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राजपथ पर दिखी सैन्य ताकत और सांस्कृतिक विरासत

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नयी दिल्ली 26 जनवरी, कड़ी सुरक्षा व्यवस्था और देशभक्ति के जज्बे से लबरेज माहौल में अड़सठवें गणतंत्र दिवस के मौके पर आज राजपथ पर देश की सैन्य ताकत, वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकी उपलब्धियों तथा समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की अद्भुत झलक देखने को मिली। हल्की बूँदाबाँदी के बीच डेढ़ घंटे चले मुख्य समारोह कुल 23 झाकियाँ, सैन्य बलों, अर्द्धसैनिक बलों, एनसीसी, एनएसएस तथा एनएसजी के 15 मार्चिंग दस्ते, संयुक्त अरब अमीरात का एक मार्चिंग दस्ता तथा उनके बैंडों ने हिस्सा लिया। साथ ही स्कूली बच्चों ने रंगारंग कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये। लेकिन, सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र फ्लाई पास्ट और परेड के अंत में वायु सेना के विमानों तथा मोटरसाइकिल पर कोर ऑफ मिलिट्री पुलिस के “श्वेत अश्व” के हैरतंगेज कर देने वाले कारनामे रहे। समारोह की शुरुआत इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने भी तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ शहीदों को अपनी श्रद्धांजलि दी। इसके बाद प्रधानमंत्री ने सलामी मंच पर आकर तीनों सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर और राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी तथा आबूधाबी के युवराज एवं संयुक्त अरब अमीरात की सशस्त्र सेनाओं के डिप्टी सुप्रीम कमांडर मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान की अगवानी की जो इस साल समारोह के मुख्य अतिथि भी थे। झंडोत्तोलन और 21 तोपों की सलामी के साथ राष्ट्रधुन की तरंगों पर सुबह 10 परेड शुरू हो गयी। दिल्ली क्षेत्र के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल एम.एम. नरवाने परेड कमांडर तथा दिल्ली क्षेत्र के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल राजेश सहाय परेड के सेकेंड इन कमांड थे। परेड का समापन आठ किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद लाल किले पर हुआ जहाँ 26 से 31 जनवरी तक भारत पर्व मनाया जा रहा है। सभी झाँकियां लोगों के दिखने के लिए इस दौरान लाल किले पर ही रखी जायेंगी।







समूचे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया गणतंत्र दिवस

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नयी दिल्ली, 26 जनवरी, भारतीय संविधान के गौरवशाली 68वें गणतंत्र दिवस का जश्न आज समूचे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया, इस वर्ष गणतंत्र दिवस समारोह में सऊदी अरब अमीरात की सशस्त्र सेनाओं के डिप्टी सुप्रीम कमांडर मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे। इस मौके पर राजपथ पर देश की विराट सैन्य शक्ति और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन दिखाई दिया। तीनों सेनाओं, सुरक्षा बलों और पुलिस केे जवानों ने परेड में हिस्सा लिया। लगभग डेढ घंटे तक चले रंगारंग कार्यक्रम में स्कूली बच्चों के कार्यक्रम और राज्य की संस्कृति तथा देश की प्रगति दर्शाने वाली झांकियां पेश की गयी। परेड के अंत में सुरक्षा बलों के माेटर साइकिल दस्तों और वायुसेना के विमानों ने रोमांचक करतब दिखा कर चकित कर दिया। राजपथ पर हल्की बूँदाबाँदी के बीच डेढ़ घंटे चले मुख्य समारोह की परेड में कुल 23 झाकियाँ, सैन्य बलों, अर्द्धसैनिक बलों, एनसीसी, एनएसएस तथा एनएसजी के 15 मार्चिंग दस्ते, संयुक्त अरब अमीरात का एक मार्चिंग दस्ता तथा उनके बैंडों ने हिस्सा लिया। साथ ही स्कूली बच्चों ने रंगारंग कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये। लेकिन, सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र फ्लाई पास्ट और परेड के अंत में वायु सेना के विमानों तथा मोटरसाइकिल पर कोर ऑफ मिलिट्री पुलिस के “श्वेत अश्व” के हैरतंगेज कर देने वाले कारनामे रहे। समारोह की शुरुआत इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने भी तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ शहीदों को अपनी श्रद्धांजलि दी। इसके बाद प्रधानमंत्री ने सलामी मंच पर आकर तीनों सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर और राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की अगवानी की। झंडोत्तोलन और 21 तोपों की सलामी के साथ ही सुबह 10 परेड शुरू हो गयी। दिल्ली क्षेत्र के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल एम.एम. नरवाने परेड कमांडर तथा दिल्ली क्षेत्र के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल राजेश सहाय परेड के सेकेंड इन कमांड थे।






मधुबनी : जिलापरिषद उपाध्यक्ष ने फहराया उलटा झंडा !!

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मधुबनी 26 जनवरी, मधुबनी जिला परिषद उपाध्यक्ष मेराज आलम ने आज जिला परिषद् परिसर में तिरंगा फहराया और उसे सलामी दी पर यहां तिरंगा उल्टा  बांधा गया था और उल्टा ही फहरा दिया गया । पत्रकारों की नजर जब उलटे तिरंगे पर पड़ी तो आनन् फानन में उलटे तिरंगे को उतार लिया गया ।  जब जिला परिषद के उपाध्यक्ष मेराज आलम से पूछा गया तो राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के प्रति असंवेदनशीलता दिखाते हुए उन्होंने कहा कि "चलिए चलिए इसमें मैं क्या करूँ "। बताते चलें कि इस दौरान जिलाधिकारी,पुलिस अधीक्षक समेत जिले के तमाम आला अधिकारी भी वहीँ मौजूद थे पर अब तक इसपर किसी ने संज्ञान नही लिया ना ही कोई कार्रवाई की गई ।

मधुबनी राजनीति का अखाडा जिला परिषद और उप विकास आयुक्त कार्यालय एक ही प्रांगण में हैं और इसी प्रांगन में डीडीसी और जिल परिषद् अध्यक्ष भी झंडा फहराते हैं. जानकार बताते हैं कि एक ही परिसर में एक ही झंडोतोलन होना चाहिए मगर परिसर में हमेशा से जिला परिषद और उप विकास आयुक्त कार्यालय का नूरा कुश्ती इसी झंडोतोलन में सामने आता रहा है इस बार उपाध्यक्ष के झंडा फहराने की महत्वाकांक्षा ने मधुबनी जिला मुख्यालय में जिले के तमाम आला पधाधिकारी के सामने तिरंगा को अपमानित किय और जिला पदाधिकारी  जिला पुलिस पदाधिकारी समेत तमाम पदाधिकारियों अतिसंवेदनशील मुद्दे पर समारोह दर समारोह अतिथि बन व्यस्त रहे !






आस्ट्रेलियन ओपन : विलियम्स बहनों में होगा खिताबी मुकाबला

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मेलबोर्न, 26 जनवरी, टेनिस इतिहास की सबसे मशहूर विलियम्स बहनों वीनस और सेरेना के बीच वर्ष के पहले ग्रैंड स्लेम आस्ट्रेलियन ओपन का खिताबी मुकाबला खेला जाएगा। दोनों के बीच ग्रैंड स्लेम के खिताब का फैसला करने के लिये यह नौवीं भिड़ंत होगी। विलियम्स बहनों में छोटी बहना 35 वर्षीय सेरेना ने विध्वंसक प्रदर्शन करते हुये क्रोएशिया की 34 वर्षीय मीरजाना लूसिच बरोनी को 6-2 6-1 से निपटाया जबकि 13वीं सीड बड़ी बहन 36 वर्षीय वीनस ने हमवतन कोको वेंडेवेग को तीन सेटों के संघर्ष में 6-7 6-2 6-3 से पराजित किया। वीनस और सेरेना इस तरह नौवीं बार किसी ग्रैंड स्लेम टूर्नामेंट के खिताबी मुकाबले में आमने सामने होंगी। खिताब किसी की भी झोली में जाये लेकिन यह तय है कि आस्ट्रेलियन ओपन उनके घर में ही रहेगा। अपनी बहन से एक साल छोटी सेरेना ने कहा“ हम दोनों के लिये ही फाइनल एक तरह से सपना पूरा होने जैसा है। वह हमेशा मेरी कड़ी प्रतिद्वंद्वी रही हैं। वीनस ने जितना मुझे हराया है उतना मुझे किसी ने नहीं हराया है। नतीजा कोई भी हो लेकिन एक विलियम्स चैंपियन बनेगी।” पूर्व नंबर एक वीनस ने दूसरी बार अपने करियर में आस्ट्रेलियन ओपन के फाइनल में जगह बनाई जबकि सेरेना अपने सातवें आस्ट्रेलियन ओपन खिताब तथा रिकार्ड 23वें ग्रैंड स्लेम के लिये उतरेंगी। सेरेना ने 2003 में वीनस को इसी टूर्नामेंट के खिताबी मुकाबले में हराया था। 







सेरेना से सेमीफाइनल में हारने वाली बरोनी ने मेलबोर्न पार्क में 15 साल की उम्र में जूनियर युगल खिताब जीता था। अपनी निजी जिंदगी में काफी उतार चढ़ाव से गुजरने के बाद बरोनी ने विश्व की 79वें नंबर की खिलाड़ी के रूप में सेमीफाइनल में जगह बनाई। बरोनी के बायें पैर में पट्टियां बंधीं थी। उन्होंने मैच में उतरने के साथ ही विनर्स झाेंकने चालू किये लेकिन यह विश्व की दूसरे नंबर की खिलाड़ी को रोकने के लिये पर्याप्त नहीं थे। दूसरी सीड सेरेना ने 50 मिनट में ही मुकाबले को निपटा दिया। छह बार की चैंपियन सेरेना को रोकना बरोनी के बस की बात नहीं थी। सेरेना की पहली ही सर्विस सही जगह पर थी और उन्होंने बरोनी का फोरहैंड नेट में उलझते ही जीत अपने नाम कर ली। सेरेना ने इसके साथ ही अपने 29वें ग्रैंड स्लेम फाइनल में जगह बना ली जहां अब वह 23वें खिताब के लिये खेलेंगी। मैच के बाद सेरेना ने अपनी प्रतिद्वंद्वी को नेट के पास जोर से गले लगाया जिसके बाद बरोनी ने इस दिन को यादगार बनाने के लिये सेरेना के साथ सेल्फी भी ली। सेरेना ने कहा“ ईमानदारी से कहूं वह एक प्रेरणा हैं। उन्हें हर श्रेय मिलना चाहिये। जिन हालात से वह गुजरीं उन्होंने सिर्फ मुझे प्रेरित ही किया।” सेरेना की बड़ी बहन वीनस को अपना मुकाबला जीतने के लिये अपनी छोटी बहन से तीन गुना ज्यादा समय कोर्ट पर गुजारना पड़ा। उन्होंने विश्व की 35वें नंबर की खिलाड़ी वेंडेवेग से पहला सेट टाईब्रेक में हारने के बाद शानदार वापसी करते हुये जीत हासिल की। वीनस ने पहले सेट का टाईब्रेक 3-7 से गंवाया लेकिन पावर गेम की धनी वीनस ने इसके बाद पावर गेम का ही नमूना पेश करते हुये अगले दो सेट 6-2 6-3 से निपटा दिये। वीनस की जीत में सबसे बड़ी खासियत यह रही कि उन्होंने 13 ब्रेक अंकों में से 12 में अपनी सर्विस बचा दी। सात ब्रेक अंकों का सामना तो उन्होंने दूसरे सेट में ही किया। अपना मैच जीतने के बाद वीनस ने इसका जश्न कोर्ट में चारों ओर डांस कर मनाया। इसके साथ ही वह प्रोफेशनल युग में आस्ट्रेलियन ओपन के महिला फाइनल में जगह बनाने वाली सबसे उम्रदराज खिलाड़ी बन गयीं। 






