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विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी जल्द पूरी होगी: जावडेकर

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नयी दिल्ली 02 फरवरी, मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने विश्वविद्यालयों में बडी संख्या में शिक्षकों के पद खाली रहने पर चिंता व्यक्त करते हुए अाज कहा कि इन्हें भरने के लिए साल भर का कार्यक्रम चलाया जायेगा और आगामी दिसम्बर तक ज्यादातर रिक्त पदों पर नियुक्ति कर दी जायेगी। श्री जावडेकर ने राज्यसभा में पूरक प्रश्नों के जवाब में कहा कि यह चिंता का विषय है कि विश्वविद्यालयों और कालेजों में शिक्षकों के 17 हजार पदों में से लगभग 6000 रिक्त हैं और तदर्थ शिक्षकों से काम चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों की नियुक्ति के बारे में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्धारित दिशा निर्देश हैं लेकिन पिछले 6-7 वर्षों में इनका पालन नहीं किया गया। आदर्श स्थिति में कालेजों में तदर्थ शिक्षकों की संख्या 10 फीसदी से अधिक नहीं होनी चाहिए लेकिन कई जगह इनकी संख्या बहुत ज्यादा है । दिल्ली विश्वविद्यालय में ही 9 हजार में से लगभग 4 हजार शिक्षक तदर्थ हैं। उन्होंने कहा कि सरकार इस बात की पक्षधर है कि विश्वविद्यालयों में स्थायी शिक्षकों के पद ज्यादा से ज्यादा होने चाहिए। इसे ध्यान में रखते हुए शिक्षकों के रिक्त पद भरने के लिए साल भर का कार्यक्रम चलाया जायेगा और उन्हें उम्मीद है कि इस वर्ष के अंत तक ज्यादातर खाली पदों को भर लिया जायेगा। कालेजों में शिक्षकों के रिक्त पदों के बारे में हर महीने समीक्षा की जायेगी और उसके आधार पर इन पदों को भरने की दिशा में कदम उठाये जायेंगे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डा कर्ण सिंह ने रिक्त पदों का सवाल उठाते हुए कहा कि यह विडंबना है कि एक ओर देश में पढे लिखे बेरोजगारों की संख्या निरंतर बढ रही है और दूसरी तरफ सशस्त्र बलों , विश्वविद्यालयों और न्यायपालिका में बडी संख्या में पद रिक्त पडे हैं। एक सदस्य ने कहा कि विश्वभारती विश्वविद्यालय जिसके कुलपति खुद प्रधानमंत्री हैं उसमें भी शिक्षकों के 127 पद खाली हैं। 


नोटबंदी की असफलता से मिले सबक की है बजट में झलक : चिदम्बरम

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नयी दिल्ली, 02 फरवरी, कांग्रेस ने आज कहा कि नोटबंदी की असफलता से मोदी सरकार का आत्मविश्वास टूटा है और जल्दबाजी में इस तरह के निर्णय लेने के दुष्परिणाम से उसने जो सबक सीखा है उसकी झलक 2017-18 के बजट में दिखायी दे रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व वित्त मंत्री पी चिदम्बरम ने यहां पार्टी मुख्यालय में विशेष संवाददाता सम्मेलन में कहा कि गरीबों के लिए आवास, अनिवार्य नकदी रहित व्यवस्था, राजनीतिक दलों के लिए नकद चंदा लेने की नयी सीमा तय करने तथा फसल के लिए 40 प्रतिशत बीमा व्यवस्था जैसे उपाय अच्छे कदम हैं लेकिन अर्थव्यवस्था की गंभीर चुनौतियों के समाधान के लिए कोई उपाय नहीं किए गए हैं। उन्होंने कहा कि नोटबंदी का कदम जल्दबाजी में उठाया गया था और वह असफल रहा। इस शिकस्त से सरकार का आत्मविश्वास चकनाचूर हुआ है और सुधारों से उसने अपने कदम पीछे खींच लिए हैं। देश के समक्ष मौजूद चुनौतियों के कारण समाज का हर वर्ग खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है। श्री चिदम्बरम ने कहा कि वित्त मंत्री ने अच्छा काम किया है कि उन्होंने बजट तैयार करने में कोई जल्दबाजी वाला या विध्वंसकारी काम नहीं किया है।

ममता ने ट्रम्प सरकार की एच-1बी वीजा नीति पर जताई चिंता

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नयी दिल्ली ,02 फरवरी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अमेरिका की ट्रंप सरकार की ओर से प्रस्तावित एच-1बी वीजा विधेयक को लेकर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि इससे भारत की सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियां और उनके कर्मचारी प्रभावित हो सकते हैं। सुश्री बनर्जी ने इस बारे में लगातार कई ट्वीट करते हुए कहा कि अमेरिकी सरकार एच-1 बीवीजा को लेकर जो बदलाव करने की तैयारी कर रही है वह चिंताजनक है। इससे भारतीय आईटी कंपनियों और उनके कर्मचारियों का बचाव करना जरुरी है। उन्होंने कहा, “भारत के पास सूचना प्राैद्योगिकी के क्षेत्र में विश्वस्तरीय योग्यता वाले लोग हैं इसलिए हम सभी को उनके हिताें की रक्षा करनी चाहिए। ” उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पदभार संभालने के साथ ही अमेरिका की आव्रजन नीतियों को सख्त बनाना शुरु कर दिया है और ‘हायर अमेरिका’ की अपनी नीति को आगे बढ़ाते हुए अमेरिका में काम करने आने वालों के लिए जारी ‘एच-1बी वीजा ’में बदलाव की तैयारी शुरु कर दी है। यदि एच वन-बी वीजा में संशोधन वाला विधेयक अमेरिकी संसद में पारित हो जाता है तो इससे वहां काम करने वाले भारतीय आईटी पेशेवराें के साथ ही भारतीय आईटी कंपनियां भी बुरी तरह प्रभावित होंगी। अमेरिका के आईटी क्षेत्र में काम करने वाले वेदिशियों में सबसे बड़ी संख्या भारतीयों की ही है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप पहले ही कह चुके हैं कि भारत सरकार ट्रंप शासन और अमेरिकी संसद के वरिष्ठ सदस्याें को एच-1बी वीजा के बारे में अपनी चिंताआें से अवगत करा चुकी है।

हरियाणा की छह बालिकाएं बनेंगी स्वस्थ् बालिका स्वस्थ समाज का गुडविल अम्बेसडर

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  •  सुनील सैनी हुए गुरूग्राम के संयोजक

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दिल्ली से जयपुर आने के क्रम में स्वस्थ भारत यात्रा का स्वागत रास्ते में नेस्टिवा हॉस्पिटल में उसकी टीम ने किया। टीम में डॉ अमित के नेतृत्व में नेस्टिवा अस्पताल के सभी कर्मचारियेां ने  यात्रा की सफलता की कामना की और कहा यह मकसद में कामयाव हो। इस अवसर पर नेस्टिवा के निदेशक अंकेश रंजन ने बताया कि नेस्टिवा अस्पताल स्वस्थ बालिका, स्वस्थ समाज की परिकल्पना को पूर्णत: समर्थन देता है। उन्होंने बताया कि इस अभियान को मजबूत करने की दिशा में उनका अस्पताल प्रयासरत है। बालिकाओं के इलाज में यह अस्पताल हरमुमकिन रियायत देने के लिए कृतसंकल्प है। इसी क्रम में यात्रा गुरूग्राम पहुंची। यहां आल इंडिया क्राइम रिफार्म आॅर्गनाइजेशन के गुरूग्राम शाखा ने सुेंनील कुमार सैनी के नेतृत्व में इफ्कोचौक पर स्वागत किया। इस अबसर पर स्वस्थ भारत (न्यास) ने हरियाणा में छह बालिकाओं को गुडविल अम्बेसडर बनाए जाने की घोषणा की। इनमें विदही(15 वर्ष), उर्वसी सैनी(16 वर्ष), प्रियंका मालवाल (11वर्ष), प्रिंसी मालवाल (11 वर्ष),दुहा(11 वर्ष) और प्राची सैनी(11 वर्ष) शामिल हैं। इस अवसर पर स्वस्थ भारत (न्यास) के चैयरमैन आशुतोष कुमार सिंह ने सुनील सैनी को स्वस्थ भारत अभियान का गुरूग्राम संयोजक मनोनित किया। इस मौके पर सुनील सैनी ने कहा कि बालिकाओं के हित में काम करना उनके लिए गर्व की बात है। टीम इसके बाद गुरूग्राम से जयपुर के लिए रवाना हुई। गौरतलव है कि स्वस्थ भारत यात्रा भारत छोड़ो आंदोलन के 75 वे वर्षगांठ पर आरंभ किया गया है। नई दिल्ली में मुख्तार अब्बास नकबी ने इसे हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था।इस यात्रा को गांधी स्मृति एंव दर्शन समिति, संवाद मीडिया,राजकमल प्रकाशन समूह, नेस्टिवा अस्पताल,मेडिकेयर अस्पताल, स्पंदन, जलधारा, हेल्प एंड होप सहित अन्य कई गैरसरकारी संस्थाओं का समर्थन है।

राहुल का गरीबों, दलितों को जमीन तथा रोजगार का वादा

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लंबी, 02 फरवरी, कांग्रेस के स्टार प्रचारक राहुल गांधी ने चुनाव प्रचार के अंतिम क्षणों में आज गरीबोें तथा दलितों को जमीन, नशा खत्म करने तथा समयबद्ध ढंग से चुनाव घोषणापत्र को लागू करने का वादा किया, श्री गांधी आज शाम कांग्रेस मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार एवं इस सीट से प्रत्याशी कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिये प्रचार करने यहां पहुंचे। उन्होंने जनसभा को संबोधित करते हुये अपने वादों पर कायम रहने का आश्वासन दिया और कहा कि पार्टी ने घोषणापत्र में जो वादे किये हैं उन्हें समयबद्ध ढंग से लागू किया जायेगा। श्री गांधी ने कहा कि कांग्रेस के सत्ता में आने पर दो माह के भीतर दलितों तथा गरीबों को पंचायती जमीनें मुहैया करवाने, अगले तीन माह में नौकरियां देने, चौथे माह में पंजाब का सुपर स्पेशियलिटी कैंसर अस्पताल खोलने और मुफ्त दवाइयां दी जायेंगी। उन्होंने सत्ता संभालने के एक माह के भीतर चिट्टे, सफेद नशा का अंत करने, बंद उद्योगों को दोबारा शुरू करने के वायदे के साथ पंजाब में कांग्रेस के प्रचार का समापन किया। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने युवा पीढ़ी को बर्बाद करने वाले नशे के खात्मे के लिये नया कानून लाने और नशा बनाने तथा बेचने वाले भ्रष्टाचारियों की संपत्तियों को जब्त करने का भी ऐलान किया। उन्होेंने कहा कि राज्य की जनता ने दस सालों में माफिया राज तथा भ्रष्टाचार को झेला। उन्होंने आम आदमी पार्टी पर उग्रपंथियों की मदद करने का आरोप लगाते हुये कहा कि बादल तथा केजरीवाल पंजाब को हिंसा तथा तनाव के नाजुक हालातों में धकेल रहे रहे हैं। उन्होंने कहा कि श्री केजरीवाल अपनी कट्टरपंथी सोच के साथ उग्रवाद को बढ़ावा दे रहे हैं तथा बादल राजनीतिक हितों के लिए धर्म को बेच रहे हैं। कैप्टन सिंह ने कहा कि सत्ता में आने पर कांग्रेस बरगाडी कांड की जांच करायेगी तथा जांच में यदि श्री प्रकाश सिंह बादल धार्मिक बेअदबी की घटना में शामिल पाये जाते हैं तो वह उन्हें जेल में डाल देंगे।

