भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय महासचिव और उप्र मामलों के प्रभारी अमित शाह और समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता आजम खान के उप्र में चुनाव प्रचार पर निर्वाचन आयोग ने रोक लगा दी है। सपा जहां आयोग से पुनर्विचार की अपील करेगी वहीं भाजपा अभी इस मामले में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। इस बीच विरोधियों ने आयोग के इस कदम का स्वागत किया है। सपा ने निर्वाचन आयोग से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की है। पार्टी ने बयान जारी कर स्पष्ट किया है कि आजम खान एक धर्मनिरपेक्ष नेता हैं और उनके चुनावी कार्यक्रमों पर रोक नहीं लगाई जानी चाहिए। पार्टी ने यह भी कहा है कि अमित शाह सांप्रदायिकता के मुखिया हैं।
इधर, भाजपा के नेता अभी इस मामले में कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि निर्वाचन आयोग का आदेश अभी नहीं मिला है। जब आदेश मिल जाएगा तब उसका अध्ययन किया जाएगा और पार्टी आगे की रणनीति तय की जाएगी।
इस बीच बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और कांग्रेस ने आयोग के इस निर्देश का स्वागत किया है। बसपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा है कि सांप्रदायिकता की आग में देश को झोंकने वाले बयान पर चुनाव आयोग ने जो रोक लगाई है उसका पार्टी स्वागत करती है और इस प्रकार के बयानों पर रोक लगाई जानी चाहिए।
कांग्रेस के प्रवक्ता परवेज अहमद खान ने कहा है कि अमित शाह और आजम खान देश बांटने वाले लोग हैं। निर्वाचन आयोग ने दोनों नेताओं के प्रचार पर रोक लगाई और हम इसका स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत एक महान संस्कृतियों वाला देश है और इसकी महानता के पीछे एक मानवतावादी दृष्टि काम करती है और यही धर्मनिरपेक्षता कहलाती है।