की -लॉस एंजिल्स में इसका मुख्यालय बनाकर - जो आज भी अपनी आध्यात्मिक विरासत के लिए विश्वभर में क्रियाशील  है। गुरुदेव ने  अमेरिका में 30 वर्षों से भी अधिक समय बिताया, क्रिया योग के विज्ञानं और इसकी ध्यान परंपरा का विस्तार करते हुए। 
  
भारत में महात्मा गाँधी और उनके कुछ अनुयायियों ने क्रिया योग में दीक्षा लेने का उनसे अनुरोध किया।  आज गुरुदेव  श्पश्चिम में योग के पिताश् की तरह सम्मनित हैं और  कई विशिष्ठ व्यक्तियों की गणना उनके अनुसरणकर्ताओं में  होतीहै जैसे कि वनस्पतिज्ञ लूथर बरबैंक, कोडक कैमरा के अन्वेषक जॉर्ज ईस्टमैन, अभिनेता डिक  हेमिस, बीटल्स के  मुख्य गिटार-वादक जॉर्ज हैरिसन, दिवंगतसितारवादक श्री रविशंकर, पूर्णतावादी स्वास्थ्य के विशेषज्ञ दीपक चोपड़ा, आदि। उनकी शिक्षाएँ एवं उनके कार्य - दोनों ने ही समय चुनौतियों का सामना किया है।  श्री श्री परमहंस योगानंद जी की जीवनी आज हॉलीवुड की फिल्म ‘अवेक‘ द लाइफ ऑफ योगानंद ’  का विषय है ।  ऑस्कर-मनोनीत फिल्म-निर्माता पाओला दी फ्लोरिओ  और लिसा लीमन द्वारा निर्देशित यह डॉक्यू-फीचर फिल्म  भारत में 2016 के अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के पहले रिलीज हुई थी।  इन  दो संस्थाओं - योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया (वाई.एस. एस.) और सेल्फ-रियलाइजेशन फेलोशिप (एस.आर.एफ) - के माध्यम से आज भीश्री योगानंद जी का कार्य प्रगति पर है। इनके विश्वभर में पांच सौ से भीअधिक  केंद्र हैं एवं सभी महादेशों में इनके शिष्य फैले हुए हैं।  श्री श्री परमहंस योगानंद जी का मौलिक ध्येय था आधुनिक मानव को, विशेषकर जो पश्चिम में रहते हैं उनको, भारत के पुरातन दर्शन और  वैज्ञानिक ध्यान प्रणालियों से अवगत कराना।पश्चिम के हजारों लोगों को व्यक्तिगत रूप से शिक्षा देने के अलावा, उन्होंने जनसाधारण के लिए योग-विज्ञानं को उपलब्ध कराया उनके आध्यात्मिकगौरव-ग्रन्थ ‘ऑटोबायोग्राफी ऑफ अ योगी’ के माध्यम से (यही वह एक मात्रपुस्तक है जो स्टीव जॉब्स के व्यक्तिगत आईपैड में थी) और जो 13 भारतीय भाषाओँ सहित विश्वभर में 45 भाषाओं में अनुवादित हो चुकी है ।

संतकवि नरसी मेहता : ईश्वर से सम्पर्क के सूत्रधार

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‘वैष्णव जन तो तेने कहिए’ भजन में एक बात अच्छी प्रकार से कह दी है। ‘पर दुःखे उपकार करे’ कह कर भजन में रुक गए होते, तो वैष्णव जनों की संख्या बहुत बढ़ जाती है। ‘पर दुःखे उपकार करे तोए मन अभिमान न आणे रे“ कह कर हम सब में छिपे सूक्ष्म अहं को विगलित करने की चेतावनी दी गई है। उपकार का आनन्द अनुभव करना है तो आपने जो किया उसे जितनी जल्दी हो भूल जाएं और आपके लिए किसी ने कुछ किया, उसे कभी न भूलें। इस तरह जीवन की सबसे बड़ी सीख देने वाले, 15वीं शताब्दी के इस शीर्ष संत कवि एवं विश्वप्रसिद्ध इस भजन के रचियता हैं श्री नरसी मेहता।