आस्ट्रेलियन ओपन : फेडरर 18वें ग्रैंड स्लेम खिताब से एक कदम दूर

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मेलबोर्न, 26 जनवरी (वार्ता) ग्रैंड स्लेम खिताबों के बादशाह स्विटजरलैंड के रोजर फेडरर ने हमवतन स्टेनिसलास वावरिंका को गुरूवार को पांच सेटों के मैराथन संघर्ष में 7-5 6-3 1-6 4-6 6-3 से हराकर आस्ट्रेलियन ओपन के फाइनल में प्रवेश कर लिया और अब वह अपने 18वें ग्रैंड स्लेम से एक कदम दूर रह गये हैं। 17वीं सीड फेडरर ने चौथी वरीयता प्राप्त वावरिंका को तीन घंटे चार मिनट तक चले मुकाबले में हराकर छठी बार आस्ट्रेलियन ओपन के फाइनल में जगह बनाई। फेडरर के 2012 के बाद से एक अदद ग्रैंड स्लेम की तलाश है। फेडरर ने अपना आखिरी ग्रैंड स्लेम खिताब 2012 में विंबलडन के रूप में जीता था। उसके बाद से लगभग साढ़े चार साल गुजर चुके हैं फेडरर के हाथ कोई और ग्रैंड स्लेम नहीं लगा है। चार बार (2004, 2006, 2007 और 2010)आस्ट्रेलियन ओपन में चैंपियन रह चुके फेडरर का अब खिताब के लिये स्पेन के राफेल नडाल और बुल्गारिया के ग्रिगोर दिमित्रोव के बीच सेमीफाइनल के विजेता से मुकाबला होगा। फेडरर पिछले साल छह महीने तक चोटों से परेशान रहे थे लेकिन चोटों से उबरने के बाद उन्होंने नये साल में शानदार वापसी की है। 35 वर्षीय स्विस मास्टर ने अपने 28वें ग्रैंड स्लेम फाइनल में जगह बनाई है। उन्होंने 2014 में यहां चैंपियन रह चुके वावरिंका की कड़ी चुनौती पर काबू पा लिया। स्विस मास्टर ने पहले दो सेट 7-5 और 6-3 से जीत लिये। लेकिन वावरिंका ने मुकाबले को रोमांचक बनाते हुये अगले दो सेटों पर 6-1 और 6-4 से कब्जा किया। निर्णायक सेट में फेडरर अपने चरम पर थे और उन्होंने इस सेट को 6-3 से निपटा दिया। इस जीत के साथ फेडरर का आस्ट्रेलियन ओपन में 86-13 का रिकार्ड हो गया है। फेडरर यदि रविवार को खिताब जीतने में कामयाब होते हैं तो वह पीट सम्प्रास के 2002 में यूएस ओपन जीतने के बाद किसी ग्रैंड स्लेम को जीतने वाले पहले 17वीं सीड खिलाड़ी बन जाएंगे। यदि फेडरर फाइनल में 15वीं सीड दिमित्रोव से भिड़ते हैं तो उनके खिलाफ फेडरर का 5-0 का रिकार्ड है। यदि वह नडाल से भिड़ते हैं तो उनका 14 बार के ग्रैंड स्लेम चैंपियन और यहां 2009 में विजेता रह चुके नडाल के खिलाफ 11-23 का रिकार्ड है। फेडरर फाइनल में उतरने के साथ ही एक बड़ी उपलब्धि हासिल कर लेंगे क्योंकि आस्ट्रेलियन ओपन में यह उनका 100वां मैच होगा। स्विटजरलैंड के दो धुरंधर खिलाड़ियों के बीच हुये इस मुकाबले में फेडरर ने नौ में से चार ब्रेक अंक भुनाये जबकि वावरिंका ने 12 में से चार ब्रेक अंक भुनाये। फेडरर ने 47 विनर्स और वावरिंका ने 45 विनर्स लगाये। फेडरर के रैकेट से 11 एस और वावरिंका के रैकेट से 10 एस निकले। फेडरर पहली और दूसरी सर्विस के मामले में वावरिंका पर भारी साबित हुये और यही बात उन्हें विजेता बना गयी।






पद्म भूषण के लिये और क्या करना होगा : आडवाणी

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नयी दिल्ली , 26 जनवरी, 16 बार के विश्व चैम्पियन रह चुके स्टार बिलियर्ड्स खिलाड़ी पंकज आडवाणी ने इस वर्ष भी खुद को दूसरे प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान पद्म भूषण न दिये जाने पर निराशा जाहिर करते हुए कहा है कि पद्म भूषण के लिये उन्हें अब और क्या करना होगा। आडवाणी ने इस सप्ताह के शुरु में खिताब जीतने के बाद खेल मंत्री विजय गोयल की ओर से दिए गए बधाई ट्वीट का जवाब देते हुए कहा,“ शुक्रिया सर। 16 बार विश्व खिताब जीतने और दो बार एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक जीतने के बाद अगर मेरी पद्म भूषण के लिये अनदेखी होती है तो मुझे नहीं पता कि मुझे इसे पाने के लिए और क्या करना चाहिए।” आडवाणी को 2006 में देश के सबसे बड़े खेल पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा 2009 में उन्हें पद्मश्री से अलंकृत किया गया था। 31 वर्षीय पंकज इस खेल में विश्व के पूर्व नंबर एक खिलाड़ी रह चुके हैं। उन्होंने 2006 दोहा में और 2010 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था।






द्रविड़ ने मानद उपाधि लेने से किया इन्कार

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बेंगलुुरु, 26 जनवरी, पूर्व भारतीय क्रिकेटर और कप्तान राहुल द्रविड़ ने बेंगलुरु विश्वविद्यालय की मानद डॉक्टरेट की उपाधि लेने से इन्कार करते हुए कहा है कि वह खेलों के क्षेत्र में अनुसंधान करके खुद यह डिग्री हासिल करेंगे। बेंगलुरु विश्वविद्यालय की 52 वीं दीक्षांत समारोह में मानद उपाधि लेने से इन्कार करते हुए द्रविड़ ने कहा,“ मानद उपाधि लेने के बजाय मैं इस खेल के क्षेत्र में अनुसंधान करने में किसी तरह का शिक्षण कार्य पूरा करके डॉक्टरेट की डिग्री हासिल करूंगा।” पूर्व कप्तान ने मानद उपाधि के लिए उन्हें चुने जाने के लिए बेंगलुरु विश्वविद्यालय का शुक्रिया अदा किया।






मध्यप्रदेश में मनाया गया गणतंत्र दिवस, मुख्यमंत्री ने की अनेक घोषणाएं

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भोपाल, 26 जनवरी, देश का अडसठवां गणतंत्र दिवस आज राजधानी भोपाल समेत पूरे मध्यप्रदेश में परंपरागत हर्ष और उल्लास के साथ मनाया गया। राज्य स्तरीय मुख्य आयोजन यहां मोतीलाल नेहरू स्टेडियम में आयोजित किया गया, जिसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराने के साथ ही आकर्षक और भव्य परेड की सलामी ली। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने इस अवसर पर मध्यप्रदेश में एक मई से पाॅलीथीन थैली पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही अनेक घोषणाएं कीं। उन्होंने राज्य के लोगों को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए राज्य के विकास में आम लोगों का सहयोग भी सुनिश्चित करने का आह्वान किया। श्री चौहान ने कहा कि राज्य में कैशलेस ट्रांजेक्शन मिशन बनाया जाएगा। इसके अलावा होशंगाबाद जिला मुख्यालय पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीतासरन शर्मा ने और उपाध्यक्ष राजेंद्र कुमार सिंह ने सतना जिला मुख्यालय पर आयोजित गरिमामय समारोह में भव्य परेड की सलामी लेकर मुख्यमंत्री के संदेश का वाचन किया। गृह एवं परिवहन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने सागर में, जनसंपर्क मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने दतिया में और राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने इंदौर में ध्वजारोहण करके मुख्यमंत्री के संदेश का वाचन किया। अन्य जिला मुख्यालयों से भी इसी तरह के कार्यक्रम आयोजित होने के समाचार यहां पहुंचे हैं। राजधानी भोपाल में राजभवन, विधानसभा भवन, मुख्यमंत्री निवास और अन्य सरकारी कार्यालयों के अलावा विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रदेश मुख्यालयों पर भी ध्वजारोहण करके गणतंत्र दिवस मनाया गया। भोपाल और अन्य स्थानों पर गणतंत्र दिवस के मद्देनजर सुरक्षा के सख्त प्रबंध किए गए थे। 







