Quantcast
Channel: Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)
Viewing all 74140 articles
Browse latest View live

नीतीश सरकार ने राज्य के लोगों से की वादाखिलाफी : भाजपा

$
0
0
nitish-promisses-fail-bjp
सीवान 22 जनवरी, बिहार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने नीतीश सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुये आज सभी बेरोजगारों के लिए प्रतिमाह एक हजार रुपये भत्ता और अनुसूचति जाति, आदिवासी एवं पिछड़े वर्ग के मैट्रिक पास छात्रों के लिए छात्रवृत्ति पुन: शुरू करने की मांग की। भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की यहां हुई बैठक में पारित राजनीतिक प्रस्ताव में राज्य सरकार से विधानसभा चुनाव पूर्व किये गये वादे के अनुरूप सभी बेरोजगारों के लिए प्रतिमाह एक हजार रुपये भत्ता और अनुसूचति जाति, आदिवासी एवं पिछड़े वर्ग के मैट्रिक पास छात्रों के लिए छात्रवृत्ति पुन: शुरू करने की मांग की। साथ ही प्रदेशवासियों को विकासहीनता और अपराध के गर्त में धकेलने और सात निश्चय के नाम पर धोखा देने के खिलाफ संघर्ष करने का संकल्प लिया गया। प्रस्ताव में कहा गया है कि 14 माह पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनी सरकार ने दिशाविहीन होने के कारण प्रदेश का बंटाधार कर दिया है। तीन सत्त केंद्रों (नीतीश कुमार, लालू यादव और कांग्रेस) से संचालित महागठबंधन सरकार अपराध, अहंकार और अराजकता की भेंट चढ़ गई। राज्य की जनता ने जिन अपेक्षाओं के साथ महागठबंधन को सत्ता सौंपी थी उसकी कसौटी पर वह ठगा हुआ महसूस कर रही है। 

प्रस्ताव में राज्य सरकार पर अपराधियों को संरक्षण देने का आरोप लगाते हुये कहा गया है कि सत्ता संरक्षित अपराधियों ने राज्य में दहशत का माहौल पैदा कर दिया है। पुलिस प्रशासन का मनोबल गिरा है। व्यवसायी, डॉक्टर, इंजीनियर, किसान, मजदूर, नौजवान समेत आम लोग भयाक्रांत हैं लेकिन मुख्यमंत्री और उनके लोग ‘कानून अपना काम करेगा’ के बयान से फुसलाकर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहे हैं। नीतीश सरकार में कुख्यात पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन, राजवल्लभ यादव और गोपाल मंडल जैसे लोगों का मानोबल बढ़ने से बिहार शर्मसार हुआ है। भाजपा के संघर्ष के कारण ही ये कुख्यात आज जेल में बंद हैं। ये बात तो सात निश्चय की करते हैं लेकिन हत्या, अपहरण, चोरी, डकैती, बलात्कार, भ्रष्टाचार और सामाजिक विद्वेष ही इनके सात निश्चय हैं। विकास का दंभ भरने वाली नीतीश सरकार में राज्य विकासहीनता की गर्त में समाता जा रहा है। मौजूदा सरकार में टोला सेवकों का वेतन भुगतान छह महीने से नहीं हुआ है। अनुसूचित जाति, आदिवासी, पिछड़ा वर्ग के छात्रों को मैट्रिक के बाद मिलने वाली छात्रवृत्ति योजना बंद कर दी गई। राज्य की पूर्व राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार में दुरूस्त हुआ स्वास्थ्य ढांचा पूरी तरह से चरमरा गया है। पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (पीएमसीएच) से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) तक बदहाल है। भाजपा ने कहा कि बिहार सरकार द्वारा कराये गये सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण में हुई भारी गड़बड़ी के कारण गरीबों के लिए केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ सही लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है। प्रस्ताव में कहा गया है कि जिस सात निश्चय को मुख्यमंत्री अपना ड्रीम प्लान बता रहे हैं और उसका ढिंढोरा पीट रहे हैं उसमें कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा और कानून व्यवस्था जैसे अति महत्वपूर्ण विषय शामिल नहीं हैं। इन विषयों को प्राथमिकता में रखे बगैर राज्य का विकास कैसे होगा। राजग के शासनकाल में कृषि कैबिनेट को भंग कर दिया गया। श्री कुमार का सात निश्चय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आम जनता के जीवन स्तर को उठाने के संकल्प को अपने खाते में जबरन डालने की कोशिश है। केंद्र की योजनाओं का नाम बदलकर मुख्यमंत्री राज्य की जनता को भ्रमजाल में डालने का प्रयास कर रहे हैं। 

सात निश्चय में से एक आर्थिक हल युवाओं को बल के तहत मुख्यमंत्री ने वादा किया था कि सभी बेरोजगार युवकों को रोजगार तलाशने के लिए दो वर्ष तक प्रतिमाह एक हजार रुपये भत्ता दिया जाएगा। लेकिन वह अपने वादे से मुकरते हुये कह रहे हैं कि यह भत्ता केवल इंटर पास कर पढ़ाई छोड़ देने वाले युवाओं को ही दिया जाएगा। ऐसे में सवाल उठता है कि राज्य सरकार की नजर में इंटर से आगे पढ़ाई करना गुनाह है। स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना केंद्र सरकार की बैंकों द्वारा दी जाने वाली शिक्षा ऋण योजना है, जिसके तहत चार लाख रुपये तक का ऋण बिना गारंटी के दिया जाता है। श्री कुमार ने बड़ी चालाकी से इस योजना का नाम बदलकर स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना कर दिया है। बिहार के युवाओं के साथ इससे बड़ा धोखा और क्या हो सकता है। प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत पूरे देश को खुले में शौच से मुक्त करने की घोषणा की थी। नीतीश सरकार ने इस योजना का नाम बदलकर लोहिया स्वच्छता अभियान कर दिया और इसको अपने सात निश्चयों में शामिल कर लिया। इसके तहत राज्य सरकार ने अगले चार वर्ष में 8343 पंचायतों को शौचमुक्त करने का लक्ष्य रखा है। लेकिन एक वर्ष बीत जाने के बाद भी इसमें से केवल 152 पंचायत ही शौचमुक्त हो पाए हैं। इसी तरह हर घर तक पक्की गली-नाली योजना के तहत एक लाख 14 हजार 733 वार्ड के घरों में पक्की गली-नाली के निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया लेकिन अभी तक पूरे राज्य में केवल 52 वार्डों में ही यह काम शुरू हो पाया है। टोलो को जोड़ने के लिए 12500 किलोमीटर सड़क निर्माण का निर्णय राज्य सरकार ने लिया है। इसके लिए जारी वर्ष में 100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया लेकिन अभी तक एक किलोमीटर भी सड़क नहीं बन पाई है। राज्य सरकार का हर घर नल का जल जैसा निश्चय भी जनता के साथ भारी धोखा है। मुख्यमंत्री चापाकल योजना को बंद कर दिया गया। चौदहवें वित्त आयोग में केंद्र सरकार से नगर निकाय और पंचायतों को पेयजल के लिए पैसा मिल रहा है। मुख्यमंत्री ने इसका नाम बदलकर पेयजल निश्चय योजना कर दिया है। हर घर बिजली पहुंचाने का श्री कुमार का निश्चय प्रधानमंत्री के ग्रामीण विद्युतीकरण अभियान को जबरदस्ती अपने खाते में शामिल करना है। 

कांग्रेस के साथ गठबंधन से उत्तर प्रदेश में सपा का जीत निश्चित : तेजस्वी

$
0
0
sp-congress-alliance-sure-won-tejaswi
गया 22 जनवरी, बिहार के उप मुख्मयंत्री तेजस्वी यादव ने उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस के बीच गठबंधन पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि अब यूपी में सपा की जीत निश्चित हो गयी है। श्री यादव ने आज यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा , “ यूपी के चुनाव में हमारी पार्टी सपा के अखिलेश यादव के साथ है। सपा और कांग्रेस पार्टी मे गठबंधन हो गया है। यह शुभ समाचार है। यानी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अब कही नहीं है, निश्चित तौर पर यूपी मे सपा ही जीतेगी। ” उप मुख्यमंत्री ने आरक्षण के मुद्दे पर लोक जनशक्ति पार्टी अध्यक्ष और केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान ,राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जो लोग आरक्षण से जीतकर सांसद और विधायक बने है। वही आरक्षण का विरोध कर रहे है। चिराग पासवान जमुई से आरक्षित सीट पर सांसद बने है और वे भी आरक्षण का विरोध कर रहे है। ऐसे लोग दलित और शोषित वर्ग के विरोधी है। ऐसे लोगों को गरीबो और दलितों के विकास से कोई लेना-देना नहीं है। 