यह भजन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का प्रिय भजन है। यह भजन ही नहीं, भक्त नरसी मेहता के भावों और विचारों का भी गांधी पर गहरा प्रभाव था। प्रायः ऐसा माना जाता है कि अस्पृश्यता से पीड़ित लोगों के लिए हरिजन शब्द पहली बार गांधीजी ने प्रयोग किया था, लेकिन वास्तविकता यह है कि इस शब्द का पहली बार उपयोग नरसी मेहता ने ही किया था। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान यह भजन जन-जन की जुबान पर था। न केवल यह भजन बल्कि उनकी हर भक्ति रचना इतनी सशक्त, सुरूचिपूर्ण है कि उससे न केवल आध्यात्मिक बल्कि मानसिक तृप्ति मिलती है। उनके भजनों में गौता लगाने पर शक्ति एवं गति पैदा होती है, सच्चाइयों का प्रकाश उपलब्ध होता है, जो हममें सच्चा संकल्प और कठिनाइयों पर विजय पाने की सच्ची दृृढ़ता एवं साहस देता है। वे ईश्वर से सम्पर्क के सूत्रधार थे। स्वयं परमात्मा नहीं थे, पर परमात्मा से कम भी नहीं थे। उन्होंने जन-जन को सांसारिक आकर्षण रूपी राग को मिटाकर ईश्वर के प्रति अनुरागी बनाया। 

श्रीकृष्ण भक्ति में सराबोर भक्तों की लम्बी शृंखला में नरसी मेहता निश्छल और चरम भक्ति के प्रतीक हैं। उनके भक्ति रस से आप्लावित भजन आज भी जनमानस को ढांढस बंधाते हैं, धर्म का पाठ पढ़ाते हैं और जीवन को पवित्र बनाने की प्रेरणा देते हैं। उनके भजनों में जीवंत सत्यों का दर्शन होता है। जिस प्रकार किसी फूल की महक को शब्दों में बयां करना कठिन है, उसी प्रकार गुजराती के इस शिखर संतकवि और श्रीकृृष्ण-भक्त का वर्णन करना भी मुश्किल है। उनकी भक्ति इतनी सशक्त, सरल एवं पवित्र थी कि श्रीकृष्ण को अनेक बार साक्षात प्रकट होकर अपने इस प्रिय भक्त की सहायता करनी पड़ी।

    ऐसे महान् संतकवि नरसी मेहता का जन्म 15वीं शताब्दी में सौराष्ट्र के एक नागर ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम कृष्णदास और माता का नाम दयाकुंवर था। बचपन में ही माँ बाप स्वर्गवासी हो गये थे। बालक नरसी आरंभ में गूंगे थे। आठ वर्ष के नरसी को उनकी दादी एक सिद्ध महात्मा के पास लेकर गई। महात्मा ने बालक को देखते ही भविष्यवाणी की कि भविष्य में यह बालक बहुत बड़ा भक्त होगा। जब दादी ने बालक के गूंगे होने कि बात बताई तो महात्मा ने बालक के कान में कहा कि बच्चा! कहो ‘राधा-कृष्ण’ और देखते ही देखते नरसी ‘राधा-कृष्ण’ का उच्चारण करने लगा। बाल्यावस्था में ही माता-पिता की मृत्यु हो जाने के कारण नरसी का पालन-पोषण उनकी दादी और बड़े भाई ने किया। बालक नरसी बचपन से ही साधु-संतों की सेवा किया करते थे और जहां कहीं भजन-कीर्तन होता था, वहीं जा पहुंचते थे। रात को भजन-कीर्तन में जाते तो उन्हें समय का ख्याल न रहता। रात को देर से घर लौटते तो भाभी की प्रताड़ना सुननी पड़ती। 

छोटी अवस्था में ही नरसी का विवाह माणिकबाई नामक किशोरी के साथ कर दिया गया। माणिकबाई को भी अनेक तरह की प्रताड़नाएं झेलनी पड़ी। विवाह के कुछ दिन बाद ही उनके पुत्र शामल का देहांत हो गया। बेटी ससुराल चली गई। अब माणिक अकेली रह गईं। नरसी तो भजन करते रहते और माणिक घर चलाती। घर में आये साधु-संतों की सेवा में ही उसका समय बीतता। एक दिन वह भी इस संसार को छोड़कर अपने पति के चरणों का ध्यान करती हुई चल बसीं। नरसी अब एकदम मुक्त हो गये। उन्होंने कहा, ‘अच्छा हुआ, यह झंझट भी मिट गया। अब सुख से श्रीकृष्ण का भजन करेंगे। नरसी भक्त थे, सरल थे, सबका भला चाहते थे और साधु-संतों की सेवा करते रहते थे, पर लोग उन्हें शांति से भजन-कीर्तन नहीं करने देना चाहते थे। वे उन्हें तंग करते थे, चिढ़ाते थे और तरह-तरह से परेशान करते और उनके बारे में तरह-तरह की बातें कहते थे, नरसी पर उन बातों का कोई असर नहीं होता। 

