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यूकी और रामनाथन ने दिलायी 2-0 की बढ़त

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पुणे ,03 फरवरी, यूकी भांबरी और रामकुमार रामनाथन ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुये भारत को न्यूजीलैंड के खिलाफ डेविस कप एशिया-ओसनिया जोन ग्रुप एक के मुकाबले में शुक्रवार को 2-0 की मजबूत बढ़त दिला दी। बालेवाड़ी स्पोर्ट्स काम्प्लैक्स के हार्ड कोर्ट पर खेले जा रहे इस मुकाबले में यूकी ने न्यूजीलैंड के नंबर एक खिलाड़ी फिन टियर्नी को लगातार सेटों में 6-4,6-4,6-3 से हराकर भारत को 1-0 से आगे किया और रामकुमार ने जोस स्टेथम को लगातार सेटों में 6-3,6-4,6-3 से हराकर इस बढ़त को 2-0 पहुंचा दिया। शनिवार को होने वाले युगल मैच में अनुभवी लिएंडर पेस और विष्णु वर्धन की जोड़ी युगल रैंकिंग में 36 वीं रैकिंग रखने वाले माइकल वीनस और 56 वीं रैंकिंग के आर्टेम सिताक से भिड़ेगी। पेस इस मैच में विश्व रिकार्ड बनाने के इरादे से उतरेंगे। 18 बार के ग्रैंड स्लेम विजेता 43 वर्षीय पेस का यह 55 वां डेविस कप मुकाबला है। पेस डेविस कप में युगल जीत के मामले में इटली के निकोला पेत्रांगेली की बराबरी पर है। पेस और निकाेला के नाम 42 युगल जीत है। पेस यदि शनिवार को अपना युगल मैच जीतते हैं तो वह डेविस कप के इतिहास में सबसे सफल युगल खिलाड़ी बन जाएंगे।



दो करोड़ मतदाता करेंगे 1145 उम्मीदवारों का भविष्य तय

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जालंधर 03 फरवरी, पंजाब विधानसभा के 117 सदस्यों का चुनाव करने के लिए शनिवार को मतदान होगा। अमृतसर लोकसभा सीट के लिए भी कल उपचुनाव होगा, मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले के बाद हो रहे इस पहले चुनाव में 1.98 करोड़ लोग अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे । चुनाव के लिए 1,145 उम्मीदवार मैदान में हैं जिनमें से 81 महिलाएं हैं और एक किन्नर (ट्रांसजेंडर) प्रत्याशी शामिल है। राज्य में शांतिपूर्वक चुनाव संपन्न कराने के लिए अर्धसैनिक बलों की 200 से ज्यादा कंपनियां तैनात की गई हैं । राज्य के 1,98,79,069 मतदाताओं में से 93,75,546 महिलाएं और 415 ट्रांसजेंडर हैं। जिनमें से युवा मतदाताओं की संख्या एक करोड़ दो लाख 44 हजार 410 है जो 50 फीसदी से ज्यादा है। कुल मतदाताअों का 64 फीसदी मतदाता ग्रामीण क्षेत्र में है इनकी संख्या एक करोड़ 33 लाख 42 हजार 926 है जबकि 65 लाख 36 हजार 143 शहरी मतदाता हैं। सभी पार्टीयों के उम्मीदवारों में जीत उसी की होगी जो युवा मतदाताओं को आकृषित करने में सफल रहेंगे। समूचे राज्य में 22,615 मतदान केंद्र स्थापित किए गए हैं। 83 विधानसभा क्षेत्र सामान्य श्रेणी के हैं जबकि 34 आरक्षित हैं। पंजाब में शिअद-भाजपा गठबंधन, कांग्रेस और आप के बीच त्रिकोणिय मुकाबला हो रहा है। आप का दावा है कि वह दिल्ली वाली अपनी सफलता को राज्य में दोहराएगी जहां 2015 के चुनाव में उसने कांग्रेस और भाजपा का सूपड़ा साफ कर दिया था। चुनावाें में मुख्य मुकाबला शिरोमणी अकाली दल, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों के बीच होगा लेकिन मुख्य मंत्री प्रकाश सिंह बादल के चुनाव क्षेत्र लंबी, उपमुख्य मंत्री सुखवीर सिंह बादल के चुनाव क्षेत्र जलालावाद, पटियाला तथा मजीठा विधानसभा हलकों में मुकाबला दिलचस्प होगा। सत्ताधारी पार्टी अकाली दल तथा भाजपा गठजोड़ को जहां विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है वहीं दस वर्ष सत्ता से दूर रही कांग्रेस को भी जीत के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है।


आगरा में राहुल अखिलेश ने रोड शो कर प्रत्याशियों के लिये मांगे वोट

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आगरा, 03 फरवरी, ताजनगरी आगरा में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने रोड शो कर सपा-कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशियों के लिये वोट मांगे, आगरा में राज्य विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 11 फरवरी को मतदान होगा। दयालबाग डीम्ड विश्वविद्यालय से दोनो युवा नेता विजय रथ में सवार होकर जनता का हाथ हिलाकार अभिवादन करते हुए आगे बढे। सड़क के दोनो ओर बडी संख्या में लोग राहुल और अखिलेश की एक झलक पाने काे आतुर दिखे। जगह जगह पर स्वागत के बाद विजय रथ भगवान टॉकीज पहुंचा। छात्रों और समर्थको में राहुल और अखिलेश को लेकर दीवानगी देखने को मिली। इस दौरान बड़ी संख्या में कांग्रेसी, सपाई के साथ साथ जनता का जन सैलाब रोड शो में शामिल हो गया। इस दौरान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के दीदार के लिए बड़ी संख्या में छात्र छात्राओं की भीड़ देखी गयी। दयालबाग़ से शुरू हुआ ये रोड शो भगवान टाकीज, दीवानी चौराहे, सूरसदन, हरीपर्वत, जिला मुख्यालय, छीपीटोला, रकाबगंज होते हुए रामलीला मैदान पर सम्पन्न हुआ। पहले चरण में होने वाले मतदान को लेकर ताजनगरी आगरा में चुनाव प्रचार अपने चरम पर है।


सपा कांग्रेस मिलकर भी नहीं कर सकते उत्तर प्रदेश का विकास

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मेरठ 03 फरवरी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) गठबंधन पर कटाक्ष करते हुए आज कहा कि दोनों दल मिलकर भी उत्तर प्रदेश को विकास के रास्ते पर नहीं ला पायेंगे क्योंकि एक ने देश को और दूसरे ने उत्तर प्रदेश को लूटा है। मेरठ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली से एक दिन पहले श्री शाह ने पदयात्रा और जनसंपर्क अभियान की शुरुआत करनी थी मगर कल रात यहां डकैतों की अंधाधुंध फायरिंग में एक व्यापारी की मृत्यु और चार के घायल हो जाने पर उन्होंने पदयात्रा समाप्त करने की घोषणा कर दी। श्री शाह ने कहा कि उत्तर प्रदेश में रोजाना 24 बलात्कार और 21 बलात्कार के प्रयास होते हैं। प्रदेश में हर दिन 13 हत्या की घटनायें होती हैं जिसमें 70 प्रतिशत सपा के मंत्रियों के क्षेत्र में दर्ज की गई हैं। सपा के पूरे कार्यकाल में 78 हजार अपराधिक घटनायें हुई हैं। आयेदिन दुस्साहिक वारदातों से त्रस्त सूबे के वाशिंदे पलायन तक करने को मजबूर हो गये है।


निजी कोचिंग संस्थानों के नियमन के लिए गाइडलाइन बने

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नयी दिल्ली, 03 फरवरी, उच्चतम न्यायालय ने मेडिकल,इंजीनियरिंग आदि की प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले कोचिंग संस्थानों के नियमन के लिए केंद्र सरकार को दिशानिर्देश तैयार करने को कहा है। न्यायालय ने देश में कुकुरमुत्तों की तरह देश में खुल रहे कोचिंग संस्थानों पर आज चिंता जताते हुए केंद्र सरकार को कहा कि वह इन संस्थानों के नियमन के लिए दिशानिर्देश तैयार करे। न्यायालय ने कहा कि ऐसे निजी कोचिंग संस्थानों पर रोक तो नहीं लगायी जा सकती, लेकिन शिक्षा के व्यावसायीकरण पर रोक के लिए इनका नियमन आवश्यक है। याचिकाकर्ता ने निजी कोचिंग संस्थानों को रेगुलेट करने की मांग की थी। शीर्ष अदालत ने कहा, “मेडिकल और इंजीनियरिग प्रवेश परीक्षाओं के कोचिंग देने वाले संस्थानों के नियमन के लिए सरकार दिशानिर्देश तैयार करे। इन पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए सिर्फ प्रवेश परीक्षाओं में हासिल किये गए अंकों को आधार नही बनाया जाना चाहिये, बल्कि 40 फीसदी वरीयता स्कूलों के परीक्षाफल को भी दिया जाना चाहिये।” हालांकि न्यायालय ने इस पर निर्णय लेने का जिम्मा सरकार पर छोड़ दिया है।


बजट सत्र के दूसरे चरण में पेश होगा जीएसटी विधेयक

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नयी दिल्ली 03 फरवरी, एक देश-एक कर और एक बाजार की आवधारणा पर आधारित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक बजट सत्र के दूसरे चरण में संसद में पेश किया जायेगा। लेकिन, इसके लागू होने पर वस्तुआें एवं सेवाओं के सस्ते होने की संभावना नहीं दिख रही है क्याेंकि वर्तमान में लग रहे कर एवं शुल्कों को जोड़कर जीएसटी की दर तय की जायेगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज यहाँ उद्योग संगठन फिक्की, सीआईआई, एसोचैम, पीएचडी चैंबर और इंडियन चैंबर ऑफ काॅमर्स (आईसीसी) के साथ बजट बाद परिचर्चा में कहा कि जीएसटी से जुड़े कानूनों को लेकर कई मुद्दे थे जिनका समाधान हो चुका है। जीएसटी कानून के प्रारूप को अंतिम रूप दिया जा चुका है और अब सिर्फ उसे कानूनी भाषा के अनुरूप बनाया जा रहा है। बजट सत्र के पहले चरण के बाद जीएसटी परिषद् की बैठक में प्रारूप को अंतिम रूप दिया जायेगा। राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने कहा कि जीएसटी दर के चार स्लैब बनाये गये हैं। कुछ वस्तुयें जीएसटी की दर से बाहर रहेंगी। लेकिन अभी जिन वस्तुओं या सेवाओं पर वैट या सेवा कर के साथ दूसरे शुल्क लग रहे हैं उसमें कमी किये जाने की संभावना नहीं है। इनको जोड़कर ही जीएसटी की दर निर्धारित की जायेगी। श्री जेटली ने कहा कि अप्रत्यक्ष कर तंत्र को तर्कसंगत बनाने की प्रक्रिया जारी है।


