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फूट डालो, शासन करो की नीति पर चल रही बीजेपी, करो या मरो झामुमों का मूलमंत्र : हेमन्त सोरेन

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सीएनटी व एसपीटी एक्ट में संशोधन किसी कीमत पर स्वीकार नहीं, आदिवासियों-मूलवासियों के बीच मतभेद पैदा करना भाजपा सरकार की नीति बन चुकी है। 2019 के चुनाव में हठधर्मी रघुवर दास को मिलेगा करारा जवाब। आदिवासी अधिकार विरोधी आदिवासी नेताओं का हो बहिष्कार। 



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अमरेन्द्र सुमन (दुमका), पूरे भारतवर्ष के जिन-जिन राज्यों में बीजेपी की सरकार बनी है वहाँ आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों व अल्पसंख्यकों का शोषण जारी है। फूट डालो, शासन करो की नीति पर चलती है यह पार्टी। चाहे हिन्दू-मुस्लिम के बीच फूट डालने की बात हो, आदिवासी-गैर आदिवासी के बीच की बात, अगड़ों-पिछड़ों के बीच की बात या फिर बाहरी-भीतरी के बीच की बात। सत्ता में बने रहने के लिये इस पार्टी से जो भी बन पड़ता है उसे करने से नहीं झिझकती है। उप राजधानी दुमका के गाँधी मैदान में 38 वें झारखण्ड दिवस के अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री व झामुमोें के कार्यकारी अध्यक्ष हेमन्त सोरेन ने कही। संताल परगना के विभिन्न जिलों, गिरिडीह, धनबाद, बोकारो व राँची से परंपरागत वाद्ययंत्रों व हथियारों के साथ हजारों की तादाद में पहुँचे कार्यकर्ताओं व संताल नागरिकों को संबोधित करते हुए हेमन्त सोरेन ने कहा कि सीएनटी व एसपीटी एक्ट आदिवासियों-मूलवासियों की आत्मा है। हम जान दे देगें किन्तु किसी कीमत पर जमीन देने को तैयार नहीं है, चाहे इसके लिये जो भी कीमत चुकानी पड़े। दिशोम गुरु शिबू सोरेन, पूर्व उप मुख्यमंत्री व महेशपुर के विधायक स्टीफन मरांडी, शिकारीपाड़ा विस क्षेत्र के विधायक व झामुमों के वरिष्ठ नेता नलिन सोेरेन, पूर्व स्पीकर सत्यानन्द भोक्ता, राजमहल के एमपी विजय हांसदा, रविन्द्र नाथ महतों, हाजी हुसैन अंसारी, सीता सोरेन, अमित महतों, सुफल मराण्डी, अकिल अख्तर, लोबिन हेम्ब्रम, सुुुफल मरांडी, जोयेस बेसरा, महुआ मांझी, विजय सिंह, सुभाष सिंह की उपस्थिति में झामुमों के युवा नेता हेमन्त सोरेन ने कहा कि पूरे भारतवर्ष के 15 करोड़ आदिवासियों की स्थिति काफी दयनीय है। वे पूरी तरह बेरोजगार हो चुके हैं। दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, जैसे राज्यों की सड़कों, बिल्डिंगों व अन्य दिहाड़ी कार्यों में लगे इनके बीच भूखमरी की स्थिति मौजूद है। पीएम नरेन्द्र मोदी के नोटबंदी से लोग पूरी तरह बेरोजगार हो चुके हैं। केन्द्र में मोदी व सूबे में रघुवर सरकार ने अंबानी, अडानी जैसे उद्योगपतियों को पूरी तरह फलने-फूलने का मौका दे दिया है। गली-मुहल्लों तक जियो सीम घुस चुका है। फ्री इंटरनेट की वजह से लोग कर्ज ले-लेकर भी जियो मोबाईल खरीद रहे हैं। और मोबाईल में सिर्फ बीजेपी का प्रचार मिल रहा है। स्कूलों में इन दिनों रामदेव का योगा चलाया जा रहा है। 

इसके लिये सरकार 7 से 8 सौ करोड़ रुपये खर्च कर रही है और उनके प्रचार में 5 सौ करोड़ रुपये तक खर्च कर दे रही है किन्तु किसानों के ऋृण के 15 सौ करोड़ रुपये माफ नहीं कर पा रही। रात्रि 11ः40 से प्रारंभ अपने सवा घंटे के भाषण में हेमन्त सोरेन ने कहा रघुवर सरकार के पाप का घड़ा अब भर चुका है। उसे फोड़ना जरुरी है। हमें अब करो या मरो की नीति अपनानी होगी। आदिवासी विरोधी नेताओं को भी अब नहीं छोड़ा जाऐगा। हर जगह उनका बहिष्कार किया जाऐगा। उन्होनें कहा विधायकों का निलंबन सरकार की हठधर्मी नीति को परिभाषित करता है। जिस हठधर्मी से रघुवर सरकार कार्य कर रही है, सूबे की अवाम वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में उन्हें अवश्य पाठ पढ़ाएगी। बहुमत के गुरुर में सरकार किसी की सुन नहीं रही। उन्होनें कहा नोटबंदी की वजह से सैकड़ों लोग मर गए। झारखण्डी अवाम को यह तय करना होगा कि हमें मरना है या फिर रघुवर सरकार को मारना है। उन्होनें कहा पहले रेलवे प्लैटफार्म टिकट का मूल्य 3 रुपये था जिसे बढ़ाकर 10 रुपये कर दिया गया है। श्री सोरेन ने कहा अब तो आरबीआई पर भी अंगुली उठने लगी है। आरबीआई की गिरती साख पर आर बी आई के कर्मचारी हीे पत्र लिखकर गर्वनर को इससे अवगत करा रहे हैं। उन्होनें कहा दाल-रोटी, चावल की कीमत आसमान छू रही है जबकि मोबाईल में इंटरनेट फ्री बांटा जा रहा है। दाल-चावल, तेल फ्री कर के दिखाओ तो जाने। श्री सोरेन ने कहा कि संसद में प्रस्तुत बजट में किसानों के लिये कुछ भी नहीं किया गया है। इस बजट में उद्योगपतियों को पूरी राहत दी गई है। बेरोजगारों का जिक्र तक नहीं किया गया है। सूटबूट वाली मोदी सरकार अब धोती-कुर्ता पर उतर चुकी है। श्री सोरेन ने कहा बीजेपी का रंग अब उतर रहा है, लोग इसकी असलियत से वाकिफ होने लगे हैं। इन भेड़िये को पहचानना जरुरी है। सामाजिक, आर्थिक स्तर पर ऐसे लोग देश को बर्बाद कर रहे हैं। उन्होनें कहा आदिवासी-मूलवासी की जमीन कोई ले नहीं सकता। 

इसके लिये व्यापक स्तर पर आंदोलन जारी रहेगा। उन्होनें कहा इसी संताल परगना की धरती पर पीएम नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि आदिवासियों-मूलवासियों की जमीन कोई ले नहीं सकता किन्तु उन्हीें के चेले रघुवर दास ने ऐसा कर दिखाया जो पूरे देश के लिये शर्मनाक बन गया। पूर्व उप मुख्यमंत्री व महेशपुर के विधायक स्टीफन मराण्डी ने कहा कि हमारे उपर बहुत बड़ा गाज गिरा है। सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन, स्थानीयता व नियोजन की नीति पूरी तरह झारखण्डियों के विरुद्ध है। लोगों की अस्मिता, संस्कृति व वजूद को बचाए रखने के लिये गुरुजी ने झारखण्ड मुक्ति मोर्चा का निर्माण किया था। सीएनटी व एसपीटी एक्ट में संशोधन हम कभी नहीं स्वीकार कर सकते। संशोधन वापस लिया गया तो फिर आंदोलन स्थगित कर दिया जाऐगा। उन्होनें कहा संगठन में ही वह ताकत है जिसकी बदौलत हम सरकार को झुका सकते हैं। उन्होनें कहा हमारे परंपरागत हथियारों पर सरकार की नजर लग गयी है। जिन चुनौतियों को सरकार ने हमारे उपर थोपा है, उन चुनौतियों का डटकर हमें मुकाबला करना होगा। सालखन मुर्मू पर शब्दवाण चलाते हुए कहा कि दिनाजपुर, मालदा से लोगों को दुमका लाकर सालखन मुर्मू दिखलाना क्या चाहते हैं। उड़ीसा का व्यक्ति संताल परगना आकर लोगों को दिग्भ्रमित करने का काम कर रहा है। मूल रुप से सालखन मुर्मू भाजपा व आरएसएस का एजेंट है। यह व्यक्ति वही करता है जो भाजपा व आरएसएस कहती है। उन्होनें कहा नरेन्द्र मोदी आदिवासियों का इतिहास मिटा रहे हैं। आदिवासियों-मूलवासियों में फूट पैदा की जा रही है। जाति, मजहब, धर्म से उपर उठकर हमें एकजुट होकर आदिवासी विरोधी ताकतों को परास्त करना होगा। रघुवर सरकार हमें हमारी औकात बताना चाहती है। वर्ष 2019 के चुनाव में झारखण्ड की जनता रघुवर दास को उसकी औकात बता देगी। 

उन्होनें कहा रघुवर दास जिस नीति के तहत लगातार निर्णय लेते जा रहे, हमनें पिछले 35 वर्षों में ऐसा नहीं देखा। यह बेवकूफी की हद है। राजमहल के सांसद विजय हांसदा, सिल्ली के विधायक अमित महतों, पूर्व मंत्री व पार्टी अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के नेता हाजी हुसैन अंसारी, पूर्व स्पीकर सत्यानंद भोक्ता, सुफल मरांडी, लोबिन हेम्ब्रम, संजीव महतों, महुआ मांझी व अन्य ने भी अपने-अपने विचार प्रकट किये। रात्रि 1ः00 बजे के आसपास झामुमों के सुप्रिम नेता व दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने अपना भाषण दिया। इस अवसर पर नगर अध्यक्ष रवि यादव, देवघर, गोड्डा, पाकुड़, साहेबगंज के जिलाध्यक्ष नरसिंह मुर्मू, राजेश मंडल, श्याम यादव, नुरुल इस्लाम, केन्द्रीय सचिव पंकज मिश्रा, पार्टी प्रवक्ता अभिषेक कुमार पिंटू, देवघर, पाकुड़, साहेबगंज के जिला सचिव, जिलाध्यक्ष राँची सुशिला जी इत्यादि मौजूद थे। मंच संचालन की जिम्मेवारी पार्टी के वरिष्ठ नेता व अधिवक्ता विजय सिंह ने निभाई। 

