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विशेष आलेख : ट्रंप उपनिवेश में आगे डिजिटल सत्यानाश!

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  • पहली को बजट की जिद अर्थतंत्र को बदलने की कवायद और पांच राज्यों को झुनझुना!
  • पीएम को सीएम के खत से बदलेगी नहीं कयामत की फिजां!
  • यूपी वाले अपनी  निर्णायक ताकत को समझें और जनादेश को समूचे देश के लिए सामूहिक आत्महत्या बनने न दें,आज सबसे बड़ी चुनौती यही है।

trump-policy
अक्सर बार बार ठोकर खा्ते जाने के बावजूद संभलकर चलने की आदत बनती नहीं है।आदत नहीं सुधरने का मतलब आगे फिर सत्यानाश है। हम बामसेफ के आभारी हैं कि बामसेफ से करीब एक दशक तक जुड़े रहने की वजह से अंबेडकरी मिशन के तमाम लोगों से लगातार संवाद करने का मौका मिला है।वह संवाद आज भी कमोबेश जारी है,जिस वजह से हम हवा हवाई बातें नहीं करते लिखते हैं। बामसेफ के मंचों से देशभर में आर्थिक मुद्दों पर करीब एक दशक तक हम बातें करते रहे हैं, मुंबई में बजट का विश्लेषण करते रहे हैं और हर सेक्टर में जाकर अर्थव्यवस्था की बुनियादी मुद्दों पर संवाद भी करते रहे हैं। अब हम बरसों से बामसेफ में नहीं हैं और जिन साथियों को लेकर अंबेडकर के आर्थिक विचारों पर हम जमीनी हकीकत और राजकाज,नीति निर्धारण के तहत ग्लोबीकरण ,निजीकरण उदारीकरण पर लगातार संवाद कर रहे थे,वे तमाम साथी भी अब बामसेफ में नहीं हैं। फिरभी हमारे मुद्दे और सरोकार अब भी वे ही हैं। बहुसंख्य मेहनतकश जनता के हकूक के मुद्दे,उनकी बुनियादी जरुरतों और बुनियादी सेवाओं के मुद्दे ,जल जंगल जमीन आजाविका,पर्यावरण जलवायु, नागरिकता, नागरिक मानवाधिकार कानून का राज,संवैधानिक रक्षा कवच,समता ,न्याय,सबके लिए समान अवसर और संसाधनों पर आम जनता के हक के सवाल और मुक्तबाजार के प्रतिरोध के मुद्दे वे ही हैं,जिन्हें हमने बामसेफ के मार्फत बहुजन आंदोलन के मुद्दे बनाने की कोशिश लगभग एक दशक से करते रहे हैं।जो हम कर नहीं सके हैं। सिर्फ हम बामसेफ की भाषा का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं,जो यकीनन बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की भाषा भी नहीं रही है।

विमर्श की भाषा बहुजनों की भी भाषा होनी चाहिए।
बाकी तमाम हककूक से वंचित रहने के साथ ज्ञान और शिक्षा के हकहकूक से हजारों साल से मनुस्मृति विधान के चलते अस्पृश्य बने रहने के नर्क से निकलने के लिए मनुस्मृति के मुताबिक अपनी जाति पहचान को मिटाना बेहद जरुरी है और जाति धर्म नस्ल की भाषा में संवाद का मतलब फिर वही मनुस्मृति सौंदर्यशास्त्र और व्याकरण है.जिससे मुक्त होने के लिए जनमजात जिस जुबान में बात करने को हमें अभ्यस्त बनाया गया है,घृणा की उस जुबान से मुक्त होने की जरुरत है जो सीधे तौर पर तथागत गौतम बुद्ध का पंथ है।यही एकमात्र मुक्तिमार्ग है। धम्म प्रवर्तन की भाषा में हिंसा का वर्जन दरअसल वर्गीय ध्रूवीकरण है,जिसकी कोई काट ब्रांह्मण धर्म और उसके ग्लोबल हिंदुत्व के पास नहीं है और ग्लोबल हिंदुत्व के प्रतिरोध का यही एकमात्र वैकल्पिक ग्लोबल एजंडा संभव है ,जो हमारे इतिहास और लोक की विरासत है। तथागत गौतम बुद्ध के मुकाबले न कोई कल्कि अवतार है और न कोई डान डोनाल्ड है,इसे समझ लें तो प्रतिरोध की मजमीन अब बी बनायी जा सकती है। धर्मस्थलों को फिर ज्ञान के केंद्रों में तब्दील करने का तथागत का आंदोलन ही संस्थागत फासिज्म के राजकाज से मुक्त होने का रास्ता है। पिछले दिनों एक साक्षात्कार में विद्याभूषण रावत ने मुझसे यही पूछा था कि बहुजनों को शिकायत है कि आपकी भाषा अंबेडकरी कम और वामपक्षी ज्यादा लगती है।उस संक्षिप्त बातचीत में तमाम मुद्दों के साथ इसका जवाब पूरा दे नहीं सका था। अब अंबेडकर के रचना समग्र को उठाकर देख लें, डिप्रेस्ड क्लास के अलावा, ब्राह्मणवाद के अलावा वंचितों के हकहकूक की उनकी विचारधारा में गालीगलौज कितने हैं।जिस भाषा का इस्तेमाल अब अंबेडकरी मिशन के नाम लोग करते अघाते नहीं और जिस भाषा के बूते वे किसी को भी अंबेडकरी तमगा देकर उसके पिछलग्गू बन जाते हैं, यी तर्क और विज्ञान के विमर्श की भाषा में संवाद करने वाले बहुजनों को कम्युनिस्ट बताकर उनका बहिस्कार से हिचकते नहीं हैं,अंबेडकर के विचारों में उस जाति घृणा की कितनी जगह है। तथागत गौतम बुद्ध के पंचशील की भाषा पर भी गौर करें। गौरतलब है कि अंबेडकर ने डिप्रेस्ड क्लास कहा है,जाति उन्मूलन की बात कही है।उन्होने अस्पृश्यता खत्म करने के लिए पूंजीवाद और ब्राह्मणवाद,दोनों का पुरजोर विरोध किया है लेकिन कहीं भी जाति बतौर वंचित वर्ग को संबोधित नहीं किया है बल्कि वर्ग संघर्ष की बात करने वाले कामरेड इसके उलट जाति से इंकार करते हुए जाति वर्चस्व के समीकरण में अपनी विचारधारा और वर्ग संघर्ष दोनों को तिलांजलि देकर मनुस्मृति शासन की निरंतरता बनाये रखने का धतकरम किया है। वर्ग की बात जब अंबेडकर खुद कर रहे थे, जब अंबेडकर ने लड़ाई की शुरुआत ही वर्कर्स पार्टी और ट्रेड यूनियन आंदोलन के साथ अस्पृशयता विरोधी आंदोलन से की थी,तब जाति से नत्थी अंबेडकरी मिशन के औचित्य पर  बहस उसी तरह जरुरी है जैसे वामपक्ष का जाति के यथार्थ से इंकार और बहुसंख्य सर्वहारा से विश्वासघात की चीड़ फाड़ अनिवार्य है।वाम आंदोलन में अंबेडकर की अनुपस्थिति की वजह से वर्गीय ध्रूवीकरण  हुआ नहीं है और जाति व्यवस्था पहले से कहीं ज्यादा मजबूत है,इस सच का सामना भी करें। आरक्षण पर बहस की गुंजाइश है।जब तक जाति उन्मूलन नहीं होगा,जब तक जीवन के सभी क्षेत्रों में बहुजनों के खिलाफ नस्ली भेदभाव का सिलिसला जारी रहेगा, आरक्षण के अलावा वंचितों को समान अवसर और न्याय दिलाने का दूसरा कोई रास्ता नहीं है।हालांकि सत्ता वर्ग ने निजीकरण और मुक्तबाजार के जरिये आरक्षण खत्म करने का चाकचौबंद इंतजाम कर लिया है और मुक्त बाजार का समर्थन करने के आत्मघाती करतबसे अंबेडकरी आंदोलन आरक्षण को तिलांजलि देने में ब्राह्मणतंत्र का सहायक बना है और इस कार्यक्रम में बहुजनों के सारे राम मनुस्मृति के हनुमान बने रहे हैं। यह भी गौर करने लायक बात है कि वर्णव्यवस्था और जाति व्यवस्था के तहत हजारों जातियों में बंटे हुए भारतीय मेहनतकशों को आरक्षण के तहत बाबासाहेब ने सिर्फ तीन वर्गों में संगठित करके  जातियों को उन्ही  संवैधानिक वर्गों में  अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग में संगठित करने का करिश्मा कर दिखाया है।





अब अगर तमाम अनुसूचित और पिछड़े फिरभी जाति में गोलबंद बने रहकर अंबेडकरी मिशन चलाना चाहते हैं,तो यह फिर अस्पृश्यता के मटके और झाड़ु से खुद को नत्थी करने के अलावा और क्या है,हम यह नहीं समझते।भाषा का तेवर भी वहीं है। बहरहाल महामहिम ट्रंप के 20 जनवरी को राष्ट्रपति बनते ही उनके एक के बाद एक कारनामे से साफ जाहिर है कि अमेरिकी श्वेत बिरादरी और दुनियाभर के उनके भाई बंधु के अलावा बाकी दुनिया और खासकर काली इंसानियत के लिए वे क्या कयामत बरपाने वाले हैं। हम जो पिछले पच्चीस साल से उत्पादन प्रणाली को अर्थव्यवस्था की बुनियाद बताते हुए भारतीय कृषि को भारतीय अर्थव्यवस्था  का आधार बता रहे थे,उसका मतलब अब शायद समझाने की जरुरत भी नहीं पड़ेगी।अब भी नहीं समझे तो हिंदुत्व का नर्क, जन्मफल, नियति, देवमंडल,अवातार तिलिस्म,धर्मस्थल और पीठ,तंत्र मंत्र ताबीज यंत्र का विशुध आयुर्वेद योगाभ्यास,लोक परलोक और स्वर्गवास आपको मुबारक। शिक्षा और शोध को तिलांजलि देकर ज्ञान के बजाय तकनीक को सर्वोच्च प्राथमिकता देकर हर हाथ में थ्रीजी फोर जी फाइव जी सौंपकर देश को मुक्तबाजार में, कैसलैस डिजिटल इंडिया बनाने की प्रक्रिया में हम जो अमेरिकी उपनिवेश बनते रहे हैं,वह एक झटके से ट्रंप उपनिवेश है।आने वाले दिनों में सरकार आधार को और बड़े स्तर पर लागू करने की तैयारी कर रही है। आधार के जरिए ही अब आप आईटी रिटर्न भी भर सकेंगे। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आज आधार पर आंकड़े जारी करते हुए कहा कि इस समय देश में 111 करोड़ लोग आधार का इस्तेमाल कर रहे हैं। देश के 99.6 फीसदी युवाओं के पास आधार कार्ड है। आधार के जरिए 4.47 करोड़ बैंक अकाउंट खुले हैं। नोटबंदी के बाद हर दिन नए आधार या उनमें सुधार से जुड़ी 5-6 लाख अर्जिंयां मिल रही हैं। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आधार के चलते पिछले 2 साल में सरकार ने 36 हजार करोड़ रुपये की बचत की है। प्रकृति,कृषि,पर्यावरण,जल जंगल जमीन और उनसे जुड़े समुदायों के खिलाफ मुक्तबाजारी नरसंहारी अश्वमेध जारी है और रोजगार सृजन तकनीक तक सीमाबद्ध करते जाने के पच्चीस साल इस देश के भविष्य के लिए अंधकार युग में वापसी का हिंदुत्व पुनरुत्थान है।यही फिर ट्रंप के श्वेत वर्चस्व का ग्लोबल हिंदुत्व जायनी है।

बहुजनों को यह राजनीति और अर्थव्यस्था दोनों समझनी चाहिए।
नोटबंदी से एक मुश्त खेती और कारोबार के खत्म होने के बाद  फिर जो डिजिटल सत्यानाश की आपाधापी में यह अग्रिम बजट है,सरकारी खर्च बढाकर इकोनामी का लाटरी में बदलने की कवायद के तहत आम जनता पर सारे टैक्स और वित्तीय घाटे का बोझ डालने के केसरिया हिंदुत्व नस्ली अर्थतंत्र तैयार करने का डिजिटल कैसलैस महोत्सव है,उसका अंजाम डोनाल्ड के कारनामों के मुताबिक समझ लें तो बेहतर। लोकतंत्र के बारे मेंखास बात यह है किविकसित देशों में लोकतंत्र और तीसरी दुनिया के देशों में लोकतंत्र में बुनियादी फर्क यह है कि यहां वोट न उम्मीदवार की काबिलियत और उसकी पृष्ठभूमि को देखकर गिरते हैं और न चुनाव प्रचार में बुनियादी मुद्दों और मसलों,अर्थव्यवस्था,विदेश नीति और कानून व्यवस्था के साथ सात बुनियादी सेवाओं के हालचाल,कानून व्यवस्था,नागरिक और मानवाधिकार,जल जंगल जमीन आजीविका या पर्यावरण पर किसी तरह की बहस होती है और न विचारधारा के तहत कोई बहस होती है। जांत पांत धर्म क्षेत्र नस्ल वगैरह वगैरह से जुड़े भावनात्मक मुद्दों पर लोग निर्णायक वोट भावनाओं में बहकर गेर देते हैं।  चुनाव पूर्व लोक लुभावन बजट हो या टैक्स रियायतें हों या आरक्षण या सब्सिडी या कर्ज या पानी बिजली सड़क वगैरह वगैरह स्थानीय मुद्दों को लेकर भी वोट पड़ जाते हैं।नतीजतन जो जनादेश बनता है ,वह दस दिगंत सत्यानाश जो हो सो तो हैं ही,अगले चुनाव तक सर धुनते रहने के अलावा ट्रंप विरोधी महिलाओं के वाशिंगटन मार्च जैसी कोई बगावत के लिए हमारी रीढ़ जबाव देती रही है और इसतरह हमने संविधान और लोकतंत्र को अपने धतकरम से सिरे से फेल कर दिया है।स्यापा करने से मौत का मंजर बदलता नहीं है।