आप पार्टी के चंदा सूची में विसंगतियां : आयकर विभाग

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नयी दिल्ली, 03 फरवरी(वार्ता) आयकर विभाग ने चुनाव आयोग को सौंपी रिपोर्ट में दावा किया है कि आम आदमी पार्टी (आप) की ऑडिट रिपोर्ट में 27 करोड़ रूपये के प्राप्त चंदे के बारे में जो जानकारियां दी गयी है उनमें विसंगतियां और त्रुटियां पायी गयी है। आयकर विभाग आप पार्टी को मिले चंदे की सूची को पिछले एक वर्ष से खंगाल रहा है । विभाग के सूत्रों ने बताया कि पार्टी के 2013-14 और 2014-15 के चंदे के जो रिकार्ड हैं , उसमें वास्तविक विसंगतियां मिली है। पार्टी की सूची जो उसको वास्तव में चंदा विभिन्न स्रोतों से मिला है ,उससे मेल नहीं खाती है। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने आयकर विभाग के दावे को लेकर एक बार फिर प्रधानमंत्री पर निशाना साधा है। उन्होंने आरोप लगाया कि श्री मोदी गंदा तरीका अपनाकर आप पार्टी का पंजीकरण रद्द करना चाहता है। श्री मोदी को गोवा और पंजाब विधानसभा चुनावों में आप पार्टी के जीतने का भय सता रहा है। गौरतलब है कि दोनों विधानसभाओं के लिए कल मतदान होना है। श्री केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा “ गोवा और पंजाब में बुरी तरह हार को देखते हुए मोदी जी गंदा तरीका अपना रहे है, वह मतदान से 24 घंटे पहले जीतने वाली पार्टी को अपंजीकृत कराने का प्रयास कर रहे है, शर्मनाक तानाशाह । ”


पाकिस्तान में और सर्जिकल स्ट्राइक संभव : राजनाथ

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नयी दिल्ली 03 फरवरी, केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को कठोर चेतावनी देते हुए कहा है कि उसके इलाके में भारतीय सुरक्षा बलों की और सर्जिकल स्ट्राइक की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है। श्री सिंह ने निजी टेलीविजन चैनल सीएनएन न्यूज़ 18 के साथ साक्षात्कार में कहा, “पाकिस्तान हमारा पड़ोसी है। अगर उसमें कोई अच्छा बदलाव होता है तो हमें आगे कुछ करने की जरूरत नहीं है। लेकिन अगर आतंकवादी संगठन या कोई अन्य भारत को निशाना बनाता है तो हम गारंटी नहीं दे सकते कि सर्जिकल स्ट्राइक नहीं दोहरायी जायेंगी।” उन्होंंने लश्करे तैयबा के सरगना हाफिज सईद को हाल में नज़रबंद किये जाने को आंखों में धूल झोंकने की कोशिश करार दिया और कहा कि अगर पाकिस्तान सरकार आतंकवाद से मुकाबले के लिये वाकई गंभीर होते तो कानून का सहारा लेता, उस पर आरोप तय करके उसे जेल में बंद करता। उन्होंने भगोड़े माफिया डॉन दाऊद इब्राहिम के बारे में बताया कि उसे पकड़ना अब थोड़े समय की बात है। उन्होंने कहा, “मुझे भरोसा है कि हम उसे वापस लाने में कामयाब हो जायेंगे। यह मौके की बात है।” पाकिस्तान के बारे में कठोरता बरत रहे गृहमंत्री ने चीन के बारे में सधी हुई प्रतिक्रिया व्यक्त की। जैश ए मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अज़हर को संयुक्त राष्ट्र के तहत प्रतिबंधित करने के भारत के प्रयासों पर चीन के अड़ंगे पर उन्हाेंने चीन की सीधी आलोचना नहीं की। उन्होंने कहा कि शायद चीन ने अपने आंतरिक हालात के कारण हमारा समर्थन नहीं किया। लेकिन हमें उम्मीद है कि वे भविष्य में हमारा समर्थन अवश्य करेंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा सात इस्लामिक देशों के नागरिकों को वीजा देने पर रोक लगाने के निर्णय के सवाल पर श्री सिंह ने कहा कि श्री ट्रंप ने स्थानीय स्तर पर आतंकवाद के खतरे का आकलन करने के बाद ही यह निर्णय लिया होगा।



विपक्ष ने नोटबंदी और सत्ता पक्ष ने मेरठ हादसे पर लोकसभा में किया हंगामा

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नयी दिल्ली 03 फरवरी (वार्ता) विपक्ष ने नोटबंदी के मुद्दे पर आज लोकसभा में जमकर हंगामा किया, जिसके कारण सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी जबकि सत्ता पक्ष ने मेरठ में हुए हादसे पर हंगामे किया, जिसके कारण कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गयी। सदन की कार्यवाही जैसे ही शुरू हुई, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने नोटंबदी के मुद्दे को लेकर हंगामा शुरू कर दिया, जिसके कारण प्रश्नकाल के दौरान कार्यवाही लगभग पांच मिनट तक ही चल पायी । हंगामा होते देखकर लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कार्यवाही को अपराह्न बारह बजे तक स्थगित कर दिया। शून्यकाल के शुरू होने पर वित्त मंत्री अरूण जेटली द्वारा नोटबंदी से संबधित अध्यादेश के स्थान पर विधेयक पेश करने पर तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने कड़ी आपत्ति जताते हुए भारी हंगामा किया जिसके कारण अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही एक बजे तक के लिए स्थगित कर दी । इसके बाद जब कार्यवाही फिर शुरू हुई तो सत्ता पक्ष ने मेरठ में सड़क दुर्घटना में एक बच्चे की मौत का मामला उठाते हुए जमकर हंगामा किया, जिसके कारण अध्यक्ष को सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर देनी पड़ी ।


नये नोट डालने का काम करीब करीब पूरा: आर्थिक सचिव

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नई दिल्ली, तीन फरवरी, केंद्रीय वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आज कहा कि नोटबंदी के बाद बैंकों में नए नोट डालने का काम करीब करीब पूरा हो चुका है क्यों कि अब धन निकासी पर व्यावहारिक रूप से कोई पाबंदी नहीं रह गयी है। सरकार ने गत 8 नवंबर को 1000 और 500 के नोटों का चलन बंद कर दिया था और जनता से उन्हें अपने बैंक खातों में जमा कराने या बैंकों, रिजर्व बैंक या डाकखानों से बदलावाने का आदेश दिया था। इसके कारण बाजार में नोटों की कमी पड़ गयी और स्थिति से निपटने के लिए सरकार ने बैंक निकासी पर सीमा तय कर रखी है। आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने कहा, ‘बचत बैंक खाते से सप्ताह में निकासी की 24,000 की सीमा को छोड़ कर अब अन्य सभी पाबंदियां हटायी जा चुकी हैं। यह सीमा भी अब कुछ ही दिन की बात है।’ दास ने यह भी कहा कि करेंसी की आपूर्ति और उसका प्रबंध भारतीय रिजर्व बैंक का काम है। बचत बैंक खातों से निकासी की बची खुची सीमा हटाने का निर्णय केंद्रीय बैंक ही निकट भविषय में लेगा। उन्होंने कहा कि बचत बैंक खातों से ‘एक माह में केवल कुछ गिनी चुनी निकासियां ही एक लाख तक की होती हैं। इस लिए आज भी व्यावहारिक तौर पर बैंक निकासी पर कोई सीमा नहीं रह गयी है। ‘मुझे लगता है कि वापस लिए गए नोटों की जगह नए नोट डालने का काम करीब करीब पूरा हो चुका है। मैं करीब-करीब इस लिए कह रहा हूूं क्यों कि अभी 24,000 रपए की साप्ताहिक सीमा बनी हुई है।’


दिल्ली में तीन दिवसीय भोजपुरी फिल्मोत्सव शुरू

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नयी दिल्ली, तीन फरवरी, यहां 1960 के दशक के एक लोकप्रिय फिल्म के प्रदर्शन के साथ आज पहला भोजपुरी फिल्मोत्सव शुरू हुआ। तीन दिवसीय इस समारोह में 10 फिल्में दिखायी जाएंगी साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों, हस्तशिल्प और मशहूर मधुबनी पेंटिंग्स की प्रदर्शनी आयोजित होगी। केन्द्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ और भोजपुरी अभिनेता से राजनेता बने मनोज तिवारी सिरी फोर्ट ऑडोटोरियम में आयोजित उद्घाटन समारोह में शामिल हुए जहां ‘गंगा मैया तोहे पियरी चढैबो’ फिल्म की प्रस्तुति हुई। पांच फरवरी तक चलने वाले इस समारोह में राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म ‘कब होई गवनवा हमार’, ‘देसवा’ और ‘ही’ दिखायी जाएंगी। अन्य फिल्मों में राजन सिंह की ‘बिदेसिया’, दिलीप बोस की ‘गंगा किनारे मोरा गांव’, अभिषेक चड्डा की ‘गंगा’, अजय सिन्हा की ‘ससुरा बड़ा पैसा वाला’ और प्रेमांशु सिंह की ‘लाडला’ शामिल है। दिलीप बोस की ‘कब अइबु अंगनवा हमार’ भी दिखायी जाएंगी।


आलेख : मर्यादा महोत्सव है तेरापंथ का महाकुंभ मेला

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भारत की वसुंधरा ऋषिप्रधान है। भारतीय संस्कृति में दो प्रकार की पद्धतियों का  प्रचलन हैµ एक है श्रमण संस्कृति, और दूसरी है वैदिक संस्कृति। दोनों ही संस्कृतियों में अनेक पर्व, उत्सव मनाए जाते है। पर्व, उत्सव क्यों मनाए जाते है? क्योंकि इन उत्सवों के माध्यम से व्यक्ति अपने उत्साह की अभिव्यक्ति तो करते ही हंै साथ ही साथ नई सोच, नए विचारों, नई स्फुरणा को जन्म देते हैं। उत्सवों के माध्यम से सृजनात्मक एवं रचनात्मक शक्ति का प्रस्फुटन भी होता है। जैन समाज का एक छोटा-सा आम्नाय तेरापंथ धर्मसंघ अपनी अनूठी सोच एवं मर्यादित कार्यप्रणाली के कारण अग्रणी है। ‘तेरापंथ’ शब्द के पीछे जुड़ा है आचार्य भिक्षु का बलिदान एवं तपोमय जीवन। संसार में चल रहे अनैतिकता के माहौल में नैतिकता की दीपशिखा प्रज्ज्वलित करने वाले लौहपुरुष आचार्य भिक्षु ने अपने प्रतिभा ज्ञान के द्वारा तेरापंथ को उन्मुक्त आकाश में विहरण की अनूठी शक्ति प्रदान की। सत्यशोध की प्रवृति में निरंतर गतिशील चरण है तेरापंथ। अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला है तेरापंथ। आचार विचार की शुद्धि की मूलभित्ति है तेरापंथ। 


आचार्य भिक्षु ने अपने धर्मसंघ की एकता और पवित्रता बनाए रखने के लिए कर्तव्य-अकर्तव्य, विधि-निषेध की सीमा स्थापित की, जिसे मर्यादा नाम से जाना जाता है। उनके द्वारा निर्मित अंतिम मर्यादा सं. 1859 माघ शुक्ला सप्तमी को हुई। प्रश्न उपस्थित हुआ मर्यादा क्या? मनुष्य ने जब से समूह में रहना सीखा, उसने नियंत्रण, अनुशासन और सीमा-रेखाओं का भी निर्माण किया। जैसे-जैसे उसने विकास की दिशा में चरण न्यास किया उन सीमाओं, मर्यादाओं की उपयोगिता अधिक समझ में आने लगी। परिवार हो या समाज, राजनीति हो या या धर्मनीति, जाति समुदाय हो या धार्मिक संगठन- अनुशासन-मर्यादा के खाद पानी के बिना उनके पनपने और फलने-फूलने की कल्पना भी नहीं की जा सकती। एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति की, एक समाज दूसरे समाज की एवं एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र की स्वतत्रंता न छीने इसी का नाम है मर्यादा। मर्यादा वह पतवार है जो व्यक्ति को आकाशीय ऊँचाइयों तक पहुँचा देता है। मर्यादा संयममय जीवन जीने की जीवन शैली का नाम है। उच्छृंखलता पर अंकुश की लगाम है मर्यादा। अहं के बिखराव का नाम है मर्यादा। विनम्रता और सहिष्णुता मर्यादा के सुरक्षा कवच है। मन के घोड़े की लगाम को वशीकरण करने का महामंत्र है मर्यादा। सूर्य पूर्व दिशा में उदित हो सायं पश्चिम दिशा में अस्त हो जाता है। समय के प्रबंधन का नाम है मर्यादा। मर्यादा वह मशाल है जो जिंदगी को जगमगा देती है। मर्यादा वह ऊष्मा है जो शीतकाल की ठंडी बयार को सहन कर सके। 