राजनीतिक दल दिसंबर तक रिटर्न दाखिल करें नहीं तो कर छूट खत्म मानें : सरकार

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political-prty-file-tax-returnनई दिल्ली, दो फरवरी, राजनीतिक दलों पर बेनामी नकद चंदे की सीमा 20,000 रपये से घटा कर 2,000 तक सीमित करने के बाद सरकार ऐसा कानूनी संशोधन करने जा रही है जिसके तहत उन्हें हर साल दिसंबर तक आय का विवरण विभाग में दाखिल करना जरूरी होगा। ऐसा नहीं करने उन्हें मिली कर छूट खत्म हो जाएगी। सरकार ने कल पेश 2017-18 के बजट में चुनावी बांड शुरू करने का निर्णय किया है। बैंकों से यह बांड खरीदने वालों का नाम गुप्त रखा जाएगा और इसके लिए कानून में संशोधन करने का प्रस्ताव है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय में राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने बातचीत में कहा कि राजनीतिक दलों को आयकर से छूट मिली हुई है। लेकिन आधे दल ऐसे हैं जो अपनी आय और निवेश का विवरण :आईटीआर: विभाग में प्रस्तुत नहीं करते।


राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता लाने के लिए वित्त मंत्री अरण जेटली ने इस बार के बजट के साथ प्रस्तुत वित्त विधेयक में आयकर कानून में ऐसे संशोधन का प्रस्ताव किया है जिसके तहत पार्टियों को हर साल दिसंबर तक आईटीआर दाखिल करना जरूरी हो जाएगा। उदाहरण के लिए उन्हें आकलन वर्ष 2018-19 यानी :1 अप्रैल 2017 से शुरू हुए वर्ष 2017-18 की आय के आकलन के वषर्: के लिए आयकर विभाग में 31 दिसंबर 2018 तक विवरण प्रस्तुत करना होगा। अधिया ने कहा, ‘ उन्होंने :राजनीतिक दलों ने: दिसंबर तक आईटीआर दाखिल नहीं किया तो उनकी कर-छूट खत्म हो जाएगी। हम इसके लिए लिए उन्हें नोटिस भेजेंगे। इससे कड़ा अनुशासन लागू होगा। हमारा अनुभव है कि 50 प्रतिशत राजनीतिक दल पिछले दो साल से आईटीआर दाखिल नहीं करा रहे हैं। ये अपेक्षाकृत छोटे दल हैं जिन्हें आईटीआर दाखिल करने की परवाह ही नहीं लगती है।’ उन्होंने कहा कि यदि इन्होंने दिसंबर तक आईटीआर दाखिल न किया तो वे कर छूट का लाभ गवां सकती हैं।

लिएंडर पेस के पास युगल का विश्व रिकार्ड बनाने का मौका

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पुणे, दो फरवरी, सभी की निगाहें अनुभवी टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस पर लगी होंगी जो भारत के कमजोर न्यूजीलैंड के खिलाफ कल से यहां शुरू होने वाले एशिया ओसनिया ग्रुप डेविस कप मुकाबले में शायद अंतिम बार खेलेंगे और ऐतिहासिक विश्व रिकार्ड बनाने की ओर बढ़ रहे हैं। अठारह बार के ग्रैंडस्लैम चैम्पियन पेस अपने 55वें डेविस कप मुकाबले में शिरकत करने के लिये तैयार हैं और युगल स्पर्धा में 42 युगल जीत दर्ज कर अभी इटली के निकोला पिएट्रांगेली के साथ बराबरी पर हैं। शनिवार को जीत उन्हें डेविस कप इतिहस का सबसे सफल युगल खिलाड़ी बना देगी। पेस को हालांकि अंतिम समय में शामिल किये गये और उनके लंदन ओलंपिक युगल जोड़ीदार विष्णु वर्धन के साथ खेलना होगा क्योंकि उनके साथ खेलने वाले साकेत मायनेनी पिछले महीने चेन्नई ओपन के दौरान लगी पैर की चोट से उबरने में असफल रहे।


अपने अंतिम मुकाबले में टीम की अगुवाई कर रहे आनंद अमृतराज ने पुणे में 43 साल बाद होने वाले मुकाबले के ड्रा के बाद प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ‘‘मायनेनी की चोट अभी तक ठीक नहीं है। ’’ पेस और राष्ट्रीय हार्डकोर्ट चैम्पियन वर्धन का सामना मुकाबले के दूसरे दिन न्यूजीलैंड के आर्टेम सिटाक और माइकल वीनस की जोड़ी से होगा। तीन लोगों के भारत के शीर्ष युगल खिलाड़ी रोहन बोपन्ना से बात करने के बाद वर्धन को शामिल किया गया, टीम के कप्तान अमृतराज ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, ‘‘तीन लोगों ने उससे बात की। मैंने नहीं की। मैं नहीं जानता कि सही में क्या हुआ। ’

विपक्ष के हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही 12 बजे तक स्थगित

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 नयी दिल्ली 03 फरवरी, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस तथा अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों द्वारा विभिन्न मुद्दों को लेकर भारी हंगामा करने के कारण लोकसभा में आज प्रश्नकाल नहीं हो पाया और अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सदन की कार्यवाही 12 तक के लिए स्थगित कर दी। 

सदन की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस और तृणमूल के सदस्य अपने मुद्दों को उठाते हुए हंगामा करने लगे। अध्यक्ष ने सदस्यों से कहा कि इन सभी मुद्दों को प्रश्नकाल में उठाने की इजाजत नहीं दी जा सकती। इस पर कांग्रेस के साथ ही तृणमूल कांग्रेस के सदस्य सदन के बीचोंबीच आकर हंगामा करने लगे। तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने सरकार पर बदले की भावना से काम करने का आरोप लगाया और कहा कि उसने इसी भावना से उनके नेता एस बंद्योपाध्याय को गिरफ्तार किया है। तृणमूल सदस्यों ने संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले संसद भवन परिसद में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की मूर्ति के समक्ष इसी मुद्दे को लेकर धरना दिया और प्रदर्शन किया था।

भविष्‍य से जुड़ा हैं बालिका स्वास्‍थ्‍य का चिंतन ''स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज''

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भोपाल, 03/02/2017। बालिका के स्वास्‍थ्‍य का चिंतन समाज के विकास एवं देश के भविष्य से जुड़ा हुआ हैं। मौजूदा समय में हम इससे नजर अंदाज नहीं कर सकते हैं। यह मानना है स्वस्थ भारत न्यास के अध्यक्ष आशुतोष कुमार सिंह का। वह अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय में आयोजित संगोष्ठी में बोल रहे थे। स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज विषय पर यह कार्यक्रम स्पंदन व विवि के गर्भ तपोवन संस्कांर केंद्र के सहयोग से किया गया था। समारोह का शुभारंभ मॉ सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्‍ज्‍वलित कर किया गया। इस अवसर पर डॉ अभय चौधरी, डॉ यशवंत मिश्रा, कुमार कृष्णन और विनोद कुमार मौजूद थे।  यहां बता दें, आशुतोष कुमार सिंह अपने सहयोगियों के साथ बालिकाओं के स्वस्थ  जागरूकता के मुद्दे को लेकर स्वस्थ भारत यात्रा पर हैं।


श्री सिंह ने बालिका स्वस्थ पर जहां चिंता जाहिर की वहीं स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज की अवधारणा पर विचार भी व्यंक्तय किया। उनका कहना था, सशक्त् देश की कल्पना बालिका स्वस्थ  को सुधारे बिना नहीं की जा सकती है। ध्यान देने की इसलिए भी जरूरत है, क्योंकि यह जहां देश का भविष्य है वहीं भाग्या विधाता भी है। सरकार द्वारा मुहैया कराई जा रही तमाम सुविधाओं के बाद भी स्थित जस की तस बनी रहने के पीछे शासन की उस व्यवस्था को जिंम्मे्दार ठहराया, जिसके तहत जैनेरिक दवाईयों को लगातार नजर अंदाज किया गया। खामियाजा यह रहा कि, जनता के स्वस्थ के नाम पर आवंटित बजट की अधिकतम राशि दबाईयों के नाम पर बड़ी वैश्विक कंपनियों की आय का जरिया बन रही है। इससे पूर्व विवि में पत्रकारिता विभाग के प्रभारी डॉ अनिल सौमित्र ने कहा कि, स्वास्‍थ्‍य का मुद़दा व्याक्ति और समाज के वि‍कास से जुड़ा है। जब तक हम सेहत मंद नहीं होंगे, तब तक हम किसी क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ सकते हैं। बालिकाओं के स्वस्थ का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है। लेकिन अफसोस है, कि लगातार अनदेखी हो रही है।  डॉ अभय चौधरी ने समाज में स्थित महिलाओं के स्‍वास्‍थ्‍य की चिंता को लेकर महिलाओं को मानसिक और शारीरि‍क रुप से शसक्त होने की बात पर जोर दिया हैं। इस कार्यक्रम में  हिंदी विश्वविद्यालय के शिक्षक एवं छात्रगण उपस्थित थे।

यात्रा के बारे में स्वस्थ भारत यात्रा दिल्ली से आरंभ हुई और हरियाणा और राजस्थान का सफर पूरा करते हुए गुरूवार रात भोपाल पहुंची। 16 हजार किमी का सफर तय करने के बाद इस यात्रा का समापन अप्रैल 2017 में दिल्ली पहुंचकर होगा। रविवार यह यात्रा मप्र के औद्योगिक शहर इंदौर में पड़ाव डालेगी। इसके बाद 6 फरवरी को झाबुआ पहुंचेगी। यहां लोगों के साथ संवाद होगा और यात्रा के मकसद से जनसमुदाय को अवगत कराया जाएगा। 

विचार : सिय़ासत से ज़्यादा अब मुझे आम आदमी से डर लगने लगा है

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सिय़ासत से ज़्यादा अब मुझे आम आदमी से डर लगने लगा है । पता नहीं ये आम आदमी कब भीड़ बन जाए और हमला करके मुझपर टूट पड़े । मैं डरने लगा हूँ... हर एक आम आदमी के आँखों में ग़ौर से देखता हूँ कि कल को कहीं ये भीड़ तो नहीं बन जाएगी??बड़ा ही सहमा सहमा रहता हूँ इन भीड़ की प्रकृति को देखकर ।मन के अंदर खौफ़ सा होगया है भीड़ कि मानसिकता को देखकर ।कभी कभी यह सोचकर थर्राने लगता हूँ कि सोचिए की किसी के घर उसके मां बहन अकेले रहे और यह भीड़ उसपर अटैक कर दे..सिर्फ इसलिए कि उसका बेटा उसके जाति धर्म ता सम्प्रदाय पर कुछ बोल या लिख दिया है..जरा सोचिए एक बार कि कैसा पैटर्न बन गया है..कोई गलत है भी अगर तो एक भीड़ उसे आकर सजा देने का हक कैसे अपने हाथ में ले लेती है..आप अगर आज नहीं सोचिएगा तो कल ये आपके साथ भी हो सकता है..फिर संविधान के संस्थापक ने जो हमारा अधिकार दिया था वो आज भीड़ सिर्फ हमें डराकर छिन ले रही है । दशहत में रहने लगा हूँ सोशल मीडिया पर हर एक शख्स को गहरी निगाहों से देखता हूँ कि ये कहीं उस भीड़ के फैसले पर कल को ट्राॅल तो नहीं करेगा..आज वो उसको ट्राॅल करेगा तो लिख के ले लिजीए अगर कल को ये भीड़ आप पर हमला करेगी तो ये आपको भी ट्राॅल करेगा...बताइये कि ये भीड़ को आपने कभी भी स्वच्छता के लिए इस तरह अचानक से कभी जुटते देखा है क्या ? कुपोषण से बच्चे मर रहे हैं लेकिन क्या उस बच्चों के लिए कहीं किसी भी जगह भीड़ को जुटते देखा है? रोज रोज भ्रष्टाचार और घोटाले हो रहे है क्या ये भीड़ वहां जाती है क्या? नहीं जाती है... यह भीड़ आपको हमले के वक्त धर्म और मजहब के नाम पर हिस्सा बनाती है । हो सकता है आप कल को इससे(धर्म और सम्प्रदाय के नाम पर जुटने वाली भीड़ से) दूर हो जाएँ तो कल को यह भीड़ आप पर भी वार कर सकती है । हो यह भी सकता है कि भीड़ कोई बनाता होगा नहीं तो सोचिए कि ये सीधे टार्गेट बनाकर ही कैसे लोगों पर टूट पड़ ती है । बचपन में पढ़े थे कि भीड़ कि कोई प्रवृत्ति नहीं होती है ना ही कोई सत्ता और मानसिकता होती है वो कहीं भी किसी पर भी टूट पड़ती है...यह चिंतनीय विषय है कि आज  गणतंत्र के 69 साल बाद भी भारत में लोग खौफ में जीने को मजबूर है...अगर जो इस भीड़ से डर नहीं रहा है समझिये वो इस भीड़ को शाबाशी दे रहा है...इस भीड़ से डरने की जरूरत है ..इस भीड़ से निजात पाने की जरूरत है....इस भीड़ कि मानसिकता को खत्म करने कि जरूरत है तभी सही मायने में लोकतंत्र सुदृढ़ हो पाएगा. ..





