जमशेदपुर, रोटरी क्लब मिड टाउन, जमशेदपुर ने कल शहर के बुलेवर्ड होटल में एक सामूहिक चर्चा एवं वार्ता का आयोजन किया . चर्चा में रोटरी क्लब के ही तीन महिला सदस्य कुसुम ठाकुर, रेचल, मीता सहित सदस्य डॉ गार्डिन और राज अम्बष्ठा ने भाग लिया. चर्चा का विषय था "Women In Power Is Real Empowerment."
चर्चा की शुरुआत कुसुम ठाकुर ने एक अलग अंदाज़ से किया. कुसुम ठाकुर के अनुसार महिलाओं का सशक्तिकरण शिक्षा से ही हो सकता है न कि बड़े बड़े पदों पर आसीन होकर. आज महिलाऐं जो उच्च पदों पर आसीन हैं या जिनके पास पॉवर या पदों की वजह शक्ति है वे सही मायने में शसक्त नही हो सकतीं . अनेको ऐसी महिलाऐं हैं जो उच्च पद पर आसीन हैं जहां तक पहुँचने में उनकी मेहनत निहित होता है परन्तु सशक्तिकरण का जहाँ तक सवाल है उसमे उनका योगदान नहीं के बारबार रहता है. श्रीमती ठाकुर ने आगे कहा . उनका योगदान उनकी पद के अनुसार अपने कार्य क्षेत्र में होता है . परन्तु अनेकों ऐसे उदाहरण हैं जिनमे महिलाओं का सशक्तिकरण उनकी शिक्षा की वजह से हुआ.
श्रीमती ठाकुर ने कहा ऐसी अनेकों महिलाएं हैं जो उच्च पद पर न रहते हुए भी सशक्त हैं और महिला सशक्तिकरण के लिए अद्भूत कार्य कर रही हैं, मिशाल कायम कर रही हैं, अपने अपने क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है. मलाल का उदाहरण देते हुए कहा कि : मलाला वह नाम है जिसने पढाई के लिए खासकर लड़कियों की पढाई के लिए पाकिस्तान जैसे देश में जहां औरतों पर आज भी तरह तरह की पाबंदियां हैं, उसके बावजूद उसने लड़कियों की पढाई के लिए आवाज उठाई और तालिबान की शिकार हुई .तालिबानियों के हमले के बावजूद १६ वर्ष की मलाला ने जिस साहस का परिचय दिया है वह शायद उच्च पद पर आसीन महिलाऐं नहीं कर पातीं. यूएन असेम्बली में मलाला ने जिस आत्म विश्वास से कहा कि तालिबान उसके इरादों को कभी हिला नहीं सकते वह काबिले तारीफ़ है. वह सशक्त हुई तो बस शिक्षा की वजह से. इससे सिद्ध होता है कि महिला सशक्तिकरण पद में नहीं शिक्षा में है.
कुसुम ठाकुर ने दूसरा उदाहरण झारखण्ड की acid victim लक्ष्मी आ दिया. उन्होंने कहा लक्ष्मी को ही लीजिए आज उसे दुनिया जानती है उसे भी शिक्षा ने जागरूक बनाया और वह अपने साथ साथ उसी की तरह की पीड़ित महिलाओं की आवाज बन गयी. Women Of Courage Award पाया . उसके पास भी पद नहीं था उसकी शिक्षा ने उसे अपने हक़ अपने अधिकार का आइना दिखलाया और आज विश्व उसे जानता है.
अंत में दर्शको के सोचने और जवाब के लिए एक प्रश्न रखा. उन्होंने कहा: बिहार की भूतपूर्व मुख्या मंत्री श्रीमती रबरी देवी को लीजिए ...राबड़ी देवी के पास power है पर क्या वे सही मायने में सशक्त हैं empowered हैं ?
इस प्रश्न का दर्शकों ने जोरदार तालियों से स्वागत किया और बाद में उसपर अनेकों प्रश्न किये गए जिनका जवाब कुसुम ने बड़े ही सहज और तर्क और उदाहरण के साथ दिया. शहर के मशहूर प्लास्टिक सर्जन डॉ भरत ने कुसुम के विचारों का स्वागत किया और प्रशंसा की. रोटरी प्रेसिडेंट आशा ने कहा कि मई महीने में एक काव्य संध्या का आयोजन होगा जो विशेषतः कुसुम की कविताओं का पाठ रहेगा.
बाकी सभी सदस्यों ने भी अपने अपने विचार रखे अंत में दर्शकों के प्रश्न पूछने की बारी आई जिसका सभी वार्ताकारों ने जवाब दिया.