कोलकाता,14 दिसंबर, राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने संसद के अंदर विपक्ष द्वारा जारी हंगामे पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि संसद के अंदर बहस के माध्यम से कामकाज करना चाहिए न की इसमें व्यवधान पैदा करना चाहिए। उन्होंने कहा,“ संसद के अंदर लगातार व्यवधान पैदा करना स्वीकार्य नहीं है। व्यवधान पैदा करने के लिए कई और अन्य जगह है।” श्री मुखर्जी ने यहां कोलकाता विश्वविद्यालय के शताब्दी हॉल में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु की स्मृति में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा,“मैंने हमेशा से यह कहा है कि संसद की कार्यवाही के लिए तीन डी डिबेट (बहस), डिसेंट (मतभेद) और डिसीजन (निर्णय) के अनुसार कार्यवाही करना चाहिये।”
उन्होंने कहा कि इस तरह के लगातार हो रहे हंगामें से कुछ भी हासिल नहीं की जा सकती है। राष्ट्रपति ने अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए कहा,“ बचपन में मेरे शिक्षक ने मुझे बताया था कि लोकतंत्र में इस तीन डी डिबेट (बहस), डिसेंट (मतभेद) और डिसीजन (निर्णय) का बहुत महत्व है। उसके बाद मैंने कभी भी चौथा डी डिस्रप्शन (व्यवधान, हंगामा) नहीं सुना।” उन्होंने भारत-जापान असैन्य परमाणु समझौते पर भी प्रसन्नतास जाहिर की और कहा कि हम पहले भी अमेरिका और रूस के साथ उनके विदेश मंत्री के कार्यकाल के दौरान असैनय परमाणु सहयोग समझौत पर हस्ताक्षर कर चुके है।