मुंबई की कैंपा कोला सोसायटी में बने अवैध फ्लैट्स को खाली करने में अब महज कुछ घंटे बचे हैं। कैंपा कोला के 96 अवैध फ्लैट्स में रहने वाले लोगों को अपने घरों को छोड़कर आज शाम पांच बजे तक जाना होगा। सरकार और सुप्रीम कोर्ट से सारे दरवाजे बंद हो चुके हैं लेकिन लोग अड़े हैं। उनका कहना है कि वो किसी भी हालत में सरकार को अपने घरों की चाभी नहीं देंगे।
सोसायटी के कंपाउंड में ही धरने पर बैठे लोगों ने कहा कि आज चाहे कोर्ट की अवमानना का मामला चले या फिर पुलिस जबरन हमें हटाए, हम किसी भी कीमत पर इस जगह को नहीं छोड़ेंगे। लोगों ने कहा कि आज सरकार और बीएमसी हमें हटाने के लिए फोर्स लेकर आ रही है। ये फोर्स उस समय बिल्डर को हटाने के लिए क्यों नहीं आई। उस समय सरकार ने कदम उठाया होता तो आज हमें उसकी कीमत नहीं चुकानी पड़ती। लोगों ने कहा कि आज चाहे पुलिस गोली मारे या लाशें गिरा दे लेकिन हम अपना ये घर नहीं छोड़ेंगे।
सवाल उठता है कि आखिर क्यों इन लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ रहा है, जिंदगी भर की इनकी पूंजी क्यों इनसे छिन रही है। आखिर क्या है कैंपा कोला सोसायटी में फर्जीवाड़े और लोगों से धोखे की कहानी।
- 1981 में कैंपा कोला की जमीन पर बिल्डिंग बनाने की इजाजत तीन बिल्डर्स यूसुफ पटेल, बीके गुप्ता और पीएसबी कंस्ट्रक्शन को मिली।
- 1983 में बिल्डर ने 5-5 मंजिलों की 9 इमारत बनाने का प्लान BMC को सौंपा, जिसे मंजूरी मिल गई।
- लेकिन फिर बिल्डर ने प्लान बदलते हुए ज्यादा मंजिलों का प्लान BMC को दिया जो नामंजूर हो गया।
फिर 5 मंजिल की मंजूरी के हिसाब से बिल्डर ने निर्माण कार्य शुरू किया। लेकिन BMC के नोटिस के बावजूद बिल्डर ने अवैध रुप से कई फ्लैट्स बना डाले। 1989 तक सारी बिल्डिंग बनाकर बिना लोगों को फर्जीवाड़े की बात बताए सारे फ्लैट बेच डाले। जब फ्लैट बिक गए तब BMC ने अपनी रिपोर्ट दी और कहा कि बिल्डर ने गैरकानूनी निर्माण किया है।
बीएमसी इस मामले को कोर्ट लेकर गई। पहले सिविल कोर्ट, फिर हाईकोर्ट और अंत में सुप्रीम कोर्ट। लेकिन उन लोगों को कोई राहत नहीं मिली जिन्होंने अपनी जिंदगी भर की कमाई एक अदद छत लेने में लगा दी।
सरकार ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं तो दूसरे राजनीतिक दल भी खुद को अदालती आदेश के आगे बेबस बता रहे हैं। पर बड़ा सवाल आखिर जब अवैध निर्माण हो रहा था तब BMC कहां थी? बिल्डर पर महज चंद लाख का ही जुर्माना क्यों लगा? बिल्डर पर लोगों को धोखा देने का केस क्यों नहीं चलाया जाए? क्यों बिल्डर से लोगों के नुकसान की भरपाई न करवाई जाए?