मधुबनी पंचायत उप चुनाव : स्थिति स्पष्ट

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मधुबनी, 4 फरवरी; पंचायत उप-निर्वाचन में नाम निदेशन की तिथि समाप्त हो जाने के बाद स्थिति स्पष्ट हो गई है। जिला में ग्राम पंचायत सदस्य के 22 पद0,ग्राम कचहरी पंच का 414 पद0,पंचायत समिति सदस्य का 01 पद0, मुखिया का 02 पद0 तथा सरपंच का एक पद0 रिक्त था। इन रिक्त पदों पर निर्वाचन के लिए अधिसूचना, राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जारी की गई थी। नाम निदेशन की तिथि की समाप्ति के बाद ग्राम पंचायत सदस्य के 12 पद0, ग्राम कचहरी पंच के 111 पद0., पंचायत समिति सदस्य के 01 पद0., मुखिया के 01 पद0 तथा सरपंच के 01 पद0 पर दिनांक 28 फरवरी,17 को मतदान कराया जाएगा। इसके लिए जिले में 160 मतदान कंेद्र बनाए जाएंगे।  निर्वाचन प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद भी जिला में ग्राम पंचायत सदस्य का एक पद0(विस्फी में), ग्राम कचहरी पंच का 19 पद0 रिक्त रह जाएगा।

प्रखंड का नाममतदान केंद्र की संख्या
रहिका11
पंडौल20
राजनगर10
कलुआही02
खजौली05
बबुबरही02
जयनगर05
लदनियां00
बासोपट्रटी01
बेनीपट्रटी08
विस्फी27
मघवापुर01
लौकही14
घोघरडीहा02
खुटौना23
झंझारपुर11
मघेपुर04
लखनौर09
अंधराठाढ़ी05

मुगल गार्डन दर्शकों के लिए खुला, राष्ट्रपति ने किया उद्घाटन

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नयी दिल्ली,04 फरवरी, राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने आज राष्ट्रपति भवन में वार्षिक उद्यान उत्सव का उद्घाटन किया। इसके साथ ही कल से ऐतिहासिक मुगल गार्डन दर्शकों के लिए खोल दिया जाएगा। मुगल गार्डन में इस बार लोगों के लिए ‘प्रेजिडेंट प्रणव’और ‘शुभ्रा मुखर्जी’ के नाम की गुलाब की दो नयी किस्में आकर्षण का मुख्य केन्द्र होंगी। श्री मुखर्जी और उनकी दिवंगत पत्नी के सम्मान में पश्चिम बंगाल के जकपुर स्थित पुष्पांजलि रोज नर्सरी के प्रणबीर कुमार मैती और अशोक कुमार मैती ने गुलाब की ये दोनों किस्में विकसित की हैं। इंडियन रोज फेडरेशन ने दोनों किस्मों को मान्यता प्रदान की है और जनवरी 2017 में इसे प्रमाण पत्र जारी किया। इनके साथ ही उद्यान में फूलों की क्यारियों में सात विभिन्न रंगों में करीब 14 हजार ट्यूलिप दर्शकों को आकर्षित करते नजर आयेंगे और साथ ही दर्जनों क्यारियों में विभिन्न प्रकार की गुलाब की किस्में दर्शकों को रोमांचित करेंगी। मुगल गार्डन पांच फरवरी से 12 फरवरी तक आम आदमी के लिए खुला रहेगा। इस उद्यानोत्सव में आम आदमी सोमवार को छोड़कर सप्ताह के अन्य छह दिनों सुबह साढ़े नौ बजे से अपराह्न चार बजे तक मुगल गार्डन के अलावा स्प्रिचुअल गार्डन, हर्बल गार्डन, बोनसाई गार्डन और म्यूजिकल गार्डन का भी लुत्फ उठा सकेंगे। मुगल गार्डन में दर्शकों का प्रवेश नॉर्थ एवेन्यू की ओर से राष्ट्रपति सम्पदा के गेट नं. 35 से होगा। दर्शकों को अपने साथ खाने-पीने की सामग्री, पानी की बोतलें, ब्रीफकेस, हैंडबैग्स, लेडीज पर्स, छाता, ट्रांजिस्टर, कैमरा आदि न लाने की सलाह दी गयी है। दस मार्च को यह गार्डन खास तौर पर किसानों, दिव्यांगजनों, रक्षा/अर्द्धसैनिक बलों तथा दिल्ली पुलिस के जवानों के लिए खुला रहेगा।

गठबंधन के बावजूद 15 सीटों पर सपा कांग्रेस प्रत्याशी आमने सामने

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लखनऊ 04 फरवरी, उत्तर प्रदेश में सत्तारुढ समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस के बीच हुए गठबंधन के तहत सीटों का बंटवारा होने के बावजूद 15 विधानसभा क्षेत्रों पर दोनो पार्टियों के उम्मीदवारों के ताल ठोकने से मतदाता असमंजस में है, कांग्रेस द्वारा उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए आज अपने नौ और उम्मीदवारों की सूची जारी किये जाने के साथ पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवारों की संख्या बढकर 106 हो गयी है। कांग्रेस और सपा के बीच हुए गठबंधन के तहत कांग्रेस को 105 तथा सपा को 298 सीटों पर अपने प्रत्याशी मैदान में उतारने थे। रायबरेली और अमेठी जिले की 10 सीटों को लेकर दोनो पार्टियों के बीच खींचतान चल रही है। कांग्रेस ने इन सीटों में से पांच तथा सपा ने आठ पर अपने-अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे। कांग्रेस नेहरु-गांधी परिवार का अभेद्य दुर्ग समझे जाने वाले इन दोनो जिलों की सभी 10 सीटों, विशेष रुप से अमेठी सीट दिये जाने की मांग कर रही थी। अमेठी क्षेत्र में अब सपा के मौजूदा विधायक और प्रदेश के मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति और कांग्रेस की उम्मीदवार श्रीमती अमिता सिंह के बीच दिलचस्प मुकाबला हो रहा है। कांग्रेस के करीब 15 उम्मीदवार ऐसे हैं जिनको पार्टी ने फार्म ए और बी दिया है और उन्होंने अपना नामांकन पत्र भी दाखिल कर दिया है लेकिन पार्टी ने आधिकारिक रुप से उनको अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है और वे सपा प्रत्याशियों के खिलाफ मैदान में हैं।

विजडन के कवर पर ‘विराट’

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नयी दिल्ली,04 फरवरी, भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान और स्टार बल्लेबाज विराट कोहली के नाम रोज़ाना जुड़ती उपलब्धियों में अब एक और दर्ज हो गयी है जब उन्हें क्रिकेट की बाइबल कही जाने वाली विजडन क्रिकेटर्स के कवर पेज पर जगह दी गयी। दुनिया की सबसे मजबूत टीमों में एक भारत के लिये तीनों प्रारूपों में सफल कप्तानी कर रहे विराट के लिये यह निश्चित ही बड़ी उपलब्धियों में है कि उन्हें इस वर्ष के विजडन संस्करण के कवर पेज पर जगह मिली है। हाल ही में इंग्लैंड के खिलाफ तीनों प्रारूपों में उन्होंने भारत को सीरीज में जीत दिलाई है। विराट ने इंग्लैंड के खिलाफ पांच टेस्टों की सीरीज में भारत को 4-0 से जीत दिलाई और दो शतक बनाये। उन्होंने मुंबई टेस्ट में 235 रन की दोहरी और अपने करियर की सर्वश्रेष्ठ पारी भी खेली। विजडन के संपादक लॉरेंस बूथ के अनुसार विराट ने पिछले कुछ वर्षाें में खेल को एक क्रांतिकारी स्तर पर ले जाने में अहम भूमिका निभाई है। इस कवर पेज पर विराट रिवर्स स्वीप शाॅट खेलते दिखाई दे रहे हैं। बूथ ने कहा“ यह दिखाता है कि विराट एक नये जमाने के क्रिकेटर हैं। हमें लगा कि अब समय आ गया है जब इसके कवर पेज पर कुछ गैर परंपरावादी प्रयोग किये जाएं। अधिकतर लोगों का मानना है कि विजडन पुराने और परंपरावादी क्रिकेट को ही दर्शाता है लेकिन क्रिकेट अब बदल रहा है और इसे दिखाने के लिये विराट सही व्यक्ति हैं।”

चुनाव आयोग रीढ़विहीन और मोदी को समर्पित : केजरीवाल

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नयी दिल्ली, 04 फरवरी, आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने चुनाव आयोग पर तेज हमला करते हुए उसे रीढ़विहीन करार दिया है और कहा है कि उसने पूरी तरह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है । श्री केजरीवाल ने आज कई ट्वीट किये जिनमें चुनाव आयोग को निशाना बनाया गया । उनकी यह नाराजगी पंजाब और गोवा विधानसभा चुनाव के लिये आज हो रहे मतदान के संबंध में टेलीविजन और सोशल मीडिया पर चल रहे अभियान और मतदान केन्द्रों में कथित रूप से पार्टी चुनाव चिह्न के साथ लाेगों के प्रवेश करने की खबरों पर जान पड़ती है। श्री केजरीवाल चुनाव आयोग की ओर से गोवा में रैली के दौरान उनकी टिप्प्णी को लेकर प्राथमिकी दर्ज कराने के लिये पहले से ही खफा थे । आप संयोजक ने ट्वीट कर कहा, “ यह पूरी तरह शर्मनाक और रीढ़विहीन चुनाव आयोग है। चुनाव आयोग ने केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) आैर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया(आरबीआई) के समक्ष पूर्णत: समर्पण कर दिया है। ” मुख्यमंत्री ने कहा,“ जैसे मोदी जी ने आरबीआई का बेड़ा गरक कर दिया, वैसे ही अपने चमचों को बैठा कर मोदी जी ने ईसी का भी बेड़ा गरक कर दिया । ” नोटबंदी को लेकर भी श्री केजरीवाल ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधा और कहा कि सरकार की यह योजना काले धन को नियंत्रित पूरी तरह असफल रही । उन्होंने कहा “ मोदी जी ने कहा था कि नोटबंदी से काले धन पर लगाम लग जायेगी लेकिन पंजाब और गोवा में खुलेआम पैसा बांटा गया , तो नोटबंदी का क्या इस्तेमाल हुआ ।

