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आलेख : सिर्फ आयकर दाताओं को राहत का बजट और अंधाधुंध निजीकरणका किस्सा!

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देश की आबादी 133 करोड़ है।33 करोड़ लोगों के पास आधार कार्ड नहीं है।बजट के आंकड़ों के मुताबिक जनसंख्या 125 बतायी गयी है और इन 125 करोड़ में सिर्फ सवा तीन करोड़ लोग आयकर रिटर्न दाखिल करते हैं।जिनमें से साढ़े पांच लाख लोग पांच लाख से ज्यादा आयकर जमा करते हैं।आयकर छूट की बाजीगरी से सरकार ने अपनी आय बढ़ाने का इंतजाम कर लिया है। एक हाथ से 15,500 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है, तो दूसरी ओर बड़ी आय वालों से कर वसूली में अधिभार जोड़े जाने पर 27,700 करोड़ सरकार के खाते में आने की उम्मीद बनी है। वित्त मंत्रालय ने रुपए की तरलता प्रणाली को सॉफ्टवेयर से जोड़ा है। इससे 25 लाख नए लोगों को आयकर प्रणाली से जोड़ा जाएगा। आयकर के दायरे में स्टार्ट अप कंपनियों की संख्या बढ़ेगी। साथ ही लघु और मझोले उद्योगों और छोटे कारोबारियों के बड़े वर्ग को आयकर के दायरे में लाने की तैयारी है। अगर यह मान लें कि सवा तीन करोड़ लोग आयकर देते हैं,तो यह संख्या 133 करोड़ के मुकाबले कितनी है,पहले इसे समझ लीजिये और मध्यवर्ग के इस छोटे से हिस्से को आयकर में मामूली छूट से देश के गरीब  किसानों, मजदूरों, मेहनतकशों ,वंचितों और बहुजन सर्वहारा जनगण के गरीबी उन्मूलन के लिए कितनी दिशाएं खुलती हैं,उसका अंदाजा लगा लीजिये।


आयकर छूट के आइने से ही पढ़े लिखे समझदार लोग बजट को लेकर बल्ले बल्ले हैं।फिर एक करोड़ लोगों को घर दिलाने का वायदा है।बेघर लोगों को इससे कितनी राहत मिलेगी ,अभी कहना मुश्किल है।लेकिन इस पर जरुर गौर करें कि आवास का धंधा प्रोमोटर बिल्डर माफिया राज है और अंधाधुंध शहरीकरण और औद्योगीकरण, स्मार्ट शहर, इत्यादि के बहाने महानगरों से लेकर छोटे शहरों और कस्बे में किसानों की बेदखली के बाद खेतों पर तमाम आवास परियोजनाएं बनी हैं,जहां गरीबों को कोई छत मिली नहीं है। कोलकाता,मुंबई ,दिल्ली जैसे महानगरों में झुग्गी झोपड़पट्टी और फुटपाथों का भूगोल बदला नहीं है।गृह निर्माण के लिए सरकारी खजाना गरीबों के लिए कितना है और कितना प्रोमोटर बिल्डर माफिया के लिए है,इस पर चर्चा की जरुरत नहीं है। हम चूंकि नैनीताल की तराई में पले बढ़े हैं और जन्म भी वहीं से है तो पंजाब और पश्चिम उत्तर प्रदेश के किसान समाज से हमारा नाभिनाल का संबंध है।हम बचपन से पंजाब और पश्चिम उत्तर प्रदेश के किसानों के कृषि वैज्ञानिक समझते रहे हैं।आज पंजाब में भी गोवा के साथ वोट गिर रहे हैं।गौरतलब है कि इन विधानसभा चुनावों की कमान आरएसएस के स्वयंसेवकों के हाथ में है और उनका ट्रंप कार्ड हिदुत्व का एजंडा है। गौरतलब है कि राममंदिर निर्माण अभियान के साथ डिजिटल कैशलैस मेकिंग इन इंडिया नत्थी सत्यानाश के मकसद से राजनीतिक आर्थिक सुधारों का केसरिया नक्शा यह आम बजट है जिसमें भारतीय रेल को समाहित करके रेलवे के निजीकरण का मास्टर प्लान है। मजहबी सियासत के रामवाण के निशाने पर जो जनगण है,उनके लिए आर्थिक सुधारों का यह बजट समझ में नहीं आ रहा है,सही है।लेकिन जो बजट समझने का दावा कर रहे हैं और बजट की दिशा सही बता रहे हैं,वे भी ठीक से बता नहीं पा रहे हैं कि आखिर वह सही दिशा है क्या। इसी बीच भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण कार्य जल्द शुरू होगा। रायपुर में श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में योगी आदित्यनाथ ने संवाददाताओं से कहा कि यह भगवान राम का ननिहाल है और ज्योतिष मान्यता है कि जब भगवान राम ननिहाल में विराजमान हो जाएंगे तब अयोध्या में भगवान राम के मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा।
लेनदेन में पारदर्शिता का नजारा डिजिटल कैशलैस इंडिया है,जिसके तहत एटीएम में नकदी निकासी की हदबंदी खत्म होते न होते मीडिया वृंद गान चालू है नोटबंदी को जायज बताने का जबकि चूंचूं का मुरब्बा कुल मिलाकर इतना है कि कालेधन पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने 3 लाख रुपए से ज्यादा कैश लेन-देन पर रोक लगा दी है। वित्त मंत्री अरुण जेतली ने साल 2017-18 के बजट में 3 लाख रुपए से ज्यादा के कैश ट्रांजैक्शन को बैन करने की घोषणा की थी।

 इतना ही नहीं, अगर कोई 15 लाख रुपए से अधिक कैश रखना चाहेगा तो उसे इसके लिए आयकर आयुक्त से अनुमति लेनी होगी। कैश से लेन-देन को सीमित करने के लिए सरकार कानून भी बना सकती है। इस मामले में सरकार का कहना है कि जब 3 लाख रुपए से ज्यादा के कैश लेनदेन पर बैन लागू हो जाएगा तो ज्यादा कैश रखने का कोई लॉजिक नहीं रह जाता। सारा काम तो डिजिटल पेमेंट के जरिए ही होगा। बहरहाल राहत यह बतायी जा रही है कि सरकार इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजेक्शन पेमेंट पर सर्विस चार्ज की अधिकतम सीमा तय कर सकती है। सरकार का मानना है कि चेक पेमेंट पर खर्च ज्यादा आता है लेकिन इस पर सर्विस चार्ज नहीं लगता। इसे देखते हुए ई-पेमेंट पर ज्यादा सर्विस चार्ज लगाना वाजिब नहीं है। डिजिटल लेनदेन के जोखिम से निबटने के इंतजाम किये बिना पूरी अर्थव्यवस्था को लाटरी में तब्दील करने की कवायद है।सुप्रीम कोर्ट,संसद और संविधान की कुली अवमानना के तहत हर अनिवार्य सेवा के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य किया जा रहा है और आधार के जरिये ही डिजिटल पेनमेंट की योजना है।जिसके जोखिम का खुलासा यह है कि  भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने व्यापक कार्रवाई करते हुए आधार से जुड़ी सेवाएं प्रदान कर रहीं 12 वेबसाइटों और गूगल प्लेस्टोर पर उपलब्ध 12 मोबाइल एप को बंद कर दिया है। गौरतलब है कि गैरकानूनी रूप से सेवाएं प्रदान कर रहीं इन वेबसाइट्स व एप्स पर लोगों से अधिक शुल्क भी वसूला जा रहा था।  यूआईडीएआई के सीईओ अजय भूषण पांडे ने बताया कि अधिकारियों को ऐसी 26 अन्य फर्जी और गैरकानूनी वेबसाइटों और मोबाइल एप्स को बंद करने का आदेश भी दिया है। उन्होंने कहा कि यूआईडीएआई ऐसी अनधिकृत वेबसाइटों और मोबाइल एप्स को कतई बर्दाश्त नहीं करेगा। हर खाते में पंद्रह लाख जमा कराने की तर्ज पर यूनिवर्सल इनकाम केतहत न्यूनतम सुनिश्चित आय योजना का बड़ा शोर था।वह बजट प्रावधान में ख्वाबी पुलाव साबित हो गया है।सुनहले दिनों के ख्वाब की तरह।