इन्हीं मर्यादाओं को सुदृढ़ बनाने एवं इनको हर वर्ष दोहराने के उद्देश्य से मर्यादा महोत्सव का आयोजन किया जाता हैं। मर्यादा-महोत्सव दुनिया का अनूठा उत्सव एवं विलक्षण पर्व है। तेरापंथ धर्मसंघ की ऐतिहासिक परम्परा से जुड़ा यह पर्व लौकिक पर्व नहीं है। इस दिन राग-रंग, नाच गाना, विशाल भोज, मनोरंजन का कोई आयोजन नहीं होता है। सिर्फ सामुदायिक चेतना के अभ्युत्थान की संयोजना में धर्मसंघ का दिल और दिमाग नए आदर्शों को अनुशासना से जोड़ता है। इस पर्व पर साधुता की तेजस्विता, कर्तृत्व की कर्मण्यता और निर्माण की निष्ठा का प्रशिक्षण होता है। पूरे धर्मसंघ की आचार्य द्वारा सारणा-वारणा की जाती है। इस वर्ष का मर्यादा महोत्सव वर्तमान आचार्य श्री महाश्रमण के सान्निध्य में सिलीगुड़ी (प. बंगाल ) में 1-2-3 फरवरी 2017 को भव्य रूप में आयोजित हो रहा है। तेरापंथ की गतिविधियों का नाभि केंद्र है। मर्यादा महोत्सव का केन्द्रीय विराट आयोजन संघ के अधिशास्ता आचार्य की पावन सन्निधि में समायोजित होता है। इसकी पृष्ठभूमि चातुर्मास की समाप्ति के साथ ही शुरू हो जाती है। प्रस्तुत वर्ष का मर्यादा महोत्सव कहां मनाना है यह घोषणा आचार्य द्वारा काफी समय पहले ही हो जाती है। देश-विदेश में विहार और धर्म प्रचार करने वाले सैंकड़ों साधु-साध्वियां और समण-समणियां महोत्सव स्थल पर गुरु सन्निधि में पहुंच जाते हैं। गुरु दर्शन करते ही अग्रगण्य साधु-साध्वियां स्वयं के पद को और स्वयं को विलीन कर विराटता का अनुभव करते हैं।

मर्यादा महोत्सव तेरापंथ का महाकुंभ मेला है, जिसमें इसमें शिक्षण-प्रशिक्षण, प्रेरणा-प्रोत्साहन, अतीत की उपलब्धियों का विहंगावलोकन, भावी कार्यक्रमों का निर्धारण आदि अनेक रचनात्मक प्रवृत्तियां चलती हैं। सब साधु-साध्वियां अपने वार्षिक कार्यक्रमों और उपलब्धियों का लिखित और मौखिक विवरण प्रस्तुत करते हैं। श्रेष्ठ कार्यों के लिए गुरु द्वारा विशेष प्रोत्साहन मिलता है। कहीं किसी का प्रमाद, मर्यादा के अतिक्रमण का प्रसंग उपस्थित होता है तो उसका उचित प्रतिकार होता है। संघ की यह स्पष्ट नीति है कि किसी की कोई गलती हो जाए तो उसको न छुपाओ, न फैलाओ, किन्तु उसका सम्यक् परिमार्जन करो, प्रतिकार करो। मर्यादा महोत्सव का एक अतिभव्य, नयनाभिराम या रोमांचक दृश्य होता है-बड़ी हाजरी का। उसमें सब साधु-साध्वियां दीक्षा क्रम से पंक्तिबद्ध खड़े होते हैं और संविधान पत्र का समवेत स्वर में उच्चारण करते हैं। इस हाजरी में आचार्य केन्द्र में रहते हैं। उनको तथा विराट धर्म परिषद को घेर कर धवलिमा बिखेरती वृत्ताकार वह कतार ऐसी लगती है मानो धर्म और अध्यात्म के सुरक्षा प्रहरी श्वेत सैनिकों ने सम्पूर्ण आत्मविश्वास के साथ अपना मोर्चा संभाल लिया है। अध्यात्म चेतना या मानवता की सुरक्षा का मजबूत परकोटा बन गया है, ऐसा प्रतीत होता है। इसके पश्चात आचार्यश्री के निर्देशानुसार समस्त साधु-साध्वियां आचार, मर्यादा, अनुशासन, संघ व संघपति के प्रति अपनी अगाध आस्था अभिव्यक्त करते हैं। तेरापंथ में शिष्य बनाने और आचार्य पद पर नियुक्ति करने का अधिकार एक मात्र आचार्य के हाथों में सुरक्षित है। इससे अयोग्य दीक्षा और अयोग्य हाथों में प्रशासन की बागडोर आना, ये दोनों ही समस्याएं समाहित हो गई। तेरापंथ की शासन प्रणाली न एक तंत्रीय है, न प्रजातंत्रीय, यह गुरु तंत्रीय शासन प्रणाली से संचालित है। इसीलिए यह घोष जन-जन के मुख पर मुखरित है- ‘‘तेरापंथ की क्या पहचान? एक गुरु और एक विधान।’’

किसी न किसी धर्म और सम्प्रदाय से जुड़कर वर्ष का हर दिन कोई न कोई त्योहार बन जाता है। लेकिन मर्यादा महोत्सव का त्योहार मनोरंजन का प्रतीक नहीं हैं, बल्कि उसकी अगवानी में व्यक्तित्व विकास के आदर्शों की अनगिनत योजनाएं सिमटी हुई रहती हैं। इनके बहाने लोग घर-आंगन को ही नहीं, अपने आस-पास जड़ चेतन सभी को संवारते, सजाते एवं उनमें प्राणवत्ता भरने का प्रयास करते हैं। ऐसे दिन प्रेरणा भरते हैं सनातन और नवीनतम युगीन संस्कृति एवं संस्कारों की समन्विति में। कहीं नया जोड़ा जाता है तो कहीं पुराने का सम्मान होता है। तेरापंथ धर्मसंघ तेजस्वी संघ है, यह तैजस की आराधना का केन्द्र हैं। उसकी तेजस्विता के स्रोत हैं- आत्मानुशासन, आत्म निंयत्रण और आत्म संयम की प्रबल भावना। एक आचार, एक विचार और एक समाचारी के लिए तेरापंथ प्रख्यात है। वह संघ स्वस्थ और चिरंजीवी होता है, जिसका प्रत्येक सदस्य स्वस्थ संतुष्ट हो, प्रसन्न हो। मर्यादाओं के निर्माण के पीछे आचार्य श्री भिक्षु का यही पवित्र दृष्टिकोण रहा था। उन्होंने लिखा- न्याय, संविभाग और समभाव की वृद्धि के लिए मैंने ये मर्यादाएं लिखी है। आपसी कलह और सौहार्द की कमी संगठन की जड़ों को कमजोर बनाते हैं। भिक्षु की मर्यादाओं और व्यवस्थाओं का ही प्रभाव है कि तेरापंथ संघ में कलह, घरेलु झगड़े पनप भी नहीं सकते। तेरापंथ में गुरु शिष्यों का संबंध अनुपम है। वे विनय और वात्सल्य भाव के सुदृढ़ स्तम्भों पर टिके हुए हैं। साधु-साध्वियों का विनय, समर्पण, श्रद्धा, भक्ति और अहंकार-ममकार से मुक्त संयमी जीवन भी जन-जन के लिए कम आकर्षण का विषय नहीं है। इसका कारण है आज्ञा, मर्यादा, अनुशासन और गुरु निष्ठा उनके रोम-रोम में श्वास-प्रश्वास में रमी हुई है। तेरापंथ धर्मसंघ एवं उसकी मर्यादाएं आज विभिन्न धार्मिक संगठनों एवं सम्प्रदायों के लिये अनुकरणीय है। 

श्रीराम द्वारा लंका-विजय के अभिक्रम में सेतु निर्माण का कार्य गति पर था। वानरों द्वारा फैंका गया हर पत्थर समुद्र पर तैर रहा था, क्योंकि समुद्र में फैंके जा रहे प्रत्येक छोटे बड़े पाषाण पर राम नाम अंकित था। श्रीराम ने सोचा जब मेरे नाम से पत्थर पानी पर तैर रहे हैं तो स्वयं मेरे हाथों से फैंका गया पत्थर तो जरूर तैरेगा। राम ने समुद्र में पत्थर डालने शुरू किये। किन्तु यह क्या? राम के हाथों डाले गये सारे पत्थर पानी के तल में जा रहे थे। डूब रहे थे। आश्चर्य के साथ राम ने वानर सेना की ओर निहारा। वानर गण ने कहा-महाराज यही तो रहस्य है जो राम नाम का सहारा ले लेता है वह समस्याओं के उफनते सागर को भी पार कर लेता है किन्तु जो आपके हाथ से छूट जाता है वह डूब जाता है। तेरापंथ धर्मसंघ के प्रत्येक सदस्य के अन्तःकरण में ऐसे ही संस्कारों के मंत्राक्षर अंकित हैं कि मर्यादा-अनुशासन की सीमा में रहने वाला विकास की अमाप ऊंचाइयों का स्पर्श कर लेता है और जो मर्यादा से मुक्त होने का प्रयत्न करता है, वह पतन के द्वार खोल लेता है। किसी न किसी धर्म और सम्प्रदाय से जुड़कर वर्ष का हर दिन कोई न कोई त्योहार बन जाता है। त्योहार सिर्फ मनोरंजन का प्रतीक ही नहीं होता, उसकी अगवानी में व्यक्तित्व विकास के आदर्शों की अनगिनत योजनाएं सिमटी हुई रहती हैं। इनके बहाने लोग घर-आंगन को ही नहीं, अपने आस-पास जड़ चेतन सभी को संवारते, सजाते एवं उनमें प्राणवत्ता भरने का प्रयास करते हैं। ऐसे दिन प्रेरणा भरते हैं सनातन और नवीनतम युगीन संस्कृति एवं संस्कारों की समन्विति में। कहीं नया जोड़ा जाता है तो कहीं पुराने का सम्मान होता है।