जदयू की कोर कमेटी की बैठक कल पटना में आयोजित

$
0
0
jdu-core-meeting-tomorrow
पटना, 22 जनवरी, बिहार में सत्ताधारी दल जदयू के कोर कमेटी की कल पटना में आयोजित होने वाली बैठक में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव, समान नागरिक संहिता, आरक्षण मुद्दे पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की हालिया टिप्पणी, नोटबंदी सहित अन्य मुद्दों पर विचार किया जाएगा। जदयू की इस कोर कमेटी में भाग लेने पहुंचे पार्टी के प्रधान महासचिव के सी त्यागी ने पटना हवाई अड्डे पर पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि इस बैठक के दौरान उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव, समान नागरिक संहिता, आरक्षण पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की हालिया टिप्पणी, विमुद्रीकरण सहित अन्य मुद्दों पर विचार किया जाएगा। उन्होंने उत्तर प्रदेश चुनाव को लेकर कहा कि वहां धर्मनिरपेक्ष दलों के बीच न तो कोई गठबंधन बन पाया और न ही बिहार के तर्ज पर महागठबंधन बन पाया। त्यागी ने कहा कि हमलोगों की इच्छा थी कि उत्तर प्रदेश में एक बडा गठबंधन बने जो कि भाजपा को पराजित करने में कामयाब हो सके जैसा कि हमने बिहार में पिछले विधानसभा चुनाव में महागठबंधन :जदयू.राजद.कांग्रेस: बनाया था। त्यागी ने समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की ओर इशारा करते हुए कहा कि उत्तरप्रदेश के ये दोनों दल अपने ‘अहम’ के चलते व्यापक बिहार की तर्ज पर गठबंधन कर पाने में विफल रहे हैं। बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार की अध्यक्षता में कल पटना में आयोजित जदयू की इस कोर कमेटी की बैठक में भाग लेने के लिए पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव भी आज पटना पहुंच चुके हैं।

आप सरकार ने एससी.एसटी.ओबीसी छात्रों के लिए छात्रवृत्ति की संख्या में 70,000 की कमी की: यादव

$
0
0
kejriwal-reduced-sc-st-obc-scholarship-yogendra-yadav
नयी दिल्ली, 22 जनवरी, योगेंद्र यादव के नेतृत्व वाली स्वराज इंडिया ने आज आरोप लगाया कि दिल्ली की आप सरकार ने अनुसूचित जाति..अनुसूचित जनजाति और अति पिछड़ा वर्ग के छात्रों के लिए छात्रवृत्ति की संख्या में 70,000 से अधिक की कमी की है जो एक ‘‘दलित विरोधी कदम’’ है। यादव ने कल दावा किया था कि आप सरकार ने छात्रों की रिण योजना के लिए विज्ञापनों पर 30 लाख रपए खर्च किए लेकिन केवल तीन छात्रों को 3.15 लाख रपए दिए गए। उन्होंेने दावा किया कि अनुसूचित जाति..अनुसूचित जनजाति और अति पिछड़ा वर्ग के छात्रों को दी गयी स्कूल छात्रवृत्तियों की संख्या 2014-15 में 7,50,021 थी जो 2015-16 में घटकर 6,79,976 हो गयी यानी इसमें 70,045 की बड़ी कमी दर्ज की गयी। दिल्ली सरकार ने आरोपों को लेकर कहा कि जानबूझकर कर गलत सूचना का प्रसार किया जा रहा है। आप सरकार ने एक बयान में कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष में अब तक 100 से अधिक आवेदकों के लिए 3.55 करोड़ रपए का रिण मंजूर किया गया। पिछले वित्त वर्ष यानी 2015-16 में 54 छात्रों के लिए 1.52 करोड़ रपए का रिण मंजूर किया गया था।

विशेष : जाॅन की ने रचा पद त्याग का नया अध्याय

$
0
0
newzeland-ex-prime-minister-john
न्यूजीलैंड के लोकप्रिय प्रधानमंत्री जॉन की ने अपने पद से इस्तीफा देकर दुनिया को चैंका दिया है। आठ वर्षों के कार्यकाल के बाद एकाएक अपने पद से मुक्त होने का चिन्तन ही आश्चर्यकारी होने के साथ-साथ राजनीति की एक ऐतिहासिक एवं विलक्षण घटना है। आज जबकि समूची दुनिया के राजनीति परिदृश्य में सत्ता लोलुपता एवं पदलिप्सा व्याप्त है, प्रधानमंत्री तो क्या, कोई सांसद, विधायक एवं पार्षद भी स्वेच्छा से अपना पद-त्याग नहीं करता है। आज तक हमने दुनिया के किसी प्रधानमंत्री के बारे में यह नहीं सुना कि उसने स्वेच्छा से पद-त्याग किया। सचमुच यह एक विरल घटना है, जो राजनीति के लिये सीख बनी है एवं इसने विश्व राजनीति का एक नया इतिहास गढ़ा है।

आज राजनीतिज्ञांे की सोच, जीवनशैली, विचार और नीति इतनी पतनोन्मुखी बन गई है कि सत्ता हथियाने के लिए वे कुछ भी कर सकते हैं। कुर्सी के लिए आज कहां कयामत नहीं टूटती? सत्ता का व्यामोह कौन-से गलत रास्ते नहीं चुनता? कौन-सा ईमान नहीं बिकता, आदर्श नहीं चरमराते, सिद्धांत सूली पर नहीं चढ़ते, जीवनमूल्य अपाहिज नहीं होते, रिश्तों के नाम नहीं बदलते? सत्ता के लिये जब इतना सबकुछ होता है तो प्राप्त सत्ता और पद को कौन स्वैच्छा से त्यागेगा? लेकिन जॉन की ने सफल एवं यशस्वी आठ साल के कार्यकाल के चलयमान दौर में पद पर रहते हुए उसे त्याग देने का निर्णय लेना न केवल साहसिक बल्कि एक नये अध्याय का श्रीगणेश है। जॉन की का यह कहना कि मैंने आज तक जितने भी फैसले किए हैं, यह उन सभी में से सबसे ज्यादा कठिन फैसला है। न्यूजीलैंड सुदूर पूर्व का महत्वपूर्ण देश है लेकिन वह इतना प्रसिद्ध नहीं है कि दुनिया उसके प्रधानमंत्रियों को नाम से जाने। लेकिन जाॅन की के इस निर्णय के बाद न्यूजीलैंड को इस रूप में जानेगी कि कोई प्रधानमंत्री यहां हुआ जिसने स्वेच्छा से अपने पद का त्याग कर दिया। यह अकेली घटना इस देश को चर्चित करने के लिये पर्याप्त है। 

प्रधानमंत्री जैसे सर्वोच्च पद त्याग की इस घटना का कारण कोई राजनीति संकट नहीं है, और न ही कोई ऐसी त्रासद घटना है जिसके लिये प्रधानमंत्री को इस्तीफा देना पड़े। इसका कारण पारिवारिक कहा जा रहा है लेकिन साथ-ही-साथ जाॅन की ने कहा है कि वे हमेशा नए टैलेंट-प्रतिभाओं को बढ़ावा देने के पक्ष में रहते हैं और उन्हें आगे आते देखना चाहते हैं ये भी एक वजह है इस्तीफे की। उन्होंने कहा कि पार्टी एवं देश दोनों का नेता होने का अनुभव शानदार रहा। अचानक इस इस्तीफे की घोषणा से पूरा न्यूजीलैंड सन्न रह गया। उनके विरोधी भी अचंभे में पड़ गए। उनके विरोधी भी उनकी तारीफ कर रहे हैं। कुछ यह भी कह रहे हैं कि वे दुनिया के सर्वश्रेष्ठ प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री पद से नहीं, पार्टी-नेता के पद से भी इस्तीफा दे दिया है। अब वे संसद के साधारण सदस्य के रुप में ही रहेंगे। जाॅन की की उम्र अभी सिर्फ 55 साल है और उन्हें इस बात का श्रेय है कि वैश्विक मंदी के कठिन दौर में से न्यूजीलैंड को बाहर निकाल लिया था। जाॅन के बारे में उनके बेटे का कहना है कि उनके पिता एक आदर्श पुरुष हैं। वे जुझारु होने के साथ-साथ तरक्की पसन्द नेता है। राजनीति उनके लिये एक मिशन है। किसी भी देश की तरक्की वहां के शासक की दूरदर्शिता एवं व्यापक सोच पर निर्भर करती है। राजनीति में नये लोगों एवं प्रतिभाओं को भी अपनी क्षमताएं दिखाने का अवसर मिलना ही चाहिए। जब एक ही चेहरा बार-बार सत्ता पर काबिज होता जायेगा तो नयापन कैसे आयेगा? कैसे नयी प्रतिभाएं अपने कौशल और योग्यता से देश को प्रभावित करेंगी? सारे विश्लेषणों से मुक्त होकर जाॅन की ने यह दिखा दिया कि उपाधियां और पद कैसे छूटती हैं। सचमुच! यह घोषणा इस सदी के उन राजनेताओं के लिए सबक है जिनके जीवन में चरित्र से भी ज्यादा कीमती पद, प्रतिष्ठा, प्रशंसा और पैसा है। आज प्रश्न नयी दुनिया निर्मित करने का ही नहीं, उस तंत्र का है जहां विषमताएं फन फैल रही हैं, अहं का चादर लंबी होती जा रही है, पारस्परिकता के सूत्र दफन हो रहे हैं। ऐसे परिवेश में प्रधानमंत्री जैसे सर्वोच्च पद का त्याग निश्चित रूप से सर्वोच्च राष्ट्रीयता की तलाश में किए गए प्रस्थान का प्रमाण-पत्र है। अन्यथा सत्ता से छूटते ही व्यक्ति अकेला, असहाय, कमजोर, निराश हो जाता है। उसका चरित्र विवादों से घिर जाता है। 