दूसरी तरफ,अर्थ व्यवस्था और तहस नहस उत्पादन प्रणाली,फर्जी विकास और विकास दर के फर्जीवाड़ा का नजारा यह है कि पंजाब जैसे खुशहाल सूबे में बेरोजगार जवान को चुनाव प्रचार के जरिये रोजगार तलाशने की जरुरत आन पड़ी है और चुनाव निबटने के बाद वे रोजगार खो बैठे हैं।अब देहात में चुनाव में ही बेरोजगार युवाजनों को घर बैठे कमाई का मौका मिलता है।यह हमारी आजादी है।यह हमारी तरक्की है। भारत ही नहीं, अमेरिका, कनाडा, आस्ट्रेलिया से लेकर यूरोप के कोने कोने में जहां भी खेती होती है,वहां पंजाब के किसान  खेती करते हुए मिलेंगे। खेती के संकट की वजह से पंजाब में अर्थव्यवस्था सिरे से बेहाल है और वहां पूरी की पूरी नई पीढ़ी नशाग्रस्त है तो दक्षिण भारत से लेकर पश्चिम भारत और पूर्वी भारत में किसान थोकदरों में आत्महत्या कर रहे हैं पहली और दूसरी हरित क्रांति के बावजूद।कृषि विकास दर शून्य के करीब पहुंच गयी है। आंकड़ों के फर्जीवाड़े के मुताबिक गलत आधार वर्ष और गलत पद्धति से मनमर्जी मुताबिक विकास दर बताने वाले लोग फिरभी कृषि विकास दर दो ढाई प्रतिशत कुछ भी बताते रहे हैं। अब कृषि संकट को निबटाये बिना जल जंगल जमीन से बेदखली का तांडव जारी रखते हुए बिल्डर प्रोमोटर मीफिया गिरोहों को खुल्ला छूट देते हुए बजट में कृषि विकास दर एक झटके से 4.1 तक बढ़ाने का दावा किया गया है। इससे बड़ा सफेद झूठ पारदर्शिता के डिजिटल कैशलैस मेकिंग इन इंडिया में क्या क्या हैं,वह पता लगाना अभी बाकी है।  वित्तीय घाटा जस का तस बने रहने और बढ़ते जाने  की आशंका है।सरकारी खर्च में वृद्धि के जरिये निजीकरण और उदारीकरण को जायज ठहराने की कोशिश हो रही है।पटरियों पर बुलेट ट्रेनों की जगह कारपोरेट कंपनियों की ट्रेंनें दौड़ाने की तैयारी है तो भारतीय रेल के अलावा सारे सार्वजनिक प्रतिष्ठानों के विनिवेश का एजंडा है। मसलन, सरकार ने विनिवेश के लिए कामकाज तेजी से शुरू कर दिया है। करीब आधा दर्जन कंपनियों में सरकार की हिस्सेदारी बेची जाएगी, संभव है कि सरकार मार्च से पहले कई कंपनियों के विनिवेश का काम पूरा कर ले। 

सरकारी कंपनियों में हिस्सा बेचने के लिए सलाहकारों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हो गई है। माना जा रहा है कि सरकार कई कंपनियों में पूरी हिस्सेदारी बेचेगी। सरकार बीईएमएल में 26 फीसदी हिस्सा मैनेजमेंट कंट्रोल के साथ बेचेगी। वहीं पवन हंस में पूरा 51 फीसदी हिस्सा मैनेजमेंट कंट्रोल के साथ बेचेगी। ब्रिज एंड रूफ कंपनी लिमिटेड का 99.35 फीसदी हिस्सा बिकेगा। भारत पंप्स एंड कम्प्रेशर्स में पूरी 100 फीसदी हिस्सेदारी बिकेगी। हिंदुस्तान फ्लोरोकार्बन में एचओसीएल का 56.43 फीसदी हिस्सा बिकेगा। साथ ही सरकार की ओर से कंस्ट्रक्शन से जुड़ी 4 कंपनियों का भी विनिवेश किया जाएगा। हिंदुस्तान प्रीफैब, इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स लि., एचएससीसी इंडिया और नेशनल प्रोजेक्ट्स कंस्ट्रक्शन कॉर्प इन चारों कंपनियों में पूरी हिस्सेदारी बिकेगी। इन कंपनियों का सरकारी कंपनियों में विलय होगा। जाहिर है कि देश के संसाधन बड़े पैमाने पर नीलाम करने की आगे तैयारी है।गौरतलब है कि बजट पेश करने के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विज्ञान भवन में सीआईआई, फिक्की और एसोचैम के अधिकारियों से मुलाकात की। बजट में किए गए कई एलानों को लेकर उन्होंने कारपोरेटइंडिया को सफाई भी दी।  गौर करें कि जेटली ने कहा कि 90 फीसदी एफडीआई ऑटोमैटिक रूट से आता है, एफआईपीबी को हटाने पर रोडमैप बनाया जाएगा जिस पर काम शुरु हो गया है। जीएसटी पर वित्त मंत्री ने कहा कि आनेवाले कुछ महीनों में जीएसटी लागू हो जाएगा। एक्साइज ड्यूटी और सर्विस टैक्स में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इन बातों का ध्यान जीएसटी में रखा जाएगा।  इन सब के बीच वित्त मंत्री ने राजनीतिक पार्टियों के चंदे पर भी सफाई दी। उन्होंने कहा कि राजनीतिक पार्टियों के चंदे में पारदर्शिता के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड से चंदा देने का विकल्प बेहतर है। उन्होंने ये भी कहा कि बॉन्ड को बैंक से खरीद सकते हैं और इसे इस्तेमाल करने के लिए कुछ ही दिन दिए जाएंगे। इलोक्टोरल बॉन्ड से पार्टियों के चंदे में पारदर्शिता आएगी। इलेक्टोरल बॉन्ड को बैंक से खरीद सकते हैं। ये बॉन्ड चेक, कैश और डिजिटल पेमेंट से खरीदे जा सकते हैं। पार्टियों को चुनाव आयोग को एक अकाउंट दिखाना पड़ेगा और पार्टियां कुछ ही दिनों मे बॉन्ड को रिडीम कर पाएंगी।

सरकार अब मान भी रही है कि नोटबंदी का असर विकास दर पर होने लगा है।मगर पालतू मीडिया अब बजट से नोटबंदी नरसंहार को जायज साबित करने में लग गया है।सरकारी खर्च बहुत ज्यादा दिखाने के करतब के बावजूद सच यह है कि बजट में सामाजिक सुरक्षा की कोई दिशा नहीं है और रोजगार सृजन का कोई रास्ता बना है और आर्थिक विकास का नक्शा कहीं नहीं दीख रहा है। हम अखबारी नौकरी की वजह से पिछले 36 साल से वातानुकूलित कमरे में कंप्यूटर और टेलीप्रिंटर फिर टीवी लाइव के जरिये बजट देखते रहे हैं। इन 36 सालों में बजट को देखने समझने की पढ़ी लिखी जनता की दृष्टि बदली नहीं है।लोगों की हमेशा नजर आयकर छूट पर होती है और क्या सस्ता हुआ क्या महंगा,इसका हिसाब किताब जोड़ा जाता रहा है।इसके आगे लोग कुछ भी देखते नहीं हैं। दूरी तरफ से आर्थिक नीतियों और अर्थव्यवस्था में हलचल,उलटफेर,इन सबका आम जनता से कोई मतलब नहीं होता। दरअसल आम लोगों की क्रय शक्ति इतनी कम होती है कि बाजार में बुनियादी जरुरतों और बुनियादी सेवाओं के अतिरिक्त कुछ खर्च करने का सामर्थ्य उनका होता नहीं है।सस्ता हो या मंहगा, जीने के लिए जरुरी चीजें और सेवाएं खरीदने की उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता होती है और इसलिए टैक्स का कोई हिसाब वे जोड़ते नहीं हैं।  अधिकतम सवा तीन करोड़ लोगों के अलावा बाकी करीब 130 करोड़ जन गण के लिए आयकर छूट भी बेमानी है।हम देशभर में सेक्टर दर सेक्टर कर्मचारियों से बजट पर एक दशक से ज्यादा समय चर्चा करते रहे हैं,वे भी आयकर छूट,सस्ता महंगा के अलावा बजट में घुसना नहीं चाहते। अंग्रेजी अखबारों के विशेषांक और  बजट दस्तावेज निवेशकों के अलावा आम लोगों को पढ़ने की आदत भी नहीं है।वे दरअसल कारपोरेट और मार्केट का लोखा जोखा है।जिन्हें समझने की दक्षता आम जनता की होती नहीं है।जो अमूमन हिसाब जोड़ते भी नहीं है।जैसा हिसाब बता दिया,बिना जांच पड़ताल के चुका देने में ही उनको राहत है। लक्ष्य और प्रावधान,सरकारी खर्च,योजनाओं का तिलिस्म,कर छूट कर माफी की हकीकत से बाकी जनता अनजान है।
मीडिया की नजर राजनीति की भी नजर होती है और ज्यादातर राजनेताओं को अपने भत्तों और कमाई,आयकर के अलावा सच में कोई दिलचस्पी होती नहीं है।  