~अविनीश मिश्रा

मन्दसौर : देशव्यापी आव्हान पर मन्दसौर जिले में भी दवा प्रतिनिधियों की हड़ताल

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  • काम रखा बन्द, दिया धरना, किया प्रदर्शन, सौंपा ज्ञापन

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मन्दसौर। दवा प्रतिनिधियों (मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव) के संगठन फेडरेशन आॅफ मेडिकल एण्ड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव एसोसिऐशन आॅफ इण्डिया के आव्हान पर मन्दसौर जिले में भी सैकड़ों दवा प्रतिनिधियों ने हड़ताल प्रदर्शन कर अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन दिया।  मन्दसौर में शुक्रवार को जिले भर के दवा प्रतिनिधि हड़ताल पर रहे। काम बन्द कर हड़ताल पर उतरे दवा प्रतिनिधि मन्दसौर स्थित दवा बाजार में एकत्रित हुए, जहां धरना प्रदर्शन करते हुए उन्होंने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर नारेबाजी भी की। अध्यक्ष आशीष तेलकार की अगुवाई में दवा प्रतिनिधियों ने इस दौरान वाहन रैली निकाली और कलेक्ट्रेट पहुंचे। कलेक्टोरेट में जिला प्रशासन के प्रतिनिधि अपर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन का वाचन अध्यक्ष श्री तेलकार ने किया। अंत में आभार सचिव दिनेश चंदवानी ने माना। 


इन मांगों को लेकर किया प्रदर्शन-  
देशव्यापी आव्हान पर दवा प्रतिनिधियों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आवाज मुखर की। जिसमें औद्योगिक त्रिपक्षीय कमेटी की बैठक बुलाने, दवा प्रतिनिधियों के आठ घण्टे की कार्यअवधि को वैधानिकता देने, दवा मार्केटिंग क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार को रोकने, दवा कीमतों में कमी करने और दवाईयों को कर से मुक्त करने की मांगे प्रमुख रूप से शामिल थी। 
यह थे उपस्थित-
हड़ताल के दौरान धरना प्रदर्शन में प्रमुख रूप से अध्यक्ष श्री तेलकार, सचिव चंदवानी के साथ ही उपाध्यक्ष राम मीणा, कोषाध्यक्ष अनिल परवाल, राम बिरला, अश्विन तिवारी, दीपक दीक्षित, शाहनवाज मोमिन, लोेकेन्द्र पाण्डेय, विनोद बसेर, रणजीत बसवा, उपेन्द्र राय, अजहर अंसारी, कौशल आर्य, विजेन्द्र झा, संजय मेहता, आशीष जैन, मिथुन वप्ता, हेमन्त चंदेल आदि उपस्थित रहे। 

दुमका : आपूर्ति, टास्कफोर्स व धान अधिप्राप्ति से संबंधित एक महत्वपूर्ण बैठक

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  • डीसी राहुल कु0 सिन्हा ने पदाधिकारियों को दिये कई महत्वपूर्ण निर्देश

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अमरेन्द्र सुमन (दुमका),उपायुक्त दुमका राहुल कु0 सिन्हा की अध्यक्षता में दिन शुक्रवार (03 फरवरी 2017) को आपूर्ति, टास्क फोर्स, आपदा प्रबंधन व धान अधिप्राप्ति से संबंधित एक समीक्षा बैठक आयोजित की गई। विभिन्न विभागों के अधिकारियों को इस अवसर पर कई महत्वपूर्ण निदेश दिये गए। उपायुक्त ने कहा कि किसान लैम्पस में जाकर आसानी से धान की बिक्री कर सकते हैं, इसके लिए लगातार प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। किसान खरीफ विपणन मौसम 2016-17 में नेकोफ द्वारा लैम्पसों में अपने धान को बेच सकते हैं, किसानों को किसी प्रकार की दिक्कत न हो इसके लिए 20 लैम्पस खोले गये हैं तथा लैम्पस में कार्यरत क्रय केन्द्र संचालक के नाम व मोबाईल नम्बर भी जारी किये गए है, इससे किसानों को धान बेचने में आसानी होगी।  सभी प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारियों को निदेश देते हुए उपायुक्त ने कहा कि आधार का सत्यापन जल्द से जल्द करायें। उन्होंने कहा कि दुमका जिला के किसान खरीफ विपणन मौसम 2016-17 में नेकोफ द्वारा 20 लैम्पसों में धान की खरीददारी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि खाद्यय, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामलें विभाग के निर्देषानुसार धान की खरीददारी उन्हीं किसानों से की जानी है जो अपना निबंधन करा चुके हैं। उन्होंने कहा कि निबंधन हेतु आवेदन फार्म सभी लैम्पस /कृषक मित्र/प्रखंड सहकारिता प्रसार पदाधिकारी /प्रखंड कृषि पदाधिकारी /प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी /अंचलाधिकारी के पास उपलब्ध है। निबंधन 31 मार्च 2017 तक होगा। उन्होंने कहा कि अबतक 2539 किसानों को एसएमएस के माध्यम से मैसेज भेजा गया है एवं लगातार निबंधन हेतु किसानों को एसएमएस भेजा जा रहा है। उन्होंने कहा कि मोबाईल के जरिए भी नेकोफ द्वारा सूचना दी जा रही है। नेकोफ द्वारा किसानों के भुगतान की प्रक्रिया भी प्रारंभ कर दी गई है। उन्होंने कहा कि मैसेज में धान देने की तिथि से अधिकतम तीन दिन बाद तक ही क्रयकेन्द्र द्वारा धान लिया जाएगा। दुमका जिला के किसान सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य प्राप्त करने हेतु निबंधन अवष्य करायें एवं नेकोफ द्वारा धान बिक्री हेतु दिए गए मैसेज के अनुरूप संबंधित क्रय केन्द्र पर साफ-सुथरा एवं सूखा हुआ धान लेकर आवष्य जायें।उपायुक्त ने कहा कि दुमका प्रखंड के आसनसोल लैम्पस, मकरो लैम्पस एवं रानीबहाल लैम्पस के क्रयकेन्द्र संचालक क्रमषः हरिलाल मंडल मोबाईल नं0 9771609336, इन्द्रदेव भंडारी मोबाईल नं0 7482816736 एवं रसका मुर्मू मोबाईल नं0 8809014545 हैं। जरमुण्डी प्रखंड के सहारा लैम्पस, जरमुंडी लैम्पस एवं नोनीहाट लैम्पस के क्रयकेन्द्र संचालक क्रमषः दिलीप कुमार यादव मोबाईल नं0 7763838806, बाबूराम मुर्मू मोबाईल नं0 9934521196 एवं अषोक कुमार यादव मोबाईल नं0 8809514741 हैं। जामा प्रखंड के चिकनियाँ लैम्पस एवं लकड़ापहाड़ी लैम्पस के क्रयकेन्द्र संचालक क्रमषः संतोष कुमार मंडल मोबाईल नं0 9162374568 एवं विकास भंडारी मोबाईल नं0 7739404972 हैं। रामगढ़ प्रखंड के रामगढ़ लैम्पस एवं अमरापहाड़ी लैम्पस के क्रयकेन्द्र संचालक क्रमषः विद्यानंद भगत मोबाईल नं0  8294986733 एवं लाल मोहन मंडल मोबाईल नं0 9631912992 हैं। मसिलिया प्रखंड के दलाही़ लैम्पस एवं गम्हरिया लैम्पस के क्रयकेन्द्र संचालक क्रमषः निमाई चन्द्र सेन मोबाईल नं0 9546626636 एवं प्रवीण कुमार भगत मोबाईल नं0 8227881494 हैं। सरैयाहाट प्रखंड के दिग्घी़ लैम्पस एवं हंसडीहा लैम्पस के क्रयकेन्द्र संचालक क्रमशः प्रसादी मंडल मोबाईल नं0 9162462808 एवं जालिम राम मोबाईल नं0 9234920460 हैं। काठीकुंड प्रखंड के सालदाहा लैम्पस के क्रयकेन्द्र संचालक जय नारायण राम मोबाईल नं0 8294067345 हंै। गोपीकान्दर प्रखंड के गोपीकांदर लैम्पस के क्रयकेन्द्र संचालक दिलीप कुमार पाल मोबाईल नं0 8987593271 हैं। षिकारीपाड़ा प्रखंड के षिकारीपाड़ा लैम्पस एवं सरसाजोल लैम्पस के क्रयकेन्द्र संचालक क्रमषः एकरामुल अंसारी मोबाईल नं0 9631506566 एवं मो0 शेखावत अंसारी मोबाईल नं0 9939170525 हैं। रानेष्वर प्रखंड के चोपाबथान लैम्पस एवं आसनबनी लैम्पस के क्रयकेन्द्र संचालक क्रमषः यामिनी कांत मन्ना मोबाईल नं0 9939854188 एवं दीपेन राय मोबाईल नं0 9939589262 हैं पर सम्पर्क किया जा सकता है।उपायुक्त ने यह भी कहा कि यदि किसानों को किसी प्रकार की कठिनाई हो तो अविलंब नेकोफ के जिला प्रभारी, संदीप 9661236466, प्रखंड सहकारिता प्रसार पदाधिकारी/प्रखण्ड कृषि पदाधिकारी/प्रखण्ड आपूर्ति पदाधिकारी/जिला कृषि पदाधिकारी/जिला सहकारिता पदाधिकारी/जिला आपूर्ति पदाधिकारी से सम्पर्क कर सकते है। बैठक में उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा के अलावा जिला आपूर्ति पदाधिकारी जय ज्योती सामंता, जिला सहकारिता पदाधिकारी राकेष कुमार सिंह, सभी प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी, सभी प्रखंड के प्रखंड सहकारिता प्रसार पदाधिकारी, नेकोफ के जिला प्रभारी आदि उपस्थित थे।

झाबुआ (मध्यप्रदेश) की खबर 03 फरवरी)

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चोरी करने गए चोर जान गवां कर लोटे