अल्पसंख्यक मंत्रालय के बजट में 9.6 फीसदी वृद्धि: नकवी

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नयी दिल्ली 04 फरवरी, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने आज कहा कि मोदी सरकार ने अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की जिन्दगी में खुशहाली लाने के लिए वर्ष 2017.18 के बजट में नौ प्रतिशत से अधिक की वृद्धि की है, इसके अलावा उसे 15 सूत्री कार्यक्रम के तहत 11 मंत्रालयों से 24 योजनाओं के लिए अतिरिक्त राशि मिलेगी । श्री नकवी ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पिछली बार अल्पसंख्यक मंत्रालय का बजट 3827.25 करोड़ रूपये का था जिसे अब 9.6 प्रतिशत बढ़ाकर 4195.48 करोड़ रुपये कर दिया गया है । बजट में बढ़ोतरी से अल्पसंख्यकों के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक सशक्तीकरण में मदद मिलेगी । उन्होंने कहा कि मोदी सरकार अल्पसंख्यकों को बेहतर शिक्षा देने के साथ-साथ उनके कौशल विकास पर भी जोर दे रही है ताकि युवाओं को रोजगार के अवसर मिल सके। उन्होंने कहा कि इस बार के बजट में छात्रवृत्ति, फेलोशिप , सीखो और कमाओ , नयी मंजिल , नयी रोशनी , उस्ताद , गरीब नवाज कौशल विकास केन्द्र और बेगम हजरत महल छात्रवृत्ति योजना पर 2600 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किये जायेंगे । ‘सीखो और कमाओ’ योजना में पिछले साल के मुकाबले 40 करोड़ रुपये की वृद्धि कर 250 करोड़ रुपये और नयी मंजिल योजना में 56 करोड़ रुपये की वृद्धि कर 176 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है ।

पीओके को पाकिस्तानी धरती कहने को लेकर मोदी पर बरसी कांग्रेस

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नयी दिल्ली, 04 फरवरी, कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) को पाकिस्तान की धरती कहने पर उन्हें आज आड़े हाथों लिया और उनसे अपने शब्द वापस लेने की मांग की। कांग्रेस प्रवक्ता टॉम वडक्कन ने यहां पत्रकारों से कहा “प्रधानमंत्री ने मेरठ में भाषण देते हुए कहा है कि पाकिस्तान की धरती पर सर्जिकल स्ट्राईक किया गया था। पहला सवाल हम उनसे यह पूछते हैं कि पीओके पाकिस्तान का हिस्सा कब से बना?” उन्होंने इस बयान के लिए प्रधानमंत्री पर तीखा हमला किया और कहा “कोई और यह बात कहता तो आप उसको देशद्रोही कहते, लेकिन आप यह गलती स्वयं कर रहे हैं।” प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए भाषण में इस तरह की शब्दावली के इस्तेमाल पर कड़ा एतराज व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि श्री मोदी को अपने शब्द वापस लेने चाहिए। गौरतलब है कि श्री मोदी ने अपनी सरकार की तारीफ करते हुए कहा था “ हमारी सेना ने पाकिस्तान की धरती पर इतना बड़ा ऑपरेशन किया है।” इससे पहले कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने भी श्री मोदी पर हमला करते हुए ट्वीट करके कहा, “ श्री मोदी ने कहा है कि हमारी सेना ने पाकिस्तान की धरती पर बड़ा अभियान चलाया। क्या पीओके भारत का अभिन्न हिस्सा नहीं है? क्या भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने पीओके पर अपना रुख बदल लिया है। ” श्री तिवारी ने इस संबंध में संसद में 1994 और 2012 में पारित प्रस्तावों में कहा गया है कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को उससे वापस लिया जायेगा। उन्हाेंने कहा कि प्रधानमंत्री ने जिस ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ के परिप्रेक्ष्य में यह बात कही है, वह सर्जिकल स्ट्राइक दरअसल नियंत्रण रेखा के पास वाले क्षेत्र में किया गया था जिस पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है । वह पाकिस्तान की धरती नहीं , “हमारे देश का अभिन्न हिस्सा है।”

विकास के लिए यूपी को ‘स्कैम’ मुक्त बनाना जरुरी : मोदी

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मेरठ 04 फरवरी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भ्रष्टाचारियों के खिलाफ लडाई जारी रखने का एलान करते हुए कहा है कि उत्तर प्रदेश के विकास के लिए ‘स्कैम’मुक्त करना जरुरी है। राज्य विधानसभा चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत करते हुए आज यहां श्री मोदी ने विजय संकल्प रैली को संबोधित करते हुए जनता को ‘स्कैम’ का मतलब भी समझाया।उन्होंने कहा,‘‘स्कैम यानि एस सी ए एम। एस का मतलब है समाजवादी, सी का मतलब है कांग्रेस, ए का मतलब अखिलेश और एम का मतलब मायावती है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्य के विकास के लिए स्कैम से मुक्ति पाना जरुरी है। जनता को तय करना पडेगा कि उसे स्कैम चाहिए या विकास। नाैजवानों को रोजगार के लिए स्कैम को दरकिनार करना ही पडेगा। उन्होंने कटाक्ष किया कि पूरे दिन पापा, चाचा, मामा, पिता, भतीजा में फंसा रहने वाला उत्तर प्रदेश का विकास नहीं कर सकता। राज्य को बेहाल कर दिया है। उन्होंने कहा, “भ्रष्टाचार के खिलाफ मेरी लडाई जारी रहेगी। जब तक मैं हूं चैन से नहीं बैठूंगा और न ही लुटेरों को बैठने दूंगा। भ्रष्टाचार के खिलाफ लडाई रुकने वाली नहीं है। मैं ताकतवर लोगों से लड रहा हूंं, मोहल्ले की कुश्ती नहीं। देश को बेइमानों से मुक्ति दिलाने के लिए आर्शीवाद दीजिये।

मतदान शांतिपूर्ण, गोवा में रिकार्ड 83 प्रतिशत, पंजाब में 70 फीसदी वोट

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नयी दिल्ली, 04 फरवरी, विधानसभा चुनावों में आज गोवा में रिकार्ड 83 प्रतिशत तथा पंजाब में 70 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया । चुनाव उपायुक्त उमेश सिन्हा और संजीव सक्सेना ने यहां संवाददाता सम्मेलन में बताया कि दोनों राज्यों में मतदान का यह प्रतिशत शाम पांच बजे तक का है और इसके बाद कई मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की कतारें लगी हुईं थी । गोवा में वर्ष 2012 में 81.18 प्रतिशत और वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में 77.03 प्रतिशत वोट डाले गए थे । पंजाब में पिछले विधानसभा चुनाव में 78. 06 प्रतिशत और लोकसभा चुनाव में 70.89 प्रतिशत मतदान हुआ था । श्री सिन्हा ने बताया कि राज्य में मतदान पूरी तरह से शांतिपूर्ण रहा। हालांकि तरनतारन जिले के एक गांव में दो राजनीतिक दलों के समर्थक आपस में भिड़ गए । उनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर ली गयी है । उन्होंने बताया कि राज्य विधानसभा की 117 सीटों के लिए कुल 1145 उम्मीदवार चुनाव मैदान है जिनमें 1063 पुरूष और 81 महिला हैं । एक उम्मीदवार किन्नर हैं। राज्य में कुल दो करोड़ 29 हजार 616 मतदाता हैं और इनमें से नौ कराेड़ तीन लाख 75 हजार 546 महिलाएं हैं । उन्होंने बताया कि राज्य में चुनाव के दौरान कुल 32.02 करोड रुपए की नकदी जब्त की गयी है । इसके अलावा 10.9 लाख रुपए के शराब और 30.69 करोड रुपए के नशीले पदार्थ बरामद किए गए हैं ।

मोदी के ‘स्कैम’ शब्द पर कांग्रेस भी भड़की

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नयी दिल्ली 04 फरवरी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उत्तर प्रदेश को स्कैम मुक्त बनाने और विरोधी दलों को ‘स्कैम’ का ‘फुल फार्म’ बताने पर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के बाद कांग्रेस ने भी उन पर कड़ा हमला करते हुए कहा है कि जुमलों के सहारे लोगों को बहकाने का समय अब निकल चुका है। कांग्रेस प्रवक्ता टॉम वडक्कन ने आज यहां संवादाताओं से कहा कि श्री मोदी एब्रीबीएशन बनाने के शौकीन हैं। मैं उन्हें स्कैम का मतलब हिंदी में बताता हूं। स्कैम में स सत्ता भोगी, क- कपटी ढोंगी और म-अमित शाह मोदी। वह प्रधानमंत्री हैं देश के, क्या ये उनका काम है एब्रिवियेशन बनाना?” गौरतलब है कि श्री मोदी ने मेरठ में आज विजय संकल्प रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि उत्तर प्रदेश के विकास के लिए उसे ‘स्कैम मुक्त ’ करना जरूरी है। उन्होंने ‘स्कैम’ का मतलब भी समझाते हुए कहा , ‘‘स्कैम यानी एस सी ए एम जिसमें एस का मतलब समाजवादी, सी का मतलब कांग्रेस, ए का मतलब अखिलेश और एम का मतलब मायावती है।” इससे पहले राज्य के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने श्री मोदी की उनके तथा राज्य के अन्य नेताओं के बारे में की गयी ‘स्कैम’ टिप्पणी पर पलटवार किया और कहा कि स्कैम में ए और एम का मतलब अमित शाह और नरेन्द्र मोदी है। 