इस बार पहली बार हम बजट के मौके पर राष्ट्रपति के अभिभाषण,आर्थिक समीक्षा और बजट को ठेठ देहात में बैठकर अपढ़ अधपढ़ जनता के साथ देख रहे थे।जिनमें पढ़े लिखे मामूली हिस्से को अखबारी सुर्खियों के अलावा आर्थिक मुद्दों में खास दिलचस्पी नहीं है।बजट की खबरें वे पढ़ते भी नहीं है।बजट लाइव भी देखते नहीं है।हालांकि हर घर में अब टीवी और मोबाइल दोनों है। हम महाप्राण जोगेंद्र नाथ मंडल के कर्मक्षेत्र नोहाटा मछलंदपुर इलाके में थे।महाप्राण भारत के विभाजन के बाद पाकिस्तान के कानून मंत्री बने थे।पाकिस्तान के संविधान की मसविदा भी उन्होंने तैयार किया था।पूर्वी पाकिस्तान में दंगा रोक पाने में नाकाम होकर वे भारत चले आये तो इसी इलाके में मृत्यु तक सक्रिय रहे। यह वनगांव और रानाघाट चाकदह के बीच विशुध अनुसूचित किसानों का इलाका है,जिनमें नब्वे फीसद लोग मतुआ नमोशूद्र हैं।मतुआ केंद्र ठाकुर नगर भी इसी इलाके में है।इस इलाके से चुनाव लड़कर हारते रहे हैं महाप्राण। आजादी के सत्तर साल बाद भी साम के बाद तमाम गांव अंधरे में घिरे होते हैं।कहीं कहीं पक्की सड़कें बनी है।उपजाऊ खेती का यह इलाका है।उसके पार पश्चिम दिशा में बर्दमान और हुगली के सबसे उपजाऊ इलाके हैं तो उत्तर में नदिया होकर मुर्शिदाबाद मालदह के उपजाऊ खेत हैं।पूर्व में देगंगा से लेकर भागड़ बशीर हाट हिंगलगंज के सीमावर्ती इलाके हैं। यह सारा इलाका बहुजनों का है।जहां उपजाऊ खेती के बावजूद हर गांव से बच्चे और जवान भारत और भारत से बाहर खाड़ी देशों में मजदूरी करने को निकलते हैं। भारत में पांच साला योजनाओं और केंद्र राज्य सरकारों के सालाना बजट और विकास योजनाओं से मुक्तबाजार की अर्थव्यवस्था के मुताबिक मोटर साइकिल,मोबाइल,स्मार्ट फोन,टीवी के अलावा उनकी जिंदगी में कुछ भी बदला नहीं है।

यह किस्सा झारखंड छत्तीसगढ़ के पठारों के पार मध्यप्रदेश,उत्तर प्रदेश ,बिहार और पंजाब हरियाण से लेकर सारे देश के केत खलिहानों का है,जहां किसानों की जरुरतें बाजार के मुताबिक बढ़ है तो खेती की लागत भी बढ़ी है। नकदी के लिए खेत बेहिसाब हस्तांतरित हुए हैं तो बेदखली अटूट सिलसिला है।क्रयशक्ति है नहीं,खेती चौपट है और बच्चे आम तौर पर पढ़ लिख गये तो बेराजगार हैं और किसी तरह के आरक्षण और कोटे से उनकी जिंदगी बदली नहीं है। आरक्षण और कोटे का लाभ जिन्हें मिला है,वे भी देश के महज दो करोड़ वेन भोगियों और पेंशन भोगियों में शामिल हैं और उनमें बड़ी संख्या आयकरदाताओं की भी हैं।बहुजनों में ओहदों का खास रुतबा है। आईएएस पीसीएस आईआरएस आईपीएस तो बहुजनों में बहुत कम हैं और जो हैं,उनतक आम बहुजनों की पहुंच नहीं है।डाक्टर इंजीनीयर प्रोफेसर से लेकर ग्रुप डी के कर्मचारी भी बहुजन समाज के नेता हैं और उनका हिसाब किताब में आम जनता के लिए कोई जगह है नहीं।यह रुतबादार तबका कुछ लाख से भी ज्यादा नहीं है। सरकारी कर्मचारियों, मध्यवर्ग और बहुजनों के रुतबेदार ओदेदार कामयाब पैसेवालों को खुश करने का गणित है बजट।इसी वजह से आयकर छूट के गणित से बजट को बहुत अच्छा बताया जा रहा है। इस दलील से सियासत के खेमों में भी सन्नाटा है और हाशियें पर खड़ी जलजंगल जमीन के वंचित 133 करोड़ में 130 करोड़ आम जनता की सेहत का किसी को कोई परवाह नहीं है। सरकार का मानना है कि ज्यादा कर वसूली और सरकारी उपक्रमों की हिस्सा बिक्री से उसे इतना राजस्व मिलेगा कि राजकोषीय घाटे का लक्ष्य पाने में कोई दिक्कत नहीं होगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि अगले वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य वास्तविक है और इसे हासिल कर लिया जाएगा। अगले वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.2 फीसदी रखा गया है। वित्त मंत्री बजट बाद उद्योग व्यापार के प्रतिनिधियों से बातचीत कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने बजट से संबंधित दूसरे पहलुओं पर भी चर्चा की।  अर्थव्यवस्था की सेहत के बारे में जेटली ने खुलासा किया कि न केवल 2017-18 बल्कि इससे अगले साल के लिए तय 3 फीसदी राजकोषीय घाटे का लक्ष्य भी हासिल कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि वर्ष 2017-18 के बजट में बड़े नोटों बंद करने से हुए सभी फायदे पूरी तरह से शामिल नहीं हैं।  उन्होंने दावा किया  कि नोटबंदी के कारण अघोषित आय पर ज्यादा कर के रूप में सरकार को अधिक राजस्व मिलेगा। 

वित्त मंत्री ने कहा, 'जहां तक नोटबंदी का सवाल है तो हम यह ध्यान रखेंगे कि इससे जो भी राजस्व और अन्य लाभ होते हैं उनको पूरी तरह से इसमें शामिल नहीं किया गया है। पिछले दो साल मे कर राजस्व की वृद्घि दर 17 फीसदी रही है। लेकिन इस साल हमने इसे 12 फीसदी पर ही रखा है। जाहिर है इस लक्ष्य को हम पार कर लेंगे।' उन्होंने कहा कि सरकार कर राजस्व में बढ़ोतरी से उत्साहित है। इसलिए उसने वर्ष 2017-18 के लिए जीडीपी का 3.2 फीसदी राजकोषीय घाटे का लक्ष्य रखा है जबकि मौजूदा वित्त वर्ष के लिए घाटे का लक्ष्य जीडीपी का 3.5 फीसदी है। सरकार ने वर्ष 2018-19 के लिए इस घाटे को जीडीपी का 3 फीसदी रखने की भी योजना बनाई है।  वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने विनिवेश का लक्ष्य काफी ज्यादा रखा है। ज्यादा से ज्यादा सरकारी उपक्रम सूचीबद्घ कराए जाएंगे। इनमें सामान्य बीमा कंपनियां भी शामिल हैं। इसका मकसद उन्हें ज्यादा प्रतिस्पद्घी और पारदर्शी बनाना है। साथ ही सूचीबद्घता की जरूरतों के अनुसार सरकार को इन उपक्रमों में अपनी हिस्सेदारी भी घटानी है। जेटली को उम्मीद है कि सूचीबद्घता और हिस्सा बिक्री से सरकार को पर्याप्त राजस्व मिल जाएगा। जेटली ने कहा कि लालफीताशाही को कम करने के लिए विदेशी निवेश संवद्र्घन बोर्ड (एफआईपीबी) को खत्म करने का समय आ गया है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि 90 फीसदी विदेशी प्रत्यक्ष निवेश स्वत: मार्ग से आ रहा है। एफआईपीबी खत्म करने के लिए आने वाले दिनों में पूरी योजना पेश की जाएगी। 