ले मशालें लिखने वाले हमारी तराई के जनकवि बल्ली सिंह चीमा ने लिखा हैः
वोट से पहले सोच जरा
बारी बारी से लूटें इकरार किया है हाथ कमल ने ।
भृष्टाचार में इक दूजे का साथ दिया है हाथ कमल ने।
दारू पीकर जय मत बोल वोट से पहले सोच जरा
पर्वत नदियां जंगल सब बरबाद किया है हाथ कमल ने।

बहरहाल,ऊपरी तौर पर लगता है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी जन भावनाओं के उभार की वजह से दक्षिणपंथी श्वेत वर्चस्व के ग्लोबल जायनी हिंदुत्व एजंडा की वजह से यूं ही अमेरिका के राष्ट्रपति बन गये हैं। हम बार बार लिखते रहे हैं कि पहले अश्वेत राष्ट्रपति बाराक हुसैन ओबामा अमेरिकी राष्ट्र और जनता को युद्धक अर्थव्यवस्था के शिकंजे से निकल वहीं सके हैं। अमेरिका में लगातार गरीबी और बेरोजगारी बढ़ी है।कानून व्यवस्था के हालात संगीन हैं। देशभक्ति के हिंदुत्व उन्माद से जहां विविधता और बहुलता सहिष्णुता का इतिहास और विरासत खत्म है तो वहीं पिछले पच्चीस साल में अभूतपूर्व युद्धोन्माद और हथियारों की होड़,ऱक्षा घोटालों और रक्षा आंतरिक सुरक्षा में विनिवेश के माध्यम से हमने सत्ता वर्ग को अपने हितों के लिए भारत लोक गणराज्य को सैन्य राष्ट्र बनाने की छूट दी है। इस दौरान हमारे महान सैन्यतंत्र ने विदेशी किसी शत्रु के खिलाफ कोई युद्ध नहीं लड़ा है रंगबिरंग सर्जिकल मीडिया ब्लिट्ज के सिवाय।सार युद्ध गृहयुद्ध महाभारत सलवाजुड़ुम बहुजनों के खिलाफ,आदिवासियों के खिलाफ कारपोरेट हित में सलवा जुड़ुम है और बहुजन सितारे इस युद्ध के बारे में,सलवा जुड़ुम के बारे में,मुक्तबाजार के बारे में,यहां तक नोटबंदी के डिजिटल कैसलैस बहुजन सफाया अभियान के बारे में मौन हैं। हम जो लोग इस तिलिस्म को तोड़ने में लगे हैं,वे आपको दुश्मन नजर आते हैं और सिर्फ ब्राह्मणों को गरियाकर मनुस्मृति के जो सिपाहसालार बने हैं ,उनकी वानर सेना में तब्दील आपको हमारी भाषा भी समझ में नहीं आ रही है।हमें सख्त अफसोस है। अमेरिकी नागरिकों को सत्ता सौंपने और आप्रवासियों के खिलाफ नस्ली गुस्सा की दुधारी तलवार से पापुलर वोटों से हारने के बावजूद बड़े निर्णायक राज्यों में बहुमत के एकमुश्त वोटों के बहुमत से समुची दुनिया अब ट्रंप महाराज के हवाले हैं।हमारे यहां सिंहासन पर उन्हीं का खड़ाऊं है। इस जनादेश के बाद अमेरिका का क्या होना है और बाकी दुनिया का क्या होना है,उसे दुनियाभर के विरोध प्रतिरोध से बदल पाने की कोई संभावना नहीं है। गौरतलब है कि 16 मई ,2014 के बाद भारत की अर्थव्यवस्था,संसदीय प्रणाली और नीति निर्माण पद्धति से लेकर कर प्रणाली ,बुनियादी सेवाओं और जरुरतों के सारे परिदृश्य सिरे से बदल गये हैं।आम जनता के लिए अब कोई योजना नहीं है न विकास है।लाटरी के झुनझुना मोबाइल परमाणु बम है।हिरोशिमा नागासाकी महोत्सव है।भुखमरी और मंदी,बेरोजगारी और बेदखली विस्थापन का भविष्य है। यूपी जीतने के लिए कायदा कानून और अर्थव्यवस्था से लेकर मुक्त बाजार के व्याकरण को जैसे ताक पर रखकर नोटबंदी जारी की गयी और बहुराष्ट्रीय कंपनियों और देश के कारपोरेट घरानों के एकाधिकार वर्चस्व के लिए जैसे जबरन कैशलैस डिजिटल इंडिया बनाने के लिए अर्थव्यवस्था को ही लाटरी में तब्दील कर दिया गया है,तो 2014 के उस जनादेश की परिणति के बारे में मतदाताओं को अपने वजूद के लिए सोचना चाहिए, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो रहा है।इसलिए जनादेश से कुछ बदलने के आसार कम है। एकबार फिर यूपी के रास्ते हिंदुस्तान फतह करने के लिएसत्ता वर्ग बुनियादी मसलों को किनारे करके हिंदुत्व की सुनामी राम के सौगंध के साथ बनाने में जुटे हैें और यूपी की जनता को ही वानर सेना में तब्दील करके हिंदुस्तान फतह करने की चाकचौबंद तैयारी है।जिसका प्रतिरोध अगर संभव है तो वह करिश्मा यूपी वालों कोही कर दिखाना है। दूसरी ओर,चुनाव जीतने के मकसद से बजट के इस्तेमाल के इरादे के तहत पहली जनवरी को ही बजट पेश करने की जिद को सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग की हरी झंडी मिल जाने से,फिर उस बजट में पांच राज्यों में विधानसभा के मद्देनजर चुनाव आयोग ने बजट प्रावधान पर जो निषेधाज्ञा लागू कर दी है,उससे पांचों राज्यों के लिए और उनकी जनता के लिए यह नोटबंदी के बाद दुधारी मार है।

उत्तराखंड,मणिपुर और गोवा के लोग सालभर अगर झुनझुना बजाने के लिए छोड़ दिये गये,तो आगे उनका गुजारा कैसे होगा,यह नोटबंदी करने वाले झोलाछाप विशेषज्ञ ही तय करने वाले हैं।हमारे पास झुनझुना बजाने के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं है। नशाग्रस्त पंजाब में हालात और खराब होंगे और यूपी कितना और पिछड़ जायेगा,यह बाद में देखा जाना है। झुनझुना बजाने के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं है। भारत में बहुमत का जलवा हम अक्सर समझ नहीं पाते और चुनाव से पहले और चुनाव के बाद जनादेश की भूमिका,देश की अर्थव्यवस्था,कायदा कानून,बहुलता विविधता, लोकतांत्रिक संस्थानों पर उसके दीर्घस्थायी असर,राष्ट्रीय संसाधनों से लेकर जलवायु पर्यावरण,भूख,बेरोजगारी जैसी बुनियादी चुनौतियों, समता और न्याय के लक्ष्य,बुनियादी सेवाओं और जरुरतों के बारे में वोट डालने से पहले हम कतई नहीं सोचते। अर्थव्यवस्था और वित्तीय प्रबंधन,नीति निर्धारण के बारे में बहुजनों की कोई प्रतिक्रिया नहीं होती,यही मनुस्मृति के फासिस्ट नस्ली राजकाज की पूंजी है। भावनाओं में बहकर हवाओं के इशारों से हम अपना नुमाइंदा चुनकर जो जनादेश बनाते हैं,उसे सामूहिक आत्महत्या कहे तो वह भी कम होगा। 

हर बार हम जनादेश मार्फत सामूहिक आत्महत्या ही करते हैं।
मसलन अमेरिका में पचास राज्य हैं और उनकी किस्मत का फैसला चुनिंदा कुछ राज्यों के वोट से हो जाता है जैसे डोनाल्ड ट्रंप का चुनाव अमेरिकी बहुमत के खिलाफ हो गया और इसका खामियाजा सिर्फ अमेरिका ही नहीं,बाकी दुनिया को भी भुगतना होगा। जनादेश यूपी वालों का होगा और उसका दीर्घकालीन असर पूरे देश पर होना है। भारत में भी यूपी बिहार तमिलनाडु मध्यप्रदेश,महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भावनाओं की सुनामी से पूरे मुल्क को फतह करने का सिलसिला आजाद भारत का लोकतंत्र है। यूपी का जनादेश हमेशा पूरे देश की किस्मत का फैसला करने वाला होता है और इसीलिए देश के सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री यूपी से ही चुने जाते रहे हैं।  ओड़ीशा, झारखंड, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ ,केरल,गोवा,पंजाब,राजस्थान और पूर्वोत्तर के राज्यों से राष्ट्रीय नेतृत्व का उभार असंभव है। हालांकि गुजरात से नरेंद्र मोदी का उत्थान एक अपवाद ही कहा जा सकता है लेकिन यह भी जनप्रतिनिधित्व या लोकतंत्र का करिश्मा नहीं है।हिंदुत्व के एजंडे के मुताबिक भावनाओं की जिस सुनामी से मोदी देश के नेता बने, उस तरह किसी माणिक सरकार,चंद्रबाबू नायडु या नवीन पटनायक और यहां तक कि किसी ममता बनर्जी या नीतीश कुमार के भी  के प्रधानमंत्री बनने के आसार नहीं है। अजूबा लोकतंत्र हमारा है,जहां राजनीति में स्त्री के परतिनिधित्व से पितृसत्ता के तहत पूरी राजनीति लामबंद है। उत्तराखंड जैसा राज्य और पूर्वोत्तर के तमाम राज्य केंद्र सरकार की मेहरबानी पर निर्भर है क्योंकि राष्ट्रीय नेतत्व के लिए ये राज्य निर्णायक नहीं है। 

ऐसे राज्यों में नेतृत्व न पिद्दी है और न पिद्दी का शोरबा है।
बहरहाल मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मांग की है आम बजट को विधानसभा चुनाव के बाद पेश करने पर विचार करें, ताकि उत्तर प्रदेश के विकास व जनता के हित में योजनाओं की घोषणा हो सके। अखिलेश ने अपने पत्र में चुनाव आयोग की ओर से भारत सरकार को 23 जनवरी को जारी किए गए पत्र का हवाला देते हुए लिखा है।इस पत्र में आयोग ने निर्देश दिया है कि भारत सरकार के आगामी बजट में चुनाव आचार संहिता से प्रभावित पांच राज्यों के हित में कोई भी विशेष योजना घोषित नहीं की जाए।
इसकी कोई सुनवाई होने के आसार नहीं है।

पीएम को किसी सीएम के खत से हालात बदलने बाले नहीं है।
कदम कदम कदमबोशी करने वाले बागी हो नहीं सकते।
देश किसी कुनबे का महाभारत या मूसलपर्व भी नहीं है कि धोबीपाट से जीत लें।