कौमी एकता दल का बसपा में विलय, मुख्तार समेत परिवार के तीन सदस्यों को टिकट

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लखनऊ 26 जनवरी, उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित विधायक मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल(कौएद) का आज बहुजन समाज पार्टी(बसपा) में विलय हो गया। पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कौएद का बसपा में विलय करते हुए मुख्तार अंसारी को मऊ सदर, उनके बेटे अब्बास अंसारी को घोसी और भाई सिगबत उल्ला अंसारी को विधानसभा की मोहम्मदाबाद सीट से उम्मीदवार बनाने की भी घोषणा कर दी। इनके साथ ही न्यायमूर्ति (अवकाश प्राप्त) सभाजीत यादव ने भी बसपा की सदस्यता ग्रहण की। बसपा अध्यक्ष मायावती ने अंसारी बंधुओं को बसपा में शामिल करते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी(सपा) और भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) में अतीक अहमद, बृजभूषण शरण सिंह, राजा भैया, बृजेश सिंह, धनन्जय सिंह, उमाकान्त यादव, रमाकान्त यादव और डी पी यादव जैसे आपराधिक छवि के लोग हैं। उनकी तरह बसपा अंसारी बंधुओं को कुछ भी करने की छूट नहीं देगी। सुश्री मायावती ने कहा कि यदि कोई सुधरना चाहता है तो उसे मौका मिलना चाहिए। सुश्री मायावती ने कहा कि उनकी सरकार में किसी को मनमानी करने की छूट नहीं रहती। सरकार बनी तो आपराधिक गतिविधियां नहीं होने दी जायेंगी लेकिन यदि कोई सुधरना चाहता है तो उसे पूरा मौका दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पूर्व विधायक कृष्णानन्द राय की हत्या की जांच केन्द्रीय जांच ब्यूरो(सीबीआई) कर चुकी है। श्री अंसारी के परिजनों के मुताबिक सीबीआई ने मुख्तार को क्लीनचिट दे दी है। इसलिए वह मामला भी समाप्त ही है। 

भाजपा पर आक्रामक सुश्री मायावती ने कहा कि धर्म का सहारा लेकर चुनाव लड़ने की कोशिश में एक पार्टी लग गयी है। उसे पता चल गया है कि उसकी पराजय तय है। इसीलिए राम मन्दिर निर्माण का मुद्दा फिर से उछाला जा रहा है। अमर्यादित बातें की जा रही हैं। उन्होंने निर्वाचन आयोग से भाजपा के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। उन्होंने दोहराया कि नोटबन्दी से नाराज जनता भाजपा को चुनाव में सबक सिखायेगी। बसपा अध्यक्ष ने कहा कि सपा भी जान गयी है कि उसकी सरकार नहीं आ रही है इसीलिए सपा अध्यक्ष ने पश्चिम के बजाय सुलतानपुर से प्रचार अभियान शुरु किया। पश्चिमी क्षेत्र में चुनाव प्रथम और द्वितीय चरण में है जबकि सुलतानपुर में पांचवें चरण में मतदान होना है। इस अवसर पर मुख्तार अंसारी के बड़े भाई और पूर्व सांसद अफजाल अंसारी ने सपा को धोखेबाज बताया और कहा कि उनके परिवार के साथ की गयी धोखेबाजी से मुलायम सिंह यादव का वह बयान सही ही लगता है जिसमें अखिलेश यादव को मुस्लिम विरोधी बताया गया था। उन्होंने अखिलेश यादव पर मुस्लिम विरोधी होने का आरोप लगाया और कहा कि इसका खामियाजा उन्हें गाजीपुर से गाजियाबाद तक भुगतना पड़ेगा। उन्होंने सुश्री मायावती को शिकायत का मौका नहीं देने का आश्वासन दिया। गौरतलब है कि ‘यादव परिवार’ में कौमी एकता दल के विलय को लेकर ही राजनीतिक विवाद शुरु हुआ था। गत 21 जून को कौएद का सपा में विलय हुआ। अखिलेश यादव ने सख्त नाराजगी जतायी और बलराम यादव को मंत्रिमण्डल से बाहर कर दिया। 25 जून को सपा संसदीय बोर्ड की बैठक में विलय निरस्त कर दिया गया। विवाद थोड़ा सा थमा था कि मुलायम सिंह यादव ने एक बार फिर कौएद का विलय सपा में कर लिया लेकिन अखिलेश यादव अपने रुख पर अड़े रहे और अन्तत: अंसारी बन्धुओं से सपा का दामन छूट गया। 






उत्तर प्रदेश : आम लोगों की भागीदारी के साथ हर्षोल्लास से मना गणतंत्र दिवस

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लखनऊ 26 जनवरी, इस बार आम लोगों की काफी संख्या में भागीदारी के साथ उत्तर प्रदेश में 68वां गणतंत्र दिवस हर्षोल्लास और पारम्परिक ढंग से मनाया गया। लखनऊ में विधानभवन के सामने राज्यपाल राम नाईक ने परेड की सलामी ली, तो राज्य के अन्य हिस्सों में पुलिस लाइन्स, कचहरी और अन्य सरकारी संस्थानो पर झंडारोहण किया गया। देशभक्ति के गीत गाये गये। लखनऊ और कुछ अन्य शहरों में युवकों की टोलियां दोपहिया वाहनों पर तिरंगा लहराते हुए निकले। लखनऊ में परेड और झांकियों पर हेलीकाप्टर से पुष्पवर्षा की गयी। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की मौजूदगी में विधानभवन के सामने हुई मनमोहक परेड की सलामी श्री नाईक ने ली। परेड में फौज की कई रेजीमेंटों के साथ ही केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल, सशस्त्र सीमा बल, राज्य पुलिस, पीएसी, होमगार्ड और एनसीसी की टुकडियों ने भाग लिया। परेड में सशस्त्र बलों की महिला टुकडियां और कई स्कूलों के बच्चे भी शामिल थे। इस बार की परेड की खास बात यह थी कि इसमें मध्य प्रदेश पुलिस के जवानो ने भी हिस्सा लिया। देशभक्ति के गीत गुनगुनाते अर्धसैनिक बलों और उत्तर प्रदेश पुलिस के बजते बैंडों ने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा। देश भावना से ओत-प्रोत विभिन्न स्कूलों की झांकियों और बच्चों की प्रस्तुति को लोग एकटक निहारते दिखे। यूपी सैनिक स्कूल के बच्चों की परेड ने खास तौर पर मन मोहा। 

सेंट जोजफ इंटर कालेज के बच्चों का राष्ट्रगाैरव नृत्य, सिटी मांटेसरी स्कूल के बच्चों का वतन के रखवाले और इरम इंटर कालेज के बच्चों की ‘सलाम इंडिया’ प्रस्तुति ने काफी प्रशंसा पायी। रामेश्वरम इंटरनेशनल एकेडमी लखनऊ की नारी शक्ति के ऊपर प्रस्तुत कार्यक्रम को भी सराहना मिली। लखनऊ पब्लिक स्कूल के बच्चों की सुरक्षा चक्र प्रस्तुति ने भी खूब सराहना बटोरी। इस प्रस्तुति के जरिये यातायात नियमों के पालन की अपील की गयी थी। प्रस्तुति में दर्शाया गया था कि देश में हर दिन लगभग 500 लोगों की मृत्यु दुर्घटना में होती है। लखनऊ में परेड और झांकियों को देखने के लिए लोगों का हुजूम सडकों पर निकल पडा था। इनके निकलने वाले मार्ग के दोनो ओर बच्चे, बूढे, युवा और महिलायें खडी थीं। लडके और लडकियों को मोबाइल से झांकियों और परेड के वीडियो बनाते देखा गया। इस बीच, निकली झांकियां चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करती है या नहीं, यह भी चर्चा का विषय रहा। झांकियों में राज्य सरकार की उपलब्धियों को दर्शाया गया था। चौबीस घंटे बिजली, जनेश्वर मिश्र पार्क, निर्माण निगम आदि के विषय में निकली झांकियों के बारे में लोग चर्चा कर रहे थे कि राज्य विधानसभा के चल रहे चुनाव में यह आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है या नहीं। गणतंत्र दिवस पर पूरे राज्य में सुरक्षा के व्यापक बन्दोबस्त किये गये थे। लखनऊ में विधानभवन के सामने और परेड मार्ग पर काफी संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात थे। संवेदनशील जिलों में रैपिड एक्शन फोर्स की भी तैनाती की गयी थी। 






उत्तर प्रदेश विस चुनाव एक धर्मयुद्ध : शिवपाल

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इटावा 26 जनवरी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि पार्टी में सब कुछ ‘ आल इज वेल’ है लेकिन उनके चाचा और पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव का कहना है कि सपा नेतृत्व को कुछ आंतरिक शक्तियों ने भ्रमित करके रखा हुआ है। गणतंत्र दिवस के मौके पर इटावा जिला सहकारी बैंक में झंडारोहण करने के बाद शिवपाल सिंह यादव ने अपने करीबियों और समर्थकों से कहा कि चुनाव का वक्त है जिसमें धर्म युद्ध की लड़ाई होनी है । श्री शिवपाल सिंह यादव ने अपने करीबियों और समर्थकों से कुछ ऐसी बातें कही है जो समाजवादी पार्टी के भीतर एक बार फिर से घमासान की ओर इशारा कर रही हैं। सपा नेतृत्व को कुछ आंतरिक शक्तियों ने भ्रमित करके रखा हुआ । ऐसे में जरूरत है सजग रहने की जरुरत है । समाजवादी पार्टी के भीतर गलत काम करने वालों का विरोध किया है । किसी से नाराजगी नहीं है ।