मोदी के ‘स्कैम’ पर अखिलेश का ‘ए एम’ वार

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नयी दिल्ली 04 फरवरी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उनके तथा राज्य के अन्य नेताओं के बारे में की गयी ‘स्कैम’ टिप्पणी पर पलटवार करते हुए आज कहा कि स्कैम में ए और एम का मतलब अमित शाह और नरेन्द्र मोदी है। श्री मोदी ने मेरठ में विजय संकल्प रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि उत्तर प्रदेश के विकास के लिए उसे ‘स्कैम मुक्त ’ करना जरूरी है। उन्होंने ‘स्कैम’ का मतलब भी समझाते हुए कहा , ‘‘स्कैम यानी एस सी ए एम जिसमें एस का मतलब समाजवादी, सी का मतलब कांग्रेस, ए का मतलब अखिलेश और एम का मतलब मायावती है।” उन्होंने कहा कि जनता को तय करना पड़ेगा कि उसे स्कैम चाहिए या विकास। नाैजवानों को रोजगार के लिए स्कैम को दरकिनार करना ही पड़ेगा। उन्होंने कटाक्ष किया कि पूरे दिन पापा, चाचा, मामा, पिता और भतीजा में फंसा रहने वाला उत्तर प्रदेश का विकास नहीं कर सकता। रिपोर्टों के अनुसार श्री अखिलेश यादव ने इसका करारा जवाब देते हुए औरैया में एक चुनावी सभा में कहा कि स्कैम में ए और एम का मतलब अमित शाह और नरेन्द्र मोदी है। उन्होंने कहा कि देश को अमित शाह और मोदी से बचायें। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री बनने के लिए श्री मोदी ने राजनीतिक रणनीति बनायी क्योंकि वह गुजरात में रहते हुए वह देश के प्रधानमंत्री नहीं बन सकते थे।

गोवा में भाजपा और पंजाब में अकाली दल -भाजपा गठबंधन की बनेगी सरकार : शाहनवाज

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पटना 04 फरवरी, भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन ने दावा करते हुए कहा कि विधानसभा चुनाव के लिये आज हो रहे मतदान में भाजपा को अपार समर्थन मिल रहा है और गोवा में उनकी पार्टी की तथा पंजाब में अकाली दल -भाजपा गठबंधन का बहुमत के साथ सरकार बनना तय है । श्री हुसैन ने यहां पार्टी के प्रदेश कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि गोवा में हो रहे मतदान के दौरान लोगों ने उनकी पार्टी के प्रति बढ-चढ कर जो उत्साह दिखाया है उसे यह स्पष्ट हो गया है कि भाजपा की ही सरकार बनेगी । गोवा के लोगों ने विपक्षी दलों की उम्मीदों पर पानी फेरने का काम किया है । उन्होंने कहा कि गोवा में दो तिहायी बहुमत से भाजपा की सरकार बनेगी । भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि इसी तरह पंजाब में विधानसभा के लिये हो रहे मतदान में लोगों ने जबर्दस्त उत्साह दिखाया है और मतदान केन्द्रों के निकट बने पार्टी के सहायता केन्द्रों पर मतदाता पर्ची लेने के लिये लोगों की लम्बी लाईन देखी गयी । पंजाब में अकाली दल और भाजपा गठबंधन की सरकार फिर से बननी तय है । उन्होंने कहा कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी(आप ) के नेताओं ने लोगों में भ्रम फैलाने का काम किया था लेकिन पंजाब के लोगों ने भारी मतदान कर इसका जवाब दे दिया है । 

संप्रग सरकार की तुलना में बिहार को रेल प्रक्षेत्र में दोगुने से ज्यादा रुपये दिये : सुशील

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पटना 04 फरवरी, बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधानमंडल दल के नेता सुशील कुमार मोदी ने आज कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली केन्द्र की पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंध (संप्रग) सरकार के आखिरी पांच साल में रेल प्रक्षेत्र में बिहार को प्रतिवर्ष औसतन 1,132 करोड़ रुपये मिले जबकि श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने पिछले तीन वर्षों में संप्रग सरकार की तुलना में दोगुना से भी ज्यादा औसतन 2,227 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष बिहार को दिया है। श्री मोदी ने यहां कहा कि इस साल अभी तक की सबसे बड़ी राशि 3,696 करोड़ बिहार को दी गई है । राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव समेत संप्रग सरकार के अन्य रेलमंत्रियों ने राशि की व्यवस्था किए बिना बिहार के लिए करीब 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक की रेल परियोजनाएं घोषित कर दी थी, जिसे वर्तमान सरकार एक-एक कर पूरा कर रही है। भाजपा नेता ने कहा कि पटना और मुंगेर में गंगा नदी पर रेल पुल का निर्माण तो मोदी सरकार ने पूरा कर चालू भी करा दिया लेकिन राज्य सरकार के सम्पर्क पथ नहीं बनाने के कारण सड़क पुल अब तक चालू नहीं हो पाया है। उन्होंने कहा कि अपने कार्यकाल में रेलवे को जर्सी गाय समझ कर दूहते रहने वाले श्री यादव और संप्रग सरकार द्वारा वर्ष 2007-08 में घोषित कर छोड़ दिए गए मधेपुरा और मढ़ौरा में डीजल तथा बिजली रेल इंजन कारखानों का निर्माण अमेरिकी कम्पनी जीई और फ्रांस की अलस्टॉम के जरिए करीब 40 हजार करोड़ रुपये का निवेश करा कर वर्तमान मोदी सरकार करा रही है। श्री मोदी ने कहा कि सामान्य बजट में विलय के बाद एक लाख 31 हजार करोड़ रुपये का अब तक का सबसे बड़ा रेल बजट केवल विकास और निर्माण पर केन्द्रित है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा एक लाख करोड़ रुपये के रेल सुरक्षा कोष के गठन से यात्री सुरक्षा के मुकम्मल उपाय किए जायेंगे जिससे रेल यात्रा सुरक्षित और निरापद होगी। भाजपा नेता ने कहा कि बिहार में रेल प्रक्षेत्र के विकास और सशक्तीकरण के लिए संप्रग सरकार की तुलना में विगत तीन वर्षों में औसतन दोगुना से ज्यादा और इस साल सर्वाधिक 3,696 करोड़ रुपये यानी पिछले साल से भी 552 करोड़ रुपये अधिक देने के लिए प्रधानमंत्री वाकई बधाई के पात्र हैं। 

शराबबंदी से समाज को मिली नई दिशा : नीतीश

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हाजीपुर 04 फरवरी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज कहा कि उनकी सरकार ने शराबबंदी लागू कर राज्य और समाज को एक नई दिशा देने का काम किया है, जिसका परिणाम और लाभ आने वाले वर्षों में मिलने लगेगा । श्री कुमार ने वैशाली जिले के विदुपुर में अपने निश्चय यात्रा के दौरान चेतनासभा को संबोधित करते हुये कहा कि शराबबंदी के कारण सरकार को जहां पांच हजार करोड़ सालाना राजस्व की क्षति उठानी पड़ी वहीं शराबबंदी की वजह से ही दस हजार करोड़ रुपये की बचत भ हुई है। इससे लोगों के जीवन में शांति और खुशहाली आ रही है। इतना ही नहीं समाज में बदलाव भी आ रहा है। मुख्यमंत्री ने स्टुडेंट क्रेडिट कार्ड, साइकिल और पोशाक योजना, हर घर को नल से जलापूर्ति, बिजली, नाली का निर्माण, हर गांव और बस्ती का विद्युतीकरण आदि का उल्लेख करते हुए कहा कि सात निश्चय के तहत शुरू किये गये इन कार्यक्रमों के जरिये राज्य को विकास के नये रास्ते पर ले जाने का काम शुरू कर दिया गया है।


मुख्यमंत्री ने प्रत्येक जिले में इंजीनियरिंग और पॉलेटेक्निक कॉलेज, अनुमंडल में पारा मेडिकल संस्थान, महिलाओं के लिये आईटीआई और एएनएम कॉलेज खोलने की घोषणा की। इसके बाद मुख्यमंत्री ने यहां समाहरणालय सभा कक्ष में अधिकारियों के साथ एक बैठक कर जिले की विकास योजनाओं की प्रगति, सात निश्चय कार्यक्रमों की उपलब्धि और शराबबंदी आदि की समीक्षा की। इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने विदुपुर प्रखंड के विदुपुर पंचायत के वार्ड नम्बर दो के एक हजार की आबादी वाले 153 पिरवारों को नवनिर्मित समेकित विकास योजनाओं एवं कार्यों का निरीक्षण और उद्घाटन किया। इस दौरान हर घर को नल से जलापूर्ति, नालियों का निर्माण, स्वच्छता पार्क, जलापूर्ति केन्द्र, युवा कौशल केन्द्र, कस्तूरबा विद्यालय, केले के रेशे से तैयार किये जा रहे घरेलू सामान आदि का निरीक्षण और उद्घाटन भी किया। उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने चेतना सभा को संबोधित करते हुए कहा कि विदुपुर-कच्चीदरगाह के बीच बनने वाले छह लेन पुल का कार्य शुरू हो गया है और चार साल के अंदर इसके बनकर तैयार करने का समय सीमा निर्धारित किया गया है। उन्होंने कहा कि वैशाली, राघोपुर, राजापाकर, महुआ में एक सौ किलोमीटर सड़क मार्ग का जीर्णोद्धार किया जायेगा। 

स्वस्थ समाज की परिकल्पना में बालिकाओं का स्वस्थ होना जरूरीः प्रो. बीके कुठियाला

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  • स्वस्थ भारत के यात्रियों ने दिया स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज का संदेश
  • कबीर वाणी के माध्यम से दिया गया स्वास्थ्य एवं स्वच्छता का संदेश


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भोपाल, बालिकाओं की प्रबंधकीय क्षमता बेहतर होती है। एक समय था जब पत्रकारिता में बालिकाओं की संख्या कम थी लेकिन आज बढ़ी है। बदलाव हो रहा है लेकिन शायद समाज उतना नहीं बदला है जितना उसे बदलने की जरूरत है। नहीं तो स्वस्थ भारत यात्रा की जरूरत नहीं पड़ती। यह कहना था प्रो. बीके कुठियाला का। वे आज शहर में स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज एक परिसंवाद में अपनी बात रख रहे थे. उन्होंने कहा कि भारत छोड़ो आंदोलन के 75 वर्ष को याद करते हुए निकली स्वस्थ भारत की टीम एक बहुत ही ज्वलंत मुद्दे को समाज के सामने रखने का प्रयास कर रही हैं। उन्होंने आगे कहा कि अगर बेटियों को पहले जैसा सम्मान मिल जाए तो शायद आशुतोष कुमार सिंह और उनकी टीम को सड़क पर भटक कर इस तरह के संदेश देने की जरूरत न पड़े।