अखिलेश का भी इसे चुनावी मुद्दा बनाने के अलावा हकीकत की चुनौतियों से निबटने का कोई इरादा लग नहीं रहा है क्योंकि उन्होंने यूपी को हिंदुत्व के एजंडे का गिलोटिन बनाने से रोकने के लिए अब तक कुछ भी नहीं किया है बल्कि फासिज्म के राजकाज को मजबूती से अंजाम देने में वे सबसे आगे रहे हैं। इसके उलट यूपी से सबसे ज्यादा लोकसभा सदस्य और राज्यसभा सदस्य हैं तो राष्ट्रपति चुनाव में अप्रत्यक्ष मतदान में यूपी के वोट का मूल्य सबसे ज्यादा है। अखिलेश यादव अगर बाहैसियत सीएम यूपी वालों का ईमानदारी से नुमांइदंगी कर रहे होते तो यूपी की सरजमीं का बेजां इस्तेमाल रोककर नरसंहारी अश्वमेधी अभियान को रोकने में उनकी कोई न कोई पहल जरुर होती। आवाम की रहमुनमाई करने के बजाय अखिलेश ने यूपी और यूपीवालों को फासिज्म का सबसे उपजाऊ उपनिवेश बना दिया है।  अंदेशा यही है कि इस खुदकशी का अंजाम यूपी के जनादेश में भी नजर आयेगा। आजादी के बाद के मतदान का पूरा इतिहास उठा लें तो राष्ट्र के भविष्य निर्माण में सकारात्मक नकारात्मक दोनों प्रभाव हमेशा यूपी का ज्यादा रहा है। भारत की राजनीति जिस हिंदुत्व के एजंडे से सिरे से बदल गयी है,उसके पीछे जो आरक्षण विरोधी आंदोलन हो या राममंदिर आंदोलन और बाबरी विध्वंस हो,उसकी जमीन यूपी है।गुजरात नरसंहार और 1984 में सिखों के नरसंहार यूपी की ताकत,यूपी के जनादेश  के बेजां इस्तेमाल का अंजाम हैं।तो दूसरी ओर सामाजिक बदलाव के आंदोलन  के तहत यूपी में भाजपा 16 साल से और कांग्रेस 29 साल से सत्ता से बाहर है। क्या यूपी वालों का नेतृत्व करके फासिज्म के खिलाफ लड़ाई में अखिलेश आगे आने को तैयार हैं,इस सवाल का जबाव यूपी वालों को खुद से जरुर पूछना चाहिए और उसके मुताबिक फैसला करना चाहिए कि उनका जनादेश क्या हो। यूपी वाले अपनी अपनी  निर्णायक ताकत को समझें और जनादेश को समूचे देश के लिए सामूहिक आत्महत्या बनने न दें,आज सबसे बड़ी चुनौती यही है। अखिलेश ने अपने पत्र में लिखा है कि अगर चुनाव से पहले बजट पेश होता है तो यूपी के लिए आप किसी योजना का ऐलान नहीं कर सकते, ऐसे में यूपी का बड़ा नुकसान होगा। यूपी राज्य जिसमें देश की बड़ी जनसंख्या निवास करती है को भारत के आगामी सामान्य/रेल बजट में कोई विशेष लाभ/योजना प्राप्त नहीं हो सकेगी, जिसका सीधा प्रतिकूल प्रभाव यूपी के विकासकार्यों एवं यहां के 20 करोड़ निवासियों के हितों पर पड़ेंगा। साथ ही अखिलेश ने यह भी लिखा है कि 2012 में राज्यों के चुनाव की वजह से चुनाव बाद बजट पेश किया गया था।

अखिलेश यादव ने कहा कि ऐसी स्थिति में अब प्रबल संभावना बन गई है कि उत्तर प्रदेश को आम बजट का कोई विशेष लाभ या योजना मिलने नहीं जा रही है। अखिलेश ने लिखा है जनसंख्या के लिहाज से उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है, ऐसे में यह उत्तर प्रदेश के साथ इंसाफ नहीं होगा। इसका सीधा प्रतिकूल प्रभाव प्रदेश के विकास कार्यों और यहां के 20 करोड़ निवासियों के हितों पर पड़ेगा। अखिलेश ने याद दिलाया कि फरवरी-मार्च 2012 में भी राज्यों के आम चुनावों को देखते हुए तत्कालीन केंद्र सरकार ने चुनावों की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए खुद ही निर्वाचन के बाद सामान्य और रेल बजट पेश किया था। उत्तर प्रदेश में 11 फरवरी से 8 मार्च के बीच सात चरणों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के अखिलेश धड़े के बीच गठबंधन के बावजूद बहुकोणीय मुकाबला होने की उम्मीद है। यूपी विधानसभा में कुल 403 सीटें हैं। 2012 के विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी ने 224 सीट जीतकर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी। इसके बाद बसपा को 80, बीजेपी को 47, कांग्रेस को 28, रालोद को 9 और अन्य को 24 सीटें मिलीं थीं। गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने केंद्र से कहा कि बजट में वह पांच राज्यों के बारे में कोई विशेष घोषणा न की जाए, जहां विधानसभा चुनाव होने हैं। आयोग ने एक फरवरी को बजट पेश करने को मंजूरी दे दी है। गौरतलब है कि पंजाब और गोवा में मतदान 4 फरवरी से शुरू होना है, वहीं उत्तर प्रदेश में 11 फरवरी से होगा. पांचों राज्यों में 11 मार्च को नतीजे आएंगे। 16 राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग से आग्रह किया था कि वह सरकार से चुनाव के बाद केंद्रीय बजट पेश करने के लिए कहे ताकि इसका उपयोग पांच राज्यों में मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए नहीं किया जा सके, जहां चुनाव होने हैं। केंद्र सरकार के एक फरवरी को बजट पेश करने के खिलाफ दाखिल याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने बीते सोमवार को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने कहा कि आम बजट केंद्रीय होता है और इसका राज्यों से कोई लेना-देना नहीं है।


एचडीएफसी बैंक ने अक्टूबर से लेकर दिसंबर की तिमाही में 4500 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है। इस वजह है कि आय वृद्धि 18 साल के निचले स्तर में गिरावट और लागत पर खर्चा अधिक हो गया। एचडीएफसी बैंक ने बताया कि सितंबर 2016 में बैंक में 95,002 कर्मचारी थे, जो दिसंबर में 5 प्रतिशत घटकर 90,421 तक आ गए। इकॉनोमिक्स टाइम्स के मुताबिक, एचडीएफसी बैंक ने कहा कि उसका मुनाफा 15 प्रतिशत बढ़कर 3,865 करोड़ रुपए हो गया, जो एक साल पहले 3,357 करोड़ रुपए था। लेकिन यह जून 1998 से उसकी सबसे कम ग्रोथ है। बॉन्ड और करंसी में प्री-टैक्स प्रॉफिट भी 253 करोड़ रुपए रह गया, जो पिछले साल 513 करोड़ था। नोटबंदी के बाद बैंकों की इनकम भी मात्र 9.4 प्रतिशत ही बढ़ी है। मंगलवार को जारी हुए नतीजों में कहा गया कि बैंक के परिचालन खर्च में 0.55 प्रतिशत की गिरावट आई है और दिसंबर के अंत में यह 4.843 करोड़ रह गया, जो सितंबर में 4, 870 करोड़ रुपए था। इसके अलावा बाकी परिचालन खर्च भी 1.83 प्रतिशत गिरकर 3,154 करोड़ पर आ गया। सितंबर में यह 3,213 करोड़ रुपए था। हालांकि कर्मचारी लागत में 1.93 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और यह 1,689 करोड़ से 1,657 करोड़ तक आ गया।  विशेषज्ञों का कहना है कि किसी बैंक द्वारा एक तिमाही में इतनी बड़ी छंटनी का यह पहला मामला है, जो आगे भी जारी रह सकता है अगर स्थितियां नहीं सुधरीं। बैंक ने संकेत दिया है कि उसका फोकस फिलहाल उत्पादकता पर है और भविष्य में हायरिंग में गिरावट रहने वाली है। बैंक के डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर परेश सुखतांकर ने बताया कि छंटनी कर्मचारियों की उत्पादकता और उनकी कार्यक्षमता बढ़ाने का एक नियमित हिस्सा है।




(पलाश विश्वास)

विशेष : आज़ादी की तान पर नाचे बलूचिस्तान

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बलूचिस्तान में लगातार पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे है और इससे अंजान , "चाइना की जान" ,पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ , कश्मीर और बुरहान वानी का मुद्दा उठा रहे है , वैसै वो अपना गिरा हुआ ज़मीर उठाते तो शायद पाकिस्तान का कुछ भला हो सकता था। बलूचिस्तान को छोड़कर कश्मीर का राग अलापना ठीक वैसा ही है जैसे आप की लड़की भाग कर लव -मैरिज कर ले और आप पडौस की पिंकी को अरेंज मैरिज के फायदे समझाए। बलूचिस्तान के लोग पाकिस्तान से आज़ादी माँग रहे है ,वैसे जितने हक़ से वो माँग रहे है उससे लगता है कि उन्हें आज़ादी से पहले "प्रिया -गोल्ड"के बिस्किट्स मिलेंगे। बलूची नेताओ ने भारत के प्रधानमंत्री मोदी से अपनी आज़ादी की लड़ाई में मदद माँगी है। लेकिन लगता है कि मोदी जी अभी बलूचिस्तान को आज़ादी दिलाने के मूड में नहीं है, क्योंकि हो सकता है उन्हें लगता हो की आज़ादी मिलते ही बलूचिस्तान के लोग उनसे अच्छे दिन माँगने लगे या फिर हो सकता है की मुकेश अंबानी से दोस्ती का हवाला देते हुए रिलायंस जिओ की सिम कार्ड ही माँग ले। जहाँ विपक्षी दलो का कहना है की मोदी बलूचिस्तान को इसलिए आज़ादी दिलाना चाहते है ताकि उन्हें विदेश यात्रा पर जाने के लिए एक और देश मिल सके। वहीँ भाजपा का कहना है, कि ये बलूची लोगो का मोदी के नेतृत्व के प्रति भरोसा दर्शाता है ,अन्यथा यूपीए सरकार के शासनकाल में बलूचिस्तान ने भारत से मदद नहीं माँगी थी क्योंकि उस समय तो देश खुद बेरोज़गारी और भूखमरी का गुलाम था।





भारत के रक्षा मंत्री ने पाकिस्तान को नरक कहाँ था , मतलब बलूचिस्तान नर्क से आज़ादी चाहता है लेकिन बलूची लोगो को समझना होगा की नरक से आज़ादी मिलने में समय लगता है , हमें भी यूपीए के शासनकाल से 10 साल के बाद ही मुक्ति मिली थी। और अभी भी हम राहुल गाँधी के भाषण से , केजरीवाल की ईमानदारी से ,आशुतोष के इंग्लिश ट्वीट्स से , संजय झा के तर्कों से , तुषार कपूर की एक्टिंग और के.आर.के. के फिल्म रिव्यु से मुक्ति पाने के लिए जूझ ही रहे है। बलूचिस्तान के लोगो का कहना है की वो पाकिस्तान के आतंक और हर क्रिकेट मैच के बाद पाकिस्तानी खिलाड़ियों की इंग्लिश तो जैसे तैसे झेल रहे थे लेकिन ताहिर शाह का एंजेल वाला विडियो आने के बाद उनकी बर्दाश्त करने की क्षमता पाकिस्तानी आतंकवादियो की तरह बॉर्डर पार कर चुकी है। वैसे बलूची लोगो को अपने आप को लकी मानना चाहिए की उनका सामना अभी तक गुरुमीत राम रहीम सिंह जी की एम्एसज़ी सीरीज वाली फिल्मो से नहीं हुआ है ,नहीं तो आज़ादी छोड़कर वो पनाह माँगने लगते।वैसे बलूचिस्तान के लोगो ने इतने साल तक पाकिस्तान को अच्छा मानकर उसके साथ रहना स्वीकार किया , इससे पता चलता है की बलूची लोग भी इतने साल तक एनड़ीटीवी ही देख रहे थे। बहुत कम लोग जानते है की जब विदेश में रहने वाले पाकिस्तानी लोग अपने देश को बहुत मिस करते है तो वो सब कुछ छोड़ कर केवल एनडीटीवी देखते है।वैसे एनडीटीवी मेरा भी पसंदीदा चैनल है , विशेषकर तब , जब हमारा केबलवाला उसे दिखाना बंद कर देता है।

बलूचिस्तान के लोगो को लगातार आज़ादी माँगते रहना चाहिए क्योंकि बिना माँगे तो कोई "वाई-फाई हॉट स्पॉट"भी नहीं देता है। पाकिस्तान भी भारत से अलग होने के बाद से अमेरिका और चीन से माँग -माँग कर ही अपनी माँग भरता आया है , मतलब पेट भरता आया है। वैसे अगर बलूचिस्तान के लोगो को माँगने में शर्म आ रही हो तो उन्हें हमारी जे.एन.यू. यूनिवर्सिटी में कैम्पस इंटरव्यू आयोजित करके माँगने वालो को हायर कर लेना चाहिए क्योंकि जे.एन.यू के छात्रो की माँगने की क्षमता के आगे तो पाकिस्तान भी ("इंडस वाटर ट्रीटी"से भी ज़्यादा) पानी माँगने लगता है। इसी बीच बीसीसीआई ने भी भारत सरकार से बलूचिस्तान को जल्दी आज़ाद करने की गुहार लगाई है ताकि वो टीम-इंडिया को वहाँ 15 -20 टेस्ट मैच और 40 -50 वन-डे और टी-टवेंटी खेलने भेज सके जिससे टीम इंडिया की रैंकिंग में सुधार हो सके। टीम इण्डिया से बाहर चल रहे खिलाडी भी बलूचिस्तान के पाकिस्तान से बाहर होने को लेकर उत्साहित है ताकि वो टीम के अंदर आकर, देश से बाहर जाकर अपनी प्रतिभा और अपने ब्रांड के विज्ञापन दोनों देश को दिखा सके।

दिन- रात कश्मीर की आज़ादी का समर्थन करने वाले देश के सेकुलर नेताओ और बुद्धिजीवियों ने बलूचिस्तान को पाकिस्तान का आंतरिक मसला बताया है और भारत सरकार को इसमें हस्तक्षेप ना करने की सलाह दी है क्योंकि सेकुलर नेताओ और बुद्धिजीवियों का समर्थन और सहानुभूति अभी पूरी तरह से पाकिस्तान के प्रति आरक्षित है और वो नहीं चाहते है कि पाकिस्तान और पाकिस्तान के प्रति उनके समर्थन और सहानुभूति का किसी भी प्रकार से विभाजन हो। इनके अनुसार भारतीय सेना कश्मीरियो पर ज़ुल्म करती है इसलिए वो आज़ादी माँगते है लेकिन बलूचिस्तान के लोग तो केवल इसीलिए आज़ादी माँग रहे है क्योंकि पाकिस्तानी सेना बार बार उनको कैंडी क्रश खेलने की रिक्वेस्ट भेजती है। "अमन की आशा "की ब्रांच अभी बलूचिस्तान में खुलना मुश्किल दिख रहा है।





