Quantcast
Channel: Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)
Viewing all 74285 articles
Browse latest View live

विमान साैदे की जांच जून तक पूरा करे सीबीआई: शीर्ष न्यायालय

$
0
0
नयी दिल्ली 05 जनवरी, उच्चतम न्यायालय ने केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को आज निर्देश दिया कि वह संयुक्त प्रगतिशील सरकार (संप्रग) के कार्यकाल के समय हुये विमान सौदे की जांच जून तक पूरा करे। सेंटर फाॅर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) द्वारा दायर याचिका का निपटारा करते हुये मुख्य न्यायाधीश जे.एस.केहर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि संप्रग सरकार के कार्यकाल के दौरान 111 विमानों की खरीद में हुई अनियमितताओं की जांच सीबीआई करे। 

खंडपीठ ने सीबीआई को जून 2017 तक का समय देते हुये उम्मीद जतायी कि वह इस समय सीमा के अंदर जांच पूरा कर लेगी। न्यायालय ने यह भी कहा कि मामले के संबंध में लोक लेखा समिति को अपनी रिपोर्ट संसद में पेश करने दीजिए। सीपीआईएल ने दावा किया है कि संप्रग सरकार के समय 111 विमानों की खरीदारी में लगभग 50 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम की हेरफेरी की गयी है।

झाबुआ (मध्यप्रदेश) की खबर 05 जनवरी)

$
0
0
कांग्रेसी भ्रश्टाचारी सलाखों के पीछे जायेंगे- भावसार
  • नगर पंचायत राणापुर में हो रहे भ्रश्टाचार के विरोध में जिला भाजपा ने दिया धरना

jhabua news
झाबुआ। स्वच्छ भारत के लिए पूरे देष में अभियान चलाया जा रहा है इसमें हर तरह की स्वच्छता षामिल है भ्रश्टाचार रूपी गंदगी का भी सफाया किया जा रहा है। राणापुर इससे फिर कैसे बच सकते है। राणापुरवासियों ने अगर भाजपा को यहां विपक्ष की भूमिका अदा कराई है तो हम सषक्त विपक्ष की भूमिका में रहते हुए नगर पंचायत राणापुर के अध्यक्ष कैलाष डामोर एवं सीएमओ भरत टांक की मिलीभगत से किये जा रहे भारी भ्रश्टाचार से मुक्त करायेंगे। भ्रश्टाचार ही इनकी संस्कृति है ऐसी कांग्रेस से मुक्ति जल्द हो और भ्रश्टाचारी जेल की सलाखों की पीछे पहुंचे ऐसे सारे प्रयासों का बिगुल इस धरना प्रदर्षन से बज चुका है। उक्त विचार भाजपा जिलाध्यक्ष दौलत भावसार ने पुराना बस स्टेण्ड राणापुर में आयोजित सांकेतिक धरना प्रदर्षन स्थल पर व्यक्त किये। उक्त धरना प्रदर्षन नगर पंचायत राणापुर के अध्यक्ष कैलाष डामोर एवं सीएमओ भरत टांक द्वारा विगत लंबे समय से की जा रही नियम विरूद्ध कार्यवाहीयों और भारी भ्रश्टाचार के विरोध में आयोजित किया गया था जिसमें जिला भाजपा पदाधिकारियों सहित बडी संख्या में क्षैत्रवासी और भाजपा कार्यकर्ता षामिल हुए। श्री भावसार ने कहा कि भाजपा में कांग्रेसी भ्रश्टाचारी संस्कृति की छाया का भी कोई स्थान नही है यदि कुछ लोगो में कांग्रेसी कीटाणु मरे नही है तो वे स्वयं को सुधार ले उनका भाजपा संगठन में कोई स्थान नही है। भाजपा में पटठेबाजी का दौर नही और ना ही कोई गुटबाजी है और संगठन के दिषा निर्देषो से बाहर जो जायेगा उसे अब बाहर ही रहना स्वीकार कर लेना चाहिये। बामनिया पंचायत चुनाव इसकी बेहतर मिसाल बन चुका है। उन्होंने कहा कुछ लोगो का कहना था कि सत्तारूढ होने के बावजूद भाजपा को धरना क्यों देना पड रहा है ? यह धरना प्रदर्षन एक एक मतदाता के मन की बात का सम्मान है नगर पंचायत राणापुर के भ्रश्टाचारियों को जेल की हवा खाने की तैयारी कर लेना चाहिये। नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष गोविंद अजनार ने कहा कि जनसेवा करने वाले वातानुकुलित बंद कमरो के काले षीषों के पीछे नही बैठा करते। ऐसे लोग काले कारनामें वाले होते है। अपने कार्यकाल में हमने पर्दो तक का प्रयोग स्वीकार नही किया और आज जनता के पैसो के बल पर लोग घर भर रहे है। इनकी जांच लोकायुक्त सहित तमाम एजेंसीयो से करवाई जानी चाहिये। धरना प्रदर्षन को जिला उपाध्यक्ष व राणापुर प्रभारी लक्ष्मणसिंह नायक ने संबोधित करते हुए कहा कि भ्रश्टाचार कांग्रेस की संस्कृति रही है और कैलाष डामोर उसी का हिस्सा है जो जनता व भाजपा संगठन को कतई स्वीकार नही है इनसे षीघ्र मुक्ति पाना है। धरना प्रदर्षन को पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष मनोहर सेठिया, वरिश्ठ नेता छगनलाला प्रजापत, जिला उपाध्यक्ष हेमंत भटट, फकीरचंद्र राठौर, भाजयुमो जिलाध्यक्ष भानू भूरिया, श्रीमती सुनिता अजनार सहित नगर पंचायत के पार्शदगण, उपाध्यक्ष षांतिबाई राठौर कन्हैयालाल गेहलोत, कन्हैया प्रजापत, परमानंद प्रजापत, विजय सिंगाड सहित अनेक वक्ताओं ने संबोधित कर कैलाष डामोर व भरत टांक के भ्रश्टाचारो से जनता का रूबरू कराया। भाजपा राणापुर मंडल महामंत्री ललित बंधवार ने ज्ञापन का वाचन करते हुए नियम विरूद्ध कार्यवाहियों के द्वारा जनता व षासन की राषि का स्वयं उपयोग करने वाले कैलाष डामोर व भरत टांक की जानकारी देते हुए विविध मदो में किये जा रहे भारी भ्रश्टाचार का उल्लेख किया। मुख्यमंत्री को प्रेशित उक्त ज्ञापन जिलाध्यक्ष दौलत भावसार के नेतृत्व में धरनास्थल पर पहुंचे एसडीएम श्री बलोदिया को सौंपा। इस अवसर पर भाजपा जिला महामंत्री प्रफुल्ल गादिया, थावरसिंह भूरिया, अजय पोरवाल, ओमप्रकाष राय, महेन्द्र तिवारी, श्रीमती सुनिता भूरिया, मेगजी अमलियार, जिला मीडिया प्रभारी अंबरीश भावसार, अषोक नागौरी, मंडल अध्यक्ष सुरसिंह हटीला, राजेन्द्र उपाध्याय, मुकेष नागौरी, अनिल राठौर, राजा ठाकुर, अंकुर पाठक, नयन टवली, साबिर मंसूरी, षाकिर सैयद, राधा वसुनिया, राधाकृश्ण राठौर, प्रकाष राठौर, राजेष भटेवरा, षारदा मकवाना, दिनेष राठौर, महेष प्रजापत, मनोज राठौर, संजय राठौर सहित बडी संख्या में भाजपा नेता व क्षैत्रवासी उपस्थित थे। धरना प्रदर्षन का संचालन कांतिलाल प्रजापत ने किया व आभार सुनिल राठौर ने माना।

दिल्ली के अधिकारियों ने जानी जिले में विमुद्रीकरण के प्रभाव की वस्तुस्थिति

jhabua news
झाबुआ । राष्ट्रीय अनुसूचित जाति जनजाति आयोग नई दिल्ली के संचालक श्री आर.के.दुबे  एवं अन्वेषक श्री व्ही.के.सिंह ने आज झाबुआ जिले में विमुद्रीकरण का आम जन पर क्या प्रभाव पड़ा इसकी समीक्षा करने के लिए जिले के मेघनगर ब्लाॅक के ग्राम चेनपुरा,अगराल,रानापुर ब्लाॅक के ग्राम ढोल्यावड़ में भ्रमण कर ग्रामीणों से चर्चा कर वस्तुस्थिति जानी। भ्रमण के दौरान श्री दुबे के साथ सहायक आयुक्त आदिवासी विकास श्रीमती शंकुतला डामोर उपस्थित थी।  भ्रमण के बाद श्री दुबे ने कलेक्टर कार्यालय झाबुआ के सभा कक्ष में आयोजित बैकर्स की बैठक में बैक प्रतिनिधियों से चर्चा की एवं आवष्यक निर्देष दिये।

सभी ग्राहकों के मोबाईल को मोबाईल बैंकिंग के लिए पंजीकृत करें
  • पी.ओ.एस.मषीन उपलब्ध करावाये, जिला स्तरीय परामर्षदात्री समिति की बैठक संपन्न

झाबुआ ।  कैषलेस लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए बैंक के जितने भी ग्राहक है उन के मोबाईल नंबर खाते से लिंक है,तो उनके मोबाईल नंबर को बाईडिफाल्ट मोबाईल बैंकिग के लिए पंजीकृत करवाये। सहकारी उचित मूल्य की दुकान एवं व्यापारियों को मांग अनुसार पी.ओ.एस मषीन उपलब्ध करवाये। सभी उपभोक्ताओं के बैंक खाते से उनका आधार नंबर लिंकेज करवाये,ताकि उपभोक्ता आसानी से अपने साधारण मोबाईल से कैषलेष लेनदेन कर पाये।  उक्त निर्देष कलेक्टर श्री आषीष सक्सेना ने बैकर्स की बैठक में सभी बैंक प्रतिनिधियों को दिये। बैठक की अध्यक्षता कलेक्टर श्री आषीष सक्सेना ने की । बैठक में मुख्य कार्यपालन अधिकारी,जिला पंचायत झाबुआ श्री अनुराग चैधरी,एलडीएम श्री अरविन्द्र कुमार राष्ट्रीय अनुसूचित जाति जनजाति आयोग नई दिल्ली के संचालक श्री आर.के.दुबे  एवं अन्वेषक श्री व्ही.के.सिंह सहित बैंक प्रतिनिधि एवं शासकीय विभागों के अधिकारी उपस्थित थे। बैठक में पिछली बैठक के पालन प्रतिवेदन पर चर्चा की गई। वार्षिक साख योजना वर्ष 2016-17, साख जमा अनुपात, आवास ऋण एवं षिक्षा ऋण, किसान के्रडिट कार्ड का शत प्रतिषत वितरण, मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास मिषन, प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास मिषन, मुख्यमंत्री उद्यमी योजना,स्वरोजगार योजना,स्वयं सहायता समुह का बैंक से लिंकेज, प्रधानमंत्री बीमा योजना, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, सी.एम.हेल्पलाईन एवं आर.सेटी के प्रषिक्षण एवं सेंटलमेंट योजना की बैकवार लक्षित प्रकरणों की स्थिति की समीक्षा की गई एवं सभी बैंकर्स को शासकीय योजनाओं में हितग्राहियों को जनवरी माह में ऋण स्वीकृत करने के लिए सख्त हिदायत दी गई।

बुरी नियत से हाथ पकडा
झाबुआ । फरि. घर के बाहर के कमरे में अकेली बैठी थी कि आरोपी रोहित पिता भारतसिंह बंजारा नि. मेघनगर, घर के अंदर आया व बुरी नियत से फरि. का मुंह दबाकर पकड कर ले जाने लगा चिल्लाने पर जान से मारने की धमकी देकर भाग गया। प्रकरण मे थाना मेघनगर में अपराध क्रं. 04/17 धारा 354,456,506 भादवि व 7/8 पास्को एक्ट का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

सट्टा लिखते आरोपी गिरफतार

झाबुआ । आरोपी तुलेसिंह पिता जयसिंह राजपुत नि. गोगरी को हार जीत का सटटा लिखते कब्जे से सटटा पर्ची व नगदी 600/-रू. जप्त कर गिर. किया गया। प्रकरण में थाना पेटलावद में अपराध क्रं. 08/16 धारा 4-क जुआ एक्ट का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

अवैध शराब जप्त

झाबुआ । आरोपी पप्पु पिता खुनसिंह गरवाल के कब्जे से 5160/-रू. की, अवैध शराब जप्त कर गिर. किया गया। प्रकरण में थाना रायपुरिया में अपराध क्रं. 06/17 धारा 34-ए आबकारी एक्ट का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

अपहरण का अपराध पंजीबद्ध

झाबुआ । फरि. काला पिता रतनसिंह डामोर नि. डुंगरीपाडा की लडकी सोनिया डामोर उम्र 17 साल घर से काकनवानी बाजार आयी थी जो वापस घर नही आयी जिसे आरोपी टिचिया पिता रूपसिंह मेडा नि. बावडीपाल बहला फुसलाकर औरत बनाने की नियत से अपहरण कर ले गया। प्रकरण में थाना काकनवानी मे अपराध क्रं. 04/17, धारा 363 भादवि, 3/4 पास्को एक्ट का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर 05 जनवरी)