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(पलाश विश्वास)

वरुण धवन ने ‘साजन मैं नाचूंगी’ म्यूजिक वीडियो का लॉन्च किया।

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अभिनेता वरूण धवन ने फिल्म वरुण धवन ने ‘साजन मैं नाचूंगी’ म्यूजिक वीडियो का लॉन्च किया। इस मौके पर सोफी चैधरी सहित नील नितिन मुकेश, तुषार कपूर, अब्बास मस्तान, मान्यता दत्त, श्वेता खंडूरी, मानसी, अनुराग पाण्डेय, योगेश लखानी, अनिरुद्ध धूत, गणेश जैन, गिरीश जैन जैसे सितारें मौजूद रहे। वीनस वल्र्ड वाइड एंटरटेनमेंट प्राइवेंट लिमिटेड, सोफी चैधरी के म्यूजिक वीडियो ‘साजन मैं नाचूंगी’ लॉन्च के मौके पर सोफी ने कहा कि ‘मुझे खुशी है कि मेरा म्यूजिक वीडियो का लॉच हुआ,जिसमंे युवाओं का पंसद का मसाला है,जो थिरकने को मजबूर कर देगा। खास बात यह भी है कि इस म्यूजिक वीडियो का हिस्सा हनी सिंह, बादशाह भी है।

व्यंग : विपक्ष का जोश और शासक का होश ...!!

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मोरली हाइ या डाउन होने का मतलब तब अपनी समझ में बिल्कुल नहीं आता था। क्योंकि जीवन की जद्दोजहद के चलते अब तक अपना मोरल हमेशा डाउन ही रहा है । लेकिन खासियत यह कि जेब में फूटी कौड़ी नहीं वाले दौर में भी यह दुनिया तब  बड़ी खूबसूरत लगती थी। जी भर के जीने का मन करता था। इसके बावजूद शुरूआती दौर में जिंदगी इतनी ठहरी हुई होती थी कि मोहल्ले में यदि किसी के यहां पूजा - पाठ को लेकर लाउडस्पीकर लगता तो अपना मन खुशियों से बल्लियों उछलने लगता कि चलो कुछ तो हलचल हुई जिंदगी में...।  वैसे उस दौर में किसी आयोजन में लाउडस्पीकर बजवाना खुशी की अभिव्यक्ति का सबसे बड़ा माध्यम था। किसी के यहां चोंगा - लाउडस्पीकर लगते ही कयासबाजी शुरू हो जाती ... अरे क्या बात है। शादी हो रही है या अन्न प्रसान... या फिर कोई लाटरी लग गई है। हम जैसे लड़कों का मन तो  फिल्मी गाने सुनने को होता, लेकिन बड़ों की सीख रहती कि चूंकि मौका शुभ कार्य का है। पूजा होनी है तो पहले भक्ति गीत या भजन सुने जाएं। फिर शुरू हो जाता दर्शन शास्त्र के अवसाद भरे गीतों का दौर... दो दिन का जग में मेला फिर चला - चली का बेला..। ऐसे गीत सुन कर हमें बड़ा गुस्सा आता कि कहां तो अपना युवा मन... उड़ता ही फिरूं ... इन हवाओं में कहीं... गाने को बेताब है और कहां इस तरह की नकारात्मक बातें की जा रही है। दूसरों की शादी हमें असीम खुशी देती। 


हमें यही लगता ... शादी तो हमेशा दूसरों की होनी है। अपना काम तो बस शादी को इंज्वाय करते हुए खाना - पीना और मस्ती करना है। लेकिन जल्दी ही आटे - दाल का भाव मालूम हो गया। आप सोचेंगे अतीत की इन बातों की भला वर्तमान में क्या प्रासंगिकता है जो इतनी चर्चा हो रही है। दरअसल अपने देश में  विरोधी पा र्टियां और शासक दल के बीच अनवरत चलने वाला जोश और होश का खेल इन बातों की बरबस ही याद करा देता है। जो  पार्टियां विपक्ष में रहते हुए जोश में दिखाई देती हैं , सत्ता की बागडोर मिलते  ही उनका सारा जोश गायब सा नजर आने लगता है और वे होश में दिखाई देने लगते हैं। शासन संभालते ही शासक दल की आंखों का चश्मा मानो बदल जाता है। पहले जो आंखे कश्मीर , आतंकवाद , महंगाई और अन्यान्य समस्याओं को दूसरी नजर से देखती थे। आंखों पर सत्ता का चश्मा चढ़ते ही उनकी दृष्टि अचानक बदल जाती है। देश में यह सिलसिला मैं बचपन से देखता आ रहा हूं। बीच - बीच में पाला - बदल होता रहता है। लेकिन तस्वीर लगभग वही रहती है। विपक्षी खेमे में रहते जो शेर बने घूमते थे, सत्ता मिलते ही उनके सुर बदल जाते हैं। झल्लाहट में कभी - कभी तो  तो यहां तक कह दिया  जाता है कि ... मेरे पास महंगाई कम करने की कोई जादूई छड़ी नहीं वगैरह - वगैरह। लेकिन कालचक्र में फिर विपक्ष में जाते ही इस खेमे के पास हर समस्या का फौरी हल विशेषज्ञों की तरह मौजूद रहता है।  यानी यहां भी  जोश और होश का फैक्टर हमेशा  हावी रहता है।  जब - तक विपक्ष में रहे बताते रहे कि देश की इन विकट समस्याओं का समाधान क्या है। समस्याओं पर जिनके व्याख्यान सुन - सुन मन बेचैन होने लगता है कि बेचारे को सत्ता की कुर्सी पर बिठाने में आखिर इतनी देरी क्यों हो रही है। लेकिन  समाधान के बजाय सत्ता मिलते ही उनकी ओर से  वही किंतु - परंतु के साथ दलीलें सुनने को मिलती हैं।

यानी उड़ता ही फिरूं ... इन हवाओं में कहीं ... गाने को बेचैन रहने वाला विरोधी मन सत्ता मिलते ही अचानक  दो दिन का जग में मेला सब....  चला - चली का बेला ....  गुनगुनाते हुए न सिर्फ स्वयं  अवसाद में डूब जाता है बल्कि जनता - जनार्दन को भी मायूस करता है।




तारकेश कुमार ओझा,
खड़गपुर (पशिचम बंगाल)
संपर्कः 09434453934, 9635221463
लेखक पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रहते हैं और वरिष्ठ पत्रकार हैं।