 एक दिन इन पारिवारिक परेशानियों एवं झंझटों से तंग आकर नरसी घर छोड़कर चले गए। वे पारिवारिक समस्याओं से इतने तंग आ चुके थे कि अपनी जीवन लीला को ही समाप्त करना चाहते थे। इसीलिये जूनागढ़ से निकलकर जंगल की ओर चल दिए। जूनागढ़ रैवतक पहाड़ की तलहटी में बसा हुआ है। गिरनार का जंगल शेर-चीते आदि हिंसक जानवरों के लिए प्रसिद्ध है। उसी घने जंगल में वह घूमते रहे। शायद वे चाहते थे कि कोई शेर या चीता आ जाए और उन्हें खत्म कर दे। इतने में उन्हें एक मंदिर दिखाई दिया। मंदिर टूटा-फूटा था, परंतु उसमें शिवलिंग अखंड था। कई वर्षों से उसकी पूजा नहीं हुई थी। शिवलिंग को देखकर नरसी के हृदय में भक्ति को स्रोत फूट पड़ा। उनको जीने की एक नयी दिशा मिल गयी, उन्होंने शिवलिंग को अपनी बाहों में भर लिया और निश्चय किया कि जब तक शिवजी प्रसन्न होकर दर्शन न देंगे तब तक वह अन्न-जल ग्रहण नहीं करेंगे। कहते हैं कि उनकी भक्ति तथा अटल निश्चय को देखकर शिवजी प्रसन्न हुए और उन्हें दर्शन देकर मनचाहा वर मांगने को कहा। उन्होंने शिवजी से कहा, ‘भगवान जो आपको सबसे अधिक प्रिय हो, वही दे दें।’ शिवजी ‘तथास्तु’ कहकर नरसी को अपने साथ बैकुंठ ले गये। 

भगवान शिव नरसी की श्रीकृष्ण भक्ति को बढ़ाना चाहते थे, इसीलिये वे नरसी को वहां ले गये जहां रासलीला चल रही थी। गोपियों के बीच कृष्ण लीला कर रहे थे। शिवजी हाथ में मशाल लिए प्रकाश फैला रहे थे। उन्होंने अपने हाथ की मशाल नरसी को दे दी। मशाल पकड़े नरसी रासलीला देखने में इतने लीन हो गए कि जब मशाल की लौ से उनका हाथ जलने लगा तब भी उनको इसका पता न चला। श्रीकृष्ण ने अपने इस भक्त को देखा और उसकी भक्ति ही गहनता को देखते ही रह गये। श्रीकृष्ण ने नरसी को भक्तिरस का पान कराया और उन्हें आज्ञा दी कि जैसी रासलीला उन्होंने देखी, उसका गान करते हुए संसार के नर-नारियों को भक्तिरस का पान कराए। अपने भगवान की आज्ञा के अनुरूप नरसी ने श्रीकृष्ण भक्ति की ऐसी गंगा प्रवाहित की कि जन-जन उसमें अभिस्नात होने लगे। न केवल उनके भक्तिभाव से भरे भजन सुनकर लोग मंत्रमुग्ध होने लगे और बल्कि उन्हें जगह-जगह गाने लगे। भक्त नरसी स्वभाव से बड़े नरम, निष्कपट, निश्छल एवं सरल थे। जिस भाभी के कठोर वचनों के कारण उन्हें घर छोड़कर जाना पड़ा था, उन्हें ही उन्होंने अपना गुरु माना।  

नरसी जूनागढ़ लौट आए और साधु-संतों की सेवा और भजन-कीर्तन करने लगे। कहते हैं कि पिता के श्राद्ध के दिन वे घी लेने बाजार गए, वहीं कीर्तन में रम गए। ऐसे जमे कि घर में श्राद्ध, घी और भोजन के लिए बुलाए लोगों को भूल गए। तब भक्तों की विपदा हरने वाले भगवान श्रीकृष्ण को स्वयं नरसी का रूप रखकर उनके घर जाना और श्राद्ध का काम करना पड़ा। नरसी जब घर लौटे तब तक ब्राह्मण खा-पीकर जा चुके थे। नरसी के जीवन में ऐसी अनेक घटनाएं घटी, जहां पर यह महसूस किया गया कि भगवान श्रीकृष्ण उनकी मदद करने स्वयं चले आते थे। नरसी का जीवन अलौकिक घटनाओं से भरा हुआ है। कहा जाता है कि वह जो करताल बजाते थे, वह भी भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं उनको दी थी। भगवान स्वयं उनकी पुत्री की शादी में मामा बन कर आए थे। नानी बाई का मायरा जगत प्रसिद्ध एवं भाव विह्वल करने वाली घटना है। उनकी कृष्ण-भक्ति इतनी अधिक थी कि जब धनाभाव में उनकी इज्जत जाने की नौबत आ जाती थी तो भगवान श्रीकृष्ण स्वयं कोई अवतार लेकर उन्हें बचाने उसी प्रकार आते थे, जिस प्रकार वह द्रौपदी की इज्जत बचाने के लिए चीरहरण के समय आए थे।

