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समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति का विकास वास्तविक विकास : नीतीश

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सीवान 31 जनवरी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के विकास की प्रतिबद्धता दुहराते हुए आज कहा कि उनकी सरकार के लिए समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति का विकास ही सही मायने में विकास है। श्री कुमार ने निश्चय यात्रा के क्रम में सीवान जिले के निजामपुर गांव में सात निश्चय के अन्तर्गत चलाये जा रहे योजनाओं में हर धर नल का जल, खुले में शौच से मुक्त, पक्की गली-नाली एवं हर घर बिजली का निरीक्षण किया। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर आयोजित एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी सरकार ने सात निश्चय को जमीन पर उतारने के लिये अनेक योजनाओं का सूत्रण किया है। इन योजनाओं को विकेन्द्रित कर लागू किया जा रहा है। अब इन योजनाओं के क्रियान्वयन में पंचायतों और वार्डों की भूमिका महत्वपूर्ण है। वार्ड स्तर पर वार्ड विकास समिति का गठन किया गया है। साथ ही निरंतर अनुश्रवण के लिये बिहार विकास मिशन का भी गठन किया गया है। श्री कुमार ने कहा कि जन सहयोग से अगले चार सालों में निर्धारित लक्ष्य को पूरा करते हुये हर घर को नल का जल उपलब्ध करा दिया जायेगा। खुले में शौच से मुक्ति के लिए हर घर में शौचालय का निर्माण अनिवार्य है, इससे 90 प्रतिशत बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है। अगले दो सालों में प्रत्येक घरों को बिजली उपलब्ध करा दी जायेगी। इसी तरह प्रत्येक गली-मुहल्ले में गंदगी और कीचड़ से निजात पाने के लिये प्रत्येक गली और नाली का पक्कीकरण किया जा रहा है। उन्होंने अन्य तीन निश्चयों महिलाओं को सरकारी सेवाओं में 35 फीसदी आरक्षण, युवाओं के लिये कुशल युवा कार्यक्रम, स्वयं सहायता भता, स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड येाजना की भी जानकारी दी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि युवाओं के कौशल विकास के लिए राज्य के हर प्रखण्ड में कौशल विकास केन्द्र खोला गया है, जो युवाओं को कम्प्यूटर ज्ञान एवं व्यवहार कुशलता की दिशा में उन्मूख करेगा। बिहार पहला राज्य होगा जहां हर घर में बिजली, शौचालय तथा हर गली-नाली पक्का होगा। विकास का अर्थ है कि घर-घर में विकास का अलख जगाना है और न्याय के साथ विकास करना है। समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति का विकास ही सही मायने में विकास है। श्री कुमार ने शराबबंदी की चर्चा करते हुए कहा कि शराबबंदी के बाद प्रत्येक घर में खुशहाली का वातावरण है। नशामुक्ति के समर्थन में बिहार की जनता एकजुट है। विशाल मानव श्रृंखला का निर्माण कर बिहार ने गौरवशाली इतिहास रचा है। उन्होंने लोगों से नशामुक्ति के साथ-साथ आपसी प्रेम, भाईचारा और सद्भाव की बात करते हुये एकता और साम्प्रदायिक सौहार्द्र बनाये रखने की अपील की। इस मौके पर राज्य के मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, पुलिस महानिदेशक पी0के0 ठाकुर, विभिन्न विभागों के प्रधान सचिव समेत अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। 





चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों से चालू खाता खोलने को कहा

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नयी दिल्ली, 31 जनवरी, चालू खातों से नकद निकासी पर लगे प्रतिबंधों को हटाने के रिजर्व बैंक के फैसले के एक दिन बाद आज चुनाव आयोग ने पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के प्रत्याशियों को चालू खाता खुलवाने को कहा ताकि वे अपनी चुनावी खर्च की जरूरतों को पूरा कर सकें। निर्वाचन आयोग ने आज गोवा, पंजाब, मणिपुर, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को पत्र लिखकर कहा है कि वे जिला निर्वाचन अधिकारियों को प्रत्याशियों के चालू खाते खोलने में मदद के निर्देश दें। इन खातों से उम्मीदवारों की चुनावी खर्चों संबंधी जरूरतें पूरी होंगी। रिजर्व बैंक ने व्यापारियों और छोटे कारोबारियों को बड़ी राहत देते हुये चालू खातों से नकद निकासी की साप्ताहिक सीमा समाप्त कर दी है। साथ ही आम लोगों की सुविधा के लिए एटीएम से निकासी की सीमा भी 01 फरवरी से समाप्त हो जायेगी। हालाँकि, बचत खातों से निकासी की 24 हजार रुपये साप्ताहिक की सीमा अभी बरकरार रखी गयी है।




साध्वी के षड्यंत्र संबंधी बैठकों में शामिल होने से जुड़ी रिकॉर्डिंग के मौजूदगी की जानकारी नहीं :एनआईए

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मुंबई, 31 जनवरी, मालेगांव में 2008 में हुए बम विस्फोट मामले में आज उस वक्त एक नया मोड़ आया जब एनआईए ने बंबई उच्च न्यायालय से कहा कि भोपाल में षड्यंत्र रचने के लिए हुई बैठक की कोई रिकॉर्डिंग या दस्तावेज मौजूद है, इसकी उसे कोई जानकारी नहीं है। इस बैठक में मामले की मुख्य आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर भी कथित रूप से शामिल हुई थी। गौरतलब है कि महाराष्ट्र एटीएस ने इस तरह की रिकॉर्डिग उपलब्ध होने का दावा किया था। पहले मामले की जांच कर रही महाराष्ट्र एटीएस ने अपने आरोपत्र में कहा है कि ठाकुर ने दक्षिणपंथी समूह अभिनव भारत की ओर से भोपाल, इंदौर, फरीदाबाद, धरमकोट और उज्जैन में षड्यंत्र के लिए आयोजित विभिन्न बैठकों में हिस्सा लिया था। उन्होंने कहा कि उसने दावा किया है कि एक महत्वपूर्ण गवाह ने 11 अप्रैल, 2008 को भोपाल में बंद कमरे में आयोजित बैठक में ठाकुर को षड्यंत्र पर विचार करते सुना है। एटीएस ने दावा किया था कि यह पहली बैठक थी जिसमें ठाकुर शामिल हुई थी। ठाकुर की जमानत याचिका पर आज सुनवायी कर रही न्यायमूर्ति आरवी मोरे की खंडपीठ को विस्फोट पीड़ितों की ओर से पेश हुए वकील बीए देसाई ने बैठकों के संबंध में सूचना दी। जब अदालत ने एनआईए से पूछा कि क्या भोपाल बैठक की रिकॉडिंग का शब्दश: दस्तावेज मौजूद है, एजेंसी ने कहा उसे इसकी मौजूदगी की कोई जानकारी नहीं है।




झाबुआ (मध्यप्रदेश) की खबर 31 जनवरी)

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जनसुनवाई में प्रभारी कलेक्टर श्री अनुराग चैधरी ने लिये आवेदन

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झाबुआ । आज 31 जनवरी को शासन के निर्देशानुसार जनसुनवाई कार्यक्रम आयोजित किया गया। जनसुनवाई में आवेदन प्रभारी कलेक्टर श्री अनुराग चैधरी ने लिये। आवेदको से आवदेन प्राप्त कर संबधित कार्यालय प्रमुखो को निराकरण के लिये आवश्यक निर्देश दिये गये। जनसुनवाई में श्रीमती गीता पति भारत खपेड निवासी कल्याणपुरा तहसील झाबुआ ने प्रधानमंत्री आवास योजनांतर्गत आवास स्वीकृत करवाने के लिए आवेदन दिया । श्रीमती नानकी पति हीरा मचार एवं हजली पति खीमा निवासी मलवान तहसील झाबुआ ने पेंशन स्वीकृत करवाने के लिए आवेदन दिया । तेनु पिता बहादर  निवासी ग्राम बेहडवी ब्लाक रामा ने हेण्डपम्प खनन करवाने के लिए आवेदन दिए । कालू पिता लिमजी निवासी नवागाव तहसील झाबुआ ने पिता की मृत्यु के बाद बैंक से जन धन योजना अंतर्गत बीमा राशि का भुगतान करवाने के लिए आवेदन दिया । विनोद परमार निवासी ग्राम पारा तहसील झाबुआ ने प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत आवास स्वीकृत करवाने के लिए आवेदन दिया । कल्याणपुरा के ग्रामीणो ने सामुदायिक भवन सी,सी,रोड एवं नवीन नल जल कनेक्शन करवाने के लिए आवेदन दिया एवं कल्याणपुरा के वार्ड क्र, 15एवं 16 के ग्रामीणो ने प्रधानमंत्री आवास योजना में आवास स्वीकृत करवाने के लिए आवेदन दिया । श्रीमती सवली पति मगेन्द्र निवासी मौलाना आजाद मार्ग झाबुआ ने प्रसुति सहायता योजना का लाभ दिलवाने के लिए आवेदन दिया । ग्राम पंचायत मोहकमपुरा के सरपंच एवं ग्रामीणो  ने वन विभाग की जमीन में सुदूर सडक योजनांतर्गत सड़क निर्माण करने की अनुमति के लिए आवेदन दिया । ग्राम सूरीनाला ब्लाक रामा के नवड फलिया के ग्रामीणो ने शैाचालय निर्माण के बाद प्रोत्साहन राशि का भुगतान करवाने के लिए आवेदन दिया ।

मुख्यमंत्री की घोषणा पर कार्यवाही प्राथमिकता से करें, समयावधि पत्रो की समीक्षा बैठक संपन्न

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झाबुआ । समयावधि पत्रो की समीक्षा बैठक आज कलेक्टर कार्यालय के सभाकक्ष में संपन्न हुई । बैठक की अध्यक्षता प्रभारी कलेक्टर श्री अनुराग चैधरी ने की। बैठक में विभागवार मुख्यमंत्री घोषणा, सी,एम, हेल्पलाइन, जनसुनवाई ,जनशिकायत ,समयावधि पत्रो की समीक्षा की गई एवं आवश्यक निर्देश दिये गये। बैठक में मुख्यमंत्री घोषणा पर हुई कार्यवाही की समीक्षा के दौरान प्रभारी कलेक्टर श्री चैधरी ने सभी कार्यालय प्रमुखो को निर्देशित किया कि घोषणा संबंधी कार्यो की प्रगति आनलाईन पोर्टल पर दर्ज करे एवं घोषणा संबंधी कार्यो को जल्द से जल्द पूर्ण करवाये। सी,एम, हेल्पलाइन के लिए पदाभित अधिकारी पोर्टल को स्वयं खोले एवं शिकायतकार्ता से चर्चा कर प्रकरण में कार्यवाही कर एल-1 स्तर परही शिकायतकार्ता की संतुष्टि के साथ प्रकरण के निराकरणकी स्थिति पोर्टल पर दर्ज करें। कार्यालय प्रमुख को यदि पोर्टल खोलना नही आयेगा, तो अगली बार से 1 हजार रूपये का अर्थदण्ड आरोपित किया जाएगा। टी,एल, के प्रकरणो की स्थिति की जानकारी भी पोर्टल पर अपडेट करे। बैठक में अधिकारियों ने पोर्टल खोलकर निराकरण की स्थिति से अवगत कराया। वाणिज्यकर अधिकारी एवं परियोजना अधिकारी उर्जा विकास निगम विभाग के अधिकारी टी,एल, में उपस्थ्ति नही होते है। इसके लिए संबंधित विभागो के प्रमुख सचिवो को अवगत कराने के निर्देश दिये गये। फर्जी चिकित्सको पर कार्यवाही करने के लिए सभी एसडीएम को बैठक में प्रभारी कलेक्टर श्री चैधरी ने निर्देशित किया। बसंत पंचमी के अवसर पर बाल विवाह रोकने के लिए एसडीएम एवं महिला बाल विकास विभाग के दल मिलकर ग्रामीणजनो को समझाईश दे।

जनवरी माह में सेवानिवृत हुए शासकीय, सेवको को समारोह पूर्वक दी गई विदाई

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झाबुआ । जिले में पेंषन प्रकरणो के त्वरित निराकरण के लिए कलेक्टर ने षासकीय सेवा से सेवानिवृत होने वाले षासकीय सेवको को समारोह पूर्वक समस्त भुगतानो को करने का निर्णय लिया एवं कलेक्टर के मार्गदर्षन मे जनवरी 2017 में सेवानिवृत्त हुए जिले के  षासकीय सेवको को समस्त स्वत्वों का भुगतान समारोह आयोजित कर किया गया।

सेवानिवृत्त षासकीय सेवको को सम्मानित किया गया
आज कलेक्टर सभा कक्ष में सेवानिवृत्त हुए षासकीय सेवको को प्रभारी कलेक्टर श्री अनुराग चैधरी ने साल श्रीफल एवं पुष्पमाला पहनाकर सम्मानित किया। सम्मान समारोह कलेक्टर कार्यालय के सभाकक्ष में आयोजित किया गया। सम्मान समारोह में सभी षासकीय सेवको को स्वत्वों के भुगतान संबंधी आदेष दिये गये। इस अवसर पर जिला पेंषन अधिकारी श्री बलराम चैहान, पेंषनर्स एसोसिएषन के सदस्य एवं सेवानिवृत्त होने वाले षासकीय सेवक उपस्थित थे। समारोह का आयोजन जिला प्रषासन द्वारा किया गया। समारोह में अधिकारियों एवं सेवानिवृत्त हो रहे षासकीय सेवको ने अपने अनुभव बाॅटे। आभार प्रदर्शन जिला पेंशन अधिकारी श्री चैहान ने किया।

ये हुवे सेवानिवृत्त
श्री सतीश कुमार मोदी उच्च श्रेणी शिक्षक, शा.उत्कृष्ट उ0मा0विद्यालय झाबुआ, श्री अब्दुल सत्तार खांन व्यायाम शिक्षक प्राचार्य संकुल केन्द्र कउमावि. झाबुआ, श्री राजेन्द्रसिंह चोैहान सहायक शिक्षक शा0हाई स्कूल करवड, श्री औकांरसिंह ठाकुर निरीक्षक पुलिस अधीक्षक कार्यालय झाबुआ, श्री उदयसिंह नायक सुपरवायजर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय, झाबुआ, श्री देवीसिंह भदौरिया न्यायालय अधीक्षक जिला एवं सत्र न्यायाधीश झाबुआ, श्री धासीराम आजंना हेण्डपम्प टेक्नीशियन कार्यपालन यंत्री पी.एचई झाबुआ को सम्मान के साथ विदाई दी गई।

दावे/आपतियों के निराकरण के लिए जिला स्तरीय समिति की बैठक संपन्न

झाबुआ । आईसीडीएस परियोजनांतर्गत संचालित आंगनवाडी केन्द्रो के संचालन के लिए आंगनवाडी कार्यकत्र्ता एवं सहायिका के रिक्त पदो की पूर्ति के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आवेदन आमंत्रित कर अनंतिम सूची का प्रकाशन किया गया। अनंतिम सूची पर दावे/आपत्तियाॅ आमंत्रित की गई। प्राप्त दावे/आपत्तियाॅ के निराकरण के लिए गठित समिति की आज बैठक हुई एवं आपत्तिकत्र्ताओं की आपत्ति सुनकर समिति द्वारा आवश्यक निर्णय लिये गये। समिति की बैठक में अध्यक्ष जिला पंचायत सुश्री कलावती भूरिया, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्री अनुराग चैधरी, जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास श्री जमरा सहित एसडीएम एवं सीडीपीओं उपस्थित थे।