जाॅन की ने सत्ता छोड़ी, सत्य के द्वारा खुल गए। राष्ट्र के कल्याण में स्वयं को सौंपा, राष्ट्रीयता जीवंत हो उठी। आखिर इसी पल की मानवता को प्रतीक्षा थी कि कोई महापुरुष आए। राजनीति को नयी दिशा एवं नयी दृष्टि दे। सह-अस्तित्व का भाव जगाए। सबमें करुणा बांटे। सबको कल्याण का रास्ता दिखलाए। राजनीति के उज्ज्वल भविष्य का अभिनंदन करे। सत्ता से जुड़ना और सत्ता से मुक्त होना-दोनों की प्रतिक्रिया आदमी के मन पर होती है। कहीं अहं जागता है, कहीं जीवन-मूल्यों की सुरक्षा के प्रति लापरवाही होती है। बिना दायित्व कौन किसकी चिंता करे, कौन किसके लिए जीये? पर न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री जाॅन की कि  निष्ठा और नीति सबसे हटकर है। यहां पद मुख्य नहीं है, राष्ट्र मुख्य है और अपने राष्ट्र का विकास, समृद्धि और संरक्षण का दायित्व भी महत्वपूर्ण है। इसलिए जाॅन की ने प्रधानमंत्री जैसे पद से मुक्त होकर दुनिया के समक्ष एक नायाब और अविरल उदाहरण प्रस्तुत किया है। सचमुच! उनके इस पद त्याग से कोई खतरा नहीं हो सकता, इससे उनका दूरदर्शी चिंतन, पुरुषार्थी संकल्प, संयोजना, गतिशील उद्देश्य दिखाई देता है।  जाॅन की ने अपनी विविध परीक्षणों के बाद ही प्रधानमंत्री जैसे सर्वोच्च पद के त्याग के नतीजे पर पहुंचे होंगे। सच तो यह है कि उनका पदत्याग कोई हंसी खेल नहीं। वटवृक्ष की छांह का सुखद आनंद पा लेने के बाद कोई भी साधारण वृक्ष के नीचे बैठे कैसे विश्राम और सुख पा सकता है? 

जाॅन की के इस निर्णय ने मुझे बहुत प्रभावित किया। मुझे सहसा आचार्य तुलसी के आचार्य पद विसर्जन की घटना याद आ गयी, जिसका मैं स्वयं साक्षी था। 18 फरवरी, 1994 की सुजानगढ की उस घटना में आचार्य तुलसी ने एक नया इतिहास रचा था।  जाॅन की के पद विसर्जन की घटना भी जैन दर्शन एवं धर्म से प्रेरित ही लगती है। क्योंकि जैन धर्म में ही ऐसे उदाहरण देखने को मिलते हैं कि कोई अरबपति जैन सेठ अचानक मुनि बन जाए, या कोई आम्रपाली-जैसी नगरवधू साध्वी बन जाए। भारतीय राजनीति के इतिहास में ऐसे कई उदाहरण अवश्य मिलते हैं। सम्राट अशोक हो या सिद्धार्थ का राजपाट छोड़कर संन्यासी बन जाना। स्वतंत्रता के बाद लालबहादूर शास्त्री एवं लोहिया ने भी  पद से ज्यादा महत्व राष्ट्रीयता को दिया। जाॅन की के इस्तीफे ने जो सवाल उछाला है, वह यह है कि अपनी खुशी से बड़ी चीज है राष्ट्र के लिये त्याग करने की भावना?


liveaaryavrt dot com

(ललित गर्ग)
ई-253, सरस्वती कंुज अपार्टमेंट
25 आई. पी. एक्सटेंशन, पटपड़गंज, दिल्ली-110092
फोनः 22727486, 9811051133

आलेख : देश का दुश्मन हम सबका दुश्मन

$
0
0
जो अपनों का नहीं होता, उस पर विश्वास करना कठिन होता है। पाकिस्तान में वर्तमान में इसी प्रकार का वातावरण निर्मित होता हुआ दिखाई दे रहा है। पाकिस्तान की सरकार और आतंकवाद का समर्थन करने वालों के मध्य बहुत बड़ी खाई पैदा होती हुई दिखाई देने लगी है, लेकिन इसका परिणाम क्या होगा, इसके बारे में जल्दबाजी करना ठीक नहीं होगा। क्योंकि पाकिस्तान के बारे में यह कहना समीचीन ही होगा कि वह आतंकवादियों के विरोध के नाम पर केवल खानापूर्ति ही करेगा। हम जानते हैं कि आज इस्लामिक आतंकवाद पूरी दुनिया के लिए खतरा बना हुआ है, इसलिए विश्व का कोई भी देश आतंकवाद को रोकने के लिए चलाए गए अभियान को भरपूर समर्थन देगा, यह तय सा दिखाई देने लगा है।

जैसे ही पाकिस्तान की ओर से सर्जीकल स्ट्राइक को झूठ बताया, वैसे ही भारत में पाकिस्तान जैसे स्वर उठने शुरु हो गए। इस बात का पाकिस्तान ने पूरा फायदा उठाया, उसने पूरी दुनिया में इस झूठ को प्रचारित करने के लिए अपने दूत भेज दिए। लेकिन उनके दूतों को पूरी विश्व बिरादरी से कोई समर्थन नहीं मिला। इस बात से अब पाकिस्तान में इस बात को को लेकर चिन्तन मनन प्रारंभ हो गया है कि आतंकवाद का क्या किया जाए। हालांकि पाकिस्तान ने पहले भी आतंकवाद के मुद्दे पर पूरी दुनिया को दिखाने के लिए कार्यवाही करने की बात कही थी, लेकिन उसके परिणाम में पाकिस्तान में आतंकवादियों की कार्यवाही पहले से ज्यादा बढ़ गई हैं। अब भले ही पाकिस्तान में आतंकवाद के विरोध में कार्यवाही किए जाने के स्वर सुनाई देने लगे हैं, लेकिन अब भी पाकिस्तान पर विश्वास करना लगभग कठिन सा ही लग रहा है। विश्व को यह दिखाने के लिए कि पाकिस्तान भी आतंकवाद के विरोध में है, कार्यवाही करने की बात करने लगा है। वैसे एक बात स्पष्ट रुप से कही जा सकती है कि सर्जीकल स्ट्राइक सेना का अभियान होता है, सरकार का नहीं। लेकिन आज भारत देश के विरोधी पक्ष को यह अभियान फर्जी दिखाई देने लगा है, इसलिए सब ओर से प्रमाण मांगने के स्वर सुनाई दे रहे हैं। विपक्ष और सत्ता पक्ष के स्वरों में भिन्नता का मतलब दुश्मन देश का मनोबल बढ़ाना है।

भारत असीमित संभावनाओं वाला देश होने के कारण विश्व के कई देश भारत की तरफ आना चाहते हैं, यहां तक कि चीन जैसे दुश्मन देश भी भारत के बिना अपना व्यापार नहीं चला सकता। आज भारत का बाजार चीन द्वारा निर्मित वस्तुओं से भरा पड़ा है। देश के चार प्रमुख त्यौहारों पर चीनी वस्तुओं की भरमार रहती है। इससे चीन को भारत से बड़ी रकम प्राप्त होती है। इसी धन को चीन संभवत: भारत के विरोध में उपयोग करता है। वर्तमान समय में यह तय हो चुका है कि चीन और पाकिस्तान घोषित तौर पर भारत के दुश्मन हैं। जो भारत का दुश्मन है, वह हर भारतीय का दुश्मन है। यहां पर यह कहना भी समीचीन लगता है कि भारत ने कभी भी अपनी ओर से पाकिस्तान के विरोध में किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं की। पाकिस्तान की कार्यवाही का जवाब ही दिया है। इसके अलावा भारत ने केवल आतंकवाद के विरोध में अपनी कार्यवाही की। इससे यह साबित होता है कि पाकिस्तान आतंकवाद के विरोध में की गई कार्यवाही को ही अपने विरोध की कार्यवाही समझ बैठा है। वास्तव में पाकिस्तान आतंकवाद का खात्मा करना चाहता है तो उसे भी भारत के अभियान का समर्थन करना चाहिए।

वर्तमान में जिस प्रकार से भारत देश में सर्जीकल स्ट्राइक के प्रमाण मांगने की होड़ चल रही है, उससे भारत को कितना फर्क पड़ रहा होगा, यह तो हमें नहीं मालूम, लेकिन यह जरुर कहा जा सकता है कि इससे पाकिस्तान के आतंकवादी आकाओं को निश्चित ही राहत मिली होगी। राजनीतिक कारणों से प्रमाण मांगने के खेल के पीछे कहीं पाकिस्तान के तार तो नहीं हैं। इस बात की जांच अवश्य ही की जानी चाहिए कि कुछ दिन पहले सर्जीकल के बारे में प्रशंसा करने वालों के स्वर एकदम कैसे बदल गए। कांगे्रस के नेता सेना की सर्जीकल स्ट्राइक की कार्यवाही को मौत का खेल बता रही है। वास्तव में कांगे्रस यही चाहती है कि हमारे सैनिक मरते रहें, और कोई कार्यवाही न करें। कौन नहीं जानता कि एक समय सैनिकों द्वारा आतंकियों के विरोध में की गई कार्यवाही के परिणाम स्वरुप भारतीय सैनिकों पर ही आरोप लगाकर आतंकवादियों का मनोबल बढ़ाने का काम किया गया था। बाटला हाउस की मुठभेड़ को भी लोग अभी भूले नहीं होंगे। इसमें भी कांगे्रस के नेताओं ने सुरक्षा बल की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए थे, लेकिन बाद में यही प्रमाणित हुआ था कि सैनिकों ने जो कार्यवाही की थी, वह एक दम ठीक थी।