तेरापंथ धर्मसंघ का मर्यादा महोत्सव मात्र मेला ही नहीं है, सैकड़ों प्रबुद्ध साधु-साध्वियों के मिलन की अनूठी घटना है। वह मात्र आयोजनात्मक ही नहीं, वह संघ के फलक पर सृजनशीलता के नये अभिलेख अंकित करता है। महोत्सव के समय ऐसा लगता है मानो नव निर्माण के कलश छलक रहे हैं, उद्यम के असंख्य दीप एक साथ प्रज्वलित हो रहे हैं। हर मन उत्साह से भरा हुआ, हर आंख अग्रिम वर्ष की कल्पनाशीलता पर टिकी हुई और हर चरण स्फूर्ति से भरा हुआ प्रतीत होता है। यह महापर्व पारस्परिक संबंधों को प्रगाढ़ता प्रदान करता है। उनमें अंतरंगता लाता है। अनेकता में एकता का बोध कराता है। मर्यादा महोत्सव संघीय चेतना का अदृश्य वाहक है। इसमें वैयक्तिक और संघीय गति, प्रगति एवं शक्ति निहित है। स्वयं को समग्र के प्रति समर्पित करने का अनूठा महोत्सव है यह। इसका संदेश है स्वयं को अनुशासित करो, प्रकाशित करो और दूसरों को प्रेरणा दो। अपेक्षा है एक धर्मसंघ में मनाया जाने वाला यह अनूठा पर्व, समग्र मानवता का उत्सव बने। बहुत वर्षों बाद कभी ऐसा अवसर आता है जब सभी ग्रह-नक्षत्र एक समय एक साथ मिलकर ऊर्जा को संवर्धित करते हैं। पर तेरापंथ धर्मसंघ में तो प्रतिवर्ष ऐसा अवसर उपलब्ध होता है। इसलिए यह मर्यादा महोत्सव अनेक उत्सवों और संभावनाओं को अपने में समेटे आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। इस दिन सब कुछ अभिनव, आकर्षक, जीवंत एवं प्रेरणादायी होता है।

राष्ट्र की वार्तमानिक परिस्थितियों में फैलता वैचारिक प्रदूषण, आर्थिक अपराधीकरण, रीति-रिवाजों में पाश्चात्य संस्कृति का अनुसरण, धार्मिक संस्कारों से कटती युवापीढ़ी का रवैया, समाज में बढ़ता सत्ता, प्रतिष्ठा और पैसे का अंधाधुंध आकर्षण जैसे जीवन-संदर्भों के साथ किसी भी कीमत पर समझौता न कर हम समझ के साथ संस्कृति को योगक्षेम देने का संकल्प करें। तभी मर्यादा-महोत्सव संघ को बुनियाद पर समाज और राष्ट्र को नई प्रतिष्ठा, नई दिशा दे सकेगा।




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(ललित गर्ग)
ई-253, सरस्वती कुंज अपार्टमेंट
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विशेष : घटता निर्यात और बढ़ती बेरोजगारी

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पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी ने हर साल 2.5 करोड़ नौकरी देने का वादा किया था,लेकिन अभी तक ऐसा हो नहीं पाया है और नौकरियाँ बढ़ने के बजाये घट रही हैं. इसके पीछे का मुख्य कारण निर्यात क्षेत्र में लगातार आ रही कमी को बताया जा रहा है.निर्यात के क्षेत्र में  पिछले अगस्त में ही 0.3 फीसद की गिरावट आई है.  जिन प्रमुख वस्तुओं के निर्यात में कमी आयी है, उसमें पेट्रोलियम 14 फीसदी,चमड़ा 7.82 फीसदी रसायन 5.0 फीसदी और इंजीनियरिंग 29 फीसदी शामिल हैं. इसी तरह से  सेवाओं का निर्यात भी इस साल जुलाई में 4.6 फीसदी घटकर 12.78 अरब डॉलर रह गया. इन सबका असर रोजगार पर हो रहा है.उद्योग मंडल एसोचैम और थॉट आर्बिट्रिजके एक संयुक्त रिपोर्ट के अनुसार 2015-16 की दूसरी तिमाही में निर्यात में हुई गिरावट के कारण करीब 70,000 नौकरियां जा चुकी हैं. सबसे अधिक प्रभाव कपड़ा क्षेत्र पर पड़ा है. निर्यात में गिरावट के करीब दो साल होने वाले हैं लेकिन अभी तक इसका कोई ठोस उपाय नहीं निकाला जा सका है. 2015 में भी निर्यात के क्षेत्र में ज्यादातर समय गिरावट देखने को मिली है, 2016 में सरकार इसमें सुधार आने की उम्मीद जता रही थी लेकिन यह साल भी उम्मीद जताने में ही बीता जा रहा है. वित्त वर्ष 2015-16 के आर्थिक समीक्षा के अनुसार इस दौरान के पहले तीन तिमाही में निर्यात में करीब 18 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली थी जिसमें निर्माण क्षेत्र  की तुलना में सेवा का क्षेत्र अधिक प्रभावित हुआ था. आर्थिक समीक्षा में देश के निर्यात में हो रही गिरावट पर चिंता जताते हुए कहा गया था कि इस गिरावट के कारण कारोबार का वातावरण लगातार चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है. 2015 में भी निर्यात क्षेत्र में गिरावट का प्रभाव रोजगार पर देखने को मिला था. भारतीय श्रम मंत्रालय द्वारा 2015 में किये गये सर्वेक्षण के अनुसार रोजगार में 43,000 नौकरियों की गिरावट देखने को मिली थी.इन 43,000 नौकरियों में से 26,000 नौकरियां निर्यात करने वाली कंपनियों से जुड़ी थीं.


भारत अपनी कृषि प्रधान देश की पहचान को पीछे छोड़ते हुए अपनी विकास की यात्रा में काफी आगे निकल चूका है आज यह संभावना जताई जा रही है कि भारत 2030 तक अमरीका व चीन के बाद विश्व तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है. दुनिया भर में फैली मंदी के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था अपने ग्रोथ के लय को काफी हद तक बनाये हुए हैं जिसे रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने “अंधों में एक आंख राजा” का मिसाल दिया है. आज अगर निर्यात में इस गिरावट पर गम्भीरता से ध्यान नहीं दिया गया तो लय टूट सकती है उसके बाद संभालना आसन नहीं होगा.  सरकार में बैठे लोग देश के निर्यात में हो रहे इस गिरावट के पीछे वैश्विक मंदी और दुनिया भर में घटती उत्पाद कीमतों का होना बता रहे हैं.वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमन निर्यात में सुधार को वैश्विक मांग के सुधार से जोड़ रही हैं लेकिन निर्यात में हो रही गिरावट को मात्र दुनिया में चल रही मंदी से जोड़ देने का यह तर्क गले नहीं उतरता है. इस समस्या को मात्र वैश्विक मंदी के माथे भी नहीं मढ़ा जा सकता है लेकिन दुर्भाग्य से सरकार निर्यात में गिरावट के लिए इसी तर्क का सहारा ले रही है. अगर हम दूसरे देशों पर नजर डालें तो उन्होंने  इस चुनौती का मुकाबला भारत से बेहतर तरीके से किया है. इस दौरान चीन के निर्यात में महज 2 प्रतिशत की कमी आई है और दक्षिण अफ्रीका के निर्यात में 8 प्रतिशत की कमी देखने को मिली है.

स्पष्ट है निर्यात में हो रही गिरावट के पीछे सिर्फ वैश्विक मंदी और मांग ही नहीं बल्कि  सरकार की नीतियाँ भी जिम्मेदार हैं. भारत सरकार निर्यात में हो रही कमी को ठीक तरीके से नियंत्रित करने में विफल रही है. निर्यात और मेक इन इंडिया कैंपेन को आगे बढ़ाने के लिए पिछले साल नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा नई विदेश व्यापार नीति की घोषणा की थी लेकिन अभी तक इसका भी कोई ख़ास असर देखने को नहीं मिला है. भारत के निर्यात क्षेत्र में हो रही गिरावट करीब दो साल पुरानी होने को है और आज इसका असर घटती हुई नौकरियों के रूप में साफ़ तौर पर देखा जा सकता है. दरअसल यह गिरावट अब ढांचागत रूप लेती जा रही है. इसके पीछे का प्रमुख कारण भारत के सेवा निर्यात की सुस्ती और ढ़लान है.यह एक ऐसी केंद्रीय समस्या है जो भारतीय अर्थव्यवस्था को गहरे संकट में डालसकती है.   हर साल 2.5 करोड़ नौकरी देने का मोदी  सरकार का एक प्रमुख वादा है.  इस सरकार के आने के बाद से इसके नीति निर्धारकों द्वारा लगातार यह चिंता जताई जा रही है कि घटते निर्यात से बेरोजगारी बढ़ सकती है. और अब ठीक यही हो रही है. इस देश के लोगों विशेषकर युवाओं को मौजूदा सरकार से बहुत उम्मीदें हैं. इसलिए मोडती सरकार को यह चाहिए कि समस्याओं का ठीकरा दूसरों के सर फोड़ने के बजाये उनका गंभीरता से हल निकाले,घटते हुए निर्यात पर लगाम कसे और रोजगार बढ़ाने का अपना वादा पूरा करे .



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जावेद अनीस 
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javed4media@gmail.com

जमीनी हकीकत का प्रभावशाली व्यक्तित्व: नरेन्द्र मोदी

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narendra-modi
किसी ने स्वप्न मे भी यह कल्पना नही की होगी कि एक अति-पिछड़े परिवार का रेल्वे स्टेशन पर ’’चाय-गर्म’’ की आवाज लगाकर चाय बेचने वाले बच्चे के भाग्य मे भारत का प्रधानमन्त्री होना लिखा था, वह हैं हमारे भारत के 15वें प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र भाई मोदी, जिन्होने दिनांक 26 मई 2014 को प्रधानमन्त्री पद की शपथ ली थी। यद्यपि मोदी जी की जीवन-यात्रा और कार्यशैली मे भाग्य-भरोसा नाम का कोई शब्द प्रकट नही होता है। वह अपने कर्म पर विश्वास करते हैं और इस युग के महान कर्मवीर ’’सेल्फ मेड पर्सन’’ के नाम से हमेशा विख्यात रहेंगे। दिनांक 17 सितम्बर 1950 के दिन वडनगर जिला मेहसाना (बम्बई), जो अब गुजरात मे है, के निवासी पिता दामोदर दास मूलचन्द मोदी और मां श्रीमती हीरा बेन को इस महान व्यक्तित्व और अभूतपूर्व प्रतिभा का धनी बालक के रूप मे नरेन्द्र भाई मोदी का जन्म हुआ था। मोदी का बचपन अत्यन्त आर्थिक तंगी मे व्यतीत हुआ, उनकी मां गरीबी के कारण अपने बच्चों के पालन-पोषण के लिये दूसरे के घरों मे बर्तन साफ करना और घर की साफ-सफाई का काम करती थीं, उससे जो आय होती थी, तो परिवार का खर्च चलता था। पिता की एक छोटी सी चाय की दुकान थी, नरेन्द्र मोदी वडनगर रेल्वे स्टेशन व बस अड्डे पर दौड़-दौड़ कर चाय बेच कर परिवार की आय मे सहयोग करते थे। वह 8 वर्ष की आयु मे राष्ट्रीय-स्वयंसेवक-संघ के सम्पर्क मे आये और संघ की शाखा मे जाने लगे थे, वहां पर लक्ष्मण राव इनामदार, जिन्हे वकील साहब के नाम से जाना जाता था, उन्होने मोदी को संघ मे बाल-स्वयंसेवक के रूप मे शामिल किया था। 