भोपाल की चार बालिकाएं बनी स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज की गुडविल एम्बेसडर 
मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में आयोजित स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज परिसंवाद के अवसर पर स्वस्थ भारत (न्यास) ने शहर के चार बालिकाओं को इस अभियान का गुडविल एमबेसडर मनोनित किया। आस्था दीक्षित, वत्सला चौबे, सर्वज्ञा त्रिपाठी एवं कीर्ति गुर्जर को गुडविल एंबेसडर मनोनित किया गया। प्रो. बीके कुठियाला एवं स्वस्थ भारत न्यास के चेयरमैन आशतोष कुमार सिंह के हाथों बालिकाओं को यह मनोनयन प्रपत्र प्रदान किया गया। बालिकाओं के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए संस्था के चेयरमैन आशुतोष कुमार सिंह ने कहा कि अगर भारत की बालिकाएं अपनी शक्ति को समझ लें तो निश्चित रूप से वह दिन दूर नहीं जब स्वस्थ समाज की परिकल्पना को पूर्ण किया जा सके। इस अवसर पर मालिनी अवस्थी का वीडियो संदेश भी दिखाया गया। अंतं में सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ जिसमें दयाराम सारोलिया एवं साथियों द्वारा कबीर गायन प्रस्तुत किया गया।

गौरतलब है कि स्वस्थ भारत यात्रा भारत छोड़ो आंदोलन के 75 वें वर्षगांठ पर आरंभ किया गया है। नंई दिल्ली में मुख्तार अब्बास नकवी ने इसे हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। इस यात्रा को गांधी स्मृति एंव दर्शन समिति, संवाद मीडिया, राजकमल प्रकाशन समूह, नेस्टिवा अस्पताल, मेडिकेयर अस्पताल, स्पंदन, जलधारा, हेल्प एंड होप सहित अन्य कई गैरसरकारी संस्थाओं का समर्थन है। 5 फरवरी को यह यात्रा मध्यप्रदेश के इंदौर एवं 6 फरवरी को झाबुआ में रहेगी। 16000 किमी की जनसंदेशात्मक यह यात्रा अप्रैल में समाप्त होगी।इस अवसर पर स्पंदन के अनिल सौमित्र, सुनिल मिश्र, विनोद गुर्जर, विनोद रोहिल्ला सहित सैकड़ो लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन गांधीवादी पत्रकार कुमार कृष्णन ने किया।

संजय झा नागदह को मिला "ललित सम्मान"

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मिथिलालोक फाउंडेशन के द्वारा ललित दिवस के अवसर पर डॉ बीरबल झा, डॉ शेफालिका वर्मा,डॉ गंगेश गुंजन,श्री विजय चन्द्र झा, श्री अशोक झा,श्री नीलकंठ जी के द्वारा सामूहिक रूप से संजय झा "नागदह"को सामाजिक कार्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए स्व0 ललित नारायण मिश्र जी जन्म दिवस 2 फरवरी को "ललित सम्मान"प्रदान किया गया। संजय जी ने सम्मान लेते समय सभी को आभार व्यक्त किया और कहा की अगर सभी मैथिल ललित जी का अंश मात्र भी मिथिला के लिए योगदान दे तो मिथिला एक विकशित क्षेत्र के रूप में विश्व में गिना जा सकता है।

महाराजा अग्रसेन : समाजवादी व्यवस्था के महासूर्य

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कुशल शासकों की कीर्ति किसी एक युग तक सीमित नहीं रहती। उनका लोकहितकारी चिन्तन कालजयी होता है और युग-युगों तक समाज का मार्गदर्शन करता है। ऐसे शासकों से न केवल जनता बल्कि सभ्यता और संस्कृति भी समृद्ध और शक्तिशाली बनती है। ऐसे शासकों की दृष्टि में सर्वोपरि हित सत्ता का न होकर समाज एवं मानवता होता है। ऐसे ही महान् शासक  थे महाराजा अग्रसेन। वे कर्मयोगी लोकनायक तो थे ही, संतुलित एवं आदर्श समाजवादी व्यवस्था के निर्माता भी थे। वे समाजवाद के प्रणेता, गणतंत्र के संस्थापक, अहिंसा के पुजारी व शांति के दूत थे। सचमुच उनका युग रामराज्य की एक साकार संरचना था जिसमें उन्होंने अपने आदर्श जीवन कर्म से, सकल मानव समाज को महानता का जीवन-पथ दर्शाया। उस युग में न लोग बुरे थे, न विचार बुरे थे और न कर्म बुरे थे। राजा और प्रजा के बीच विश्वास जुड़ा था। वे एक प्रकाश स्तंभ थे, अपने समय के सूर्य थे जिनकी जन्म जयन्ती इस वर्ष 1 अक्टूबर 2016 को  मनाई जा रही है। 


महाराजा अग्रसेन अग्रवाल जाति के पितामह थे। धार्मिक मान्यतानुसार इनका जन्म अश्विन शुक्ल प्रतिपदा को मर्यादा पुरुषोतम भगवान श्रीराम की चैंतीसवी पीढ़ी में सूर्यवशीं क्षत्रिय कुल के प्रतापनगर के महाराजा वल्लभ सेन के घर में द्वापर के अन्तिमकाल और कलियुग के प्रारम्भ में आज से लगभग 5187 वर्ष पूर्व हुआ था। वर्तमान में राजस्थान व हरियाणा राज्य के बीच सरस्वती नदी के किनारे प्रतापनगर स्थित था। राजा वल्लभ के अग्रसेन और शूरसेन नामक दो पुत्र हुये। अग्रसेन महाराज वल्लभ के ज्येष्ठ पुत्र थे। महाराजा अग्रसेन के जन्म के समय गर्ग ऋषि ने महाराज वल्लभ से कहा था, कि यह बहुत बड़ा राजा बनेगा। इस के राज्य में एक नई शासन व्यवस्था उदय होगी और हजारों वर्ष बाद भी इनका नाम अमर होगा।

महाराजा अग्रसेन को समाजवाद का अग्रदूत कहा जाता है। अपने क्षेत्र में सच्चे समाजवाद की स्थापना हेतु उन्होंने नियम बनाया कि उनके नगर में बाहर से आकर बसने वाले व्यक्ति की सहायता के लिए नगर का प्रत्येक निवासी उसे एक रुपया व एक ईंट देगा, जिससे आसानी से उसके लिए निवास स्थान व व्यापार का प्रबंध हो जाए। महाराजा अग्रसेन ने एक नयी व्यवस्था को जन्म दिया, उन्होंने पुनः वैदिक सनातन आर्य संस्कृति की मूल मान्यताओं को लागू कर राज्य की पुनर्गठन में कृषि-व्यापार, उद्योग, गौपालन के विकास के साथ-साथ नैतिक मूल्यों की पुनः प्रतिष्ठा का बीड़ा उठाया।

महाराज अग्रसेन ने 108 वर्षों तक राज किया। महाराज अग्रसेन ने एक ओर हिन्दू धर्म ग्रंथों में वैश्य वर्ण के लिए निर्देशित कर्म क्षेत्र को स्वीकार किया और दूसरी ओर देशकाल के परिप्रेक्ष्य में नए आदर्श स्थापित किए। उनके जीवन के मूल रूप से तीन आदर्श हैं- लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था, आर्थिक समरूपता एवं सामाजिक समानता। एक निश्चित आयु प्राप्त करने के बाद कुलदेवी महालक्ष्मी से परामर्श पर वे आग्रेय गणराज्य का शासन अपने ज्येष्ठ पुत्र के हाथों में सौंपकर तपस्या करने चले गए। व्यक्ति, समाज, राष्ट्र तथा जगत की उन्नति मूल रूप से जिन चार स्तंभों पर निर्भर होती हैं, वे हैं- आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक व सामाजिक। अग्रसेनजी का जीवन-दर्शन चारों स्तंभों को दृढ़ करके उन्नत विश्व के नवनिर्माण का आधार बना है। लेकिन इसे समय की विडम्बना ही कहा जायेगा कि अगणित विशेषताओं से संपन्न, परम पवित्र, परिपूर्ण, परिशुद्ध, मानव की लोक कल्याणकारी आभा से युक्त महामानव महाराज अग्रसेन की महिमा से अनभिज्ञ अतीत से वर्तमान तक के कालखण्ड ने उन्हें एक समाज विशेष का कुलपुरुष घोषित कर उनके स्वर्णित इतिहास कोे हाशिए पर डाल दिया है। वर्तमान में भी उनके वंशजों की बड़ी तादाद होने और राष्ट्र के निर्माण में उनका सर्वाधिक योगदान होने के बावजूद न तो उस महान् शासक को और न ही उनके वंशजों को सम्मानपूर्ण प्रतिष्ठा प्राप्त हो पा रही है। 
अग्रसेनजी सूर्यवंश में जन्मे। महाभारत के युद्ध के समय वे पन्द्रह वर्ष के थे। युद्ध हेतु सभी मित्र राजाओं को दूतों द्वारा निमंत्रण भेजे गए थे। पांडव दूत ने वृहत्सेन की महाराज पांडु से मित्रता को स्मृत कराते हुए राजा वल्लभसेन से अपनी सेना सहित युद्ध में सम्मिलित होने का निमंत्रण दिया था। महाभारत के इस युद्ध में महाराज वल्लभसेन अपने पुत्र अग्रसेन तथा सेना के साथ पांडवों के पक्ष में लड़ते हुए युद्ध के 10वें दिन भीष्म पितामह के बाणों से बिंधकर वीरगति को प्राप्त हो गए थे। इसके पश्चात अग्रसेनजी ने ही शासन की बागडोर संभाली। उन्होंने बचपन से ही वेद, शास्त्र, अस्त्र-शस्त्र, राजनीति और अर्थ नीति आदि का ज्ञान प्राप्त कर लिया था। उनका विवाह नागों के राजा कुमुद की पुत्री माधवी से हुआ। 