$
0
0
जिला सनाढ्य ब्राह्मण परिषद का युवक-युवती परिचय, स्नेह सम्मेलन 8 को 

vidisha map
विदिषा-5 जनवरी 2017/ जिला सनाढ्य ब्राह्मण परिषद के तत्वावधान में स्थानीय स्वर्णकार काॅलोनी स्थित विनायक बैंक्युट हाॅल में रविवार 8 जनवरी को प्रातः 11 बजे समाज के स्नेह सम्मेलन, विवाह योग्य युवक-युवती परिचय सम्मेलन तथा सहभोज का आयोजन किया गया है। राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विष्वविद्यालय भोपाल के पूर्व कुलपति मूलतः विदिषावासी इंजीनियर प्रीतम बाबू शर्मा मुख्य अतिथि होंगे। पूर्व सांसद प्रतापभानु शर्मा समारोह की अध्यक्षता करेंगे। मध्यप्रदेष सनाढ्य ब्राह्मण समाज के प्रदेषाध्यक्ष तथा भोपाल के पूर्व विधायक रमेष शर्मा ‘‘गुट्टू भैया‘‘ सिरोंज के विधायक गोवर्धन उपाध्याय, जिला सहकारी बैंक अध्यक्ष श्यामसुन्दर शर्मा, गुलाबगंज के समाजसेवी जनप्रतिनिधि राकेष कटारे, वरिष्ठ भाजपा नेता मनोज कटारे, नेषनल केप्सूल के पदाधिकारी राकेष शर्मा और पूर्व जनपद अध्यक्ष छत्रपाल शर्मा विषिष्ट अतिथि होंगे। जिला सनाढ्य ब्राह्मण परिषद के अध्यक्ष दीपक तिवारी, उपाध्यक्ष द्वय धर्मेन्द्र ढिमोले तथा पवन पाण्डे, सचिव जितेन्द्र शर्मा ढाँच, कोषाध्यक्ष राजेष कुमार व्यास, जिला सनाढ्य ब्राह्मण महिला परिषद की अध्यक्ष श्रीमती कंचन शर्मा तथा जिला युवा सनाढ्य ब्राह्मण परिषद के अध्यक्ष अजय कटारे ने सर्वआमंत्रितों से समारोह में भाग लेने का अनुरोध किया है। 

सीहोर (मध्यप्रदेश) की खबर 05 जनवरी)

$
0
0
मोदी सरकार द्वारा की गई मुद्रा विमुद्रीकरण से फैली आर्थिक अराजकता : कुणाल चौधरी 
     
sehore news
नोट बंदी ने देश की जनता को लाइन में खड़ा कर दिया अभी तक आम जनता को कोई राहत नही मिली है | प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने देश की जनता से वादा किया था की यदि पचास दिनों में नोट बंदी से उत्पन्न समस्या खत्म न हो तो तो जिस चोराहा पर चाहो जो सजा चाहो मुझे दी देना मगर युवा कांग्रेस सजा की बात नही करती बल्कि प्रधानमन्त्री को देश में उत्पन्न हुई समस्या से अवगत कराना चाहती है |नोट बंदी के कारण आमजन परेशान है | नोट बंदी से उत्पन्न हुई ज्वलंत समस्या को उठाने तथा देश को हुए नुक्सान को जन जन तक पहुचने के लिए युवा कांग्रेस आज लिसा टाकीज चौराहे पर नुक्कड़ सभा “नोट बंदी पर चर्चा” कार्यक्रम आयोजित किया | इस मौके पर युवा कांग्रेस द्वारा चौराहा पर युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओ द्वारा नगाड़ा बजा कर केंद्र सरकार को जायगा गया | केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा 08 नवंबर को अचानक रात 08 बजे 500 व 100 के नोट बंद कर नए नोटो का चलन कई प्रकार के नियमों के साथ इस देश में आर्थिक अराजकता की शुरुवात थी । देश की जनता से 50 दिन का समय मांग कर कालाधन सामने लाने की बात करने वाले देश के प्रधानमंत्री जी से आज यह देश जानना चाहता है कि उन्होनें वादा स्वीस बैंक में रखे कालेधन को लाने का किया था ना कि आमजन की जेब से पैसा छिनने का । कांग्रेस पार्टी कालेधन की लड़ाई में सरकार के साथ है लेकिन आज जिस प्रकार की नीति सरकार ने अपनाते हुए उद्योगपति विजय माल्या जैसे लोगों को फायदा देकर आमजन को कतार में खड़ा करना सरकार की कथनी और करनी  स्पष्ट होती है । भारतीय जनता पार्टी हमेशा उद्योगपतियों का फायदा सोचती है केन्द्र में सत्ता आते ही उद्योगपतियों का 1 लाख 10 हजार करोड़ का कर्ज माफ किया गया । उसके बाद सरकार ने विजय माल्या को 7000 करोड़ का फायदा पहुंचाने में लगी है । और दुसरी और देश में महंगाई के साथ किसान मुआवजे के लिए तड़प रहा है । आज तक पुरे ढाई वर्ष में मोदी सरकार ने एक भी काम ऐसा नही किया है जिससे आम आदमी को फायदा पहुंचे । नोटबंदी से हो रही अव्यवस्था को देश के लिए आर्थिक अराजकता निरूपित करते हुए कहा कि मोदी सरकार का यह फैसला देश के अमीर लोगों से कालाधन निकलवाने के नाम पर लिया गया था, किन्तु कोई भी अमीर व्यक्ति बैंकों के बाहर लाईन में नहीं दिखा, केवल गरीब और मध्यमवर्गीय लोग ही लाईन में लगे हुए हैं, पूरे देश में अराजकता का माहौल है। उद्योग-धंधे, व्यापार एवं किसान बुरी तरह से प्रभावित हुये हैं, जिसके लिए मोदी सरकार की नोटबंदी की अव्यवस्था पूरी तरह से जिम्मेदार है।

एक लोकतांत्रिक देश में उनका रवैया हिटलर और मुसोलीनी के अनुयायी के रूप में दिखाई देता हुआ अधिनायकवाद परोस रहा है, जो अब तक का सबसे बड़ा प्रमाण है। भारतीय संविधान के अनुसार कोई भी प्रधानमंत्री अकेले निर्णय नहीं ले सकते हैं, समूची मंत्रि-परिषद की सामूहिक रूप से सभी निर्णयों में जिम्मेदारी सुनिश्चत होती है, किन्तु जिस तरह से श्री मोदी अपना व्यवहार और आचरण प्रदर्शित कर रहे हैं, उससे देश अधिनायकवाद और नादिरशाही के रास्ते पर जाता दिखाई दे रहा है, जो एक लोकतांत्रिक देश में खतरनाक संकेत है। प्रधानमंत्री से पूछता हुँ  कि यदि वास्तव में वे भ्रष्टाचारियों और कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ हैं तो केंद्र सरकार 85 हजार करोड़ रूपयों के उन 57 बड़े बकायादारों के नाम सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष क्यों छिपा रही है ?  देश के  01 अरब 26 करोड़ नागरिक उन नामों को जानना चाहते हैं, जो उनकी 85 हजार करोड़ रूपयों की संपत्ति हजम कर चुके हैं और जिन्हें केंद्र का पूरा संरक्षण है।   प्रधानमंत्री द्वारा देश में लगाये गये आर्थिक आपातकाल के कारण अराजक वातावरण निर्मित हो रहा है, जिसकी पुष्टि देश के गृह मंत्रालय ने भी कर दी है। वहीं आरबीआई द्वारा भगोड़े विजय माल्या सहित अन्य बकायादारों के 7000 करोड़ रूपयों को (राईट ऑॅफ) किया जाना और लोकसभा में  वित्त मंत्री अरूण जेटली द्वारा भारतीय संसद को राईट ऑॅफ की परिभाषा समझाना इस बात को साबित करता है कि भगोड़े माल्या को देश को चकमा देकर भगाने में प्रधानमंत्री का पूरा आशीर्वाद प्राप्त था ।

श्री चौधरी ने कैश लेस प्रणाली अपनाने के आह्वान पर सवाल किया है कि क्या साइबर सुरक्षा के बारे में कोई कदम उठाया गया है ? यदि हाँ तो फिर टिवटर के वेरिफाइड एकाउंट कैसे हैंक हो गए । एक तरफ नरेंद्र मोदी कैश लेस प्रणाली के चलन की बात करते हैं वहीँ दूसरी तरफ साइबर सुरक्षा के नाम पर टिवटर के वेरिफाइड एकाउंट हैक हो रहे हैं ।  प्रधानमंत्री शायद भूल गए कि अभी कुछ दिनों पहले ही कई बैंको के डेबिट कार्ड धारको के डाटा में सेंध लगाने की कोशिश की गयी थी जिसकी वजह से देश की कई बड़ी बैंको को अपने लाखो खाता धारको के डेबिट कार्ड ब्लॉक करने पड़े थे । कैश लेस प्रणाली सिर्फ बड़े शहरो में ही चल सकती है लेकिन उससे पहले प्रधानमंत्री बताएं कि सरकार ने कैश लेस सिस्टम इस्तेमाल करने वाले लोगों के लिए साइबर सुरक्षा के क्या इंतजाम किये हैं ।  देश की पचास फीसदी से अधिक जनता गाँवों में रहती है । गाँव के किसान आज भी हस्ताक्षर करने की जगह अंगूठा लगाते हैं क्या वे कैश लेस सिस्टम को इस्तेमाल कर पाएंगे ? पूरे देश में कैश लेस प्रणाली को लागू करने के पीएम मोदी के आह्वान को हास्यास्पद बताते हुए चौधरी ने कहा कि देश में आज भी कई राज्य ऐसे हैं जहाँ कई गाँवों में लोगों के पास डेबिट कार्ड नहीं हैं, वे पासबुक और विड्रॉल फॉर्म पर अंगूठा लगाकर पैसे निकालते हैं । क्या गरीब किसान मजदूर वर्ग के लोग कैश लेस प्रणाली का इस्तेमाल कर पाएंगे ?
दूर मत जाइये, देश की राजधानी से सिर्फ 100 किलोमीटर की रेंज में ही कुछ ऐसे इलाके हैं जहाँ कई गाँवों के बीच एक ही एटीएम मौजूद है । ऐसे हालात में लोग क्या करेंगे ?  प्रधानमंत्री सिर्फ लच्छेदार बातें करते है जो ज़मीनी हकीकत पर फिट नही बैठतीं ।  जिस तरह ज़मीनी हकीकत जाने बिना जल्दबाज़ी में नोटबंदी लागू की गयी ठीक उसी तरह कैश लेश प्रणाली को अपनाने की बात कही जा रही है । देश में अचानक की गयी नोटबंदी से जनता का क्या हाल हुआ ये किसी से छिपा नहीं है । यदि साइबर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये बिना कैश लेस प्रणाली थोपी गयी तो उसका भी यही परिणाम होने वाला है । युवा कांग्रेस अध्यक्ष राजीव गुजराती ने बताया की कार्यक्रम को संबोधित करते हुए इछावर विधानसभा से विधायक शलेन्द्र पटेल ने कहा की कि मोदी सरकार की असफलताएं छिपाने के लिए बीजेपी दबाव की राजनीति कर रही है । यही कारण है कि टिवटर पर राहुल गाँधी, कांग्रेस और कांग्रेस के सूचना विभाग के एकाउंट हैक किये गए ।  लोकतंत्र का मज़ाक ही हुआ कि सरकार से सवाल पूछने वाले को बीजेपी नेता देशद्रोही करार दे देते हैं । 

पाकिस्तान बार बार सीज फायर का उल्लंघन कर रहा है हमारे देश के सैनिक मर रहे हैं । इस पर रक्षा मंत्री कुछ करने की जगह सिर्फ बड़े बड़े बयान दे रहे हैं।  पठानकोट हमले पर सरकार ने क्या कार्यवाही की, उरई में सेना के कैम्प पर हुए हमले के बाद क्या कदम उठाये गए, कश्मीर के बारे में सरकार क्या कर ही है  सरकार इन अभी मुद्दों पर पर्दा डालने में लगी है और बीजेपी नेता झूठी वाह वाही कर रहे हैं ।कार्यक्रम को पूर्व नपा आध्याकाश श्री राकेश राय,श्री के यू कुरैशी, कम्लेश कटारे, शहर अध्यक्ष ओम वर्मा , बाबूलाल पटेल , जफ़र लाला ,राजाराम बड़े भाई, भूरा यादव ,नरेंद्र खंगराले, आनंद कटारिया, विवेक राठौर, रमेश राठौर ,लोकेन्द्र वर्मा, प्रीतम चौरसिया , रागूवीर दागी आदि ने संबोधित किया | कार्यक्रम का संचालन युवा कांग्रेस अध्यक्ष राजीव गुजराती ने किया |    मोहिनिष कुरैशी ने शायराना अंदाज में अपना विरोध दर्ज कराया  इस अवसर पर प्रदीप प्रगति, डॉ  अनीस खान, बिर्जेश पटेल, राजू राजपूत  रामप्रकाश चौधरी, पियूष मालवीय , मनीष कटारिया , देवेन्द्र ठाकुर, सोनू विश्वकर्मा , प्रणय शर्मा, हरीश त्यागी , आदि कार्यकर्ता उपस्थित थे 