कांगे्रस पार्टी द्वारा आज यह कहा जा रहा है कि उसने भी सर्जीकल स्ट्राइक जैसी कार्यवाही को अंजाम दिया था। इसके विपरीत सोशल मीडिया पर इसका खंडन भी प्रसारित किया जा रहा है। कांगे्रस की सरकार के समय किए गए सर्जीकल स्ट्राइक पर सवाल उठने लगे हैं, ऐसे में निश्चित रुप से कांगे्रस को सबूत देने का काम करना चाहिए। वैसे एक बात ध्यान देने योग्य है कि किसी भी देश में रक्षा मामलों में इस प्रकार की बयानबाजी नहीं की जाती जैसी भारत में हो रही है। देश की सुरक्षा के नाम पर सारा देश एक दिखाई देना चाहिए, लेकिन हमारे देश की विसंगति देखिए, सेना की कार्यवाही को ही कठघरे में खड़ा कर दिया।

सबसे बड़ा सवाल यह है कि देश बड़ा है आदमी। वास्तव में व्यक्ति के अंदर जो भी योग्यताएं हैं, वह सभी देश की देन हैं। भारत ही नहीं दुनिया का कोई भी व्यक्ति अपने देश से बड़ा नहीं होता। पाकिस्तान के कलाकारों ने भारत से वापस जाने के बाद भी अपने ही देश को प्रधानता दी और देना भी चाहिए। इसके विपरीत हमारे देश में क्या हो रहा है। कला के नाम पर देश को ही भूलने की भूल कर रहे हैं। फिल्म जगत भारत का एक हिस्सा है, कोई विदेशी कलाकार भारतीय फिल्मों में काम करके भले ही करोड़ों रुपए कमा ले, लेकिन वह अपने देश के बारे में ही सोचता है। भारत के कलाकारों को भी अपने देश के बारे में सबसे पहले सोचना चाहिए।

यहां पर हमें एक बात का अवश्य ही ध्यान रखना होगा कि जो व्यक्ति देश के विरोध में कदम उठाता है, वह किसी न किसी प्रकार से अपने आपको ही धोखा देता है। हमारे अंदर कोई प्रतिभा है तो उसका उपयोग देश के हित में सबसे पहले करना चाहिए। वर्तमान में पूरे भारतीय समाज को भारतीयता का चिन्तन करने की आवश्यकता महसूस की जाने लगी है। आज समाज में दो प्रकार की चिन्तन धारा प्रवाहित हो रही है या पैदा की जा रही है। सकारात्मक चिन्तन की दिशा में सोचने वालों की सक्रियता का अभाव दिखाई देने लगा है, इसके विपरीत नकारात्मक चिन्तन का प्रवाह अपनी गति में लगार विस्तार ही करता जा रहा है। सद्प्रवृति पैदा कर सकने वाला भारतीय समाज आज निष्क्रियता की अवस्था की ओर कदम बढ़ाता हुआ दिखाई दे रहा है। अब समय आ गया है कि सकारात्मक चिन्तन करने वाले समाज को आगे आकर भारतीयता की रक्षा के लिए आगे आना होगा। तभी हमारा देश और समाज सुरक्षित हो सकेगा।


liveaaryaavart dot com

(सुरेश हिन्दुस्थानी)
फोन : 09455099388
(लेखक सामयिक चिन्तक और विश्लेषक हैं)

रिफ्रेस दशहरा पुरस्कार 2016 के जजो ने रामलीला का अवलोकन किया

$
0
0
refresh-dushehra-award
नई दिल्ली, दिल्ली और एन.सी.आर में होने वाली रामलीला में सबसे उत्तम मंचन करने वाली रामलीला को जिला स्तर पर रिफ्रेस दशहरा पुरस्कार 2016 से सम्मानित किया जाता है ! श्री रामलीला कमेटी पंजाबी बाग,श्री सनातन धर्म लीला समिति करोल बाग,आर्यन हेरिटेज फाउंडेशन नेताजी सुभाष प्लेस तथा अन्य रामलीला का रिफ्रेस दशहरा पुरस्कार 2016 के चयन के लिए मीडिया प्रेस क्लब ने श्री जगदीश रावत,श्री सदानंद मिश्र और श्री प्रेम बाबू शर्मा को जज बनाकर रामलीला का अवलोकन करवाया ! यह तीनो  जज वरिष्ठ पत्रकार हैं जो रामलीला सहित सांस्कृतिक, मनोरंजन, कल्चरल इत्यादि कार्यक्रम को कवर करने का अनुभव रखते हैं ! यह जज रामलीला देखने के उपरांत अपनी राय मुख्य जज आध्यात्मिक गुरु संत त्रिलोचन दर्शन दास महाराज जी को देंगे। सभी रामलीला आयोजक अपने कमेटी के सदस्यों के साथ इन वरिष्ठ पत्रकारों को मंच पर स्मृतिचिन्ह देकर सम्मानित भी गया किया !

सन्दर्भ : हुसैन का भारत से दिल और दर्द का सम्बंध

$
0
0
कर्बला हमारे लिए एक अमर आदर्श है।क्यों कि दसवीं मोहर्रम की घटना, इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का आंदोलन, और अन्य धार्मिक अवसर इस्लामी इतिहास का वह महत्वपूर्ण मोड़ हैं जहां सत्य और असत्य का अंतर खुलकर सामने आ जाता है। इमाम हुसैन के बलिदान से इस्लाम धर्म को नया जीवन मिला और इसके प्रकाशमान दीप को बुझा देने पर आतुर यज़ीदियत को निर्णायक पराजय मिली। इस घटना में अनगिनत सीख और पाठ निहित हैं।दरअसल हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की कुर्बानी हमें अत्याचार और आतंक से लड़ने की प्रेरणा देती है। इतिहास गवाह है कि धर्म और अधर्म के बीच हुई जंग में जीत हमेशा धर्म की ही हुई है। चाहे वह भगवान राम हों,अर्जुन हों या फिर  हजरत पैगंबर सल्ल. के नवासे हजरत इमाम हुसैन, जीत हमेशा धर्म की ही हुई है। तभी तो इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना अर्थात् मोहर्रम शुरु होते ही भारत सहित पूरे विश्व में क़रबला की साढ़े 14 सदी पूर्व की दास्तां दोहाराई जाती है।यानी हज़रत मोहम्मद के नाती हज़रत इमाम हुसैन व उनके परिवार के सदस्यों का तत्कालीन मुस्लिम सीरियाई शासक की सेना के हाथों मैदान-ए-करबला में बेरहमी से कत्ल किये जाने की दास्तां।कर्बला के मैदान मे सत्य के लिए जान न्योछावर कर देने की जिंदा मिसाल बने इमाम हुसैन ने तो जीत की परिभाषा ही बदल दी। कर्बला में जब वे सत्य के लिए लड़े तब सामने खड़े यजीद और उसके 60 हजार से अधिक सैनिक के मुकाबले ये लोग महज 123  जिसमे 72 मर्द-औरतें और 51 बच्चे थे। इतना ही नहीं, इमाम हुसैन के इस दल में तो एक छह माह के बच्चे अली असगर भी शामिल थे।  उस समय के आतंकवादी रूपी सीरियाई शासक यजीद जो खुद को इस्लाम का पैरोकार कहता था ने, क्रूरता की वह सारी हदें पार कर दीं  जिसे सुन कर इंसानियत आज भी कांप उठती है।यजीद की फौज ने पैगम्बर स.स. के नवासे के काफिले को बेरहमी से कुचल डाला।इमाम हुसैन के बेटे अली अकबर सीने में ऐसा भाला मारा गया की उसका फल उसके कलेजे में ही टूट गया।मासूम बच्ची सकीना को तमाचे मार-मार कर इस तरह से उसके कानो से बालियाँ खींची गयी के उनके कान के लौ कट गए।अनैतिकता की हद तो यह थी कि शहीदों की लाशों को दफन तक न होने दिया।यजीद यहां पर भी नही रूका और हज़रत मोहम्मद के 80 वर्षीय मित्र हबीब इब्रें मज़ाहिर का भी कत्ल कर दिया।

