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बजट पेश न करने की मांग को लेकर विपक्ष चुनाव आयोग पहुंचा

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नयी दिल्ली 05 जनवरी, उत्तरप्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव तिथियों की घोषणा के बाद 2017-18 के आम बजट पेश न करने की मांग को लेकर कांग्रेस समेत विपक्ष ने अपनी मुहिम तेज कर दी है। कांग्रेस, द्रमुक, जनता दल-यू, राष्ट्रीय लोकदल और तृणमूल कांग्रेस के नेता अपनी इस मांग को लेकर आज चुनाव आयोग के द्वार पहुंचे। विपक्ष की मांग है कि बजट पांच विधानसभा चुनावों के सम्पन्न हो जाने के बाद पेश किया जाये। नरेन्द्र मोदी सरकार में सहयोगी शिव सेना ने भी विपक्ष की इस मांग में सुर से सुर मिलाया है। चुनाव आयोग ने पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव कराने के लिए कल तारीखों की घोषणा की थी। पांच राज्यों की 690 विधानसभा सीटों पर मतदान चार फरवरी से लेकर आठ मार्च के बीच होंगे। ग्यारह मार्च को परिणाम घोषित किये जायेंगे। श्री मोदी की सरकार ने फरवरी के आखिर में बजट पेश करने परम्परा को खत्म करते हुए एक फरवरी को इसे प्रस्तुत करने के लिए संसद का सत्र 31 जनवरी से 9 जनवरी तक आहूत किया है। राज्यसभा में विपक्ष के नेता और प्रतिनिधिमंडल की अगुआई कर रहे कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने चुनाव आयोग के समक्ष अपना पक्ष रखने के बाद मीडिया से बातचीत में कहा “हमने चुनाव आयोग से मांग की है कि एक फरवरी को बजट पेश करने पर रोक लगाई जाये। सरकार यदि 31 जनवरी से संसद का सत्र बुलाती है तो इस पर हमें कोई आपत्ति नहीं है किंतु आठ मार्च को मतदान हो जाने के बाद ही आम बजट पेश किया जाये जिससे कि सरकार को मतदाताओं को लुभाने के लिए कोई लोकलुभावन घोषणा करने का अवसर नहीं मिले।” प्रतिनिधिमंडल में श्री आजाद के अलावा कांग्रेस के आनंद शर्मा, अहमद पटेल, समाजवादी पार्टी के नरेश अग्रवाल, जनता जद यूनाइटेड के के सी त्यागी ,तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय, डेरेक ओब्रायन आदि शामिल थे। श्री आजाद ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल की बातों को आयोग ने ध्यानपूर्वक सुना और विचारकरने का आश्वासन दिया है। उनका कहना है कि आयोग अगर विपक्ष की बजट टालने की मांग स्वीकार नहीं करता है तो चुनाव निष्पक्ष नहीं होंगे। श्री आजाद ने मुख्य चुनाव आयुक्त को लिखे एक पत्र में कल कहा था कि मतदान से पहले बजट पेश किये जाने को लेकर विपक्षी दल सामूहिक रूप से चिंतित हैं और उनका मानना है कि सरकार वोटरों को रिझाने के लिए लोकप्रिय घोषणाएं कर सकती है। ऐसा होने पर सत्तारूढ़ दल को अनावश्यक लाभ मिलेगा और स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनाव भी नहीं हो सकेगा। मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने कल तिथियों की घोषणा करने के समय इस संबंध में पूछे गये सवाल पर कहा था कि वह विपक्ष से मिले अभ्यावेदनों की जांच करेगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कल राज्य के वित्तमंत्रियों की बजट पूर्व बैठक बुलाई थी। इस बैठक में पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने अपनी बात रखने के बाद बायकाट कर दिया था। श्री जेटली ने सरकार के बजट एक फरवरी को पेश करने के सवाल पर कहा है कि राजनीतिक दलों का यह दावा कि नोटबंदी केन्द्र का एक अलोकप्रिय निर्णय था तो उन्हें अब बजट पेश करने से भय क्यों लग रहा है। वामदल भी चुनाव से पहले बजट पेश करने को लेकर सहमत नहीं हैं। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि एक फरवरी को बजट पेश करना ठीक नहीं होगा। उनका तर्क है कि एक फरवरी को बजट पेश करने पर केवल दो तिमाही के ही सकल घरेलू उत्पाद के आंकडों को शामिल किया जा सकेगा। फेसबुक पोस्ट में श्री येचुरी ने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी और चुनाव आयोग से आग्रह किया है कि मतदान से पहले बजट पेश करने की अनुमति नहीं दी जाये।

सचिन ने सराही धोनी की कप्तानी

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नयी दिल्ली,05 जनवरी, अचानक वनडे और ट्वंटी 20 क्रिकेट टीम की कप्तानी छोड़ने का फैसला कर सभी को चौंकाने वाले महेंद्र सिंह धोनी की सफल कप्तानी और उनके सफल करियर को मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर से लेकर दुनिया के दिग्गज फुटबाल क्लब मैंचेस्टर यूनाइटेड तक ने सलाम किया है। धोनी ने इंग्लैंड के खिलाफ 16 जनवरी से शुरू हो रही सीमित ओवर सीरीज से पहले बुधवार रात अचानक भारत की वनडे आैर ट्वंटी 20 टीम की कप्तानी छोड़ने की घोषणा कर दी थी। भारत के सबसे सफल कप्तानों में गिने जाने वाले धोनी की प्रशंसा करते हुये खेल जगत से लेकर विभिन्न क्षेत्रों की हस्तियों ने उन्हें अब तक के शानदार नेतृत्व के लिये बधाई दी है। दिग्गज बल्लेबाज सचिन ने धोनी की कप्तानी की तारीफ करते हुये उनके निर्णय का भी सम्मान किया है। सचिन ने ट्विटर पर कहा“ यह दिन धोनी की सफल कप्तानी के जश्न और उनके निर्णय का सम्मान करने का है।”सचिन भी धोनी की कप्तानी में भारतीय टीम का हिस्सा रह चुके हैं। पूर्व टेस्ट क्रिकेटर मोहम्मद कैफ, कमेंटेटर हर्षा भोगले, बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष अनुराग ठाकुर, धोनी पर हाल ही में आयी फिल्म में उनका किरदार निभा चुके अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के अलावा धोनी के पसंदीदा फुटबाल क्लब मैंचेस्टर यूनाइटेड ने भी धोनी की प्रशंसा की है। 

मास्टर ब्लास्टर ने साथ ही कहा“ मैं एमएसडी को उनके शानदार कप्तानी करियर और भारत को ट्वंटी 20 तथा वनडे विश्वकप विजेता बनवाने के लिये बधाई देता हूं। हमने उन्हें एक आक्रामक खिलाड़ी से शांत और निर्णात्मक कप्तान बनते देखा। यह समय अब उनकी सफलताओं का जश्न मनाने का है। मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं और उम्मीद करता हूं कि वह आगे भी इसी तरह मैदान पर अपने प्रदर्शन से लोगों का मनोरंजन करते रहेंगे।” बीसीसीआई से हाल ही में बर्खास्त किये गये पूर्व अध्यक्ष ठाकुर ने भी सोशल नेटवर्किंग साइट पर धोनी के लिये अपना संदेश दिया। उन्होंने कहा“मैं धोनी को उनके बेहतरीन करियर के लिये बधाई देता हूं। उन्होंने अपनी कप्तानी में टीम को ट्वंटी 20 और वनडे विश्वकप तक पहुंचाया।” पूर्व क्रिकेटर कृष्णमचारी श्रीकांत ने कहा“ यह एक सच्चे नेता की पहचान होती है कि उसे पता होता है कि अपनी गद्दी को कब दूसरे को सौंपना है। आपने जो मनोरंजन किया उसके लिये कप्तान धन्यवाद।” कमेंटेटर हर्षा ने कहा“यह समय एक बेहतरीन कप्तान के लिये खड़े होकर उनकी प्रशंसा करने का है। वह निश्चित ही भारतीय टीम के सच्चे लीडर रहे।” 

धोनी की बायोपिक में उनका किरदार निभाने वाले सुशांत ने लिखा“ आपके जैसा कोई नहीं है, अाप लाखों लोगों के मुस्कुराने की वजह हैं। मेरी ओर से आपको प्रणाम।” वहीं धोनी की पत्नी साक्षी ने भी ट्विटर पर संदेश दिया और कहा“ ऐसा कोई पहाड़ नहीं है जिसे आप लांघ नहीं सकते हैं। मुझे आप पर गर्व है।” फुटबाल के बड़े प्रशंसक और इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) में टीम के मालिक धोनी के पसंदीदा अंतरराष्ट्रीय फुटबाल क्लब मैंचेस्टर यूनाइटेड ने भी भारतीय क्रिकेटर की प्रशंसा करते हुये उन्हें सराहा है। क्लब ने अपने संदेश में लिखा“ आपको भारतीय कप्तान के रूप में सफल करियर के लिये बधाई।” 35 वर्षीय धोनी ने सीमित ओवरों की कप्तानी तो छोड़ दी लेकिन वह दोनों फार्मेट में विकेटकीपर बल्लेबाज के रूप में अभी खेलते रहेंगे। धोनी ने 283 वनडे में 9110 रन बनाये हैं और विकेट के पीछे 359 शिकार किये हैं। उन्होंने 73 ट्वंटी-20 मैचों में 1112 रन बनाये हैं और विकेट के पीछे 63 शिकार किये हैं। भारत के सबसे सफल कप्तान धोनी ने अपनी कप्तानी में भारत को 2011 में 28 साल के अंतराल के बाद विश्व कप जिताया था। भारत ने धोनी की कप्तानी में 2007 में पहला ट्वंटी-20 विश्व कप भी जीता था। कप्तान के रूप में धोनी अब वनडे में 199 पर नाटआउट रह जायेंगे। 

बीसीसीआई सारे पदाधिकारी गंवाने के खतरे में

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नयी दिल्ली ,05 जनवरी, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय शिर्के को उच्चतम न्यायालय द्वारा बर्खास्त किये जाने के बाद क्रिकेट बोर्ड के सामने अब अपने सभी पदाधिकारी गंवाने का खतरा मंडराने लगा है। यदि उच्चतम न्यायालय के दो जनवरी के आदेश में संशोधन की लोढा समिति की व्याख्या सही पायी जाती है तो बीसीसीआई के सामने खतरा कहीं ज्यादा बड़ा है। इसका परिणाम यह हो सकता है कि बीसीसीआई के सभी मौजूदा पदाधिकारियों और राज्य संघों में अधिकतर सीनियर प्रशासकों को हटना पड़ सकता है। उच्चतम न्यायालय ने दो जनवरी के अपने आदेश में पदाधिकारियों की योग्यता के संबंध में एक उपनियम में मंगलवार को संशोधन किया है। पहले के आदेश में कहा गया था कि कोई व्यक्ति पदाधिकारी बनने से तब अयोग्य हो सकता है यदि वह कुल नौ वर्षों की अवधि के लिये बीसीसीआई का पदाधिकारी रहा हो लेकिन अदालत ने मंगलवार को इसमें संशोधन किया कि कोई व्यक्ति पदाधिकारी बनने से तब अयोग्य हो सकता है यदि वह बीसीसीआई या राज्य संघ में कुल नौ वर्षों की अवधि के लिये पदाधिकारी रहा हो। इस संशोधन में लोढा समिति की व्याख्या के अनुसार यदि कोई व्यक्ति बीसीसीआई या राज्य स्तर पर अथवा दोनों को मिलाकर कुल नौ वर्षों के लिये पदाधिकारी रहा हो तो वह तत्काल प्रभाव से बीसीसीआई या राज्य स्तर का पदाधिकारी नहीं बन सकता है। समझा जाता है कि लोढा समिति ने इस मामले में बीसीसीआई के वकील सहित अन्य वकीलों से विचार विमर्श करने के बाद यह व्याख्या निकाली है। 

