इंफोसिस के चेयरमैन एन.आर.नारायण मूर्ति तीन साल में दूसरी बार शनिवार को कंपनी को अलविदा कहने जा रहे हैं। कंपनी की स्थापना उन्होंने चार अन्य इंजीनियर साथियों के साथ 1981 में की थी। कंपनी में दोबारा नई ऊर्जा भरने के लिए इससे जुड़ने के एक साल बाद शनिवार को वह शीर्ष प्रबंधक का पद छोड़ रहे हैं।
सूचना प्रौद्योगिकी की 8.3 अरब डॉलर की इस कंपनी से मूर्ति इसके नियमों के तहत 65 साल का होने के बाद अगस्त 2011 में सेवामुक्त हो गए थे, लेकिन कंपनी ने एक जून, 2013 को फिर अगले पांच सालों के लिए उन्हें चेयरमैन बनाया था। लेकिन मुख्य कार्यकारी के पद के लिए पहली बार कंपनी से बाहर के व्यक्ति प्रसिद्ध टेक्नोक्रैट विशाल सिक्का की चकित करने वाली नियुक्ति मूर्ति के इस्तीफे की वजह बनी है। उन्होंने पांच साल की अवधि पूरी होने से पहले ही पदत्याग का मन बना लिया।
मूर्ति ने कंपनी की 33वीं वार्षिक बैठक से पूर्व कहा कि मैं अपनी वापसी के एक साल बाद पदत्याग करने का फैसला नए प्रबंधन को जिम्मेदारियों के सरल हस्तांतरण के लिए किया है और इंफोसिस को भविष्य में प्रौद्योगिकी की दुनिया में भारतीय ब्रांड का अगुआ बनाने के लिए सिक्का को खुली छूट देता हूं। मूर्ति ने कर्मचारियों, ग्राहकों, निवेशकों व शेयरधारकों से अपने विदाई भाषण में कहा कि बेहद कम लोगों को कंपनी का लाभ बढ़ाने के लिए दोबारा, वह भी सेवानिवृत्ति के बाद काम करने का अवसर मिलता है।