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व्यंग्य : ​गम खा - खूब गा...!!

कड़की के दिनों में मिठाई खाने की तीव्र इच्छा होने पर मैं चाय की फीकी चुस्कियां लेते हुए मिठाई की ओर निहारता रहता हूं। इससे मुझे लगता है मानो मेरे गले के नीचे चाय के घुंट नहीं बल्कि तर मिठाई उतर रही है।धन्ना सेठों के भोज में जीमने से ज्यादा आनंद बतकही में व्यंजनों के विश्लेषण से प्राप्त किया जा सकता है। क्योंकि हमें पता होना चाहिए  कि खुश रहना या दुखी होना अपने हाथ में है। आदमी टूटी झोपड़ी में रहते हुए भी महलों का अहसास करता रह सकता है। लेकिन मैं यह भी जानता हूं कि सब ऐसे नहीं होते। ज्यादातर किसी न किसी बात पर कुढ़ते रह कर अपना और दूसरों का भी ब्लड प्रेशर बढ़ाते रहते हैं। 

अब हाल के घटनाक्रम  को ही ले लीजिए। कालचक्र ने हाल के दिनों में देशवासियों को खुश होने के कई मौके दिए । एक पखवाड़े के भीतर अनेक राजनेताओं के बाल - बच्चों का घर बस गया। एक खबर के मुताबिक देश के एक नामी बुद्धिजीवी हर महीने आम - आदमी को मिलने वाली तनख्वाह के बराबर की कीमत की किताबें खरीद कर पढ़ जाते हैं और अपना बुद्धिबल बढ़ाते रहते हैं।  जेल में बंद एक नायक के बारे में खबर आई कि उनकी सजा की मियाद करीब छह महीने कम हो गई है और समय से काफी पहले ही वे जेल से रिहा हो सकते हैं।यानी उनके प्रशंसक जल्द ही उन्हें एक बार फिर से रुपहले पर्दे पर अन्याय - अत्याचार के खिलाफ संघर्ष करते हुए देख सकेंगे।दाल व सब्जियों समेत दूसरी जरूरी चीजों की कीमतें बढ़ने से परेशान आम आदमी के लिए ऐसी खबरें जरूर तपती दुपहरी में ठंडी हवा के झोंके समान है। 

लेकिन ठहरिए देशवासियों के लिए सुसंवाद का यह सिलसिला यही रुकने वाला नही्ं। समय के पिटारे में अभी बहुत कुछ शेष है। दूसरे नायक के बारे में पता लगा कि वे जेल जाते - जाते बाल - बाल बच गए। कहा जाता है कि जेल जाने से बचने का अहसास होते ही बेचारे की आंखों में आंसू आ गए। उन आंसुओं का विश्लेषण भी खूब हुआ। नायक के आंसू पूरे दिन सुर्खियां बनी रही। अदालती चक्कर के एक - एक दिन का हिसाब परोसा गया। ढोल - नगाड़े बजाते हुए नाचते - कुदते प्रशंसकों का ऐसा उत्साह बस क्रिकेट में मिली सफलता के बाद ही देखने को मिलता है। उस दिन मैं जब भी चैनल खोलता , बस एक ही खबर ...। देखिए फलां के आंसू ...। बेचारा कैसे रो रहा है। कोई कह रहा है फलां के बेकसूर साबित होने से सबसे ज्यादा खुश मैं हूं... किसी ने सलाह दी... । ... भले ही उनकी उ म्र 50 की हो गई है, लेकिन अब उसे शादी कर लेनी चाहिए। विश्लेषण शुरू हुआ तो पूर्वानुमान में अनेक अभिनेत्रियों की सूची तैयार हो गई, जिसे भविष्य में नायक की अर्द्दांगिनी बनने का सौभाग्य मिल सकता है। एक और सुसंवाद ...। गुजरे जमाने के क्रिकेटर ने ऐलान किया कि उनके सपूतों ने यदि बड़ा होकर उनकी तरह तिहरा शतक लगाया तो वे उन्हें विदेशी फेरारी कार गिफ्ट करेंगे। यह भी एक सुसंवाद ही तो रहा। एक और क्रिकेटर के बारे में मालूम हुआ कि उसकी मंगनी पर देश के एक नामी उद्योगपति ने विशाल और भव्य  भोज का आयोजन किया, जिसमें बड़ी संख्या में  नामी - गिरामी क्रिकेटर अपनी - अपनी पत्नियों , मंगेतरों व गर्ल फ्रेंडों के साथ मौजूद रहे। इस बीच बुलेट ट्रेन का सपना एक बार फिर साकार होता नजर आया। इस परिस्थिति में हम जैसे आम - आदमी को कम - खाते हुए खूब गाते रहने का अभ्यास जारी रखना चाहिए। 






तारकेश कुमार ओझा, 
खड़गपुर (पशिचम बंगाल) 
पशिचम मेदिनीपुर 
संपर्कः 09434453934, 9635221463
लेखक पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रहते हैं और वरिष्ठ पत्रकार हैं।

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