युवावस्था मे प्रवेश करते ही मोदी का विवाह जशोदा बेन से कर दिया गया, परन्तु विधि की नियति तो कुछ और ही थी एवं ईश्वर को मोदी से राष्ट्र का कार्य कराना था। विवाह के कुछ समय बाद मोदी ने राष्ट्र-कार्य हेतु अपनी पत्नी श्रीमती जशोदा बेन से अनुमति लेकर उनको स्वतन्त्र किया और 1967 मे घर से बाहर निकल गये। उन्होने उत्तर एवं उत्तर-पूर्वी भारत का 2 वर्षों तक भ्रमण किया, कोलकता मे स्वामी विवेकानन्द द्वारा स्थापित बेलूर मठ, अलमोड़ा स्थित अद्वैत आश्रम व राजकोट स्थित रामकृष्ण मिशन मे उन्होने अध्यात्म साधना की थी। इस मध्य वह सिलीगुड़ी, गौहाटी मे भ्रमण करते रहे। वर्ष 1970 के लगभग वह अल्प समय के लिये अपने घर वडनगर बापिस आये और पुनः परिवार छोड़ कर अहमदाबाद चले गये थे, जहां वह अपने चाचा, जो एक केन्टीन चलाते थे, के साथ रहने लगे।  मोदी के मन मे ऐसा भान भी नही था कि राजनीति मे जाना है। अहमदाबाद मे मोदी की मुलाकात संघ कार्यालय मे पुनः इनामदार जी से हुई। इसी बीच सन् 1971 मे भारत पाकिस्तान युद्ध हुआ और तभी मोदी जी ने अपने चाचा की केन्टीन से कार्य छोड़ कर संघ के पूर्ण-कालिक प्रचारक हो गये। वर्ष 1978 मे वह विभाग प्रचारक बना दिये गये और इसके साथ-साथ उन्होने विद्या अध्ययन भी जारी रक्खा था तथा डिस्टेन्स कोर्स के माध्यम से राजीनीति-शास्त्र मे दिल्ली यूनीवर्सिटी से स्नातक की डिग्री प्राप्त की थी, उसके बाद गुजरात यूनीवर्सिटी से स्नाकोत्तर की डिग्री हांसिल की। 
दिनांक 26 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गांधी ने अपनी सत्ता की सुरक्षार्थ भारत मे आपतकाल लगा दिया था, क्यों कि समाजवादी नेता स्व. श्री राजनारायण के द्वारा दायर चुनाव याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंजूर करते हुये इन्दिरा गांधी का चुनाव अवैध घोषित कर दिया था, उसके परिणामस्वरूप इन्दिरा गांधी को अपना पद छोड़ना चाहिये था। परन्तु संविधान को ताक मे रखते हुये देश मे आपात्काल थोप दिया गया था, लोकसभा के चुनाव एक वर्ष के लिये टाल दिये गये थे, राजनीतिक दलों के हजारों नेताओं को जेल मे बंद कर दिया गया था। खेद तो यह है कि जो मोदी राज्य मे सम्मान वापिसी के माध्यम से सुर्खियों की चाहत मे लगे रहै, देश के तथाकथित प्रगतिशील, आधुनिकतावादी साहित्यकारों मे संविधान और अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता की सुरक्षा के लिये संवेदनशीलता उस समय कहां चली गई थी ? तत्समय किसी ने भी अपना सम्मान वापिस नही किया था। आपत्काल के उस दौर मे संघ पर प्रतिवंध लगा दिया गया था और उससे नरेन्द्र मोदी भी अछूते नही रहे, वह भूमिगत हो गये थे। उस समय मोदी जी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का कार्य देख रहे थे। 
वर्ष 1985 मे नरेन्द्र भाई मोदी राष्ट्रीय-स्वयंसेवक-संघ से भारतीय जनता पार्टी मे शामिल हुये और 1988 मे भाजपा गुजरात राज्य के संगठन मन्त्री नियुक्त हो गये थे। वर्ष 1990 मे माननीय लाल कृष्ण आडवांणी की अयोध्या रथ-यात्रा और वर्ष 1991-92 मे माननीय डाॅ. मुरली मनोहर जोशी की एकता-यात्रा के समय श्री मोदी जी का महात्वपूर्ण योगदान रहा था। माह नवम्बर 1995 मे मोदी जी भाजपा के राष्ट्रीय मन्त्री नियुक्त हुये, तब वह गुजरात से दिल्ली आ गये थे। उन्हे हरियाणां और हिमाचल प्रदेश का प्रभार दिया गया था। वर्ष 1998 मे उन्हे भाजपा के राष्ट्रीय महामन्त्री नियुक्त किया गया। वर्ष 2001 मे जब गुजरात मे श्री केशुभाई पटेल का स्वास्थ्य खराब होने लगा और उप-चुनावों मे भाजपा को पराजय मिली थी, तभी दिनांक 7 अक्टूबर 2001 को नरेन्द्र मोदी ने प्रथम बार गुजरात के मुख्यमन्त्री पद की शपथ ली थी और दिनांक 24 फरवरी 2002 को राजकोट से प्रथम बार विधायक निर्वाचित हुये थे। 
माननीय नरेन्द्र मोदी का जीवन-काल प्रारंभ से ही चुनौतीपूर्ण रहा है, और प्रत्येक चुनौती को उन्होने एक अवसर माना, उसे स्वीकार किया और उस पर विजय भी प्राप्त की। व्यक्ति के जीवन मे दुर्भाग्य और सौभाग्य, एक सिक्के के दो पहलू होते हैं। दिनांक 27 फरबरी 2002 को जब सैकड़ो हिन्दू तीर्थ-यात्री अयोध्या से दर्शन करके ट्रेन से वापिस हो रहे थे, तो गोधरा रेल्वे स्टेशन पर इस ट्रेन मे आग लगा दी गई थी, जिसमे 60 तीर्थ-यात्री जल कर मर गये थे। गुजरात मे इस घटना का कारण मज़हबी सम्प्रदायिकता के रूप मे चर्चित हुआ था। जिसका परिणाम यह निकला कि गोधरा काण्ड की प्रतिक्रिया के परिणाम स्वरूप गुजरात मे सम्प्रदायिक दंगे हुये और सैकड़ो मारे गये। मुख्यमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने इन दंगो को रोकने के लिये ने कड़े से कड़े निर्देश जारी किये थे। मोदी पर विपक्षियों द्वारा साम्प्रदायिक होने का आरोप लगाया, दंगा कराने का दोष मोदी के मत्थे मढ़ने लगे। यह समय-काल मोदी के लिये अत्यन्त संघर्ष व संकटमय था। एक ओर तो बामपन्थी, कांग्रेस तथा अन्य राजनीतिक दल मोदी पर राजनीतिक हमला कर रहे थे और दूसरी ओर गुजरात के दंगो को शांत कराने की चुनौती भी उनके सामने थी। इसी संदर्भ मे मुझे माननीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी की कार्यशैली और उनके सोच का संदर्भ याद आ गया, जब सन् 1996 मे ग्यारहवीं लोकसभा के चुनाव मे भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप मे उभरी थी तो अटल जी को प्रधानमन्त्री पद पर नियुक्त किया गया था और वह लोकसभा मे अपना बहुमत सिद्ध नही सके थे, संख्या-बल के सामने गुंणवत्ता-बल पराजित हुआ था। उसी समय दिनांक 13 जून 1996 को अटल जी ने एक पत्र के जबाव मे मुझे लिख कर भेजा था, ‘‘बर्तमान परिस्थिति हमारे लिये एक अवसर भी हैं और एक चुनौती भी, अपने प्रयत्नों मे तीब्रता ला कर और परिश्रम की पराकाष्ठा करके हमे अपने लक्ष्य को पाना है।’’ इसी तरह नरेन्द्र मोदी जी के समक्ष गुजरात के दंगों का संकटकाल, एक चुनौती के रूप मे उभर कर आया था और उससे उन्हे उबरना था। 

गुजरात दंगो के कारणों पर विभिन्न प्रकार की जांचे हुई, मानव अधिकार आयोग व मीडिया जगत ने भी मोदी पर हमला करने मे कोई कसर नही छोड़ी। उनके बिरूद्ध सुनियोजत हमला करने का यह कार्य कई वर्षों तक चलता रहा। जाकिया जाफरी की सुप्रीम कोर्ट मे दायर याचिका की सुनवाई मे सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2008 मे गुजरात सरकार को दंगो की पुनः जांच करने का निर्देश दिया था और स्पेशल इन्वेस्टीगेटिंग टीम (एस.आई.टी.) का गठन किया गया था। एस.आई.टी. के द्वारा विस्तृत जांच होने के बाद मई 2010 मे सुप्रीम कोर्ट के समक्ष जांच रिपोर्ट प्रस्तुत हुई थी, जिसमे यह पाया गया था कि नरेन्द्र मोदी के बिरूद्ध गुजरात दंगो के संदर्भ मे लगाये गये समस्त आरोप गलत व झंूठ हैं और उनके बिरूद्ध कोई साक्ष्य उपलब्ध नही हुई है। परन्तु माह जुलाई 2011 मे एमीकसक्यूरी राजू रामचन्द्रन ने अपनी स्वयं की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट मे एस.आई.टी. की जांच रिपोर्ट के विपरीत प्रस्तुत की थी और मोदी के विरूद्ध मुकद्मा चलाने की मांग की थी। राजू रामचन्द्रन की रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एस.आई.टी. ने बिरोध व्यक्त करते हुये संजीव भट्ट की झंूठी साक्ष्य पर आधारित होना बताया। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रकरण मजिस्ट्रेट न्यायालय को जांच हेतु इस निर्देश के साथ प्रेषित किया था कि एस.आई.टी. की जांच रिपोर्ट के साथ राजू रामचन्द्रन की रिपोर्ट का भी परीक्षण किया जावे। माह मार्च 2012 मे एस.आई.टी. ने क्लोजर रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की थी, जिसका बिरोध याचिका दायर करते हुये जाकिया जाफरी ने किया था। माह दिसम्बर 2013 मे मजिस्ट्रेट न्यायालय ने जाकिया जाफरी की प्रोटेस्ट पिटीशन को खारिज किया और एस.आई.टी. की क्लोजर रिपोर्ट को इस आधार पर स्वीकार किया था कि मुख्यमन्त्री नरेन्द्र मोदी के विरूद्ध गुजरात दंगो के संदर्भ मे कोई भी साक्ष्य नही पाई गई है। एस.आई.टी. की जांच रिपोर्ट, उसकी क्लोजर रिपोर्ट, मजिस्ट्रेट न्यायालय का आंकलन और भारत की सर्वोच्च न्यायालय से प्रधानमन्त्री मोदी को निर्दोष और पाक-साफ माना गया। परन्तु देश का दुर्भाग्य यह है कि नरेन्द्र मोदी की ट्रायल भारत के मीडिया-जगत मे, राजनीतिक हल्कों मे आज भी होती ही रहती है। नरेन्द्र भाई मोदी ने वर्ष 2001 से 2014 तक मुख्यमन्त्री के रूप मे गुजरात के विकास को महात्वपूर्ण माना और वहां की जनता को स्वच्छ, पारदर्शी व निर्भीक प्रशासन दिया। विश्व मे गुजरात माॅडल विख्यात हुआ। भूकम्प और दंगों से हुई तबाही का सामना और गुजरात का पुनर्निर्माण नरेन्द्र भाई मोदी की विकास के प्रति दृंढ़ इच्छा-शक्ति ने ही किया।