महाराजा अग्रसेन ने ही अग्रोहा राज्य की स्थापना की थी। उन्होंने कुशलतापूर्वक राज्य का संचालन करते हुए विस्तार किया तथा प्रजा हित में काम किए। वे धार्मिक प्रवृत्ति के पुरुष थे। धर्म में उनकी गहरी रुचि थी और वह साधना में विश्वास करते थे इसलिए उन्होंने अपने जीवन में कई बार कुलदेवी लक्ष्मीजी से यह वरदान प्राप्त किया कि जब तक उनके कुल में लक्ष्मीजी की उपासना होती रहेगी, तब तक अग्रकुल धन व वैभव से सम्पन्न रहेगा।  उनके 18 पुत्र हुए, जिनसे 18 गोत्र चले। गोत्रों के नाम गुरुओं के गोत्रों पर रखे गए। 

महाराज अग्रसेन ने समाजवादी शासन व्यवस्था की स्थापना की, जिसमें किसी भी व्यक्ति की कोई आर्थिक हानि होती तो वह राजा से ऋण ले सकता था। सम्पन्न होने पर वापस दे देता था। महाराजा अग्रसेन ने 18 यज्ञ किए क्योंकि ब्राह्मण लोग अति संतोषी, यजमान के सिवाय दूसरे का दान न लेने वाले होते थे। यज्ञों द्वारा उनकी धन आदि की इच्छा पूरी हो जाती थी। हर व्यक्ति भगवान के नाम पर अपने राज्य और धार्मिक कार्यों के लिए अपनी आमदनी का दसवां भाग निकालता था। राज्य का हर व्यक्ति अपनी आजीविका अन्य साधनों या किसी व्यापार द्वारा करते थे परन्तु राष्ट्र पर विपत्ति आने के समय सब वर्ग के लोग हथियारों से युद्ध को तैयार हो जाते थे। समाज व्यववस्था उनके लिए कर्तव्य थी, इसलिए कर्तव्य से कभी पलायन नहीं किया तो धर्म उनकी आत्मनिष्ठा बना, इसलिए उसे कभी नकारा नहीं। महाराजा अग्रसेनजी की इसी विचारधारा का ही प्रभाव है कि आज भी अग्रवाल समाज शाकाहारी, अहिंसक एवं धर्मपरायण के रूप में प्रतिष्ठित है। उस समय यज्ञ करना समृद्धि, वैभव और खुशहाली की निशानी माना जाता था। महाराज अग्रसेन ने बहुत सारे यज्ञ किए। एक बार यज्ञ में बली के लिए लाए गये घोडे को बहुत बेचैन और डरा हुआ पा उन्हें विचार आया कि ऐसी समृद्धि का क्या फायदा जो मूक पशुओं के खून से सराबोर हो। उसी समय उन्होंने पशु बली पर रोक लगा दी। इसीलिए आज भी अग्रवंश समाज हिंसा से दूर ही रहता है। उनकी दण्डनीति और न्यायनीति आज प्रेरणा है उस संवेदनशून्य व्यक्ति और समाज के लिए जो अपराधीकरण एवं हिंसक प्रवृत्तियों की चरम सीमा पर खड़ा है। व्यक्तित्व बदलाव का प्रशिक्षण अग्रसेनजी की बुनियादी शिक्षा थी। आज की शासन-व्यवस्थाएं अग्रसेनजी की शिक्षाओं को अपनाकर उन्नत समाज का निर्माण कर सकती है।

अग्रसेनजी ने राजनीति का सुरक्षा कवच धर्मनीति को माना। राजनेता के पास शस्त्र है, शक्ति है, सत्ता है, सेना है फिर भी नैतिक बल के अभाव में जीवन मूल्यों के योगक्षेम में वे असफल होते हैं। इसीलिये उन्होंने धर्म को जीवन की सर्वोपरि प्राथमिकता के रूप में प्रतिष्ठापित किया। इसी से नये युग का निर्माण, नये युग का विकास वे कर सके। उनके युग का हर दिन पुरातन के परिष्कार और नए के सृजन में लगा था। सभ्यता, संस्कृति और संस्कारों के नए संदर्भ जुड़े। परम्परा प्रतिष्ठित हुई। रीति-रिवाजों का स्वरूप सामने आया। सबको काम, अर्थ, धर्म, मोक्ष की पुरुषार्थ चतुष्टयी की सार्थकता दिखलाई।

महाराज अग्रसेन के राज की वैभवता से उनके पडोसी राजा बहुत जलते थे। इसलिये वे बार-बार अग्रोहा पर आक्रमण करते रहते थे। बार-बार हार के बावजूद वे अग्रोहा पर आक्रमण करते रहे, जिससे राज्य की जनता में तनाव बना ही रहता था। इन युद्धों के कारण अग्रसेनजी के प्रजा की भलाई के कामों में विघ्न पड़ता रहता था। लोग भी भयभीत और रोज-रोज की लडाई से त्रस्त हो गये थे। एक बार अग्रोहा में बड़ी भीषण आग लगी। उस पर किसी भी तरह काबू ना पाया जा सका। उस अग्निकांड से हजारों लोग बेघरबार हो गये और जीविका की तलाश में भारत के विभिन्न प्रदेशों में जा बसे। पर उन्होंने अपनी पहचान नहीं छोडी। वे सब आज भी अग्रवाल ही कहलवाना पसंद करते हैं और उसी 18 गोत्रों से अपनी पहचान बनाए हुए हैं। आज भी वे सब महाराज अग्रसेन द्वारा निर्देशित मार्ग का अनुसरण कर समाज की सेवा में लगे हुए हैं। एक सर्वे के अनुसार, देश की कुल इनकम टैक्स का २४ प्रतिशत से अधिक हिस्सा अग्रसेन के वंशजांे का हैं। कुल सामाजिक एवं धार्मिक दान में ६२ प्रतिशत हिस्सा अग्रवंशियों का है। देश की कुल जनसंख्या का मात्र एक प्रतिशत अग्रवंशज है, लेकिन देश के कुल विकास में उनका 25 प्रतिशत सहयोग रहता है। बावजूद इसके देश की सरकारों ने उस महामानव एवं महान् शासक की स्मृति में कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं किये हैं, यह देश की सबसे समृद्ध, बौद्धिक एवं क्रियाशील कौम के प्रति पक्षपात ही कहा जायेगा। कभी किसी अवसर पर डाक टिकट का जारी हो जाना या किसी विशेष तेल वाहक पोत (जहाज) का नाम महाराजा अग्रसेन रखा जाना बहुत नगण्य कार्य हैं। उस महामानव को राष्ट्र की सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी जब देश की बड़ी जन-कल्याणकारी योजनाएं उस महान शासक के नाम पर हो, किसी एक महत्वपूर्ण ट्रेन का नाम अग्रसेन एक्सप्रेस रखा जाये। राजधानी दिल्ली सहित विभिन्न राज्यों की राजधानियों में मुख्य मार्गों के नाम भी अग्रसेन मार्ग रखे जाये। 
अग्रसेन जयन्ती के अवसर पर अग्र-वंशजों को भी संकल्पित होना है। राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अग्रवालों ने अपनी पहचान बनायी है उस तस्वीर में अब कल्पना के रंग भरने की जरूरत ही कहां है? उसे तो यर्थाथता की जमीं दे। अतीत, वर्तमान और भविष्य के कालखण्ड से जुड़ी संस्कृति की समीक्षा करें और यह देखें कि निर्माण के नए दीए हमने कब और कहां, कितने और कैसे जलाने हैं ताकि अग्रवंश की दीये से दीया जलाकर रोशनी की परम्परा को सुरक्षित रखा जा सके। अग्रवंशजों को अपने अस्तित्व एवं अस्मिता को स्वतंत्र पहचान देनी है, देखने में आ रहा है कि वे विखंडित होकर दूसरी-दूसरी परम्पराओं को समृद्ध बना रहे हैं। स्वयं संगठित होकर ही महाराज अग्रसेन के सपनों को साकार कर सकेंगे और तभी अपनी शक्ति एवं समृद्धि से राष्ट्र के विकास में योगदान दे सकेंगे और यही उस महान् समाज-निर्माता शासक के प्रति हमारी विनम्र श्रद्धांजलि होगी। 



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(ललित गर्ग)
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25 आई॰ पी॰ एक्सटेंशन, पटपड़गंज, दिल्ली-92
फोनः 22727486, 9811051133

संवत्सरी आत्मोत्थान का महान पर्व है

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जैन धर्म में संवत्सरी महापर्व का अत्यधिक विशिष्ट महत्व है। वर्ष भर में अपने द्वारा जान अनजाने हुई समस्त भूलों के लिए प्रायश्चित करना तथा दूसरों के प्रति हुए अशिष्ट व्यवहार के लिए अंतःकरण से अत्यन्त सरल, ऋजु व पवित्र बनकर क्षमा माँगना व दूसरों को प्रदान करना इस महान पर्व का हार्द है। भगवान महावीर ने कहा ‘क्षमा वीरों का आभूषण है’- महान व्यक्ति ही क्षमा ले व दे सकते हैं। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर भी कहते है- ‘क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो, उसको क्या जो दंतहीन,विषहीन विनीत सरल हो’ सामर्थ्य होने के बावजूद किसी को नुकसान नहीं पहुँचाना व भूलों के लिए क्षमा करना ही महानता है। संवत्सरी शुद्ध रूप से आध्यात्मिक पर्व है। यह आत्म-चिंतन आत्म-निरीक्षण, आत्म-मंथन व आत्म शोधन का पर्व है। यह भाद्रपद महीने में मनाया जाता है। संवत्सरी महा पर्व मनाने के लिए आगम साहित्य में इसके लिए उल्लेख मिलता है कि संवत्सरी चातुर्मास के 49 या 50 दिन व्यतीत होने पर व 69 या 70 दिन अवशिष्ट रहने पर मनाई जानी चाहिए।



