सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को उस याचिका पर निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया है, जिसमें निर्वाचन आयोग को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि किसी निर्वाचन क्षेत्र की मतगणना वार्ड स्तर पर नहीं बल्कि पूर्व निर्वाचन क्षेत्र स्तर पर कराई जाए। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति एन.वी.रमणा की पीठ ने नोटिस जारी करते हुए कहा, "शायद यह हमारे लिए संभव न हो क्योंकि इसमें सॉफ्टवेयर में बदलाव की जरूरत होगी। हमारे पास सॉफ्टवेयर नहीं है।"न्यायालय मामले पर अगली सुनवाई 21 मई को करेगा।
याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता योगेश गुप्ता, वकील वैभव सहगल ने कहा, "इन दिनों वार्ड स्तर पर होने वाली मतगणना से राजनीतिक पार्टियों को इस बात की जानकारी मिल जाती है कि प्रत्येक वार्ड में उनके पक्ष में कितने वोट पड़े हैं।"याचिका के मुताबिक, "जिस तरह से प्रत्येक मतदान केंद्र ेसे निकले परिणाम गोपनीयता से जुड़े होते हैं, राजनीतिक पार्टियां इस बात का पता लगाने में सक्षम हैं कि हर वार्ड में उनके पक्ष में कितने मत पड़े।"
याचिका में कहा गया है, "सच्चाई यह है कि राजनीतिक पार्टियां इस बात से अवगत होती हैं कि सभी मतदान केंद्रों पर कितने वोट पड़े हैं, जिससे मतदाताओं के मन में डर पैदा होता है और यह मतदाताओं को राजनीतिक पार्टियों द्वारा डराने वाले हथकंडे के रूप में काम करता है।"गुप्ता ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के उस वीडियो के हवाले से यह याचिका दायर की थी, जिसमें वह बारामती संसदीय क्षेत्र के एक गांव में उनकी भतीजी के पक्ष में वोट न करने पर पानी की आपूर्ति रोक देने की धमकी दे रहे थे।
मतदान घोषणा के मौजूदा तरीके की कमी का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि पवार के वीडियो ने यह दिखाया है कि इसका उपाय वार्ड स्तर के परिणाम पर नहीं बल्कि संसदीय क्षेत्र में एकसाथ परिणाम पेश करने में है।