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विशेष आलेख : कोडिंग “रईस”

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हिंदी सिनेमा देश के मुस्लिम समाज को परदे पर पेश करने के मामले में कंजूस रहा है और ऐसे मौके बहुत दुर्लभ ही रहे हैं जब किसी मुसलमान को मुख्य किरदार या हीरो के तौर पर प्रस्तुत किया गया हो. “गर्म हवा”,“पाकीज़ा”,“चौदहवीं का चांद”,“मेरे हुज़ूर”,“निकाह”,“शमा”, “नसीम”, “चक दे इंडिया”, “इक़बाल”, “माय नेम इज खान”, “सुलतान” जैसी चुनिन्दा फिल्में ही रही हैं जिनकी पृष्ठिभूमि या मुख्य किरदार मुस्लिम रहे हैं. परदे पर मुस्लिम समुदाय या तो ज्यादातर गायब रहे हैं या अगर दिखे भी हैं तो नवाब, हीरो के वफादार दोस्त, रहीम चाचा और आतंकवादी जैसी भूमिकाओं में. 90 के दशक से हिंदी सिनेमा में “खान तिकड़ी” का आगमन होता है जिसके बाद से अभी तक वे अपना वर्चस्व बनाये हुए हैं लेकिन इसी के साथ ही सिल्वर स्क्रीन पर मुस्लिम किरदारों के प्रस्तुतिकरण में और गिरावट होती है, इस दौरान वे स्टीरियोटाइप टोपी पहने, नकारात्मक किरदारों जैसे कट्टरपंथी, आतंवादी, देशद्रोही जैसे किरदारों में ही पेश किये जाते रहे. पिछले दिनों चर्चित पत्रकार राणा अय्यूब ने एक लेख लिखा था जिसमें वे ध्यान दिलाती हैं कि किस तरह से बालीवुड के सबसे लोकप्रिय कलाकारों में एक शाहरुख खान ने अपनी पिछली कई फिल्मों में मुस्लिम किरदार निभाया है. वे गिनती है कि कैसे उन्होंने “'ऐ दिल है मुश्किल'में अपने कैमियो किरदार ताहिर खान, 'डियर ज़िन्दगी'के जहांगीर खान, 'माई नेम इज़ खान'के रिज़वान खान, 'चक दे इंडिया'के कबीर खान जैसे किरदारों को निभाकर सिनेमा के परदे पर मुस्लिम छवि का 'सामान्यीकरण'किया है जो कि आपसी अविश्वास और नफरत की लकीरों के इस दौर में एक बहादुराना व सकारात्मक सन्देश है. पिछले साल खान तिकड़ी के एक और सदस्य सलमान भी अपनी फिल्म “सुलतान” में यह काम कर चुके हैं जहाँ उनका किरदार एक मुस्लिम पहलवान का था.





कुछ सालों पहले तक इस बात की कल्पना मुश्किल थी कि हिंदी सिनेमा का कोई सुपर स्टार परदे पर 'बनिये का दिमाग और मियां भाई की डेयरिंग” जैसा डायलाग बोलेगा लेकिन आज शाहरुख खान अपनी नयी फिल्म “रईस” में ऐसा करते हुए दिखाई देते हैं. लेकिन “रईस” में सिर्फ यही नहीं है, इस फिल्म की पूरी पृष्ठभूमि और लगभग सभी मुख्य किरदार मुस्लिम हैं. इसके किरदार भले ही “लार्जर दैन लाईफ” हों लेकिन फिल्म का ट्रीटमेंट सामान्य है जो इस फिल्म की खूबी है और शायद सीमा भी. इस फिल्म में मुस्लिम किरदारों का आम जीवन, व्यवहार, रहन-सहन, खान पान हकीकत के करीब है. गोश्त की दूकानें, ईद, मस्जिद, रोजा, नमाज, मुहर्रम के मातम बिरयानी, निकाह आदि को किसी अजूबे नहीं बहुत सामन्य तरीके से बताया गया है.   रईस सहित पिछली फिल्मों में शाहरुख के मुस्लिम किरदार अपने आप में एक सन्देश हैं, ये फिल्में चाहे जैसी भी रही हों मुस्लिम समुदाय को सामान्य तरीके से पेश करने की एक ख़ास अहमियत है. लेकिन दुर्भाग्य से हर कोई इसकी तारीफ नहीं कर पा रहा है. कई लोग ऐसे हैं जिन्हें इससे परेशानी हो रही है. सत्तारूढ़ भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव उन्हीं लोगों में से एक हैं जिन्होंने “रईस” और शाहरुख खान को लगातार निशाना बनाया है, यहाँ तक कि उन्होंने शाहरुख़ की तुलना दाऊद इब्राहिम से कर दी. कैलाश विजयवर्गीय सोशल मीडिया पर इसके खिलाफ बाकायदा अभियान चलते रहे. जहाँ पर उन्होंने लिखा ''जो "रईस"देश का नहीं, वो किसी काम का नहीं और एक "काबिल"देशभक्त का साथ, तो हम सभी को देना ही चाहिए.''एक दूसरा सन्देश भी आया जिसमें वे लिखते हैं “प्रधानमंत्री मोदी जी ने नोट बंदी कर काले धन वाले ‘रईसों’ को ज़मीन पर ला दिया. अब बारी देश की ‘काबिल’ जनता की है. जो ‘काबिल’ है, उसका हक़ कोई बेईमान ‘रईस’ न छीन पाए.” अपने एक और सन्देश में वे बाकायदा प्रधानमंत्री और राहुल गाँधी की तस्वीर लगाते हुए लिखते हैं कि “काबिल हो तो एक चाय वाला भी प्रधानमंत्री बन जाता है, वरना चांदी का चम्मच मुंह में लेकर पैदा हुआ रईस भी फटे कुर्ते पहनता है”. जाहिर हैं अपने इन  संदेशों में वे एक ही तीर के कई निशाने साधने की कोशिश करते हैं  जिसमें सबसे बड़ा निशाना रईस और शाहरुख़ खान थे, वे साफ़ कह रहे हैं कि “रईस” मत देखो, “काबिल” का साथ दो.  यह एक तरह से एक “मुस्लिम सुपर स्टार” के मुकाबले एक “हिन्दू सुपर स्टार” पेश करने की कोशिश थी. हृतिक और शाहरुख को लेकर दिवगंत बाल ठाकरे भी ऐसा प्रयास पहले कर चुके हैं.

शाहरुख खान अपनी पिछली फिल्म ‘दिलवाले’ के समय भी इसी तरह के अभियानों का सामना कर चुके हैं. जिसके पीछे अहिष्णुता के मुद्दे पर दिया गया उनका बयान था कि ‘देश में बढ़ रही असहिष्णुता से उन्हें तकलीफ महसूस होती है’. जिसके बाद उनको और उनकी फिल्म को निशाना बनाया गया और भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ ने उन्हें पाकिस्तान चले जाने की सलाह दी थी. पिछले कुछ सालों में शाहरुख़ की फिल्मी हैसियत कम हुई है अन्य दोनों खानों की तरह वे बदलते वक्त और ढलती उम्र के अनुसार अभी तक खुद को ढाल नहीं पाए हैं. 2014 में रिलीज हैप्पी न्यू ईयर के बाद उनकी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर कोई ख़ास कमाल नहीं दिखा पायी हैं, रईस से उन्हें बहुत उम्मीदें हैं. शायद इसीलिए “रईस” में वे अपने लिए कोई नया रास्ता चुनने के बजाये अपने पुराने फार्मूलों को ही आजमाते हुए नजर आते हैं. शाहरुख के उदय में 'बाज़ीगर', 'डर'जैसी फिल्मों के खलनायक चरित्रों का बड़ा रोल रहा है. एंटी-हीरो किरदारों ने ही उन्हें स्टार बनाया है. रईस में इसी फार्मूले को एक बार फिर आजमाया गया है. आधिकारिक रूप से इस फ़िल्म को किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से जुड़ा होने से नकार दिया गया है लेकिन बताया जा रहा है कि रईस का किरदार गुजरात के बदनाम शराब माफ़िया अब्दुल लतीफ़ के जीवन पर आधारित है. यह रईस की कहानी है जो "ड्राई स्टेट"गुजरात में शराब के धंधे की मदद से अपना साम्राज्य बनाता है और इस खेल का सबसे बड़ा खिलाड़ी बन जाता है. लेकिन इसी के साथ रॉबिनहुड अंदाज़ में लोगों का मददगार भी है. फिल्म का बैकड्रॉप  2002 से पहले के गुजरात का है. कहानी में रईस की मां उसे सबक देती है कि “धंधा छोटा नहीं होता है और धंधे से बड़ा कोई धर्म नहीं होता है ,जिससे किसी का नुकसान न हो”, लेकिन रईस इस सबक का आधा हिस्सा ही याद रखता हैं और  गैर-कानूनी तरीके से शराब का धंधा और अन्य गैर कानूनी काम करने लगता है.उसके इस काम में सत्ता,पक्ष-विपक्ष के नेता, बड़े पुलिस अधिकारी मददगार बनते हैं जिससे वह खूब फलता फूलता है. लेकिन इसी बीच एस पी जयदीप अम्बालाल मजूमदार (नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी) एक रूकावट के रूप में सामने आते हैं. यही दोनों किरदार कहानी को अपने अंजाम तक पहुँचाते हैं. यह एक नायकविहीन फिल्म है जिसके अंत में दोनों प्रमुख किरदार अपना-अपना पश्‍चाताप करते हैं, इस तरह से “लार्जर दैन लाईफ”होते हुए भी वे अपना कोई आदर्श नहीं छोड़ते हैं. 