गौवंश का अपराध पंजीबद्ध

झाबुआ ं। फरियादिया कालु पिता मानसिंह मकवाना, निवासी पाडलघाटी ने बताया कि आरोपी दुलाजी पिता भीला गणावा एवं अन्य-08 निवासीगण पाडलघाटी के अवैध रूप से ग्राम पाडलघाटी में अन्तु के खाली मकान में गाय को काटकर मांस खाने के लिए हिस्सा कर रहे थे, फरि. की रिपोर्ट पर अपराध कायम कर विवेचना में लिया गया। प्रकरण में थाना कल्याणपुरा में अपराध क्रं. 33/17 धारा 4/9, 5/9 म.प्र. गौवंश अधि. 2004 का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

लुट का अपराध पंजीबद्ध

झाबुआ । फरियादी गणेश पिता रतनलाल सोलंकी, निवासी कल्याणपुरा ने बताया कि फरि. राजगढ से घर कल्याणपुरा आ रहा था। कि रास्ते में ग्राम मोहनपुरा बादल ढाबे के पास इंदौर झाबुआ रोड पर अज्ञात 03 बदमाश कच्ची पुलिस पर पत्थर रखकर फरि. केी गाडी रोककर जेब मेें रखे नगदी 10,000/-रू. व सेमसंग कंपनी का मोबाईल व जाकेट छिनकर भाग गये। प्रकरण में थाना कोतवाली झाबुआ में अपराध क्रं. 67/17 धारा 394 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।




विशेष : पर्यावरण के इस उजाले को कोई तो बांचे

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आदर्श की बात जुबान पर है, पर मन में नहीं। उड़ने के लिए आकाश दिखाते हैं पर खड़े होने के लिए जमीन नहीं। दर्पण आज भी सच बोलता है पर हमने मुखौटे लगा रखे हैं। ग्लोबल वार्मिंग आज विश्व के सामने सबसे बड़ी गंभीर समस्या है और हम पर्यावरण को दिन-प्रतिदिन प्रदूषित करते जा रहे हैं। ऐसी निराशा, गिरावट व अनिश्चितता की स्थिति में एक व्यक्ति पर्यावरण को बचाने के लिये बराबर प्रयास कर रहा है। यह व्यक्ति नहीं है, यह नेता नहीं है, यह विचार है, एक मिशन है। और येे श्री अवधूत बाबा जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर अरुणगिरीजी के रूप पहचाने जाते हैं और उनका मिशन है अवधूत यज्ञ हरित पदयात्रा। पर्यावरण संरक्षण का यह अनूठा एवं अनुकरणीय उपक्रम है, जो वैष्णोदेवी से कन्याकुमारी तक निरन्तर चलित यज्ञ और पांच करोड़ पौधारोपण द्वारा विश्व पर्यावरण की शु़िद्ध के संकल्प के साथ चलयमान एक महायात्रा है। अगस्त 2017 तक चलने वाली करीब 4500 किलोमीटर की इस पैदल यात्रा के तहत लोगों को पर्यावरण को सुरक्षित रखने व दूषित होने से बचाने के लिए पौधारोपण करने हेतु प्रेरित किया जा रहा है। 

अवधूत बाबा अरुणगिरीजी एक संन्यासी की ही नहीं, एक यायावरी की ही नहीं, एक ऋषि की समझ रखते हैं। आध्यात्मिकता की गंगा और पराक्रम की जमुना उनमें साथ-साथ बहती है। वे इस युग को वह दे रहे हैं जिसकी उसे जरूरत है, वह नहीं जिसकी कि वह प्रशंसा करे। इतिहास अक्सर किसी आदमी से ऐसा काम करवा देता है, जिसकी उम्मीद नहीं होती। और जब सम्पूर्ण मानवता के हितचिन्तन की आवश्यकता का प्रतीक कोई आदमी बनता है तब उसका कद अमाप्य हो जाता है। उन्हांेने एक सम्प्रदाय के प्रमुख होते हुए भी अपना कद सदैव ऊंचा रखकर मानव के अस्तित्व एवं अस्मिता को सम्प्रदाय से ऊंचा रखा है। निजता में व्यापकता रखी। विचारों का खुलापन आपकी सार्वजनिक एवं सर्वमान्य छवि का मुख्य आधार है। जो लोग यह समझते हैं कि एक धर्मगुरु अपनी परम्परा एवं अनुयायियों के घेरे से बाहर निकल ही नहीं सकता, उन्हें अरुणगिरीजी का जीवन देखना चाहिए। यह अद्भुत्ता  और यह विलक्षणता उन्होंने स्थापित की है। वे धरती के दर्द में दवा को बुन रहे हैं। अवधूत यज्ञ हरित पदयात्रा के लंबे सफर का पगडंडियों, राजमार्गों, गांवों और महानगरों का झोपड़ियों और भवनों का अनुभव अपने मंे समेटे अरुणगिरीजी मनुष्य के बदलाव की सोच रहे हैं। उन्होंने यज्ञ को पर्यावरण संरक्षण का सशक्त माध्यम माना है। महायज्ञ का उद्देश्य है भारत का विकास, विश्व का कल्याण, पर्यावरण की शुद्धता, नैतिक आचरण। उनका मानना है कोई भी देश तभी विकास कर पाता है जब वहां की जनता संस्कारों से जुड़ी हो, युवा आत्मनिर्भर हों। यज्ञ के माध्यम से देश की जनता को यही संदेश दिया जा रहा है। नासा ने भी यज्ञ के महत्व को स्वीकार किया है। नासा की मानें तो यज्ञ के धुएं से पर्यावरण 71 फीसदी शुद्ध हो जाता है। यज्ञ का धुआं जब आकाश की ओर उठता है तो वह धरती पर जल के रूप में वापस आता है। 

पर्यावरण के असंतुलित एवं प्रदूषित होने की स्थितियां इतनी भयावह एवं डरावनी है कि कोई भी कांप उठे। प्रतिवर्ष 1500 करोड़ पेड़ धरती से काट दिए जाते हैं, मनुष्य जाति की शुरुआत से आज तक 46 प्रतिशत जंगल व पेड़ खत्म कर दिए गए हैं। जबकि धरती पर कुल पेड़ 30 लाख करोड़ हैं। धरती से 15500 विभिन्न जीव-जंतुओं की प्रजातियां सदा के लिए खत्म हो चुकी हैं। बढ़ते तापमान के कारण 66 प्रतिशत ध्रुवीय भालू 2050 तक खत्म हो जायेंगे। घटते जंगल ने इंसान के सबसे नजदीकी जानवर चिंपाजी 80 प्रतिशत तक खत्म हो चुके हैं। जिस तरह ग्रीन हाउस गैसेस का उत्सर्जन जारी रहा तो इस सदी के अंत तक न्यूनतम तापमान में 4 डिग्री की बढ़ोतरी हो जाएगी। श्वास और त्वचा से जुड़ी बीमारियों में पिछले 30 सालों में 3 गुना वृद्धि हुई है। 2015 तक भारत में हार्ट अटैक की न्यूनतम आयु 16 वर्ष हो चुकी है। भारतीय पुरुषों की प्रजनन क्षमता में पिछले 25 वर्षों में 31 प्रतिशत तक की कमी आई है। अंडमानी, राबरी जैसी आदिवासी जनजातियां आज विलुप्त होने के कगार पर हैं। लगातार कम होते जंगलों के कारण आज तक तकरीबन 20 लाख लोग बेरोजगार और बेघर हो चुके हैं। धरती पर हर 8वीं मौत दूषित हवा से होती है। 21वंी सदी अभी तक की सबसे गर्म सदी रही है। नासा के अनुसार इस सदी में वैश्विक रूप से समुद्र का जलस्तर आधा फीट बढ़ गया है एवं पिछली शताब्दी के बराबर का स्तर मात्र गुजरे एक दशक में बढ़ा है। पृथ्वी के फेफड़े कहलाने वाले अमेजन के जंगल 28.5 प्रतिशत तक इंसानों द्वारा काट दिए गए हैं। 

यह सब तो बस कुछ आंकड़े हैं हमारे आस-पास के सच्चाई तो और भी गंभीर है, दरअसल पिछले 30-40 सालों में भारत ने बहुत कुछ नया पाया है तो बहुत कुछ पुराना खोया भी और इन सबकी गंभीरता में एक कारण सामान रूप से सामने आता है और वह है ग्लोबल वार्मिंग। यही कारण है कि जिससे हमें प्रकृति के साथ-साथ मानव जाति को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। श्री अवधूत बाबा अरुण गिरिजी महाराज गहन अनुभव एवं चिंतन के बाद इस विश्व व्यापक समस्या के प्रायोगिक, प्रभावी एवं सर्वसुलभ हल को प्रस्तुत कर मानवता को उपकृत किया हैं। एक ऐसा समाधान जो न केवल इस समस्या को हल करेगा बल्कि मानवता को हमेशा के लिए एक नई सौगात देगा। वही सौगात जो हमारे पूर्वज सदियों पहले तक हमें देकर गये थे। शुद्ध हवा, निरोगी काया और सबसे जरूरी मानसिक शांति। यकीन मानिए यह सभी बातें आज भी संभव है। इस भागदौड़ के दौर में हम इन बातों का सपना देखें और मानवता के लिए एक अनुपम वरदान साबित कर सकते हैं। यज्ञ का हमारे यहां प्राचीन काल से ही विशिष्ट महत्व रहा है, यज्ञ का न केवल आध्यात्मिक महत्व है बल्कि यज्ञ पर्यावरण के लिए भी विशेष रूप से महत्व रखता है। यज्ञ के सांस्कृतिक एवं वैज्ञानिक पहलू भी हैं। हवन करने से पर्यावरण में उपस्थित अनेक तरह के घातक बैक्टीरिया खत्म होते हैं। हवन वातावरण में आॅक्सीजन की मात्रा को बढ़ाता है। 

वृक्ष इस सजीव जगत के जीवन में रीढ़ की तरह है, पेड़ स्वयं कार्बन डाई आॅक्साइड का प्रयोग करते हैं और बदले में हमें फल, फूल और आॅक्सीजन देते हैं। पेड़ों की महत्ता का वर्णन आदिकालिक वेदों में तो है ही साथ ही वैज्ञानिक भी इनके महत्व को सत्यापित करते हैं। एक विकसित वृक्ष साल भर में लगभग 25 किलो कार्बन ग्रहण कर लेता है जो कि एक कार 45000 किलोमीटर चलने पर पैदा करती है। एक संपूर्ण विकसित वृक्ष 6 ऐसी-वातानुकूलित के बराबर ठंडक देता है। वृक्षों के कारण तेज बारिश या अकस्मात बारिश का पानी बह नहीं पाता, भयानक बाढ़ भी नहीं आती और पानी जमीन में ही सोख लिया जाता है जिससे न केवल मिट्टी का कटाव रूकता है बल्कि पानी की शुद्धता भी बढ़ जाती है। वृक्ष प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से रोजगार का बहुत बड़ा साधन है जो कि हमारे देश में 35 प्रतिशत लोगों को प्रभावित करती है।

वैज्ञानिक आंकड़ों के अनुसार एक पेड़ 3000 प्रकार की जातियों के जीव-जंतुओं का घर होता है। एक व्यक्ति अगर जीवन में 4 पेड़ लगा पाता है तो वह अपने जीवन की लगभग सभी जरूरतें को पूरा करने के लिए साधन जुटा पाता है। ग्लोबल वार्मिंग से लड़ने का सबसे वैज्ञानिक और त्वरित समाधान अधिक से अधिक वृक्षारोपण ही है।
आज के समय में हमारे सामने दो कड़वे सच मुंह बाये खड़े है एक तो यह कि ग्लोबल वार्मिंग दिन-ब-दिन हमारी समस्याएं बढ़ाती ही जा रही हैं, समय रहते आज से ही इसका हल निकालना शुरू नहीं किया तो हमारे अस्तित्व पर सवाल खड़े होने में भी समय नहीं लगेगा। आखिर कितनी सुनामियों से, कितने प्राकृतिक तूफानों से, कितने अकालों से और कितने जलवायु बदलावों से हम कब तक खुद को बचा पायेंगे। हमारे देश में लगभग हर साल किसी न किसी राज्य में कोई न कोई प्राकृतिक आपदा खड़ी ही रहती है, अब यह देखने और विचार करने की बात होगी कि हम कब तक इसे केवल सरकार के भरोसे छोड़ पायेंगे। अवधूत यज्ञ हरित पदयात्रा जैसे उपक्रमों से ही हम इस तरह की गंभीर समस्याओं से निजात पा सकते हैं। ताकि हम आने वाली पीढ़ी को कुछ अच्छा एवं सुखद भविष्य छोड़कर जा सके। जाॅन लुबाॅक का मार्मिक कथन है कि जमीन-आसमान, जंगल-मैदान, नदियां और झीलें, पहाड़ और सागर दुनिया के बेहतरीन अध्यापक हैं। ये हमें वो सिखाते हैं, जो कभी किताबों में नहीं लिखा जा सकता।’ अरुणगिरीजी प्रकृति एवं पर्यावरण के दर्द का समझा है और उस पर मंडरा रहे खतरे के प्रति जनजागृति को जागरूक करने का महान् कार्य किया है। हम इंसानों ने अपनी धरती की हालत काफी खराब कर दी है लेकिन हमारे बीच में ही अवधूत बाबा अरुणगिरीजी जैसे कुछ लोग भी हैं जो अपने चैन और आराम को भुलाकर धरती को बचाने में जुटे हुए हैं। ऐसी कोशिशें करनेवाले अरुणगिरीजी के अनुसार ”जीवन एक यात्रा का नाम है,“ आशा को अर्थ देने की यात्रा, ढलान से ऊंचाई की यात्रा, गिरावट से उठने की यात्रा, मजबूरी से मनोबल की यात्रा, सीमा से असीम होने की यात्रा, जीवन के चक्रव्यूहों से बाहर निकलने की यात्रा, पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने की। 



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(ललित गर्ग)
ई-253, सरस्वती कुंज अपार्टमेंट
25, आई0पी0 एक्सटेंशन, पटपड़गंज, दिल्ली-92
फोन: 22727486 मोबाईल: 9811051133




सन्दर्भ : अमेरिकी युद्ध अपराधों के सबसे बड़े मददगार हमारे हुक्मरान!

