सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को काला धन पर अपना पूर्व आदेश वापस लेने की केंद्र सरकार की याचिका पर सुनवाई करने से मना कर दिया। अदालत ने अपने आदेश में विदेशी बैंकों में छिपाए गए काला धन की जांच करने और उसे भारत लाने के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने को कहा था। न्यायमूर्ति बी. एस. चौहान और न्यायमूर्ति ए. के. सीकरी की पीठ ने केंद्र सरकार का अनुरोध ठुकराते हुए कहा, "किसी दूसरे न्यायाधीश के फैसले पर हम कैसे बैठ सकते हैं?"
अदालत से अतिरिक्त सोलिसीटर जनरल सिद्धार्थ लूथरा ने 4 जुलाई 2011 और 26 मार्च व 1 मई 2014 को दिए गए फैसले को वापस लेने की मांग की थी। अदालत ने लूथरा से रजिस्ट्री से बात करने के लिए कहा जो इस मामले की देखरेख करने वाले न्यायाधीशों से बात करेंगे। अदालत ने लूथरा से पूछा, "जब इस मामले से जुड़े एक न्यायाधीश (न्यायमूर्ति बी. सुदर्शन रेड्डी) सेवानिवृत्त हो चुके हैं तो हम कैसे सुनेंगे?"
मामले के याची राम जेठमलानी की ओर से पेश वकील संदीप कपूर ने सरकार की याचिका का विरोध किया और कहा कि इस मामले की सुनवाई तीन न्यायाधीशों की पीठ कर रही है और वह केंद्र सरकार की ऐसी ही याचिका ठुकरा चुकी है।
जेठमलानी की अर्जी पर 4 जुलाई 2011 को आदेश दिया गया था। जेठमलानी ने कर छूट वाले मुल्कों में अपरिमित धन छिपाए जाने की जांच कराने और उसे वापस लाने की मांग की थी। 26 मार्च को अदालत ने केंद्र सरकार की 4 जुलाई 2011 का फैसला वापस लेने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी थी। अदालत ने न्यायाधीशों की देखरेख में एसआईटी का गठन करने का आदेश दिया था।