---अमित शर्मा---

उत्तर प्रदेश : रामजी करेंगे बीजेपी का बेड़ापार

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बिल्कुल, यह सोलहों आना सच है बीजेपी का वजूद ही राम मंदिर से है। अगर आज वह सत्ता में है या मोदी को मौका मिला है तो इसके पीछे राम मंदिर समर्थकों की बड़ी भूमिका है। यह अलग बात है कि समर्थक हो या सरकार सार्वजनिक तौर पर कुछ बोलने से बचती है लेकिन इस मुद्दे को वह भी चाहती है जिंदा रहे। तभी तो तमाम मनाही के बावजूद कभी विनय कटियार तो कभी साक्षी महराज, तो कभी उमा भारती तो कभी संत समाज मंदिर मुद्दे को उठा ही देता है। अब तो चुनावी घोषणा पत्र में भी बड़े साफगोई से शामिल कर लिया गया है कि संवैधानिक अधिकार के तहत ही राम मंदिर बनेगा 


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बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह द्वारा घोषणा पत्र में राम मंदिर मुद्दा यूं हीं नहीं उठाया गया है, बल्कि एक रणनीति के तहत हैं। क्योंकि कुछ हद तक इससे जुड़े वोटर भी मंदिर मुद्दे पर ही वोटिंग करते दिखाई पड़ते है। 2014 लोकसभा चुनाव इसका जीता-जागता उदाहरण है। हालांकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हो या केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह सभी इस मुद्दे पर खामोश रहते है। पूछे जाने पर कहते है सरकार के एजेंडे में राम मंदिर नहीं है। सबका साथ सबका विकास की बात करते है। फिरहाल, यूपी के चुनावी दंगल में हर दल मैदान मारने की हर तरकीब अपना रहा है। इसमें सपा लोकलुभावन मैनीफेस्टों जारी कर युवाओं को बरगलाने की कोशिश की, तो बीजेपी ने योजनाओं के जरिए सबका साथ-सबका विकाश के नारे के साथ वादा किया है कि यूपी के विकाश के लिए वह हर सुविधाएं मुहैया की जायेंगी जिससे लोग अपने सुरक्षित महसूस कर सके। दबंगई, गुंडागर्दी समेत किसी भी तरह के अवैध काम नहीं होने दिए जायेंगे। महिला सुरक्षा से लेकर युवाओं को रोजगार और किसानों की सुविधा का खास ध्यान रखा जायेगा। इसमें लैपटॉप के साथ एक जीबी इंटरनेट फ्री, वाई-फाई की सुविधा दी जायेगी। खास यह है कि यह स्कीम किसी एक जाति विशेष के लिए नहीं, बल्कि हर जाति धर्म के पात्र लाभार्थियों को मिलेगा। 

इसके अलावा लखनऊ और नोएडा में मेट्रो का विस्तार होगा। कानपुर और गोरखपुर में मेट्रो चलाएंगे। बालिकाओं को ग्रेजुएशन तक मुफ्त शिक्षा दी जायेगी। महिलाओं की सुरक्षा के लिए एंटी रोमियो दल का गठन होगा। प्रदेश में 10 नए अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय बनाएं जायेंगे। ग्रेड 3 और 4 की भर्तियों में इंटरव्यू खत्म होगा। असंगठित मजदूरों को 2 लाख रुपए तक का बीमा होगा। वाराणसी-कानपुर, लखनउ, आगरा, अयोध्या व नोएडा समेत 6 शहरों के लिए हेलिकॉप्टर सेवा की शुरुआत होगी। 225 नए मेडिकल कॉलेज और सुपर स्पेशिलटी अस्पताल बनेंगे, छह क्षेत्रों में एम्स स्तर के अस्पताल बनेंगे। 108 सेवा का विस्तार होगा, काॅल के 15 मिनट के भीतर एंबुलेंस किसी भी क्षेत्र में पहुंचेगा। जेनरिक दवाओं वाली दुकानें हर ब्लॉक में खुलेंगी। पांच साल में हर घर में 24 घंटे बिजली, सभी घरों में एलपीजी कनेक्शन दे दिया जायेगा। खास यह होगा कि गरीबों को मात्र तीन रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली का बिल देना होगा। डेयरी विकास फंड का गठन, गन्ना किसानों को तुरंत भुगतान के साथ ही किसानों से कर्ज पर ब्याज नहीं ली जायेगी और कृषि मजदूरों को दो लाख का बीमा किया जायेगा। सरकार किसानों के कर्ज माफ करेगी और किसानों को देने वाले लोन पर ब्याज नहीं लेगी। 





भाग्यलक्ष्मी योजना के तहत हर परिवार में जन्मी बेटी को 50 हजार का बॉन्ड। गरीब परिवार में बेटी जन्मते ही पांच हजार की राशि दी जायेगी। उत्पीड़न के मामले में महिलाओं को त्वरित न्याय दिलाने के लिए 100 फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाया जायेगा। हर जिले में तीन महिला पुलिस स्टेशन। कॉलेज-स्कूलों के नजदीक एंटी रोमियो दल की तैनाती। विधवा पेंशन के लिए उम्र सीमा समाप्त करने के साथ ही तीन तलाक पर मुस्लिम महिलाओं की इच्छा पूछेंगे और यूपी सरकार उसके आधार पर सुप्रीम कोर्ट में पार्टी बनेगी। दावा है कि यूपी में सरकार बनने के डेढ़ महीने के बाद ही पुलिस के डेढ़ लाख रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। अवैध पशु कत्लखाने बंद किए जाएंगे। डॉयल 100 को प्रभावी बनाने के लिए इसे अपग्रेड करेंगे। यूपी की जनता को 15 मिनट में पुलिस की सुविधा मिलेगी। सभी फरार अपराधियों को 45 दिन के अंदर गिरफ्तार कर जेल में डाला जाएगा। ‘लोक संकल्प‘ पत्र नाम से जारी घोषणा पत्र में राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने पत्रकारों से कहा कि  यूपी में अगर बीजेपी की सरकार बनी तो प्रदेश को पांच साल में बीमारू राज्य से विकसित राज्य बना दिया जायेगा। एक सवाल के जवाब में कहा, हमने कभी जाति और परिवार की राजनीति नहीं की, हमेशा सिद्धांतों और विकास की ही राजनीति की है। कहा, जहां तक यूपी के विकास में कोताही का सवाल है तो केंद्र ने यूपी को ढाई साल में ढाई लाख करोड़ रुपया ज्यादा भेजा है। उसके बावजूद यहां बुनियादी सुविदाएं मुहैया नहीं कराई जा रहीं हैं। उन्होंने कहा कि अकेली केंद्र की सरकार प्रदेश का विकास नहीं कर सकती। इसके लिए जरुरी है कि यूपी में भी बीजेपी की सरकार हो। गठबंधन के सवाल पर कटाक्ष करते हुए कहा, दो लड़के हैं एक ने प्रदेश को लूटा और दूसरे ने देश को, अब दोनों मिलकर फिर से प्रदेश को लूटना चाहते हैं लेकिन प्रदेश की जनता दोनों को बाहर करेगी। पिंक रिवोलूशन के सवाल पर कहा, सरकार बनी तो हर तरह का यांत्रिक कत्लखाना हम बंद कराएंगे। जहां तक पिंक रिवोलूशन की बात है तो हमने सरकार बनने के बाद एक पैसा सब्सिडी इस पर नहीं बढ़ाई है। राम मंदिर के सवाल पर कहा, मामला कोर्ट में चल रहा है। यह एक संवैधानिक प्रक्रिया है। फैसले के बाद प्राथमिकता पर राम मंदिर बनेगा। यूपी में परिवारवाद का अंत होगा। हर गांव को बसों के जरिए तहसील सेंटर के साथ जोड़ा जाएगा। हर युवा को रोजगार मिलेगा। 






(सुरेश गांधी)

आलेख : वाकई !​ इस चमत्कार को नमस्कार है !!​

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क्या आप इस बात की कल्पना कर सकते हैं कि कोई बिल्कुल आम शहरी युवक बमुश्किल चंद दिनों के भीतर इतनी ऊंची हैसियत हासिल कर लें कि वह उसी माहौल में लौटने में बेचारगी की हद तक असहायता महसूस करे, जहां से उसने सफलता की उड़ान भरी थी। मैं बात कर रहा हूं। भारतीय क्रिकेट टीम के सफलतम कप्तान महेन्द्र सिंह धौन की। जिन्होंने महज 12 साल के करियर में क्रिकेट की बदौलत वह मुकाम हासिल कर लिया कि उनकी जिंदगी पर फिल्म बन कर भी तैयार हो गई। सचमुच यह  चमत्कार है जिसे नमस्कार करना ही होगा। 

वे 2004 के बारिश के दिन थे, जब हमने सुना कि हमारे शहर खड़गपुर के प्रतिभाशाली क्रिकेट खिलाड़ियों में शामिल और रेलवे में टिकट कलेक्टर महेन्द्र सिंह धौनी का चयन भारतीय क्रिकेट टीम में हो गया है। चंद मैच खेल कर ही वह खासा च र्चित हो गया औऱ देखते ही देखते सफलता के आकाश में सितारे की तरह जगमगाने लगा। हालांकि तब तक वह सेलीब्रि्टीज नहीं बना था। श्रंखला खत्म होने के बाद वह नौजवान आखिरी बार शहर लौटा। सिर पर बड़ा सा हेलमेट लगा कर बाइक से घूम - घूम कर उसने अपने जरूरी कार्य निपटाए , जिनमें रेलवे की नौकरी से इस्तीफा देना भी शामिल था। हालांकि तब के तमाम बड़े अधिकारी उससे नौकरी न छोड़ने की अपील करते रहे। उसके सारे क्लेम पर विचार करने का आश्वासन देते रहे। लेकिन वह नहीं माना। उसने नौकरी छोड़ दी और बिल्कुल आम रेल यात्री की तरह ट्रेन में सवार होकर इस शहर को अलविदा कह दिया। शहर में उसका अपना कोई सगा तो था नहीं, अलबत्ता इष्ट - मित्रों की भरमार थी। कुछ उसे छोड़ने स्टेशन तक भी गए। वह शायद हावड़ा - मुंबई गीतांजलि एक्सप्रेस थी, जिससे धौनी को सफलता के अकल्पनीय सफर पर निकलना था। जैसा देश में आम नागरिकों के साथ होता है। रेल यात्रा आकस्मिक परिस्थितियों में हो रही थी, तो बेचारे का ट्रेन में आरक्षण भी नहीं था। साथियों ने एक टीटीई को कह कर उसे ट्रेन के एसी कोच में बैठाया कि इसमें तब के लिहाज से नामी क्रिकेट खिलाड़ी महेन्द्र सिंह धौनी को बैठाया गया है। स्टेशन छोड़ने गए साथी बताते हैं कि तब उस टीटीई ने झल्ला कर कहा था कि कौन धौनी और  खिलाड़ी है तो क्या हुआ। इतना कह कर वह टीटीई तमतमाता हुआ आगे बढ़ गया। बस कुछ दिन बीते और घटना के चश्मदीद रहे साथी उस टीटीई को  ढूंढने लगे कि भैया , एक बार सोच तो लो कि  तुमने क्या कहा था...। 





क्योंकि चंद दिनों के भीतर ही वह आम शहरी युवा व्यक्ति से परिघटना बन चुका था। वह सफलता के आकाश पर धऱुवतारा की तरह चमकने लगा।जिस युवा को शहर ने अपने बीच करीब तीन साल का अंतराल व्यतीत करते देखा , वो  परिदृश्य पर सितारे की तरह जगमगाने लगा।  वह बहुराष्ट्रीय कंपनियों के विज्ञापनों के लिए सबसे पसंदीदा सितारा बन चुका था। शहर को अलविदा कहने के कुछ दिन बाद ही वह शहर के नजदीक यानी राज्य की राजधानी कोलकाता में एक मैच खेलने आया। इस पर  साथ खेलने - खाने वाले उसके तमाम संगी- साथी उससे मिले और कम से कम एक बार शहर आने की गुजारिश की। इस पर उसने अपनी असहाय स्थिति का हवाला देते हुए कहा कि अब उसकी गतिविधियां एक विभाग द्वारा नियंत्रित होती है। उसका कहीं आना - जाना अब लंबी औपचारिकता और प्रकिया की मांग करता है। क्योंकि चंद दिनों में ही वह  अचानक वह आम से खास बन चुका था। वह अर्श से फर्श पर था। उसकी अपार  ख्याति और धन - प्रसिद्धि से दुनिया हैरान थी।जल्द ही मालूम हुआ कि अंतर राष्ट्रीय पत्रिका फोबस्र् ने उसे सबसे ज्यादा कमाई करने वाला खिलाड़ी घोषित कर दिया है।उसकी सालाना कमाई कल्पना से परे हो चुकी थी।  बेशक यह चमत्कार था जिसे नमस्कार किए बिना नहीं रहा जा सकता। लेकिन पता नहीं क्यों मुझे लगता है कि सफलता के शिखर तक के इस असमान्य उड़ान के पीछे उस सफल व्यक्ति से बड़ा करिश्मा क्रिकेट का है जिसके पीछे अरबों - खरबों का बाजार खड़ा है।