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बलि नोटबंदी यूपी में जनादेश का मुद्दा मंजूर है सुपर सिपाहसालार को!, खुशफहमी की हद है कि बलि अमेरिकी निशाने पर पाकिस्तान है! हम आंखें फोड़कर सूरदास बनकर पदावली कीर्तन करें,हिंदत्व का यही तकाजा है।हिंदुत्व का ग्लोबल एजंडा भी यही है,जिसके ईश्वर डान डोनाल्डे हुआ करै हैं। बलि डान डोनल्ड अब केसरिया केसरिया हैं और भारत की ओर से कारगिल लड़ाई के वे ही खासमखास सिपाहसालार हैं।बड़जोर सुर्खियां चमक दमक रही हैं कि अब पाकिस्तान की बारी है। बलि डान डोनाल्ड की आतंकवाद विरोधी खेती की सारी हरियाली अपने खेत खलिहान में लूटकर लानेको बेताब है तमाम केसरिया राजनयिक।




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बलि नई दिल्ली पलक पांवड़े बिछाये व्हाइट हाउस के न्यौते और रेड कार्पेट का बेसब्री से इंतजार कर रहा है और जतक ओबामा कीतरह ट्रंपवा लंगोटिया यार बनकर हिंदुत्व के हित न साध दें तब तक चूं भी करना मना है।किया तो जुबान काट लेंगे। मुसलमानों के खिलाफ निषेधाज्ञा चूंकि हिंदुत्व के हित में है,इसलिए केसरिया राजकाज में अमेरिकी युद्ध अपराध की चर्चा  तक मना है।हुक्मरान की तबीयत के बारे में मालूम है लेकिन बाकी मुखर होंठों का किस्सा भी लाजबाव है।वे होंठ भी सिले हुए हैं। अगर पाकिस्तान सचमुच का दुश्मन है तो देश भर में दंगाई सियासत के तमाम सिपाहसालार और सारे के सारे बजरंगी मिलकर पाक फौजों के दांत खट्टे करने के लिए काफी हैं।लेकिन नई दिल्ली टकटकी बांधे बैठा है कि कब डान ऐलान कर दें कि पाकिस्तान भी प्रतिबंधित है। बागों में बहार है कि साफ जाहिर है कि ट्रंप का इराजा दुनियाभर के मुसलमानों के खिलाफ भारी पैमाने का युद्ध है और जाहिर है कि हिंदुत्व की तमाम बटालियनें अमेरिकी फौज में शामिल होने को बेताब हैं। पूरा अमेरिका सड़कों पर है।सारे के सारे अमेरिकी वकील हवाई अड्डों पर पंसे हुए दुनियाभर के लोगों को कानूनी मदद देने के लिए लामबंद हैं।आमतौर पर राष्ट्रवाद की संकीर्ण परिभाषा में यक़ीन रखने वाली रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति ने अरब और हिस्पैनिक (स्पेन से ऐतिहासिक रूप से संबद्ध रहे देश), लेकिन मुस्लिम-बहुल सात देशों के शरणार्थियों और नागरिकों पर प्रतिबंध लगाकर अमेरिकी रंग और नस्लभेद की सोई हुई प्रेतात्मा को जगा दिया है।कुकल्कासक्स क्लान का राम राज्य बन गया है अमेरिका। पूरे अमेरिका में प्रदर्शन शुरू हो गए हैं, अमेरिकी मानवाधिकार संगठन इसका विरोध कर रहे हैं, दुनिया के विकसित देश ट्रंप के फ़ैसले की आलोचना कर रहे हैं और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनकी सरकार पर इसका कोई असर नहीं है।बहरहाल डान के नस्ली फरमान के अमल पर शनिवार को आधी रात के करीब अदालत ने विशेष वैठक में रोक भी लगा दी है लेकिन डान बेपरवाह है।

डान को रोकना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है।सो,राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शरणार्थियों और सात मुस्लिम बहुल देशों के नागरिकों के अमेरिका में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने के फैसले का बचाव किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रतिबंध मुस्लिमों पर नहीं लगाया गया है बल्कि अमेरिका को आतंकियों से सुरक्षित करने के लिए कदम उठाया गया है। अमेरिका अपने यहां यूरोप जैसे हालात उत्पन्न होने देना नहीं चाहता है। राष्ट्रपति ने कहा कि 90 दिनों में मौजूदा नीतियों की समीक्षा करने के बाद सभी देशों के लिए वीजा जारी किया जाने लगेगा। सात मुस्लिम बहुल देशों के लोगों के अमेरिका में प्रवेश पर प्रतिबंध के शासकीय आदेश का बचाव करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जोर देकर कहा कि 'यह प्रतिबंध मुस्लिमों पर नहीं है'जैसा कि मीडिया द्वारा गलत प्रचार किया जा रहा है।गौरतलब है कि शपथ लेने के बाद ही 7 मुस्लिम देशों के लोगों प्रतिबंध लगाने के बाद अब राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप पाकिस्‍तान पर भी प्रतिबंध लगा सकते हैं। नई दिल्ली बल्ले बल्ले गुले गुलिस्तान है कि  ट्रंप के इस कदम के बाद उनका भले ही अमेरिका के अलावा दुनियाभर में विरोध हो रहा है, वहीं हिंदुत्व के हित में सबसे बड़ी खबर यही है कि खबर है कि उन्‍होंने पाकिस्‍तान के अलावा अफगानिस्‍तान और सऊदी अरब को निगरानी सूची में डाला गया है। जानकारी के अनुसार व्‍हाइट हाउस के चीफ ऑफ स्‍टाफ रींस प्रीबस ने कहा है कि जिन सात देशों को प्रतिबंध के लिए चुना गया है उनकी ओबामा और कांग्रेस दोनों ही प्रशासन द्वारा शिनाख्‍त की गई थी जिनकी जमीन पर आतंक को अंजाम दिया जा रहा है। हमें व्हाइट हाउस से न्यौते का इंतजार है और कोई फर्क नहीं पड़ता  कि बलि  अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का फैसला जानलेवा हो सकता है। सात देशों के मुस्लिमों के अमेरिका आने पर प्रतिबंध के उनके फैसले का सीधा असर सीरिया में फंसे सात साल के मोहम्मद पर पड़ रहा है। मोहम्मद आतंकी नहीं है। वह कैंसर से जूझ रहा है, इसलिए उसका परिवार इलाज के लिए उसे अमेरिका ले जाना चाहता है लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप के फैसले की वजह से अमेरिकी अधिकारी उसे वीजा नहीं दे रहे हैं। मोहम्मद की ही तरह उन सात देशों में कई लोग हैं जो बेहतर इलाज के लिए अमेरिका जाना चाहते हैं लेकिन ट्रंप का फरमान उनके लिए बड़ा रोड़ा साबित हो रहा है।





हमें व्हाइट हाउस से न्यौते का इंतजार है और कोई फर्क नहीं पड़ता  कि बलि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की ब्रिटेन की राजकीय यात्रा को रद्द करने की मांग करने वाली ऑनलाइन याचिका पर हस्ताक्षर करने वालों की संख्या काफी जल्दी 10 लाख के आंकड़े को पार कर गई है। यह मांग अमेरिका के राष्ट्रपति के एक आदेश के जरिए सात मुस्लिम देशों के लोगों पर विवादास्पद आप्रवासन प्रतिबंध लगाने के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठ रही आवाज के बीच उठी है। हमे कोई फर्क नहीं पड़ा कि  बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक एसीएलयू ने जानकारी दी है कि अब कोर्ट के स्‍टे के बाद राष्‍ट्रपति के आदेश के बावजूद अमेरिका से शरणार्थियों को निष्‍कासित नहीं किया जा सकेगा। ट्रंप के आदेश के बाद अमेरिकी एयरपोर्ट्स से करीब 100 से 200 लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है। न्‍यूयॉर्क, एलेंक्‍सजेंड्रिया, वर्जिनिया, सिएटल, वॉशिंगटन, बोस्‍टन मैसाच्‍यूसेट्स समेत 24 अदालतों ने राष्‍ट्रपति के आदेश पर रोक लगा दी है।  गौरतलब है कि  ब्रिटेन की संसद की वेबसाइट पर शनिवार की दोपहर 'डॉनल्ड ट्रंप को ब्रिटेन की राजकीय यात्रा पर आने से रोकें'शीर्षक वाली याचिका तैयार की गई है।कहने को हमारे यहां भी संसदीय लोकतंत्र है। इसी बीच गौर करें कि डान के करिश्में से दुस्मन चीन से पींगे बढ़ाने की कोशिश में हैं आईटी कंपनियां ताकि जोर का झटका धीरे से लगे।नैशनल असोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर ऐंड सर्विसेज कंपनीज (नैसकॉम) और शंघाई में भारत के महावाणिज्य दूतावास (कॉन्स्युलट जनरल ऑफ इंडिया) ने मिलकर नानचिंग सरकार के साथ इसी महीने एक समारोह का आयोजन किया। इसका मकसद चीनी कंपनियों और भारत की आईटी कंपनियों के बीच रिश्ते बढ़ाना था।  नैसकॉम के वैश्विक व्यापार विकास के निदेशक गगन सभरवाल ने ईटी को बताया, 'चीन और जापान दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और आईटी के क्षेत्र में दूसरी सबसे बड़ी खर्च करने वाले देश हैं। हमें अमेरिका और यूके पर बहुत ज्यादा भरोसा नहीं कर इन देशों की ओर रुख करने की जरूरत है।' भारत में जन्में गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई और माइक्रोसॉफ्ट के सत्य नाडेला समेत सिलिकन वैली के कई शीर्ष कार्यकारियों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सात मुस्लिम बहुल देशों से लोगों के अमेरिका आने पर रोक लगाने के आदेश की निंदा की है।इस पर भी गौर फरमायेंः

Trump’s executive order, especially the ban on immigrants from these countries, including those with a valid visa, has sparked reactions from all across Silicon Valley, which relies on talent from across the world. Google, Apple, SpaceX’s Elon Musk, Uber, Lyft, Netflix, Microsoft, and all the major companies from tech world have reacted to this order.

Additionally Associated Press has reported that leaks of draft executive orders, which are still unverified, suggest that Trump might also revamp the H1-B program that lets Silicon Valley bring foreigners with technical skills to the US for three to six years.

गौरतलब है ऩई दिल्ली के खासमखास खाड़ी युद्ध के युद्ध अपराधी राष्ट्रपति पिता पुत्र के युद्ध अपराधों का साथ देते देते भारत देश के हुक्मरान ने देशभक्ति की सुनामी के तहत एक झटके से अमेरिका के आतंक के खिलाफ युद्ध में भारत को शामिल कर दिया।अब वही देशभक्त समुदाय सोशल मीडिया पर चीख पुकार मचा रहे हैं कि ट्रंपवा का सीना जियादा चौड़ा है और उनके सांढ़ सरीखे कंधे जियादा मजबूत है कि बलि रामराज्य का राष्ट्रपति भी डान डोनाल्ड के होवैक चाहि।बलिहारी हो। खाड़ी युद्ध के दौरान भारत की सरजमीं से ईंधन भर रहे थे अमेरिकी  युद्धक विमान तो नाइन इलेविन ट्विन टावर के विध्वंस के बाद समुंदर से अफगानिस्तान की तबाही के लिए भारत का आसमान चीर कर मिसाइलें अफगानिस्तान में बरस रही थीं,तब किसी माई के लाल को मातृभूमि की स्वतंत्रता या संप्रभुता की याद नहीं आयी।बजरंगियों की नई पीढ़ियों ने वह नजारा देखा नहीं है,भारत की सरजमीं प डान डोनाल्ड का विश्वरुप दर्शन भौते जल्दी मिलेला।पछताओ नको।  इससे भी पहले प्राचीन काल में जब युद्ध सचमुच सरहदों पर हो रहा था,कैनेडी से लेकर क्लिंटन तक किस किसके साथ न जाने कितना मधुर संबंध रहा है लेकिन अमेरिका ने भारत के खिलाफ युद्ध और शांतिकाल में भी मदद देना नहीं छोड़ा। तनिकों याद करेें जो तनिको बु जुर्ग हुआ करै हैं और बाल कारे भी हों तो चलेगा , लेकिन सफेदी धूप के बजाय तजुर्बे की होनी चाहिए कि आठवें दशक में जब सारा देश लहूलुहान था,तालिबान और अल कायदा को सोवियत संघ को हराने के लिए जब अत्याधुनिक हथियार बताशे की तरह बांट रहा था वाशिंगटन,तब भी अमेरिको के तालिबान अलकायदा को दिये उन तमाम हथियारों का इस्तेमाल भारत की सरजमीं पर भारत को तहस नहस करने के लिए हो रहा था।अमेरिका को कोई फर्क पड़ा नहीं। बजरंगी बिरादरी शायद अटल बिहारी वाजपेयी को भूल गये हैं,जो सन इकात्तर के चुनाव में इंदिरा गांधी का दूत बनकर विदेश की धरती पर अमेरिकी सातवें नौसेनिक बेड़े के हमलावर बढ़त के खिलाफ मोर्चाबंदी में कामयाब रहे थे औरतब अमेरिका पाकिस्तान के लिए भारत से युद्ध करने के लिए भी तैयार था।

भारत सोवियत मैत्री के बाद अमेरिका की वह ख्वाहिस पूरी नहीं हुई,यह जितना सच है,उससे बड़ा सच यह है कि वाजपेयी की राजनय ने उस अपरिहार्य युद्ध को टाल दिया।यही नहीं,1962 के युद्ध के बाद दुश्मनी का माहौल को हवा हवाई करके चीन से संबंध बनाने में भी वाजपेयी ने जनता जमाने में बाहैसियत विदेश मंत्री पहल की थी।
खास बात यह है कि इसके अलावा 1971 के युद्ध के बाद पाकिस्तान के साथ संबंध सामान्य बनाने में तबके विदेश मंत्री अटलजी ने पहल की थी।जिन्होंने बाद में केसरिया सरकार का प्रधानमंत्री बनकर गुजरात के नरसंहार के बाद किसी मसीहा को राजधर्म का पाठ दिया था और कारगिल की लड़ाई भी उनने ही लड़ी थी। अब पहेली यह है कि भारत इजराइल अमेरिका गठजोड़ की नींव बनाने वाले रामरथी लौहमानुष लाल कृष्ण आडवानी बड़का रामभक्त देश भक्त हैं तो क्या अटलजी रामभक्त देशभक्त वगैरह वगैरह नहीं है।बूझ लें तो भइया  हमें भी जानकारी जरुर दें।हालांकि अटलजी वानप्रस्थ पर हैं कि संन्यास के मोड में हैं,पता नहीं चलता जैसा कि लौहपुरुष के अंतरालबद्ध हस्तक्षेप से अक्सर पता चल जाता है और बहुत संभव है कि अटल जी को याद करने की कवायद में बजरंगी वाहिनी को गोडसे सावरकर वगैरह की ज्यादा याद आ जाये क्योंकि गांधी हत्या का एजंडा अभी अधूरा है। हिंदुत्व के एजंडे के तहत अबतक सिर्फ विष्णु भगवान जी के मंदिर में बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की प्राण प्रतिष्ठा हुई है और टैगोर बख्श दिये गये हैं,लेकिन नेताजी और विवेकानंद को श्यामाप्रसाद श्रेणी में आरक्षित कर दिया गया है।गांधी को कर पाते गौडसे की जरुरत नइखे होती।अटल जी भी अभी श्रेणीबद्ध हुए हैं कि नाही,पता नको।शिवसेना के निकर जाने के बाद बालासाहेब का भी नये सिरे से मूल्यांकन बाकी है।झोलाछाप बिरादरी शोध किये जा रहे हैं।

अमेरिकी खुफिया एजंसियों को सारी बातें मालूम होती है।
अभी भंडा फूटा है कि राजीव गांधी की हत्या की प्लानिंग सीआईए को पांच साल पहले मालूम थी। इंदिरा गांधी की हत्या का रहस्य अभी खुला नहीं है और उस हत्याकांड से संबंधित अमेरिकी दस्तावेज अभी लीक हुए नहीं है। 

फिक्र न करें,विकी लीक्स है।
राजनीतिक समीकरण के हिंदुत्व से सराबोर केसरिया राजनय का किस्सा यह है कि अमेरिका का पार्टनर बनने के बाद,भारत अमेरिका परमाणु संधि हो जाने के बाद नई दिल्ली इसी इंतजार में है कि कभी न कभी अमेरिका पाकिस्तान का दामन छोड़कर उसे आतंकवादी देश घोषित कर देगा।वैसा कुछ भी नहीं हुआ है।

Dozens of Foreign Service officers and other career diplomats stationed around the world are so concerned about Pres. Donald J. Trump's new executive order restricting Syrian refugees and other immigrants from entering the U.S. that they're contemplating taking the rare step of sending a formal objection to senior State Department officials in Washington.

