पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह द्वारा 1984 के सिख विरोधी दंगों में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर को क्लीनचिट दिए जाने पर सोमवार को विवाद बढ़ गया और आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हुआ। अमरिंदर के बयान के विरोध में सोमवार को बड़ी संख्या में सिखों ने दिल्ली में कांग्रेस कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। अमरिंदर सिंह अमृतसर लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार हैं। उन्होंने एक साक्षात्कार में टेलीविजन न्यूज चैनल एनडीटीवी को बताया कि टाइटलर का नाम 1984 के दंगों में सिर्फ तब आया जब वह दिल्ली के चुनाव में मदन लाल खुराना से लड़ रहे थे।
दिल्ली के शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष मंजीत सिंह जी.के. ने कहा, "हम निर्वाचन आयोग से मिलेंगे और अमरिंदर सिंह की टिप्पणी के बारे में शिकायत करेंगे। हम यहां इसलिए प्रदर्शन कर रहे हैं क्योंकि 1984 के दंगों के लिए कांग्रेस जिम्मेदार थी। अमरिंदर को अमृतसर से टिकट देने के लिए सोनिया और राहुल गांधी जिम्मेदार हैं और अब उन्होंने जगदीश टाइटलर को क्लीनचिट दे दी है।"
पुलिस द्वारा बार-बार हटने की घोषणा करने के बावजूद प्रदर्शनकारियों ने वहां से हटने से इंकार कर दिया, जिस पर पुलिस ने पानी की बौछारों का प्रयोग किया। पुलिस ने करीब 70 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया और उन्हें तुगलक रोड पुलिस थाने ले गई। उधर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने अमरिंदर सिंह द्वारा जगदीश टाइटलर को 1984 के सिख-विरोधी दंगों के मामले में क्लीन चिट दिए जाने पर सवाल उठाया।
जेटली ने अपने ब्लॉग में लिखा, "इसकी न्यायिक रूप से जांच होनी चाहिए ताकि सच का पता लगाया जा सके। कैप्टन अमरिंद सिंह क्यों बुरे व्यक्ति की वकालत करने लगे और क्यों जगदीश टाइटलर को क्लीन चिट देने की पेशकश की। क्या वह दंगे में शामिल दोषी व्यक्ति के बारे में पहले से फैसला सुना रहे हैं? क्या पीड़ितों के दर्द से ज्यादा महत्वपूर्ण कैप्टन के साथ उनका व्यक्तिगत और राजनीतिक संबंध है?"
उन्होंने आगे कहा कि वह तो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार थी, जिसने जस्टिस नानावटी आयोग की जांच बैठाई और सच को सामने लेकर आए। उन्होंने लिखा, "सच्चाई यह है कि हजारों निर्दोष लोगों का मारा जाना त्रासद घटना है और उससे भी बुरा है दोषी को सजा न मिलना। राज्य की मिलीभगत साफ है। दंगाइयों में से किसी को भी पुलिस ने बर्खास्त नहीं किया। सालों तक प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई। तत्कालिक प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने दंगों को राजनीतिक बना दिया।"
तत्कालिक कांग्रेस सरकार पर धावा बोलते हुए जेटली ने कहा, "कांग्रेस द्वारा गठित जस्टिस रंगनाथ मिश्रा आयोग सरकार समर्थित हिंसा की ढाल बनी रही। सेवानिवृत्ति के बाद न्यायाधीश को राज्य सभा सदस्य बनाया गया।"