इतिहासकार लिखतें हैं कि शहीदों के सरों को काट कर भालों की नोक पर रख़ा गया था। जबकि उनके धड़ और लाशों को घोड़ों की नालों से कुचल दिया गया  और उन्हें बगैर दफ़न के छोड़ दिया गया। इमाम की अग्नि परीक्षा की समाप्ती यहाँ नहीं हुई, बल्कि उनकी औरतों और बच्चों को बंदी बना कर उनपर भरपूर अत्याचार किया गया। बाद मे उन्हें कर्बला से दमिश्क (सीरिया) तक की कठिन यात्रा पर ले जाया गया। जहाँ उन्हें एक साल से भी अधिक समय तक बंदी बना कर रख़ा गया।इन बंदियों में कर्बला में बचे केवल एक पुरुष थे जो इमाम हुसैन के पुत्र इमाम जैनुल आबेदीन थे।उनके बच जाने का कारण उनकी बीमारी थी जो कर्बला में अधिकतर बेहोशी की हालत में थे।इस बीमार इमाम पर कर्बला के जंग के बाद उनकी बेहोशी, बीमारी और कमजोरी की हालत में बार बार जुल्म किया गया।शायद इसी लिए कई इतिहासकारों का मानना है कि करबला मे इस्लामी आंतकवाद की पहली इबारत लिखी गयी। यज़ीद एक दमनकारी शासक था,  खुले आम अपनी पापी गतिविधियों में लिप्त था, जैसे शराब पीना, निर्दोष लोगों को डराना और उनकी ह्त्या करना और विद्वानों का मजाक उड़ाना। फिर भी अपने वह आप को सही उत्तराधिकारी घोषित करता था और मुस्लिम समाज के नेता होने का दावा करता था। इसके दमन और सैन्य बल के कारण, भयभीत समाज चुप था और डर के कारण कुछ नहीं कर पाता था।यज़ीद ने इमाम हुसैन से कहा के उसकी बययत करें यानी उसके प्रति अपनी निष्ठा साबित करें।इमाम ने ये कह कर बययत से इंकार कर दिया कि हम पैगंबर के घराने से अहलेबैत हैं, जो पैगम्बरी को स्त्रोत है। मेरे जैसा  कोई भी शख्स  यजीद जैसे किसी भी शख्स के प्रति निष्ठा नहीं साबित कर सकता है।बल्कि मौत को आनंदपूर्वक शहादत की तरह देख सकता हूँ। इमाम हुसैन नें जिस मूव्मेंट की शुरुआत की वह केवल यह नहीं थी कि घर से निकलो, मैदान में जाओ और शहीद हो जाओ बल्कि इमाम बहुत बड़े मक़सद के लिये निकले थे।इमाम का मक़सद केवल शहादत नहीं थी,बल्कि वह इस्लाम के बचाव के लिए यजीद के मुकाबले मे आये थे।उन्होने यज़ीद के सारे गलत कार्यों को उजागर कर दिया और बताया की सत्य की विजय कैसे होती है।सत्य पर रहने वाले कैसे होते हैं।कहते हैं कि इमाम हुसैन ने यजीद की अनैतिक नीतियों के विरोध में मदीना छोड़ा और मक्का गए। उन्होंने देखा कि ऐसा करने से यहाँ भी खून बहेगा तो उन्होंने भारत आने का भी मन बनाया लेकिन उन्हें घेर कर कर्बला लाया गया और यजीद के नापाक इरादों के प्रति सहमति व्यक्त करने के लिए कहा गया।इस्लामिक इतहास में, अल हुसैन इब्ने अली ने एक शानदार अध्याय लिखा। यह अध्याय ऐसा है जो 14  सदियों के बाद भी  मानवता के दिलो दिमाग पर आज भी गूंजता है।शयद एक आधुनिक मुस्लिम लेखक की यह टिपण्णी सही जान पड़ती हैं कि कर्बला हर साल इस्लाम का नवीनीकरण करती है। 

अपने समय का महान ब्रिटिश इतिहासकार एडवर्ड गिब्बन ने अपनी पुस्तक डेकलाईन एंड फौल आफ रोमन अम्पाएर लन्दन के वोलूम 5  मे  उसने लिखा, किसी भी समय और बदले हुए दौर के लिए हुसैन अ:स की दुखद मौत का दृश्य, कड़े से कड़े दिल के पाठक के दिल में उनके लिए सहानुभूति जगाने के लिए काफी है।महात्मा गांधी ने 1924 में अपनी लेखनी यंग इंडिया में कर्बला की जंग को ऐसे दर्शित करते हुए लिखा,  मै उसके जीवन को अच्छी तरह समझना चाहता हूँ, जो मानवजाति में सर्वोत्तम है और मानवता के लाखों दिलों पर एक निर्विवादित राज किया करता है, हुसैन की निर्भीकता,इश्वर पर अटूट विश्वास और स्वयं को बलि पर चढ़ा कर हुसैन ने इस्लाम को बचा लिया। झांसी की रानी महारानी लक्ष्मी बाई को इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम से असाधारण आस्था थी। प्रोफेसर आर शबनम ने अपनी पुस्तक भारत में शिया और ताजिया दारी  मैं झांसी की रानी के संबंध में लिखा है कि  यौमे आशूरा और मुहर्रम के महीने में लक्ष्मी बाई बड़े आस्था के साथ मानती थी और इस महीने में वे कोई भी ख़ुशी वाले काम नहीं करती थी।इससे जाहिर है कि हिंदुस्तान के सभी धर्मों में हज़रत इमाम हुसैन से अकीदत और प्यार की परंपरा रही है। कर्बला की महान त्रासदी ने उदारवादी मानव समाज को हर दौर में प्रभावित किया है।यही कारण है कि भारतीय समाज में हज़रत इमाम हुसैन की याद न केवल मुस्लिम समाज में रही है बल्कि ग़ैर मुस्लिम समाज में मानवता के उस महान नेता की स्मृति बड़ी श्रद्धा के साथ मनाई जाती है। भारतीय सभ्यता जिसने हमेशा मज़लूमों का साथ दिया है कर्बला की महान त्रासदी से प्रभावित हुए बगैर ना रह सकी।राजस्थान ,मध्य प्रदेश और बंगाल की पूर्व देसी रियासतों में इमाम हुसैन को अकीदत के साथ याद किये जाने की परंपरा मिलती हैं। प्रेमचंद का प्रसिद्ध नाटक ‘कर्बला’ सही और गलत से पर्दा उठाता है। इसी तरह उर्दू साहित्य में ऐसे हिंदू कवियों की संख्या बहुत अधिक है जिन्होने अपनी रचनाओ में कर्बला के बारे में जिक्र न किया हो।जिनमे बी दास मुंशी चखनो लाल दलगीर, राजा बलवान सिंह, दिया किशन, राजा उल्फत राय, कंवर धनपत राय, खनोलाल जार, दलोराम कौसर, नानक लखनवी, मिनी लाल जवान, रूप कुमारी, मुंशी गोपीनाथ शांति, बावा कृष्ण मगमोम, कंवर महेंद्र सिंह बेदी सहर, कृष्ण बिहारी, डॉ. धर्मेंद्र नाथ, महेंदरसिंह अश्क, बाँगेश तिवारी, गुलज़ार देहलवी आदि का नाम लिया जा सकता है।इन्होने  इमाम हुसैन की अक़ीदत में बहुत से कविताये लिखी है जिस में उन का अक़ीदा झलकता है।

कर्बला पर गौर करने के बाद ये साफ हो जाता है कि मोहम्मद साहब ने जो इस्लाम दिया था वह ज़ुल्म और दहशतगर्दों का इस्लाम नहीं बल्कि अमन शांति और सब्र का इस्लाम है।आज के दौर मे फिर आतंकवात ने पंख फैला लिये हैं,इस्लाम की नई परिभाषा गढ़ कर बेगुनाहों का कत्ल किया जा रहा है।महिलाओं की आबरू लूटी जा रही है,लोगों को बेघर किया जा रहा है।मानवता और मुल्कपरस्ती तार-तार हो गयी है तो क्या इमाम हुसैन  का बलिदान आज फिर प्रेरण नही बन सकता है।बन सकता है लेकिन यहां तो सत्ता पाने की चाहत मे खून खराबा हो रहा है।इस्लाम का चेहरा लगाये यें लोग पैगम्बर के इस्लाम को नाहक बदनाम कर रहे हैं।हालाते ज़माना का जायज़ा लिया जाये तो हर दौर के हालात इमाम हुसैन अलैहिस सलाम की कामयाबी का ऐलान कर रहे हैं। यज़ीद कामयाब होता तो उस की कामयाबी के असरात होते लेकिन आज न उस की क़ब्र का निशान है न उस के ज़ायरीन हैं, न कोई उस का नाम लेवा है, न उस की बारगाह है, न उस का तज़किरा है। इमाम हुसैन अलैहिस सलाम आज भी हर तरह से फ़तह और कामयाब हैं, हर मुहर्रम उन की फ़तह का ऐलान करता है।हर हक उन ही के गिर्द चक्कर लगाता है। हर जालिम उन ही के नाम से घबराता है।हर सिपाही को उन ही से जिहाद का हौसला मिलता है, ग़रीबों को सहारा और हर निहत्थे इंसान के लिये उन की दास्तान हथियार का काम करती है। उनकी ज़िंदगी प्रेरणा का एक स्त्रोत है।
                               



liveaaryaavrt dot com

** शाहिद नकवी **

विशेष : नेताओ का राज , फिर कैसे आएगा इंडिया का स्वराज

$
0
0
योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण ने अपने “स्वराज अभियान” का अंत कर एक नई राजनैतिक पार्टी “स्वराज-इंडिया ” का गठन कर लिया है।  हालॉकि  उनसे इससे ज़्यादा की उम्मीद भी नहीं थी , मतलब वो अपने स्वराज अभियान के दौरान सड़को पर उतरने के बाद लोगो की उम्मीदों पर भी खरे उतरे है। टीवी  पर सबने  देखा की  योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण दोनों को आम आदमी पार्टी से बेइज़्ज़त करके निकाला गया था । हालाँकि  राजनीती  विश्लेषकों  का मानना है   की  आम आदमी पार्टी से निकालने पर उनकी बेइज़्ज़ती नहीं हुई थी क्योंकि सारी बेइज़्ज़ती तो उनकी उसी दिन हो गयी थी जब  उन्होंने आम आदमी पार्टी ज्वाइन की  थी उसके बाद बेइज़्ज़ती करने के कुछ  इज़्ज़त बची ही नहीं थी।