फिल्म में शाहरुख खान और नवाजुद्दीन सिद्दीक़ी के आलावा माहिरा खान, अतुल कुलकर्णी, जिशान और नरेन्द्र झा महत्वपूर्ण भूमिकाओं में हैं. शाहरुख 'रईस'के किरदार में फिट बैठते हैं और अपने स्टारडम के बोझ को उतारते हुए वे इस किरदार में ढलने की पूरी कोशिश करते हैं, नवाजुद्दीन सिद्दीकी को फिल्म में जितनी भी जगह मिली है उन्होंने इसका भरपूर इस्तेमाल किया है और ऐसा करते हुए वे कई बार शाहरुख पर भारी भी पड़ते हैं. अपने सहज अभिनय के मदद से वे फिल्म की कमियों को ढकने की पूरी कोशिश करते हैं, जिशान और नरेंद्र झा का काम भी शानदार है, माहिरा खान का किरदार कोई प्रभाव नहीं छोड़ पाता है और उनका अभिनय भी भावहीन लगता है, कई जगह गाने भी जबरदस्ती ठूसे हुए लगते हैं, “लैला मैं लैला'इकलौता  ऐसा गाना है जो कहानी के साथ जुड़ता है और शानदार बन पड़ा है. इस फिल्म के निर्देशक राहुल ढोलकिया हैं जो “परजानिया” जैसी फिल्म के लिए नेशनल अवार्ड जीत चुके है, जो कि  2002 में गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार पर आधारित है.  इस बार उन्होंने मसाला जोनर की फिल्म में हाथ आजमाया है लेकिन वे संतुलन साधने से चूक गये हैं. यहाँ उन्हें मनोरंजन आधारित मसाला सिनेमा और लोकप्रिय सुपरस्टार से डील करना था ऐसा करते हुए उन्होंने फिल्म का अप्रोच रियलिस्टिक रखा है, शायद इसीलिए  फिल्म बनावटी नजर नहीं आती है और वास्तविकता के करीब से गुजरती है. लेकिन यही इस फिल्म की खासियत है और सीमा भी .

'रईस'की कहानी बेहद साधारण है जिसे कई बार दोहराया जा चूका है. लेकिन इसी के साथ यह 2002 से पहले के गुजरात की कहानी कहती है राहुल ढोलकिया के शब्दों में कहें तो मोदी से पहले के गुजरात की कहानी जब वहां “हम” और “वे” की खायी इतनी चौड़ी नहीं थी और सभी तरह के खान-पान, रहन-सहन के तरीकों के लिए जगह थी. रईस की अपनी राजनीति भी है यह अपनी प्रस्तुति और किरदारों के माध्यम से कई सन्देश देती है जैसे कि दंगे से प्रभावित लोगों को हिन्दू-मुसलमान नहीं बल्कि इंसान की नजर से देखा जाये और मदद के दौरान इनमें कोई फर्क नहीं किया जाये. फिल्म में रईस का एक डायलाग है “मेरे लिए धंधे से बड़ा कोई धर्म नहीं है, लेकिन मैं धर्म का धंधा नहीं करता”. शायद यह कैलाश विजयवर्गीयों के लिए एक पैगाम हैं 



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जावेद अनीस 
Contact-9424401459
javed4media@gmail.com

महावीर के सिद्धांतों से समस्याओं का समाधान संभव: सुदर्शन भगत

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  • आदिवासी उत्थान के लिए सुखी परिवार अभियान की चर्चा

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नई दिल्ली, 28 अगस्त 2016, केन्द्रीय कृषि राज्यमंत्री श्री सुदर्शन भगत ने कहा कि राष्ट्रीय एकता एवं अखण्डता के लिए आदिवासी जनजीवन का उत्थान जरूरी है। इसी से हिंसा, नक्सलवाद एवं आतंकवादी की समस्या से मुक्ति पायी जा सकती है। इसके लिए भगवान महावीर के अहिंसा, अनेकांत, विश्व शांति एवं सांप्रदायिक सौहार्द के सिद्धांतों को अपनाने की जरूरत है। इन सिद्धांतों को अपनाने से न केवल राष्ट्रीय बल्कि दुनिया की बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान हो सकता है। श्री भगत ने आज अपने निवास पर सुखी परिवार अभियान के प्रणेता गणि राजेन्द्र विजय की सन्निधि में आयोजित संत समागम में उक्त उद्गार व्यक्त किए। उन्होंने आगे कहा कि गणि राजेन्द्र विजय के प्रयत्नों से गुजरात का आदिवासी जनजीवन हिंसा का रास्ता छोड़कर स्वउत्थान की ओर अग्रसर हो रहा है, यह संपूर्ण राष्ट्र के लिए प्रेरणा की बात है। श्री भगत ने समागत संतजनों का शाॅल ओढ़ाकर सम्मान किया। इस अवसर पर महामंडलेश्वर श्री शंकरानंद ने कहा कि आदिवासी एवं पिछड़े क्षेत्रों के उत्थान और उन्नयन के लिए सरकार के साथ-साथ गैर-सरकारी प्रयत्नों की ज्यादा जरूरत है। हिंसा, नशा, रूढ़िवादिता, अशिक्षा और अभाव से पीड़ित इन क्षेत्रों के लोगों के कल्याण के लिए विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।





इस अवसर पर गणि राजेन्द्र विजय ने कहा कि देश को तरक्की की ओर अग्रसर करने के लिए समाज एवं राष्ट्र का नेतृत्व करने वाले लोगों से अपेक्षा की कि वे समाज को तोड़ने की बजाए जोड़ने के प्रयत्न करें। भारतीय लोकतंत्र को सुदृढ़ बनाने के लिए आदिवासी जन-जीवन के साथ सरकार का रवैया सकारात्मक होना चाहिए। इस अवसर पर सुखी परिवार फाउंडेशन के संयोजक श्री ललित गर्ग ने गणि राजेन्द्र विजयजी की पुस्तक ‘महावीर का समाजशास्त्र’ श्री भगत को भंेट की तो उन्होंने कहा कि यह ग्रंथ और इसमें प्रकाशित सामग्री जन-जन को नैतिक और सदाचारी बनाने में अपनी भूमिका निभायेगा। श्री भगत ने जैन समाज के द्वारा किए जा रहे विविध जन कल्याणकारी कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि आज समाज को आगे बढ़ाने के लिए सकारात्मक सोच और रचनात्मक प्रवृत्तियों की अपेक्षा है। नैतिकता और चरित्र की स्थापना के बिना विकास की तमाम उपलब्धियां अधूरी हैं। सुख का वास्तविक आधार नैतिकता ही है। इस अवसर पर गुजरात से आये आदिवासी प्रतिनिधि मंडल ने कृषि मंत्री को अपनी समस्या बतायी। श्री राहुल फूलफगर, श्री अजय अग्रवाल, श्री राहुल वत्स आदि ने अपने विचार व्यक्त किए।




(ललित गर्ग)
संयोजक-सुखी परिवार फाउंडेशन
10, पं. पंत मार्ग, नई दिल्ली-110001 
मो. 9811051133 

डेंगू, चिकनगुनिया, वायरल का होम्योपैथिक उपचार यूपेटोरियम परफोलियेटम और.....

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इन दिनों देशभर में डेंगू, चिकनगुनिया और वायरल फीवर ने कहर बरपा रखा है। देश के समर्पित डॉक्टर इन बीमारियों से पूरी निष्ठा के साथ लड़ रहे हैं। जिसके परिणामस्वरूप हम हमारे अपनों को इन बीमारियों के कहर से बचा पा रहे हैं। यद्यपि बीमारी के दौरान और बीमारी के उपचार के बाद जो हड्डीतोड़ दर्द उठने-बैठने, चलने-फिरने और नैतिक क्रियाकर्म तक करने में बाधक बन रहा है, वह केवल दर्द-निवारक दवाओं के भरोसे छोड़ा जा रहा है। जो कतई भी उचित नहीं है। ऐसे रोगियों की दशा गठिया के रोगियों की जैसी हो जाती है, क्योंकि गठिया में भी असहनीय दर्द होता है, लेकिन गठिया से सामान्यत: कोई मरता नहीं और इस दर्द से भी कोई मरता नहीं है। इसी कारण डॉक्टर और परिजन भी ऐसे रोगियों के दर्द के प्रति अगम्भीर रहते हैं। यह स्थिति ऐसे रोगियों के साथ क्रूरतम अन्याय से कम नहीं। इस स्थिति से लड़ने में होम्योपैथी की अनेक दवाईयाँ काफी सीमा तक सफल हैं। बशर्ते हम किसी योग्य चिकित्सक की देखरेख में सही दवा का चयन कर सही से सेवन कर सकें।




कुछ प्रमुख और अत्यन्त उपयोगी होम्योपैथिक दवाईयों का उल्लेख मैं यहाँ कर रहा हूँ :—

सर्वप्रमुख दवाई : यूपेटोरियम परफोलियेटम

सूचक लक्षण : छींकें, जुकाम, तेज सिर दर्द, बुखार के साथ सारे बदन में कहीं भी दर्द या सभी मांसपेशियों में दर्द, सभी जोड़ों और हड्डी-हड्डी में असहनीय तेज दर्द। रोगी आराम से पड़ा रहने पर भी बेचैन, दु:खी और उदास रहता है। तेज हड्डीतोड़ दर्द होने पर भी पसीना बहुत कम या बिलकुल नहीं। बुखार में शीतावस्था आने से बहुत पहले अधिक प्यास और हड्डियों में दर्द शुरू होना।

विचित्र लक्षण : सिर दर्द और शरीर के जोड़ों का दर्द पर्याय क्रम में अदलता-बदलता रहता है। अर्थात् जैसे-जैसे सिरदर्द बढता जाता है, वैसे-वैसे जोड़ों का दर्द घटता जाता है। जोड़ों का दर्द बढता है और सिरदर्द कम होता जाता है। आदि।
दवाई की शक्ति : 30
मात्रा : 2—2 बूंद सुबह—शाम खाली पेट।
अवधि : 3 से 5 दिन या ठीक होने तक।
नोट :जिस बुखार में हड्डियों में तेज दर्द का प्रमुख लक्षण नहीं हो तो यूपेटोरियम परफोलियेटम कोई काम नहीं करेगी।