प्रधानमन्त्री मोदी के दो़ वषों के कार्यकाल मे महात्वपूर्ण उपलब्धियां देश को प्राप्त हुई हैं। उससे भारत को विकास की नई दिशा मिली है। मोदी जी की विदेश-यात्राओं की सारगर्भिता व सुसंगतता को समझने की जरूरत है। आज पाकिस्तान विश्व-समुदाय के समक्ष आतंकी देश के रूप मे अलग-थलग हो गया है। पूरी दुनिया भारत की ओर आशान्वित नजरों से देख रही है। मोदी जी के दामन मे उपलब्धियाों का भण्डार है। देश और विदेश की जनता मे प्रशासनिक, ईमानदारी, भृष्टाचार-रहित, पारदर्शी कार्यशैली के कारण शासकीय-तंत्र मे विश्वास स्थापित हुआ है, जो यू.पी.ए. सरकार के समय मे क्षति-ग्रस्त हो चुका था। मोदी जी स्वभावतः समाज के उत्थान और सुधारवादी बिचार के हैं तथा इसी कारण उन्होने देश की आम-जनता को जीवनशैली मे जागृति उत्पन्न करने का प्रयास किया है। स्वच्छ भारत अभियान, घरों मे, समस्त स्कूलों मे और सार्वजनिक स्थलों पर शौचालय निर्माण का अभियान के वह प्रेरक हैं। जन-धन योजना, जिसके कारण देश मे जीरों बैलेन्स पर खाते खोले गये और उसके परिणाम स्वरूप 14 करोड से भी ज्यादा बैंकों मे बैंक खाते खुल गये, लोगों ने डेढ़ हजार करोड़ रूपये लोगों ने अपने खातो मे जमा किये। इसके पीछे का उद्देश्य यही है कि शासन से मिलने वाली सहायता राशियों का भुगतान सीधे बैंक मे जमा हो। न्यूनतम एक मुश्त संाकेतिक राशि बैंक मे जमा करने पर बीमा योजना, एल.पी.जी. कनेक्शन की सब्सीडी राशि का त्याग करने हेतु प्रोत्साहन, मुद्रा बैंक के माध्यम से अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े वर्ग व अल्पसंख्यकों को सहायता, प्रधानमन्त्री कृषि सिंचाई योजना की स्थापना, जिसके बारे मे गत 60 वर्षों मे कांग्रेस ने सोचने का भी प्रयास नही किया। मोदी का यह संकल्प, कि वर्ष 2022 तक भारत मे ऐसा कोई परिवार नही होगा, जिसके पास उसका अपना घर न हो। स्वाॅय्ल हेल्थ कार्ड स्कीम के माध्यम से भूमि की उपज का परीक्षण योजना। केन्द्रीय सरकार मे पहली बार स्किल डिव्लपमेन्ट मन्त्रालय बना कर देश के युवाओं मे रोजगार की संभावनाये निर्मित करना और ‘‘मेक इन इण्डिया’’ की भावना जागृत करना। केन्द्र शासित राज्यों मे महिलाओं को पुलिस मे आरक्षंण। कोयला खदानों की नीलामी से तीन लाख करोड़ का मुनाफा, जिसका उपयोग उन राज्यो के विकास मे होगा, जहां विकास-दर कम हैं। विदेशो मे नरेन्द्र मोदी के दौरे के परिणाम स्वरूप भारत मे निवेश की संभावनायें उजागर हुई हैं। क्या ये ’’अच्छे दिन’’ नही हैं ? केन्द्रीय मन्त्री और भाजपा के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी जी को ’’अच्छे दिन’’ के नाम पर गले मे फांस अटकने का अनुभव नही करना चाहिये।   





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लेखक- राजेन्द्र तिवारी, 
फोन- 07522-238333, 9425116738
ई मेल : rajendra.rt.tiwari@gmail.com
नोट:- लेखक एक पूर्व शासकीय एवं वरिष्ठ अभिभाषक व राजनीतिक, सामाजिक, प्रशासनिक आध्यात्मिक विषयों के समालोचक हैं। 

विशेष : बजट अभी समझ से बाहर है

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बजट अभी समझ से बाहर है तो तमाम बुरी खबरों के मध्य अच्छी खबर है! , तेज तर्रार पत्रकार जगमोहन फुटेला अब ठीक हैं और सक्रिय भी हो रहे हैं!





करीब 36 साल तक बजट के दिन मैं बिना नागा अखबार के दफ्तर में काम करता रहा हूं।मेरा अवकाश भी रहा होगा कभी कभी,तब भी मैंने बजय को कभी मिस नहीं किया है।36 सा बाद जब बजट पेश हो रहा था,मैं न अखबार के डेस्क पर था और न अपने घर टीवी के सामने।बजट से पहले राष्ट्रपति के अभिभाषण और आर्थिक समीक्षा से पहले मैं गांव निकल गया।दक्षिण बंगाल के देहात में। टीवी वहां भी था,लेकिन टीवी पर बजट लोग नहीं देख रहे थे।क्योंकि आटकर छूट से देहातवालों को कोई मतलब नहीं था और उनके हिस्से में क्या आया,वे समझ नहीं पा रहे थे। इस बीच अखबारों में बजट के बाद नये सिरे से नोटबंदी को जायज बताने की मुहिम चल पड़ी है और बजट को राजनीतिक आर्थिक सुधारों का खुल्ला खजाना बताने वाली अखबारी सुर्खियों से आम जनता के साथ मेरा भी सामना हुआ है।आम जनता की तरह यह बजट अब तक हमारी समझ से बाहर है। इसी बीच ट्रंप महाराज के हिंदुत्व से आईटी सेक्टर का बाजा भी जब गया है।बजट की खबरों से वि्त्तीय प्रबंधन का अता पता नहीं लगा है। नोटबंदी से पैदा हुए नकदी संकट की वजह से बेहाल बाजार को उबारने के लिए बेतहाशा सरकारी खर्च के मध्यवर्गीय जनता को खुश करने वाले प्रावधान जरुर दीखे हैं। बजट अभी पढ़ा नहीं गया है।बच्चों और स्त्रियों पर मेहरबानी की खबर चमकदार है। कमजोर तबकों को,अनुसूचितों को क्या मिला इसका हिसाब किताब नहीं दिखा है।पिछड़े राज्यों को क्या मिला है,वह तस्वीर भी साफ नहीं है।एक करोड़ लोगों को घर देने का वायदा है और शायद हम जैसे बेघर लोगों की लाटरी भी लग जाये। कारपोरेट को खास फायद नहीं है और चनाव के समीकरणकी परवाह किये बिना अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का योगाभ्यास भी गया है।लेकिन वह पटरी भी हवा हवाई है सुनहले दिनों के ख्वाबों की तरह।किस्सा अभी बाकी है।

मसलन अंधाधुंध निजीकरण की पटरी पर सरपट दौड़ रही बुलेट सरीखी भारतीय रेल का क्या बना,यह भी देखना बाकी है।आहिस्ते आहिस्ते पढ़ देखकर जो समझ में आयेगा ,उसे थोड़ी देर में शेयर करेंगे। इंफ्रास्ट्रक्चर के डिडिटल कैशलैस इंडिया की लाटरी किस किसके नाम खुली है,खुलासा अभी हुआ नहीं है।आंकड़ों के पीछे सनसनाहट में क्या है,मालूम नहीं है। बेजरोजगारी,भुखमरी और मंदी से निबटने की दिशा कहां है,पता चलातो आपको बी बतायेंगे।रोजगार सृजन की जमीन फिलहाल दीख नहीं रही है। नोटबंदी और कायदा कानून को ताक पर रखकर राजकाज और वित्तीय प्रबंधन के झोला छाप विशेषज्ञों से भी ऊंचा उछल रहा है शेयर बाजार और मीडिया बल्ले बल्ले है।आंकडो़ं के कल में माहिर बाजीगर ख्वाबी पुलाव खूब पका रहे हैं।जायका ले लें। अर्थशास्त्रियों की राय हो हल्ले में सिरे से गायब हैं या फिर वे सत्ता समीकरण के मुताबिक न होने से हाशिये पर हैं।झोलाछाप स्रवत्र हावी हैं। बहरहाल मुझे चमत्कारों पर यकीन नहीं है।पिछले अप्रैल 2013 के हमारे खास दोस्त और तेज तर्रार पत्रकार जगमोहन फुटेला को ब्रेन स्ट्रोक हो गया था। अगस्त तक फुटेला बोलने की हालत में नहीं थे।वे विकलांगता के शिकार होकर बिस्तर में कोमा जैसी हालत में निष्क्रिय पड़े रहे पिछले तीन साल से। इस बीच हाल में मैं पालमपुर के रास्ते चंडीगढ़ और जालंधर में थे,तो उस वक्त भी किसी से फुटेला के बारे में कोई खबर नहीं मिली थी। अगस्त,2013 में फुटेला के बेटे अभिषेक से बात हुई थी,तो उसके बाद से उनसे फिर बात करने की हिम्मत भी नहीं हुई। अभिषेक और परिवार के लोगों ने जिस तरह फुटेला को फिर खड़ा कर दिया है,उससे हम इस काबिल बेटे और परिजनों के आभारी है कि उनकी बेइंतहा सेवा से हमें अपना पुराना दोस्त वापस मिल गया है। पहली जनवरी को फुटला ने चुनिंदा मित्रों को फोन किया।मुझे बी पोन किया ता लेकिन यात्रा के दौरान वह मिसकाल हो गया।

कल रात मैसेज बाक्स में फुटेला का संदेश मिल गया और तुरंत उसके नंबर पर काल किया तो तीन साल बाद फुटेला से बातचीत हो पायी।यह किसी चमत्कार से कम नहीं है।हम फुटेला के पूरीतरह ठीक होने का इंतजार कर रहे हैं।आप भी करें तो बेहतर। जनसत्ता में हमारे सहयोगी मित्र जयनारायण प्रसाद को भी ब्रेन स्ट्रोक हुआ था पिछले साल नासिक में ,जहां डाक्टरों ने उन्हें मृत भी घोषित कर दिया था।आनन फानन उन्हें कोलकाता लाया गया और वे जिंदा बच निकले। जाहिर है कि जिंदगी और मौत भी अस्पतालों की मर्जी पर निर्भर है जो क्रय क्षमता से नत्थी है शिक्षा की तरह।बुनियादी जरुरतों और सेवाओं की तरह। जयनारायण की भी आवाज बंद हो गयी थी और वे भी विकलांगता के शिकार हो गये थे।लेकिन महीनेभर में वे सही हो गये।आवाज लौटते ही उनने फोन किया। महीनेभर बाद से वे फिर जनसत्ता में काम कर रहे हैं। फुटेला के ठीक होने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा। कल उसने कहा कि तीन चार महीने और लगेंगे पूरी तरह ठीक होने में और उसके बाद फिर मोर्चे पर लामबंद हो जायेंगे। जिन मित्रों को अभी खबर नहीं हुई ,उनके लिए यह बेहतरीन खबर साझा कर रहे हैं।तमाम बुरी खबरों के बीच इस साल की यह शायद पहली अच्छी खबर है। तीन साल से देश दुनिया से बेखबर रहने के बाद फुटेला के इस तरह सक्रिय हो जाने से बहुत अच्छा लगा रहा है।आज इतना ही। बाकी जीने को मोहलत मिलती रही तो आपकी नींद में खलल भी डालते रहेंगे।




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(पलाश विश्वास)