पहले के आदेश को देखा जाये तो कोई व्यक्ति बीसीसीआई या उसके राज्य संघों में कुल 18 साल गुजार सकता था लेकिन इस स्थिति पर चर्चा हुयी और 18 साल की इस अवधि को सीधे घटाकर कुल नौ वर्ष कर दिया चाहे वह बीसीसीआई या राज्य स्तर पर हो या दोनों मिलाकर हो। नयी व्याख्या का अर्थ है कि मौजूदा प्रशासकों में बंगाल क्रिकेट संघ के अध्यक्ष सौरभ गांगुली और हैदराबाद क्रिकेट संघ के अध्यक्ष अरशद अयूब ही अपने पदों पर बने रह सकते हैं जबकि अधिकतर पदाधिकारी राज्य स्तर पर नौ साल से ज्यादा गुजार चुके हैं। इसका यह भी मतलब है कि बीसीसीआई का कोई अंतरिम अध्यक्ष नहीं हो सकता है जैसा पहले अदालत ने ठाकुर को हटाने के बाद निर्देश दिया था। अदालत ने पहले कहा था कि बीसीसीआई के वरिष्ठ उपाध्यक्ष बोर्ड का अध्यक्ष पद संभाल सकते हैं। मौजूदा पदाधिकारियों में एक उपाध्यक्ष एमएल नेहरू 78 वर्ष के हैं और लोढा समिति की 70 साल की आयु सीमा से ज्यादा हैं जबकि चार अन्य सीके खन्ना, जीके गंगराजू ,टीसी मैथ्यू और गौतम राय सभी अपने राज्य संघों में नौ साल से ज्यादा समय से पदाघिकारी हैं। इस व्याख्या के अनुसार इनमें से कोई अब किसी भी स्तर पर पदाधिकारी नहीं रह सकता है1 पदाधिकारी के लिये योग्य होने को लेकर अस्पष्टता के कारण बीसीसीआई ने बुधवार को अपनी वेबसाइट से सभी पदाधिकारियों के नाम हटा दिये हैं। सोमवार को अदालत ने कहा था कि वरिष्ठ उपाध्यक्ष और संयुक्त सचिव क्रमश: अंतरिम अध्यक्ष और सचिव का पद संभाल सकते हैं लेकिन नये आदेश के बाद असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गयी है कि कौन पदाधिकारी बने रह सकते हैं। बीसीसीआई के पदाधिकारी राज्य और बोर्ड स्तर पर कुल नौ साल की अवधि को लेकर उलझन में पड़े हुये हैं। फिलहाल बीसीसीआई के सीईओ राहुल जौहरी उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार बोर्ड का 19 जनवरी तक नेतृत्व करेंगे जब तक प्रशासकों का पैनल नियुक्त नहीं हो जाता। जौहरी ने ही कल एक बयान जारी कर बताया था कि शुक्रवार को मुंबई में चयन समिति की बैठक होगी जो इंग्लैंड के खिलाफ सीमित ओवरों की सीरीज के लिये भारतीय टीमों का चयन करेगी। जौहरी ने इससे पहले इस बैठक को बुलाने से पहले लोढा समिति से भी विचार विमर्श किया था और समिति ने उनसे खुद यह बैठक बुलाने को कहा था। 

अमित शाह को जीसीए का अध्यक्ष पद छोडने की जरूरत नहीं : नाथवाणी

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अहमदाबाद, 05 जनवरी, लोढा समिति की रिपोर्ट को उच्चतम न्यायालय से मान्यता मिलने के बाद गुजरात क्रिकेट एशोसिएशन (जीसीए) के अध्यक्ष तथा भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के पद छोडने की अटकलों के बीच जीसीए के उपाध्यक्ष सह राज्यसभा सांसद परिमल नाथवाणी ने गुरुवार को कहा कि इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी। नाथवाणी ने यहां एक गुजराती समाचार चैनल से बातचीत में कहा कि उन्हें नहीं लगता कि श्री शाह, जिन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उनके स्थान पर जीसीए का अध्यक्ष पद संभाला था, को लोढा समिति के प्रतिबंधों के कारण पद छोड़ना पड़ेगा। मुझे भी ऐसा करने की जरूरत नहीं क्योंकि हम दोनों न तो 70 साल से अधिक उम्र के हैं न ही हममें से कोई भी नौ साल से अधिक समय तक जीसीए में पद पर रहा है। इसके अलावा न तो श्री शाह मंत्री अथवा किसी सरकारी पद पर हैं न ही मैं। वह गुजरात के विधायक हैं और मैं राज्यसभा सांसद। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि सभी क्रिकेट संघों को उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का सम्मान करना ही पड़ेगा। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों की गलती का खामियाजा पूरे क्रिकेट को भुगतना पड़ रहा है। क्रिकेट देश की धड़कन की तरह है। अब अदालत के फैसले से चीजें ठीक होंगी। जो इसे नहीं मानेगा उसे सजा भी भुगतनी पड़ेगी। अदालत के निर्णय के मद्देजनर कल संघ की एक बैठक भी होगी। 

श्योपुर में किसान को मिले दो हजार के नोटों से गांधीजी का चित्र गायब

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श्योपुर, 05 जनवरी, मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में एक किसान को एक बैंक से मिले दो हजार के नए नोटों में से कई पर से गांधी जी का चित्र गायब होने का मामला सामने आया है। किसान ने इन नोटों को नकली समझ कर इन्हें वापस करने की कोशिश की, लेकिन बैंक प्रबंधन ने इनके असली होने का दावा किया। इसके बाद दोनों पक्षों के बीच खासी बहस के बाद बैंक ने नोट वापस लिए। बताया जा रहा है कि नोट की छपाई के दौरान किसी गलती के कारण नोट ऐसे छप गए हैं। मिली जानकारी के मुताबिक बड़ौदा तहसील की भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) शाखा से बत्तीसा क्षेत्र के दो किसानों गुरप्रीत सिंह सरदार और लक्ष्मण मीणा ने कल आठ-आठ हजार रुपए निकलवाए थे। किसानों ने जब घर जाकर नोट देखे तो इन पर से गांधीजी का चित्र गायब निकला। नोटों पर ये गलती देखने के बाद दोनों किसान इन्हें नकली समझ कर लौटाने पहुंचे, लेकिन बैंक प्रबंधन ने शुरूआत में इन्हें अपने यहां के नोट मानने से ही इंकार कर दिया। किसानों के मुताबिक काफी बहसबाजी के बाद बैंक ने नोट बदल कर दिए। पूरे मामले पर बैंक के अधिकारी कुछ भी कहने से बच रहे हैं। इसी बीच आधिकारिक सूत्रों ने इन नोटों के असली होने का दावा करते हुए बताया कि नोटों के छपने के समय हुई गलती के कारण चित्र गायब होना माना जा सकता है। बताया जा रहा है कि ये नोट मध्यप्रदेश के देवास स्थित बैंक नोट प्रेस से छप कर आए थे, लेकिन देवास बैंक नोट प्रेस से संपर्क किए जाने पर उन्होंने दो हजार के नोटों के अपने यहां छपने से इंकार कर दिया। 

उत्तर प्रदेश में उम्मीदवारों के चयन को लेकर कांग्रेस में मंथन शुरू

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लखनऊ, 05 जनवरी, उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन के कयासों के बीच कांग्रेस ने आज राज्य विधानसभा चुनाव के लिये प्रत्याशियों के चयन को लेकर बैठक की। आखिरी लम्हे तक गठबंधन के सभी विकल्प खुले रखकर कांग्रेस की 36 सदस्यों वाली कमेटी ने सूबे की सभी 403 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम पर मंथन किया। पार्टी के प्रदेश मुख्यालय पर आज सुबह बैठक की शुरूआत हुयी। बैठकों का यह दौर शनिवार तक जारी रहेगा। इसके बाद समिति अपनी अनुशंसा को पार्टी हाईकमान के पास भेजेगी जो प्रत्याशियों के नामों पर अंतिम मुहर लगायेगा। कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष और समिति के अध्यक्ष राजबब्बर ने पत्रकारों को बताया कि बैठक तीन दिनों तक चलेगी। बैठक में हर विधानसभा क्षेत्र में संभावित प्रत्याशियों को बारीकी से जांचा परखा जायेगा और उचित प्रत्याशी का नाम हाईकमान को प्रेषित किया जायेगा। प्रक्रिया के अनुसार कमेटी हर सीट के लिये दो से तीन प्रत्याशी का चयन करेगी हालांकि मौजूदा विधायकों के लिये यह लागू नहीं होगा। अगर मौजूदा विधायक ने पार्टी से किनारा कर लिया है तब उस दशा में अन्य सीटों की तरह प्रक्रिया का पालन किया जायेगा। कमेटी के उपाध्यक्ष निर्मल खत्री, मुख्यमंत्री प्रत्याशी शीला दीक्षित और पूर्व मंत्री जितिन प्रसाद समेत कांग्रेस के कई कद्दावर नेताओं ने बैठक में शिरकत की। हालांकि पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री प्रकाश जायसवाल, सलमान खुर्शीद और आरपीएन सिंह बैठक से नदारद रहे। 

बसपा ने पश्चिमी उप्र विस की 100 सीटों में से 36 पर उतारे मुस्लिम प्रत्याशी

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लखनऊ 05 जनवरी, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने सरकार बनाने के लिये अपनी दावेदारी को मजबूत करने के लिये राज्य विधानसभा चुनाव के लिये पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 100 सीटों में से 36 मुस्लिम प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारने का एलान किया है । इन सीटों पर पहले और दूसरे चरण के लिये 11 तथा 15 फरवरी को चुनाव होने वाले है । बसपा अध्यक्ष मायावती ने आज यहां राज्य विधानसभा की 403 सीटों में से 20 जिलों की 100 सीटों के लिये अपने प्रत्याशियों की घोषणा की है। प्रत्याशियों की दूसरी सूची कल जारी करने का एलान किया है। पार्टी की अन्य दल से कोई समझौता नही करेगी और अकेले चुनाव लडेगी । पार्टी ने 100 सीटों के लिये 36 मुस्लिम, 17 दलित, 13 ब्राह्मण तथा तीन महिला प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा है। पार्टी ने कांग्रेस से बसपा में शामिल हुए विधायक नवाब काजिम अली खां और दिलनवाज खां को रामपुर जिले के स्वार और बुलंदशहर के सयाना क्षेत्र से टिकट दिया गया है जबकि तृणमूल कांग्रेस से बसपा शामिल हुए श्याम सुन्दर शर्मा को मथुरा जिले के मांट सीट से प्रत्याशी बनाया गया है। . 