नरसी भगत की चमत्कारी एवं विलक्षण घटनाओं से रू-ब-रू होने का लोगों को बार-बार अवसर मिला। वे इसके लिये पहचाने जाने लगे। एक बार कुछ यात्रियों के दबाव के कारण  द्वारिका के लिये उन्होंने शामला गिरधारी के नाम से एक हंुडी लिखी। यात्री द्वारिका पहुंचकर सेठ शामला गिरधारी को ढूंढते-ढूंढ़ते थक गये, पर उन्हें इस नाम का व्यक्ति न मिला। बेचारे निराश हो गये। इतने में उन्हें शामला सेठ मिल गये। कहते हैं कि स्वयं द्वारिकाधीश ने ही शामला बनकर नरसी की बात रख ली थी। उस समय के बड़े-बडे़ लोग उनकी परीक्षा लेते थे, शिकायत करते एवं परेशान करते। जूनागढ़ के राजा के पास भी शिकायतें पहुंचती थी, लेकिन वे उन्हें नजरअंदाज कर देते। एक बार उनके मन में भी आया कि नरसी की परीक्षा लेनी चाही। राजमहल में विष्णु का मंदिर था। राजा ने आज्ञा दी कि उस मंदिर के सभा-मंडप में नरसी बैठें और भजन-कीर्तन करें। मंदिर के भीतरी भाग में, जहां मूर्ति थी, ताला लगा रहेगा और पहरा रहेगा। यदि नरसी भगत के कीर्तन से प्रसन्न होकर विष्णु भगवान अपने गले की माला सबेरे तक उनके गले में डाल देंगे तो राजा उनको सच्चा भगत मानेंगे। जब तक यह परीक्षा पूरी नहीं हो जायेगी, नरसी महल के बाहर न जा सकेंगे। लेकिन नरसी का प्रिय राग केदारा, जिसको उनके मुख से सुनकर भगवान प्रसन्न होते थे, वही राग गाकर भगवान की स्तुति की। भगवान प्रसन्न हुए और सवेरा होते-होते भगवान विष्णु की मूर्ति के गले की माला नरसी के गले में प्रसाद रूप बनकर शोभा देने लगी। 

नरसी बड़े सरल थे। नम्रता की मूर्ति थे। किसी के भी भले-बुरे से उन्हें कोई सरोकार न था। संसार से विरक्त थे, परंतु दिल बड़ा कोमल था। ऊंच-नीच का भाव उनके मन में कभी नहीं आया। वह ब्रह्म और माया की ‘अखंड रासलीला’ के भावों को अपनी मधुर वाणी में सदा गाते थे और कृष्ण-भक्ति का प्रचार करते थे। उन्होंने ब्रह्म और माया का भेद नहीं किया। वह कहते थे, ‘ब्रह्म लटकां करे ब्रह्मपासे’- माया भी ब्रह्म का ही रूप है। सच यह है कि राधाकृष्ण एक रूप हैं। उनमें कोई खास भेद नहीं। ब्रह्मलीला अथवा राधा-कृष्ण का जो अखंड रास चल रहा है, उसी से सारी दुनिया का यह खेल बना हुआ है। बिना जीव के राधा-कृष्ण या ब्रह्ममाया का मिलन या उनकी एकता का अनुभव कहां और कैसे किया जा सकता है? माया में फंसे अज्ञानी जीवों की बात दूसरी है। जो भक्त हैं, वे अपनी सच्ची स्थिति का अनुभव करते हैं, क्योंकि उनका अंतःकरण निर्मल होता है, पवित्र होता है। नरसी ऐसे ही भक्त थे, ज्ञानी थे। वे भारतीय आध्यात्मिक एवं धार्मिक जगत के भक्त सम्राट थे, उनकी जैसी भक्ति इतिहास की विरल घटना है। यही कारण है कि भगवान की सेवा और भजन-कीर्तन करते-करते अंत में वह उन्हीं के स्वरूप में मिल गए। ऐसे महान् एवं सच्चे भक्त की जयन्ती पर हम उन्हें हार्दिक भावांजलि समर्पित करते हैं। 