आम आदमी पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने भी अपना नाम  सार्वजानिक ना किये जाने की शर्त पर इस बात की पुष्टि की, कि यादव और भूषण को बेइज़्ज़त करके नहीं निकाला गया था बल्कि पार्टी की कार्यकारिणी की बैठक से  बाउंसर्स से हाथापाई करवा के निकाला गया था। इस पुष्टि से भी आम आदमी पार्टी की कथनी और करनी का अंतर और दोहरा चरित्र उजागर होता है क्योंकि पार्टी में संजय सिंह के होते हुए भी हाथापाई करने के लिए बाहर  से  बाउंसर्स को बुलाया गया। मतलब पार्टी केवल विज्ञापनों पर ही अपव्यय नहीं करती है बल्कि शक्ति प्रदर्शन पर भी करती है।

“स्वराज-इंडिया ” का नाम सुनकर किसी राजनैतिक दल का नहीं बल्कि किसी ट्रेक्टर  का ख्याल दिमाग में आता है। योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को समझना होगा की राजनीती में लोगो की अपेक्षाओ का बोझ अपने कंधो पर लादना होता है किसी ट्रैक्टर पर नहीं। ट्रैक्टर का उपयोग राजनीती में लोगो की अपेक्षाओ को लादने में नहीं बल्कि लोगो को नेताओ की रैली में  दिहाड़ी के 100 -200  रूपये  देकर रैली स्थल तक लादने तक ही सीमित है। योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण दोनों बेहद प्रतिभाशाली है , इसलिए नहीं की वो  जाने माने चुनावी विश्लेषक या वकील है बल्कि इसलिए की वो केजरीवाल के इरादों को बहुत जल्दी भाँप गए और कुमार विश्वास के होते हुए भी आम आदमी पार्टी पर  से उनका विश्वास , भाप की तरह उड़ गया।

“स्वराज-इंडिया ” के अध्यक्ष योगेंद्र यादव इतना मीठा बोलते है की मानो उनके ज़ुबान पर कई अवैध चीनी मीले चल रही हो , एक दो बार गलती से टीवी पर उनका पूरा इंटरव्यू  देख लिया था तो टीवी को डायबिटीज हो गया था ,जिसके चलते आज भी टीवी को इन्सुलिन के इंजेक्शन देने पड़ते है। योगेंद्र यादव कहते है की बचपन में उनका नाम सलीम हुआ करता था, वाकई ये बात उनके पक्ष में जाती है क्योंकि अगर उनकी पार्टी “स्वराज-इंडिया ” नहीं चली तो वो किसी जावेद को संभालकर “सलीम -जावेद” की डुप्लीकेट जोड़ी बनाकर राइटर बन सकते है या फिर किसी सुलेमान को संभालकर “सलीम -सुलेमान “की डुप्लीकेट जोड़ी बनाकर म्यूजिक कंपोजर भी बन सकते है। प्रशांत भूषण की वकालत अच्छी चलती है वरना वो भी जावेद या सुलेमान  बनकर सलीम , मतलब योगेंद्र यादव की मदद कर सकते थे।

योगेंद्र यादव जहाँ मीठा बोलते है वहीँ प्रशांत भूषण बहुत सॉफ्ट बोलते है। प्रशांत भूषण के इतने सॉफ्ट -स्पोकन होने की वजह से ही केजरीवाल ने उन्हें  अपनी पार्टी  से निकलवा दिया क्योंकि भूषण की सॉफ्ट बाते सुनकर उनका पत्थर जैसा दिल भी पिघलने लगता था। प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव की  मीठी और सॉफ्ट आवाज़  को मिलाकर अगर इनकी पार्टी का एंथम सांग बनाया जाए तो उस सांग से ना केवल कार्यकर्ताओ को उत्साहित किया जा सकता है बल्कि इसको छोटे बच्चो को  सुलाने के लिए लौरी  के काम में  भी लाया जा सकता है। ये लौरी सुन -सुन कर बच्चे ना केवल बड़े होंगे बल्कि “स्वराज-इंडिया ” पार्टी ज्वाइन करने के लिए प्रेरित भी होंगे। इसी मीठी -सॉफ्ट आवाज़ के चलते यादव -भूषण ने तय किया है की उनकी पार्टी “स्वराज-इंडिया ” आगामी पंजाब चुनाव नहीं लड़ेगी क्योंकि उनकी मीठी – सॉफ्ट आवाज़ पंजाब में सिद्धू की “आवाज़ -ए  -पंजाब” का मुकाबला नहीं कर पायेगी।

अच्छी आवाज़ के साथ-साथ यादव और भूषण दोनों अच्छे व्यक्तित्व के भी धनी है और धनी व्यक्ति के पास मनी भी बहुत होती है इसलिए आम आदमी पार्टी की स्थापना के वक़्त प्रशांत  भूषण और उनके पिताजी  ने एक करोड़ का चंदा दिया था और इसका बदला केजरीवाल ने उनको रोड दिखा कर  दिया। यादव और भूषण को राजनीती का पर्याप्त अनुभव है और इसका फायदा उनकी पार्टी “स्वराज-इंडिया ” को भी मिलेगा। उनको अपनी पुरानी पार्टी (आप) की तरह ईमान  बेचने की ज़रूरत नहीं है वो फिलहाल पार्टी के टिकट बेचकर ही काम चला सकते है।

“स्वराज-इंडिया ” को दूरदर्शी नेताओ की पार्टी भी कहाँ जा सकता है क्योंकि ज़्यादातर नेता जहाँ राजनीती में आने के बाद और थोड़ा लोकप्रिय होने के बाद अपने ऊपर फेंके हुए जूते और स्याही का सामना करते है वहीँ यादव और भूषण तो राजनीती में आने से कई वर्ष पहले से इन चीज़ों का सामना करने की नेट -प्रैक्टिस कर रहे है। यादव पर जहाँ स्याही फेंकी जा चुकी है वहीँ भूषण के ऑफिस में घुसकर कुछ लोगो ने जूतों से उनकी पिटाई कर दी थी। वैसे इन घटनाओ की निंदा की जानी चाहिए। मैंने भी इन घटनाओ की निंदा की थी , हालांकि मैं कड़ी निंदा नहीं कर पाया था ,क्योंकि निंदा करने से पहले मैंने मिठाई खा ली थी क्योंकि जैसे ही मैंनै इन घटनाओ के बारे में सुना, वैसे ही  मेरे दिल में ख्याल आया, “कुछ मीठा हो जाए”।

हर राजनैतिक  दल की तरह “स्वराज-इंडिया” से भी लोगो ने बहुत उम्मीदे लगा  रखी है और कुछ लोगो ने अपने पैसे भी  लगा रखे है। लगने और लगाने के इस माहौल में ,मैं भावुक समर्थको से अपील करता हूँ की वो प्लीज़ इस नई पार्टी से  दिल ना लगाए क्योंकि, “शीशा हो या दिल हो आखिर टूट जाता है”।अभी पार्टी के सामने  सबसे  बड़ी चुनौती  है की वो  पहले  चुनाव लड़ने के लिए  फंड जुटाए या फिर अपनी सभाओ और रैलियों  के  लिए भीड़ जुटाए क्योंकि भीड़ जुटाने के लिए भी पहले फंड की ही ज़रूरत होती है। यादव और भूषण  दोनों के लिए इन “चुनौतीयो और पनौतीयो”  से पार पाना  जरुरी है तभी “स्वराज -इंडिया” का बेडा पार होगा। उम्मीद की जानी चाहिए की ये नया दल पुराने दलो की तरह दलदल  में नहीं  गिरेगा और  इस दल की  दाल भी तभी गलेगी जब राजनैतिक तापमान बढ़ेगा और वैसे भी दाल इतनी मँहगी हो चुकी है की अभी “दाल में काला” देख पाना असंभव है।




liveaaryaavart dot com

--अमित शर्मा--

‘तथास्तु’ अवार्ड से अनेक हस्तियां सम्मानित

$
0
0
tathastu-awardसमाजिक संस्था ‘तथास्तु भावा’ ने समाज के विभिन्न क्षेत्र में उत्कर्ष कार्य करने वाले देश विदेश के कुछ नामचीन हस्तियों को ‘तथास्तु’ अवार्ड 2016 से सम्मानित किया गया। समारोह का आयोजन आईटीओ स्थित राजेंद्र भवन में स्पिरिचुअल लीडर मुनि श्री जयन्त कुमार जी के उपस्थिति में हुआ। इस मौके पर मुख्य अतिथि केन्द्रिय मंत्री थावर चंद गहलोत,स्पेशल गेस्ट मिनिस्टर ऑफ स्टेट फॉर पार्लियामेंट्री अफेयर्स मुख्तार अब्बास नकवी और मिनिस्टर आफ स्टेट एंड फाईनेस संतोष गंगवार थे। ‘तथास्तु’ अवार्ड से सम्मानित लोगों में राजेश कुमार जैन को आउटस्टैंडिंग कॉन्ट्रिब्यूशन इन बिजनस के लिए अवार्ड से नवाजा गया। पुरस्कार पाने वाले अन्य लोगो में अफ्रीकन देशों के एम्बेसडर में नामीबिया से एच.ई पायस डूनेसकी , यूगांडा से एच.ई मिस एलिजाबेथ पॉल,एम्बेसडर वी.बी.कुश...मुख्य थे। मुनि श्री जयंत कुमार जी ने तेरन्तः आचार्य श्री महाश्रमण जी अणुव्रत कार्यक्रम की चर्चा करते हुए ‘प्रेथाध्यन और योग’ के महत्व पर प्रकाश डाला। श्रीमुनि ने अर्थिक रूप से कमजोर और असहाय लोगों की मदद करने हेतु अग्रणी समाज के प्रख्यात लोगों का आह्वान किया और कहा कि समाजिक संस्था तथास्तु गरीब लोगो की मदद के लिए बनी हैं। राजेश कुमार जैन ने अवार्ड से सम्मानित होने के बाद में संस्था के लोगांे से बातचीत की और भविष्य में संस्था का हर प्रकार सहयोग करने का आश्वासन दिया।