निर्धनों को पांच रूपए में मिलेगा भोजन : शिवराज

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भोपाल 26 अप्रैल, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि अप्रैल माह से गरीबों के लिये दीनदयाल थाली की योजना चुनिंदा शहरों से प्रारंभ की जायेगी। निर्धन व्यक्तियों को पांच रूपये प्रति थाली के मान से गुणवत्ता पूर्ण स्वादिष्ट भोजन उपलब्ध होगा। श्री चौहान ने आज यहां 68 वें गणतंत्र दिवस पर अपने संदेश में नागरिकों को बधाई और शुभकानाएं दी। उन्होंने कहा कि प्रदेश लगातार प्रगति पथ पर अग्रसर रहते हुए विकसित राज्योें की श्रेणी में आने की कगार पर हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार गण और तंत्र के रिश्तों को मज़बूत बनाने में सफल रही है। संवैधानिक संस्थाएं मज़बूत हुई है। पिछले पांच वर्षों में प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद में लगातार 10 प्रतिशत से अधिक वृद्धि हुई है। प्रधानमंत्री द्वारा नोटबंदी के जरिये काले धन, भ्रष्टाचार और आतंकवाद के विरूद्ध मुहिम का जिक्र करते हुए श्री चौहान ने कहा कि यह तभी प्रभावी होगी जब काला धन पैदा करने वाले तरीकों पर प्रहार करें। कैशलेस लेन-देन के जरिये काले धन पर नियंत्रण प्रभावी हो पाएगा। उन्होने नागरिकों का आह्वान किया कि वे काले धन के विरुद्ध इस मुहिम में अपनी सक्रिय भागीदारी दें। 'नमामि देवी नर्मदे'नर्मदा सेवा यात्रा का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि नदी संरक्षण के विश्व के इस सबसे बड़े अभियान ने सर्वधर्म समभाव को हकीकत में बदला है। यात्रा में सभी धर्मों और वर्ग के लोग स्वेच्छा से शामिल होकर मां नर्मदा की सेवा और पर्यावरण संरक्षण की अलख जगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जन-सहभागिता से संचालित इस यात्रा में नर्मदा नदी के दोनों तटों पर वृक्षारोपण, सीवेज और पूजन सामग्री नदी में नहीं डालने और पार्थिव शरीर जल समाधि नहीं देने, नशा नहीं करने तथा बेटी बचाने के लिये संकल्प लिया जा रहा है। वृक्षारोपण शासकीय भूमि पर सरकार और निजी भूमि पर किसान करेंगे। उन्होंने कहा कि किसानों को इसके लिये 3 वर्ष तक 20 हजार रूपये प्रति हेक्टेेयर प्रतिवर्ष प्रोत्साहित करने के लिये दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि 12 जिलों में नर्मदा तट के 5 किलोमीटर की परिधि में 58 देशी-विदेशी शराब दुकानों को बन्द करने का ऐतिहासिक फैसला लिया गया है। उन्होंने प्रदेशवासियों का आह्वान किया कि वे पूरे प्रदेश में शराब पीने की प्रवृत्ति पर रोक लगाने आगे आए। 







प्रदेश में 14 से 21 जनवरी के बीच ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 7500 स्थलों पर आयोजित आनंद उत्सव की चर्चा करते हुए श्री चौहान ने कहा कि शैक्षणिक संस्थाओं में आनंद सभाएँ और शासकीय कार्यालयों में अल्प विराम कार्यक्रम की तैयारी की जा रही है। उन्होंने “आनन्दम “ कार्यक्रम के संबंध में कहा कि जिन लोगों के उनकी जरूरत से ज्यादा सामान है वे एक निश्चित स्थायन पर दान देने का आनंद उठा सकते हैं। उन्होंने कहा कि हर नागरिक को आवास देने के लिये एक नया कानून लाया जा रहा है जो आवासहीनों के लिए आवास या भूखंड उपलब्ध कराने में मददगार होगा। उन्होने कहा कि आवासहीन नागरिकों को 2018 तक शहरी क्षेत्र में 5 लाख एवं ग्रामीण क्षेत्र में 8 लाख मकान उपलब्ध कराए जायेंगे। उन्होंने कहा कि स्कूलों में शिक्षण स्तर को बेहतर बनाने और नागरिकों की भागीदारी बढ़ाने के लिये 18 फरवरी को 'मिल-बांचे मध्य प्रदेश'कार्यक्रम आयोजित होगा। श्री चौहान ने कहा कि माध्यमिक शिक्षा मंडल की 12वीं की परीक्षा में 85 प्रतिशत से अधिक अंक लाने वाले विद्यार्थियों का यदि राष्ट्रीय-स्तर के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश होता है तो उनकी पूरी फीस राज्य सरकार भरेगी। ऐसे विद्यार्थी जिनका 85 प्रतिशत से कम अंक होने पर भी राष्ट्रीय-स्तर के शैक्षणिक संस्थानों में चयन होता है तो उन्हें भी शून्य् ब्याज पर फीस की राशि दी जाएगी। गरीबो को दो लाख तक फ्री उपचार स्वास्थ्य सुविधाएँ सुलभ करवाने के प्रयासों की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि गरीब परिवार के मरीजों को दो लाख रुपये तक के मुफ्त उपचार की सुविधा शासकीय अस्पतालों में उपलब्ध कराई जायेगी। उन्होंने कहा कि सभी जिला मुख्यालयों पर एक दिवसीय मुख्यमंत्री स्वास्थ्य सेवा शिविर अलग-अलग तिथियों में लगाए जाएंगे। इन शिविरों में जांच कर आगे इलाज की व्यावस्था की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि आयुर्वेद और होम्योपैथी डॉक्टरों को प्रशिक्षण देकर उन्हें ऐसे प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर पदस्थ किया जाएगा, जहॉं डॉक्टनर का पद रिक्त है। उन्होने कुपोषण दूर करने के प्रयासों को रेखांकित करते हुए कहा कि बच्चों, किशोरियों, गर्भवती और धात्री महिलाओं में खून की कमी को रोकने और उनके बेहतर स्वास्थ्य के लिये लालिमा योजना लागू की गई। अटल बाल मिशन के जरिये समुदाय को पोषण सुधार की जिम्मेयदारी सौंपी जा रही है। श्री चौहान ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में जल प्रदाय व्यवस्था को और सुदृढ़ करने के लिए एक वर्ष में नल जल योजनाओं के माध्यम से 5,000 बसाहटों तथा नए हैण्डपंप लगाकर 10,000 बसाहटों में पेयजल व्यावस्था करने का लक्ष्या रखा गया है। 

श्री चौहान ने कहा कि 20 कृषि मण्डी समितियों को राष्ट्रीय कृषि मण्डी से जोड़ा जा चुका है तथा 30 और मंडियों को इस वर्ष जोड़ने की योजना है। दुग्ध उत्पाेदन को प्रोत्साहित करने के लिये आचार्य विद्यासागर गौ संवर्धन योजना में अब 2 गायों के स्थान पर न्यूनतम 5 गाएं देने की व्यरवस्था की गई है। सरकारी स्रोतों से लगभग 40 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता विकसित की जा चुकी है जिसे वर्ष 2025 तक 60 लाख हेक्टेयर करने का लक्ष्य है। 
उन्होंने कहा कि अब नहरों से पानी ले जाने की बजाय पाईप से दबावयुक्त पानी ले जाकर ड्रिप और स्प्रिंकलर से सिंचाई की व्यवस्था की जा रही है। इससे उतने ही पानी से दो से चार गुना क्षेत्र में सिंचाई हो सकेगी। अनेक राज्य मध्यप्रदेश की इस पहल का अध्यायन कर रहे हैं। ऊर्जा में आत्म-निर्भरता की चर्चा करते हुए उन्होने कहा कि घरों में 24 घंटे और कृषि पम्पों के लिये 10 घंटे प्रतिदिन बिजली मिल रही है। इस वर्ष से 'मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पम्प कनेक्शन योजना'में जून 2019 तक 5 लाख अस्थाई कनेक्शन को स्थाई में बदला जायेगा। इस वर्ष नवकरणीय ऊर्जा की स्थापित क्षमता में 24 प्रतिशत की वृद्धि से प्रदेश देश में प्रथम है। उन्होंने आह्वान किया कि ज्यादा से ज्यादा एलईडी बल्बों का इस्तेमाल कर बिजली बचाये। सड़को के विकास में हुई प्रगति को रेखांकित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 5500 कि.मी. नये राष्ट्रीय राजमार्ग और 3778 कि.मी. नये राज्य राजमार्ग घोषित किये गये हैं। मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना में अब तक लगभग 6 हजार गाँवों को मुख्य मार्ग से जोड़ दिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि युवाओ को कौशल सम्पन्न बनाने के लिए युवा सशक्तिकरण मिशन चलाया जाएगा जिसमे मिशन के तहत हर वर्ष साढ़े सात लाख युवाओं को कौशल विकास से जोड़ा जाएगा। भोपाल में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के कौशल प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना की जा रही है। महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कार्य को प्राथमिकता से किया गया है। लाड़ली लक्ष्मीथ योजना का लाभ 24 लाख बालिकाओं को मिल चुका है। इस शिक्षा सत्र में कक्षा 6 में प्रवेश लेने वाली लाड़लियों को 2000 रूपये की छात्रवृत्ति ई-पेमेंट से दी जा रही है। संविदा शिक्षक में 50 प्रतिशत और वन विभाग को छोड़कर अन्यम नौकरियों में 33 प्रतिशत आरक्षण महिलाओं को दिया गया है। पुलिस भर्ती में भी यह आरक्षण किया गया है। लाडो अभियान से अभी तक 82 हजार से ज्यादा बाल विवाह समझाइश से रोके गये हैं। 
स्वच्छ भारत मिशन में प्रदेश की उपलब्धियों की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2018 तक पूरे प्रदेश को खुले में शौच से मुक्त करने का लक्ष्य है। नगरों के सुनियोजित विकास के लिए प्रतिबद्धता दोहराते हुए उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी योजना में भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर एवं उज्जैन शामिल हुए हैं। 







श्री चौहान ने अपने संबोधन में आगामी एक मई से पॉलीथीन थैली के उपयोग को पूर्णत: प्रतिबंधित करने, कैश-लैस ट्रांजेक्शन मिशन बनाने, दुराचार के अपराधियों के लिये कठोरतम दंड व्यवस्था हेतु जनजागरण करने और लोगों को संकल्पित करवाकर नशामुक्त प्रदेश बनाने की घोषणा की। श्री चौहान ने नगरीय क्षेत्रों में नागरिकों को शासकीय योजनाओं का लाभ देने के लिए चल रहे नगर उदय अभियान का उल्लेख करते हुए उन्होंने नागरिकों से अभियान में सक्रियता के साथ भाग लेने का आग्रह किया। औद्योगिक विकास के लिए उठाये गए कदमो की चर्चा कार्य हुए उन्होंने कहा कि 2400 करोड़ की लागत से 15 नये औद्योगिक क्षेत्र विकसित किये जा रहे हैं। 'मध्यप्रदेश इंक्यूबेशन और स्टार्टअप नीति 2016'की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि विभिन्न स्व–रोजगार योजनाओं में अगले तक साल साढ़े सात लाख युवाओ को लाभ दिया जायेगा। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जन जाति वर्ग के विकास के लिए संकल्प दोहराते हुए मुखयमंत्री ने कहा कि इन वर्गों के विकास के लिए 5 वर्षीय सर्वांगीण विकास योजना का कम्पोयजिट पैकेज तैयार किया जाएगा। पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियो के लिए सभी जिलों में छात्रावास शुरू किए गए हैं और लगभग सवा चार लाख विद्यार्थियों को छात्रावास का लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहा कि संत रविदास और कबीर जैसे सर्वसमभाव की प्रेरणा देने वाले संतों के जन्म दिवस पर सामाजिक समरसता लाने के लिये जनजागरण कार्यक्रम किये जायेंगे। सुदूर वनांचलों में “ दीनदयाल वनांचल सेवा ’’ से वनवासियों के स्वास्थ्य ओर शिक्षा के स्तर में सुधार लाने की पहल की गयी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश पर्यटकों की पसंदीदा जगह बनता जा रहा है। जल-पर्यटन के क्षेत्र में हनुवंतिया का विशिष्ट स्थान है, जहाँ दूसरे जल-महोत्सव में 5 लाख पर्यटकों का आगमन हुआ। श्री चौहान ने कहा किगाँधीसागर, बाणसागर सहित अन्य जल-पर्यटन केन्द्र विकसित किये जा रहे हैं। पर्यटन केबिनेट का गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र की सुरक्षा में जीवन बलिदान करने वाले वीर सैनिकों को यादगार बनाने के लिये अनूठी पहल करते हुए भोपाल में शौर्य स्मावरक स्थापित किया गया है। मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना का लाभ पिछले साल एक लाख से ज्यादा वरिष्ठ नागरिकों को मिला है। इस वर्ष से पटना साहिब, गंगासागर और प्रदेश के तीर्थ स्थानों को भी शामिल किया गया है। 

