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सोनिया गांधी को 7 अप्रैल तक अपने पासपोर्ट की कॉपी मुहैया कराने का आदेश दिया

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अमेरिका की एक अदालत ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को 7 अप्रैल तक अपने पासपोर्ट की कॉपी मुहैया कराने का आदेश दिया है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि वह दस्तावेजी सबूत के रूप में 7 अप्रैल तक अपने पासपोर्ट की कॉपी मुहैया कराएं। इसका मकसद यह पता लगाना है कि वह पिछले साल सितंबर में उस समय अमेरिका में थीं या नहीं, जब सिख मानवाधिकार समूह ने उन्हें 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में समन जारी करने का दावा किया है।

सिख फोर जस्टिस (एसएफजे) ने दावा किया है कि सोनिया को पिछले साल सितंबर में समन जारी किया गया था तब वह कथित रूप से न्यू यॉर्क के मेमोरियल स्लोयन केटरिंग कैंसर सेंटर में मेडिकल चेकअप के लिए आई थीं। समूह ने अदालत में सोनिया के इस दावे को चुनौती दी है कि वह पिछले साल सितंबर में न्यू यॉर्क में नहीं थीं और इसलिए उन्हें सिख मानवाधिकार समूह द्वारा दिए समन या उनके खिलाफ दर्ज मानवाधिकार उल्लंघन मामले में शिकायत नहीं मिली थी।

मैनहटन संघीय अदालत के जज ब्रायन कोगन ने कहा कि सोनिया ने यह प्रमाणित नहीं किया है कि वह पिछले साल 2 से 12 सितंबर के बीच अमेरिका में नहीं थीं और उन्हें कोई दस्तावेजी सबूत, प्राथमिक तौर पर अपने पासपोर्ट की कॉपी 7 अप्रैल तक मुहैया करा देनी चाहिए ताकि यह तय किया जा सके कि वह अमेरिका में थीं या नहीं।

उन्होंने कहा, 'बचाव पक्ष को अपनी बात साबित करने के लिए कोई दस्तावेजी सबूत देना चाहिए जो यह साबित कर सके कि प्रतिवादी समन दिए जाने के समय अमेरिका में नहीं थीं।'अदालत ने कहा, 'अदालत को लगता है कि प्रतिवादी के लिए सबसे आसान तरीका अपने पासपोर्ट की कॉपी मुहैया कराना होगा, जिसमें उनकी अमेरिका में आने और जाने की सबसे हालिया प्रवेश और निकास संबंधी मोहर लगी हो। इससे पता लग सकेगा कि वह दो सितंबर 2013 से 12 सितंबर 2013 के बीच देश में नहीं थीं।'

सोनिया के खिलाफ ब्रुकलिन संघीय अदालत में एसएफजी का मानवाधिकार उल्लंघन संबंधी मामला इस मामले पर अटका है कि क्या सोनिया को समूह के दावों के अनुसार 9 सितंबर को समन तामील किया गया था या क्या वह इस दौरान अमेरिका में नहीं थीं जैसा कि सोनिया ने दावा किया है। सोनिया ने अदालत में याचिका दायर करके उनके खिलाफ दर्ज मामले को खारिज करने की मांग की और कहा कि उन्हें कभी व्यक्तिगत रूप से समन तामील नहीं किया गया।

सोनिया के वकील रवि बत्रा ने कोगान के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जज ने समय बर्बाद न करने और मामले को जल्द निपटाने के लिए दस्तावेजी सबूत पेश करने को कहा है। बत्रा ने उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के एक लेटरहेड पर सोनिया के हस्ताक्षर वाला उनका लिखा पत्र अदालत में जमा कराया है। सोनिया ने पत्र में लिखा है कि एसएफजे के दावों के विपरीत वह पिछले साल सितंबर में न्यू यॉर्क में नहीं थीं और उन्हें इस मामले में समन नहीं मिले थे।

एसएफजे के कानूनी सलाहकार गुरपतवंत सिंह पन्नून ने कहा कि यदि सोनिया 7 अप्रैल तक सबूत मुहैया नहीं करा पाती हैं तो समूह 1984 में सिख विरोधी दंगों में कथित रूप से शामिल कांग्रेस पार्टी के नेताओं को बचाने के आरोपों के संबंध में उनके खिलाफ मुकदमा शुरू करने के लिए अदालत से अपील करेगा।

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