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‘दुबई के शेखों’ की तरह नाचे लोग

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मुंबई नगरीय का भी अपना ही अलग रंग है,लोग जहाॅ अपने सुनहरे सपनों की तलाश करने आते है,बालीवुड के रंग भी न्यारे होते है,वहां की हर शाम रंगीन होती है नववर्ष के मौके पर ‘आर अड्डा’ रूफ टॉप बार एंड रेस्टोरेंट में नये साल की आगमन की खुशी मनाई गयी। भरी संख्या में युवा पीढ़ी डीजे की धुन पर झूम रहे थे। एजाज खान, अंकिता श्रीवास्तव, पूजा बनर्जी, गीता कपूर, अंगद हसीजा , सारा खान, आदित्य सिंह राजपूत, रोहित वर्मा, फिरोजा खान और अन्य कई बी टाउन सेलिब्रिटी ने नया साल बड़े ही मौजमस्ती के साथ मनाया और बॉलीवुड गानो पे अपने कदम भी थिरकाए।  

वि एस जी म्यूजिक कंपनी का नया अलबम ‘दिल तो ठरकी है साल’ रीलिज

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वि एस जी म्यूजिक कंपनी ने बीते वर्ष सितम्बर 2016 में कई चार्टबस्टर गाएं लॉच किये है जैसे छल्ला जिससे गया है बोहेमिया ,गीता बैंस और सबरीना , माउंट गया है जसपिंदर नरूला,गल्ल निक्की जी सी ,सोने मुखरे के तिल  और भी कई सारे गाने है।  इस नए वर्ष में एक नया सिंगल गाना लांच किया है  ‘दिल तो ठरकी है साल’।

फिल्म समीक्षा कहानी 2 : फिल्म 3 स्टार है

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विद्या बालन की शानदार वापसी...बेहतरीन फिल्म के साथ! विद्या बालन स्टारर कहानी 2 रिलीज हो चुकी है और ये एक बेहतरीन फिल्म है।  शानदार अभिनय, बेहतरीन पटकथा और कसा हुआ पहला हाफ मूड ऑफ - फिल्म का जाना पहचाना सा क्लाईमैक्स कब लें ब्रेक ये दर्शकों को बांधे रखता है,- जब विद्या बालन दीवान परिवार के बारे में सबसे बड़ा राज जानती हैं जो पूरी ही कहानी का रहस्य खोल देता है। कहानी 2 के साथ  विद्या बालन एक बार फिर स्क्रीन पर हैं और इस बार वो अपने अवतार में वापस आई हैं। नया आकर्षक रूप विद्या बालन को देखते रहना चाहता है। फिल्म के हर एक सीन में विद्या बालन ऐसी ही लगी हैं। कहानी की तरह कहानी 2 भी एक शानदार फिल्म है लेकिन पिछली बार विद्या बालन को कहानी ने संभाला था और इस बार कहानी 2 को विद्या बालन ने संभाला है।  कहानी 2 शुरू होती है बंगाल के चंदन नगर में रात के एक सीन के साथ। सुजॉय घोष ने बिना टाइम वेस्ट किए विद्या सिन्हा से मिलवा दिया है और वो रोज अपना दिन कैसे बिताती है अपनी लकवाग्रस्त बेटी मिनी के साथ। जैसे पूरे घर की सफाई करना और रविवार को लूडो खेलना। 

ट्विस्ट के साथ शुरू होती फिल्म विद्या मिनी को लेकर हमेशा परेशान रहती है और उसका न्यूयॉर्क में इलाज कराना चाहती है। एक दिन उसकी दुनिया पलट जाती है जब मिनी गायब हो जाती है। थोड़ी देर बाद एक कॉल आता है और विद्या बताए हुए पते पर पहुंचती है। लेकिन वो रास्ते में एक्सीडेंट का शिकार होती है और कोमा में चली जाती है। यहीं से शुरू होती है कहानी 2। अर्जुन रामपाल की एंट्री एक इंस्पेक्टर के किरदार में होती है जो ये जानकार हैरान हो जाता है कि विद्या सिन्हा दुर्गा रानी सिंह है। एक क्रिमिनल जिसे किडनैप और मर्डर के लिए ढूंढा जा रहा है। विद्या के घर से इंदरजीत को एक डायरी मिलती है जिसमें काफी राज लिखे हैं और वो हर कड़ी जोड़ने की कोशिश करने लगता है। निर्देशन पहली कहानी जहां एक प्रेगनेंट औरत के इर्द गिर्द बुनी गई थी वहीं सुजॉय की नई कहानी ऐसा टॉपिक है जिसे अनदेखा कर दिया जाता है। हालांकि उनकी कला यही है कि ऐसे विषय को इतने अच्छे ढंग से उठाया है कि कुछ भी दिखाने की जरूरत नहीं पड़ी। हालांकि फिल्म में नॉर्मल बॉलीवुड का डोज है लेकिन सुजॉय का निर्देशन इसे अलग बनाता है। 

