Quantcast
Channel: Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)
Viewing all articles
Browse latest Browse all 78528

आलेख : सियासी नारों में दरकता बुनकरों का दर्द

$
0
0
handicraft worker
हर बार की तरह इस बार भी 16वीं लोकसभा के लिए सियासत की विसात बिछ चुकी है। दलों ने अपने-अपने महारथी रणक्षेत्र में उतार दिए है। लेकिन फिर वही यक्ष प्रश्न लोगों के जहन में कौंधने लगा है, क्या आम गरीब आदमी को रोजगार के लिए मुफीद माना जाने वाला अब हाशिये पर पहुंच चुका भदोही का कारपेट इंडस्ट्री भारत ही नहीं सात समुन्दर पार एसियाई देशों में अपना वजूद बचा पायेगी या सिर्फ इतिहास के पन्नों का गवाह बन कर सिमट जायेगी। आजादी के बाद से हुए चुनावों में 7 बार कांग्रेस, 3 बार बसपा, 3 बार भाजपा, 2 सपा व 2 बार जनता पार्टी के प्रतिनिधि अपना फतह हासिल कर संसद पहुंचे, लेकिन इन सियासी नुमाइंदें बुनकरों की हाल-ए-दर्द को समझने के बजाए अपनी माली हालात व हैसियत सुधारने की ज्यादा तरजीह दी। आधारभूत व सहूलियतों के अभाव में 500 से अधिक कालीन कंपनिया, डाइंग फैक्ट्रियां बंद हो गई, 250 बीमार होकर अंतिम सांसे गिन रही है तो 100 से अधिक कालीन कंपनिया दिल्ली, पानीपत व हरियाणा शिफ्ट हो गयी। 5 लाख से अधिक बुनकर दो वक्त की रोटी के इंतजाम में दुसरे राज्यों में पलायन कर गए। चीन, ईरान, पाकिस्तान, नेपाल आदि प्रतिद्वंदी देश हमारे बाजार पर नजरें गड़ाए है। बेहतर तकनीक व फिनिशिंग की चुनौती दे रहे है। इस बार भी जोर-शोर से बुनकरों की बदहाली व समस्याओं से जुड़े मुद्दे उठ तो रहे है, लेकिन देखना है, जनता पानी की तरह बहा रहे दौलत व दहशत के बीच जाति को तवज्जों देती है या फिर झूठे वादों को अलापने वाले या फिर नमो-नमों की लहर में बहेगी यह तो वक्त बतायेंगा। 

handicraft worker
आजादी के बाद भदोही-मिर्जापुर को जोड़कर इस संसदीय क्षेत्र का गठन किया गया। पूरे भारत में इकलौता यह इलाका रहा, जहां वर्ष 1952 से 1962 तक दो सांसद चुने जाते रहे, वह भी अंग्रेज। आरके नारायणन व जेएन विल्सन एक दशक तक कांग्रेस सांसद रहे। इसके पीछे बड़ी वजह यह रहा कि इस इलाके शत-प्रतिशत काम कालीन का ही होता रहा। उस दौरान ओबीटी व टेलरी दो कंपनिया थी, जो यहां के बुनकरों व इससे जुड़े लोगों से कालीन खरीदकर इक्सपोर्ट करते रहे। दोनों अंग्रेजों पर यहां की जनता का काफी भरोसा था। वर्ष 1962 पं। नेहरु ने पं श्यामधर मिश्रा को चुनाव मैदान में उतारा और वह विजयी होकर उनके मंत्रीमंडल के सदस्य भी बने। इक्सपोर्टर संघ के सीनियर लीडर अब्दुल हादी की मानें तो श्री मिश्र के कार्यकाल में इस जनपद का काफी विकास हुआ। पगडंडीयुक्त सड़के पिच हो गयी। शहरी इलाकों में विद्युतीकरण हो गया। इम्पोर्ट लाइसेंस की सुविधा मिलने से निर्यातक आत्मनिर्भर होकर खुद इक्सपोर्ट करने लगा। पहला इक्सपोर्ट स्वर्गीय एमए समद को करने का गौरव हासिल है। यहीं से अंग्रेज प्रतिनिधित्व के खत्म होने की शुरुवात हुई, बल्कि उनका बोरिया-विस्तर भी उठ गया। हालांकि उनकी कंपनी आज भी किसी न किसी रुप में संचालित है। इमर्जेंसी के बाद 12 मार्च 1977 को इंदिरा गांधी भदोही आई और इंदिरा वूलेन मिल, कालीन प्रौद्योगिकी संस्थान व चीनी मिल की आधारशिला रखकर भदोही के भविष्य को न सिर्फ उंचाईयां दी, बल्कि इक्सपोर्ट ग्राफ भी बढ़ गया। श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा गांव-गांव में बुनकर प्रशिक्षण केन्द्र खोले जाने से गरीबों को रोजगार मिला। बढते रोजगार को देखते हुए श्रीमती गांधी ने कालीन कारोबारियों को इक्सपोर्ट करने पर 20 फीसदी की सब्सिडी भी प्रदान कर दी। यही वजह रहा कि यहां कांग्रेस में लोगों की आस्था परवान चढ़ने लगी। वर्ष 1967 के चुनाव को छोड़ दे तो 1952-1984 तक कांग्रेस के ही सांसद चुने गए। बीपी सिंह की आंधी में कांग्रेस के पैर उखड़े तो फिर जमंे नहीं। 1990 के दशक में तेजी से फलफूल रहे कारपेट इंडस्ट्री को बालश्रम की काली छाया पतन के रास्ते पर ला दी। हालांकि वर्ष 1991 में वीरेन्द्र सिंह भाजपा से सांसद चुने गए और उस काली छाया से उबारने के लिए निर्यातकों के साथ संघर्ष किया। गाड़ी पटरी पर आने लगी थी लेकिन जातिवादी व ग्लैमर के चलते फूलन देवी से श्री सिंह वर्ष 1996 के चुनाव में हार गए। वर्ष 1998 के चुनाव में श्री सिंह फूलन को शिकस्त देकर जीत तो गए लेकिन समयाभाव में वह कुछ खास नहीं कर सके। इसके बाद तो जातिवादी लहर हावी हो गयी। सरकार से विकास के लिए भारी-भरकम धन मिलने के बावजूद इस इलाके का विकास नहीं हो सका। घाटे में चल रही चीनी मिल व इंदिरा वूलेन मिल को औने-पौने दामों में बेच दिया गया। कारपेट इंडस्ट्री पर लगा ग्रहण करता रहा और सुविधाओं के अभाव में एक-एक कर कंपनियां बंद होती गयी। वर्ष 2002 में 20 हजार करोड़ से बनने वाली सेज आज तक मूर्तरुप नहीं ले सका। लचर लाॅ एंड आर्डर के चलते बीडा द्वारा निर्मित कारपेट सीटी में उद्यमी जाना ही नहीं चाहते। यूपी सरकार की उपेक्षा से करोड़ों का एमडीए ग्रांड उद्यमियों का फसा है। 