मधुबनी : अवैध हथियार के आरोप में गिरफ्तार पूर्व मुखिया की कोर्ट में पेशी

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मधुबनी : रघुनी देहट पंचायत के पूर्व मुखिया अनिल मिश्रा को अवैध रूप देशी कट्टा रखने के आरोप में निगरानी अन्वेशन ब्यूरों टीम ने देर रात को गिरफ्तार कर राजनगर थाना ले गयी. बाद में तबीयत खराब होने पर पूर्व मुखिया को शनिवार राजनगर थाना द्वारा इलाज के लिए स्थानीय पीएचसी पर भर्ती कराया गया.  बाद में इन्हें मधुबनी कोर्ट में पेश किया गया. पूर्व मुखिया के गिरफ्तारी से घर में सन्नाटा छाया हुआ है.  मुखिया पूनम मिश्रा बताती है कि उनके पति को झूठे आरोप में फंसाया गया है. उनके घर में देसी कट्टा कहां से आया उसका इन लोगों को कुछ भी पता नहीं है. वहीं बहन कृष्णा मिश्रा ने बतायी की घर की तलाशी के दौरान उन लोगों को अलग रखा गया था. जो भी समान बरामद किया गया उसे अन्वेंशन ब्यूरो की टीम ने ही बरामद की.  अब देशी कट्टा पहले से घर में था या किसी ने दुश्मनी से रखा था इस बात की जानकारी उन्हें नहीं है. हमलोगों को कानून पर भरोसा है. वहीं ग्रामीण सुदिष्ट झा कहना था कि पूर्व मुखिया सामाजिक व्यक्ति थे. श्री झा ने बताया कि श्री मिश्रा के परिवार से आजादी के बाद से लगातार मुखिया हो रहे है.  यह इस बात को स्वत: ही उजागर करता है कि यह परिवार कितना समाजसेवा भाव से जुड़ा है. लोगों को सहज ही विश्वास नहीं हो रहा है कि अनिल मिश्रा के घर से देसी कट्टा बरामद किया गया है. 

अमेरिका में सोमवार से आ सकेंगे शरणार्थी

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वाशिंगटन 05 फरवरी, अमेरिका की एक अदालत ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन द्वारा सात मुस्लिम देशों के लोगों के अमेरिका में दाखिल होने पर रोक लगाए जाने के निर्णय को निलंबित कर दिया है जिस बाद शरणार्थियों के अमेरिका आने का रास्ता खुल गया है। अमेरिकी प्रशासन के आदेश के निलंबित होने के बाद सोमवार से शरणार्थी अमेरिका आ सकेंगे। अमेरिका के विदेश विभाग के अधिकारी ने बताया कि शरणार्थी आम तौर पर सप्ताह के अंत में नहीं आते, उन्हें उम्मीद है कि कल से शरणार्थियों का आना शुरू हो जायेगा। उन्होंने कहा कि यहां आने वाले शरणार्थियों को कड़ी सुरक्षा से गुजरना होगा। शरणार्थियों के अलावा जिन सात देशों के नागरिकाें पर अमेरिका प्रवेश पर रोक लगी थी वहां के नागरिक भी यहां आ सकेंगें शर्त यह है कि उनके पास वैध वीजा होन चाहिये। अधिकारी ने कहा, ‘‘जिन लोगों ने अब अपने वीजा रद्द नहीं करवाएं हैं अब वे अमेरिका की यात्रा कर सकते हैं बशर्ते उनका वीजा दूसरी तरह से वैध हो।’’ श्री ट्रंप के विवादित प्रशासनिक आदेश के तहत ईरान, इराक, लीबिया, सोमालिया, सूडान, सीरिया और यमन के लोगों के अमेरिका में दाखिल होने पर कम से कम 90 दिनों तक के लिए रोक लगाया गया था। अदालत के फैसले के बाद मानवाधिकार और शरणार्थियों के लिये काम करने वाली संस्थानों ने खुशी जतायी है। संयुक्त राष्ट्र की एक प्रवक्ता लियोनार्ड डोयल ने कहा कि लगभग दो हजार शरणार्थी अमेरिका की यात्रा करने के लिए तैयार है।।

अमेरिका में न्याय विभाग ने अदालती आदेश को दिया चुनौती

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वाशिंगटन, 05 फरवरी, अमेरिका के न्याय विभाग ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सात मुस्लिम देशों के लोगों पर अस्थायी प्रतिबंध लगाने के फैसले को निलंबित करने के सिएटल कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील की है। न्याय विभाग ने यह कदम फेडरल जज के फैसले को पलटने के मकसद से उठाया है। ट्रंप प्रशासन के कार्यकारी आदेश में कहा गया है कि इराक, सीरिया, ईरान, लीबिया, सोमालिया, सूडान और यमन से कोई भी व्यक्ति 90 दिनों तक अमेरिका नहीं आ सकेंगे। व्हाइट हाउस ने एक बयान में कहा,“ अदालत के फैसले के खिलाफ की गई यह अपील राष्ट्रपति के कार्यकारी आदेश का बचाव करेगा, जो कि वैध और उचित है। राष्ट्रपति के आदेश का मकसद देश की रक्षा करना है और उनके पास अमेरिकी नागरिकों की रक्षा करने का संवैधानिक अधिकार और जिम्मेदारी है।” इससे पहले सिएटल के एक जज ने शुक्रवार को सात मुस्लिम बहुल देशों के लोगों के अमेरिका आने पर रोक लगाने के ट्रंप प्रशासन के फैसले पर अस्थाई रोक लगा दी थी। सिएटल कोर्ट के जज जेम्स रोबर्ट ने सरकारी वकीलों के उन दावों को खारिज कर दिया था जिनमें कहा गया था कि अमेरिकी राज्य ट्रंप के एक्जीक्यूटिव आदेश पर फैसला नहीं दे सकते। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सिएटल कोर्ट केे जज जेम्स रॉबर्ट के फैसले को हास्यास्पद और बकवास बताया था।

अमेरिका-यूक्रेन सीमा पर फिर शांति बहाल करेगा: ट्रंप

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वाशिंगटन, 05 फरवरी, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका यूक्रेन और रूस के साथ सीमा पर फिर से शांति बहाल करने के लिए काम करेगा। श्री ट्रंप ने यूक्रेनी राष्ट्रपति पेत्रो पोरोशेंको के साथ टेलीफोन पर बातचीत के दाैरान यह बात कही। उन्होंने कहा,“ सीमा पर शांति स्थापित करने के लिए हम यूक्रेन, रूस के अलावा अन्य सभी दलों के साथ मिलकर काम करेंगे।” यूक्रेन की सीमा पर रूस समर्थित विद्रोहियों और यूक्रेन समर्थित बलों के साथ फिर से हिंसा भड़क गई है। राष्ट्रपति ट्रंप ने यूक्रेन के अलावा इटली के प्रधानमंत्री पाओलो गेंटिलोनी के साथ भी फोन पर बातचीत की और नाटो के प्रति सहयोग की प्रतिबद्धता दोहराई। ट्रंप ने प्रधानमंत्री पाओलो को मई में होने वाला जी-7 सम्मेलन में भाग लेने का आश्वासन दिया।

ट्रंप ट्विटर छोड़ो, अपना काम करो : मेक्सिको

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मेक्सिको सिटी, 05 फरवरी, मेक्सिको के पूर्व राष्ट्रपति विसेंट फॉक्स ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर निशाना साधते हुए कहा है कि उन्हें ट्विटर छोड़कर अपने काम पर ध्यान देना चाहिए। श्री फॉक्स ने ट्वीट कर कहा, “ट्रंप, आप राष्ट्रपति हैं, उसी तरह बर्ताव करें। डींगे मारना बच्चों का खेल है। ये ट्विटर छोड़ो, और अपने काम पर ध्यान दो।” अमेरिका और मेक्सिको के बीच दीवार को लेकर दोनों देशों के बीच तनातनी चल रही है। गौरतलब है कि इससे पहले राष्ट्रपति ट्रंप ने मेक्सिको के राष्ट्रपति काे फोन कर धमकाते हुए कहा था कि अगर मेक्सिको की सेना अपने देश के लोगों को काबू में करने के लिए नहीं कुछ करती है तो अमेरिका इस काम के लिए अपनी सेना भेजने के लिये तैयार है।