केसरिया बिरादरी देश के नाम याद भी कर लें कि गुजरात नरसंहार में क्लीन चिट के सिवाय अमेरिका से अबतक कुछ हासिल नहीं हुआ है और न भोपाल गैस त्रासदी के रासायनिक युद्ध के प्रयोग से कीड़ मकोड़े की तरह मारे गये,विकलांग और बीमार हो गये भारतीय नागरिकों को मुआवजा दिलाने में अमेरिका ने कोई मदद की है। इसके बावजूद बलि लोहा गरम है और इसी वक्त पाकिस्तान पर निर्णायक वार अमेरिकी हाथों से कराने का मौका है। जाहिरै है कि इसलिए डान डोनाल्ड के खिलाफ सारा अमेरिका और सारी दुनिया भले लामबंद हो जाये,हमारे लिए राष्ट्रभक्ति यही है कि हम अपने होंठ सी लें और आंखें फोड़कर सूरदास बन जायें। हम आंखें फोड़कर सूरदास बनकर पदावली कीर्तन करें,हिंदत्व का यही तकाजा है।हिंदुत्व का ग्लोबल एजंडा भी यही है,जिसके ईश्वर डान डोनाल्डे हुआ करै हैं। गौरतलब है कि भारत ने पहले ही भारतीय सैनिक अड्डों के इस्तेमाल के लिए अमेरिकी फौज को इजाजत के करारनामे पर दस्तखत कर दिया है और डान डोनाल्ड अमेरिका के गौरव को हासिल करने के लिए तीसरे विश्वुयुद्ध शुरु करने पर आमादा है। गौरतलब है कि दुनियाभर में सैन्य हस्तक्षेप और युद्ध गृहयुद्ध में अभ्यस्त अमेरिकी नौसेना और जापान केसात हमलावर त्रिभुज भी अमेरिका के अव्वल नंबर दुश्मन चीन से निबटने के लिए तैयार है।बलि कि चीन के खिलाप अमेरिकी जंग की हालत में भी रामराज्य अमेरिकी डान के मातहत हैं। बलि डान डोनल्ड के बाहुबल से एक मुशत दो दो जानी दुश्मनों पाकिस्तान और चीन को करीरी शिकस्त देने की तैयारी है और इसके लिए अमेरिका से हथियारों की खरीद भी भौते हो गयी है।सैन्यीकरण में कोई कमी सर न हो ,इसलिए रक्षा प्रतिरक्षा का विनिवेश कर दिया है और तमाम कारपोरेट निजी कंपनियों के कारोबारी हित राष्ट्रभक्ति में ऩिष्णात है।इस सुनामी को दुधारी तलवार बनाने के लिए तीसरे विश्वयुद्ध भौते जरुरी है।क्योंकि इस विश्वयुद्ध में काले और मुसलमान मारे जायेंगे और हिंदुओं को जान माल को कोई कतरा नहीं होना है। बांग्लादेश या पाकिस्तान भले तबाह हो जाये और दुनियाभर के आतंकवादी  मुसलमानों को इराक, अफगानिस्तान,लीबिया और सीरिया की तरह मिसाइलें या परमाणु बम दागकर मार गिराये महाबलि डान डोनाल्ड,रामराज्य के हिंदू प्रजाजनों को आंच तक नही आयेगी हालाकि यमन में जैसा हो गया डानोल्ड जमाने के पहले युद्ध में , कुछ बेगुनाह नागरिकों की बलि चढ़ सकती हैषबलि और बलिदान दोनों वैदिकी संस्कृति है और राष्ट्रहित में सबसे जियादा बलिदान जाहिका तौर पर संघियों ने दिया है,देश को भी उनने आजाद किया है।झूठे इतिहास को दोबारा लिखा जा रहा है।मिथकों का इतिहास ही सबसे बड़ा सच है। यमन पर हमला करके उनने इरादे भी साफ कर दिये हैं।अमेरिकी सेना को युद्धकालीन तैयारियों के आदेश दे दिये गये हैं और अमेरिका परमाणु हथियारों का भंडार और तैनाती बढ़ायें,ऐसा निर्देश भी डान ने दे दिया है।

Pres. Donald J. Trump says his executive order restricting entry into the U.S. of people from 7 Muslim-dominated countries is to keep Americans safer, but one former Homeland Security official says the move could instead do the opposite by inspiring violent extremist attacks in the U.S.

जाहिर है कि जैसे पहले और दूसरे विश्वयुद्ध में यूरोप से लेकर जापान तक नरसंहार का सिलसिला बना,उसी तरह तीसरे विश्वयुद्ध में एशिया और अफ्रीका के देशों में न जाने कितने हिरोशिमा और नागासाकी बनाने की तैयारी है। भला हो सोवियत संघ का और उनके जिंदा महानायक गोर्बचेव महान का कि सोवियत संघ पहले खाडी़ युद्द के बाद ही तितर बितर हो गया। अफगानिस्तान में सैन्य हस्तक्षेप के भयंकर प्रतिरोध के बाद महाबलि खुद ही टूटकर बिखर गया और दुनिया सिरे से बदलकर अमेरिकी गोद के हवाले हो गयी। यही वजह है कि तेल युद्ध और अरब वसंत के बावजूद अमेरिकी हमालावर रवैये के बावजूद तीसरा विश्वयुद्ध शुरु नहीं हुआ। अब मुसलमानों और काली दुनिया के खिलाफ यह तीसरा विश्वयुद्ध डान डोनाल्ड लड़ना चाहते हैं तो अपनी अपनी जनता और अपनी अपनी अर्थव्यवस्था की सेहत की भीख मांगते हुए यूरोप के तमाम रथी महारथी डान की खिलाफत आंदोलन में शामिल हो गये हैं। नई विश्व व्यवस्था जिस तकनीकी चमत्कार की वजह से ग्लोबल विलेजवा में तब्दील है ससुरी दुनिया,उसी तकनीकी दुनिया की राजधानी सिलिकन वैली में डान का विरोद संक्रामक महामारी है।गुगल,फेसबुक,ट्विटर से लेकर सारी ग्लोबल कंपनियां इस नस्ली युद्दोन्माद के खिलाफ बाबुलंद आवाज में डान के खिलाफ आवाज उठा रही हैं। तीसरा विश्वयुद्ध हुआतो मुसलमानों के खिलाफ इस विश्वयुद्ध के भूगोल में रामराज्य के महारथियों की खवाहिशों के मुताबिक अमेरिकी मिसाइलों और अमेरिकी नेवी ने अरब और खाड़ी देसों के मुसलमानों के साथ साथ पाकिस्तान को भी निशाना बांध लिया तो पश्चिम एशिया के सारे तेल कुंए हिंदुस्तान की सरजमीं पर दहकने वाले हैं क्योंकि इस तीसरे विश्वयुद्ध में अमेरिका के सबसे खास पार्टनर भारत ही को बनना है।फिर अमेरिका के दुस्मन हमारे भी दुश्मन होंगे।बजरंगियों को फर्क नहीं पड़ता क्योंकि उनके आका डानडोनाल्डको वे पहले से दुश्मन मानकर हिंदुस्तान के चप्पे चप्पे में उनके सफाये के ढेरों दंगा फसाद करते रहे हैं।अब सोने पर सुहागा है। हामीरी राजनीति और राजनय इसविश्वव्यापी भयानक संकट में भी भारत के राष्ट्रहित,नागरिकों की जानमाल सेहत के बजाय पाकिस्तान को नजर में रखरकर अमेरिकी युद्ध अपराधों के साथ हैं।

अमेरिकी युद्ध अपराधों के सबसे बड़े मददगार हमारे हुक्मरान है।
बलि केसरिया जबरंगी जिहादी सेना के सुपर सिपाहसालार ने रामराज्य के प्रजाजनों के लिए बाबुलंद ऐलान कर दिया है कि यूपी के विधानसभा चुनाव को  नोटबंदी पर जनादेश मानें तो यह चुनौती उन्हें मंजूर है।गौरतलब है कि चुनाव घोषणापत्र में यह उदात्त स्वर कहीं नहीं है। गौरतलब है कि एक दो दिन पहले रिजर्व बैंक ने वायदा किया था कि एटीएम से निकासी की हदबंदी फरवरी के आखिर तक खत्म कर दी जायेगी लेकिन फरवरी से पहले जनवरी की अंतिम तिथि को ही एटीएम से निकासी हफ्ते में किसी भी दिन कुल 24 हजार की रिजर्व बैंक ने औचक छूट दे दी है,हालांकि हफ्ते में कुल वही 24 हजार रुपये निकालने की हद जस की तस  है। बहरहाल बार बार एटीएम जाने से निजात मिल गयी है कि अब चाहे हफ्तेभर दौड़ते रहकर 24 हजार निकालो या फिर हफ्ते के किसी रोज अपनी सुविधा के मुताबिक एक मुश्त 24 हजाक खेंच लो। इससे बाजार में नकदी का संकट खत्म नहीं होने जा रहा है क्योंकि हफ्तेभर की निकासी जहां थी ,वही बनी रहेगी। संजोग यही है कि रिजर्व बैंक के ऐलान के बाद ही छप्पन इंच सीना फिर चौड़ा है और रमारथी रामधुन के अलावा नोटराग अलापने लगे हैं। जाहिर है कि चुनौती मानें या न माने खेती और कारोबार में समान रुप से तबाह यूपी वालों के लिए नोटबंदी बड़ा मुद्दा है। सरदर्द के इस सबब को खत्म करने के लिए औचक रिजर्व बैंक का यह फरमान है कि संकट चाहे जारी रहे लेकिन चार तारीख से शुरु विधानसभाओं के लिए चुनाव के लिए जो वोट गेरे जाने वाले हैं,उनपर केसरिया के बजाय कही गुलाबी हरा नीला रंग चढ़कर सारा हिंदुत्व गुड़गोबर न कर दें।




(पलाश विश्वास)

भारतीय चिकित्सकों को वैज्ञानिक अनुसंधान एवं शोध पत्र लेखन के लिए कार्यशाला आयोजित

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नई दिल्ली। भारत के चिकित्सकों को शोध कार्यों एवं शोध पत्र लेखन के लिए प्रशिक्षित एवं प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला जर्नल ऑफ क्लिनिकल आर्थोपेडिक्स एंड ट्रॉमा (जेसीओटी) की ओर से दिल्ली आर्थोपेडिक एसोसिएशन (डीओए) तथा वैज्ञानिक, तकनीकी एवं चिकित्सकीय सूचनाओं का आदान करने वाली संस्था, इलसेवियर के सहयोग से आयोजित की गई। कार्यशाला इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में आयोजित की गई। इस कार्यशाला में प्रसिद्ध भारतीय शोध पत्रिकाओं (शल्य चिकित्सा एवं गैर शल्य चिकित्सा आधारित शोध पत्रिकाओं) के संपादक एवं अनुभवी समीक्षक वैसे नए एवं अनुभवी चिकित्सकों को शोध कार्य करने तथा शोध पत्र लिखने के लिए प्रशिक्षित किया। इस कार्यशाला के लिए आमंत्रित फैकल्टी में डॉ. के. गांगुली (पूर्व महाप्रबंधक, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद), अनिल जैन (पूर्व संपादक, आईजेओ), डॉ. अशोक श्याम (इंडियन आर्थोपेडिक रिसर्च ग्रुप के प्रमुख), डॉ. जुगल किशोर (सफदरजंग अस्पताल के कम्युनिटी मेडिसीन के विभागाध्यक्ष), डॉ. मोहित पत्रलेख (एसएमओ, सफदरजंग अस्पताल), ईष के. दामिनी (संपादक, आईजेओ), डॉ. ए. सी. आनंद (वरिष्ठ कंसल्टेंट, गैस्ट्रोइंटेरोलॉजिस्ट, अपोलो अस्पताल), डॉ. नितिन घोने (वरिष्ठ रेडियोलॉजिस्ट, अपोलो अस्पताल), डॉ. सीता नायक (पूर्व सदस्य, जीसी, आईसीएमआ), डॉ. अनुपम प्रकाश (प्रोफेसर, एलएचएमसी), डॉ. रमण सरदाना (वरिष्ठ कंसल्टेंट, माइक्रोबायलॉजी, अपोलो अस्पताल) और समीर गुप्ता (इसलेवियर), डॉ. निपुन चैधरी (संपादक, अपोलो अस्पताल)भी शामिल थे। 





कार्यशाला के पाठ्यक्रम निदेशक तथा इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ आर्थोपेडिक एवं ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ. राजू वैश्य ने कहा कि इस पूरे कार्यक्रम का उद्देश्य सर्जनों को प्रसिद्ध शोध पत्रिकाओं में अपने मौलिक शोध पत्रों के प्रकाशन के लिए जरूरी अवधारणा निर्माण, शोध विधि, शोध कार्यान्वय, भूल सुधार तथा महत्वपूर्ण विश्लेषण के बारे में विशेषज्ञता एवं जानकारी हासिल करने में मदद करना था। कार्यशाला के वैज्ञानिक प्रमुख प्रोफेसर ललित मणि ने कहा कि वैज्ञानिक शोध एवं शोध के लेखन कार्य में किसी शोध के निष्कर्ष की पूरे पारदर्शी तरीके से रिपोर्टिंग करने तथा निष्कर्षों के तार्किक तरीके से विश्लेषण करने की जरूरत होती है ताकि इन निष्कर्षों को मौजूदा एवं भावी क्लिनिकल तौर-तरीकों पर लागू किया जा सके। डॉ. हितेश लाल ने कहा कि जिन लोगों के पास लिखने या बोलने की प्राकृतिक क्षमता है उन्हें भी वैज्ञानिक विश्लेषाणात्मक दृष्टिकोण के बिना शोध पत्रों को लिखने में बहुत कठिनाई होती है।  पाठ्यक्रम निदेशक डॉ. राजीव ठुकराल के अनुसार इस कार्यशाला के दौरान हर प्रतिभागी ने एक डमी पाण्डुलिपि तैयार की। कार्यशाला के बाद हर प्रतिभागी के लिए एक मेंटर नियुक्त किए गए हैं जो वास्तविक पाण्डुलिपि तैयार करने तथा उनके मूल्याकंन में मदद करेंगे।

विशेष आलेख : एक गोली देश के लिये

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उड़ी में सेना के कैंप पर आतंकी हमले में भारत के 18 जवान शहीद हो गए। इसके बाद से ही भारत और पाकिस्तान के बीच एक बार फिर युद्ध जैसे हालात हैं। दुनिया भी जानती है और नापक पाक भी कि भारत के सपूत आतंकियों के कायरता के शिकार हुए हैं। आज देश  के लोगों को अपने वतन के पहरेदारों की सहादत पर गर्व तो हैं लेकिन बीरगति को प्राप्त हुए शहीद जवानों के प्रति देश चलाने वालों व देशवाशियों का भी कुछ फर्ज  हैं जिसे चुकाना ही होगा। शहीदों की याद में देश के लोगों की आंखें नम हैं और आक्रोश की ज्वाला भड़क उठी है। हर हिन्दुस्तानी अब चाहता है कि अब पाक के साथ जंग जायज है और एक और जंग हो ही जाये। भारत की आबादी 1,274,234,538 हो गई है। एक संगठन के मुताबिक, भारत की जनसंख्या विश्व की जनसंख्या का लगभग 17.23 फीसदी है। ऐसे में अगर मोटे तौर पर यह पकड़ लिया जाये कि देश में कम से कम 25 करोड़ परिवार है तो यह आंकड़ा भी अपने आप में काफी है। अब समय की मांग है कि पाकिस्तान के साथ जंग के लिये देश का हर परिवार एक गोली का खर्च देगा तो भारतीय सेना को 25 करोड़ गोलियां मिल सकती है। पाकिस्तान की आबादी लगभग 18,50,44,286 है। जाहिर है कि पाक की आबादी से कहीं ज्यादा गोलियों का खर्च भारत में रहने वाले परिवार दें सकते हैं। साफ कहें तो देश के नाम एक गोली देने से देश का कोई भी परिवार इंकार नहीं करेगा। बरन ऐसे भी परिवारों की संख्या उल्लेखनीय होगी जो सौ से  एक लाख गोलियों का खर्च हंस कर उठा सकता है। वक्त आ गया है कि देश का हर परिवार एक गोली का खर्च वहन करें और हर गोली में भारत माता लिखा हो।