प्रेम ,सद्भाव के बल पर गौरवशाली अतीत को प्राप्त करेगा बिहार : नीतीश

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पटना, 26 जनवरी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोगों से समाज में प्रेम, भाईचारा कायम रखने का आह्वान करते हुए आज कहा कि आपसी प्रेम, सद्भाव और शिक्षा के बल पर राज्य अपने पुराने गौरशाली अतीत को फिर से प्राप्त करने में सफल होगा। श्री कुमार ने पटना के फुलवारीशरीफ प्रखंड के सकरैचा महादलित टोला में गणतंत्र दिवस के मौके पर आयोजित झंडोत्तोलन समारोह में शामिल हुए। सकरैचा महादलित टोला के बुजुर्ग शत्रुघ्न मांझी ने मुख्यमंत्री की उपस्थिति में झंडोतोलन किया। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुये कहा, “ आज ही के दिन 26 जनवरी 1950 को हमलोगों ने संविधान को अंगीकार किया था और इसलिये इस दिवस को हर साल हमलोग गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं। देश के संविधान की खासियत है। संविधान ने सबको बराबरी का अधिकार दिया है। हर किसी के वोट की कीमत बराबर है। संविधान ने नागरिकों को मौलिक अधिकार प्रदान किये हैं, जो सबको न्याय दिलाता है। उन्होंने कहा कि देश का संविधान दुनिया के अन्य देशों के संविधान से अच्छा एवं बेहतर है। ”

श्री कुमार ने कहा कि राज्य सरकार ने कुछ साल पहले यह देखा कि समाज में हर तबके को बराबरी का अधिकार मिलना चाहिये। जो तबका अंतिम पायदान पर है, उनकी उतनी भागीदारी नहीं थी। महिलाओं की आबादी आधी है लेकिन भागीदारी नहीं थी। हमलोगों ने पंचायती राज संस्थाओं एवं नगर निकायों में पचास प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया, जिसका अनुसरण देश के अन्य हिस्सों में हो रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आर्थिक तंगी के कारण लड़कियां प्राथमिक विद्यालय के बाद शिक्षा जारी नहीं रख पाती थी। उन्होंने कहा कि मध्य विद्यालय में लड़कियों के लिये पोशाक योजना की शुरूआत की गयी। उच्च विद्यालय में लड़कियों के लिये साइकिल योजना की शुरूआत की गयी। इसके अलावा लड़कियों की शिक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया गया। अब गांव-गांव में लड़कियां साइकिल चलाते हुये स्कूल जाते दिखाई देती हैं। माहौल बदल गया, लोगों का सोच, विचार बदल गया, कितना बड़ा परिवर्तन आया है। मुख्यमंत्री ने शराबबंदी की चर्चा करते हुए कहा कि राज्य में शराबबंदी से नई सामाजिक क्रांति की शुरूआत हुई । शराबबंदी के पूर्व शराब पीने वाले जो कमाते थे, ज्यादा हिस्सा शराब में गवा देते थे। आज शराबबंदी के बाद वही लेाग हंसते-मुस्कुराते हुये घर आते हैं और साथ में सब्जी लाते हैं, यही सामाजिक परिवर्तन है। उन्होंने कहा कि शराबबंदी से लोगों के व्यवहार में परिवर्तन हो गया। उन्होंने कहा कि अब शराबबंदी से नशामुक्ति की ओर जा रहे हैं। 







श्री कुमार ने कहा कि 21 जनवरी से नशामुक्ति अभियान शुरू हुआ है जो 22 मार्च को बिहार दिवस के समापन के दिन समाप्त होगा। उन्होंने कहा कि 21 जनवरी को 11 हजार किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला बनाने का लक्ष्य रखा गया था और उम्मीद थी कि दो करोड़ लोग शामिल होंगे। उन्होंने समस्त बिहारवासियों को बधाई देते हुये कहा कि दो करोड़ नहीं बल्कि चार करोड़ लोगों ने मानव श्रृंखला बना दी, यह मामूली बात नहीं है। उन्होंने कहा कि किसी भी कीमत में समाज और परिवार को बर्बाद नहीं होने देंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि सकारात्मक मुद्दे को लेकर इतनी बड़ी मानव श्रृंखला दुनिया में कहीं नहीं बनी थी। बिहार ने इतिहास रच दिया। उन्होंने कहा कि बिहार से जो बात निकली है, उसका असर पूरे देश पर पड़ेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने प्रकाश पर्व के अवसर पर पटना में शराबबंदी का समर्थन किया था। उन्होंने कहा कि जिस तरह से बिहार में शराबबंदी कारगर साबित हो रही है। बिहार में शराबबंदी से ऐसा वातावरण बन रहा है कि दूसरी जगहों पर भी लागू होने से कोई रोक नहीं पायेगा। श्री कुमार ने कहा ,“ हम जो कहते हैं, वह करते हैं। सात निश्चय की येाजनाओं को लागू करने के बारे में जो कहा था, उन सब पर अमल शुरू हो गया है। हर घर नल का जल, हर घर शौचालय निर्माण, पक्की गली-नाली, हर घर बिजली कनेक्षन उपलब्ध कराया जायेगा ताकि बुनियादी नागरिक सुविधायें सबको प्राप्त हो सके, इसे विकेन्द्रीकृत तरीके से लागू कर रहे हैं। ” इस मौके पर सकरैचा महादलित टोला में ध्वजारोहण करने वाले बुजुर्ग शत्रुघ्न मांझी, विधायक श्याम रजक समेत अन्य गणमान्य लोगों ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किये। 

भारतीय मूल के अमेरिकी सांसदों ने ट्रंप के आव्रजन नीति की आलोचना की

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वाशिंगटन, 26 जनवरी, भारतीय मूल के अमेरिकी सांसदों ने देश की आव्रजन नीति को नया रूप देने के लिए कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करने पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आज आलोचना की और ट्रंप के इस कदम को ‘‘आप्रवासी विरोधी’’ करार देते हुये कहा कि यह परिवारों को एक दूसरे से अलग कर देगा। सीनेटर कमला हैरिस ने कहा कि ट्रंप ने कई कार्यकारी आदेशों के साथ अपनी आप्रवासी-विरोधी नीति को आगे बढ़ाया है जो कि सार्वजनिक सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा को कमजोर कर परिवारों को एक दूसरे से अलग कर देगा। कमला हैरिस अमेरिका के उपरी सदन में निर्वाचित होने वाली भारतीय मूल की पहली अमेरिकी हैं। हैरिस ने कहा, ‘‘हमारे समाज के लिए योगदान करने वाले आप्रवासी परिवारों को निशाना बनाने के लिए एक निवार्सन बल का निर्माण करना मजबूती नहीं दिखाता। एक अवास्तविक सीमा दीवार के लिए करदाताओं को भुगतान करने के लिए कहना कोई समाधान नहीं है। बच्चों और परिवारों को सुरक्षा, शिक्षा और स्वास्थ्य सवाओं से वंचित करने के लिए कहना गैरजिम्मेदाराना और क्रूर रवैया है।’’ उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति की ‘‘आप्रवासी विरोधी’’ नीति की वजह से अमेरिका अब ‘‘कम सुरक्षित’’ हो गया है। हैरिस ने कहा, ‘‘प्रवासी अब अपराधों की रिपोर्ट करने के लिए आगे नहीं आएंगे , अब परिवार डर के साये में रहेंगे और हमारा समुदाय और स्थानीय अर्थव्यस्था बुरी तरह प्रभावित होगी ।’’ प्रतिनिधि सभा की भारतीय मूल की सदस्य प्रमिला जयपाल ने भी इस ‘‘विभाजनकारी एजेंडे’’ को आगे बढ़ाने पर राष्ट्रपति की आलोचना की।




मैक्सिको के राष्ट्रपति ने रद्द किया अमेरिका दौरा

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मैक्सिको सिटी 26 जनवरी, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मेक्सिको और अमेरिका के बीच सीमा पर दीवार के निर्माण संबंधी एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करने के बाद मैक्सिको के राष्ट्रपति एनरिके पेना नीटो ने अगले सप्ताह प्रस्तावित अमेरिका यात्रा को रद्द कर दिया। 

श्री पेना नीटो ने आज ट्वीट किया, “मैंने पहले भी कहा है और दोबारा कह रहा हूं कि मैक्सिको किसी भी दीवार के लिए कोई भुगतान नहीं करेगा।” उन्होंने कहा, “ आज सुबह हमने व्हाइट हाउस को सूचित किया है कि अगले मंगलवार को अमेरिका के राष्ट्रपति के साथ प्रस्तावित बैठक में मैं भाग नहीं लूंगा।” 

अमेरिकी राष्ट्रपति के फैसले की निंदा करते हुए मैक्सिको के राष्ट्रपति ने कहा कि यह यह दीवार जोड़ने के बजाए बांटने का काम करेगी। श्री ट्रम्प ने एक साक्षात्कार में कहा था कि मेक्सिको को दीवार बनाने का सौ फीसदी खर्च लौटाना होगा। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार तुरंत इस योजना पर अमल शुरू कर देगी। गौरतलब है कि मेक्सिको और अमेरिका की सीमा पर दाे हजार मील लंबी दीवार बनाना रिपब्लिकन पार्टी के नेता श्री ट्रम्प के चुनावी वादों में से एक था।

भारत, यूएई ने आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई का संकल्प दोहराया