 देश की विडंबना ही है कि समुद्र पर पुल बनाने और असाध्य रोगों का इलाज ढूंढने वालों को कोई नहीं जानता - पहचानता। लेकिन एक क्रिकेट खिलाड़ी को मैच खेलते करोड़ों लोग देखते हैं। उसकी हर स्टाइल और अदा पर कुर्बान होते हैं। मुझे नहीं लगता कि हमारे देश - समाज में क्रिकेट को छोड़ और किसी में यह क्षमता है कि वो किसी आम शहरी युवा को चंद दिनों में ही धौनी जैसा कद और हैसियत दिला सके। 





तारकेश कुमार ओझा, 
खड़गपुर (पशिचम बंगाल)
संपर्कः 09434453934, 9635221463
लेखक पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रहते हैं और वरिष्ठ पत्रकार हैं।

पेयजल एवं स्वच्छता यांत्रिक प्रमण्डल, दुमका में महाघोटाला,

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  • प्रभारी कार्य0 अभि0 मयंक कुमार के विरुद्ध पूर्व विधायक कमलाकांत प्रसाद सिन्हा ने खोल दिया है मोर्चा
  • अपने रिश्तेदारों के नाम पर टेबुल टेंडर निकाल कर आनन-फानन में कर दिया गया साढ़े 77 लाख रुपये का भुगतान

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अमरेन्द्र सुमन, दुमका : प्रभारी कार्यपालक अभियंता, पेयजल एवं स्वच्छता यांत्रिक प्रमण्डल, दुमका मयंक कुमार द्वारा सरकारी नियम व विभाग के उच्च पदाधिकारियों के आदेश की अवहेलना करते हुए बिना निविदा निकाले जाली कोटेशन प्राप्त कर टेबुल टेंडर के माध्यम से 77, 64, 150 (77 लाख 64 हजार 150 रुपये) की एक मोटी राशि को सीधा हड़प जाने का संगीन मामला प्रकाश में आया है। पूर्व विधायक कमलाकांत प्रसाद सिन्हा ने कार्यपालक अभियंता के विरुद्ध मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव झारखण्ड को अलग-अलग पत्रों के माध्यम से उपरोक्त घोटाले की उच्चस्तरीय जाँच की माँग की है। पत्र सं0-101 व 102 दिनांक 16.09.2016 के माध्यम से मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव को अलग-अलग पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि संताल परगना प्रमण्डल के बाहर के एक निजी रिश्तेदार प्रो0 जियोटेक इन्टरप्राईजेज धनबाद व एक अन्य रिश्तेदार से जाली कोटेशन प्राप्त कर जहाँ एक ओर उन्होनें कार्यो के विरुद्ध टेबुल टेंडर निकालकर सरकारी नियम-कानून की धज्जियाँ उड़ाई है वहीं दूसरी ओर विभागीय आदेशों को ठेंगा दिखा दिया। पूर्व विधायक श्री सिन्हा का कहना है कि अधीक्षण अभियंता पेयजल एवं स्वच्छता यांत्रिक अंचल, दुमका में तकनीकी सलाहकार के पद पर पदस्थापित मयंक कु0 भगत ने पैसे, पैरवी व अपने रसूख के बल पर व उच्चाधिकारियों को गुमराह कर जहाँ एक ओर प्रभारी कार्य0 अभि0 (यांत्रिक) का प्रभार प्राप्त कर लिया वहीं दूसरी ओर कुर्सी पर बैठते ही फर्जी तरीके से लाखों रुपये की अवैध निकासी कर विभाग को पूरी तरह से लूटने का काम किया है। विदित हो दुमका में पदस्थापना से पूर्व श्री भगत धनबाद में पदस्थापित थे। धनबाद में भी श्री भगत ने नियम विरु़द्ध सगे-संबंधियों के नाम कार्य आवंटित कर फर्जी तरीके से लाखों रुपये का भुगतना किया है जिसके आरोप उनपर लगातार लगते रहे हैं। पिछली गलतियों से कोई सीख न लेते हुए दुमका में भी श्री भगत का गोरखधंधा उनके पदस्थापना काल से ही लगातार जारी है। मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव के नाम प्रेषित पत्र में जिक्र करते हुए पूर्व विधायक श्री सिन्हा ने कहा है कि मार्च 2016 में विभाग से बासुकिनाथ जलापूर्ति केन्द्रों की मरम्मती व संरक्षण के लिये पेयजल एवं स्वच्छता यांत्रिक प्रमण्डल, दुमका को 3, 92, 000-00 (3 लाख 92 हजार) रुपया प्राप्त हुआ था। 





प्रभारी कार्य0 अभि0 ने अपने निजी संबंधी/रिश्तेदार गौरी इन्टरप्राईजेज, राँची का जाली कोटेशन प्राप्त कर बिना किसी कार्य के तीन दिनों के अन्दर संपूर्ण राशि का भुगतान उपरोक्त के नाम करवा दिया। विदित हो बासुकिनाथ जलापूर्ति केन्द्रों का संचालन नगर पंचायत बासुकिनाथ व असैनिक प्रमण्डल दुमका-1 द्वारा किया जा रहा है जिसके तहत 2,20,000-00 (2 लाख 20 हजार) का भुगतान अलग से कर दिया गया जबकि विभागीय सचिव के आदेशानुसार अक्टूबर 2015 में ही उपरोक्त जलापूर्ति केन्द्रों का प्रभार नगर पंचायत बासुकिनाथ को यांत्रिक प्रमण्डल द्वारा सौंप दिया गया था। पूर्व विधायक का कहना है कि जब बासुकिनाथ जलापूर्ति केन्द्र यांत्रिक प्रमण्डल के प्रभार में था ही नही ंतो फिर मार्च 2016 में प्राप्त आवंटन की कुल राशि 3, 92, 000-00 (3 लाख 92 हजार) रुपये तथा मधुपुर जलापूर्ति केन्द्र के लिये पत्र सं0-61 (आ0) दिनांक-03.05.2016 को प्राप्त 45,000 रुपये अर्थात कुल 4, 37,000 रुपये का भुगतान किस आधार पर उसी माह को कर दिया गया ? इसी तरह दुमका शहरी जलापूर्ति केन्द्र हिजला की मरम्मती, संरक्षण व संचालन के लिये नगर परिषद् दुमका द्वारा क्रमशः पत्रांक-919 दिनांक-20.05.2016 व पत्रांक-1102 दिनांक 18.06.2016 के द्वारा प्रथम किस्त के रुप में 2, 41, 000 व अंतिम किस्त के रुप में 3, 41, 900 रुपये (कुल राशि-5, 82,000 रुपये) मई/जून 2016 में प्रभारी कार्य0अभि0 को दिया गया था। दिलीप मोटर वाइंडिंग, दुमका को मोटर इत्यादि की मरम्मती के नाम पर मात्र 25 हजार रुपये का भुगतान कर संपूर्ण राशि जियोटेक इन्टरप्राईजेज, धनबाद के प्रोपराईटर श्री गुप्ता से जाली कोटेशन प्राप्त कर टेबुल टंेडर के माध्यम से उपरोक्त राशियों की बंदरबांट कर ली गई। अखबारों में इस कार्य का कोई विज्ञापन तक इसके एवज मे प्रकाशित नहीं करवाया गया। प्रभारी कार्य0 अभि0 के कार्यों का पोल खोलते हुए श्री सिन्हा ने लिखा है कि बासुकिनाथ, नोनीहाट व मोतीहारा मोटर पम्प मरम्मति व संरक्षण के लिये सचिवालय राँची के पत्र सं0-112 (आ0) दिनांक 22.06.2016 के द्वारा कार्य0 अभि0 को 19, 59, 000 रुपये का आवंटन प्राप्त हुआ था। सरकारी नियम की धज्जियाँ उड़ाते हुए कार्य0 अभि0 ने जाली कोटेशन प्राप्त कर व सीधे संचिका तैयार कर  अपने नजदीकी संबंधी/रिश्तेदार के नाम पर उपरोक्त तमाम राशियों का भुगतान कर दिया गया जो विभाग के लिये विचारणीय विषय है। 

श्रावणी मेला 2016 में नगर निगम देवघर ने पत्र सं0- 2109 दिनांक-05.07.2016 के द्वारा देवघर स्थित मोटर पम्प की मरम्मती व अन्य कार्यों के लिये पेयजल एवं स्वच्छता यात्रिक प्रमण्डल, दुमका को 15,00,000 रुपये व देवघर के नावाडीह पम्प प्लांट के लिये 1, 61, 000 (कुल 16, 61, 000 रुपये) रुपये दिया गया था, यहाँ भी प्रभारी कार्य0 अभि0 मयंक कु0 भगत ने अपने रिश्तेदार के नाम पर जाली संचिका तैयार कर आपसी मिलीभगत के तहत राशियों का बंदरबांट कर लिया। प्रभारी कार्य0 अभि0 के महाघोटाले को उजाकर करते हुए पूर्व विधायक श्री सिन्हा ने कहा कि उपराजधानी दुमका के प्रखण्ड शिकारीपाड़ा में 25 अद्द नलकूप व प्लेटफार्म निर्माण के लिये पेजयल एवं स्वच्छता प्रमण्डल सं0-1 द्वारा पत्र सं0 3437 दिनांक 20.05.2016 के द्वारा 14, 37, 125 रुपये व पेयजल एवं स्वच्छता प्रमण्डल पाकुड़ द्वारा पत्र सं0-600 दिनांक 22.06.2016 के माध्यम से 14, 37, 125 रुपये (दोनों को मिलाकर कुल 28, 74, 250 रुपये) कार्य0 अभि0 श्री भगत को दिया गया था। श्री भगत ने नलकूप निर्माण में जहाँ एक ओर निर्धारित गहराई से बहुत कम बोरिंग (ड्रिलिंग) करवाया वहीं घटिया क्वालिटी के केसिंग पाईप का प्रयोग किया। नलकूप प्लेटफार्म का निर्माण संपन्न करवा कर अपने संबंधियों/रिश्तेदारोंको श्री भगत ने शुद्ध मुनाफा कमाने का अवसर प्रदान किया। घटिया सीमेंट र्व इंटों की वजह से नलकूपों के प्लेटफार्म अपना अस्तित्व कब का खो चुका है। मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव, झारखण्ड को अलग-अलग प्रेषित पत्र में जिक्र करते हुए पूर्व विधायक श्री सिन्हा ने कहा है कि मार्च व मई/जून 2016 में प्राप्त सरकार द्वारा कुल आवंटित 77, 64, 900 रुपये की मोटी राशि के इस महाघोटाले की उच्चस्तरीय जाँच हो ताकि दूध का दूध और पानी का पानी सामने आ सके। श्री सिन्हा ने कहा है कि श्री भगत द्वारा निडर होकर जिस तरह सरकारी राशियों की बंदरबांट की गई उसकी जाँच सीबीआई अथवा निगरानी टीम से करायी जानी चाहिए तथा सरकारी राशि की बंदरबांट करने वाले पदाधिकारी के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कर उन्हें सलाखों के पीछे डाल देना चाहिए। 

डिजाईनर इंडिया फैषन सीरीज ने मचाया धमाल

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नई दिल्ली- वह शाम वाकई चकाचैंध से भरी थी और वल्र्ड स्क्वायर माॅल में महौल बेहद ग्लैमरस नजर आ रहा था। माॅडल कैटवाक, वैले डांस, सुफी गीत-संगीत के ताल मेल से सम्पूर्ण परिदृश्य वाकई यादगार बनकर रह गया। हम बात कर रहे है डिजाईनर इंडिया फैशन सीरीज की जिसका आयोजन हाल ही में इस माॅल में किया गया, जिसका संचालन विनय गुप्ता, स्वेता गुप्ता, अभिषेक और आयुष कुमार द्वारा किया गया। इसके अलावा श्रद्धा ज्वेलर्स और कांच क्लब मुख्य आयोजको में से थे। फैशन शो के दौरान जिन पोशाकों का इस्तेमाल किया गया। उन्हें प्रिन्सेज, प्रियंका चैधरी और शोभित जैन द्वारा उपलब्ध करवाया गया था। इस शो में शोज टाॅपर अजिता झा और परिणिति थी। दीपिका, खुशी, धामी, दीप्ति आदि माॅडलों ने इस दौरान कैटवाक को आकर्षक बनाया। साथ ही भैरव पाण्डे की सुफी संगीत की प्रस्तुति ने समां बाध दिया। इस आयोजन में द इमेज स्टार पत्रिका ने मीडिया पार्टनर की भूमिका निभाई। कलष इन्टरप्राईजेज के बैनर तले हुए इस आयोजन के मुख्य सुत्रधार कुलदीप पंचाल थे। इस अवसर पर नकुल वर्मा, अंकुर और एस.पी. चैपड़ा भी उपस्थित थे।