झारखण्ड : मिस इंटरनेशनल प्रतियोगिता-2017 के लिये खुद को तैयार कर रहीं निशि

$
0
0
  • श्रीया मिस इंडिया प्रतियोगिता-2016 में सेकेण्ड रनअप का खिताब जीतकर निशि कुमारी ने झारखण्ड का लहराया परचम


shreeya-miss-indiaअमरेन्द्र सुमन,जयपुर (राजस्थान) में पिछले दिनों (18 दिसम्बर 2016) को आयोजित श्रीया मिस इंडिया प्रतियोगिता-2016 में सेकेण्ड रनअप का खिताब जीतकर निशि कुमारी ने अपने माँ-बाप, खानदान का नाम रौशन किया। डीआईजी आॅफिस, दुमका में सब इंस्पेक्टर के पद पर पदस्थापित ललन प्रसाद की बेटी निशि कुमारी झारखण्ड से एक मात्र प्रतिभागी थीं, जिन्हें इस प्रतियोगिता में भाग लेने का सुअवसर प्राप्त हुआ। वाॅलीबुड की ख्यातिप्राप्त अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा को अपना आदर्श मानने वाली निशी कुमारी ने कहा यह उनके जीवन का सबसे सुखद क्षण था, जब उन्हें सेकण्ड रनअप के खिताब से नवाजा गया। फस्ट रनअप दिव्या कशिरवाल को चुना गया जबकि इस प्रतियोगिता की विजैता रहीं केरेनिका मिश्रा। बीआईटी मेसरा में बीबीए की छात्रा निशि कुमारी का कहना है कि आने वाले समय में बुम्बई में होने वाले मिस इंटरनेशनल प्रतियोगिता-2017 के लिये वह खुद को तैयार कर रही है। उसका लक्ष्य इस प्रतियोगिता को जीतना होगा। दिन गुरुवार को अपने माता-पिता के साथ पत्रकार वार्ता में मौजूद श्रीया मिस इंडिया प्रतियोगिता की सेकण्ड रनर अप निशि कुमारी ने कहा वर्ष 2016 में सूबे की राजधानी राँची में मिस झारखण्ड काॅन्टेस्ट में वे विजयी रही थीं। इसी जीत के बाद जयपुर में आयोजित कार्यक्रम के लिये उनका चुनाव हुआ था। निशि दो भाई व एक बहन हैं। उनके दोनों भाई विभूति रंजन व प्रशान्त रंजन जमशेदपुर में कार्यरत हैं। निशि अपनी माँ व पिताजी को विशेष धन्यवाद देना चाहती हैं। वे कहती हैं माता-पिता की छत्रछाया व उनके आर्शीवाद का ही परिणाम है कि वे लगातार अपने पथ पर अग्रसर हैं। विदित हो इन दिनों निशि कुमारी जमशेदपुर में ही रहकर ब्यूटी/फैशन प्रतियोगिताओं की तैयारियाँ कर रही हैं। 

विशेष आलेख : बजट भी नोटबंदी के बाद यूपी जीतने का हिंदुत्व कार्यक्रम?

$
0
0
महज दो चार घंटे की तैयारी में नोटबंदी, जबकि इसी नोटबंदी के बाद सोवियत संघ टूट गया था।तो क्या नोटबंदी के जरिये हिंदुत्व पुनरूत्थान के लिए भारत को तोड़ने का कोई मास्टर प्लान है हिंदुत्व के एजंडे का? यूपी में दंगल और बंगाल में सिविल वार के हालात फेल नोटबंदी को भुलाने के लिए काफी हैं।भुखमरी,मंदी और बेरोजगारी का क्या जबाव है? फेल नोटबंदी कैसे नजर घूमाने की सीबीआई कवायद से राजनीतिक रंग में बंटा बंगाल धू धू जल रहा है,हिंदुत्व का एजंडा वहां राष्ट्रपति शासन। नोटबंदी के बाद कतारों में जो लोग मारे गये,उनके खून से तानाशाह के हाथ रंगे हैं।करोडो़ं जो लोग बेरोजगार होकर कबंध हैं,उनका सारा खून भी उन्हीं को हाथों में है।जो भुखमरी और मंदी के शिकार होंगे ,उनकी लाशों का बोझ भी उनके कांधे पर है। कितना चौड़ा सीना है? कितने मजबूत कंधे हैं?



पांच राज्यों के लिए चुनाव आचार संहिता लागू हो गयी है।चार फरवरी से मतदान है।यूपी में ग्यारह फरवरी से सात दफा में वोट गेरने हैं।गणना 11 मार्च को वोटों की गिनती  है।चुनाव प्रक्रिया के मध्य पहली फरवरी को वक्त से पहले रेल और आम बजट मिलाकर डिजिटल कैशलैस इंडिया का बजट पेश होना है।

demonetization-and-budget
सीधा फायदा संघ परिवार को है।
विपक्ष के विरोध और चुनाव आटोयोग की विवेचना  के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपना फैसला सुना दिया हैं कि बजट पेश करने की तारीख में कोई बदलाव नहीं होगा। उन्होंने ये भी कहा बैंक से रकम निकालने की सीमा हटाने का फैसला हालात को देखने के बाद ही लिया जाएगा।वित्त मंत्री का कहना है कि बजट एक संवैधानिक आवश्यकता है और लोकसभा चुनाव से पहले भी बजट पेश होता है। साथ ही वित्त मंत्री ने ये भी कहा कि कैश निकालने की लिमिट पर आरबीआई फैसला लेगा और जैसे पाबंदी किश्तों में आई, उसी तरह रियायतें भी किश्तों में आएंगी। चुनाव आयोग पारदर्शिता के नाम पर जो कर रहा है,उसका स्वागत है।लेकिन सत्ता घराने को एकतरफा बढ़त देने के इस इंतजाम को अगर रोक नहीं सका चुनाव आयोग तो चुनाव की निष्पक्षता का सवाल बेतमलब है। उठते सवालों के बीच वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि बजट को लेकर विपक्ष का विरोध सही नहीं है।भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा है कि चुनाव आयोग जल्द ही चुनाव के दौरान बजट पेश करने के मामले पर अपनी राय देगा। इस साल परंपरा तोड़ते हुए केंद्रीय बजट पेश किए जाने से एक दिन पहले 31 जनवरी से संसद का बजट सत्र शुरू होने वाला है और अलग से रेल बजट पेश नहीं किया जाएगा। साफ जाहिर है कि  अब नोटबंदी के बाद देश का बजट भी यूपी के हिंदुत्व पुनरूत्थान के नाम।सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव प्रक्रिया को धर्मनिरपेक्ष बनाये रखने का आदेश दिया है और साथ ही हिंदुत्व को धर्म मानने से इंकार करके संघ परिवार के हिंदुत्व के ग्लोबल एजंडे को हरी झंडी दे दी है। 

चुनाव प्रक्रिया के मध्य बजट का मतलब भी सत्ता वर्चस्व के आगे स्वायत्त लोकतांत्रिक संस्थानों के अवसान है।गौरतलब है कि परंपरागत रूप से आम बजट 28-29 फरवरी को पेश किया जाता रहा है। बजट में सरकार कई योजनाओं की घोषणा करती है और जनता को कई किस्म की छूट भी दी जाती है। वैसे भी नववर्ष की पूर्वसंध्या पर कई फर्जी योजनाओं की घोषणा डिजी मेले में कर दी गयी है।बजट के जरिेये फिर बाजीगरी के आसार हैं।कांग्रेस समेत 16 विपक्षी पार्टियों ने राष्ट्रपति और चुनाव आयोग को पत्र लिख कहा है कि अगर बजट तय वक्त से पहले पेश हुआ तो बीजेपी इसे आगामी विधानसभा चुनावों में भुनाने का प्रयास करेगी। इस सप्ताह की शुरूआत में भेजे गए इस पत्र में विपक्ष ने एनडीए सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा है कि सरकार बजट के दौरान वोटरों को रिझाने के लिए लोक-लुभावन वादे कर सकते है। इसी बीच बरसों पहले होने वाली गिरफ्तारियां टालकर नोटबंदी फेल होने की अभूतपूर्व उपलब्धि से नजर घूमाने के लिए जो सनसनी पैदा की जा रही है,उससे पूरा बंगाल जलने लगा है और वहां हालात तेजी से राष्ट्रपति शासन के बन रहे हैं।कोलकाता की सड़कों पर जो हुआ वह आने वाले वक्त की झांकी भर है। अभी बंगाल की नंबर वन हिरोइन जो अबी भी परदे पर उतनी ही लोकप्रिय हैं,का नाम हावाल गिरोह से जुडा़ है जिसके मार्फत हवाला के जरिये रोजवैली के तीन सौ करोड़ रुपये विदेश में भेजने का जिम्मा उन्हें था,त्रेसठ करोड़वे भेज बी चुकी हैं।इस हिरोइन ने कमसकम तीन बार रोजवैली के सर्वेसर्वा गौतम कुंडु के साथ विदश यात्री पर गयी थी और तापस पाल के साथ वे भी रोजवैली के फिल्म ट्रेड देखती थीं।नाम का खुलासा अभी नहीं हुआ है।वे बालीवूड फिल्मों के लिए भी मशहूर है।रुपा गांगुली कभी नंबर वन नहीं रही है।न ही शताब्दी राय।शताब्दी ने बालीवूड में कोई काम नहीं किया है।रुपा और शताब्दी पहले से विवादों में है।लेकिन रहस्यमयी हिरोईन से चिटपंड और राजनीति के हवाला कारोबार के खुलासा होने के आसार है। गौर तलब है कि इस हिरोइन के खासमखास रिश्तेदार सिंगापुर से हवाला रैकेट चलाते हैं।सुदीप बंदोपाध्याय को अब शारदा मामले से भी नत्थी कर दिया गया है।शारदा समूह के मीडिया कारोबार को भी लपेटे में लिया जा रहा है।रफा दफा शारदा फर्जीवाड़ा मामले के फाइलें फिर खुल गयी हैं।

इसी बीच ममता ने आशंका जताई है कि मोदी के कहे मुताबिक उनके भतीजे अभिषेक बंदोपाध्याय समेत उनके परिजनों,बाबी हकीम और शुभेंदु अधिकारी जैसे मंत्रियों और कोलकाता के मेयर शोभनदेव को सीबीआई गिर्फातर करने वाली हैं।इसके बाद ही वे सीधे केंद्र सरकार और संघ परिवार से सीधे मुकाबले के मोड में हैं और उनकी इस जिहाद को बंगाल भर में नोटबंदी के विरोध की शक्ल में हिंसक आंदोलन में पहले ही दिन बदल देने में उनके समर्थकों  और कार्यकर्ताओं ने भारी कामयाबी पायी है। विजयवर्गीज औस सिर्द्धार्थ नाथ सिंह बंगाल भाजपा के संघी अध्यक्ष दिलीप घोष की अगुवाई में बांगाल भर में भाजपा के प्रतिरोध का नेतृत्व कर रहे हैं। भाजपाइयों ने राज्यपाल से मिलकर बंगाल में राष्ट्रपति शासन की भी मांग कर दी है।अब हालात तेजी से राष्ट्रपति शासन के बन भी रहे हैं। यूपी में दंगल और बंगाल में सिविल वार के हालात फेल नोटबंदी को भुलाने के लिए काफी हैं?  भुखमरी,मंदी और बेरोजगारी का क्या जबाव है? रोज वैली चिटफंड घोटाले के सिलसिले में सीबीआई द्वारा तृणमूल कांग्रेस के सांसद संदीप बंदोपाध्याय की गिरफ्तारी के बाद कोलकाता और बंगाल के हर जिले में आज प्रधानमंत्री का पुतला जला है।सड़क रेल परिवहन ठप है।सुंदरवन से लेकर पहाड़ों तक में बंगाल में जनता तृणमूल और भाजपा के झंडे के साथ आपस में मारामारी कर रहे हैं।बमबाजी ,आगजनी और हिंसा का महोत्सव है। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पर जमकर हमला किया। यहां तक कि 2002 के गुजरात दंगों के लिए उनकी गिरफ्तारी की भी मांग की।उन्होंने मोदी सरकार के खिलाफ राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है और कहा है कि हिम्मत है तो उन्हें गिरफ्तार करें। बंदोपाध्याय की गिरफ्तारी के बाद टीएमसी के सैंकडों कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के खिलाफ नारे लगाए और बीजेपी के प्रदेश मुख्यालय पर पथराव किया।फिर पूरे बंगाल में प्रधानमंत्री कापुतला दहन और उनका शवैदिकी रीति रिवाज से श्राद्धकर्म हो रहा है।

 ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री मोदी पर यह आरोप लगाया कि राजनीतिक बदले की भावना के तहत वे टीएमसी के सांसदों को गिरफ्तार करवा रहे हैं। ममता बनर्जी ने इस गिरफ्तारी के विरोध में अपने कार्यकर्ताओं से देशभर में विरोध-प्रदर्शन करने की अपील की थी। इस अपील के बाद मंगलवार को कोलकाता में बीजेपी के दफ्तर पर तथाकथित टीएमसी के कार्यकर्ताओं ने तोड़फोड़ की। आज कोलकाता सहित पूरे बंगाल में टीएमसी कार्यकर्ताओं का विरोध-प्रदर्शन जारी रहा। बंगाल के हुगली में स्थित भारतीय जनता पार्टी के आॅफिस में बुधवार को टीएमसी कार्यकर्ताओं ने आग लगा दी। एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, बीते दो दिनों में टीएमसी कार्यकर्ताओं ने दूसरी बार बीजेपी आॅफिस को निशाने पर लिया है। मंगलवार को भी टीएमसी स्टूडेंट्स विंग के कार्यकर्ताओं ने कोलकाता स्थित बीजेपी के राज्य मुख्यालय पर हमला बोला था। इसमें कई बीजेपी कार्यकर्ता घायल भी हुए थे। विरोध करने वाले सभी लोग टीएमसी सांसद सुदीप बंदोपाध्याय की रोज वैली चिटफंड घोटाले में गिरफ्तारी का विरोध कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने ट्विटर पर एक वीडियो पोस्ट किया है जिसमें उन्होंने कहा कि तृणमूल पार्टी के कार्यकर्ता उनके घर में जबर्दस्ती घुसने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने लिखा, 'तृणमूल कांग्रेस के गुंडे मेरे कैलाश बोस स्ट्रीट के अपार्टमेंट में जबर्दस्ती घुसने का प्रयासस कर रहे हैं। वहां मेरे मां-बाप रहते हैं। कितना शर्मनाक है ये।' नोटबंदी से पहले 2014 के चुनाव के बाद सीबीआई के छापे पड़ चुके होते और गिरफ्तारियां हो गयी होतीं तो ऐसा नजारा नहीं होता।सीबीआई केंद्र की सत्ता की कठपुतली है और नोटबंदी के खिलाफ खड़े लोगों को खामोश करने लगी है,आम जनता में यह धारणा बनी है।ममतादीदी को प्रबल जनसमर्थन के मद्देनजर बंगाल में हालात आपातकाल तो क्या तेजी से गृहयुद्ध में तब्दील होते जा रहे हैं। संघ परिवार के हिंदुत्व एजंडे के लिए दसों उंगलियां घी में और सर कड़ाही में।कल रात से ही यूपी में भाजपा की बढ़तवाले सर्वे शुरु हो गये हैं। 

रिजर्व बैंक और उसके रिलायंस रिटर्न मोदी नजदीकी गवर्नर सीबीआई गिरफ्त में नहीं हैं और न सारे दस्तावेज,गवाह औरस बूत उनके सामने रखकर कोी पूछाताछ हो रही है।आरटीआई के सवालों के जबाव में वित्त मंत्री से सलाह ली गयी है या नहीं, नोटबंदी कि सलाह किन विशेषज्ञों से ली गयी है,ऐसे शाकाहारी सवाल भी टाले जा रहे हैं।इसी माहौल में सूचना के अधिकार (RTI) के तहत ताजा खुलासा हुआ है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के केंद्रीय बोर्ड की गत आठ नवंबर को हुई बैठक में 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोटों को वापस लेने की सिफारिश की गयी थी। प्रधानमंत्री ने इसी दिन देर शाम राष्ट्र के नाम अपने टेलीविजन संदेश में घोषणा की थी कि मध्यरात्रि से ये नोट वैध मुद्रा नहीं रह जायेंगे। यानी कि प्रधानमंत्री का राष्ट्र के नाम संबोधन रिकार्ड होने के बाद रिजर्व बैंक से आरबीआई कानून से बचने के लिए यह सिफारिश जबरन वसूली गयी थी और वित्तमंत्री ही नहीं रिजर्व बैंक के गवर्नर भी नोटबंदी के मामले में अधेरे में थे।मोदी ने रिकार्डेड भाषण दिया था ,यह पहले ही साबित हो चुका है। सीधे तौर पर इससे साबित होता है कि नोटबंदी के बाद कतारों में जो लोग मारे गये,उनके खून से तानाशाह के हाथ रंगे हैं।करोडो़ं जो लोग बेरोजगार होकर कबंध हैं,उनका सारा खून भी उन्हीं को हाथों में है।जो भुखमरी और मंदी के शिकार होंगे ,उनकी लाशों का बोझ भी उनके कांधे पर है।

कितना चौड़ा सीना है?
कितने मजबूत कंधे हैं?

सारा जोर कैसलैस डिजिटल लेनदेन पर है।आदार पहचान अनिवार्य है।लेकिन डिजिटल लेनदेन की रियायतं खत्म हैं।जोकिम अलग से भयंकर हैं क्योंकि सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है।डिजिटल लेनदेने के लिए ई-वॉलेट सबसे सरल और आसान उपाय बनकर उभरे हैं लेकिन इसके साथ जोखिम भी कम नहीं। डाटा चोरी का डर है तो मोबाइल गुम हो जाने पर बैलेंस ट्रांसफर का खतरा और पेटीएम जैसी ईवॉलेट दिग्गज कंपनियां भी सुरक्षित नहीं हैं। मोबाइल गुम होना आम बात है।अब मोबाइल गुम होते ही आपकी जान भी चली जायेगी।जमा पूंजी निजी जानकारियां,गोपनीयता सब कुछ आधार नंबर के साथ बेदखल होगा। गौरतलब है कि सुरक्षा का हवाला देकर ही एसबीआई ने आज ई-वॉलेट में पेमेंट ट्रांसफर पर रोक लगा दी है। लेकिन बड़ा सवाल है जब कैशलेस होने की तरफ हम आगे बढ़ रहे हैं तो ई-वॉलेट सहूलियत का सबसे बड़ा उपाय था लेकिन अगर इसमें इतने खतरे हैं तो क्या करें और कैसे फ्रॉड से बचेंय़इसका कोई जबवा रिजर्व बैंक दें तो बेहतर।

कितना चौड़ा सीना है?
कितने मजबूत कंधे हैं?

सात समुंदर के पानी से गुजरात नरसंहार के खून धुले नहीं हैं,बल्कि व्हाइट हाउस के रेड कार्पेट से वे खूनी हाथ चांप दिये गये हैं,जो अब फिर इंसानियत और जम्हूरियता का कत्ल करने लगे हैं। रिजर्व बैंक की सिफारिश जिस दिन मिली ,उसी दिन राष्ट्र के नाम संबोधन,तो किन विसेषज्ञों से कब किस बैठक में नोटबंदी के बाद की स्थितियों से निबटने के बारे में सलाह मशविरा हुआ था,यह जानकारी जाहिर है ,आरटीआई सवाल से नहीं मिलेगा। महज दो चार घंटे की तैयारी में नोटबंदी,जबकि इसी नोटबंदी के बाद सोवियत संघ टूट गया था।

कितना चौड़ा सीना है?
कितने मजबूत कंधे हैं?

वर्ष 1991, सोवियत संघ (यूएसएसआर - यूनियन ऑफ सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक्स) में नोटबंदी और सोवियत संघ का विघटनः
मिखाइल गोर्बाचेव के नेतृत्व वाले सोवियत संघ ने अपने 'अंतिम साल'की शुरुआत में 'काली अर्थव्यवस्था'पर नियंत्रण के लिए 50 और 100 रूबल को वापस ले लिया था, लेकिन यह कदम न सिर्फ महंगाई पर काबू पाने में नाकाम रहा, बल्कि सरकार के प्रति लोगों को विश्वास भी काफी घट गया... उसी साल अगस्त में उनके तख्तापलट की कोशिश हुई, जिससे उनका वर्चस्व ढहता दिखाई दिया, और आखिरकार अगले साल सोवियत संघ के विघटन का कारण बना... इस कदम के नतीजे से सबक लेते हुए वर्ष 1998 में रूस ने विमुद्रीकरण के स्थान पर बड़े नोटों का पुनर्मूल्यांकन करते हुए उनमें से बाद के तीन शून्य हटा देने की घोषणा की, यानी नोटों को पूरी तरह बंद करने के स्थान पर उनकी कीमत को एक हज़ार गुना कम कर दिया... सरकार का यह कदम तुलनात्मक रूप से काफी आराम से निपट गया... तो क्या नोटबंदी के जरिये हिंदुत्व पुनरूत्थान के लिए भारत को तोड़ने का कोई मास्टर प्लान है हिंदुत्व के एजंडे का?

मध्य प्रदेश के नीमच निवासी सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने बताया कि उनकी RTI अर्जी के जवाब में उन्हें बताया गया कि रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड ने गत आठ नवंबर को नयी दिल्ली में आयोजित बैठक में ही इसकी सिफारिश की थी कि उस वक्त वैध मुद्रा के रूप में चल रहे 500 और 1,000 रुपये के नोट चलन से वापस ले लिये जाने चाहिए. गौड़ ने हालांकि, बताया कि आरबीआई के एक अधिकारी ने सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा आठ (1) (ए) का हवाला देते हुए उन्हें नोटबंदी के विषय पर आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड की संबंधित बैठकों के मिनटों की जानकारी नहीं दी। इसी धारा का उल्लेख करते हुए उन्हें यह भी नहीं बताया गया कि आरबीआई ने नोटबंदी पर अंतिम निर्णय अपनी किस बोर्ड बैठक में लिया था। सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा आठ (1) (ए) के मुताबिक उस सूचना को जाहिर करने से छूट दी गयी है, जिसे प्रकट करने से भारत की प्रभुता और अखंडता, राष्ट्र की सुरक्षा, रणनीति, वैज्ञानिक या आर्थिक हितों और दूसरे देशों से संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हो या किसी अपराध को उकसावा मिलता हो।

कितना चौड़ा सीना है?
कितने मजबूत कंधे हैं?

भारत में कृषि उत्पादन दर हरित क्रांति के दो चरण पूरे होने से लेकर मनसेंटो क्रांति,जीएम सीड औक ठेके पर खेती के बावजूद शून्य से ऊपर उठ नहीं रहा है। बुनियादी तौर पर भारत की अर्थव्यवस्था कृषि अर्थव्यवस्था है और मुक्त बाजार में भी सत्तर फीसद से ज्यादा लोगों की आजीविका कृषि पर निर्भर है। अंधाधुंध शहरीकरण, अंधाधुंध बेदखली विस्थापन और प्राकृतिक संसाधनों की खुली लूट, बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हवाले खेत खलिहान पहाड़ जंगल रण मरुस्थल और समुंदर हो जाने से खेती का रकबा लगातार घटता जा रहा है। मुनाफावसूली की खेती में जीने के लिए,बाकी देशवासियों के लिए अनाज, दाल, तिलहन की उपज लगातार घटती जा रही है और हरित क्रांति के बाद खाद बीज सिंचाई मशीनों और मजदूरी के आसमान चूमते भावों की वजह से कैश फसल पर किसानों का जोर हैं लेकिन लागत का पैसा भी फसल से वापस नहीं आ रहा है।इस कृषि संकट को संबोधित न करने की वजह से लाखों किसान खुदकशी कर चुके हैं। नोटबंदी के बाद अब करोडो़ं किसान कंगाल हैं।खरीफ की फसल बिकी नहीं है और रबी की बुवाई हुई नहीं है।अब पुरानी योजनाओं के कायाकल्प या चुनावी बजट के झुनझुना से नये सिरे से खेती हो नहीं सकती। अनाज की भारी किल्लत और भुखमरी आगे हैं।इसी सिलसिले में हाल ही में 2010 में उत्तर कोरिया में नोटबंदी के अनुभव के मद्देनजर बगुला छाप विशेषज्ञों ने क्या एहतियाती इंतजामात किये हैं,इसका खुलासा आहिस्ते आहिस्ते होना है। बहरहाल उत्तर कोरिया में वर्ष 2010 में तत्कालीन तानाशाह किम जोंग-इल ने अर्थव्यवस्था पर काबू पाने और काला बाज़ारी पर नकेल डालने के लिए पुरानी करेंसी की कीमत में से दो शून्य हटा दिए, जिससे 100 का नोट 1 का रह गया... उन सालों में देश की कृषि भी भारी संकट से गुज़र रही थी, सो, परिणामस्वरूप देश को भारी खाद्यान्न संकट का सामना करना पड़ा... चावल की बढ़ती कीमतों जनता में गुस्सा इतना बढ़ गया कि आश्चर्यजनक रूप से किम को क्षमा याचना करनी पड़ी तथा उन दिनों मिली ख़बरों के मुताबिक इसी वजह से तत्कालीन वित्त प्रमुख को फांसी दे दी गई थी…

कितना चौड़ा सीना है?
कितने मजबूत कंधे हैं?