शरीर के स्वस्थ और संतुलित विकास के लिए उचित मात्रा में भोजन लेना चाहिए: शेफ संजीव कपूर

$
0
0
complite-food-for-helthy-development
टीवी दुनियां में अपने कई शो से लोकप्रियता पाने वाले शेफ संजीव कपूर का कहना है अपने स्वस्थ के प्रति सजग रहते है,उन्होंने कहा कि‘ भोजन का संबंध शरीर से कम और मस्तिष्क से ज्यादा होता है, क्योंकि भूख का अहसास मस्तिष्क को ही होता है पर अधिकांश लोग जरूरत से ज्यादा या जरूरत से कम खाते हैं, जबकि शरीर के स्वस्थ और संतुलित विकास के लिए उचित मात्रा में भोजन लेना चाहिए...जो भोजन हम करे वह सतुंलित और पोष्टिक भी होना जरूरी है... बात उन्होंने दावत, विरासत और रॉयल जैसे ब्रांडों के साथ एलटी फूड्स द्वारा आयाजित एक प्रेस वार्ता में कहीं। इस मौके पर अमेरिका के रसोइये, बावर्ची यूसुफ जे.जे जॉनसन भी मौजूद थे। शेफ संजीव कपूर ने कहा ‘एलटी फूड्स के साथ मेरा लंबे समय से रिश्ता रहा हैं। पहले ब्रांड दावत के साथ काम करना शुरू कर दिया और इस लंबे सहयोग के लिए मुख्य कारकों में से एक बेहतर गुणवत्ता वाले उत्पादों, जो हम अपने व्यंजनों में उपयोग कर सकते हैं, लेकिन एलटी फूड ‘महाराज’ समुदाय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और समाधान देने के लिए ही उन लोगों के साथ काम कर रहा है । मुझे इस बात की खुशी है कि एलटी फूड्स यू.एस. और दुनिया भर में गुणवत्ता की दृष्टि पहली पंसद है।  सैफ जे.जे. ने कहा, ‘भारतीय संस्कृति, खानपान और यहां के फ्लेवर्स, मसालों से प्रभावित रहा हॅू। रॉयल बासमती व एलटीएफ से जुडना मेरे लिए सौभाग्य की बात है, और भारत के कुछ नए व्यंजन, मैं बासमती चावल और भारतीय भोजन और संस्कृति के बारे में पढा और सीखा हैं।
 विजय कुमार अरोड़ा ने कहा ‘दावत विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त ब्रांड है और दुनिया के दूर कोनों के लिए अपने विकास को सुनिश्चित करने की दिशा में हमारा ध्यान अब की दावत और रॉयल एक अभिन्न हिस्सा बनने के रूप में किया गया है। अमेरिकी परिवारों में बासमती चावल की श्रेणी में नंबर 1 स्थान तक पहुँचने का। हम आगे हमारे प्रिय ग्राहकों की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रयास करते हैं और आने वाले वर्षों में कई और दुनिया भर के बाजारों को जीत के लिए लग रही होगी। ’

अमेरिका के दक्षिण हिस्से में तूफान से 16 की मौत, आपातकाल की घोषणा

$
0
0
us-southern-part-storm-16-killed-emergency-declared
टाम्पा (फ्लोरिडा), 23 जनवरी, अमेरिका का पूरा दक्षिणी हिस्सा विनाशकारी तूफान की चपेट में है जिसमें कम से कम 16 लोगों की माैत हो गयी है। जॉर्जिया के गवर्नर नाथन डील ने राज्य के दक्षिणी-मध्य हिस्से के सात काउंटी में आपातकाल की घोषणा की है। उन्होंने आने वाले समय में मौसम के आैर अधिक खराब होने और इसके अटलांटा के उत्तरी हिस्से तक पहुंचने की आशंका व्यक्त की गयी है। श्री डील ने कहा, “मैं सभी जार्जियावासियों से जीवन की कम से कम क्षति होने अथवा घायल होने से रोकने के लिए अधिक सावधानी और सतर्कता बरतने की अपील करता हूं।” प्रभावित इलाकों से प्राप्त तस्वीरों में देखा गया है कि कई मकानें ध्वस्त हो गयी, कई घरों की छतें गिर गयी, पेड़ गिर गये और मैदानों में मलबा भर गया। राज्य आपदा प्रबंधकों ने बतया कि जॉर्जिया के कूक काउंटी में विनाशकारी तूफान से आठ लोगों की मौत हो गयी है। फ्लोरिडा-जॉर्जिया स्टेट लाइन के निकट स्थित प्रथम बाप्टिस्ट चर्च अदेल के पादरी ने बताया कि यहां कम से कम 50 लोग शरण लिये हुए हैं। उन्होंने टेलीफोन के माध्यम से बताया कि यहां पर इस वक्त कई लोगों को मुश्किलों काे सामना करना पड़ रहा है। सभी डरे-सहमे हुए हैं।

चीन में सैन्य एवं नागरिक विकास आयोग के प्रमुख होंगे जिनपिंग

$
0
0
xi-jinping-will-be-chief-military-and-civilian-development-commission-in-china
बीजिंग 23 जनवरी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग देश के नये सैन्य एवं नागरिक विकास आयोग के प्रमुख होंगे। यह आयाेग देश के महत्वाकांक्षी सैन्य आधुनिकीकरण कार्यक्रम का हिस्सा होगा। चीन सरकार की तरफ से जारी बयान कहा गया कि सरकार चाहती है कि वैश्विक हितों के तहत सेना के आधुनिकीकरण के साथ-साथ समुद्र के लिये ‘ब्लू वाटर’ नौसैनिक, टोही जेट विमानों और अन्य उन्नत प्रौद्योगिकियों से लैस सैन्य साजो सामान का विकास किया जाये। चीन की सरकारी संवाद समिति शिन्हुआ ने कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरो के हवाले से बताया कि यह आयोग एक केंद्रीय एजेंसी होगा जिसके पास एकीकृत सैन्य और नागरिक विकास के बारे में निर्णय लेने और प्रमुख मुद्दों के समन्वय की जिम्मेदारी होगी।

तेजस्वी का तंज , मोदीजी क्या यूपी को अपसेट करना चाहते है

$
0
0
tejasvee-dig-modi-is-what-you-want-to-upset-up
पटना 23 जनवरी, बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से अबतक जारी की गयी सूची में पार्टी नेताओं के पुत्रों और रिश्तेदारों को तरजीह दिये जाने को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर तंज कसते हुए उनसे सवाल किया कि क्या आप पार्टी नेताओं के बच्चों को ‘सेट’ करने में उत्तर प्रदेश काे ‘अपसेट’ करेंगे। श्री यादव ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर लिखा , “ आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी, क्या अब आप अपने नेताओं के बच्चों को सेट करने के चक्कर में यूपी को अपसेट करेंगे। बिहार के संदर्भ में कुछ याद आया सर। ” इससे पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी नेताओं से अपील की थी कि नेता अपने परिवार के लोगों के लिए टिकट नहीं मांगे लेकिन भाजपा की अबतक जारी की गयी दो सूची से साफ हो गया है कि उनकी अपील बेअसर दिख रही है। भाजपा की ओर से जारी की गयी दूसरी सूची में 155 नाम हैं। इस लिस्ट में पार्टी के कई बड़े नेताओं के पुत्रों और रिश्तेदारों के साथ ही बाहरी लोगों को तवज्जों दी गई है। उल्लेखनीय है कि बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछली बार (लोकसभा चुनाव) बेटी को सेट करने में लगे थे लेकिन नहीं कर पाए, इस बार दोनों बेटों (विधानसभा ) को सेट करना चाहते हैं, इस चक्कर में बिहार को ही अपसेट कर दिया ।

हुड्डा सुलझायेंगे मुम्बई कांग्रेस का विवाद

$
0
0
rahul-deputes-bhupinder-hooda-to-resolve-matters-in-mumbai-congress
नयी दिल्ली 23 जनवरी, मुम्बई कांग्रेस में विभिन्न गुटों के बीच मतभेदों को सुलझाने के लिए कांग्रेस पार्टी ने अपने अनुभवी नेता और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा को नियुक्त किया है। पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने श्री हुड्डा को मुम्बई कांग्रेस के विवाद को सुलझाने की जिम्मेदारी सौंपी है। वरिष्ठ नेता गुरूदास कामत ने बताया कि श्री हुड्ड 25 जनवरी को मुम्बई कांग्रेस के विभिन्न गुटों से मुलाकात करके उनके पक्षों को सुनेंगे। श्री कामत ने एक ट्वीट में कहा,“श्री गांधी के कार्यालय ने मुझे सूचित किया है कि श्री हुड्डा विवादों को सुलझाने के लिए 25 जनवरी को मुम्बई कांग्रेस के नेताओं से मुलाकात करेंगे।” मुम्बई कांग्रेस को नगर निकाय चुनावों के मद्देनजर गुटबाजी का सामना करना पड़ रहा है। पार्टी के पूर्व विधायक कृष्णा हेगड़े के हाल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने से कांग्रेस को एक तगड़ा झटका लगा था। श्री हेगड़े ने मुम्बई कांग्रेस के प्रमुख संजय निरूपम पर पार्टी के समर्पित नेताओं की उपेक्षा करने का आरोप लगाया था।