दूसरी प्रमुख दवाई : ब्रायोनिया

सूचक लक्षण :हड्डियों में दर्द, लेकिन इस दवा का हड्डियों में दर्द प्रमुख लक्षण नहीं है। रोगी बिना बेचैनी के आराम से पड़ा रहकर आराम पसन्द। दर्द में हरकत से वृद्धि और विश्राम से कमी। यहां तक कि हिलने-डुलने से भी तकलीफ में बढोतरी। क्रोधी और चिड़चिड़ा स्वभाव। खुश्की के साथ सूखे होंठ। तेज प्यास। देर-देर में, ज्यादा-ज्यादा, भर-भर गिलाश ठंडे पानी की प्यास/देर-देर में, ज्यादा-ज्यादा प्यास हो तो दवाई-एकोनाइट है। बन्द कमरे में रोगी की तकलीफें बढती हैं और खुली हवा उसे अच्छी लगती है।

विचित्र लक्षण :'रोगी का दिल तो आराम से लेटने/पड़े रहने को चाहता है, लेकिन दर्द लेटने नहीं देता'इस स्थिति में भी हिलने-डुलने से तकलीफ वृद्धि इस दवा का प्रमुख लक्षण है।

दूसरा विचित्र लक्षण :'बदन के जिस अंग में जिस ओर दर्द हो, उस तरफ लेटे रहने से दर्द में आराम।'आदि।

दवाई की शक्ति : 30
मात्रा : 2—2 बूंद सुबह—शाम खाली पेट।
अवधि : 3 से 5 दिन या ठीक होने तक।

तीसरी प्रमुख दवाई : रस टॉक्स

सूचक लक्षण :मांसपेशियों, पुठ्ठों, कमर में असहनीय दर्द। रोगी की हड्डियों में भी दर्द होता है, लेकिन यह दर्द मांस तंतुओं और जोड़ों का होता है। रोगी को गर्मी, सूखी हवा, गर्म सेंक और हरकत से दर्द और तकलीफों में आराम मिलता है। जबकि आराम करने, ठंडे पानी, नम हवा, ठंड, ठंडी हवा, बरसाती मौसम, पसीना दबने से रोग/तकलीफों में वृद्धि होती है। रोगी को शुरू में चलने या हरकत करने से दर्द/तकलीफ बढना अनुभव होता है, लेकिन लगातार चलते रहने से बदन में गर्मी आ जाती है, जिससे दर्द/तकलीफ में आराम अनुभव होता है। रोगी में बेचैनी देखने का मिलती है, लेकिन बेचैनी के साथ उत्तेजना की प्रबलता हो तो सही दवाई एकोनाइट और बेचैनी के साथ कमजोरी का लक्षण हो तो आर्सेनिक एल्बम सही दवा है। जहाँ तक रस टॉक्स के रोगी की बेचैनी का सवाल है, इसमें न तो उत्तेजना होती है और न ही कमजोरी होती है, बल्कि इसकी बेचैनी के साथ में मांसपेशियों में पीड़ा और दर्द का होना विशेष सूचक लक्षण है। आदि।

दवाई की शक्ति : 30
मात्रा : 2—2 बूंद सुबह—शाम खाली पेट।
अवधि : 3 से 5 दिन या ठीक होने तक।
उक्त दवाईयों के अलावा लक्षणों के अनुसार होम्योपैथी की निम्न दवाईयां भी रोगी को दी जा सकती हैं:—

जेल्सीमियम—प्यास की कमी या प्यास का अभाव। प्यास रहित ज्वर। मेरुदंड में ऊपर-नीचे शीत का उतरना-चढना। सुस्ती, निद्रलुता-रोगी नींद सी में पड़े रहना। ज्वरावस्था के दौरान रोगी में कमजोरी, थकान, प्यास का अभाव, शीतावस्था में और बिना शीत के भी कंपकंपी और बार-बार पेशाब आना। अचानक अप्रिय समाचार की सूचना से भयग्रस्त हो जाना। सभी अंगों में दुर्बलता, मांसपेशियों में शिथिलता। आदि।

नक्स वोमिका—रोगी के मानसिक लक्षण प्रमुख, जैसे—उद्यमी, झगड़ालू, चिड़चिड़ा, कपटी, प्रतिहिंसाशील, जिस काम को हाथ में लेता है, उसमें जी-जान से जुट जाना और तुरत-फुरत काम को पूरा कर डालना। हर काम में दूसरों से आगे। हर काम में चुस्त, चौकन्ना, सावधान, प्रखर बुद्धि, कार्यपटु, उत्साही, जोशीला, अपनी बात दूसरों से मनमाने वाला। साथ ही बड़ा ही नाजुक मिजाज। मिर्च-मसाले और दूध-घी का प्रेमी। धीरे-धीरे सहजता से किसी काम को करना आदत में नहीं। मानसिक कार्यों में लगे रहना, लेकिन चलने-फिरने से कतराना। ऊंची आवाज, तेज रोशनी, हवा का तेज झोंका को बर्दाश्त नहीं कर सकता। भोजन में मीन-मेख निकालना। सिर लपेटने से आराम। ठंड से तकलीफ बढना। भोजन के 2-3 घंटे बाद पेट की तकलीफें बढना। कब्ज रहना, पेट साफ नहीं होना। भोजन के बाद नींद की विवशता। बुखार का हर बार समय से पहले आना। महिलाओं में महावारी समय से पहले आती है। आदि। यह दवाई रात्री सोते समय ही दी जानी चाहिये।

बेलाडोना—भयंकर उत्ताप, भयंकर रक्तिमा/लाली और भयंकर जलन ये तीन प्रमुख सूचक लक्षण हैं। जो सूजन, आंख दु:खने, बवासीर, गठिया, जोड़ों के दर्द में पाये जाते हैं। रक्त संचय से भयंकर सिर दर्द। दर्द एकदम आता है और एकदम जाता है। प्रकाश, आवाज, शोर, गंध, स्पर्श/छुअन सहन नहीं होना। मूत्राशय भरा होने पर भी पेशाब आसानी से नहीं निकलता। ढके हुए स्थान पर पसीना आना। रोगी को नींबू की चाहत होती है और नींबू के सेवन से तकलीफ में राहत भी मिलती है। आदि।

इपिकाक—रोगी को कोई भी तकलीफ हो अगर वमन/कय/उल्टी से पहले और वमन करने के बाद भी वमन करने की इच्छा बनी रहे तो इपिकाक सर्वोत्तम दवाई है। खुली हवा में तकलीफों में कमी आना और गर्मी या तर हवा में तकलीफें बढना। आदि।

आर्सेनिक एल्बम—किसी भी तकलीफ के दौरान रोगी को-बेचैनी, घबराहट, मृत्युभय और अत्यन्त कमजोरी अनुभव होना इस औषधि के सर्वप्रमुख लक्षण हैं। रोगी को अत्यधिक प्यास लगती है, लेकिन फिर भी रोगी अधिक पानी नहीं पीता, बल्कि बार-बार थोड़ा-थोड़ा पानी पीता है। ज्वरावस्था में रोगी प्यासा होता है, लेकिन पानी पीना नहीं चाहता है, क्योंकि पानी पीने से उल्टी/कय/वमन आ जाती है। फिर भी उसकी प्यास इतनी जबरदस्त होती है कि वह न चाहते हुए भी थोड़ा-थोड़ा पानी पीता जाता है। रोगी के आन्तरिक अंगों से निकलने/बहने वाला स्त्राव जलन पैदा करने वाला होता है। रोगी साफ-सफाई पसन्द करता है। रोगी एक जगह टिक नहीं सकता।
विचित्र लक्षण : रोगी का बदन दूसरों के लिये ठंडा, लेकिन खुद रोगी ताप/जलन का अनुभव करता है। इसके साथ-साथ रोगी को किसी भी अंग/रोग में जलन होने पर भी गर्मी/सेंक/गर्म चाय आदि से आराम मिलता है।

चायना या सिनकोना—होम्योपैथी के आविष्कार का इतिहास इसी दवाई से जुड़ा हुआ है। ज्वर में शीत या पूर्ण उत्ताप की स्थिति में रोगी को प्यास लगे को इस दवाई को कभी नहीं देना चाहिये। बल्कि इसके रोगी को शीत शुरू होते ही प्यास जाती रहती है। हां पसीना आने पर रोगी को खूब प्यास लगती है। सम्पूर्ण पेट में हवा का गोला सा भरा रहना और डकार आना, लेकिन आराम नहीं आना, इस दवाई का प्रमुख लक्षण है। शरीर से जीवनरक्षक द्रव्यों के बह जाने के कारण आयी दुर्बलता को दूर करने वाली यह अमूल्य दवाई है। आदि।

सावधानी/चेतावनी :उक्त या अन्य किसी भी दवाई का सेवन करने से पूर्व किसी चिकित्सक से परामर्श कर लेना उचित होगा।





लेखक : डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
संपर्क :  09224359159.
नोटः जनहित में जारी।

स्वास्थ्य : डेंगू से हो रहीं मौतों का आतंक! क्या करें?

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इन दिनों देशभर में हर ओर डेंगू का आतंक। डेंगू से हो रही अकाल मौतों के कारण हर कोई भयभीत है। यहां हमें इस बात को भी समझना होगा कि हमारी लापरवाही के कारण बढते जा रहे गन्दगी के साम्राज्य और गंदे पानी के कारण ही डेंगू फैलाने वाले मच्छर बढ़ रहे है। सरकारी अमले की निष्क्रियता, लापरवाही और असंवेदनशीलता के प्रति जनप्रतिनिधियों व सरकार का मौन भी डेंगू फैलने का बड़ा कारण है। याद रहे डेंगू वायरस के संक्रमण से होता है।





डेंगू होता क्या है?

