झारखंड में लोकसभा चुनाव के तीसरे व आखिरी चरण के अभियान ने गति पकड़ ली है और विभिन्न दलों के नेता मतदाताओं को लुभाने के प्रयास कर रहे हैं। तीसरे चरण में धनबाद, दुमका, राजमहल और गोड्डा में मतदान होने हैं। प्रथम और द्वितीय चरण का मतदान क्रमश: 10 और 17 अप्रैल को कराया गया था।विभिन्न दलों के नेताओं ने प्रचार अभियान तेज कर दिया है। भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतिन गडकरी ने दुमका और धनबाद में शुक्रवार को रैली को संबोधित किया था।
पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड विकास मोर्चा-प्रजातांत्रिक (जेवीएम-पी) बाबूलाल मरांडी, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) प्रमुख शिबू सोरेन, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और अन्य नेता संथाल परगना इलाके में ज्यादा से ज्यादा सीट जीतना चाहते हैं। हेमंत हर दिन तीन से चार रैलियों को संबोधित कर रहे हैं।
दुमका सीट शिबू और उनके बेटे के लिए प्रतिष्ठित सीट है। शिबू को जेपीएम-पी के अध्यक्ष मरांडी ने चुनौती दी है। दोनों 16 साल बाद एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हुए हैं। दुमका लोकसभा सीट पर पिछले चुनावों में रोचक मुकाबला देखा गया है। भाजपा ने मरांडी को जनजातीय नेता के रूप में बढ़ावा दिया था और वर्ष 2000 में राज्य के गठन के बाद वह मुख्यमंत्री बने थे।
मरांडी को वर्ष 1991,1996 में सोरेन ने हराया था। मरांडी ने 1998 में शिबू और 1999 में शिबू की पत्नी रूपी सोरेन को हराया था। मरांडी कोडरमा से मौजूदा सांसद हैं, लेकिन इस बार दुमका से चुनाव लड़ रहे हैं। संथाल परगना के अंतर्गत छह जिले हैं और तीन लोकसभा सीटें हैं। दुमका सीट का परिणाम पार्टियों की रणनीति को प्रभावित करेगा, क्योंकि इसी साल नवंबर-दिसंबर में विधानसभा चुनाव होने वाला है।
हेमंत का राजनीतिक भविष्य भी दुमका सीट पर निर्भर करता है। हेमंत दुमका से विधायक हैं और झामुमो के कई विधायक संथाल परगना क्षेत्र से आते हैं। इधर, मरांडी भी हर रोज तीन से चार रैलियों को संबोधित कर रहे हैं। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के साझेदार कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) भी तीसरे चरण के लिए तेज प्रचार कर रहे हैं। भाजपा ने वर्ष 2009 में दुमका को छोड़कर तीन सीट पर जीत हासिल की थी।