लोग इस खुशफहमी में आज भी डिजिटल पेमेंट कर रहे हैं कि केंद्र सरकार की ओर से इसपर रियायत है। लेकिन 30 दिसंबर तक दी गई छूट को सरकार ने आगे नहीं बढ़ाया है। इसलिए अब आपसे बैंकों ने पैसा वसूलना शुरू कर दिया है। लोग इस उम्मीद में बैठे थे कि सरकार एटीएम और डेबिट कार्ड ट्रांजैक्शन पर रियायतें 30 दिसंबर के बाद भी जारी रखेगी। या फिर 2000 रुपये से कम डिजिटल भूगतान करने पर सर्विस टैक्स छूट बरकरार रखेगी। लोग गलतफहमी में हैं। क्योंकि बैंको ने एक्स्ट्रा चार्जेस लगाने की प्रक्रिया फिर से शुरू कर दी है। जिसका सीधा असर अब आपके डिजिटल बटवे पर हो रहा है। नोटबंदी के पचास दिन पुरे होने के बाद एटीएम से कैश निकालने पर ट्रांजैक्शन मुफ्त था उस वापस पांच ट्रांजेक्शन की पाबंदी लग चुकी है। इतना ही नहीं 2000 से कम डिजिटल भूगतान पर मिल रही रियायत की अवधि समाप्त हो गई है और बौंको ने मर्चेंट को इससे जुडे इंस्ट्रक्शन देना भी शुरू कर दिया है। दरअसल, नोटबंदी लागू थी तब भी रेलवे टिकट या हवाई टिकट में डिजिटल भुगतान पर 1.8 फीसदी के आसपास चार्जेस लग रहे थे। अब ई-वॉलेट कंपनिया भी वॉलेट से बैंक में पैसे ट्रांसफर करने पर फिर से फीस वसूलना करना शुरू कर सकती हैं। हम यह भी उम्मीद नहीं कर सकते कि कोई सपेरा या बाजीगर या सौदागर आम जनता से अपनी गलती की वजह से होने वाली तबाही के लिए माफी मांगेंगे। मीडिया में सोवियत संघ और उत्तर कोरिया के अनुभवों के अलावा हाल में हुए तमाम देशों में नोटबंदी के असर का खुलासा पहले ही हो गया है।मसलनः

घाना, वर्ष 1982...
विश्व के आधुनिक इतिहास में नोटबेदी का कदम सबसे पहले अफ्रीकी देश घाना में उठाया गया था, जब वर्ष 1982 में टैक्स चोरी व भ्रष्टाचार रोकने के उद्देश्य से वहां 50 सेडी के नोटों को बंद कर दिया गया था. इस कदम से घाना के नागरिकों को अपनी ही मुद्रा में विश्वास कम हो गया, और उन्होंने विदेशी मुद्रा और ज़मीन-जायदाद का रुख कर लिया, जिससे न सिर्फ देश के बैंकिग सिस्टम को भारी नुकसान पहुंचा, बल्कि विदेशी मुद्रा पर काला बाज़ारी बेतहाशा बढ़ गई... ग्रामीणों को मीलों चलकर नोट बदलवाने के लिए बैंक जाना पड़ता था, और डेडलाइन खत्म होने के बाद बहुत ज़्यादा नोट बेकार हो जाने की ख़बरें थीं...

नाइजीरिया, वर्ष 1984...
नाइजीरिया में वर्ष 1984 में मुहम्मदू बुहारी के नेतृत्व वाली सैन्य सरकार ने भ्रष्टाचार से लड़ने के उद्देश्य से बैंक नोटों को अलग रंग में जारी किया था, और पुराने नोटों को नए नोटों से बदलने के लिए सीमित समय दिया था... नाइजीरिया सरकार द्वारा उठाए गए कई कदमों में से एक यह कदम पूरी तरह नाकाम साबित हुआ था, और कर्ज़ में डूबी व महंगाई तले दबी अर्थव्यवस्था को कतई राहत नहीं मिल पाई थी, और अगले ही साल बुहारी को तख्तापलट के कारण सत्ता से बेदखल होना पड़ा था...

म्यांमार, वर्ष 1987...
नोटबंदी का भारत से मिलता-जुलता कदम वर्ष 1987 में पड़ोसी देश म्यांमार में भी उठाया गया था, जब वहां सत्तासीन सैन्य सरकार ने काला बाज़ार को काबू करने के उद्देश्य देश में प्रचलित 80 फीसदी मुद्रा को अमान्य घोषित कर दिया... इस कदम के प्रति गुस्सा काफी रहा, और छात्र इसके विरोध में सड़कों पर उतर आए तथा भारी विरोध प्रदर्शन किया... देशभर में प्रदर्शनों का दौर काफी लंबे अरसे तक जारी रहा, और आखिरकार अगले साल सरकार को हालात पर काबू पाने के लिए पुलिस और सैन्य कार्रवाई करनी पड़ी...

'90 के दशक की शुरुआत में, ज़ायरे...
बैंक नोटों में सुधार के नाम पर '90 के दशक की शुरुआत में कई कदम उठाने वाले ज़ायरे के तानाशाह मोबुतु सेसे सेको को उस दौरान भारी आर्थिक उठापटक का सामना करना पड़ा... वर्ष 1993 में अप्रचलित मुद्रा को सिस्टम से पूरी तरह वापस निकाल लेने की योजना के चलते महंगाई बेतहाशा बढ़ गई, और अमेरिकी डॉलर की तुलना में स्थानीय मुद्रा में भारी गिरावट दर्ज की गई... इसके बाद गृहयुद्ध हुआ, और वर्ष 1997 में मोबुतु सेसे सेको को सत्ता से बेदखल कर दिया गया..




(पलाश विश्वास)

गुरु गोविन्द सिंह : सभ्यता और संस्कृति के प्रतीकपुरुष

$
0
0
guru-govind-singh
भारत का सौभाग्य है कि यहां की रत्नगर्भा माटी में महापुरुषों को पैदा करने की शोहरत प्राप्त है। जिन्होंने अपने व्यक्तित्व और कर्तृत्व से न सिर्फ स्वयं को प्रतिष्ठित किया वरन् उनके अवतरण से समग्र विश्व मानवता धन्य हुई है। इसी संतपुरुषों, गुरुओं एवं महामनीषियों की शृृंखला में एक महापुरुष हैं गुरु गोविन्द सिंह। जिनकी दुनिया के महान् तपस्वी, महान् कवि, महान् योद्धा, महान् संत सिपाही साहिब आदि स्वरूपों में पहचान होती है। जिन्होंने कर्तृत्ववाद का संदेश देकर औरों के भरोसे जीने वालों को स्वयं महल की नींव खोद ऊंचाई देने की बात सिखाई। भाग्य की रेखाएं स्वयं निर्मित करने की जागृत प्रेरणा दी। स्वयं की अनन्त शक्तियों पर भरोसा और आस्था जागृत की। सभ्यता और संस्कृति के वे प्रतीकपुरुष है। जिन्होंने एक नया जीवन-दर्शन दिया, जीने की कला सिखलाई। जिनको बहुत ही श्रद्धा व प्यार से कलगीयां, सरबंस दानी, नीले वाला, बाला प्रीतम, दशमेश पिता आदि नामों से पुकारा जाता है।

निर्भीकता, साहस एवं तत्परता के गुणों से युक्त श्री गुरु गोविन्द सिंहजी का जन्म संवत् 1723 विक्रम की पौष सुदी सप्तमी अर्थात 22 दिसम्बर सन् 1666 में हुआ। उनके पिता गुरु तेगबहादुर उस समय अपनी पत्नी गुजरी तथा कुछ शिष्यों के साथ पूर्वी भारत की यात्रा पर थे। अपनी गर्भवती पत्नी और कुछ शिष्यों को पटना छोड़कर वे असम रवाना हो गये थे। वहीं उन्हें पुत्र प्राप्ति का शुभ समाचार मिला। बालक गोविन्द सिंह के जीवन के प्रारंभिक 6 वर्ष पटना में ही बीते। अपने पिता के बलिदान के समय गुरु गोविन्द सिंह की आयु मात्र 9 वर्ष की थी। इतने कम उम्र में गुरु पद पर आसीन होकर उन्होंने गुरु पद को अपने व्यक्तित्व व कृतित्व से और भी गौरवान्वित किया। शासक होकर भी उनकी नजर में सत्ता से ऊंचा समाज एवं मानवता का हित सर्वोपरि था। यूं लगता है वे जीवन-दर्शन के पुरोधा बन कर आए थे। उनका अथ से इति तक का पुरा सफर पुरुषार्थ एवं शौर्य की प्रेरणा है। वे सम्राट भी थे और संन्यासी भी। आज उनका सम्पूर्ण व्यक्तित्व और कर्तृत्व सिख इतिहास का एक अमिट आलेख बन चुका है। उन्हें हम तमस से ज्योति की ओर एक यात्रा एवं मानवता के अभ्युदय के सूर्योदय के रूप में देखते हैं। 

गुरु गोविन्द सिंह बचपन से ही बहुत पराक्रमी व प्रसन्नचित व्यक्तित्व के धनी थे। उन्हें सिपाहियों का खेल खेलना बहुत पसंद था। बालक गोविन्द बचपन में ही जितने बुद्धिमान थे उतने ही अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए किसी से भी लोहा लेने में पीछे नहीं हटते थे। वे एक कुशल संगठक थे। दूर-दूर तक फैले हुए सिख समुदाय को ‘हुक्मनामे’ भेजकर, उनसे धन और अस्त्र-शस्त्र का संग्रह उन्होंने किया था। एक छोटी-सी सेना एकत्र की और युद्ध नीति में उन्हें कुशल बनाया। उन्होंने सुदूर प्रदेशों से आये कवियों को अपने यहाँ आश्रय दिया। यद्यपि उन्हें बचपन में अपने पिता श्री गुरु तेगबहादुरजी से दूर ही रहना पड़ा था, तथापि तेगबहादुरजी ने उनकी शिक्षा का सुव्यवस्थित प्रबंध किया था। साहेबचंद खत्रीजी से उन्होंने संस्कृत एवं हिन्दी भाषा सीखी और काजी पीर मुहम्मदजी से उन्होंने फारसी भाषा की शिक्षा ली। कश्मीरी पंडित कृपारामजी ने उन्हें संस्कृत भाषा तथा गुरुमुखी लिपि में लेखन, इतिहास आदि विषयों के ज्ञान के साथ उन्हें तलवार, बंदूक तथा अन्य शस्त्र चलाने व घुड़सवारी की भी शिक्षा दी थी। श्री गोविन्द सिंहजी के हस्ताक्षर अत्यंत सुन्दर थे। वे चित्रकला में पारंगत थे। सिराद-एक प्रकार का तंतुवाद्य, मृदंग और छोटा तबला बजाने में वे अत्यंत कुशल थे। उनके काव्य में ध्वनि नाद और ताल का सुंदर संगम हुआ है। इस तरह गुरु गोविन्द सिंह कला, संगीत, संस्कृति एवं साहित्यप्रेमी थे। 

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ।।

जैसाकि खुद गुरु गोबिंद सिंह ने कहा था, कि जब-जब अत्याचार बढ़ता है, तब-तब भगवान मानव देह का धारण कर पीड़ितों व शोषितों के दुख हरने के लिए आते हैं। औरंगजेब के अत्याचार चरम सीमा पर थे। दिल्ली का शासक हिन्दू धर्म तथा संस्कृति को समाप्त कर देना चाहता था। हिन्दुओं पर जजिया कर लगाया गया साथ ही हिन्दुओं को शस्त्र धारण करने पर भी प्रतिबन्ध लगाया गया था। ऐसे समय में कश्मीर प्रांत से पाँच सौ ब्राह्मणों का एक जत्था गुरु तेगबहादुरजी के पास पहुँचा। पंडित कृपाराम इस दल के मुखिया थे। कश्मीर में हिन्दुओं पर जो अत्याचार हो रहे थे, उनसे मुक्ति पाने के लिए वे गुरुजी की सहानुभूति व मार्गदर्शन प्राप्ति के उद्देश्य से आये थे। गुरु तेगबहादुर उन दुःखीजनों की समस्या सुन चिंतित हुए। बालक गोविन्द ने सहज एवं साहस भाव से इस्लाम धर्म स्वीकार न करने की बात कही। बालक के इन निर्भीक व स्पष्ट वचनों को सुनकर गुरु तेगबहादुर का हृदय गद्गद् हो गया। उन्हें इस समस्या का समाधान मिल गया। उन्होंने कश्मीरी पंडितों से कहा-‘‘आप औरंगजेब को संदेश भिजवा दें कि यदि गुरु तेगबहादुर इस्लाम स्वीकार लेंगे, तो हम सभी इस्लाम स्वीकार कर लेंगे” और फिर दिल्ली में गुरुजी का अमर बलिदान हुआ जो हिन्दू धर्म की रक्षा के महान अध्याय के रूप में भारतीय इतिहास में अंकित हो गया। 

