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बिहार : काजल कुमारी की मौत से हड़कम्प

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पटना। दीघा थानान्तर्गत नाच बगीचा मुसहरी में रहने वाले अनिल मांझी और कलावर्ती देवी की पुत्री काजल कुमारी की मौत से हड़कम्प मच गयी है। महादलित मुसहर समुदाय का कहना है कि राम भरोसे छात्रावास को छोड़कर छात्रावास प्रभारी सिस्टर स्नेहा पटना आ गयी थीं। जी हां, इंगलैंड के याॅकशायर में रहने वाली मेरी वार्ड ने 1609 में ‘दी इंस्ट्ीच्यूट आॅफ दी ब्लेस्स मेरी द विर्जिन ’ (आई0 बी0 एम0 व्ही0) स्थापित की थीं। उस समय धार्मिक उत्पीड़न जोरों पर था। बेल्जियम के संत आॅमेर में प्रथम काॅन्वेंट खोला गया। आई0 बी0 एम0 व्ही0 के लोग संत इग्नासियुस लोयोला से प्रभावित हैं। सलीब के सहारे ब्लेस्स मेरी विर्जिन संचालित है। इस संस्था के मुख्यालय बांकीपुर,पटना में है। इनके द्वारा संत जोसेफ काॅन्वेंट संचालित है। इसी तरह संत कैथेरिन काॅन्वेंट,शाहपुर पट्टी,भोजपुर में निर्मला शिक्षा भवन,शाहपुर पट्टी में संचालित है। यहां पर हजारों की संख्या में बच्चे पढ़ते हैं। के0 जी0 से दसवीं कक्षा तक की पढ़ाई होती है। छात्रावास भी है। इसमें 19 लड़कियां रहती हैं। इनमें अधिकांश मुसहर समुदाय की हैं। छात्रावास में काजल कुमारी की मौत होने से हड़कम्प मच गया।

 छात्रावास में नाच बगीचा मुसहरी में रहने वाले अनिल मांझी की पुत्री काजल कुमारी और चांदनी कुमारी, धर्मेंद्र मांझी की पुत्री गीता कुमारी और बीरजू मांझी की बेटी रानी कुमारी का नाम निर्मला शिक्षा भवन,शाहपुर पट्टी में लिखाया गया। इसमें कुर्जी होली फैमिली हाॅस्पीटल के सामुदायिक स्वास्थ्य एवं ग्रामीण विकास केन्द्र का कार्यकर्ता माइकल विलियम को श्रेय जाता है। इनके प्रयास से मुसहर समुदाय के बच्चों का नाम लिखाया गया। प्रत्येक माह भोजन और छात्रावास शुल्क 1 हजार 2 सौ रूपये है। वहीं प्रत्येक दो माह पर विघालय शुल्क 750 रूपये लिए जाते हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य एवं ग्रामीण विकास केन्द्र के कार्यक्षेत्र होने के कारण केन्द्र द्वारा छात्रावास शुल्क में 500 रूपये दिया जाता है। इस तरह एक बच्ची के अभिभावक को छात्रावास शुल्क 700 रू0 ही देना पड़ता है। 6 साल से गीता कुमारी पढ़ती हैं। अभी वह 8 वीं कक्षा में है। 5 साल से रानी कुमारी पढ़ती थीं। वह 8 वीं कक्षा में पढ़ती थी। किसी गंभीर बीमारी के कारण विघालय से परित्याग कर दिया गया। 2 साल से काजल कुमारी पढ़ती है। 1 ली कक्षा में पढ़ती है। काजल कुमारी की छोटी बहन चांदनी कुमारी 1 साल से पढ़ती हैं। वह अभी के0जी0 में है। 


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हुआ यह कि छात्रावास को राम भरोसे छोड़ छात्रावास प्रभारी सिस्टर स्नेहा पटना 18 दिसम्बर को आ गयी थी। 19 दिसम्बर को सुबह काजल कुमारी ने सिर दर्द की शिकायत की। यहां के सिस्टरों ने गंभीरता नहीं दिखाया और कुछ दर्द नाशक दवा देकर सोने को कह दिए। इसके बाद अन्य लड़किया गिरजाघर में प्रार्थना करने चले गये। वहां से आने के बाद काजल कुमारी को नाश्ता करने को कहा गया। वह नास्ता नहीं और सिर दर्द की शिकायत करती रही। मगर सिस्टरों ने शिकायत को गंभीरता से नहीं ली। दोपहर से तबीयत खराब होने लगी। उसकी छोटकी बहन चांदनी कुमारी देखी कि दीदी गहरी सास ले रही है। मगर वह किसी को नहीं बतायी। जब लड़किया कक्षा से लौटकर आयीं तो उल्टी सास लेने पर गंभीर हो गयी। तबतक काफी देर हो चला था। फिर भी सिस्टर पूजा और सिस्टर लूथ की सहायता से निकटवर्ती अस्पताल ले जाने का प्रयास होने लगा। शाहपुर पट्टी अस्पताल ले जाने के दौरान राह में काजल कुमारी दम तोड़ दी। वह 11 साल की थीं। भोजपुर से पटना लाया गया। सिस्टरों के साथ गीता कुमारी,चांदनी कुमारी,निशा कुमारी और सीभा कुमारी आयीं। सबसे पहले कुर्जी अस्पताल में काजल का शव रखा गया। उसके बाद नाच बगीचा मुसहरी आकर काजल की मां और पिता को ले गए। 12 बजे रात में पार्थिव शरीर को मुसहरी लाया गया। 21 दिसम्बर को मिट्टी के हवाले कर दिया गया।

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