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पारा---गुरुवार की मध्य रात्री मे  ग्राम उकाला पंचायत नरसिगपुरा मे चोरो ने चोरी कि नियत से एक मकान पर सेंध लगाई। दिवार के खुदने की आवाज सुन कर घर के लोग जागे व हल्ला माचाया जिससे चोर भागे ओर कुए मे जा गीरे जिससे एक चोर की घटना स्थल पर ही मोत होगई। उक्त घटना की जानकरी मीलते ही चोकी प्रभारी अंजली श्रीवास्तव, प्रधान आरक्षक जहीर कुरेशी दलबल सहीत रात्री मे ही घटना स्थल पर पहुचे। उक्त घटना की जानकारी देते हुए पारा चैकी प्रभारी अंजली श्रीवास्तव ने बताया की गुरुवार की रात को करिब साढे ग्याराह बजे के लगभग ग्राम कोटवार ने सुचना देकर बताया ग्राम उकाला मे रात मे चोरो ने मेथु पिता कालु के घर सेंध लगाई। जिसे सुनकर मंेथु व उके परिवार के लोग जागे व चोर चोर की आवाज लगाई जिससे हडबडा कर चोर खेत खेत मे भागे व अंधेरे मे कुछ भी दिखाई नही उेने के कारण हडबडा हट मे चोर रुपसिह पिता धुमसिह जाति भुरिया 55 वर्ष निवासी फुटतलाव बडी थाना बोरी व केन्दु पिता रुपसिह भुरिया 40वर्ष निवासी फुटतलाव बडी दोनो ग्राम उकाला निवासी ज्ञानसिह के खेत मे बिना मुंडेर के बने हुए कुए मे गिर गए। जिससे रुपसिह पिता धुमसिह जाति भुरिया 55 वर्ष निवासी फुटतलाव बडी थाना बोरी की सीर मे गहरी चोट लगने से मोत होगई साथ ही रुपसिह का पुत्र केन्दु भी चोट लगने से घायल होगया जिसे पुलिस ने कुए गीरफतार कर लिया हे। बताया जाता हे की कुए मे पानी काफी मात्रा मे भरा हुआ था साथ कुआ खुदाई का मलबा भी कुए मे भी पढा हुआ था जिसमे बडे बडे पत्थर थे। वही घायल केन्दु ने बताया की इस घटना मे उनका एक अन्य साथी जगन पिता तोलीया अमलीयार भी था जोकि अंधेरे का लाभ उठा कर फरार होगया। उक्त घटना की जानकारी जेसे की वरिष्ठ अधिकारी एसडीओपी एसआर परिहार,टीआई रमेश भास्करे को लगी वे भी तत्काल घटना स्थल पर रात्री मे ही पहुचे घटना की जानकारीली व मृतक का शव कुए से निकलवा कर सामुदायीक स्वास्थ्य केन्द्र पारा पर पहुचाया।जहा शुक्रवार की सुबह शव का पीएम करवा कर शव को परिजनो को सोप दिया। पुलीस ने प्रकरण धारा 457,511 व मर्ग 03/17 दर्ज कर विवेचना मे लिया हे।


नर्मदा जयन्ति पर हुई गीत एवं भजन प्रतियोगिता

झाबुआ । नमामि देवी नर्मदे नर्मदा सेवा यात्रा 2016 के अंतर्गत नर्मदा जयन्ति के अवसर पर मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व क्षमता विकास पाठ्यक्रम के छात्र , प्रस्फुटन समिति सदस्यों के माध्यम से अपने-अपने  ग्रामों में गीत, भजन एवं खेलकूद प्रतियोगिताए स्वैच्छिकता व सामुहिकता के आधार पर जनसहयोग से की गई। जिसमें स्कूली बच्चों के साथ-साथ गांव के ग्रामीणों में भजन एवं खेल गतिविधियों में भाग लिया । नर्मदा जयन्ति के उपलक्ष्य में पाठ्यक्रम के मंेटर्स एवं ब्लाक समन्वयको द्वारा नर्मदा सेवा यात्रा जानकारी एवं उसके उद्देश्य से ग्रामीणों का अवगत कराया साथ ही यात्रा में उपयात्रा के रूप मे शामिल होकर अपनी भागीदारी निश्चित करने हेतु चर्चा की। साथ ही जिस तरह नर्मदा नदी के संरक्षण एवं स्वच्छता के लिए कार्य किए जा रहे है उसी तरह अपने-अपने ग्रामों से गुजरने वाली छोटी-छोटी नदिया , तालाबों के संरक्षण एवं स्वच्छता, गहरीकरण के सामुहिक प्रयास करने हेतु जानकारी दी गई। नर्मदा जयन्ति के अवसर पर सभी विकासखण्डों में कलस्टर बनाकर कार्यक्रम आयोजित किए गए। जिसमें परिषद् के जिला समन्वयक, ब्लाक समन्वयक, मेंटर्स, छात्र एवं अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं की सक्रिय भागीदारी रही।

आज जिले के लगभग 235 स्कूलों का अधिकारियों ने किया निरीक्षण

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झाबुआ । प्रभारी कलेक्टर श्री अनुराग चैधरी के निर्देशानुसार आज 3 फरवरी को जिला शिक्षा अधिकारी झाबुआ, सहायक आयुक्त आदिवासी विकास झाबुआ, एकीकृत महिला एवं बाल विकास झाबुआ, जिला परियोजना समन्वयक जिला शिक्षा केन्द्र, झाबुआ, अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक रमसा, खण्ड शिक्षा अधिकारी समस्त विकासखण्ड, खण्ड स्त्रोत समन्वयक जनपद शिक्षा केन्द्र समस्त ने जिले के शासकीय एवं प्राथमिक शालाओं का निरीक्षण किया। निरीक्षण के लिए सभी अधिकारियों को प्रभारी कलेक्टर श्री चैधरी ने 15-15 स्कूलों का निरीक्षण करने का लक्ष्य दिया था। प्रभारी कलेक्टर श्री चैधरी ने सभी अधिकारियों को निरीक्षण के बाद निरीक्षण प्रतिवेदन जिला परियोजना समन्वयक जिला कार्यालय जिला शिक्षा केन्द्र को उपलब्ध करवाने के निर्देश दिये है।

भोपाल से आये चार सदस्यीय दल ने आईएएस मालसिंह के नेत्तव में जिले में मनरेगा योजना के कार्यो की समीक्षा की

झाबुआ । आईएएस श्री मालसिंह अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी मनरेगा परिषद भोपाल के नेतृत्व में 4 सदस्यीय दल ने आज झाबुआ में मनरेगा योजना के अन्तर्गत संचालित की समीक्षा की। बैठक में आदिवासी परिवारों को अधिक से अधिक रोजगार देने के निर्देश दिये गये। बैठक में प्रधानमंत्री आवास एवं मनरेगा योजना अंतर्गत संचालित सभी योजनाओ की समीक्षा की गई। बैठक में प्रभारी कलेक्टर एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्री अनुराग चैधरी, अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्रीमती निशीबाला सिंह सहित जनपद सीईओ एवं मनरेगा योजनान्तर्गत कार्यरत शासकीय सेवक उपस्थित थे।

कालीदेवी में डाॅ. मनोवेश कुमार राय की क्लीनिक सील, झोलाछाप डाॅक्टरों पर प्रशासन की हुई कार्यवाही

झाबुआ । प्रभारी कलेक्टर श्री अनुराग चैधरी के आदेशानुसार एसडीएम श्री बालोदिया ने आज कालीदेवी के झोलाछाप डाॅक्टरों के क्लीनिको पर आकस्मिक निरीक्षण कर कार्यवाही की। कालीदेवी में डाॅ. मनोवेश कुमार राय की क्लीनिक सील की गई एवं आवश्यक वैधानिक कार्यवाही की जाएगी। कार्यवाही करने वाले दल में एसडीएम झाबुआ श्री आर.एस.बालोदिया, बीएमओं रामा श्री शंखवार, नायब तहसीलदार अंजली गुप्ता, नायब तहसीलदार श्री हाडा ने कार्यवाही की।

अपहरण के दो अपराध पंजीबद्ध

 झाबुआ ।  फरियादी मकना पिता दितीया बामनिया, निवासी रोटला ने बताया कि लडकी कु. वर्षा उम्र 17 वर्ष घर ये झाबुआ छात्रवृति लेने जाने का कहकर गयी थी। जिसे आरोपी विनोद पिता सवला, निवासी रामा का बहला फुसलाकर जबरन अपहरण कर ले गया। प्रकरण में थाना कालीदेवी में अपराध क्र0 19/17 धारा 363 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। फरियादी शंकरलाल पिता देवचन्द्र पंचाल, निवासी अगराल ने बताया कि लडकी निशा उम्र 17 वर्ष 04 माह को घर से कोई अज्ञात आरोपी औरत बनाने की नियत से बहला फुसलाकर जबरन अपहरण कर ले गया। प्रकरण में थाना मेघनगर में अपराध क्र0 39/17 धारा 363 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

मंदिर से चांदी के छ़त्र की चोरी 
         
झाबुआ ।  फरियादी सतीष पिता हरीसिंह चैहान, निवासी कल्याणपुरा ने बताया कि अज्ञात बदमाश खोडियार माता मंदिर के दरवाजे का ताला तोडकर अंदर घुसे व चढाए हुए चांदी के छत्र 60-70 नग, दशामाता की मुर्ती चांदी की, अम्बे माता मंदिर के गल्ले से भी नगदी चुराकर ले गये। प्रकरण में थाना कल्याणपुरा में अपराध क्रं. 39/17 धारा 457,380 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

विशेष आलेख : उत्सवी रंगों पर धुंधलके क्यों?

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इस देश के उत्सव खतरे में क्यों है? जीवन से उत्सव क्यों गायब हो रहे हैं? जो उत्सव हमारी परम्परा और हमारे स्वभाव में शामिल रहे हैं, उनका क्षय क्यों हो रहा है? समृद्ध उत्सव की परम्परा क्यों मात्र औपचारिकता बनती जा रही है? परम्परागत उत्सवों पर क्यों तथाकथित आधुनिक या आयातीत उत्सव भारी हो रहे हैं? इन सवालों का जवाब निश्चित तौर पर ढूंढा जाना चाहिए। इसके प्रति उदासीनता हमारे मन-प्राण और जीवन को रसहीन करनेवाली है। भारत को यह उत्सव-प्रिय जीवनशैली फिर से पाने के लिए अपने भीतर गहरे उतरने की जरूरत है। क्योंकि देश और समाज की उत्सवप्रियता उसकी रचनात्मकता कोे विकसित करती हैं, उससे सकारात्मक नजरियों में इजाफा होता है। भारत की यही विशेषता सदियों से रही है। इस उत्सव को हमें फिर से तलाशना होगा, सबसे पहले तो अपने हृदय और मन में, अपने जीवन और मानसिकता में, सामाजिक सोच एवं सरकारी नीतियों में। बाहर का उत्सव सिर्फ अंदरूनी उत्सव की प्रतिध्वनि या प्रतिरूप हो सकता है, अगर ऐसा नहीं है तो सिर्फ एक दुखद अस्तित्व की गवाही देगा। उत्सव हमारे जीवन को अर्थ देता है- एक ऐसा जीवन जो प्रकृति से एकरूप हो, जिसमें सच्ची सामाजिकता हो, जिसमें आत्मसाक्षात का भाव हो।


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आज के तनाव-भरे तथा बंटे हुए समाज में उत्सव को प्रासंगिकता और भी बढ़ गई है। अगर हम आज की बाजारवादी संस्कृति के दौर में अपनी उत्सव-परम्परा को जीवित कर सकते हैं तो मानवता के लिए यह बहुत बड़ा योगदान होगा। इससे ने केवल हम एकजुट होंगे बल्कि उससे प्रेरणा पाकर हम वसुधैव कुटुम्बकम एवं मानव कल्याण की ओर भी अग्रसर हो सकते हैं। उत्सव के मूल उत्स में यही भावना रही है। आदमी ने जीवन को इतनी ऊंची दीवारों से घेर कर तंगदील बना दिया कि उत्सव तो क्या, धूप, प्रकाश एवं हवा को भी भीतर आने के लिये रास्ते ढूंढ़ने पड़ते हैं। न खुला आंगन, न खुली छत, न खुली खिड़कियां और न खुले दरवाजे, उत्सव के भीतर आए भी तो कैसे? भारतीय परम्परा उत्सवप्रधान रही है, यहां के उत्सव सिर्फ विनोद ही नहीं बल्कि लोकमंगलकारी भी होते थे। इससे चेतना एवं सांस्कृतिक मूल्यों का विकास होता था। हमारे यहां नाच-गाने प्रसन्नता, ऊर्जा और उत्साह का बोध कराते रहे हैं। गृहस्थी हो या अन्य तपस्वी-संत, त्यागी हो या भोगी- सभी नृत्य पर रीझ जाया करते थे। तब उत्सव का संबंध प्रकृति के साथ था। आज भी कहीं-कहीं फसलों के समय नाच-गाने की परम्परा मौजूद है। इसी उत्सवप्रियता ने अनेक अवसरों पर मेले का रूप लिया। उन मेलों का संबंध समाज और धर्म से ही रहा है। रामलीला हो या दुर्गापूजा, सरस्वती पूजा हो या दीपावली, शिवरात्रि हो या जन्माष्टमी, कार्तिक पूर्णिमा हो या माघी पूर्णिमा-इन अवसरों पर व्रत-उत्सव के साथ-साथ सांस्कृतिक-मनोरंजन का माहौल अब भी बना हुआ है। 

