शिमला जीएसटी पर गठित मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविन्द सुब्रमण्यम समिति द्वाराहाल ही में वित्त मंत्री को दी गयी अपनी सिफारिशों में जीएसटी के मुख्य कर को 18% तक रखने एवं अंतर्राज्यीय व्यापार में प्रस्तावित 1 प्रतिशत अतिरिक्त कर को वापिस लेने के प्रस्ताव को बेहद प्रासंगिक बताते हुए कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडियाट्रेडर्स (कैट) ने पैनल की सराहना की है लेकिन पैनल द्वारा ही अनेक स्तरीय करलगाने के प्रस्ताव की आलोचना भी करते हुए कैट ने कहा है की इससे जीएसटी कामुख्य उद्देश्य ही समाप्त हो जायेगा क्योंकि वर्तामन में लागू बहुकारीय एवं बहु करनिकाय व्यवस्था को ख़त्म करना जीएसटी का उद्देश्य है जबकि पैनल कीसिफारिशों से यह और बढ़ेगा !
जीएसटी में कर की मुख्य दर 18 प्रतिशत रखने का प्रस्ताव बेहद तार्किक औरन्यायसंगत है तथा अंतर्राज्यीय व्यापार में प्रस्तावित 1 प्रतिशत अतिरिक्त कर कोवापिस लेने की सिफारिश कर पर कर लगने की संभावनाओं को समाप्त करेगी ! कैटने खेद व्यक्त करते हुए कहा की पैनल ने इस मुद्दे पर व्यापारियों से बातचीत तक नहीं की जबकि व्यापारियों के माध्यम से ही जीएसटी लागू होगा !
कैट के राष्टीय अध्यक्ष श्री बी.सी.भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खण्डेलवालने कहा की इन दो प्रस्तावों के अतिरिक्त पैनल द्वारा सुझाये गए अन्य प्रस्ताव गैरवाजिब है और विकसित अर्थव्यवस्था में कर प्रणाली के सिद्दांतों के विरूद्ध हैं ! पैनलने आवश्यक वस्तुओं को 12 प्रतिशत की कर दर में रखने का प्रस्ताव किया हैजबकि आम आदमी द्वारा रोज़मर्रा की जरूरतों की वस्तुओं को आवश्यक वस्तुमाना गया है और प्रत्येक कर व्यवस्था में प्रे यह वस्तुएं कर से छूट की श्रेणी मेंराखी जाती हैं वहीँ दूसरी ओर विलासिता की वस्तुओं को 40 प्रतिशत की दर मेंरखने का प्रस्ताव दिया गया है ! विलासिता वस्तु की परिभाषा बेहद भ्रामक है !किसी एक वर्ग के लिए विलासिता की वस्तु अन्य वर्ग के लिए आवश्यक भी होती है! पैनल ने इस तथ्य को नजरअंदाज किया है !
श्री भरतिया एवं श्री खण्डेलवाल ने कहा की अनेक प्रकार की कर दर की पैनल कीप्रस्तावना स्वयं कर पालना को हतोत्साहित करेगी ओर कर का दायरा भी नहीं बादपायेगा वहीँ कर व्यवस्था बेहद जटिल होगी ! उन्होंने सुझाव दिया है की वर्तमान कर प्रणाली की जटिलताओं ओर विसंगतियों कोदूर करते हुए देश भर में एक कर, एक अथॉरिटी, सारे देश में कर की दरें एक समान,समान कानून को मिलकर जीएसटी लाने से कर पालना भी बढ़ेगी ओर राज्यों कोराजस्व में भी वृद्धि होगी वहीँ करप्रणली भी सरल होगी ! उन्होंने कहा की सरकार कोअब इस मुद्दे पर व्यापार एवं उद्योग से बातचीत का दौर शुरू करना चाहिए !