 इस बार बॉब बिस्वास का नमस्कार...एक मिनट, एक महिला से बदल दिया गया है जो ये सेफ है बोलते ही कांड कर देती है। अभिनय विद्या बालन ने एकदम सॉलिड अभिनय की पहचान दी है। और वो साबित कर देती हैं कि वो विद्या बालन क्यों हैं। डर, परेशानी, गुस्सा सब कुछ एक ही किरदार में बखूबी उड़ेल दिया गया है। हर फ्रेम दिलचस्प है और आप उन्हें और देखना चाहेंगे। वहीं अर्जुन रामपाल फिल्म को बांधते हैं और उनका मुरझाया सा मजाकिया लहजा फिल्म में जान डाल देता है।  सपोर्टिंग कास्ट जुगल हंसराज बिल्कुल चैंकाने वाले अंदाज में दिखेंगे और उनके पूरे करियर में पहली बार उन्हें स्क्रीन पर देखकर आपको मजा आ जाएगा। नाएशा खन्ना ने भी अपने किरदार में जान डाली है। खासतौर से विद्या के साथ उनकी केमिस्ट्री परदे पर बेहद खूबसूरत दिखी है। तकनीकी पक्ष कहानी 2 का पहला हाफ शानदार है जो आपको सांस भी नहीं लेने देगा। स्क्रीनप्ले बेहद कसा हुआ है। लेकिन दूसरे हाफ में सब खुलने लगता है और कहानी छूटने लगती है। आप सरप्राइज का इंतजार करेंगे लेकिन जो आपने सोचा वही होगा। क्लाईमैेक्स काफी ठंडा है। ऐसा लगेगा कि बिरयानी की जगह दाल चावल खाना पड़ा। अच्छी एडिटिंग नम्रता राव की एडिटिंग फिल्म को बचाती है। और अच्छा बनाती है। वहीं तपन बासु का फिल्मांकन कोलकाता को ऐसे दिखाता है जैसे कहानी में दिखना चाहिए था। कोलकाता जो कहानी के हिसाब से है ना कि रंगीन सा। म्यूजिक फिल्म में गानों की कोई जगह नहीं थी और फिल्म में गाने नहीं है। वहीं बैकग्राउंड म्यूजिक थोड़ा बेहतर किया जा सकता है लेकिन एक सस्पेंस थ्रिलर का पूरा डोज बैकग्राउंड म्यूजिक ने दिया है। नतीजा फिल्म को हमारी तरफ से 3 स्टार लेकिन वो इसकी तकनीकी खामियों के लिए। आप फिल्म को जरूर देखिए क्योंकि अगर सस्पेंस में मजा आता है तो कहानी और विद्या दोनों आपका दिल जीतेंगे। फिल्म में स्टारकास्ट है विद्या बालन, अर्जुन रामपाल, जुगल हंसराज, नाएशा खन्ना डायरेक्टर - सुजॉय घोष  प्रोड्यूसर - सुजॉय घोष, जयंतीलाल गाड़ा लेखक - सुजॉय घोष डायलॉग्स - रितेश शाह क्या है

मध्य प्रदेश : शिवराज के ग्यारह साल

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बीते 29 नवंबर को शिवराज सिंह चौहान ने बतौर मुख्यमंत्री 11 साल पूरे कर लिए हैं. मध्यप्रदेश की राजनीति में ऐसा करने वाले वे इकलौते राजनेता हैं आने वाले समय में किसी दूसरे मुख्यमंत्री के लिए इसे दोहरा पाना आसान नहीं होगा. भारतीय राजनीति के इतिहास में अभी तक केवल आठ राजनेता ही ऐसे हुए हैं जिन्होंने यह उपलब्धि हासिल है .अभी वे पद पर बने रहकर अगली जीत की तैयारी में लगे हुए हैं . अक्टूबर महीने में इंदौर में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट  में वे एलान कर ही चुके हैं कि 2019 में आयोजित होने वाले इंवेस्टर्स समिट में वे एक बार फिर बतौर मुख्यमंत्री मौजूद रहेंगें. अगर वे 2018 में होने वाला विधानसभा चुनाव जीत लेते हैं तो इसकी धमक राष्ट्रीय राजनीति में भी सुनाई पड़ेगी. व्यापम और झाबुआ के हार की परछाई पीछे छूट चुकी है और शिवराज सिंह अपना आत्मविश्वास दोबारा हासिल कर चुके हैं. शहडोल लोकसभा और नेपानगर विधानसभा उपचुनाव में मिली जीत ने दोहरे जश्न का मौका दिया है. भाजपा उनके इन ग्यारह सालों को विकास काल के रूप में प्रचारित कर रही है जबकि विपक्ष इसे घोटालों का काल बता रहा है.