handicraft worker
जिला सृजन के 20 साल बाद भी लोगबाग बिजली, पीने के पानी के लिए तरस रहे है। ज्ञानपुर रोड हो या औराई रोड, इंदिरामिल बाईपास, दुर्गागंज रोड, स्टेशन रोड आदि सड़कों की हालात किसी से छिपी नहीं है। पता ही नहीं चलता सड़क गड्ढे में या गड्ढे में सड़क। ज्ञानपुर से 5 किमी दूर सरपतहा में ऐसी जगह मुख्यालय बना है जहां रात तो दूर दिन में ही बिराना लगता है। सांझ ढलने से पहले ही कलेक्ट्रेट व विकास भवन सन्नाटे में डूब जाता है। दोनों कार्यालयों के बीच दूरी 8 किमी है। अगर किसी फरीयादी की फाइल पर डीएम ने आदेश कर भी दिया तो उसे सीडीओं के पास पहुंचने में इतना देर हो जाता है कि उस दिन काम नहीं हो पाता। 45 किमी की परिधि में फैले इस जनपद में मुख्यालय व विकास भवन तक आने-जाने के लिए बस-जीप तो दूर टैम्पों भी नहीं चलता। भदोही, ज्ञानपुर, नयी बाजार, खमरिया, सुरियावा, गोपीगंज व घोसिया सहित अन्य शहरी इलाकों में जल निकासी की व्यवस्था न होने से बारिश के दिनों इलाके झील नजर आते है। घोषणा के 6 साल बाद भी अभी तक जिला अस्पताल व न्यायालय नहीं बन सका है। भदोही के गजिया, ज्ञानपुर नगर, गोपीगंज व औराई में फलाईओवर ब्रिज, सीतामढ़ी को पर्यटक स्थल का दर्जा, रामपुर घाट व धनतुलसी मार्ग पर पक्का पुल निर्माण की फाइले सचिवालय में सालों से धूल खां रही है। शिक्षा का हाल यह है कि इंटरमीडिएट के बाद साइंस के छात्राओं को ग्रेजूएसन के लिए गैर जनपद जाना पड़ता है। अभियान के बाद भी प्राइमरी स्कूल बदहाल है। सुविधाओं एवं योग्य चिकित्सकों के अभाव में अस्पतालें सिर्फ डाक्टरी मुआयना तक ही सीमित है। जिला बनने के बाद एक भी नया उद्योग या इंस्टीच्यूट नहीं स्थापित हो सका। 