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नयी दिल्ली 26 जनवरी, भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने आतंकवाद के खिलाफ बिना किसी रुकावट के कार्रवाई करने का मजबूत इरादे को आज फिर से दोहराया। अबूधाबी के युवराज एवं यूएई की सशस्त्र सेनाओं के डिप्टी सुप्रीम कमांडर जनरल शेख मोहम्मद बिन ज़ायेद अल नाह्यान ने एक संयुक्त बयान में कहा कि दोनों देशों ने मज़हबी कट्टरवाद एवं हिंसा को बढावा देने वालों के खिलाफ मिलकर काम करने का संकल्प जताया। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और आबूधाबी के युवराज अल नाह्यान के बीच कल यहां हैदराबाद हाउस में हुई शिखर बैठक में अपनी सामरिक साझेदारी को व्यापक स्तर पर ले जाते हुए परस्पर सहयोग के 14 करारों पर हस्ताक्षर किये तथा रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग को बढ़ा कर दक्षिण एशिया में स्थिरता कायम करने के लिये मज़हबी कट्टरवाद एवं हिंसा का मिलकर काम करने का संकल्प जताया। 

बैठक के बाद श्री मोदी ने अपने वक्तव्य में कहा था कि भारत, यूएई को अपनी विकास गाथा का एक अहम साझीदार मानता है और वह भारत के ढांचागत क्षेत्र में निवेश के यूएई की दिलचस्पी का स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा, “ यूएई विनिर्माण एवं सेवा क्षेत्र में हमारे विकास से जुड़ कर लाभान्वित हो सकता है। हम दाेनाें मिलकर डिजिटल अर्थव्यवस्था, मानव पूंजी और स्मार्ट शहरीकरण की भारत की पहल में निहित असीम अवसरों का लाभ उठा सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम दाेनों देशों के कारोबार एवं उद्योग जगत के बीच संपर्क बढ़ाकर द्विपक्षीय कारोबार में बढ़ावा देना चाहते हैं।” दोनों देशों ने जिन समझौतों पर हस्ताक्षर किये उनमें भारत एवं यूएई के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी कायम करने, रक्षा उत्पादन में सहयोग बढ़ाने, समुद्री परिवहन, सड़क निर्माण, मानव तस्करी रोकने, छोटे एवं मध्यम उद्योगों के क्षेत्र में, खाद्यान्न उत्पादन, एंटी डंपिंग ड्यूटी आदि के क्षेत्र में किये गये हैं। साइबर सुरक्षा और तेल के रणनीतिक भंडारण को लेकर भी दोनों देशों ने करार किये। 

बीएमसी चुनाव शिवसेना अकेले लड़ेगी: उद्धव

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मुंबई 26 जनवरी, शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने आज भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन तोड़ दी और बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) का चुनाव अकेले लड़ने की घोषणा की। शिव सेना ने बीएमसी के चार चुनावों तथा अन्य नगर निगमों और जिला परिषदों के चुनाव भाजपा के साथ मिलकर लड़ी थी। बीएमसी का बजट 40 हजार करोड़ रुपये का है। 

शिवसेना का उसके गठन के 50 साल के दाैरान 25 साल तक भाजपा के साथ गठबंधन रहा। श्री ठाकरे ने सरकारी कार्यालयों से भगवान की तस्वीरों को हटाने की सरकार के निर्णय की निंदा की है। उन्होंने राष्‍ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार को पद्म पुरस्‍कार देने की निर्णय पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भी आलोचना करते हुए कहा कि यह पुरस्कार गुरुदक्षिणा में मिला है।

गणतंत्र दिवस पर धूमसू मंच ने शुरू किया धुमसू सम्मान. “छुमका” वीडियो का विमोचन

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गणतंत्र दिवस के उपलक्ष में स्वरांजलि संगीत विद्यालय द्वारा अपने विद्यालय प्रांगण में जहाँ एक ओर कई रंगारंग प्रस्तुतियां दी गयी वहीँ दूसरी ओर जौनसार बावर जनजातीय लोक संस्कृति को समर्पित धूमसू मंच द्वारा इस अवसर पर “छुमका” विडियो का विमोचन किया गया जोकि यूट्यूब पर धूमसू मंच के नाम से भी जारी किया गया है. इस अवसर पर धूमसू मंच ने धूमसू सम्मान भी शुरू किये हैं. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि शनि धाम आश्रम ले चेयरमैन डॉ. बिनायक बडोनी द्वारा जौनसार बावर की लोक संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन के लिए विगत कई बर्षों से कार्य कर रहे वरिष्ठ पत्रकार व फिल्म निर्देशक मनोज इष्टवाल को इस बर्ष का धूमसू सम्मान प्रदत्त किया. डॉ. बिनायक बडोनी ने धूमसू मंच व स्वरांजलि संगीत विद्यालय के क्रियाकलापों की जी भर प्रशंसा करते हुए कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि एक ओर धूमसू मंच अपनी लोक संस्कृति के संरक्षण हेतु कार्य कर रहा है वहीँ स्वरांजलि संगीत विद्यालय ऐसा गुरुज्ञान बाँट रहा है जो संगीत व नृत्य की विभिन्न धाराओं में बहकर कहीं न कहीं भारतीयता के लोक समाज को सांस्कृतिक बिरासत के रूप में प्रस्तुत करता है. उन्होंने कहा कि शनि धाम आश्रम विश्व के सात देशों में भारतीय संस्कृति के लोक दर्शन, योग, ज्योतिष और अन्य कई विधाओं पर अपनी शाखाएं खोल चुका है व उनका मकसद है कि वे अपनी उत्तराखंडी पुरातन लोक संस्कृति को दुनिया के विभिन्न देशों तक ले जाएँ ताकि हम गर्व से कह सकें कि हमारे लोक जीवन का स्वर्णिम युग आज भी यथावत है. उन्होंने कहा है कि स्वरांजलि संगीत विद्यालय के होनहार नौनिहाल व धूमसू मंच जो कार्य कर रहा है वही कार्य गाहे-बगाहे शनि धाम आश्रम की सोच में भी शामिल है वे चाहेंगे कि वे विद्यालय व मंच को विश्व के उन देशों की सैर कराये ताकि हम वहां भी अपने सांस्कृतिक मूल्यों का बखान कर सकें.





एक ओर इस अवसर पर धूमसू मंच द्वारा छुमका में बेहतरीन अभिनय करने के लिए जहाँ सुप्रसिद्ध कलाकार अदिति उनियाल व सितारा को भी सम्मानित किया वहीँ धूमसू मंच की अध्यक्ष शान्ति वर्मा “तन्हा” ने कहा कि गणतंत्र दिवस के इस अवसर पर शुरू किया गया यह सम्मान अब हर बर्ष लोक संस्कृति व लोक समाज पर कार्य कर रहे उन व्यक्तित्व को दिया जाएगा जो समाज निर्माण में निरंतर कार्य कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि धूमसू मंच ने जौनसार बावर में चल रहे माघ पर्व के भुईदौल पर वहां की संस्कृति का बेहद आंतरिक गीत जिसे भितरा के गीत या भितरा के नाच भी कहते हैं पर आधारित छुमका का ऑडियो वीडियो निर्माण कर आज उसका विमोचन करवाकर संस्कृतिप्रेमियों के लिए यूट्यूब पर उपलब्ध करवाया है जो “सोंग छुमका” या धूमसू मंच के नाम से ढूँढने पर बड़ी आसानी से मिल जाएगा. उन्होंने कहा कि उनका प्रयास है कि हम अपनी संस्कृति में ब्याप्त उन सभी सांस्कृतिक विधाओं के संरक्षण का कार्य अभी से करना शुरू कर दें जो हमसे दूर भागती नजर आ रही है. लोक कलाकार अदिति उनियाल की माँ ने अदिति की ओर से यह सम्मान ग्रहण किया. ज्ञात हो कि “छुमका” का संगीत सुरेन्द्र नेगी ने दिया है जबकि स्वर शान्ति वर्मा “तन्हा” व सितारा का है. अभिनय में पहली बार सुप्रसिद्ध कलाकार अदिति उनियाल ने जौनसार की संस्कृति पर कार्य किया है, अदिति के साथ सितारा ने भी इसमें मुख्य किरदार निभाया है जबकि इसका निर्माण धूमसू मंच व निर्मात्री शान्ति वर्मा तन्हा हैं. छुमका का निर्देशन मनोज इष्टवाल का है. इस अवसर पर शनि धाम आश्रम के चेयरमैन डॉ. बिनायक बडोनी, प्रमुख विकास नगर तारा देवी, शशि चौहान, समता संस्था के निदेशक संजीव जॉन, समाजसेवी इंद्र सिंह नेगी, स्वरांजलि संगीत विद्यालय की प्रधानाचार्य बिमला भंडारी, कुंदन सहगल, समाजसेवी पुष्पेन्द्र त्यागी, पत्रकार श्रमानन्द बिजल्वाण सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे 