लक्षण :अचानक पसीना युक्त बहुत तेज बुखार, रक्तचाप की कमी,  आँखों में लाली, दिल की धड़कनें कम हो जाना, आँखों में जलन और आँखों के उपरी भाग/पलकों पर दर्द, कमर में दर्द, बदन की मांसपेशियों और जोड़ों में खिंचाव, सर्दी लगना, बेचैनी, घबराहट, सिर में दर्द इत्यादि डेंगू के संभावित लाक्षणिक संकेत हैं।

प्लेटलेट्स घटना : डेंगू के कारण पीड़ित व्यक्ति के शरीर से प्लेटलेट्स की मात्रा निरंतर घटती चली जाती है, जिसके दुष्परिणामस्वरूप शरीर के अन्दर रक्त का प्रवाह होने लगता है। ऐसी स्थिति में रोगी की मौत हो सकती है।डेंगू के इलाज के लिए एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति में इसके सफल इलाज हेतु प्लेटलेट्स चढ़ानी होती है, लेकिन सभी अस्पतालों में यह सुविधा संभव नही है। साथ ही यह काफी खर्चीला उपचार है।

प्लेटलेट्स सेल क्या है?

प्लेटलेट्स सेल फ़्रैगमेन्ट्स होते हैं जिनके कारण रक्त का थक्का जमता है और इसीलिए ये खतरनाक रक्तस्त्राव को रोकने के लिए ज़रूरी होती हैं। जब हमें कहीं चोट लग जाये या शरीर का कोई अंग कट जाये या अंगुली कट जाने पर या नाक से निकलने वाला रक्त बहना बंद हो जाए तो समझ लीजिये कि प्लेटलेट्स सेल्स काम कर रही हैं। ये कोशिकाएं खून (Blood) में पाई जाती हैं, जहाँ ये आपस में एक—दूसरे से बंधी हुई होती हैं और इस प्रकार हमारे शरीर में प्रवाहित होते हुए रक्त के बाहर निकलने के मार्ग को नियंत्रित करती हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार प्लेटलेट्स हमारे खून (Blood) में सिर्फ 10 दिन तक ही जीवित रहती हैं। इसलिए इनकी पुनः पूर्ती की ज़रूरत लगातार बनी रहती है। एक औसत स्वस्थ व्यक्ति के प्रति माइक्रो लीटर रक्त में 1,50,000 से 4,50,000 तक प्लेटलेट्स पाई जाती हैं। अगर किसी रोगी की प्लेटलेट्स की संख्या या प्लेटलेट्स काउंट 150 है, तो इसका मतलब है कि प्रति माइक्रोलीटर रक्त में 150000 प्लेटलेट्स हैं।

प्लेटलेट्स को बढ़ाने वाले खाद्य-पदार्थ :

प्रोटीन
अनार
विटामिन K से भरपूर खाद्य पदार्थ
विटामिन A से भरपूर खाद्य-पदार्थ
दूध
फोलेट युक्त भोजन
पपीता

तत्काल क्या करें?
किसी भी योग्य डॉक्टर या किसी भी चिकित्सा पद्धति के प्रति दुराग्रह पाले बिना डेंगू का तुरंत उपचार लेने में संकोच नहीं करें। यदि सम्भव हो तो किसी दक्ष योगी की देखरेख में प्राणायाम भी ​किये जा सकते हैं।

आयुर्वेद/हर्बल उपचार : नोट : दवाई का सेवन करने से पहले रोगी की स्थिति के बारे में किसी योग्य चिकित्सक की राय ले सकें तो बेहतर होगा।

आर्थिक तंगी के कारण या अन्य किसी कारण से यदि कोई उपचार उपल्ब्ध नहीं हो तो निम्न नुस्खा/काढा आजमाया जा सकता है :—

1. गिलोय (गुरूची) की डाली—3 इंच।
2. घरेलु तुलसी के पत्ते—2
3. काली तुलसी के पत्ते—5
4. पुराना गुड़—30 ग्राम
5. भूमि/भूई आंवला पंचांग—10 ग्राम
6. पपीता का एक पत्ता।
7. सोंठ—10 ग्राम।
8. अजवायन—5 ग्राम।
9. काली मिर्च—5 नग।
10. तेज पत्ता—5 ग्राम।

उक्त सभी को कूट—पीसकर आधा लीटर पानी में पकावें, जब एक चौथाई/125 मिली रह जाये तो काढे को छानकर नवाया—नवाया/कुनकुना रोगी को पिलावें।

परिणाम : उक्त काढे को सुबह—शाम पिलाने से अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं।

अन्त में यह और करें : उक्त के अलावा रोगी को सुबह खाली पेट घृतकुमारी/एलोवीरा का 20—25 ग्राम रस और दिन में एक—दो बार नारियल पानी भी पिलाते रहें। रोगी को हर घंटे में पोष्टिक खाना खिलाते रहें। इस सबसे भी प्लेटलेट्स तेजी से बढने में मदद मिलगी।


सेवासुत डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
मो. एवं वाट्स एप नम्बर : 9875066111

दिल्ली : उड़ती धूल से लोग परेशन

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फिल्मीस्ताऩ से पुलबंगश़ और तीस हजारी कोर्ट आने वाले मार्ग को चैडा करने और एक फ्लाई ओवर का काम चल रहा है। लेकिन इस दौरान कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा बरती जा रही लापरवाही के कारण तमाम लोगों को परेशान होना पड़ रहा है। साइट पर पानी का छिड़काव न किए जाने के कारण भारी मात्र में यहां धूल का गुबार उठ रहा है जिससे यहां से होकर गुजरने वाले लोगों को परेशानी हो रही है। इस वक्त जाड़े के मौसम में मुश्किल इसलिए भी बढ़ गई है क्योंकि कोहरे के कारण यह धूल काफी कम उंचाई पर ही टिकी रहती है जिससे स्मॉग की स्थिति उत्पन्न हो रही है। डीसीएम मोड से लेकर आजाद मार्किट तक के मार्ग पर कारण सड़क के किनारे खोदाई की गई। दिन भर यहां मशीनें, बुलडोजर व जेसीबी चलती रहती हैं जिस कारण भारी मात्र में धूल उड़ती है। यह काफी व्यस्त मार्ग है। इस मार्ग का इस्तेमाल पुलबंगश,तीस हजारी कश्मीरी गेट,दिल्ली विश्वविधालय,पुरानी सब्जीमंडी... आदि जगहों के लोग आने-जाने के लिए करते हैं। जिस कारण इस पर यातायात का काफी दबाव रहता है। धूल के कारण दिखाई न पड़ने पर यहां हादसे का खतरा भी बना हुआ है। आसपास की कॉलोनी के लोगों ने यहां पर पानी छिड़कवाने के लिए कंस्ट्रक्शन कंपनी के अधिकारियों से अनुरोध भी किया ताकि धूल न उड़े, लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई। 




शिक्षा प्रणाली पर आधारित है शो‘मेरी दुर्गा ’: प्रदीप कुमार

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स्टार प्लस पर रोजना शाम 6.30 बजे प्रसारित शो ‘मेरी दुर्गा’ धारावाहिक में पिता और बेटी का एक अनूठा रिश्ता दर्शाया गया है जो की दर्शकों को बहुत लुभा रहा है। इस धारावाहिक के निर्माता हैं पेपरबैक फिल्म्स जो बनी है निर्देशक रविंद्र गौतम और निर्माता प्रदीप कुमार के साझेदारी से। भारतीय जलसेना की परीक्षा देने मुम्बई आये प्रदीप ने कभी यह न सोचा था कि वह एक निर्माता बनेंगे। अपनी मेहनत और लगन से बहुत ही कम समय में प्रदीप कुमार ने निर्माण कार्य में अपनी एक पहचान बना ली। पेपरबैक फिल्म्स की शरुवात से पहले वह शकुंतलम टेलेफिम्स में प्रोडक्शन हेड के पद पर कार्यरस्थ थे जहाँ उन्होंने रेत, बनूँ में तेरी दुल्हन,ना आना इस देस लाडो, रक्षक,शास्त्री सिस्टर्स, और हेल्लो प्रतिभा जैसे धारावाहिको का निर्माण किया। शो के बारे में प्रदीप ने बताया कि ‘इस शो के द्वारा भारत की शिक्षा प्रणाली पर प्रकाश डाल रहें हैं और माता-पिता को यह संदेश दे रहें हैं कि वह अपने बच्चों की स्वाभाविक कुशलता को पहचान कर उसे सराहें।’