बसपा के वरिष्ठ नेता रामवीर उपाध्याय को हाथरस जिले के शाहबाद सीट से दोबारा प्रत्याशी बनाया है जबकि उसके छोट भाई मुकुल उपाध्याय को पार्टी ने बुलंदशहर के शिकारपुर सीट से टिकट दिया है। पिछले सप्ताह सुश्री मायावती ने 403 सीटों पर प्रत्याशियों के चयन किये जाने की घोषणा की है । इसमें से 113 सीटों पर अगडी जातियों को टिकट दिया गया है जिसमें 66 सीटों पर ब्राह्मण प्रत्याशी है तथा 36 प्रत्याशी ठाकुर 11 अन्य शामिल है। बसपा ने 403 विधानसभा सीटों में से 106 सीटों पर टिकट पिछडी जाति के प्रत्याशियों को टिकट दिया है जबकि 97 मुस्लिम, 87 दलितों को टिकट दिया है जिसमें 85 आरक्षित तथा दो सामान्य सीटो पर टिकट दिये है । 

प्रधानमंत्री के पटना आगमन से पहले फर्जी आईपीएस गिरफ्तार

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पटना 05 जनवरी, बिहार की राजधानी पटना में प्रकाश पर्व को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आगमन से पहले पुलिस ने भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के एक फर्जी अधिकारी को गिरफ्तार किया है। पुलिस सूत्रों ने आज यहां बताया कि फर्जी आइपीएस अधिकारी पुलिस की वर्दी में राजधानी पटना के सचिवालय चौराहा के निकट खड़ा था और काफी आत्मविश्वास के साथ प्रधानमंत्री की सुरक्षा में लगे जवानों को निर्देश दे रहा था। फर्जी अधिकारी प्रधानमंत्री की सुरक्षा में लगे अधिकारियों को ही सिर्फ निर्देश दे रहा था। हालांकि अधिकारी के हाव भाव पर शक होते ही पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। सूत्रों ने बताया कि फर्जी अधिकारी की पहचान मयंक मृणाल के रूप में की गयी है जो राजधानी पटना के ही रहने वाला है। गिरफ्तार युवक को सचिवालय थाना में रखा गया है जहां उससे पूछताछ की जा रही है। 

प्रधानमंत्री ने शराबबंदी के लिये नीतीश की प्रशंसा की

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पटना 05 जनवरी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिहार में शराबबंदी लागू करने के लिये आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रशंसा करते हुए समाज में परिर्वतन के लिये इसे एक बड़ा कदम बताया । श्री मोदी ने श्री गुरू गोविंद सिंह जी के 350 वें प्रकाशोत्सव के अवसर पर यहां आयोजित मुख्य समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि श्री कुमार ने नशा मुक्ति का अभियान चलाकर समाज परिर्वतन का बीड़ा उठाया है जो एक चुनौती भरा कार्य है । उन्होंने कहा कि श्री कुमार के इस अभियान में सभी दलों को समर्थन देना चाहिए । प्रधानमंत्री ने कहा कि शराबबंदी और नशा मुक्ति सिर्फ श्री कुमार का ही नहीं बल्कि यह जन -जन का कार्य है । इतना बड़ा कार्य अकेले कोई नेता या राजनीतिक दल का नहीं है और यह काम सभी का है । उन्होंने कहा कि यदि प्रदेश के लोग इसमें साथ देंगे तभी बिहार आगे बढ़ेगा और देश को भी आगे ले जाने में यह राज्य बहुत बड़ा योगदान दे पायेगा । वहीं मुख्यमंत्री श्री कुमार ने अपने संबोधन में श्री मोदी के मुख्यमंत्री के कार्यकाल में गुजरात में कड़ाई से शराबबंदी लागू करते रहने की प्रशंसा की । राजनीतिक गलियारों में यह माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने श्री कुमार के नोटबंदी की प्रशंसा से उत्साहित होकर बिहार में शराबबंदी लागू किये जाने के निर्णय की सराहना की है ।

लालू को मंच पर स्थान नहीं दिये से रघुवंश नाराज , कहा -जनता में गया गलत संदेश

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पटना 05 जनवरी, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) उपाध्यक्ष डा. रघुवंश प्रसाद सिंह ने प्रकाशोत्सव कार्यक्रम में पार्टी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को मंच पर स्थान नहीं दिये जाने पर नाराजगी जताते हुए कहा कि इससे जनता में गलत संदेश गया है। श्री सिंह ने आज यहां कहा , “ मंच पर राजद अध्यक्ष को स्थान नहीं दिये जाने से जनता में गलत संदेश गया है। लोगों ने इसे पसंद नहीं किया। इस व्यवस्था को देखना मुख्यमंत्री का काम था। राजद अध्यक्ष के साथ इस व्यवहार पर बाहर से आए अतिथियों ने भी आश्चर्य प्रकट किया है। ” उल्लेखनीय है कि गुरु गोविंद सिंह के 350वें प्रकाश पर्व के मौके पर ऐतिहासिक गांधी मैदान में आयोजित समारोह में बतौर मुख्य अतिथि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार , केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और रामविलास पासवान मौजूद थे। वहीं मंच पर स्थान नहीं दिये जाने से कार्यक्रम में राजद सुप्रीमों को अपने बेटों तेजस्वी यादव (उप मुख्यंमत्री, बिहार) और तेज प्रताप यादव ( स्वास्थ्य मंत्री , बिहार) के साथ मंच के सामने जमीन पर बैठना पड़ा।

प्रधानमंत्री ने नीतीश सरकार के कामों को सराहा- लालू

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पटना 05 जनवरी, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एक-दूसरे की सराहना को लेकर निकाले जा रहे राजनीतिक मायने को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने वृहत आयोजन के लिए सरकार की सराहना की है जिसका नेतृत्व श्री कुमार कर रहे हैं। प्रकाशोत्सव के मुख्य समरोह स्थल गांधी मैदान में विशाल लंगर में शामिल होने के बाद वापस लौट रहे श्री यादव से पत्रकारों ने प्रधानमंत्री द्वारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तारीफ किये जाने को लेकर सीधा सवाल किया। उन्होंने कहा , “ नीतीश कुमार सरकार के मुखिया हैं। महागठबंधन के मुख्‍यमंत्री हैं। प्रधानमंत्री आयोजन के लिए पूरे सरकार की सराहना की है। क्‍या प्रधानमंत्री अलग-अगल व्‍यक्ति का नाम लेकर संबोधन करेंगे। ” भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नजदीकी बढ़ने की संभावना से जुड़े सवाल पर राजद सुप्रीमों ने अपने चिर परिचित अंदाज में कहा , “ छानिएगा जलेबी और निकलेगा पकौड़ी।” उल्लेखनीय है कि सिखों के दसमेश गुरु गोविंद सिंह की 350वीं जयंती पर आयोजित प्रकाश पर्व में शिरकत करने आये प्रधानमंत्री ने नीतीश कुमार के शराबबंदी पर किये गये प्रयासों की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि समाज परिवर्तन का काम बहुत कठिन होता है, उसे हाथ लगाने का काम भी बहुत साहसपूर्ण होता है, लेकिन नीतीश कुमार ने यह काम किया है। आने वाली पीढ़ी को बचाने के लिए साहसपू्र्ण फैसला लिया है। इससे पहले मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में श्री मोदी द्वारा शराबबंदी के लिए किये गये प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि वे करीब 12 साल तक गुजरात के मुख्यंत्री रहे और मजबूती से शराबबंदी को उन्होंने लागू रखा।

बिहार गौरवगान के साथ प्रकाशोत्सव का सांस्कृतिक कार्यक्रम संपन्न

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पटना 05 जनवरी, सिखों के दसवें गुरू श्री गुरू गोविंद सिंह जी महाराज के जन्‍मदिवस पर 350वें प्रकाशोत्‍सव में कला, संस्‍कृति एवं युवा विभाग की ओर से राजधानी पटना के विभिन्न स्थानों पर चल रहे विभिन्न सांस्‍कृतिक कार्यक्रम आज शाम बिहार गौरवगान के संपन्न हो गये। प्रेमचंद रंगशाला में आयोजित समापन समारोह को संबोधित करते हुए राज्य के कला, संस्‍कृति एवं युवा विभाग के मंत्री शिवचंद्र राम ने इस सफल आयोजन के लिए सभी का आभार जताते हुए कहा कि बिहारवासियों के लिए प्रकाश पर्व का आयोजन गौरवपूर्ण है। बिहार की पावन धरती देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं की सेवा कर धन्‍य हो गयी। इस पूरे उत्‍सव के जरिए दुनिया भर में गुरू गोविंद सिंह जी महाराज के संदेश को फैलाने का सौभाग्‍य बिहार को मिला। समारोह को संस्‍कृति निदेशक सत्‍यप्रकाश मिश्रा, बिहार ललित कला अकादमी के अध्‍यक्ष आलोक धन्‍वा , कला एवं संस्कृति विभाग के प्रधान सचिव चैतन्‍य प्रसाद, अपर सचिव आनंद कुमार समेत अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे। 

लखनऊ में एक लाख 79500 के जाली नोट बरामद, दो महिलाओं समेत तीन गिरफ्तार

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लखनऊ 06 जनवरी, उत्तर प्रदेश की लखनऊ पुलिस ने विकासनगर इलाके से जाली नोटों का धंधा करने वाले गिरोह की दो महिलाओं समेत तीन लोगों को गिरफ्तार कर उनके पास से एक लाख 79500 रुपये के जाली नोट बरामद किए हैं। पुलिस सूत्रों ने आज यहां बताया कि कल रात विकासनगर इलाके में अपराध शाखा ने सूचना के आधार पर मामा लाइन चौराहे के पास पटरी पर झोला लिए खडे मोहम्मद खालिद नामक व्यक्ति को पकडा। तलाशी लेने पर उसके थैले से 2000 हजार रुपये के 26 जाली नोट और 500 रुपये के 255 नोट यानि एक लाख 79500 रुपये बरामद किए गये। उसकी निशानदेही पर अलीगंज सेक्टर 32 में एक मकान पर छापा मारा गया जहां से बडी संख्या में अर्धबने नोट और उनके छापने के लिए प्रिन्टर, दो लैपटॉप आदि बरामद किए गये । 


मौके से रितु त्रिपाठी और विनीता पाण्डेय को महिला पुलिस ने पकड लिया । गोमती नगर की रहने वाली दोनों महिलाएं जाली नोट वितरण करने में काम करती थी । पुलिस इन लोगों के अन्य साथियों के बारे में पता लगा रही है । जाली नोटों का धंधा करने वाले गिरोह को पकडने पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मंजिल सैनी ने पुलिस दल को इनाम देने की घोषणा की है । उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले अलीगंज इलाके में एक आभूषण कारोबारी के यहां हुई लूट की जांच पडताल कर रही थी तभी सूचना मिली कि मेंहदी टोला निवासी मो0 खालिद जाली नोटों का धंधा करता है तभी पुलिस की अपराध शाखा और सर्विलांस टीम हरकत में आई और इन लोगों को कल रात गिरफ्तार किया ।

भाजपा कार्यसमिति में कालेधन, भ्रष्टाचार पर सरकार के प्रयासों पर होगी चर्चा

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नयी दिल्ली 06 जनवरी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राष्ट्रीय कार्यसमिति का दो दिवसीय अधिवेशन आज सुबह दस बजे से यहां शुरू हो रहा है जिसमें काले धन एवं भ्रष्टाचार पर मोदी सरकार के ढाई साल के प्रयासों पर आधारित एक प्रस्ताव पारित किया जायेगा। पार्टी सूत्रों के अनुसार राष्ट्रीय कार्यकारिणी में दो प्रस्ताव पेश किये जायेंगे। राजनीतिक प्रस्ताव के साथ आर्थिक प्रस्ताव भी आयेगा। सुबह राष्ट्रीय पदाधिकारियों, प्रदेश अध्यक्षों, प्रदेश संगठन महामंत्रियों और प्रदेश प्रभारियों की बैठक हाेगी जिसमें दोनों प्रस्तावों के मसौदों को विचार-विमर्श के उपरांत अंतिम रूप दिया जायेगा । 

पार्टी के राष्ट्रीय सचिव एवं मीडिया विभाग के प्रमुख श्रीकांत शर्मा के अनुसार शाम चार बजे भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के संबोधन के साथ राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक शुरू होगी। इस बैठक में भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल होंगे। बैठक में राज्यों संबंधी विषयों पर भी चर्चा की जायेगी। उन्हाेंने बताया कि शनिवार को अपराह्न चार बजे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संबोधन के साथ कार्यसमिति की बैठक का समापन होगा। पार्टी सूत्रों के मुताबिक बैठक में लाये जाने वाले दो प्रस्तावाें में से एक काले धन और भ्रष्टाचार पर होगा। इस प्रस्ताव में सरकार द्वारा ढाई साल के कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिये उठाये गये कदमों का ब्योरा होगा। 

विशेष : नोटबंदी से गरीबों की परेशानियां बढ़ी हैं!

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  • सारे रद्द नोट वापस,विकास दर में तीन प्रतिशत गिरावट 
  • हमारी नाकेबंदी,अब महामहिम राष्ट्रपति पर भी रोक लागाइये जो खुलेआम मंदी का ऐलान कर रहे हैं!
  • आधार निराधार गाय भैंसों की सरकार,मनुष्यों की क्या दरकार?