भारत में फैली दहशत, डर और जनता का हारा हुआ मनोबल देखकर गुरुजी ने कहा ‘‘मैं एक ऐसे पंथ का सृजन करूँगा जो सारे विश्व में विलक्षण होगा। जिससे मेरे शिष्य संसार के हजारों-लाखों लोगों में भी पहली नजर में ही पहचाने जा सकें। जैसे हिरनों के झुंड में शेर और बगुलों के झुंड में हंस। वह केवल बाहर से अलग न दिखे बल्कि आंतरिक रूप में भी ऊँचे और सच्चे विचारों वाला हो। इस उद्देश्य को ध्यान में रखकर गुरु गोविन्द सिंहजी ने सन् 1699 की बैसाखी वाले दिन जो दृश्य आनंदपुर साहिब की धरती पर दिखाया, उसका अंदाजा कोई भी नहीं लगा सकता था। अपने आदर्शों और सिद्धांतों को अंतिम और सम्पूर्ण स्वरूप देने के लिये गुरुजी ने एक बहुत बड़ा दीवान सजाया। सम्पूर्ण देश से हजारों लोग इकट्ठे हुये। चारों तरफ खुशी का वातावरण था। इसी दिन गुरुजी ने खालसा पंथ की स्थापना की और इस पंथ में “सिंह” उपनाम लगाने की परम्परा की शुरुआत की तथा इसके साथ ही एक नया नारा भी लगाया था- ‘वाहे गुरुजी का खालसा, वाहे गुरुजी की फतेह’। यह नारा आज सिख धर्म का प्रसिद्ध नारा बन गया हैं। जिसका प्रयोग सिख धर्म का पालन करने वाले व्यक्ति प्रत्येक कार्य को आरम्भ करने से पहले करते हैं। गुरुगोविन्द सिंह ने ‘खालसा’ को ‘गुरु’ का स्थान दिया और ‘गुरु’ को ‘खालसा’ का। गुरु ने उनके साथ बैठकर भोजन किया। उन पांचों को जो अधिकार उन्होंने दिये, उनसे अधिक कोई भी अधिकार अपने लिए नहीं रखे। जो प्रतिज्ञाएं उनसे कराईं, वे स्वयं भी की। इस प्रकार गुरुजी ने अपने पूर्व की नौ पीढ़ियों के सिख समुदाय को ‘खालसा’ में परिवर्तित किया। तभी से गुरु ग्रंथ साहिब को ही गुरु का अंतिम स्वरूप माना जाता है तथा उन्हें गुरु के रूप में पूजा जाता हैं। ईश्वर के प्रति निश्चल प्रेम ही सर्वोपरि है, अतः तीर्थ, दान, दया, तप और संयम का गुण जिसमें है, जिसके हृदय में पूर्ण ज्योति का प्रकाश है वह पवित्र व्यक्ति ही ‘खालसा’ है। ऊंच, नीच, जात-पात का भेद नष्ट कर, सबके प्रति उन्होंने समानता की दृष्टि लाने की घोषणा की। यह धर्म की वह आदर्श आचार-संहिता है, जिसमें सर्वोदय- सबका अभ्युदय, सबका विकास निहित है। यह मनुष्यता का मंत्र है, उन्नति का तंत्र है। सर्वकल्याणकारी एवं सर्वहितकारी ध्येय को सामने रखकर इसने धार्मिकता को एक नई पहचान दी है।
गुरु गोबिंद सिंहजी एक साहसी योद्धा के साथ-साथ एक अच्छे कवि भी थे। इन्होंने बेअंत वाणी के नाम से एक काव्य ग्रंथ की रचना की। इस ग्रंथ की रचना करने का गोविन्दजी का मुख्य उद्देश्य पंडितों, योगियों तथा संतों के मन को एकाग्र करना था। इनके पिता श्री गुरु तेग बहादुरजी ने तथा इन्हांेने मुगल शासकों के विरुद्ध काफी युद्ध लड़े थे। जिन युद्धों में इनके पिता जी शहीद हो गये थे। श्री तेगबहादुरजी के शहीद होने के बाद ही सन् 1699 में गुरु गोविन्द सिंहजी को दशवें गुरु का दर्जा दिया गया था। गुरु गोविन्द सिंहजी ने युद्ध लड़ने के लिए कुछ अनिवार्य ककार धारण करने की घोषणा भी की थी। सिख धर्म के ये पांच क-कार हंै- केश, कडा, कंघा, कच्छा और कटार। ये शौर्य, शुचिता तथा अन्याय के विरुद्ध संघर्ष के संकल्प के प्रतीक है। 
इस प्रकार गुरु गोविन्द सिंहजी का जीवन एक कर्मवीर की तरह था। भगवान श्रीकृष्ण की तरह उन्होंने भी समय को अच्छी तरह परखा और तदनुसार कार्य आरम्भ किया। उनकी प्रमुख शिक्षाओं में ब्रह्मचर्य, नशामुक्त जीवन, युद्ध-विद्या, सदा शस्त्र पास रखने और हिम्मत न हारने की शिक्षाएँ मुख्य हैं। उनकी इच्छा थी कि प्रत्येक भारतवासी सिंह की तरह एक प्रबल प्रतापी जाति में परिणत हो जाये और भारत का उद्धार करें। गुरुजी की सभी शिक्षाओं को यदि आज देश का प्रत्येक नागरिक अपने जीवन में उतार ले तो देश का कायाकल्प हो जाए तथा अनेक समस्याओं का समाधान स्वतः ही हो सकता है। इस वर्ष गुरु गोबिंद सिंहजी की 350वीं जयंती 5 जनवरी को मनायी जा रही है। बिहार सरकार ने इसके व्यापक प्रबन्ध किये हैं और देश-दुनिया के श्रद्धालुओं को आमंत्रित किया गया है। पटना के इतिहास में संभवतः यह पहला इतना बड़ा और विलक्षण धार्मिक अनुष्ठान होगा। गुरु गोविन्द सिंह जैसे महापुरुष इस धरती पर आये जिन्होंने सबको बदल देने का दंभ तो नहीं भरा पर अपने जीवन के साहस एवं शौर्य से डर एवं दहशत की जिन्दगी को विराम दिया। काश! आज हम ऐसे महापुरुषों के जीवन को अपने जीवन में जीवन्त बना पाते और जब अपने आपसे पूछते-‘अन्धेरे और आतंक की उम्र कितनी?’ तो शायद हमारा उत्तर होता-‘जागने में समय लगे उतनी।’ 

liveaaryaavart dot com

(ललित गर्ग)
ई-253, सरस्वती कंुज अपार्टमेंट
25 आई॰ पी॰ एक्सटेंशन, पटपड़गंज, दिल्ली-92
फोनः 22727486, 9811051133

विद्या बालन ने किया ‘कहानी 2’ का प्रमोशन

$
0
0
vidya-balan-promot-kahani-2
बॉलीवुड एक्ट्रेस विद्या बालन इन दिनों अपनी आगामी फिल्म ‘कहानी 2’ के प्रमोशन में बिजी है। इसी सिलसिले में विद्या बालन पिछले दिनों दिल्ली पहुंची और अपनी फिल्म से जुड़े तथ्यों के साथ अपनी बात मीडिया के साथ शेयर की। इस मौके पर विद्या के साथ ‘कहानी 2’ के डायरेक्टर सुजॉय घोष एवं फिल्म में उनके सह-अभिनेता अर्जुन रामपाल भी मौजूद रहे।  दरअसल, दूरदर्शन के हिट धारावाहिक ‘हम पांच’ से एक्टिंग करियर की शुरुआत करने वाली विद्या बालन के खाते में एक से बढ़कर एक बेहतरीन फिल्में- ‘परिणीता’, ‘दि डर्टी पिक्चर’, ‘भूल भुलैया’ हैं, जिनमें उनके अभिनय के कई रंग देखने को मिलते हैं। बहुत कुछ विद्या के अभिनय के इन्हीं रंगों से सजी फिल्म है ‘कहानी 2’। दरअसल, 2 दिसंबर को रिलीज होने जा रही ‘कहानी 2’ वर्ष 2012 में आई फिल्म ‘कहानी’ की सीक्वल है। चूंकि, सस्पेंस से भरी फिल्म ‘कहानी’ में विद्या के किरदार को लोगों ने काफी सराहा था और फिल्म भी हिट रही थी, सो अब इसका सीक्वल ‘कहानी 2’ भी उसी इतिहास को दोहराने के लिए तैयार है। इस फिल्म का प्रमोशन भी बड़े अलग अंदाज में किया जा रहा है। फिल्म के फस्र्ट लुक के रूप में शेयर की गई फोटो में विद्या की तस्वीर पर ‘वॉन्टेड’ लिखा हुआ था। उसके बाद इस फिल्म से संबंधित आए एक प्रमोशनल वीडियो में विद्या खुद को निर्दोष साबित करती नजर आईं। वीडियो में विद्या बोल रही हैं ‘मैंने किसी का खून या अपहरण नहीं किया है। यह कोई साजिश है, मुझे फंसाया जा रहा है।’ इस वीडियो को देखकर यह उम्मी जरूर बंधती है कि ‘कहानी’ का यह सीक्वल भी काफी दमदार होगा।

इस संबंध में अर्जुन रामपाल, जो पिछले दिनों म्यूजिकल फिल्म ‘राॅक आॅन 2’ में नजर आए थे, ने बताया कि चूंकि इस फिल्म की कहानी बेहद कसी हुई है और इसके साथ काबिल लोगों की टीम जुड़ी हुई है, इसलिए ‘कहानी 2’ की कामयाबी को लेकर हमें कोई संशय नहीं है। नोटबंदी के कारण ‘राॅक आॅन 2’ कुछ खास बिजनेस नहीं कर पाई थी, तो क्या ‘कहानी 2’ पर भी नोटबंदी का असर पड़ने की संभावना है? पूछने पर अर्जुन ने कहा, ‘नहीं, हमें ऐसा कुछ नहीं लगता। वैसे भी एक अच्छी कहानी पर बनी फिल्म को देखने के लिए लोगों में उत्सुकता होती ही है और वे अपना समय निकाल ही लेते हैं। हालांकि, पाना और खोना तो इस फील्ड में चलता ही रहता है, लेकिन आखिरकार रिजल्ट अचछा ही होगा।’ विद्या बालन, जो इस फिल्म में कई तरह के अवतारों में नजर आएंगी, ने बताया, ‘‘कहानी 2’ बेहतरीन फिल्म है, जिसका निर्देशन सुजॉय घोष ने किया है। यह एक मां की कहानी है, जो अपनी बेटी की तलाश में मारी-मारी फिर रही है। दूसरी ओर, इस मां पर बेटी को अगवा कर हत्या करने जैया आरोप भी है। इस फिल्म में मैं एक रेस्टलेस एवं थकी-हारी महिला का किरदार निभा रही हूं। अगर आप फिल्म के बारे में कुछ और जानना चाहते हैं, तो आपको थियेटर में जाकर फिल्म देखनी होगी।’ वहीं दूसरी ओर फिल्म के डायरेक्टर सुजॉय घोष ने फिल्म पर नोटबंदी के संभावित असर के बारे में कहा, ‘मुश्किलें तो जिंदगी का एक हिस्सा हैं, आती-जाती रहती हैं, लेकिन उन मुश्किलों से उबरा कैसे जाता है। हमें यह कोशिश करके आगे बढ़ते रहना चाहिए। मुझे नोटबंदी का बिल्कुल भी डर नहीं है, क्योंकि जिन्होंने फिल्म देखनी है, वह देखेंगे ही।

फिल्म ‘रईस’ और ‘काबिल’ में मुकाबला बाजी क्या मारेंगे शाहरूख खान

$
0
0
raees-shahrukh-khan
फिल्म ‘रईस’ और ‘काबिल’ में मुकाबला बाजी क्या मरंेेगे शाहरूख खान । इन दिनों बालीवुड में यह चर्चा जोरो पर है। समीक्षाकों का कहना है कि ऋतिक रोशन और शाहरूख खान में कोई मुकाबला नही है,और दोनों के अलग दर्शक है। इसलिए इसके बीच स्पर्धा जैसी कोई बात नही है। शाहरूख खान को रईस की रिलीज फिल्म ‘काबिल’ के साथ नहीं करनी चाहिए। ऐसा कहना है ‘काबिल के डायरेक्टर संजय गुप्ता का। शाहरूख खान के करियर में काफी ज्यादा उतार चढ़ाव चल रहे हैं और अब अगर फैन्स को किसी बात का इंतजार है तो वो है ‘रईस’ की रिलीज का। पहले फिल्म सलमान खान की ‘सुलतान’ के साथ रिलीज होने वाली थी लेकिन फिर शाहरूख ने ये क्लैश बचा लिया। लेकिन बड़ी मछली के हाथों मरने से अच्छा शाहरूख ने छोटी मछली का शिकार करना बेहतर समझा। बस इसीलिए शाहरूख ने नई तारीख का एलान किया जो कि ऋतिक रोशन की काबिल से क्लैश होती है। बस तब से ये बात रोशन परिवार को खटक गई। खासतौर से इसलिए क्योंकि रईस के प्रोड्यूसर फरहान अख्तर जहां ऋतिक के दोस्त हैं तो वहीं शाहरूख, राकेश रोशन के काफी करीबी माने जाते हैं। शाहरूख की सबसे महंगी फिल्म को ब्लॉकबस्टर सीक्वल से क्लैश!, 

kabil-hritik-roshan
अब काबिल के डायरेक्टर संजय गुप्ता ने दो टूक कहा है कि ‘रईस को काबिल के साथ रिलीज करने का फैसला लेकर शाहरूख खान दोनों फिल्मों का नुकसान कर रहे हैं।’ हालांकि शाहरूख से भिड़ कर ऋतिक रोशन भी नुकसान कर रहे हैं। क्यों जानिए यहां। संजय गुप्ता का कहना है कि ‘अभी तक कोई भी फिल्म 300 करोड़ से ज्यादा नहीं कमा पाई है। यानि कि एक फिल्म की कमाने की क्षमता फिलहाल इतनी ही नहीं। ऐसे में दोनों फिल्में क्लैश होने की स्थिति में केवल 150 करोड़ कमा पाएंगी। संजय गुप्ता का कहना है कि ‘शाहरूख खान का मुकाबला ऋतिक रोशन नहीं सलमान - आमिर होने चाहिए। और ऐसे में उनका टार्गेट 300 करोड़ होना चाहिए और इतना कलेक्शन किसी भी क्लैश के साथ संभव नहीं है। ऐसे में शाहरूख अपना ही नुकसान कर रहे हैं।’ गौरतलब है कि ऋतिक रोशन भी शाहरूख खान के खिलाफ दो टूक बात कर चुके हैं। वहीं राकेश रोशन ने भी साफ कहा कि वो अपनी फिल्म की रिलीज डेट नहीं हटाएंगे। 