बुरहान वानी का मरना कश्मीर के लिए टर्निंग प्वाइंट: पाकिस्तान

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इस्लामाबाद, 05 फरवरी, पाकिस्तान ने एक बार फिर से कश्मीर का अलाप छेड़ते हुए हिजबुल कमांडर बुरहान वानी की मौत को कश्मीर के लिए टर्निंग प्वाइंट बताया है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के सलाहकार सरताज अजीज ने पाकिस्तान द्वारा हर साल पांच फरवरी को मनाए जाने वाले कश्मीर एकजुटता दिवस के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि हिजबुल कमांडर बुरहान वानी को मार गिराना कश्मीर के लिए टर्निंग प्वाइंट है। अजीज ने दावा करते हुए कहा कि भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा आठ जुलाई को बुरहान वानी को मार गिराने के बाद हुई हिंसा में कई मौतें हुईं और कई लोग या तो पूरी तरह से, या आंशिक रूप से दृष्टिहीन हो गए। उन्होंने घाटी में हिंसा को स्थानीय युवकों के नेतृत्व वाला आंदोलन बताया। अजीज के अलावा पाकिस्तानी सेना ने कश्मीर के लोगों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए ‘संगबाज’ नाम से एक वीडियो गीत जारी किया है जो कश्मीर के ऊपर बनाया गया है।

यूक्रेन, रुस के साथ मिलकर काम करेगा अमेरिका: ट्रंप

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वाशिंगटन/कीव 05 फरवरी, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि पूर्वी यूक्रेन में अलगाववादियों के साथ संघर्ष को समाप्त करने के लिये अमेरिका यूक्रेन और रुस के साथ मिलकर काम करेगा। श्री ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति पेटरो पोरोशेंको के साथ फोन पर हुई बातचीत में यह बात कही। श्री ट्रंप के राष्ट्रपति का पदभार संभालने के बाद श्री पोरोशेंको के साथ यह पहली बातचीत थी। अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान के मुताबिक श्री ट्रंप ने कहा, “ हम यूक्रेन, रुस सहित उन सभी पक्षों के साथ मिलकर काम करेंगे ,जो देश के भीतर और सीमा पर शांति बहाली की दिशा में सहायता कर रहे हैं।” श्री पोरोशेंको के कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि दोनों नेताओं के बीच बातचीत में यूक्रेन के डोनबास क्षेत्र की मौजूदा स्थिति में सुधार तथा राजनीतिक और राजनयिक तरीके से शांति बहाली के लिये कदम उठाने पर जोर दिया गया। इसके साथ ही दोनों देशों के बीच सामरिक साझेदारी को मजबूती देने के संबंध में भी चर्चा की गयी।

चीन में 11 सरकारी अधिकारियों को दंड

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बीजिंग 05 फरवरी, उत्तरी चीन में निंगझिया प्रांत की सरकार ने एक बस में आग लगने की घटना के बाद कर्तव्य में लापरवाही बरतने वाले 11 सरकारी अधिकारियों को दंडित किया है। निंगझिया प्रांत की राजधानी यिनचुआन में पिछले वर्ष एक बस में आग लग जाने से 18 लोगों की मौत हो गयी थी। एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि कर्तव्य में लापरवाही बरतने के मामले में 11 अधिकारियों में से दो के खिलाफ अभियोग दायर किया गया है , जिनमें एक पुलिस अधिकारी भी शामिल है। शेष अधिकारियों को प्रशासनिक दंड दिया गया है।

जल्द अमेरिका पहुंचना चाहते हैं 7 मुस्लिम देशों के वीजा धारक

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शिकागो, पांच फरवरी. अमेरिका की एक संघीय अदालत द्वारा यात्रा प्रतिबंध पर अस्थायी रोक लगाने के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आव्रजन आदेश से प्रभावित सात मुस्लिम बहुल देशों के वीजा धारकों को देश में प्रवेश का एक मौका मिल गया है जिससे वे अमेरिका जाने वाले विमानों में जल्द से जल्द सवार होने की कोशिश में हैं।अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट जज जेम्स रॉबर्ट द्वारा शुक्रवार को दिये आदेश को लेकर न्याय विभाग की ओर से कोई आपात कदम उठाए जाने पर बनी अनिश्चितता के बीच नागरिक अधिकार संगठनों द्वारा ऐसे लोगों से अमेरिका की यात्रा करने के लिए कहा जा रहा है जो यात्रा कर सकते हैं। अमेरिकी सरकार ने एक संघीय अदालत के आदेश के बाद आव्रजन आदेश का क्रियान्वयन कल स्थगित कर दिया था। हालांकि एक आव्रजन वकील ने बताया कि एक अफ्रीकी हवाईअड्डे पर यात्रियों से कहा गया है कि वे विमान में सवार नहीं हो सकते। मिशिगन में अरब अमेरिकन सिविल राइट्स लीग की निदेशक रला औउन ने द डेट्रॉइट न्यूज को बताया कि उनका समूह लोगों को जल्दी यात्रा करने की सलाह दे रहा है। अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि ट्रंप के शासकीय आदेश के बाद 60 हजार विदेशियों का वीजा ‘अस्थायी रूप से रद्द’ किया जा चुका है। कतर की एक विमान सेवा की प्रवक्ता ने बताया कि एयरलाइन प्रभावित सात मुस्लिम देशों इराक, सीरिया, सूडान, लीबिया, यमन, ईरान और सोमालिया के यात्रियों को अमेरिका जाने वाले विमानों में बैठाना शुरू करेगी।

राफेल समझौते की जानकारी देने से वायुसेना ने इनकार किया

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नयी दिल्ली, पांच फरवरी, वायुसेना का कहना है कि भारत और फ्रांस के अधिकारियों के बीच हुए 36 राफेल विमानों की आपूर्ति के समझौते की जानकारी नहीं दी जा सकता है क्योंकि यह समझौता गोपनीय प्रकृति का है।भारत और फ्रांस की सरकार के बीच 23 सितंबर 2016 को एक अंतर-सरकारीय करार हुआ था जो राफेल विमानों और हथियारों की शुरूआती खेप की आपूर्ति, किफायती एवं क्षमता सम्पन्न साजो सामान के जरिए लंबे अरसे तक रखरखाव, सिम्युलेटर और उनका सालाना रखरखाव तथा संबंधित उपकरण के बारे में था। आरटीआई में पूछे गए सवाल के जवाब में वायुसेना ने कहा कि उसने इसका ब्योरा एक अमानती के तौर पर अपने पास रखा है। वायुसेना ने कहा कि मांगी गई जानकारी गोपनीय प्रकृति की है जिसे सार्वजनिक करने पर इसकी उपलब्धता हमारे विरोधियों के पास होने का खतरा है। पीटीआई-भाषा की ओर से दायर आवेदन में वायुसेना ने कहा कि मांगी गई सूचना हमने अमानती के तौर पर रखी है और इसे सार्वजनिक करने से जनता का कोई हित जुड़ा नहीं है। इसलिए जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई जाएगी। रक्षा मंत्रालय से समझौते की प्रतियां और राफेल सौदे के मूल्य संबंधी जानकारी मांगी गई थी। मंत्रालय ने इस आवेदन को वायु सेना की ओर बढ़ा दिया । सौदे के तहत 36 राफेल विमानों, हथियारों और संबंधित उपकरणों की भारत में आपूर्ति सितंबर 2019 से शुरू होगी। आपूर्ति ढाई साल तक चलेगी और आखिरी विमान की आपूर्ति अप्रैल 2022 में होगी।

