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मीडिया ने प्रधानमंत्री के बयानों को नजरंदाज किया

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pankaj pachauri
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एक महीने बाद अपना कार्यकाल पूरा करने जा रहे हैं। उनके मीडिया सलाहकार ने उनकी छवि को सुधारने की देर से की गई कोशिश के तहत शुक्रवार को कहा कि मीडिया और खासकर टेलीविजन चैनलों ने देश में हो रहे चौमुखी विकास और इस पर प्रधानमंत्री द्वारा दिए जा रहे ध्यान को तवज्जो नहीं दिया। प्रधानमंत्री के मीडिया सलाहकार पंकज पचौरी ने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की सरकार का दूसरा कार्यकाल वैश्विक आर्थिक सुस्ती के कारण प्रथम कार्यकाल जितना सफल नहीं रहा। उन्होंने हालांकि कहा कि पिछले एक दशक में अप्रत्याशित विकास कार्य हुआ, लेकिन मीडिया ने ज्यादा तवज्जो नहीं दिया, क्योंकि उसकी प्राथमिकता अलग है। पचौरी यहां प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में संवाददाताओं को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने राजनीति पर बोलने के लिए हमेशा संसद पटल को प्राथमिकता दी है, लेकिन पिछले पांच साल में संसद ने उन्हें बोलने का पर्याप्त मौका नहीं दिया। सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज के एक अध्ययन का हवाला देते हुए पचौरी ने कहा कि विकास संबंधी प्रधानमंत्री के संबोधनों को टेलीविजन समाचार चैनलों में 2.1 फीसदी जगह मिली। उन्होंने कहा कि अग्रेजी प्रिंट मीडिया में 4.5 फीसदी और हिंदी प्रिंट मीडिया में पांच फीसदी जगह मिली। उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री ने विकास संबंधी मुद्दों पर चर्चा की है, लेकिन उनमें से अधिकांश को जगह नहीं मिली।"उन्होंने हालांकि कहा कि पिछले दो साल में प्रधानमंत्री कार्यालय और मीडिया के बीच संवाद बढ़ा है।

पचौरी ने कहा, "पिछले दो साल में समाचार चैनलों ने 25 फीसदी राजनीतिक विषयक सामग्री प्रसारित की है। इसके अलावा करीब 10 फीसदी मनोरंजन और इतना ही खेल को जगह दिया गया है।"पचौरी ने कहा कि मनमोहन सिंह ने कई अवसरों पर विकास संबंधी विषयों की चर्चा की है, लेकिन उन्हें मीडिया में अधिक जगह नहीं मिली। पचौरी ने बताया कि पिछले एक दशक में प्रधानमंत्री ने 1,158 वक्तव्य दिए और प्रधानमंत्री कार्यालय की वेबसाइट पर 1,600 प्रेस बयान उपलब्ध कराए गए।

उन्होंने कहा, "पिछले 10 साल में किसी भी लोकतांत्रिक देश में उतना आर्थिक विकास नहीं हुआ, जितना इस देश में हुआ है। गरीबी के साथ जिस प्रकार का संघर्ष किया गया, वैसा मानवता के इतिहास में कभी नहीं हुआ था।"उन्होंने कहा, "सकल घरेलू उत्पाद और प्रति व्यक्ति आय तीन गुना बढ़ी। विश्वविद्यालयों में छात्रों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है। ग्रामीण मजदूरी तीन गुनी बढ़ी है।"उन्होंने कहा, "सरकार काम कर रही है। इसकी उपलब्धि आप तक नहीं पहुंच रही है, क्योंकि मीडिया की प्राथमिकता अलग है। यदि आप शांत मन से सोचेंगे कि प्रधानमंत्री ने क्या किया है, तो अच्छे परिणाम देखेंगे।"

पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू की इस महीने जारी किताब में किए गए दावे के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय, प्रधानमंत्री के परिवार और कांग्रेस ने इस पर समुचित बयान दे दिए हैं। उन्होंने कहा, "मुझे नहीं लगता कि इस बारे में कुछ और नया कहने को है।"बारू ने अपनी किताब में लिखा है कि प्रधानमंत्री को कांग्रेस ने शक्तिहीन कर दिया है। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंत्रिमंडल की नियुक्ति और नीतिगत मुद्दों में उन्हें महत्व नहीं दिया।

प्रधानमंत्री के कमजोर माने जाने के बाबत पूछे जाने पर पचौरी ने कहा कि यदि प्रधानमंत्री कमजोर होते तो सरकार का प्रदर्शन इतना मजबूत नहीं होता। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने चाहा कि वह काम बोलें, काम ज्यादा बोले। उन्होंने कभी अपने लिए प्रचार नहीं चाहा।

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