राष्ट्रीय राजनीति में संगठन की जिम्मेदारी संभाल रहे शिवराजसिंह चौहान को 2005 में जब भाजपा नेतृत्व ने मुख्यमंत्री बनाकर मध्यप्रदेश भेजा था तब शायद ही किसी ने सोचा होगा कि चौहान इतनी लंबी पारी खेलेंगे, 11 साल बीत जाने के बाद भी वे अभी तक अपनी जगह पर जमे हुए हैं. मुख्यमंत्री बनने के बाद जब शिवराज बुदनी से उपचुनाव लड़ रहे थे तो उस वक्त दिग्विजय सिंह ने कहा था अगर शिवराज सिंह बुदनी से चुनाव जीत लें तो हम समझेंगें कि पप्पू पास हो गया. जिसे दिग्विजय सिंह ने पप्पू कहा था उसने ना केवल बुदनी का चुनाव जीता बल्कि अपनी पार्टी को दो बार विधान सभा चुनाव भी जीता चूका है और अब तीसरी जीत की तैयारी कर रहा है. इस दौरान उन्होंने सूबे में कांग्रेस पार्टी को लगभग अप्रासंगिक बना दिया है और पार्टी के अंदर से मिलने वाली चुनौती को पीछे छोड़ने में कामयाब रहे हैं.

शिवराज के राजनीति की शैली टकराव की नहीं बल्कि लोप्रोफाईल,समन्वयकारी और मिलनसार रही है. वे एक ऐसे नेता है जो अपना काम बहुत नरमी और शांतिभाव से करते हैं लेकिन नियंत्रण ढीला नहीं होने देते. आज मध्यप्रदेश की सरकार और संगठन दोनों में उन्हीं का दबदबा है. पिछले ग्यारह सालों में उन्हें केवल बाहर से ही नहीं बल्कि भाजपा के अंदर से भी घेरने की कोशिश की गयी है लेकिन वे हर चुनौती से पार पाने में कामयाब रहे हैं. मौजूदा दौर में मध्यप्रदेश में विपक्ष के पास भी ऐसा कोई चेहरा नहीं है जो शिवराज सिंह का विकल्प बनता हुआ दिखाई पड़े. अगर मध्यप्रदेश में भाजपा और शिवराज लगातार मजबूत होते गये हैं तो इसमें कांग्रेस का भी कम योगदान नहीं है. पार्टी कई गुटों में बंटी हुई है और उसके क्षत्रप अपने इलाकों तक सीमित होकर रह गए हैं उनकी दिलचस्पी कांग्रेस को मजबूत बनाने से ज्यादा अपना हित साधने में है. इसी वजह से कांग्रेस जनता के सामने खुद को भाजपा के विकल्प के रूप में पेश करने में  बुरी तरह नाकाम रही है पिछले 11 सालों से मध्यप्रदेश की राजनीति में शिवराजसिंह को कांग्रेस के रूप में एक प्रभावविहीन विपक्ष मिली है. शिवराज काल में कांग्रेसी कभी भी एकजुट होकर आक्रामक मुद्रा में नजर नहीं आयी है.

2014 लोकसभा चुनावों के दौरान मोदी और शिवराज के बीच टक्कर भी देखने को मिली थी. इससे पहले लौहपुरुष लालकृष्ण आडवाणी शिवराज के विकास के माडल मोदी के के गुजरात के विकास के माडल से बेहतर बता चुके थे. लेकिन 2014 में दिल्ली में मोदी की सरकार बनने के बाद आत्मसमर्पण की मुद्रा में आ गये और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  को ईश्वर की भारत को दी गई भेंट बताने लगे. दरअसल शिवराज की यही सबसे बड़ी ताकत है कि वे बदलते वक्त के हिसाब से अपने आप को ढाल लेते हैं .