पेटीएम शुरू करेगा स्वास्थ्य बीमा

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नई दिल्ली, मोबाइल भुगतान और वाणिज्य मंच, पेटीएम ने डिजिटल वोलेट के माध्यम से भुगतान स्वीकार करनेवाले ऑटो और टैक्सी ड्राइवरों के लिए एक रोमांचक योजना की घोषणा की है। कंपनी ने इन ड्राइवरों के लिए, टाटा एआईजी जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की कैशलेस स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी की व्यवस्था की है। यह चालक केवल तभी रोजी कमा सकते हैं, जब वे काम करते हैं, इसलिए इनके लिए स्वस्थ रहना आवश्यक है। हालांकि, व्यक्तियों के तौर पर, इनके लिए उनकी जरूरत और बजट के अनुसार एक उचित पॉलिसी खोजने मुश्किल होता है। स्वास्थ्य समस्याओं के लिए उन्हें गुणवत्तायुक्त निश्चित चिकित्सा देखभाल वहन करने में सक्षम बनाने के लिए, पेटीएम ने एक नई कैशलेस बीमा योजना बनाने के लिए टाटा-एआईजी के साथ काम किया है। उनकी मौजूदा स्वास्थ्य की स्थिति को भी शामिल किया गया है। इसके अलावा, आसान किश्तों में प्रीमियम भुगतान करना इसे किफायती बनाता है।  नई स्वास्थ्य बीमा योजना में 50,000 रुपये के अस्पताल के भर्ती खर्च को शामिल किया गया है। इस योजना को पेटीएम से किराया स्वीकार करने वाले ड्राइवरों के लिए बढ़ाया गया है। पेटीएम के उपाध्यक्ष कृष्णा हेगड़े ने कहा ‘ऑटो और टैक्सी ड्राइवर देश के मुख्य परिवहन व्यवस्था का सहारा हैं। भारत भर में 3 लाख से अधिक चालक अब पेटीएम से भुगतान का स्वीकार करते हैं और हम इसमें प्रत्येक महीने में तेजी देख रहे हैं। उन्हें बहुत जरूरी स्वास्थ्य बीमा पाने में मदद करके, हम उनकी सेवाओं को स्वीकार कर रहे हैं और हमारी साझेदारी को मजबूत बना रहे हैं। इस खंड में अन्य रूप से स्वास्थ्य बीमा पाने की सीमित क्षमता और प्रवृत्ति को देखते हुए, पेटीएम की  टाटा एआईजी जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के साथ स्वास्थ्य बीमा व्यवस्था देश भर में हजारों ड्राइवरों के लिए एक वरदान साबित होगा।




इंडियन सिने फिल्म फेस्टिवल समापन

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मुंमई में चैथा इंडियन सिने फिल्म फेस्टिवल का आयोजन रेजिडेंसी होटल हुआ। समारोह में देश विदेश की विभिन्न श्रेणीयों में बनी 350 फिल्मों को शामिल किया किया। जिसमें मुख्य फिल्म इतवार द संडे, ब्लू माउटेंस,चलो ना वाली,बुढी,अंतरीन.....थीं। फिल्म ‘ब्लू माउंटेन्स’ को ‘फिल्म स्पेशल मेंनसन’ अवार्ड से सम्मानित किया गया। यह अवार्ड फिल्म निर्माता व अभिनेता निर्माता राजेश कुमार जैन  ने प्राप्त किया। फिल्म के मुख्य कलाकार रणवीर शोरे , ग्रेसी सिंह, राजपाल यादव, सिमरन शर्मा,आरिफ जकारिया ,महेश ठाकुर,यथार्त रत्नम,वैभव हंसु,लीजा के अलावा मेहमान भूमिका में राजेश कुमार जैन है। फिल्म के निर्माता राजेश कुमार जैन  पुरस्कार पाने के बाद खासे उत्साहित नजर आये और बताया कि ‘ यह मेरे लिए सम्मान की बात है ।  हाल में हिसार में पहली बार आयोजित रैंकर्स लीग इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में फिल्म को अलग अलग तीन कटेगरी मे सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म,बेस्ट संपादक आसिफ अली शेख, सर्वश्रेष्ठ अभिनेता रोल के लिए राजपाल यादव में चुना गया। फिल्म हैदराबाद फेस्टिवल में फिल्म ‘ब्लू माउंटेन्स’ में पुरस्कृत हो चुकी हैं।  ‘ब्लू माउंटेन्स’ की कहानी एक बच्चे के गायक की संघर्ष को दिखाती है जो कि अपने माँ के सपनो को पूरा करता है। 
 राजेश जैन ने बताया कि ‘ढाई घंटे की यह फिल्म वर्तमान में बच्चे जरा सी नकामयाबी से निराश होकर आत्महत्या जैसा कदम उठाने का मजबूर हो जाते है ‘ब्लू माउंटेन्स के माध्यम से बच्चो का आत्मबल और मनोबल बढ़ने की कोशिश की है। अब निर्माता फिल्म के रीलिज की तैयारी में है।





ट्रम्प की अप्रवासी नीति से हूं असहमत: थेरेसा

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लंदन, 29 जनवरी, ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की कुछ मुस्लिम बहुल वाले देशों से अमेरिका में आने वाले शरणार्थियों और अप्रवासियों पर अस्थाई रोक संबंधी एक नीति को लागू करने पर अपनी असहमति जताई है। ब्रिटेन की सत्तारूढ़ कंजरवेटिव पार्टी के सदस्यों ने कल श्री ट्रम्प की इस नीति का विरोध नहीं करने के लिए सुश्री थेरेसा की आलोचना की थी। सुश्री थेरेसा के प्रवक्ता ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका की शरणार्थियों और अप्रवासियों से संबंधित नीति अमेरिकी सरकार का मामला है और इसी प्रकार इस मामले में ब्रिटेन की नीति भी ब्रिटिश सरकार से संबंधित मामला है। प्रवक्ता ने कहा ,“ लेकिन हम इस प्रकार की नीति से सहमत नहीं हैं।” उन्होंने इस नीति के कारण ब्रिटेन के नागरिकों पर पड़ने वाले प्रभाव का भी हवाला दिया। गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने कुछ मुस्लिम बहुल वाले देशों से अमेरिका में आने वाले शरणार्थियों और अप्रवासियों की संख्या सीमित करने संबंधी एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए थे। इस आदेश के तहत आतंकवादी हमलों से बचने का हवाला देते हुये सीरिया और छह अन्य मुस्लिम बहुल देशों से आ रहे शरणार्थियों को देश में प्रवेश करने पर चार महीने तक के लिए अस्थायी रोक लगा दी गयी है।




पश्चिमी उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की रैलियां

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नयी दिल्ली, 29 जनवरी, उत्तर प्रदेश में चुनावी घोषणा पत्र में हिन्दुत्व का एजेंडा सेट करने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने प्रथम एवं द्वितीय चरण के विधानसभा चुनाव के प्रचार अभियान में भगवाधारी योगी आदित्यनाथ को उतार दिया है। तीस जनवरी एवं एक फरवरी को योगी आदित्यनाथ करीब छह जिलों में सभायें करेंगे। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. चंद्र मोहन के अनुसार योगी आदित्यनाथ सोमवार को बुलंदशहर, धौलाना तथा गाज़ियाबाद की लोनी एवं साहिबाबाद सीट पर जनसभाओं को संबोधित करेंगे। वह एक फरवरी को शिकारपुर, मुज़फ्फरनगर और बागपत में रैलियां करेंगे। इन सीटों पर पहले चरण में 11 फरवरी को मतदान होना है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कल लखनऊ में चुनावी घोषणा पत्र जारी किया है जिसमें हिन्दुत्व के मुख्य मुद्दों को उठाया गया है और मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने के लिये तीन तलाक के मुद्दे पर उस समुदाय की महिलाओं की भावनाओं को सहलाने का प्रयास किया गया है। भाजपा ने राम मंदिर निर्माण के वादे के अलावा गोहत्या बंदी के लिये पशुओं के अवैध एवं यांत्रिक कत्लखानों को बंद करने को लेकर तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कैराना एवं अन्य स्थानों पर पलायन के खिलाफ कठोर रुख अपनाया है। भाजपा को योगी आदित्यनाथ के पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रचार अभियान से हिन्दू वोटों के ध्रुवीकरण को बल मिलने की उम्मीद है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस-समाजवादी पार्टी की तुलना में दलित राजनीति करने वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) भी कमोबेश मज़बूत स्थिति में है। कुछ इलाकों से जाटों में भी भाजपा से मोहभंग की खबरें आ रहीं हैं। ऐसे में भाजपा को हिन्दुत्व के एजेंडे पर ध्रुवीकरण की दरकार है। राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार योगी आदित्यनाथ की रैलियों में तीखे तेवर होंगे और पलायन के मुद्दे पर सपा की सरकार पर करारे प्रहार भी होंगे। भाजपा ने अपने घोषणापत्र में पलायन के लिये जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक को जिम्मेदार बनाने की बात कहीं है। दूसरे चरण के लिये 15 फरवरी को मतदान होना है। योगी आदित्यनाथ के साथ साध्वी उमा भारती भी फायरब्राण्ड प्रचार में उतरेंगी।




ट्रंप-पुतिन वार्ता में अाईएस के खिलाफ सहयोग पर चर्चा

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मास्को/ वाशिंगटन 29 जनवरी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आज टेलीफोन पर वार्ता कर सीरिया में आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेटे (आईएस) को हराने के लिये एक दूसरे का सहयाेग करने पर सहमति जतायी। श्री ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद दोनों नेताओं ने अपनी पहली वार्ता में सीरिया में आईएस के खिलाफ चालाये जा रहे अपने-अपने अभियान का पक्ष रखने के साथ इस बात पर सहमति जतायी की आईएस के खातमे के लिये दोनों देशों को साथ मिल कर अभियान चलाना चाहिये। रूस की सरकार की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि दोनों नेताओं के बीच इस बातचीत में दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को बहाल करने और संबंधों को स्थिर बनाने के महत्व पर बल दिया गया। इस बयान में यूक्रेन संघर्ष के बाद पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाये गये प्रतिबंध कोई उल्लेख नहीं है। व्हाइट हाउस से जारी बयान में कहा गया कि दोनों नेताआें के बीच लगभग एक घंटे तक वार्ता हुई जोकि दोनों देशाें के संबंधों में सुधार के लिए यह एक महत्वपूर्ण शुरुआत है। व्हाइट हाउस के मुताबिक, “ राष्ट्रपति ट्रम्प और राष्ट्रपति पुतिन को उम्मीद है कि आज के बातचीत के बाद दोनों पक्ष आतंकवाद और आपसी हित के अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों से निपटने के लिए तेजी से आगे बढ़ सकेंगे।




गुणवत्तापूर्ण बीज पर निर्भर है देश की खाद्य सुरक्षा: महापात्रा

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नयी दिल्ली 29 जनवरी, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक त्रिलोचन महापात्रा ने कहा है कि देश की खाद्य सुरक्षा बीज पर ही निर्भर है और भविष्य में भी यह बीज पर ही अाधारित रहेगी । डाॅ महापात्रा ने राष्ट्रीय बीज सम्मेलन और संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि बीज सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है कि गांव के स्तर पर ही किसान बीजों का उत्पादन करें और पंचायत स्तर पर ही इसका प्रसंस्करण हो । उन्होंने कहा कि आईसीएआर और राज्यों के कृषि विश्वविद्यालयों ने अब तक फसलों के 8000 किस्मों के बीजों का विकास किया है तथा धान , गेहूं , दलहनों एवं तिलहनों के 1000 किस्मों के बीजों से उत्पादन किया जा रहा है । गुणवत्तापूर्ण बीजों के उपयोग से फसलों का उत्पादन 15 से 20 प्रतिशत तक बढ़ने की चर्चा करते उन्होंने कहा कि इसके बावजूद किसान सालाना 40 प्रतिशत बीजों को ही बदलते हैं । सही समय पर और उचित मात्रा में बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित हो तो खाद्य सुरक्षा पर आंच नहीं आ सकती है । यदि इस व्यवस्था में त्रुटि आती है तो फसल उत्पादन प्रभावित होता है ।




श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग लगातार छठे दिन भी बंद

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श्रीनगर, 29 जनवरी, कश्मीर घाटी में भारी बर्फबारी और बड़े पैमाने पर हुए भूस्खलन के कारण घाटी को देश के शेष हिस्से से जोड़ने वाले 300 किलोमीटर लंबे श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग को आज लगातार छठे दिन भी बंद रखा गया। राजमार्ग पर विभिन्न स्थानों पर पिछले एक सप्ताह से सैकड़ों वाहन फंसे हुए हैं। फंसे हुए वाहनों में ज्यादातर ट्रक और तेल के टैंकर शामिल हैं। राजमार्ग के बंद होने के कारण कश्मीर घाटी में आवश्यक वस्तुओं की कमी हो रही है। हालांकि, घाटी में पिछले 24 घंटों के दौरान मौसम शुष्क बना रहा था लेेकिन इसी बीच राजमार्ग पर विभिन्न स्थानों पर भूस्खलन और हिमस्खलन जारी रहा। यातायात पुलिस के एक अधिकारी ने यूनीवार्ता को बताया कि शेर बीबी, डिगडोल, रामबान और रामसू में हुए भूस्खलन और हिमस्खलन के कारण राजमार्ग पर यातायात बाधित रहा। उन्होंने बताया कि भूस्खलन के कारण राजमार्ग पर एक पुल को भी नुकसान हुआ। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के एक अधिकारी ने बताया कि शैतान नल्लाह में सड़कों से बर्फ हटाने का कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। उन्होंने बताया कि काजीगुंड से बनिहाल तक बर्फ हटा ली गई है जिसके बाद एक ओर से सड़कों को खोल दिया गया है। अधिकारी ने बताया कि बीआरओ और विभिन्न स्थानों पर तैनात यातायात पुलिस अधिकारियों से अनुमति मिलने के बाद ही राजमार्ग पर आवाजाही की अनुमति दी जायेगी। राजमार्ग पर पहले फंसे हुए वाहनों को जाने की अनुमति दी जायेगी।