बता दें कि 1948 में  पहली बार और भारत और पाकिस्तान के बीच अब तक 4 बार युद्ध हो चुके हैं। इसमें से पहला संघर्ष 1948 में हुआ। अब पांचवीं बार युद्द के हालात हैं और हमें इससे चुकना नहीं चाहिए। कारण धैर्य की भी एक सीमा होती है और पाक कब का इस सीमा को लांघ चुका है।  वैसे यह भी बता देना उचित होगा कि पाकिस्तान के अलावा कोई भी मुस्लिम देश परमाणु शक्ति संपन्न नहीं हैं। इन 53 इस्लामिक देशों की सारी सेनाओं की कुल संख्या लगभग 19.62 लाख है। जब कि भारत के पास अकेले 16.82 लाख थल सेना और 11.31 लाख रिजर्व सैनिक बल है। किसी इस्लामिक देश के पास विमान वाहक युद्धपोत नहीं है जबकि भारत के पास 5 युद्धपोत हैं। किसी इस्लामिक देश के पास एंटी ब्लास्टिक मिसाइल नहीं है। चीन, जर्मनी के बाद भारत दुनिया का तीसरा देश है जिसके पास मिसाइल को हवा में नष्ट करने की ताकत है। अगर बात आतंक के सौदगरों की करें तो दुनिया में कुल आतंकवादियों की संख्या 2.13 लाख है। सीआईए की रिपोर्ट के अनुसार मान लिया जाए तो सारे इस्लामिक देशों के आतंकवादी साथ मिलकर भारत के साथ युद्ध करते हैं तो भी भारतीय सेना मात्र 14 दिनों में सारे इस्लामिक देशों में तिरंगा फहराने की हिम्मत रखती हैं। जबकि पाक के पास 6.25 लाख थल सेना व 5 लाख लाख रिजर्व सैनिक बल है। बावजूद वह आंखें तरेरता रहा है।

यह रही पाक और भारत की बात अब अपने देश की सियासत पर नजर डाले तो कांग्रेस के युवराज अपने राग अलाप रहें हैं तो बंगाल की स्थिति कुछ और ही हकित बयां कर रही है। यह वह वक्त है जब देश अपने शहीद सैनिकों की बीरगति पर आंखों में आंसू लिये युद्ध की बात कर रहा है । बिहार, यूपी, राजस्थान की सरकारों ने अपने-अपने राज्य के निवासी रहें शहीदों के परिवारों के लिये आर्थिक मदद की घोषणा भी की है लेकिन बंगल में ऐसा अबतक कुछ भी नहीं हुआ है। जबकि बंगाल के भी दो बेटों ने अपने प्राणों की बलि दी है। अजीब बात है कि ममता बनर्जी की सरकार शहीदों के परिवारों के लिये आर्थिक मदद की घोषणा के मामले पर अभी तक मौन ही रही है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उत्तर बंगाल के दौरें में ही व्यस्त है और बस शहीदों को शब्दों की श्रद्धांजलि अर्पित की हैं। जबकि यह यहीं राज्य है जहां अवैध शराब से मरने वालों के परिजनों के लिये राज्य सरकार दो लाख रपये का अनुदान या सहायता राशि की दी जाती है। किसी हादसे में अगर कोई खास सम्प्रदाय का आदमी मर जाता है तो स्वंय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मृतक के घर जाना नहीं भूलती । लेकिन इस राज्य के शहीदों के परिजनों के घर मुख्यमंत्री नहीं गई।

बंगाल के दो बीर सपूत बीरगति को प्राप्त हुए और सबकों रुला गयें लेकिन अबतक की जो स्थिति बंगाल में देखी जा रही है वह दुख दायक जरुर है। साफ कहें तो देश बचेगा तो सियासत के मौकें आते रहेंगे। पार्टी, जाति, धर्म कोई भी हो हमें नहीं नहीं भूलना चाहिए की हम हिन्दुस्तानी हैं। झंडे के रंग और सियासत के से परे रह कर आज हमे एक भारतीय के तौर पर ही सोचना होगा। इतिहास-भूगोल को खंगाले बगैर अब समय की मांग है कि अगर नापाक पाक से जायज है जंग तो जंग ही सही।  




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जगदीश यादव
लेखक पत्रकार  व भारतीय जनता ओबीसी मोर्चा पश्चिम बंगाल के मीडिया प्रभारी हैं

वसंत पंचमी पर विशेष : वर दें वीणा वादिनी

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त्योहार जहां एक ओर ऋतुओं के प्रतीक हैं, वहीं धार्मिक विशेषताओं से भी ओत-प्रोत हैं। वसंत पंचमी भी इसका अपवाद नहीं है। इसे ‘श्रीपंचमी’ भी कहते हैं, जिसमें नई कोपलों से पूरी प्रकृति को नवजीवन देने का, तो लक्ष्मी-पूजन का भी विधान है। किंतु इस तिथि का सबसे अधिक महत्व इसलिए है क्योंकि यह विद्या की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती का जन्म दिवस है और मां सरस्वती का पूजन भी विद्या की देवी की कृपा पाने के लिए महत्वपूर्ण है। तभी तो नन्हें बच्चों को स्कूल भेजने के पूर्व इस दिन स्लेट या पट्टी पर पेन से या फिर अंगुलियों की मदद से अनाज के दानों पर पहला अक्षर लिखवाया जाता है। ताकि मां सरस्वती की कृपा हमेसा बनी रहें 




sarswati pooja
माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को वसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है, जो आंतरिक रूप से मां सरस्वती के पावन स्मरण का दिन होता है। मां सरस्वती श्वेत कमल के आसन पर विराजमान होती हैं। इनके नेत्र विशाल हैं। इनका श्वेत वस्त्र निर्मल, विशुद्ध ज्ञान का प्रतीक है। हंस व मोर से इनका साहचर्य प्रज्ञान, बुद्धिमता का द्योतक है। मां सरस्वती अपनी देहलता की आभा से क्षीरसागर को दास बना देती हैं और इनकी मंद मुस्कान शरद् ऋतु के चंद्रमा को भी तिरस्कृत करने वाली होती है। देवी सरस्वती को बुद्धि और विद्या की देवी माना जाता है, जो अंधकार व मूर्खता को दूर कर ज्ञान का प्रकाश प्रदान करती हैं। वह साक्षात ज्ञान व बुद्धि की अधिष्ठात्री हैं, इसलिए इस दिन बालक-बालिका के विद्यारंभ के समय विद्या की आराध्य देवी सरस्वती के पूजन की प्रथा है। माना जाता है कि इसी दिन शब्दों की शक्ति मनुष्य की झोली में आई थी। ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना करने के बाद, मनुष्य की रचना की। मनुष्य की रचना के बाद उन्होंने अनुभव किया कि मनुष्य की रचना मात्र से ही सृष्टि की गति को संचालित नहीं किया जा सकता। उन्होंने अनुभव किया कि निःशब्द सृष्टि का औचित्य नहीं है, क्योंकि शब्द हीनता के कारण विचारों की अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं था और अभिव्यक्ति के माध्यम के नहीं होने के कारण ज्ञान का प्रसार नहीं हो पा रहा था। विष्णु से अनुमति लेकर उन्होंने एक चतुर्भुजी स्त्री की रचना की जिसके एक हाथ में वीणा तथा दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी। शब्द के माधुर्य और रस से युक्त होने के कारण इनका नाम सरस्वती पड़ा। सरस्वती ने जब अपनी वीणा को झंकृत किया तो समस्त सृष्टि में नाद की पहली अनुगूंज हुई। चूंकि सरस्वती का अवतरण माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को हुआ था अतः इस दिन को वसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है।

मंत्र है-
सरस्वति नमस्तुभ्यम् वरदे कामरूपिणि। विद्यारंभमं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा।। 
अर्थात् देवी सरस्वती, जो सभी मनोरथ पूरे करती हैं, मैं अपना विद्यारंभ आपकी पूजा से करता हूंय मैं सफलता हेतु प्रार्थना करता हूं। शिक्षा, साहित्य, संगीत, कला से संबंधित सभी कार्यक्रमों और समारोहों का प्रारंभ सरस्वती-वंदना से करने की परम्परा रही है। 
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रवृता, 
या वीणावरदंडमंडित करा या श्वेतपद्मासना। 
या ब्रह्मच्युतशंकप्रभृतिर्भिदेवैरू सदा वंदिता, 
सां मां पातु सरस्वती भगवती निरूशेषजाडयापहा।।’
अर्थात् जो कंद के फूल, चंद्रमा, तुषार (बर्फ) और हार के समान श्वेत हैं, जो शुभ्र वस्त्रों से आवृत्त हैं, जिनके हाथ उत्तम वीणा से सुशोभित हैं, जो श्वेत कमल के आसन पर बैठती हैं, ब्रह्मा-विष्णु-महेश आदि देव जिनकी सदा स्तुति करते हैं, जो सब प्रकार की जड़ता हर लेती हैं, वह भगवती सरस्वती मेरा पालन करें। मां सरस्वती के आशीर्वाद से मन-मस्तिष्क व वाणी पर विद्या-बुद्धि का वास होता है। हमारे विचार बिना अवरोध के प्रवाहित होते हैं। इसलिए वसंत पंचमी के दिन बड़े-बूढ़े, बच्चे सभी पीले वस्त्र धारण कर मां सरस्वती की पूजा-अर्चना कर आशीष प्राप्त करते हैं। 

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महिमा 
त्रिदेवों की भांति तीन शक्तियां भी हैं- महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती। इन तीनों देवियों की विशेष समय में पूजा होती है। महाकाली (दुर्गा) के लिए नवरात्रि, महालक्ष्मी के लिए दीपावली और महासरस्वती के लिए वसंत पंचमी विशेष रूप से विदित हैं। इन तीनों महाशक्तियों का ही विशेष महत्व है। लोग अपनी श्रद्धा और कामना के अनुसार, अपनी-अपनी अभिष्ट देवी की पूजा-अर्चना करते हैं। सामान्य लोगों का झुकाव शक्ति संचय और धन संचय की ओर अधिक होता है। कलियुग में तो यह प्रवृत्ति और भी बढ़ गई है। आज ‘जिसकी लाठी उसकी भैंस’ का जमाना है और धन की महत्ता बढ़ी है। लेकिन आदर्श व्यक्ति सरस्वती की उपासना में ही आत्मसंतुष्टि प्राप्त करते हैं। उनके लिए विद्या की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती का विशेष महत्व है।

विद्वत्त्वं त नृपत्त्वं च नैव तुल्यं कदाचन।
स्वदेशे पूज्यते राजा, विद्वान् सर्वत्र पूज्यते।।

विद्वान का महत्व राजा से अधिक है, राजा का आदर केवल अपने देश में होता है। विद्वान की पूजा सर्वत्र होती है। विद्वानों का कथन है कि देवियों के वाहन ही उनके प्रभाव के प्रतीक हैं। सरस्वती का वाहन हंस, सत्व गुण का प्रतीक है, दुर्गा का वाहन सिंह राजस का प्रतीक है और लक्ष्मी का वाहन उल्लू, तमो गुण का द्योतक है। शक्तिशाली अधिकार चाहता है। अत्यंत धनी व्यक्ति में प्रायरू तामसिक प्रवृत्तियां बढ़ जाती हैं। उनकी गति प्रकाश की अपेक्षा अंधकार में अधिक होती है। सरस्वती के कृपा पात्र प्रायः हंस के समान नीर-क्षीर विवेकी (न्यायी) तथा निर्लिप्त होते हैं। साधु प्रकृति के लोग सरस्वती की उपासना को प्राथमिकता देते हैं क्योंकि वह पारलौकिक दृष्टि से श्रेयस्कर है। गोस्वामी तुलसीदास ने श्रीरामचरितमानस के प्रारंभ में वंदना करते हुए विघ्न विनाशक गणेश से पहले सरस्वती का स्मरण किया है-

वर्णानामर्थसंधानां रसानां छन्दसामापि।
मंगलानां च कर्तारौ वन्दे वाणी विनायकौ।।

अक्षर, शब्द, अर्थ और छंद का ज्ञान देने वाली भगवती सरस्वती तथा मंगलकत्र्ता विनायक की मैं वन्दना करता हूं। देवी भागवत् में उल्लेख है कि भगवान कृष्ण ने सर्वप्रथम सरस्वती पूजन की महत्ता स्थापित की है-

आदौ सरस्वती पूजा कृष्णेन विनिर्मिता।
यत्प्रसादान्मुनि श्रेष्ठ मूर्खो भवति पण्डितरू।।

जिनकी कृपा से मूर्ख भी पंडित हो जाता है, सरस्वती का सम्मान कभी नहीं घटता। पंडित मदन मोहन मालवीय ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना वसंत पंचमी को ही की थी, जो केवल भारत के ही नहीं बल्कि विश्व के प्रमुख विश्वविद्यालयों में से एक है।

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पूजा सामग्री
पीला चंदन, अक्षत (पीले चावल), पुष्प, पुष्पहार, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, दूध, दही, घी, शहद, चीनी-भूरा, गंगाजल, पान के पत्ते, सुपारी, लौंग, इलायची, केसर, आम के पत्ते, अशोक के पत्ते, केले के पत्ते, पुस्तकें, वाद्य यंत्र, पीले वस्त्र-सरस्वती जी के लिए 

पूजा विधि
शुभ मुहूर्त में पूर्व की ओर मुख करके बैठें। चैकी या पटरे पर लाल-पीला कपड़ा बिछाकर सरस्वती की मूर्ति, प्रतिमा या चित्र रखें। कलश को सजाकर रखें। पूजा स्थानध्मंडल को पीले-गुलाबी पुष्पों से सजा लें। घी का दीपक, मां सरस्वती के दाहिनी ओर रखें। स्वयं पीले-गुलाबी वस्त्र पहनें अथवा इन रंगों का दुपट्टा-उत्तरीय ले लें। आचमन करके संकल्प करें- मनोकामना सिद्धयर्थ श्री सरस्वती पूजनं करिष्ये। पंचामृत से अभिषेक कराएं या छींटे लगाएं। गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, ताम्बूल, सुपारी, लौंग, इलायची से पूजन करें। प्रसाद लगाएं। मंत्र बोलकर पुस्तकों, वाद्य यंत्रों की अर्चना करें। मिलकर आरती करें। पुष्पांजलि अर्पण कर प्रणाम करें। पीला चंदन स्वयं व उपस्थित जनों को लगाएं। प्रसाद वितरण करें।