आलेख : एक आधुनिक सौगात है क्राउडफंडिंग

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एक नया बनता हुआ भारत हमारे सामने है। इस भारत के कई सपने हैं। कुछ सपने राजनीति के जमीन से उगते हैं तो कुछ समाज के उर्वर मस्तिष्कों से। कुछ सपने उन आंखों के हैं जिन्होंने अतीत देखा है, तो कुछ उनके जिनकी निगाहों में युवा रंग झिलमिलाते हैं। इन्हीं सपनों ने जीने का नया तरीका दिया है, सोच को बदला है और जीवन को सुगम बनाने की कोशिश की गयी है। ऐसी ही एक आधुनिक सौगात है क्राउडफंडिंग। इसको लेकर कुछ नये स्टार्टअप बहुत उत्साहित हैं और इसे देश में स्थापित करना चाहते हैं। विदेशों में यह लगभग स्थापित हो चुकी है। भारत में इसका प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है। तमाम सार्वजनिक योजनाओं, धार्मिक कार्यों, जनकल्याण उपक्रमों और व्यक्तिगत जरूरतों को पूरा करने के लिए लोग इसका सहारा ले रहे हैं। अब तो महिलाओं एवं बालिकाओं की सुरक्षा एवं बचाव के लिये भी इसे कारगर मानकर उपयोग हो रहा है। यह भारतीय चन्दे का आयात किया हुआ एक स्वरूप है, एक प्रक्रिया है।  इस समय दुनियाभर में क्राउडफंडिंग दो तरह के मॉडल पर काम कर रही है। इसमें पहला है डोनेशन बेस्ड फंडिंग। क्राउडफंडिंग कॉन्सेप्ट का जन्म इसी मॉडल से हुआ है। इसमें लोग किसी अच्छे प्रोडक्ट या सर्विस के लिए पैसा दान करते हैं, ताकि बाद में उन्हंे वह प्रोडक्ट मिल सके। क्राउडफंडिंग का दूसरा मॉडल है इंवेस्टमेंट क्राउडफंडिंग। यह आजकल सबसे अधिक चलन में है। इस तरह के मॉडल में पैसे देने वाला व्यक्ति उस कंपनी या प्रोडक्ट में हिस्सेदारी ले लेता है और बाद में उसे लाभ में हिस्सेदारी मिलती है। 





भारत में ‘क्राउडफंडिंग’ का चलन तेजी से बढ़ रहा है। तमाम सार्वजनिक योजनाओं और व्यक्तिगत जरूरतों को पूरा करने के लिए लोग इसका सहारा ले रहे हैं। अनेक हिन्दी फिल्में क्राउडफंडिंग के सहारे बनी हंै। अब विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में भी इसकी शुरुआत हो चुकी है। सामाजिक एवं जनकल्याणकारी योजनाओं के लिये भी इसी माध्यम से पैदा जुटाने के उपक्रम होने लगे हैं। हाल ही में अनेक क्षेत्रों में प्रभावी प्रस्तुति एवं हिस्सेदारी के लिये क्राउडफंडिंग मंच इम्पैक्ट गुरु ने दुनिया भर के युवाओं को एशिया प्रशांत क्षेत्र में महिलाओं एवं बालिकाओं की बेहतर दुनिया निर्मित करने के लिए लिए चिंतन एवं कार्य को प्रोत्साहित करते हुए एक अंतरराष्ट्रीय मंच दिया है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार दुनियाभर की 35 प्रतिशत महिलाएं अपने जीवन में किसी न किसी रूप में शारीरिक या यौन हिंसा का शिकार होती है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर दो मिनट में एक औरत अपराध की शिकार होती है। महिलाओं के खिलाफ ऐसी आपराधिक, यौन एवं हिंसक प्रवृत्तियों का मुकाबला करने के लिए ‘इंस्पायर परियोजना’ ने इस वर्ष एक प्रभावी योजना हाथ में ली है। इसके अंतर्गत महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा और बचाव के साथ-साथ महिला सशक्तीकरण के व्यापक उपक्रम किये जायेंगे। इम्पैक्ट गुरु ने आधिकारिक तौर पर वैश्विक सामाजिक उद्यमिता के इस मंच इंस्पायर परियोजना के साथ अंतरराष्ट्रीय करार किया है।

इम्पैक्ट गुरु के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी, प्रवक्ता, पीयूष जैन ने कहा हम इंस्पायर परियोजना के करार से उत्साहित है। यह परियोजना संयुक्त राष्ट्र महिला और मास्टरकार्ड की सिंगापुर समिति की एक ईकाई है, इससे एशिया और प्रशांत क्षेत्र में महिलाओं और लड़कियों के लिए एक सुरक्षित दुनिया बनाने के लिए धन जुटाने में मदद करने के लिए हमारे प्रयास होंगे। इस करार एवं समझौते से हमारी काम की पहुंच एवं प्रभाव भारत और दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र में मजबूत होगी और इससे क्राउडफंडिंग को बढ़ावा मिलेगा। चंदे एवं क्राउडफंडिंग में जो मूल फर्क देखने को मिलता है, वह यह है कि चन्दा प्रायः धार्मिक कार्यों के लिये ही दिया जाता रहा है जबकि क्राउडफंडिंग का क्षेत्र व्यापक है और इसमें धार्मिक कार्यांे के साथ-साथ अन्य सार्वजनिक कार्य या व्यावसायिक कार्य जैसे पुल बनवाना, मोहल्ले की सफाई कराना, सड़क बनवाना, महिलाओं की सुरक्षा करना या फिर फिल्म बनाने का काम हो, या पत्रकारिता से जुड़ा उपक्रम हो, इनमें क्राउंड फंडिंग का इस्तेमाल अब आम हो गया है।  श्री पीयूष जैन भारत में क्राउडफंडिंग के भविष्य को लेकर बहुत आशान्वित है। वे बताते हैं कि इम्पैक्ट गुरु क्राउडफंडिंग मंच हार्वर्ड इनोवेशन लैब में नवीन तकनीक से जुड़कर शुरू किया गया है। जो भारत में जनकल्याण के विविध उपक्रमों के साथ-साथ बच्चों और महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए गैर लाभकारी संगठनांे के साथ मिलकर कार्य करेगा। 

विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार भारत में क्राउडफंडिंग के लिए लोगों का आकर्षण बढ़ रहा है। वर्ष-2014 में 167 प्रतिशत इजाफे के साथ 16.2 करोड़ डाॅलर रहा। वर्ष-2015 में यह 34.4 करोड़ डाॅलर हो गया है जो पिछले वर्ष की तुलना में दुगुना है। इन आंकड़ों से उजागर होता है कि क्राउडफंडिंग के प्रति दुनिया में न केवल बड़े दानदाताओं में बल्कि मध्यमवर्ग में भी देने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। इम्पैक्ट गुरु की कार्ययोजना को आकार देने के लिये गंभीरता से जुटे श्री पीयूष जैन का मानना है कि  क्राउडफंडिंग भारत के लोगों में दान की परम्परा को एक नई शक्ल देगा। बड़े दानदाता ही नहीं बल्कि छोटे-छोटे दान को प्रोत्साहन किया जा सकेगा। मध्यमवर्ग के लोगों में भी दान देने का प्रचलन बढ़ाना हमारा लक्ष्य है। विशेषतः युवकों मंे जनकल्याण एवं सामाजिक परिवर्तन के लिए दान की परम्परा के प्रति आकर्षण उत्पन्न किया जाएगा, जिसके माध्यम से सेवा और जनकल्याण के नये उपक्रम संचालित हो सकेंगे। देश बदल रहा है। हौले-हौले नहीं, तेज रफ्तार के साथ ये परिवर्तन जारी है। बदलाव भी ऐसा, जिससे बेहतरी की उम्मीद जागी है। परिवर्तन की ये बयार महसूस की जा सकती है, क्योंकि बदलाव ढंका-छुपा नहीं है। दफ्तर, घर, बाजार, शहरों, गलियों, माॅल-सिनेमाहाॅल, धर्मस्थलों से लेकर शेयर के उतार-चढ़ाव, फिल्मों और टेलिविजन तक, हमारे व्यक्तिगत संबंधों से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कूटनीतिक रिश्तों के वितान तक परिवर्तन की छाप गहरे पड़ी है। वे दिन अब नहीं रहे, जब भारत कोई विकासशील और कहीं-कहीं, किसी नजर में पिछड़ा-सा देश था। भारत की पहचान बदल रहे और कई मायनों में एकदम बदल चुके देश की है। श्री पीयूष जैन के  अनुसार सोशल मीडिया की आम आदमी के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका है। आज हर आदमी फेसबुक से जुड़ा हुआ है और उसकी स्वतंत्र डिजिटल जीवनशैली भी है, जो उसे अधिक सामाजिक बनाती है। इम्पैक्ट गुरु दुनिया का पहला ऐसा डिजिटल मंच है जो जनकल्याणकारी कार्यों के लिए पैसा जुटाने और ऐसे ही उपक्रमों के लिए साझेदारी निभाने के लिए तत्पर है। फेसबुक के प्रत्येक सदस्य द्वारा सामाजिक भलाई हेतु एक न्यूनतम दान को प्रोत्साहित किया जाएगा जो कुछ शर्तों के साथ 1000 रुपये तक हो सकता है। इस योजना को इम्पैक्ट गुरु ने ‘मुस्कान’ या ‘सामाजिक मीडिया साझेदारी’ नाम दिया गया है।





अल्बर्ट आइंस्टाइन ने हमारे देश के संबंध में एक महत्वपूर्ण बात कही थी, ‘‘हमें भारतीयों के प्रति बहुत कृतज्ञ रहना चाहिए, जिन्होंने हमें गिनती करना सिखाया, जिसके बिना विज्ञान की दुनिया में कोई भी अहम खोज नहीं हो पाती।’’  आज एक बार फिर दुनिया भारत की ओर कृतज्ञताभरी नजरों से देख रही है क्यों नयी दुनिया बनाने में भारत के युवाओं की हिस्सेदारी उल्लेखनीय बनकर प्रस्तुत हो रही है। जब जीवन से जुड़ा हर तार बदल रहा है तो समाज पहले जैसा कैसे रहता? उदारीकरण के बीस साल ने समाज को भी पूरी तरह बदल दिया है। इस बदलाव का ही प्रतीक है क्राउडफंडिंग का भारत बढ़ता प्रचलन एवं इम्पैक्ट गुरु के नये-नये उपक्रमों में आम-जनता का आकर्षण। इम्पैक्ट गुरु मंच की कोशिश से भारत में 33 लाख गैर लाभकारी संगठनों से जुड़ी समस्याओं को सुलझाया जा सकेगा। क्योंकि इन गैर लाभकारी संगठनों के सम्मुख धन उगाने के परम्परागत तरीकें बहुत खर्चीले हैं, जो कुल धन का खर्च 35 प्रतिशत तक है, जिसे नई तकनीक के अंतर्गत 5 प्रतिशत तक किया जाएगा। इससे एक बड़ी समस्या का समाधान इम्पैक्ट गुरु के द्वारा संभव हो सकेगा। इम्पैक्ट गुरु काॅलेज और उच्च शैक्षणिक संस्थानों के साथ-साथ युवा प्रोफेशनल के बीच व्यापक पहुंच स्थापित कर उनमें क्राउडफंडिंग की शक्ति के माध्यम से उन्हें सोशल मीडिया के लिए जागरूक किया जा रहा है।