बजट सत्र : सरकार और विपक्ष फिर होंगे आमने- सामने

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नयी दिल्ली 29 जनवरी, पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले शुरू हो रहे संसद के बजट सत्र के सरकार और विपक्ष के बीच तनातनी के चलते हंगामेदार रहने की संभावना है। बजट सत्र का पहला चरण 31 जनवरी को संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति के अभिभाषण के साथ शुरू होगा। उसी दिन आर्थिक सर्वेक्षण प्रस्तुत किया जायेगा और एक फरवरी को आम बजट पेश होगा। इस बार बजट सत्र परंपरा से हटकर लगभग तीन सप्ताह पहले बुलाया गया है। सरकार ने यह दलील देते हुए बजट सत्र का समय बदला है कि बजट पारित होने में मई तक का समय लग जाता है और इस देरी के कारण बजट के कई प्रावधान वित्त वर्ष की शुरूआत से ही लागू नहीं हो पाते। कुछ प्रावधान तो सितम्बर में लागू होते हैं जिसके कारण परियोजनाओं और कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में देरी हाे जाती है। इसे देखते हुए इस बार बजट फरवरी के आखिर के बजाय एक तारीख को ही पेश कर दिया जायेगा ताकि इसे 31 मार्च से पहले पारित किया जा सके। विपक्ष बजट सत्र पहले बुलाये जाने का विरोध करता रहा है। कई दलों का कहना है कि बजट संबंधी विभिन्न आंकडे समय पर नहीं आ पायेंगे जिसके कारण अगले वित्त वर्ष का बजट जल्दी पारित कराना ठीक नहीं होगा। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव को देखते हुए भी विपक्षी दल बजट जल्दी पेश करने का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने इस संबंध मे चुनाव आयोग और राष्ट्रपति भवन का दरवाजा भी खटखटाया था। लेकिन आयोग ने सरकार को इस शर्त के साथ बजट पेश करने की मंजूरी दे दी है कि इसमें चुनाव वाले राज्यों के बारे में कोई लोकलुभावन घोषणा न की जाये। अब विपक्षी दल इस मुद्दे को संसद में जोर शोर से उठाने की तैयारी में हैं। इस बार का आम बजट इस दृष्टि से भी अलग होगा कि इसमें रेल बजट भी समाहित होगा। अब तक रेल बजट अलग से ही पेश किया जाता रहा है। संसद के इस सत्र के भी शीतकालीन सत्र की तरह हंगामेदार रहने की संभावना है। शीतकालीन सत्र नोटबंदी के मुद्दे को लेकर हंगामे की भेंट चढ गया था। विपक्ष नोटबंदी को लेकर उसके बाद भी सरकार को घेरता रहा है । उसका कहना है कि इसके कारण अर्थव्यवस्था में मंदी आ रही है। जहां लोगों को विभिन्न तरह के लेन देन में दिक्कत आ रही है वहीं उद्योग धंधों और छोटी इकाइयों के इससे प्रभावित होने के कारण लाखों लोग बेरोजगार हो गये हैं।




रोड शो के जरिये हवा का रूख अपनी ओर मोड़ने की कोशिश करेंगे राहुल-अखिलेश

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लखनऊ, 29 जनवरी, राजनीतिक दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और समाजवादी पार्टी अध्यक्ष तथा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आज रोड शो के जरिये राजनीतिक हवा का रूख अपनी ओर मोड़ने का प्रयास करेंगे। सार्वजनिक रूप से पहली बार एक मंच पर आ रहे दोनो नेता यहां एक पंचतारा होटल में संयुक्तरूप से संवाददाता सम्मेलन को सम्बोधित करने के बाद दो बजे से रोड शो शुरू करेंगे। लखनऊ के पॉश इलाके हजरतगंज में स्थित जीपीओ पार्क में महात्मागांधी की प्रतिमा पर माल्यापर्ण के बाद रोड शो की शुरूआत होगी। करीब 12 किलोमीटर के इस रोड शो में पुराने और नये लखनऊ दोनो इलाकों को समाहित किया गया है। रोड शो चौक में समाप्त होगा। वहां एक जनसभा भी होगी जिसे दोनाे नेता सम्बोधित करेंगे। रोड शो के रास्ते को छावनी में तब्दील कर दिया गया है। चप्पे-चप्पे पर पुलिस के जवान तैनात हैं। रास्ते में पड़ने वाले भवनों की छतों पर भी सुरक्षाकर्मी तैनात किये गये हैं। सड़क के दोनो किनारों पर रोड शो देखने आने वाली जनता पर भी सुरक्षाकर्मी नजर रखेंगे। चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस और सपा में हुये गठबन्धन के बाद दोनो नेताओं का सार्वजनिक रूप से यह पहला कार्यक्रम है। गठबन्धन को सफल बनाने के लिए राहुल और अखिलेश की फोटो के साथ ही अखबारों के पहले पन्ने पर फिल्मी गाने “ बेबी को बेस पसन्द है” की तर्ज पर “यूपी को ये साथ पसन्द है” नारे लिखे विज्ञापन छापे गये हैं। रोड शो की सफलता के लिये कांग्रेसी और समाजवादी पार्टी (सपा) नेताओं ने जी-तोड़ मेहनत की है। इनका कहना है कि इससे गठबन्धन को और बल मिलेगा तथा दोनो पार्टियों के कार्यकर्ता संयुक्तरूप से काम करने के लिए उत्साहित होकर एकजुट हो सकेंगे





गणतंत्र दिवस सेना आैर शहीदों के प्रति आदर भाव प्रकट करने का अवसर : मोदी

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नयी दिल्ली,29 जनवरी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि गणतंत्र दिवस केवल देश में लोकतंत्र की स्थापना का उत्सव ही नहीं बल्कि देश की सेना और सुरक्षा बलों के प्रति आदर भाव प्रकट करने का अवसर भी है। आकाशवाणी पर प्रसारित मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ में गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर, विभिन्न वीरता पुरस्कारों से सम्मानित जवानों और शहीदों का स्मरण करते हुए श्री मोदी ने देशवासियों से आह्वान किया कि 30 जनवरी को राष्ट्रपति महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के अवसर पर सभी लोग सुबह 11 बजे, 2 मिनट का मौन रखकर देश के लिए प्राण न्योैछावर करने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि दें। उन्होंने सोशल मीडिया में अक्सर विभिन विषयों पर लिखने वाले देश के नौजवानों से अपील करते हुए कहा कि वे इस बार, जिन-जिन वीरों को सम्मान मिला है उनके संबंध में जानकारी जुटाएं । दो अच्छे शब्द लिखें और अपने साथियों तक उसे पहुंचाएं।’ऐसा करने से ज्यादा से ज्यादा लाेगों तक जवानों के साहस , उनकी वीरता और पराक्रम की बात पहुंचेगी । ये बातें गहराई से समझी जाएगीं। उस पर गर्व होगा और प्रेरणा भी मिलेगी। प्रधानमंत्री ने 26 जनवरी को कश्मीर में बर्फीले तूफान की चपेट में आकर जान गंवाने वाले जवानों के प्रति समवदेना व्यक्त करते हुए कहा,“एक तरफ़ हम सब 26 जनवरी की उमंग और उत्साह की ख़बरों से आनंदित थे, तो उसी समय कश्मीर में हमारे जो सेना के जवान देश की रक्षा में डटे हुए थे, वे हिमस्खलन के कारण वीर-गति को प्राप्त हुए। मैं इन सभी वीर जवानों को आदरपूर्वक श्रद्धांजलि देता हूँ, नमन करता हूँ।” श्री मोदी ने एक फरवरी को तटरक्षक बल के 40 वर्ष पूरे होने के अवसर पर तटरक्षक बल की सेवाओं के लिए उन्हें बधाई दी और कहा कि तटरक्षक बल के अधिकारियों एवं जवानों को राष्ट्र के प्रति उनकी सेवा के लिये वे धन्यवाद देते हैं। उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात है कि तटरक्षक बल देश में निर्मित अपने सभी 126 पोतों और 62 विमान के साथ विश्व के 4 सबसे बड़े तटरक्षक बल के बीच अपना स्थान बनाए हुए है। ‘वयम् रक्षामः’ के आदर्श वाक्य को चरितार्थ करते हुए, देश की समुद्री सीमाओं और समुद्री परिवेश को सुरक्षित करने के लिये बल के जवान प्रतिकूल परिस्थितियों में भी दिन-रात तत्पर रहते हैं। उन्होंने इस मौके पर तटरक्षक बल में काम करने वाली महिलाओं का विशेष जिक्र किया और कहा कि बहुत कम लोगों को मालूम है कि इस बल में महिलाएं भी शामिल हैं जो पुरुषो के साथ कंधे से कंधा मिलाकर समान रूप से अपनी जिम्मेदारी निभा रही हैं।




प्रधानमंत्री का ‘स्माइल मोर, स्कोर मोर’ का मंत्र

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नयी दिल्ली, 29 जनवरी, परीक्षा का जीवन की सफलता-असफलता से कोई लेना देना नहीं होने को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा देने वाले छात्रों को तनाव मुक्त रहने की सलाह दी और उन्हें ‘स्माइल मोर, स्कोर मोर’ का मंत्र देने के साथ ही अभिभावकों से परिवार में उत्सव जैसा माहौल बनाने को कहा । ‘आकाशवाणी’ पर प्रसारित ‘मन की बात’ कार्यक्रम में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मेरा सभी से आग्रह है कि पूरा परिवार एक टीम के रूप में इस उत्सव को सफल करने के लिए अपनी-अपनी भूमिका उत्साह से निभाए। देखिए, देखते ही देखते बदलाव आ जाएगा।’’ मोदी ने कहा, ‘‘इसलिए मैं तो आपसे कहूंगा ‘‘स्माइल मोर, स्कोर मोर’’ जितनी ज्यादा खुशी से इस समय को बिताओगे, उतने ही ज्यादा नंबर पाओगे, करके देखिए। और आपने देखा होगा कि जब आप खुश होते हैं, मुस्कुराते हैं, उतना आप ज्यादा सहज अपने आप को पाते हैं ।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि परीक्षा अपने-आप में एक खुशी का अवसर होना चाहिये । साल भर मेहनत की है, अब बताने का अवसर आया है, ऐसे में यह उमंग और उत्साह का पर्व होना चाहिए। बहुत कम लोग हैं, जिनके लिए परीक्षा में प्रसन्नता का मौका होता है, ज्यादातर लोगों के लिए परीक्षा एक दबाव होती है। निर्णय आपको करना है कि इसे आप खुशी का मौका मानेंगे या दबाव मानेंगे। जो खुशी का मौका मानेगा, वो पायेगा और जो दबाव मानेगा, वो पछताएगा। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘और इसलिये मेरा मत है कि परीक्षा एक उत्सव है, परीक्षा को ऐसे लीजिए, जैसे मानो त्योहार है और जब त्योहार होता है, जब उत्सव होता है, तो हमारे भीतर जो सबसे खूबसूरत होता है, वही बाहर निकल कर आता है। समाज की भी ताकत की अनुभूति उत्सव के समय होती है। जो उत्तम से उत्तम है, वो प्रकट होता है।




बॉलीवुड में होता है पक्षपात : हुमा कुरैशी

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मुंबई, 29 जनवरी , अभिनेत्री हुमा कुरैशी ने कहा है कि वह हमेशा बॉलीवुड में ‘बड़े व्यक्ति’ से सलाह लेने की जरूरत महसूस करती हंै। अभिनेत्री का कहना है कि अगर वह यह कहेंगी कि बॉलीवुड में पक्षपात नहीं होता है तो यह झूठ होगा लेकिन इंडस्ट्री के लोग काफी मेहनती हैं। हुमा ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘सच्चाई यह है कि यहां भाई-भतीजावाद चलता है। अगर कोई कहे कि यहां ऐसा नहीं है तो वह झूठ बोलेगा।’’ अभिनेत्री ने कहा, ‘‘इंडस्ट्री के लोग बहुत मेहनती हैं और अपने काम को लेकर जुनूनी हैं और आपको उनके काम का क्रेडिट कठिन मेहनत और क्षमता को देना होगा लेकिन इंडस्ट्री से होना काम को आसान जरूर बना देता है।’’ हुमा ने कहा कि उनके इंडस्ट्री के दोस्तों की तरह उनके पास बॉलीवुड का सार जानने का लाभ नहीं है। अभिनेत्री ने कहा, ‘‘कई बार मैं नहीं जानती हूं कि अपने करियर को किस दिशा में ले जाउं, कौन सी फिल्म करूं और ऐसे समय में एक बड़े व्यक्ति की जरूरत पड़ती है जो योजना में मदद करे। इंडस्ट्री के लोगों को यही लाभ मिलता है। हुमा आने वाली फिल्म ‘जॉली एलएलबी 2’’ में अक्षय कुमार के साथ दिखेंगी। यह फिल्म 10 फरवरी को रिलीज होगी।