भदोही में पिछले दिनों ताबड़तोड़ एक के बाद कालीन उद्यमियों, बायर एजेंटो, पत्रकारों सहित आम गरीब जनमानस सरेराह सड़कों पर पुलिस से पीटता रहा, फर्जी मुकदमें दर्ज कर अवैध वसूली होते रहे, गोपीगंज, औराई, मोढ़, सुरियावा, जंगीगंज, चैरी, ज्ञानपुर, डीघ सहित पूरे जनपद में जगह-जगह लोगों पर बाहुबलि विधायक विजय मिश्रा के इशारे पर जमीन कब्जा, फर्जी मुकदमें होते रहे। बीएसए कार्यालय में दिनदहाड़े घुसकर बीएसए रितुराज को मारा गया, जगह-जगह रंगदारी व फिरौती वसूली गयी। उन पर कार्यवाही सिर्फ इसलिए नहीं हो सकी उन पर माफिया विधायक का छत्रछाया रहा। यह सवाल हर जुबा पर है। जनता सब जानती है। अधिकारी चुप है, क्योंकि सब खेल दबंग गठजोड़ का है। दबी जुबा पर इसकों हर लेबल पर अधिकारी से लेकर राजनेता तक भी मानते है। यही वजह है कि सड़क निर्माण के 3 साल तक ठेकेदार की जिम्मेदारी होने के बावजूद लापरवाही पर कार्यवाही नहीं होती। निर्माण के दो-तीन माह बाद ही सड़के उखड़ जा रही है। कागजों में सब ओके है। ऐसे में किसी को कौन टोके इसलिए जनता की आवाज दब जाती है। असल में होता यूं है कि विभाग ठेकेदारों को सड़क बनाने का टेंडर देता है और यह टेंडर बाहुबलि जनप्रतिनिधि विजय मिश्रा का कोई करीबी ही लेता है। ताज्जुब इस बात का है कि 19 साल पहले जिले का आधार रखने वाले नेता मुलायम सिंह के ही एक-दो टर्म को छोड़ दे तो सांसद व विधायक चुनते आ रहे है। वर्तमान में भी तीनों विधायक उन्हीं के है। सरकार बनने को 3 साल होने को है, लेकिन आज भी लोग मूलभूत व आधारभूत समस्याओं से जूझ रहे है। विकास की कोई ऐसी योजना भी नहीं जो जमीन पर दिखाई पड़े। कद्दावर नेता रंगनाथ मिश्र कई पदों पर रहकर विकास की अलख तो जगाई लेकिन वह उंट के मुंह में जीरा के समान ही है। जिला उद्योग केन्द्र भी सिर्फ बैठकों तक ही सीमित होकर रह गया। 


एक नजर 
  • कारपेट इंडस्ट्री शत-प्रतिशत निर्यातपरक कुटीर उद्योग है 
  • कलीन बेल्ट में कुल 1500 ईकाईयां है 
  • प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रुप से इससे 20 लाख लोग जुड़े है 
  • वर्तमान में कुल 5 लाख से अधिक बुनकर है 
  • हर वित्तीय वर्ष में करीब 1500 करोड़ रुपये का इक्सपोर्ट होता है 
  • भदोही-मिर्जापुर, औराई-ज्ञानपुर व हडि़या-प्रतापपुर के घर-घर में कालीन उद्योग फैला है 

जरुरत 
  • श्रम कानूनों में संसोधन 
  • बीडा का विस्तार 
  • सड़कों को पिच एवं डबलीकरण 
  • भदोही रेलवे क्रासिंगष् गोपीगंज व औराई चैराहा पर ओवरब्रिज 
  • महिला बुनकर प्रशिक्षण केन्द्र की जगह-जगह स्थापना 
  • शहरी इलाकों में सलाटर हाउस 
  • ज्लनिकासी की व्यवस्था 
  • क्म से कम 20 घंटे बिजली 

वर्ष                चुने गए सांसद         पार्टी  
1-1952 आरके नारायण कांग्रेस 
                        व जेएन विल्सन कांग्रेस 
2-1957 आरके नारायणन कांग्रेस 
                         व जेएन विल्सन कांग्रेस 
3-1962 श्यामधर मिश्रा         कांग्रेस 
4-1967 बंशनारायण सिंह जनसंघ 
5-1971अजीज इमाम         कांग्रेस 
6-1977 फकीर अली        जनता पार्टी 
7-1980 अजीज इमाम        कांग्रेस 
8-1981 उमाकांत मिश्रा        कांग्रेस 
9-1984 उमाकांत मिश्रा        कांग्रेस 
10-1989         युसूफ बेग        जनता दल 
11-1991         वीरेन्द्र सिंह        भाजपा 
12-1996         फूलन देवी        सपा 
13-1998        वीरेन्द्र सिंह        भाजपा 
14-2002        रामरति बिन्द उपचुनाव        सपा 
15-2004         नरेन्द्र कुशवाहा       बसपा 
16-2007         रमेश दुबे               बसपा 
17-2009          गोरखनाथ पांडेय       बसपा 

एक नजर चुनाव परिणाम 2009 का 
गोरखनाथ पांडेय - 1,95,808 बसपा 
छोटेलाल बिन्द - 1,82,845 सपा 
सूर्यमणि तिवारी - 93,351 कांग्रेस 
रामरति बिन्द - 83,948 अपना दल 
महेन्द्र पांडेय - 57,672 भाजपा 




---सुरेश गांधी---
भदोही 

Viewing all articles
Browse latest Browse all 78528

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>