आलेख : लालची एवं लोभी स्वयं को ही ठगता है : गणि राजेन्द्र विजय

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लोभ-लालच से आच्छादित मन, मृग-मरीचिका में भटकता रहता है एवं पर को ही नहीं स्वयं को ठगता है, धोखा देेने के चक्कर में स्वयं धोखा खाता है। दूसरों को छलने से स्वयं की आत्मा में छाले पड़ जाते हैं और वे रिसते रहते हैं, वे दन्त की रीस देते रहते हैं। जहाँ लालच एवं लोभ की वृत्ति ज्ञात होने पर स्वजन और मित्रों का स्नेह भंग हो जाता है, वहीं लालच की विसंगति खुलने से स्वयं को भी आत्म-ग्लानि के साथ लज्जित होना पड़ता है। लालची एवं लोभी व्यक्ति अपने कपट-व्यवहार को कितना ही छिपाये देर-सबेर प्रकट हो ही जाता है। किसी महापुरुष के अनुसार किसी भी व्यक्ति की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है, परन्तु किसी लालची व्यक्ति के लालच को पूरा करना असंभव है। यह एक ऐसी इच्छा है जिसे पूरा करने के बाद भी इंसान कभी तृप्त नहीं होता। अपनी इच्छा पूर्ति ने लिए न जाने कैसे-कैसे पाप करता जाता है कि जिसका कोई हिसाब ही नहीं। किसी व्यक्ति के पास कोई वस्तु देखता है तो लालच में आ जाता है कि वह वस्तु हर हाल में मुझे चाहिए ही। विवेक शून्य हो जाता है, अपने रिश्तों की भी परवाह नहीं करता, अर्थात् सभी अनर्थों का मूल है यह लालच। लोभी व्यक्ति की स्थिति उस गधे के सामान है जो अपने पीठ पर धन को लादकर तो चलता है परन्तु, उसका उपभोग नहीं कर सकता न दूसरे ही कर सकते हैं।  आज का मानव बहुरूपिया बन गया है, उसका स्वभाव जटिलताओं का केन्द्र बन गया है। व्यापार की भाषा में, रिश्तेदारी-सम्बन्धों मंे और अतिथियों तथा अड़ोस-पड़ोस में बसने वालों के प्रति हर किसी के साथ और हर स्थान पर लोभ एवं लालच से पेश आता है। यहाँ तक कि भगवान के आगे भी वह अपनी लोभी बुद्धि का कमाल दिखाये बगैर बाज नहीं आता। अपने स्वार्थ एवं लोभ के लिये वह भगवान को भी ठगता है, उनसे भी सौदेबाजी करता है। एक व्यक्ति देवी के मंदिर में जा मनौती मांग रहा था, निःसंतान था अतः उसने प्रार्थना की हे देवी! मुझे पुत्र की प्राप्ति हो जाये, मैं सोने की पोशाक चढ़ाऊंगा। कालान्तर मंे पुत्र की प्राप्ति हो गयी उसका लोभ-लालच प्रबल हुआ। उसने बच्चे का नाम ही ‘सोने लाल’ रख लिया। एक कपड़े का टुकड़ा ला ‘झवला’ सिलकर बच्चे को पहनाया फिर वहीं जाकर देवी को भेंट करते हुए कहा - देवी माँ वायदे के अनुसार ‘सोने की पोशाक दे रहा हूँ, बच्चे पर कृपा-दृष्टि रखना।’ यह मात्र एक दृष्टान्त है परन्तु आज व्यक्ति हर समय, हर क्षण लोभ-लालच में लिप्त है।





कहा जाता है सर्प टेढ़ा-मेढ़ा वक्रता में चलता है परन्तु अपनी ‘बाॅवी’ में वह सीधा जाता है परन्तु मानव अपनी वक्रता, कूटनीति कही नहीं छोड़ता वह मायाजाल बुनता ही रहता है। धर्मात्मा का नाटक कर दो नम्बर में अर्थार्जन करना अब सामान्य सी बात है। ऐसे ही व्यक्तियों को ‘बगुला भगत’ कहा गया है। मायाचारी एवं लोभी बदल-बदल कर छल-कपट के व्यवहार से पाप कमाता है। वह अपनी कुटिलता, छल, कपट, धोखेबाजी से क्षणिक सफलता पा भी ले परन्तु अन्ततोगत्वा कष्ट ही उठाता है। ऐसे व्यक्ति शंकाशील रहने के कारण भयभीत रहते हैं। वैसे कहावत भी है -‘कोठ की हांड़ी बार-बार नहीं चढ़ती।’तथा ‘कच्ची हांड़ी चैराहे पर फूटती है।’ अर्थात् मायाचार, लोभ-लालच स्थायी सफलता नहीं दे सकते और जब चार  सौ बीसी का भंडा फूटता है तो अपयश की चिंगारी दूर-दूर तक तपन से झुलसाती है। यह कुटिलता लोक-परलोक दोनों मंे ही दुःखद है। मायायुक्त प्रपंच के कारण कुटिल हृदय वाला व्यक्ति इस लोक में अपयश को प्राप्त होता है एवं मर कर दुर्गति को प्राप्त करता है। लोभी-लालचियों के लिये कहा गया है -प्राणियों को मायाचारी के कारण स्त्री व नपंुसक वेद, तिर्यंच गति एवं नीच-गोत्र में प्राप्त होने वाले अपमान को अनेक जन्मों मंे भोगना पड़ता है। इसीलिए कहा गया है-जो साधक मन में कुटिल विचार नहीं रखता, वचन से कुटिल बात नहीं कहता, शरीर से भी कुटिल चेष्टा नहीं करता तथा अपना दोष नहीं छिपाता, वही धर्म का पालक है। जितने ऋजु- सरल हम अपने जीवन में होते जायेंगे, उतने ही हम ईश्वरत्व के समीप होते जाएंगे। कोई भी व्यक्ति परमात्मा का भक्त तब तक नहीं हो सकता जब तक उसमें मायाचार एवं लालच का अंश भी विद्यमान है।  मनुष्य को बाहर और भीतर अंगूर की तरह एक समान होना चाहिए। जो व्यक्ति खजूर की तरह ऊपर से मृदु और अन्दर से कठोर और छलयुक्त होते हैं वे पशुगति का बंध करते हैं। जो बात मन में है उसे ही वचन द्वारा प्रकट करना धर्म है और उससे विरुद्ध मायाचार है, अधम है। मनःस्थिति को ही व्यक्त करना परिणामों में शुभ है, किन्तु मन की बात छिपाकर बनावटी बात जिह्ना से कहना अशुभ परिणाम का संकेत है। जहाँ तक धर्म पथ पर चलने का निश्चय है वहाँ पवित्रता एवं ऋतुजा की ही प्रार्थना करनी चाहिए, कुटिलता की नहीं। यह सरलगति स्वर्ग और सिद्धालय तक पहुँचाने मंे समर्थ है।

शास्त्रों में कहा गया है कि - नारकीय जीवों में क्रोध की अधिकता होती है, इससे अधिक क्रोध अन्य किसी (गति) में नहीं होता। मान-कषाय मनुष्यों में सर्वाधिक होती है। तिर्यंच-गति के प्राणियों में मायाचारी अधिक होती है। इस तथ्य की पुष्टि अनेक दृष्टान्तों से होती है, कवियों ने, साहित्यकारों ने अपनी कविताओं-कथाओं में इस तथ्य को उजागर किया है। धर्म में प्रवेश करने हेतु इस मायाचार से मुक्त होना आवश्यक है। आचार्य वादिराज ने छत्रचूड़ामणि में लिखा है - संसार मंे रहे और यह कहे कि मैंने मायाचारी त्याग दी है - ऐसा कथन भी एक मायाचार है। प्रत्येक क्षेत्र में मायाचार है, कोई क्षेत्र इससे अछूता नहीं है। इस मायाचार ने ही संसार बढ़ा रखा है। इस मायाचार के छद्म रूपों को पहचानना अत्यन्त कठिन है। धर्म का लक्षण है सरलता एवं ऋतुजा। ऋजुता, सरलता सर्वोत्तम है। जो सरल है, सहज है, उनका लक्षण बताया गया है कि जिसके मन-वचन और क्रिया तीनों एकरूप है, वह महात्मा है, संत है, साधु है। लक्षण सार्वभौम होता है। किसी जाति-विशेष, स्थान-विशेष, धर्म-विशेष अथवा देश-विदेश के लिए नहीं होता। जिस प्राणी में ये तीनों लक्षण हैं, ये तीनों गुण हैं, वह किसी भी देश, जाति, स्थान व धर्म का हो, वह महान है और जिसके मन में कुछ हो, वचन से कुछ अन्य कहे और क्रिया कुछ और ही करे, वह मायाचारी है। हर व्यक्ति  लालची एवं लोभी होता है। किसी को किसी का लालच तो किसी को और किसी का जैसे धन संपत्ति, सोना-चाँदी, तो किसी को मान-प्रतिष्ठा, सत्ता एवं शोहरत परन्तु जिस व्यक्ति का विवेक जाग्रत हो तो वह कभी इनके पीछे न भागे। परमात्मा के प्रति प्रेम और सांसारिक लोभ एक दूसरे के विपरीत हैं इसलिए, हमें यह प्रयास करना है कि हम इस लोभ की दिशा को बदल दें और इस लोभ लालच को सांसारिक चीजों से हटाकर, परमार्थ की ओर लगायें। स्वयं को मुसीबतों से बचाएं। कहा भी गया है-उन्नतं मानसं मस्य, भाग्यं तस्य समुन्नतं अर्थात्- जिसका मन दृढ़ हो गया, सरल हो गया, उन्नत हो गया, श्रेष्ठ हो गया, उसका जीवन एवं भाग्य भी उन्नत व श्रेष्ठ हो गया। मनुष्य बाह्म-आकृति अथवा बाह्य-रूप से नहीं अपितु अंतरंग-प्रवृत्तियों से पहचाना जाता है, मनुष्यत्व के लिए स्वच्छ व निर्मल मन होना आवश्यक है। जिसका मन उन्नत एवं विशाल होगा, वही श्रेष्ठ होगा, आदरणीय व पूज्य होगा। इसलिए आचार्य मन को सरल-निर्मल रखने की बात कहते हैं।





निर्मल मन में ही धर्म श्रवण करने के भाव उत्पन्न होते हैं और उससे आत्म-चिंतन करने के भाव उत्पन्न होते हैं। मात्र क्षण भर के लिए ही सही, पर यह भाव अवश्य होते हैं कि मायाचार अवश्य छोड़ना चाहिए, मायाचारी त्याज्य है। जैसे श्मशान में शव का दाह-संस्कार देखते हुए वैराग्य भाव उत्पन्न होते हैं। किन्तु श्मशान परिधि से बाहर निकलते ही पुनः जगत् सारभूत लगने लगता हैं हमें शास्त्रों की इस शिक्षा को अवश्य स्मरण रखना चाहिए कि - ‘‘बीज रूप मंे भी यदि देशनालब्धि पड़ेगी, तो वह कभी न कभी अवश्य सफल होगी, काम आएगी।’’ अतः यदि सच्चे सुख की कामना है तो वह इस गुण के द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है। प्रस्तुतिः ललित गर्ग




(ललित गर्ग)
ई-253, सरस्वती कंुज अपार्टमेंट
25 आई. पी. एक्सटेंशन, पटपड़गंज, दिल्ली-92
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विशेष आलेख : मुनाफे की शिक्षा