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सिखों के दसवें गुरु, हम सबके गुरु गोविंद की 350वीं जयंती  के मौके पर प्रणाम। इस पर्व पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 8 नवंबर 2016 को लागू किए गए नोटबंदी के फैसले और इससे अर्थव्‍यवस्‍था पर पड़ने वाले असर को लेकर अब राष्‍ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने भी आशंका जाहिर की है।राष्ट्रपति ने दो टुक शबदों मे कहा है कि नोटबंदी की मार से गरीबों का हाल बेहाल है।महामहिम ने कहा है, 'नोटबंदी से जहां कालेधन और भष्ट्राचार के खिलाफ कार्रवाई हो रही है, वहीं इससे अर्थव्यवस्था में अस्थायी रूप से कुछ नरमी आ सकती है। गरीबों की तकलीफों को दूर करने के मामले में हमें ज्यादा सजग रहना होगा, कहीं ऐसा न हो कि दीर्घकालिक प्रगति की उम्मीद में उनकी यह तकलीफ बर्दास्त से बाहर हो जाए।'हम शुरु से ,पहले दिन से नोटबंदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ताजपोशी की युगल बंदी के तहत ग्लोबल हिंदुतव के त्रिशुल हिंदू राष्ट्र भारत,कु क्लाक्स क्लैन का रंगभेदी अमेरिका और मुसलमानों के खिलाफ जिहादी इजराइल की तरफ से ग्लाोबल हिंदुत्व का यह वैश्विक विध्वंस कार्यक्रम मान रहे हैं। जैसे कि कभी गोर्बाचेव ने अमेरिकी योजना के तहत सोवियत संघ की अर्तव्यवस्था को तहस नहस करने के लिए नोटबंदी कर दी थी और नतीजतन सोवियत संघ हजार टुकड़ो में निबट गया था।नोटबंदी का यह कार्यक्रम भारत के बहुजनों के नस्ली सफाया का कार्यक्रम है,हमने लगातार लिखा है। बंगाल की भुखमरी की तस्वीर पेश करते हुए हम लगातार कह रहे हैं कि इस नोटबंदी से व्यापक पैमाने में बेरोजगारी होने वाली है और करोड़ों लोगों का रोजगार आजीविका अर्थव्वस्था और उत्पादन प्रणाली के साथ खत्म है।आगे मंदी और भुखमरी है।प्रिंट में हमें कहीं नहीं हैं,सोशल मीडिया पर हमारी नाकेबंदी है।

हमारी नाकेबंदी,अब महामहिम राष्ट्रपति पर भी रोक लगाइये जो खुलेआम मंदी का ऐलान कर रहे हैं।गौरतलब है कि नोटबंदी को लेकर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पहली बार कोई बयान दिया है।महामहिम राष्ट्रपति का कहना है कि नोटबंदी की वजह से गरीबों की परेशानियां बढ़ी हैं। गौरतलब है कि महामहिम राष्ट्रपति ने देश भर के राज्यपालों और उपराज्यपालों को संबोधित करते हुए नोटबंदी का जिक्र किया। राष्ट्रपति ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये दिए गए अपने संदेश में कहा कि नोटबंदी से निश्चित ही गरीबों की परेशानियां बढ़ी हैं।  गौरतलब है कि महामहिम राष्ट्रपति ने कहा कि नोटबंदी से कालाधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में ताकत मिलेगी, लेकिन इससे फिलहाल अर्थव्यवस्था की रफ्तार पर भी प्रभाव पड़ेगा। इससे अस्थायी आर्थि‍क मंदी संभव है। इसी बीच ग्‍लोबल फाइनेंशियल सर्विस एचएसबीसी ने कहा कि नोटबंदी की वजह से जीडीपी ग्रोथ में भारी कमी आने का अनुमान है। उसके मुताबिक अक्‍टूबर से दिसंबर के बीच ग्रोथ रेट 5 फीसदी रहेगी। एचएसबीसी ने कहा है कि आने वाले क्‍वार्टर (जनवरी-मार्च) में भी जीडीपी ग्रोथ पर नोटबंदी का असर बना रह सकता है और ग्रोथ पूर्व के 8 फीसदी के अनुमान से घटकर 6 फीसदी तक गिर सकती है। जनवरी-मार्च के बीच 6 फीसदी ग्रोथ का अनुमान,जो आगे और गिरने के आसार हो सकते हैं। एचएसबीसी की तरफ से जारी रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि नोटबंदी का असर मैन्‍युफैक्‍चरिंग, इन्‍वेस्‍टमेंट और सर्विस सेक्‍टर पर सबसे ज्‍यादा पड़ा है। 

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विकास दर में तीन फीसद गिरावट का मतलब है अर्थव्यवस्था,आम जनता और खासकर गरीबों के लिए तबाही जिसकी चेतावनी राष्ट्रपति ने संवैधानिक दायरे में दो टुक शब्दों में दे दी है।अक्टूबर से दिसंबर तक विकास दर आठ फीसद से गिरकर पांच फीसद हो गयी है।यह नोटबंदी का असर है।पहले अर्थशास्त्री एक फीसद की गिरावट होने की आशंका जता रहे थे।नोटबंदी बुरीतरह  फ्लाप हो जाने से गिरावट कहां तक जायेगी,अब अर्थशास्त्री ही हिसाब जोड़कर बतायें।बगुला छाप विशेषज्ञ बेहतर जानते हैं।जिनकी सलाह से रिजर्व बैंक और वित्तमंत्री को अंधेरे में रखकर राजनीतिक मकसद से यूपी जीतने की खातिर भारत की आम जनता और अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया नरसिस महान तानाशाह आत्ममुग्ध ने और लाउडस्पीकर बन गया मीडिया भी। इस पर तुर्रा यह कि बीस जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनते ही अमेरिका से आईटी सेक्टर में भारत के कारोबार और रोजगार दोनों को जोर का झटका लग सकता है जबकि आईटी पर फोकस राजीव गांधी के जमाने से 1984 से लगातार जारी है और आईटी के तहत ही भारत में निजीकरण, उदारीकरण और ग्लोबीकरण की धूम है।खेती और उत्पादन पर फुल स्टाप है।उच्चशिक्षा और शोध खत्म है।ज्ञान की खोज सिरे से बंद है।तकनीक और ऐप के मुक्तबाजार की जान आईटी है और उसकी जान अमेरिका में है। अब ताजा खबर यह है कि भारतीय आईटी कंपनियों की मुश्किल बढ़ सकती हैं। अमेरिका एच-1बी  वीजा के नियम और सख्त करने वाला है जिससे कंपनियों के लिए विदेशी कर्मचारियों को अमेरिका में नौकरी देना मुश्किल हो जाएगा। खबरों के मुताबिक यूएस कांग्रेस में एच-1बी वीजा बिल दोबारा पेश किया गया है। इस  बिल में कई बदलाव बड़े बदलाव किए गए हैं।नए प्रस्तावों के तहत एच-1बी वीजा के लिए न्यूनतम सैलरी 1 लाख डॉलर प्रति साल होनी चाहिए। हालांकि नए बिल में मास्टर डिग्री की छूट कर दी है।

नोटबंदी बुरीतरह फ्लाप हो गया।विश्वविद्यालयों को बंद कराने का अभियान अभी चालू है और जेएनयू में बहुजन छात्रों को अलगाव में डालने की मुहिम अभी जारी है,लेकिन इन छात्रों के हक में अब फिर जयभीम कामरेड की आवाजें गूंजने लगी हैं। बंगाल में चार हिरोइनों की प्रेमकथा की चाश्नी मिली रोजवैली क्रांति के हिंदुत्व अश्वमेधी अभियान सर्जिकल स्ट्राइक की तरह बुमरैंग हैं।नोटबंदी के खिलाफ बंगाल में आज दूसरे दिन भी ट्रेन सड़क यातायात हिंसक प्रदर्शन की वजह से बाधित होती रही दिनभर और पूरे बंगाल में मोदी का पुतला दहन मनुस्मृति दहन में तब्दील है।हांलाकि श्राद्धकर्म वैदिकी  है। झूठ के काले कारोबार,फासिज्म के राजकाज का नया शगूफा मोदी का अनूठा मास्टर स्ट्रोक दाउद की संपत्ति जब्त कराने का दावा है।भारतीय जनता पार्टी का दावा है कि मोदी सरकार को नोटबंदी के कालाधन निकालो अभियान के तहत एक बड़ी कूटनीतिक सफलता मिली है। पार्टी का कहना है कि मोदी सरकार की कोशिशों से भारत के मोस्ट वांटेड क्रिमिनल दाऊद इब्राहिम की यूनाइटेड अरब अमीरात स्थित 15,000 करोड़ की संपत्ति को ज़ब्त कर लिया गया है। हालांकि, दुबई में भारतीय वाणिज्य दूतावास की एक वरिष्ठ अधिकारी ने बीबीसी को बताया कि उनके पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है। जबकि बीजेपी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल ने बुधवार को एक ट्वीट कर इसे प्रधानमंत्री मोदी की कूटनीति का मास्टर स्ट्रोक क़रार दिया गया। कैशलैस डिजिटल इंडिया के झूठे क्वाब को वित्तमंत्री शुरु से लेसकैश कह रहे हैं।झूठ का यह महातिलिस्म भी बेपरदा हो गया है। ई वैलेट के जरिये कैशलैस इंडिया में डिजिटल लेनदेन पर देश के सबसे बड़े बैंक स्टेटबैंक आफ इंडिया ने नेट असुरक्षा के चलते रोक लगा दी है। गुगल के सीईओ ने खड़गपुर आईआईटी में छात्रों से संवाद के दौरान माना है कि भारत में कैशलैस लेनदेन का इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है।हालांकि उन्होंने कहा हैः

Google CEO Sundar Pichai in an exclusive interview to NDTV said that the company is now using India as a lab for world innovations. Giving away Google's next steps in India, Mr Pichai said the notes ban or demonetisation is a bold move and would accelerate digital change and his company may bring services on top of the UPI based system which will make digital payments easier.

जिस यूपीआई  के की नींव पर डिजिटल इंडिया की जमीन बननी है, गुगल के सीईओ के मुताबिक उसे अभी आकार लेने में वक्त लगेगा और बहुआयामी कोशिश करनी होगी।जब संरचना है ही नहीं,नेट से बाहर है अधिकांश जनता,निराधार आधार के जोखिम और असुरक्षा के आधार पर नोटबंदी का यह करतब सीधे मास डेस्ट्राक्शन है।

गौरतलब है कि गुगल सीईओ ने डिजिटल इंडिया के बारे में एनडी टीवी से कहा हैः
On digital payments
When you drive these platform shifts, take some time for effects to play out, it's a multiplier effect.
I think it is a courageous move and it is a platform shift for the unplanned economy, trying to digitise how cash moves around and you know we are excited by it. I think you know understanding what UPI is and the power of the stack, which is being built here, I think it is truly unique to India. We are working on it hard. Anything we can do to make payments easier for users in India. So we are trying to understand UPI stack, to bring some services, which which will make things better for Indian users in terms of digital payments.