मैं खुद के काम का आलोचक हॅू: जिमी शेरगिल

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साल 1996 की फिल्म ‘माचिस’ के अभिनेता जिमी शेरगिल ने अपने दो दशक वाले करियर में एक से बढ़कर एक चुनिंदा फिल्में की हैं। जिमी ने कहा, मैं खुद के काम का बहुत बड़ा आलोचक हूं।  जिमी आजकल फिल्म ‘ये तो टू मच हो गया’ में नजर आ रहे है। जिसमे कि उनके काम को काफी सराहा जा रहा है। जिमी ने कहा है कि वह खुद के काम के आलोचक हैं। उनका कहना है कि ‘भले ही उनकी फिल्में सराही जा रही हैं, लेकिन वह हमेशा सोचते हैं कि और बेहतर किया जा सकता है।’ अपने लीक से हटकर किरदारों की वजह से जिमी ने इंडस्ट्री में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. फिर चाहे वो फिल्म ‘हासिल’ और ‘मौहब्बतें’ की लवर ब्वॉय इमेज हो, या फिल्म ‘मुन्नाभाई एमबीबीएस’ और ‘यहां’ जैसे संजीदा रोल या फिर ‘साहेब बीवी और गैंगस्टर’, ‘बुलेट राजा’ और ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स’ जैसी फिल्मों में बेबाक अंदाज। जिमी ने हर रोल को बखूबी निभाया है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि अपने हर किरदार में अपनी जानदार एक्टिंग से जान फूंकने वाले जिमी को भी कुछ किरदारों ने डराया था।


सबसे चैलेंजिंग रोल कौन सा था? इसका जवाब देना बहुत मुश्किल है, ‘मुन्नाभाई एमबीबीएस’ एक ऐसी फिल्म थी जिसमें मुझे लगा था कि मैं एक लास्ट स्टेज के कैंसर के मरीज का रोल कैसे करुंगा, कैसे अपने आप को एकस्प्रेस कर पाऊंगा, डायरेक्टर राजू हिरानी के साथ काफी वर्कशॉप्स किए, डॉक्टर्स के साथ काफी सिटिंग्स किए, तब जाकर उन किरदारों को मैं निभा पायाश्. जिमी ने कहा, श्साहेब बीवी और गैंगस्टरश् में साहेब का किरदार व्हील च्येर पर था, मैं बहुत परेशान था कि कहीं मेरा रोल बहुत बोरिंग ना हो जाए क्योंकि आप व्हील चेयर पर हो तो आप पहले ही बंध जाते हो, मुझे आज भी याद है कि डायरेक्टर तिग्मान्शू धूलिया के चेहरे पर एक स्माइल आई थी कि हो जाएगा, मैंने बहुत मेहनत की और वो रोल दर्शकों को बहुत पसंद आया, एक अच्छा रोल करने से पहले नर्वस होता हूं लेकिन ये अच्छी बात है तभी आपका बेस्ट बाहर आता है’।

गणेश उत्सव में देंगे ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ का संदेश

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नई दिल्ली। ‘‘दिल्ली के राजा’’ श्री गणपति महाराज के नाम से विश्व विख्यात श्री गणेश उत्सव के पावन पर्व पर गणेश चतुर्थी पूजा एवं शोभायात्रा के माध्यम से आपसी भाईचारा और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का संदेश दिया जाएगा। ंइसके अलावा दिव्यांग बच्चों को प्रोत्साहित किया जाएगा। यह आयोजन श्री गायत्री नवयुक मंडल (रजि) की ओर से राष्ट्रीय राजधानी के रमेश नगर में 5 से 15 सितम्बर तक आयोजित किया जायेगा। आयोजन समिति के अध्यक्ष सरदार मनदीप सिंह ने बताया कि इस उत्सव से सभी वर्गों एवं धर्मो के लोगो में आपसी भाई चारा बढ़ता है। यह गणेश उत्सव श्री बाल गंगाधर तिलक के सन्देश को आगे बढ़ाने का एक प्रयास है। आयोजन समिति के महामंत्री श्री राजन चड्ढा ने कहा, ’’धरती का श्रृंगार वृक्ष लगायें बार-बार, गौ सेवा एवं सुरक्षा ही हमारे जीवन को करेगी साकार।’’ उत्सव आयोजन समिति के सदस्य श्री हर्ष बंधू ने बताया कि 19 वर्षों से श्री गणेश उत्सव में गणेश जी की भक्ति से जुड़े सभी धर्म के लोग आपस में मिलजुल कर आपसी भाई-चारे एवं श्रद्धा के साथ बड़ी धूम धाम से इस उत्सव को मनाते है।  आयोजन समिति के कोषाध्यक्ष श्री दीपक भारद्वाज ने कहा कि इस उत्सव में बहुत सारे लोग दिल्ली एनसीआर के अलावा अन्य राज्यांे से भी आते हैं। जहा पिछले वर्ष दस दिवसीय इस उत्सव में साढ़े चार लाख लोग आये थे वही इस वर्ष पांच से साढ़े पांच लाख लोगो के आने की संभावना है। 


इस साल ‘‘दिल्ली के राजा’’ गणेष चतुर्थी का मुख्य उद्देश्य ‘‘बेटी बचाओ’’ है। इस बार गणेश उत्सव के माध्यम से लोगों में ‘‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’’ का सन्देश देने का प्रयास किया गया है। बेटी नहीं बचाओगे तो बहू कहाँ से लाओगे अगर बेटी नहीं बचाओगे तो मेडल कहां से लाओगे। आज की बेटियां हर क्षेेत्र में अपनी एक अलग पहचान बना चुकी है। बेटियां समाज पर बोझ नहीं है - हमें ये कार्य आगे बढ़ाना है और घर-धर तक तक पहुंचाना हैं। बेटियांे को बचाना है, पढ़ाना है और आगे बढ़ाना हैं।  इस कार्यक्रम के दौरान अनेक धर्म गुरुओं एवं संतों का पदार्पण होगा जिनमें मुख्य तौर पर श्री कामाख्या शक्ति पीठ के महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 अनंत विभूषित जगतगुरु पंचानंद गिरी जी महाराज, प्रयागराज पीठ के शंकराचार्य ओंकारानंद सरस्वती जी महाराज, विश्व विख्यात गुरुदेव जी डी वशिष्ठ जी एवं परम श्रद्धा श्री सच्चिदानंद जी महाराज के वचनों से कार्यक्रम का आयोजन आगे बढ़ाए गए इन सभी संतो व कर्मकांडी ब्राह्मण आचार्य मुरलीधर शर्मा जी एवं अन्य विद्वान आचार्य द्वारा पूजन यज्ञ सहस्त्रार्चन आरती एवं श्रृंगार, पूजा सम्पन्न हो गई।  कार्यक्रम में भजन संध्या के लिए विभिन्न शहरों से विश्व विख्यात भजन गायक प्रतिदिन भजन संध्या का कार्यक्रम करेंगे जिसमे गायक लखविंदर सिंह लक्खा, भगवत किशोर, मास्टर सलीम,  अमरजीत सिंह बिजली, उस्ताद हमसर हयात निजामी, पंकज राज, नुरान सिस्टर, सुश्री इंदु खन्ना, लता परदेसी, जॉनी सूफी मास्टर,बृजवासी ब्रदर्स, हेमंत बृजवासी भजन प्रस्तुति देगें।

इस दौरान 12 सितम्बर को महाराज चित्र विचित्र, विक्की सुनेजा और प्रियवंशी के नृत्य संगीत द्वारा भक्तों का मन मोह लेंगे। इस कार्यक्रम में प्रतिदिन दोपहर दो से छह बजे तक आठ से चैदह सितम्बर तक आचार्य त्रिपुरारी श्री श्रीमद भगवत ज्ञान कथा का आयोजन होगा। 5 सितंबर विशाल शोभायात्रा में पहली बार मुंबई से संकल्प बैंड के द्वारा स्त्री एवं पुरुष कलाकारों के द्वारा शोभायात्रा में लावणी हिसार प्रस्तुत किया जाएगा। इसके अलावा भांगड़ा, डांडिया, कथकली एवं हरि नाम कीर्तन का आयोजन होगा।  कार्यक्रम के दौरान चिकित्सा शिविर भी आयोजित की जाएगी जिसमें जरूरतमंद लोगों को निःशुल्क परामर्श, चश्मे, दवाइयां एवं प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध कराई जाएगी। साल दर साल बढ़ते-बढ़ते यह कार्यक्रम एक विशाल आयोजन का रुप ले चुका आयोजन समिति के उपाध्यक्ष सरदार सरबजीत सिंह ने कहा ‘कि गणपति जी की विशाल प्रतिमा हर वर्ष मुंबई से लाई जाती है और बड़े ही प्रेम भाव से 10 - 12 दिन तक उनका श्रृंगार किया जाता है एवं श्री गणेश चतुर्थी के दिन एक भव्य शोभा यात्रा नगर भ्रमण करते हुए गणेश जी महाराज को उत्सव स्थल पर लाकर उनका आवाहन किया जाता है एवं स्थापना की जाती है जो कि विद्वान आचार्यों द्वारा संपन्न कराई जाती है। बड़े ही हर्षोल्लास प्रेम और भाई चारे के बीच इस कार्यक्रम में हिंदू, सिख एवं मुसलमान भाइयों का भी सहयोग रहता है। उत्सव समिति के उपाध्यक्ष श्री कमल पाहुजा ने बताया कि इस कार्यक्रम के माध्यम से हमारे एरिया की एक पहचान स्थापित हुई है आज ‘दिल्ली का राजा’ की दिल्ली में एक अलग सी पहचान बन चुकी है। श्री गायत्री नवयुक मंडल (रजि) द्वारा आयोजित उत्सव को सफल बनाने में समिति के सभी सदस्यों - सर्वश्री रमेश आहुजा (मुख्य संरक्षक), रमेश पोपली, राजेश वाधवा, राजेश चोपड़ा, वीरेंदर बब्बर , राज कुमार लाम्बा (पार्शद), विमल भयाना, राज कुमार खुराना, राजन भरारा, गुलशन ढींगरा , अशोक कुमार मग्गो, इंदरजीत सिंह घई, हितेश पाहुजा, गुलशन वीरमणि, संदीप भारद्वाज , का सहयोग मिला। 

राजनीति : क्या संदीप गिरफ्तार व आशुतोष होंगे आउट?