जैन धर्म की त्याग प्रधान संस्कृति में संवत्सरी पर्व का अपना अपूर्व एवं विशिष्ट आध्यात्मिक महत्व है। यह एकमात्र आत्मशुद्धि का  पर्व है, इसीलिए यह पर्व ही नहीं, महापर्व है। जैन लोगों का सर्वमान्य विशिष्टतम पर्व है। संवत्सरी पर्व- त्याग तपस्या, ध्यान, मौन, जप, स्वाध्याय आदि अनेक प्रकार के अनुष्ठानों के द्वारा मनाया जाता है। संवत्सरी अंतरात्मा की आराधना का पर्व है, आत्मशोधन का पर्व है, सोना तपकर निर्खाद बनता है इंसान तपकर भगवान बनता है। यह पर्व अज्ञानरूपी अंधकार से ज्ञानरूपी प्रकाश की ओर ले जाता है। तप जप ध्यान स्वाध्याय के द्वारा क्रोध, मान, माया, लोभ,राग, द्वेष आदि आंतरिक शत्रुओं का नाश होगा तभी आत्मा अपने स्वरूप में अवस्थित होगी अतः यह आत्मा का आत्मा में निवास करने की प्रेरणा देता है। संवत्सरी महापर्व आध्यात्मिक पर्व है, इसका जो केंद्रीय तत्व है, वह है- आत्मा। आत्मा के निरामय, ज्योतिर्मय स्वरूप को प्रकट करने में यह महापर्व अहं भूमिका निभाता है। अध्यात्म यानी आत्मा की सन्निकटता। यह संवत्सरी पर्व मानव-मानव को जोड़ने व मानव हृदय को संशोधित करने का महान पर्व है।जिसे  त्याग-प्रत्याख्यान, उपवास, पौषध सामायिक, स्वाध्याय और संयम से मनाया जाता है। वर्षभर में कभी समय नहीं निकाल पाने वाले लोग भी इस दिन जागृत हो जाते हैं। कभी उपवास नहीं करने वाले भी इस दिन धर्मानुष्ठान करते नजर आते हैं।

संवत्सरी महापर्व कषाय शमन का पर्व है। यह पर्व 8 दिनों तक मनाया जाता है जिसमें किसी के भीतर में ताप, उत्ताप पैदा हो गया हो, किसी के प्रति राग-द्वेष की भावना पैदा हो गई हो तो यह उसको शांत करने का पर्व है। संवत्सरी पर्व आदान-प्रदान का पर्व है। इस दिन सभी अपनी मन की उलझी हुई ग्रंथियों को सुलझाते हैं, अपने भीतर की राग-द्वेष की गांठों को खोलते हैं, वे एक- दूसरे से गले मिलते हैं। पूर्व में हुई भूलों को क्षमा द्वारा समाप्त करते हैं व जीवन को पवित्र बनाते हैं। संवत्सरी महापर्व का समापन क्षमावाणी (मैत्री दिवस) के रूप में आयोजित होता है जिसे क्षमापना दिवस भी कहा जाता है। इस तरह से संवत्सरी  महापर्व एवं क्षमापना दिवस- ये एक-दूसरे को निकटता में लाने का पर्व है। ये एक-दूसरे को अपने ही समान समझने का पर्व है। गीता में भी कहा है- ‘आत्मौपम्येन सर्वत्रः, समे पश्यति योर्जुन’। श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा- ‘हे अर्जुन! प्राणीमात्र को अपने तुल्य समझो।’ भगवान महावीर ने कहा- ‘मित्ती में सव्व भूएसु, वेरंमज्झण केणइ’। सभी प्राणियों के साथ मेरी मैत्री है, किसी के साथ वैर नहीं है।

मानवीय एकता, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व, मैत्री, शोषणविहीन सामाजिकता, अंतरराष्ट्रीय नैतिक मूल्यों की स्थापना, अहिंसक जीवन आत्मा की उपासना शैली का समर्थन आदि तत्व संवत्सरी महापर्व के मुख्य आधार हैं। संवत्सरी पर्व प्रतिक्रमण का प्रयोग है। पीछे मुड़कर स्वयं को देखने का ईमानदार प्रयत्न है। आत्मशोधन व आत्मोत्थान का पर्व है। यह पर्व अहंकार और ममकार के विसर्जन करने का पर्व है। यह पर्व अहिंसा की आराधना का पर्व है। आज पूरे विश्व को सबसे ज्यादा जरूरत है अहिंसा की, मैत्री की। यह पर्व अहिंसा और मैत्री का पर्व है। देश और दुनिया में समय-समय पर रह-रहकर सांप्रदायिक हिंसा और आतंकवादी घटनाएँ ऐसा वीभत्स एवं तांडव नृत्य करती रही हैं, जिससे संपूर्ण मानवता प्रकंपित हो जाती है। इनदिनों काश्मीर में वहां की जनता की सक्रिय भागीदारी से बौखलाए आतंकवादी अपनी गतिविधियों में तेजी लाते हुए वहां हिंसा का माहौल निर्मित कर रहे हंै, अहिंसा की एक बड़ी प्रयोग भूमि भारत में आज साम्प्रदायिक-आतंकवाद की यह आग- खून, आगजनी एवं लाशों की ऐसी कहानी गढ़ रही है, जिससे घना अंधकार छा रहा है। चहूँ ओर भय, अस्थिरता एवं अराजकता का माहौल बना हुआ है। भगवान महावीर हो या गौतम बुद्ध, स्वामी विवेकानंद हो या महात्मा गांधी- समय-समय पर ऐसे अनेक महापुरुषों ने अपने क्रांत चिंतन के द्वारा समाज का समुचित पथदर्शन किया। ऐसे समय में संवत्सरी महापर्व की प्रासंगिकता सहज ही बहुगुणित हो गयी है।

आज देश में गहरे हुए घावों को सहलाने के लिए, निस्तेज हुई मानवता को पुनर्जीवित करने एवं इंसानियत की ब्यार को प्रवहमान करने के लिए अहिंसक समाज रचना की अपेक्षा है जो मनुष्य जीवन के बेमानी होते अर्थों में नए जीवन का संचार कर सकें। अहिंसा विश्व भारती इसी उद्देश्य को साकार करने के लिये कृतसंकल्प है। अहिंसा और मैत्री द्वारा ही शांति मिल सकती है। आज जो हिंसा, आतंक, आपसी-द्वेष, नक्सलवाद, भ्रष्टाचार जैसी ज्वलंत समस्याएं न केवल देश के लिए बल्कि दुनिया के लिए चिंता का बड़ा कारण बनी हुई हैं और सभी कोई इन समस्याओं का समाधान चाहते हैं। उन लोगों के लिए संवत्सरी पर्व एक प्रेरणा है। संवत्सरी महापर्व अहिंसा के मूल्यों को पल्लवित एवं पोषित करने का अवसर है। सारे मानवीय-मूल्य अहिंसा की आबोहवा में पल्लवित, विकसित होते हैं एवं जिन्दा रहते हैं। वस्तुतः अहिंसा मनुष्यता की प्राण-वायु (आॅक्सीजन) है। प्रकृति, पर्यावरण, पृथ्वी, पानी और प्राणीमात्र की रक्षा करने वाली अहिंसा ही है। हम अहिंसा का मार्ग नहीं अपनाते हैं तब प्रकृति अपना काम करती है। इसलिए संवत्सरी एक ऐसा अवसर है जो हमें महाविनाश से महानिर्माण की ओर अग्रसर करके जीवन निर्माण की प्रेरणा देता है। 



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- आचार्य डाॅ. लोकेशमुनि-
आचार्य लोकेश आश्रम, 
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विशेष : भूटान: सादगी का वैभव

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प्रकृति की गोद में बसा भूटान एक ऐसा देश है जो खुशहाली पर जोर देता है. जहाँ पूरी दुनिया का जोर जीडीपी यानी “सकल घरेलू उत्पाद” पर होता है वहीँ भूटान अपने नागिरकों का जीवन स्तर जीएनएच यानी “सकल राष्ट्रीय ख़ुशी” से नापता है. यह एक बड़ा फर्क है जो भूटान को पूरी दुनिया से अलग करता है. भूटान की हवाओं में ऑक्सीजन की मात्रा इतनी अधिक है कि आप पूरे समय फ्रेश महसूस करते हैं, यहाँ की दीवारों और सड़कों पर आपको इश्तेहार नहीं मिलेंगें और शहरों में ना तो भव्य शॉपिंग मॉल है और ना ही ट्रैफिक लाइट की जरूरत पड़ती है. इस मुल्क में सैनिकों से ज्यादा भिक्षु है. कोई भी व्यक्ति हड़बड़ी में नहीं दिखाई पड़ता है. भौतिकवादी दुनिया से बेफिक्र यह मुल्क आत्मसंतोष और अंदरूनी ख़ुशी को ज्यादा तरजीह देता है. भारत और चीन के बीच घिरे इस छोटे से मुल्क की आबादी लगभग पौने 8 लाख है जिसमें ज्यादातर लोग बौद्ध धर्म को मानने वाले हैं, भूटान में लोकतंत्र और संवैधानिक राजशाही है. राजशाही यहाँ 1907 से है लेकिन 2008 में यहाँ के राजा ने खुद से आगे बढ़ कर लोकतंत्र की घोषणा की. शायद यही वजह है कि भूटानी अपने राजा को बहुत सम्मान की दृष्टि देखते हैं. भूटान के ‘पारो’ और ‘थिम्फू’ दो प्रमुख शहर हैं,जिसमें थिम्फू भूटान की राजधानी है, वही पारो तो जैसे सपनों का शहर है,शांत और ठहरा हुआ जो सुकून देता है. पारो घाटी से दिखने वाली सुंदरता आपको मदहोश कर देती है,यह एक ऐसा शहर है जहाँ की सादगी के वैभव में आप खो सकते हैं. पारो में भूटान का इकलौता हवाई अड्डा भी है . पारो में घुसते ही ऐसा महसूस होता है जैसे आप समय में कहीं पीछे चले गये हों, यह जाकर  किसी प्राचीन नगर का अहसास होता है . पूरे शहर के साथ एक नदी भी बहती है बिलकुल साफ, पारदर्शी और शांत. पारो शहर की खासियत यहाँ की हरियाली पहाड़ी घाटियाँ है. यह एक बेफिक्र शहर है जहाँ बहुमंजिला मकान नहीं है और शहर में ही खेती भी होती है. पारो अपने रहस्यमयी टाइगर नेस्ट के लिए भी मशहूर है, 3120 मीटर की ऊंचाईपर बना टाइगर नेस्ट भूटान के सबसे पवित्र बौद्ध मठों में से एक है पारो शहर से मठ की चढाई शुरू करने की जगह करीब 12 किलोमीटर दूर है यह मठ पारो से उत्तर दिशा में 12 किमी की दूर ताकसंग नामक स्थान  पर है, यहाँ से टाइगर नेस्ट तक जाने के लिए पैदल चलना पड़ता है आधे रास्ते तक घोड़े का भी इन्तेजाम हैं . लम्बी  चढ़ाई के बाद टाइगर नेस्ट तक पहुचने पर आपको अनोखी शांति और रोमांचक अहसास होता है मठ पर पहुंच कर अनोखी का एहसास होता है. 