जिस भीम ऐप को लांच करके यूपी जीतने का ख्वाब संजो रहे हैं तानाशाह,उससे भले वे चुनाव जीत जाये,लेनदेन के लिए यह ऐप मुसीबत का सबब साबित हो रहा है।बाबासाहेब की खुली बेइज्जती पर बहुजन समाज खामोश है।भीम फर्जीवाड़ा है। पीएम नरेंद्र मोदी ने डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए BHIM (Bharat Interface for Money) मोबाइल एप लॉन्च किया है। BHIM मोबाइल एप सरकार के पुराने यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) और यूएसएसडी (अस्ट्रक्चर्ड सप्लीमेंट्री सर्विस डाटा) का अपडेटेड वर्जन है जिसके जरिए डिजिटल पेमेंट लिया और भेजा जा सकता है। हालांकि इसके लॉन्च होने के कुछ दिनों के भीतर ही इस नाम के करीब 40 फेक एप Google play store पर अपनी जगह बना चुके हैं। 

इन नकली एप से बचकर रहें।
बता दें कि फिलहाल भीम एप सिर्फ गूगल प्ले स्टोर पर ही मौजूद है और जल्द ही इसे iOS प्लेटफॉर्म पर भी लॉन्च किया जाएगा। इस डिजिटल पेमेंट एप को एंड्राइड यूजर प्ले स्टोर पर जाके डाउनलोड कर सकता है। आप जैसे ही प्ले स्टोर पर पहुंचकर भीम एप सर्च करते हैं तो सबसे ऊपर जो एप दिखाई देता है वही असली एप है लेकिन उसके नीचे *99#BHIM UPI, modi BHIM, BHIM payment जैसे नामों वाले करीब 40 नकली भीम एप भी आपको दिखाई देंगे। डफरशंख की घोषाणाओं के मुताबिक नोट वापस करने की अंतिम तिथि 31 मार्च से घटाकर 31 दिसंबर कर दिये जाने के बावजूद करीब 15 लाख करोड़ रद्द पांच सौ और हजार के नोट बैंकों में वापस चले आये हैं।बैंकों के चेस्ट में नत्थी आइकन से पाी पाई लेनदेन रियल टाइम में दर्ज हो रहा है।फिरभी न वित्तमंत्री और न रिजर्व बैंक के गवर्नर कितना कालाधन निकला,इसका कोई आंकड़ा देने को तैयार है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव प्रक्रिया को धर्मनिरपेक्ष बताया है लेकिन हिंदुत्व को धर्म मानने से इंकार कर दिया है।ग्लोबल हिंदुत्व के एजंडे पर कोई अंकुश लगा नहीं है।नतीजतन गोपट्टी का महाभारत जीतने खातिर संघ परिवार फिर राममंदिर निर्माण किये बिना रामजी से दगा करते हुए साठ के दशक की गोमाता की शरण में है। गौरतलब है कि मोदी सरकार अब गाय- भैंसों को भी आधार कार्ड देने जा रही है। देश में पशुओं की गणना तथा दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए पशुपालन मंत्रालय ने यह तरीका खोजा है। लगभग एक लाख लोग पूरे देश के कोने-कोने में घूमकर पशुओं पर टैग लगाएंगे।

आधार निराधार गाय भैंसों की सरकार,मनुष्यों की क्या दरकार?
इसी सिलसिले में निवेदन है कि हम पहले से कह रहे हैं,लिख रहे हैं कि नस्ली नरसंहार का सफाया अभियान का आधार निराधार आधार है।नागरिकों की बायोमैट्रिक पहचान किसी सभ्य विकसित देश को मंजूर नहीं है।लेकिन नागरिकों की स्वतंत्रता,संप्रभुता,नागरिक और मानवाधिकार,उनकी संपत्ति,जमा पूंजी बचत इत्यादि के साथ उनकी निजता और गोपनीयता की धज्जियां उड़ाकर आंखों की पुतलियों और उंगलियों की छाप के गैरकानूनी असंवैधानिक कारोबार के जरिये देश नीलाम करने का काला धंधा सर्वदलीय सहमति से चल रहा है।आधार पहचान के जरिये कैशलैस लेनदेल शतप्रतिशत बिना किसी सुरक्षा गारंटी के कर लेने का कारपोरेटएकाधिकार हमला यह नोटबंदी है।कालाधन नहीं निकला है।इसलिए इसका हिसाब कोई दे नहीं रहा है।
फाइनेंसियल एक्सेप्रेस के मुताबिक हकीकत यह हैः

Indians have deposited nearly all the currency bills outlawed at the end of the deadline last year, according to people with knowledge of the matter, dealing a blow to Prime Minister Narendra Modi's drive to unearth unaccounted wealth and fight corruption, reports Bloomberg. Banks have received R14.97 lakh crore as of December 30, the deadline for handing in the old bank notes, the people said, asking not to be identified citing rules for speaking with the media. The government had initially estimated about R5 lakh crore of the R15.4 lakh crore rendered worthless by the sudden move on November 8 to remain undeclared as it may have escaped the tax net illegally.

खबरों के मुताबिक नोटबंदी के दौरान भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को 15 लाख करोड़ रुपये मूल्य के 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट मिलने का अनुमान है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, नोटबंदी के बाद बैन किए गए नोट बैंकों में जमा करने की समय सीमा खत्म होने यानी 30 दिसंबर 2016 तक 97 फीसदी ओल्ड करंसी बैंकों में वापस आ चुका है।हालांकि सरकार व आरबीआई ने इस बारे में आधिकारिक आंकड़ा अभी तक जारी नहीं किया है। आधिकारिक आंकड़े दस दिसंबर तक हैं, जिनमें आरबीआई ने कहा कि 12.44 लाख करोड़ रुपये राशि के पुराने 500 और 1000 रुपये के नोट वापस आ गए। गौरतलब है कि नोटबंदी के ऐलान के समय अर्थव्यवस्था में 500 और 1000 रुपये के नोटों की शक्ल में करीब 15.4 लाख करोड़ रुपये की रकम थी। सूत्रों के अनुसार, 30 दिसंबर 2016 तक इसमें से 14.97 लाख करोड़ रुपये बैंकों में वापस आ चुकी थी। केंद्र सरकार ने शुरुआत में अनुमान लगाया था कि नोटबंदी के फैसले के बाद टैक्स चोरी कर जाम किए गए 5 लाख करोड़ रुपये (कालाधन) वापस ही नहीं आएंगे। नोटबंदी के फैसले से ये बेकार हो जाएंगे।अगर वर्तमान हालात की बात करें तो 97 फीसदी 500 और 1000 के पुराने नोट बैकों में वापस आ चुके हैं। यह आंकड़ा लगभग 100 फीसदी तक भी जा सकता है क्योंकि 31 मार्च तक एनआरआई और नोटबंदी के समय विदेश गए भारतीय आरबीआई में पुराने नोटों को जमा करा सकते हैं।

आधार निराधार गाय भैंसों की सरकार,मनुष्यों की क्या दरकार?
यूपी जीतने के लिए देश की आम जनता पर सर्जिकल स्ट्राइक का नतीजा यह है कि चुनाव सर्वे में अभी से संघ परिवार का परचम लहराने लगा है।चुनाव से ऐन पहले परंपरा तोड़कर बजटपेश करने के फैसले के बाद अब गायपट्टी में लोकतंत्र और चुनाव प्रक्रिया दोनों के हिंदुत्वकरण का चाकचौबंद इंतजाम है।नोटों की बरसात अलग से जारी है।इंसानों से नागरिकता छीन रही है।इंसानों से हकहकूक छीने जा रहे हैं।नागरिकऔर मानवाधिकारों की हत्या हो रही है।गाय भैंसों की नागरिकता के लिए लिए उन लोगों को 50 हजार टैबलेट भी सौंप दिए गए हैं। सरकार का प्लान है कि इस साल लगभग 88 मिलियन गाय और भैंसों के कान में यूआईडी नंबर सेट कर दिया जाएगा। इससे सभी दुधारु पशुओं की अपनी अलग पहचान होगी और उनकी सेहत का ख्याल रखने के लिए आईडी नंबर का सहारा लिया जाएगा। टैग की मदद से पशुओं पर नजर रखने में आसानी होगी। जिससे उनकी दवाएं, टीकाकरण समय-समय पर किया जा सकेगा। माना जा रहा है कि इससे 2022 तक डेयरी किसानों की आय लगभग दोगुनी हो जाएगी। प्रत्येग टैग सरकार को आठ रुपए का पड़ेगा।उस टैग को ऐसे मेटेरियल से बनाया जा रहा है जिससे पशु को कोई नुकसान नहीं होगा। टैग लगाने गया शख्स उसे लगाकर टैग के नंबर को अपने टैबलेट के ऑनलाइन डाटाबेस में ऐड कर लेगा। इसके साथ ही पशु के मालिक को उससे जुड़ा एक हेल्थ कार्ड दिया जाएगा। नोटबंदी के बाद जारी हुए नए नोटों को लेकर कई शिकायतें सामने आ चुकी हैं, लेकिन इस बार बैंक ने किसान को ऐसे नोट थमा दिए जिसमें गांधी जी गायब थे। मध्य प्रदेश में एक बैंक द्वारा किसानों को बिना महात्मा गांधी की तस्वीर वाले 2000 रुपए के नोट दिए जाने का मामला सामने आया है। किसानों को एसबीआई ब्रांच की ओर से दिए गए नोटों में गांधी जी।

मामला मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले की बड़ोदा तहसील का है। फर्जी नोट समझकर किसान हैरान हो गए। हालांकि बाद में बैंक कर्मचारियों ने बताया कि ये नोट असली हैं, लेकिन इनकी प्रिंटिंग सही से नहीं हुई है। लक्ष्मण मीणा और गुरमीत सिंह नाम के दोनों किसानों ने बैंक से आठ-आठ हजार रुपए निकाले थे। दोनों किसानों को बैंक की ओर से दो-दो हजार रुपए के चार-चार नोट दिए गए। बिना नोटों को जांचे परखे इन्होंने अपने पास रख लिए। बैंक से बाहर आकर जब इन्होंने नोट देखे तो दंग रह गए। पास में मौजूद लोगों ने जब यह देखा तो वे भी हैरान थे कि बिना गांधी जी की तस्वीर के नोट कैसे छप सकता है। हालांकि जब यह लोग वापस बैंक में गए तो बैंक अधिकारियों ने पूछताछ के बाद नोट वापस ले लिए। भारतीय स्टेट बैंक के एक अधिकारी आर के जैन का कहना है कि, “यह जाली नोट नहीं हैं। इनमें मिसप्रिंट हुई है, नोटों को जांच के लिए भेज दिया गया है।” ई-वॉलेट में सुरक्षा का हवाला देकर कल एसबीआई ने नेटबैंकिंग के जरिए वॉलेट रीचार्ज करने पर रोक लगा दी थी। इसके बाद सीएनबीसी-आवाज़, अलग-अलग शहरों में केस स्टडी के जरिए ये जानने की कोशिश कर रहा है कि क्या वाकई ई-वॉलेट सुरक्षित हैं? क्या ई-वॉलेट में पैसा रखना सही है? कहीं कंपनियां अधूरी तैयारी के साथ तो काम नहीं कर रहीं। इसकी पड़ताल करते हुए हमें मिले दिल्ली के सीए राजीव सूद। राजीव सूद पेटीएम का इस्तेमाल करते हैं और कुछ ही दिन पहले उन्होंने अपने पेटीएम वॉलेट में 1000 रुपये क्रेडिट कार्ड से ट्रांसफर किए। लेकिन ये पैसे कहां चले गए, इसका अब तक हिसाब नहीं हैं।
सीएनबीसी-आवाज़ की पड़ताल के इसी क्रम में हमें दूसरा उदाहरण मिला नागपुर में। यहां भी पेटीएम वॉलेट को लेकर ही दिक्कत थी। दरअसल, रिषभ इंफोटेक के मालिक राजेश जवर ने करीब 15 दिन पहले अपने बैंक अकाउंट से 4,000 रुपये पेटीएम वॉलेट में ट्रांसफर किए। लेकिन राजेश न कोई ट्रांजैक्शन कर पा रहे हैं और न इन्हें पैसा रिफंड मिल रहा है। इस पड़ताल में सीएनबीसी-आवाज़ ने मुंबई के ऐसे दुकानदारों से भी बात की, जो पेटीएम इस्तेमाल करते हैं। इनको भी ट्रांजैक्शन के बाद मैसेज न मिलने और वॉलेट का पैसा वापस अकाउंट में न ट्रांसफर हो पाने की शिकायत थी। रेस्टोरेंट संचालक, शंकर का कहना है कि वॉलेट का पैसा पेटीएम में ट्रांसफर नहीं होता और फोन करने के लिए सीधे कोई कस्टमर केयर नंबर नहीं है।

राजस्थान और गुजरात में पर्यटन के लिए ठोस योजना बनें : वसावा

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नई दिल्ली, पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं सांसद श्री मनसुखभाई वसावा ने कहा कि राजस्थान एवं गुजरात की संस्कृति में एकरूपता के दर्शन होते हैं। दुनिया भर के लोगों के लिए राजस्थान एवं गुजरात की सतरंगी संस्कृति, बहुरंगी आभा तथा स्थापत्य-शिल्प, खान-पान, पहवाना एवं लोक गीतों का ऐसा सम्मोहन है कि उसके आकर्षण में बंधकर देश-विदेश के लाखों लोग प्रतिवर्ष इन दोनों प्रांतों की सैर के लिए आते हैं। भारत सरकार एवं प्रांतीय सरकारों को पर्यटन को प्रोत्साहन देने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। राजस्थान मित्र परिषद जैसी संस्थाएं भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।  श्री वसावा अपने निवास पर प्रख्यात जैन संत गणि राजेन्द्र विजयजी की सन्निधि में राजस्थान मित्र परिषद के प्रतिनिधिमंडल से चर्चा करते हुए उक्त उद्गार व्यक्त किए। श्री वसावा ने राजस्थान मित्र परिषद के सांस्कृतिक, सामाजिक एवं जनकल्याणकारी कार्यक्रमों की सराहना की। इस अवसर पर सांसद श्री रामसिंहभाई राठवा, सुखी परिवार फाउंडेशन के राष्ट्रीय संयोजक श्री ललित गर्ग, राजस्थान मित्र परिषद के अध्यक्ष श्री कोमल चैधरी, पूर्व अध्यक्ष श्री एस. आर. जैन, श्री हरीश चैधरी एवं श्री विनोद गुप्ता आदि ने अपने विचार व्यक्त किए।