उत्सव, ऊर्जा की हिमालयी मुस्कान है। उत्सव, संघर्ष के विराट मंथन से निकला अमृत क्षण है। उत्सव, जीवन की पगडंडियों पर रखे दीप हैं। उत्सव, तम की, निराशा की, अवसाद की, दुख और अकेलेपन की काली कंदराओं को चीरकर फूटने वाले आनंद स्रोत है। इसीलिए अपनी अंगुलियों के पोर-पोर पर उत्सवी घड़ियां सजाए बैठा है जीवन। आहटें पास आ रही हैं। विदा लेता हुआ शरद एक बार फिर जाते-जाते धरती को उत्सवी रंग सौंप गया है, फिर भी मनुष्य मन पर अंधेरा क्यों टंगा है? सवाल यह है कि क्यों हमारी वह उत्सवप्रियता गायब होती जा रही है? सोचने की बात यह है कि हमारे साथ कुछ अघटित घट रहा है क्या? कुछ ऐसा जो पिछले किसी युग में नहीं घटा? आज हम ऐसा शोर मचाए हैं जैसे पूरी मानव सभ्यता के संपूर्ण इतिहास में केवल हम ही संघर्ष और दुखों से घिरे हैं। दुख और विषमताएं जीवन में कब नहीं थी? अभाव एवं पीड़ाएं तो शक्ल बदल-बदल कर साथ चली है। दुनिया गरीबों से कब खाली थी? उच्चता और निम्नता का भाव भला किस समाज में नहीं था? सांस्कृतिक संघर्ष कब नहीं हुए?  पारिवारिक द्वंद्व, बिखराव, असन्तुलन, असमानता और अभाव की पीड़ा किस युग ने नहीं झेली? राम, कृष्ण और बुद्ध-विस्थापन का दर्द इन महानायकों ने भी भोगा था, फिर पीड़ा के ये ऐसे कौन से अध्याय हैं, जो समय ने केवल हमारे लिए लिखे हैं? हम ऐसे भाव में क्यांे हैं, जैसे सारे जहां का दर्द हमारे जिगर में है? फिर हम इन कारणों से क्यों उत्सव की परम्परा को बाधित करते है?

आधुनिक जीवनशैली के पैरोकारों को यह पता नहीं है कि भारतीय संस्कृति में उत्सव का कितना व्यापक अर्थ रहा है। भारतीय संस्कृति चिंतन की दृष्टि से जितनी महान रही है, उतना ही महान लोकाचार व लोकोत्सव में रही है। लेकिन हम भूलते जा रहे हैं कि ऋतु परिवर्तन, नई फसल आदि के समय कौन-कौन से उत्सव होते थे। नागपंचमी क्यों मनायी जाती थी, बालिकाएं- महिलाएं गणगोर क्यों पूजती है, कार्तिक महीने में क्यांे कुंवारी कन्याएं स्नान कर गीत गाती हैं? करवा चैथ का व्रत क्यों रखा जाता है, गोवर्धन पूजा क्यों की जाती है, उसका संदेश क्या है? इन सबका नए सिरे से मूल्यांकन करने की जरूरत है। लेकिन क्या हम इसके प्रति गंभीर और चिंतनशील हो पायेंगे? भारत की उत्सव परम्परा और उससे जुड़ी सांस्कृतिक और भौगोलिक एकता के खिलाफ कई वर्षों से षडयंत्र रचा जा रहा है। पशु अधिकार, मानवाधिकार, पर्यावरण, सामाजिक न्याय, महिला सशक्तीकरण, मजहबी सहिष्णुता एवं राष्ट्रीय एकता की रक्षा के नाम पर भारत की कालजयी उत्सव परम्परा एवं सनातन संस्कृति को धूमिल किया जा रहा है। जल्लीकट्टू के खिलाफ मिथ्या प्रचार इसी मानसिकता का परिणाम है। जल्लीकट्टू तमिलनाडु का न केवल परम्परागत खेल है, बल्कि यह दक्षिण भारत के कृषि प्रधान विरासत का महत्वपूर्ण अंग है, यह खेल से अधिक उत्सव का प्रतीक है। खेती का मुख्य आधार होने के कारण देश के करोड़ों आस्थावान हिन्दुओं सहित तमिलों के लिये बैल पूजनीय है। यह हजारों वर्ष पुराना खेल-उत्सव है, जिसमें स्पेन के बुल-फाइटिंग की तरह बेलों को जान से नहीं मारा जाता और न ही उन्हें काबू करने वाले युवक किसी हथियार का उपयोग करते हैं। ऐसे परम्परागत खेल-उत्सवों पर प्रतिबंध की मांग भारत की उत्सवप्रियता पर हमला है। आज जरूरत इस बात की है कि हम अपने उत्सवों की परम्परा का न केवल पुनर्मूल्यांकन करें बल्कि मौजूदा पीढ़ी को उसका सही अर्थ भी समझाएं। उन्हें बताएं कि उत्सव हमारे राष्ट्र, समाज, मनुष्य और विचार के आधार हंै जो सहृदयता और सामूहिकता को परिभाषित करते हैं। वे मनुष्य को मनुष्य से जोड़ने का धर्म निभाते हंै। उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम का भाव इसमें समाहित हुआ है। उत्सव ने हमें प्रेम और आनंद की अनुभूति से हमेशा अविभूत कराया है। जीवन का एक नाम है उत्सव। उत्सव में सत्य की तलाश शुरू होती है। जीवन का दर्शन उत्सव में ही सिमटा हुआ है जबकि उत्सवहीनता में जीवन भौंथरा, असुरक्षित, भयाक्रांत, कायर, कमजोर पड़ जाता है। सघन अंधेरों की परतों को भेदकर जब उत्सव आंगन में उतरता है तो प्रकृति का पौर-पौर प्राणवान हो उठता है, क्योंकि उत्सव की अगवानी में जागते संकल्प एवं उत्साह की ज्योत विकास की अनेक संभावनाएं दे जाती है। यही क्षण अभ्युदय का होता है। सृजनशील चेतना जागती है। सपने संकल्पों मेें ढलकर साध्य तक पहुंचने के लिये पुरुषार्थी प्रयत्नों में जुट जाते हैं। कुल मिलाकर बात यह है कि भारत को अपनी उत्सव परम्परा का पुनर्गठन करना पड़ेगा, ऐसा करके वह न केवल भारतीय जन-चेतना का बल्कि समूची मानवता का सबसे बड़ा उपकार करेगी। ऐसा नहीं किया गया तो एक सभ्यता के रूप में अपना विनाश और एक देश के रूप में अपना विखंडन सुनिश्चित है। 




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(ललित गर्ग)
ई-253, सरस्वती कुंज अपार्टमेंट
25, आई0पी0 एक्सटेंशन, पटपड़गंज, दिल्ली-92
फोन: 22727486 मोबाईल: 9811051133

विशेष : आरएसएस के ट्रंप कार्ड से डरिये!

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संघ परिवार से नत्थी हिंदुत्व की वानर सेना और उनके सिपाहसालारोंकी आस्था ने उनकी आंखों में पट्टी बांध दी होगी ,लेकिन जो सामाजिक बदलाव के मोर्चे पर स्वंभू मसीहा हैं, वे न राम मंदिर के नये आंदोलन और  न मुसलमानों के खिलाफ ,काली दुनिया के खिलाफ अमेरिका के युद्ध में भारत की साझेदारी के खिलाफ कुछ बोल रहे हैं। बलिहारी उनकी चुनावी सत्ता समीकरण साधने वाली फर्जी धर्मनिरपेक्षता की भी।



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नई विश्वव्यवस्था में भारत अमेरिका के युद्ध में पार्टनर है,हमारी राजनीति, राजनय के साथ साथ आम जनता को भी यह हकीकत याद नहीं है। नये अमेरिकी राष्ट्रपति डान डोनाल्ड ट्रंप ने बाकायदा दुनियाभर के अश्वेतों और खासतौर पर मुसलमानों के खिलाफ युद्ध घोषणा कर दी है।यह तीसरे विश्ययुद्द की औपचारिक शुरुआत जैसी है। आजादी से पहले ब्रिटिश हुकूमत के उपनिवेश होने की वजह से भारतीय जनता की और भरतीय राष्ट्रीय नेताओं की इजाजत के बिना भारत पहले और दूसरे विश्वयुद्ध में अमेरिका और ब्रिटेन के साथ युद्ध में शामिल रहा है।  नतीजतन जब नेताजी सुभा, चंद्र बोस ने भारत की आजादी के लिए आजाद हिंद फौज बनाकर ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ जंग छेड़कर सिंगापुर रंगून फतह करने के साथ साथ अंडमान और मणिपुर में भी तिरंगा ध्वज फहरा दिया ,तब आजाद हिंद फौज का समर्थन करने के बजाय भारतीय राजनीति ने ब्रिटिश हुकूमत का समर्थन किया था और नेताजी को गद्दार बता दिया था। आज आजाद देश किसका उपनेवेश है कहने और समझाने की कोई जरुरत नहीं है।अब भारत अमेरिका के युद्ध में अहम पार्टनर है और इस युद्ध को आतंकवाद के खिलाफ युद्ध कहा जाता रहा है। मुसलमानों और शरणार्थियों के लिए दरवाजा बंद करने का डान डोनाल्ड का फैसला भी अमेरिका का आतंक के खिलाफ युद्ध बताया जा रहा है।डान डोनाल्ड के इस एक्शन से एक झटके के साथ इसी उपमहाद्वीप में रोहंगा मुसलमानों के खिलाफ म्यांमार में,तमिलों के खिलाफ श्रीलंका का और हिंदू बौद्ध ईसाई अल्पसंख्यकों के खिलाफ बांग्लादेश में नरसंहारी बलात्कारी उत्पीड़न की विचारधारा मजबूत हो गयी है।


जाहिर है कि इस युद्ध की परिणति इराक,अफगानिस्तान और सीरिया से ज्यादा भयंकर होगी।दुनिया का श्वेत अश्वेत नस्ली ध्रूवीकरण के तहत जो तीसरा विश्वयुद्ध अश्वेत काली दुनिया के खिलाफ डान डोनाल्ड ने छेड़ दिया है,उस युद्ध में भारत आटोमेटिक शामिल है और और इस युद्ध की परिणति में भी भारत को साझेदार बनकर उसके तमाम नतीजे भुगतना है। विडंबना है कि ताज्जुब की बात है कि सूचना तकनीक के जरिये रियल टाइम पल पल की जानकारी रखने वाला मीडिया और वैश्विक इशारों के मुताबिक राजनीति और अर्थव्यवस्था चलाने वाले देश के भाग्यविधाता और भारतीय जनता के जनप्रतिनिधि ने इस वैश्विक घटनाक्रम का कोई संज्ञान नहीं लिया है। धर्मनिरपेक्षता का सिद्धांत और बहुलता विविधता के तमाम बयान दिखाने के और हैं और खाने के और हैं।धर्मनिरपेक्ष ताकतों का स्वर भी भारत में कहीं उस तरह गूंज नहीं रहा है जैसा अमेरिका,यूरोप या दनिया में बाकी जगह हो रहा है। जाहिर है कि दलितों ,पिछड़ों और आदिवासियों के प्रति वोट की गरज से जितनी सहानुभूति राजनीतिक मीडिया खिलाड़ियों पिलाड़ियों को है,उससे कुछ ज्यादा धर्निरपेक्ष तेवर के बावजूद गैरहिंदुओं से कोई सहानुभूति सत्ता वर्ग के विविध रंगबिरंगे लोगों को उनकी पाखंडीविचारधाराओं के बावजूद नहीं है।उन्हें भी नहीं,जिन्होंने गठबंधन बनाकर यूपी बिहार में संघ परिवार का हिंदुत्व रथ को थामा है। वे तमाम सितारे भी मूक और वधिर बने हुए हैं। भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे ज्यादा मुसलमान हैं और भारत में भी बहुसंख्य हिंदुओं के बाद उनकी आबादी सबसे बड़ी है।