क्राउडफंडिंग की परंपरा को भारत में व्यापक बनाने के लिये इम्पैक्ट गुरु के साथ-साथ अनेक संगठन और लोग विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय  हैं। अब तक इस परम्परा के तहत किसी परियोजना या व्यवसाय के लिए लोग एक साथ मिलकर आर्थिक सहयोग करते थे। आम तौर पर इसका प्रयोग वो लोग करते रहे हैं जिनके पास पैसों की कमी होती थी। आज के दौर में इंटरनेट के माध्यम से सबसे ज्यादा क्राउडफंडिंग हो रही है। 2008 में अमेरिका में आई आर्थिक मंदी के दौरान वहां के लोगों ने जोर-शोर से क्राउडफंडिंग का इस्तेमाल शुरू किया। दुनिया की सबसे बड़ी क्राउडफंडिंग कंपनी ‘किकस्टार्टर’ कमोबेश हर क्षेत्र जैसे फिल्म, पत्रकारिता, संगीत, कॉमिक, वीडियो गेम से लेकर विज्ञान और तकनीक के लिए क्राउडफंडिंग करती है। किकस्टार्टर ने पिछले वर्ष तक 224 देशों के 58 लाख लोगों से तकरीबन दस अरब रुपये जुटाए हैं। इसका इस्तेमाल दो लाख लोगों ने विभिन्न योजनाओं के लिए किया। अब भारत में इम्पैक्ट गुरु भी कुछ ऐसा ही अनूठा, विलक्षण और संगठित प्रयास करने को तत्पर दिखाई दे रहा है।  आज के समय में क्राउडफंडिंग एक ऐसा मंच माना जा रहा है, जिसके जरिए उन बहुआयामी योजनाओं को पूरा किया जा सकता है जो आधी-अधूरी हालात में है।  ऐसे अनेक सार्वजनिक काम हैं जो निर्मित हो चुके हैं एवं फण्ड की कमी के कारण चलयमान नहीं हो पाए हैं, उन्हें सफलतापूर्वक क्रियाशील बनाने में क्राउडफंडिंग रामबाण औषधि का कार्य करेंगी।

liveaaryaavart dot com

(ललित गर्ग)
ई-253, सरस्वती कंुज अपार्टमेंट
25 आई॰ पी॰ एक्सटेंशन, पटपड़गंज, दिल्ली-92
फोनः 22727486, 9811051133

सेमीनार में मेकअप आर्टिस्ट ने दिये टिप्स

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दिल्ली के आर्या ऑडिटोरियम में मेकअप आर्टिस्ट सेमिनार का आयोजन किया गया जिसमें बॉलीवुड के फैमस मेकअप आर्टिस्ट सुभाष शिंदे ने कई बॉलीवुड की अभिनेत्रियों का मेकअप किया इस प्रोग्राम में बॉलीवुड की काफी अभिनेत्रियों ने हिस्सा लिया... बॉलीवुड के फेमस आर्टिस्ट सुभाष शिंदे ने बॉलीवुड की हसीन हस्तियों को मेकअप के टिप्स भी दिए... सुभाष शिंदे ने बताया की बारिश के मौसम में मेकअप का स्टाइल भी दे सकता है आपको ग्लैमरस लुक भी...बारिश के मौसम में खिली प्रकृति के साथ ही आपका सौंदर्य भी खिला, निखरा और ताजगी भरा नजर आए, इसके लिए आप सादगी भरा वॉटरप्रूफ न्यूड मेकअप आजमा सकती हैं...   सुभाष शिंदे ने बारिश के मौसम के अनुसार सही मेकअप चुनने के लिए कुछ टिप्स दिए,न्यूड मेकअप के लिए आपको हमेशा प्राइमर से शुरुआत करनी चाहिए। सबसे जरूरी यह है कि मस्कारे का प्रयोग मेकअप की शुरुआत और अंत में भी करना चाहिए। शेड्स का चुनाव अपनी त्वचा की रंगत के अनुसार करें। गोरी रंगत के लिए पीच शेड का चुनाव करें। यह आपके चेहरे को ताजगी प्रदान करेगा। गेहुंआ रंगत के लिए गुलाबी रंग चुनें, जबकि गहरी रंगत के लिए कारमल शेड का मेकअप उपयुक्त रहेगा। इस मौके पर महक चहल, विधा मालवडे, शमा सिकंदर भी मौजूद थे। 





मासूम बच्चियों की जिन्दगी बचाने का प्रयास है : बबिता मोडगिल

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दुनिया में ऐसे ऐसे अपराध ने जन्म ले रखा है जिसे सुनकर इंसानी अंतरात्मा काँप जाती है । मीडिया , प्रशासन और राजनेताओं द्वारा अपराध को जड़ से समाप्त कर देने के बड़े बड़े दावे निरर्थक साबित हो जाते हैं । लेकिन इंसान का स्वभाव हार नही मानता और ऐसे घिंघौने अपराध के खिलाफ जंग जारी रहती है । इस जंग में सिनेमा भी अपनी अहम् भूमिका निभाते हुए जनता में जागरूकता पैदा करता है ।  भले ही सिनेमा मनोरंजन का माध्यम होता है मगर कुछ निर्भीक साहसी फिल्मकार रीयलिस्टिक सिनेमा बनाकर जघन्य अपराधों का पर्दाफाश करते हैं । ऐसे में एक महिला फिल्मकार बबिता मोडगिल ने देश में व्याप्त बाल वेश्यावृत्ति पर 90 मिनट की डॉक्यूमेंट्री  फिल्म  ‘सडेन क्राय’ बनाकर अदम्य साहस का परिचय दिया है और इस काम को अंजाम देने में एक और जुझारू फिल्मकार पंकज पुरोहित जिन्होंने देश विदेश का भ्रमण कर नेशनल और इंटरनेशनल सिनेमा का गहन अध्ययन किया है , उन्होंने बबिता की हौसलाअफजाई किया । हिमाचल प्रदेश के अम्बा की बबिता ने दिल्ली में ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद फिल्म मेकिंग की ओर अपने कदम बढाए । आयशा फिल्म के प्रोडक्शन टीम में काम कर बबिता ने फिल्म मेकिंग का अनुभव हासिल किया ।





दिमागी तौर पर सोचने को मजबूर कर देने वाली और सामाजिक कुरीतियों को परास्त कर देने वाली फिल्मों से  बबिता प्रभावित होती रही है । हॉलीवुड फिल्ममेकर कुबरिक की इंटिलेक्चुएल फिल्म और संजय लीला भंसाली की कलरफुल फिल्मों ने भी बबिता को हमेशा आकर्षित किया है ।  किताबों और समाचारों में गहरी रुचि रखने वाली बबिता को जब बाल वेश्यावृत्ति के बारे में पता चला तो वह इसे और करीब से जानने के लिए आतुर होती चली गई और कई ऐसे जगहों पर गयी जहाँ दलालों के चंगुल में फंसकर सैकड़ों मासूम बच्चियाँ दर्दनाक जीवन व्यतीत कर रही हैं इसमें सफेदपोश लोग भी लिप्त पाये गये । बच्चियों के सिसकियों के साथ बबिता का गला भी भर आया और उसने इसे फिल्म के माध्यम से समाज के सामने लाने के लिए दृढ़ संकल्प किया । इस तरह सडेन क्राई बनी । इस  फिल्म की शूटिंग के लिए बबीता और पंकज रियल लोकेशन पर जाकर कई दृश्य शूट किए जिसे देखकर दर्शक अवाक रह जायेंगे । बबीता ने अपने साहसिक प्रयास से समाज के भीतर छिपी गन्दगी को उजागर किया है और यह कहानी पूर्ण रूप से वास्तविक है । ऐसे साहसी फिल्मकार को समाज , मीडिया , प्रशासन और महिलाओं के उत्थान के लिए कार्य करने वाली संस्थाओं का समर्थन मिलना चाहिए ।

दिल्ली में मंचित सर्वश्रेष्ठ रामलीला होगी सम्मानित

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नई दिल्ली ।  एक अक्टुबर से प्रभू श्रीराम की लीला के मंचन के साथ ही पूरी दिल्ली राममय हो जायेगी । इस बार सर्वश्रेष्ठ रामलीला मंचन को मीडिया प्रेस क्लब रेफ्रेस दशहरा पुरस्कार से सम्मानित किया जायेगा। यह जानकारी मीडिया प्रेस क्लब के महासचिव मोहम्मद जोशी ने दी।  उन्होंने बताया कि मीडिया प्रेस क्लब प्रत्येक वर्ष करता रहा है और यह पुरस्कार रामलीला आयोजकों मे खासा लोकप्रिय हैं और बड़ी  रामलीला आयोजक तो इस पुरस्कार के पाने के लिए रेफ्रेस दशहरा पुरस्कार 2016 के मापदंड के अनुसार ही अपनी रामलीला का मंचन करते हैं। मोहम्मद जोशी ने ‘पुरस्कार देने की प्रक्रिया के बारे में बताया कि ‘सभी रामलीला व उनके पदाधिकारियों को सूचना दे दी गई और रामलीला आयोजको को निर्धारित फार्म भरकर मीडिया प्रेस क्लब में 30 सितंबर तक स्वीकार किये जायेगें।  फार्म भरने के लिए कोई भी रामलीला आयोजक इस 08802818844 नंबर पर फोन करके कर हमारे प्रतिनिधि को बुला सकते है। रामलीला को जज करने के लिए उन रिपोर्टर्स को जज बनाते हैं जो रामलीला फिल्म मनोरंजन कल्चरल क्षेत्र में अनुभव रखते हैं। इस बार मुख्य जज आध्यात्मिक गुरु संत त्रिलोचनं दर्शन दास महाराज और विशेष जज का दायित्व श्री एस पी मिश्रा को सांैपा गया।  महासचिव जोशी ने आगे बताया इस पुरस्कार को दर्शको में और रोचक बनाने के मकसद से इस बार हम दूसरे राउंड में आये सभी 60 रामलीला में सेल्फी मंच मुख्य स्थान पर लगाया जा रहा है उस पर आकर सेल्फी लेकर एक निर्धारित स्थान पर भेजने पर हमारे प्रयोजक उसको एक कूपन देंगे और उस पर लिखित उपहार उसी समय  दे दिया जायेगा।  