गणि राजेन्द्र विजय ने कहा कि राजस्थानी की संस्कृति विराट है और दुनिया में कहीं अन्यत्र इतनी समृद्ध परंपराएं नहीं देखी जाती। राजस्थान के लोग अपनी परंपाराओं और संस्कृति से बेहद प्यार करते हैं और उन्हें बनाए रखने के लिए जाने जाते हैं। राजस्थान के लोग अपनी इस रंग-बिरंगी संस्कृति पर बहुत गर्व भी करते हैं। उन्होंने राजस्थान की आध्यात्मिक समृद्धि की चर्चा करते हुए कहा कि गुजरात और राजस्थान दोनों ही प्रांत जैन दर्शन और संस्कृति के मुख्य केन्द्र हैं। उन्होंने भौतिक विकास के साथ-साथ आध्यात्मिक उन्नति को जरूरी बताया। संयम एवं त्याग की संस्कृति की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि राजस्थान मित्र परिषद जैसी संस्थाएं जन्म, विवाह एवं अन्य पारिवारिक अवसरों पर होने वाले फिजूलखर्ची एवं आडम्बरों को रोकने के लिए सार्थक प्रयत्न करें। सांसद श्री रामसिंहभाई राठवा ने कहा कि राजस्थानी पहनावे के साथ-साथ खान-पान, नृत्य, लोक संगीत की झलक जब भी देखने को मिलती है, मैं अभिभूत हो जाता हूं। इस अवसर पर राजस्थान मित्र परिषद के द्वारा श्री वसावा एवं श्री राठवा को राजस्थानी संस्कृति का प्रतीक चिन्ह  पगड़ी भंेट कर उनका सम्मान किया गया। परिषद के अध्यक्ष श्री कोमल चैधरी ने राष्ट्रीय राजधानी में राजस्थान मित्र परिषद के द्वारा संचालित की जा रही विविध गतिविधियों की जानकारी दी। उन्होंने गत दिनों भव्य रूप में आयोजित दिवाली मिलन एवं सांस्कृतिक महोत्सव की शानदार आयोजना की भी चर्चा की। सुखी परिवार फाउंडेशन के संयोजक श्री ललित गर्ग ने कार्यक्रम का संयोजन करते हुए गणि राजेन्द्र विजयजी के बारे में जानकारी दी।

विशेष : दाम्पत्य जीवन को मधुरतम बनाने का संकल्प लेने का दिन श्रीराम विवाह पंचमी

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भारतीय संस्कृति में श्रीराम-सीता आदर्श दंपति के रूप में सर्वस्वीकार्य हैं। श्रीराम ने जहाँ मर्यादा का पालन करके आदर्श पति और पुरुषोत्तम पद प्राप्त किया वहीं माता सीता ने सारे संसार के समक्ष अपने पतिव्रता धर्म के पालन का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करके संसार में लोकख्याति प्राप्त की ।पौराणिक मान्यता के अनुसार मार्गशीर्ष अर्थात अगहन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को भगवान श्रीराम तथा जनकपुत्री जानकी (सीता) का विवाह हुआ था। इसी कारण  मार्गशीर्ष अर्थात अगहन मास की शुक्ल पक्ष की इस पंचमी को विवाह  पंचमी कहा जाता है और सदियों से इस तिथि को विवाह पंचमी पर्व'के रूप में मनाये जाने की परम्परा कायम है। तथा इस दिन भारत में विभिन्न स्थानों पर विवाह पंचमी का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं में राम और सीता की महत्ता को देखते हुए इनके सम्मान में ही विवाह पंचमी का शुभ मांगलिक त्योहार मनाया जाता है।बिहार में इसे विहार पंचमी के नाम से भी जाना जाता है । श्रीराम विवाह पंचमी अर्थात मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी बांकेबिहारी के प्रकट होने की तिथि भी है। रामायण के अनुसार त्रेता युग में सीता-राम का विवाह इसी दिन हुआ माना जाता है। मिथिलाचंल और अयोध्या तथा भारत में यह तिथि विवाह पंचमी के नाम से प्रसिद्ध है। रामायण व पुराण आदि ग्रन्थों के अनुसार, राम विवाह के दिन ही राम सहित चारो भाई का विवाह हुआ था। और राम विवाह का दिन मार्गशीर्ष अर्थात अगहन माह, शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन ही सम्पन्न हुआ था ।पौराणिक ग्रन्थ भी इस तथ्य की पुष्टि करते हैं कि मार्गशीर्ष अर्थात अगहन माह, शुक्ल पक्ष की पंचमी की इस तिथि को भगवान राम ने जनक नंदिनी सीता से विवाह किया था। जिसका वर्णन श्रीरामचरितमानस में महाकवि गोस्वामी तुलसीदास ने बड़ी ही सुंदरता से किया है। तुलसीदास ने रामचरित मानस में कहा है, श्रीराम ने विवाह द्वारा मन के तीनों विकारों काम, क्रोध और लोभ से उत्पन्न समस्याओं का समाधान प्रस्तुत किया गया है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम-सीता के शुभ विवाह के कारण ही विवाह पंचमी का दिन अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस पावन दिन सभी दंपतियों को श्रीराम-सीता से प्रेरणा लेकर अपने दांपत्य को मधुरतम बनाने का संकल्प करना चाहिए। 

पौराणिक मान्यतानुसार राम एवम सीता भगवान विष्णु एवम लक्ष्मी माता के रूप थे जिन्होंने पृथ्वी लोक पर राजा दशरथ के पुत्र एवम राजा जनक की पुत्री के रूप में जन्म लिया था। वैसे पुराणों व वाल्मीकि रामायण के अनुसार एक बार जब राजा जनक यज्ञ की भूमि तैयार करने के लिए हल से भूमि जोत रहे थे, उसी समय उन्हें भूमि से एक कन्या प्राप्त हुई। जोती हुई भूमि को तथा हल की नोक को सीता कहते हैं। इसलिए इस बालिका का नाम सीता रखा गया। वाल्मीकि रामायण के एक प्रसंग के अनुसार एक बार रावण अपने पुष्पक विमान से कहीं जा रहा था, तभी उसे एक सुंदर स्त्री दिखाई दी, उसका नाम वेदवती था। वह भगवान विष्णु को पति रूप में पाने के लिए तपस्या कर रही थी। रावण ने उसके बाल पकड़े और अपने साथ चलने को कहा। उस तपस्विनी ने रावण को श्राप दिया कि एक स्त्री के कारण ही तेरी मृत्यु होगी, इतना कहकर वह अग्नि में समा गई। उसी स्त्री ने दूसरे जन्म में सीता के रूप में जन्म लिया। रामायण की कथानुसार त्रेता युग में मिथिला नरेश जनक के राज्य में जब अकाल पड़ा तो उसके निवारण के लिए जनक ऋषि-मुनियों के पास गए। उनके सुझाव पर जनक ने भूमि को जोतना शुरू किया। हल जोतते हुए हल का अग्र भाग किसी वस्तु से टकराया और वहीं रुक गया। जब जनक ने मिट्टी हटाकर देखा तो उन्हें एक कन्या मिली। राजा ने उसे अपनी पुत्री स्वीकार किया। नाम रखा सीता, जिन्हें वैदेही और जानकी भी कहा गया। राजा जनक शिवधनुष की पूजा करते थे।सीता के कुछ बड़ी होने पर एक दिन उन्होंने देखा कि जानकी ने शिव के धनुष को हाथ में उठा लिया है। राजा जनक ने प्रतिज्ञा की कि जो शिवधनुष तोड़ेगा जानकी का विवाह उसी के साथ होगा। सीता के स्वयंवर में जब कोई धनुष को उठा भी नहीं पाया तब श्रीराम ने धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने का प्रयास किया और वह टूट गया। इस तरह राम और सीता का विवाह हुआ। श्रीरामचरितमानस के अनुसार महाराजा जनक ने सीता के विवाह हेतु स्वयंवर रचाया। सीता के स्वयंवर में आए सभी राजा-महाराजाओं के द्वारा भगवान शिव का धनुष नहीं उठाये जा सकने के कारण ऋषि विश्वामित्र ने प्रभु श्रीराम से आज्ञा देते हुए कहा, हे राम! उठो, शिवजी का धनुष तोड़ो और जनक का संताप मिटाओ। गुरु विश्वामित्र के वचन सुनकर श्रीराम तत्पर उठे और धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने के लिए आगे बढ़ें। यह दृश्य देखकर सीता के मन में उल्लास छा गया। प्रभु की ओर देखकर सीताजी ने मन ही मन निश्चय किया कि यह शरीर इन्हीं का होकर रहेगा या तो रहेगा ही नहीं। सीता के मन की बात प्रभु श्रीराम जान गए और उन्होंने देखते ही देखते भगवान शिव का महान धनुष उठाया। इसके बाद उस पर प्रत्यंचा चढ़ाते ही एक भयंकर ध्वनि के साथ धनुष टूट गया। यह देखकर सीता के मन को संतोष हुआ।फिर सीता श्रीराम के निकट आईं। सखियों के बीच में जनकपुत्री सीता ऐसी शोभित हो रही थी, जैसे बहुत-सी छवियों के बीच में महाछवि हो। तब एक सखी ने सीता से जयमाला पहनाने को कहा। उस समय उनके हाथ ऐसे सुशोभित हो रहे थे, मानो डंडियों सहित दो- दो कमल चंद्रमा को डरते हुए जयमाला दे रहे हो। सखी के कहने पर सीता ने श्रीराम के गले में जयमाला पहना दी। यह दृश्य देखकर देवता फूल बरसाने लगे। नगर और आकाश में बाजे बजने लगे। श्रीराम-सीता की जोड़ी इस प्रकार सुशोभित हो रही थी, मानो सुंदरता और श्रृंगार रस एकत्र हो गए हो। पृथ्वी, पाताल और स्वर्ग में यश फैल गया कि श्रीराम ने धनुष तोड़ दिया और सीताजी का वरण कर लिया। इसी के मद्देनजर प्रतिवर्ष अगहन मास की शुक्ल पंचमी को प्रमुख राम मंदिरों में विशेष उत्सव मनाया जाता है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम-सीता के शुभ विवाह के कारण ही यह दिन अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस पावन दिन सभी को राम-सीता की आराधना करते हुए अपने सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए प्रभु से आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए। 

