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हिमाचल : रिटेल व्यापार के लिए व्यापार नीति और रिटेल रेगुलेटरी अथॉरिटी की मांग

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CAIT Himachal
व्यापारियों के शीर्ष संगठन कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) इस सप्ताह में रिटेल ई कॉमर्स में ऍफ़ डी आई मुद्दे पर एक श्वेत पत्र जारी करेगा ! कैट श्वेत पात्र को केंद्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली तथा वाणिज्य राज्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण को देकर आग्रह करेगा की इस संवेदनशील मुद्दे पर कोई भी फैसला जल्दबाज़ी में नहीं लिया जाए ! कैट ने कहा है की रिटेल ई कॉमर्स में ऍफ़ डी आई को अनुमति देने का मुद्दा सीधे तौर पर देश के 6 करोड़ व्यापारिक प्रतिष्ठानों और लगभग 2 .5 करोड़ लघु उद्योगों से जुड़ा है और भारत का रिटेल व्यापार और लघु उद्योग अभी इसके लिए पूरी तरह तैयार नहीं है ! ज्ञातव्य है की मल्टी ब्रांड रिटेल में ऍफ़ डी आई का विरोध कैट के झंडे तले ही हुआ था और रिटेल ई कॉमर्स में ऍफ़ डी आई का विरोध भी कैट अपने तर्कों के आधार पर कर रहा है !

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खण्डेलवाल ने अफ़सोस व्यक्त करते हुए कहा की पूर्ववर्ती सरकार में किसी भी व्यक्ति ने इस मुद्दे पर व्यापारियों और लघु उद्योगों से कोई चर्चा नहीं की जबकि ठीक इसके विपरीत वाणिज्य मत्रालय के अधिकारी लगातार विदेशी कम्पनियों के साथ इस मुद्दे पर मिलते रहे! उन्होंने उम्मीद जताई है की प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा सरकारी काम काज में बेहतर पारदर्शिता लाने के निर्देश के बाद अब वाणिज्य मंत्रालय में एक पक्षीय दृष्टिकोण पर विराम लगेगा और इस बेहद महत्वपूर्ण विषय पर व्यापारियों और लघु उद्योगों से न केवल विस्तार से चर्चा की जाएगी बल्कि उनके द्वारा उठाये गए विषयों को महत्व भी दिया जाएगा ! कैट ने यह भी कहा की यह विषय क्योंकि सीधे रोजगार से भी जुड़ा है इसलिए इसको हलके ढंग से नहीं लिया जाएगा !

श्री भरतिया एवं श्री खण्डेलवाल ने यह बताया की कैट द्वारा जारी होने वाले श्वेत पत्र जिसको कैट के रिसर्च विंग कैट रिसर्च एंड ट्रेड डेवलपमेंट सोसाइटी ने विस्तृत अध्यन के बाद तैयार किया है में भारतीय रिटेल व्यापार की वर्तमान हालत और भविष्य के संभावनाएं, भारत में ई कॉमर्स व्यापार पर सम्बंधित आंकड़े और ई कॉमर्स व्यापार का रिटेल व्यापार पर प्रभाव, ई कॉमर्स में मार्किट प्लेस और इन्वेंटरी मॉडल की बीच का अंतर, रिटेल ई कॉमर्स में ऍफ़ डी आई से लाभ और हानि तथा अन्य देशों में ई कॉमर्स व्यापार के रूप और आंकड़े जैसे विषय शामिल किये गए हैं ! श्वेत पत्र में भारतीय रिटेल व्यापार की क्षमता और वर्तमान रिटेल व्यापार को आधुनिक और उच्च तकनिकी बनाते हुए व्यापारियों द्वारा ई कॉमर्स व्यापार को अपनाने के प्रभाव को भी शामिल किया गया है !

दोनों व्यापारी नेताओं ने कहा की भारतीय ई कॉमर्स व्यापार में विदेशी पूँजी पहले ही से लगी हुई है इसलिए रिटेल ई कॉमर्स में ऍफ़ डी आई को अनुमति देने से कोई सकारात्मक परिवर्तन व्यापार में नहीं होगा बल्कि ठीक इसके विपरीत रिटेल व्यापर की गति और प्रगति पर लगाम लग जायेगी ! उन्होंने ने यह भी कहा की रिटेल व्यापार को अक्सर अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा कहा जाता है और वर्तमान समय में जब रिटेल व्यापार के ठीक होने के आसार दिखाई दे रहे हैं ऐसे में कोई भी कदम बेहद सोच समझ कर उठाया जाना चाहिए ! कैट ने कहा है की सरकार को चाहिए की वो रिटेल व्यापार के लिए एक राष्ट्रीय व्यापार नीति और एक रिटेल रेगुलेटरी अथॉरिटी का गठन करे जिससे भारतीय रिटेल व्यापार के ढांचे को एक नीतिगत योजना के अंतर्गत मॉनिटर किया जा सके और प्रगति को सुनिश्चित किया जाए

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