भूटानी अपनी संस्कृति व पर्यावरण को लेकर बहुत संवेदनशील हैं, यह शायद दुनिया का अकेला कार्बन यहाँ की नेगेटिव देश है जहाँ की 70 प्रतिशत जमीन पेड़–पौधों से ढकी है. इनके नीतियों और आदतों दोनों में पर्यावरण संरक्षण पर जोर दिया जाता है. भूटान के संविधान के अनुसार यहाँ के जमीन का 60 प्रतिशत हिस्सा जंगलों और पेड़ पौधों के लिए संरक्षित रखना अनिवार्य है, यहाँ प्राकृतिक सौंदर्य व संपदा के बदले  आर्थिक लाभों को महत्व नहीं दिया जाता है. साल 1999 से यहाँ प्लास्टिक की थैलियां भी प्रतिबंधित हैं. भूटानवासी भी पर्यावरण को लेकर बहुत सचेत होते हैं. पर्यावरण से प्रेम उन्हें बचपन से ही सिखाया जाता है. 

भूटान में बहुत कम संख्या में निजी वाहन है, ज्यादातर लोग पब्लिक ट्रांसर्पोट का उपयोग करते हैं. भूटान में चारो तरफ हरियाली ही हरियाली है इसके बावजूद भी लोग अपने घरों में अलग से बगीचा लगाते हैं और उसमें तरह तरह के रंगबिरंगी फूल उगाते हैं. भूटानी लोग प्रकृति का बहुत सम्मान करते हैं. उनका प्रकृति के प्रति प्रेम महसूस किया जा सकता है. वे इन पहाड़ों से दिल से जुड़े हुए हैं. अपने प्रकृति के प्रति प्रेम और संरक्षण को लेकर गर्व जताते हुए कोई भी आम भूटानी आपको यह बताते हुए मिल जाएगा कि ‘कैसे वे अपने देश के ज्यादातर भू-भाग में पेड़–पौधों के होने के बावजूद इनका दोहन करने के बदले लगातार नये पेड़ लगा रहे हैं और जब उनके राजा के घर बच्चे का जन्म हुआ तो पूरे देश ने 2 करोड़ पेड़ लगाये.’ भूटानी प्रकृति से जितना लेते हैं उससे कई गुना ज्यादा उसे लौटाने की कोशिश करते हैं और यही कारण है कि उनका देश काबर्न उत्सर्जन से पूरी तरह से मुक्त है जो दुनिया के दूसरे मुल्कों के लिए एक मिसाल है. देश में संसाधन कम होने के बावजूद सरकार लोगों की बुनियादी जरूरतों के प्रति संवेदनशील है और शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं पर विशेष ध्यान देती है. यहाँ कानून व्यवस्था भी काफी अच्छी है और अपराध दर व भ्रष्टाचार भी बहुत कम है.कानून का कड़ाई से पालन भी किया जाता है. 

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भूटान के लोग बहुत मिलनसार और अपनत्व से भरे हुए होते हैं. वे मददगार भी होते हैं. लेकिन इनका भारतीयों के प्रति एक अलग ही अपनापन और लगाव देखने को मिलता है. वे भारतीयों को अपने से अलग नही मानते हैं. इसका प्रमुख कारण भूटान का भारत के साथ पुराना सांस्कृतिक रिश्ता है. भूटान में ज्यादातर जरूतर के सामान भी भारत से आते हैं. इसी साल के मई माह में मुझे भूटान जाने का मौका मिला. मैंने भूटान में कई लोगों से हैप्पीनेंस इन्डेक्स के सबंध में बात की जिसको लेकर उनका कहना था कि ‘भूटान के लोगों के खुश रहने का प्रमुख कारण यह है कि वे भौतिक वस्तुओं के बदले वेल्यू को ज्यादा महत्व देते हैं.’ उनका कहना था कि ‘यहाँ हमें बचपन से ही सिखाया जाता है कि आपके पास जो नहीं है उससे परेशान रहने की जगह आपके पास जो हैं उसमें ही संतुष्टि और खुशी तलाश की जाए.’ यहाँ पारिवारिक संबंधों और रिश्तों को ज्यादा महत्त्व दिया जाता है. एक युवा लड़की ने बताया कि “मेरा बचपन का सपना है कि मैं एयरहोस्टेज बनू,इसके लिए मैं लम्बे समय से तैयारी भी कर रही थी और कुछ दिन पहले इसके लिए साक्षात्कार भी देकर आयी हूँ लेकिन एयरहोस्टेज के केवल 3 पद हैं जिसके लिए 500 लड़कियों ने साक्षात्कार दिया है अगर मेरा इसमें चयन नही होता तो मुझे दुख तो होगा परन्तु मेरा मानना है कि हर इंसान जो पैदा हुआ है उसके लिए प्रकृति ने कुछ न कुछ भूमिका सोची हुई है तो मैं मान कर चलूंगी कि इससे भी अच्छी नौकरी या भविष्य मेरे लिए है और ये सोच कर जीवन में आगे बढ़ जाउगीं.”

भूटान के लोग बुद्ध के मध्यम मार्ग के विचार को मानते हैं इसी वजह से वे ना ही बहुत सारी चीजों की चाहत रखते हैं और ऐसा भी नही होता कि उनके पास कुछ भी नही है. यही वह संतुलन से जिसे भूटानियों ने साध रखा है. हैप्पीनेंस इन्डेक्स के मूल में भी यही विचार है जिसे 1972 में वहां के सम्राट जिग्मे सिंग्ये वांगचुक सामने लाये थे. उसके बाद भूटान ने तय किया कि उनके देश में समृद्धि का पैमाना जीडीपी नहीं बल्कि उन चीज़ों को बनाया जाएगा जो नागिरकों को खुशी व इंसान और प्रकृति को सामंजस्य देते हों. यह एक जबर्दस्त विचार था लेकिन यह समय की धारा के विपरीत भी था जिसमें पूरी दुनिया प्रकृति का बेरहमी से दोहन करते हुए पूँजी कमाने को विकास मानती है. लेकिन इस विकास ने प्रकृति की अपूर्णनीय क्षति की है और गैर-बराबरी की खाई को भी बहुत चौड़ा कर दिया है. इस विकास मॉडल की एक सीमा और भी है, यहाँ सिर्फ भौतिक खुशहाली पर ही जोर है. लेकिन यही काफी नहीं है, जरूरी नहीं है कि पैसे से सब कुछ खरीद जा सके. हम अपने आस-पास ही समृद्ध लोगों को दुख, असंतोष, अवसाद और  निराशा में डूबे और आत्महत्या करते हुए देख सकते हैं.

भूटान ने अपने सकल राष्ट्रीय खुशहाली में मापक के तौर पर सामाजिक विकास, सांस्कृतिक संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण और गुडगवर्नेस जैसी बातों को शामिल किया  है. भूटान में 1972 से ग्रास हैप्पीनेस इंडेक्स लागू हुआ है तब से वहाँ जीने की दर बढ़ कर लगभग दुगनी हो गयी है और  शिक्षा व स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं के पहुँच तकरीबन पूरी आबादी तक हुई है. भविष्य के लिए भूटान की योजनायें कम प्रभावी नहीं है  जिसमें 2030 तक नेट ग्रीन हाउस गैस को जीरो पहुँचाने और जीरो अपशिष्ट उत्पन्न करने जैसे लक्ष्य रखे गये हैं. इसके लिए अक्षय उर्जा जैसे– बायो गैस, हवा, और सोलर उर्जा पर जोर दिया जा रहा है और सभी गाड़ियों को इलेक्ट्रिक गाड़ियों से बदला जाना है. नये पेड़ लगाने का कार्यक्रम तो है ही. 

लेकिन  भूटान की सबसे बड़ी सफलता तो कुछ और है. धीरे-धीरे ही सही विकास और ख़ुशी को लेकर दुनिया का नजरिया बदल रहा है.अब दुनिया भूटान के विचारों पर ध्यान दे रही है. तरक्की का पैमानों और असली खुशहाली के महत्व को समझा जा रहा है. 2010 में ब्रिटेन में भी ‘वेल बीईंग एंड हैप्पीनेस इंडेक्स’ की शुरुआत की गयी है. साल 2011 में संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा ने प्रस्ताव पारित कर हैप्पीनेस इंडेक्स के विचार को अपने एजेंडे में शामिल किया है और हर साल “20 मार्च” को पूरी दुनिया में हैप्पीनेस डे मनाने का फैसला लिया गया है. इसी तरह से 2013 में वेनेजुएला में ‘मिनिस्ट्री ऑफ हैप्पीनेस’ बनाया गया है. यूएई ने ‘हैप्पीनेस और टॉलरेंस मिनिस्ट्री’ बनाई है. भारत में मध्य प्रदेश इस तरह का विभाग बनाने वाला देश का पहला राज्य बन गया है जहाँ ‘हैप्पीनेस डिपार्टमेंट यानी आनंद विभाग’ खोलने की घोषणा की गयी है.

आज दुनिया जिस रास्ते पर चल रही है वह तबाही का रास्ता है. पूरे ब्रह्माण्ड में पृथ्वी ही एक ऐसा ज्ञात ग्रह है जहाँ जीवन के फलने-फूलने का वातावरण है. लेकिन इस नीले ग्रह का सबसे अकलमंद प्राणी ही धरती के संतुलन को बिगाड़ता जा रहा है. पृथ्वी से अनेकों जीव-वनस्पति विलुप्त हो गए हैं, अगर यही हालत रहे तो आने वाले सालों में और जीव-वनस्पति और प्रजातियाँ इस धरती से लुप्त हो सकती हैं जिसमें खुद इंसान भी शामिल है. भूटान का माँडल दुनिया के भविष्य का माँडल है. इसे अपनाना आसान नहीं है लेकिन और कोई विकल्प भी तो नहीं बचा है. अगर कभी भूटान जाने का मौका मिले तो वहां प्रकृति से सामंजस्य बना कर खुश रहने का सबक लेना मत भूलियेगा. भूटान भविष्य है. 





जावेद अनीस 
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