भगवान श्रीराम और सीता का विवाह पूरे रामायण की सबसे महत्वपूर्ण घटना है, क्योंकि प्रकृति के नियंता को ज्ञात था कि जीवन में चौदह वर्ष का वनवास और रावण जैसे असुर का वध धैर्य के वरण के बगैर संभव नहीं है। अत: श्रीराम जानकी का विवाह मुख्य रूप से यह एक बड़े संघर्ष से पूर्व धैर्य वरण की घटना है। पुष्प वाटिका में भगवान श्री राम और सीता जी के मिलन के पश्चात प्रकृति ने दोनों के ही मिलन का मार्ग तय कर लिया था। तुलसी रामयण में भी सीता जी को विवाह के समय युवावस्था का बताया गया है भगवान श्रीराम और सीता जी का विवाह रामायण में रावण के अंत के लिये भगवान का बढ़ाया हुआ एक पग भी है, क्योंकि रावण के अंत का सृजन सीता जी के हरण की घटना से ही प्रारम्भ हो गया था। शास्त्रों के अनुसार यह वही दिन है, जिस दिन भगवान श्रीराम ने सीता जी का वरण किया था। श्रीरामचरितमानस में श्रीराम के द्वारा सीता के माथे में सिन्दूर भरने की घटना को तुलसीदास ने वर्णन करते हुए कहा है कि ऐसा प्रतीत होता है, मानो भगवान श्रीराम के बाहु, कमल स्वरूप हथेलियों में, पराग सदृश्य सिन्दूर लेकर अमृत की आस से सीता जी के चंद्र मुख को अलंकृत कर रहा है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीराम का विधिवत पूजन और सांकेतिक रूप से या उत्सव के रूप में भगवान का विवाह सीता जी से कराया जाये तो जीवन में सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। मान्यता यह भी है, वैसे युवक-युवतियां, जिनके विवाह में विलम्ब हो रहा है या वैसे विवाहित दम्पति, जिनके वैवाहिक जीवन में संतान या परिवार से सम्बंधित कोई भी समस्या है, वे विवाह पंचमी के दिन श्रीराम और सीता का पूजन करके श्रीराम रक्षा स्त्रोत्र का पाठ करें तो उन्हें अवश्य लाभ प्राप्त होगा। विद्वान कहते हैं, विवाह पंचमी पर भगवान राम और सीता का विवाह हुआ था। विवाह केवल स्त्री और पुरुष के गृहस्थ जीवन में प्रवेश का ही प्रसंग नहीं है बल्कि यह जीवन को संपूर्णता देने का अवसर है। श्रीराम के विवाह के माध्यम से हम विवाह की महत्ता और उसके गहन अर्थों से परिचित हो सकते हैं। विवाह ऐसा संस्कार है जिसे प्रभु श्रीराम और कृष्ण ने भी अपनाया। भगवान राम ने अहंकार के प्रतीक धनुष को तोड़ा। यह इस बात का प्रतीक है कि जब दो लोग एक बंधन में बंधते हैं तो सबसे पहले उन्हें अहंकार को तोड़ना चाहिए और फिर प्रेम रूपी बंधन में बंधना चाहिए। यह प्रसंग इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि दोनों परिवारों और पति-पत्नी के बीच कभी अहंकार नहीं टकराना चाहिए क्योंकि अहंकार ही आपसी मनमुटाव का कारण बनता है।

श्रीराम जानकी का विवाह हिंदू धर्म में विशेष महत्व का दिन होने के कारण यह एक शुभ तिथि है और इस दिन अनेक धार्मिक आयोजन होते हैं। फिर भी हैरतनाक बात यह है कि कुछ स्थानों पर लोग इस दिन विवाह नहीं करते। विशेषतः मिथिला के लोग विवाह पंचमी के दिन अपनी बेटियों की शादी विवाह पंचमी के दिन नहीं करते।इसके पीछे यह मान्यता है कि भगवान श्रीराम और सीताजी के विवाह के बाद उन्हें वनवास हुआ और अनेक कष्ट सहन करने पड़े। सीताजी का हरण हुआ और इसके पश्चात हुए युद्ध में अनेक लोग मारे गए। स्वयं श्रीराम के भाई लक्ष्मण भी शक्तिबाण लगने से मूच्र्छित हो गए थे। युद्ध के पश्चात वे अयोध्या आए लेकिन सीता को एक बार फिर वनवास जाना पड़ा। इसलिए मिथिला सहित देश के विभिन्न स्थानों पर लोग विवाह पंचमी को अपनी कन्याओं की शादी नहीं करना चाहते। संभवत: उनके मन में सीता के कष्टों जैसी आशंका होती है। चूँकि सीता का संपूर्ण जीवन कष्टों से भरा था, इसलिए इन स्थानों पर लोग रामचरित मानस का पाठ भी श्रीराम-जानकी विवाह तक ही करते हैं और वहीं से पाठ का समापन कर देते हैं। इसके पीछे मान्यता है कि आगे सीताजी को कष्टों का सामना करना पड़ा, अत: राम-जानकी विवाह जैसे शुभ प्रसंग के साथ ही पाठ संपूर्ण कर दिया जाता है।भृगु संहिता में विवाह पंचमी के दिन को विवाह के लिए अबूझ मुहूर्त के रूप में बताया गया है। इसके बावजूद लोग इस दिन अपनी बेटियों की शादी करना पसंद नहीं करते। इसके पीछे उनकी धारणा यह है कि इस दिन विवाह होने से की वजह से ही देवी सीता और भगवान राम को वैवाहिक जीवन का पूर्ण सुख नहीं मिला था।भगवान श्रीराम और माता जानकी का विवाह ब्राह्म विवाह कहलाता है। ऐसा कहा जाता है कि जानकी जी श्रीराम से 9 साल छोटी थीं। उन्होंने हमेशा राम का अनुसरण किया और उनसे कदम से कदम मिला कर चलीं। हमारी मर्यादा और शास्त्रों में श्रीराम और जानकी की जोड़ी को आदर्श माना गया है। लोग वर-वधू को आशीर्वाद देते समय यही कहते हैं कि सीता-राम के समान एक रहो।



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अशोक “प्रवृद्ध”
गुमला (झारखण्ड)

विद्या बालन ‘कहानी 2’ में कई अवतारों में

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अभिनेत्री विद्या बालन अपनी आगामी फिल्म ‘कहानी 2’ के प्रमोशन हेतु दिल्ली पहुंची और अपनी फिल्म से जुड़े तथ्यों के साथ अपनी बात मीडिया के साथ शेयर की। इस मौके पर विद्या के साथ ‘कहानी 2’ के डायरेक्टर सुजॉय घोष एवं फिल्म में उनके सह-अभिनेता अर्जुन रामपाल भी मौजूद रहे। दरअसल, दूरदर्शन के हिट धारावाहिक ‘हम पांच’ से एक्टिंग करियर की शुरुआत करने वाली विद्या बालन के खाते में एक से बढ़कर एक बेहतरीन फिल्में- ‘परिणीता’, ‘दि डर्टी पिक्चर’, ‘भूल भुलैया’ हैं, जिनमें उनके अभिनय के कई रंग देखने को मिलते हैं। बहुत कुछ विद्या के अभिनय के इन्हीं रंगों से सजी फिल्म है ‘कहानी 2’। ‘कहानी 2’ वर्ष 2012 में आई फिल्म ‘कहानी’ की सीक्वल है। चूंकि, सस्पेंस से भरी फिल्म ‘कहानी’ में विद्या के किरदार को लोगों ने काफी सराहा था और फिल्म भी हिट रही थी, सो अब इसका सीक्वल ‘कहानी 2’ भी उसी इतिहास को दोहराने के लिए तैयार है। 

फिल्म के फस्र्ट लुक के रूप में शेयर की गई फोटो में विद्या की तस्वीर पर ‘वॉन्टेड’ लिखा हुआ था। उसके बाद इस फिल्म से संबंधित आए एक प्रमोशनल वीडियो में विद्या खुद को निर्दोष साबित करती नजर आईं। वीडियो में विद्या बोल रही हैं ‘मैंने किसी का खून या अपहरण नहीं किया है। यह कोई साजिश है, मुझे फंसाया जा रहा है।’ इस वीडियो को देखकर यह उम्मीद जरूर बंधती है कि ‘कहानी’ का यह सीक्वल भी काफी दमदार होगा। कहानी 2 से पूर्व अभिनेता अर्जुन रामपाल, इससे फिल्म से पूर्व म्यूजिकल फिल्म ‘राॅक आॅन 2’ में नजर आए थे, ने बताया कि चूंकि इस फिल्म की कहानी बेहद कसी हुई है और इसके साथ काबिल लोगों की टीम जुड़ी हुई है, इसलिए ‘कहानी 2’ की कामयाबी को लेकर हमें कोई संशय नहीं है। नोटबंदी के कारण ‘राॅक आॅन 2’ कुछ खास बिजनेस नहीं कर पाई थी, तो क्या ‘कहानी 2’ पर भी नोटबंदी का असर पड़ने की संभावना है? पूछने पर अर्जुन ने कहा, ‘नहीं, हमें ऐसा कुछ नहीं लगता। वैसे भी एक अच्छी कहानी पर बनी फिल्म को देखने के लिए लोगों में उत्सुकता होती ही है और वे अपना समय निकाल ही लेते हैं। हालांकि, पाना और खोना तो इस फील्ड में चलता ही रहता है, लेकिन आखिरकार रिजल्ट अचछा ही होगा।’

विद्या बालन, फिल्म के कई अवतारों में नजर आएंगी, ने बताया, ‘‘कहानी 2’ बेहतरीन फिल्म है, जिसका निर्देशन सुजॉय घोष ने किया है। यह एक मां की कहानी है, जो अपनी बेटी की तलाश में मारी-मारी फिर रही है। दूसरी ओर, इस मां पर बेटी को अगवा कर हत्या करने जैया आरोप भी है। इस फिल्म में मैं एक रेस्टलेस एवं थकी-हारी महिला का किरदार निभा रही हूं। अगर आप फिल्म के बारे में कुछ और जानना चाहते हैं, तो आपको थियेटर में जाकर फिल्म देखनी होगी।’ वहीं दूसरी ओर फिल्म के डायरेक्टर सुजॉय घोष ने फिल्म पर नोटबंदी के संभावित असर के बारे में कहा, ‘मुश्किलें तो जिंदगी का एक हिस्सा हैं, लेकिन उन मुश्किलों से उबरा कैसे जाता है से जुडे अहम् पहलूओं को उजागर करती हैं।

विशेष आलेख : नोटबंदी : असर-बेअसर

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बीते साल 8 नवम्बर 2016 को रात आठ बजे प्रधानमंत्री ने अचानक 500 और 1000 के नोटों को बंद करने की घोषणा की थी तो यह भारतीयों के लिए सबसे बड़ी घटना बन गयी जिसकी दुनियाभर में चर्चा हुई. इस फैसले की वजह से देश की 86 प्रतिशत मुद्रा एक ही झटके में चलन से बाहर हो गयी, पूरा देश अपने हजार-पांच सौ के नोट बदलवाने के लिए बैंकों की तरह टूट सा पड़ा और एटीएम भारतीयों के लाईन में खड़े होने के धैर्य की परीक्षा लेने लगे. प्रधानमंत्री द्वारा अपने इस फैसले को भ्रष्टाचार,काले धन,जाली नोट और आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कदम की तरह पेश किया गया वहीँ विरोधी इसकी तुलना तुगलकी फरमान से करने लगे. नोटबंदी से जनता की परेशानी को देखते हुए प्रधानमंत्री ने पचास दिन की मोहलत मांगते हुए कहा था कि इसके बाद आम लोगों के लिए हालात बेहतर हो जायेंगें. यह समय सीमा जो की 30 दिसंबर 2016 तक पूरी हो चुकी है इसके बाद पूरे देश नए साल की पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री के देश के नाम संबोधन का इंतजार था. प्रधानमंत्री ने अपने बहुप्रतीक्षित भाषण में जनता के त्याग की पराकाष्ठ की तारीफ करते हुए इसे ऐतिहासिक शुद्धि यज्ञ और ईमानदारी का आन्दोलन बताते हुए कुछ नयी–पुरानी योजानाओं की घोषणायें भी की जिसमें आवास कर्ज,किसानों को ब्याज में राहत,छोटे कारोबारियों ऋण की क्रेडिट गारंटी और गर्भवती महिलाओं के लिए छह हजार की आर्थिक सहायता प्रमुख थीं. लेकिन प्रधानमंत्री इस पर खामोश रहे कि इन पचास दिनों में सरकार को क्या कामयाबी मिली, कितना काला धन वापस आया और आतंकवाद पर कितना लगाम लगाया जा सका है, ना ही उन्होंने यह बताया कि नोटबंदी के बाद सरकार का अगला क़दम क्या होगा और हालत सुधरने में और कितना समय लगेगा. उन्होंने बेनामी संपत्ति के खिलाफ भी कोई घोषणा नहीं की है. प्रधानमंत्री का टोन भी बदला हुआ नजर आया. 