शक्ति की आराधना भी है सरस्वती प्रधान
मत्स्यपुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण, मार्कण्डेयपुराण, स्कंदपुराण, विष्णुर्मोत्तरपुराण तथा अन्य ग्रंथों में भी देवी सरस्वती की महिमा का वर्णन किया गया है। इन धर्मग्रंथों में देवी सरस्वती को सतरूपा, शारदा, वीणापाणि, वाग्देवी, भारती, प्रज्ञापारमिता, वागीश्वरी तथा हंस वाहिनी आदि नामों से भी संबोधित किया गया है। मां सरस्वती को सरस्वती स्तोत्र में ‘श्वेताब्ज पूर्ण विमलासन संस्थिते’ अर्थात श्वेत कमल पर विराजमान या श्वेत हंस पर बैठे हुए बताया गया है। दुर्गा सप्तशती में मां आदिशक्ति के महाकाली महालक्ष्मी और महा सरस्वती रूपों का वर्णन और महात्म्य 13 अध्यायों में बताया गया है। शक्ति को समर्पित इस पवित्र ग्रंथ में 13 में से 8 अध्याय मां सरस्वती को ही समर्पित हैं, जो इस तथ्य को प्रतिपादित करता है कि नाद और ज्ञान का हमारे अध्यात्म में बहुत ज्यादा महत्व है। 

कुंभकर्ण की निद्रा का कारण भी सरस्वती बनी
कहते हैं देवी वर प्राप्त करने के लिए कुंभकर्ण ने दस हजार वर्षों तक गोवर्ण में घोर तपस्या की। जब ब्रह्मा वर देने को तैयार हुए तो देवों ने निवेदन किया कि आप इसको वर तो दे रहे हैं लेकिन यह आसुरी प्रवृत्ति का है और अपने ज्ञान और शक्ति का कभी भी दुरुपयोग कर सकता है, तब ब्रह्मा ने सरस्वती का स्मरण किया। सरस्वती राक्षस की जीभ पर सवार हुईं। सरस्वती के प्रभाव से कुंभकर्ण ने ब्रह्मा से कहा- ‘स्वप्न वर्षाव्यनेकानि। देव देव ममाप्सिनम।’ यानी मैं कई वर्षों तक सोता रहूं, यही मेरी इच्छा है। इस तरह त्रेता युग में कुंभकर्ण सोता ही रहा और जब जागा तो भगवान श्रीराम उसकी मुक्ति का कारण बने।

मां सरस्वती के विभिन्न स्वरूप
विष्णुधर्मोत्तर पुराण में वाग्देवी को चार भुजायुक्त व आभूषणों से सुसज्जित दर्शाया गया है। स्कंद पुराण में सरस्वती जटा-जूटयुक्त, अर्धचन्द्र मस्तक पर धारण किए, कमलासन पर सुशोभित, नील ग्रीवा वाली एवं तीन नेत्रों वाली कही गई हैं। रूप मंडन में वाग्देवी का शांत, सौम्य व शास्त्रोक्त वर्णन मिलता है। दुर्गा सप्तशती में भी सरस्वती के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन मिलता है। 

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नील सरस्वती है साक्षात् लक्ष्मी
वसंत पंचमी के श्रीपंचमी रुप को बहुत कम लोग जानते है। धन और ऐश्वर्य की देवी भगवती लक्ष्मी को भी यह तिथि अत्यंत प्रिय है। माघ शुक्ल पंचमी के दिन लक्ष्मी पूजा करने से विष्णुप्रिया लक्ष्मी प्रसंन होकर समृद्धि का वरदान देती हैं। जिस तिथि में सरस्वती और लक्ष्मी दोनों शक्तियों का मिलन हो वह तिथि यदि सिद्धिदात्री हो जाएं तो कोई आश्चर्य नहीं। शास्त्रों में वर्णित है कि वसंत पंचमी के दिन ही शिव जी ने मां पार्वती को धन और सम्पन्नता की अधिष्ठात्री देवी होने का वरदान दिया था। उनके इस वरदान से मां पार्वती का स्वरूप नीले रंग का हो गया और वे ‘नील सरस्वती’ कहलायीं। इसीलिए इस दिन नील सरस्वती का पूजन करने से धन और सम्पन्नता से सम्बंधित समस्याओं का समाधान होता है। वसंत पंचमी की संध्याकाल को ‘ऐं ह्रीं श्रीं नील सरस्वत्यै नमरू’ मंत्र का जाप कर गौ सेवा करने से धन वृद्धि होती है। ज्योतिष शास्त्र में वसंत पंचमी को स्वयंद्धि मुहूर्त घोषित किया गया है। अर्थात वसंत पंचमी के दिन किसी भी कार्य का श्रीगणेश बिना शुभ मुहूर्त विश्लेषण के किया जा सकता हैं। इस तिथि में किया गया हर काम निर्विघ्नपूर्ण होता है। सगाई, विवाह, यज्ञोपवीत, मुंडन, गृहप्रवेश और नए व्यापार के शुभारंभ के लिए वसंत पंचमी ऐसी शुभ तिथि मानी जाती है जिसके लिए किसी पंडित से मुहूर्त पूछने की आवश्यकता नहीं होती। इसीलिए जनसाधारण में वसंत पंचमी की प्रसिद्धि अनपूछे मुहूर्त के रुप में हो चुकी है। 

अक्षराभ्यास का दिन है वसंत पंचमी
वसंत पंचमी के दिन बच्चों को अक्षराभ्यास कराया जाता है। अक्षराभ्यास से तात्पर्य यह है कि विद्या अध्ययन प्रारम्भ करने से पहले बच्चों के हाथ से अक्षर लिखना प्रारम्भ कराना। इसके लिए माता-पिता अपने बच्चे को गोद में लेकर बैठें। बच्चे के हाथ से गणेश जी को पुष्प समर्पित कराएं और स्वस्तिवचन इत्यादि का पाठ करके बच्चे की जुबान पर शहद से ‘ऐं’ लिखें तत्पश्चात स्लेट पर खड़िया से या कागज पर रक्त चन्दन का, स्याही के रूप में उपयोग करते हुए अनार की कलम से ‘अ’ और ‘ऐं’ लिखवा कर अक्षराभ्यास करवाएं। इस प्रक्रिया के पश्चात बच्चे से इस मंत्र का प्रतिदिन उच्चारण कराएं-

सरस्वती महामाये दिव्य तेज स्वरूपिणी।
हंस वाहिनी समायुक्ता विद्या दानं करोतु मे।

इस प्रक्रिया को करने से बच्चे की बुद्धि तीव्र होगी। इस मंत्र का जाप बड़े बच्चे भी वसंत पंचमी से प्रारम्भ कर सकते हैं, ऐसा करने से उनकी स्मरण शक्ति और प्रखर होगी।

सरस्वती के 12 नाम 
सरस्वती के उपासक का सम्मान कभी नहीं घटता। सरस्वती जी के 12 नाम हैं- भारती, सरस्वती, शारदा, हंसवाहिनी, जगती, वागीश्वरी, कुमुदी, ब्रह्मचारिणी, बुद्धिदात्री, वरदायिनी, चंद्रकांति और भुवनेश्वरी। विद्या और बुद्धि की प्रदाता मां सरस्वती को संगीत की देवी भी कहा गया है। ऋग्वेद में भगवती सरस्वती का वर्णन करते हुए कहा गया है- प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वजिनीवती धीनामणित्रयवस्त्।। अर्थात ये परम चेतना हैं। सरस्वती के रूप में ये हमारी बुद्धि, प्रज्ञा तथा मनोवृत्तियों की संरक्षिका हैं। हमारे भीतर जो मेधा है, उसका आधार भगवती शारदा ही हैं। 

पौराणिक मान्यताएं 
पुराणों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने मां सरस्वती को वरदान दिया था कि आज के दिन सच्चे मन से जो भी तुम्हारी आराधना करेगा, वह विद्वान एवं गुणवान बन समस्त संसार को प्रकाशित करेगा। वसंत पंचमी से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं। त्रेतायुग में जब रावण ने माता सीता का हरण कर लिया, तब भगवान श्रीराम उन्हें ढूंढ़ते हुए अनेक स्थानों पर गए। उन्हीं में से एक स्थान था- दंडकारण्य, जहां शबरी नाम की एक भीलनी रहती थी। भगवान श्रीराम जब उसकी कुटिया में पधारे, शबरी अपनी सुध-बुध खो बैठी और उसने अपने झूठे बेर भगवान को खिलाए। भक्त-भगवान का वह अद्भुत मिलन वसंत पंचमी के दिन ही हुआ था। दंडकारण्य का ये क्षेत्र गुजरात व मध्य प्रदेश में फैला हुआ है। इस क्षेत्र के वनवासी आज भी एक शिला को भगवान श्रीराम का स्वरूप मान कर पूजते हैं। 

बंगाल में हैं अनूठी परंपरा 
यू ंतो पूजा की विधि लगभग हर प्रांत में अपनी-अपनी तरह की होती है, लेकिन इनमें जब कुछ अनूठी परंपराएं जुड़ जाती है तो यह और भी अलग हो जाती है। बंगल में बसंत पंचमी को ‘श्री पंचमी‘ के नाम से भी जाना जाता है। बंगाल के लोग शिक्षा को बहुत अधिक महत्व देते हैं अतः सरस्वती पूजा इनके लिए खास मायने भी रखता है। बंगाल में रिवाज है कि जिस बच्चे की उम्र विद्यालय जाने की हो जाती है, उसके द्वारा सरस्वती पूजा के दौरान उसे स्लेट, बत्ती यानी पेम, किताब, कापी का स्पर्श कराया जाता है। इस रस्म को ‘हाथेर खोड़ी‘ कहा जाता है। कई जगह इसे विद्या प्रासन भी कहते सुना गया है, अन्नप्रासन की तर्ज पर। मजे की बात यह भी है कि इस दिन एक ओर तो छोटे बच्चे का विद्या संस्कार पुस्तक का स्पर्श करा के किया जाता है, वहीं बच्चों को पुस्तक छूने की सख्त मनाही होती है। यानी  िकइस दिन सारी किताबें-काॅपियां, स्लेट-पेंसिंल-पेन सब मां सरस्वती के समक्ष रख दी जाती है और इसे फिर उठाया नहीं जाता। जिसने विद्या दी, ये उसी को समर्पित कर, देवी सरस्वती से दोगुने रुप में वापस लेने की इच्छा का द्योतक हैं। पुस्तक न छूने के पीछे एक और बताया गया है कि इस दिन सरस्वती का पूरे मन से ध्यान लगाने की प्रथा हैं। सो समस्त पुस्तकें मां सरस्वती को समर्पित कर, उसी के सामने बैठ, माता सरस्वती को अपने दिल-दिमाग में बसा लेने के लिए ध्यान लगाया जाता है, इसलिए उस दिन किताबों को वहीं पूजन कक्ष में रखते है, उन्हें उठाया नहीं जाता। बंगाली मीठे के शौकीन होते हैं। बसंत पंचमी के दिन यहां के लोग मीठा खाना पसंद करते हैं। चावल में केसर, मेवा एवं चीनी मिलाकर उसे पकाते हैं। पुलाव की तरह का मीठा चावल इस दिन आमतौर पर लोगों के घरों में बनता है। बूंदिया एवं लड्डू माता को प्रसाद रूप में चढ़ाया जाता है। यह प्रसाद लोग एक दूसरे के भेंट भी करते हैं तथा स्वयं भी खाते हैं।

त्याग-बलिदान का प्रतीक 
बंसत पंचमी के दिन केसरिया एवं पीले रंग का खाना खाने की परम्परा है। यह रंग ओज, उर्जा, सात्विक्ता एवं बलिदान का प्रतीक है। पीले रंग का भोजन बसंत पंचमी के दिन करने का तात्पर्य है कि हमारे शरीर में उर्जा की वृद्धि हो, हम सात्विक बनें और स्वार्थ की भावना से उठकर राष्ट्रहीत में बलिदान हेतु सदैव तैयार रहें

बिहार 
बिहार में बंगाल की तरह ही बसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा की धूम रहती है। इस अवसर पर बिहार के लोग माता सरस्वती को खीर, मालपुए का भोग लगाते हैं। माता को पीले एवं केसरिया रंग का बूंदिया अर्पित करते हैं। बसंत पंचमी के दिन मीठा खाने की परम्परा है। लोग मालपुए, खीर एवं बूंदिया खाते हैं।

झारखंड 
झारखंड में भोले बाबा का मनोकामना शिवलिंग स्थापित है जिसे बाबा वैद्यनाथ के नाम से जाना जाता है। बसंत पंचमी के दिन देवघर में भोले नाथ का तिलकोत्सव मनाया जाता है। इस उत्सव की धूम से पूरा झारखंड उत्साहित रहता है। इस दिन लोग सरस्वती माता के साथ ही साथ भगवान शिव की भी पूजा करते हैं। भगवान शंकर को दूध से श्रद्धालु स्नान कराते हैं। उन्हें तरह-तरह के मिष्ठानों का भोग भी लगाया जाता है। इसमें पीले रंग की मिठाईयां भी शामिल होती हैं। लोग इस दिन मीठा भोजन करते हैं। भगवान श्री कृष्ण और राधा जी प्रेम की प्रतिमूर्ति हैं। शिव के द्वारा भष्म होने के बाद श्री कृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न के रूप में कामदेव का पुनर्जन्म हुआ था। कृष्ण की कृपा से ही कामदेव को पुनः शरीर मिला। इसका आभार व्यक्त करने के लिए भक्तगण बसंत पंचमी के दिन कामदेव के साथ-साथ भगवान श्री कृष्ण की पूजा करते हैं।

मथुरा 
भगवान श्री कृष्ण का वस्त्र पीताम्बर है। उन्हें पीला रंग प्रिय है। भगवान श्री कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा सहित वृंदावन में बसंत पंचमी के दिन कृष्ण भगवान की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। इस मौके पर भगवान को विभिन्न प्रकार के मिष्ठानों का भोग लगाया जाता है। जो भी मिठाईयां इस अवसर पर भगवान को अर्पित किया जाता है उसका रंग पीला होता है। उत्तर प्रदेश में इस अवसर पर लोग पीले रंग की मिठाईयां एवं पीले रंग का मीठा चावल खाते हैं। इस दिन मथुरा में दुर्वासा ऋषि के मन्दिर पर मेला लगता है। सभी मन्दिरों में उत्सव एवं भगवान के विशेष शृंगार होते हैं। वृन्दावन के श्रीबांके बिहारीजी मन्दिर में बसंती कक्ष खुलता है। शाह जी के मंदिर का बसंती कमरा प्रसिद्ध है। यहाँ दर्शन को भरी-भीड़ उमड़ती है। मन्दिरों में बसंती भोग रखे जाते हैं और बसंत के राग गाये जाते हैं बसंम पंचमी से ही होली गाना शुरू हो जाता है। ब्रज का यह परम्परागत उत्सव है। इस दिन सरस्वती पूजा भी होती है। ब्रजवासी बंसती वस्त्र पहनते हैं।

अनोखी है कूका सम्प्रदाय का बसंत पंचमी
पंजाब में बसंत पंचमी के दिन पतंगोत्सव के द्वारा लोग शहीद संत राम प्रसाद कूका को भी याद करते हैं। इनका जन्म बसंत पंचमी के दिन हुआ था। राम प्रसाद कूका महाराजा रणजीत सिंह की सेना में सैनिक थे। बाद में यह संत बन गये। इनके विचारों को सुनकर बहुत से लोग इनके अनुयायी बन गये। राम प्रसाद कूका ने समाज सुधार के कार्य किये। अंग्रेजों ने इनके अनुयायियों को मौत के घाट उतार दिया तथा इन्हें बर्मा के मांडले जेल में भेज दिया जहां कठोर यातनाएं सहते हुए इनकी मृत्यु हो गयी। 

