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बिहार : नजरिया में व्यापक बदलाव लेकर हम तो चले

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ambedkar jayanti
गया। महात्मा बुद्ध की धरती पर कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं के बीच में गजब का परिवर्तन देखा गया। आए थे विचारों को समेटकर और चिंतन को विस्तार करके चले गए। मसलन केवल प्रोजेक्ट के दायरे में रहकर कार्य करते थे। अब प्रोजेक्ट के साथ रहकर लोगों के चतुर्दिक विकास की दिशा में कार्य करेंगे। अनुशासन में रहेंगे, एकदूजे को सम्मान देंगे और सभी लोगों को सहयोग करने में हाथ नहीं खिंचेंगे। इस बीच भारत के संविधान बनाने वाले डा.भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। 

गैर सरकारी संस्था प्रगति ग्रामीण विकास समिति के द्वारा गया जिले के 5 प्रखंड में काम किया जाता है। पैक्स के सहयोग से बोधगया, बाराचट्टी और मोेहनपुर में भूमि अधिकार और स्वास्थ्य पर कार्य किया जाता है। वाटर एड इंडिया के सहयोग से फतेहपुर में जल सुरक्षा पर और सेफ द चिल्ड्रेन के सहयोग से शिक्षा के अधिकार पर कार्य किया जाता है। इस प्रखंड कार्यशील कार्यकर्ता प्रोजेक्ट के दायरे में रहकर कार्य करते थे। चार दिवसीय कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर में भाग लेने के बाद कार्यकर्ताओं में गजब का परिवर्तन आ गया है। प्रशिक्षण देने वालों में प्रदीप प्रियदर्शी, मंजू डूंगडंूग, बी.के.सिंह, विजय गौरेया,सिंधु सिन्हा, अनिल पासवान आदि थे।

अब कार्यकर्ता गांव में जाकर करेंगेः अब कार्यकर्ता गांव में जाकर गा्रमीण समस्याओं का अध्ययन करेंगे। इसके बाद लोगों की समस्या और लोगों की अगुवाई की संभावना तलाश करेंगे। इसके लिए लोगों के बीच में व्यापक जागरूकता अभियान चलाएंगे।लोगों को गोलबंद कर न्यूनतम 20 लोगों को मिलाकर ग्राम ईकाई गठित करेंगे। गांव के अन्य मुद्दों को सरकार के समक्ष उछालने और उसपर विशेष ध्यान आकृष्ट करने के लिए मुद्दा आधारित ईकाई गठित करेंगे। इन ईकाई को गांव से लेकर पंचायत, पंचायत से लेकर प्रखंड और प्रखंड से लेकर जिलास्तर तक फेडरेशन बनाएंगे। हर प्रखंड से 2 लोगों को चयन करके स्टेट लेबल काउंसिल बनाएंगे। इस बीच गांव के तेजतर्रार युवाओं को चिन्हित करके कैडर के रूप में प्रशिक्षित करेंगे। स्थानीय संसाधनों का उपयोग करनाः गांवघर में मौजूद स्थानीय संसाधनों का उपयोग करना और लोगों को भी उपयोग करने को प्रेरित करना। किचन गार्डेन, जैविक खेती, आजीविका, कुटीर उघोग, नशा मुक्ति, देसी उत्पादन को प्रोत्साहन देना।  

लोकतंत्र के चौथा खंभा से संपर्कः समाज के किनारे ठहर गए लोगों के बुनियादी सरोकारों को लेकर कार्यपालिका, न्यायपालिका, विधायिका और पत्रकारिता के समक्ष पैरवी करना। इसके अलावे समान विचारधारा के लोगों को भी शामिल कर जन समस्याओं का निराकरण करवाना। जन संगठन एकता परिषद के मुद्दों जल,जंगल,जमीन को सदैव उठाते रहना। गांधी,विनोबा,जयप्रकाश के मार्ग पर चलकर अहिंसात्मक आंदोलन का राह बनाते रहना। 



आलोक कुमार
बिहार 

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