सुपरटेक बिल्डर की ग्रेटर नोएडा स्थित दो इमारतों पर सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया। दोनों इमारतें 40 मंजिली हैं, भवन निर्माण के नियमों का पालन नहीं किए जाने के कारण इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इन दोनों इमारतों को ढहा देने का आदेश दिया था। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर. एम. लोढ़ा, न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ की पीठ ने सभी संबद्ध पक्षों को नोटिस जारी करते हुए कहा कि फ्लैटों के बिल्डर या खरीदार न तो इसे बेच पाएंगे, न तो अपने से अलग कर पाएंगे और न ही तीसरे पक्ष के अधिकार का सृजन कर पाएंगे। इन इमारतों का निर्माण रियल्टी कंपनी सुपरटेक ग्रुप लिमिटेड ने किया है। सुनवाई के शुरू में पीठ ने कहा कि कहा कि दोनों इमारतों को ढहाने का उच्च न्यायालय का आदेश गलत है।
पीठ ने कहा, "पूरी तरह से ढहाए जाने का उच्च न्यायालय का आदेश गलत है। सवाल यह है कि क्या यह (ढहाए जाने का काम) भूतल और उसके ऊपर नौ मंजिलों के बाद होना चाहिए, या भूतल और उसके ऊपर 11 मंजिलों के बाद या भूतल और उसके ऊपर 24 मंजिलों के बाद होना चाहिए।"प्रधान न्यायाधीश लोढ़ा ने जानना चाहा कि क्या शुरुआती मंजूरी भूतल और उसके ऊपर नौ मंजिलों के लिए थी और पूछा कि इसकी नींव अतिरिक्त 31 मंजिलों का भार कैसे उठा सकती है।
सुपरटेक के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि कंपनी ने जब शिलान्यास किया था, तो उसे पता था कि इसे 40 मंजिलों तक बढ़ाने की अनुमति मिल जाएगी। पीठ ने हालांकि रोहतगी के इस तर्क को तर्कसंगत नहीं पाया।