पाकिस्तान में पतंगोत्सव
जश्न-ए-बहारा यानी बसंत पंचमी के मौके पर पाकिस्तान में भी भव्य आयोजन होता है। भारत के पंजाब प्रांत से सटे हुए पाकिस्तान के लाहौर प्रांत में बसंत पंचमी के दिन सुबह से लेकर अंधेरा होने तक लोगों के बीच पतंगबाजी की प्रतियोगिता चलती रहती है। लाहौर में पतंगोत्सव के पीछे लाहौर निवासी वीर हकीकत की कहानी बहुत ही मशहूर है। कहते हैं कि लाहौर में एक हकीकत नाम का व्यक्ति था जो स्कूल में पढ़ाता था। एक दिन स्कूल के प्रधानाचार्य मुल्ला जी कहीं बाहर गये हुए थे। हकीकत छात्रों को पढ़ा रहे थे। छात्र उनकी बात पर ध्यान देने की बजाय अन्य चीजों में मशगूल थे। इस पर हकीकत ने छात्रों को दुर्गा माता की कसम दी। छात्रों ने दुर्गा माता का मजाक उड़ाना शुरू कर दिया। हकीकत को यह बात अच्छी नहीं लगी और उसने छात्रों से कहा कि यदि मैं बीबी फातिमा को बुरा कहूं तो तुम्हें कैसा लगेगा। छात्रों ने मुल्ला जी के वापस आने पर उनसे शिकायत की कि हकीकत ने बीबी फातिमा को गाली दी है। यह बात काजी तक पहुंच गयी और हकीकत पर इस्लाम को स्वीकार करने के लिए दबाव डाला जाने लगा। हकीकत ने जब इस्लाम स्वीकार करना कुबूल नहीं किया तो उसे मृत्यु दंड की सजा दी गई। कहते हैं कि जैसे ही जल्लाद ने हकीकत के सिर पर तलवार चलाया हकीकत का सिर कटकर आसमान में चला गया। पाकिस्तान में लाहौर निवासी इस दिन पतंग उड़ाकर आसमान में हकीकत के सिर को सलामी देते हैं।  




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(सुरेश गांधी)




रॉबिन सोही की बॉलीवुड़ में दस्तक

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थिएटर एक माध्यम है,कला को निखारने का। ओमपुरी,अमरीशपुरी,नीना गुप्ता,नसरूद्दीन शाह जैसे अनेकों कलाकारों ने फिल्मों में डेब्यू किया।अब सी राह को अपनाते हुए बॉलीवुड़ में अपनी दो फिल्मों के साथ एंट्री कर रहे है अभिनेता रॉबिन सोही। जो एक सक्रिय थिएटर कलाकार है। उनकी जल्द ही मार्च माह के आसपास पहली फिल्म ‘एकता’ रिलीज होगी और उसके बाद तुरंत ही उन्होंने दूसरी फिल्म साइन की है, जिसमें रॉम-कॉम स्टोरी है और इस फिल्म का नाम है ‘राजा एब्रोडिया’। अपने सुनहरे सपने फिल्मनगरी में पूरे करने के लिए हरियाणा के करनाल से यह सिख जाट चार साल पहले मुंबई आए और कुछ ही समय में सड़क शो करते हुए एबीएसएस थिएटर ग्रुप से जुट गए।थिएटर में काम करते हुए एक वास्तविक अभिनेता बन जाता है। फिल्म ‘राजा एब्रोडिया’ के बारे में बहुत ही उत्साहित होकर रॉबिन बताते है कि ‘मैं आज जो भी हूं, वह सिर्फ थिएटर की बदौलत ही है। थिएटर करते हुए मैं फिल्मों में पहुंच गया हूं। मेरी पहली फिल्म के रिलीज के पहले ही मैं दूसरी फिल्म की शूटिंग शुरु कर रहा हूं। इससे बेहतर और क्या हो सकता है ? रॉबिन उत्साह से कहते हैं।’





‘राजा एब्रोडिया’ की शूटिंग भारत और जर्मनी में होगी और इस बारे में रॉबिन बताते है कि ‘जब मैं इस फिल्म की स्क्रिप्ट सुनी तो दोबारा सुनने की आवश्यकता नहीं महसूस हुई, क्योंकि यह बहुत ही दिलचस्प रॉम-कॉम स्टोरी है और इसका कन्सेप्ट भी अनोखा है। जब मैं स्क्रिप्ट सुन रहा था तब हंसी रोक नही पाया। इसमें कॉमिक पंचेस है, जो हास्यप्रधान है और यही राजा का कैरेक्टर है, जो मैं प्ले कर रहा हूं।’खैर, रॉबिन काफी उत्साहित है और उनको भरोसा है कि यह एक सुपरहिट फिल्म बन जाएगी। शबला फिल्म्स प्रा.लिमिटेड बैनर के तले निर्माता-निर्देशक लखविंदर शबला फिल्म ‘राजा एब्रोडिया’ बना रहे है। ‘राजा एब्रोडिया’ की रॉम कॉम स्टोरी है, जिसमें रईस है, लेकिन कम पढ़ा-लिखा लड़का है और गरीब लड़की है, लेकिन उच्च शिक्षित है। इन दोनों फैसला करते है कि विदेश जाकर नकली शादी करेंगे। संगीत दिया है मुख्तार सहोटा। फिल्म के लेखक मनी मनजींद्रर सिंह, कास्टिंग निर्देशक दिनेश सुदर्शन सोई।  

आलेख : कब तक दांव पर लगेगा नारी अस्तित्व?

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राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के बुराड़ी के भीड़भरे इलाके में मंगलवार को दिन-दहाड़े बीच सड़क पर 21 साल की एक युवती को 34 साल के एक सिरफिरे आशिक ने ढाई मिनट में कंैची से बाइस बार गोद डाला, इस रोंगटे खड़ी कर देने वाली दर्दनाक, वीभत्स, डरावनी घटना को देखकर देश की संवेदना एक बार फिर थर्रा गई है, खौफ व्याप्त हो गया है और हर कोई स्वयं को असुरक्षित मान रहा है। आरोपी सेवानिवृत्त पुलिस सब-इंस्पेक्टर का बेटा है और एक कम्प्यूटर संस्थान चलाता है। युवती ने साल भर पहले इसके संस्थान से प्रशिक्षण लिया था और फिलहाल एक निजी स्कूल में शिक्षिका थी। हत्यारे का दावा है कि वह युवती से प्यार करता था, उससे शादी करना चाहता था। युवती ने शादी का प्रस्ताव ठुकरा दिया, तो भी उसका पीछा करना उसने नहीं छोड़ा। जब आरोपी को पता चला कि युवती की शादी किसी ओर से तय हो गई है, तब उसने हत्या की योजना बनाई। ऐसी घटनाएं देश भर में बढ़ रही हैं, दिल्ली में बाकी जगहों से कुछ ज्यादा ही इन घटनाओं का बढ़ना गंभीर चिन्ता का विषय है। क्या हो गया है लोगांे को - सोच ही बदल चुकी है। जो चीज अन्तिम हुआ करती थी वह प्रथम हो गई। मनुष्य को मार देना, कितना आसान हो गया है। मनुष्य जीवन अमूल्य है। निरपराध मारा जा रहा है। मनुष्य नहीं मर रहा है, मनुष्यता मर रही है। विशेषतः महिलाओं पर हो रहे इस तरह के अत्याचार, हिंसक वार और स्टाॅकिंग की घटनाएं समाज के संवेदनाशून्य और क्रूर होते जाने की स्थिति को ही दर्शाता है। लगातार समाज के बीमार मन एवं बीमार समाज की स्थितियों नारी के सम्मुख चुनौती खड़ी कर दी है। नारी का यह बलिदान क्या केवल एक जीवन का अंत भर है? उन्माद एवं कुत्सित वासना के आगे असहाय निरुपाय खड़ी नारी पूछती है-इस जिस्म के लिये कब तक नारी संहार होगा? उसकी मांग के सिन्दूर, हाथ की राखी और आंचल के दूध का क्या होगा? अपने प्यार को जबरन जाहिर करने या अपनी कुत्सित इच्छा थोपने में नाकाम सिरफिरों द्वारा महिलाओं और युवतियों की हत्या या उन्हें जख्मी करने की वारदातें लगातार बढ़ती जा रही हैं। ऐसे मामलों में अपराधियों की क्रूरता तो घोर चिंताजनक है ही, संवेदना से रिक्त होते समाज का व्यवहार भी विचलित करता है। इसी हफ्ते रविवार शाम की एक अन्य घटना में दिल्ली के इंदरपुरी में रहने वाली एक शादीशुदा महिला की हत्या कर दी गई। पता चला कि आरोपी छह साल से महिला का पीछा कर रहा था। दूसरी घटना मंगोलपुरी इलाके में हुई, जहां बातचीत बंद करने से बौखलाए एक युवक ने पड़ोस में रहने वाली युवती के घर जाकर उसे बालकनी से नीचे फेंक दिया। पिछले माह भी दिल्ली में ही दो लड़कों ने नौवीं कक्षा की एक छात्रा के साथ गैंगरेप करने के बाद उसका मर्डर कर दिया। दोनों लड़के 6 माह से लड़की का पीछा कर रहे थे। इससे पहले कानपुर में चैदह साल की एक लड़की ने इसलिये आत्महत्या कर ली थी, क्योंकि उसी के स्कूल का एक अध्यापक स्कूटर से रोज उसका पीछा करता था। हरियाणा के रोहतक की दो छात्राओं ने भी स्टाॅकिंग से परेशान होकर जहर खाकर जीवनलीला समाप्त कर दी। मुम्बई में फेसबुक की स्टाॅकिंग से परेशान होकर एक बालिका ने जान दे दी। 





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देश और दुनिया के स्तर पर देखा जाए तो किसी भी देश का, किसी भी दिन का अखबार उठाकर देख लें, महिला अपराध से संबंधित समाचार प्रमुखता से मिलेंगे। कहीं झपटमार लोगों द्वारा महिलाओं के आभूषण छीने जा रहे हैं तो कहीं राह चलते उनके साथ दुव्र्यवहार हो रहा है। कहीं कार्यालय के सहयोगी, बाॅस व अड़ोस-पड़ोस के लोग उनका गलत रूप में शोषण कर रहे हैं तो कहीं बलात्कार की घटना घटित हो रही है, कहीं अपनी अवांछित इच्छाएं एवं कुत्सित भावनाएं थोपने के लिये स्टाॅकिंग किया जाता है। कहीं असंतोष, विद्रोह या आक्रोश से भड़के व्यक्ति तंदूर कांड जैसे हत्याकांड करने से और कहीं अपनी वासनाओं के लिये निर्भया को गैंगरेप का शिकार बनाने से भी नहीं चूकते। महिला अपराध संबंधी कितनी ही कुत्सित, घृणित एवं भत्र्सना के योग्य घटनाएं आज हम अपने आसपास के परिवेश में देखते हैं। वैश्विक स्तर पर यह आंकड़ा कितना बड़ा होगा, आकलन कर पाना भी कठिन है। सिर्फ महिलाओं के साथ ही नहीं, स्कूल में पढ़नेवाली दस-बारह साल की कन्याओं के साथ ही ऐसी घटनाएं सुनने में आती हैं, जिसकी कल्पना कर पाना भी असंभव है। खास तौर पर काॅलेज में एवं उच्च शिक्षा प्राप्त करनेवाली छात्राएं तो आज इतनी चिंतनीय स्थिति में पहुंच गई हैं, जहां रक्षक ही भक्षक के रूप में दिखाई पड़ते हैं। वे इतनी असुरक्षित और इतनी विवश हैं कि कोई भी ऊंची-नीची बात हो जाने के बाद भी उनके चुप्पी साध लेने के सिवाय और कोई चारा नहीं है। परिस्थितियों से प्रताड़ित होकर कुछ तो आत्महत्या तक कर लेती हैं और कुछ को मार दिया जाता है।

सुप्रसिद्ध समाजशास्त्री डाॅ. मृदुला सिन्हा ने महिलाओं की असुरक्षा के संदर्भ में एक कटु सत्य को रेखांकित किया है- ‘अनपढ़ या कम पढ़ी-लिखी महिलाएं ऐसे हादसों का प्रतिकार करती हैं, किन्तु पढ़ी-लिखी लड़कियां मौन रह जाती हैं।’ सचमुच यह एक चैंका देनेवाला सत्य है। पढ़ी-लिखी महिला इस प्रकार के किसी हादसे का शिकार होने के बाद यह चिंतन करती है कि प्रतिकार करने से उसकी बदनामी होगी, उसके पारिवारिक रिश्तों पर असर पड़ेगा, उसका कैरियर चैपट हो जाएगा, आगे जाकर उसको कोई विशेष अवसर नहीं मिल सकेगा, उसके लिए विकास का द्वार बंद हो जाएगा। वस्तुतः एक महिला प्रकृति से तो कमजोर है ही, शक्ति से भी इतनी कमजोर है कि वह अपनी मानसिक सोच को भी उसी के अनुरूप ढाल लेती है। बुराड़ी की ताजा घटना और स्टाॅकिंग की बढ़ रही घटनाएं- समाज में महिलाओं और युवतियों की इच्छाओं को सम्मान न देने की दूषित भावना की उपज हैं। साफ है कि इनमें आरोपी युवक, युवतियों के प्रति एक सनकभरा आकर्षण रखते थे और उन्हें अपनी हवस का शिकार बनाना चाहते थे। इस हवस को वे कहीं प्रेम तो कहीं शादी-प्रस्ताव का नाम देकर जायज ठहराने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन जब युवतियों ने उनकी मनमर्जी को मानने से इनकार किया तो वे हिंसक हो उठे। बदले में उन बदमिजाज युवकों ने वही किया, जो एक सनकी अपराधी करता है। 

इसमें कानून-व्यवस्था के रक्षकों का भी बड़ा दोष है। निर्भया कांड के बाद 2013 में बने कानून के तहत किसी लड़की का पीछा करना अपराध है। फिर भी आए दिन ऐसी घटनाएं हो रही हैं, लेकिन पुलिसतंत्र या कानून का खौफ अपराधियों के हौसले को कम नहीं कर पाता है? क्यों? क्या ऐसे अपराध सिर्फ समाजशास्त्र के ही विषय हैं? कानून-व्यवस्था आखिर तब किसे कहते हैं? कानून की छूट या कानून की बंदिश ने कभी सुधार नहीं किया। कानून की अपनी सीमा है, जो कभी जड़ तक नहीं पहुंचती और सुधार कभी ऊपर से नहीं होता उसकी जड़ तक पहुंचना पड़ता है। एक बड़ा चिंतनीय पहलू समाज की संवेदनहीनता से भी जुड़ा है। ऐसी घटनाओं के वक्त वहां मौजूद लोगों के खामोश तमाशाई बने रहने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। बुराड़ी की घटना में एक व्यक्ति आगे बढ़ता है, फिर पीछे लौट जाता है। जबकि वहां ढेर सारे लोग मौजूद थे। उनमें से अगर दो-चार और लोगों ने हिम्मत बटोरी होती तो शायद युवती की जान बचाई जा सकती थी। आखिर हमारा समाज किधर जा रहा है!