जानिए कब कब बॉलीवुड में दो सुपरस्टार्स खुलकर सामने आए हैं -
ऋतिक रोशन -शाहरूख खान ऋतिक रोशन ने एक इंटरव्यू में कहा, ‘मैं दूसरों की नैतिकता पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकता लेकिन मैं हमेशा अपने बनाए उसे उसूल और नियमों पर ही चलता हूं ,और उम्मीद करता हूं कि दूसरे भी उसी पर चलें।’

 करण जौहर - अजय देवगन हाल ही में अजय देवगन ने साबित किया कि करण जौहर ने केआरके को ऐ दिल है मुश्किल प्रमोट करने के लिए 25 लाख रूपये दिए और उन्होंने दो टूक कहा भी कि अगर करण जौहर इसमें शामिल हैं तो इसकी जांच हो।  

सलमान खान -संजय दत्त आईफा समारोह के दौरान एक रात सलमान खान संजय दत्त के कमरे में पहुंचे और उन्हें बताने लगे कि संजय अपना करियर वापस ट्रैक पर कैसे लाएं बस फिर क्या तमाशा तो होना ही था! 
  
अजय देवगन - शाहरूख खान अजय देवगन ने शाहरूख खान की जब तक है जान के खिलाफ तब हल्ला बोल कर दिया जब उनकी फिल्म सन ऑफ सरदार को केवल सिंगल स्क्रीन मिले जबकि सारे मल्टीप्लेक्स यश चोपड़ा की फिल्म के साथ हो लिए।

सनी देओल - शाहरूख खान सनी देओल का शाहरूख खान से यूं तो कोई बैर नहीं लेकिन उनकी मानें तो डर फिल्म के दौरान पूरी स्क्रिप्ट ऐसी बदल दी गई कि उन्हें साइड हीरो बना दिया गया और उन्हें पता भी नहीं चला। आमिर खान - शाहरूख खान शाहरूख मेरे पैर चाट रहा है, आमिर खान का ये ब्लॉग कोई कैसे भूल सकता है। उनकी ये हरकत इतनी बचकानी थी कि कोई कुछ रिएक्ट ही नहीं कर पाया था।

नोटबंदी की परेशानियों के आलोक में काॅग्रेस का एकदिवसीय धरना, राष्ट्रपति को भेजा चारसूत्री मांगपत्र

$
0
0
congress-dharna-dumka-demonetization
दुमका (अमरेन्द्र सुमन ),केन्द्र सरकार द्वारा मनमाने तरीके से नोटबंदी के विरुद्ध दिन गुरुवार को वीर कुँवर सिंह चैक पर जिला काॅग्रेस कमिटी के तत्वावधान में एक दिवसीय धरना का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर उपायुक्त, दुमका के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति को चार सूत्री माँगपत्र भेजा गया। जिलाध्यक्ष श्यामल किशोर सिंह की अगुवाई में आयोजित धरना कार्यक्रम में अरबी खातुन, मनोज अम्बष्ट, महेश राम चन्द्रवंशी, संजीत कुमार सिंह, सागेन मुर्मू, राजा मराण्डी, स्टीफन मराण्डी, मो0 महबूब आलम, भगवान दास मुर्मू, पुष्पा हिम्मतसिंहका, प्रेम कुमार साह व अन्य लोग मौजूद थे। उपायुक्त, दुमका के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति को प्रेषित चार सूत्री मांग पत्र में केन्द्र सरकार द्वारा नोटबंदी के परिणामस्वरुप अब तक पकड़ में आए कालेधन व कितने लोगों पर कार्रवाई की जा रही है इसे सार्वजनिक करने, नोटबंदी की वजह से आम आदमी के खाते में पैसे रहने के बावजूद मात्र 24 हजार रुपये की निकासी से हो रही परेशानियों से निजात दिलाने तथा निजी व चालू खाते से पैसे की निकासी की सीमा को खत्म कर लघु-कुटीर उद्योगों पर पड़ रहे प्रभाव से मुक्ति दिलाने, नोटबंदी की सीमा खत्म होने के बाद केन्द्र द्वारा जारी आदेश के अनुसार एटीएम से 2 हजार रुपये की सीमा को बढ़ाकर साढ़े चार हजार रुपये कर दिया गया है किन्तु पाँच सौ रुपये की अनुपलब्धता की वजह से बैंक ग्राहकों को मात्र चार हजार रुपये ही प्राप्त हो पा रहे हैं। पूर्व की तरह ही एटीएम की सुविधा बरकरार रखी जाए ताकि अधिक से अधिक रुपये की निकासी की जा सके। नोटबंदी की परेशानियों से हलाक हुए लोगों को अविलंब मुआवजा की राशि उनके परिजनों को प्राप्त हो इसके लिये त्वरित कार्रवाई की जाए साथ ही साथ आरबीआई बोर्ड द्वारा नोटबंदी के आलोक मे लिये गए निर्णयों से भी आम जनता को अवगत कराया जाए। उपरोक्त के अलावे सूबे की रघुवर सरकार द्वारा किये जा रहे मनमानेपन पर भी काॅग्रेसियों ने अपनी भड़ास निकाली। 

बाहरी-भीतरी के सवाल पर जनता को बांटने का काम कर रहे हैं बाबूलाल मराण्डी-प्रवीण प्रभाकर

$
0
0
babulal-marandi-devide-people-bjp
राँची-दुमका/अमरेन्द्र सुमन , भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रवीण प्रभाकर ने कहा है कि रघुवर दास के रुप में राज्य को एक मजदूर मुख्यमंत्री प्राप्त हुआ है, यह झाविमों अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को पच नहीं रहा है। बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री बनने पर झारखंड को बेपटरी कर दिया था, जिसका परिणाम राज्य आज तक भुगत रहा है। दिन गुरुवार ( 05.01.2017 ) को श्री प्रभाकर ने कहा झारखण्ड विधानसभा चुनाव में दो-दो सीटों पर जनता द्वारा खारिज किए जाने के बाद बाबूलाल मरांडी फिर से राज्य में बाहरी-भीतरी की बात कर जनता को बांटने की साजिश करने में जुटे हुए हैं। श्री प्रभाकर ने कहा कि मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मात्र दो वर्षों में आदिवासी-मूलवासी के हित में कई व्यापक निर्णय लिये और राज्य के विकास की गाड़ी को पटरी पर ला खड़ा किया है। राज्य के विकास को बाधित करने वाले जितने भी मुद्दे थे, उन सभी मुद्दों पर मुख्यमंत्री रघुवर दास ने अल्प समय में निर्णय लेकर सबों का मुंह बंद कर दिया है। राज्य में स्थानीयता को पहली बार परिभाषित किया गया, जिससे राज्य के लाखो युवाओं के लिए सरकारी नोकरियों का रास्ता खुल गया। सीएनटी-एसपीटी एक्ट के सरलीकरण से मूलवासी-आदिवासी जनता को अपनी भूमि पर मालिकाना हक बरकरार रखते हुए स्वरोजगार करने का अधिकार मिल गया। श्री प्रभाकर ने कहा कि बाबूलाल मरांडी बताएं कि मुख्यमंत्री रहते उन्होंने आदिवासी-मूलवासी जनता के हितों के लिए कोई कदम क्यों नहीं उठाया। वह चिंतन-मंथन करें कि उन्हें जनता ने दो-दो सीटों पर खारिज क्यों कर दिया। बाबूलाल मरांडी अब सिर्फ अखबारी नेता बनकर रह गए हैं। वह राज्य के विकास के लिए सकारात्मक चिंतन छोड़ विकास विरोधी विचारधारा पर चल पड़े हैं, इसे जनता अच्छी तरह समझ रही है। 

100 कृषि विज्ञान केन्द्रों में किसानों का होगा कौशल विकास :राधामोहन

$
0
0
farmers-skill-develoment-will-be-held-in-100-agriculture-science-centers-radha-mohan
नयी दिल्ली 05 जनवरी, कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने आज कहा कि कृषि क्षेत्र में किसानों को नयी तकनीक की जानकारी देने तथा उनकी आय में वृद्धि के लिए कौशल विकास कार्यक्रम के तहत 100 कृषि विज्ञान केन्द्रों में प्रशिक्षण जल्द शुरू किया जायेगा। श्री सिंह ने यहां ‘कौशल विकास से कृषि विकास ’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला का उदघाटन करते हुये कहा कि कौशल विकास कार्यक्रम के तहत वर्ष 2016..17 में तीन करोड 52 लाख रूपये आवंटित किये गये हैं । बाद में अन्य कृषि विज्ञान केन्द्रों में भी यह कार्यक्रम शुरू किया जायेगा । उन्होंने कहा कि कोल्ड चेन , सप्लाई चेन , डेयरी , पोल्ट्री , मांस प्रसंस्करण , मत्स्य पालन , बागवानी , कृषि मशीनीकरण , और सूक्ष्म सिंचाई योजनाओं में हुनरमंद नौजवानों के लिए रोजगार के अवसर पैदा हुये हैं । इन क्षेत्रों में स्वरोजगार के अवसर बढे हैं तथा जिसमें कुशल युवाओं की मांग बढी है।उन्होंने कहा कि कुल आबादी के लगभग 50 प्रतिशत लोगों की आजीविका कृषि पर आधारित है और यदि इन्हें समुचित प्रशिक्षण दिया जाये तो वे काफी आगे बढ सकते हैं । कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार का मानना है कि कृषि को निजी उद्यम के रूप में विकसित करने तथा नौजवानों को इससे जोड़ने की जरूरत है । इस संबंध में कृषि मंत्रालय चार स्तरों पर काम कर रहा है जिनमें उत्पादकता वृद्धि , फसल उपरांत प्रबंधन एवं किसानों के उत्पादों का उचित मूल्य , कृषि जोखिम को कम करने तथा बागवानी , पशुपालन , मधुमक्खी पालन से अतिरिक्त आय अर्जित करना शामिल है ।

जयललिता की मौत की जांच की याचिका खारिज

$
0
0
jaylilta-death-investigation-application-dismiss
नयी दिल्ली 05 जनवरी, उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता की मौत की जांच केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की मांग वाली चायिका आज खारिज कर दी। न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष और न्यायमूर्ति रोहिंटन एफ नारिमन की खंडपीठ ने अखिल भारतीय अन्ना द्रविड मुनेत्र कषगम(अन्नाद्रमुक) की सांसद शशिकला पुष्पा की याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि इसमें कोई दम नहीं है। खंडपीठ ने कहा “हम इस चायिका को खारिज करते हैं।” सुश्री पुष्पा की ओर से उपस्थित अधिवक्ता ने शीर्ष न्यायालय से कहा “ जयललिता बिलकुल स्वस्थ थीं। हमें अचानक मालूम चला की वह इस दुनिया में नहीं है। अत: न्यायालय से अनुरोध है कि वह सुश्री जयललिता की मौत की जांच सीबीआई से कराये जाने का आदेश दे।

उत्तर प्रदेश विस के लिये बसपा ने जारी की 100 प्रत्याशियों की सूची

$
0
0
100-candidate-announce-by-bsp
लखनऊ 05 जनवरी, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने उत्तर प्रदेश राज्य विधानसभा की 403 सीटाें में से आगामी 11 फरवरी से शुरु होने वाले चुनाव के लिए अपने 100 उम्मीदवारों के नाम की सूची का एलान कर दिया है। पार्टी की यहां जारी उम्मीदवारों के नाम की पहली सूची में सहारनपुर जिले के बेहट विधानसभा क्षेत्र से मोहम्मद इकबाल, नकुड़ से नवीन, सहारनपुर नगर से मुकेश दीक्षित, सहारनपुर ग्रामीण (सामान्य-सु) से जगपाल सिंह, देवबन्द से माजिद अली, रामपुर से मनिहारन (सु) रवीन्द्र कुमार मोल्हू, गंगोह से महिपाल सिंह, शामली जिले के कैराना सीट से दिवाकर देशवाल, थाना भवन से अब्दुलराव वारिस, शामली क्षेत्र से मोहम्मद इस्लाम को प्रत्याशी घोषित किया है। मुजफ्फरनगर जिले के बुढाना सीट से श्रीमती सैय्यदा बेगम, चरथावल से नूर सलीम राणा, पुरकाजी (सु) से अनिल कुमार, मुजफ्फरनगर शहर से राकेश कुमार शर्मा, खतौली से शिवान सिंह सैनी, मीरापुर से नवाजिस आलम खान को मेरठ जिले के सिवालखास विधानसभा सीट से नदीम अहमद, सरधना से हाफिज मोहम्मद इमरान, हस्तिनापुर (सु) योगेश वर्मा , किठौर से गजराज सिंह ,मेरठ कैन्ट से सतेन्द्र सोलंकी, मेरठ शहर से पंकज जौली, मेरठ दक्षिण से हाजी मोहम्मद याकूब को उम्मीदवार बनाया है।