मुसलमानों के खिलाफ अमेरिका के खुल्ला युद्ध में भारत के शामिल हो जाने जैसी घटना के बारे में मीडिया और राजनीति की खामोशी हैरतअंगेज है। खासकर ऐसी परिस्थितियों में जब पांच राज्य के विधानसभा चुनाव जीतने के लिए डान डोनाल्ड के नक्शेकदम पर मुसलमानों से इतिहास का बदला चुकाने के लिए फिर राममंदिर के लिए बजरंगी वाहिनी और उनके सिपाहसालार नये सिरे से राम की सौौगंध खा रहे हैं।दंगा फसाद की फिजां नये सिरे से तैयार हो रही है। जिन देशों के मुसलमानों के खिलाफ डान डोनाल्ड की निषेधाज्ञा है,उन सभी एशियाई और अफ्रीकी देशों के साथ भारत के पारंपारिक राजनयिक संबंध हमेशा मजबूत रहे हैं। अमेरिका परस्त सउदी अरब के खिलाफ या संयुक्त अरब अमीरात यामिस्र के खिलाफ यह निषेधाज्ञा नहीं है।जबकि नािन इलेवेन को ट्विन टावर के विध्वंसे के मामले में सऊदी आतंकबवादी सबसे ज्यादा थे। इससे साफ जाहिर है कि यह युद्ध आतंकवाद के खिलाफ नहीं है। जिस इस्लामी देश पाकिस्तान को लेकर भारत को सबसे ज्यादा परेशानी है और जहां भारत विरोधकी फौजी हुकूमत है,उसके खिलाफ भी यह फतवा नहीं है। सीधे तौर पर यह रंगभेदी हमला है काली दुनिया के खिलाफ,जिसमें हम भी शामिल हैं।मुसलमानों के अलावा लातिन अमेरिका के खिलाफ भी अमेरिका की यह युद्धघोषणा है।इस निषेधाज्ञा के तहत शरणार्थी हिंदुओं की भी शामत आनी है। फेसबुक और गुगल केजैसे प्रतिष्ठानों के विरोध के बावजूद सूचना तकनीक पर टिकी भारतीय अर्थव्यवस्था पर इस युद्ध का क्या असर होना है,यह बात जझोला छाप विशेषज्ञों को भले समझ में नहीं आ रही हो लेकिन बाकी लोगों को क्या सांप सूंघ गया है कि डिजिटल कैशलैस इंडिया की इकोनामी को अमेरिका के इस युद्ध से क्या फर्क पड़ने वाला है,यह समझ में नहीं आ रहा है।

हम बार बार कहते रहे हैं कि भारत में जाति व्यवस्था सीधे तौर पर वर्ण व्यवस्था का रंगभेदी कायाकल्प है। अमेरिकी डान डोनाल्ड के श्वेत वर्चस्व के अमेरिका फर्स्ट और हिंदुत्व के एजंडे के चोली दामन के साथ बहुजनों के नस्ली नरसंहार का जो तीसरा विश्वयुद्ध शुरु कर दिया गया है,उसके खिलाफ बहुजन भी सत्ता वर्ग की तरह बेपरवाह है,जबकि भारत के बहुजन समाज में भी मुसलमान शामिल है। अगर मुसलमान बहुजनों में शामिल नहीं हैं,अगर आदिवासी भी मुसलमान में शामिल नहीं है और ओबीसी सत्तावर्ग के साथ हैं तो सिर्फ दलितों की हजारों जातियों में बंटी हुई पहचान से सामाजिक बदलाव का क्या नजारा होने वाला है,उसे भी समझें। संघ परिवार से नत्थी हिंदुतव की वानर सेना और उनके सिपाहसालारों की आस्था ने उनकी आंखों में पट्टी बांध दी होगी ,लेकिन जो सामाजिक बदलाव के मोर्चे पर स्वंभू मसीहा हैं, वे न राम मंदिर के नये आंदोलन और न मुसलमानों के खिलाफ,काली दुनिया के खिलाफ अमेरिका के युद्ध में भारत की साझेदारी के खिलाफ कुछ बोल रहे हैं।  बलिहारी उनकी चुनावी सत्ता समीकरण साधने वाली फर्जी धर्मनिरपेक्षता की भी। यह सत्ता में भागेदारी का खेल है सत्ता में रहेंगे सत्ता वर्ग के लोग ही। बीच बीच में सत्ता हस्तांतरण का खेल जारी है। इसका नमूना उत्तराखंड है,जहां समूचा सत्ता वर्ग हिमालय और तराई के लूटेरा माफियागिरोह से है।वहां शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण की तैयारी है। जैसे बंगाल में नेतृत्व पर काबिज रहने की गरज से सत्ता वर्ग को ममता बनर्जी की संग नत्थी सत्ता से कोई ऐतराज नहीं है और वे हारने को भी तैयार हैं,लेकिन किसी भी सूरत में वंचित तबकों को न नेतृत्व और न सत्ता सौंपने को तैयार हैं। उसीतरह उत्तराखंड के कांग्रेसियों को  पूरे पहाड़ और तराई के केसरिया होने से कोई फर्क नहीं पड़ता है और वे संघ परिवार को वाकओवर दे चुके हैं। हरीश रावत के खासमखास सलाहकार और सिपाहसालार विजय बहुगुणा से भी ज्यादा फुर्ती से अल्मोड़िया राजनीति के तहत उनका पत्ता साफ करने में लगे हैं। क्योंकि केसरिया राजकाज में उन्हें अपना भविष्य नजर आता है। यही किस्सा कुल मिलाकर यूपी और पंजाब का भी है।

यूपी में अखिलेश कदम दर कदम यूपी को केसरिया बनाने में लगे हैं तो पंजाब में अकाली भाजपा सरकार के खिलाफ जो सबसे बड़ा विपक्ष है,उसका संघ परिवार से चोली दामन का साथ है। आरएसएस के ट्रंप कार्ड से डरिये!





(पलाश विश्वास)

विचार : हिंदुस्तान के दर्द को महसूस करे सरकार

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उरी हमले मे 20 जवानों की शहादत के बाद समूचा देश गुस्से में है। सरकार हो, विपक्ष हो या आम जनता सबने जवानों को श्रद्धांजलि दी और 2o जवानों की शहादत बेकार न जाने की बात कह रहे हैं। देश में चारों ओर भारी आक्रोष का माहौल है। देश की जनता पाकिस्तान को लेकर तनिक भी मौका देने के पक्ष में नहीं है। लुधियाना,जम्मू और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में आक्रोषित लोगों ने मार्च निकाल पाकिस्तान के झंडे जलाए।लोग सवाल कर रहें हैं कि आखिर कब तक इस तरह हमारे जवान शहीद होते रहेगें। उरी में सेना के कैंप पर हुआ आतंकवादी हमला दिखाता है कि जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का खतरा ज्यों का त्यों बरकरार है और पाकिस्तान अपने नापाक इरादों पर भी कायम है।इसी लिये ये बहुत बड़ा प्रश्न आज फिर खड़ा है कि पाकिस्तान आतंकवाद का शिकार है या फिर अन्य देशों, खासकर भारत में आतंकवाद के हथियार का प्रयोग करने वाला शातिर देश।कुछ दिनों पहले इसी तरह पुंछ के सैनिक शिविर पर भी हमला किया गया था, मगर उसमें कोई भारी नुकसान नहीं हुआ था। इस साल जनवरी में पठानकोट के वायुसेना अड्डे पर भी आतंकियों ने हमले किए थे, जिसमें सात जवानों की मौत हो गई थी। इन तमाम घटनाओं में पाकिस्तान में चल रहे आतंकी संगठनों के हाथ होने की पुष्टि हो चुकी है। उरी के जिस सैनिक ठिकाने पर ताजा हमला हुआ वह नियंत्रण रेखा से सटा हुआ है। वहां ऊंचे पहाड़ों, जंगल और दरिया की वजह से घुसपैठियों पर नजर रखना मुश्किल काम है।ताजा हमले की प्रकृति बताती है कि पाकिस्तानी सेना की मदद के बिना इस तरह का हमला संभव नहीं था। कश्मीर घाटी में पिछले करीब सत्तर दिनों से तनावपूर्ण माहौल है।सेना पर पत्थर बरसाने ,प्रर्दशन और झड़पों मे कई दर्जन जाने जा चुकी हैं।घाटी का ऐसा माहौल पाकिस्तान को हमेशा मुफीद जान पड़ता है और वह आतंकवादियों की घुसपैठ करा कर अपने मंसूबे को अंजाम देने की कोशिश करता है।लेकिन इस सवाल से फिर भी नही बचा जा सकता कि आतंकवादी कैसे सेना के कैंप में घुस गए और इतनी बड़ी क्षति पहुंचाने में सफल भी रहे।शायद सरकार इस बार भारी दवाब का अनुभव भी कर रही है।इसी लिये अब सरकार का भी साफ रूख है कि सैन्य रणनीतिक गतिविधियों में सेना को जरूरी अधिकार होने चाहिए है और वह देश की वाह्य सुरक्षा को लेकर अपनी रणनीति तैयार कर उसपर आगे बढ़े।सोमवार को नई दिल्ली मे शीर्ष सतरीय बैठक मे गहन विमर्श किया गया।सात रेसकोर्स मे सुरक्षा बैठक मे सेना ने हांलाकि पाकिस्तान को सैनिकों की शहादत का जवाब देने का जरूर एलान किया,लेकिन उसका तरीका नही बताया।उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अंतरराष्ट्रीय मंचों से लगातार दोहराते रहे हैं कि पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है और उसे रोकने का हर प्रयास होना चाहिए। पिछले हफ्ते यह भी संकल्प दोहराया गया कि आतंकवादियों को मिलने वाली आर्थिक मदद के स्रोतों को खत्म करने की कोशिश की जाएगी।इन तमाम प्रयासों,अंतरराष्ट्रीय दबावों,सैनिक मुस्तैदी और अमेरिका के आंखें ततेरने के बावजूद पाकिस्तान पर कोई असर नहीं दिख रहा।वह अपने यहां संरक्षण पाए आतंकवादी संगठनों पर नकेल कसने को तैयार नहीं दिखता।तो क्या भारत को इससे निपटने के लिए अब भी किसी कारगर तरीके पर विचार करने की जरूरत नही?