आजीवन शोषण, दमन अत्याचार और अपमान की शिकार रही भारतीय नारी को अब और नये-नये तरीकों से कब तक जहर के घूंट पीने को विवश होना होगा। अत्यंत विवशता और निरीहता से देख रही है वह यह क्रूर अपमान, यह वीभत्स अनादर, यह जानलेवा अत्याचार। उसके उपेक्षित कौन से पक्ष में टूटेगी हमारी यह चुप्पी? कब टूटेगी हमारी यह मूच्र्छा? कब बदलेगी हमारी सोच। यह सब हमारे बदलने पर निर्भर करता है। हमें एक बात बहुत ईमानदारी से स्वीकारनी है कि गलत रास्तों पर चलकर कभी सही नहीं हुआ जा सकता। पुरुष क्या कर रहा है, क्या करता रहा है, उसे कहने से हम अपने दोषों को जस्टिफाई नहीं कर सकते। और न ही हमें करना चाहिए। यदि हम सच में नारी के अस्तित्व एवं अस्मिता को सम्मान देना चाहते हैं तो! ईमानदार स्वीकारोक्ति और पड़ताल के बिना हमारी दुनिया में न कोई क्रांति संभव है, न प्रतिक्रांति। 





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(ललित गर्ग)
ई-253, सरस्वती कंुज अपार्टमेंट
25 आई॰ पी॰ एक्सटेंशन, पटपड़गंज, दिल्ली-92
फोनः 22727486, 9811051133

रितेश देशमुख, नरगिस फाखरी ने बिग ग्रीन गणेशा सीजन 9 को सपोर्ट किया

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गणेश चतुर्थी के जश्न के माहौल को एक और नये मुकाम पर पहुंचाते हुये अभिनेता रितेश देशमुख 92.7 बिग एफएम के बिग ग्रीन गणेशा को स्पोर्ट करने के लिये आगे आये हैं। वहां वह अपनी फिल्म ‘बैंजांे के प्रमोशन करते नजर आयें। उन्होंने फिल्म की अभिनेत्री नरगिस फाखरी और निर्माता कृशिका लुल्ला के साथ इस पहल को अपना समर्थन दिया। मूवी रिलीज से पहले 12 सितंबर को ये तीनों 92.7 बिग एफएम के स्टूडियो पहुंचे और बाप्पा का आर्शीवाद लिया।  रितेश देशमुख ने बिग ग्रीन गणेशा कैम्पेन को अपना सम्पूर्ण समर्थन प्रदान किया है। हाल ही में रितेश इको-फ्रेंडली गणेश बनाने के लिये सुर्खियों में भी रहे हैं। उन्होंने इस पहल की पवित्रता के बारे में बात की और साथ ही बताया कि किस तरह गणेश उत्सव के दौरान वे इको-फ्रेंडली गतिविधियों को अंजाम देने में विश्वास रखते हैं। उन्होंने इतने बड़े स्तर पर इको फ्रेंडली अभियान का प्रसार करने के लिये 92.7 बिग एफएम को शुभकामनायें दीं। रितेश देशमुख ने अपनी आगामी फिल्म बैंजो के बारे में भी बात की और मूवी की शूटिंग के दौरान हुये विभिन्न अनुभव साझा किये। 





इस अवसर पर प्रतिभाशाली अभिनेता रितेश देशमुख ने कहा, ‘‘92.7 बिग एफएम द्वारा शुरू की गई यह एक अच्छी पहल है। मैंने खुद भी एक इको-फ्रेंडली गणेश का निर्माण किया है; हालांकि, मैं सोचता हूं कि मुझे यह काफी पहले करना चाहिये था। हम जो भी देते हैं, वही हमें वापस मिलता है। हमें अपने पर्यावरण का सम्मान करना चाहिये, तभी प्रकृति भी हमारा सम्मान करेगी। मैं बिग ग्रीन गणेशा के 9वें सीजन के लिये 92.7 बिग एफएम को बधाई देता हूं। इस नेक कार्य को सहयोग देकर मुझे खुशी हो रही है। मुझे बहुत अच्छा लग रहा है कि मेरी फिल्म गणेश उत्सव के दौरान रिलीज हो रही है और हम बाप्पा का आर्शीवाद पाने के लिये आभारी हैं।‘‘ निर्माता कृशिका लुल्ला भी इवेंट में मौजूद थीं। उन्होंने कहा, ‘‘92.7 बिग एफएम द्वारा शुरू की गई इस खूबसूरत पहल का हिस्सा बनकर अच्छा लग रहा है। गणपति बप्पा मोरया।‘‘

ईरान का मिसाइल परीक्षण अस्वीकार्य : हैली

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जेनेवा,01 फरवरी, संयुक्त राष्ट्र संघ में अमेरिका की नवनियुक्त राजदूत निक्की हैली ने ईरान को चेतावनी देते हुये कहा है कि दो दिन पहले उसके द्वारा किया गया मिसाइल परीक्षण अस्वीकार्य है और अमेरिका इसे विश्व शक्तियों के साथ किये गये परमाणु समझौते का उल्लंघन मानता है। ईरान पर सुरक्षा परिषद के विचार-विमर्श के बाद श्रीमति हैली ने पत्रकारों से कहा,“ मैं दुनिया भर के लोगों को बताउंगी की यह कुछ ऐसा है जिसके बारे में आपको आगाह किया जाना चाहिये। । हम इस मुद्दे पर आपके साथ खड़े नहीं है। ” वहीं र्इरान ने इस मुद्दे के बचाव में कल कहा था कि वह बैलिस्टिक मिसाइल का प्रयोग दूसरे देश पर हमले के लिये नहीं करेगा। यह मिसाइल कार्यक्रम विश्व शक्तियों के साथ किये गये परमाणु समझौते का उल्लंघन या संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का उल्लंघन नहीं है।




पूर्व केंद्रीय मंत्री ई अहमद का निधन

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नयी दिल्ली,01 फरवरी, इंडियन मुस्लिम लीग के नेता अौर पूर्व केंद्रीय मंत्री ई अहमद का आज तड़के निधन हो गया। श्री अहमद कल संसद के दाेनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान अचानक अपनी सीट से गिर पड़े थे। उन्हें दिल का दौड़ा पड़ा था। जिसके बाद उन्हें तुरंत राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले जाया गया जहां मंगलवार की देर रात उनका निधन हो गया। 78 वर्षीय श्री अहमद केरल के मल्लापुरम लोकसभा सीट से सांसद थे। वह मनमोहन सिंह सरकार के समय विदेश राज्यमंत्री रहे । श्री अहमद 1982 से 1987 तक केरल मंत्रीमंडल में भी मंत्री रहे।




बजट : राजनीतिक दल 2000 रूपये ही नगद चंदा ले सकेंगे

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नयी दिल्ली 01 फरवरी, सरकार ने राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे में पारदर्शिता लाने के मकसद से एक बड़ा फैसला लेते हुये किसी एक स्रोत्र से दो हजार रूपये से अधिक नगद चंदा लेने पर रोक लगाने का प्रस्ताव किया है। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने लोकसभा में आज 2017-18 का आम बजट पेश करते हुये यह प्रस्ताव किया। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल 2000 रूपये से अधिक चंदा सिर्फ चैक से या डिजिटल भुगतान के माध्यम से ले सकेंगे। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे में पारदर्शिता लाना जरूरी है। चुनाव आयोग ने सिफारिश की थी कि किसी एक स्रोत्र से पार्टियों काे 2000 रूपये से अधिक का चंदा नगद लेने की इजाजत नहीं होनी चाहिए। सरकार ने इसे स्वीकार करने का फैसला किया है। अब तक नगद चंदा लेने की सीमा 20 हजार रूपये है।





बजट : नये वित्त वर्ष में नोटबंदी का असर नहीं : जेटली

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नयी दिल्ली 01 फरवरी, नोटबंदी को अर्थव्यवस्था के लिए दीर्घकालिक आधार पर लाभकारी बताते हुये वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में आज वर्ष 2017-18 का आम बजट पेश किया और कहा कि कालेधन , नकली नोट और आंतकवाद के वित्त पोषण पर प्रहार के उद्देश्य से की गयी नोटबंदी का असर नये वित्त वर्ष में नहीं रहेगा। श्री जेटली ने बजट पेश करते हुये कहा कि नोटबंदी का मकसद बड़ी और साफ सुथरी अर्थव्यवस्था बनाना है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार महंगाई दर को नीचे लाने में सफल रही है। मुद्रास्फीति भी घटी है और वर्ष 2017 में विकास दर बढे़गी। दुनिया भर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश घटा है लेकिन भारत में यह बढ़ा है। चालू खाते का घाटा कम हुआ है और यह चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में जीडीपी का 0.3 प्रतिशत रहा है। उन्होंने बजट भाषण के शुरुआत में बदलाव को अपनाने के लिए कहा। उन्होंने यह शायरी पढ़ी ‘जो बात नई है, उसे अपनाइए आप। डरते हैं क्यों नई राह पर चलने से, हम आगे आगे चलते हैं, आइए।’ पहली बार आम बजट के साथ रेल बजट को पेश करते हुये श्री जेटली ने कहा कि रेलवे की स्वायत्त्तता बनी रहेगी। सरकार की आर्थिक नीतियों के केंद्र में रेलवे है। वित्त मंत्री ने ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन में मददगार मनरेगा के आवंटन में भारी बढोतरी करने का ऐलान करते हुये कहा कि बजट 10 बड़ी बातों पर केन्द्रित है जिनमें किसान, गांव,युवा, गरीब, इन्फ्रास्ट्रक्चर, वित्तीय क्षेत्र, डिजिटल इंडिया, सरकारी सेवा, वमितव्ययीता और सरल कर शामिल है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण एवं संबद्ध क्षेत्रों के लिए वर्ष 2017-18 में 1,87,223 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। दीनदयाल ग्राम ज्योति योजना के लिए 2,814 करोड़ रुपये, मनरेगा के लिए 48,000 करोड़ रुपये का प्रावधान है। वर्ष 2016-17 में मनरेगा के लिए 38,500 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। उन्होंने कहा कि 10 लाख करोड़ रुपये के कृषि ऋण का लक्ष्य रखा गया। फसल बीमा के लिए 9 हजार करोड़ अतिरिक्त का प्रावधान किया गया है। नाबार्ड के लिए 20 हजार करोड़ के आवंटन का प्रावधान है। नाबार्ड के तहत सिंचाई के लिए दीर्घकालिक आवंटन को 30 हजार करोड़ रुपये से बढाकर 40 हजार करोड़ रुपये कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों के लिए भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) की नई पेंशन योजना आयेगी। वरिष्ठ नागरिकों को आधार आधारित स्वास्थ्य कार्ड जारी करने की योजना है।




ई अहमद को लोकसभा में दी गयी श्रद्धांजलि, कल कार्यवाही रहेगी स्थगित

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नयी दिल्ली,  01 फरवरी (वार्ता) लोकसभा ने आज सांसद ई अहमद के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने श्री अहमद के निधन की सूचना दी और अपना शोक संदेश पढा। उसके बाद सदन ने दो मिनट का मौन रखकर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। श्रीमती महाजन ने कहा कि श्री अहमद कल राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान बेहोश हो गए थे और उसके तत्काल बाद उन्हें राममनोहर लोहिया अस्पताल पहुंचाया गया जहां उनका निधन हो गया। उन्होंने कहा वह सदन की भावनाओं को समझती हैं और वह श्री अहमद के सम्मान में सदन की कार्यवाही आज स्थगित कर देतीं लेकिन बजट एक संवैधानिक दायित्व है और इसे पेश करने की तिथि पहले से तय है इसलिए इसे पेश किया जाएगा और उनके सम्मान में सदन की कार्यवाही कल स्थगित रहेगी। सदन में कांग्रेस ने नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने कहा कि श्री अहमद कल राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान अस्वस्थ हुए थे और ‘अपनी ड्यूटी’ पर थे। श्री अहमद केरल के प्रमुख नेता रहे हैं और करीब साढे चार दशक तक वह विधायी कार्यों से जुड़े रहे। इसे देखते हुए उनके सम्मान में आज कार्यवाही स्थगित करके बजट कल पेश किया जाना चाहिए लेकिन अध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने अपना निर्णय दे दिया है । उसके बाद उन्होंने वित्त मंत्री अरुण जेटली का नाम बजट पेश करने के लिए पुकारा। इसी बीच विपक्षी सांसदों ने शोर शराबा किया लेकिन बाद में शांत हो गए।




बजट : रक्षा क्षेत्र के लिए 2,74,114 करोड रूपये

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नयी दिल्ली 01 फरवरी (वार्ता) सरकार ने वर्ष 2017-18 के बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए 2,74,114 करोड रूपये का प्रावधान किया है जो पिछले वर्ष के आवंटन से लगभग 16 हजार करोड रूपये अधिक है। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज लोकसभा में वर्ष 2017-18 का बजट पेश करते हुए यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि 2,74,114 करोड रूपये की राशि में पेंशन संबंधी खर्च शामिल नहीं है। वर्ष 2016-17 में रक्षा क्षेत्र के लिए 2,58,000 करोड रूपये का आवंटन किया गया था। इसके अलावा 60 हजार करोड रूपये का प्रावधान एक रैंक एक पेंशन के लिए अलग किया गया था। वर्ष 2015-16 में रक्षा क्षेत्र के लिए 2,46, 000 करोड रूपये का आवंटन किया गया था। 




ट्रंप ने नील गोर्सचर को सुप्रीम कोर्ट जज नियुक्त किया

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वाशिंगटन 01 फरवरी, अमेरिका के राष्ट्रपति डाेनाल्ड ट्रंप ने कंजरवेटिव अमेरिकी अपील न्यायालय के न्यायाधीश नील गोर्सुच को देश के सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया है। पिछले एक वर्ष से अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट में एक न्यायाधीश का पद रिक्त पड़ा हुआ था और श्री नील की न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति से न्यायालय में कंजरवेटिव न्यायाधीशों की बहुमत होगी। एक अन्य अहम नियुक्ति में रोनाल्ड विटिइल्लो को अमेरिकी सीमा बल का प्रमुख बनाया गया है । विटिइल्लों मार्क मोर्गन की जगह लेंगे , जिन्हें कड़े अव्रजन नीति के लागू होने के बाद पद से हटने के लिये कहा गया था।




बजट में किसानों, डिजिटल अर्थव्यवस्था व बुनियादी ढांचे सहित 10 क्षेत्रों पर विशेष ध्यान: जेटली

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नयी दिल्ली, एक फरवरी, वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज कहा कि रूपांतरित, उर्जावान व स्वच्छ भारत (टेकइंडिया) के लिए उनके बजट (2017-18) में 10 महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर जोर रहेगा जिसमें किसान, बुनियादी ढांचा, डिजिटल अर्थव्यवस्था व कर प्रशासन शामिल है। बजट में जिन और क्षेत्रों पर जोर रहेगा उनमें ग्रामीण भारत, युवा, गरीब व वंचित तबका, वित्तीय क्षेत्र, जन सेवा व सुविचारित राजकोषीय प्रबंधन शामिल है। जेटली ने बजट पेश करते हुए बजट के तीन मुख्य एजेंडे टीईसीइंडिया (टेकइंडिया) तय किया और कहा,‘आर्थिक गतिविधियों को बल देने के लिए सरकार सुधारों को जारी रखेगी।’ जेटली ने मनरेगा के लिए आवंटन बढाकर ‘सबसे अधिक’ 48,000 करोड़ रपये करने तथा कृषि रिण के लिए 10 लाख करोड़ रपये के प्रावधान की घोषणा की। इसी तरह 20,000 करोड़ रपये के अतिरिक्त कोष के साथ नाबार्ड में दीर्घकालिक सिंचाई कोष स्थापित किए जाने का प्रस्ताव है।




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