श्री एस पी मिश्रा ने मीडिया प्रेस क्लब का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ‘मुझे विशेष जज जैसे गारिमा पूर्ण पद पर नियुक्त कर मेरी जिम्मेदारी बढा दी है, क्योंकि यह एक चुनौतीपूर्ण और जिम्मेदारी कार्य हैं,और प्रभू श्रीराम से दुआ करता हॅू कि मैं अपने कार्य में सफल होऊ। श्री कृष पटेल निदेशक प्राइम कमफोर्ट और मुख्य प्रायोजक रिफ्रेश दशहरा पुरस्कार 2016 ने कहा हम सदैव मीडिया प्रेस क्लब के साथ हर कार्यक्रम और योजना मिलकर करते हैं। इस बार भी उनका प्रयास है कि लोग प्रभू राम की लीला का अवलोकन के साथ सत्य के मार्ग भी को भी अपनाये। इसके साथ ही बेटी बचाओं और वातावरण को स्वच्छ रखने और अधिक से अधिक पेड लगाने का भी संकल्प ले। 

अभिनेत्री ग्रेसी सिंह की फिल्म छाई इंडियन सिने फिल्म फेस्टिवल में

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मुंमई में चौथा इंडियन सिने फिल्म फेस्टिवल का आयोजन रेजिडेंसी होटल हुआ। समारोह का हिस्सा बनी देश विदेश की विभिन्न भाषाओं में बनी 350 फिल्में।जिसमें फिल्म इतवार द संडे, ब्लू माउटेंस,चलो ना वाली,बुढी,अंतरीन....फिल्मों ने दर्शकों को प्रभावित किया। फिल्म ‘ब्लू माउंटेन्स’ को ‘फिल्म स्पेशल मेंनसन’ अवार्ड से सम्मानित किया गया। यह अवार्ड फिल्म निर्माता व अभिनेता राजेश कुमार जैन ने प्राप्त किया। फिल्म के निर्माता राजेश कुमार जैन पुरस्कार पाने के बाद खासे उत्साहित नजर आये और बताया कि ‘ यह मेरे लिए सम्मान की बात है। ‘ढाई घंटे की यह फिल्म उन बच्चांे को फोकस करती जो जरा सी नकामयाबी से निराश होकर आत्महत्या जैसा कदम उठाने का मजबूर हो जाते है। ‘ब्लू माउंटेन्स के माध्यम से बच्चो का आत्मबल और मनोबल बढ़ने की कोशिश की है। अब निर्माता फिल्म के रीलिज की तैयारी में है। फिल्म ‘ब्लू माउंटेन्स’हिसार में आयोजित रैंकर्स लीग इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में फिल्म को अलग अलग तीन कटेगरी मे सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म,बेस्ट संपादक आसिफ अली शेख, सर्वश्रेष्ठ अभिनेता रोल के लिए राजपाल यादव में चुना गया। फिल्म हैदराबाद फेस्टिवल में फिल्म ‘ब्लू माउंटेन्स’ में पुरस्कृत हो चुकी हैं।  सुमन गांगुली निर्देशित फिल्म के मुख्य कलाकार रणवीर शोरे , ग्रेसी सिंह, राजपाल यादव, सिमरन शर्मा,आरिफ जकारिया ,महेश ठाकुर,यथार्त रत्नम,वैभव हंसु,लीजा के अलावा मेहमान भूमिका में राजेश कुमार जैन है। फिल्म के क्रियेटिव निर्माता अनिल रंका व क्रियेटिव डारेक्टर सलभ श्रीवास्तव ‘ब्लू माउंटेन्स’ की कहानी एक बच्चे के गायक की संघर्ष को दिखाती है जो कि अपने माँ के सपनो को पूरा करता है। 

जाने माने ब्रिटिश अभिनेता जॉन हर्ट का निधन

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लंदन, 28 जनवरी, ‘द एेलिफेंट मैन’ और ‘मिडनाइट एक्सप्रेस’ जैसी फिल्मों से अपने अभिनय का लाेहा मनवाने वाले ब्रिटेन के दिग्गज अभिनेता सर जाॅन हर्ट का निधन हो गया है। वह 77 वर्ष के थे। बीबीसी ने आज अभिनेता के एजेंट के हवाले से इस बात की जानकारी दी। जॉन हर्ट लंबे समय से अग्न्याशय कैंसर से पीड़ित थे। अपने छह दशक से भी लंबे अभिनय कैरियर में जॉन ने 200 से अधिक फिल्मों और टेलीविजन सीरीज में काम किया। दिग्गज ब्रिटिश कलाकार को ‘द एेलिफेंट मैन’ और ‘मिडनाइट एक्सप्रेस’ में सहयोगी कलाकार की भूमिका निभाने के लिए ऑस्कर पुरस्कार के लिए भी नामित किया गया था। जॉन ने 2015 में खुलासा किया था कि वह अग्न्याशय कैंसर से पीड़ित हैं।




श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग लगातार पांचवे दिन भी बंद

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श्रीनगर, 28 जनवरी, कश्मीर घाटी में हिमस्खलन और भूस्खलन के कारण घाटी को देश के शेष हिस्से से जोड़ने वाले 300 किलोमीटर लंबे श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग को आज लगातार पांचवे दिन भी बंद रखा गया। राजमार्ग पर विभिन्न स्थानों पर पिछले एक सप्ताह से सैकड़ों वाहन फंसे हुए हैं। फंसे हुए वाहनों में ज्यादातर ट्रक और तेल के टैंकर शामिल हैं। राजमार्ग के बंद होने के कारण कश्मीर घाटी में आवश्यक वस्तुओं की कमी हो रही है। चमनवार, शेर बीबी और डिगडोल में भूस्खलन के कारण कई किलोमीटर सड़कों को नुकसान पहुंचा है। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के एक अधिकारी ने बताया कि शैतान नल्लाह में सड़कों से बर्फ हटाने का कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। उन्होंने बताया कि काजीगुंड से बनिहाल तक बर्फ हटा ली गई है जिसके बाद एक ओर से सड़कों को खोल दिया गया है। अधिकारी ने बताया कि हालांकि बनिहाल में भूस्खलन के कारण सड़कों से मलबे को युद्ध स्तर पर हटाया जा रहा है। पिछले दो दिनों से मौसम शुष्क बना हुआ था जिसके कारण बर्फ हटाने के काम में किसी प्रकार की कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ा। इस बीच यातायात पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि बीआरओ और विभिन्न स्थानों पर तैनात यातायात पुलिस अधिकारियों से अनुमति मिलने के बाद ही राजमार्ग पर आवाजाही की अनुमति दी जायेगी। राजमार्ग पर पहले फंसे हुए वाहनों को जाने की अनुमति दी जायेगी।




शिवसेना-भाजपा गठबंधन टूटने पर आरपीआई नाखुश

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मुम्बई. 28 जनवरी, शिवसेना के आगामी बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनाव अकेले लड़ने की घोषणा के एक दिन बाद केन्द्रीय मंत्री एवं रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई-ए) के प्रमुख रामदास अठावले ने शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच 25 वर्ष पुराना गठबंधन टूटने पर नाखुशी जाहिर की है। श्री अठावले ने कल यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उनकी पार्टी राज्य में 10 नगर निगमों और अन्य स्थानीय निकाय चुनाव में भाजपा के साथ बनी रहेगी। उन्होंने बीएमसी चुनाव में आरपीआई के लिए 40 से 45 सीटों की मांग की है। वर्ष 2012 के चुनाव में भाजपा-शिवसेना गठबंधन ने आरपीआई को 29 सीटें दी थी। उन्होंने कहा कि 10 नगर निगमों और 25 जिला परिषद चुनावों में आरपीआई संतोषजनक सीटें चाहती है। यदि पार्टी को पर्याप्त संख्या में सीटें नहीं मिली तो पार्टी इन स्थानों पर अकेले चुनाव लड़ने का फैसला लेगी। हालांकि उन्होंने कांग्रेस या राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के साथ समझौता करने से इनकार कर दिया।