अब इस मसले पर देश के सही फैसले पर पहुंचने का वक्त आ गया है क्यों कि  वह अपने आतंकवादी संगठनों के जरिये एक अर्से से छद्म युद्ध छेड़े हुए है। यह युद्ध आजादी के बाद 1948 से चल रहा है। अंतर केवल यह है कि 1948 में पाकिस्तान के कबाइलियों ने हमला किया और 1965-1971 में सीधी लड़ाई पाकिस्तान के साथ हुई और भारतीय सेना ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया। पाकिस्तान दो भागों में बंट गया और जन्म हुआ बांगलादेश का।लेफ्टि.जनरल आमिर अबदुल्ला खान नियाजी समेत 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों को ढाका में भारतीय सेना ने बंदी बना लिया था।इसके बाद सेना के जवानों ने कारगिल संघर्ष में भी पाकिस्तानी घुसपैठियों को मार भगाया था।फिर भी पाकिस्तान नही माना और अपनी युद्ध नीति से लगातार भारत को आतंकवाद से परेशान कर रहा है या हमारी उदारता की परीक्षा ले रहा है।आंकड़े गवाह है कि 1991 से आज तक भारत मे 60 से अधिक आतंकवादी हमले हो चुके है जिसमे सन 2008 मे ही 14 हमले हुये। हम 1993 के मुम्बईै विस्फोट के बाद से आज तक केवल सबूत ही जूटा रहे है, और पाकिस्तान अंतराष्ट्रीय मंच पर हमारे ठोस सबूतों और अपनी भूमिका को नकारता रहा है।यही पाकिस्तान की रणनीति है जिसे वह बखूभी अंजाम दे रहा है।यही नही भारत ने सन 1972 से लें कर साल 2014 तक पाकिस्तान के साथ मतभेद खत्म करने के लिए महत्व्पूर्ण सक्रिय चेष्टा की हैं।लेकिन ये सभी प्रयास एक बार फिर नाकाम होते दिख रहे हैं क्योंकि पाकिस्तान फिर इनकार कर रहा है। उरी हमले मे एक बार फिर पाकिस्तान ने अपनी भूमिका को सिरे से नकारा है।देश से फिर सबूत मांग रहा है,लेकिन अब दुनिया इस सच्चाई को समझ रही है कि पाकिस्तान आतंकवादी देश की भूमिका में है।इसी लिये पूरी दुनिया में यह सवाल पूछा जा रहा है कि क्या पाकिस्तान में आतंकवाद कभी समाप्त होगा? इसका जवाब देना आसान नहीं। कम से कम निकट भविष्य में तो ऐसा कुछ होने वाला नहीं लगता। शांति किसे नहीं सुहाती, लेकिन मौत के कुछ सौदागरों को दुनिया का अमन चैन रास नहीं आ रहा। ये आतंक का दानव जब किसी देश को अपना निशाना बनाता है, तो उसकी निर्माता महाशक्तियां उसे धैर्य और शांति रखने का उपदेश देती नजर आती हैं, लेकिन जब बात अपने पर आती हैं, तो ये एकजुट होकर पूरी दुनिया से आतंक के रक्तबीज के संहार का आवाह्नन करते हैं।वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ दुनिया की महाशक्तियों द्वारा चलाये जा रहे अभियान का यह विरोधाभास बड़ी विडम्बना है।अच्छे और बुरे आतंकवाद मे यहीं से अंतर शुरू हो जाता है। इंस्टिट्यूट फॉर इकोनॉमिकल एण्ड पीस द्वारा जारी वैश्विक आतंकवाद सूचकांक में आतंकवाद से प्रभावित शीर्ष दस देशों में भारत छठे स्थान पर है। 

चाहे हाफिज सईद हो या दाऊद हो, इनको भारत को सौंपने की मांग को पाकिस्तान गंभीरता से नहीं लेता। इसलिए भारत को और कठोर कार्रवाई की आवश्यकता है।सुरक्षा की दीवार हम चाहे और सुदृढ़ कर दें, हो सकता है कि पाकिस्तान पर दुनिया का और दबाव बढ़े, लेकिन पाकिस्तान को सही रास्ते पर लाने के लिए भारत को अपने बलबूते पर ठीक रास्ते पर लाना होगा। अमेरिका भी अपना राष्ट्रहित देखकर कार्रवाई करता है, इसी प्रकार चाहे चीन पाकिस्तान की नीतियों का समर्थक हो, लेकिन उसके कूटनीतिक दबाव को कम करना होगा। चाहे कूटनीतिक एवं विदेशी दबाव की स्थिति में भी हमें जेहादी आतंक से निपटना होगा, यह भी कटु सच्चाई है कि पाकिस्तान द्वारा घुसपैठ कराकर हिंसा की साजिश पाकिस्तान की एजेन्सी आईएसआई करती है। अमेरिका, चीन को भी जानकारी है कि पाक काबिज कश्मीर में पाकिस्तान के द्वारा करीब पचास आतंकी कैम्प चलाये जा रहे हैं। इन कैम्पों को आईएसआई संचालित करती है। यह भी वास्तविकता है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की बातों पर इसलिए भरोसा नहीं किया जा सकता है कि वहां की सेना सुरक्षा नीति निर्धारित करती है। जो लोकतांत्रिक ढंग से प्रधानमंत्री होता है, उसका केवल मुखौटा रहता है। यह भी कटु सत्य है कि पाक सेना भारत से दुश्मनी चाहती है।गौरतलब है कि भारत जैसे बड़े देश से पाकिस्तान की दुश्मनी का आधार, कश्मीर है।वह कश्मीर को अपना बनाना चाहता है लेकिन असलियत ये है कि आज वह इतिहास के उस मोड़ पर खडा है जहां से उसको कश्मीर पर कब्जा तो दूर , अपने चार राज्यों को बचा कर रख पाना ही टेढी खीर नज़र आ रही है। कश्मीर के मसले को जिंदा रखना पाकिस्तानी शासकों की मजबूरी हुआ करती थी लेकिन अब आतंकी संगठन पाकिस्तानी कब्जे से बाहर जा चुके हैं।अब आतंकवादियों को अगर कहीं से यह नज़र आता है कि पाकिस्तान की सरकार भारत के प्रति कहीं से नरम है तो वह पाकिस्तान को भी धमका देते हैं।
                                
वहां के कट्टरपंथियों ने पाकिस्तान में भारत विरोधी भावना पैदा कर दी है। जुल्फिकार अली भुट्टो का तख्ता पलटने वाले जनरल जिया-उल-हक ने जबसे अपने शासनकाल में अपने राजनीतिक उद्देश्यों की सिध्दि के लिए पाकिस्तान को इस्लामीकरण की खुराक पिलाना आरंभ किया तबसे वहां कट्टरपंथी तत्वों को बल मिलना शुरू हो गया। इसके साथ ही पाकिस्तान का तालिबानीकरण होने लगा, मदरसों का जाल फैलने लगा। इनमें से अनेक मदरसों में आतंकवाद का प्रशिक्षण देने की शुरूआत हुई। बाकी कसर पाकिस्तान की पाठ्यपुस्तकों में इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश कर के कर दिया गया।वहां के मदरसे आतंकवाद की घुट्टी पिलातें हैं तभी तो परवेज़ मुर्शरफ ने कुछ के खिलाफ कार्यवाही की थी। यही कारण है कि वहां की आंतरिक स्थिति भी भारत के खिलाफ है। इसी घृणा और दुश्मनी के आधार पर ही भारत का विभाजन हुआ। अब भी इस स्थिति में विशेष बदलाव नहीं हुआ।उसने आतंकवादियों के माध्यम से परोक्ष युद्ध गत ढाई दशक से चला रखा है।पाकिस्तानी आतंकवाद और पाकिस्तान की दुश्मनी के निराकरण की स्थाई नीति क्या हो, इस बारे में उलझनें अधिक हैं।इसी लिये ये सवाल बार-बार उठता है कि एसी कौनसी परिस्थिति है कि हम पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम नहीं उठा रहें हैं।भारत के नागरिक यह सवाल पूछ रहे है और उनमे आक्रोश है। आखिर क्यों हम विरोधियों का सर नही कुचल रहे। राजनीतिक हलके मे कहा जाता रहा है कि अभी तक भारत वही बोल रहा था जो 1947 में और उससे पूर्व अंग्रेज शासक उसके लिये निर्धारित कर गये थे। लेकिन नरेन्द्र मोदी के पीएम बनने के दो साल बाद एक बड़ा बदलाव दिखा कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र में पहली बार बलूचिस्तान का मुद्दा उठाया है और पाकिस्तान पर वहां मानवाधिकारों के व्यापक उल्लंघन का आरोप लगाया है। बहरहाल सरकार को नवाज शरीफ की मृग तृष्णा पर भरोसा करके समय बर्बाद करने से कोई परिणाम नहीं निकल सकता।इसके लिए दृढ़ता के साथ कार्रवाई करना होगी और इस दिशा मे बरती जा रही झिझक को तोड़ना होगा ताकि पाकिस्तान के मंसूबों पर पानी फेरा जा सके।
                              





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*** शाहिद नकवी ***

हास्य किरदार ही मेरी पहचान हैं : बनवारी झोल

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चरित्र अभिनेता व हास्य कलाकार बनवारी झोल लगभग 40 सालों से अभिनय के क्षेत्र में सक्रिय है। उन्होंने रंगमंच टीवी और फिल्में सब जगह समानांतर काम करते हुए अपनी एक अलग पहचान बनाई हैं। एक दौर दूरदर्शन का था, जब बनवारी झोल को सिर्फ कामेडी भूमिकाओं से ही पहचाना जाता था। भैयाजी, और किसान जाग उठा,एक दिल हजार अफसाने,सीआई डी और फिल्म बाजीगर,चैधरी शुद्व देशी रोमांश, मानसून शूटआउट और मांझी फिल्मों में लीक से हटकर दमदार किरदार निभाते साबित कर दिया कि वह किसी एक किरदार के टाइप्ड नही है। फिल्म ‘फिर हेराफेरी’ में बनवारी ने राजपाल यादव के पिता  जो कि लकवा बीमारी से ग्रस्त थे। किरदार का जिस बखुबी से निभाया वह तारीफे काबिल रहा।  कामेडी सर्कस ने उनके करियर को नई दिशा मिली। 


बनबारी झोल सीआईडी की कुछ कडियों में काम करने पर उनका कहना है कि ‘ यह एक बेहतरीन रोमांचक शो है। सीआईडी की कहानी  सिर्फ एक या दो कड़ियों की होती है,इसलिए उसमें कलाकारों को भी अपने अभिनय को दिखाने का पूरा मौका मिल जाता है। कई सालों का लंबा समय गुजरने के बाद भी आज सीआईडी की लोेकप्रियता व शो के एसीपी शिवाजी और उनकी टीम ने आज भी पहचान को बरकरार हैं।’  बनवारी झोल अपने लंबे सफर के बारे में बताते है कि ‘एक दौर था जब पंजाबी थियेटर लोकप्रिय था,उस दौर में मेरी,कीमती आंनद और स्वं बीके सूद की जोडी खासी लोकप्रिय रहीं थीं। हमारे कुछ नाटक तो आज भी लोकप्रिय हंै। इसके हिन्दी थियेटर और पंजाबी फिल्मों से जुड़ने का मौका मिला।’  दूरदर्शन को सही मायने में पहचान मिली धारवाहिक ‘हमलोग’ से । जो लोग चित्रहार तक सीमित थे अब हमलोग की कहानी भी उनके परिवार का हिस्सा बन गया। आज भी याद किया जाता हैं। दूरदर्शन विस्तार के बाद बनवारी झोल ने नैनसुख,एक दिल हजार अफसाने,टेली फिल्म भैयाजी...में काम करते हुए जब बाजीगर फिल्म में मुनीम का रोल किया तो उनके काम से प्रसन्न होते हुए निर्देशक अब्बास मस्तान ने मुमंई आने की दावत दी। उसके बाद में बनवारी झोल ने पीछे मुड़कर नही देखा। बनवारी झोल कहते हैं कि,समय के साथ बदलाव जरूरी है, हमसे गलती सिर्फ हुई कि जब सुषमा सेठ,आलोक नाथ, विनिता मलिक जी ने मुमंई राह पकडी तो मुझे भी बालीवुड की और रूख करना चाहिए था,दूसरा हम दिल्ली में रह कर काम करने में खुश थे,लेकिन आज भी मुझे खुशी है कि मैं अपने काम से सतुष्ट हूॅ।

केन्द्रिय मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया पुस्तक का लोकार्पण