जल्लीकट्टू: पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले छोड़े

$
0
0
jallikattu-police-use-tear-gas
चेन्नई 23 जनवरी, तमिलनाडु में जल्लीकट्टू (सांडों को वश में करने के खेल) के समर्थन में यहां पिछले सात दिनों से प्रदर्शन कर रहे आंदोलनकारियों को आज सुबह हटाये जाने के बाद मरीना बीच की ओर बढ़ने का प्रयास कर रहे युवकों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया और इसके बाद मरीना बीच की ओर बढ़ने का प्रयास किया जिसके बाद पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े। राज्य विधानसभा के आज से शुरू होने वाले सत्र और गणतंत्र दिवस परेड के लिए इतंजामों को पूरा करने के लिए मरीना बीच की ओर जाने वाली सभी सड़कों को सील कर दिया गया है। मरीना के आसपास बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियाें को तैनात किया गया है। तमिलनाडु सरकार ने मरीना बीच पर प्रदर्शनों को देखते हुए सभी स्कूल और कॉलेजों को बंद रखे जाने की घोषणा की है। इस बीच द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के कार्यकारी अध्यक्ष एम.के स्टालिन समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग करने के लिए राज्य सरकार की निंदा की है और इसे एक गलत रूख बताया है।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस को मोदी ने दी श्रद्धांजलि

$
0
0
modi-tribute-netaji-subhash-chandra-bose
नयी दिल्ली 23 जनवरी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 121वीं जयंती के मौके पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। श्री मोदी ने अपने संदेश में कहा, “मैं नेताजी सुभाष चंद्र बोस को उनकी जयंती पर सलाम करता हूं। उनके पराक्रम ने भारत को औपनिवेशिकता दासता से मुक्ति दिलाने में प्रमुख भूमिका निभाई। नेताजी बोस एक प्रखर मेधाशक्ति के धनी थे जिन्होंने हमेशा समाज के हाशिये पर पड़े वर्गों के कल्याण एवं हितों के बारे में सोचा।” प्रधानमंत्री ने कहा, “मुझे इस बात का गर्व है कि हमारी सरकार को दशकों पुरानी लोकप्रिय मांग को पूरा करते हुए नेताजी बोस से जुड़ी फाइलें सार्वजनिक करने का अवसर मिला। नेताजी से जुड़ी फाइलें वेबसाइट पर भी उपलब्ध हैं।”

वीरता पुरस्कार बच्चों को किया सम्मानित

$
0
0
नयी दिल्ली 23 जनवरी, सार्वजनिक क्षेत्र के स्टेट बैंक ऑफ पटियाला ने राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार विजेता बच्चों को यहां सम्मानित किया है । बैंक के प्रबंध निदेशक एस ए रमेश ने यहां आयोजित एक कार्यक्रम में वीरता पुरस्कार विजेता 25 बच्चों को 20-20 हजार रुपये की वित्तीय सहायता देकर सम्मानित किया । 

इसके साथ ही बच्चों को प्रमाण पत्र और उपहार भी दिये गये। इस मौके पर उन्होंने कहा कि एक जिम्मेदार कारपोरेट के तौर पर उनका बैंक बहादुर बच्चों को सलाम करता है । उन्होंने कहा कि उनका बैंक अभी शताब्दी वर्ष और राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार का हीरक जयंती वर्ष मना रहा है। बैंक के महाप्रबंधक राजीव माथुर ने कहा कि उनका बैंक पिछले कई वर्षाें से वीरता पुरस्कार विजेता बच्चों को सम्मानित करता आ रहा है और इसके जरिये बहादुर बच्चों की वीरता से दूसरे बच्चों को प्राेत्साहित करने की कोशिश की जाती है।

मोदी ने 25 बहादुर बच्चों को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से नवाजा

$
0
0
नयी दिल्ली 23 जनवरी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी जान को जोखिम में डालकर दूसरों की रक्षा करने वाली 12 बच्चियों समेत देश के 25 बहादुर बच्चों को आज प्रतिष्ठित राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार प्रदान किये । श्री मोदी ने यहां आयोजित एक भव्य समारोह में इन नौनिहालों को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार -2016 से नवाज कर उनकी हौसला अफजाई की। प्रधानमंत्री ने इन बच्चों की वीरगाथाएं भी सुनीं । 

श्री मोदी ने 21 बच्चों को और उन चार बच्चों के अभिभावकों को ये पुरस्कार प्रदान किये जिन्हें मरणोपरांत पुरस्कृत किया गया । श्री मोदी ने पश्चिम बंगाल की तेजस्विता प्रधान और शिवानी गोंड को संयुक्त रूप से गीता चोपड़ा पुरस्कार तथा उत्तराखंड के सुमित ममगई को संजय चोपडा पुरस्कार से नवाजा । बापू गैधानी पुरस्कार मिजोरम की रोलुआपुई ,छत्तीसगढ के तुषार वर्मा आैर मिजोरम की ही एच लालरियातपुई (मरणोपरांत ) प्रदान किया गया । जम्मू कश्मीर की पायल देवी , अरूणाचल प्रदेश की तार पीजू को भी (मरणोपरांत ) भारत अवार्ड दिया गया । 

श्री मोदी ने लखनऊ की अंशिका पांडे ,छत्तीसगढ़ की कुमारी नीम ध्रुव ,ओडिशा के मोहन सेठी ,असम के टंकेश्वर पीगू ,केरल के आदित्यन एम पी पिल्लई , केरल के ही बिनिल मंजली और अखिलेश तथा बदरूनिशा के पी ,दिल्ली के नमन ,राजस्थान के साेनू माली ,हिमाचल प्रदेश के प्रफुल्ल शर्मा , महाराष्ट्र की निशा दिलीप पाटिल ,कर्नाटक की सिया वामनासा खोडे, मणिपुर के एम एस सिंह और नागालैंड के टी लुनकिम काे भी निस्वार्थ भाव से अदम्य साहस का परिचय देने के लिए पुरस्कृत किया । इस मौके पर केंद्रीय महिला एवं बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी और भारतीय बाल कल्याण परिषद की अध्यक्ष गीता सिद्धार्थ भी उपस्थित थीं । इससे पहले सार्वजनिक क्षेत्र के स्टेट बैंक ऑफ पटियाला ने राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार विजेता बच्चों को यहां सम्मानित किया । बैंक के प्रबंध निदेशक एस ए रमेश ने यहां आयोजित एक कार्यक्रम में वीरता पुरस्कार विजेता 25 बच्चों को 20-20 हजार रुपये की वित्तीय सहायता देकर सम्मानित किया । इसके साथ ही बच्चों को प्रमाण पत्र और उपहार भी दिये गये।

चुनावों के मद्देनजर बजट की तारीख बढ़ाने की याचिका खारिज

$
0
0
 नयी दिल्ली 23 जनवरी, उच्चतम न्यायालय ने कुछ राज्यों में विधानसभा चुनावों के मद्देनजर केन्द्रीय बजट पेश करने की तारीख आगे बढ़ाए जाने से संबंधित याचिका आज खारिज कर दी। याचिका में कहा गया था कि ऐसे समय में बजट लाना जबकि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं आर्दश चुनाव संहिता का उल्लंघन होगा। न्यायालय ने इस दलील को मानने से इनकार कर दिया कि बजट का लाया जाना किसी भी तरह से आचार संहिता का उल्लंघन होगा माना जा सकता। मुख्य न्यायाधीश जे एस केहर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि इस दावे को सही ठहराने का ऐसा कोई आधार नहीं है कि आम बजट विधानसभा चुनाव वाले राज्यों में मतदाताओं को प्रभावित कर सकता है। देश में पहली बार ऐसा हो रहा है जब आम बजट एक फरवरी को संसद में पेश किया जाएगा। 


चुनावों के बीच में बजट पेश किए जाने को आचार संहिता का उल्लंघन बताने वाली याचिका एक अधिवक्ता एमएल शर्मा की ओर से दायर की गई थी जिसमें उन्होंने न्यायालय से अनुरोध किया था कि वह केन्द्र को यह ओदश दें कि बजट एक फरवरी की बजाए पहली अप्रैल को पेश किया जाए क्योंकि बजट से चुनाव वाले राज्यों में मतदाताओं की सोच प्रभावित हो सकती है। याचिका में यह मांग भी की गई थी कि बजट में केन्द्र सरकार को किसी लुभावनी योजना की घोषणा करने से तबतक रोका जाए जबतक पांचों राज्यों में विधानसभा चुनाव संपन्न नहीं हो जाते। चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश,पंजाब,गोवा,उत्तराखंड और मणिपुर में विभिन्न चरणों में होने वाले विधानसभा चुनाव तिथियों की घोषणा चार जनवरी को की थी। उधर केन्द्र सरकार ने वर्ष 2017-18 के लिए एक फरवरी को आम बजट पेश करने की तैयारी पहले से ही कर रखी है।
Viewing all 74140 articles
Browse latest View live




Latest Images