महात्मा गांधी पुण्यतिथि : गांधी का पुनर्जन्म हो

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महात्मा गांधी बीसवीं शताब्दी में दुनिया के सबसे सशक्त, बड़े एवं प्रभावी नेता के रूप में उभरे, वे बापू एवं राष्ट्रपिता के रूप में लोकप्रिय हुए, वे पूरी दुनिया में अहिंसा, शांति, करूणा, सत्य, ईमानदारी एवं साम्प्रदायिक सौहार्द के सफल प्रयोक्ता के रूप में याद किये जाते हैं। वे एक रचनात्मक व्यक्तित्व थे जिन्होंने अपने ही मूल्यों के बल पर देश को आजादी दिलाई, नैतिक एवं स्वस्थ मूल्यों को स्थापित किया। उनके द्वारा निरुपित सिद्धान्त आज की दुनिया की चुनौतियों एवं समस्याओं के समाधान के सबसे सशक्त माध्यम है। लेकिन वक्त की विडम्बना देखिये कि गांधी को हम बार-बार कटघरे में खड़ा करतेे हैं और उनकी छवि को धुंधलाने की कोशिश में कोई कमी नहीं छोड़ते। जो मानसिकता गोली मार सकती है, वह गाली दे तो क्या आश्चर्य? पर महात्मा गांधी भारत के अकेले ऐसे महापुरुष हैं जिन्हंे कोई गोली या गाली नहीं मार सकती। 

गांधी के निर्वाण दिवस पर उनकी पावन स्मृति के साथ-साथ जरूरी है कि हम उन्हें पुनर्जीवित करें। क्योंकि गांधी का पुनर्जन्म ही समस्याओं के धुंधलकों से हमें बाहर कर सकता है। क्योंकि गांधी के सिद्धान्तों एवं उनके जीवन दर्शन में यह सामथ्र्य है। ऐसा इसलिये है कि गांधी की राजनीति व धर्म का आधार सत्ता नहीं, सेवा था। जनता को भयमुक्त व वास्तविक आजादी दिलाना उनका लक्ष्य था। वे सम्पूर्ण मानवता की अमर धरोहर हैं। दलितों के उद्धार और उनकी प्रतिष्ठा के लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन लगा दिया था। उनके जीवन की विशेषता कथनी और करनी में अंतर नहीं होना था। ये आज के ”नव मनु“ बड़ी लकीर नहीं खींच सकते। वे दूसरी को काटकर झूठी हुंकार भरते हैं। पिछले कई दिनों से हमारे नेता उनके राष्ट्रपिता होने के औचित्य पर सवाल उठा रहे हैं। कुछ उनके जीवन दर्शन व उनकी कार्य-पद्धतियांे पर कीचड़ उछाल रहे हैं और उन्हें गालियां देकर स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। कभी कोई कहता हैं कि गांधी को राष्ट्रपिता नहीं कहा जाना चाहिए। राष्ट्र का कोई पिता नहीं हो सकता। कभी कोई कहता है कि दलितों को गांधीजी ने हरिजन कहकर अन्याय किया है। वे दलितों के दुश्मन थे। उन्होंने अपने आपको हरिजन क्यों नहीं कहा? 

जबकि ऐसा कहने वाले नहीं जानते कि गांधीजी अपने आपको शूद्र और हरिजन ही नहीं भंगी कहने में भी गौरव करते थे। इस तरह के भ्रामक कथन कहने वाले  तथाकथित राजनेता राजनीति कर सकते हैं और उसके लिए वे किसी भी सीमा तक जा सकते हैं। उनका लक्ष्य ”वोट“ है। सस्ती लोकप्रियता है। कभी ठाकरे ने भी गांधी पर आरोप लगाया कि उन्होंने अहिंसा की नीति चलाकर हिन्दुओं को नपंुसक बनाने का कार्य किया हैं। इस मायने में तो बुद्ध, महावीर, नानक, कबीर, मीरा ने अहिंसा, दया, शांति, करुणा का उपदेश दिया, वे सभी वर्ग-विशेष के अहितकारी हुए? गांधी किसी राजनेता के प्रमाणपत्र का मोहताज नहीं है।

गांधी को कितने सालों से कटघरे में खड़ा किया जा रहा है। जीते जी और मरने के बाद गांधी ने कम गालियां नहीं खाईं। गोडसे ने गोली से उनके शरीर को मारा पर आज तो उनके विचारों को बार-बार मारा जा रहा है। महात्मा के शिष्यों ने, संत के अनुयायियों ने और गांधी की पार्टी वालों ने उनको बार-बार बेचा है, उनसे कमाया है, उनके नाम से वोट मांगे हैं, सत्ता प्राप्त की है, सुबह-शाम धोखा दिया है और उनकी चादर से अपने दाग छिपाये हैं। यह एक निरन्तर चलने वाला त्रासद क्रम है, अंतिम नहीं है। यह चलता रहेगा। चलना चाहिए भी? कभी-कभी प्रशंसा नहीं गालियां गांधी को ज्यादा पूजनीय बनाती हैं। आज के माहौल में जैसे बद्धिमानी एक ”वैल्यू“ है, वैसे बेवकूफी भी एक ”वैल्यू“ है और मूल्यहीनता के दौर में यह मूल्य काफी प्रचलित है। आज के माहौल में यह ”वैल्यू“ ज्यादा फायदेमंद है। लेकिन अपने फायदे के लिये किसी सिद्धान्त या व्यक्ति कीे बार-बार हत्या का सिलसिला बन्द होना चाहिए। 





सचमुच आज विश्व को गाँधीजी के जीवन-मूल्यों की ज्यादा आवश्यकता है । आज धार्मिक कट्टरता बढ़ रही है। कुछ लोग जेहाद के नाम पर घृणित कृत्यों को अंजाम दे रहे हैं। कहीं दंगे हो रहे हैं तो कहीं महिलाओं और बच्चों के साथ अत्याचार की घटनाएँ हो रही हैं। धर्म और संप्रदाय के नाम पर समाज में विष घोला जा रहा है। दुनिया में शस्त्रों की होड़ चल रही है। आतंकवाद जीवन का अनिवार्य सत्य बन गया है। ऐसे में गाँधी बहुत याद आते हैं। इनके विचारों को फैलाकर ही दुनिया में शांति लाई जा सकती है।

आमतौर पर जन्मदिन या निर्वाण दिवस के दिन आस्था के फूल अर्पित करने की परंपरा है। इस दिन कड़वी बातों को कहने का रिवाज नहीं है। यदि इस रिवाज को तोड़ा जा रहा है, तो मजबूरी के दबाव को समझे जाने की आवश्यकता है। यह देश और उनकी जागरूक जनता नेताओं को महात्मा गांधी के सिद्धांतों पर कीचड़ उछालने की अनुमति कैसे दे रही है, क्यों दे रही है? यह कैसी सहिष्णुता है जो राष्ट्र की बुनियादी विचारधारा को मटियामेट करने पर आमादा है? 

कहते हैं कि जो राष्ट्र अपने चरित्र की रक्षा करने में सक्षम नहीं है, उसकी रक्षा कोई नहीं कर सकता है। क्या परमाणु बम भारतीयता की रक्षा कर पाएगा? दरअसल, यह भुला दिया गया है कि पहले विश्वास बनता है, फिर श्रद्धा कायम होती है। किसी ने अपनी जय-जयकार करवाने के लिए क्रम उलट दिया और उल्टी परंपरा बन गई। अब विश्वास हो या नहीं हो, श्रद्धा का प्रदर्शन जोर-शोर से किया जाता है। गांधीजी भी श्रद्धा के इसी प्रदर्शन के शिकार हुए हैं। उनके सिद्धांतों में किसी को विश्वास रहा है या नहीं, इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता। जयंती और पुण्यतिथि पर उनकी कसमें खाकर वाहवाही जरूर लूटी जा रही है। गांधीजी के विचार बेचने की एक वस्तु बनकर रह गए हैं। वे छपे शब्दों से अधिक कुछ नहीं हैं। 

इसलिए ही गांधीजी की जरूरत आज पहले से कहीं अधिक है। इस जरूरत को पूरा करने की सामथ्र्य वाला व्यक्तित्व दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहा है। हर कोई चाहता है कि आदर्श और मूल्य इतिहास में बने रहें और इतिहास को वह पूजता भी रहेगा। परंतु अपने वर्तमान को वह इस इतिहास से बचाकर रखना चाहता है। अपने लालच की रक्षा में वह गांधी की रोज हत्या कर रहा है, पल-पल उन्हें मार रहा है और राष्ट्र भीड़ की तरह तमाशबीन बनकर चुपचाप उसे देख रहा है। 

पुण्यतिथि है। गांधी जयंती गुजर चुकी है। गांधी प्रतिमाओं और उनकी तस्वीरों को पिछली पुण्यतिथि के बाद धोने-पोंछने का यह पहला अवसर आया है। प्रत्येक वर्ष ऐसा ही होता है, पुण्यतिथि और जयंती के बीच की अवधि में गांधीजी के साथ कोई नहीं होता है। कड़वी बात तो यह है कि बचे-खुचे गांधीवादी भी नहीं। वे गांधीजी का साथ दे भी नहीं सकते हैं क्योंकि जरूरतों और परिस्थितियों ने उन्हें भी सिखा दिया है कि गांधी बनने से केवल प्रताड़ना मिल सकती है, संपदा, संपत्ति नहीं। वैचारिक धरातल में यह खोखलापन एक दिन या एक माह या एक वर्ष में नहीं आ गया। जान-बूझकर धीरे-धीरे और योजनाबद्ध ढंग से गांधी सिद्धांतों को मिटाया जा रहा है क्योंकि यह मौजूदा स्वार्थों में सबसे बड़े बाधक है। 

गांधीजी की प्रतिमा के सामने आंख मूंदकर कुछ क्षण खड़े रहकर अपने आपको बड़ा राजनीतिज्ञ बताने वाले यह कहने का साहस करेंगे कि वे गांधीजी के बताए रास्तों पर क्यों नहीं चल रहे हैं? नहीं, वे यह कतई नहीं बतायेंगे। भले ही हमारे ही लोग गांधी को कमतर आंक रहे हो, पर वे ही दुनिया में शांति की स्थापना के माध्यम बनेेंगे। क्योंकि वे केवल भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के पितामह ही नहीं थे अपितु उन्होंने विश्व के कई देशों को स्वतंत्रता की राह दिखाई। वे चाहते थे कि भारत केवल एशिया और अफ्रीका का ही नहीं अपितु सारे विश्व की मुक्ति का नेतृत्व करें। उनका कहना था कि ‘एक दिन आयेगा, जब शांति की खोज में विश्व के सभी देश भारत की ओर अपना रूख करेंगे और विश्व को शांति की राह दिखाने के कारण भारत विश्व का प्रकाश बनेगा।’ हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों से ऐसा होता हुआ दिख रहा है, न केवल गांधी का पुनर्जन्म हो रहा है, बल्कि समूची दुनिया शांति और सह-अस्तित्व के लिये भारत की ओर आशाभरी निगाहों से निहार रही है। 





(ललित गर्ग)
ई-253, सरस्वती कुंज अपार्टमेंट
25, आई0पी0 एक्सटेंशन, पटपड़गंज, दिल्ली-92
फोन: 22727486 मोबाईल: 9811051133

मनोज बाजपेयी फिल्म ‘सरकार 3’ में अहम् किरदार निभाते नजर आएंगेे

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राम गोपाल वर्मा की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘सरकार -3’ में काम कर रहे जाने-माने अभिनेता मनोज बाजपेयी का कहना है कि ‘इस फिल्म में उनकी भूमिका भले ही छोटी है, लेकिन महत्वपूर्ण है। राम गोपाल वर्मा के साथ सत्या,कौन और रोड जैसी फिल्मों में काम कर चुके मनोज ने कहा, ‘राम गोपाल वर्मा के साथ मेरा जुड़ाव पुराना है, इसलिए जब उन्होंने मुझे गोविंद देशपांडे की भूमिका निभाने का प्रस्ताव दिया तो मैं तुरंत तैयार हो गया।’ फिल्म में मनोज का किरदार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से प्रेरित है। ‘सरकार’ श्रृंखला की तीसरी फिल्म में अमिताभ बच्चन सुभाष नागर के किरदार में नजर आएंगे।फिल्म में यामी गौतम, रोहिणी हट्टंगड़ी, जैकी श्रॉफ, रोनित रॉय और भरत दाभोलकर भी हैं। मनोज बाजपेई ने कहा कि ‘अमित जी के साथ काम करने के लिए एक सम्मान की बात है और मैं आभारी हूँ उसके साथ स्क्रीन अंतरिक्ष साझा करने के लिए। मेरे लिए वैसे भी हर फिल्म अपने आप को चुनौती की तरह है और सरकार 3 मेरे लिए एक अच्छा अनुभव था, जबकि फिल्म की शूटिंग, के दौरान बहुत कुछ सीखने को मौका मिला।   बाजपेयी की लघु फिल्म आउच को पिछले दिनों सुर्खियों में रही। उन्होंने कहा कि फिल्मों के प्रति दीवानगी के कारण वह बिना मेहनताना लिए लघु फिल्में भी करते हैं।




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