साल 2014 में बाबा रामदेव ने देश की अर्थनीति में बदलाव को लेकर कई सुझाव दिए थे जिसमें पूरे देश में एकल टैक्स व्यवस्था लागू करने और बडे नोटों को वापस लेने जैसी मांगें थीं. दरअसल मूल विचार "अर्थक्रांति संस्थान"नामक संस्था का है जो वर्तमान टैक्स व्यवस्था बंद करने, बैंक ट्रांजैक्शन टैक्स (बीटीटी) द्वारा इकलौता टैक्स व्यवस्था लागू करने, बड़े नोट बंद करने, कैश लेन-देन की सीमा तय  करने और बड़े ट्रांजैक्शन सिर्फ बैंकिंग सिस्टम द्वारा करने की वकालत करती रही है. मोदी सरकार द्वारा हालिया उठाये गये क़दमों में "अर्थक्रांति संस्थान"के सुझावों की झलक देखी जा सकती है. जीएसटी, हजार और पांच सौ जैसे बड़े नोटों की बंदी और कैशलेस अर्थव्यवस्था पर जोर इसी सिलसिले के एक कड़ी है. लेकिन पिछले पचास दिनों में नोटबंदी को लेकर मोदी सरकार बहुत सहज नहीं नजर आई है. हड़बड़ी,दुविधा और पर्याप्त तैयारी की कमी साफ़ नजर आई. इन पचास दिनों में सरकार और रिजर्व बैंक द्वारा 75 अधिसूचनायें जारी की गयीं और 11 बार आदेश वापस लिए गये, इस दौरान रिजर्व बैंक का रुतबा कमजोर हुआ. नोटबंदी के लक्ष्य को लेकर भी यही दुविधा रही अचानक ‘कैशलेस अर्थव्यवस्था’ का लक्ष्य पेश किया जाने लगा. ब्लैक मनी से कैशलेस की ओर शिफ्ट के दौरान यह ध्यान भी नहीं रखा गया कि देश में बड़ी संख्या में लोगों के पास बैंक खाते तक नहीं हैं. भारत में प्रति दस लाख आबादी पर 108 बैंक शाखायें और 149 एटीएम मशीनें ही हैं. इस मुल्क में 98 प्रतिशत लेनदेन नगदी में होता है, देश की एक बड़ी आबादी है जिसका डिजिटल दुनिया से संपर्क नहीं है, डेबिट-क्रेडिट कार्ड की पहुंच भी सीमित है. ट्राई के अनुसार वर्तमान में देश के बीस करोड़ लोगों के पास ही स्मार्टफोन है, इन्टरनेट की पहुँच भी सभी भारतीयों तक नहीं हो पायी है. इन्टरनेट की रफ्तार कछुए की तरह है और इस मामले में हम पूरी दुनिया में 114वें नंबर पर हैं. डिजिटल साक्षरता भी एक समस्या है दरअसल देश की एक चौथाई आबादी आज भी निरक्षर हैं ऐसे में डिजिटल साक्षरता दूर की कौड़ी लगती है. ऑनलाइन फ्राड भी एक समस्या है, साइबर सुरक्षा को लेकर कानून लचर है इसलिए डिजिटल पेमेंट असुरक्षित है. इन हालत हो देखते हुए “कैशलेस इंडिया” का नारा ध्यान बंटाने की एक तरकीब ही नजर आती है. 

भारत में काले धन का मुद्दा बहुत पुराना है, 2012 में यूपीए सरकार भी काले धन पर श्वेत पत्र जारी कर चुकी है जिसमें बताया गया था कि काले धन के मामले में विश्व में भारत 15वें स्थान पर है. सत्तारूढ़ बीजेपी के चुनावी अभियान में काले धन की वापसी एक बड़ा मुद्दा था जिसकी जड़ अन्ना आन्दोलन में है. मोदी सरकार के आने के बाद लंबे समय तक इस पर कोई सुगबुगाहट नहीं देखी गयी और ना ही कोई ठोस कदम उठाया गया. पिछले साल अमित शाह ने चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी के काला धन वापस लाने के बाद हर परिवार के खाते में 15-15 लाख रूपए जमा करने की बात को “चुनावी जुमला” बता दिया था. अब नोट बंदी लाया गया है जो भारत की आम जनता के लिए नोट बदली की कवायद साबित होती जा रही है. जब नोटबंदी की घोषणा की गयी थी उस समय देश में 500 व 1000 रुपये के नोट चलन में थे, उसका मूल्य 15.4 लाख करोड़ रूपयों था. जिसमें से लगभग 14 लाख करोड़ की राशि के नोट बैंकों में जमा किया जा चुके हैं इसका मतलब है काला धन किसी और रूप में है या इसे दूसरे तरीकों से सफेद किया जा चुका है.

दरसअसल जानकार बताते हैं कि भारत में मौजूद कालाधन पूरी तरह से कैश में नहीं बल्कि सोना, रियल एस्टेट, बेनामी वित्तीय निवेश, भूमि के पट्टे, कारोबारी परिसंपत्तियों और विदेशी बैंकों के जमा खातों में मौजूद है. इसका सीधा जुड़ाव टैक्स चोरी से भी हैं. पिछले साल अप्रैल में “पनामा पेपर्स लीक” से टैक्स चोरी का बड़ा खुलासा हुआ था जिसमें भारत ही नहीं दुनिया भर के नामचीन और प्रभावशाली लोगों के नामों का खुलासा हुआ था. इस सूची में 500 से ज्यादा भारतीयों का नाम शामिल था जिसमें अमिताभ बच्चन,ऐश्वर्या राय बच्चन,डीएलफ के मालिक केपी सिंह और गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी जैसे नाम शामिल हैं. पनामा पेपर्स में जिन भारतीयों के नाम का खुलासा हुआ है उन पर किसी तरह की कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई है लेकिन पिछले दिनों उन नामों में से एक ऐश्वर्या राय बच्चन का प्रधानमंत्री मोदी के नाम सन्देश जरूर आया था जिसमें उन्होंने कहा है कि “एक नागरिक होने के नाते मैं ईमानदारी से प्रधानमंत्री को बधाई दूंगी. आप बेहद मजबूत कदम के साथ देश से भ्रष्‍टाचार मिटाने की अपनी योजना पर आगे बढ़े हैं.” राजनैतिक दलों को दिए जा रहे धन की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी नहीं है.चुनाव लड़ने में बेपनाह खर्च किया जाता है,खुद प्रधानमंत्री इस नोटबंदी के दौर में भी करोड़ों की रैलियां कर रहे हैं. मोदी सरकार ने अपने इस तथाकथित “शुद्धि यज्ञ” के दायरे से सियासी दलों को भी बाहर रखा हुआ है.उन्हें चंदा देने वालों की जानकारी सावर्जनिक नहीं करने की छूट दी हुई है. भारतीय राजनीति में ज्यादातर कालाधन इसी छूट की वजह से आता है. इंडिया टुडे के अनुसार 2005 से 2013 के बीच देश के पांच प्रमुख सियासी दलों को मिले कुल 5000 करोड़ रूपये चंदे का 73 फीसिदी हिस्सा अज्ञात स्रोतों से आया था. अगर मोदी सरकार की मंशा साफ होती तो वह सियासी दलों को मिले इस छूट वाली इनकम टैक्स की धारा को भी बदल सकती थी. 

तो क्या नोटबंदी एक लक्ष्यहीन सनसनीखेज कवायद है जिसकी वजह से आम जनता परेशान हुई और अर्थवयवस्था हिल गयी? धरातल पर तो यही नजर आ रहा है. नोटबंदी की वजह से केवल आम आदमी ही परेशान नहीं नजर हुआ, उद्द्योग जगत भी इससे हलकान है और बाजार बेनूर हैं. इसका असर खरीददारी, उत्पादन और नौकरी तीनों पर पड़ा है. सर्राफा कारोबार,ऑटोमोबाइल,रिटेल कारोबार, इलेक्ट्रॉनिक्स के बड़े उद्योगों, प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन आदि पर खासा असर देखने को मिल रहा है. कई कंपनियों द्वारा घटती मांग के चलते उत्पादन में कटौती और कुछ दिनों के लिए प्लांट बंद किये जाने की भी ख़बरें आई हैं.  नोटबंदी का सबसे ज्यादा असर असंगठित क्षेत्र में देखने को मिल रहा है जिसका देश की अर्थव्यवस्था में 45 प्रतिशत योगदान है और 80 प्रतिशत रोजगार भी इसी क्षेत्र में है. नगदी ना होने की वजह से यहाँ बड़ी संख्या में मजदूरों को या तो निकाला जा रहा है या अवकाश पर भेज दिया गया है. जैसे कि टेक्सटाइल सेक्टर में लगभग सत्तर लाख दिहाड़ी मजदूर काम करते है जिसमें से बड़ी संख्या में मजदूर प्रभावित हुए हैं, इसी तरह से फिरोजाबाद की 90 प्रतिशत चूड़ी फैक्ट्रियां बंद हो चुकी है. 

इस स्थिति से उद्योग जगत में निराशा छाई हुई है। एचडीएफसी के चेयरमैन दीपक पारेख कह रहे हैं कि “नोटबंदी के फैसले से देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह पटरी से उतर गई है.” एसोचैम के अध्यक्ष सुनील कनोरिया नोटबंदी को लागू करने के तरीके पर अफसोस जता रहे हैं, उनके मुताबिक इसकी गंभीरता और चुनौतियों का ठीक से आकलन नहीं किया जा सका और इसकी वजह से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) प्रभावित होगी. फोर्ब्स ने मोदी सरकार के नोटबंदी के कदम को देश की इकोनॉमी को तगड़ा झटका देने वाला बताया है. एक लोकतान्त्रिक सरकार द्वारा बिना किसी पर्याप्त तैयारी के इस तरह से व्यापक रूप से जनता और देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाला फैसला लेना दुर्भाग्यपूर्ण है. तथाकथित ईमानदारी का यह आन्दोलन में अभी तक सौ से ज्यादा भारतीयों के जीवन की आहुति ले चूका है. मोदी सरकार के लिए नोटबंदी के नाकामियों से पीछा छुड़ाना आसान नहीं है.उन्हें राजनीतिक और आर्थिक दोनों मोर्चो पर सरकार को जवाब देना पड़ेगा. 2017 चुनाव का साल है जहाँ सात राज्यों में विधानसभा चुनाव होंगें. इस बीच चुनाव आयोग पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों की तारीखें घोषित कर चूका है जिसमें  उत्तर प्रदेश और पंजाब जैसे महत्वपूर्ण राज्य शामिल हैं. यह तय है कि इन चुनावों के केंद्र में नोटबंदी और इससे होने वाला नफा-नुक्सान जैसी बातें ही रहने वाली हैं. सबसे ज्यादा परेशान जनता हुई हैं अब उसके पास तय करने का मौका है कि यह शुद्धि यज्ञ है या मनोज तिवारी के शब्दों में भोली-भाली जनता को देशभक्ति के नाम पर बड़ी आसानी से फुसलाया गया है.   




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जावेद अनीस 
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अभिनेता ओम पुरी का आज सुबह निधन

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मुंबई 06 जनवरी, बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता ओम पुरी का आज सुबह निधन हो गया। वह 66 वर्ष के थे। पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक उनका मुंबई के वर्सोवा स्थित उनके घर पर दिल का दौरा पड़ने से तड़के निधन हुआ। उनकी मौत की खबर सुन कर पूरा बॉलीवुड और उनके प्रशंसक सदमे में हैं। 

देश के बेहतरीन अभिनेताओं में शुमार ओम पुरी उन चुनिंदा कलाकारों मे रहे हैं जिन्होंने कमर्शियल और समानान्तर सिनेमा में कामयाबी हासिल की। बॉलीवुड के साथ साथ उन्होंने हॉलीवुड में भी अपनी अदाकारी का लोहा मनवाया था। 18 अक्टूबर 1950 में अंबाला के एक पंजाबी परिवार में जन्में ओम पुरी ने फिल्म एंड टेलिविजन इंस्टिट्यूट पुणे में पढाई की थी। 1993 में ओम पुरी ने नंदिता पुरी के साथ शादी की थी। 2013 में उनका तलाक हो गया था। उनका इशान नाम का एक बेटा भी था।
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