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एक सांसद डॉ अजय कुमार

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आज सुबह करीब 9 बजे एक अपरचित नंबर से फ़ोन आया . जब मैं फ़ोन उठाई और हेलो की तो दूसरी तरफ से आवाज आई "मैं डॉ. अजय कुमार बोल रहा हूँ....आपने मुझे एक मेल किया था उसी का जवाब देने के लिए."मैं तो आश्चर्य चकित हो गई......क्यों कि मैं रात में सही में डॉ. अजय कुमार को एक मेल की थी......पर मुझे उम्मीद नही थी कि मुझे उस मेल का जवाब मिलेगा. 

डॉ. अजय कुमार हमारे संसदीय क्षेत्र के सांसद हैं और एक सांसद का इतनी जल्दी जवाब वह भी मेल का जवाब फोन से आश्चर्य जनक तो है. मुझे लगा जैसे मैं कोई ख़्वाब देख रही हूँ. परन्तु तुरंत ही संभल गई....और नमस्कार किया. "अरे यह क्या वह तो पूरी होम वर्क करके आए थे". तुरंत उन्होंने कहा कि "जहां तक मैं समझता हूँ आपकी समस्या का समाधान हो गया है. आप ऑनलाइन देखिए वोटर लिस्ट में अब आपका नाम होना चाहिए."और इसबार आप किसी भी आईडी प्रूफ जैसे पैन कार्ड वगैरह से वोट दे सकती हैं. आप चिंता मत करिए. उन्होंने फिर कहा अभी तो मैं बहुत व्यस्त हूँ . सुबह ६ बजे घर से निकालता हूँ तो रात के १२ बजे घर लौटता हूँ. फिर भी बीच में मुझे जब मौका मिलेगा मैं आपको कॉल कर लूँगा."यह सुनते ही मैंने झट से उन्हें धन्यवाद कह दिया. फ़ोन रखने के बाद कुछ देर तक मुझे लगा मैं सपना देख रही थी, पर थी तो सच्चाई. मैं तो सोची भी नहीं थी कि मुझे जवाब भी मिलेगा . मैं तो एक जागरूक नागरिक की हैसियत से मेल भेजी थी.   

हुआ यूँ था कि कुछ दिनों पहले अपने दोस्तों के साथ चुनाव और वोटर आईडी कार्ड पर बातें हो रही थी तो किसी ने कहा कि आपका नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया गया है. मुझे काफी आश्चर्य हुआ और मैंने कारण पूछा तो पता चला जिस समय वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन हो रहा था उस समय मैं पूना में थी. जिस शिक्षक को हमारा क्षेत्र मिला था वह ताला बंद देखी और लिख दी वह यहाँ नहीं रहती हैं . जब कि मेरे एक संबंधी ने बार बार कहा आप ऐसा क्यों लिख रही हैं . मैडम पूना में हैं कुछ दिनों में आजाएंगी पर वह न सुनी . शायद अपना पॉवर दिखा रही थी. फलस्वरूप मेरा नाम वोटर लिस्ट से काट दिया गया. 

मुझे यह सुन बहुत गुस्सा आया. जहां वह शिक्षिका घर से वेरिफिकेशन करने के बाद बैठीं थी वह हमारे community का ऑफिस था जहां एक मिनट में पता चल जाता कि मैं वहां रहती हूँ या नही, परन्तु मेरे संबंधी के कहने के बावजूद उसने लिखकर भेज दिया वह यहाँ नहीं रहती हैं, इस वाकया के कुछ ही दिनों बाद पेपर में खबर आई. जिनका नाम वोटर लिस्ट में नहीं है वे अपना नाम जुड़वा सकते हैं . अमुक तारिख को इतने बजे से इतने बजे तक यह कार्य अपने अपने पोलिंग बूथ पर आप करवा सकते हैं. मेरा गुस्सा शांत नहीं हुआ था और यह पढ़ते मैंने मन बना लिया था कि मैं जाउंगी और उस अधिकारी को काफी खरी खोटी सुनाउंगी. जिसकी झूठ की वजह से मेरा नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया गया. 

 हमारा पोलिंग बूथ हमारे community के क्लब हाउस में ही रहता है. उस दिन मैं क्लब हाउस मैं जब पहुंची शिक्षिका उस समय क्लब हाउस घुस ही रही थी. चरों तरफ से लोग उसे घेरे हुए थे . जैसे ही मुझे मौका मिला मैं ने उसके आगे अपना वोटर आईडी कार्ड आगे कर कहा कि जरा देखिए मेरा नाम वोटर लिस्ट में है . वह मेरी और देखी और खोजने लगी पर कहीं नहीं मिला. बोली "आपका नाम नहीं है वोटर लिस्ट में",यह सुनते ही मुझे गुस्सा आया......मैं बोली"नहीं है या अपने कटवा दिया मेरा नाम.......उसके बाद उसने काफी आलतू फालतू दलील दी जो कोई भी समझ जाता कि उसकी गलती की वजह से बेमतलब का मेरा नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया गया. हमारे यहाँ लोगों को पॉवर का बहुत शौक है और उसे दुरुप्योक करने में जरा भी नहीं हिचकते. खैर मैंने काफी बक झक के बाद नया फॉर्म माँगा और उसे भरकर उसे दे दिया. 

मैंने सुना था कि डॉ अजय कुमार जनता की सभी बातें अच्छे से सुनते हैं और हर समस्या का हल अपने स्तर पर करवा देते हैं. मैंने उनका निजी मेल आईडी ढूंढा और कल मेल कर दी. क्यों कि मेरा नाम तबतक वोटर लिस्ट में नहीं था. आज का फ़ोन उसी मेल का जवाब देने के लिए डॉ अजय कुमार ने किया था. 

डॉक्टर अजय कुमार (IPS) 1994 -1996 तक जमशेदपुर के सिटी एसपी थे. उनका तबादला टाटा स्टील के उस समय के प्रबंध निर्देशक डॉ जे जे इरानी के अनुरोध पर मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने जमशेदपुर में करवाई थी जिस समय जमशेदपुर में गुंडों का बोलबाला था और अपराध चरम पर था. डॉ. अजय कुमार ने जमशेदपुर में पद भार संभालते ही गुंडों की गुंडागिरी कम करने में काफी हद्द तक सफलता पाई. शहर के गुंडे या तो एनकाउंटर में मारे गए या फिर भूमिगत हो गए. मीडिया उन्हें एनकाउंटर स्पेशलिस्ट से परिभाषित करने लगी. परन्तु जैसा हम जानते हैं हमारे यहाँ ईमानदार और काम में पक्का जो व्यक्ति होते हैं वह ज्यादा दिन टिक नही पाते. यही हुआ डॉ अजय कुमार के साथ. राजनितिक कारणों से उनपर दवाब पड़ने लगा और डॉ अजय कुमार ने इस्तीफा दे दिया. उन्होंने टाटा मोटर्स की नौकरी स्वीकार कर ली.  2011 में पहली बार JVM की टिकट पर विजयी होकर सांसद चुने गए. 

इस बार फिर JVM की टिकट पर खड़े हैं. उम्मीद कराती हूँ जमशेदपुर की जनता इतनी तो शिक्षित है कि समझ सके कि हमारा नेता कैसा होना चाहिए.


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