पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलने की बात प्रायः तय हो चुकी है। समय-सारणी भी घोषित हो चुकी है। ऐसा लग रहा है कि क्रिकेट खेलना दोनों देशों के बीच एक अव्यक्त मजबूरी बन गयी है जो समझ में नहीं आ रही।इधर, पाकिस्तान के साथ बेहतर रिश्ते बनाने के लिए क्रिकेट खेलने की बात हो रही है और उधर हमारे पड़ौसी देश के मन में कुछ और ही ‘प्लान’ पक रहा है। सुना है इस बार पाक समर्थित आतंकियों ने नए साल में हमारे देश में कोई बड़ा धमाका करने की ठान लीहै। सूत्रों के अनुसार सीमा पार से घुसपैठ के जरिए भारत में घुस आए लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी नएसाल के आसपास एक बड़े हमले की फिराक में हैं।माना जा रहा है कि खुफिया एजेंसी इंटेलिजेंस ब्यूरोको नए साल के आसपास पाक-समर्थित आतंकी हमले की साजिश की जानकारी मिली है। इसे देखते हुएआईबी ने आतंकी हमले का अलर्ट जारी किया है। आईबी के मुताबिक आतंकी उत्तर भारत के 8 राज्यों मेंआतंकी हमले करने की योजना बना रहे हैं।आतंकी महत्वपूर्ण इमारतों, टूरिस्ट स्पॉटस और धार्मिकस्थलों को निशाना बना सकते हैं।साथ ही शॉपिंग मॉल, भीड़-भाड़ वाले इलाके, रेलवे स्टेशन और बसस्टेशनों पर भी हमले की आशंका जताई जा रही है।
विडंबना देखिये,इधर,पाक से हमारे राजनीतिक मंजर का या आलम है और उधर हम इस देश के साथ क्रिकेट खेलने के लिए अधीर/उतावले हो रहे हैं। हमारे वीर सैनिकों की कुर्बानियों की तुलना में क्रिकेट काखेल अचानक कैसे ज़्यादा महत्वपूर्ण हो गया?यह विचारणीय है।हम पाक द्वारा समर्थित आतंकीहमलों: मुंबई आतंकी हमला 26/11,मुंबई बम ब्लास्ट12 मार्च,1993,भारतीय संसद पर हमला 13दिसंबर,2001,दिल्ली-सीरियल बम ब्लास्ट 29 अक्टूबर,2005,अक्षरधाम-मंदिर-हमला 24सितम्बर,2002 आदि को कैसे भूल गये?कारगिल युद्ध की पाक की नापाक साजिश को भी हमनेशायद अपनी यादाश्त से अब बाहर कर दिया है!हम भूल गये कि इन सारे हमलों में हमारे देश के हज़ारों-हजारों निर्दोष नागरिकों और जांबाजों ने अपनी कीमती जानें गंवाई है।
माना जाता है कि क्रिकेट के खेल से दोनों देशों के बीच दोस्ती के रिश्ते मज़बूत होंगे।बात यह नहीं,बातदूसरी है।दरअसल,इस खेल में खूब पैसा है, इसीलिए इस मुद्दे को बार-बार हवा दी जा रही है।अगरक्रिकेट-खेल से दोनों देशों को एक दूसरे के गले लगना होता तो कब के लग गए होते।कौन नहीं जानताकि इस पैसे-के-खेल में लोगों/दर्शकों का हित कम,दोनों देशों के क्रिकेट बोर्डों का भला अधिक होता है औरउनकी झोलियाँ भर जाती हैं।यह बात न कोई बताता है और न ही कोई समझता है। पहले पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकी घटनाओं का अंत हो और फिर क्रिकेट का खेल हो।एक बारशान्ति स्थापित हो जाय तो बाद में गीत-संगीत और पुस्तक विमोचन आदि के कार्यक्रम भी हो सकते है।
शिवेन रैना
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