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पिछले दिनों गुड़गांव  में प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले एक बच्चे के अभिभावक ने आरोप लगाया कि फीस न देने पर उनके बच्चे को स्कूल में तीन घंटे तक धूप में खड़ा रखा गया, इस दौरान बच्चे की हालत इतनी बिगड़ गयी कि उसे अस्पताल में भर्ती करना पड़ा. इससे बच्चा इतना डर गया कि उसने स्कूल जाने से ही मना कर दिया दूसरी घटना इंदौर की है वहां के पैरेंट्स एसोसिएशन सदस्य निजी स्‍कूलों में मनमानी फीस बढ़ोत्‍तरी की शिकायत लेकर अपने सांसद सुमित्रा महाजन के पास गये तो इसपर सुमित्रा महाजन ने अभिभावकों की मदद करने के बजाय उलटे यह नसीहत देती हुई नजर आयीं कि ‘अगर वे निजी स्‍कूलों की फीस नहीं भर पा रहे हैं तो अपने बच्‍चों का एडमिशन सरकारी स्‍कूल में करवा दें’. उपरोक्त दोनों घटनाओं को देखकर  अंदाजा लगाया जा सकता है कि हम किस जाल में फंस चुके हैं . यह त्रासदियां हमारे मौजूदा शिक्षा व्यवस्था की हकीकत बयान करती है जिसे धंधे और मुनाफेखोरी की मानसिकता ने यहाँ तक पंहुचा दिया है. आज शिक्षा एक व्यवसाय बन गया है जिसका मूल मकसद शिक्षा नहीं बल्कि ज्यादा से ज्यादा  मुनाफा कमाना है. शिक्षा के बाजारीकरण का असर लगातार व्यापक हुआ है,अब शहर ही नहीं दूर दराज के गांव में भी प्राइवेट स्कूल देखने को मिल जायेगें. छले वर्षों के दौरान देश भर के सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या लगातार घटती जा रही है, वहीं प्राइवेट स्कूलों की संख्या में जबरदस्त इजाफा देखा जा रहा है. राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) के आंकड़ों के मुताबिक 2007-08 में 72.6 प्रतिशत छात्र सरकारी प्राथमिक स्कूलों पढ़ते थे, जबकि 2014 में इनकी संख्या घटकर 62 प्रतिशत हो गई. इसी तरह उच्च प्राथमिक सरकारी स्कूलों में 2007-08 में छात्रों का प्रतिशत 69.9 था जो 2014 में घटकर 66 हो गया. यह आंकड़ा निजी स्कूलों की ओर बढ़ते रुझान का संकेत कर रहा है.





 ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि भारतीयों में पढ़ाई के प्रति पहले से ज्यादा जागरूकता आयी है. अब वे अपने बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा देना चाहते हैं और इसके लिए अपनी जेब भी ढ़ीली करने को तैयार हैं.आज ना केवल मध्यवर्ग बल्कि सामान्य अभिभावक भी अपने बच्चों की शिक्षा के लिए प्राइवेट स्कूलों को प्राथमिकता देने लगा है और अपने सामर्थ्य अनुसार वह इसका फीस भी चुकाने को तैयार है. दरअसल पिछले कुछ दशकों से इस बात को बहुत ही सुनियोजित तरीके से स्थापित करने का प्रयास किया गया है कि सरकारी स्कूल तो नाकारा है. अगर अच्छी शिक्षा लेनी है तो प्राइवेट की तरफ जाना होगा. अब जबकि सरकारी स्कूल को मजबूरी के विकल्प बना दिए गये हैं, उन्हें इस लायक नहीं छोड़ा गया है कि वे उभरते भारत की शैक्षणिक जरूरतों को पूरा कर सके. इन परिस्थितियों ने भारत में स्कूल खोलने और चलाने को एक बड़े उद्योग के रूप में विकसित किया है और इसका लगातार विस्तार हो रहा है. इसलिए हम देखते हैं कि एक तरफ तो गावं ,गली में एक और दो कमरों में चलने वाले स्कूल खुल रहे है तो दूसरी तरफ इंटरनेशल स्कूलों के चलन भी तेजी से बढ़ रहा है. एक अनुमान के मुताबिक आज हमारे देश में 600 से ज्यादा इंटरनेशनल स्कूल चल रहे हैं. हमारे देश का नवधनाढ़्य तबका इन स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए मुंहमांगी फीस देने को तैयार है. यह चलन हमारे देश में पहले से ही शिक्षा की खाई को और चौड़ा कर  रहा है. बहुत ही बारीकी से शिक्षा जैसे बुनियादी जरूरत को एक कोमोडिटी बना दिया गया है जहाँ आप अपने सामर्थ्य के अनुसार बच्चों के शिक्षा खरीद सकते हैं, यह विकल्प हजारों से लेकर लाखों रूपये तक का है.

सरकारी स्कूलों की उपेक्षा और प्राइवेट स्कूलों की लगातार बढ़ती फीस ने अभिभावकों के लिए इस समस्या को और गंभीर बना दिया है. आज किसी साधारण माता-पिता के लिए अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाना बहुत मुश्किल साबित हो रहा है. व्यापारिक संगठन एसोचैम द्वारा जारी एक अध्ययन के अनुसार कि बीते दस वर्षों के दौरान निजी स्कूलों की फीस में लगभग 150 फीसदी बढ़ोतरी हुई है. आज लखनऊ, भोपाल, पटना, रायपुर जैसे मझोले शहरों में किसी ठीक–ठाक प्राइवेट स्कूल के प्राथमिक कक्षाओं की औसत फीस 1 हजार से लेकर 6 हजार रुपए प्रति माह है. इसके अलावा अभिभावकों को प्रवेश शुल्क परीक्षा/टेस्ट शुल्क, गतिविधि शुल्क, प्रोसेसिंग फीस, रजिस्ट्रेशन फीस, एलुमिनि फंड, कम्प्यूटर फीस, बिल्डिंग फंड, कॉशन मनी, एनुअल तथा बस फीस जैसे कई तरह के शुल्क हैं जो वसूले जाते हैं. एक अनुमान के मुताबिक मासिक फीस के अलावा तमाम तरह के शुल्क के नाम पर अभिभावकों को 30 हजार से लेकर सवा लाख रुपए तक चुकाना पड़ता है. इसके अतिरिक्त बच्चों की ड्रेस, किताब-कापियाँ और स्टेशनरी पर भी अच्छा-खासा खर्च करना होता है. निजी स्कूल की मनमानी इस हद तक है कि एडमिशन के समय अभिभावकों को बुक स्टोर्स और यूनिफार्म की दुकान का विजिटिंग कार्ड देकर वहीँ से किताबें, यूनिफार्म और स्टेशनरी खरीदने को मजबूर किया जाता है. स्कूलों की इन दूकानों से कमीशन सेटिंग होती है. ये दूकान अभिभावकों से मनमाना दाम वसूलते हैं. इसी तरह से सिलेबस को लेकर भी गोरखधंधा चलता है. कई स्कूल संचालक एक ही क्लास की किताब हर साल बदलते हैं, हालाँकि सिलेबस वही रहता है लेकिन इस काम में उनकी और प्रकाशकों की मिलीभगत होती इसलिये एक प्रकाशक किताब में जो चेप्टर आगे रहता है, दूसरा उसे बीच में कर देता है. इन सबके बावजूद ज्यादातर सूबों में निजी स्कूलों में फीस के निर्धारण के लिए फीस नियामक नहीं बने हैं या सिर्फ कागजों में हैं. निजी स्कूलों पर कितनी फीस वृद्धि हो या कितनी फीस रखी जाए, इस संबंध में कोई स्पष्ट दिशानिर्देश नहीं हैं और जहाँ हैं वहां भी इसका पालन नहीं किया जा रहा है. इसलिए कई स्कूल से हर साल अपने फीस में 10 से 20 फीसदी तक की वृद्धि कर देते हैं. 

लम्बे चौड़े दावो के बावजूद जयादातर निजी स्कूल शिक्षा प्रणाली के मानक नियमों को ताक पर रख कर चलाये जा रहे हैं. अधिकतर निजी स्कूल ऐसे हैं जो एक या दो कमरों में संचालित है, यहाँ पढ़ाने वाले शिक्षक पर्याप्त योग्यता नहीं रखते हैं, शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून प्राइवेट स्कूलों को अपने यहाँ 25 प्रतिशत गरीब बच्चों को दाखिला देने के लिए बाध्य करता है साथ ही यह शर्त रखता है कि अगर आपको स्कूल खोलना है तो अधोसंरचना आदि को लेकर कुछ न्यूनतम शर्तों को पूरा करना होगा जैसे प्राइमरी स्कूल खोलने के लिए 800 मीटर और मिडिल स्कूल के लिए 1000 मीटर जमीन की अनिवार्यता रखी गई है. यह नियम ज्यादातर प्राइवेट स्कूलों को भारी पड़ रही है और अगर इस नियम का कड़ाई से पालन किया जाए तो लाखों की संख्या में प्राइवेट स्कूल बंद होने के कगार पर पहुँच जायेंगें. इसलिए ‘सेंटर फॉर सिविल सोसायटी’ जैसे पूंजीवाद के पैरोकार समूहों द्वारा आरटीई के नियमों में ढील देने की मांग को लेकर अभियान चलाया जा रहा है. 




  
भारत में शिक्षा की व्यवस्था गंभीर रूप से बीमार है इसकी जड़ में हितों का टकराव ही है.  प्राथमिक शिक्षा से लेकर कॉलेज शिक्षा तक पढ़ाई के अवसर सीमित और अत्यधिक मंहगें होने के कारण आम आदमी की पहुँच से लगभग दूर होते जा रहे हैं. शिक्षा के इस माफिया तंत्र से निपटने के लिए साहसिक फैसले लेने की जरूरत है. हालत अभी भी नियंत्रण से बाहर नहीं हुए है और इसमें सुधार संभव है. करना बस इतना है कि सरकारें सरकारी स्कूलों के प्रति अपना  रवैया सुधार ले, वहां बुनियादी सुविधायें और पर्याप्त योग्य शिक्षक उपलब्ध करा दें जिनका मूल काम पढ़ाने का ही हो तो सरकारी स्कूलों की स्थिति अछूतों जैसी नहीं रह जायेगी और वे पहले से बेहतर नजर आयेंगें जहाँ बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सकेगी और समुदाय का विश्वास भी बनेगा. अगर सरकारी स्कूलों में सुधार होता है तो इससे शिक्षा के निजीकरण की  प्रक्रिया में कमी आएगी . इसी तरह से बेलगाम व नियंत्रण से बाहर प्राइवेट स्कूलों पर भी कड़े नियंत्रण की जरूरत है जिस तरह से वे हैं और लगातार अपनी फीस बढ़ाते जा रहे हैं उससे इस बात का डर है कि कहीं शिक्षा आम लोगों की पहुँच से बाहर न चली जाए. हालत पर काबू पाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को ठोस कदम उठाने की जरूरत है. लेकिन समस्या यह है कि राजनेता और प्रभावशाली वर्ग शिक्षा के इस व्यवसाय में संलिप्त है ऐसे में उनसे किसी बड़े कदम की उम्मीद कैसे की जाए ? 




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