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नई दिल्लीः जाॅब संबंधी सलाह पर आधारित अपनी तरह  पहली पुस्तक ‘एन एक्सपर्ट्स गाइड टू द टाॅप 101 इंट्री-लेवेल जाॅब्स फाॅर एमबीएज़ एण्ड ग्रैजुएट्स’ पुस्तक का लोकार्पण  केन्द्रिय मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया। पुस्तक के  लेखक श्री टी मुरलीधरण हैं। यह पुस्तक उन बिरोजगारों के लिए मार्गदर्शक साबित होगीं, विभिन्न शिक्षा संस्थानों के 50 लाख नए ग्रैजुएट के साथ-साथ रोजगार के 1 करोड़ से अधिक उम्मीदवारों को इससे बड़ा लाभ होगा। पुस्तक की कीमत 299रू. में 378 पृष्ठ की यह पुस्तक अवश्य पढ़ने योग्य है। रोजगार के उम्मीदवारों के अलावा यह हर काॅलेज के प्लेसमेंट आॅफिसर और हर माता-पिता के लिए बहुत उपयोगी है जो कि ऐसे किसी उम्मीदवार के बुनियादी सलाहकार होते हैं। यह इसी लेखक और रूपा प्रकाषन की ही बेस्ट सेलर ‘ऐन एक्सपर्ट्स गाइड टू युअर राइट फस्र्ट जाॅब’ की अगली कड़ी है।  ‘‘आईटी इंडस्ट्री में काॅलेज के नए ग्रैजुएट के लिए जाॅब कम होते जाएंगे। इसलिए युवाओं को आईटी और आईटीईएस इंडस्ट्री के परे भी देखना होगा। लेकिन अन्य सेक्टर के जाॅब के बारे में स्पश्ट जानकारी का अभाव है। इसलिए यह रेफरेंस बुक जरूरी है जिसमें न केवल जाॅब की सूची है बल्कि यह भी बताया गया है कि क्यों युवाओं के लिए कोई खास जाॅब अधिक उपयुक्त होगा और क्यों युवक या युवतियां किसी खास इंडस्ट्री में कॅरियर बनाएं। पुस्तक में यह सब बताया गया है,’’ पुस्तक के लेखक श्री टी. मुरलीधरण ने बताया जो भारत के प्रमुख रोजगार माध्यम संगठन - टीएमआई ग्रुप के अध्यक्ष भी हैं।  पुस्तक के दायरे में इन दो प्रमुख सेक्टर के साथ 13 इंडस्ट्री सेक्टर रखे गए हैं और इन सेक्टर के 52 से अधिक किस्म के जाॅब की सूची दी गई है। पुस्तक में ग्रैजुएट के लिए आईटी और आईटीईएस में 10 किस्म के जाॅब के विवरण और 39 किस्म के ऐसे जाॅब के बारे में जानकारी है जो हर व्यवसाय संगठन के 8 कार्य क्षेत्रों में आम हैं।


पुस्तक का लोकार्पण करते हुए माननीया मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने श्री मुरलीधर को बधाई देते हुए कहा, ‘‘यह पुस्तक न केवल रोजगार के उम्मीदवारों के लिए बल्कि सरकार के लिए भी उपयोगी है जो युवा और नई पीढ़ी के लिए हमेषा रोजगार सृजन के अवसर तलाषने में लगी होती है। श्री मुरलीधरण के तीन साल के षोध के परिणामस्वरूप हमें एक ठोस जमीन तैयार करने की पर्याप्त सामग्री मिलेगी जिसके आधार पर रोजगार सृजन करने की सरकार की रणनीति सफल होगी।’’ उन्होंने बताया, ‘‘सच तो यह है कि हम विद्यार्थियों पर स्कूलों और काॅलेजों में पढ़ाई का बोझ डाल देते हैं जबकि जरूरत उन्हें सही कौशल देने की है। शिक्षा के अलावा आज विद्यार्थियों को सलाह की जरूरत है जिससे उनके ज्ञान के स्तर में बड़ा बदलाव आएगा और उनकी रोजगार योग्यता बढ़ेगी।’’    ‘‘अधिकांश ग्रैजुएट ग्रैजुएशन से ठीक पहले और तुरंत बाद जाॅब की तलाश शुरू कर देते हैं। प्लेसमेंट के भारी तनाव में वे सबसे पहले मिलने वाला जाॅब चुन लेते हैं। पर तीन महीनों के अंदर उन्हें अहसास हो जाता है कि उन्हें कुछ और चाहिए था। इसलिए कैम्पस में जाॅब की काउंसेलिंग की अत्यधिक जरूरत है ताकि हर ग्रैजुएट सोच-समझ कर निर्णय ले सके। हर मां-बाप को चाहिए कि उनके बच्चे के जाॅब शुरू करने से पहले उन्हें यह पुस्तक पढ़ने को दें,’’ श्री मुरलीधरण ने कहा। 

रोजगार सृजन की दिशा में मोदी सरकार के गंभीर प्रयासांे के बारे में बात करते हुए श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा,  ‘‘मोदी सरकार की भी एक सबसे बड़ी प्राथमिकता रोजगार सृजन करना है। प्रधानमंत्री मोदी के सामने जब भी कोई परियोजना स्वीकृति के लिए आती है वे कहते हैं कि आपका प्रस्ताव तो सही है पर इससे कितने लोगों को रोजगार मिलेंगे और इससे रोजगार योग्यता कैसे बढ़ेगी?’’  भारत में अपनी किस्म की इस पहली पुस्तक से अगले 6 वर्षों में लगभग 20 लाख नए आरंभिक स्तर के 101 किस्म के जाॅब का पता चलेगा। यह बीई, बीटेक, बीए, बीकाॅम, बीएससी, बीबीए, बी फार्मा, बीएल के साथ-साथ एमबीए, एमसीए, एमबीबीएस, सीए, आईसीडब्ल्यूए, सीएस और डिप्लोमा धारकों के लिए वरदान  साबित होगा। इससे न केवल युवाओं के सामने नए अवसर आएंगे बल्कि सही कॅरियर चुनने में भी उन्हें बड़ी मदद मिलेगी। यह ट्रेनिंग एवं प्लेसमेंट आॅफिसरांे (टीपीओए) और माता-पिता के लिए भी अवश्य पठनीय पुस्तक है। 

लेखक का परिचय
टी. मुरलीधरण आईआईटी चेन्नई से ग्रैजुएषन और आईआईएम अहमदाबाद से पढ़ने के बाद पहली पीढ़ी के उद्यमी हैं और आज टीएमआई ग्रुप के अध्यक्ष हैं। टीएमआई की गिनती भारत के चोटी के रिक्रूटमेंट फर्म में होती है। सन् 1991 से अब तक मुरलीधरण और इस ग्रुप की मदद से 100,000 से अधिक प्रोफेशनल निजी क्षेत्र में उपयुक्त रोजगार पा चुके हैं। विभिन्न राष्ट्रीय मंचों के नियमित वक्ता रहे मुरलीधरण के द हिन्दू, द वीक और साक्षी जैसी पत्र-पत्रिकाओं में शिक्षा और रोजगार पर गंभीर आलेख पढ़े जा सकते हैं। आज श्री मुरलीधरण कई अहम् पदांे पर हैं जैसे भारत सरकार के राष्ट्रीय सूक्ष्म, छोटे एवं मध्यम उद्यम बोर्ड (एमएसएमई) के सदस्य; फेडरेशन आॅफ इंडियन चैम्बर्स आॅफ काॅमर्स एण्ड इंडस्ट्री (फिक्की) के राष्ट्रीय बोर्ड के सदस्य; फिक्की स्किल डेवलपमेंट फोरम के पूर्व सह-अध्यक्ष; और जाॅब्स डायलाॅग के संस्थापक। 

ड्रामा क्वीन और सेंसर बोर्ड आमने सामने

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राखी सांमत ने एक बार फिर से नया बखेड़ा खड़ा कर दिया है। इस बार उनका गुस्सा यह कह कर सेंसर बोर्ड पर फूटा है कि वो पोर्नस्टार नहीं हैं ऐसे में सेंसर उनके पीछे कंैची लेकर क्यों पड़ा हैं। दरअसल राखी सांमत की एक फिल्म ‘एक कहानी जूली की’ इस मास 9 सितम्बर को रीलिज हो रहीं है।लेकिन संेसर बोर्ड ने कुछ सींन्स पर कैंची चला दी है। राखी सांमत इस बात पर बौखला गई। राखी फिल्म टीम के साथ मीडिया के सामने आई। राखी ने बताया कि सेंसर ने कुछ डाॅयलाग के साथ फिल्म को ए़/यू प्रमाणपत्र दिया था। लेकिन बाद में उन्हीं डाॅगलाग को काटकर ए प्रमाणपत्र दे दिया। जब डाॅगलाग फिल्म के प्रेामो मंे हो सकते हैं। तो फिल्म में क्यों नहीं हंै। राखी ने सेंसरबोर्ड पर गैर कानूनी और भेदभाव पूर्ण तरीके से काम करने का आरोप लगाते हुए कहा ‘मैं कोई पोर्नस्टार नही हॅू। इस फिल्म की लीड एक्टर हॅू,ऐसे में सेंसर बोर्ड पहले से मेरे बारे में कुछ कैसे तय कर लेता हैं कि मेरे फिल्म में होने से बदनामी होगीं। अब राखी और फिल्म ‘एक कहानी जूली की’ के निर्माता चेतना शर्मा और निर्देशक अजीज जी ने संेसर बोर्ड के खिलाफ मौर्चा खोलने फैसला किया हैं और कहा कि वो जल्द ही सेंसर के खिलाफ कानूनी कार्रवाही के लिए प्रक्रिया शुरू करेंगे। सनी से नाराज राखी सामंत से बातचीत की गई। तो उन्होंने बताया कि इस बात को लेकर नाराज हॅू कि हिन्दुस्तानी हीरोईन का पल्लू जरा भी सरक जाता हैं तो टीवी मीडिया और बड़े बड़े लोग भाषाण देना शुरू कर देते हैं। कहते है कि ‘इन्हें शर्म आनी चाहिए। टीवी पर डिवेट शुरू हो जाती हैं कि लक्ष्मण रेखा क्या हैं। लोग भाडे़े का दुपट्टा ओढ़ने के दौड़ना शुरू कर देते है और पोर्नस्टार सनी लियोनी का गोरा जिस्म देखकर हिन्दुस्तान की जनता पागल हो जाती हैं। क्या हमें अगं्रजो की गुलामी करने की अब भी आदत हैं। अगर सनी हिन्दुस्तानी होती तो ऐसा कभी नही करतीं। वह यहां आकर हिन्दुस्तान का माल लूटना चाहती हैं। इसलिए ऐसा कर रही है। थोड़़ा खून हिन्दुस्तान का होने से काई हिन्दुस्तानी हो जाता हैं।

गोवा में मतदान की तैयारियां पूरी

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पणजी 03 फरवरी, गोवा विधानसभा चुनाव के मद्देनजर विभिन्न राजनीतिक दलों के व्यापक चुनाव प्रचार अभियान की समाप्ति के बाद कल होने वाले मतदान की सारी तैयारियां पूरी कर ली गयी है। राज्य विधानसभा की 40 सीटों के लिये विभिन्न राजनीतिक दलों के 251 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। प्रमुख पार्टियों कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) आम आदमी पार्टी(आप) के साथ ही महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी), गोवा सुरक्षा मंच(जीएसएम) और शिवसेना के महागठबंधन ने अपने उम्मीदवारों को चुनाव में खड़ा किया है। प्रदेश के मुख्य निर्वाचन आयोग कार्यालय के सूत्रों ने बताया कि 40 सीटों के लिये 1642 मतदान केंद्र बनाये गये हैं। कुल पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 11.10 लाख है जिनमें 5.46 लाख पुरुष एवं 5.64 लाख महिला मतदाता है। उन्होंने बताया कि 1750 चुनाव अधिकारी वीडियो कैमरे के जरिये मतदान की निगरानी करेंगे। सभी 40 निर्वाचन सीटों पर एक बूथ पिंक बूथ के रुप में स्थापित की जायेगी जहां की व्यवस्था महिला निर्वाचन अधिकारी देखेंगी। प्रशासन ने कल शाम से शराब दुकानों को सील कर दिया है जो कल शनिवार मध्यरात्रि तक प्रभारी रहेगा। सभी शराब दुकानों, बार और रेस्टोरेंट संचालकों को शराब बेचने अथवा शराब बांटने की मनाही की गयी है। राज्य सरकार ने कल सरकारी अवकाश की घोषणा की है। 


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