दिवंगत स्वतंत्रता सेनानी की पत्नी उच्चतम न्यायालय में पेंशन की कानूनी लड़ाई हारी

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नयी दिल्ली, पांच फरवरी, उच्चतम न्यायालय में 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने वाले और 13 दिन तक जेल में रहे एक दिवंगत स्वतंत्रता सेनानी की पत्नी ‘स्वतंत्रता सैनिक सम्मान पेंशन योजना, 1980’ के तहत पेंशन का दावा करने की कानूनी लड़ाई हार गयी हैं। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि वह यह लाभ पाने के लिए ‘‘अयोग्य’’ हैं। उच्चतम न्यायालय ने केन्द्र के उस आदेश का उल्लेख किया जिसमें यह कहा गया है कि यह व्यक्ति योग्यता के मापदंड को पूरा नहीं करता। पेंशन योजना का लाभ पाने के लिए यह जररी है कि स्वतंत्रता सेनानी छह महीने से ज्यादा समय तक भूमिगत रहा हो या उसने छह महीने से ज्यादा समय तक जेल की सजा काटी हो। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति आर भानुमति की पीठ ने दिवंगत स्वतंत्रता सेनानी पत्नी की याचिका खारिज कर दी। महिला ने पटना उच्च न्यायालय के अप्रैल 2015 में दिये गये उस आदेश को शीर्ष न्यायालय में चुनौती दी थी जिसमें 1980 की योजना के तहत आश्रित परिवार पेंशन के दावे को खारिज कर दिया था। याचिकाकर्ता के अनुसार उनके पति को नौ अगस्त, 1942 के स्वतंत्रता संघर्ष आंदोलन से जुड़े एक आपराधिक मामले में गिरफ्तार किया गया था और वह 16 अगस्त 1942 से 14 अक्टूबर 1944 तक कथित रूप से फरार रहे। उन्होंने दलील दी कि उनके पति को 14 अक्टूबर 1944 को गिरफ्तार किया गया और वह जमानत पर रिहा होने तक 27 अक्टूबर 1944 तक जेल में रहे और फिर जनवरी 1945 में उन्हें मामले से बरी कर दिया गया। बिहार सरकार ने अप्रैल 1993 में महिला को स्वंतत्रता सेनानी पेंशन देने की अनुशंसा की थी लेकिन केन्द्र सरकार ने जुलाई, 2000 में इस अनुशंसा को खारिज करते हुये कहा था कि इस मामले में कम से कम छह महीने तक जेल में रहने की पात्रता को पूरा नहीं किया गया।

ट्रंप की नीति ने दी सोने-चांदी को बढ़त

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नयी दिल्ली 05 फरवरी, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों को लेकर वैश्विक बाजार में मची उथलपुथल से पीली धातु के प्रति निवेशकों के आकर्षित होने तथा घरेलू स्तर पर जेवराती मांग में सुधार होने से गत सप्ताह दिल्ली सर्राफा बाजार में सोने की चमक एक बार फिर लौट आयी। वैश्विक स्तर पर निवेशकों की लिवाली के दम पर सोना 170 रुपये की साप्ताहिक बढ़त के साथ 29,550 रुपये प्रति दस ग्राम पर पहुंच गया। औद्योगिक मांग के बल पर चांदी में भी 400 रुपये प्रति किलोग्राम की साप्ताहिक तेजी रही और यह 42,200 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गयी। सोने के भाव में इससे पिछले सप्ताह इस साल की पहली साप्ताहिक गिरावट रही थी लेकिन जेवराती मांग में हुए सुधार ने गत सप्ताह इसे गिरावट से उबार लिया। गत सप्ताह स्थानीय स्तर पर छह दिन कारोबार हुआ, जिसमें पीली धातु में तीन दिन तेजी, दो दिन गिरावट तथा एक दिन स्थिरता रही। सोमवार को बाजार खुलने पर पीली धातु में तेजी रही थी जबकि चांदी लुढ़क गयी थी। मंगलवार को दोनों कीमती धातुओं के भाव चढ़ गये। बुधवार को बजट पेश हुआ जिससे शेयर बाजार में जबरदस्त उछाल आया। हालांकि, उस दिन भी वैश्विक मांग के असर से घरेलू बाजार में दोनों के भाव तेजी में रहे। गुरुवार को सर्राफा बाजार पर बजट का प्रभाव हावी रहा। विदेशी बाजारों में सोने की कीमतों में रहे जबरदस्त उछाल के बावजूद घरेलू बाजार में शेयर बाजार पर पड़े बजट के सकारात्मक प्रभाव तथा डॉलर की तुलना में रुपये में आयी जबरदस्त तेजी से पीली धातु ने लगातार चार कारोबारी दिवस की अपनी चमक खो दी। हालांकि ,सिक्का निर्माताआें का उठाव बढ़ने से चांदी की चमक तेज हो गयी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोना गुरुवार को 11 सप्ताह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था। शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुनाफा वसूली से आयी गिरावट और घरेलू मांग की सुस्ती से दोनों कीमती धातुओं में गिरावट आयी। शनिवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार बंद रहे और सर्राफा कारोबारियों की मांग भी सामान्य रही, जिससे सोने के भाव 29,500 रुपये प्रति दस ग्राम पर स्थिर रहे जबकि चांदी 130 रुपये के उछाल के साथ 42,200 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई। विदेशी बाजारों में शुक्रवार को अमेरिका में अर्थव्यवस्था की उम्मीद से कमजाेर आँकड़े आने से दोनों कीमती धातुओं में तेजी आ गयी जिससे सप्ताहांत पर घरेलू बाजार में भी दोनों बढ़त लेकर बंद हुए। शनिवार को सोना 230 रुपये की तेजी के साथ 29,380 रुपये प्रति दस ग्राम पर और चाँदी भी 850 रुपये चमककर 41,800 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई। लंदन तथा न्यूयॉर्क से मिली जानकारी के अनुसार, सप्ताह के दौरान सोना हाजिर 29.30 डॉलर की भारी साप्ताहिक बढ़त के साथ 1,120.15 डॉलर प्रति औंस बोला गया। अप्रैल का अमेरिकी सोना वायदा भी 30.60 डॉलर की साप्ताहिक तेजी के साथ 1,221.60 डॉलर प्रति औंस पर रहा। बाजार विश्लेषकों ने बताया कि दुनिया की अन्य प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर में अायी गिरावट, ब्याज दर स्थिर रखने के अमेरिकी फेडरल रिजर्व के फैसले और शरणार्थियों तथा एच1बी वीजा पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की विवादास्पद नीतियों से निवेशक सशंकित होकर सोने में निवेश करना अधिक सुरक्षित मान रहे हैं, और इसी कारण इसकी मांग में इतनी तेजी देखी जा रही है। हालांकि, इस दौरान स्वर्ण के सबसे बड़े आयातक देश चीन में नववर्ष मनाया जा रहा था, जिससे इसकी मांग काफी घट गयी थी और दूसरे सबसे बड़े आयातक देश भारत में बजट से निवेशकों की धारणा सकारात्मक हुई और उन्होंने शेयर बाजार में निवेश करना ज्यादा मुनासिब समझा। दुनिया के दो सबसे बड़े स्वर्ण आयातक देशों की कम मांग के बावजूद श्री ट्रंप की नीतियों ने कीमती धातुओं के भाव को चढा दिया। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चाँदी भी 0.38 डॉलर चढ़कर सप्ताहांत पर 17.48 डॉलर प्रति औंस बोली गयी।


कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच ‘मुख्य विवाद’ : शरीफ

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इस्लामाबाद, पांच फरवरी, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने आज कहा कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान की बीच ‘मुख्य विवाद’ है और इसे हल किए बिना क्षेत्र में शांति और लोगों की समृद्धि के सपने को साकार करना मुश्किल रहेगा। ‘‘कश्मीर मुद्दे को विभाजन का अधूरा एजेंडा और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में विवाद का सबसे पुराना मुद्दा करार देते हुए’’ शरीफ ने कहा कि पिछले सात दशक से भारत कश्मीर के लोगों को ‘आत्म निर्णय का अधिकार’ देने से इनकार करता आया है जिसका उसने उनसे सुरक्षा परिषद के कई प्रस्तावों जरिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा वादा किया था। वह ‘कश्मीर एकजुटता दिवस’ के मौके पर बोल रहे थे। शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान के लोग आज कश्मीर एकजुटता दिवस को मनाने के लिए अपने कश्मीरी भाइयों और बहनों के साथ शामिल हुए हैं जो कश्मीरी लोगों के बुनियादी मानवाधिकारों, खासतौर पर ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के कई प्रस्तावों के जरिए स्थापित आत्म निर्णय के अधिकार के लिए उनके कानूनी संघर्ष को हमारे नैतिक, राजनयिक और राजनीतिक समर्थन की पुष्टि करता है।’ उन्होंने कहा, ‘‘ पाकिस्तान सरकार द्वारा व्यवस्थागत रूप प्रायोजित आतंकवाद और भारतीय बलों द्वारा बेकसूर कश्मीरी लोगों की निर्मम हत्याओं की निंदा करता है।’’ पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘बहरहाल, भारत की सभी ज्यादतियां कश्मीरी लोगों को भारत के दमन से उनकी आजादी के लक्ष्य से रोक पाने में असफल हुई हैं।’’


शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय समुदाय का आह्वान करता है कि वह कश्मीर में भारतीय बलों द्वारा किए जा रहे ‘‘मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन’’ को खत्म करने तथा इसके द्वारा 70 साल पहले जम्मू कश्मीर के लोगों से किए गए वादे को पूरा करने के लिए अपनी आवाज उठाएं। शरीफ ने कहा, ‘‘ जम्मू कश्मीर पाकिस्तान और भारत की मुख्य विवाद है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के अनुसार इस मुद्दे को हल किए बिना शांति और क्षेत्र के लोगों की समृद्धि का मुद्दा अधूरा रहेगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ हम भारत से आग्रह करते है कि कश्मीर.. में खूनखराबा रोके और संयुक्त राष्ट्र की देखरेख में निष्पक्ष जनमत संग्रह कराने की इजाजत दे।’’

मंत्रियों के संसद में दिए आश्वासनों में से एक तिहाई से कम अमल में लाए गए

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नयी दिल्ली, फरवरी पांच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में पिछले दो वषरें में मंत्रियों द्वारा संसद में दिए गए आश्वासनों में से महज एक तिहाई ही अमल में लाए गए। जबकि लगभग 20 फीसदी पर अमल नहीं किया गया। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक मंत्रियों ने पिछले दो वषरें :2015 और 2016: में 1,877 आश्वासन दिए लेकिन उनमें से केवल 552 पर ही अमल किया गया। वहीं, 392 आश्वासनों पर अमल नहीं किया गया। 893 आश्वासन अभी भी लंबित हैं। आश्वासनों को अमल में लाना प्रारंभिक रूप से संबद्ध मंत्रालयों या विभागों की जिम्मेदारी होती है। हालांकि मंत्रालय व्यक्तिगत आश्वासनों पर कार्रवाई नहीं करते हैं। प्रत्येक आश्वासन के सार को आगे बढ़ाते समय मंत्रालय सूचित करता है कि आश्वासन को इसका सुझाव दिए जाने की तारीख से तीन महीने के भीतर पूरा कर लिया जाएगा और समय सीमा का कड़ाई से पालन किया जाएगा। लंबित आश्वासनों की स्थिति की समीक्षा करने के लिए संसदीय मामलों का मंत्रालय समय-समय पर विभिन्न मंत्रालयों के अधिकारियों या विभागों के साथ बैठकें करता है और आश्वासनों के क्रियान्वयन में तेजी लाने पर विचार करता है। इसके अलावा सरकारी आश्वासनों के लिए भी लोकसभा में 15 सदस्यों की स्थायी समिति होती है। यह समिति उन आश्वासनों पर नजर रखती है जिन्हें पूरा नहीं किया गया, इसके लिए वह मंत्रालयों के अधिकारियों को अपने समक्ष पेश होने को कहती है।

12 कीटनाशकों पर पूर्ण प्रतिबंध की सिफारिश

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नयी दिल्ली 05 फरवरी, मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर दुष्प्रभाव को देखते हुए विशेषज्ञों की एक समिति ने बारह कीटनाशकों के प्रयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है तथा 2020 तक छह अन्य कीटनाशकों को चरणबद्ध तरीके से हटाने को कहा है । सरकार ने देश में पंजीकृत 66 कीटनाशकों की समीक्षा करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के पूर्व प्रोफेसर अनुपम वर्मा की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की एक समिति गठित की थी । इस समिति ने अन्य बातों के साथ ही 12 कीटनाशकों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने तथा 2020 तक छह अन्य कीटनाशकों को चरणबद्ध ढंग से हटाने की सिफारिश की है। दुनिया के अन्य देशों में इन कीटनाशकों पर प्रतिबंध है लेकिन देश में इन पर प्रतिबंध नहीं होने के कारण किसान धड़ल्ले से इनका उपयोग करते हैं । विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के बाद कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी की है, जिसमें इन कीटनाशकों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने या चरणबद्ध ढंग से हटाने के संबंध में लोगों से सुझाव मांगे गये हैं ।

कुशवाहा बंगलादेश की यात्रा पर रवाना

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नयी दिल्ली 05 फरवरी, मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के प्रमुख उपेन्द्र प्रसाद कुशवाहा पांच दिनों की यात्रा पर बंगलादेश रवाना हो गये हैं । आधिकारिक सूत्रों ने आज यहां बताया कि श्री कुशवाहा कल बंगलादेश के लिए रवाना हुये । वह यूनेस्को के ई - 9 देशों के शिक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेंगे । राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के प्रवक्ता फजल इमाम मल्लिक ने बताया कि बैठक में इन देशों के समक्ष शिक्षा के क्षेत्र में चुनौतियो तथा 2030 तक समग्र एवं समान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर विचार किया जायेगा । ई - 9 देशों में भारत , चीन , बंगलादेश , ब्राजील , मिश्र , इंडोनेशिया , नाइजीरिया , मैक्सिको और पाकिस्तान शामिल है । यूनेस्कों इन देशों में शिक्षा को बढावा देने का प्रयास कर रहा है । इस अभियान की शुरुआत भारत से 1993 में हुयी थी । दुनिया के अधिकांश निरक्षर लोग इन्हीं देशों में हैं ।

भारी बारिश के बाद फिर बंद हुआ कश्मीर राजमार्ग

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श्रीनगर 05 फरवरी, कश्मीर घाटी में भारी बारिश और हिमपात के बाद कश्मीर को देश के दूसरे हिस्से से जोड़नी वाली तीन सौ किलोमीटर लंबी राजमार्ग को एक बार फिर बंद कर दिया गया। यातायात पुलिस के एक अधिकारी ने यूनीवार्ता से बताया कि कल इस मार्ग को एक तरफ से यातायात के लिये खोला गया था लेेकिन भारी बारिश के बाद हुये भूस्खलन के कारण इसे फिर से बंद करना पड़ा है। हलांकि जरुरी समानों से लदे राजमार्ग पर पहले से फंसे वाहनों का उनके गंतव्य तक जाने की इजाजत दी गयी है। उन्होंने बताया कि काजीगुंड, जवाहर सुरंग, शैतान नाले और बनिहाल में राजमार्ग पर ताजा हिमपात तथा रामबन और रामसु के बीच भूस्खलन के कारण राजमार्ग को फिर से किसी भी यातायात आवाजाही के लिए बंद कर दिया गया। यातायात विभाग ने कल कहा था कि सिर्फ हल्के वाहनों, खास कर यात्री वाहनों को राजमार्ग पर दोनों तरफ से यातयात की अनुमति दी जाएगी लेकिन हिमपात के कारण श्रीनगर या जम्मू आज किसी भी वाहन को यातायात के लिये अनुमति नहीं दी गयी। राजमार्ग के रखरखाव के लिये जिम्मेदार सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के कर्मचारी छह अत्याधुनिक मशीनों की मदद से वाहनों की अावाजाही को सुनिश्चित करने के लिये युद्ध स्तर पर कार्य कर रहे हैं। बीआरओ ने वैकल्पिक अस्थायी सड़क का निर्माण किया था जिसकी मदद से राजमार्ग पर फंसे साढ़े तीन हजार से ज्यादा वाहनों को निकाला जा सका। अधिकारी ने बताया कि बीआरओ से हरी झंडी मिलने के बाद ही इस मार्ग पर यातयात फिर से शुरू किया जायेगा। कश्मीर घाटी और ऊपरी इलाके में छह जनवरी से हो रही भारी हिमपात और बरिश के कारण सड़क पर फिसलन और भूस्खलन के कारण यातायात बार-बार प्रभावित हो रहा है। दक्षिण कश्मीर में शोेपियां को जम्मू क्षेत्र के राजौरी और पुंछ क्षेत्र से जाेड़ने वाली ऐतिहासिक मुगल रोड को भारी हिमपात के कारण बंद कर दिया गया है। इसके अलावा कश्मीर से लद्दाख क्षेत्र को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग को भी बंद कर दिया गया है। इन दोनों सड़कों को अब गर्मी के मौसम में ही खोला जाएगा। गौरतलब है कि मुगल रोड का श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग के एक विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

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