लंदन, 30 नवंबर, न्यूजीलैंड के पूर्व क्रिकेट कप्तान क्रिस केर्न्स को मैच फिक्सिंग को लेकर झूठी गवाही देने के आरोपों से ब्रिटिश जूरी ने सोमवार को बरी कर दिया। नौ सप्ताह तक चली सुनवाई में दस घंटे और 17 मिनट तक कुल जिरह हुई आैर जूरी ने बहुमत से 45 वर्षीय वर्षीय केर्न्स को झूठी गवाही देने और न्यायिक प्रक्रिया को गुमराह करने के आरोपों से बरी कर दिया। लंदन के साउथवर्क क्राउन कोर्ट में सात महिलाओं और पांच पुरुषों की जूरी ने बहुमत से यह फैसला सुनाया। बरी होने के बाद केर्न्स ने अदालत के बाहर कहा,“ मैं और मेरा परिवार जूरी का धन्यवाद करता है जिन्होंने मुझे बेदाग करार दिया। मेरी कानूनी टीम ने काफी अच्छा काम किया और मैं उनका भी शुक्रगुजार हूं। मेरे लिए पिछले पांच साल और पिछले दो साल खास तौर बड़े नारकीय रहे। लेकिन इस खराब समय से साफ सुथरा निकलने के बाद मैं काफी खुशी महसूस कर रहा हूं।”
केर्न्स के खिलाफ ये आरोप तब लगाए गए थे, जब उन्होंने इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के पूर्व चेयरमैन ललित मोदी के खिलाफ 2012 में 2010 में किए ट्वीट के लिए मुकदमा ठोका था। इन ट्वीट में मोदी ने केर्न्स पर मैच फिक्सिंग का आरोप लगाया था। इसके बाद दिसंबर 2013 में केर्न्स के खिलाफ फिर से ये आरोप लगे, जब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने पुष्टि की कि उसने मैच फिक्सिंग की जांच की है, जिसमें न्यूजीलैंड के तीन पूर्व क्रिकेटर शामिल हैं।
केर्न्स ने मानहानि के इस मामले में 90 हजार डॉलर जीते है, लेकिन उन पर आरोप लगे थे कि उन्होंने अदालत में झूठ बोला था कि उन्होंने 'क्रिकेट के साथ कभी धोखाधड़ी नहीं की। इस मामले में ब्रैडन मैकुलम, रिकी पोंटिंग और डेनियल वेटोरी जैसे दिग्गज क्रिकेटरों सहित खेल के जाने माने नामों ने अपने बयान दिये थे। इन पर विचार करने के बाद जूरी ने अपने फैसले पर पहुंचने के लिए सिर्फ आधे घंटे का समय लगाया। पूर्व ऑलराउंडर ने कहा,‘‘ इस मामले ने मेरी प्रतिष्ठा को तार-तार कर दिया था लेकिन इससे मेरा मनोबल नहीं टूटा। इस फैसले के बाद अब मुझे यकीन है कि न्यूजीलैंड में मेरे माता-पिता गर्व से सिर उठा कर चल सकेंगे।” केर्न्स ने इसके साथ ही क्रिकेट की दुनिया में भी लौटने से इन्कार कर दिया।