राहुल, अखिलेश कल पहली बार होंगे एक मंच पर

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लखनऊ 28 जनवरी, उत्तर प्रदेश की राजनीति में पहला मौका होगा जब दो बडी पार्टियों कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) के कर्णधार राहुल गांधी तथा अखिलेश यादव कल सार्वजनिक मंच पर एक साथ होंगे। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव एक पंचतारा होटल में दोपहर करीब एक बजे संयुक्त संवाददाता सम्मेलन करेंगे। दोनो का रोड शो का भी कार्यक्रम है। राज्य विधानसभा का चुनाव कांग्रेस और सपा मिलकर लड रहे हैं। विधानसभा की कुल 403 सीटों में से 105 पर कांग्रेस और 298 पर सपा के लडने का समझौता हुआ है। कांग्रेस पार्टी के उच्चपदस्थ सूत्रों ने बताया कि दोनो नेताओं का 14 रैलियों को संयुक्त रुप से संबोधित करने की योजना है। सात चरणों में विधानसभा का चुनाव हो रहा है। प्रत्येक चरण में दो-दो जनसभाओं को संयुक्त रुप से संबोधित करने की योजना है। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस चाहती है कि उसे रायबरेली और अमेठी की सभी 10 सीटों पर उम्मीदवार खडे करने दिया जाये। उसका तर्क है कि इटावा, मैनपुरी, आजमगढ और कन्नौज जैसे सपा के प्रभाव वाले जिलों में कांग्रेस ने सभी सीटें सपा के लिए छोड दी हैं तो सपा को भी रायबरेली और अमेठी की सीटें कांग्रेस के लिए छोडनी चाहिए। रायबरेली से सोनिया गांधी और अमेठी से राहुल गांधी सांसद हैं। इस विषय पर कल राहुल गांधी और अखिलेश के बीच बातचीत होगी या नहीं इसकी जानकारी तो नहीं मिल सकी है लेकिन दोनो मिलकर साझा कार्यक्रम की घोषणा कर सकते हैं। सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम ने बताया कि पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव और राहुल गांधी के बीच बातचीत भी हो सकती है, लेकिन बातचीत सीटों के बजाये कार्यक्रमों और भावी योजनाओं पर आधारित होगी।





ट्रम्प ने अप्रवासियों,शरणार्थियों संबंधी आदेश पर हस्ताक्षर किये

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वाशिंगटन.28 जनवरी, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कुछ मुस्लिम बहुल देशों से यहां आने वाले शरणार्थियों और अप्रवासियों की संख्या सीमित करने संबंधी एक कार्यकारी आदेश पर आज हस्ताक्षर किये। इस आदेश के तहत अमेरिका आने वाले अप्रवासियों की संख्या सीमित करने और उनकी सख़्त जाँच की जायेगी। अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन में जनरल जेम्स मैटिस को रक्षा मंत्री बनाए जाने के शपथ समारोह के बाद श्री ट्रम्प ने इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा कि वह चाहते है कि सीरियाई ईसाइयों को प्राथमिकता दी जाये। इस बीच मानवाधिकार संगठनों ने इस आदेश की निंदा करते हुए इसे घातक और भेदभावपूर्ण बताया है। हालांकि इस आदेश के बारे में तत्काल विस्तृत जानकारी नहीं मिल पाई है। श्री ट्रम्प ने शुक्रवार को दिये एक साक्षात्कार में कहा था कि शरणार्थी बनने के आवेदन पर विचार करते वक़्त सीरियाई लोगों की तुलना में ईसाई लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने पेंटागन में कहा, “मैं कट्टर इस्लामी आतंकवादियों को अमेरिका से दूर रखने के लिए नए जाँच उपाय ला रहा हूँ। हम उन्हीं लोगों को अपने देश में आने देंगे जो हमारे देश काे समर्थन देंगे और हमारे लोगों को प्यार करेंगे।” उल्लेखनीय है कि पिछले साल ओबामा प्रशासन ने 10,000 सीरियाई शरणार्थियों को अमेरिका आने दिया था। श्री ट्रम्प ने इसके साथ ही सशस्त्र सेनाओं के पुनर्गठन के एक आदेश पर भी हस्ताक्षर किए जिसके तहत सेना के लिए नए विमान, नए जहाज़, नए संसाधन और नए सामान लाने के लिए योजना बनाई जाएगी। 




ट्रंप के आदेश से ‘‘अत्यंत दुखी’’ है मलाला यूसुफजई

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न्यूयॉर्क, 28 जनवरी , पाकिस्तान की छात्र कार्यकर्ता और शांति के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित मलाला यूसुफजई ने कहा कि वह शरणार्थियों को लेकर डोनाल्ड ट्रंप के आदेश से ‘‘अत्यंत दुखी’’ हैं। मलाला ने ट्रंप से अनुरोध किया कि वह दुनिया के सबसे असुरक्षित लोगों को अकेला ना छोड़ें। पाकिस्तान में लड़कियों के लिए शिक्षा की खुलकर वकालत करने वाली 19 वर्षीय मलाला को वर्ष 2012 में तालिबानी आतंकवादियों ने सिर में गोली मार दी थी। मलाला ने कहा, ‘‘मैं अत्यंत दुखी हूं कि आज राष्ट्रपति ट्रंप हिंसा और युद्धग्रस्त देशों को छोड़कर भाग रहे बच्चों, माताओं और पिताओं के लिए दरवाजे बंद कर रहे है।’’ इस बाबत आदेश पर ट्रंप के हस्ताक्षर करने के कुछ देर बाद मलाला ने एक बयान में कहा, ‘‘दुनियाभर में अनिश्चितता और अशांति के इस समय में, मैं राष्ट्रपति ट्रंप से अनुरोध करती हूं कि वह विश्व के सबसे असहाय बच्चों और परिवारों की ओर से मुंह ना मोड़ें।’’ मलाला शांति के लिए नोबेल पुरस्कार पाने वाली सबसे कम उम्र की विजेता हैं। उन्हें भारत के शिक्षा कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी के साथ संयुक्त रूप से 2014 में यह पुरस्कार दिया गया। अब इंग्लैंड में रह रही मलाला ने कहा, ‘‘मैं बहुत दुखी हूं कि अमेरिका शरणार्थियों और प्रवासियों का स्वागत करने के अपने गौरवशाली इतिहास को पीछे छोड़ रहा है। इन लोगों ने आपके देश को आगे ले जाने में मदद की और वे एक नयी जिंदगी का उचित मौका मिलने के बदले कड़ी मेहनत करने के लिए तैयार हैं।’




संजय लीला भंसाली के साथ अभद्र व्यवहार

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जयपुर, 27 जनवरी, बाजीराव मस्तानी फिल्म के निर्देशक संजय लीला भंसाली को आज जयगढ किले में अपनी आगामी फिल्म पदमावती की फिल्म की शूटिंग के दौरान करणी सेना के लोगों के विरोध का सामना करना पडा । पुलिस के अनुसार करणी सेना के एक व्यक्ति ने संजय लीला भंसाली पर कथित रूप से हमला किया। पुलिस ने इस सम्बध में पांच लोगों को हिरासत में लिया है । पुलिस ने दर्ज शिकायत के हवाले से बताया कि करणी सेना से जुडे कई लोग जयगढ किले में चल रही शूटिंग के दौरान आये और फिल्म में ऐतिहासिक तथ्यों को तोड मरोड कर पेश करने का आरोप लगाते हुए वहां उपकरणों को क्षति पहुंचाई। फिल्म निर्माता संजय लीला भंसाली से अभद्र व्यवहार करते हुए उन पर हमला किया। पुलिस ने इस संबंध में पांच लोगों को हिरासत में लिया है। करणी सेना से जुडे विक्रम सिंह ने कहा कि हमारा विरोध पदमावती फिल्म में ऐतिहासिक तथ्यों को तोड मरोड कर पेश करने पर है । फिल्म के निर्माता को पहले ही इस बारे में सचेत करने के बावजूद ऐतिहासिक तथ्यों को गलत ढंग से पेश किया जा रहा है। । उन्होने आरोप लगाया कि फिल्म निर्माता के सुरक्षाकर्मियों ने हमारे लोगों पर फायर किया । पुलिस ने इसकी पुष्टि नहीं की है ।




पश्चिम चंपारण में नेपाल की सीमा से 41 किलोग्राम चरस बरामद

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बेतिया 28 जनवरी, नेपाल की सीमा से लगे बिहार में पश्चिम चंपारण जिले के इनरबा बार्डर आउट पोस्ट (बीओपी) के निकट से आज तड़के सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के जवानों ने छह करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के 41 किलोग्राम नेपाली चरस बरामद किया । 

एसएसबी के 44 वीं बटालियन के कमांडेंट राजेश टिक्कु ने यहां बताया कि भारत-नेपाल की सीमा पर गश्त के दौरान बल के जवानों ने इनरबा बीओपी के पीलर संख्या 419 के निकट नेपाल की ओर से आ रहे कुछ संदिग्ध लोगों को देखा । उन्होंने बताया कि जब जवानों ने उन्हें रुकने को कहा तब तस्करों ने चरस भरे थैलों को फेंक कर नेपाल की सीमा में फरार हो गयें । 

श्री टिक्कु ने बताया कि थैलों की जब जांच की गयी तब उसमें से 41 किलोग्राम नेपाली चरस पाया गया । उन्होंने बताया कि बरामद चरस की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में छह करोड़ 15 लाख रुपये हैं ।

कश्मीरी पंडितों ने पुनर्वास से पहले सुरक्षा की मांग की

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नयी दिल्ली 27 जनवरी,  विस्थापित कश्मीरी पंडितों ने आज सरकार से साफ कहा कि कश्मीर घाटी में उनके पुनर्वास की पहल से पहले उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए । 

कश्मीरी पंडितों के एक मंच ने ग्लोबल काउंटर टेरोटिज्म काउंसिल की ओर से आज यहां ‘कश्मीरी पंडितों की वापसी एवं पुनर्वास ’ विषय पर आयोजित चर्चा में भाग लेते हुए यह बात कही । 

कश्मीरी पंडितों ने विस्थापन के दौरान अपने दर्द एवं कठिनाइयों को बयां किया । उन्होंने अपने विस्थापन को सामूहिक पलायन और जातीय सफाया करार दिया । समुदाय के लोगों ने कहा कि उनके पुनर्वास की सरकार की पहल तभी संभव है जब घाटी में उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाय ।
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