इन ग्यारह सालों में कई ऐसे मौके आये जब शिवराजसिंह चौहान पर सवाल उठे, डंपर से लेकर व्यापम तक की मामलों की एक पूरी श्रंखला है जिसके घेरे में वे सीधे तौर पर रहे हैं. कांग्रेस ने उनके 11 वर्ष के कार्यकाल को 132 घोटालों का काल बता रही है. जबकि आम आदमी पार्टी ने एक  लिस्ट जारी की है जिसमें दुष्कर्म के मामलों में मध्यप्रदेश के अव्वल होने, भ्रष्टाचार में देश में दूसरे नंबर पर होने, युवाओं व विद्यार्थियों का सबसे बड़ा घोटाला व्यापमं घोटाला होने, राज्य के 45 प्रतिशत बच्चों का कुपोषित होना, राज्य पर एक लाख 70 हजार करोड़ रुपये का कर्ज होने जैसे आरोप लगाये गये हैं.

शिवराजसिंह चौहान जनता को लुभाने वाली घोषणाओं के लिए भी मशहूर रहे हैं इसी वजह से उन्हें घोषणावीर मुख्यमंत्री भी कहा गया. बच्चों और महिलाओं को केंद्र में रखते हुए उन्होंने लाड़ली लक्ष्मी योजना, तीर्थदर्शन योजना, कन्यादान योजना, अन्नपूर्णा योजना, मजदूर सुरक्षा योजना जैसी कई चर्चित सामाजिक योजनाओं की शुरुआत की गयी है.उनकी लोकप्रियता में इन योजनाओं का भी काफी योग्यदान है, इन्हीं की वजह से वे खुद छवि प्रदेश की महिलाओं के भाई और बच्चों के ‘मामा’ के रूप में पेश करने में कामयाब रहे हैं. लेकिन इन सबके बावजूद जमीनी हकीकत और आंकड़े कुछ और ही कहानी  बयान करते हैं. तमाम दावों के बावजूद मानव विकास सूचकांक के कई मानको पर आज भी मध्यप्रदेश भारत के सबसे निचले राज्यों के साथ खड़ा है.

अप्रेल 2015 में भूकंप आने के बाद  शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि इतने सालों  सालों में यह पहली बार था जब उनकी कुर्सी हिल थी. यह सही भी है  पार्टी में नेतृत्व परिवर्तन और व्यापम जैसे तमाम झटकों के बावजूद वे अपनी कुर्सी बचाने में कामयाब रहे हैं. आज वे बीजेपी के मुख्यमंत्रियों की जमात में सबसे अनुभवी मुख्यमंत्री और स्वीकार्य नेता हैं. वे इकलौते मुख्यमंत्री हैं जिन्हें भाजपा के संसदीय बोर्ड में शामिल किया गया है, नीति आयोग में भी उन्हें  राज्यों की योजनाओं में तालमेल जैसी भूमिका दी गयी है. उनकी छवि सभी समुदायों को साथ लेकर चलने वाली और जरूरत पड़ने पर टोपी पहन लेने वाले नेता की रही है,वे इफ्तार पार्टी और ईद मिलन का भी आयोजन करते रहे हैं. लेकिन पिछले दिनों भोपाल भोपाल एनकाउंटर के बाद उनका अंदाज कुछ बदला हुआ नजर आया जब प्रदेश स्थापना दिवस के दौरान शिवराज नरेंद्र मोदी के अंदाज में जनता से हाथ उठवाकर भोपाल एनकाउंटर पर मुहर लगवा रहे थे. तथाकथित आतंकवादियों को मार गिराने को लेकर  हुंकार भरने  का उनका अंदाज भी नया था. 

खोल बदलने की इस कवायद के पीछे जो भी हो लेकिन शिवराज का कद  प्रदेश  ही नहीं बल्कि भाजपाऔर प्रदेश और देश की राजनीति में भी लगातार बढ़ा है. कद के साथ मंजिल भी बड़ी हो जाती है लेकिन राजनीति में बढ़ता हुआ सियासी कद नई चुनौतियां भी सामने लाता है और कई बार तो यह अपनों को भी यह रास नहीं आता हैं. यह तो भविष्य ही तय करेगा कि आने वाले सालों में वे और कौन से नए मुकाम तय करेंगें. फिलहाल उनका लक्ष्य 2018 है जिसके लिए वे पूरी तरह से तैयार नजर आ रहे हैं. अगर जीत हुई तो निश्चित रूप से उनका अगला लक्ष्य बड़ा हो जाएगा.



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जावेद अनीस 
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