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तमाम उठापटक के बाद सेक्स स्कैंडल में फंसे संदीप कुमार के खिलाफ बलातकार का मामला दर्ज तो हो गया। लेकिन बड़ा सवाल तो यह है कि केजरीवाल सरकार के नगीनों में से एक संदीप कुमार की इस तरह के आरोप लगने के बाद गिरफ्तार होगी। खासकर संदीप के बचाव में उतरे आप के प्रवक्ता आशुतोष को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जायेगा। क्योंकि आशुतोष ने एक-दो नहीं कई महिलाओं संग मुंह काला करने वाले संदीप की तरफदारी में न सिर्फ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, नेहरु समेत कई महान विभूतियों के चरित्र पर सवालालिया निशान लगाते हुए तुलना की, बल्कि महिलाओं की सुरक्षा के दावे करने वाले केजरीवाल की वादों को भी तार-तार किया है  





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हालांकि सूत्र बताते है कि रपट दर्ज होने के बाद संदीप कुमार ने डीसीपी ऑफिस रोहिणी में जाकर खुद सरेंडर कर दिया है। लेकिन बड़ा सवाल तो यह है कि संदीप के इस घिनौने कृत्य के बचाव में आप प्रवक्ता आशुतोष कुमार ने जिस तरह तुलना राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पं जवाहर लाल नेहरु, अटल बिहारी बाजपेयी, जार्ज फर्नांडीज, लोहिया से लेकर तमाम राजनेताओं के चरित्र पर लाछंन लगाकर की, वह किसी भी दशा में क्षम्य नहीं है। ऐसे में बड़ा सवाल तो यही है कि नैतिकता व महिलाओं की सुरक्षा का दावा करने वाले मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल आशुतोष को बाहर का पार्टी से बर्खास्त कर रास्ता दिखायेंगे या माना जाय कि उन्होंने जो कुछ भी कहा, उसमें आपकी सहमति थी। फिरहाल, संदीप कुमार  के साथ सीडी में दिखने वाली महिला ने सुल्तानपुरी थाने में बलातकार की रपट दर्ज करा दी है। महिला का आरोप है कि ‘संदीप ने नौकरी का झांसा देने के बहाने कोल्ड ड्रिंक में नशीला पदार्थ मिलाकर मेरे साथ शोषण किया। महिला ने ये भी कहा है कि वह राशन कार्ड बनावाने के लिए उनके पास गई थी।’ महिला का आरोप है कि संदीप ने उसे नशीला कोल्ड ड्रिंक पिलाकर उसके साथ दुराचार किया था। हालांकि आरोप के बाद आप पार्टी ने संदीप कुमार से मंत्री पद छिनने के बाद पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया है। 

जहां तक महिला द्वारा उस घटना के बाद शिकायत न करने का सवाल है तो वह उसकी विवशता रही होगी। क्योंकि जो महिला राशन कार्ड बनवाने के लिए भटक रही थी, समझा जा सकता है कि वह कितनी लाचार व बेवश रही होगी। खासकर उसने खुद भी कहा- बदनामी नहीं चाहती...। क्योंकि ‘मेरे छोटे-छोटे बच्चे हैं। मेरा नाम और पहचान उजागर न हो।‘ ये घटना एक साल पहले की है। मैं राशन कार्ड बनवाने गई थी। उन्होंने (मंत्री ने) पहले तो मुझे ठंडा पिलाया। थोड़ी देर बातचीत की। बोले- मेरे साथ बैठो। कुछ देर बाद लाइट बंद करने गए। क्या पता वीडियो चालू किया हो। हो जो भी लेकिन इतना तो तय हो गया है कि जिस तरह आप के मंत्री व विधायक महिला उत्पीड़न से लेकर सेक्स स्कैंडल में फंसे है या अन्य घपले-घोटाले व उम्मीदवारों से भारी-भरकम पैसा लेकर टिकट बेंच रहे है उससे उन्होंने न सिर्फ जनता को शर्मसार किया है, बल्कि उसके सपनों को भी ठगा है। कहा जा सकता है राजनीति को बदलने की दुहाई देने वालों ने राजनीति का स्तर गिराया है। खासकर आशुतोष ने महापुरुषों के के चरित्र पर कीचड़ उछालते हुए सवाल उठाया- ‘दो बालिग लोगों का आपसी रजामंदी से सेक्स करना क्राइम कैसे हो सकता है? गांधी, नेहरू और वाजपेयी का उदाहरण देते हुए कहा, ‘भारत का इतिहास ऐसे नेताओं और नायकों के उदाहरणों से भरा पड़ा है, जिन्होंने सामाजिक बंधनों से इतर जाकर अपनी इच्छाओं की पूर्ति की। एडविना माउंटबेटन के साथ नेहरू के रिश्ते के बारे में पूरी दुनिया जानती है।‘ जैसे बयान अक्षम्य नहीं तो और क्या है। 

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जहां तक आप पार्टी का सवाल है डेढ़ साल में बर्खास्त होने वाले संदीप तीसरे मंत्री है। उनके पास महिला और बाल कल्याण के अलावा एससी-एसटी मंत्रालय भी थे। जून, 2015 में कानून मंत्री जितेंद्र तोमर पर फर्जी डिग्री का आरोप लगा था। उन्हें भी हटाया गया था। इसके बाद अक्टूबर, 2015 में खाद्य आपूर्ति मंत्री हसीम अहमद खान पर करप्शन के आरोप लगे थे। उस वक्त केजरीवाल ने कहा था- पार्टी बंद कर देंगे, लेकिन गलत काम बर्दाश्त नहीं करेंगे। पर सब हो रहा है। एक से एक घिनौने कृत्य सामने आ रहे है। उम्मीदवारों से लाखों-करोड़ों लेकर टिकट बेचे जा रहे है। जबकि दुहाई देते है कि वह टिकट देने से पहले तीन लेवल पर जांच कराते हैं। फिरहाल, गरीबों की पार्टी के लिए ‘सेक्स सीडी‘ फजीहत की वजह बन गई हैं। ये मामला इतनी जल्दी खत्म नहीं होने वाला है। क्यूंकि आरोपी ने जिस तरह दलित कार्ड खेलकर अपनी बचत करने की कोशिश की है और आप के प्रवक्ता आशुतोष ने शीर्ष नेताओं को कटघरे में खड़ा किया है वह राजनीति में गंदी मानसिकता का परिचायक है। ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि क्या नयी सियासत के दावे करने वाले केजरीवाल से अब सेक्स सीडी तक सीमित हो जायेंगे? क्या नेहरु गांधी को बदनाम कर धूलेंगे ‘आप‘ के पाप और लौटेगा ‘आप‘ का सम्मान? कहीं दलित कार्ड खेलकर अपनी राजनीति को बचाना या काली करतूत पर पर्दे की कोशिश तो नहीं? क्या यह आवाम की उम्मीदों पर पतन की कहानी है? क्या वाकई में मीडिया में आने से पहले तक संदीप को बचाना चाहते थे केजरीवाल?  

दिल्ली के महिला एवं बाल कल्याण मंत्री रहे संदीप कुमार की सीडी में जो घिनौना चेहरा सामने आया है, उसने न सिर्फ इंसाफ व ईमानदारी की दुहाई देने वाले अरविंद केजरीवाल की किरकिरी करा दी है, बल्कि उनकी नयी पारी की सियासत को भी गहरा धक्का लगा है, जिसमें वह कहते नहीं थकते कि उनकी पार्टी का चाल-चरित्र व चेहरा सबसे अलग है। संदीप पर लगे आरोप की जांच में रिपोर्ट जो भी आएं लेकिन अब तक जिस तरह आम आदमी पार्टी के विधायकों का एक-एक कर काली करतूत सामने आ रही है और उसके बचाव में कुतर्को का सहारा लिया जाता रहा है, उससे तो कहा जा सकता है कि केजरीवाल सिर्फ और सिर्फ जनता को धोखा देने से अधिक कुछ भी नहीं है। क्योंकि केजरीवाल ने चुनाव में जो लंबे-चैड़े वादे किए तो उसका कब का पलीता लग चुका है। कहा जा सकता है अन्ना के साथ मिलकर केजरी ने जो शब्जबाग दिखाएं, वह सेक्स सीडी पर रुकेगी? क्योंकि पार्टी संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री की सफाई से ही ये मामला ठंडा पड़ता नहीं दिख रहा। अब सुल्तानपुरी इलाके में रहने वाले संदीप कुमार के पुराने सहयोगी लोकेंद्र सामने आए हैं। लोकेंद्र ने संदीप के खिलाफ कई और गंभीर आरोप लगाएं है। संदीप कुमार के पूर्व कैंपेन मैनेजर लोकेंद्र का दावा है कि खुद संदीप ने ही अपनी सीडी शूट की थी। संदीप लोगों की ऐसी कई सीडी बना चुके हैं। सीडी बनाने का मकसद वक्त आने पर उस व्यक्ति को साधना होता था। यानी ब्लैकमेल करने के मकसद से सीडी बनाई जाती थी। सीडी बनाने के लिए हनी ट्रैप किया जाता था। हालांकि सेक्स सीडी की जांच के लिए क्राइम ब्रांच ने विशेष टीम बनाई है। क्राइम ब्रांच सीडी की जांच दो चरणों में करेगी. जांच में यह पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि सीडी बनाने का मकसद क्या था? क्राइम ब्रांच के सूत्रों के मुताबिक यह भी पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि पूर्व मंत्री ने ब्लैकमेलिंग के इरादे से तो यह सीडी नहीं बनाई? सीडी बनाने के मकसद को लेकर संदीप कुमार से पूछताछ भी होगी। इस दौरान ओमप्रकाश समेत अनेक लोगों के बयान भी दर्ज किए जाएंगे। 






(सुरेश गांधी)

बॉलीवुड ने किया डेज ऑफ तफरी ट्रेलर रीलिज

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आनंद पंडित और रश्मि शर्मा ने ‘डेज ऑफ तफरी’ नामक एक फिल्म बनाई है जिसका ट्रेलर विगत दिनों मुमंई में रिलीज किया गया। यह ट्रेलर अमिताभ बच्चन, अजय देवगन, सनी लियोन, सोनू निगम, मधुर भंडारकर, संजय गुप्ता सहित कई सेलिब्रिटीज ने ट्रेलर की प्रशंसा की । फिल्म 23 सितम्बर को प्रदर्शित होगी। डेज ऑफ तफरी युवा पीढ़ी  के कॉलेज लाइफ की कहानी है जो की आज के नौजवानों पीढ़ी को दरसाती है। निर्देशक कृष्णदेव  ने फिल्म को नए टैलेंट और एक फ्रेश कहानी को देखने की कोशिश की है फिल्म डेज ऑफ तफरीे ना सिर्फ दर्शकांे को प्रभावित करेगीं।बल्कि बॉलीवुड के कई सेलिब्रेटी ने सोशल मीडिया पर  फिल्म और ट्रेलर की प्रशंसा  की जिसे में से एक बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन जी ने ट्वीटर पर लिखा  अमिताभ ने ट्वीटर पर फिल्म डेज ऑफ तफरी को ‘फन’ और ‘यूथ इन्फेस्टेड’ बताते हुए इसके मेकर्स को बधाई दी है। आनंद पंडित और रश्मि शर्मा कहते हैं ‘अमिताभ ने हमारी फिल्म की प्रशंसा की है और इससे हमारी खुशी का ठिकाना नहीं है। अमिताभ जैसे शख्स से पॉजीटिव फीडबैक मिलना हमारे लिए गौरव की बात है।’ 

गोवा में मतदान शुरू

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पणजी 04 फरवरी, गोवा विधानसभा चुनाव के लिए आज सुबह सात बजे मतदान शुरू हो गया। राज्य की 40 सदस्यीय विधानसभा के लिये हो रहे चुनाव के लिये 1,642 पोलिंग बूथ बनाये गये है। चुनाव मैदान में 251 उम्मीदवार है जिसमें से 232 पुरूष हैं। 

इन चुनावों में आम आदमी पार्टी (आप) की भागीदारी से मुकाबला तिकोना हो गया है। सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी और विपक्षी कांग्रेस तथा आप के बीच मुख्य मुकाबला है। इन चुनावों में महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी, गोवा सुरक्षा मंच, और शिवसेना जैसे क्षेत्रीय दल भी अपनी किस्मत अाजमा रहे है। मतदान शाम पांच बजे तक चलेगा और शांतिपूर्ण मतदान सुनिश्चित करने के लिये सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किये गये है।
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