नयी दिल्ली 29 नवंबर, महँगाई की ऊँची दर, अमेरिकी फेडरल रिजर्व के दिसंबर से ब्याज दरों में बढ़ोतरी शुरू करने की संभावना और पश्चिम एशिया में तेजी से बदल रहे भू-राजनैतिक हालात के मद्देनजर मंगलवार को होने वाली रिजर्व बैंक की पाँचवीं द्विमासिक ऋण एवं मौद्रिक नीति समीक्षा में अल्पकालिक ऋण दरों में कटौती के आसार कम हैं। आधिकारिक आँकड़ों के मुताबिक, दाल-दलहन समेत समस्त खाद्य पदार्थों की कीमतों में भारी वृद्धि के कारण इस वर्ष अक्टूबर में खुदरा मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित महँगाई की दर बढकर पाँच प्रतिशत पर पहुँच गई।
पिछले वर्ष अक्टूबर में यह 4.62 प्रतिशत पर रही थी जबकि सितंबर 2015 में यह 4.41 प्रतिशत रही थी। इसके अलावा आरबीआई की 01 दिसंबर की मौद्रिक नीति समीक्षा के ठीक दो सप्ताह बाद (15-16 दिसंबर) अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक होनी है, जिसमें अमेरिकी अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने के संकेत से दिसंबर से ब्याज दरों में बढ़ोतरी शुरू करने की प्रबल संभावना है। फेड रिजर्व ने पिछली बैठक के बाद जारी बयान में कहा था कि यदि अर्थव्यवस्था के मुख्य मानक अपेक्षित स्तर पर रहते हैं तो दिसंबर में ब्याज दरों में बढ़ोतरी शुरू की जा सकती है। विशेषज्ञों की मानें तो आंतरिक एवं बाह्य कारकों से उत्पन्न होने वाले जोखिमों से निपटने आैर आर्थिक विकास को गति देने के उद्देश्य से रिजर्व बैंक पाँचवीं ऋण एवं मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों को यथावत रख सकता है।