विराट तीनों फार्मेट में बन जायेंगे कप्तान

$
0
0
virat-will-became-captain-in-trio-format
मुंबई ,05 जनवरी, महेन्द्र सिंह धोनी के वनडे और ट्वंटी-20 टीमों की कप्तानी छोड़ने के चौंकाने वाले फैसले के बाद अब यह साफ हो गया है कि टेस्ट कप्तान विराट कोहली खेल के तीनों फार्मेट में टीम इंडिया की कप्तानी संभालेंगे। राष्ट्रीय चयनकर्ता शुक्रवार को इंग्लैंड के खिलाफ तीन वनडे तथा तीन मैचों की ट्वंटी-20 अंतर्राष्ट्रीय सीरीज के लिए जब टीम का चयन करेंगे तो धुरंधर बल्लेबाज विराट कोहली को वनडे तथा ट्वंटी-20 टीमों का कप्तान बनाना तय है। विराट ने पिछले साल टेस्ट मैचों में भारतीय टीम को नंबर वन बनाने के साथ साथ नयी बुलंदियों पर भी पहुंचा दिया। विराट हालांकि 17 वनडे मैचों में भारत की कप्तानी कर चुके हैं लेकिन यह कप्तानी उन्होंने ऐसे समय की थी जब चयनकर्ताओं ने धोनी को विश्राम दिया था। विराट पहली बार ट्वंटी-20 टीम की कप्तानी भी संभालेंगे। ट्वंटी-20 में धोनी के अलावा वीरेन्द्र सहवाग ने एक मैच में , सुरेश रैना ने तीन मैचों में और अजिंक्या रहाणे ने दो मैचों में ट्वंटी-20 टीम की कप्तानी की है। धोनी के अचानक कप्तानी छोड़ने के फैसले के बाद विराट को तीनों प्रारूपों की जिम्मेदारी सौंपा जाना निश्चित है। चयनकर्ताओं को विराट को कप्तान बनाने के बारे में ज्यादा सोचना नहीं होगा लेकिन उन्हें खिलाड़ियों की चोटों के कारण टीम चयन में जरूर माथापच्ची करनी पड़ेगी।

नोटबंदी से वित्तीय सुदृढ़ीकरण पर सकारात्मक असर : जेटली

$
0
0
demonetisation-will-positively-on-fiscal-consolidation-jaitley
नयी दिल्ली 05 जनवरी, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि पाँच सौ रुपये तथा एक हजार रुपये के पुराने नोटों को प्रतिबंधित किये जाने से दीर्घकाल में सकल घरेलू उत्पाद तथा वित्तीय सुदृढ़ीकरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। श्री जेटली ने यहाँ वित्तीय स्थिरता एवं विकास परिषद् (एफएसडीसी) की 16वीं बैठक को संबोधित करते हुये कहा कि ऐसे समय में जब वैश्विक अर्थव्यवस्था काफी भंगुर है अपनी वृहद आर्थिक बुनियाद में सुधार के दम पर भारतीय अर्थव्यवस्था काफी बेहतर प्रदर्शन कर रही है। उन्होंने कहा कि समानांतर अर्थव्यवस्था तथा कर चोरी को समाप्त करने के उपायों का दीर्घावधि में जीडीपी और वित्तीय सुदृढ़ीकरण पर सकारात्मक असर होगा। मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यम् ने बैठक के दौरान देश की वर्तमान आर्थिक स्थिति पर एक प्रस्तुतीकरण पेश किया। परिषद् ने अर्थव्यवस्था के समक्ष मौजूदा चुनौतियों की समीक्षा की तथा इस राय पर पहुँची की आज भारत पहले से कहीं ज्यादा समर्थ दिख रहा है। इस दौरान नियामकों ने अगले वित्त वर्ष के बजट के लिए भी अपने सुझाव रखे जिस पर विचार-विमर्श किया गया। परिषद् ने बैंकों की गैर-निष्पादित परिसंपत्ति की स्थिति तथा जोखिम में फँसी परिसंपत्ति से निपटने के लिए सरकार और रिजर्व बैंक द्वारा किये गये उपायों का जायजा लिया तथा इस संबंध आगे की कार्रवाई के बारे में चर्चा की। उसने फिनटेक, डिजिटल नवाचार तथा साइबर सुरक्षा के मसलों पर भी मंथन किया। बैठक में आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल, वित्त सचिव अशोक लवासा, वित्तीय मामले विभाग के सचिव शक्तिकांता दास, राजस्व सचिव हसमुख अधिया, वित्तीय सेवा विभाग की सचिव अंजुलि चिब दुग्गल तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे।

गुरु गोविंद सिंह जी के आदर्शो एवं सिद्धांत आज भी प्रसांगिक : मोदी

$
0
0
pm-says-prakash-parva-will-spread-message-of-unity-social-harmony-respect-for-all-religions
पटना 05 जनवरी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने श्री गुरु गोविंद सिंह जी महाराज के आदर्शों एवं सिद्धांतों को आज भी प्रसांगिक बताया और कहा कि प्रकाश पर्व विश्व में एकता , अखंडता , भाईचारा , सामाजिक समरसता और सर्वधर्म सद्भाव का संदेश देगा । श्री मोदी ने यहां के ऐतिहासिक गांधी मैदान में श्री गुरु गोविंद सिंह जी के 350 वें प्रकाशोत्सव के लिए बने टेंट सिटी के दरबार हॉल में मत्था टेकने के बाद देश-विदेश से आये श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि दशमेश गुरु गोविंद सिंह जी की धरती पर आकर वह अपने को भाग्यशाली मानते हैं । उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में जहां कही भी भारतीय , विशेषकर सिख समुदाय रहते हैं वहां केन्द्र सरकार ने भारतीय दूतावासों के माध्यय से प्रकाश पर्व मनाने की योजना बनायी है । प्रधानमंत्री ने कहा कि यह व्यवस्था केन्द्र ने इसलिए की है कि विश्व को इस बात का एहसास हो कि गुरु गोविंद सिंह जी महाराज साढ़े तीन सौ वर्ष पहले मानवता को कितनी बड़ी प्रेरणा दी थी । इस दिशा में केन्द्र सरकार ने भरपूर प्रयास किया है । उन्होंने कहा कि प्रकाश पर्व विश्व में एकता , अखंडता , भाईचारा , सामाजिक समरता और सर्वधर्म सद्भाव का संदेश देगा ।

अखिलेश पर शीला के बयान से सपा-कांग्रेस गठबंधन की अटकलें तेज

$
0
0
sp-congress-coalition-speculation-on-rise-after-sheila-s-statment-on-akhilesh
नयी दिल्ली 05 जनवरी, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार शीला दीक्षित के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पक्ष में खुलकर सामने आने के बाद कांग्रेस और समाजवादी पार्टी(सपा) के बीच चुनावी गठबंधन के अासार बढ़ गये हैं । दिल्ली की तीन बार मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित ने कल यह बयान देकर सियासी हलचल तेज कर दी कि उत्तर प्रदेश में यदि सपा के साथ कांग्रेस का गठबंधन हो जाता है तो वह श्री अखिलेश यादव के लिए मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवारी छोड़ने को तैयार हैं। हालांकि उन्होंने इस बारे में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी या पार्टी के किसी अन्य वरिष्ठ नेता से इस सम्बन्ध में बातचीत होने से इन्कार किया । इससे पहले श्री अखिलेश यादव पिछले माह यह बयान दे चुके हैं कि यदि सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन हो जाता है तो उसे विधानसभा की 403 सीटों में से 300 से अधिक सीटों पर जीत हासिल होगी । श्री अखिलेश यादव के इस बयान के बाद सियासी गलियारों में सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन को लेकर बातचीत की चर्चा आम हो गयी थी लेकिन हाल में सपा में वर्चस्व को लेकर राजनीतिक घमासान शुरू हो गया। सपा नेता श्री मुलायम सिंह यादव और बेटे श्री अखिलेश यादव के अलग-अलग गुट बन गये और दोनों के बीच समझौते के आसार कम नजर आ रहे हैं । इस टकराव में श्री अखिलेश यादव का पलड़ा भारी लग रहा है। सपा में बदलते समीकरण के बीच श्रीमती दीक्षित के इस बयान से अखिलेश खेमे की ओर कांग्रेस के झुकाव साफ हो गया है । श्रीमती दीक्षित के इस बयान से पहले दोनों ही दलों ने अकेले चुनाव मैदान में उतरने की बात कही थी । श्री मुलायम सिंह यादव कह चुके हैं कि वह कांग्रेस के साथ समझौता नहीं करेंगे और कांग्रेस के उत्तर प्रदेश के प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने भी अकेले चुनाव लड़ने की बात कही थी । इसके बाद कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के इस बयान के बाद कि गठबंधन रणनीतिक कवायद है और इसका खुलासा सार्वजनिक मंच से नहीं किया जा सकता , दोनों दलों के बीच गठबंधन की संभावना एक बार फिर बलवती हो गयी थी। कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने भी कहा था कि सपा में एक बार शांति और स्थिरता आ जाने के बाद ही कोई बातचीत होगी । उत्तर प्रदेश में 11 फरवरी से आठ मार्च तक सात चरणों में विधानसभा चुनाव की कल घोषणा हो चुकी है । अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सपा में ऊंट किस करवट बैठता है और उसके बाद कांग्रेस का क्या रुख होता है ।

‘साइकिल’ पर दावा ठोकने के लिये दोनो गुटों ने कसी कमर

$
0
0
both-factions-of-sp-files-claim-for-cycle-symbol
लखनऊ, 05 जनवरी, समाजवादी पार्टी (सपा) संस्थापक मुलायम सिंह यादव और उनके पुत्र एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बीच सुलह समझौते की लगभग खत्म होती संभावना के मद्देनजर चुनाव चिन्ह ‘साइकिल’ पर अपना अपना दावा मजबूत करने के लिये दोनो खेमे पूरी शिद्दत से जुट गये हैं। समाजवादी पार्टी (सपा) और उसके चुनाव निशान साइकिल के दावे पर दलील सुनने के लिये निर्वाचन आयोग ने दोनो पक्षों को नौ जनवरी को पर्याप्त सबूत के साथ पेश होने को कहा है। मुलायम सिंह यादव अपने अनुज शिवपाल सिंह यादव के साथ एक बार फिर दिल्ली कूच कर गये हैं जबकि श्री अखिलेश यादव पार्टी विधायकों से मुलाकात कर चुनाव आयोग के सामने पेश किये जाने वाले हलफनामे पर उनके हस्ताक्षर ले रहे हैं। कानपुर के आर्यनगर विधानसभा क्षेत्र से सपा विधायक इरफान सोलंकी ने बैठक से बाहर निकलने के बाद ‘यूनीवार्ता’ को बताया “ मुख्यमंत्री ने विधायकों से अपने अपने क्षेत्र में जाकर चुनाव प्रचार में जुट जाने को कहा हैे। हमने एक कागज पर हस्ताक्षर किये हैं जिसमें खुद का पूरा ब्योरा दर्ज किया है। ”

आयोग का फरमान, नौ जनवरी तक सबूत पेश करें दोनो पक्ष

$
0
0
ec-asks-sp-factions-to-submit-evidence-for-claim-over-party-symbol-by-jan-9
लखनऊ 05 जनवरी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनके पिता मुलायम सिंह यादव के खेमों के बीच चल रही तनातनी के बीच चुनाव आयोग द्वारा दोनों खेमों को समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह ‘साइकिल’ पर अपने अपने दावे को लेकर 09 जनवरी तक साक्ष्य उपलब्ध कराने के निर्देश के साथ यह विवाद और गहराता नजर आ रहा है। हालांकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) समेत कुछ अन्य सियासी दलों का यह मानना है कि पिता-पुत्र के बीच चल रही यह घमासान एक ‘फिक्स्ड मैच’ है ताकि राज्य विधानसभा के चुनाव में अखिलेश को सहानुभूति का लाभ मिल सके और बुजुर्ग से युवा पीढी कोे पार्टी की कमान सहजता के साथ हस्तांतरित की जा सके लेकिन अब यह विवाद निर्वाचन आयोग पहुंच चुका है जो नौ जनवरी के बाद अपना फैसला सुनायेगा। सपा में चल रही घमासान की वजह से पार्टी का चुनाव प्रचार अभियान प्रभावित हो रहा है तथा नेता एवं उम्मीदवार अपने अपने क्षेत्रों में जाने के बजाए लखनऊ में बने हुए हैं।
Viewing all 74285 articles
Browse latest View live




Latest Images