सुप्रीम कोर्ट ने खालिस्तानी आतंकी भुल्लर को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने 1993 में दिल्ली में बम धमाकों के दोषी देवेंदर पाल सिंह भुल्लर की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है। भुल्लर ने फैसले में देरी का हवाला देकर फांसी की सजा उम्रकैद में बदलने की अपील की थी।
सुप्रीम कोर्ट में भुल्लर के वकीलों ने उसकी खराब मानसिक स्थिति का हवाला देते हुए भी सुप्रीम कोर्ट से सजा में रियायत की अपील की थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दोनों ही मुद्दों पर चर्चा की और आखिरकार भुल्लर की फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील करने का फैसला सुनाया।
भुल्लर को 1993 में एक बम धमाका करने के मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी। भुल्लर की दया याचिका राष्ट्रपति ने खारिज कर दी है। लेकिन दया याचिका में फैसला लेने में हुई देरी को वजह बताते हुए भुल्लर की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की, और मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील करने की मांग की। केंद्र सरकार ने भी भुल्लर की याचिका का समर्थन कर दिया है। भुल्लर 1993 में यूथ कांग्रेस के दफ्तर पर बम धमाका करने का दोषी है। इस धमाके में नौ लोगों की मौत हो गई थी और 25 लोग घायल हो गए थे।
गौरतलब है कि अगस्त 2001 में निचली अदालत ने भुल्लर को फांसी की सजा सुनाई और बाद में हाईकोर्ट ने इस पर मुहर लगा दी। 26 मार्च 2002 को सुप्रीम कोर्ट ने भुल्लर की अपील खारिज कर दी थी। भुल्लर ने 2003 में दया याचिका दायर की और 2011 में उसकी याचिका खारिज कर दी गई थी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी के हत्यारों की फांसी की सजा को भी देरी का हवाला देते हुए उम्रकैद में बदल दिया था।